Jaankari Rakho & : Chemistry https://m.jaankarirakho.com/rss/category/chemistry Jaankari Rakho & : Chemistry hin Copyright 2022 & 24. Jaankari Rakho& All Rights Reserved. General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | ऊर्जा के स्रोत https://m.jaankarirakho.com/1025 https://m.jaankarirakho.com/1025 General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | ऊर्जा के स्रोत
अनवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत (Non Renewable source of Energy)
  • ऐसे ऊर्जा स्त्रोत जिनका भंडार सीमित तथा दुर्लभ है, जिनका भंडार समाप्त होने वाले हैं जिसका हम बार-बार उपयोग नहीं कर सकते हैं अनवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत कहलाते हैं।
    उदा०:- कोयला, घरेलू गैस, पेट्रेल, डीजल और प्राकृतिक गैस । 
नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत (Renewable Source of Energy)
  • वे ऊर्जा स्त्रोत जिनका हम बार-बार उपयोग कर सकते हैं तथा जिनका अधिक दिनों तक उपयोग किया जा सकता है, नवीकरणीय ऊर्जा कहलाते हैं ।
    उदा०:- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बयोमास, नाभकीय ऊर्जा (संलयन द्वारा ) 
Note:- नाभकीय विखंडन से प्राप्त ऊर्जा अनवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत है जबकि संलयन से प्राप्त ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत है। Anand

ऊर्जा के परंपरागत स्त्रोत (Conventional Source of Energy)

  • ऊर्जा के स्त्रोत जिनका उपयोग बहुत पहले से किया जा रहा है, परंपरागत स्त्रोत कहलाते हैं ।
    उदा० :- लकड़ी, कोयला, पेट्रोलियम, पवन, बायोमास, आदि ।
  • परंपरागत ऊर्जा स्त्रोत के अंतर्गत नवीकरणीय तथा अवनवीकरणीय दोनों ऊर्जा स्त्रोत आते हैं।
    उदा० :- लकड़ी, कोयला, पेट्रोलियम, पवन, बायोमास, आदि ।
ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्त्रोत (Non-Conventioal Soruce of Energy)
  • ऊर्जा के  ऐसे स्त्रोत जिनका उपयोग हाल ही में प्रारंभ किये गये हैं गैर-परंपरागत स्त्रोत अथवा ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोत कहलाते हैं।
ईधन (Fuel)
  • ईधन ऊर्जा का स्त्रोत है। वैसे पदार्थ जो जलकर उष्मा - ऊर्जा प्रदान करता है, ईधन कहलाता है।
  • एक ग्राम या एक किलोग्राम ईधन के पूर्ण दहन से जितनी उष्मा उत्पन्न होता है उसे ईधन का उष्मीय मान कहते हैं।
  • अब तक ज्ञात सभी ईधन में हाइड्रोजन का उष्मीय मान सबसे अधिक है। हाइड्रोजन का उष्मीय मान 150KJ / g होता है I
  • वह न्यूनतम ताप जिसपर ईंधन जलना शुरू कर देता है उसे ईधन का ज्वलन ताप कहते हैं । प्रायः ठोस ईंधन (कोयला, कोक) का ज्वलन ताप अधिक तथा गैस ईधन (LPG, CNG ) का ज्वलन ताप कम होता है ।
दहन (Combustion)
  • ईधन का ऑक्सीजन (वायु) में जलकर प्रकाश और उष्मा उत्पन्न होने की घटना दहन कहलाता है। दहन ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है, यह प्रकार का ऑक्सीकरण अभिक्रिया है ।
  • ऑक्सीजन को दहन का पोषक कहते हैं। कार्बन डाई ऑक्साइड को दहन का अपोषक कहा जाता है।
  • दहन निम्न प्रकार के हो सकते हैं।
    1. द्रुत दहन: - इस प्रकार के दहन में उष्मा तथा प्रकाश बहुत ही अल्प समय में उत्पन्न हो जाते हैं।
      उदा० :- माचिस की तिली का जलना ।
    2. मंदन दहन:- यह दहन काफी मंद गति से सम्पन्न होता है । श्वसन एक मंद दहन है । श्वसन के दौरान काफी मंद गति भोजन (ग्लूकोज) का ऑक्सीकरण होता है।
    3. स्वतः दहन:- इस प्रकार के दहन में बाहरी उष्मा की जरूरत नहीं होती है।
      उदा०:- फॉस्फोरस का हवा में जलना ।
    4. विस्फोट:- विस्फोट भी एक प्रकार का दहन है जो बाहरी दाब या बाहरी प्रहार से सम्पन्न कराया जाता है।
      उदा०:- बम, पटाखा का दहन
  • एक आदर्श या अच्छे ईंधन में निम्न विशेषता होनी चाहिए:-
    1. ईधन असानी से जलाया जा सके तथा यह सस्ता और सुलभ हो ।
    2. ईंधन का भंडारण सस्ता तथा सुरक्षित होनी चाहिए ।
    3. ईधन का उष्मीय मान उच्च तथा ज्वलन ताप निम्न होनी चाहिए ।
    4. ईंधन का दहन का दर न तो अधिक और न ही कम होनी चाहिए ।
    5. ईंधन जलने पर कम-से-कम प्रदूषण होनी चाहिए ।

प्रमुख ईधन

1. जीवाश्मी ईधन (Fossil Fuels)
  • जीवाश्मी ईधन का निर्माण आज से करोड़ो वर्ष पूर्व जमीन के अंदर दबे हुए जंतुओं एवं वनस्पति के अध्ययन से हुआ है। कोयला, पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस जीवाश्मी ईधन है ।
2. कोयला (Coal)
  • भूगर्भशास्त्री मानते हैं कि कोयला का निर्माण वृक्षों या वनस्पति के अवशेषों से हुआ है। ऐसा माना जाता है कि करोड़ो वर्ष पूर्व वनस्पति जमीन के अंदर धँसते चले गये जहाँ ताप तथा दाब की उपस्थिति में इसका मंद अपघटन हुआ और ये कोयले में परिणत हो गये ।
  • सीमित वायु में कोयले को तीव्रता से गर्म करने की प्रक्रिया भंजन आसवन कहलाता है। कोयले के भंजन आसवन से कोक, अलकतरा, अमोनिकल द्रव तथा कोल गैस बनता है।
  • कोक:- इसमें 85 - 90% तक कार्बन रहता है। कोक का इस्तेमाल औद्योगिक ईधन तथा लोहे के निष्कर्षण में किया जाता है। कोक का निर्माण जल गैस (Water gas) तथा प्रोड्यूसर गैस (Producer gas) बनाने में किया जाता है।
  • जल गैस:- जल गैस कार्बन-मोनोक्साइड तथा हाइड्रोजन गैस का मिश्रण है यह एक अच्छा ईधन है क्योंकि इसका उष्मीय मान काफी उच्च होता है।
  • 998°C पर गर्म लाल तप्त कोक के ऊपर अति तप्त भाप प्रवाहित करने पर जल गैस बनता है ।
    C + H2O → CO + H2
  • प्रोड्यूसर गैस :- प्रोड्यूसर गैस कार्बन मोनो-क्साइड तथा नाइट्रोजन गैस का मिश्रण है। इसका उष्मीय मान जल गैस की तुलना में  कम होता है।
  • अलकतराः– इसका उपयोग पेंट, रंग तथा विस्फोटक पदार्थ तथा अन्य रसायनों के निर्माण में होता है।
  •  कोल गैस:- यह मेथेन, हाइड्रोजन, कार्बन-मोनोक्साइड का मिश्रण है । इस ईधन का इस्तेमाल घरेलू स्तर पर होता है।
  • खानों से निकलने वाले कोयले के चार किस्म पाये जाते हैं-
    1. पीट कोयलाः- यह सबसे निम्न कोटि का कोयला है। इसमें कार्बन की माना 50-60% के बीच होता है।
    2. लिग्नाईट कोयलाः- इस कोयला में कार्बन की मात्रा 65% - 70% तक होती है। इस कोयला का रंग भूरा होता है, जिसके कारण इसे भूरा कोयला कहा जाता |
    3. बिटुमीनस कोयलाः- इसे मुलायम कोयला कहा जाता है । इसे सामान्य किस्म का कोयला भी कहा जाता है । घरेलू कार्य में इसी कोयला का इस्तेमाल होता है। इसमें कार्बन की मात्रा 70% - 85% तक होती है। विश्व में पाये जाने वाले कोयला में 80% कोयला बिटुमीनस कुल के कोयला है।
    4. एन्थ्रसाईट कोयलाः- यह कोयले की सबसे उत्तम कोटि है। इसमें कार्बन की मात्रा 55% से भी अधिक होता है। 
3. पेट्रोलियम
  • पेट्रोलियम अनेक हाइड्रो कार्बन का जटिल मिश्रण है। इसे कच्चा तेल भी कहते हैं। यह भूरे-काले रंग के द्रव के रूप में होता है तथा इसमें अल्प मात्रा में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन एवं गंधक के यौगिक होते हैं ।
  • पेट्रोलियम में उपस्थित विभिन्न अवयवों को अलग करने हेतु प्रभाजी आसवन प्रक्रिया अपनायी जाती है। पेट्रोलियम से प्राप्त उत्पाद में कार्बन अणुओं की संख्या 1 से 40 (C1 - C40) तक होती है। अक्सर पेट्रोलियम उपर प्राकृतिक गैस गैसीय अवस्था में पाये जाते हैं ।
  • पेट्रोलियम के प्रभाजी आसवन के दौरान भिन्न-भिन्न ताप पर प्राप्त पेट्रोलियम उत्पाद-
    1. पेट्रोलियम गैस:-
      • क्वथनांक परिसर - कमरे के ताप पर
      • संघटन - C1 to C5
    2. पेट्रोल
      • क्वथनांक परिसर - 253 - 473k
      • संघटन— C5 to C11
    3. किरासन तेल
      • क्वथनांक परिसर - 473 - 573k
      • संघटन- C11 to C16
    4. डीजल
      • क्वथनांक परिसर - 573k - 673k
      • संघटन - C16 to C18
    5. अवशिष्ट (स्नेहक तेल, पैराफीनमोम)
      • क्वथनांक परिसर - 67k के उपर
      • संघटन - C17 to C30
4. पेट्रोलियम गैस
  • पेट्रोलियम गैस पेट्रोलियम के प्रभाजी आसवन से प्राप्त होता है। इसका मुख्य घटक- ब्यूटेन है, हल्की मात्रा में इसमें— एथेन तथा प्रोपेन भी रहता है।
  • पेट्रोलियम गैस को उच्च दाब पर द्रवित करके द्रवित पेट्रोलियम गैस (LPG – Liquified Petroleum Gas) बनाया जाता है ।
  • द्रवित पेट्रोलियम गैस (LPG) का पूर्ण दहन होता है तथा इसका उष्मीय मान भी उच्च होता है। इसका उपयोग घरेलू ईधन के तौर पर व्यापक रूप से होता है।
5. प्राकृतिक गैस
  • यह एक जीवाश्म ईधन है। इसका निर्माण सूक्ष्म जीवों के लाखों वर्षों में जमीन के अंदर मंद अपघटन से हुआ है। इसका मुख्य घटक मेथेन है।
  • प्राकृतिक गैस को उच्च दाब पर संपीड़ित करके संपीड़ित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas) बनाया जात है। CNG का उपयोग आजकल ईंधन के रूप में काफी हो रहा है क्योंकि इसको जलाने पर पर्यावरण पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।
6. जैव गैस या बायोगैस
  • मुक्त ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जीवाणु द्वारा जैव पदार्थों के अपघटन से जैव-गैस या बायो गैस तैयार होता है।
  • प्राकृतिक गैस भी एक प्रकार का जैव गैस ही है । परन्तु सबसे सस्ता सुलभ जैव गैस गोबर गैस है।
  • गोबर गैस की औसत संरचना इस प्रकार की होती है - 55% मिथेन, 7.4% हाइड्रोजन, 35% CO2, 2.6% N, तथा अल्प मात्रा में H2S रहता है। मुख्य रूप से बायोगैस (गोबर गैस) में 75% मेथेन गैस रहता है।
नॉकिंग (Knocking)
  • इंजन में पेट्रोल वाष्प वायु के साथ मिश्रित होकर इंजन के सिलिंडर में पहुँचता है और पहुँचकर अधिक दाब पर धीरे-धीरे जलता है जिससे इंजन को शक्ति प्राप्त होता है । परन्तु पेट्रोल में कुछ ऐसे हाइड्रो कार्बन होते हैं जो वायु के साथ मिश्रित होकर इंजन के सिलिंडर में पहुँचने से पहले ही जलने लगता है जिसके कारण इंजन सम्पूर्ण ईधन प्रयोग नहीं कर पाता है और इंजन के सिलिंडर से एक तीव आवाज आती है जिसे नॉकिंग कहते हैं ।
  • नॉकिंग से बचने हेतु ईधन (पेट्रोल या अन्य द्रव ईधन) में Aniknocking पदार्थ मिलाये जाते हैं। प्रमुख एन्टीनॉकिंग पदार्थ टेट्राएथिल लेड [(C2H5)4 Pb] है ।
ऑक्टेन नंबर (Octane Number)
  • Octane Number से ईधन की गुणवत्ता का मापन किया जाता है। Octane Number का मान जितना उच्च (अधिक) होता है ईधन उतना ही अच्छा माना जाता है और ऐसे ईधन के उपयोग से इंजन में नॉकिंग बहुत ही कम होता है।
  • नॉर्मल हेप्टेन की आक्टेन संख्या शून्य होता है तथा आइसोऑक्टेन का आक्टेन संख्या 100 होती है।
प्रणोदक (Propellant )
  • रॉकेट (अंतरिक्ष-यान) में प्रयुक्त होने वाले ईधन को प्रणोदक कहते हैं।
  • ठोस प्रणोदक तथा द्रव प्रणोदकः-
    1. प्रणोदक के जलने भारी मात्रा में उष्मा उत्पन्न होता है।
    2. प्रणोदक का दहन बहुत ही तीव्र गति से होता है ।
    3. प्रणोदक के दहन के बाद कोई अवशेष नहीं बचता है ।
  • प्रमुख प्रणोदक है- ऐल्कोहॉल, द्रव हाइड्रोजन, द्रव अमोनिया, हाइड्रोजन आदि ।

अभ्यास प्रश्न

1. निम्नलिखित गैसों में से कौन-सी एक दहन पोषक है ?
(a) हाइड्रोजन
(b) नाइट्रोजन
(c) कार्बन डाइऑक्साइड
(d) ऑक्सीजन
2. दहन की वह क्रिया जिसमें ऊष्मा एवं प्रकाश अल्प समय में उत्पन्न हो जाते हैं, कहलाती है-
(a) द्रुत दहन
(b) मन्द दहन
(c) स्वत दहन
(d) विस्फोट
3. प्रोड्यूशर गैस इनका मिश्रण है-
(a) CO + N2
(b) CO2 + N2
(c) CO + H2 + N2
(d) CO2 + H2
4. गोबर गैस में मुख्यतः होता है-
(a) मिथेन
(b) इथिलीन
(c) ऐसीटिलीन
(d) कार्बन मोनो ऑक्साइड
5. L.P.G. का मुख्य घटक है-
(a) मिथेन 
(b) इथेन
(c) पेन्टेन
(d) ब्यूटेन
6. निम्नलिखित में से कौन - सा मिश्रण कोल गैस कहलाता है ? 
(a) H2, CH4, CO
(b) H2, N2, CO
(c) H2, N2, O2
(d) H2, O2, CO2 
7. रॉकेट को चलाने में प्रयुक्त ईंधन कहलाते हैं-
(a) बायोमास
(b) कोक
(c) प्रणोदक
(d) कोल गैस
8. लाल तप्त कोक पर जलवाष्प प्रवाहित करने से कार्बन मोनोक्साइड एवं हाइड्रोजन गैसों का मिश्रण प्राप्त होता है, जिसे कहते हैं-
(a) कोल गैस,
(b) जल गैस
(c) प्रोड्यूशर गैस
(d) बायो गैस
9. ऊष्मा की वह मात्रा जो किसी ईंधन के एक ग्राम की हवा अथवा ऑक्सीजन में पूर्णतः जलाने के फलस्वरूप प्राप्त होती है, कहलाती है-
(a) दहन
(b) कैलोरी मान
(c) ऊष्मीय मान
(d) ज्वलन ताप
10. प्राकृतिक गैस में मुख्यतः रहता है-
(a) मिथेन
(b) इथेन
(c) प्रोपेन
(d) ब्यूटेन
11. C.N.G. को पारिस्थितिकी मैत्रीपूर्ण क्यों कहा जाता है ?
(a) इसमें हाइड्रोजन अत्यन्त कम मात्रा में है ।
(b) इसका मुख्य घटक इथेन गैस ( 80-90%) है।
(c) इसमें कार्बन मोनोक्साइड बहुत ही कम है।
(d) C.N.G. में होने वाले गैस पूर्ण रूप से जलते नहीं हैं, इसलिए उत्सर्जन बहुत कम होता है।
12. बायोगैस संयंत्र से निष्कासित निम्नलिखित में से कौन-सी गैस ईंधन गैस के रूप में उपयोग में आती है ?
(a) ब्यूटेन
(b) प्रोपेन
(c) मिथेन
(d) एथेन
13. जलते पेट्रोल को पानी नहीं बुझा पाता है, क्योंकि-
(a) पेट्रोल और जल के मिश्रण से एक ज्वलनशील रसायन उत्पन्न होता है।
(b) जलता हुआ पेट्रोल पानी को तुरन्त भाप बना देता है ।
(c) अपने सापेक्ष कम घनत्व के कारण पेट्रोल पानी पर तैरता है ।
(d) जलते हुए पेट्रोल से सम्पर्क पर जल ऑक्सीजन छोड़ता है, जो जलने में सहायक होती है।
14. एक  अच्छे ईंधन के लिए आवश्यक शर्तें हैं-
(a) उसका ऊष्मीय मान उच्च होना चाहिए ।
(b) उसे आसानी से दहनशील होना चाहिए ।
(c) उसका ज्वलन ताप उपर्युक्त होना चाहिए ।
(d) इनमें से सभी
15. निम्नलिखित जीवाश्म ईंधनों में से कौन स्वच्छतम ईंधन है ? 
(a) कोयला
(b) पेट्रोल
(c) प्राकृतिक गैस
(d) डीजल
16. सुरक्षा की दृष्टि से खाना पकाने वाली L.P.G. गैस सिलिण्डर में क्या भरकर गैस को गंधयुक्त बनाया जाता है ?
(a) हीलियम
(b) अमोनिया
(c) मरकैप्टेन
(d) ईथर
17. भूरा कोयला (Brown Coal) के नाम से जाना जाता है ? 
(a) पीट
(b) लिग्नाइट
(c) बिटुमिनस
(d) एन्थ्रासाइट
18. श्वसन किस प्रकार की दहन क्रिया है ?
(a) द्रुत दहन
(b) मन्द दहन
(c) स्वतः दहन
(d) विस्फोट
19. निम्न में से कौन जीवाश्म ईंधन तत्व नहीं है ?
(a) कोयला
(b) पेट्रोलियम
(c) नाइट्रोजन
(d) जल गैस
20. एल.पी.जी. (L.P.G.) में कौन-सी गैस मुख्य रूप से होती है ? 
(a) मिथेन
(b) CO2 
(c) व्यूटेन
(d) SO2
21. निम्न में से किस एक का ईंधन मान अधिकतम होता है ?
(a) हाइड्रोजन
(b) चारकोल
(c) प्राकृतिक गैस 
(d) गैसोलिन
22. दहन की क्रिया के लिए आवश्यक शर्तें हैं-
(a) दहनशील पदार्थ की उपस्थिति
(b) दहन के पोषक पदार्थ की उपस्थिति
(c) ज्वलन ताप की प्राप्ति
(d) उपर्युक्त सभी
23. जल गैस किसका संयोजन ?
(a) CO और H2O
(b) CO2 और CO 
(c) CO और H2
(d) CO2 और H2
24. साधारण अग्निशामक यंत्र में CO2 निम्नलिखित के प्रतिक्रिया से उत्पन्न होता है ?
(a) चूना - पत्थर एवं तनु गंधकाम्ल
(b) संगमरमर एवं तनु नमक का अम्ल
(c) सोडियम बाइकार्बोनेट एवं तनु गंधकाम्ल
(d) सोडियम कार्बोनेट एवं तनु नमक का अम्ल
25. कार्बन मोनोक्साइड तथा नाइट्रोजन गैस के गैसीय मिश्रण को कहते हैं-
(a) कोल गैस
(b) जल गैस
(c) प्रोडयूशर गैस
(d) प्राकृतिक गैस
26. निम्नलिखित में से कौन-सा ईंधन न्यूनतम पर्यावरण प्रदूषण फैलाता है ?
(a) हाइड्रोजन
(b) कोयला
(c) डीजल
(d) केरोसिन
27. इनमें कौन अक्षय ऊर्जा स्त्रोत है-
(a) कोयला
(b) पेट्रोलियम
(c) सौर ऊर्जा
(d) प्राकृतिक गैस
28. वे पदार्थ जो जलकर ऊष्मा प्रदान करते हैं, कहलाते हैं-
(a) कोयला 
(b) ज्वालक
(c) ऊष्णादायक 
(d) ईंधन
29. किसी ईंधन के अपरफोटीरोधी गुण को दर्शाती है-
(a) स्वर्ण संख्या 
(b) प्राकृतिक संख्या
(c) ऑक्टेन संख्या
(d) मैक संख्या
30. निम्न में किसका प्रयोग नोदक या रॉकेटों में ईंधन के रूप में किया जा सकता है ?
(a) द्रव हाइड्रोजन + द्रव नाइट्रोजन
(b) द्रव ऑक्सीजन + द्र ऑर्गन
(c) द्रव नाइट्रोजन + द्रव ऑक्सीन
(d) द्रव हाइड्रोजन + द्रव ऑकसीन
31. नार्मल ब्यूटेन तथा आइसो ब्यूटेन का द्रवीभूत किया हुआ मिश्रण कहलाता है-
(a) जल गैस
(b) कोल गैस
(c) प्रोडयूशर गैस
(d) द्रवित पेट्रोलियम गैस
32. L.P.G. का पूरा नाम क्या है ?
(a) लिक्विड पेट्रोलियम गैस 
(b) लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस
(c) लेडेड पेट्रोलियम गैस
(d) लो पेट्रोलियम गैस
33. जिस न्यूनतम ताप पर कोई पदार्थ जलना शुरू करता है उसे उस पदार्थ को कहते हैं- 
(a) ऊष्मीय मान 
(b) ज्वलन ताप
(c) कैलोरी मान
(d) इनमें से कोई नहीं
34.प्रति ग्राम ईंधन द्वारा मोचित ऊर्जा की दृष्टि से निम्न में से सर्वोत्तम ईंधन कौन-सा है ?
(a) हाइड्रोजन
(b) मिथेन
(c) एथनॉल
(d) ब्यूटेन
35. कोयले की विभिन्न किस्मों में से किसमें कार्बन की प्रतिशत मात्रा सबसे अधिक होती है ?
(a) पीट
(b) लिग्नाइट
(c) बिटुमिन्स
(d) एन्थ्रासाइट
36. बिना किसी बाहरी ऊष्मा के सम्पादित होने वाली दहन क्रिया को कहते हैं-
(a) द्रुत दहन
(b) मन्द दहन
(c) स्वतः दहन
(d) विस्फोट
37. निम्नलिखित में से कौन ईंधन तत्व नहीं है ?
(a) यूरेनियम
(b) थोरियम
(c) रेडियम
(d) हीलियम
38. इनमें कौन नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत है-
(a) पेट्रोलियम
(b) कोयला
(c) वायोगैस
(d) प्राकृतिक गैस
39. इनमें कौन जैव मात्रा ऊर्जा स्त्रोत का उदाहरण नहीं है-
(a) लकड़ी
(b) गोबल गैस
(c) नाभकीय ऊर्जा
(d) कोयला
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here
]]>
Fri, 26 Apr 2024 16:54:25 +0530 Jaankari Rakho
General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | कार्बनिक रसायन विज्ञान https://m.jaankarirakho.com/1024 https://m.jaankarirakho.com/1024 General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | कार्बनिक रसायन विज्ञान
  • प्रारंभ में ऐसी मान्यता था की कार्बनिक यौगिक सिर्फ सजीव - स्त्रोतों से ही प्राप्त किया जा सकता है, इन्हें प्रयोगशाला में नहीं बनाया जा सकता है। इस सिद्धान्त को जीवनशक्ति का सिद्धान्त (Vital force theory) कहा गया जिसके प्रतिपादक बर्जीलियस थे।
  • वोहलर ने जीवन शक्ति सिद्धान्त को गलत साबित कर दिया। उन्होंने प्रयोगशाला में अमोनियम सायनेट यौगिक को गर्म करके प्रथम कार्बनिक यौगिक - यूरिया का निर्माण किया ।

  • कार्बन को सार्वभौमिक तत्व कहा जाता है क्योंकि हमारे दैनिक जीवन की अधिकांश पदार्थ, दवाई, प्लास्टिक आदि में कार्बन अनिवार्य अवयव हैं।
  • कार्बन के परमाणु आपस में संयोग कर श्रृंखला (Chains) बना सकते हैं। कार्बन में उपस्थित इस गुण को श्रृखंलन गुण (Catenation Property) कहते हैं। श्रृंखलन गुण के कारण ही कार्बन अधिक से अधिक यौगिक बना सकता है। कार्बन इतना श्रृखंलन का गुण अन्य किसी तत्व में नहीं पाया जाता है।
  • कार्बन हमेशा अन्य तत्वों के साथ सहसंयोजी यौगिक ही बनाता है क्योंकि कार्बन के अंतिम कक्षा में 4 इलेक्ट्रॉनिक ग्रहण करना पड़ेगा या हिलियम जैसे स्थायी विन्यास प्राप्त करने हेतु 4 इलेक्ट्रॉन त्याग त्याग करना पड़ेगा। यह दोनों ही स्थिति असंभव है क्योंकि इसमें अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अतः कार्बन हमेशा इलेक्ट्रॉन की साझेदारी करता है। इसी गुण क कारण कार्बन को अद्वितीय तत्व कहा जाता है ।
  • कार्बन के चारो संयोजकता (इलेक्ट्रॉन) किस प्रकार व्यवस्थित रहते हैं इसकी जानकारी सबसे पहले वॉन्ट हॉफ तथा ले—बेल ने दिया। उन्होंने बतलाया कार्बन की चारों संयोजकता एक नियमित चतुष्फलक के चारो शीर्षों की ओर निर्देशित रहती है । यदि कार्बन के चारों संयोजकता को चार रेखा द्वारा सूचित किया जाए तो कार्बन के किन्हीं दो संयोजकता के बीच 109° 28' का कोण बनता |

  • कार्बनिक यौगिक में कार्बन का होना अनिवार्य है, इसके अलावे कार्बनिक यौगिक में हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, हैलोजन फॉस्फोरस, गंधक तथा कुछ धातु विद्यमान रहते हैं । कार्बनिक यौगिक मुख्य रूप से कार्बन तथा हाइड्रोजन के बने होते हैं। कार्बन तथा हाइड्रोजन से बने यौगिक को हाइड्रो कार्बन कहते हैं। हाइड्रोकार्बन दो प्रकार के होते हैं ।
  1. संतृप्त हाइड्रोकार्बन (Saturated Hydrocarbon)
    • वे हाइड्रोकार्बन जिनमें कार्बन की चारों संयोजकता एकल बंधन ( Single bund) द्वारा संतुष्ट रहता है। संतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाता है। संतृप्त हाइड्रोकार्बन को Alkane या फैराफीन भी कहा जाता है। संतृप्त हाइड्रोकार्बन का सामान्य सूत्र CnHzn+2 होता है।
      उदा०:- CH4 (मेथेन), C2H6 (एथेन), C3H8 (प्रोपेन)
  2. असंतृप्त हाइड्रोकार्बन (Unsaturated Hydrocarbons)
    • वे हाइड्रोकार्बन जिनमें कार्बन का चारों संयोजकता एकल-बंधन द्वारा संतुष्ट नहीं रहती है असंतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाता है। असंतृप्त में कार्बन परमाणु आपस में Double bond या Triple bond द्वारा जुड़े होते हैं। असंतृप्त हाइड्रोकार्बन दो प्रकार के होते हैं ।
      1. Alkene— वे असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जिनमें दो कार्बन परमाणु के बीच द्विबंधन ( C = C) रहता है Akene कहलाता है। Akene का सामान्य सूत्र - CnHzn होता है।
        उदा०:- C2H4 (इथीन), C3H6 (प्रोपीन), C4H8 ( ब्यूटीन)
      2. Alkyne— वे असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जिनमें दो कार्बन परमाणु के बीच त्रिबंधन (C = C) होते हैं Alkene कहलाता है | Alkyne का सामान्य सूत्र - CnHzn-2 होता है। 
        उदा०:- C2H2 (इथाइन), C3H4 (प्रोपाइन) C4H6 (ब्यूटाइन)
ऐलिफैटिक कार्बनिक यौगिक:-
  • वैसे कार्बनिक यौगिक जिनके अणु में सभी कार्बनिक यौगिक एक खुली श्रृंखला में होती है ऐलिफैटिक कार्बनिक यौगिक कहलाते हैं। इसे एसाइक्लिक यौगिक भी कहते हैं।
  • Alkane, Alkene, Alkyne सभी ऐलीफैटिक कार्बनिक यौगिक के अंतर्गत आते हैं।
ऐरोमैटिक कार्बनिक यौगिक
  • वैसे कार्बनिक यौगिक जिनके अणु में कार्बन परमाणु एक बंद वलय के रूप में रहते हैं ऐरोमैटिक कहलाते हैं।
    उदा० - बेंजीन, फिनॉल, एनीलीन आदि
  • बेजीन में कार्बन परमाणु की बंद वलय

क्रियाशील मूलक (Functional Group)
  • किसी कार्बनिक यौगिक में उपस्थित वह समूह जिसपर यौगिक का रसायनिक गुण निर्भर करता है क्रियाशील समूह कहलाता है ।
मजातीय श्रेणी (Homologous Series)
  • कार्बनिक यौगिक की वह श्रेणी जिसके सभी सदस्यों को एक सामान्य सूत्र द्वारा व्यक्त किया जा सकता है, जिनमें समान क्रियाशील समूह उपस्थित रहते हैं। जिसके किसी भी दो क्रमागत सदस्य के अणुसूत्र में सदा - CH2 का अंतर रहता है, सजातीय श्रेणी कहलाता है।
    उदा०— Alkane का सजातीय श्रेणी

सजातीय श्रेणी के गुण-
  1. सजातीय श्रेणी को एक ही सामान्य सूत्र द्वारा व्यक्त किया जा सकता है।
  2. सजातीय श्रेणी के किन्हीं दो क्रमागत अणुसूत्रों में CH2 का अंतर होता है।
  3. सजातीय श्रेणी के सभी यौगिक की बनाने की विधि प्रायः समान होता है।
  4. सजातीय श्रेणी के यौगिकों के रसायनिक गुण प्रायः समान होते हैं।
  5. सजातीय श्रेणी के यौगिक के भौतिक गुण (द्रवणांक, क्वथनांक, घनत्व) में क्रमबद्ध परिवर्तन होते रहता है। 
UPAC Nomenclature
  • Alkane का नामांकरण
    • Alkane संतृप्त हाइड्रोकार्बन हैं। Alkane श्रेणी के प्रथम चार सदस्य सामान्य नाम से जाने जाते हैं-
      CH4 (मेथेन). C2H6 (एथेन), C3H8 (प्रोपेन), C4H10 (ब्यूटेन ) 
    • Alkane में चार सदस्य के बाद वाले कार्बनिक यौगिक के नामकरण उसमें उपस्थित कार्बन परमाणु की संख्या को ग्रीक संख्याओं के नाम के अंत में एन (ane) जोड़कर किया जाता है ।
      उदा०-
      1. C5H12
        • कार्बन परमाणु की संख्या 5 है। 5 को ग्रीक में पेंटा कहा जाता है अतः
          पेंटा + एन → पेंटेन 
          C5H12 - पेंटेन
      2. C6H14
        हेक्सा + एन → हेक्सेन (C6H14)
    • Alkane के अणु से एक हाइड्रोजन निकालने पर जो समूह आता है उसे एल्किल समूह कहते हैं। एल्किल समूह का नामकरण में संगत Alkane के नाम से एन हटाकर 'इल' जोड़ दिया जाता है-

    • लंबी श्रृंखला वाले कार्बन परमाणु का नामकरण जिससे पार्श्व श्रृंखला (Side Chain) जुड़ी रहती है।
    • उपर्युक्त यौगिक का IUPAC नाम लिखने के लिए पहले कार्बन परमाणु की संख्या गिनते हैं। कार्बन परमाणु के गिनने का क्रम उस सिरे से शुरू करना पड़ता है। जिस सिरे से पार्श्व श्रृंखला नीकट हो । उपर्युक्त कार्बनिक यौगिक को दो तरह से गिना जा सकता है-

    • उपर्युक्त कार्बनिक यौगिक में कार्बन परमाणु की संख्या 6 है अतः यह कार्बनिक यौगिक 6 कार्बन के संतृप्त हाइड्रोकार्बन हेक्सेन के व्युत्पन्न है तथा यौगिक के तीसरे कार्बन पर मेथिल समूह (-CH3) जुड़ा है इसलिए उपर्युक्त कार्बनिक यौगिक का नाम - 3 - मेथिल हेक्सेन होगा।
बहुलीकरण (Polymerisation )
  • वह पदार्थ जो एक ही यौगिक (मोनोमर) के दो या दो से अधिक अणुओं के संयोग से बनते हैं बहुलक (Polymers) कहलाते हैं तथा इस घटना को बहुलीकरण कहते हैं।
  • बहुलक तीन प्रकार के होते हैं-
    1. प्राकृतिक बहुलक (Natural Polymers) - प्राकृतिक बहुलक पौधे तथा प्राणियों में उपलब्ध रहते हैं ।
      उदा०:- प्रोटीन, न्यूक्लीक एसीड, सेलुलोज, प्राकृतिक रबड़ प्राकृतिक बहुलक हैं।
    2. अर्द्ध-संश्लिष्ट बहुलक (Semisynthetic Polymers) - वे बहुलक जो प्राकृतिक बहुलक के रसायनिक रूपान्तरण द्वारा तैयार किये जाते हैं अर्द्ध-संश्लिष्ट रबड़ कहलाते हैं।
      उदा०- सेलुलोज डाइऐसीटेट, गन कॉटन (सेलुलोज, नाइट्रेट), बल्कनित रबड़ आदि ।
    3. संश्लिष्ट बहुलक (Synthetic Polymers) ये बहुलक कृत्रिम तरीके से तैयार किये जाते हैं ।
प्रमुख बहुलक तथा उसके मोनोमर-
  1. पोलीथीन
    Monomer - एथीन
    • पोलीथीन का उपयोग प्रयोगशाला पात्र बनाने में घरेलू कार्यों में होता है ।
  2. टेफ्लॉन (पोलीटेट्रा फ्लोरोएथीन)
    Monmer - टेट्राफ्लोरो एथीन
    • टेफ्लॉन का उपयोग स्नेहक के रूप में विद्युतरोधी के रूप खाना बनाने वाला बर्त्तन निर्माण में होता है ।
  3. पोलीविनाइल क्लोराइड (PVC)
    Monomer - विनाईल क्लोराइड
    • PVC का उपयोग वैग बनाने में, चमड़े का कपड़ा बनाने में, बरसाती बनाने में किया जाता है।
  4. पॉलीप्रोपीन
    Monomer - प्रोपीन
    • पॉलीप्रोपीन का उपयोग कारपेटो, रस्सी, मछली के जाल बनाने में किया जाता है ।
  5. प्राकृतिक रबड़
    Monomer - आइसोप्रीन
    • प्राकृतिक रबड़ का प्रयोग चदरों, गेंदो जूतों के निर्माण में होता है वल्मीनीकृत रबड़ से गाड़ी के टायर बनाये जाते हैं ।
  6. संश्लिष्ट रबड़
    Moner - ब्यूटा - 1, 3 - डाईन
    • संश्लिष्ट रबड़ का प्रयोग प्राकृतिक रबड़ के विकल्प के रूप में होता है ।
  7. नियोप्रीन
    Monomer - क्लोरोप्रीन
    • नियोप्रीन का उपयोग विद्युतरोधी तार बनाने में होता है।
  8. नाइलॉन -66
    • नाइलॉन ६६, हेक्सा मैथीलीन डाइऐमीन तथा एपिटियक एसीड के संघनन से बनता है। (Nylon-f) एक संघनन बहुलक (Condensation polymer) है ।
  9. Nylon-6
    • Nylon-6 कैप्रोलैक्टम के बहुलीकरण से बनता है।
    • नॉयलॉन रेशा का उपयोग वस्त्र, कालीन रस्सी, टायर के निर्माण में होता है। जाने वाले समय हो सकता है कि नॉयलॉन मेटल का स्थान ले लें।
  10. पॉलिएस्टर
    • हस्थैलिक एसीड तथा एथीन ग्लाइकॉल के साथ संघनन से पॉलिएस्टर का निर्माण होता है।
  11. डैक्रॉन या टैरीलीन
    • डाइमिथाईल टैरीथैलेट तथा एथिलीन ग्लाकॉल के बहुलीकरण से डेक्रॉन या शलीन का निर्माण होता है।
    • डेक्रॉन या टेलीन का उपयोग कपड़े बनाने में लाया जाता है। ट्राउजर या स्कर्ट्स में स्थायी क्रीज टेरीलीन से ही बनायी जाती है।
  12. ऑरलॉन
    • इसे प्रोपीननीनाइट्राइल फाइबर कहा जाता है। नाइट्राइल के बहुलीकरण से ऑरलीन प्राप्त होता है। यह एक प्रकार का रेशा है जिससे कपड़े बनाये जाते हैं। 
  13. बैकेलाईट
    • अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में फिनॉल तथा फॉर्मल्टिाइड मिलकर बैकलाइट का निर्माण करते हैं।
    • बैकेलाइट उत्तम विद्युतरोधी है इसका इस्तेमाल बिजली के समान बनाने में होता है।

प्रमुख कार्बनिक यौगिक के गुण तथा उपयोग

1. मिथेन (CH4)
  • मीथेन एक रंगहीन तथा गंधहीन गैस इसका खोज सर्वप्रथम Alessandro Volta ने की थी तथा इसका नाम मीथेन जर्मन वैज्ञानिक विल्हेम वॉन हॉफमैन ने रखा ।
  • मिथेन की अणु की आकृति ट्रेट्राहेड्रॉन (चतुष्फलकीय) होती है जिनमें कार्बन तथा हाइड्रोजन के बीच का बंधन कोण 109°28' होता है । 
  • मेथेन गैस तलाबों के सुके जल, दलदली स्थानों (धान का खेत पर पायी जाती । यह दलदल भरे स्थानों में वनस्पति और अन्य जीवधारियों के क्षय के कारण बुलबुले के रूप में उत्पन्न होती है ।
  • मिथेन संतृप्त हाइड्रोकार्बन का प्रथम सदस्य है इसे सभी ऐलीफैटिक कार्बनिक यौगिक का जन्मदाता माना जाता है।
  • मिथेन को मार्श गैस के नाम से भी जाना जाता है।
  • औद्योगिक स्तर पर मीथेन - ऐलुमिनियम कर्बाइड पर जल की प्रतिक्रिया से बनाया जाता है ।
    Al4C3 + 12H2O → 3CH4 + 4 Al(OH)5
  • प्रयोगशाला में सोडियम ऐसीटेट को सोडालाइम के साथ गर्म करने पर मीथेन प्राप्त होता है।
  • मीथेन गैस का इस्तेमाल ईधन के रूप में होता है। प्राकृतिक गैस, गोबर गैस तथा बायो गैस जैसे ईधन का मुख्य घटक मीथेन की है।
2. इथिलीन (C2H4)
  • इथिलीन का IUPAC नाम एथीन (ethene) है। यह एक रंगहीन ज्वलनशील गैस है जिसकी गंध हल्की मीठी जैसी प्रतीत होती है।
  • इथिलीन जल में बहुत कम, किन्तु ईथर, ऐल्कोहॉल जैसे कार्बनिक विलायक में अधिक विलेय है। इसे सूँघने से बेहोशी आ जाती है। 
  • इथलीन अणु का आकृति समतलीय एवं चपटी होती है तथा दोनों कार्बन एवं चारों हाइड्रोजन एक ही समतल से स्थित होते हैं। इथीलीन में बंधनों के बीच का कोण 120° होता है ।
  • इथलीन एक असंतृप्त हाइड्रोकार्बन है जिसमें कार्बन के दो परमाणुओं के बीच द्विबंधन रहता है।
  • इथीलीन का इस्तेमाल- निश्चेतक के रूप में, कच्चे फलों को पकाने में, पॉलीथीन नामक प्लास्टीक निर्माण में होता है।
  • ऊँचे दाब पर एथिलीन गैस ऑक्सीजन के साथ जलकर बहुत ताप देती है और धातुओं के जोड़ने (Welding) एवं काटने में काम आता है I
  • इथीलीन (C2H4) सल्फर मोनोक्लोराइड के साथ प्रतिक्रिया करके बिषैली गैस- मस्टर्ड गैस बनाती है। मस्टर्ड गैस का इस्तेमाल प्रथम विश्व युद्ध में जर्मन सेना के द्वारा किया गया था । 

3. एसीटीलीन (C2H2)
  • एसीटीलीन का IUPAC नाम एथाइन है। यह Akyane श्रेणी का पहला और महत्वपूर्ण यौगिक है। यह रंगहीन गैस है किन्तु फॉस्फीन अशुद्धि की उपस्थिति के कारण ऐसीटीलीन को लहसून जैसी गंध होती है।
  • प्रयोगशाला में कैल्शीयम कर्बाइड पर जल की अभिक्रिया से ऐसीटीलीन गैस बनाई जाती है।

  • ऐसीटीलीन का उपयोग ऑक्सी-ऐसीटीलीन ज्वाला में Welding करने हेतु काम आता है। ऐसीटीलीन फलों को कृत्रिम रूप से पकाने प्रयुक्त होता है। प्रकाश उत्पन्न करने के लिये हॉकर लैम्प में ऐसीटीलीन का प्रयोग होता है।
  • ऐसीटीलीन ट्रेटाक्लोराइड (C2H2Cla) को वेस्ट्रॉन कहा जाता है इसका उपयोग विलायक के रूप में होता है।
4. क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CCI2F2) – CFC
  • इसे डाईक्लोरोडाई फ्लोरो मिथेन तथा फ्रीऑन (Freon) के नाम से भी जाना जाता है।
  • CFC का इस्तेमाल एयर कंडीशनर, और फ्रिज में रेफ्रिजरेंट्स के रूप में होता है ।
  • रेफ्रिजरेंट्स एक तरल पदार्थ है जो गर्मी को अवशोषित करता है।
  • CFC से ओजोन परत को काफी क्षति पहुँचती है अतः मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत इसका उपयोग चरणवद्ध तरीके से बंद किया जा रहा है।
5. इथेनॉल (C2H5OH) या इथाइल एल्कोहॉल
  • एथानॉल (C2H5OH) को साधारणतः ऐल्कोहॉल के नाम से जाना जाता है। बियर, वाईन, व्हिस्की, कफ सिरप, पाचक सिरप इत्यादि जैसे सभी ऐल्कोहली पेय में इथेनॉल ही रहता है।
  • इथनॉल फलों के रसो से किण्वन प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है।
  • आजकल औद्योगिक रूप से इथेनॉल, एथीन के जल के साथ सान्द्र सल्फरिक अम्ल की उपस्थिति में अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है।

  • नीली ज्वाला इथेनॉल रंगहीन द्रव है। यह काफी ज्वलनशील होता है। नीली ज्वाला के रूप में है। लकर कार्बनडाई ऑक्साइड तथा जल प्रदान करता है।
  • इथेनॉल एक विलायक के रूप में उपयोग होता है तथा यह प्रतिरोधी (Antiseptic) के तरह भी काम आता है।
  • एथनॉल पेय पदार्थ के रूप में उपयोग में लाया जाता है अतः इसके पीने के दुरूपयोग को रोकने के लिये इसमें मैर्थेनॉल, पिरिडीन अथवा कॉपर सल्फेट जैसे विषाक्त पदार्थ मिला दिये जाते है, जिससे ये पीने हेतु अयोग्य हो जाता है। ऐसे ऐथेनॉल विकृतिकृत स्पिरिट (denatured alcohal) कहलाता I
  • एथेनॉल में जब 5% जल होता है तब इसे रेक्टीफॉइड स्पिरिट कहा जाता है। जबकि 100% एथेनॉल को Absolute alcohal कहा जाता है।
  • एथेनॉल तथा पेट्रोल के मिश्रण को गैसोहॉल कहा जाता है इसका इस्तेमाल ईधन के रूप में किया जाता है । 
  • इथेनॉल को Grain Alcohal (अनानो के किण्वन से प्राप्त) भी कहा जाता है । 
6. मेथेनॉल (CH3OH) या मिथाइल एक्लोहॉल
  • इसे काष्ठ आल्कोहल या काष्ठ स्पिरिट भी कहते हैं क्योंकि एक समय में यह लकड़ी के भंजन आसवन से प्राप्त की जाती थी।
  • मेथेनॉल हल्का, वाष्पशील, रंगहीन, ज्वलनशील द्रव है जिसकी गन्ध ऐथेनॉल (C2H5OH) की तरह ही होती है।
  • मेथेनॉल पीने के लिये बिल्कुल अनुपयुक्त होता है क्योंकि यह अत्यंत बिषैला होता है। बहुत कम मात्रा भी लेने से व्यक्ति अंधा हो सकता है।
  • इसका उपयोग विलायक के रूप में तथा ईथर के रूप में किया जाता है ।
7. इथीलीन ग्लाईकॉल (C2H2O2)
  • शुद्ध इथीलीन ग्लाईकॉल गंधहीन, रंगहीन, तथा मीठाद्रव है । यह विषैला होता है ।
  • एथीलीन ग्लाईकॉल को पानी से मिलाने पर पानी का हिमांक गिर जाता है। अतः इसका इस्तेमाल ठंडे प्रदेशों में वाहनों के रेडियेटर में एन्टीफ्रीज के रूप में होता है ।
  • औद्योगिक स्तर पर इथीलीन और जल की अभिक्रिया से इथीलीन ग्लाईकॉल बनाया जाता है।

8. ग्लीसीरॉल या ग्लिसरिन (C3H8O3)
  • यह रंगहीन, गंधहीन एवं श्याम द्रव है जिसका प्रयोग औषधि निर्माण में बहुतायत से होता है।
  • यह नमी शोषक (आइताग्राही) होता है जिसके कारण इसका उपयोग श्रृंगार - प्रसाधन में भी किया जाता है ।
  • ग्लिसरिन की एक विशेषता है इसका न सूखना जिस पदार्थ में यह डाला जाता है, वह वायु में सदा भीगा ही रहता है जिसके कारण इसका उपयोग ठप्पा या सुद्रण की स्याही बनाने में किया जाता है।
  • नाइट्रीक अम्ल के साथ अभिक्रिया कर यह नाइट्रोग्लिसरीन बनाता है जो एक प्रकार का विस्फोटक है ।
9. क्लोरोफॉर्म CHCl3
  • क्लोरो फॉर्म या ट्राईक्लोरो मिथेन एकरंगहीन तथा सुगंधित तरल पदार्थ है जिसका इस्तेमाल चिकित्सा के क्षेत्र में सर्जरी करानेवाले रोगी को बेहोश करने में निश्चेतक तरह होता है।
  • क्लोरोफॉर्म की खोज जर्मन रसायनज्ञ यूजीन सोबेरन और जस्टस वॉन लीबिग ने की थी ।
  • क्लोरोफार्म पानी में सरलता से घुलनशील होता है। ऑक्सीजन और सूर्य के प्रकाश से क्रिया करने पर इससे फॉस्जीन नामक बिषैली गैस बनाती है ।
10. आयडोफॉर्म (CHI3)
  • एल्कोहॉल या एसीटोन में थोड़ा सा आयोडीन डालकर यह बनाया जाता है। यह चमकदार पीले रंग के होते हैं तथा इसमें बहुत खराब गंध होती है।
  • आयोडोफार्म का उपयोग चिकित्सा में किटाणुनाशक गुणों के कारण घाव पर लगाने में होता था परन्तु इसमें विचित्र गंध होने के कारण अब इसका इस्तेमाल एन्टीसेप्टीक के रूप में नहीं होता है। 
11. कार्बन टेट्राक्लोराइड (CCI4)
  • कार्बन ट्रेराक्लोराइड रंगहीन तथा मीठी सुगंध वाला द्रव है। इसको टेट्राक्लोरोमीथेन, कार्बनटेट, Halon-104, Retrigerant - 10 पायरीन इत्यादि नामों से भी जाना जाता है । 
  • इसका इस्तेमाल बिजली से लगी आग को बुझाने में किया जाता है।
  • फ्रिऑन बनाने में भी इसका इस्तेमाल होता था, परन्तु ओजोनक्षय के कारण अब फ्रिऑन का इस्तेमाल नहीं के बराबर होता है।
  • इसका इस्तेमाल विलायक के रूप में होता है।
12. डाइएथाइल ईथर (C4H10O or C2H5OC2H5)
  • इसका अविष्कार वेलिरीयस कोरडस (Valerius cordus) ने किया था उन्होंने इसका नाम Swwet oil of Vitriol रखा था।
  • इसका इस्तेमाल निश्चेतक (संवेदनाहारी) के रूप में इस्तेमाल 1846 में अमेरिका के विलियम मॉर्टन द्वारा किया गया था।
13. फॉर्मल्डी हाइड (HCHO)
  • इसका IUPAC नाम मैथेनल है। यह सबसे सरलतम ऐल्डीहाइड है।
  • फार्मेल्डिहाइड का 35-40% जलीय विलयन फॉर्मेलिन कहलाता है तथा फार्मेल्डिहाइड इसी रूप में बाजार में उपलब्ध होता है।
  • मैथेनल का जलीय विलयन (फॉर्मेलिन) रोगाणुनाशी होता है जिसके कारण इसका इस्तेमाल परिरक्षक के रूप में होता है ।
  • फार्मेल्डिहाइड तथा फिनॉल द्वारा बैकेलाइट प्लास्टीक तैयार किया जाता है। बैके लाइट का उपयोग बिजली स्वीच बनाने में होता है ।
14. फॉर्मिक अम्ल (HCOOH या CH2O2)
  • यह तीव्र गंधवाला रंगहीन द्रव है। त्वचा पर गिरने पर इससे बहुत जलन होती है तथा फफोले बन जाते हैं।
  • यह अम्ल लाल चीटी, शहद की मक्खी, बिच्छू के डंक में पाया जाता है। इन कीड़ों के काटने या डंक मारने पर थोड़ा अम्ल शरीर में प्रविष्ट हो जाता है, जिससे वह स्थान फूल जाता है और दर्द करने लगता है।
15. एथेनॉइक अम्ल (ऐसीटीक अम्ल) - CH3COOH
  • एथेनॉइक अम्ल को साधारणतया ऐसीटीक अम्ल के नाम से जाना जाता है। इसका 5-8% प्रतिशत जलीय विलयन सिरका के नाम से जाना जाता है जिसका उपयोग खाद्य पदार्थों सौसेजो, आचारों इत्यादि के परिरक्षण के लिये होता है ।
  • एथेनॉल के वायु में, ऐसीटोबैक्टर नामक एंजाइम की उपस्थिति में उपचयन द्वारा सिरका तैयार होता है।

  • एथेनॉइक अम्ल कृत्रिम सिरका बनाने में, रसायन प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में तथा सफेद लेड [2PbCO3 . Pb(OH)2] के निर्माण में उपयोग होता है।
16. प्रापेनोन या ऐसीटोन (CH3COCH3)
  • यह रंगहीन तथा वाष्पशील दूध है। इसका निर्माण क्यूमीन [ (C6H5 – CH. (CH3)2)] के द्वारा किया जाता है।
  • ऐसीटोन का उपयोग प्रयोगशाला में विलायक के रूप में तथा नाखून पॉलिस हटाने ( Remover ) में होता है I
  • ऐसीटोन का इस्तेमाल कृत्रिम चमड़ा तथा संश्लेषित रेजीन (राल) बनाने में किया जाता है।
17. ऑक्जेलिक अम्ल (C4H2O4)
  • यह अम्ल पोटाशियम और कैल्शीयम लवण के रूप में बहुत से पौधे में पाया जाता है ।
  • इसका उपयोग कपड़ों में लगा स्याही के दाग हटाने में किया जाता है। यह अत्यंत बिषैला अम्ल है ।
18. लैक्टीक एसीड (C3H6O5)
  • इसका अविष्कार सर्वप्रथम स्वीडेन के रसायन विज्ञानी कार्ल विहलेल्म शीले ने किया था I
  • मानव शरीर में लैक्टीक एसीड के जमाव से थकावट का अनुभव होता है I
19. बेंजीन (C6H6)
  • सर्वप्रथम इसका खोज फैराडे ने किया था। बेंजीन रंगहीन मीठीगन्ध वाला अत्यंत ज्वलनशील द्रव है I
  • बेंजीन का ऑक्टेन मान उच्च होता है जिसके कारण इसकी कुछ मात्रा पेट्रोल में मिलाया जाता है।
  • बेंजीन को ऐरोमैटिक कार्बनिक यौगिक का जन्मदाता माना जाता है। इसका उपयोग घोलक के रूप में तथा कपड़ों के शुष्क धुलाई में किया जाता है ।
20. फिनॉल (C6H5OH)
  • इसे कार्बोलिक अम्ल भी कहते हैं । इसमें तीव्र गंध होती है तथा यह विषैला होता है ।
  • इसका इस्तेमाल सैलिसिलिक अम्ल [C6H4(OH)COOH] बनाने तथा जीवाणुनाशक, कवकनाशक के रूप में होता है।

अभ्यास प्रश्न

1. कार्बन को एक अद्वितीय तत्व कहा जाता है, क्योंकि-
(a) अन्य सभी तत्वों के तुलना में कार्बन श्रृखंलन गुण सर्वाधिक होता है।
(b) अब तक ज्ञात तत्वों के कुल यौगिकों की तुलना अकेले कार्बन के यौगिकों की कुल संख्या बहुत अधिF क है।
(c) कार्बन न तो क्षार धातु के तरह विद्युत धनात्मक होता है। और न ही हैलोजन तत्वों के तरह विद्युत ऋणात्मक होता है।
(d) इनमें से सभी
2. जीवन शक्ति का सिद्धान्त (Vital Force Theory) किसने दिया था ? 
(a) बरजीलीयस
(b) वोहलर (Wohler)
(c) कोल्बे
(d) बर्थेलो
3. प्रयोगशाला में संश्लेषित किया गया पहला कार्बनिक यौगिक था-
(a) यूरिया
(b) ऐसीटिक अम्ल
(c) मेथेन
(d) ग्लूकोज
4. प्रयोगशाला में किसके द्वारा सर्वप्रथम यूरिया का संश्लेषण किया गया था ?
(a) बर्जीलियस
(b) वोहलर (Wohler)
(c) कोल्बे
(d) बर्थेलोट
5. कार्बनिक यौगिकों में निम्नांकित में कौन-से गुण पाये जात हैं ?
(a) ये विलयन में आयन नहीं देते हैं
(b) ये विद्युत के कुचालक होते हैं
(c) ये यौगिक सहसंयोजक होते हैं
(d) इनमें से सभी
6. कार्बनिक यौगिकों में निम्नांकित में कौन-से गुण पाये जाते हैं ?
(a) ये रंगहीन एवं गंधहीन होते हैं
(b) ये कार्बनिक विलायकों में अविलेय होते हैं
(c) इनके क्वथनांक अथवा द्रवणांक निम्न होते हैं
(d) ये समावयवता प्रदर्शित नहीं करता हैं
7. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्व सभी कार्बनिक यौगिक में मिलता है ?
(a) कार्बन
(b) हाइड्रोजन
(c) ऑक्सीजन
(d) नाइट्रोजन
8. प्रकृति में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला कार्बनिक यौगिक है-
(a) ग्लूकोज
(b) फ्रस्टोज 
(c) सेलुलोज
(d) सुक्रोज
9. कार्बनिक यौगिकों में कार्बन परमाणु की चारों संयोजकताएँ एक समचतुष्फलक के चारों किनारों की ओर दिष्ट होती है। तथा कार्बन केन्द्र में होता है- यह विचार सबसे पहले किसने दिया था ?
(a) जे. जे. थॉमसन
(b) लीबेल तथा वॉण्ट हॉफ
(c) माइकल फैराडे
(d) कोल्बे
10. सभी प्रकार के ज्ञात परमाणुओं में कार्बन एक अनूठा (Unique) परमाणु है, क्योंकि-
(a) कार्बन सभी सजीवों के निर्माण में आवश्यक अवयव होता है
(b) कार्बन परमाणु अन्य दूसरे परमाणु से जुड़कर लंबी श्रृंखला बनाने की क्षमता रखते हैं
(c) कार्बन के यौगिक की संख्या सर्वाधिक है
(d) उपर्युक्त सभी कारणों से
11. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- 
1. कार्बनिक रसायन में कार्बन के यौगिकों का अध्ययन किया जाता है।
2. कार्बनिक रसायन वस्तुतः हाइड्रोकार्बन और उनके व्युत्पन्नों का रसायन है।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2
12. कार्बनिक यौगिकों में किस प्रकार का रसायनिक बंधन होता है ?
(a) विद्युत संयोजक बंधन
(b) सह संयोजक बंधन
(c) उप सहसंयोजक बंधन
(d) उपर्युक्त में कोई नहीं
13. अन्य तत्वों के तुलना में कार्बन के कुल यौगिक की संख्या अत्यधिक है, क्योंकि-
(a) कार्बन की संयोजकता चार होती है
(b) कार्बन में श्रृंखंलन गुण पाया जाता है
(c) कार्बन अधातु है
(d) कार्बन प्रकृति में बहुयायत रूप से पाये जाते हैं
14. निम्नलिखित में से कौन-सी यौगिक कार्बनिक यौगिक नहीं है ?
(a) CH4
(b) CH3OH
(c) CO2
(d) C6H12O6
15. निम्नलिखित में कौन कार्बनिक यौगिक है ?
(a) जल
(b) अमोनियम क्लोराइड 
(c) सोडियम क्लोराइड
(d) क्लोरोफॉर्म
16. वैसे कार्बनिक यौगिक जिनके अणु में कार्बन के सभी परमाणु की एक खुली श्रृंखला होती है, उसे क्या कहते हैं ?
(a) ऐलिफैटिक
(b) ऐरोमैटिक
(c) ऐलिसाइक्लिक
(d) इनमें से कोई नहीं
17. बेंजीन तथा फिनॉल किस प्रकार के कार्बनिक यौगिक हैं ?
(a) ऐलिफैटिक 
(b) ऐरोमैटिक
(c) ऐलिसाइक्लिक
(d) ऐसाइक्लिक
18. निम्नलिखित में कौन ऐलिफैटिक है ?
(a) ऐल्केन (Alkane)
(b) ऐल्कीन (Alkene)
(c) ऐल्काइन (Alkyane)
(d) इनमें से सभी
19. निम्नलिखित में कौन एक विषम चक्रीय (Heterocyclic) कार्बनिक यौगिक है ?
(a) पिरिडीन
(b) नैफ्थेलीन
(c) बेंजीन 
(d) साइक्लोप्रोपेन
20. कार्बनिक यौगिकों में उपस्थित परमाणुओं का समूह जो कार्बनिक यौगिक को रसायनिक गुण प्रदान करते हैं, उसे कहा जाता है-
(a) क्रियात्मक समूह
(b) क्रियाशील समूह
(c) उदासीन समूह
(d) निष्क्रिय समूह
21. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कार्बनिक यौगिक का रसायनिक गुण, उसमें उपस्थित क्रियाशील समूह पर निर्भर करता है।
2. समान क्रियाशील समूह वाले सभी कार्बनिक यौगिकों की रसायनिक अभिक्रिया समान होती है। 
उपर्युक्त में से कौन-सा/से सही है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2
22. समजातीय श्रेणी (Homologous Series) के संबंध में कौन-सा कथन सही है ?
(a) समजातीय श्रेणी के सभी यौगिकों को एक ही सामान्य सूत्र द्वारा निरूपित किया जा सकता है।
(b) समजातीय श्रेणी का कोई भी सदस्य अपने से अगले तथा पिछले सदस्य के अणु सूत्र से -CH2 का अन्तर दिखलाता है।
(c) किसी समजातीय श्रेणी के सभी यौगिकों के बनाने की विधि एक समान होती है।
(d) इनमें से सभी
23. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. समजातीय श्रेणी के सभी यौगिकों में एक ही क्रियाशील मूलक उपस्थित रहते हैं। 
2. समजातीय श्रेणी के सभी यौगिकों के रसायनिक गुणों में समानता पायी जाती है। 
3. समजातीय श्रेणी के यौगिकों के भौतिक गुणों में समानता पायी जाती है। 
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) 1 और 3
24. कार्बनिक यौगिकों के नामकरण की IUPAC प्रणाली कब लागू होगा ?
(a) 1965
(d) 1986
(c) 1971
(b) 1967
25. संतृप्त हाइड्रोकार्बन के संबंध में कौन-सा कथन सही नहीं है ?
(a) संतृप्त हाइड्रोकार्बन में कार्बन कार्बन के बीच एकल बंधन होता है।
(b) क्रम अभिक्रियाशील होने के कारण संतृप्त हाइड्रोकार्बन को पैराफीन भी कहा जाता है।
(c) IUPAC प्रणाली के अनुसार संतृप्त हाइड्रोकार्बन को ऐल्केन कहा जाता है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
26. प्रोपेन का रासायनिक सूत्र कौन - सा है ?
(a) CH4 
(b) C2H6
(c) C3H
(d) C4H10
27. प्रोपिल का रसायनिक सूत्र कौन - सा है ? 
(a) CH3 
(b) C2H
(c) C3H7
(d) C4H9
28. कार्बनिक यौगिक CH3OH का IUPAC पद्धति में नाम है-
(a) मेथेनल
(b) मेथेनॉल
(c) मेथिल ऐल्कोहॉल
(d) हाइड्रॉक्सी मिथेन
29. ऐसीटिक अम्ल का IUPAC पद्धति में नाम है- 
(a) मेथेनोइक अम्ल
(b) एथेनोईक अम्ल
(c) प्रोपेनोईक अम्ल
(d) ब्यूटेनोईक अम्ल 
30. क्लोरल (Chloral) का IUPAC नाम है-
(a) इथेनॉल
(b) मोनोक्लोरो इथेनॉल
(c) डाइक्लोरो इथेनॉल
(d) ट्राइक्लोरो इथेनॉल
31. क्लोरोफॉर्म का IUPAC नाम है-
(a) ट्राइक्लोरो मिथेन 
(b) ट्राइआयोडो मिथेन
(c) टेट्राक्लोरो मिथेन
(d) ट्राइक्लोरो इथेन
32. कार्बन परमाणु की उत्तेजित अवस्था में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या होती है-
(a) 2
(b) 6
(c) 3
(d) 4
33. म्निलिखित युग्मों में कौन समजात है ?
(a) मेथिल ऐल्कोहॉल और डाइमेथिल ईथर
(b) मेथेन और एथिलीन
(c) प्रोपेनोन और ब्यूटेनोन
(d) इनमें से कोई नहीं
34. ऐसे कार्बनिक यौगिक जिनके अणुसूत्र समान होते हैं परन्तु संरचनात्मक सूत्र भिन्न-भिन्न होते हैं, कहलाते हैं-
(a) समावयवी
(b) अपरूप
(c) समभारिक
(d) समस्थानिक
35. समावयवी यौगिक भिन्नता प्रदर्शित करते हैं- 
(a) भौतिक गुणों में
(b) संरचनात्मक सूत्र में
(c) रसायनिक गुण में
(d) उपर्युक्त सभी में
36. समावयवी यौगिक समानता प्रदर्शित करते हैं- 
(a) भौतिक गुणों में 
(b) अणु सूत्र में
(c) रसायनिक गुण में
(d) संरचनात्मक सूत्र में
37. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. अधिकांश कार्बनिक यौगिक समावयवता प्रदर्शित करते हैं I
2. अकार्बनिक यौगिकों के साथ समावयवता की घटना नहीं पायी जाती है।
उपर्युक्त में कौन-सा/से सही नहीं है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2
38. निम्नलिखित में कौन समावयवता की प्रदर्शित करता है ?
(a) मिथेन
(b) इथेन
(c) प्रोपेन
(d) ब्यूटेन
39. नार्मल ब्यूटेन और आइसो ब्यूटेन है-
(a) ऑप्टिकल आइसोमर
(b) पोजीशन आइसोमर
(c) चेन आइसोमर
(d) फंक्शनल आइसोमर
40. पेन्टेन, आइसोपेन्टेन और नियोपेन्टेन किस प्रकार के आइसोमर है ?
(a) ऑप्टिकल आइसोमर
(b) चेन आइसोमर
(c) पोजीशन आइसोमर
(d) फंक्शनल आइसोमर
41. 1- प्रोपेनॉल तथा 2-प्रोपेनॉल है-
(a) चेन आइसोमर
(b) फंक्शनल आइसोमर
(c) पोजीशन आइसोमर
(d) ऑप्टिकल आइसोमर
42. 1- ब्यूटीन तथा 2 - ब्यूटीन किस प्रकार के आइसोमर है ?
(a) पोजीशन आइसोमर
(b) चेन आइसोमर
(c) फंक्शनल आइसोमर 
(d) ऑप्टिकल आइसोमर
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here
]]>
Fri, 26 Apr 2024 14:41:59 +0530 Jaankari Rakho
General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | अधातु और उनका महत्वपूर्ण यौगिक https://m.jaankarirakho.com/1023 https://m.jaankarirakho.com/1023 General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | अधातु और उनका महत्वपूर्ण यौगिक
  • प्रकृति में 22 ऐसे तत्व हैं जो धातु के समान व्यवहार नहीं करते हैं जिनके कारण इन्हें अधातु माना जाता है।
  • कमरे के ताप पर अधिकांश धातु या तो ठोस हैं अथवा गैस । Br (ब्रोमीन) एक मात्र अधातु है जो द्रव के रूप में पाया जाता है ।
    • प्रमुख गैसीय अधातुः - छः अक्रिय गैस, F (फ्लोरीन ), CI (क्लोरीन ), नाइट्रोजन (N), ऑक्सीजन, (O) हाइड्रोजन (H)।
    • प्रमुख ठोस अधातुः- B (विस्मय), C (कार्बन), Si (सीलीकन), P (फॉस्फोरस), As (आर्सेनिक), S (सल्फर), 1 (आयोडीन)।
Physical Properties of Non-Metals: (अधातु के भौतिक गुण)
  1. अधातु के सतह पर कोई चमक नहीं होती है। ग्रेफाइट तथा आयोडीन इसका अपवाद है जिसमें धातु के तरह चमक पाया जाता है ।
  2. अधातु न तो अघातवर्ध्य होते हैं, न ही तन्य । चोट मारने पर अधातु चकनाचूर हो जाता है।
  3. अधातु उष्मा तथा विद्युत के कुचालक होते हैं ।
    • H (हाइड्रोजन) अधातु है परन्तु यह उष्मा का सुचालक है।
    • ग्रेफाइट अधातु है परन्तु यह विद्युत का सुचालक है।
  4. अधातु प्रायः कठोर नहीं होते हैं, ये नरमक होते हैं। हीरा अपवाद हैं जो अधातु होते हैं बहुत कठोर होता है।
  5. अधातु के द्रवणांक (Melting Point) तथा क्वथनांक (Boiling Point) बहुत ही कम होते हैं।
  6. अधातु में इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋण आवेशित आयन बनाने की प्रवृत्ति पायी जाती है।
Chemical Properties of Non-Metal (अधातु के रसायनिक गुण)
  1. अधातु ऑक्सीजन से अभिक्रिया कर ऑक्साइड बनाता है-
    C + O2 → CO2
    S + O2 → SO2 
    • अधातु के ऑक्साइड प्रायः अम्लीय होते है। कार्बन मोनोक्साइड (CO) तथा नाइट्रीक ऑक्साइड (N2O) दो ऐसे ऑक्साइड हैं जो न तो अम्लीय हैं न ही क्षारीय ।
  2. धातु के तरह अधातु तनु अम्ल के साथ अभिक्रिया कर H2 gas नहीं . बनाता है।
    C + 2 H2SO4 → CO2 + 2SO2 + 2H2O
  3. अधातु क्लोरीन के साथ अभिक्रिया कर क्लोराइड बनाता है। अधातु के क्लोराइड वाष्पशील प्रकृति के होते हैं-
    2S + Cl2 → S2Cl2
                                  (Disulphar dichloride)
  4. अधातु हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया कर कई महत्वपूर्ण हाइड्राइड का निर्माण करते हैं।
    N2 + 3H2 → 2NH3
    H2 + S → H2S
    2H2 + O2 → 2H2O

प्रमुख अधातु

1. हाइड्रोजन (H2)
  • हाइड्रोजन का आविष्कार 1766 में हेनरी कैंवेडिश ने किया था तथा इसका नामकरण लवासिये ने किया था ।
  • हाइड्रोजन रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन तथा एक उदासीन गैस है। हाइड्रोजन सभी ज्ञात तत्वों में सबसे हल्की है। हल्की होने के कारण यह पृथ्वी के वायुमंडल में न के बराबर पायी जाती है ।
  • हाइड्रोजन के गुण वर्ग-1 के क्षारधातु तथा वर्ग -17 दोनों जगह स्थान दिया गया है जिसके कारण आज भी आवर्त्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान विवादित है ।
  • हाइड्रोजन द्विपरमाणुक (H2) अणु है। हाइड्रोजन परमाणु के नाभिक में सिर्फ 1 प्रोटॉन रहता है, न्यूट्रॉन नहीं और इसकी कक्षा में सिर्फ 1 इलेक्ट्रॉन रहता है।
  • प्रयोगशाला में दानेदार जस्ता तथा तनु सल्फ्यूरिक अम्ल की प्रतिक्रिया से H2 gas बनाया जाता है ।
    Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2
    इस अभिक्रिया में शुद्ध जस्ता का इस्तेमाल नहीं किया जाता है क्योंकि शुद्ध जस्ता H2SO4 बहुत ही धीमी गति से अभिक्रिया करता है और न ही सांद्र H2SO4 का इस्तेमाल होता है, सांद्र H2SO4 के प्रयोग से H2 gas के जगह SO2 गैस बनने लगता है।
  • हाइड्रोजन गैस बनाने की अद्योगिक विधिः-
    1. जब 998°C पर लाल तत्य कोक पर अति तत्प भाफ प्रवाहित किया जाता है तो जल गैस बनता है। बाद में जल गैस से H2 gas अलग कर लिया जाता है ।

    2. अतितप्त भाफ को 1023 - 073K ताप पर गर्म लोहे के ऊपर प्रवाहित किया जाता है तो लौह ऑकसाइड तथा H2 gas बनता है। यह विधि लेन की विधि कहलाता है।
      3Fe + 4 H2O → Fe3O4 + H2
    3.  जल का विद्युत अपघटन करने पर H2 gas कैथोड पर तथा O2 gas एनोड पर मुक्त हो जाता है।
  • तेल का हाइड्रोजिनीकरणः- मूँगफली या नारियल के तेल जैसे वनस्पति तेल से होकर निकेल उत्प्रेरक की उपस्थिति में 473K ताप पर हाइड्रोजन गैस प्रवाहित किया जाता है तो तेल ठोस वसा के रूप में परिवर्तित हो जाता है । इस विधि से असंतृप्त वसा संतृप्त वसा में परिवर्तित हो जाता है । 

  • हाइड्रोजन का अधिधारणः- प्लैटिनम तथा पैलेडियम जैसे धातु अपने आयतन का लगभग 1000 गुणा अधिक हाइड्रोजन को अवशोषित करने की क्षमता रखता है। इस प्रक्रिया को हाइड्रोजन का अधिधारण कहते हैं तथा अवशोषित हाइड्रोजन को अधिधारित हाइड्रोजन कहते हैं। पुनः धातु को गर्म करके हाइड्रोजन गैस बाहर निकाल लिया जाता है। अधिधारित हाइड्रोजन सामान्य हाइड्रोजन की तुलना में अधिक क्रियाशील रहता है।
  • हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन के रूप में सकता है क्योंकि-
    1. हाइड्रोजन का उष्मीय मान सभी ज्ञात ईंधन में सबसे ज्यादा है। यह पेट्रोल के तुलना में 3 गुणा अधिक ऊर्जा दे सकता है ।
    2. हाइड्रोजन के दहन से हानिकारक गैस नहीं बनता है बल्कि जल बनता है I
      H2 + ½O2 → H2O + ऊर्जा
    3. हाइड्रोजन का सबसे बड़ा स्त्रोत जल है जो कि नवीकरणीय ऊर्जा के स्त्रोत हैं इस क्षेत्र में निरंतर अनुसंधान हो रहा है ताकि ईधन के रूप में हाइड्रोजन का इस्तेमाल हो सके जिसके कारण हाइड्रोजन को भविष्य का ईधन कहते हैं।
  • ईधन के रूप में हाइड्रोजन के इस्तेमाल में सबसे बड़ी समस्या हाइड्रोजन के भंडारण में है क्योंकि हाइड्रोजन ज्वलनशील गैस है और वायु के ऑक्सीजन के साथ यह विस्फोटक मिश्रण बनाता है ।

जल (H2O)

  • जल हाइड्रोजन का प्रमुख यौगिक है। ऑक्सीजन के बाद पृथ्वी पर जीवन के लिए सबसे जरूरी पदार्थ जल है । मानव शरीर के लिए सबसे जरूरी पदार्थ जल है। मानव शरीर का भी दो-तिहाई भाग जल से ही बना है ।
  • जल का हिमांक, क्वथनांक, काफी उच्च होते हैं इसका कारण है कि जल के अणु के बीच H - बंधन पाया जाता है ।
  • अन्य द्रवों के तुलना में जल की विशिष्ट उष्मा, उष्मीय चालकता, पृष्ठ तनाव उच्च होते हैं यही कारण है कि शरीर का ताप तथा जलवायु अनुकूल बने रहते हैं ।
  • जल को विश्वव्यापी विलायक माना जाता है क्योंकि जल का Dielectric Constant बहुत उच्च ( लगभग 80 ) होता है ।
  • जल का अणु की आकृति V आकार का होता है तथा बंधन कोण का मान 105° होता है।
  • जल का घनत्व 4°C पर अधिकतम होता है इसके निम्न कारण हैं-
    - जब जल को 0°C से गर्म करते हैं तो जल के H-बंधन टूटते हैं इस कारण जल के अणु परस्पर निकट आते हैं और घनत्व बढ़ने लगता है और 4°C पर अधिकतम हो जाता है। 4°C से ताप बढ़ने पर H - बंधन टूटने के कारण द्रव प्रसार होने से उसके आयतन में वृद्धि आयतन में होने वाली कमी से ज्यादा प्रभावकारी हो जाता है और घनत्व घटने लगता है।
    Note:-4°C ताप जल का घनत्व अधिकतम तथा आयतन न्यूनतम हो जाता है।
  • कठोर एवं मृदु जलः– वर्षा का जल शुद्ध होता है, शुद्ध जल को मृदु जल ( Soft water) कहते हैं। जब जल में कैल्शीयम, मैग्नीशियम जैसे लवण घुलते हैं तो इस जल को कठोर जल (Hard water) कहते हैं। जल की कठोरता दो प्रकार की होती है।
    1. अस्थायी कठोरता:- जल की कठोरता कैल्शीयम तथा मैग्नीशियम के बाइकर्बोनेट के कारण होता है तो इसे अस्थायी कठोरता है। अस्थायी कठोरता सिर्फ जल को उबाल देने से दूर हो जाता है।
      • अस्थायी कठोरता दूर करने हेतु क्लार्क विधि भी अपनाया जाता है जिसमें बिना बुझा हुआ चूना (CaO) का उपयोग होता है।
    2. स्थायी कठोरता:- जल की कठोरता जब कैल्शीयम मैग्नीशियम के क्लोराइड और सल्फेट के कारण होता है तो इसे स्थायी कठोरता कहते हैं ।
  • स्थायी कठोरता दूर करने हेतु सोडा - विधि केलगॉन विधि, परमुटिट विधि अपनाया जाता है।
  • सोडा विधि में सोडियम कार्बोनेट, केलगॉन विधि में सोडियम हेक्सामेटा फॉस्फेट [Na (Na4P6O18)] तथा परमुटिट विधि में जियोलाइट का उपयोग होता है।
2. सिलीनकॉन (Si)
  • पृथ्वी पर ऑक्सीजन के बाद सर्वाधिक उपलब्ध तत्व सिलिकॉन ही है ।
    भू-पर्पटी पर उपलब्ध विभिन्न धातुओं की प्रतिशतता-
    ऑक्सीजन- 46.71% 
    सिलिकन - 27.69%
    ऐलुमिनियम - 8.07%
    लोहा - 5.05%
  • सिलिका- सिलिकन हाई ऑक्साइड (SiO2) को ही सिलिका कहा जाता है। सिलिका प्रकृति में क्वार्ट्ज खनिज के रूप में पाया जाता है। क्वार्ट्ज के चूर्णीत रूप को ही बालू या रेत कहते हैं ।
  • सिलिकन के यौगिक सिलिकन कर्बाइड (SiC) को कृत्रिम हीरा या कार्बोरेण्डम कहा जाता है । सिलिकन कमठड भी हीरा के समान अत्यंत कठोर होता है।
  • सिलिकन अर्थचालक होते हैं जिसके कारण इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग तथा कम्प्यूटर उद्योग में व्यापक रूप से होता है।
  • SiO44- युक्त खनिज को सिलिकेट कहते हैं। प्रकृति में कई सिलिकेट खनिज पाये जाते हैं जिनमें फेल्डस्पार, जियोलाइट, अबरख (Mica) एस्वेस्टस मुख्य है। मानव द्वारा निर्मित दो महत्वपूर्ण सिलिकेट काँच तथा सीमेंट है।
3. कार्बन (C)
वर्ग संख्या- 14
परमाणु संख्या - 6
घनत्व - 2.25g/cm3
आवर्त्त संख्या- 2
परमाणु द्रव्यमान - 12.0115
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास- 2, 4
  • कार्बन पृथ्वी पर का एक अद्वितीय तत्व है जैव जगत में जितने भी यौगिक पाये जाते हैं उनमें कार्बन अवश्य पाये जाते हैं। 
  • कार्बन रवेदार (Crystalline) तथा वेरेवेदार (amorphous ) दोनों ही रूप में पाया जाता है कार्बन के विभिन्न रूप को जिनके रसायनिक गुण समान तथा भौतिक गुण में अन्तर रहता है, कार्बन के अपरूप कहलाता | कार्बन के प्रमुख अपरूप-

  • हीरा (Diamond) - हीरे की संरचना नियमित चतुष्फलक होती है। इसी संरचना के कारण हीरे के द्रव्णांक तथा क्वथनांक उच्च होते हैं। हीरा में C-C बंधन लंबाई 154 pm होती है। हीरा कठोर होता है क्योंकि इसमें C-C बंधन शक्ति काफी मजबूत होती है।
    • हीरा में कोई मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं पाया जाता है जिसके कारण हीरा ताप तथा विद्युत का कुचालक होता है। हीरा के भार का मापन कैरेट में किया जाता है।
    • ग्रेफाइट: - ग्रेफाइट की संरचना षट्कोणीय जालक ( hexagonal lattice) की तरह होती है। ग्रेफाइट की सतह एक दूसरे से कमजोर बल द्वारा बंधी रहती है तथा एक-दूसरे के ऊपर फसील सकती है। इसी कारण ग्रेफाइट मुलायम और स्नेहक होता है।
    • ग्रेफाइट के संरचना में तीन संयोजी इलेक्ट्रॉन ही बंधन में भाग लेते हैं चौथा इलेक्ट्रॉन मुक्त रहता है यही कारण है कि ग्रेफाइट उष्मा और विद्युत का सुचालक होता है ।
  • ग्रेफाइट का उपयोग:- पेंसिल बनाने में, शुष्क सेल के एनोड बनाने में तथा स्नेहक के रूप में होता है ।
  • फुलेरीनः– फुलेरीन कार्बन के 60 परमाणु से मिलकर बना होता है। इसका खोज अमेरिका के इंजीनियर बकमिंस्टर फलर ने किया था अतः, इसे बकमिंस्टर फुलेरीन भी कहा जाता है। इसे Bucky Ball भी कहते हैं क्योंकि संरचना फुटबॉल के समान होती है।
    • ग्रेफाइट को जब अक्रिय हिलियम की उपस्थिति में विद्युत में गर्म किया जाता है तो फुलेरीन का निर्माण होता है। 
    • फुलेरीन पोटाशियम से अभिक्रिया कर पोटाशियम बकाइड का निर्माण करता है जो 18°C पर एक Super condcutor (अतिचालक) है।
      C60 + 3K → K3C60
  • चारकोल - सीमित वायु में लकड़ी या हड्डी को तीव्रता से गर्म करने पर चारकोल या अस्थि चारकोल का निर्माण होता है। चारकोल में कार्बन की मात्रा काफी अधिक होती है। इसका इस्तेमाल औद्योगिक ईंधन के रूप में बारूद बनाने में किया जाता है ।
    • अस्थि चारकोल का इस्तेमाल चीनी को रंगविहीन करने में किया जाता है।
  • कोक- उच्च कोटि के कोयले के भंजन - आसवन करने पर कोक का निर्माण होता है। कोक में 85 - 90% तक कार्बन रहता है । यह एक अच्छा ईधन है ।
    • भंजन आसवन (Destructive Distillation) सीमित वायु में किसी पदार्थ को तीव्रता से गर्म करने के प्रक्रिया को भंजन आसवन कहते हैं।
CO (कार्बन मोनोक्साइड)
  • CO गैस रंगहीन, स्वादहीन एवं विषैली गैस है। यह जल में अत्यन्त अल्प विलेय है। यह एक अच्छा अवकारक है।
  • कार्बन या कार्बन युक्त ईधन को हवा के अपर्याप्त मात्रा में जलाने पर CO गैस बनता है ।
    2C + O2 → 2CO
  • CO एक अत्यंत बिषैली गैस है। इस गैस की गंध लेने पर यह रक्त के हिमोग्लोबिन से मिलकर कर्बोक्सी हिमोग्लोबीन नामक एक लाल पदार्थ बनाता है जिससे रक्त में ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता समाप्त हो जाती है फलतः व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
CO2 (कार्बन-डाई-ऑक्साइड) -
  • कार्बन या कार्बन युक्त ईंधन को वायु की पर्याप्त मात्रा में जलाने पर CO2 गैस बनता है। वायु की अपर्याप्त मात्रा रहने पर CO2 गैस के जगह CO गैस बनता है।
  • प्रयोगशाला में संगमरमर पर तनु HCI की अभिक्रिया से CO2 गैस बनता है—
    CaCO3 + 2HCl → CaCl2 + H2O + CO2
  • औद्योगिक रूप से CO2 का उत्पादन चूना पत्थर को जलाकर किया जाता है।
    CaCO3 → CaO + CO2
  • CO2 रंगहीन, स्वादहीन गैस यह विषैली नहीं होती है I
  • जल में यह कम विलेय है परन्तु दाब बढ़ाने पर जल में इसकी विलेयता बढ़ जाती है। सोडावाटर (शीतल पेय पदार्थ) में अधिक दाब पर CO2 गैस धुली रहती है।
  • CO2 गैस को जल में घुलाने पर इसके कुछ अणु जल से अभिक्रिया करके कार्बोनिक अम्ल (H2CO3) बना हैं।
    CO2 + H2O → H2CO3
  • CO2 बिषैली नहीं है। परन्तु जीवाश्म ईंधन के अधिक उपयोग, सीमेंट निर्माण में अत्यधिक CaCO3 के दहन से वायुमंडल में CO2 की मात्रा काफी बढ़ गयी है जिससे वायुमंडल के ताप में वृद्धि हो रही तथा इससे global warming का खतरा उत्पन्न हो गया है । 
  • शुष्क बर्फ (Dry Ice ) - 0°C और 40 atm CO2 गैस रंगहीन द्रव में परिणत हो जाता है । द्रव CO2 का वाष्पण करने पर इसका कुछ भाग बर्फ जैसे सफेद ठोस रूप मे जम जाता है जिसे शुष्क बर्फ या ड्रिकोल्ड कहते हैं । शुष्क बर्फ हवा में बिना पिघले ही वाष्प बन जाता है।
4. N2 (नाइट्रोजन) 
वर्ग संख्या - 15
परमाणु संख्या - 7
आवर्त्त संख्या- 2
परमाणु द्रव्यमान- 14
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - 2, 5
  • नाइट्रोजन गैस वायुमंडल में सबसे अधिक मात्रा (लगभग 78%) में पायी जाने वाली गैस है। हल्की होने के कारण यह वायुमंडल के ऊपरी परत में पायी जाती है। वायुमंडल में नाइट्रोजन की उपस्थिति ज्वलन कम करता है। इस गैस के खोज का श्रेय रदरफोर्ड को है ।
  • जब सान्द्र अमोनिया विलयन को क्लोरीन से अभिक्रिया कराया जाता है तो N2 gas की प्राप्ति होती है-

    इस अभिक्रिया में अमोनिया की मात्रा बहुत अधिक होनी चाहिए अन्यथा NCl3 का निर्माण होने लगता है। NCl3 (नाइट्रोजन ट्राईक्लोराइड) नाइट्रोजन का एक विस्फोटक यौगिक है ।
  • उच्च ताप पर (लगभग 5000°C) नाइट्रोजन ऑक्सीजन से संयोग कर नाइट्रीक ऑक्साइड बनाता है।
    N2 + O2 → 2NO
    आकाश में बिजली चमकने पर NO का निर्माण होता है।
  • नाइट्रोजन काफी कठिनाई से द्रवित होता है । यह 33.5 atm दाब तथा 126K ताप पर द्रवीत हो जाता है । द्रवित नाइट्रोजन को 63K ठंडा करने पर ठोस बर्फ में बदल जाता है ।
  • नाइट्रोजन का उपयेग निम्न क्षेत्रों में होता है- 1. निष्क्रिय वातावरण उत्पन्न करने में, 2. इलेक्ट्रीक बल्व भरने में, . हाइटेम्परेचर थर्मामीटर के निर्माण में, 4. द्रव N2 का प्रयोग जैविक पदार्थों, तथा खाद्य सामग्री के लिये प्रशीतक के रूप में होता है, 5. N2 का उपयोग क्रायोसर्जरी में भी होता है ।
NH3 (अमोनिया)—
  • अमोनिया निर्माण हैबर विधि के द्वारा किया जाता है। हैबर विधि से अमोनिया निर्माण निम्न तरह से होता है-
    N2 + 3H2 → 2NH3 + 24000 कैलोरी
    यह अभिक्रिया उष्माक्षेपी तथा उत्क्रमणीय होता है।
  • हैबर विधि में निम्न ताप तथ उच्च दाब का होन आवश्यक है। अभिक्रिया के लिए अनुकूलतम ताप 773K तथा दाब 200am होता है।
  • हैबर विधि में उत्प्रेरक के रूप में निम्न में कोई एक का इस्तेमाल होता है-
    1. मॉलिक्डेनम की सूक्ष्म मात्रा युक्त लोहे का चूर्ण ।
    2. सोडा, सिलिका युक्त फेरिक ऑकसाइड 
    3. निकेल का चूर्ण
NH3 में निम्न गुण पाये जाते है-
  • यह रंगहीन तथा तीव्रगंध होने वाली गैस है ।
  • NH3 का जलीय विलयन क्षारीय होता है। I
  • NH3 हवा से हल्की होती है तथा यह जल में अत्यधिक विलेय है।
  • अमोनिया को असानी से द्रवित किया जा सकता है।
  • अमोनिया न तो स्वंग जलती है न ही दूसरे पदार्थ के जलने में सहायक होती है। ऑक्सीजन की अधिकता में यह पीली लॉ के साथ जलता है
  • अमोनिया का उपयोग नाइट्रोजनी उर्वरक जैसे - यूरिया के निर्माण में तथा प्रशीतक के तौर पर इस्तेमाल होता है। 
N2O (नाइट्रस ऑक्साइड)
  • प्रयोगशाला में NaNO3 या NH4CI को गर्म कर N2O का निर्माण होता है ।
    NH4NO3 → N2O + 2H2
  • N2O को हँसानेवाली गैस कहते हैं। इस गैस को सूँघते ही आदमी हँसते-हँसते मर जाता है।
HNO3 (नाइट्रीक अम्ल)
  • प्रयोगशाला में पोटाशियम नाइट्रेट या सोडियम नाइट्रेट की अभिक्रिया सल्फ्यूरिक अम्ल से कराने पर नाइट्रीक अम्ल बनाया जाता है।
    KNO3 + H2SO4 → KHSO4 + HNO3
    NaNO3 + H2SO4 → NaHSO4 + HNO3
  • पोटाशियम नाइट्रेट (KNO3) को साल्टपीटर तथा सोडियम नाइट्रेट को चिलीसाल्टपीटर भी कहते हैं।
  • HNO3 का निर्माण अद्योगिक स्तर पर ओस्टवाल्ड विधि के द्वारा होता है इस विधि में अमोनिया का उपयोग होता है । ओस्टवाल विधि में उत्प्रेरक के रूप में प्लैटिनम चूर्ण का उपयोग होता है I
  • शुद्ध नाइट्रीक अम्ल एक रंगहीन द्रव है। प्रकाश की उपस्थिति में अपघटित होता रहता है जिसके कारण इससे धूम ( Fumes) निकलने रहते हैं तथा इसमें तीव्र गंध होती है ।
HNO3 का उपयोग-
  1. इसका उपयोग मुख्य रूप से उर्वरक तथा विस्फोटक पदार्थ बनाने होता है।
  2. प्रयोगशाला में इसका उपयोग अभिकर्मक के रूप में होता है ।
  3. सिल्वर तथा गोल्ड धातु के शुद्धिकरण में HNO3 का इस्तेमाल होता है ।
  4. HNO3 का उपयोग विभिन्न धातु के नाइट्रेट बनाने में होता है जो फोटोग्राफी, रंगाई, छपाई आदि के काम आता है।
  5. HNO3 का उपयोग औषधि, इत्र, रंग, कृत्रिम रेशम बनाने में भी होता है ।
सघूम नाइट्रीक अम्ल (Fuming HNO3)
- सघूम नाइट्रीक अम्ल में HNO3 की प्रतिशतता 98% होती है तथा इसमें अधिक मात्रा में नाइट्रोजन परऑक्साइड घुली रहती है। नाइट्रोजन परऑक्साइड घुले होने के कारण इससे धूम ( Fumes) निकलते रहते हैं जिसके कारण इसे सक्षूम नाइट्रीक अम्ल कहते हैं ।
5. P4 (फॉस्फोरस)
वर्ग संख्या - 15
परमाणु संख्या - 15
घनत्व- 1.82 g/cm3
आवर्त्त संख्या - 3
परमाणु द्रव्यमान- 90.974
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - 2, 8, 5
  • फॉस्फोरस दो ग्रीक शब्द फॉस तथा फोरस से बना है। फॉस का अर्थ होता है- प्रकाश, फोरस का अर्थ होता है धारण करने वाला। फॉस्फोरस का अर्थ होता है- प्रकाश धारण करने वाला ।
  • फॉस्फोरस अपरूपता प्रदर्शित करता है। फॉस्फोरस के मुख्य तीन अपरूप हैं-
    1. लाल फॉस्फोरस
    2. श्वेत फॉस्फोरस
    3. काला फॉस्फोरस 
श्वेत फॉस्फरस (P4)
  • श्वेत फॉस्फोरस, पारभासी तथा मोम के तरह ठोस होता है। यह विषैला होता है। श्वेत फॉस्फोरस जल में अविलेय है परन्तु CO2 में विलेय है। अंधकार में यह दीप्त (प्रकाशमान) होता है।
  • श्वेत फॉस्फोरस अत्यंत क्रियाशील होता है जिसके कारण इसे जल के अंदर सुरक्षित रखा जाता है। श्वेत फॉस्फोरस में लहसून की तरह गंध होती है।
लाल फॉस्फरेस (Red P4)
  • श्वेत फॉस्फोरस को आयोडीन (I2) या किसी अक्रिय गैस की उपस्थिति में लगभग 513K ताप पर गर्म करने पर लाल फॉस्फोरस बनता है। लाल फॉस्फोरस, श्वेत फॉस्फोरस से कम क्रियाशील है ।
  • लाल फॉस्फोरस गंधहीन, अविषैला तथा जल में अविलेय है।
  • दियासलाई उद्योग में पहले श्वेत फॉस्फोरस का उपयोग होता है। श्वेत फॉस्फोरस बिषैला होता है अतः अब दियासलाई उद्योग में लाल फॉस्फोरस का उपयोग किया जाता है।
  • फॉस्फोरस का उपयोग विस्फोटक बनाने में तथा चूहा मारने वाली दवा बनाने में किया जाता है I
फॉस्फीन (PH3)
  • श्वेत फॉस्फोरस को सान्द्र कॉस्टीक सोडा (NaOH) के साथ गर्म करने पर फॉस्फीन बनता है।
    P4 + 3NaOH + 3H2O → 2NaH2PO2 + PH3
  • फॉस्फीन रंगहीन होता है तथा इससे सड़ी मछली जैसी गंध आती है। यह बहुत ही बिषैला गैस इसका इस्तेमाल युद्ध में किया जाता है।
6. O2 (ऑक्सीजन)
वर्ग संख्या - 16
परमाणु संख्या - 4
घनत्व- 1.32
आवर्त्त संख्या- 2
परमाणु द्रव्यमान- 16
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास-
फॉस्फोरस
  • पृथ्वी पर सभी तत्वों के अपेक्षा ऑक्सीजन सबसे अधिक उपलब्ध है। भू-पर्पटी के द्रव्यमान के करीब 46.6% भाग ऑक्सीजन द्वारा निर्मित है। शुष्क वायु में आयतन के विचार से 21% O2 पाया जाता है।
  • ऑक्सीजन को प्राण वायु कहा जाता है जिसके खोज का श्रेय प्रीस्टले तथा शीले को है । लेवासिये ने इस गैस का नामांकरण ऑक्सीजन किया था ।
  • प्रयोगशाला में पोटाशियम क्लोरेट को 615K ताप पर मैंगनीज डाइ ऑक्साइड की उपस्थिति में ऑक्सीजन गैस बनायी जाती है।
    2KCIO3 + [MnO2] → 2KCl + 3O2 + [MnO2]
  • जल का विद्युत अपघटन करने पर H2 गैस कैथोड पर तथा Oएनोड पर प्राप्त होता है।
  • औद्योगिक स्तर O2 वायु से प्राप्त की जाती है। पहले वायु से CO2 तथा जलवाष्प को हटाया जाता है। शेष गैस को द्रवित कर आंशिक आसवन द्वारा N2 तथा O2 गैस प्राप्त किया जाता है I
  • ऑक्सीजन में अनुचुम्बकीय गुण पया जाता है। यह रंगहीन तथा गंधहीन होता है ।
  • ऑक्सीजन का उपयोग-
    1. गंभीर मरीजो को कृत्रिम श्वास देने हेतु अस्पताल में ऑक्सीजन गैस का उपयोग होता है। अस्पताल में कृत्रिम श्वास हेतु ऑक्सीजन तथा हिलियम गैस का प्रयोग होता है।
    2. कृत्रिम विधि से जल बनाने में O2 का प्रयोग किया जाता है।
    3. ऑक्सी-ऐसीटिलीन बेल्डींग के रूप में O2 का प्रयोग होता है । O2 का उपयोग ऑक्सीकारक के रूप में भी किया जाता है ।
    4. ऑक्सीजन को डायनामाइट में मिलाकर पत्थर की खाने में विघटन हेतु प्रयुक्त किया जाता है।
  • तत्व ऑक्साइड से संयोगकर ऑक्साइड बनाते हैं । ऑक्साइड अम्लीय क्षारीय या उदासीन होते हैं।
  • CO, N2O, NO, NO2 तथा SiO2 कम ताप पर उदासीन ऑक्साइड है परन्तु उच्च ताप पर अम्लीय ।
ओजोन (O3)
  • ओजोन ऑक्सीजन का एक अपरूप है। यह काफी क्रियशील है जिसके कारण यह लंबे समय तक वातावरण में नहीं रहता है । यह 20 km की ऊँचाई पर सूर्य की प्रकाश की उपस्थिति में वायुमंडलीय O2 से होती है ।
  • O3 (ओजोन) सड़ी मछली जैसी गंधवाली गैस है। द्रव अवस्था में इसका रंग गहरा नीला होता । ओजोन हवा से भारी है। यह जल में अल्प मात्रा में विलेय है तथा तारपीन के तेल में अधिक मात्रा में विलेय है। ठोस अवस्था में इसका रंग बैंगनी होता है। O3 को 250°C तक गर्म करने पर यह O2 में बदल जाता है ।
O3 का उपयोग-
  1. इसका उपयोग विरंजन के रूप में तेल मोम स्टार्च तथा कपड़ों के रंगों का विरंजन करने में किया जाता है ।
  2. इसका उपयोग किटाणु नाशक के रूप में किया जाता है।
  3. जल तथा वायु को शुद्ध करने में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
  4. अनेक कार्बनिक यौगिकों के ऑक्सीकरण तथा अपघटन में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
  5. इसका उपयोग सिल्क, कपूर तथा पोटाशियम परमैंगनेट के बनाने में भी किया जाता है। 
  • वायुमंडल का ओजोन परत सूर्य से आने वाली पाराबैगनी किरणों को रोकता है परन्तु क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFCI3) के कारण ओजोन परत का क्षरण हो रहा है।
7. S8 (सल्फर)
वर्ग संख्या - 16
परमाणु संख्या - 16
घनत्व - 2g g/cm3
आवर्त्त संख्या - 3
परमाणु द्रव्यमान - 32.06
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - 2, 8, 6
फॉस्फोरस
  • सल्फर अधिकांशतः ज्वालामुखी पहाड़ों के पास पायी जाती है। सल्फर मुख्य रूप से अमेरिका, इटली, फ्रांस, रूस, जापान में पायी जाती है। कुछ स्थानों पर सल्फर जल में पायी जाती है। जैसे बद्रीनाथ में स्थित गर्म पानी के कुण्ड में सल्फर उपस्थित है। सल्फर युक्त जल में स्नान करने से कई प्रकार के चर्म रोग दूर होते हैं ।
SO2 (सल्फर डाई ऑक्साइड)
  • सल्फर को वायु (O2) में जलाने पर SO2 gas बनता है। SO2 गैस ज्वालामुखी से निकलने वाली मुख्य गैस है। SO2 गैस एक प्रदूषक गैस है जिसके प्रभाव से अम्ल वर्षा होती है तथा पेड़ की पत्तियाँ काली होकर झड़ जाती है।
  • SO2 गैस तीखी गंध वाली गैस है। 2 atm दाब पर यह गैस द्रवित हो जाता है। यह गैस जल में अतिविलेय है। जल में घुलकर यह सल्फ्यूरस अम्ल (H2SO3) बनाता है ।
  • SO2 गैस का उपयोग शर्करा (चीनी), तथा पेट्रोलियम के शोधन में, ऊन तथा रेशम के विरंजन में, तथा परिरक्षक के रूप में होता है।
  • द्रव SO2 का उपयोग विलयक के रूप में किया जाता है।
H2SO4 (सल्फ्यूरिक अम्ल)
  • किसी भी देश के रसायन उद्योग के प्रगति का अनुमान, देश में उत्पादित होने वाले H2SO4 के द्वारा लगाया जाता है। H2SO4 को रसायनों का सम्राट कहा जाता है।
  • सल्फ्यूरीक अम्ल तेल (Oily) जैसा रंगहीन द्रव है। यह एक तीव्र अम्ल है अगर यह त्वचा पर गिर जाये तो वहाँ दर्दनाक फोफले बन जाते हैं ।
  • सल्फरिक अम्ल का निर्माण सम्पर्क विधि (Contact Process) के द्वारा किया जाता है । सम्पर्क विधि में Pt तथा V2O, का उपयोग उत्प्रेरक के रूप में किया जाता है |
  • H2SO4 का उपयोग उर्वरक तथा विस्फोटक बनाने में होता है। H2SO4 प्रयोगशाला में काम आनेवाला प्रमुख अभिकर्मक है। H2SO4 का उपयोग पेट्रोलियम शोधन में उपमार्जक उद्योग में तथा संचालक बैटरी में होता है । 
  • सधूम्र सल्फ्यूरिक अम्ल - सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल SO3 गैस को अवशोषित कर सधूम्र (Fuming ) सल्फ्यूरिक अम्ल बनाता है।

8. हैलोजन (Halogens)
आवर्त्त साणी के वर्ग 17 में पाँच तत्व हैं- फ्लोरीन (9), क्लोरीन (17), ब्रोमीन (35), आयोडीन (53) तथा ऐस्टेटीन (At - 85) इन्हें हैलोजन के नाम से जाना जाता है ।
हैलोजन (Halogens) में Halos का अर्थ है- समुद्री लवण तथा gens का अर्थ पैदा करना, अतः Halogens का शाब्दीक अर्थ है लवण पैदा करने वाला।
  • वर्ग-17 के तत्व अत्यधिक विद्युत ऋणात्मक होते हैं जिनके कारण ये ततव में लवण बनाने की प्रवृत्ति अधिक होता है तथा इनके लवण समुद्रों में पाये जाते हैं । यही कारण है कि वर्ग-17 के तत्व को Halogens कहा जाता है।
  • ऐस्टेटीन (At - 89) एक रेडियो एक्टीव तत्व है। यह भू पर्पटी पर सबसे कम मात्रा में पाये जाने वाला तत्व है।
  • हैलोजन तत्वों में फ्लूओटीन (F) तथा क्लोरीन (CI) गैस है, ब्रोमीन द्रव है और आयोडीन ठोस है। ऐस्टेरीन रेडियो एक्टीव है।
  • सभी हैलोजन रंगीन होते हैं ।
  • F के गुण
    1. F हैलोजन तत्वों में सबसे ज्यादा भक्रियाशील है
    2. फ्लोरीन अक्रिय तत्व नीनॉन के A भी अभिक्रिया कर कई यौगिक का निर्माण करता है ।
    3. फ्लोरीन हाइड्रोजन के साथ साथ कर HF (हाइड्रोफ्लोरीक अम्ल) बनाता है। HF का नलीय विलयन एक प्रबल अम्ल है। इसका उपयोग कॉच पर लिखने हेतु किया जाता है । इस अम्ल में कांच घुल भी जाता है ।
  • Cl के गुण 
    1. क्लोरीन की खोज शीले ने 1774 ई० में किया था तथा 1810 डेवो ने यह सिॠ किया कि यह एक तत्व है तथा इसका नाम क्लोरीन रखा ।
    2. क्लोरीन का निर्माण डेकॉन विधि द्वारा किया जाता है। इस विधि में हाइड्रोजन क्लोराइड (HCI) गैस को क्यूप्रीक क्लोराइड (CuCl2) उत्प्रेरक की उपस्थिति में ऑक्सीजन द्वारा अक्सीकृत करते हैं जिससे CI गैस बनता है ।

    3. क्लोरीन एक तीव्र विरंजक है I यह गीले फूल, पत्तियों आदि का रंग उड़ा देता है I सर्वाधिक विरंजक अभिकर्मक के रूप में क्लोरीन का इस्तेमाल होता है ।
    4. क्लोरीन का उपयोग कीटाणुनाशक रूप में पेयजल के शुद्धिकरण में किया जाता है। 
    5. क्लोरीन गैस का इस्तेमाल फॉस्जीन तथा मस्टर्ड गैस बनाने में किया जाता है। दोनों ही गैस अत्यंत बिषैली है मस्टर्ड गैस का इस्तेमाल प्रथम विश्व युद्ध में भी किया गया था।
  • आयोडीन मानव शरीर के लिये आवश्यक तत्व है इसकी कमी घेंघा रोग होता है।
  • लेमेनेरिया समुद्री घास में प्रकृतिक रूप से आयोडीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  • आयोडीन तथा ईथाईल एल्कोहल (C2H5OH) के मिश्रण को टिंचर आयोडीन कहते हैं, इसका इस्तेमाल जीवाणुनाशी के रूप में होता हैं ।
  • ऑसू गैस के लिये प्रयोग किये जाने वाले हथगोलो में अधिकतर क्लोरोएसीटोफिनोन नामक रसायन का उपयोग किया जाता है। इसके ब्रोमो एसीटोन तथा क्लोरो पिकटीन आदि रसायनिक पदार्थों का भी इस्तेमाल किया जाता है।
    आसू गैस- C10H5ClN2
  • सामान्य रूप से पुलिस भीड़ को तितर-बितर करने हेतु अमोनिया गैस का इस्तेमाल करता है । अमोनिया गैस भी तीव्र जलन पैदा करता है, परन्तु यह गैस पानी में घुलनशील होता है अतः पानी से धो लेने पर अमोनिया गैस का असर खत्म हो जाता है।
  • हैलोजन आपस में अभिक्रिया कर जिस यौगिक का निर्माण करता है उसे इन्टर हैलोजन यौगिक कहते हैं । इन्टर हैलोजन यौगिक में सहसयोंजन बंध पाये जाते हैं ।

                 

9. अक्रिय गैस या उत्कृष्ट गैस
  • आवर्त्त सारणी के वर्ग 18 में छ: तत्व हैं- हीलियम (He-2), निऑन (Ne-10), ऑर्गन (Ar - 18), क्रिप्टॉन (Kr-36), नेनॉन (Xe- 54) तथा रेडॉन (Rn - 86 ), इन्हें अक्रिय गैस कहा जाता है ।
  • यह सभी छः तत्व गैस अवस्था में पाये जाते हैं तथा रसायनिक दृष्टि से अक्रियाशील होते तथा केवल विशेष परिस्थितियों में ही रसायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं ।
  • रेडॉन (Rn) को छोड़कर सभी गैस अल्प मात्रा वायुमंडल में पायी जाती है । वायुमंडल 1% मात्रा में अक्रिय गैस पाया जाता है जिसमें सबसे अधिक आर्गन (Ar ) पाये जाते हैं I
  • रेडॉन एक रेडियो एक्टीव तत्व भी है।
  • सभी अक्रिय गैस के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पूर्ण होते हैं अर्थात् इनके इनके सभी आर्बिटल पूर्णतः भरे होते हैं यही कारण है कि यह रसायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेते हैं I
  • सभी अक्रिय गैस एक परमाणुक होता है अर्थात इनके एक अणु में केवल एक परमाणु होता है। सभी अक्रिय गैस रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन होता है तथा जल में अत्यधिक विलेय होते हैं ।
  • अक्रिय गैस रसायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेते हैं परन्तु जेनॉन- फ्लोरीन के साथ मिलकर कुछ यौगिक का निर्माण करता है।
            Xe + F2 → XeF2
                                      जेनॉन डाईफ्लोराइड
हीलियम का उपयोग :
  1. हीलियम हाइड्रोजन के बाद सबसे हल्की गैस है। हल्की होने के कारण यह गुब्बारों, मौसम संबंधि कार्य में, तथा वायुयान के टायर भरने में काम आता है।
  2. हीलियम मात्र 4K ताप पर द्रवित हो जाता है अतः 4K से कम ताप उत्पन्न करने हेतु हीलियम का उपयोग होता है ।
  3. धातुओं को जोड़ने की प्रक्रिया में अक्रिय वातावरण उत्पन्न करने हेतु He का इस्तेमाल होता है।
निऑन का उपयोग :
  • निऑन गैस में निम्न दाब पर विद्युत प्रवाहित करने पर यह सिंदूर जैसे लाल रंग में चमकता है जिसके कारण इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के लैम्प, बल्व, ट्यूब लाईट, वायुयान को संकेत देने में तथा विज्ञापन के क्षेत्रों में किया जाता है।
ऑगर्न का उपयोग :
  1. विद्युत बल्व में आर्गन गैस ही भरी जाती है ऐसा करने से बल्व के तन्तु का आयु बढ़ जाता है। हीलियम के तरह इसका भी इस्तेमाल है। अक्रिय वातावरण उत्पन्न करने में किया जाता है । 
  2. ऑर्गन को नियोजन तथा मरकरी वाष्प के साथ मिलाकर विभिन्न प्रकार के आकर्षक रंग वाले ट्यूब लाईट में किया जाता है।
क्रिप्टॉन तथा नेनॉन का प्रयोग :
  1. ये गैस बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में प्राप्त है जिसके कारण इसका ज्यादा उपयोग नहीं हो पाता फिर भी अगर विद्युत बल्व में ऑर्गन के जगह इस गैस का उपयोग किया जाए तो बल्व की आयु और बढ़ जायेगी ।
  2. आधुनिक फोटोग्राफी उपकरणों में Flash (दीप्ति) उत्पन्न करने हेतु इनका (क्रिप्टॉन या नेनॉन या दोनों) उपयोग होता है।
  • रेडॉन का उपयोग कैंसर के इलाज में तथा रेडियोएक्टीव शोध कार्यों में होता है ।

अभ्यास प्रश्न

1. ऐसे तत्व अधातु कहलाते हैं-
(a) जो धातु के समान व्यवहार नहीं करते हैं
(b) जो इलेक्ट्रॉन को ग्रहण कर ऋणायन बनाते हैं
(c) जो इलेक्ट्रॉन को त्याग कर धनायन बनाते हैं
(d) a तथा b दोनों
2. अधातुओं में धातु के समान चमक नहीं होती है, क्योंकि-
(a) अधातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं
(b) अधातुओं में बहुत कम मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं
(c) अधातु ठोस नहीं होते हैं
(d) अधातु प्रकाश के प्रति निष्क्रिय होते हैं
3. अधातुओं के संबंध में निम्नलिखित में कौन-सा एक सही नहीं है-
(a) अधातु न तो आघातवर्ध्य और न ही तन्य होते हैं
(b) अधातु उष्मा के कुचालक होते हैं तथा यह विद्युत के भी कुचालक होते हैं
(c) अधातुओं का घनत्व, धातुओं के तुलना में ज्यादा होता है
(d) अधातुओं को जब धातु से प्रहार किया जाता है तो इससे किसी प्रकार की ध्वनि नहीं होता है
4. अधातु प्रायः कठोर नहीं होते हैं, परन्तु डायमंड अधातु होते हुए भी बहुत कठोर है, इसका कारण है-
(a) इसमें मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं पाये जाते हैं
(b) इसका एक प्लेन दूसरे प्लेन पर नहीं फिसल सकता है
(c) इसके परमाणुओं के बीच के बन्धन काफी शिथिल होते हैं
(d) इसमें लैटिश संरचना नहीं पायी जाती है
5. अधातुएँ क्यों विद्युत का चालन नहीं करती है ?
(a) इनमें धातुओं की भाँति मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं पाये जाते हैं।
(b) इनमें धातुओं की भाँति मुक्त इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं
(c) इनमें धातुओं की भाँति कोर इलेक्ट्रॉन नहीं पाये जाते हैं।
(d) इनमें धातुओं की भाँति कोर इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं
6. निम्नलिखित में किस पदार्थ के साथ अधातु की रसायनिक अभिक्रिया नहीं होती है ?
(a) ऑक्सीजन
(b) क्लोरीन
(c) जल
(d) अम्ल
7. अधातुएँ किसके समान आचरण करती है ?
(a) ऑक्सीकारक 
(b) अवकारक
(c) क्षारीय
(d) इनमें से कोई नहीं
8. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. अधातुएँ ऑक्सीजन के साथ संयोग कर अम्लीय ऑक्साइड बनाती है।
2. अधातुएँ कभी-भी क्षारीय ऑक्साइड नहीं बनाती है।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सही / हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2
9. निम्नलिखित में कौन अधातु है ?
(a) Fe
(b) Cu
(c) Al
(d) CI
10. निम्नलिखित में कौन-सा एक सही नहीं है ?
(a) धातु और अधातु परस्पर अभिक्रिया करके आयनिक यौगिक का निर्माण करती है।
(b) अधातु और अधातु परस्पर अभिक्रिया करके सहसंयोजी यौगिक का निर्माण करती है।
(c) धातुएँ आपस में अभिक्रिया कर उपसहसंयोजी यौगिक का करती है
(d) इनमें से सभी
11.  निम्नलिखित में किसका द्रवणांक तथा क्वथनांक सर्वाधिक है ?
(a) फॉस्फोरस
(b) सल्फर 
(c) ऑक्सीजन
(d) ग्रेफाइट
12. निम्नलिखित में कौन न तो अम्लीय है और न ही क्षारीय ?
(a) कार्बन मोनोक्साइड (CO)
(b) नाइट्रस ऑक्साइड (N2O)
(c) नाइट्रिक ऑक्साइड (NO)
(d) इनमें से सभी
13. निम्नलिखित में से कौन गैस जल में घुलकर अम्लीय विलयन बनाती है ?
(a) कार्बन डाइऑक्साइड
(b) ऑक्सीजन
(c) हाइड्रोजन
(d) नाइट्रोजन
14. निम्नलिखित में से कौन-सा एक विद्युत ऋणात्मक तत्व ?
(a) मैग्नीशियम 
(b) क्लोरीन
(c) सोडियम
(d) पोटैशियम
15. कथन (A) : अधातुओं को इलेक्ट्रोनिगेटिव तत्व की संज्ञा दी जाती है।
कारण (R) : अधातुएँ इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋण आवेशित आयन बना सकती है।
(a) A और R दोनों सही है तथा R, A का सही स्पष्टीकरण है।
(b) A और R दोनों सही है किन्तु R, A का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) A सही है किन्तु R गलत है
(d) A गलत है किन्तु R सही है है
16. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. हाइड्रोजन का आविष्कार हेनरी कैवेंडिस ने किया था ।
2. हाइड्रोजन का नामकरण हेनरी बेसेमर ने किया।
3. हाइड्रोजन एक परमाणुक अणु है।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सही है/हैं
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
17. हाइड्रोजन निम्नलिखित में से किससे समानता रखता है ? 
(a) क्षार धातु
(b) हैलोजन तत्व
(c) a तथा b दोनों
(d) क्षारीय मृदा धातु.
18. प्रयोगशाला में दानेदार जस्ता और तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के बीच अभिक्रिया कराने पर कौन-सी गैस उत्पन्न होती है ?
(a) हाइड्रोजन
(b) सल्फर डाइऑक्साइड
(c) कार्बन मोनोक्साइड
(d) ऑक्सीजन 
19. जब जस्ते की प्रतिक्रिया तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के बदले सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल से कराया जाता है, तो कौन-सी गैस उत्पन्न P होती है ?
(a) हाइड्रोजन 
(b) सल्फर डाइऑक्साइड
(c) कार्बन डाइऑक्साइड
(d) नाइट्रोजन
20. प्रयोगशाला में हाइड्रोजन गैस बनाने हेतु शुद्ध जस्ता का उपयोग नहीं किया जाता है। क्यों ?
(a) शुद्ध जस्ता तनु H2SO4 से अभिक्रिया नहीं करता है
(b) शुद्ध जस्ता तनु H2SO4 से अभिक्रिया काफी मंद गति से करता है
(c) शुद्ध जस्ता तनु H2SO4 से अभिक्रिया काफी तीव्र गति से करता है
(d) इनमें से कोई नहीं
21. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. सबसे हल्का तत्व हाइड्रोजन है
2. सबसे हल्की गैस हाइड्रोजन है
उपर्युक्त में कौन-सा /से कथन सही है/हैं ?
(a) केवल 
(b) केवल 2
1 (c) 1 तथा 2
(d) न तो 1 न ही 2
22. हाइड्रोजन के संबंध में निम्न में कौन-सा एक सही नहीं हैं ?
(a) यह रंगहीन, गंधहीन एवं स्वादहीन गैस है
(b) यह सबसे हल्का पदार्थ है
(c) यह एक उदासीन गैस है
(d) यह जल में अत्यधिक विलेय है
23. हाइड्रोजन को वायु में जलाने पर-
(a) जल का निर्माण होता है।
(b) कार्बन डाइऑक्साइड का निर्माण होता है
(c) नहीं जलता है क्योंकि हाइड्रोजन अदहनशील गैस है
(d) नाइट्रोजन का निर्माण होता है।
24. हाइड्रोजन के ऑक्साइड की प्रकृति होती है-
(a) अम्लीय
(b) क्षारीय
(c) उदासीन
(d) इनमें से कोई नहीं
25. अतितप्त भाप को गर्म लौह- चूर्ण से अभिक्रिया कराने पर प्राप्त होता है-
(a) हाइड्रोजन गैस
(b) ऑक्सीजन गैस
(c) नाइट्रोजन गैस
(d) इनमें से सभी
26. लाल तत्प कोक के ऊपर अति तप्त भाप प्रवाहित करने पर प्राप्त होता है-
(a) प्रोड्यूसर गैस
(b) जल गैस
(c) हाइड्रोजन गैस 
(d) ऑक्सीजन गैस
27. सोडियम कर्मट को गर्म करने पर कौन - सा गैस उत्पन्न होता है ?
(a) हाइड्रोजन 
(b) नाइट्रोजन
(c) ऑक्सीजन
(d) क्लोरिन
28. तेलों के हाइड्रोजनीकरण में किस गैस का उपयोग किया जाता है ?
(a) कार्बन डाइऑक्साइड 
(b) कार्बन मोनोक्साइड
(c) नाइट्रोजन
(d) हाइड्रोजन
29. तेलों के हाइड्रोजनीकरण के फलस्वरूप-
(a) खाद्य तेल, खाद्य वसा में परिवर्तित हो जाते हैं
(b) वनस्पति तेल, वनस्पति घी में परिवर्तित हो जाते हैं
(c) असंतृप्त वसा, संतृप्त वसा में परिवर्तित हो जाते हैं।
(d) इनमें से सभी
30. निम्नलिखित में से हाइड्रोजन के बड़े खंडों को कौन अवशोषित करेगा ?
(a) प्लैटिनम
(b) पैलेडियम
(c) कोलॉयडी पैलेडियम
(d) इनमें से सभी
31. पैलेडियम तथा प्लैटिनम के समान धातुएँ विशेष परिस्थितियों में हाइड्रोजन का बहुत अधिक आयतन अवशोषित कर लेती है । धातु द्वारा अवशोषित हाइड्रोजन क्या कहलाता है ?
(a) अवशोषित हाइड्रोजन
(b) अधिधारित हाइड्रोजन
(c) परमाणवीय हाइड्रोजन
(d) क्रियाशील हाइड्रोजन
32. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए तथा सही कथन का चयन नीचे दिये गये कूट की सहायता से कीजिए ?
1. प्लैटिनम एवं पैलेडियम जैसी कुछ धातुएँ हाइड्रोजन के पर्याप्त मात्रा को अधिधारित (occlusion) कर सकती है।
2. इन धातुओं को सिर्फ गर्म कर देने पर ही अधिधारित हाइड्रोजन बाहर निकल जाती है। 
3. अधिधारित हाइड्रोजन साधारण हाइड्रोजन के तुलना में कम क्रियाशील होते हैं।
कूट :
(a) 1 और 2
(b) केवल 1
(c) 2 और 3 
(d) केवल 2
33. भविष्य का ईंधन किसे कहते हैं ?
(a) हाइड्रोजन
(b) नाइट्रोजन
(c) जल गैस
(d) सौर विकिरण
34. हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन क्यों कहा जाता है
(a) हाइड्रोजन का उष्मीय मान सबसे अधिक होने के कारण कम हाइड्रोजन के खपत से ही अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।
(b) हाइड्रोजन के वायु में जलने से उत्पाद के रूप सिर्फ जल बनता है अतः हाइड्रोजन के जलने से पर्यावरण में किसी प्रकार के प्रदूषण फैलने की आशंका नहीं रहती है। 
(c) हाइड्रोजन गैस का सबसे बड़ा स्त्रोत जल है जो एक नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन है।
(d) इनमें से सभी
35. हाइड्रोजन भविष्य का ईंधन है परन्तु वर्त्तमान में इसे ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने में सर्वाधिक कठिनाई किस रूप में व्याप्त है ? 
(a) हाइड्रोजन का उत्पादन
(b) हाइड्रोजन का भंडारण
(c) हाइड्रोजन का ज्वलन ताप
(d) हाइड्रोजन का गैसीय अवस्था
36. जल एक उत्कृष्ट विलायक है, क्योंकि इसके अणु-
(a) उदासीन है
(b) हल्के भार वाले हैं
(c) अध्रुवीय है
(d) अत्यधिक ध्रुवीय है
37. निम्नलिखित में कौन-सा एक सही नहीं है ?
(a) 0°C पर द्रव जल का घनत्व बर्फ के घनत्व से अधिक होता है।
(b) 4°C पर जल का घनत्व अधिकतम होता है।
(c) 4°C पर जल का आयतन अधिकतम होता है
(d) इनमें से कोई नहीं
38. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. जल का आचरण द्विधर्मी होता है यह अम्ल तथा क्षार दोनों के समान व्यवहार करता है।
2. जल ऑक्सीकारक तथा अवकारक दोनों के समान व्यवहार करता है।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2
39. वह जल जो साबुन के साथ असानी से झाग नहीं देता है, उसे क्या कहते हैं ?
(a) कठोर जल
(b) मृदु जल
(c) भारी जल
(d) इनमें से कोई नहीं
40. जल में अस्थायी कठोरता किसके उपस्थिति के कारण आती है ?
(a) कैल्शियम और मैग्नीशियम के क्लोराइड
(b) कैल्शियम और मैग्नीशियम के सल्फेट
(c) कैल्शियम और मैग्नीनिशयम के बाइकार्बोनेट
(d) इनमें से कोई नहीं
41. जल के अस्थायी कठोरता को किस प्रकार दूर किया जा सकता है ?
(a) जल को उबाल कर
(b) क्लार्क विधि द्वारा 
(c) केलगॉन विधि द्वारा
(d) a तथा b दोनों
42. जल के स्थायी कठोरता किस प्रकार दूर किया जाता है ?
(a) सोडा विधि द्वारा 
(b) केलगॉन विधि द्वारा
(c) परमुटिट विधि द्वारा
(d) इनमें से सभी
43. निम्नलिखित में से किस विधि द्वारा जल की अस्थायी और स्थायी दोनों प्रकार की कठोरताएँ दूर हो जाती है ?
(a) केलगॉन विधि
(b) परमुटिट विधि
(c) सोडा विधि
(d) आयन विनिमय विधि
44. हाइड्रोजन के कितने समस्थानिक होते हैं ?
(a) 3
(b) 4
(c) 5
(d) 6
45. हाइड्रोजन के किस समस्थानिक को भारी हाइड्रोजन भी कहते हैं ?
(a) प्रोटियम
(b) डयूटोरियम
(c) ट्राइटियम
(d) इनमें से कोई नहीं
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here
]]>
Fri, 26 Apr 2024 11:18:21 +0530 Jaankari Rakho
General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | धातुएँ और उनके महत्वपूर्ण यौगिक https://m.jaankarirakho.com/1022 https://m.jaankarirakho.com/1022 General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | धातुएँ और उनके महत्वपूर्ण यौगिक
  • आधुनिक काल में किसी देश की उन्नति एवं समृद्धि का अनुमान वहाँ होनेवाली धातुओं के खपत के आधार पर किया जाता है।
  • अभी तक 114 से अधिक तत्व का आविष्कार हो चुका है, जिनमें करीब 79% धातु 16% अधातु तथा 5% उपधातु है।
  • धातु तथा अधातु के बीच कोई स्पष्ट विभाजन रेखा नहीं, कुछ गुणों के आधार हम धातु तथा अधातु के बीच अंतर कर पाते हैं।
Physical Properties of Metals (धातु के भौतिक गुण ) :
  1. धातु के परमाणु के वाह्यतम कक्षा में प्रायः 1, 2 या 3 ही इलेक्ट्रॉन होते हैं।
    Example- Na, Mg, Al, Ca, Zn
    Note :- हाइड्रोजन तथा हिलियम के वाह्यतम कक्षा में क्रमश: 1 तथा 2 इलेक्ट्रॉन होते परन्तु ये धातु नहीं है।
  2. धातु की सतह में एक विशेष प्रकार की चमक होते हैं, जिसे Metallic Custure (धात्विक चमक) कहते हैं। इस प्रकार की चमक केवल धातु में ही पायी जाती है ।
    Note:— ग्रेफाइट तथा आयोडीन (I2) अधातु है परन्तु इनकी सतह में धातु के तरह चमक होती है।
  3. धातुओं को हथौरे से पीटकर पतली चादर बनायी जा सकती है। धातु में पाये जाने वाले इस गुण को Malleability (अधानवर्द्धनीय) कहते हैं।
  4. धातुओं में तन्यता (Ductility) का गुण पाया जाता है।
  5. धातु उष्मा तथा विद्युत का सुचालक होता है।
    • Ag (चाँदि) उष्मा का सर्वश्रेष्ठ सुचालक है इसके बाद Cu (कॉपर) का स्थान है।
    • Pb (लेड) तथा Hg (मर्करी) उष्मा का सबसे कम चालक है।
    • धातु की विद्युत चालकता का घटता क्रम-
      Ag > Cu > Au > Al > W. Hg > Fe 
    • लेड (Pb) धातु अपवाद है जो विद्युत का कुचालक है। 
  6. धातु प्रायः कठोर होते है परन्तु सभी धातु की कठोरता एक समान नहीं होती है।
    • Na (सोडियम) तथा k (पोटेशियम ) इतने Soft होते हैं कि इसे आसानी से चाकू से काट सकते हैं। 
    • धातु के द्रवणांक (Melting Point) तथा क्वथनांक (Boiling Point) तथा क्वथनांक (Boiling Point) का मान उच्च होते हैं।
    • धातु विद्युत धनात्मक होते हैं क्योंकि धातु electron को त्याग करने की प्रवृत्ति रखते हैं ।
Chemical Properties of Metals (धातु के रसायनिक गुण)

1. सभी धातु ऑक्सीजन से अभिक्रिया कर ऑक्साइड बनाते हैं।

4Na + O2 → 2N2O क
धातु ऑक्साइड भास्मीक (Basic या alkalis) होते हैं।
कुछ धातु के ऑक्साइड में अम्लीय तथा क्षारीय दोनों गुण होते है जिसके कारण इसे उभयधर्मी ऑक्साइड (amphoteric oxides) कहते हैं।
उदा० - Al2O3, ZnO, PbO, BeO
Ag तथा Au ऑक्सीजन से अभिक्रिया नहीं करते हैं।
ऑक्सीजन के प्रति धातु की क्रियाशीलता का क्रम-
Na > Mg > Zn > Cu > Ag > Au

2. धातु जल के साथ अभिक्रिया कर H2 gas मुक्त करते हैं।

2K + 2H2O → 2KOH + H2
कुछ धातु ठंडे जल से अभिक्रिया करते हैं कुछ गर्म जल से तथा कुछ वाष्प से अभिक्रिया करते हैं, परन्तु सभी स्थ H2 gas उत्पन्न होता हैं।
कॉपर, मरकरी, टिन, सिल्वर तथा गोल्ड जल से अभिक्रिया नहीं करता है।

3. धातु अम्ल के साथ अभिक्रिया कर H2 gas मुक्त करता है।

अम्ल के प्रति धातुओं के क्रियाशीलता का क्रम-
Eg- 2A1 + 6HCI → 2AICI3 + 3H2
धातु का अम्ल के प्रति क्रियाशीलता का क्रम-
Na > Mg > Zn > Fe > Cu
नाइट्रीक अम्ल (HNO3) के साथ किसी भी धातु के अभिक्रिया होने पर H2 gas मुक्त नहीं होती है, क्योंकि नाइट्रीक अम्ल एक प्रबल ऑक्सीकारक है I
केवल Mg तथा Mn धातु तनु नाइट्रीक अम्ल से अभिक्रिया कर H2 gas मुक्त करते हैं।
सोना तथा प्लैटिनम अम्ल से अभिक्रिया नहीं करता है परंतु Aqua regia (अम्ल राज) में घुल जाता है।
अम्ल राज HCI तथा HNO3 का मिश्रण है जिसमें आयतन के विचार से 3 भाग सांद्र HCl तथा 1 भाग सांद्र HNO3 रहता है।

4. कोई अधिक क्रियाशील धातु अपने से कम क्रियाशील धातु के लवण के विलयन से कम क्रियाशील धातु के लवण के विलयन से कम क्रियाशील धातु को विस्थापित कर सकती है।

Fe + CuSO4 → FeSO4 + Cu
धातु के क्रियाशीलता का क्रम-
A. सबसे अधिक क्रियाशील धातु
K > Ba > Ca > Na >
B. मध्यम क्रियाशील धातु
Mg > Al > Zn > Cr > Fe > Cd > Co > Ni > Sn > Pb
C. अक्रियाशील धातु-
Cu > Hg > Ag > Pt > Au
Note:-
1. धातु Ana तथा अधातु आपस में अभिक्रिया कर आयनीक यौगिक बनाते हैं ।
2. अधातु तथा अधातु आपस में भिक्रिया कर सहसंयोजक यौगिक बनाते हैं।
3. धातु तथा धातु आपस में अभिक्रिया नहीं करती है।
धातु को प्राप्त करने का मुख्य स्त्रोत भू-पर्पटी (Crust) है। भू-पर्पटी पर धातु मुक्त अवस्था में अथवा संयुक्तावस्था में पाये जाते हैं।
खनिज (Minerals)- भू-पर्पटी पर प्राकृतिक रूप में पाये जाने अकार्बनिक ठोस पदार्थ ही खनिज कहलाते हैं । खनिज तत्व का यौगिक दोनों ही रूपों में पाये जाते हैं।
अयस्क (Ores) - जिस खनिज में प्रचुर मात्रा में धातु उपस्थित हो तथा जिससे कम खर्च में ही एवं सरलता से धातु प्राप्त की जा सके उसे अयस्क कहते हैं ।
सभी अयस्क खनिज होते हैं परन्तु सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं। खनिज अयस्क तब कहलायेगा जब वह निम्न शर्तें पूरा करें-
1. खनिज से धातु की प्राप्ति कम खर्च में हो ।
2. धातु का निष्कर्षण सुगमतापूर्वक होनी चाहिए ।
3. खनिज में धातु प्रचुर मात्रा में होनी चाहिए ।

Metallurgy (धात्विकी)

  • धातु को उसके अयस्क से अलग करने की विधि धात्विकी कहलाता है ।
  • अयस्क के साथ उपस्थित अशुद्धि Gangue (गैंग ) कहलाता है।
    • प्रमुख गैंग - सिलिका (SiO2) तथा चूना पत्थर (CaCO3) है ।
  • अयस्क के अशुद्धि को हटाने हेतु अयस्क में बाहर से मिलाये गये पदार्थ Flux (फ्लस्क) कहलाता है।
  • अयस्क के अशुद्धि के साथ फ्लस्क अभिक्रिया कर एक द्रवणशील हल्का पदार्थ बनाता है जिसे Slag (स्लैग) कहते हैं।
                    अशुद्धि + फ्लस्क → स्लैग
    उदाहरण:- SiO2 + CaO → CaSiO3
  • स्लैग द्रवित धातु से हल्का होने के कारण धातु के ऊपर तैरता रहता है जिसे हटा लिया जाता है।
  • अयस्को से धातु को प्राप्त करने की विधि जटिल है जो निम्न चार चरणों में पूरा होता है।
  1. अयस्को का सांद्रण (Fnrichment of ore)
    • अयस्क जो भू-पर्पटी से प्राप्त होते कई अशुद्धि (गंग) रहता है जिसे हटाना अनिवार्य है । अयस्को को साफ करने के कई विधि हैं-
      1. Hydraulic Washing (द्रवचालीत घुलाई) - इसी विधि से प्राय: ऑक्साइड अयस्क का सांद्रण किया जाता है। यह विधि अयस्क के कण के घनत्व तथा गैंग के घनत्व पर निर्भर करता है । प्रायः गैंग कण अयस्क के कण से हल्के होते हैं । उदा० - लेड, टीन, लोहा के अयस्क इसी विधि द्वारा सांद्रीत होते हैं।
      2. Froth Floatation Process (फेन प्लवन विधि) - यह विधि से सल्फाइड अयस्क का सांद्रण किया जाता है। इस विधि में पानी के टैंक का इस्तेमाल होता है तथा पानी में फेन (झाग ) उत्पन्न करने हेतु पाइन का तेल डाला जाता है। सल्फाइड अयस्क के टुकड़े फैन के साथ पानी टंकी के ऊपर आ जाते हैं तथा अशुद्धि नीचे बैठ जाती है। उदा०- कॉपर पाइराइट, जिंक ब्लैड (Zns), गैलेना (Pbs) इसी विधि से सांद्रीत होता है।
      3. Chemical Saparation- इस विधि का इस्तेमाल तब होता है जब अयस्क के धातु तथा अशुद्धि के रसायनिक गुण भिन्न होते हैं। उदा०— वॉक्साइड (Al2O3.2H2O) का सांद्रण इसी विधि से होता है।
  2. सांद्रीत अयस्क को धातु के ऑक्साइड में परिवर्तित करना होता है। ऑक्साइड में बदलने के लिए दो विधि प्रचलित है-
    1. Calcination (निस्तापन ) - अयस्क को वायु की सीमित मात्रा अथवा वायु के अनुपस्थिति में उसके द्रवणांक से कम ताप पर गर्म करके ऑक्साइड में बदलने की प्रक्रिया निस्तापन कहलाता है।
      • निस्तापन विधि द्वारा प्रायः कर्बोनेट तथा हाइड्रेट अयस्क को उसके ऑक्साइड में बदला जाता है।
    2. Roasting (भर्जन ) - जब अयस्क को वायु की पर्याप्त मात्रा में तेजी से गर्म कर धातु को ऑक्साइड में बदला जाता है तो उसे भर्जन कहते हैं।
      • भर्जन द्वारा सल्फाइड अयस्क को उसके ऑक्साइड में बदला जाता है।
  3. धातु के ऑक्साइड को अपचयन (Reduction) द्वारा धातु में बदला जाता है । Reduction की तीन विधि प्रचलित है।
    1. Reduction by heat - जो धातु कम अभिक्रियाशील होते हैं उनके ऑक्साइड को सिर्फ गर्म करने पर धातु प्राप्त हो जाते हैं।

    2. Chemical Reduction - मध्यम अभिक्रिया शील धातु (Fe, Zn, Pb, Cu) के ऑक्साइड को कार्बन या ऐलुमिनियम के साथ गर्म करके Reduction किया जाता है।

    3. विद्युत द्वारा अवकरण- अधिक क्रियाशील धातु (Na, K, mg Ca, Al) की विद्युतीय अपचयन किया जाता है।
      • विद्युतीय अपचयन करने पर धातु कैथोड पर तथा गैसीय पदार्थ एनोड पर प्राप्त होते हैं।
  4. Reduction से प्राप्त धातु की पूर्णतः शुद्ध नहीं होते हैं अतः पुनः शुद्ध करने के लिए धातु का Refining करना पड़ता है कि जिनके प्रमुख विधि निम्न है - 
    1. Liquasion (परिसमापन ) - इस विधि से ऐसे धातु को शुद्ध किया जाता है जिसका गलनांक कम होता है। उदा० - टिन (Sn), लेड ( Pb ), विस्मथ (Bi)
    2. Distillation (आसवन) - इस विधि द्वारा वाष्पशील धातुओं को शुद्ध किया जाता है । उदा० - मरकरी (Hg), जिंक (Zn )
    3. Electrolytic Refining - यह विधि धातु धातु को शुद्ध करने की सबसे अच्छी विधि है। कॉपर, जिंक, टिन, निकेल, सिल्वर, गोल्ड जैसे धातु इसी विधि द्वारा प्रायः शुद्ध किये जाते हैं।
      • इस विधि में विद्युत अपघटनी सेल का इस्तेमाल होता है जिसमें Electrolyte का जलीय विलयन रहता है। सेल में अशुद्ध धातु का प्लेट एनोड का तथ शुद्ध धातु का प्लेट को कैथोड बनाया जाता है।
      • उपर्युक्त सभी प्रक्रिया के बाद 99% शुद्ध धातु प्राप्त होते हैं।

प्रमुख धातु एवं उनके प्रमुख यौगिक

1. Na (सोडियम)
  • वर्ग संख्या - 1
  • परमाणु संख्या - 11
  • इलेक्ट्रॉनिक विन्यास- 2, 8, 1
  • आवर्त्त संख्या - 3
  • परमाणु द्रव्यमान - 22.9898
  • घनत्व - 0.97 g / cm3
  • सोडियम वर्ग 1 के क्षारीय धातु है यह वायु के ऑक्सीजन से काफी तीव्र अभिक्रिया कर जलने लगता है जिसके कारण इसे किरोसीन तेल में डुबाकर अथवा निर्वात् में रखा जाता है।
  • सोडियम मुलायम तथा चांदि के तरह सफेद होता है। सोडियम धातु तुन्सेन बर्नर के ज्वाला के साथ सुनहरा पीला रंग देता है।
  • Na धातु की प्राप्ति मुख्यतः NaOH तथा NaCl से विद्युत अपघटन विधि द्वारा होता है।
  • प्रमुख यौगक:-
    1. NaCl (सोडियम क्लोराइड या साधारण नमक )
      • सोडियम हॉइड्रॅक्साइड तथा हाइड्रोजक्लोरीक अम्ल की अभिक्रिया से NaCl की प्राप्ति होती है।
        NaOH + HCl → NaCl + H2O
      • भारत में 95% सोडियम क्लोराइड (नमक) समुद्री जल के वाष्पीकरण से प्राप्त होता है। वाष्पीकरण से प्राप्त NaCl में अशुद्धि के रूप में Na2SO4. MgCl2, MgSO4. CaCO3 लवण पाये जाते हैं ।
      • सेंधा नमक (काला नमक) जमीन खोदकर खदानों से प्राप्त होता है। इस नमक में अशुद्धि के रूप में लाल चिकनी मिट्टी मिला रहता है जिसके कारण इसका रंग भूरा होता है ।
      • साधारण नमक में KIO3 या KI मिलाकर आयोडीन युक्त नमक बनाये जाते हैं ।
      • NaCl (साधारण नमक) का उपयोग खाने में, परिरक्षक के रूप में तथा साबुन बनाने में होता है।
    2. NaOH (सोडियम हाइड्रॉक्साइड या कॉस्टीक सोडा)-
      • NaOH का निर्माण क्लोर-ऐल्कली विधि के द्वारा होता है ।
      • NaOH का उपयोग साबुन तथा Detergent बनाने में अभिकर्मक ( reagent) के रूप में होता है । 
    3. NaHCO3
      • NaHCO3 को सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट या सोडियम बाइकार्बोनेट या खाने वाला सोडा को कहा जाता है। 
      • NaHCO3 का निर्माण अमोनिया - सोडा - विधि द्वारा होता है। इस यौगिक का जलीय विलयन क्षारीय होता है ।
      • बेंकिन पाउडर NaHCO3 तथा टार्टरिक अम्ल का मिश्रण है। जब बेकिंग पाउडर को गीला आटा या पावरोटी के साथ मिलाकर गर्म किया जाता है तो CO2 गैस बनता जो केक को मुलायम तथा स्पंजी बना देता है ।
      • अगर बेकिंग पाउडर में टार्टरिक अम्ल नहीं हो तो केक कड़वा हो जाएगा ।
      • NaHCO3 का उपयोग पेट की अम्लीयता दूर करने में ऐंटासिड के रूप में होता है।
      • NaHCO3 का उपयोग अग्नीशामक यंत्र में होता है। अग्नीशामक यंत्र में NaHCO3 तथा H2SO4 रहता है जो अभिक्रिया CO2 उत्पन्न करता है जिससे आग बुझ जाती है।
      • भोजन को खास्ता बनाने के हेतु अथवा जल्द खाना पकाने हेतु भी कभी-कभी NaHCO3 का इस्तेमाल होता है।
    4. Na2CO3 . 10H2O
      • Na2CO3 . 10H2O को सोडियम कार्बोनेट या धोने का सोडा कहा जाता है।
      • Na2CO3 का निर्माण अमोनिया सोडा विधि या साल्वे विधि द्वारा किया जाता है।
      • Na2CO3 का जलीय विलयन क्षारीय होता है।
      • Na2CO3 . 10H2O को तीव्रता से गर्म करने पर इसका जल निकल जाता है तथा अर्नाद्र सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) बनता है जिसे सोडाऐश कहते हैं।
      • Efflorescence (उत्फुल्लन ) - Na2CO3 . 10H2O को हवा में खुला छोड़ने में यह जल का त्याग कर सोडियम कार्बोनेट मोनोहाइड्रेट का चूर्ण बनाता है जिसे उत्फुल्लन कहते हैं ।
      • Na2CO3 का उपयोग कपड़ा धोने में प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में होता है।
      • Na2CO3 का उपयोग कांच, कागज साबुन उद्योग में भी किया जाता है।
      • जल का स्थायी खारापन दूर करने में भी Na2CO3 का प्रयोग होता है।
    5. Na2B4O7.10H2O
      • इसे सोडियम टेट्राबोरेट या बोरेक्स कहते हैं ।
      • बोरेक्स का इस्तेमाल कॉच उत्पादन में खाद्य-पदार्थों के संरक्षण में, साबुन बनाने में बर्तनों के कलई करने तथा उसकी चमक बढ़ाने में किया जाता है ।
    6. Na2O2 (सोडियम पर ऑक्साइड) का इस्तेमाल बंद जगह के वायु को साफ करने में किया जाता है। यह CO2 या CO से अभिक्रिया कर O2 बनाता है।
      2Na2O2 + 2CO2 → 2 Na2Co3 + O2
2. Mg (मैग्नीशियम)
वर्ग संख्या - 2
परमाणु संख्या - 12
घनत्व- 1.74 g/cm3
आवर्त्त संख्या - 3
परमाणु द्रव्यमान - 24.31
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - 2, 8, 2
  • मैग्नीशियम के प्रमुख अयस्क - मैग्नेसाइट (MgCO3), डोलोमाइट (MgCO3. CaCO3), कार्नेलाइट (KCI.MgCl2.6H2O) है। जिनमें मैग्नीशियम का निष्कर्षण मुख्य रूप से कार्नेलाइट से किया जाता है।
  • पौधे का महत्वपूर्ण अवयव क्लोरोफील मैग्नीशियम युक्त होता है ।
  • फ्लैश बल्वों में मैग्नीशियम के तार का उपयोग होता है। नाइट्रोजन गैस में मैग्नीशियम तार रखकर फ्लैश बल्व का इस्तेमाल होता है। 
  • प्रमुख यौगिक :-
    1. Mg2 (OH)– इसे मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड या मिल्क ऑफ मैग्नीशिया कहते हैं क्योंकि यह जल में घुलकर दूध जैसा दिखता है। इसका उपयोग पेट की अम्लीयता दूर करने हेतु ऐंटासीड के रूप में होता है ।
    2. MgSO4 . 7H2O (मैग्नीशियम सल्फेट) - इसे इप्सम साल्ट कहते हैं। इसका इस्तेमाल कपास उद्योग, साबुन तथा पेन्ट उद्योग में होता है।
3. Al (ऐलुमिनियम)
वर्ग संख्या - 13
परमाणु संख्या - 13
घनत्व - 2.70g/cm3
आवर्त्त संख्या - 3
परमाणु द्रव्यमान - 26.9813
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास- 2, 8, 3
  • भू-पर्पटी र ऐलुमिनियम धातु सबसे अधिक पायी जाती है।   
  • प्रारंभ ऐलुमिनियम धातु का निश्कर्षण ऐलुमिनियम क्लोराइड से किया जाता था ।
    AlCl + 3Na → Al + 3NaCl
  • ऐलुमिनियम क्लोराइड से ऐलुमिनियम का निष्कर्षण बहुत ही खर्चीली थी जिसके कारण 19वी शदी से पहले ऐलुमिनियम सोना से भी ज्यादा महंगी धातु थी ।
  • ऐलुमिनियम निष्कर्षण की सस्ती विधि का खोज 1886 ई. में अमेरिका के मार्कहाल तथा फ्रांस के हेराउल्ट ने की जिसके बाद ऐलुमिनियिम के मूल्य 90% तक कम हो गये ।
  • वर्त्तमान समय में मनुष्य द्वारा उपयोग में लाया जाने वाला दूसरा सबसे अधिक धातु Al है।
  • ऐलुमिनियम प्रमुख अयस्क— बॉक्साइड (Al2O3.2H2O) कोरंडम (Al2O3) क्रायोलाइट (Na3AlF6) है। ऐलुमिनियम का निष्कर्षण मुख्य रूप से बॉक्साइट से किया जाता है।
  • बॉक्साइट अयस्क को पहले बायर विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है। शुद्ध बॉक्साइड को ऐलुमिना या हाइड्रेटेट ऐलुमिना भी कहते हैं। इसके बाद ऐलुमिना का विद्युत अपघटन द्वारा Al प्राप्त होता है।
  • ऐलुमिना के विद्युत अपघटन में ऐलुमिना के साथ क्रायोलाइट तथा फ्लुओस्पार (CaF2) मिला देते हैं। जिससे ऐलमिना का गलनांक घट जाता है। विद्युत अपघटन में AI कैथोड पर तथा एनोड पर O2 गैस मुक्त हो जाता है।
  • ऐलुमिनियम को वायु में खुला छोड़ने पर इसकी सतह पर ऐलुमिनियम ऑक्साइड की परत जम जाती है। यह ऑक्साइड परत नीचे के धातु को और अधिक संक्षारित नहीं होने देती है इसलिए ऐलुमिनियम धातु में जंग नहीं लगता है।
  • प्रमुख यौगिक:-
    1. Al(OH)3 — ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड का प्रयोग जलरोधी एवं अग्नीरोधी कपड़ा तैयार करने में किया जाता है।
    2. Al4C3 - ऐलुमिनियम कर्बाइड का प्रयोग औद्योगिक स्तर पर मीथेन गैस बनाने में किया जाता I
      Al4C3 + 12H2
      → 4Al(OH)3 + 3CH4
    3. फीटकरी या पोटश एलम- इसका रसायनिक सूत्र - K2SO4. Al2 (SO4)3
4. Ca (कैल्शीयम)
वर्ग संख्या - 2
परमाणु संख्या - 20
घनत्व - 1.55g/cm3
आवर्त्त संख्या -4
परमाणु द्रव्यमान - 40.08 -
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - 2, 8, 8, 2
  • कैल्शीयम का प्रमुख अयस्क - कैल्शीयम कार्बोनेट (CaCO3), फ्लुओरस्पार (CaF2), फॉस्फोराइट (Ca3(PO4)2 कैल्शीयम क्लोराइड (CaCl2) है ।
  • कैल्शीयम धातु का निष्कर्षण मुख्य रूप से कैल्शीयम क्लोराइड (CaCl2) या फ्लुओरस्पार (CaF2) से विद्युत अपघटन विधि द्वारा किया जाता है ।
  • मानव शरीर में लगभग 1200 gram कैल्शीयम पाया जाता है जिसका 99% भाग हड्डी तथा दाँत में पाये जाते हैं ।
  • Ca को ऑक्सीजन में जलाने पर इसके ज्वाला का रंग ईट की तरह लाल होता है |
  • मुख यौगिक:-
    1. CaO- इसे कैल्शीयम ऑक्साइड, कलीचूना Quick - lime या बिना बुझा हुआ चूना कहते हैं।
      • CaCO3 को गर्म करके व्यापारिक रूप से CaO का निर्माण किया जाता है।
      • CaO का उपयोग Drying agent (शुष्क कारक) के रूप में, सीमेंट बनाने में, ब्लीचिंग पाउडर बनाने में किया जाता है ।
    2. Ca(OH)2- इसे कैल्शीयम हाइड्रॉक्साइड या बुझा हुआ चूना कहते हैं। CaO की प्रतिक्रिया H2O से कराने पर Ca(OH)2 बनता है ।
      • जब Ca(OH)2 में CO2 गैस प्रवाहित किया जाता है तो चूना-जल दूधिया हो जाता है तथा CaCO3 बनता है।
        Ca(OH)2 + CO2 → CaCO3 + H2O
      • Ca(OH)2 का उपयोग मकान को सफेदी करने में, चीनी के शुद्धिकरण में किया जाता है ।
    3. CaCO3- कैल्शीयम कार्बो का इस्तेमाल संगमरमर के रूप में CO2 गैस बनाने हेतु प्रयोगशाला में इस्तेमाल होता है ।
      • लोहे के निष्कर्षण में Flux के रूप में CaCO3 का इस्तेमाल होता है ।
      • CaCO3 का इस्तेमाल दंतमंजन बनान में भी होता है ।
    4. विरंजक चूर्ण (Ca(OCICI)
      • बूझे हुए चूना (Ca(OH)2) को 40°C तक गर्म कर उसपर Cl2 गैस प्रवाहित करने पर विरंजक चूर्ण (Bleaching Powder) बनता है ।
        Ca(OH)2 + Cl2 → Ca(OCI) Cl + H2O
      • विरंजक चूर्ण का इस्तेमाल किटाणुनाशक के रूप में, कागज और कपड़ों के विरंजन में, क्लोरीन तथा क्लोरोफॉर्म बनाने में किया जाता है।
      • ब्लीचिंग पाउडर को खुला छोड़ने पर इसका विरंजन गुण समाप्त हो जाता है क्योंकि वायुमंडल से यह CO2 तथा आर्द्रता ग्रहण कर Cl2 निकाल देता है ।
    5. प्लास्टर ऑफ पेरिस-
      • प्लास्टर ऑफ पेरिस का सूत्र (CaSO4)2. H2O या CaSO4. 1½ H2O है इसे कैल्शीयम सल्फेट हमोहाइड्रेट भी कहते हैं।
      • जिप्सम (CaSO4.2H2O) को 120°C तक सावधानी पूर्वक गर्म करने पर प्लास्टर ऑफ पेरिस बनता है पुनः प्लास्टर ऑफ पेरिस में जल मिलाने पर वह जिप्सम में परिणत हो जाता है ।
      • प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल मूर्ति बनाने में, शल्य चिकित्सा में टूटी हुई हड्डी को जोड़ने मे किया जाता है। 
5. Mn (मैंगनीज)
वर्ग संख्या - 7
परमाणु संख्या - 25
घनत्व- 7.3g/cm3
आवर्त्त संख्या - 4
परमाणु द्रव्यमान - 54.938
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - 2 8 13, 2
  • मैगनीज का प्रमुख अयस्क MnO2 (पाइरोलुसाईट ) है जिससे मैगनीज का निष्कर्षण किया जाता है । मैंगनीज के दूसरा अयस्क मैंगनाइट (Mn2O3.H2O) है।
  • मानव शरीर में सबसे कम मात्रा में पाया जाने वाला तत्व Mn ही है।
  • प्रमुख यौगिक-
    1. KMnO4 (पोटाशियम परमैग्नेट )
      • KMnO4 का उत्पादन पाइरोलुसाईट से किया जाता है। इसका रंग Purple (गुलाबी) होता है।
      • KMnO4 को अधिक गर्म करने पर यह KMnO4 में बदल जाता है।
      • KMnO4 का प्रयोग प्रयोगशाला में अभिकर्मक रूप में, ऑक्सीकारक में तथा कीटनाशक, जलशुद्धिकरण में होता है।
    2. MnO2- मैगनीज डाईऑक्साइड का प्रयोग शुष्कसेल में विध्रुवक के रूप में होता है।
      • विध्रुवक - शुष्क सेल के एनोड पर H2gas के जमने की प्रक्रिया ध्रुवण कहलाती है। MnO2 के द्वारा H2 gas के जमने की प्रक्रिया ध्रुवण कहलाती है। MnO2 का ऑक्सीकरण हो जाता है। यह प्रक्रिया विधुवण कहलाती है।
6. Fe (लोहा)
वर्ग संख्या - 8
परमाणु संख्या - 26
घनत्व - 7.86g/cm3
आवर्त्त संख्या - 4
परमाणु द्रव्यमान - 55.847
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - 2, 8, 14, 2
  • मानव द्वारा उपयोग में लायी जानी वाली सर्वाधिक धातु लोहा है । भू-पर्पटी में प्रचुर मात्रा में पायी जानी वाली यह दूसरी धातु है।
  • भू–पर्पटी पर लोहा से ज्यादा ऐलुमिनियम पाया जाता है। फिर भी लोहा सस्ता है तथा ऐलुमिनियम महँगा क्योंकि लोहा के तुलना ऐलुमिनियम का निष्कर्षण अत्यधिक खर्चीली है।
  • लोहा के प्रमुख अयस्क:- 1. हैमाटाइट (Fe2O3), 2. मैग्नेटाइट (Fe3O4), 3. सीडेराइट (FeCO3) है। लोहा का निष्कर्षण मुख्य रूपये हेमाटाईट अयस्क से किया जाता है ।
  • हेमाटाइट अयस्क का अपचयन वात्या भट्टी (Glast Furnace) में किया  जाता है । वात्या भट्ठी में कोक तथा चूना पत्थर का इस्तेमाल Flux के रूप में किया जाता है ।
  • वात्या भट्ठी एक बार प्रारंभ होता तो लगातार 10 वर्षों तक प्रारंभ ही रहता है।
  • वात्या भट्ठी से प्राप्त लोहा बहुत ही कठोर और भंगुर होता है। इसमें अशुद्धि के रूप में 2.5-4% कार्बन पाया जाता है। इस लोहा को ढलवाँ लोहा (Castiron) या कच्चा लोहा कहते हैं।
  • जिस लोहे में कार्बन की मात्रा 0.1% -0.25% तक होती है उसे पिटवाँ लोहा कहा जाता है।
  • लोहे के धातु का संक्षारण बहुत अधिक होता है। नमी तथा ऑक्सीजन की उपस्थिति में लोहे के ऊपर भूरे रंग एक आवरण बनता जिसे जंग कहते हैं। जंग का रसायनिक सूत्र - Fe2O3.H2O (हाइड्रेटेट आयरन ऑक्साइड) है। जंग लगने से लोहे का भार बढ़ जाता है।
    1. FeSO4.7H2O— फेरस सल्फेट को हरा कसीस (Green Vitriol) कहते हैं । फेरस सल्फेट का उपयोग स्याही बनाने तथा एनेमिया रोग के उपचार में होता है ।
    2. FeCl3— फेरिक क्लोराइड का इस्तेमाल रक्त स्त्राव रोकने में किया जाता है।
    3. FeS—– आयरन सल्फाइड को झूठ सोना या बेवकूफों का सोना कहा जाता है।
    4. FeSO4 (NH4)2 SO4.6H2O को मोहर लवण कहा जाता है। इसका उपयोग नीली रंग के स्याही बनाने, प्रयोगशाला में अवकारक के रूप में होता है।
7. Cu (कॉपर या तांबा)
वर्ग संख्या - 11
परमाणु संख्या - 29
घनत्व - 8.96g/cm3
आवर्त्त संख्या - 4
परमाणु द्रव्यमान - 63.546
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास- 2, 8, 18, 1
  • कॉपर के प्रमुख अयस्क— मैलेकाइट (CuCO3.Cu(OH)2), कैल्कोसाइट (Cu2S) कॉपर पायराइट (CuFeS2) है। कॉपर का निष्कर्षण मुख्य रूप से कॉपर पायराइट से किया जाता है।
  • गंधक को तांबा का शत्रु तत्व कहा जाता है क्योंकि गंधक तांबा के धातुई गुण को नष्ट कर देता है ।
  • ऐसी मान्यता है कि मानव इतिहास सबसे पहला उपयोग में लायी जानी वाली धातु कॉपर ही था ।
  • तांबा का व्यापक रूप से उपयोग विद्युत तार बनाने में ताड़ित चालक बनाने में, कैलोरी मीटर बनाने में होता है ।
  • प्रमुख यौगिक:- 
    1. CuSO4.5H2O— कॉपर सल्फेट को नीला थोथा (Blue Viterol) या तूतीया कहा जाता है । यह जहरीला होता है जिसके कारण इसका उपयोग फँफूदी नाशी या कवक नाशी तथा शैवाल को नष्ट करने में होता है।
    2. क्यूप्रीक क्लोराइड का इस्तेमाल डीकॉन विधि द्वारा क्लोरीन गैस बनाने में उत्प्रेरक के रूप में होता है।
8. Zn ( जिंक या जस्ता )
वर्ग संख्या - 12
परमाणु संख्या - 30
घनत्व - 7.1g /cm3
आवर्त्त संख्या - 4
परमाणु द्रव्यमान - 65.409
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास- 2, 8, 18, 2
  • जस्ता धातु का निष्कर्षण जिंक ब्लैड अयस्क से किया जाता है।
  • प्रमुख यौगिक:-
    1. ZnSO4 . 7H2O ( जिंक सल्फेट)- इसका उपयोग रंगाई तथा Calico Printing में किया जाता है।
    2. ZnO (जिंक ऑक्साइड) - जिंक ऑक्साइड को फिलॉस्फर ऊल कहते हैं इसका उपयोग मलहम, क्रीम तथा कृत्रिम दाँत बनाने में किया जाता है।
    3. लिथोपोन - ZnS तथा BaSO4 मिश्रण को लियोपोन कहते हैं इसका उपयोग रंगाई के काम में होता है ।
    4. ZnS ( जिंक सल्फाइड) में स्फुरदीप्ती का गुण पाया जाता है जिसके कारण ZnS का प्रयोग सफुरदीप्ती पर्दा बनाने में होता है।
    5. Zn3P2 - (जिंक फस्फॉइड) — Zn3P2 का उपयोग चूहा - विष बनाने में होता है।
    6. ZnCl2 ( जिंक क्लोराइड ) - जिंक क्लोराइड का इस्तेमाल लकडत्री को कीड़ो तथा दीमक से बचाने हेतु लकड़ी पर लेप लगाने में कया जाता है।
    7. लोहे को संक्षारण से बचाने हेतु लोहे पर Zn की परत चढ़ाया जाता है। यह प्रक्रिया गैल्वेनाइजिंग या यशदलेपन कहलाता है ।
9. Ag (चांदि)
वर्ग संख्या - 11
परमाणु संख्या - 47
घनत्व- 10.5 g/cm3
आवर्त्त संख्या - 5
परमाणु द्रव्यमान – 107.863
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास- 2, 8, 18, 18, 1
  • चांदि का निष्कर्षण अर्जेण्टाइट अयस्क से मैक् आर्थर साइनाइड विधि द्वारा किया जाता है।
  • चांदि का उपयोग व्यापक रूप से आभूषण बनाने में तथा दांतों के छिद्र को भरने में किया जाता है ।
  • चांदि के आभूषण वायु के सल्फर से प्रतिक्रिया कर सिल्वर सल्फाइड बनाता है जिसके कारण चांदि के आभूषण या बर्तन कुछ समय बाद काले पर जाते हैं।
  • प्रमुख यौगिकः—
    1. AgCH सिल्वर क्लोराइड को हॉर्न सिल्वर भी कहते हैं इसका उपयोग फोटोक्रोमिक काँच बनाने में किया जाता है ।
    2. AgBr - सिल्वर ब्रोमाइड का उपयोग फोटोग्राफीक प्लेट बनाने में होता है ।
    3. AgI - सिल्वर आयोडाइड का उपयोग कृत्रिम वर्षा कराने में होता है।
    4. AgNO3- सिल्वर नाइट्रेट का उपयोग मतदान की स्याही बनाने में होता है। AgNO3 को लूनर कॉस्टिक भी कहते हैं ।
10. Au (सोना)
वर्ग संख्या - 11
परमाणु संख्या - 79
घनत्व - 19.32 g / cm3
आवर्त्त संख्या -6
परमाणु द्रव्यमान -196.97
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास- 2, 8, 18, 32, 18, 1
  • सोना का निष्कर्षण मुख्य रूप से केलावेराइट तथा सिल्वेनाइट अयस्क से किया जाता है। I
  • सोना को धातुओं का राजा कहा जाता है। यह सबसे अधावर्ध्य और तन्य धातु है ।
  • शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है जो बहुत ही मुलायम होता है। आभूषण बनाने हेतु प्रायः 22 कैरेट सोना का इस्तेमाल होता है ।
  • सोना के यौगिक - AuCl3 (ऑरिक क्लोराइड) का उपयोग सर्फ विषरोधी सूई बनाने में होता है।
11. Hg (पारा)
वर्ग संख्या - 12
परमाणु संख्या - 80
घनत्व - 13.56g/cm3
आवर्त्त संख्या - 6
परमाणु द्रव्यमान - 200.59
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास- 2, 8, 18, 32, 18, 2
  • पारा का निष्कर्षण सिनेबार (HgS) अयस्क से किया जाता है। पारा एक मात्र धातु है जो द्रव अवस्था में पायी जाती है। चांदि के समान चमकदार होने के कारण पारा को Quick Silver भी कहा जाता है।
  • पारा को चर्बी अथवा चीनी के साथ मिलाकर खूब जोर-जोर से हिलाने पर पारा भूरे रंग के चूर्ण में बदल जाता है। इस प्रक्रिया पारा का मृत की करण (Deadth of Mercury) कहते है ।
  • पारा सभी धातु के साथ मिलकर अमलगम बनाता है। पारा लोहा के साथ मिलकर अमलगम नहीं बनाता है, इस कारण पारा का भंडार लोहे के बने पात्र में किया जाता है ।
  • पारा के प्रमुख यौगिकः-
    1. Hg2Cl2 (मरक्यूरस क्लोराइड ) - मरक्यूरस क्लोराइड का उपयोग बैटरी के इलेक्ट्रोड बनाने में होता है।
    2. HgCl2 (मरक्यूरिक क्लोराइड ) - मरक्यूरिक क्लोराइड को कोरोसीव सब्लिमेंट भी कहा जाता है। HgCl2 एक भयंकर विष है। इस यौगिक का इस्तेमाल कीटाणुनाशक तथा सर्जीकल उपकरण को साफ करने में किया जाता है।
    3. Hgs (मरक्यूरिक सल्फाइड) - मरक्यूरिक सल्फाइड लाल रंग का होता है। इसका उपयोग सिन्दूर बनाने में किया जाता है।
12. Pb (सीसा) या (लेड)
वर्ग संख्या – 14 
परमाणु संख्या - 82
घनत्व - 11.34 g / cm3
आवर्त्त संख्या - 6
परमाणु द्रव्यमान - 207.2
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - 2, 8, 18, 32, 18, 4
  • सीसा का निष्कर्षण मुख्य रूप से गैलना (PbS) अयस्क किया जाता है। गैलना में लगभग 86% अधिक लेड पाया जाता है।
  • सीसा सर्वाधिक स्थायी धातु है । यह ताप तथा विद्युत का कुचालक |
  • धातु-जगत में सीसा तथा जस्ता को जुड़वाँ धातु कहा जाता है, क्योंकि दोनों भू-पटल पर प्रायः साथ-साथ पाये जाते हैं।
  • रेडियो एक्टीव पदार्थ को सीसा से बने पात्र में रखा जाता है क्योंकि सीसा रेडियो एक्टीव विकिरण को अवशोषित करता है ।
  • सीसा के प्रमुख यौगिकः-
    1. Pb(OH)2 (लेड हाइड्रॉक्साइड) - सीसा सामान्य जल के साथ कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है, परन्तु सीसा ऑक्सीजन युक्त जल से प्रतिक्रिया कर Pb(OH)2 बनाता है जो बिषैला होता है। इस कारण से पीने वाले जल के पाइप सीसा के नहीं बनाये जाते हैं।
    2. PbO (लेड ऑक्साइड) - लेड ऑक्साइड को लिथार्ज कहा जाता । PbO का उपयोग सीसा संचालक सेल के निर्माण में रबड़ उद्योग में, काँच उद्योग में होता है।
    3. PbO2 (लेड-डाइआक्साइड) - लेड डाईऑक्साइड का उपयोग दिया सलाई उद्योग में होता है।
    4. Pb3O3 (ट्राइप्लम्बिक टेट्रऑक्साइड) - Pb3O4 को Red lead कहा जाता है इसका उपयोग लाल रंग के पेन्ट बनाने में किया जाता है ।
मिश्र धातु (Alloys)
  • दो या अधिक धातु अथवा एक धातु एवं एक अधातु के समांगी मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं।
  • मिश्रधातु अपने अवयवी धातु के तुलना में कठोर होते हैं, परन्तु मिश्रधातु की अधातवर्द्धनीयता तथा तन्यता धातु के तुलना में कम होता है ।
  • मिश्रधातु का द्रवणांक तथा विद्युत चालकता अवयवी धातु के तुलना में कम होता है।
  • मिश्रधातु संक्षारण - अवरोधक होते हैं।
  • मिश्रधातु का अगर एक अवयव पारा है तो उसे अमलगम कहते हैं।

प्रमुख मिश्रधातु

1. इस्पात (Steel)
  • इस्पात मुख्यतः रूप लोहा तथा कार्बन का मिश्रधातु इस्पात का निर्माण बेसेमर विधि द्वारा किया जाता है।
  • इस्पात में कार्बन की मात्रा की मात्रा 0.1 से 1.5 तक होती है ।
  • कठोर इस्पात में कार्बन की मात्रा 0.5 से 1.5 तक होता है। कठोर इस्पात को अगर 1123K ताप पर गर्म कर ठंडा जल में कुछ देर डूबा देते हैं तो इस्पात और ज्यादा कठोर हो जाता है इस विधि को शमन विधि ( quenching) कहते हैं ।
  • अगर शमित इस्पात को पुनः गर्म कर धीरे-धीरे ठंडा होने देते हैं तो इस्पात लचीला तथा कम भंगुर हो जाता है। इस विधि को टेम्परी (Tempering) कहते हैं ।
  • अगर इस्पत को रक्त-तत्प लाल कर पुनः धीरे-धीरे ठंडा करते हैं तो इस विधि को अनीलीकरण (annealing) कहते हैं । अनीलीकरण के बाद इस्पात काफी Soft (मृदु) जाता है।
  • विभिन्न प्रकार के इस्पातः-
    1. मैग्नीज इस्पातः- इस इस्पात में 7-20% तक मैंगनीज होता है। यह इस्पात अत्यंत ही कठोर होता है, इसका इस्तेमाल हेलमेट बनाने में, पत्थर काटने वाले यंत्र बनाने में किया जाता है I
    2. क्रोमियम एवं निकैल इस्पातः- इस इस्पात क्रोमियम अथवा निकैल अथवा दोनों के कुछ प्रतिशत भाग विद्यमान रहते हैं। इस इस्पात का उपयोग हवाई जहाज, मोटर कार, बाइसाइकिल के पूर्जे बनाने में किया जाता है।
      • अगर इस्पत में 36% निकैल होता है तो इस इस्पात से वैज्ञानिक उपकरा बनाये जाते हैं।
      • अगर इस्पात में 46% निकैल है तो इस इस्पात से लैम्प बल्व तथा रेडियो बाल्व बनाये जाते हैं।
    3. कोबाल्ट इस्पातः– इस इस्पात में 35% तक कोबाल्ट पाया जाता है। इस प्रकार के इस्पात का इस्तेमाल विद्युत चुंबक बनाने में किया जाता है।
    4. सिलिका इस्पातः- इस इस्पात में 35% तक सिलिका होता है। इस इस्पात का उपयोग ट्रासफॉर्मर तथा विद्युत चुंबक बनाने में किया जाता है।
      • 15% सिलका युक्त इस्पात अम्ल प्रतिरोधी होता है जिसके कारण इस इस्पात से अम्ल के परिवहन तथा ढुलाई हेतु बॉक्स बनाये जाते हैं।
    5. टंगस्टन इस्पातः- इस इस्पात में 15-20% टंगस्टन, कुछ में वैनेडियम तथा 5% क्रोमियम होता है। इस इस्पात से उच्च वेग से चलने वाला मशीन, drilling tools (छेद करने वाला उपकरण) बनाये जाते हैं।
    6. जंगरोधी इस्पातः- जंगरोधी इस्पात में 18% क्रोमियम एवं निकैल होता है। इस इस्पात में जंग नहीं लगता है, इससे विभिन्न प्रकार के घरेलू बर्त्तन बनाये जाते हैं।
2. पीतल
  • पीतल कॉपर तथा जिंक का मिश्र धातु है। यह अघातवधर्यनीय, मजबूत एवं संक्षारण प्ररितोधी होता है। इससे वर्त्तन, स्क्रू नट-बोल्ट बनाये जाते हैं।
3. कांसा
  • कांसा कॉपर तथा टीन का मिश्रधातु है। यह अत्यंत शक्तिशाली तथा संक्षारण प्रतिरोधी होता है। इसका उपयोग मूर्ति, सिक्का, पदक, आदि के निर्माण में किया जाता है।
4. डूरै लूमिन
  • डूरैलूमिन मुख्य रूप से ऐलुमिनियम तथा कॉपर का मिश्रधातु है तथा अल्प मात्रा में इसमें मैग्नीशियम और मैगनीज मिले होते हैं। यह हल्का शक्तिशाली एवं संक्षारण प्रतिरोधी होता है। इसका उपयोग वायुयान तथा प्रेशर कुकर बनाने में होता है ।
5. मैग्नेलियम
  • यह ऐलुमिनियम तथा मैग्नीशिय का मिश्र धातु है । यह अत्यंत हल्का तथा कठोर होता है। तराजू जैसे हल्के तथा मजबूत उपकरण मैग्नेलियम से बनाये जाते हैं।
6. जर्मन सिल्वर
  • जर्मन सिल्वर तांबा, जस्ता तथा निकेल का मिश्रधातु है । इस मिश्रधातु का निर्माण पहली बार जर्मनी में हुआ था एवं ह दिखने में हू - बहू चांदि जैसा लगता है जिसके कारण इसे जर्मन सिल्वर कहते हैं ।
7. एल्निको
  • एल्निको मिश्रधातु की खोज जापान के मिसिमा (Mishima) ने किया था। इस मिश्रधातु में 57% लोहा, 29% निकेल तथा 14% एल्यूमिनियम होता है। इस मिश्रधातु का उपयोग स्थायी चुंबक बनाने में किया जाता है।
  • आधुनिक समय में स्थायी चुंबक का निर्माण टीनकोनल मिश्रधातु में टिटेनियम, कोबाल्ट निकेल तथा ऐल्युमिनियम रहता है । 
8. सोल्डर
  • सोल्डर टीन तथा सीसा का मिश्रधातु है । इसका उपयोग विद्युत फ्यूज बनाने में किया जाता है।

सीमेंट (Cement )

  • सीमेंट धूसर रंग का चूर्ण है। इसको जब जल के साथ मिश्रित करके छोड़ देते हैं तो कुछ ही घंटों में यह शक्तिशाली ठोस रूप में बदल जाता है ।
  • सीमेंट का पता सबसे पहले इंग्लैण्ड निवासी जोसेफ आस्पडिन (Joseph Aspdin) ने लगाया था तथा उन्होंने इसका नाम पोर्टलैण्ड ३ सीमेंट रखा, क्योंकि यह सीमेंट पोर्टलैण्ड में मिलने वाले चूना पत्थर से काफी मिलता था ।
  • औद्योगिक रूप से तैयार होने वाले सीमेंट में निम्न अवयव पाये जाते हैं-
    CaO - 60-70%
    SiO2 - 20-25%
    Al2O3 - 5-10%
    Fe2O3 - 2-3%
  • सीमेंट बनाने में कच्चा पदार्थ के रूप चूना पत्थर तथा चिकनी मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। चूना पत्थर से कैल्शीयम ऑक्साइड (CaO) तथा चिकनी मिट्टी से सिलिका (SiO2), ऐलुमिना (Al2O3) तथा फेरिक ऑक्साइड (Fe2O3) की प्राप्ति होती है ।
  • सीमेंट बनाने में चूना-पत्थर तथा चिकनी मिट्टी को बारीक चूर्ण बनाकर 3 : 1 के अनुपात में लिया जाता है और इस मिश्रण को भट्ठी में 1773K ताप पर गर्म किया जाता है फलस्वरूप सीमेंट का निर्माण होता है।
  • सीमेंट में तुरंत जमकर ठोस बन जाने का गुण होता है। सीमेंट के जमने की प्रक्रिया को धीमी करने हेतु सीमेंट में 2–5% तक जिप्सम (CuSO4.2H2O) मिलाया जाता है।
  • कंक्रीट (Concrete)- सीमेंट, बालू तथा पत्थर के टुकड़े के मिश्रण को कंक्रीट कहते हैं। इसका इस्तेमाल इमारत, पुल, बांध बनाने में किया जाता है।
  • प्रबलित कंक्रीट सीमेंट (Reinforced concrete cement or R.C.C.) जब इस्पात की छड़ को गीले कंक्रीट में डाला जाता है, तो जैसे-जैसे कंक्रीट जमता है, यह अत्यंत प्रबल और कठोर हो जाता है, जिसे R. C. C. का इस्तेमाल गटर, पाइप, मजबूत दिवार बनाने में किया जाता है।

कांच (Glass)

  • कांच का निर्माण सर्वप्रथम मिस्र में हुआ था। इस आधार पर यह भी कहा जाता है कि रसायन विज्ञान का प्रारंभ भी मिस्र से हुआ।
  • काँच एक प्रकार अक्रिस्टलीय ठोस मिश्रण है। सामान्य कांच का रसायनिक सूत्र - Na2O. CaO.6SiO2 होता है।
  • कांच बनाने हेतु सबसे पहले सोडियम कर्बोनेट, कैल्शीयम कार्बोनेट तथा बालू के मिश्रण का चूर्ण बनाया जाता है। इस मिश्रण को बै कहते हैं।
  • पुनः बैच में क्यूलेट (अर्द्धनिर्मित कांच के टुकड़े) मिलाते हैं ताकि बैच का गलनांक घट जाये ।
  • इसके बाद बैच और क्यूलेट के मिश्रण को भट्टी में 1673K ताप पर गर्म करते हैं जिससे भट्ठी में निम्न रसायनिक अभिक्रिया होती है ।

  • कांच सोडियम सिलिकेट तथा कैल्शीयम सिलिकेट का ही मिश्रण है ।
  • भट्ठी से कांच द्रवरूप में निकलता है जिसे अगर तीव्र गति से ठंडा किया जाए तो कांच भंगुर हो जाता है और धीमी गति से ठंडा किया जाए तो कांच अपारदर्शी हो जाता है। अतः भट्ठी से निकेल द्रव कांच को मध्यम गति से ठंडा किया जाता है। यह विधि अनीलीकरण (Annealing) कहलाता है। अनीलीकृत काँच को अतिशितित द्रव भी कहते हैं।
  • कांच के विभिन्न प्रकारः-
    1. सोडा कांच— इसे मृदु कांच भी कहते हैं । यह कांच सोडा क्षार, बालू और चूना पत्थर से बनाया जाता है। सोडा कांच निम्न कोटी का सस्ता कांच है। यह भंगुर होता है तथा तापमान में एकाएक परिवर्तन से इसमें दरारे आ जाती है।
    2. कठोर कांच- कठोर कांच पोटाशियम कार्बोनेट एवं चूना पत्थर से बनाया जाता है। यह कांच अम्ल प्रतिरोधी होता है। फिल्ट कांच इसी श्रेणी का कांच है।
    3. सीसा क्रिस्टल कांच - इस प्रकार कांच पोटाशियम कार्बोनेट, लेड ऑक्साइड और बालू से बनाया जाता है। इस कांच का अपवर्त्तनांक ऊँचा होता है, जिससे यह काफी झिलमिलाहट उत्पन्न करता है। मंहगे कांच के उपकरण में यही कांच होता है I
    4. पाइरेक्स काँच - यह कांच बालू, चूना, बोरेक्स और क्षार कार्बोनेट के मिश्रण से बनाया जाता है। इस कांच को बोरोसिलिकेट कांच भी कहते हैं। यह कांच रसायनिक पदार्थों से प्रायः अभिक्रिया नहीं करता है और अधिक ताप को भी सहन कर सकता है। इस कांच से प्रयोगशाला के उपकरण फॉर्मास्यूटिकल पात्र बनाये जाते हैं ।
    5. प्रकाशीय कांच - इस कांच को इस प्रकार से बनाया जाता है कि कांच में जरा सा भी विकृति अथवा त्रुटि न रहे। इस कांच से सूक्ष्मदर्शी, दूरदर्शी कैमरा, चश्मा के लेंस बनाये जाते हैं।
      • क्रुक्स कांच से धूप चश्मा का लेंस तथा क्राउन कांच से चश्मा का लेंस बनाया जाता है ।
    6. फोटोक्रोमिक कांच- यह कांच सिल्वर ब्रोमाइड की उपस्थिति के कारण धूप में स्वतः काला हो जाता है। धूप चश्मे बनाने में इस्तेमाल होता है।
    7. सुरक्षा कांच (Safety Glass ) - यह कांच में कांच के दो परत के बीच एक पारदर्शी प्लैस्टीक की परत होती है । साधारण अघात से इस कांच पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस कांच से bullet proof समान बनाये जाते हैं।
    8. रेशा कांच (Glass Fibres ) – Glass Fibre बनाने हेतु द्रवित कांच को प्लैटिनम धातु के बने पात्र में डाला जाता है। प्लैटिनम  धातु के पात्र अतिसूक्ष्म छिद्र बने होते हैं, इसी छिद्र से द्रवित कांच को तीव्र गति से खींचा जाता है जिससे Gass Fibre बनत है। Glass - Fibres को कांच की रूई भी कहते है, यह उष्मा रोधी होता है। इस कांच का उपयोग उष्मा रोधी के रूप में ऑप्टिकलफाईबर बनाने में होता है।
    9. रंगीन कांच - कांच में विभिन्न प्रकार के धातु के ऑक्साइड मिलाकर विभिन्न रंगों के कांच बनाये जाते हैं। कांच में रंग देने वाले प्रमुख धातु के ऑकसाइड-
      फेरिक ऑक्साइड भूरा कांच
      क्रोमिक ऑक्साइड हरा कांच
       मैंगनीज - डाइऑक्साइड लाल कांच
      कोबाल्ट ऑक्साइड नीला कांच
  • रंगीन कांच का उपयोग कृत्रिम रत्न, खिड़की का शीशा तथा अन्य सजावटी समान बनाये जाते हैं।

अभ्यास प्रश्न

1. प्रकृति में विद्यमान सभी धातुएँ हैं-
(a) तत्व
(b) यौगिक
(c) मिश्रण
(d ) तत्व या यौगिक
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. धातु तथा अधातु तत्व के अलग-अलग प्रकार है।
2. धातु तत्व है लेकिन अधातु यौगिक है।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2
3. निम्नलिखित में कौन-सा एक सही नहीं है ?
(a) अब तक ज्ञात तत्वों में अधिकांश तत्व धातु है।
(b) अधातुओं की कुल संख्या मात्र 22 है।
(c) कुछ तत्व एसे हैं जिनमें धातु तथा अधातु दोनों के गुण विद्यमान हैं।
(d) इनमें से कोई नहीं
4. धातु के परमाणु की बाद्धतम कक्षा में साधारणतः कितने इलेक्ट्रॉन रहते हैं ?
(a) केवल 1
(b) 1 अथवा 2
(c) 1, 2 अथवा 3
(d) 4
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. धातुएँ विद्युत धनात्मक होती है।
2. धातुएँ अपने संयोजी इलेक्ट्रॉन को त्यागकर धनायन में परिवर्तित हो सकते हैं।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2
6. धातुओं को हथौड़ों से पीट-पीटकर चादरों के शक्ल में परिवर्तित किया जा सकता है, धातु में विद्यमान इस गुण को क्या कहते हैं ?
(a) तन्यता
(b) आघातवर्धनीयता
(c) चालकता
(d) विसरण
7. निम्नलिखित में से कौन से धातु के जोड़े सर्वाधिक आघातवर्ध्य होते हैं ?
(a) सोना एवं सीसा
(b) चांदी एवं तांबा
(c) सोना एवं क्रोमियम
(d) सोना एवं चांदी
8. निम्नलिखित कथनों में कौन-सा एक सही है ?
(a) धातु आघातवर्धनीय होते हैं तथा अधातु तन्य होते हैं।
(b) धातु आघातवर्धनीय होते हैं लेकिन उसमें तन्यता के गुण का अभाव रहता है।
(c) अधातु तन्य होते हैं परन्तु इसमें आघातवर्धनीयता के गुण का अभाव रहता है।
(d) सभी धातुएँ एकसमान न तो तन्य होते हैं और न ही आघातवर्धनीय
9. निम्नलिखित में किस धातु का द्रवणांक या गलनांक न्यूनतम है ?
(a) सिल्वर
(b) सोडियम
(c) पोटैशियम
(d) गैलियम
10. निम्नलिखित धातु के जोड़े में कौन एक कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में पाये जाते हैं ?
(a) जिंक एवं लोहा
(b) गैलियम एवं सीजियम
(c) सोडियम एवं पोटैशियम
(d) कॉपर एवं सिल्वर
11. निम्नलिखित में कौन-सा कथन सही नहीं है ?
(a) धातुएँ उष्मा एवं विद्युत की सुचालक होती है।
(b) धातुओं के द्रवणांक तथा क्वथनांक अधातुओं के तुलना उच्च होते हैं।
(c) सभी धातुएँ कठोर (Hard) होती है एवं धातुओं की कठोरता एक समान होती है।
(d) ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है परंतु यह धातु नहीं है।
12. निम्नलिखित में किस धातु को चाकू से काटा जा सकता है ?
(a) सोडियम
(b) पोटैशियम
(c) लोहा
(d) A तथा B
13. निम्नलिखित में किस धातु का घनत्व निम्नतम है ?
(a) पोटैशियम
(b) मैग्नीशियम
(c) ऐलुमिनियम
(d) गोल्ड
14. निम्नलिखित में द्विधर्मी ऑक्साइड (Amphoteric Oxides) है-
(a) Al2O3
(b) ZnO
(c) PbO
(d) इनमें से सभी
15. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. धातु के ऑक्साइड अम्लीय होते हैं।
2. कुछ धातु के ऑक्साइड अम्लीय एवं भास्मिक (Basic) दोनों होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2
16. निम्नलिखित में कौन-सा एक ऑक्सीजन के प्रति धातुओं की क्रियाशीलता का सही क्रम है ?
(a) Na > Mg > Zn > Cu
(b) Mg > Na > Zn > Cu
(c) Na > Zn > Mg > Cu 
(d) Na > Cu > Zn > Mg
17. सोडियम एवं पोटैशियम को किरोसीन के अंदर या निर्वात में ही रखा जाता है। क्यों-
(a) ये धातु किरोसीन या निर्वात में ठोस अवस्था में रहते हैं।
(b) वायु में इन्हें खुला छोड़ने पर जलने लगता है।
(c) धातु काफी हल्की होती है।
(d) इस धातु का घनत्व बहुत कम होता है।
18. गर्म जल के टंकी के निर्माण में निम्नलिखित में किस धातु का उपयोग किया जाता है ?
(a) तांबा
(b) लोहा
(c) इस्पात
(d) इनमें से सभी
19. निम्नलिखित में किस अम्ल के साथ अभिक्रिया होने पर धातु हाइड्रोजन गैस मुक्त नहीं करती है ?
(a) HCl
(b) H2SO4
(c) HNO3
(d) इनमें से सभी
20. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए -
1. सभी अयस्क, खनिज होते हैं।
2. सभी खनिज, अयस्क नहीं होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से कथन सही है / हैं
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2
21. पृथ्वी के परत से प्राप्त अयस्क में मिले अवांछनीय पदार्थ को क्या कहते हैं। ?
(a) गैंग
(b) गालक (Flux)
(c) धातुमल ( Slag )
(d) अशुद्धि
22. निस्पातन तथा भर्जन ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा-
(a) अयस्क के अशुद्धि (गैंग ) को दूर किया जाता है।
(b) धातु को उसके ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।
(c) धातु के ऑक्साइड को कोक मिलाकर गर्म किया जाता है।
(d) धातु को उसके अयस्क में परिवर्तित किया जाता है।
23. निम्नलिखित में किस शर्तों को पूरा करने पर किसी खनिज की अयस्क कहा जाता है-
(a) खनिज से धातु का निष्कर्षण कम खर्च में होना ।
(b) धातु का निष्कर्षण सुगमता से होना
(c) खनिज में धातु की प्रतिशत मात्रा अधिक होना
(d) इनमें से सभी
24. वे तत्व जो इलेक्ट्रॉन का त्याग कर धनायन का निर्माण करते हैं तथा कहलाते हैं ? 
(a) धातु
(b) अधातु
(c) उपधातु 
(d) इनमें से सभी
25. निम्नलिखित में किस धातु को सामरिक धातुओं (Strategic Metals) की श्रेणी में रखा जाता है ?
(a) टाइटेनियम (Ti)
(b) क्रोमियम (Cr)
(c) जारकोनियम (Zr)
(d) इनमें से सभी
26. निम्नलिखित में किस धातु में तन्यता (Ductility) का गुण नहीं होता है ?
(a) सोना
(b) चांदी
(c) विस्मथ
(d) तांबा
27. निम्नलिखित में कौन धातु तनु अम्लों से H2 विस्थापित करेगा ?
(a) Mg
(b) Ag
(c) Cu
(d) इनमें से सभी
28. धातुओं के रसायनिक गुणों से संदर्भ में निम्नलिखित में कौन-सा एक सही नहीं है ?
(a) धातुओं की प्रवृत्ति इलेक्ट्रॉन खोने की होती है।
(b) धातुओं के आयनन विभव का मान कम होता है।
(c) धातु एक अच्छे ऑक्सीकारक होते हैं।
(d) धातुओं के ऑक्साइड प्रायः क्षारीय या एम्फोटैरिक होते हैं।
29. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए -
1. Ag, Pt तथा Cu प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में पाये जाने वाले धातु हैं क्योंकि ये कम क्रियाशील है।
2. K, Na, Ca, Mg काफी क्रियाशील है अतः ये स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकते हैं।
3. मध्यम अभिक्रियाशील धातु जैसे Al, Zn, Fe, Pb भू-पर्पटी पर मुख्यतः ऑक्साइड, सल्फाइड अथवा कार्बोनेट के रूप में पाये जाते हैं।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
30. अयस्क में मिले अशुद्धि (गैंग ) को दूर करने के लिए अयस्क के साथ मिश्रीत किये गये बाह्य पदार्थ को क्या कहते हैं ?
(a) गैंग
(b) फ्लस्क
(c) स्लैग
(d) धात्विकी
31. ऑक्साइड अयस्कों की समृद्धि (Enrichment) हेतु साधारणतः किस विधि का प्रयोग किया जाता है ? 
(a) द्रवचालित धुलाई
(b) फेन प्लवन विधि
(c) विद्युत चुम्बकीय पृथक्करण
(d) रसायनिक पृथक्करण
32. बेयर विधि का उपयोग किस अयस्क के सांद्रण में किया जाता है ?
(a) हेमाटाइट
(b) क्रोमाइट
(c) पाइरोलुसाइट
(d) बॉक्साइड
33. सल्फाइड अयस्क को वायु पर्याप्त मात्रा में तीव्रता से गर्म कर धातु को ऑक्साइड में परिवर्तित करने की प्रक्रिया क्या कहलाता है ?
(a) निस्तापन
(b) भर्जन या जारण
(c) प्रगलन
(d) इनमें से कोई नहीं
34. धातु के ऑक्साइड को कोक के साथ गर्म करके उसे धातु में परिवर्तित करने की प्रक्रिया क्या कहलाता है ? 
(a) निस्तापन 
(b) भर्जन या जारण
(c) प्रगलन
(d) इनमें से कोई नहीं
35. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. निस्तापन, कार्बोनेट एवं हाइड्रेटेड ऑक्साइड अयस्कों को शुद्ध ऑक्साइडों में परिणत करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
2. भर्जन, सल्फाइड अयस्क को शुद्ध ऑक्साइडों में परिणत करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) तो 1 न ही 2
36. सिल्वर तथा गोल्ड धातु का निष्कर्षण किस विधि द्वारा किया जाता है ?
(a ) निक्षालन (Leaching )
(b) चुंबकीय सांद्रण विधि
(c) फेन प्लवन विधि
(d) द्रवचालित धुलाई
37. जर्मेनियम (Ge), सिलिकॉन (Si), बोरॉन (B), इरिडियम (Ir ) जैसे अर्द्धचालकों का शोधन ( Refining) किस विधि द्वारा किया जाता है ?
(a) क्यूपेलीकरण
(b) प्रक्षेत्र शोधन ( Zone Refining)
(c) निस्तापन
(d) वाष्पन अवस्था विधि
38. निक्षालन (Leaching) द्वारा अयस्क को किया जाता है-
(a) ऑक्सीकरण
(b) सांद्रण
(c) अवकरण
(d) जारण या भर्जन
39. निम्नलिखित में कौन-सी धातु उसके अयस्क की अभिक्रिया सोडियम सायनाइड के तनु विलयन से कराकर प्राप्त की जाती है ?
(a) Cu
(b) Zn
(c) Ag
(d) Pt
40. निम्नलिखित में कौन-सी धातु कार्बन द्वारा अवकरण से प्राप्त नहीं की जा सकती है ?
(a) Zn
(b) Hg
(c) Al
(d) Pb
41. निम्नलिखित में किस धातु पर वायु का प्रभाव नहीं पड़ता है ?
(a) सोना
(b) सोडियम 
(c) लोहा
(d) तांबा
42. क्रियाशीलता श्रेणी में हाइड्रोजन से ऊपर वाले धातुएँ-
(a) अम्लों से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन आयन देती है।
(b) अम्लों से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस बनाती है।
(c) जल के साथ साधारण ताप पर ही अभिक्रिया करती है।
(d) इनमें से कोई नहीं 
43. खाद्य पदार्थ रखे जानेवाले कनस्तर पर टिन का लेप चढ़ाया जाता है, जस्ता का लेप नहीं, क्योंकि-
(a) जस्ता टिन से अधिक महँगा होता है।
(b) जस्ता का द्रवणांक टिन से अधिक होता है।
(c) जस्ता टिन से अधिक क्रियाशील होता है।
(d) जस्ता टिन से कम क्रियाशील होता है।
44. जिस अयस्क में उसके कण उसमें उपस्थित अपद्रव्यों से भारी होते हैं, उसे निम्नलिखित में किस विधि से सांद्रित किया जाता है ?
(a) फन प्लवन
(b) गुरूत्व पृथक्करण
(c) गलनिक पृथक्करण
(d) चुंबकीय पृथक्करण
45. निम्नलिखित में कौन धातु तनु नाइट्रीक अम्ल से अभिक्रिया गैस मुक्त कर सकती है ? 
(a) Fe
(b) Na
(c) Mn
(d) Au
46. निम्नलिखित क्रमों में कौन-सा क्रम धातुओं के क्रियाशील का सही क्रम प्रदर्शित करता है ?
(a) Mg > Na > Zn > Cu > Fe
(b)_Zn > Mg > Na > Cu > Fe
(c) Na > Mg > Zn > Fe > Cu
(d) Na > Zn > Mg > Fe > Cu
47. निम्नलिखित में कौन-सा धातु ऐम्फोटेरिक ऑक्साइड बनाती है ?
(a) कॉपर
(b) आयरन
(c) ऐलुमिनियम
(d) लेड
48. निम्नलिखित में से कौन-सी धातु ठंडे और गर्म जल से अभिक्रिया नहीं करती है ?
(a) Mg
(b) K
(c) Ca
(d) Fe
49. वैसे अयस्क, जिसमें अयस्क और उसमें उपस्थित अपद्रव्यों (गैंग) के रसायनिक गुण भिन्न-भिन्न है, किस विधि द्वारा सांद्रित किये जाते हैं ?
(a) हाथ से चुनकर
(b) फेन प्लवन विधि
(c) गुरूत्व पृथक्करण विधि
(d) निक्षालन विधि
50. निम्नलिखित में कौन-सा कथन भर्जन या जारण के संबंध में 0 सही नहीं है ?
(a) यह सल्फाइड को ऑक्साइड में परिवर्तित कर देता है।
(b) यह वाष्पशील अपद्रव्यों को दूर कर देता है
(c) यह अयस्क को शुद्ध बना देता है
(d) यह अयस्क को चूर्ण में परिवर्तित कर देता है
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here
]]>
Thu, 25 Apr 2024 15:08:40 +0530 Jaankari Rakho
General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | तत्वों का आवधिक वर्गीकरण https://m.jaankarirakho.com/1021 https://m.jaankarirakho.com/1021 General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | तत्वों का आवधिक वर्गीकरण
क्यों जरूरी है तत्वों का आवर्त्ती वर्गीकरण :
  • अब तक 114 तत्वों की खोज हो चुकी है तथा इन तत्वों के संयोग से लाखों यौगिक का निर्माण हो चुका है अतः यह जानना आवश्यक हो गया है कि ये तत्व किस प्रकार अभिक्रिया करते हैं और उनका गुण किस बात पर निर्भर करता है और यही आवश्यकता तत्व के आवर्ती वर्गीकरण को जन्म दिया ।
  • सर्वप्रथम तत्वों का वर्गीकरण Lavoisier ने धातु तथा अधातु के रूप में किया था परन्तु यह वर्गीकरण ज्यादा दिनों तक मान्य नहीं रहा ।

डोबरेनर (Dobereiner) का त्रिक नियम

  • इस नियम का प्रतिपादन जर्मन के वैज्ञानिक जॉन डोबरेनर ने किया था। उन्होंने रसायनिक दृष्टि से समान तत्वों को तीन-तीन समूह में विभक्त किया और त्रियक नियम की घोषणा की। 
    • डोबरेनर का त्रिक नियम- त्रियक के तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के क्रम में सजाने पर मध्यवर्ती तत्व का परमाणु द्रव्यमान शेष दो तत्वों के परमाणु द्रव्यमान का औसत होता है।
      उदा०-
      1. कैल्शीयम (40) स्ट्रॉशियम ( 87.5) बेरियम ( 137 )
        इस समूह में कैल्शियम तथा बेरियम के परमाणु द्रव्यमान का औसत लगभग में स्ट्राँशियम के बराबर होते हैं।
      2. लिथियम (7), सोडियम ( 23 ), पोटैशियम (39), लिथियम तथा पोटैशियम के परमाणु द्रव्यमान का औसत सोडियम के बराबर है।
      3. क्लोरीन (35.5), ब्रोमीन ( 80 ), आयोडीन (127)
    • डोबरेनर का त्रिक नियम सभी तत्वों पर लागू नहीं होता है अतः वर्गीकरण का यह नियम मान्य नहीं हो पाया।
न्यूलैंड्स (Newlands) का अष्टक नियम-
  • अंग्रेज रसायनज्ञ जॉन न्यूलैंड ने अपने समय तक के सभी तत्वों को परमाणु द्रव्यमान में सजाकर अष्टक नियम दिया जो निम्न प्रकार है-
  • यदि तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु द्रव्यमान के क्रम में सजाया जाए तो किसी भी तत्व से प्रारंभ करने पर आठवें तत्व का गुण पहले तत्व के गुण के समान होते हैं, ठीक उसी तरह जिस तरह संगीत का आठवाँ स्वर पहले के समान ।
  • न्यूलैंड का अष्टक नियम सिर्फ हल्के तत्व कैल्शीयम तक ही लागू होता है बाद के तत्वों पर नहीं अतः यह नियम भी मान्य नहीं हो पाया।
मेंडलीव (Mendeleev) का आवर्त्त नियम
  • तत्वों के वर्गीकरण का पहला सफल प्रयास मेडलीव ने किया। मेंडलीव ने तत्वों के वर्गीकरण की नई प्रणाली विकसित की जो परमाणु द्रव्यमान पर आधारित था ।
  • मेंडलीव का आवर्त नियम- तत्वों के भौतिक एवं रसायनिक गुण उनके परमाणु द्रव्यमान के आवर्त्त फलन होते हैं, या यदि तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमान के क्रम सजाया जाए तो एक निश्चित संख्या बाद समान गुण वाले तत्व आते हैं।
  • मेडलीव के समय कुल 63 तत्व ज्ञात थे मेडलीव ने 1871 में अपने आवर्त्त नियम का उपयोग कर तत्वों की एक सारणी बनायी जो मेंडलीव के आवर्त सारणी कहलाता है ।
  • मेडलीव को आवर्त सारणी के जनक कहते हैं ।
मेडलीव के आवर्त सारणी के प्रमुख विशेषता-
  1. मेंडलीव के आवर्त सारणी के उदग्र स्तंभ को वर्ग कहते हैं जिसकी संख्या 9 है। 9 वर्ग को रोमन में 0 से VIII तक नाम दिया गया 10 तथा वर्ग VIII को छोड़कर सभी वर्ग को दो उपवर्ग A तथा B में बाँटा गया है I 
    • मेंडलीव के आवर्त सारणी के प्रमुख वर्ग एवं उनके समान्य नाम-
      वर्ग सामान्य नाम
      I A क्षारधातु
      II A क्षारीय मृदा धातु
      VI A चालकोजन
      VII A हैलोजन्स
      O अक्रिय गैस
      I B मुद्रा धा
      VIII प्लैटिनम धातु
      III B लँथेनाइड्स 
      III B ऐक्टिनाइड्स
  2. मेडलीव के आवर्त सारणी के क्षैतिज कतार आवर्त्त कहलाता है । सारणी में 1 से लेकर 7 तक कुल 7 आवर्त्त है।
  3. मेंडलीव के आवर्त्त सारणी अध्ययन में काफी सुविधाजनक है। किसी एक वर्ग या उपवर्ग के एक तत्वों के गुणों का अध्ययन कर उस वर्ग या उपवर्ग के अन्य तत्वों के गुणों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
  4. मेंडलीव ने कुछ तत्वों की भविष्यवाणी कर उनके लिए आवर्त्त सारणी में स्थान रिक्त छोड़ दिये थे जो बाद में सही साबित हुआ ।
  5. मेंडलीव के समय कुछ तत्व के परमाणु द्रव्यमान गलत निकाले गये थे। किंतु मेंडलीव ने आवर्त्त सारणी में उस तत्व के अन्य गुणों को ध्यान में रखकर उन्हें उचित स्थान पर रखा। बाद में इसी आवर्त्त सारणी के आधार पर उन तत्वों के ठीक-ठीक परमाणु द्रव्यमान ज्ञात किये गये ।
  6. आवर्त सारणी के किसी वर्ग विशेष के सभी तत्वों की संयोजकता एक ही होती है और आवर्त्त में यह क्रमिक रूप से परिवर्तित होता है।
मेंडलीव के आवर्त सारणी के दोष-
  1. मेडलीव ने कही-कही अपने ही नियम को तोड़ डाला यानि अधिक परमाणु द्रव्व्यमान वाले तत्व के पहले रख दिया गया ।
    उदा०—Ar (39.94) को K (39.10) से पहले रखा गया है। टेल्युरियम (Te-127.5) को आयोडीन (I-126.93) से पहले रखा गया है।
  2. मेंडलीव ने अपने आवर्त्त सारणी में तत्व के समस्थनिक के लिए कोई जगह नहीं छोड़ा है।
  3. आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान विवादित है । हाइड्रोजन का गुण IA के क्षार धातु से मिलता है जिससे हाइड्रोजन को IA में रखा गया है परन्तु हाइड्रोजन का गुण VIIA के हैलोजन से भी मिलता है अतः हाइड्रोजन VII A में भी होनी चाहिए।
  4. मेंडलीव ने कुछ समान गुण वाले तत्व (जैसे- Cu, Hg : Ba, Pb) को अलग अलग वर्ग में रखा है जबकि कुछ असमान गुण वाले तत्व को एक ही वर्ग में रखा गया।
  5. 5. मेंडलीव ने आठवें वर्ग में तीन-तीन तत्व एक साथ रखा है जिससे आवर्त्त सारणी अनियमित हो जाता है।
आधुनिक आवर्त्त सारणी
  • 1911 में मोसले ने इस बात को साबित किया की परमाणु संख्या ही तत्व के मौलिक गुण है न कि परमाणु द्रव्यमान और इस आधार पर नये आवर्त्त नियम का प्रतिपादन किया जिसे आधुनिक आवर्त्त नियम कहते हैं।
  • आधुनिक आवर्त्त नियम- तत्व के भौतिक एवं रसायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांक के आवर्त्त फलन होते हैं, या तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु संख्या में सजाया जाए तो सुनिश्चित अंतराल के बाद नये गुण वाले तत्व आते हैं।
  • तत्व के परमाणु द्रव्यमान के स्थान पर परमाणु संख्या को आवर्त सारणी का आधार मान लेने पर मेंडलीव के आवर्त सारणी का अधिकांश त्रुटि स्वतः समाप्त हो जाती है।
परमाणु संख्या पर आधारित आधुनिक आवर्त सारणी के प्रमुख गुण-
  1. आधुनिक आवर्त सारणी में कुल 7 आवर्त्त हैं जिन्हें 1 से 7 नाम दिया गया है।
    • प्रथम आवर्त्त में H तथा He दो तत्व हैं।
    • दूसरे आवर्त्त में Li (3) से लेकर Ne (10) तक कुल 8 तत्व हैं।
    • तीसरे आवर्त्त में सोडियम (Na-11 ) से लेकर ऑर्गन (Ar-18) तक कुल 8 तत्व हैं।
    • चौथे आवर्त्त में पोटाशियम ( K - 19 ) से लेकर Kr (क्रिप्टॉन - 36 ) तक कुल 18 तत्व है ।
    • पाँचवे आवर्त्त में रूबी डियम (Rb-37) से लेकर जेनॉन (Xe - 54 ) तक कुल 18 तत्व हैं।
    • छठे आवर्त्त में सीजियम ( Cs-55) से लेकर रेडॉन ( Rn - 86 ) तक कुल 32 तत्व है ।
    • सातवें आवर्त में फ्रैंसियम (Fr-87) से प्रारंभ होता है इससे अभी 25 तत्व है। यह आवर्त्त सभी अधूरा है।
  2. पहला तथा दूसरा आवर्त्त Short Periods कहलाता है। जबकि चार तथा उसके बाद के आवर्त्त Long Periods कहते हैं।
  3. आधुनिक आवर्त्त सारणी में कुल 18 वर्ग हैं जिसे 1 से 18 नाम दिया गया है।
    • वर्ग 1 के तत्व को क्षार - धातु (alkali metals) कहते हैं।
    • वर्ग 2 के तत्व को क्षारीय मृदा धातु (alkaline earth metals) कहते हैं।
    • वर्ग 3 से वर्ग 12 तक के तत्व को (Transition elements) (संक्रमण तत्व) कहते हैं ।
    • वर्ग 17 के तत्व nobel gases कहते हैं ।
  4. आवर्त सारणी के नीचे दो कतारों में लैंथेनाइड्स तथा ऐक्टीनाइड्स है। ये वर्ग -3 के सदस्य है।
    • लैंथेनाइड्स के अंतर्गत परमाणु संख्या 57 (La) से लेकर परमाणु संख्या 71 (Lu) तक के तत्व हैं।
    • ऐक्टीनाइड्स में परमाणु संख्या 89 (AC) से लेकर परमाणु संख्या 103 (Lr) तक के तत्व हैं।
  5. आधुनिक आवर्त्त सारणी में तत्व को धातु और अधातु को टेढ़े-मेढ़े लाईन द्वारा पूर्णतः अलग कर दिया गया है। आवर्त सारणी के बायीं तरफ धातु तथा दॉयी तरफ अधातु है । टेढ़े-मेढ़े लाइन के पास जो तत्व है वे उपधातु कहलाते हैं।
    • आवर्त सारणी के उपधातु- बोरॉन, सिलिकन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, ऐंटीमनी, टेल्युरियम, पोलोनियम ।
  6. आवर्त सारण को चार Blocks S, p, d तथा f में बाँटा गया है ।
    • S- block के तत्व - वर्ग 1 तथा वर्ग 2
    • p- block के तत्व - वर्ग 13 तथा वर्ग 18
    • d- block के तत्व - वर्ग 3 तथा वर्ग 12
    • f - block के तत्व - लैंथेनाइड्स तथा ऐक्टीनाड्स
ट्रांसयूरेनिक तत्व (Transuranic elements)
यूरेनियम (U-92) के बाद के तत्व प्रकृति में उपलब्ध नहीं है। यूरेनियम से आगे वाले तत्व प्रयोगशाला में संश्लेषित किये जाते हैं जिसे ट्रांसयूरेनिक तत्व कहते हैं ।
  • यूरेनियम से पहले मात्र दो तत्व - Tc (टेक्नेसियम - 43 ) तथा Pm (प्रोमेथियम - 61) प्रकृतिक नहीं है बाकि सभी तत्व प्रकृति में पाये जाते हैं।
आवर्त सारणी में तत्व के गुणों में परिवर्तन- 
  • वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर तत्वों के गुणों में क्रमिक रूप से परिवर्तन होता है।
  1. एक वर्ग में स्थित सभी तत्व का बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होता है यानि एक वर्ग में उपस्थित सभी परमाणु में संयोजी इलेक्ट्रॉन समान होते हैं ।
    उदा० - वर्ग-1 के सभी तत्व के संयोजी इलेक्ट्रॉन 1 है तथा वर्ग-17 के सभी तत्व में 7 संयोजी इलेक्ट्रॉन है ।
  2. किसी वर्ग के सभी तत्वों की संयोजकता समान होती है।
    उदा० - वर्ग-1 के तत्व की संयोजकता 1 है तथा वर्ग-2 की तत्वों की संयोजकता 2 है।
  3. वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर परमाणु का आकार बढ़ते जाता है क्योंकि प्रत्येक तत्व के बाद वाले तत्व में इलेक्ट्रॉन का एक नया शेल बनता है।
  4. आवर्त्त सारणी में वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर आयनन ऊर्जा का मान घटते जाता है तथा विद्युत धनात्मक गुण बढ़ते जाता है।
    • आयनन ऊर्जा- किसी गैसीय परमाणु में सबसे कमजोर बल से बँधे इलेक्ट्रॉन को निष्कासित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा आयनन ऊर्जा कहलाती हैं।
  5. वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर तत्वों के धातुई गुण बढ़ते जाता है ।
  6. वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर तत्वों की विद्युत ऋणात्मकता घटती जाती है।
    उदा० - वर्ग-17 में फ्लोरीन सबसे अधिक विद्युत ऋणात्मक है तथा आयोडीन सबसे कम ।
    • विद्युत ऋणात्मकता - सहसंयोजक बंधन से जुड़े इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर आकर्षित करने की परमाणु की क्षमता को उसकी विद्युत ऋणात्मकता कहते हैं ।
  7. वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर धातुओं की क्रियशीलता बढ़ती है तथा अधातु की क्रियशीलता घटती जाती है।
    उदा०- 1. वर्ग -1 के तत्वों की क्रियाशीलता
                  Li < Na < K < Rn < Cs < Fr
              2. वर्ग -17 के तत्वों की क्रियाशीलता
                  F > Cl > Br > I
आवर्त्त में बॉये से दाँये जाने पर तत्वों के गुणों में परिवर्तन
  1. आवर्त्त में बॉये से दॉये जाने पर संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या क्रमशः 1 से 8 तक बढ़ती है। प्रथम आवर्त्त में यह वृद्धि सिर्फ 1 से 2 तक होती है।
  2. एक ही आवर्त्त में तत्वों की संयोजकता भिन्न-भिन्न होती है।
  3. किसी आवर्त्त में बॉये से दॉये जाने पर तत्वों के परमाणु के आकार घटे जाते हैं ।
  4. आवर्त्त में बॉये से दाँये जाने पर तत्वों के धातुई गुण घटते जाते हैं ।
  5. आवर्त्त में बॉये से दाँये जाने पर तत्वों की आयनन ऊर्जा क्रमशः बढ़ती जाती है तथा तत्वों की विद्युत ऋणात्मकता का गुण बढ़ते जाते हैं ।
  6. आवर्त सारणी में बॉये से दॉये जाने पर तत्वों के ऑक्साइड की प्रकृति क्षारीय से अम्लीय हो जाता है।
आवर्त सारणी से संबंधित याद रखने वाले तथ्य-
  1. अभी तक ज्ञात कुल तत्व - 114
  2. प्रकृति में प्राप्त तत्वों की संख्या - 88
  3. कृत्रिम तत्व की संख्या - 21
  4. धता तत्व की संख्या- 87
  5. अधातु की संख्या - 22
  6. पृथ्वी पर सबसे अधिक पाया जाने वाला तत्व- ऑक्सीजन (46.3%)
  7. पृथ्वी पर पाये जाने वाली सबसे अधिक मात्रा धातु तत्व- ऐलुमिनियम
  8. सबसे हल्का तत्व- हाइड्रोजन
  9. सबसे भारी तत्व - ऑस्मियम (Os)
  10. सबसे हल्का धातु तत्व - लीथियम
  11. द्रव अवस्था में पाये जाने वाला तत्व - मरकरी (Hg)
  12. द्रव अवस्था में पाये जाने वाला अधातु तत्व- ब्रोमीन
  13. अधातु जो विद्युत का चालक है- ग्रेफाइट
  14. विद्युत का सबसे अच्छा सुचालक तत्व - चाँदि (Ag)
  15. सबसे अधिक अघातवर्धनीय तत्व - सोना
  16. सबसे अधिक क्रियाशील अधातु तत्व - फ्लोरीन
  17. सबसे अधिक क्रियाशील धातु तत्व - सीजियम (Cs) 
  18. तत्व जिसकी विद्युत ऋणात्मकता का मान सबसे अधिक है - फ्लोरीन । 
  19. सबसे प्रबल ऑक्सीकारक - फ्लोरीन ।
  20. जलीय विलयन में सबसे प्रबल अवकारक- लीथियम ।

अभ्यास प्रश्न

1. तत्वों के भौतिक एवं रसायनिक गुण-
(a) उनके द्रवणांक पर निर्भर करते हैं।
(b) उनके क्वथनांक पर निर्भर करते हैं ।
(c) उनके परमाणु क्रमांक के आवर्त्त फलन होते हैं।
(d) इनमें से कोई नहीं
2. आवर्त्त सारणी में बायें से दाँये जाने पर प्रवृत्तियों के बारे में कौन से कथन असत्य है- 
(a) तत्वों के धात्विक प्रवृत्ति घटते है ।
(b) संयोजकता इलेक्ट्रॉन की संख्या बढ़ जाती है ।
(c) परमाणु आसानी से इलेक्ट्रॉन त्याग करते हैं।
(d) इनके ऑक्साइड अधिक अम्लीय हो जाते हैं।
3. तत्व X, XCl2 सूत्र वाला क्लोराइड बनाता है, जो एक ठोस है तथा जिसका गलनांक अधिक है। आवर्त सारणी में यह तत्व I संभवतः किस समूह का होगा ?
(a) Na
(b) Mg
(c) Al
(d) Si
4. एक तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है यह किस वर्ग का तत्व होगा ?
(a) Na
(b) Mg
(c) Al
(d) Si
5. एक तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 7 यह किस आवर्त्त का तत्व होगा-
(a) द्वितीय आवर्त्त
(b) तृतीय आवर्त्त 
(c) चतुर्थ आवर्त्त
(d) सप्तम आवर्त्त
6. सोडियम किस ब्लॉक का तत्व हैं
(a) S-block
(b) P-block
(c) d-block
(d) f-block
7. आवर्त सारणी में किसी आवर्त्त में बॉये से दॉये जाने पर तत्वों के ऑक्साइड का अम्लीय गुण-
(a) बढ़ता है
(b) घटता है
(c) अपरिवर्तित रहता है
(d) अनियमित रूप से परिवर्तित होता है
8. सबसे अधिक क्रियाशील हैलोजन कौन है ?
(a) F
(b) Cl
(c) Br
(d) I
9. एक तत्व आवर्त्त-सारणी के वर्ग-3 तथा आवर्त्त-2 में स्थित है। यह तत्व कौन-सा गुण को प्रदर्शित करेगा-
(a) द्रव, सबसे अधिक वातुई
(b) गैसीय, मृदुल धातुई
(c) गैस, अधातु
(d) ठोस, कम धातुई
10. निम्नलिखित में कौन-सा कथन आवर्त सारणी के एक ही आवर्त में स्थित तत्व के लिए लागू नहीं होता-
(a) बॉये दॉये जाने पर संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या बढ़ती है।
(b) बॉयें से दाये जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है। 
(c) बॉये से दॉये जाने पर परमाणु का आकार घटता है। 
(d) बॉयें से दाये जाने पर धातुई गुण घटता है। 
11. निम्नलिखित तत्व में कौन अधातुई गुण वाला हो सकता है ? 
(a) Br
(b) B
(c) Be
(d) As
12. निम्नलिखित युग्मों में तत्वों का कौन-सा युग्म एक-जैसा रसायनिक गुणवाला है ।
(a) सोडियम, ऐलुमिनियम
(b) ऑर्गन, पोटाशियम
(c) बोरॉन, जर्मेनियम
(d) नाइट्रोजन, फॉस्फोरस 
13. किस तत्व में दो शेल है और दोनों ही इलेक्ट्रॉन में पूर्णतः भरे हैं-
(a) नियॉन
(b) आर्गन
(c) क्लोरीन
(d) सोडियम
14. निम्नलिखित में से कौन-सा समूह डोरेनर के त्रियक नियम का पालन करता है—
(a) कैल्शियम, लिथीयम, ब्रोमीन
(b) कैल्शियम, ऑक्सीजन, मैग्नीशियम
(c) कैल्शियम, लीथियम, क्लोरीन
(d) कैल्शियम, स्ट्रॉशियम, बेरियम
15. आवर्त्त सारणी में वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर तत्वों की क्रियाशीलता
(a) घटती है
(b) बढ़ती है
(c) अपरिवर्तित रहती है
(d) इनमें से कोई नहीं
16. निम्न में कौन-सा कथन असत्य है-
(a) वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर परमाणु का आकार घटता है ।
(b) वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर धातुई गुण बढ़ता है।
(c) वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर विद्युत ऋणात्मकता घटती है।
(d) वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर तत्वों की आयनन ऊर्जा घटती है।
17. निम्नलिखित में कौन संक्रमण तत्व है- 
(a) सोडियम
(b) रेडियम 
(c) आइरन
(d) लेड
18. वर्ग-13 से लेकर वर्ग-18 तक के तत्व कहलाते हैं-
(a) S - block तत्व
(b) P - block तत्व
(c) d - block तत्व 
(d) f - block तत्व
19. कौन-सा इलेक्ट्रॉनिक विन्यास सार धातु का है-
(a) 2, 8, 2 
(b) 2, 8, 3
(c) 2, 8, 1   
(d) 2, 8, 18, 12
20. आवर्त सारणी में वर्ग-16 के तत्व कहलाते हैं-
(a) चालकोजेन्स
(b) हैलोजेन्स
(c) इंटर हैलोजन्स 
(d) उत्कृष्ट गैस
21. कौन-सा तत्व अम्लीय ऑक्साइड का निर्माण करेगा-
(a) परमाणु संख्या 11 वाला तत्व
(b) परमाणु संख्या 20 वाला तत्व
(c) परमाणु संख्या 16 वाला तत्व
(d) परमाणु संख्या 37 वाला तत्व
22. B, Si और Ge किस प्रकार के तत्व हैं-
(a) धातु
(b) अधातु
(c) उपधातु
(d) क्रमशः धातु, अधातु और उपधातु
23. मेंडलीव द्वारा छोटे गये आवर्त सारणी के रिक्त स्थानों के बाद में निम्नलिखित में कौन-सा तत्व पदस्थापित किया गया I
(a) गैलियम
(b) ऑक्सीजन
(c) फॉस्फोरस 
(d) सिलिकन
24. निम्नलिखित क्रमों में कौन-सा क्रम धातुओं के आयनन ऊर्जा का सही क्रम है ?
(a) Mg > Al > Na 
(b) Al > Mg > Na
(c) Na > Al > Mg 
(d) Mg > Na > Al
25. आवर्त सारणी में किसी तत्व के समस्थानिकों को रखा गया है 
(a) एक ही स्थान पर
(b) भिन्न-भिन्न स्थान पर
(c) अलग से एक पंक्ति में 
(d) इनमें से कोई नहीं
26. निम्नलिखित तत्वों में किसका परमाणु का आकार न्यूनतम है-
(a) K
(b) Ca
(c) Si
(d) Al
27. तत्वों का कौन-सा गुण वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर अपरिवर्तित रहता है-
(a) परमाणु - त्रिज्या
(b) धातुई गुण
(c) संयोजी इलेक्ट्रॉन
(d) तत्व के शेल की संख्या
28. आधुनिक आवर्त सारणी के पांचवें आवर्त में कितने तत्व हैं ?
(a) 2
(b) 8
(c) 18
(d) 60
29. पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है-
(a) ऑक्सीजन
(b) सिलिकन
(c) ऐलुमिनियम
(d) लोहा
30. शून्य समूह में रखे गये तत्व किस नाम से जाने जाते हैं ?
(a) हैलोजन
(b) क्षार धातुएँ
(c) क्षारीय मृदा धातु
(d) निष्क्रिय तत्व
31. अक्रिय तत्व (Inert Element) किस समूह के सदस्य हैं।
(a) शून्य समूह
(b) VIIA
(c) VIII
(d) IA
32. आधुनिक आवर्त सारणी में वर्गों की कुल संख्या है-
(a) 7
(b) 9
(c) 16
(d) 18
33. आधुनिक आवर्त नियम के प्रवर्तक हैं-
(a) मोसले
(b) मेंडेलीफ
(c) एवोगाड्रो
(d) डाल्टन
34. आवर्त सारणी के दूसरे आवर्त में तत्वों की संख्या कितनी होती है ?
(a) 18
(b) 8
(c) 2
(d) 10
35. आवर्त सारणी का लम्बा रूप निर्भर करता है-
(a) परमाणु के आकार पर 
(b) परमाणु के द्रव्यमान पर
(c) परमाणु संख्या पर 
(d) विद्युत् ऋणात्मकता पर
36. किस वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम 'आवर्त सारणी' का निर्माण किया ?
(a) मोसले
(b) मेंडेलीफ
(c) डाल्टन
(d) रदरफोर्ड
37. प्रत्येक आवर्त का अन्तिम सदस्य होता है-
(a) एक धातु
(b) एक हैलोजन
(c) एक निष्क्रिय गैस
(d) एक उपधातु 
38. किस समूह के तत्वों को 'सिक्का धातु' कहा जाता है ?
(a) I A
(b) I B
(c) II A
(d) III A
39. सबसे हल्की धातु है-
(a) मैग्नीशियम
(b) ऐलुमिनियम
(c) प्लेटिनम
(d) लिथियम
40. तत्वों को सबसे पहला वर्गीकरण किसने किया था ?
(a) लोथर मेयर
(b) न्यूलैंडस
(c) मेंडेलीफ
(d) डोबेरेनर
41. आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों के वर्गीकरण का आधार है-
(a) परमाणु संख्या
(b) परमाणु द्रव्यमान
(c) परमाणु आयतन
(d) परमाणु घनत्व
42. पृथ्वी के पटल का 97.2% भाग कितने तत्वों से बना है ?
(a) 5
(b) 8
(c) 11
(d) 19
43. निम्नलिखित में से किस एक पर आधुनिक आवर्त सारणी आधारित ?
(a) परमाणु आयतन 
(b) परमाणु संख्या
(c) परमाणु भार
(d) परमाणु आकार
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here
]]>
Thu, 25 Apr 2024 14:24:32 +0530 Jaankari Rakho
General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | विलयन https://m.jaankarirakho.com/1020 https://m.jaankarirakho.com/1020 General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | विलयन

विलयन :

दो या दो से अधिक पदार्थों का समांग मिश्रण विलयन कहलाता है। विलयन के सभी भागों में एकरूपता रहती है और विलयन के पदार्थों के बीच रसायनिक संयोग नहीं होता है I
  • विलयन के दो भाग होते हैं-
  1. विलायक (Solvent):- जिस द्रव में किसी पदार्थ को घुलाया जाता है उस द्रव को विलायक कहते हैं। विलायक परिक्षेपण माध्यम (Dispesion medium) भी कहलाता है ।
    • सामान्यतः विलयन में जिस जिस पदार्थ की मात्रा ज्यादा होती है उसे विलायक कहते हैं ।
      • उदा० - चीनी- जल के विलयन में जल विलायक है ।
  2. विलेय (Solute )- जो पदार्थ द्रव में घुलकर विलयन बनाता है वह विलेय कहलाता है । विलेय को परिक्षेपित कण (Dispersed particles) भी कहते हैं ।
    • समान्यतः विलयन में जो पदार्थ कम मात्रा में रहता है उसे विलेय कहते हैं।
      उदा०- 
      1. चीनी - जल के विलयन में चीनी विलेय है और जल विलायक
      2. आयोडीन तथा ऐल्कोहॉल के विलयन जिसे टिंक्चर आयोडीन कहते हैं में आयोडीन विलेय है तथा एल्कोहॉल विलायक है ।
      3. पेय-पदार्थ जैसे- सोडा जल, कोक आदि में CO2 गैस विलेय है और जल विलायक ।
      4. वायुमंडल में नाइट्रोजन गैस विलायक है तथा अन्य सभी गैस विलेय ।

विलायक (Solvent) के प्रकार-

  1. ध्रुवीय विलायक (Polar Solvent ) - इस प्रकार के विलायक में हाइड्रॉक्सील (OH) तथा कार्बोक्सिल समूह रहते हैं जिसके कारण यह अपेक्षाकृत अधिक सक्रिय और प्रबल होते हैं तथा कई पदार्थों को घुलाने की क्षमता रखते हैं । ध्रुवीय विलायक का परावैद्युतांक नियतांक (Dielectric Constant ) ऊँचा होता है।
  2. अध्रुवीय विलायक (Non-Polar Solvent) - यह विलायक रसायनिक रूप से निष्क्रिय होते हैं तथा इसका परावैद्युतांक नियतांक का मान निम्न होता है जिसके कारण यह बहुत ही कम पदार्थों को घुला पाते हैं।
  3. जल को सार्वत्रिक विलायक (Universal Solvent) कहते हैं क्योंकि जल का परावैद्युतांक काफी उच्च होता है।

विलयन के प्रमुख गुण-

  1. वास्तविक विलयन पूर्णतः समांग होता है।
  2. विलयन स्वच्छ एवं पारदर्शी होता है। 
  3. विलयन को कुछ समय तक स्थिर छोड़ देने पर भी विलेय के कण नीचे नहीं बैठते हैं।
  4. विलयन में विलेय और विलायक के कण को माइक्रोस्कोप की सहायता से नहीं देखा जा सकता है।
  5. विलयन के अवयवों (Component) को छानकर अलग नहीं किया जा सकता है ।
  6. विलयन के कणों का व्यास 10- 8 cm से भी कम होता है ।

विलयन के प्रकार-

  1. संतृप्त विलयन (Saturated Solution )- किसी निश्चित ताप पर बना वह विलयन जिसकमें विलेय की अधिकतम मात्रा घुली हो, संतृप्त विलयन कहलाता है ।
  2. असंतृप्त विलयन (Unsatured Solution)- किसी निश्चित ताप पर बना वह विलयन जिसमें विलेय की और अधिक मात्रा उस ताप पर धुलाई जा सकती है, असंतृप्त विलयन कहलाता है।
    • निम्न प्रकार से विलयन संतृप्त है या असंतृप्त इसकी जांच हो सकती है-
      • विलयन में थोड़ा विलेय डालकर कॉच की धड़ से अच्छी तरह मिलाने पर यदि विलेय घुल जाता है तो विलयन असंतृप्त है और यदि विलेय नहीं घुलता है तो विलयन संतृप्त है ।
  3. अतिसंतृप्त विलयन (Super satured Solution ) - वह संतृप्त विलयन जिसमें विलेय की मात्रा आवश्यक लिवेय की मात्रा आवश्यक विलेय की मात्रा से अधिक घुली हो अतिसंतृप्त विलयन कहलाता है ।

अभ्यास प्रश्न

1. विलयन का सबसे प्रमुख गुण है-
(a) समांग होना
(b) विषमांग होना
(c) अर्थपारदर्शी होना
(d) स्वच्छ होना
2. रेत के सूक्ष्म कणों का जल में होना निम्नलिखित में किसका उदाहरण है ?
(a) विलयन का
(b) कोलॉइड का
(c) निलंबन का
(d) संतृप्त विलयन का
3. चीनी के विलयन में चीनी की विलेयता निम्नलिखित में किसपर निर्भर करती है ?
(a) दाब
(b) तापक्रम
(c) घनत्व
(d) इनमें से कोई नहीं
4. नमक और जल के वास्तविक विलयन के संदर्भ में निम्नलिखित में कौन सही है ?
(a) यह टिंडल प्रभाव प्रदर्शित करता है
(b) यह पारदर्शक और स्थायी होता है
(c) इसके कण देखे जा सकते हैं
(d) इनके कणों को छानकर पृथक किया जा सकता है। 
5. जब तेज प्रकाशपुंज चॉक जल के निलंबन पर पडनती है, ? तो प्रकाश-
(a) निलंबन से होकर नहीं गुजर पाती
(b) निलंबन से होकर गुजर जाती है।
(c) निलंबन में प्रकाश का प्रकीर्णन हो जाता है
(d) इनमें से कोई नहीं
6. स्टार्च और जल के कोलॉइड विलयन के संबंध में निम्नलिखित में कौन-सा कथन सही है -
(a) इनके अवयवों को छानकर अलग किया जा सकता है
(b) ये पारदर्शी तथा अस्थायी होते हैं
(c) इनके द्वारा अिंडल प्रभाव प्रदर्शित होते हैं
(d) इनके कणों को आँख से देखा जा सकता है
7. निम्नलिखित में कौन टिंडल प्रभाव प्रदर्शित करेगा ?
(a) साधारण नमक का विलयन
(b) पिफटकरी का विलयन
(c) CuSO4 का जलीय विलयन.
(d) स्टार्च का जलीय विलयन
8. निम्नलिखित में कौन विलयन है ?
(a) मिट्टी
(b) समुद्र का जल
(c) दवा
(d) सोडा जल
9. विलयन में कोलॉइडी कण का आकार होता है
(a) 10-6 cm
(b) 10-3 cm
(c) 10-8 cm
(d) 10-2 cm 
10. पायस है
(a) दो मिश्रणशील द्रवों का मिश्रण
(b) दो ठोस पदार्थों का मिश्रण
(c) दो गैसों का मिश्रण
(d) दो अमिश्रणशील द्रवों का मिश्रण
11. निम्नलिखित किस पदार्थ को जल के साथ मिलाने पर वास्तविक विलयन बन सकता है ?
(a) ऐल्बुमिन
(b) खड़िया
(c) महीन बालू
(d) साधारण नमक
12. निम्नलिखित किसमें परिक्षेपित प्रावस्था ठोस और परिपेक्षण माध्यम गैस है
(a) स्याही
(b) मक्खन
(c) धुआँ
(d) दूध
13. किसी विद्युत क्षेत्र के प्रभाव से आवेशित कोलॉइडी कणों का गमण कहलाता है
(a) ब्राऊनी गति
(b) टिंडल प्रभाव
(c) विद्युत कण संचलन
(d) प्रकीर्णन
14. ताप बढ़ने पर किसी विलायक में गैस की विलेयता में कैसा परिवर्तन होता है ?
(a) विलेयता बढ़ जाती है 
(b) विलेयता घट जाती है।
(c) विलेयता अपरिवर्तित रहती है।
(d) विलेयता परिवर्तन नहीं होता
15. निम्नलिखित में कौन निलंबन का उदाहरण है ?
(a) नमक का जलीय विलयन
(b) स्टार्च का जल में विलयन
(c) एलम का जल में विलयन
(d) कीचड़ युक्त जल
16. बादल निम्नलिखित में किसका उदाहरण है
(a) गैस में परिक्षेपित ठोस का
(b) गैस में परिक्षेपित द्रव का
(c) ठोस में परिक्षेपित गैस का
(d) द्रव में परिक्षेपित गैस का
17. निम्नलिखित में कौन टिंडल प्रभाव प्रदर्शित करता है
(a) वास्तविक विलयन
(b) कोलॉइडी विलयन
(c) निलंबन
(d) इनमें सभी
18. निम्नलिखित में कौन कोलॉइडी विलयन नहीं है ?
(a) बादल
(b) हिमोग्लोबीन
(c) वायु
(d) कुहासा
19. निम्नलिखित मिश्रण में कौन विलयन है ?
(a) बारूद
(b) मिट्टी
(c) रक्त
(d) सॉफ्ट ड्रिंक
20. निलंबन में निलंबित कणों का आकार होता है ?
(a) 10-5 cm
(b) 10-5 cm से अधिक
(c) 10-8 cm
(d) 10-6 cm
21. निम्नलिखित में कौन विलयन है ?
(a) मिट्टी
(b) धुआँ
(c) जल में ऐल्कोहॉल का मिश्रण
(d) स्याही
22. वह कोलॉइडी अवस्था जिसमें वायु परिक्षेपण माध्यम है, कहलाती है
(a) वास्तविक विलयन
(b) निलंबन
(c) ऐयरोसोल
(d) इनमें से कोई नहीं
23. कोलॉइडी विलयन में कणों का टेढ़े-मेढ़े मार्गों से गमन करना, कहलाती है
(a) टंडल प्रभाव
(b) ब्राऊनी गति
(c) पेल्टियर प्रभाव
(d) इनमें कोई नहीं
24. किसी पदार्थ का 0.5g किसी विलायक के 25g में घुला हुआ है । विलयन में पदार्थ की प्रतिशत मात्रा की गणना करें-
(a) 1.96% 
(b) 2.0%
(c) 0.5%
(d) 5%
25. किसी विलयन के 125g में किसी पदार्थ का 29.2g घुला हुआ है। इस विलयन का सांद्रण क्या होगा
(a) 23.36% 
(b) 24.36%
(c) 36.23%
(d) 23.86%
26. दूध है-
(a) सॉल
(b) पायस
(c) जेल
(d) एरोसॉल
27. मक्खन तथा पनीर किसके उदाहरण हैं-
(a) सॉल 
(b) पायस
(c) जेल
(d) एयरोसॉल
28. 25°C ताप पर सोडियम नाइट्रेट के संतृप्त विलयन के 30.0g में 9.0g सोडियम नाइट्रेट घुला है। सोडियम नाइट्रेट की विलेयता ज्ञात करें ।
(a) 34.6g
(b) 34g
(c) 38g
(d) 40g
29. जिस विलयन में कोई पदार्थ एक सीमा के बाद और अधिक न घोला जा सके, ऐसा विलयन निम्नलिखित में से क्या कहालाता है ?
(a) संतृप्त विलयन 
(b) असंतृप्त विलयन
(c) कोलाइडी विलयन
(d) जेल
30. किसी पदार्थ के विलयन को गर्म करने से उसकी विलेयता पर निम्नलिखित में से क्या प्रभाव पड़ता है ?
(a) बढ़ती है
(b) घटती है
(c) स्थिर रहती है
(d) इनमें से कोई नहीं
31. 1 लीटर विलयन में उपस्थित विलेय के ग्राम अणुओं की संख्या को कहते हैं-
(a) मोल-प्रभाज
(b) सामान्यता
(c) मोललता
(d) मोलरता
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here
]]>
Thu, 25 Apr 2024 12:47:13 +0530 Jaankari Rakho
General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | गैस के गुण https://m.jaankarirakho.com/1019 https://m.jaankarirakho.com/1019 General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | गैस के गुण
पदार्थ के गैसीय अवस्था में निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं:-
  1. गैसों की प्रसारणीयता (Expansiblity) असीम होती है। गैस की अल्प मात्रा ही बड़े-बड़े आकार वाले वर्त्तन को पूर्णतः भर सकता है।
    • गैस जिस वर्त्तन में रखा जाता है उस बरतन की भीतरी आयतन गै का आयतन कहलाता है गैस का आयतन लीटर या मीलीलीटर या घनसेमी से व्यक्त किया जाता है ।

  2. गैसों में संपीड्यता (Compressibility) का गुण पाया जाता है यानि गैस की बड़ी मात्रा को छोटे आयतन वाले वर्त्तन में संपीड़ित किया जा सकता है।
    • प्राकृतिक गैस को आजकल संपीड़ित करके ही ईधन के रूप में बेचा जाता है। जिसे CNG (Comporessed Natural Gas) कहते हैं।
  3. गैस बहुत ही तेजी से परस्पर घुल-मिलकर समांग मिश्रण बना लेता है जिसे गैस की विसरणशीलता (Diffusibility) कहते हैं।
  4. गैस को जिस बरतन में रखी जाती है उस बरतन की दिवारों पर दाब आरोपित करता है।
    • गैस की दाब की ईकाई वायुमंडल ( atm) है।
      1 atm = पारा का 76 cm या 760mm
      1 atm = 1.01325 × 155 Pascal
  5. गैस के मोलो की संख्या = गैस का द्रव्यमान / गैस का आण्विक द्रव्यमान

गैस के नियम

  • गैस के आयतन (v), दाब (p), ताप (T) और द्रव्यमान (मोलो की संख्या, n ) के बीच संबंध जानते हुए कुछ नियम प्रतिपादित किये गये हैं जो निम्न है-
    1. बॉयल का नियम ( Boyle's Law)
      • इस नियम का प्रतिपादन रॉबर्ट बाल 1960 ई० में किया था ।
      • इस नियम के अनुसार “स्थिर ताप पर किसी गैस के निश्चित द्रव्यमान का आयतन उसके दाब के व्युतक्रमानुपाती होता है अर्थात् ताप स्थिर है तो दाब बढ़ाने पर गैस का आयतन घटेगा तथा दाब घटाने पर गैस का आयतन बढ़ेगा ।'

      • स्थिर ताप पर गैस के दाब और घनत्व के बीच संबंध-
        अगर गैस का द्रव्यमान m तथा p1 तथा p2 दाब पर घनत्व D1 और D2 तो 

        स्थिर ताप पर गैस के निश्चित मात्रा का दाव उसके घनत्व के समानुपाती होता है, अर्थात् ताप स्थिर हैं तो दाब बढ़ाने पर गैस का घनत्व बढ़ेगा और दाब घटाने पर गैस का घनत्व घटेगा ।
    2. चार्ल्स ( Charles ) का नियम
      • इस नियम का प्रतिपादन जैक्स चार्ल्स ने 1787 ई० में किया था।
      • इस नियम के अनुसार:- स्थिर दाब पर गैस के निश्चित द्रव्यमान का आयतन उसके परम ताप के सीधा समानुपाती होता है, अर्थात् दाब स्थिर है तो ताप बढ़ाने पर गैस का आयतन बढ़ेगा तथा ताप घटाने पर गैस का आयतन घटेगा ।

      • चार्ल्स के अनुसार - 273°C ताप पर गैस का आयतन घटकर शून्य हो जाता है यानि गैस का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है । परन्तु इस ताप को प्राप्त करने में कोई सफलता नहीं मिली है। इस काल्पनिक ताप को परमशून्य ताप कहते हैं। 
      • वॉयल तथा चार्ल्स के नियम को आपस में मिलाने पर-

    3. गे - लुसेक (Gay Lussca) का नियम
      • इस नियम का प्रतिपादन 1802 ई० में गे-लुसैक ने किया था।
      • इस नियम के अनुसार स्थिर आयतन पर, किसी गैस के एक निश्चित मात्रा का दाव परम ताप के सीधा समानुपाती होता है।

    4. ऐवोगाद्रो (Avogardro) नियम
      • इस नियम के अनुसार यदि गैस के ताप और दाब स्थिर रखकर उस गैस की मात्रा बढ़ी जाए तो गैस का आयतन भी बढ़ जाता है। यदि गैस की मात्रा को मोल में व्यक्त किया जाए तो 

आदर्श गैस के समीकरण

  • बॉयल, चार्ल्स, ऐवोगाड्रो के नियम को मिलाकर आदर्श गैस के समीकरण प्राप्त किये जाते हैं।

         

  • PV = nRT को आदर्श गैस समीकरण या अवस्था समीकरण कहते हैं । constnat R का मान भिन्न-भिन्न स्थिति भिन्न होता है ।
    1. जब गैस का दाब Pascal में और आयतन m3 में हो तब
      R = 8.31 Jk-1 mol-1
    2. जब गैस का दाब वायुमंडल ( atm) में और आयतन लीटर में हो तब
      R = 0.0821 / atm mol-1 k-1
    3. जब गैस का दाब वायुमंडल ( atm) में और दाब cm3 हो तब
      R = 82.05 atm – cm3 mol-1 k-1

सामान्य ताप तथा दाब (NTP)

0°C या 273k को सामान्य ताप कहते हैं और जब बैरोमीटर से पारा की ऊँचाई 76 cm (760mm) हो तो उसे सामान्य दाब कहते हैं। इसे 1 वायुमंडलीय दाब भी कहा जाता है।

आदर्श गैस और वास्तविक गैस में अंतर

  1. आदर्श गैस सभी ताप तथा दाब पर गैस के सभी नियम का पालन करता है जबकि वास्तविक गैस सिर्फ निम्न दाब तथा उच्च ताप पर ही गैस के नियम का पालन करते हैं।
  2. आदर्श गैस के अणुओं का वास्तविक आयतन गैस के आयतन के तुलना में नगण्य होता है जबकि वास्तविक गैस के अणुओं का आयतन गैस के आयतन के तुलना में नगण्य नहीं होता है ।
  3. आदर्श गैस के अणुओं के मध्य आकर्षण नहीं होता है जबकि वास्तविक गैस के अणुओं के मध्य आकर्षण होता है।
  4. आदर्श गैस PV = nRT का पालन करता है जबकि वास्तविक गैस नहीं करता है ।
  5. आदर्श गैस काल्पनिक गैस है जबकि सभी ज्ञात गैस वास्तविक गैस है।

वान् - डरवाल्स समीकरण

  • आदर्श गैस समीकरण Pv = nRT को वास्तविक गैस के लिए उपयोगी बनाने हेतु समीकरण के दो पद आयतन तथा दाब में संसोधन कर नय नियम दिया जो वास्तविक गैस के लिए मान्य है ।

  • यहाँ a तथा b वान डर वाल्स constant है जो सभी गैस के किये अलग-अलग होता है ।

डाल्टन का आंशिक दाब नियम-

  • इस नियम को नियम प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है- "परस्पर अभिक्रिया न करनेवाली दो या दो से अधिक गैस एक बंद बर्त्तन में मिश्रित कर दिया जाए तो गैसीय मिश्रण का कुल दाब अवयवी गैसों के आंशिक दाबों के योगफल के बराबर होते हैं।'
  • अगर A, B, C गैस का दाब PA, PB तथा PC हो और तीनों गैस का ताप समान हो और तीनों गैस एक बर्तन में डाल दिया जाए तब बर्त्तन की दिवार पर आरोपित कुल दाब P = PA + PB + PC होगा। 
  • ऊपर जाने पर वायुमंडलीय दाब घटता है जिसके कारण वायुमंडल में अवस्थित सभ्ज्ञी गेस का दाब घट जाता है, यानि ऑक्सीजन का भी दाब घट जाता है और सांस लेने में कठिनाई होती है ।

गैसों के अणुभार तथा वाष्प घनत्व (Vapour Denscity) में संबंध

Graham's Law of Difusion

  • किसी (Diffusion)– घनत्व में अंतर होते हुए भी गैस का परस्पर मिल कर एक हो जाने के गुण को विसरण कहते हैं।
  • गैसों के विसरण के संबंध में टॉमस ग्राहम ने एक नियम निकाला जो निम्न है-
    “ताप और दाब की समान अवस्थाओं में गैस का विसरण के वेग उनके घनत्वों के वर्गमूल के व्युतक्रमानुपाती होता है।"

  • अगर दो गैस A तथा B का विसरण का वेग rA तथा rB हो और इन गैसों का घनत्व क्रमशः DA तथा DB हो तो ग्राहम नियम के अनुसार-

  • गैस के घनत्व (वाष्प घनत्व) को आण्वीक द्रव्यमान में बदलने पर -

  • ग्राहम के विसरण निम्न को निम्न प्रकार भी कहा जा सकता है- ताप और दाब की समान अवस्थाओं में गैसों के विसरण का वेग उनके आण्वीक द्रव्यमान के वर्गमूल के व्युतक्रमानुपाती होते हैं ।

  • स्थिर ताप पर गैस का दाब बढ़ाने पर गैसों का विसरण वेग बढ़ जाता है।
  • निःसरण (Effusion ) - बर्तन में बंद गैस का बर्तन के सूक्ष्म छिद्र से बाहर निकलना गैस का निःसरण कहलाता है।
      ग्राम के विसरण नियम का उपयोगः-
  1. इस नियम का उयोग कर तत्वों के समस्थानिको को अलग - अलग किया जाता है ।
  2. अज्ञात गैस का विसरेग वेग ज्ञात कर गैसों की पहचान की जाती है ।
  3. विभिन्न घनत्वों की गैस को एक-दूसरे से अलग किया जाता है ।
  • आवर्त सारणी में कुल 11 तत्व ऐसे है जो गैसीय अवस्था में रहते हैं-
    1. H (हाइड्रोजन)
    2. O (ऑक्सीजन)
    3. F (फ्लोरीन)
    4. Cl (क्लोरीन)
              तथा 6 अक्रिय गैस-
    1. He (हीलियम)
    2. Ne (निऑन)
    3. Ar (ऑर्गन)
    4. Kr (क्रिप्टॉन)
    5. Xe (जेनॉन)
    6. Rn (रेडॉन)

अभ्यास प्रश्न

1. 798mm दाब पर किसी गैस का आयतन 200 mL है। यदि ताप स्थिर रखकर दाब घटाकर 760mm कर दिया जाए तो गैस का आयतन क्या होगा ?
(a) 200 mL
(b) 210 mL 
(c) 300 mL
(d) 310mL
2. 20°C ताप पर किसी गैस का आयतन 100 mL है 140°C पर इसका आयतन क्या होगा ?
(a) 105.8mL
(b) 106.8 mL
(c) 102.68 mL
(d) 200.8 mL
3. 0°C ताप पर स्थित एक गैस का निश्चित आयतन किस ताप पर दुगुणा हो जाएगा, यदि दाब स्थिर है ?
(a) 100°C 
(b) 273°C
(c) 30°C
(d) 310°C
4. एक बंद बरतन में रखे गैस का दाब पारा के 76 cm दाब के बराबर है। यदि स्थिर ताप पर इस गैस को किसी दुगुणे आयतन वाले बरतन में भेज दिया जाए तो उसमें गैस का दाब क्या होगा ?
(a) 20 cm
(b) 30 cm
(c) 38 cm
(d) 152 cm
5. 27°C और 2 atm दाब पर ऑक्सीजन के 1 मोल का आयतन निकाले । सा०ता०दा० (NTP) पर ऑक्सीजन 1 मोल का आयतन 22.4 mL है ।
(a) 9.30 L
(b) 30L
(c) 9L
(d) 10.30L
6. "गैस अणु का वास्तविक आयतन नगण्य होता है ।" यह कथन अनुरूप है -
(a) ऐवोगाड्रो की परिकल्पना का
(b) गतिज सिद्धान्त का
(c) वॉयल नियम का
(d) चार्ल्स नियम का 
7. आदर्श गैस के लिए अवस्था समीकरण pV = nRT में R सूचित करता है- 
(a) गैस के प्रकृति पर
(b) गैस के दाब पर 
(c) गैस के ताप पर
(d) माप की इकाई पर 
8. परम शून्य ताप (Absolute zero temp) है-
(a) किसी भी तापमान पैमाने का आरम्भिक बिन्दु
(b) सैद्धान्तिक रूप से न्यूनतम सम्भव तापमान
(c) वह तापमान जिसपर सभी द्रव पदार्थों के वाष्प जम जाते हैं।
(d) वह तापमान जिसपर सभी पदार्थ वाष्पीय प्रावस्था में होते हैं।
9. NTP पर 22 ग्राम CO2 का आयतन होगा- 
(a) 22.4 ली०
(b) 11.2 ली०
(c) 44.8 ली०
(d) 2.24 ली०
10. एक गैस का वाष्प घनत्व 14 है उसका अणु भार होगा-
(a) 14
(b) 21
(c) 28
(d) 42
11. निम्नलिखित में से कौन-सा नियम गैसों से सम्बन्धित नहीं है ?
(a) बॉयल का नियम
(b) चार्ल्स का नियम
(c) गे लुसाक का नियम
(d) फैराडे का नियम
12. सभी गैसें शून्य आयतन प्राप्त करते हैं जब तापक्रम है- 
(a) 273°C 
(b) 27.3°C
(c) - 273°C
(d) 0°C
13. CO2 के विसरण की गति हवा की अपेक्षा कम होती है, क्योंकि यह हवा से -
(a) हल्की होती है । 
(b) भारी होती है । 
(c) काफी हल्की होती है। 
(d) काफी भारी होती है । 
14. "समान ताप और दाब पर गैसों के समान आयतनों में अणुओं की संख्या समान होती है।" यह किस नियम के अनुसार है ?
(a) बॉयल का नियम
(b) चार्ल्स का नियम
(c) डाल्टन का नियम 
(d) एवोगाद्रो की परिकल्पना
15. वायु से हल्की गैस है-
(a) ऑक्सीजन
(b) अमोनिया
(c) क्लोरीन
(d) प्रोपेन
16. ऑक्सीजन और हाइड्रोजन गैस का विसरण की दर का अनुपात है- 
(a) 1:4
(b) 1:1
(c) 1:2
(d) 2:1
17. परम ताप का मान होता है- 
(a) 0°C
(b) -273°
(c) 100°C
(d) 180°K
18. "निश्चित ताप पर किसी गैस के दिये हुए द्रव्यमान का दाब उसके आयतन के प्रतिलोमानुपाती होती है" यह नियम है- 
(a) चार्ल्स का नियम
(b) बॉयल का नियम 
(c) डाल्टन का नियम
(d) ग्राहम का नियम
19. घनत्वों में अन्तर रहते हुए भी गैसों के पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध परस्पर घुल-मिल जाने की स्वाभाविक प्रक्रिया को कहते हैं-
(a) गैसों का वाष्पण
(b) गैसों का द्रवीकरण
(c) गैसों का विसरण
(d) गैसों का वाष्पीकरण
20. आदर्श गैस की ऊर्जा निर्भर करती है-
(a) दाब पर
(b) आयतन पर
(c) तापमान पर
(d) मोल की संख्या पर
21. स्थिर ताप पर किसी गैस का आयतन कम करने पर उसका दाब- 
(a) कम जाता है
(b) बढ़ जाता है
(c) पहले घटता है फिर बढ़ता है।
(d) अपरिवर्तित रहता है
22. गैसों के विसरण नियम का उपयोग होता है- 
(a) समस्थानिकों को अलग करने में
(b) गैसों के वाष्प घनत्व के निर्धारण में
(c) गैसों के मिश्रण को अलग-अलग करने में
(d) इनमें से सभी
23. किसी गैस को दबाने (संपीड़ित करने) पर- 
(a) केवल दाब बढ़ता है
(b) केवल तापमान बढ़ता
(c) दाब तथा तापमान दोनों बढ़ते हैं
(d) दाब बढ़ता है और तापमान घटता है
24. एक गैस के विसरण की दर-
(a ) घनत्व के अनुक्रमानुपाती होती है।
(b) अणुभार के अनुक्रमानुपाती होती है ।
(c) अणुभार के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होती है।
(d) अणुभार के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती होती है ।
25. ताप एवं दबाव की समान अवस्थाओं में विभिन्न गैसों के समान आयतन में किसकी संख्या समान होती है ?
(a) परमाणु की
(b) अणु की 
(c) मूलक की
(d) इलेक्ट्रॉन की
26. गैसों के विसरण हेतु आवश्यक शर्त है कि उनके बीच रासायनिक प्रतिक्रिया-
(a) संभव हो
(b) संभव न हो
(c) धीमी हो
(d) तेज हो
27. "दिए हुए ताप पर गैस की एक निश्चित मात्रा के लिए दाब / घनत्व का मान नियत रहता है।" यह निष्कर्ष किस नियम से निकलता है ?
(a) चार्ल्स के नियम से
(b) बॉयल के नियम से
(c) पास्कल के नियम से
(d) इवोगाद्रो की अभिकल्पना से
28. किसी कमरे के एक कोने में इत्र की खुली शीशा रख देने से उसकी खुशबू कमरे में सभी भाग में फैल जाती है। ऐसा किस कारण से होता है ?
(a) वाष्पन
(b) वाष्पीकरण
(c) विसरण
(d) ऊर्ध्वपातन
29. स्थिर दाब पर गैस का आयतन परमताप के समानुपाती होती हैं I यह कहलाता है-
(a) चार्ल्स का नियम
(b) बॉयल का नियम
(c) गेल्यूसेक का नियम 
(d ) ग्राहम का नियम 
30. वास्तविक गैस किन परिस्थितियों में आदर्श गैस का व्यवहार करती है ?
(a) उच्च दाब एवं निम्न ताप
(b) निम्न दाब एवं उच्च ताप
(c) उच्च दाब एवं उच्च ताप
(d) निम्न दाब एवं निम्न ताप
31. स्थिर ताप पर किसी गैस का दाब तिगुना कर देने पर उसका आयतन हो जाएगा-
(a) तिहाई
(b) तिगुना
(c) आधा
(d) चौथाई
32. किसी गैस का अणुभार उकसे वाष्प घनत्व का कितना होता है ?
(a) दुगना
(b) तिगुना
(c) चार गुणा
(d) आधा
33. "निश्चित ताप और दाब पर विभिन्न गैसों के विसरण के आपेक्षिक वेग उसके घनत्व के वर्गमूल के विपरीत अनुपात में होते हैं ।" यह नियम है- .
(a) बॉयल का नियम
(b) चार्ल्स का नियम
(c) ग्राहम का नियम
(d) डाल्टन का नियम
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here
]]>
Thu, 25 Apr 2024 11:35:36 +0530 Jaankari Rakho
General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | अम्ल, क्षार और लवण https://m.jaankarirakho.com/1018 https://m.jaankarirakho.com/1018 General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | अम्ल, क्षार और लवण
अम्ल (Acid)
एसिड शब्द के उत्पत्ति के acidus से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है "खट्टा" । गुणों के आधार पर अम्ल वे पदार्थ हैं जिसका जलीय विलयन-
  1. स्वाद से खट्टे होते हैं I
  2. धातु से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन मुक्त करते हैं ।
  3. नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं ।
भस्म (Base)
वे पदार्थ है जिसका जलीय विलयन स्वाद में कड़वे होते हैं तथा अम्ल को उदासीन कर देते हैं ।
  • अम्ल तथा भस्म का सर्वोपरि गुण यह है कि जब भी अम्ल तथा भस्म आपस में अभिक्रिया करते हैं अम्ल, भस्म को उदासीन कर देते हैं तथा भस्म अम्ल को उदासीन कर देते हैं।
विद्युत अपघटय (Electrolyte)
सभी अम्ल, भस्म और लवण (Salt) के जलीय विलयन विद्युत का संचालन करते हैं जिन्हें विद्युत अपघट्य कहते हैं । 
  • वैसे यौगिक जिसके जलीय विलयन विद्युत का संचालन नहीं करते हैं उन्हें विद्युत अनपघट्य (Non-electolyte) कहते हैं ।
    उदा०- ऐल्कोहॉल, ग्लूकोज, यूरिया
आयनन (Ionisation)
जल के द्वारा electrolyte का आयनों में टूटने की क्रिया को आयनन कहते हैं। आयनन तुनता के साथ बढ़ता है । विलयन जितना ज्यादा तन्तु होगा आयनन की मात्रा उतनी ही अधिक होगी।
  • अम्ल हमेशा अम्लीय गुण को पदर्शित नहीं करते है । अम्ल के अम्लीय गुण को दर्शाने हेतु जल की उपस्थिति अनिवार्य है ।
उदा०-
  1. विशुद्ध एसीटिक अम्ल, अम्ल के किसी गुण को नहीं दर्शाता है परन्तु एसीटिक अम्ल का जलीय विलयन अम्ल के सभी गुण से प्रदर्शित करता है। 
  2. HCl गैस जल की अनुपस्थिति में अम्ल के गुणों को प्रदर्शित नहीं करता है परन्तु HCl का जलीय विलयन अम्ल के सभी गुण प्रदर्शित करते हैं।
अम्ल तथा भस्म से संबंधित आधुनिक विचारधारा-
1. आरहेनियस सिद्धांत:- आरहेनियस के अनुसार अम्ल वे पदार्थ हैं जो जल में घुलकर हाइड्रोजन (H+) आयन देता है तथा भस्म वे पदार्थ हैं जो जल में घुलकर हाइड्रॉक्साइ आयन (OH-) आयन देता है । 

Note:- H+ आयन जल में स्वतंत्र रूप से नहीं रहता है। यह H2O के साथ मिलकर H3O (हाइड्रोनियम आयन) बनाते हैं।

आरहेनियस सिद्धान्त के दोष :
  1. इस सिद्धान्त के अनुसार अम्ल H+ युक्त यौगिक है, परन्तु कई ऐसे अम्ल हैं (जैसे - AICI3, FeCl3) जिसमें H+ आयन उपस्थित नहीं रहते हैं ।
  2. NH3 में H है परन्तु यह अम्लीय नहीं होता है। NH3 एक भस्म (Base) है।

ब्रॉन्स्टेड-लॉरी सिद्धान्त (Bronsted - Lowry Cocnept)

इस सिद्धान्त के अनुसार अम्ल वे आयन या अणु है जो प्रोटॉन देने की क्षमता रखता है।
इस सिद्धान्त के अनुसार भस्म (Base) वे पदार्थ है जो प्रोटॉन ग्रहण कर सकता हो I

कुछ ऐसे आयन हैं जो प्रोटॉन प्रदान करने की क्षमता रखते हैं अतः ये आयन भी अम्ल हैं-

आरहेनियस का सिद्धान्त सिर्फ जलीय माध्यम पर लागू होता है परन्तु ब्रॉन्स्टेडलॉरी सिद्धान्त सिर्फ जलीय विलयन तक सिमित नहीं है बल्कि यह गैसीय अवस्था के लिए भी लागू हो सकता है।
ब्रॉन्स्टेड-लॉरी सिद्धान्त भी सभी अम्ल पर लागू नहीं होती है। CO2, SO2, Al3+ का जलीय विलयन अम्लीय होता है परन्तु ये प्रोटॉन देने में सक्षम नहीं है।

लूइस सिद्धान्त (Lewis Theory)

  • लूइस सिद्धान्त अम्ल-भस्म के संबंध में सबसे आधुनिक सिद्धान्त है जो इलेक्ट्रॉन पर आधारित है। यह सिद्धान्त उन अम्लों का सटीक व्याख्या करता है जिस अम्ल का व्याख्या आरहेनियस तथा ब्रान्स्टेड - लॉरी सिद्धान्त नहीं कर पाता है ।
  • लूइस सिद्धान्त के अनुसार अम्ल वे हैं जो इलेक्ट्रॉन का निर्जन युग्म (lone pair ) ग्रहण कर सकता है।
  • लूइस सिद्धान्त के अनुसार भस्म वे हैं जो इलेक्ट्रॉन का निर्जन युग्म प्रदान करने की क्षमता रखते हों । 
    उदा०-
    1. BF3.NH3 (बोरॉन ट्राई फ्लोराइड अमोनिया) जब बनता है BF3 .NH3 के electron ग्रहण करता है। अतः BF3 लूईस अम्ल है NH3 लूइस भस्म ।
    2. CaO तथा SO3 संयोग करके CaSO4 बनता है जिसमें CaO अम्ल है तथा SO3 भस्म है ।
  • लूइस में भी कुछ कमियाँ हैं। लूइस सिद्धान्त यह बतलाता है कि अम्ल तथा भस्म के बीच जब अभिक्रिया होगा उपसहसंयोजक यौगिक बनेगा परन्तु ऐसा नहीं होता है।

क्षार (Alkali)

कुछ भस्म जल में विलेय होते हैं तथा कुछ अविलेय । जो भस्म जल में विलेय होते हैं उन्हें क्षार कहा जाता है।
  • क्षार बहुत ही तीव्र नाशक होते हैं जो चमड़े तक को जला देते हैं । 
  • NaOH, KOH तथा NH4OH भस्म जल में विलेय है अतः ये क्षार भी कहलाते हैं ।

pH मान

  • किसी विलयन की अम्लीय शक्ति उसमें उपस्थित H+ आयन पर निर्भर करती है । विलयन में H+ आयन सांद्रण के निर्धारण के लिए सोरेंसन ने एक स्केल दिया जिसे PH स्केल कहते हैं।
  • pH symbol में p की उत्पत्ति Potenz से हुई जिसका अर्थ है- शक्ति
  • किसी विलयन के pH का मान उसमें उपस्थित H+ आयन की सांद्रता के लघुगणक (logarithm) का ऋणात्मक मान है।
 
  • शुद्ध जल में [H+] की सांद्रता 1 × 10-1 होता है और शुद्ध जल का pH मान 7 होता है। 
  • pH स्केल में 0-14 तक की संख्या होती है । उदासीन विलयन का pH मान 7 के बराबर, अम्लीय विलयन की pH 7 से कम तथा क्षारीय विलयन का pH मान 7 से अधिक होता है ।
  • pH का मान जितना ही कम होगा उसकी अम्लीय उतना ही अधिक होगा।

दैनिक जीवन में pH का महत्व

  1. हमारे शरीर का pH मान 70-7.8 तक रहता है। शरीर के pH मान में जरा भी कमी होने से बुखार होने लगता है।
  2. वर्षा जल का pH मान 5.6 से कम होने पर उसे अम्लीय वर्षा कहा जाता है।
  3. मिट्टी का pH मान 7 के आसपास रहने पर ही अधिकांस पौधे की वृद्धि संतोषजनक होता है ।
  4. मुँह का pH मान 5.5 से कम होने पर दाँत के इनामेल क्षतिग्रस्त होने लगते हैं।
Note:- नीम के दातून के रस में भी क्षारीय होता है जिसके कारण नीम के दातून से दाँत की रक्षा होती है।

प्रमुख विलयन का pH मान :

  1. अमाशय रस - 1.0
  2. नींबू रस - 2.5
  3. सिरका - 3.0
  4. टमाटर रस - 4.1
  5. पसीना - 4.5
  6. पेशाब - 6.0
  7. दूध - 6.5
  8. शुद्ध जल - 7.0
  9. आँसू - 7.3
  10. खून - 7.4
  11. पित्त - 7.5-8.8
  12. चूना जल - 11.0
  13. बैटरी का पानी - 0.5

लवण (Salt)

  • अम्ल तथा भस्म की अभिक्रिया से लवण तथा जल बनते हैं ।

   

  • अम्ल तथा भस्म के अभिक्रिया से लवण बनते हैं परन्तु अन्य कई विधि है जिनके द्वारा लवण बनते हैं।

       

लवणों के प्रकार-

  1. सामान्य लवण - वैसे लवण जिनमें हाइड्रोजन तथा हाइड्रॉक्सील समूह नहीं रहते हैं। सामान्य लवण कहलाते हैं। 
    उदा०- NaCl, KCI, Na2SO4, Na3PO4 KNO3, CuSO4, NH4CI
  2. अम्लीय लवण - लवण जो किसी भस्म द्वारा किसी अम्ल के अपूर्ण उदासीनीकरण के फलस्वरूप बनते हैं अम्लीय लवण कहलाते हैं। या वैसे लवण जिसमें एक या एक से अधिक हाइड्रोजन परमाणु विद्यमान रहते हैं अम्लीय लवण कहलाते हैं।
    उदा०- NaH2PO4 (सोडियम हाइड्रोजन फॉस्फेट)
  3. भास्मीक लवण - वैसे भस्म जिनके अणु में एक से अधिक हाइड्रॉक्सील समूह होते हैं, भास्मीक लवण कहलाते हैं।
    उदा०- Pb (OH)2, Ba(OH)Cl, Mg (OH)Cl 
  4. मिश्री लवण- वैसे लवण जिसमें एक से अधिक भास्मीक या अम्लीय मूलक (Radicals) उपस्थित हो मिश्रीत लवण कहलाते हैं।
    उदा०- NaKSO4 
    CaOCl2 (विरंजक चूर्ण)
  5. द्विकलवण (Double Salt)- दो सामान्य लवण से निर्मित लवण को द्विक लवण कहते हैं।
    FeSO4 (NH4)2 SO4.6H2O (मोहर लवण )
    K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O (फीटकरी)
  6. जटिल लवण - वैसा लवण जिसमें एक जटिल मूलक उपस्थित रहता है और जो विलयन में भी अपना पृथक अस्तित्व बनाये रखते हैं जटिल लवण कहलाते हैं।
    उदा०- K4 [Fe(CN)6] - पोटाशियम फेरोसायनाइड
              K2 [Fig I4]      - पोटाशियम मरक्यूरिक आयोडाइड 
             [Ag(NH3)2] Cl - डाइ एमिनो सिल्वर क्लोराइड
लवणों के गुण :
  1. जब प्रबल अम्ल तथा प्रबल भस्म आपस में अभिक्रिया करते हैं तो उदासीन लवण बनते हैं जिसका pH मान 7 होता है । 
    उदा०- KCI, NaCl, KNO3, Na2SO4 
  2. प्रबल अम्ल तथा दुर्बल भस्म के अभिक्रिया से अम्लीय लवण बनते हैं जिसका pH मान 7 से कम होता है ।
    उदा०- NH4Cl, FeCl3, CuSO4, AlCl3
  3. दुर्बल अम्ल तथा प्रबल भस्म के अभिक्रिया से भास्मीक लवण या क्षारीय लवण बनते हैं जिसका pH मान 7 से अधिक होता है।
    उदा०- Na2CO3, NaHCO3, CH3COONa, NaCN
  4. लवणों का पसीजना (eliquescent of Salt)- लवणों को खुली हवा में छोड़ने से उनके द्वारा जलवाष्प के अवशोषण के फलस्वरूप द्रव रूप में परिवर्तित होने के गुण को पसीजना कहते हैं। औसे ऐसे लवण प्रस्ववेष लवण (Deliquesent Salt) कहलाता है।
    उदा०- अर्नाद्र CaCl2
बफर विलयन
वह विलयन जिसमें सबल अम्ल (Strong Acid ) या सबल भस्म (Strong base) की थोड़ी मात्रा मिलाने पर विलयन के pH मान में परिवर्तन नहीं होता है बफर विलयन कहलाता है। 
  • बफर विलयन दो प्रकार के होते हैं-
    1. अम्लीय बफर
      उदा०- एसीटिक अम्ल तथा सोडियम ऐसीटेट का विलयन
    2. क्षारीय बफर
      उदा० - अमोनियम हाइड्रॉक्साइड तथा अमोनियम क्लोराइड का विलयन

अभ्यास प्रश्न

1. नींबू के खट्टा स्वाद को कम करने के लिए किसका उपयोग सबसे उपयुक्त होगा ?
(a) पदार्थ जिसका pH मान 8 से अधिक हो
(b) पदार्थ जिसका pH मान 6 से नीचे हो
(c) चीनी
(d) पदार्थ जिसका pH मान 7 के बराबर हो
2. अगर आपको पता चलता है कि आपके गमले की मिट्टी अम्लीय हो गया है जिससे गमले के फूल के विकास ठीक से नहीं हो रहा है तो आप मिट्टी के अम्लीयता दूर करने हेतु मिट्टी में क्या मिलायेंगे ?
(a) चीनी
(b) बेकिंग पाउडर
(c) नमक
(d) चाय पत्ती
3. निम्न में कौन अम्लीय है-
(a) मानव रक्त
(b) लाइम जूस
(c) चूना- जल
(d) ऐंटासीड
4. उत्फुल्लन लवण किसे कहते हैं-
(a) लवण जो वायु के जलवाष्प को अवशोषित करते हैं ।
(b) लवण जो वायु में जल के अणु त्यागते हैं
(c) लवण जो नीले लिटमस को लाल कर देते
(d) लवण जो लिटमस को नीला कर देते हैं ।
5. अभिक्रिया H2O + HCI → H3O+ + CI- में जल का व्यवहार कैसा है ?
(a) अम्ल जैसा
(b) भस्म जैसा
(c) लवण जैसा 
(d) a और b जैसा
6. निम्न में कौन प्रबल अम्ल होगा-
(a) pH = 4.5
(b) pH = 0
(c) pH = 14 
(d) b और c दोनों
7. बेकिंग पाउडर का एक अवयव सोडियम बाईकार्बोनेट है जबकि दूसरा अवयव है-
(a) ऐसीटिक अम्ल
(b) जिंक सल्फेट
(c) टार्टरिक अम्ल
(d) चूना- जल
8. निम्न में कौन हाइड्रोनियम आयन है-
(a) H3O+
(b) H3O-
(c) OH-
(d) OH+
9. एक जलीय विलयन लाल लिटमस को नीला कर देता है। इस विलयन में निम्नलिखित में किसे अधिक मात्रा में मिलाया जाए कि वह विलयन नीला लिटमस को लाल कर दे-
(a) HCl
(b) सोडियम कार्बोनेट
(c) चूना- जल
(d) अमोनियम हाइड्रॉक्साइड
10. जलीय विलयन में एसीटिक अम्ल का आयनन -
(a) नहीं होता है
(b) आंशिक रूप से होता है
(c) पूर्णतः होता है
(d) अनुत्क्रमणीय होता है
11. सोडियम सल्फेट का जलीय विलयन
(a) उदासीन होगा  
(b) क्षारीय होगा
(c) अम्लीय होगा
(d) बफर होगा
12. निम्न में कौन भास्मीक ऑक्साइड है ?
(a) CO2
(b) Na2O
(c) SO2
(d) P2O5
13. निम्न में कौन अम्लीय ऑक्साइड है ?
(a) कैल्शीयम ऑक्साइड
(b) मैग्नीशियम ऑक्साइड
(c) सल्फर डाइ ऑक्साइड
(d) सोडियम ऑक्साइड
14. निम्न में कौन प्रबल भस्म है-
(a) NH4OH
(b) NaOH
(c) Mg(OH)2
(d) Cu(OH)2
15. सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल को कैसे तनु किया जाता है ?
(a) सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल से थोड़ी-थोड़ी मात्रा में जल डाली जाती है।
(b) जब जल की थोड़ी-थोड़ी मात्रा सल्फ्यूरिक अम्ल में डाली जाती है
(c) A तथा B दोनों 
(d) इनमें कोई नहीं
16. आयोडीन युक्त नमक है-
(a) NaCl + KIO3
(b) NaCl + KI
(c) A तथा B दोनों
(d) NaCl + CHI3
17. बैटरी अम्ल है-
(a) सांद्र H2SO4
(b) सांद्र HNO3
(c) सांद्र HCl
(d) कोई नहीं
18. शुद्ध जल का pH मान 25°C पर निम्नलिखित में किसके करीब होगा ?
(a) 0
(b) 7
(c) 2
(d) 9
19. जब किसी विलयन का pH मान घटता है तब विलयन में Ht की सांद्रता- 
(a) घटती है
(b) बढ़ती है
(c) स्थिर होती है 
(d) तेजी से बढ़ती है
20. निम्नलिखित में कौन धातु HCl या NaOH विलयन से अभिक्रिया कर H2 gas मुक्त करता है।
(a) Fe
(b) Zn
(c) Sn
(d) Mg
21. निम्नलिखित में किस विलयन की pH मान अधिकतम होगा ?
(a) NaCl 
(b) Na2CO3
(c) NH4Cl
(d) NaHCO3
22. किस का pH मान सबसे अधिक क्षारीय श्रेणी में होगा-
(a) दूध का 
(b) आँसू का
(c) पसीना का
(d) पित्त का
23. निम्न में किसका pH मान न्यूनतम है
(a) दूध
(b) लार
(c) खून
(d) अमाशय - रस
24. हमारे शरीर का pH रहता है-
(a) 7 से 7.8 के बीच
(b) 8 से 8.8 के बीच
(c) 9 से 9.9 के बीच
(d) इनमें से कोई नहीं
25. किसी अम्लीय विलयन का (H+) होगा ?
(a) 10-7 के बराबर
(b) 10-7 से कम
(c) 10-14 के बराबर
(d) इनमें से कोई नहीं
26. कोई विलयन अंडे के पीसे हुए कवज से अभिक्रिया कर एक गैस उत्पन्न करता है जो चूने जल को दूधिया कर देती है यह विलयन होगा-
(a) NaCl
(b) HCl 
(c) LiCl
(d) KCl
27. भस्म फीनॉल्फ्थैलिन के श्वेत रंग को परिवर्तित कर देता है-
(a) हरा रंग में
(b) गुलाबी रंग में
(c) पीला रंग में
(d) इनमें से कोई नहीं
28. अल्कली शब्द की उत्पत्ति अरबी के-
(a) ऐल्कली से हुई है
(b) स्मूथ से हुई
(c) साबुन से हुई
(d) बिटर से हुई है
29. pH मूल्यांक दर्शाता है-
(a) निगेटिव से फोटो बनाने में काम में लाए जाने वाले रसायन की गुणवत्ता 
(b) किसी घोल के अम्लीय या क्षारीय होने का मूल्यांकन
(c) भूकम्प की तीव्रता का मूल्यांकन
(d) दूध की शुद्धता का मूल्यांकन
30. अमोनियम क्लोराइड का जलीय विलयन होता है-
(a) अम्लीय
(b) क्षारीय
(c) उदासीन
(d) रंगीन
31. लवण जो जल का अवशोषण करता है, कहलाता है-
(a) हाग्रोस्कोपिक लवण
(b) एनहाइड्स लवण
(c) हाइड्रोफिलिक लवण
(d) हाइड्रोफोबिक लवण
32. जल में घुलनशील भस्म (Base) को कहते हैं-
(a) अम्ल
(b) क्षार
(c) लवण
(d) इनमें से कोई नहीं
33. उदासीन घोल का pH मान होता है-
(a) 7 से कम
(b) 7 से अधिक
(c) 7
(d) 14
34. भस्मों का स्वाद होता है-
(a) खारा
(b) खट्टा
(c) मीठा
(d) स्वादहीन
35. भस्म वह पदार्थ है जो-
(a) प्रोटॉन देता है ।
(b) प्रोटॉन ग्रहण करता है।
(c) इलेक्ट्रॉन देता है ।
(d) इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करता है ।
36. दूध का pH मान है-
(a) 6.1
(b) 6.6
(c) 7.4
(d) 8.0
37. शुद्ध जल का pH है-
(a) 0
(b) 1
(c) 7
(d) 14
38. उदासीनीकरण क्रिया में बनता है-
(a) अम्ल
(b) भस्म
(c) लवण
(d) लवण व जल
39. मोहन लवण (Mohr Salt) है-
(a) सरल लवण
(b) संकर लवण
(c) द्विक लवण
(d) जटिल लवण
40. अम्ल वह पदार्थ जो-
(a) इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है ।
(b) इलेक्ट्रॉन प्रदान करता |
(c) प्रोटॉन देता है ।
(d) OH+ आयन देता है ।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here
]]>
Wed, 24 Apr 2024 16:22:02 +0530 Jaankari Rakho
General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | ऑक्सीकरण एवं अवकरण https://m.jaankarirakho.com/1017 https://m.jaankarirakho.com/1017 General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | ऑक्सीकरण एवं अवकरण
  • ऑक्सीकरण एवं अवकरण एक विशेष प्रकार की रसायनिक अभिक्रिया है और यह रसायनिक अभिक्रिया हमारे दैनिक जीवन के कई गतिविधियों के दौरान सम्पन्न होता है । 
  • रसायनिक अभिक्रिया में परमाणु के संयोजी इलेक्ट्रॉन भाग अतः ऑक्सीकरण - अवकरण रसायनिक अभिक्रिया में भी परमाणु के संयोजी इलेक्ट्रॉन ही भाग लेते हैं।

ऑक्सीकरण Ioxidation

1. जब कोई पदार्थ ऑक्सीजन से संयोग करता है, तब यह ऑक्सीकरण कहलाता है-

2. जब अभिक्रिया के दौरान किसी पदार्थ से हाइड्रोजन हट जाता है तो ऑक्सीकरण कहलाता है-

3. ऑक्सीकरण अभिक्रिया के दौरान किसी पदार्थ ऋणात्मक परमाणु या मूलकों (Radicals) का अनुपात बढ़ जाता है या किसी यौगिक विद्युत धनात्मक परमाणु या मूलको का अनुपात घट जाता है-

4. ऑक्सीकरण अभिक्रिया के परमाणु इलेक्ट्रॉन त्याग कर उच्च विद्युत धनात्मक अवस्था में पहुँच जाते हैं अर्थात् इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति ऑक्सीकरण कहलाता है। 

अवकरण (Reduction)

1. अवकरण के दौरान किसी तत्व के साथ हाइड्रोजन का संयोग होता है ।

2. किसी यौगिक से ऑक्सीजन का हटना अवकरण कहलाता है।

3. अवकरण के दौरान पदार्थ में विद्युऋणात्मक तत्व का अनुपात घट जाता है अथवा विद्युत धनात्मक तत्व का अनुपात बढ़ जाता है। 

4. अवकरण के दौरान परमाणु इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते हैं-

रेडॉक्स अभिक्रिया (Redox reaction)

अभिक्रिया के दौरान अकेले न तो ऑक्सीकरण होता है और न अवकरण। ये दोनों प्रक्रिया सदैव साथ-साथ होती है। अभिक्रिया के दौरान अब ऑक्सीकरण एवं अवकरण दोनों साथ-साथ होते हैं उसे Redox reaction कहते हैं । Redox शब्द Reduction तथा Oxdiation से मिलकर बना है ।

ऑक्सीकारक (Oxidizing Agent)

  • अभिक्रिया के दौरान जिस पदार्थ का अवकरण होता है उसे ऑक्सीकारक कहते हैं । अथवा
  • ऑक्सीकारक वे पदार्थ हैं जो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते हैं।

अवकारक (Reducing Agent

  • अभिक्रिया के दौरान जिस पदार्थ का ऑक्सीकरण होता है वह अवकारक कहलाता है अथवा
  • अवकारक वे पदार्थ है जो इलेक्ट्रॉन का त्याग कर सकते हैं।
    उदा०- 1. 2H2 + O2 → 2H2O
    उपर्युक्त अभिक्रिया में हाइड्रोजन ऑक्सीजन प्राप्त कर ऑक्सीकृत हुआ। अतः हाइड्रोजन अवकारक है। ऑक्सीजन हाइड्रोजन प्रापत कर अवकृत हुआ। अतः ऑक्सीजन ऑक्सीकाकर है।
प्रमुख ऑक्सीकारक पदार्थ :
  1. O2 (ऑक्सीजन)
  2. O3 (ओजोन)
  3. H2O2 (हाइड्रोजन पर ऑक्साइड)
  4. HNO3 (नाइट्रीक अम्ल)
  5. Cl2 (क्लोरीन )
  6. kMnO4 (पोटैशियम परमैंगनेटा)
  7. K2Cr2O7 (पोटैशियम डाइक्रोमेट)
  8. PbO2 (लेड ऑक्साइड)
प्रमुख अवकारक पदार्थ
  1. हाइड्रोजन (H2)
  2. हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S)
  3. कार्बन मोनोक्साइड (CO)
  4. सल्फर डाइ ऑक्साइड (SO2)
  5. कार्बन (C)
  6. हाइड्रायोडिक अम्ल (HI)
  7. स्टैनसक्लोराइड (SnCl2)
ऑक्सीकारक पदार्थ की पहचान-
  1. ऑक्सीकारक पोटैशियम आयोडाइड (KI) के विलयन से I2 को मुक्त करता है।
  2. ऑक्सीकारक H2S (हाइड्रोजन सल्फाइड) के जलीय विलयन से गंधक (S) को मुक्त करता है।
  3. ऑक्सीकारक फेरस लवण को फेरिक लवण में परिणत कर देता है ।
  4. ऑकसीकारक HCl से प्रतिक्रिया कर Cl2 को मुक्त करता है ।
अवकारक पदार्थ की पहचान
  1. यह पोटैशियम डाइक्रोमेट के नारंगी रंग के अम्लीय विलयन को हरा कर देता है।
  2. यह गुलाबी रंग के अम्लीय पोटाशियम परमँगनेट के विलयन को रंगहीन कर देता है ।
  3. यह फेरिक लवण को फेरस लवण में परिवर्तित कर देता है।
हमारे दैनिक जीवन में होने वाले ऑक्सीकरण अभिक्रिया
  1. हमारे शरीर में भोजन का पचना ऑक्सीकरण के उदाहरण है। पाचन के दौरान ग्लूकोज का ऑक्सीकरण होता है फलस्वरूप हमें ऊर्जा प्राप्त होती है ।
  2. लंबे समय तक रखे भोजन (बासी भोजन) के स्वाद अप्रिय हो जाते हैं क्योंकि भोजन में उपस्थित वसा और तेल काफी समय के पश्चात वायु के ऑक्सीजन द्वारा ऑक्सीकृत हो जाते हैं ।
  3. धातु में होने वाले संसाक्षण जैसे- लोहे में जंग, चाँदी के ऊपर काली पत्त, तांबे के ऊपर हरी पर्त्त ऑक्सीकरण के कारण होता है।
  4. ईधन ( जलावन, किरोसिन, LPG) का दहन ऑक्सीकरण है ।
Note :- अभिक्रिया के दौरान ऑक्सीकरण- अवकरण सदैव साथ-साथ होते हैं अतः उपर्युक्त उदाहरण रेडॉक्स अभिक्रिया के भी उदाहरण हैं।

अभ्यास प्रश्न

1. नीचे दी गयी अभिक्रिया के संबंध में कौन सा कथन असत्य है ?
2PbO + C → 2Pb + CO2
1. सीसा अपचयित हो रहा है
2. कार्बन उपचयित हो रहा है।
3. कार्बन-डाई-ऑक्साइड उपचयित हो रहा है
4. लेड ऑक्साइड उपचयित हो रहा है
(a) 1 तथा 3
(b) 1 तथा 2
(c) 1, 2 तथा 3
(d) सभी
2. Na इलेक्ट्रॉन खोकर Na आयन बनाता है। इस क्रिया में सोडियम की होती है-
(a) ऑक्सीकरण
(b) अवकरण
(c) ऑक्सीकरण तथा अवकरण
(d) इनमें से कोई नहीं
3. Cl2 है-
(a) अवकारक
(b) अवकारक तथा ऑक्सीकारक
(c) ऑक्सीकारक
(d) इनमें से कोई नहीं
4. SnCl2 है—
(a) ऑक्सीकारक
(b) ऑक्सीकारक तथा अवकार 
(c) अवकारक
(d) इनमें से कोई नहीं
5. इनमें कौन ऑक्सीकारक तथा अवकारक दोनों है-
(a) KCIO3 
(b) KMnO3
(c) H2O2
(d) H2S
6. गन्धकाम्ल है-
(a) ऑक्सीकारक
(b) ऑक्सीकारक तथा अवकार
(c) अवकारक
(d) इनमें से कोई नहीं 
 
7. इनमें कौन ऑक्सीकारक तथा अवकारक दोनों है ?
(a) HNO3
(b) KCl
(c) H2S
(d) (d) SO2
8. शरीर में भोजन का पचना किस प्रकार की अभिक्रिया है ? 
(a) अवकरण 
(b) ऑक्सीकरण
(c) उदासीनीकरण
(d) वैद्युत-अपघटन
9. कौन-सा पदार्थ बिना ज्वाला के जलता है- 
(a) मैथेन गैस
(b) किरोसिन
(c) कोयला
(d) मोमबत्ती
10. द्रवीभूत पेट्रोलियन गैस का जलना निम्नलिखित में किस प्रकार की अभिक्रिया है ? 
(a) अपघटन 
(b) अवकरण
(c) दहन
(d) संश्लेषण 
11. फेरस क्लोराइड का फेरिक क्लोराइड में परिवर्तन
(a) ऑक्सीकरण अभिक्रिया है
(b) अवकरण अभिक्रिया है 
(c) विघटन अभिक्रिया है
(d) इनमें से कोई नहीं
12. निम्नलिखित में किसमें ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या सबसे अधिक है ?
(a) H2O2
(d) K2O
(c) KO2
(d) O2F2
13. किसी अभिक्रिया में एक धातु आयन M2+ द्वारा दो इलेक्ट्रॉनॉ का त्याग कर दिये जाने पर धातु की ऑक्सीकरण संख्या हो जती है ?
(a) O
(b) +2
(c) +4
(d) -2
14. निम्नलिखित में किस यौगिक में क्लोरीन की ऑक्सीकरण अवस्था +1 है ?
(a) HCl
(b) HCIO
(c) Cl2O
(d) ICI
15. एक धातु आयन m+ से 3 इलेक्ट्रॉन के निकल जाने पर धातु की ऑक्सीकरण संख्या हो जाती है-
(a) 0
(b) +6
(c) +2
(d) +4
16. निम्नलिखित में से सबसे प्रबल ऑक्सीकारक एजेंट क्या है ?
(a) ऑक्सीजन 
(b) क्लोरीन
(c) फ्लूओरीन
(d) आयोडीन
17. ऑक्सीकाकर एक पदार्थ है, जो-
(a) एक दिये गये पदार्थ में मूल तत्व के ऑक्सीकरण अंक को बढ़ता है।
(b) एक दिये गये पदार्थ में मूल तत्व के ऑक्सीकरण अंक को घटाता है
(c) एक उपापचयन अभिक्रिया में खुद ऑक्सीकृत हो जाता है
(d) एक उपापचयन अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन खो देता है
18. इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति कहलाती है-
(a) ऑक्सीकरण
(b) अवकरण
(c) उत्प्रेरण
(d) अभिप्रेरण
19. OF2 में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण अवस्था है-
(a) +2
(b) -2
(c) +1
(d) -1
20. निम्नलिखित में से कौन-सा पदार्थ ऑक्सीकारक तथा अवकारक दोनों की तरह प्रयुक्त किया जाता है ?
(a) H2O2
(B) KCIO3
(c) KmnO4
(D) HNO3
21. K2MnO4 में Mn की उपचयन अवस्था (Oxidation State) है-
(a) +2
(b) +7
(c) -2
(d) +6
22. निम्नलिखित में से कौन-सा पदार्थ ऑक्सीकारक तथा अवकारक दोनों की तरह प्रयुक्त किया जाता है ? 
(a) सोडियम थायोसल्फेट
(b) सोडियम नाइट्रेट 
(c) सोडियम नाइट्राइट
(d) सोडियम सल्फाइड
23. ऑक्सीजन की +2 ऑक्सीकरण अवस्था वाला यौगिक निम्नलिखित में से कौन-सा है ?
(a) F2O
(b) MnO2
(c) H2O2
(d) CO2
24. विद्युत् धनात्मक तत्वों से संयोग करने की क्रिया को क्या कहा जाता है ?
(a) ऑक्सीकरण 
(b) अवकरण
(c) दहन
(d) भंजन
25. Na2SO4 में S की ऑक्सीकरण अवस्था है-
(a) +6
(b) +7
(c) +8
(d) +9
26. लोहे पर जंग लगना किसका उदाहरण है
(a) ऑक्सीकरण
(b) अवकरण
(c) बहुलीकरण
(d) जस्तीकरण
27. अम्लीय माध्यम में पोटैशियम परमैंगनेट की फेरस अमोनियम सल्फेट के साथ प्रतिक्रिया में पोटैशियम परमैंगनेट में मैंगनीज की ऑक्सीकरण अवस्था में परिवर्तन है-
(a) +5 से +2
(b) +6 से +2
(c) +7 से +2
(d) +7 से +3
28. ऑक्सीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें तत्व की संयोजकता-
(a ) घट जाती है
(b) बढ़ जाती है
(c) अपरिवर्तित रहती है
(d) इनमें से कोई नहीं
29. ऑक्सीकरण-अवकरण अभिक्रिया में- 
(a) परमाणु के कोर इलेक्ट्रॉन भाग लेते हैं I
(b) परमाणु के संयोजी इलेक्ट्रॉन भाग लेते हैं।
(c) परमाणु की पहली कक्षा के इलेक्ट्रॉन भाग लेते हैं।
(d) परमाणु के नाभिक भाग लेते हैं।
30. जब एक ताम्र दण्ड को जलीय सिल्वर नाइट्रेट विलयन में डुबाया जाता है, तो विलयन का रंग बदलकर नीला हो जाता है । ऐसा किसलिए होता है ? 
(a) Cu, Ag की अपेक्षा अधिक आसानी से अपचयित होता है
(b) Ag, Cu की अपेक्षा अधिक आसानी से अपचयित होता है
(c) नाइट्रेट आयन उपचायक की तरह कार्य करता है
(d) नाइट्रेट आयन अपचायक की तरह कार्य करता है
31. इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति कहलाती है-
(a) ऑक्सीकरण
(b) अवकरण
(c) उत्प्रेरण
(d) आभिप्रेरण
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here
]]>
Wed, 24 Apr 2024 15:15:23 +0530 Jaankari Rakho
General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | नाभिकीय https://m.jaankarirakho.com/1016 https://m.jaankarirakho.com/1016 General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | नाभिकीय

रेडियोसक्रियता (Radioactivity) :

हेनरी बैकुरल ने देखा की कुछ तत्व विकिरण का उत्सर्जन स्वयं करते हैं। उन्होंने इस परिघटना को रेडियोएक्टिवता कहा और बताया ये तत्व रेडियोएक्टिव तत्व है ।
रेडियोसक्रियता परमाणु का नाभिक का गुण है यानि इस परिघटना में परमाणु के नाभिक भाग लेते हैं । प्रायः ऐसे तत्व जिनके नाभिक अस्थायी होते हैं वे रेडियोएकटीव बन जाते हैं ।
स्थायी नाभिक और अस्थायी नाभिक :
जिन नाभिक में N/Z का मान लगभग 1 होता है, वे बहुत स्थायी होते हैं। जब नाभिक में N/Z का मान 5 से अधिक हो जाता है वह अस्थायी और रेडियोएक्टीव बन जाते हैं क्योंकि स्थायित्व प्राप्त करने के लिए अस्थायी नाभिक स्वतः विकिरण उत्सर्जन करने लगता है ।
N = न्यूट्रॉन की संख्या, Z = परमाणु संख्या या प्रोटॉनों की संख्या ।

रेडियोसक्रिय किरणें (Radioactivity Ray) :

रेडियोसक्रिय तत्व का अध्ययन करके रदरफोर्ड ने पता लगाया इन तत्वों से तीन प्रकार के किरणें निकलते हैं। उन्हें इन किरणें अलफा कण (α), बीटा कण (β), गामा किरण (γ) नाम दिया ।
अल्फा किरणों का गुण :
  1. ये किरण धनावेशित होते हैं तथा हिलियम नाभिक के समकक्ष होते हैं क्योंकि 2 इलेक्ट्रॉन के साथ α-किरण हिलियम गैस दे हैं । (α- किरण = He++)
  2. α–किरण पर कोई इकाई धन आवेशित होता है, तत्व द्वारा एक a-कण के उत्सजन से उसके परमाणु क्रमांक में 2 तथा पराम द्रव्यमान में 4 की कमी होती है।
  3. किरण धनआवेशित होने के कारण विद्युत् चुंबकीय क्षेत्र में ऋणावेशित प्लेट की तरफ मुड़ जाती है ।
  4. इस किरण का वेग 2.3 × 109 cm/sec. होता है यानि प्रकाश के वेग का 1/10 भाग ।
  5. इसका द्रव्यमान β और γ के तुलना में अधिक होता है जिसके कारण इसकी भेदन क्षमता बहुत ही कम होता है। यह 1mm AL की परत को भी नहीं भेद पाता है ।
  6. गैसों को आयनीकृत करने की प्रबल क्षमता होती है। β किरण के तुलना में 100 गुणा अधिक है γ किरण के तुलना में 10,000 गुणा अधिक। यानि इसकी आयनन क्षमता सबसे अधिक होती है।
  7. α-कण पर 3.203 × 10-19 कूलम्ब आवेश तथा α-कण का द्रव्यमान 6.645 × 10-27 kg होता है।
  8. α-कण विद्युत तथा चुंबकीय क्षेत्रों में कम विक्षेपित होता है इससे स्पष्ट है α-कण भारी कणों से मिलकर बना है जिसका जड़त्व अधिक होता है।
  9. α- कण शरीर के मांसपेशी को जला देती है अतः यह अत्यंत हानिकारक है ।
  10. α-कण को रोकने पर यह उष्मीय प्रभाव को दर्शाता है।
β-किरणों के गुण
  1. β-किरणें ऋण आवेशित कण होते हैं यह इलेक्ट्रॉन के समरूप होते हैं।
  2. भेदन क्षमता इसकी α- किरण से 100 गुणा अधिक तथा आयनन क्षमता α- किरण के तुलना में कम होता है ।
  3. इसका वेग प्रकाश के वेग के लगभग बराबर होता है।
  4. तत्व से एक बीटा कण के उत्सर्जन से परमाणु क्रमांक में 1 की वृद्धि होती है जबकि परमाणु द्रव्यमान अपरिवर्तित रहता है, यानि - उत्सर्जन से तत्व के समभारिक बनता है ।
  5. β- किरण द्वारा सामान्य ताप और दाब पर वायु में चली हुई दूरी का परास α- कणों के अपेक्षा अधिक होता है।
γ-किरणों का गुण :
  1. ये रेडियोसक्रिय तत्व द्वारा उत्सर्जित उच्च ऊर्जा युक्त विद्युत् चुंबकीय तरंग है जिस पर कोई आवेश नहीं पाया जाता है।
  2. इसकी वेधन क्षमता सबसे अधिक और आयनन क्षमता सबसे कम होती है।
  3. इसके उत्सर्जन में रेडियोसक्रिय तत्व के द्रव्यमान या आवेश में कोई परिवर्तन नहीं होता है। सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक विन्यास बदल जाता है ।
  4. α–कण तथा β-किरण प्रतिदीप्ती (Fluerescence) उत्पन्न करते हैं जबकि किरण प्रतिदीप्ती के साथ स्फुरदीप्ती (Phosphorescence) भी उत्पन्न करता है ।
  5. γ किरण विद्युत चुंबकीय तरंग है अतः इसका वेग प्रकाश के वेग के बराबर होते हैं ।
कृत्रिम रेडियोसक्रियता :
अस्थायी नाभिक स्वतः विकिरण उत्सर्जित करते हैं, परन्तु जब स्थायी तत्व (स्थायी नाभिक वाले तत्त्व) को प्रोटॉन या अल्फा कणों के प्रहार से उसे रेडियो सक्रिय तत्त्व में परिवर्तित किया जाता है, तो उसे कृत्रिम रेडियोसक्रियता कहते हैं । इसकी खोज आईरीन क्यूरी और उनके पति एफ० जोलियोर ने किया था ।
रेडियोसक्रियता की इकाई :
गिगर- मूलर काउण्टर या बैकुरल द्वारा मापा जाता । इसका SI मात्रक बेकुरल है।
रेडियोसक्रिय समस्थानिक का दैनिक जीवन में प्रयोग-
  1. कोबाल्ट समस्थानिक का प्रयोग कैंसर रोग के इलाज में किया जाता है।
  2. आयोडीन समस्थानिक का उपयोग थॉयराइड ग्रन्थी के इलाज में किया जाता है।
  3. सोडियम समस्थानिक का उपयोग रक्त परिसंचरण के अध्ययन करने में किया जाता है।
  4. कार्बन समस्थानिक का प्रयोग जीवाश्म, प्रागऐतिहासिक पदार्थों, जानवरों या पत्थरों के पुराने नमुने की आयु ज्ञात करने में होता है। इस विधि को रेडियो आसोटोप इंडिंग कहते हैं ।
  5. रेडियो सक्रिय यूरेनियम का प्रयोग पृथ्वी के आयुनिर्धारण में किया जाता है।
अर्द्ध-आयु (Half Life)
किसी रेडियो ऐक्टिव तत्व में किसी क्षण पर उपस्थित परमाणुओं के आधे परमाणु जितने समय में विघटित हो जाते हैं उस समय को उस तत्व की अर्द्ध-आयु कहते हैं । प्रत्येक तत्त्व की अर्द्ध-आयु निश्चित होती है।
  • रेडियो ऐक्टीव तत्वों में परमाणुओं का विघटन अनियमित रूप से होता है। इसमें यह निश्चित नहीं होता कौन-सा परमाणु पहले विघटित होगा। लेकिन एक नियत समय में विघटित होने वाली परमाणु संख्या नियत होती है।
  • रेडियो - ऐक्टीव तत्वों के विघटन से α, β, γ किरणों के रूप में काफी ऊर्जा की उत्पत्ति होती है। ऊर्जा की उत्पत्ति आइन्सटाइन के सूत्र - E = mc2 के अनुरूप होता है।
  • यदि किसी तत्त्व की अर्द्ध-आयु 5000 वर्ष और आज इसकी मात्रा 100 gram है तो 5000 वर्ष बाद उसकी मात्रा 15000 वर्ष उसकी मात्रा 12.5 gram होगी और अन्ततः प्रत्येक तत्त्व का रेडियो एक्टिव क्षरण के बाद वह सीसा में परिणत हो जाता है । रेडियो एक्टीव क्षरण पदार्थ के मात्रा पर निर्भर नहीं करता है।
नाभकीय अभिक्रिया (Nuclear Reaction)
  • नाभकीय अभिक्रिया वह अभिक्रिया है जिसमें परमाणु के नाभीक भाग लेते हैं। इस अभिक्रिया में द्रव्यमान की हानि होती है तथा द्रव्यमान की हानि आइंसटाइन के अनुसार ऊर्जा में परिणत होता है।
  • नामकीय अभिक्रिया दो प्रकार का होता है-
    1. नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission)
    2. नाभकीय संलयन (Nuclear Fusion )
  • नाभिकीय अभिक्रिया में मुक्त ऊर्जा को नाभकीय ऊर्जा कहते हैं ।
  • रदरफोर्ड को नाभकीय भौतिकी का पिता कहा जाता है।
नाभकीय विखंडन :
नाभिकीय विखंडन वह अभिक्रिया है जिसें भारी परमाणु जैसे— यूरेनियम, प्लूटोनियम, थोरियम के नाभिक को कम वेग वाले न्यूट्रॉन से प्रहार कर हल्के नाभीक में तोड़ दिया जाता है।

(इस अभिक्रिया में U-235 के विखंडन के बाद मोलिब्डेनम तथा लँथेनम बनते समय द्रव्यमान की हानि 0.214 होती है जिससे 200 Mev ऊर्जा उत्पन्न होती है ।)
  • नाभकीय विखंडन के समय 2 अथवा 3 अतिरिक्त न्यूट्रॉन उत्पन्न होते हैं जो आगे U-235 के नाभिक को विखंडन कर सकता है इस तरह से यह अभिक्रिया श्रृंखला अभिक्रिया होती है ।
  • अगर नाभकीयविखंडन के समय श्रृंखला अभिक्रिया नियंत्रित नहीं किया जाए तो भ्यानक विस्फोट होता है जो परमाणु बम का विस्फोट कहलाता है।
  • अगर नाभकीय विखंडन के समय श्रृंखला अभिक्रिया को नियंत्रित कर लिया जाए तब इसका उपयोग परमाणु रिएक्टर द्वारा विद्युत उत्पादन में होता है ।
  • नाभकीय विखंडन के समय निकलनेवाली ऊर्जा का माप इलेक्ट्रॉन वोल्ट (eV) में किया जाता है।
    1 eV = 1.602 × 10-9 (जूल)
    106 ev = 1 mev (मेगा इलेक्ट्रॉन बोल्ट)
नाभकीय संलयन
  • कुछ विशेष परिस्थिति में जब हल्के तत्व के नाभीक आपस में मिलकर अपेक्षाकृत भारी परमाणु क्रमांक के नाभिक का निर्माण करते हैं तो इसे नाभकीय निर्माण करते हैं, तो इसे नाभकीय संलयन कहते हैं।

  • नाभकीय संलयन हेतु अतिउच्च ताप ( लगभग -4000000°C से अधिक) पर सम्पन्न होती है तथा नाभकीय संलयन में नाभकीय विखंडन के तुलना में अधिक ऊर्जा निकलता है।
  • 1939 में हँस बैथे ने बताया की सूर्य से प्राप्त हो रही वृहत ऊर्जा का स्त्रोत सूर्य के क्रोड में होने वाली नाभकीय संलयन है। हँस बैथे ने बतलाया की सूर्य के क्रोड में हाइड्रोजन के चार नाभीक आपस में मिलकर हिलियम नाभिक बनाता है जिससे पर्याप्त मात्रा में उष्मा ऊर्जा उत्पन्न होती है ।

उष्मा नाभकीय अभिक्रिया (Thermo Nuclear Reaction)

अति उच्च ताप अथवा प्लाज्मा की परिस्थितियों में सम्पन्न होने वाली नाभकीय संलयन की अभिक्रिया को उष्मा नाभकीय अभिक्रिया कहते हैं। सूर्य के क्रोर्ड में होने वाली नाभकीय संलयन उष्मा नाभकीय अभिक्रिया के उदाहरण है।
  • प्लाज्मा पदार्थ की चौथी अवस्था है जिसमें पदर्थ अणु परमाणु में बदलकर पुनः परमाणु इलेक्ट्रॉन एवं धन आवेशित आयन में टूटकर आयनीकृत हो जाते हैं । परन्तु पदार्थ प्लाज्मा स्थिति में भी उदासीन (धन आवेश = ऋण आवेश) रहते हैं। सूर्य, तारों में प्लामा स्थिति पायी जाती है और प्लाज्मा स्थिति में ही नाभकीय संलयन अभिक्रिया सम्पन्न होता है ।
  • नाभकीय संलयन अभिक्रिया व्यवहारिक रूप से सम्पन्न कराना मुश्कील है क्योंकि नाभकीय संलयन अभिक्रिया अत्यधिक ताप की जरूरत होती है और इतनी धिक ताप पृथ्वी पर केवल परमाणु विस्फोट कराकर ही प्राप्त किया जा सकता है।
  • नाभकीय विखंडन से प्राप्त ऊर्जा अनवीकरणीय है तथा इस अभिक्रिया में प्रदूषण अधिक होता है इसके विपरित नाभकीय संलयन प्राप्त ऊर्जा नवीकरणीय है और इसमें नाभकीय विखंडन के तुलना में कम प्रदूषण होता है ।
परमाणु बम
परमाणु बम में निम्नलिखित विशेषता पायी जाती है:-
  • परमाणु बम नाभकीय विखंडन की क्रिया पर आधारित बम है ।
  • इसमें भारी तत्व जैसे— यूरेनियम नेप्चूनियम, प्लूटोनयिम आदि का प्रयोग होता है ।
  • परमाणु बम में हाइड्रोजन बम की तरह उच्चताप और उच्च दाब की जरूरत नहीं होती है।
  • परमाणु बम हाइड्रोजन बम की तुलना में कम खतरनाक है क्योंकि परमाणु बम विस्फोट से प्रतिग्राम कम ऊर्जा निकलती है।
हाइड्रोजन बम
हाइड्रोजन बम में निम्नलिखित विशेषता पायी जाती है-
  1. हाइड्रोजन बम नाभकीय संलयन पर आधारित है।
  2. हाइड्रोजन बम में उच्च ताप और उच्च दाब जैसी पूरी स्थिति की आवश्यकता होती है I
  3. हाइड्रोजन बन हल्कं तत्व- हाइड्रोजन का उपयोग होता है।
  4. हाइड्रोजन बन में हल्के तत्व हाइड्रोजन के ऊपर नामकीय विखंडन वाले तत्व का आवरण रहता है। पहले विखंडन की क्रिया कर उच्च ताप प्राप्त किया जाता है फिर संलयन प्रारंभ होता है और हाइड्रोजन बम विस्फोट होता है।
  5. परमाणु बन के तुलना में हाइड्रोजन में अधिक कर्जी निकलती है।
नाभकीय रिएक्टर (Nuclear Reactor)
  • नामकीय रिएक्टर ऐसा संयंत्र है जिसमें नियंत्रित नामकीय विखण्डन से मुक्त ऊर्जा का इस्तेमाल पानी को माप बनाने में में किया जाता है और नाम को नदद से टरबाइन को घुमाकर विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। 
  • परमाणु रिएक्टर के निम्न भाग होते हैं-
    1. नामकीय ईंधन रिएक्टर में ईंधन के रूम संवर्धित यूरनियन-205 के छड़ का उयोग होता है। संवर्धित यूरनियम -235 में प्राकृतिक यूरेनियम के तुलना में अधिक यूरेनियम होता है। प्राकृतिक यूरेनियम में U-235 की 0.7% होती है जबकि संवर्धित यूरेनियन ने U-235 की मात्रा 2-3% होती है। शेष के रूप में 0-238 होता है जिसका विखंडन नहीं होता है।
    2. नियंत्रक छड़ (Control rods) यह छड़ कैडनियम या ब्रोटॉन का बना होता है जा विखंडन के दौरान निकले अतिरिक्त न्यूट्रॉन को अवशोषित करता है नियंत्रक छड़ को ईंधन वाले छड़ के बीच में घुसाकर रखा जाता है।
    3. मंदक (Moderator) नाभकीय रिएक्टर में नंदक का कान होता है न्यूट्रॉन की गति को कम करना क्योंकि विखंडन के लिए कम बैग वाला न्यूट्रॉन की आवश्यकता होती है। नंदक के नाम में ग्रेफाइट या भारी जल का इस्तमाल होता है।
    4. शीतक अथवा शीतलक (Coolom) निरक्टर में उत्पन्न ऊर्जा को प्राप्त कर जा पदार्थ बाहर निकलता है उसे शीतक कहते हैं। शीतक के रूप में जल, नारीजल या तरल सोडियन का उपयोग होता है।
    5. ऊष्मा परिवर्तक (Heat Exchanger ) शीतक जो ऊर्जा प्राप्त कर बाहर निकलता है उससे पानी को गर्म किया जाता है। पानी को ही उष्मा परिवर्तक कहते हैं। यह एक प्रकार का Bioler है।
    6. मजबूत आवरण (Shieldin) रिएक्टर में नामकीय विकीरण ( B और १) निकलता है अतः इसको बाहर आने से रोकने के लिए रिक्टर को क्रकीट की मोटी दिवार से कॉ जाता है।
    • नानकीय रिएक्टर का इस्तेमाल न सिर्फ विद्युत उत्पन्न करने में बल्कि नामकीय अनुसंधान में, मानव निर्मित समस्थानिक बनाने में भी होता है।
  • नामकीय अभिक्रिया के दौरान नामकीय विकिरन निकलते हैं जो निम्न खतरे उत्पन्न कर सकते हैं-
    1. नामकीय विकिरण से मनुष्य की मृत्यु हो सकती है वे विकलांग हो सकता है।
    2. नामकीय विकिरण के प्रभाव से मनुष्य में अनुवंशिक परिवर्तन नी हो सकता है।
    3. नानकीय विकिरण के प्रभाव ते ननुष्य की आयु घट सकती है।
    4. यूक्रेन के चेनबोल रिएक्टर में 26 अप्रैल, 1986 को दुर्घटना घट चुकी है जिसे 2 लाख लोग प्रभावित हुए थे।
    5. हैरान कर देने वाला तथ्य - झारखंड के जादुगुड़ा क्षेत्र में यूनियन की खान है। यूरेनियम रेडियो एक्टीव है जिससे नामकीय विकिरण निकलते हैं। सर्वे के अनुसार जादुगुड़ा क्षेत्र में विकृत बच्चे जन्म ले रहे हैं और वहाँ के लोगों की आयु घट रही है।
  • नाभकीय अभिक्रिया, रसायनिक अभिक्रिया से निम्न प्रकार से भिन्न है-
    1. रतावनिक अभिक्रिया में परमाणु के बाध्यतान कक्षा के इलेक्ट्रॉन नाग लेते हैं जबकि नामकीय अभिक्रिया में परमाणु के नाभिक ।
    2. रसायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान संरक्षण नियम का पालन होता है जबकि नामकीय अभिक्रिया में द्रव्यमान संरक्षण नियम का पालन नहीं होता है।
    3. रसायनिक अभिक्रिया में नये पदार्थ बनते हैं परमाणु नहीं जबकि नामकीय अभिक्रिया में नये परमाणु बनते हैं।
  • समय-दर- समय नानकीय नौतिकी का विकास किस तरह हुआ इसको जानिए:- (NCERT संस्करण - 2003 के विज्ञान विषय वर्ग - 10 के पेज नं०142 से संकलित)
भौतिकी के महत्वपूर्ण मील के पत्थर
  • 1896:- फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी आन्तवों हेनरी वैकेरल द्वारा रेडियोएक्टिविटी या विघटनामिकता की परिघटना की खोज। 1903 में उन्हें मेरी क्यूरी की नागीदारी में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया।
  • 1897:- ब्रिटिश वैज्ञानिक जे. जे. टॉमसन द्वारा इलेक्ट्रॉन की खोज। इस खेज के लिए उन्हें 1906 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदन किया गया ।
  • 1900:- अर्नेस्ट रदरफोर्ड द्वारा रेडियम से उत्सर्जित किरणों का प्रकारों a-किरणों तथा B -किरणों (दोनों में अधिक वेधनशील) में वर्गीकरण ।
  • 1902:- रदरफोर्ड तथा सॉडी ने रेडियोऐक्टिव-क्षय का सिद्धांत प्रकाशित किया ।
  • 1904:- रदरफोर्ड ने खोज द्वारा यह बताया कि a - किरणें भारी तथा धनावेशित कण हैं। 1908 में, उनके कार्य के लिए, उन्हें रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • 1905:- अल्बर्ट आइंसटीन ने द्रव्य तथा ऊर्जा के रूपांतरण ( E = mc2 ) से संबंधित आपेक्षिकता का विशिष्ट सिद्धांत प्रकाशित किया ।
  • 1911:- रदरफोर्ड द्वारा परमाणु का 'प्लम पुडिंग' (Plum Pudding) मॉडल प्रस्तावित किया गया । मेरी क्यूरी ने दूसरा नोबेल पुरस्कार जीता, इस बार यह रसायन विज्ञान में रेडियम तथा पोलोनियम को वियुक्त करने तथा उनके गुणधर्मों का अन्वेषण करने के लिए था ।
  • 1913:- नील बोहर ने नाभिकीय तथा क्वांटम सिद्धांतों को संयोजित करके परमाणु का बोहर मॉडल प्रस्तावित किया।
  • 1919:- रदरफोर्ड ने प्रथम कृत्रिम प्रेरित नाभिकीय अभिक्रिया प्रस्तुत की । नाइट्रोजन गैस पर a- कणों की बमबारी करके एक ऑक्सीजन का आइसोटोप तथा एक प्रोटॉन उत्पन्न किया गया।
  • 1920:- 'रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन' में अपने भाषण में रदरफोर्ड ने न्यूट्रॉन के अस्तित्व से संबंधित अपना चिंतन प्रस्तुत किया।
  • 1921:- रदरफोर्ड तथा जेम्स चॉडविक ने कार्बन, ऑक्सीजन, लिथियम तथा बेरिलियम के ३ आतरिक्त सभी ज्ञात तत्वों के त्वांतरण का सफल प्रयोग किया।
  • 1925 :- वर्नर हाइजेनबर्ग, मैक्स बॉर्न तथा बाद में इरविन श्रोडिन्गर ने क्वांटम यांत्रिकी का विकास किया। हाइजेनबर्ग को इस योगदान के लिए 1932 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • 1927:- वर्नर हाइजेनबर्ग ने अनिश्चितता - सिद्धांत प्रस्तावित किया जिसके अनुसार किसी कण की स्थिति तथा संवेग तत्क्षण निर्धारित करना संभव नहीं है।
  • 1929:- अर्नेस्ट ओ. लारेंस ने प्रथम साइक्लोट्रॉन की धारणा की कल्पना की । इस मशीन द्वारा प्रोटॉनों जैसे आवेशित कणों की अति उच्च चाल करने में सहायता मिली, जिनके द्वारा नाभिकीय अभिक्रिया कराई जा सकती थी । उन्हें इस खोज के लिए 1939 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कर प्रदान किया गया।
    जॉन कॉकरॉफ्ट तथा ई. टी. एस. वाल्टन ने प्रोटॉन को त्वरित करने के लिए उच्च वोल्टता का उपयोग करके "रैखिक त्वरक” (Linear accelerator) विकसित किया। इसकी सहायता से उन्होंने नाभिकीय अभिक्रियाओं ( परमाण्वीय तत्वांतरण) का अध्ययन किया। इन्हें 1951 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया । 
  • 1931:- हैरोल्ड यूरे ने हाइड्रोजन के आइसोटोप "ड्यूटीरियम' की खोज की, जिसके नाभिक में एक प्रोटॉन व एक न्यूट्रॉन होता है।
  • 1932:- जेम्स चॉडविक द्वारा न्यूट्रॉन की खोज ।
  • 1934:- फ्रेडेरिक तथा आइरीन जोलिऑट-क्यूरी द्वारा कृत्रिम रेडियोऐक्टिवता की खोज ।
    एनरिको फर्मी ने न्यूट्रॉनों से यूरेनियम को किरणित करके प्रथम परायूरेनियम तत्व उत्पन्न किया, परंतु अनजाने ही संसार का प्रथम नाभिकीय विखंडन प्राप्त हुआ ।
    फर्मी को 1938 में परायूरेनियम तत्वों की खोज (वास्तव में, यूरेनियम का विखंडन) के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया ।
  • 1938:- ऑटो हान तथा फ्रिट्ज़ स्ट्रासमान ने न्यूट्रॉनों द्वारा यूरेनियम में उत्पन्न नाभिकीय विखंडन के उत्पाद के रूप में बेरियम की पहचान की और यह प्रदर्शित किया कि न्यूट्रॉन यूरेनियम नाभिक विखंडित होता है।
  • 1939:- हैंस बेथे ने इस तथ्य को मान्यता प्रदान की कि हाइड्रोजन के नाभिकों के ड्यूटीरियम में संलयित होने के परिणामस्वरूप अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। उन्होंने यह विचार प्रस्तुत किया कि प्राथमिक तौर पर सूर्य से निर्गत ऊर्जा उसमें होने वाली संलयन अभिक्रिया के परिणामस्वरूप ही है। उनके इस कार्य के लिए उन्हें 1967 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • 1941:- ग्लेन सीबोर्ग ने परमाणु क्रमांक 94 के नए तत्व की खोज की तथा इस तत्व का नाम प्लूटोनियम रखा गया ।
  • 1942:- एनरिको फर्मी द्वारा शिकागो विश्वविद्यालय में पहली नियंत्रित संयोजित नाभिकीय अभिक्रिया संपादित की गई।
  • 1945:-   जुलाई 16 – संयुक्त राज्य अमेरिका ने सर्वप्रथम आलमोगोरदो, न्यू मेक्सिको पर हमला परमाणु बम विस्फोट किया (ट्रीमटी परीक्षण) ।
    अगस्त 6 - हिरोशिमा, जापान पर "लिटिल बॉय", एक यूरेनियम बम गिराया गया। 80,000 से 140,000 के बीच व्यक्ति मारे गए।
    अगस्त 9 - नागासाकी, जापान पर "फैट मैन" एक प्लूटोनियम बम गिराया गया। लगभग 74,000 व्यक्ति मारे गए।
नाभिकीय शस्त्रों के विकास में महत्वपूर्ण युगांतकारी घटनाएँ
  • 1945:- प्रथम नाभिकीय बम के परीक्षण विस्फोट तथा हिरोशिमा एवं नागासाकी, जापान, पर गिराए गए बमों के विषय में उपरोक्त बॉक्स में वर्णन दिया जा चुका है। 
  • 1946:- जून 30 संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा बिकिनि अटोल पर प्रथम अवस्थलीय प्रस्फोटन |
    दिसंबर 25- सोवियत यूनियन द्वारा मास्को में अपनी प्रथम नाभिकीय श्रृंखला अभिक्रिया संपादित की गई ।
    अगस्त 29 - सोवियत यूनियन ने कजाखस्तान में अपनी प्रथम परमाणु बम, जोइ 1, विस्फोटित किया। इससे 21 किलोटन के तुल्य ऊर्जा उत्पन्न हुई।
  • 1952:- अक्टूबर 3- प्रथम ब्रिटिश परमाणु बम, 'हरीकेन' का आस्ट्रेलिया में परीक्षण किया गया। इससे 25 किलो टन के तुल्य ऊर्जा उत्पन्न हुई।
    अक्टूबर 31 - अमेरिका ने प्रथम ताप नाभिकीय विखंडन युक्ति, माइक का ऐनिवेटॉक अटोल पर विस्फोट युक्ति, माइक का ऐनिवेटॉक अटोल पर विस्फोट किया। इससे 10.4 मेगाटन के तुल्य ऊर्जा उत्पन्न हुई।
  • 1955:- नवंबर 22- सोवियत यूनियन द्वारा प्रथम संलयन युक्ति का परीक्षण किया गया। इससे 1.6 मेगाटन के तुल्य ऊर्जा उत्पन्न हुई ।
  • 1957:- 8- ब्रिटेन के सफल ताप नाभिकीय बम परीक्षण ने 1.3 मेगाटन के तुल्य ऊर्जा दर्शायी ।
  • 1959:- फरवरी 13- प्रथम फ्रांसीसी नाभिकीय परीक्षण सहारा मरूस्थल के रेगाने, अल्जीरिया में संपन्न किया गया। इसमें उत्पन्ऊर्जा 60-70 किलो टन के तुल्य थी । 

अभ्यास प्रश्न

1. X-ray के गुण वैसे ही है जैसे-
(a) α-ray का
(b) β-ray का
(c) γ-ray का
(d) कैथोड -ray का
2. निम्न में कौन सही है-
(a) 1 ev = 1.6 × 10-19 जूल
(b) 1 ev = 3 × 108 जूल
(c) 1 ev = 6.02 × 1023 जूल
(d) 1 ev = 1.6 × 10-12 जूल
3. इलेक्ट्रॉन-वोल्ट मात्रक है-
(a) आवेश का
(b) विभवान्तर का
(c) धारा का
(d) ऊर्जा का
4. परमाणु और न्यूक्लीयस के आकार का अनुपात होता है-
(a) 1000 : 1
(b) 1000000 : 1
(c) 10000 : 1
(d) 100000 : 1
5. किसने सर्वप्रथम पता लगाया की सूर्य से प्राप्त ऊर्जा नाभिकीय संलयन का परिणाम है-
(a) रदरफोर्ड
(b) आइंसटीन
(c) हैंस बैथे
(d) प्रेडरीक सोडी
6. किस किरण का वेग प्रकाश का वेग के बराबर होता है
(a) α-ray
(b) β-ray
(c) γ-ray
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
7. रेडियोसक्रियता खोज हेतु हेनरी वैकेरल को किस वर्ष नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया ?
(a) 1906 ई०
(b) 1908 ई०
(c) 1903 ई०
(d) 1913 ई०
8. α, β तथा γ की वेधन शक्तियाँ अपने अवरोही क्रम में किस क्रम में होती है ?
(a) α, β, γ
(b) γ, β, α
(c) β, α, γ
(d) γ, α, β
9. निम्नलिखित रेडियो तत्वों में से किसका उपयोग मनुष्य शरीर में रक्त प्रवाह की गति के मापन में किया जाता है ।
(a) रेडियो-फॉस्फोरस 
(b) रेडियो-आयोडीन
(c) रेडियो - आयरन
(d) रेडियो - सोडियम
10. रेडियोधर्मी पदार्थ में किस दौरान कोई परिवर्तन (द्रव्यमान या आवेश में) नहीं होता ?
(a) β- उत्सर्जन
(b) γ- उत्सर्जन 
(c) ऑक्सीकरण
(d) α- उत्सर्जन
11. 'हाइड्रोजन बम' (Hydrogen Bomb) विकसित किया गया था-
(a) एडवर्ड टेलर द्वारा
(b) बरनर बॉन ब्रॉन द्वारा
(c) जे. रॉबर्ट ओपनहीमर द्वारा
(d) सैमुअल कोहेन द्वारा
12. हाइड्रोजन बम किस सिद्धांत पर कार्य करता है ?
(a) नियंत्रित विखण्डन अभिक्रिया
(b) अनियंत्रित विखण्डन अभिक्रिया
(c) नियंत्रित संलयन अभिक्रिया
(d) अनियंत्रित संलयन अभिक्रिया
13. रेडिसोधर्मिता नापी जाती है-
(a) गिगर-मूलर काउण्टर
(b) पोलरीमीटर
(c) कैलोरीमीटर
(d) बैरोमीटर 
14. न्यूक्लीय रिएक्टरों में विमंदक और प्रशीतक दोनों की तरह प्रयुक्त होने वाला पदार्थ है-
(a) साधारण पानी 
(b) भारी पानी
(c) द्रव अमोनिया
(d) द्रव हाइड्रोजन
15. नाभिकीय संयंत्रों में ग्रेफाइट (Graphite) का उपयोग किया जाता है-
(a ) ईंधन की तरह
(b) स्नेहक की तरह 
(c) विमंदक की तरह
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
16. निम्नलिखित में से कौन-सा सौर ऊर्जा का स्त्रोत है ?
(a) नाभिकीय विखण्डन 
(b) नाभिकीय संलयन
(c) कृत्रिम रेडियोधर्मिता 
(d) X - किरण उत्सर्जन
17. किस प्रकार की अभिक्रिया से सबसे अधिक हानिकारक विकिरण पैदा होता है ?
(a) संलयन अभिक्रिया
(b) विखंडन अभिक्रिया
(c) रासायनिक अभिक्रिया
(d) प्रकाश रसायनिक अभिक्रिया
18. परमाणु शक्ति संयंत्र किस सिद्धान्त पर काम करता है ? 
(a) विखण्डन
(b) संलयन
(c) तापीय दहन
(d) उपर्युक्त दोनों का संयुक्त प्रभाव
19. परमाणु बम का आविष्कार किसने किया था ?
(a) मैडम क्यूरी
(b) पियरे क्यूरी
(c) ऑटो हान
(d) एल्बर्ट आइन्स्टीन
20. यूरेनियम विखण्डन की सतत प्रक्रिया को जारी रखने के लिए किस कण की जरूरत होती है ?
(a) इलेक्ट्रॉन
(b) प्रोटॉन
(c) न्यूट्रॉन
(d) पॉजिट्रॉन
21. सबसे पहले 'रेडियोसक्रियता' शब्द का प्रयोग किसने किया था ?
(a) हेनरी वेक्वेरेल
(b) मैरी क्यूरी
(c) रदरफोर्ड
(d) डी ब्रोगली
22. रेडियो कार्बन काल निर्धारण किसकी आयु का आकलन करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है ?
(a) मृदा
(b) स्मारक
(c) जीवाश्म
(d) चट्टानें
23. पृथ्वी की आयु का आकलन किया जाता है ? 
(a) यूरेनियम डेटिंग से
(b) कार्बन डेटिंग से
(c) परमाणु घड़ी से
(d) जैविक घड़ी से
24. वह प्रणाली क्या कहली है जो प्रागैतिहासिक पदार्थों का काल निर्धारित करने के लिए विघटनाभिकता (Radioactivity) का प्रयोग करती है ?
(a) रेडियम काल निर्धारण
(b) यूरेनियम काल निर्धारण
(c) कार्बन काल निर्धारण
(d) ड्यूटेरियम काल निर्धारण
25. एक रेडियोएक्टिव पदार्थ की अर्द्ध आयु 4 महीने हैं। इस पदार्थ के तीन चौथाई भाग का क्षय होने में समय लगेगा-
(a) 3 महीने 
(b) 4 महीने
(c) 8 महीने
(d) 12 महीने
26. रेडियोधर्मी पदार्थ का आधा जीवनकाल 70 दिन का है। उसी पदार्थ का एक ग्राम कितने दिन बाद 0.25 ग्राम रह जायेगा ?
(a) 140 दिन
(b) 70 दिन
(c) 210 दिन
(d) 280 दिन
27. विघटनाभिक (रेडियोधर्मी) वस्तुओं को किससे बने पात्र में रखना चाहिए ?
(a) Pb
(b) इस्पात 
(c) Fe
(d) Al
28. निम्नलिखित में से कौन एक रेडियोएक्टिव तत्व नहीं है ?
(a) एस्टेटिन
(b) क्रान्सियम
(c) ट्राइटियम
(d) जर्कोनियम
29. नाभिकीय विखंडन के दौरान श्रृंखला अभिक्रिया को नियंत्रित करने के लिए न्यूट्रॉनों का अवशोषण करने हेतु निम्न में से किसका प्रयोग किया जाता है ?
(a) बोरॉन 
(b) भारी पानी
(c) यूरेनयम
(d) प्लूटोनियम
30. निम्नलिखित में से कौन-सा प्राकृतिक रेडियोसक्रियता नहीं दर्शाता है ?
(a) यूरेनियम
(b) थोरियम
(c) एलुमिनियम 
(d) पोलोनियम
31. किस रेडियोएक्टिव तत्व का नाम उसके खोजकर्ता के देश के नाम पर रखा गया है ?
(a) रेडियम
(b) यूरेनियम
(c) पोलोनियम
(d) पेलेडियम
32. समस्त रेडियोसक्रिय पदार्थ क्षय होने के पश्चात् किसमें अंतिम रूप से बदल जाते हैं ?
(a) कोरेण्डम
(b) सीसा
(c) कैडमियम
(d) जस्ता
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here
]]>
Wed, 24 Apr 2024 13:01:39 +0530 Jaankari Rakho
General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | रासायनिक सूत्र & रासायनिक अभिक्रिया & रासायनिक बंधन https://m.jaankarirakho.com/1015 https://m.jaankarirakho.com/1015 General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | रासायनिक सूत्र - रासायनिक अभिक्रिया - रासायनिक बंधन

रसायनिक सूत्र (Chemical Formula)

अगर दो तत्व A तथा B जिनकी संयोजकता क्रमशः 3 तथा 2 है, परस्पर संयोग करके यौगिक बनाती है। इस यौगिक का सूत्र लिखने में उनतत्व के संयोजकता को अदल-बदल करके लिखा जाता है।

रसायनिक समीकरण (Chemical Equation) :

  • रसायनिक अभिक्रिया के भाग लेने वाले पदार्थ के संकेत तथा सूत्र का इस्तेमाल कर अभिक्रिया को दर्शाने का संक्षिप्त रूप है रसायनिक समीकरण कहलाता है।
  • रसायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थ Reactants (अभिकारक ) तथा अभिक्रिया के दौरान बने पदार्थ को Products (उत्पाद) कहते हैं I

रसायनिक अभिक्रिया को संतुलित करना :

  • रसायनिक अभिक्रिया के दौरान परमाणु दूसरे परमाणु से मिलकर नया पदार्थ बना सकते हैं परन्तु परमाणु का नाश नहीं होता है।
  • संतुलित रसायनिक समीकरण वह है जिसमें समीकरण के दोनों ओर प्रत्येक तत्व के परमाणु की संख्या समान होती है।
  • संतुलित करने की विधि-
    उदा०- 1. Mg + HCI → MgCl2 + H2
    पहले हम बायी ओर तथा दाँयी ओर की परमाणु की संख्या पता करते हैं-
          बायी ओर        दाँयी ओर
    Mg    1                   1
    Cl      1                   2
    H       1                   2
    इस समीकरण में Cl तथा H संतुलित नहीं है। अब अगर हम HCl के ठीक पहले 2 लिखकर Cl तथा H दोनों को संतुलित कर लेते हैं ।
    Mg + 2HCl → MgCl2 + H2
    2. Al + H2SO4 → Al2(SO2)3 + H2
    - इस समीकरण में Al संतुलित नहीं है अतः Al से पहले 2 लिखकर AI को संतुलित करते हैं-
    2Al + H2SO4 → Al2(SO4)3 + H2
    - अब इस समीकरण में H संतुलित नहीं है। H को संतुलित करने के लिए H, के आगे 3 लिखते हैं।
    2Al + 3H2SO4 → Al2(SO4)3 + 3H2

रसायनिक अभिक्रिया (Chemical Reaction)

जब कोई पदार्थ अकेले ही या किसी अन्य पदार्थ से प्रतिक्रिया कर भिन्न गुण वाले एक या अधिक नये पदार्थ का निर्माण करता है, तब वह प्रक्रिया रसायनिक अभिक्रिया कहलाती है-
उदा०- 1. हाइड्रोजन का क्लोरीन से प्रतिक्रिया कर हाइड्रोजन क्लोराइड बनाता है -
H2 + Cl2 → 2HCl
2. कैल्शीयम कार्बोनेट को गर्म करने पर वह कैल्शीयम ऑक्साइ और कार्बन-डाई-ऑक्साइड बनाता है- 
CaCO3 → CaO + CO2

रसायनिक अभिक्रिया के प्रकारः-

1. Combination Reaction ( संयोजन अभिक्रिया)
संयोजन अभिक्रिया में दो या अधिक पदार्थ मिलकर एक नये गुण वाले पदार्थ का निर्माण करते हैं ।
उदा०- 1. C + O → CO2
2. Fe + S → FeS
3. CaO + H2O → Ca(OH)2
NOTE : कोयला का दहन जल का निर्माण होना, हैबर विधि से अमोनिया कानिर्माण, मैग्नीशियम के फीते का हवा में जलना संयोजन अभिक्रिया है ।

उष्माक्षेपी रसायनिक अभिक्रिया (Exothermic Chemical Reaction)

जिन अभिक्रिया के दौरान उत्पाद बनने के साथ उष्मा भी उत्पन्न होता है उष्माक्षेपी उत्पन्न होता है उष्माक्षेपी अभिक्रिया कहलाता है ।
उदा०– मिथेन गैस का गलना उष्माक्षेपी अभिक्रिया है- 
-   CH4 + 2O2 → CO2 + 2H2O + ऊर्जा
ईधन का दहन, श्वसन, शाक-सब्जी सब्जी के विघटन में कम्पोस्ट का निर्माणहोना सभी उष्माक्षेपी अभिक्रिया है ।
प्रायः सभी संयोजन अभिक्रिया उष्माक्षेपी होता है।
2. Decompostion Reaction ( वियोजन अभिक्रिया)
वियोजन अभिक्रिया में किसी यौगिक के बड़े अणु के टूटने से दो या अधिक सरल यौगिक बनते हैं जिनके गुण मूल यौगिक के गुण से बिल्कुल भिन्न होते हैं।
उदा०- 1. कैल्शीयम कार्बोनेट को गर्म करने पर -
               CaCO3 → CaO + CO2
         2.   2KCI O3 → 2KCl + 3O3
          पोटाशियम क्लोरेट

उष्माशोषी अभिक्रिया (Endothermic Reaction)

निम्न अभिक्रिया में ऊर्जा का अवशोषण होता है उसे उष्माशोषी अभिक्रिया कहते हैं ।
प्रायः सभी वियोजन अभिक्रिया उष्माशोषी होता है।
3. Electryolytic Decomposition (वैद्युत अपघटन )
कुछ धातुओं के द्रवित ऑक्साइड एवं क्लोराइड से होकर विद्युत धारा प्रवाहित करने पर वे अपघटित हो जाते हैं। अपघटित होकर धातु कैथोड पर तथा ऑक्सीजन या क्लोरीन एनोड पर मुक्त हो जाता है।

विद्युत अपघटन अभिक्रिया भी एक प्रकार का वियोजन अभिक्रिया है । उष्माशोषी अभिक्रिया है ।
4. Displacement Reaction ( विस्थापन अभिक्रिया)
किसी तत्व द्वारा किसी यौगिक से दूसरे तत्व को हटाने की क्रिया विस्थापन अभिक्रिया कहा जाता है-
उदा०- 1. FeSO4 + Zn → ZnSO4 + Fe
          2. Mg + CuSO4 → MgSO4 + Cu
पहला अभिक्रिया में Zn, SO4 को विस्थापित कर दिया है क्योंकि Zn Fe के तुलना में अधिक क्रियाशील ।
दूसरे अभिक्रिया में Mg SO4 को विस्थापित कर दिया है क्योंकि Mg, Cu के तुलना में अधिक क्रियाशील है। 
विस्थापन अभिक्रिया समझने हेतु तत्व का विद्युत रसायनिक श्रेणी जानना आवश्यक है जो निम्न प्रकार है-

5. Double Displacement Reaction ( द्विविस्थापन अभिक्रिया)
जब दो अभिकारक अपने समूहों को बदला - बदली करके दो नये उत्पाद बनाते हैं तो इसे द्विविस्थापन अभिक्रिया कहा जाता है।
उदा०:- 1. NaCl + Ag NO3 → AgCl + NaNO3
           2. FeS + H2SO4 → FeSO4 + H2S
6. Precipitation Reaction (अवक्षेपण अभिक्रिया)
ऐसी रसायनिक अभिक्रिया जिसमें कोई उत्पाद ठोस के रूप में विलयन में पृथक (अलग) हो जाते हैं उसे अवक्षेपण अभिक्रिया कहते है ।
उदा०— NaCl + Ag NO3 → AgCI + NaNO3
                                         अवक्षेप
7. Photo Chemical Reaction ( प्रकाश रसायनिक अभिक्रिया)
वैसी रसायनिक अभिक्रिया जो प्रकाश की उपस्थिति में सम्पन्न होती है प्रकाश रसायनिक अभिक्रिया कहलाता है।
उदा०- 1. प्रकाश की उपस्थिति सिल्वर क्लोराइड का अपघटित होना ।
          2. AgCl → 2Ag + Cl2
          3. प्रकाश - संश्लेषण 
              6CO2 + 6H2O → C6H12O6 + 6O2
प्रकाश रसायनिक अभिक्रिया एक प्रकार का वियोजन तथा उष्माशोषी अभिक्रिया है।
8. Reversible Reaction (उत्क्रमणीय अभिक्रिया)
वैसी अभिक्रिया जिनमें अभिकारक पूर्णतः उत्पाद में परिवर्तित होते हैं परन्तु उत्पाद अभिकारक में परिवर्तित नहीं हो सकते हैं उसे अनुत्क्रमणीय अभिक्रिया कहते हैं।
उदा०— 3Fe + 4H2O → Fe3O4 + 4H2
इस अभिक्रिया में Fe तथा H2O, Fe3O4 बनता है पुनः उत्पाद Fe3O4, H2 के साथ संयोग कर Fe बनाता है। अत यह अभिक्रिया उत्क्रमणीय है।
9. Irreversible Reaction ( अनुत्क्रमणीय अभिक्रिया)
वैसी अभिक्रिया जो दोनों दिशाओं में सम्पन्न होती है यानि अभिकारक उत्पाद बनाते हैं तथा उत्पाद से अभिकारक की पुनः प्राप्ति हो तो इस अभिक्रिया को उत्क्रमणीय अभिक्रिया कहते हैं।
उदा०— NaOH + HCI → NaCl + H2O
इस अभिक्रिया में HCI, H2O के साथ संयोग कर NaOH नहीं बनाता है।।
  • रसायनिक अभिक्रिया को प्रभावित करने वाला कारक-
  1. रसायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले अभिकारक (Reactants) का सांद्रण जितना अधिक होता है अभिक्रिया की दर उतनी अधिक होती है।
    • अधिकतर रसायनिक अभिक्रिया गैसीय अवस्था या जलीय विलयन में कराई जाती है।
    • गैसीय अवस्था में गैस का दाब ही सांद्रता का सूचक होता है यानि गैसीय अवस्था में गैस का दाब जितना अधिक रहेगा अभिक्रिया उतनी ही तेजी से होगी।
  2. ताप को बढ़ाने पर अधिकांश रसायनिक अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है।
    • सर्दी के मौसम के अपेक्षा गर्मी के मौसम में दूध तथा दूध के उत्पाद जल्द खराब होते हैं क्योंकि गर्मी में रसायनिक प्रतिक्रिया तेजी से होता है।
  3. 3. रसायनिक अभिक्रिया में उत्प्रेरक का कभी प्रभाव है।
  • उत्प्रेरक (Catalyst)-- वे पदार्थ जो किसी अभिक्रिया की दर को परिवर्तित कर दे किन्तु अभिक्रिया के अन्त में स्वयं अपरिवर्तित रहे, उत्प्रेरक कहलाता है ।
  • उत्प्रेरक के खोज करने का श्रेय बर्जीलियस को है उन्होंने 1835 ई० (विकीपिडीया पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार) में उत्प्रेरक की खोज की।
  • अधिकांश उत्प्रेरक अभिक्रिया के दर को बढ़ाते हैं, जिन्हें धनात्मक उत्प्रेरक कहते हैं बहुत कम उत्प्रेरक ऐसे हैं जो अभिक्रिया की दर को घटा देते हैं जिन्हें ऋणात्मक उत्प्रेरक कहते हैं। 
  • वर्धक (Promoters ) - वर्धक के पदार्थ हैं जो उत्प्रेरक की क्षमता को बढ़ा देते हैं परन्तु वर्धक स्वंग उत्प्रेरक नहीं होते हैं।
    उदा०— अमोनिया उत्पादन में Fe उत्प्रेरक की दक्षता बढ़ाने हेतु Fe के साथ कुछ K2O तथा Al2O3 मिश्रीत कर दिया जाता है। 
  • उत्प्रेरक बिष (Catalyst Poisons) : वे पदार्थ जो रसयनिक अभिक्रिया में उत्प्रेरक की क्रिया को रोक देते हैं उत्प्रेरक विष कहलाते है।
    उदा०– सम्पर्क विधि द्वारा H2SO4 उत्पादन में उत्प्रेरक Pt का उपयोग होता है। अगर इसमें AS2O3 (अर्सेनस सल्फाइड) मिला दे तो Pt की क्रिया रूक जाएगी और अभिक्रिया मन्द पडत्र जाएगी । यहाँ AS2O3 उत्प्रेरक विष का कार्य करता है।
  • भौतिक अवस्था के उत्प्रेरके दो प्रकार के होते हैं-
    1. Homogeneous Catalyst (समांगी उत्प्रेरक)
    2. Heterogenous Catalyst ( बिषमांगी उत्प्ररेक)
1. समांगी उत्प्रेरक- जब अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थ तथा उत्प्रेरक की भौतिक अवस्था एक ही होती है तो उसे समांग उत्प्रेरक कहते हैं।
NO उदा०— SO2 + 1/2 O2 → SO3
यहाँ SO2 तथा NO दोनों गैसीय अवस्था मे हैं अतः NO समांग उत्प्रेरक है।
2. बिषमांग उत्प्रेरक- जब अभिकारक तथा उत्प्रेरक की भौतिक अवस्था अलग-अलग हो तो उसे विषमांग उत्प्रेरक कहते हैं ।

यहाँ अभिकारक गैस अवस्था में है जबकि उत्प्रेरक Fe ठोस अवस्था में अतः Fe बिषमांग उत्प्रेरक है।
  • जैव उत्प्रेरक (Bio Catalyst) - एंजाइम को जैव उत्प्रेरक कहते हैं। एंजाइम प्रोटीन है जो Bio-system में होने वाली अभिक्रिया को उत्प्रेरित करता है ।

रसायनिक बंधन (Chemical Bonding)

  • एक अथवा विभिन्न तत्व के परमाणु के आपस में संयोग होने से अणु बनता है। अणु में परमाणु एक बल द्वारा आपस में बंधे होते हैं, जिस बल को Chemical Force (रसायनिक बल) कहते हैं । इसी रसायनिक बल को जो अणु में परमाणु को बंधे रखता है रसायनिक बंधन कहते हैं।
  • सभी तत्व के परमाणु में यह प्रवृत्ति रहती है कि वह अपने निकटतम अक्रिय गैस जैसे इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त कर स्थायी बन जाए और यही कारण है किं तत्व के परमाणु में इलेक्ट्रॉन छोड़ने या ग्रहण करने की प्रवृत्ति रहती है।
  • परमाणु के परस्पर संयोग करने के प्रक्रिया के आधार पर रसायनिक बंधन के दो मुख्य प्रकार है-
    1. वैद्युत संयोजक बंध या आयनिक बंधन (Electro Valent Bond or Ionic Bond)
    2. सहसंयोजक बंधन (Covalent Bond)
  • विद्युत संयोजक बंधन : दो परमाणु के बीच एक परमाणु से दूसरे परमाणु में एक अथवा अधिक इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण के द्वारा रसायनिक बंधन को विद्युत संयोजक अथवा आयनिक बंधन कहते है ।
उदा०- 1. Nacl (सोडियम क्लोराइड)
Na – 2, 8, 1
Cl – 2, 8, 7
Nacl में Na एक इलेक्ट्रॉन Cl को देता है जिससे दोनों के अंतिम कक्षा में 8 इलेक्ट्रॉन हो जाते हैं तथा दोनों ही परमाणु स्थायी हो जाते हैं ।
2. CaO (कैल्शीयम ऑक्साइड)
Ca - 2, 8, 8, 2
O - 2, 6
CaO में Ca अपना दो इलेक्ट्रॉन O को देता है जिससे दोनों परमाणु का अष्टक पूर्ण हो जाता है और वे स्थायी हो जाते हैं ।
  • निम्न यौगिक में विद्युत संयोजक का आयनिक बंधन उपस्थित है
    1. सोडियम क्लोराइड (Nacl )
    2. सोडियम मोनोक्साइड (Na2O)
    3. मैग्नीशियम क्लोराइड (MgCl2 )
    4. मैग्नीशियम ऑक्साइड (MgO)
    5. कैल्शियम क्लोराइड (CaCl2 )
    6. कैल्शियम ऑक्साइड (CaO)
    7. अमोनियम क्लोराइड (NH4CI)
    8. अमोनियम सल्फेट (NH4)2.SO
    9. बेरियम क्लोराइड (BaCl2
    10. पोटाशियम नाइट्रेट (KNO3
    11.  क्यूप्रिक सल्फेट (CuSO4)
    12. क्यूप्रिक क्लोराइड (CuCl2)
  • विद्युत संयोजन बंधन एक धातु और एक अधातु के बीच प्रायः होता है क्योंकि धातु में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति पायी जाती है और अधातु में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की ।
  • विद्युत संयोजक बंधन वाले यौगिक को विद्युत संयोजक यौगिक कहते हैं जिनमें निम्न गुण पाये जाते हैं।
    1. विद्युत संयोजक यौगिक आयनों से बने होते हैं जिनमें से एक धन आयन (cation) तथा एक ऋण आयन (anion) उपस्थित हैं ।
      उदा० - NaCl → Na+ Cl-
      CaCl2 → Ca2+ Cl-
    2. विद्युत संयोजक यौगिक के आयन के बीच एक मजबूत स्थिर वैद्युत आकर्षण बल कार्य करता है जिसके कारण इस यौगिक के द्रवणांक तथा क्वथनांक उच्च होते हैं।
    3. विद्युत संयोजक यौगिक जल में प्रायः घुलनशील होते हैं परन्तु ये यौगिक कार्बनिक घोल में नहीं घुलते हैं।
    4. वैद्युत संयोजक यौगिक द्रवित या जलीय विलयन की अवस्था में विद्युत के सुचालक होते हैं।

अभ्यास प्रश्न

1. अमोनिया (NH3) में नाइट्रोजन की संयोजकता है-
(a) 2
(b) o
(c) 3
(d) 4
2. CaSO4 में Ca की संयोजकता है-
(a) +2
(b) +3
(c ) 0
(d) +4
3. Fe (SO4)3 में Fe की संयोजकता है-
(a) +2
(b) +3
(c) +1
(d) +5
4. एक तत्व A की संयोजकता 4 है। इसके ऑफसाइड का सूत्र होगा-
(a) AO4
(b) A2O
(c) AO
(d) A2O
5. किसी धातु के कार्बोनेट का सूत्र M2CO3 है । इस धातु के क्लोराइड का सूत्र होगा-
(a) MCl2
(b) MCI
(c) MCI3
(d) M2Cl
6. किसी तत्व X के ऑक्साइड का सूत्र X2O3 है, तो इसके सल्फेट का सूत्र क्या होगा ?
(a) XSO4 
(b) X2(SO4)3
(c) X2SO4 
(d) X(SO4)2
7.  Fe3+ और CI- आयन के संयोग से निर्मित यौगिक का अणुसूत्र क्या होगा ?
(a) FeCl2
(b) FeCl
(c) FeCl3
(d) Fe3Cl
8. निम्नलिखित में कौन अमोनियम सल्फेट का सूत्र है-
(a) NH4SO4
(b) (NH4)2 SO4
(c) NH4(SO4)2     
(d) NH3SO4
9. निम्नलिखित में कौन त्रिबंधक तत्व है-
(a) ऑक्सीजन
(b) ऑगर्न
(c) कार्बन
(d) नाइट्रोजन
10. निम्नलिखित लैटिन नाम में कौन सोडियम का प्रतिनिधित्व करता है ?
(a) कालियम
(b) नात्रियम
(c) आर्जेण्टम 
(d) क्युप्रम
11. आयरन का लैटिन नाम है-   
(a) कालियम
(b) औरम
(c) फेरम
(d) प्लंबम 
12. रसायनिक समीकरण से जो सूचना प्राप्त होती है उसमें एक है-
(a) अभिक्रिय की गति
(b) अभिकारक एवं उत्पाद की भौतिक अवस्था
(c) अभिक्रिया के पूर्ण होने का समय
(d) अभिकारक तथा उत्पाद
13. संतुलित समीकरण में, प्रतिकारक एवं प्रतिफल के बीच निम्नलिखित में एक चिन्ह दिया जाता है, वह है-
(a) X
(b) -
(c) →
(d) +
14. अमोनिया को ऑक्सीजन में जलाने पर जो गैस बनती है वह है-
(a) H2
(b) O2
(c) N2
(d) इनमें से कोई नहीं
15. KCIO3 को गर्म करने पर
(a) O2 मुक्त होता है
(b) Cl2 मुक्त होता है
(c) H2 मुक्त होता है
(d) इनमें से कोई नहीं
16. फेरस सल्फेट से लोहा को निम्नांकित में कौन-सी धातु विस्थापित करेगी ?
(a) Sn
(b) Cu 
(c) Zn
(d) Ag  
17. कैल्शियम कार्बोनेट के उष्मीय विघटन के फलस्वरूप प्राप्त होते है-
(a) SO2
(b) O
(c) CO2
(d) NO2 
18. निम्नलिखित में कौन-सी अभिक्रिया उभय अपघटन (Double Displacement Reaction) है-
(a) 2Na + Cl2 → 2Nacl
(b) Bacl2 + 2 AgNO3 ® 2Agcl + Ba (NO3)2
(c) CuSO4 + Fe → FeSO4 + Cu
(d) 2Ag2O → 4Ag + O2 
19. सिल्वर क्लोराइड को सूर्य प्रकाश में रखने पर प्राप्त होता है-
(a) Cu 
(b) Ag
(c) S
(d) इनमें से कोई नहीं
20. निम्नलिखित में कौन-सा पदार्थ बिना ज्वाला के जलता है ?
(a) मोमबत्ती 
(b) किरोसीन
(c) कोयला
(d) मेथेन गैस
21. निम्नलिखित में उष्माक्षेपी अभिक्रिया कौन है ?
(a) N2 + O2 → 2NO - Q जूल 
(b) C+ O2 → CO2 + 94.45 kcal
(c) H2 + I2 + 11.82 kcal ® 2HI
(d) इनमें से कोई नहीं
22. 222 निम्नलिखित में कौन समीकरण संतुलित है-
(a) Fe + Cl2 → FeCl3
(b)_NH4NO2 → N2 + 2H2
(c) Fe + O2 → Fe2O2
(d) KBr + Cl2 → KCI + Br2
23. निम्नलिखित में कौन समीकरण असंतुलित है-
(a) H2 + Cl2 → 2HCl
(b) 2KCIO3 → 2KCl + 3O2 
(c) Pb (NO3)2 → PbO + NO2 + O2 
(d) 2H2 + O2 → 2H2O
24. कैल्शियम कार्बोनेट को गर्म करने पर कैल्शियम ऑक्साइड एवं कार्बन डाइ ऑक्साइड बनते हैं ? यह किस प्रकार की रसायनिक अभिक्रिया है-
(a) विस्थापन
(b) उभय विस्थापन
(c) उदासीनीकरण
(d) अपघटन
25. क्लोरोफिल और सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में पौधे वायु से CO2 एवं पृथ्वी से जल ग्रहण करके अपना भोजन तैयार करते हैं। यह अभिक्रिया को कहते हैं-
(a) उदासीनीकरण 
(b) अपघटन
(c) अवक्षेपण
(d) उष्माक्षेपी
26. सिल्वर नाइट्रेट के जलीय विलयन में सोडियम क्लोराइड का जलीय विलयन डालने पर अविलेय सिल्वर क्लोराइड विलयन पृथक हो जाता है । इस अभिक्रिय को कहते हैं-
(a) उदासीनीकरण
(b) अपघटन
(c) अवक्षेपण
(d) उष्माक्षेपी
27. निम्नलिखित में से कौन-सा एक सहसंयोजक यौगिक है ?
(a) कैल्सियम क्लोराइड
(b) मैगनीशियम फ्लुओराइड
(c) सोडियम क्लोराइड
(d) कार्बन टेट्राक्लोराइड
28. हाइड्रोजन में एक इलेक्ट्रॉन लेकर हीलियम का विन्यास प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है। इस प्रवृत्ति की समानता रखता है-
(a) क्षार धातुओं से
(b) अक्रिय गैसों से
(c) क्षारीय मृदा धातुओं से
(d) हैलोजनों से
29. सहसंयोजी यौगिक का उदाहरण है-
(a) KCI
(b) BaO
(c) CHCl3
(d) CaH2
30. द्रवित सोडियम क्लोराइड विद्युत् धारा का प्रवाह कर सकता है, क्योंकि इसमें उपस्थित होता है-
(a) मुक्त इलेक्ट्रॉन
(b) मुक्त आयन
(c) मुक्त अणु
(d) सोडियम तथा क्लोरीन के परमाणु
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here
]]>
Wed, 24 Apr 2024 11:01:24 +0530 Jaankari Rakho
General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | परमाणु की मौलिक अवधारणाएँ https://m.jaankarirakho.com/1014 https://m.jaankarirakho.com/1014 General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | परमाणु की मौलिक अवधारणाएँ
Low of Chemical Combination-
तत्वों के संयोग से यौगिक बनने की प्रक्रिया कुछ निश्चित नियम के अनुसार होता है जिसे रसायनिक संयोग का नियम कहते हैं। यह नियम दो है-
  1. Law of Conservation of matter - रसायनिक अभिक्रिया के दौरान पदार्थों का कुल द्रव्यमान अपरिवर्तित रहता है। अगर x और У से तत्व प्रतिक्रिया कर M और N बनाते हैं तो x और y का कुल द्रव्यमान M और N के द्रव्यमान के बराबर होंगे। 
               x + y → M + N
    इस नियम का प्रतिपादक- लम्बवाजे के 1774 में किया था ।
  2. निश्चित अनुपात का नियम- किसी रसायनिक यौगिक के सभी शुद्ध नमूने में तत्व भार के विचार से हमेशा एक निश्चित अनुपात में परस्पर संयुक्त रहते हैं ।
    उदा०— जल को किसी स्त्रोत से प्राप्त किया जाए उसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के भार का अनुपात 1 : 8 रहता है। इस नियम का प्रतिपादन 1789 में प्राउस्ट द्वारा किया गया है ।
Dalton's atomic theory-
परमाणु के संबंध में सबसे पहला विचार इंगलैण्ड के स्कूल शिक्षक जॉन डॉल्टन ने प्रस्तुत किया। डाल्टन ने अपने परमाणु सिद्धांत में निम्न बातें कही-
  1. सभी पदार्थ सूक्ष्म कणों से बने होते हैं। जिन्हें परमाणु कहते हैं। परमाणु अभिभाज्य होता है।
  2. परमाणु का न तो निर्माण किया जा सकता है और न ही विनाश।
  3. एक ही तत्व के सभी परमाणु हरेक दृष्टिकोण से समान होते हैं ।
  4. विभिन्न तत्व के परमाणु एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न होते हैं।
  5. रसायनिक संयोग में दो या अधिक तत्वों के परमाणु परस्पर संयोग करके यौगिक बनाते हैं।
Dalton के परमाणु सिद्धान्त के दोष
  1. डाल्टन के अनुसार परमाणु अभिभाज्य होता है परन्तु परमाणु को छोटे-छोटे कणों में तोड़ा जा सकता है। 
  2. परमाणु सिद्धान्त के अनुसार एक तत्व के सभी परमाणु समान द्रव्यमान के होते हैं परन्तु तत्व के परमाणु विभिन्न द्रव्यमान वाले होते हैं जिन्हें समस्थानिक कहा जाता है ।
परमाणु (Atom)
  • किसी तत्व का सूक्ष्मतम कण जो रसायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है, परमाणु कहलाता है।
  • तत्व के सभी परमाणु एक समान होते हैं।
  • परमाणु सूक्ष्म तथा गोलीय कण है। जिसका व्यास 10-15 m होता है।
  • स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (ETM) के द्वारा परमाणु के आकार का अध्ययन किया जाता है ।
अणु (Molecule)
  • पदार्थ का सूक्ष्मतम कण को मुक्त अवस्था में रह सकता है अणु कहलाता है।
  • अणु परमाणु से मिलकर बना होता है और परमाणु मजबूत आकर्षण बल के द्वारा परस्पर जुड़े रहते हैं ।
  • एक पदार्थ के अणु हरेक दृष्टिकोण से समान होते हैं तथा निम्न पदार्थ के अणु एक-दूसरे से भिन्न होते हैं ।
परमाणुकता (Atomicity)
किसी पदार्थ के एक अणु में उपस्थित परमाणु की संख्या परमाणुकता कहलाती है । परमाणुकता के आधार पर अणु निम्न प्रकार के होते हैं-
  1. एक परमाणुक (Monoatomic) - इस प्रकार के अणु केवल एक परमाणु से मिलकर बना होता है।
    • Ex - सभी अक्रिय गैस एक परमाणुक होते हैं ।
  2. द्विपरमाणुक (Diatomic) - दो परमाणु से मिलकर बने अणु को द्विपरमाणुक कहते हैं।
    • Ex— हाइड्रोजन (Hz), ऑक्सीजन (O2), नाइट्रोजन (N2), सोडियम क्लोराइड (Nacl )
    • Note:- लगभग सभी गैसीय पद्धति अणु दो परमाणुक होते हैं।
  3. त्रिपरमाणुक (Triatomic)- तीन परमाणु से मिलकर बने अणु त्रिपरमाणुक कहलाते हैं।
    • उदा०– O3 (ओजोन), H2O (जल), CO2, H2S (हाइड्रोजन सल्फाइड)
  4. चतुष्परमाणुक ( Tetratomic)- चार परमाणु से मिलकर बने अणु को Tetratomic कहते हैं।
    • उदा०— NH3 (अमोनिया ). SO3, Pu ( फॉस्पोरस)
  5. 5. बहुपरमाणुक (Polyatomic)- चार से अधिक परमाणु से मिलकर बने अणु को बहुपरमाणुक कहते हैं।
    • उदा०— S8 (गंधक). CH4 (मेथेन) HNO3 (नाइट्रीक अम्ल)
परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass)
परमाणु द्रव्यमान की वर्त्तमान पद्धति कार्बन - 12 मानक पर आधारित है जिसे 1961 ई० में स्वीकृति मिली। इसके अनुसार C-12 के 1 परमाणु का द्रव्यमान 12 a.m.u मान लिया ।
  • 12 a.m.u. = C-12 के एक परमाणु का द्रव्यमान
    = ½ C-12 के एक परमाणु का द्रव्यमान
    = 1.66 × 10–24 k
  • किसी तत्व का परमाणु द्रव्यमान एक संख्या है जो बताती है कि उस तत्व के परमाणु का द्रव्यमान C-12 परमाणु द्रव्यमान के 12वें भाग से कितना गुणा भारी है। 
  • ग्राम परमाणु द्रव्यमान - जब तत्व के परमाणु द्रव्यमान को ग्राम में व्यक्त किया जाता है तो वह ग्राम परमाणु द्रव्यमान कहलाता है। ग्राम-परमाणु द्रव्यमान को ग्राम - परमाणु भी कहते हैं ।

आण्वीक द्रव्यमान (Molecular weight) -
किसी अणु का आण्वीक द्रव्यमान उसमें उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणु द्रव्यमान का योग होता है।
 उदा०— CH4 का आण्वीक द्रव्यमान
= C का परमाणु द्रव्यमान + 4 × (H- का परमाणु द्रव्यमान)
= 12 + 4 × 1
= 16 amu

परमाणु के मौलिक कण :

1. इलेक्ट्रॉन (Electron)
A. इलेक्ट्रॉन का आविष्कार जे. जे. टॉमसनने किया था।
B. इलेक्ट्रॉन पर ऋण आवेश रहता है इलेक्ट्रॉन के आवेश का निर्धारण आर. ए. मिलीकन ने तेल- बिंदु प्रयोग द्वारा किया था । 1 electron पर आवेश –1.60 x 10-19C होता है। चूँकि यह आवेश बहुत ही न्यूनतम है। अतः इस आवेश को इकाई ऋण आवेश (1) कहा जाता है ।
C. इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9011 × 10-28g या 9.11 × 10-31 kg होता है। इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान H-atom के द्रव्यमान 1838वाँ भाग होता है।
2. प्रोटॉन (Proteon)
A. प्रोटॉन परमाणु में उपस्थित धन आवेशित युक्त कण है जिसका सबसे पहला प्रमाण गोल्डस्टीन ने दिया था बाद इसी धन आवेशित ऋण का पता रदरफोर्ड ने लगाया ।
B. प्रोटॉन पर इलेक्ट्रॉन के बराबर आवेश, किंतु विपरित चिन्ह वाला होता है। प्रोटॉन के आवेश का परिमाण +1.60 × 10-19 C होता है । इस आवेश को इकाई धन अवेश (+1) कहते हैं।
C. प्रोटॉन का द्रव्यमान H - atom के द्रव्यमान के बराबर यानि 1.67 × 10-24g है।
3. न्यूट्रॉन (Neutron)
A. 1932 ई० जेम्य चैडविक ने बैरीलियम धातु पर a कण से आघात कराकर न्यूट्रॉन का पता लगाया । 
B. न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नहीं रहता है यानि यह उदासीन कण है।
C. न्यूट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर होते हैं ।
  • प्रारम्भ परमाणु तीन मूलभूत कण या लेकिन अब कई अन्य कणों की खोज की जा चुकी है। इन कणों का निर्माण अत्यधिक ऊर्जा वाले नाभिक की आपसी टक्कर या मूलभूत कणों के साथ टक्कर से किया गया है। परमाणु के अन्य मूलभूत कण निम्न हैं- 
  1. पाई - मेसोन: - इसकी खोज युकावा ने किया था। यह दो प्रकार के होते हैं- धनात्मक पाई मेसोन तथा ऋणात्मक पाई मेसोन। ये कण अस्थायी होते हैं और इनका जीवन काल 10-8 sec होता है इसका द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान का 274 गुणा होता है ।
  2. पोजिट्रॉन :- इसका खोज एण्डरसन किया था। इसका आवेश और द्रव्यमान परिमाण में इलेक्ट्रॉन के बराबर होता है, लेकिन यह धन आवेशित कण है। इसे इलेक्ट्रॉन का एण्टी - कण भी कहते हैं ।
  3. न्यूट्रिनोः– इसकी खोज पाउली ने किया था। ये दो प्रकार के होते हैं न्यूट्रॉनों तथा एंटीन्यूट्रीना । इसका न तो द्रव्यमान होता है न ही आवेश। इनके चक्रण एक-दूसरे के विपरित होते हैं।
टॉमसन का परमाणु मॉडल-
जे. जे. टॉमसन (J. J. Thomson) ने 1893 में परमाणु के संबंध में एक मॉडल दिया जो पूरी तरह तरबूज की तरह था। टॉमसन के अनुसार परमाणु का धन आवेश तरबूज के खाने वाले लाल भाग की तरह बिखरा है जबकि इलेक्ट्रॉन धन आवेशित गोले में तरबूज के बीज की भाँति धँसे हैं ।
  • टॉमसन के परमाणु मॉडल से सिर्फ यही बाद स्पष्ट हो पायी कि परमाणु में ऋण आवेश (इलेक्ट्रॉन) तथा धन आवेश (प्रोटॉन) बराबर होते हैं जिससे परमाणु उदासीन होता है।
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल-
  • इलेक्ट्रॉन परमाणु में किस प्रकार से व्यवस्थित है यह जानने के लिए रदरफोर्ड एक प्रयोग किया जिससे रेडियम से निकले a कण को सोने के पत्तर पर प्रहार कराया गया । रदरफोर्ड के इस प्रयोग से निम्न सूचना प्राप्त हुई-
    1. अधिकांश α कण अपने मार्ग से विचलित हुए बिना सोने के पत्तर को पार कर सीधे निकल गये I
    2. कुछ α कण अपने मार्ग से थोड़ा विचलित हुए ।
    3. बहुत कम α कण टकराकर 180° कोण अपने मार्ग पर पुनः वापस आये ।
  • रदरफोर्ड को अपने प्रयोग से निम्न निष्कर्ष निकालें- 
    1. परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त है।
    2. कुछ धन आवेशित α कण अपने मार्ग से विचलित हुए अतः परमाणु के मध्य कोई समान, आवेश उपस्थित है।
    3. परमाणु में उपस्थित धन आवेश का आयतन अत्यंत ही कम है।
    4. रदरफोर्ड परमाणु के मध्य उपस्थित धन आवेश को नाभिक (Neucleus) कहा और परमाणु के संदर्भ में अपना परमाणु मॉडल दिया जो निम्न है ।
      1. परमाणु का संपूर्ण द्रव्यमान उसके नाभिक में है।
      2. परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त है ।
      3. परमाणु में ऋण आवेश और धन आवेश बराबर है जिससे परमाणु उदासीन है।
      4. नाभिक का आयतन परमाणु के आयतन के तुलना में नगण्य है।
      5. इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्तीय कक्षा में चक्कर काटते हैं। जिसे Orbit (कक्षा) कहते हैं। 
  • रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल सौरमंडल के समान है जिसमें सूर्य परमाणु के नाभिक के समान है जबकि ग्रह इलेक्ट्रॉन के समान ।
  • रदरफोर्ड का जन्म 30 अगस्त, 1871 में न्यूजीलैंड में हुआ था। 1908 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
बोर का परमाणु मॉडल
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल को संसोधित कर नील्स बोस परमाणु के संबंध एक नया मॉडल दिया जिसके अंतर्गत निम्न बातें कहीं गयी-
  1. परमाणु में electron नाभिक के चारों ओर निश्चित ऊर्जा वाले वृत्ताकार कक्षाओं में घूमते हैं।
  2. इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाता है तो इलेक्ट्रॉन के ऊर्जा में कमी नहीं होती है।
  3. Electron जिस कक्षा में चक्कर लगाते हैं उसे ऊर्जा स्तर या Shell कहते हैं। अंदर से बहार की ओर इन कक्षाओं का क्रम निम्न बाहर की ओर इन कक्षाओं का क्रम निम्न प्रकार से होता है- K, L, M, N ........
  4. इलेक्ट्रॉन एक कक्षा से दूसरे कक्षा में जा सकता है। इलेक्ट्रॉन जब भीतरी कक्षा से बाहरी कक्षा (K से L या L से M) में जाता है तो ऊर्जा का अवशोषण होता है। जब electron बाह्य कक्षा से भीतरी कक्षा (M से L या L से K) में आता है तो ऊर्जा का उत्सर्जन होता है।
परमाणु संख्या (Atomic Number)
  • परमाणु संख्या द्वारा ही किसी तत्व की पहचान की जाती है। परमाणु संख्या को Z द्वारा सूचित किया जाता है ।
    पमराणु संख्या (Z) = प्रोटॉन की संख्या
                             = इलेक्ट्रॉन की संख्या
  • परमाणु की नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन की संख्या या उदासीन परमाणु इलेक्ट्रॉन की संख्या को परमाणु संख्या कहते हैं ।

अभ्यास प्रश्न

1. जल की बूँद का द्रव्यमान 0.05g है। इसमें जल के कितने अणु उपस्थित हैं ?
(a) 1.672 × 1021
(b) 1.6 × 1021
(c) 1.603 × 10-21
(d) 2 × 1021
2. O2 (ऑक्सीजन) गेस के 0.7 मोल का द्रव्यमान कितना होगा ?
(a) 22.4 ग्राम
(b) 22.2 ग्राम
(c) 22 ग्राम 
(d) 23.40 ग्राम 
3. एक व्यक्ति एक दूकान से 10 मोल जल खरीदने गया। उस दुकान से 20g जल के छोटे-छोटे बोतल में बताये कि दुकान व्यक्ति को कितना बोतल जल देगा ?
(a) 8
(b) 6
(c) 9
(d) 15
4. O2 गैस 6.022 × 1023 अणु का द्रव्यमान कितना होगा ?
(a) 16g
(b) 32g
(c) 48g
(d) 64g
5. मानक ताप और दाब पर 20g हाइड्रोजन गैस का लीटर में आयतन होगा ?
(a) 22.4 लीटर
(b) 224 लीटर
(c) 32.0 लीटर
(d) 320 लीटर
6. 5 मोल अमोनिया का द्रव्यमान कितना होगा ?
(a) 17 ग्राम
(b) 34 ग्राम
(c) 51 ग्राम
(d) 85 ग्राम

7. सोडियम के कितने ग्राम में परमाणु की संख्या उतनी ही होगी जितनी 6g मैग्नीशियम की होती है-
(a) 5 ग्राम
(b) 5.50 ग्राम
(c) 5.75 ग्राम
(d) 6.0 ग्राम
8. 294 ग्राम H2SO4 में हाइड्रोजन के कितने मोल उपस्थित हैं ?
(a) 3
(b) 4
(c) 1
(d) 6
9. 1 मोल कैल्शीयम कार्बोनेट में कैल्शीयम की प्रतिशतता कितनी होगी ?
 (a) 20%
(b) 30% 
(c) 40%
(d) 60%
10. 1 मोल H2SO4 में सल्फर की प्रतिशत मात्रा कितनी होती है ?
(a) 32.00%
(b) 32.65%
(c) 32.85%
(d) 32.95%
11. एक तत्व के M कक्षा में 3 इलेक्ट्रॉन है। इस तत्व का परमाणु संख्या क्या होगी ?
(a) 10
(b) 12
(c) 13
(d) 14
12. कार्बन-डाई-ऑक्साइड के सभी नमूनों में कार्बन और के द्रव्यमानों का अनुपात हमेशा 3: 8 रहता है। यह किस नियम के अनुकूल है-
(a) पदार्थ का अनश्रवरता का नियम
(b) स्थिर अनुपात का नियम
(c) अपवर्त्य अनुपात का नियम
(d) गैसीय आयतन का नियम
13. निम्नलिखित में कौन एक परमाणुक अणु है ?
(a) हाइड्रोजन
(b) क्लोरीन
(c) सल्फर
(d) ऑर्गर
14. ऐवोगाड्रो स्थिरांक का मान होता है- 
(a) 6.022 × 1024
(b) 6.022 × 1022
(c) 6.022 × 10-23
(d) 0.22 × 1023
15. मानक ताप एवं दाब पर किसी गैस के एक मोल का आयतन होता है ?
(a) 11.2 लीटर
(b) 22.4 लीटर
(c) 100 लीटर
(b) 22.4 लीटर
16. सोडियम का परमाणु द्रव्यमान 23 है I 46 ग्राम सोडियम में मोलो की संख्या है ?
(a) 1
(b) ½
(c) 2
(d) 23
17. निम्नलिखित में कौन चतुष्परमाणुक अणु है ?
(a) O2
(b) O3
(c) NO2
(d) SO3
18. किसी पदार्थ के अणु में विद्यमान परमाणु की संख्या कहलाती है ?
(a) अणुकता
(b) परमाणुकता
(c) संयोजकता
(d) कोई नहीं
19. किस कक्षा या शेल में इलेक्ट्रॉन की संख्या सबसे कम होती है ?
(a) K कक्षा
(b) L कक्षा
(c) M कक्षा
(d) N कक्षा
20. परमाणु अभाय है, यह निम्नलिखित में से किसने प्रस्तावित किया था ?
(a) डाल्टन
(b) बर्जीलियस
(c) रदरफोर्ड
(d) आवोगाद्रो
21. कैथोड किरणों में क्या उपस्थित रहते हैं ?
(a) इलेक्ट्रॉन
(b) प्रोटॉन
(d) परमाणु
(c) न्यूट्रॉन
22. कैथोड किरणों में विधमान होता है-
(a) केवल द्रव्यमान
(b) केवल आवेश 
(c) आवेश और द्रव्यमान दोनों
(d) आवेश और द्रव्यमान कोई नहीं
23. कक्षा का ऊर्जा स्तर
(a) नाभिक के दूर जाने से बढ़ते हैं
(b) नाभिक के दूर जाने पर समान रहते हैं
(c) नाभिक के दूर जाने पर घटते हैं
(d) इनमें कोई नहीं
24. बाध्यतम कक्षा में इलेक्ट्रॉन की समान संख्या वाला युग्म कौन है ?
(a) Cl तथा Be
(b) Ca तथा Cl
(c) Na तथा Cl
(d) N तथा 0
25. एक परमाणु पर कुल आवेश - 1 है। इसमें 18 electron तथा 20 न्यूट्रॉन है, इसकी द्रव्यमान संख्या क्या होगी ? 
(a) 38
(b) 37
(c) 39
(d) 20
26. एक द्विधनात्मक आयन M का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 14 है तथा परमाणु भार 56 है। इसके नाभिक में न्यूट्रॉन की संख्या कितनी है ?
(a) 30
(b) 32
(c) 34
(d) 72
27. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ne] 2s2 2p1 निम्नलिखित में किसको निरूपित करता है ?
(a) बोरॉन 
(b) लिथियम
(c) ऐलुमिनियम
(d) इनमें कोई नहीं
28. परमाणु संरचना का मॉडल किसने विकसित किया ?
(a) एल्फ्रेड नोबेल
(b) फैराडे
(c) बोहर तथा रदरफोर्ड 
(d) वोल्टा
29. निम्नलिखित में से कौन-सी संख्या इलेक्ट्रॉन की अधिकतम 31. संख्या है, जो M शेल में मौजूद रह सकती है ?
(a) 2
(b) 8
(c) 18
(d) 32
30. तत्वों की प्रकृति को ज्ञात किया जा सकता है-
(a) इलेक्ट्रॉनिक विन्यासीकरण के द्वारा
(b) परमाणु क्रमांक के द्वारा
(c) परामणु द्रव्यमान के द्वारा
(d) परमाणु भार द्वारा
31. नाभिक की खोज के लिए, रदरफोर्ड ने जब धातु के पतले पत्र पर एल्फा (α) कणों की बौछार की, तो-
(a) अधिकांश एल्फा कण धातु की पन्नी को बिना विक्षेपण के पार करके चले गए।
(b) सभी एल्फा कण धातु की पन्नी को पार कर गए।
(c) अधिकांश एल्फा कण छोटै कोण बनाकर विचलित हो गए ।
(d) अधिकांश एल्फा कण वापस विचा हो गए।
32. ऋणवेशित परमाणु (ऋणायन) में प्रोटॉन की संख्या क्या है ?
(a) तत्व के परमाणु क्रमांक से अधिक
(b) तत्व के परमाणु क्रमांक से कम
(c) परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या से अधिक
(d) परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या से कम
33. किसी तत्व के परमाणु में 2 प्रोटीन, दो न्यूट्रॉन और 2 इलेक्ट्रॉन हो, तो इस तत्व की द्रव्यमान संख्या कितनी होगी ?
(a) 2
(b) 4
(d) 6
(d) 8
34. निम्नलिखित में से कौन-सा इलेक्ट्रॉनिक संरूपण धातु तत्वों के लिए होता है ?
(a) 2, 8
(b) 2, 8, 7
(c) 2, 8, 18
(d) 2, 8, 18, 2
35. सोडियम का परमाणु संख्या 11 तथा परमाणु द्रव्यमान 23 है। इसमें इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन की संख्या क्रमशः होंगी-
(a) 11, 11, 12
(b) 12, 11, 12
(c) 12, 12, 11
(d) 11, 12, 11
36. तत्व 92U235 में प्रोटॉनों की संख्या है- 
(a) 92
(b) 146
(c) 235
(d) 135
37. परमाण्विक संख्या Z एवं द्रव्यमान संख्या A के एक परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या है-
(a) Z
(b) A - Z
(c) A
(d) A - Z
38. कार्बन का परमाणु क्रमांक 6 तथा परमाणु भार 12 है। इसके नाभिक में कितने प्रोटॉन होते हैं ?
(a) 6
(b) 12
(c) 18
(d) शून्य
39. किसी तत्व के परमाणु की दूसरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या हो सकती है-
(a) 8
(b) 32
(c) 18
(d) 2
40. जब दो इलेक्ट्रॉन एक ही कक्ष में होते हैं, तो उनमें क्या पाया जाता है ?
(a) एक जैसा चक्रण
(b) विपरित चक्रण
(c) एक जैसा अथवा विपरित चक्रण
(d) कोई चक्रण नहीं
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here
]]>
Tue, 23 Apr 2024 16:12:30 +0530 Jaankari Rakho
General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | पदार्थ और पदार्थ का वर्गीकरण https://m.jaankarirakho.com/1013 https://m.jaankarirakho.com/1013 General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | पदार्थ और पदार्थ का वर्गीकरण
रसायन विज्ञान का प्रारंभ :
माना जाता है कि रसायन विज्ञान का प्रारंभ मिस्र देश में हुआ क्योंकि प्रारंभ से ही मिस्र देश में कई तरह के रसायनिक पदार्थ बनते थें तथा वही से इनका प्रसार अन्य देश में हुआ ।
रसायन विज्ञान हेतु (Chemistry) :
अंग्रेजी में रसायन विज्ञान को Chemistry कहते हैं । इस शब्द की उत्पत्ति मिस्र के केम (CHEMI) शब्द से हुआ जिसका अर्थ होता है- काली मिट्टी ।
रसायन विज्ञान के पिता :
आधुनिक रसायन विज्ञान के पिता या जनक लेवायसिये को कहते हैं।
रसायन विज्ञान की परिभाषा :
रोअल्ड हॉफमैन ने रसायन विज्ञान की परिभाषा निम्न तरह से बताया है- "रसायन विज्ञान अणुओं और उसके रूपांतरण का विज्ञान है । यह न केवल एक सौ तत्वों का विज्ञान है अपितु उसने निर्मित होने वाले असंख्य प्रकार के अणुओं का भी विज्ञान है।"
  • कोई भी वस्तु जो स्थान घरेती हो, जिसमें द्रव्यमान और आयतन हो, जो अवरोध उत्पन्न करें पदार्थ ( Matter) या द्रव्य कहलाती है।
  • वैसा पदार्थ जिस पर से विरूपक बल हटा लेने पर वह अपने पूर्व आकार को पूर्णतः प्राप्त कर लेते हैं Perfectly elastic (पूर्णत: प्रत्यास्थ) पदार्थ कहलाते हैं । 
पदार्थ में निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं-
  1. पदार्थ कणों का बना होता है।
  2. पदार्थ के कण अत्यंत and ही सुक्ष्म होते हैं। इतने सूक्ष्म की हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते ।
  3. पदार्थ के कण स्थिर नहीं रहते हैं बल्कि हमेशा गतिशील रहते हैं 
  4. पदार्थ के कणों के बीच एक आकर्षण बल कार्यरत रहता है। इस आकर्षण बल को ( Intermolecular force of attraction) (अंतरा अणुक आकर्षण बल) कहते हैं ।
  5. पदार्थ के कणों के बीच कुछ स्थान रिक्त होते हैं। इस रिक्त स्थान को Intermolcular space कहते हैं । 
Classification of Matter
  • पदार्थ को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है- 1. ठोस (Solid), 2. द्रव (Liquid), 3. गैस (Gas) । 
  • पदार्थ के तीनों रूप (ठोस, द्रव और गैस) मानव शरीर में मौजूद है ।
  • एक अनुमान के अनुसार भार के विचार से हमारे शरीर में लगभग 70% जल है ।
ठोस पदार्थ के गुण :
  1. ठोस पदार्थ के आकृति और आयतन निश्चित होते हैं। ठोस पदार्थों में Intermolcular space बहुत ही कम तथा Intermolcular force बहुत ही अधिक होता है।
  2. ठोस पदार्थों का घनत्व काफी उच्च होता है।
    घनत्व (Density) = द्रव्यमान/आयतन
    घनत्व का SI मात्रक kgm-3 है।
  3. ठोस पदार्थों का द्रवणांक (Melting point) तथा क्वथनांक (Boiling point) उच्च होते हैं ।
  4. ठोस पदार्थ बहुत ही कठोर तथा दृढ़ (rigid) होते हैं ।
  5. ठोस पदार्थ असंपीड्य (Incompressible) होते हैं। Incompressible ऐसे पदार्थ जिस पर दाब बढ़ाकर या घटाकर उसके आयतन को घटाया बढ़ाया नहीं जा सकता है उसे Incompressible पदार्थ कहते हैं ।
  6. ठोस पदार्थ के कण इतने मजबूती से बंधे होते हैं कि उसमें बहाव (Flow) की प्रवृत्ति नहीं पाये जाते हैं ।
  7. ठोस पदार्थ को गर्म या ठंडा करने पर क्रमशः प्रसार तथा संकुचन बहुत ही कम होता है ।
  8. उर्ध्वापातन (Sublimation) : वह प्रक्रिया जिसमें ठोस पदार्थ को गर्म करने पर वह बिना द्रव में परिणत और वाष्प को ठंडा करने पर बिना द्रव में परिणत हुए सीधे ठोस में परिणत हो जाता है, उर्ध्वपातन कहलाता है।
    उदा०— अमोनियम क्लोराइड (नौसादर), आयोडीन, कपूर, नैफ्थलीन, शुष्क बर्फ (ठोस CO2
  9. ठोस पदार्थ किसी दूसरे ठोस पदार्थ में विसरित नहीं होता है क्योंकि ठोस पदार्थ के कणों का गमण एक स्थान से दूसरे स्थान में नहीं होता है।
पदार्थ के द्रव अवस्था के गुण :
  1. द्रव की आकृति निश्चित नहीं होती है किंतु उसका आयतन निश्चित होता है ।
  2. द्रव के कणों के बीच (Intermolcular space) अधिक होने के कारण इसका घनत्व ठोस से कम होता है ।
  3. द्रव प्रायः Incompressible होते हैं। ठोस के तुलना में ये थोड़ा अधिक संपीड्य होते हैं।
  4. द्रव का Melting point और Boiling Point ठोस पदार्थों के तुलना में कम होते हैं ।
  5. द्रव में बहने (Flow) की प्रवृत्ति पायी जाती है ।
  6. द्रव में परस्पर मिश्रित हो जाने का गुण अथवा विसरण का गुण पाया जाता है।
गैस अवस्था के गुण
  1. गैस के कणों के बीच Intermolecular Force इतना कमजोर होता कि यह कण आसानी से गति कर सकते हैं और यही कारण है कि गैस की कोई निश्चित आकृति तथा आयतन नहीं होती है ।
  2. गैस का घनत्व ठोस तथा द्रव के तुलना में बहुत कम होते हैं ।
  3. गैस की संपीड्यता (Compressibility) बहुत अधिक होती है I
  4. गर्म या ठंडा करके गैस को क्रमशः प्रसरित या संकुचित किया जा सकता है।
  5. गैस में विसरण का गुण पाया जाता है ।
    विसरण (Diffusion)– घनत्व में अंतर रहते हुए भी गैस के परस्पर मिश्रित हो जाने की स्वाभाविक प्रक्रिया को गैसों का विसरण कहते हैं।
  6. गैस के कण अनवरत गतिशील रहते हैं जिसके कारण गैस को जिस वर्तन में रखा जाता है उस पर दाब आरोपित करते हैं ।
    • बरतन की दीवारों के प्रति ईकाई क्षेत्रफल पर गैस के कणों द्वारा आरोपित बल गैस का दाब कहलाता है ।
    • वायु दाब वायुमंडलीय दाब ( atm) कहलाता है। समुद्रतल पर वयु का दाब 1 वायुमंडलीय कहलाता है।
    • दाब का मात्रक Pascal (Pa) है।
      1 वायुमंडलल दाब = 1.01 × 105 Pascal
  •  पदार्थ की तीनों अवस्था को एक दूसरे में निम्न तरह द्रव गैस परिविर्तत किया जा सकता है-

  • वैज्ञानिकों ने पदार्थ के एक नई अवस्था का अविष्कार किया है जिसे Plasma अवस्था कहते हैं । Plasma अवस्था को पदार्थ की चौथी अवस्था भी कहते हैं ।
  • प्लाज्मा अवस्था में पदार्थ अत्यधिक आयनीकृत गैस के रूप में रहती है। इस अवस्था में पदार्थ के कण बहुत ऊर्जावान तथा बहुत उत्तेजित रहते हैं।
  • पदार्थ के Plasma अवस्था को उपयोग प्रदिप्ति ट्यूब (Fluorsecent tube) और नियॉन संकेत बल्व में किया जाता है ।
  • पदार्थ की पाँचवी अवस्था को बोस-आइंस्टाइन कंडेन्सेट (BEC) कहते हैं । सर्वप्रथम पदार्थ की पाँचवी अवस्था की अवधारणा भारत के भौतिक वैज्ञानिक—सत्येंद्रनाथ बोस ने प्रस्तुत किया था और बाद प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टाइन ने इस अवस्था का पूर्वानुमान लगाया ।
  • Chemical Classification of Matter - रसायनिक संरचना के आधार पर पदार्थ को तीन वर्ग-तत्व, यौगिक मिश्रण में विभाजित किया गया है।

  • तत्व (Element)- वह पदार्थ जो किसी भी भौतिक या रसायनिक विधि द्वारा दो या दो से अधिक पदार्थों में विभक्त नहीं हो सकता है तत्व कहलाता है ।
    उदा०— हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सोना, ताँबा आदि ।
  • अब तक 118 से भी अधिक तत्व की खोज हो चुकी है जिनमें 92 तत्व प्रकृति में पाये जाते हैं शेष को संश्लेषित (Synthetics) किये गये हैं ।
  • तत्व को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा गया है - धातु (metal) तथा अधातु (Non-metal)
  • धातु (Metal) के गुणः-
    1. धातु एक विशेष प्रकार की चमक पायी जाती है जिसे धातुई चमक कहते हैं ।
    2. ये उष्मा और विद्युत के सुचालक होते हैं ।
    3. धातु जब ठोस अवस्था में रहते हैं तो यह अधावतर्धनीय (Malleable) तथा तन्य (Ductile) होते हैं। होते हैं।
    4. धातु प्रायः ठोस होते हैं। धातु में पारा अपवाद है जो द्रव के रूप में पायी जाती है
  • अधातु के गुण-
    1. धातु में कोई विशेष चमक नहीं होती है। आयोडीन अपवाद है जो चमकीला होता है ।
    2. ये उष्मा और विद्युत के कुचालक होते हैं।
    3. अधातु और विद्युत के कुचालक होते हैं।
    4. ब्रोमीन एक ऐसी अधातु है जो द्रव रूप में पायी जाती है।
    5. प्रकृति में 22 ऐसे तत्व हैं जो अधातु है ।
  • उपधातु (Metalloid)- कुछ तत्व ऐसे हैं जिनमें धातु तथा अधातु दोनों के समान गुण पाये जाते हैं जिन्हें उपधातु कहते हैं। 
  • यौगिक (Compound) - यौगिक वह शुद्ध पदार्थ है जो दो या अधिक तत्वों के निश्चित अनुपात में रसायनिक संयोग के फलस्वरूप बनता है।
  • यौगिक के गुण-
    1. यौगिक के अवयवी तत्वों को किसी भी भौतिक विधि द्वारा अलग नहीं कर सकते हैं ।
    2. यौगिक को किसी रसायनिक क्रिया द्वारा विघटित करके दो या अधिक तत्व प्राप्त किया जा सकता है।
    3. किसी यौगिक के गुण उसके अवयवी तत्वों के गुण से बिलकुल भिन्न होते हैं ।
    4. जब यौगिक का निर्माण होता है तब प्रकाश या उष्मा के रूप में ऊर्जा का प्रायः उत्सर्जन या अवशोषण होता है ।
    5. यौगिक में उसके अवयवी तत्व भार के विचार से एक निश्चित अनुपात में रहते हैं ।
      उदा०-
      1. जल यौगिक है जिनके हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का भार के विचार में अनुपात 1: 8 होता है ।
      2. CO2 में कार्बन तथा ऑक्सीजन के भार का अनुपात 3: 8 होता है।
    6. यौगिक के द्रवणांक और क्वथनांक निश्चित होते हैं तथा यौगिक के संघटन का गुण सर्वदा एकसमान रहते हैं ।
  • मिश्रण ( Mixture ) — मिश्रण वह पदार्थ है जो दो या दो से अधिक तत्वों या यौगिक को किसी भी अनुपात में मिला देने से बनता है ।
    • मिश्रण के अवयव को सरल तरीके से अलग किया ज सकता है।
    • वायु, बारूद, इस्पात सभी मिश्रधातु मिश्रण के उदाहरण हैं ।
    • मिश्रण दो प्रकार के हो सकते हैं- समांग मिश्रण तथा बिषमांग मिश्रण I
  • समांग मिश्रण- समांग मिश्रण का संघटन संपूर्ण मिश्रण में एकसमान रहता है।
    उदा० - चीनी- जल का मिश्रण
    एल्कोहल - जल का मिश्रण वायु
  • विषमांग मिश्रण– विषमांग- मिश्रण का संघटन संपूर्ण मिश्रण में एकसमान नहीं रहता है। उदा०- बालू-मक का मिश्रण
  • मिश्रण बनने पर कोई रसायनिक अभिक्रिया नहीं होती है तथा मिश्रण के द्रवणांक, क्वथनांक निश्चित नहीं होते हैं I
  • भौतिक अवस्था के आधार पर मिश्रण निम्न प्रकार के हो सकते हैं-
    1. ठोस - ठोस मिश्रण 
      उदा० - चीनी - बालू का मिश्रण
    2. ठोस - द्रव मिश्रण
      उदा० - नमक- जल का मिश्रण
    3. द्रव - गैस मिश्रण
      उदा० - मिट्टी के कणों के बीच वायु
    4. द्रव - गैस मिश्रण
      उदा० - जल में ऑक्सीजन या हाइड्रोजन या नाइट्रोजन गैस का घुलना
    5. गैस - गैस मिश्रण
      उदा० - वायु
    6. द्रव - द्रव मिश्रण
      उदा० - जल एल्कोहॉल का मिश्रण
  • उपयोग में आने वाले प्रमुख मिश्रण पदार्थ -
    1. दूध
    2. स्याही (Ink)
    3. Soft Drink
    4. टिंचर आयोडीन
    5. वायु
    6. मिश्र धातु
  • मिश्रण को अलग करने की प्रमुख विधि-
    1. Distillation ( स्त्रवण ) -- वह प्रक्रिया जिसमें किसी द्रव को गर्म करके वाष्प में परिवर्तित किया जाता है फिर वाष्प को ठंडा करके पुनः द्रव में संघनित किया जाता है, Distillation कहलाता है। Distillation द्वारा ऐसा मिश्रण को पृथक किया जाता है जो अपने क्वथनांक पर अपघटित नहीं होते हैं तथा मिश्रण अवयवों के क्वथनांक के बीच लगभग 25°C या अधिक या अंतर हो ।
    2. Fractional Distillation (प्रभाजी आसवन) - यह विधि दो या अधिक अवयव वाले मिश्रण की पृथक करने में अपनायी जाती है जिनके अवयवी द्रवों के क्वथनांक का अंतर बहुत कम ( 10°C या कम) होता है ।
      • पेट्रोलियम के विभिन्न अवयवों को प्रभाजी आसवन द्वारा ही अलग किया जाता है I
    3. क्रोमैटोग्राफी- इस तकनीक से वैसे मिश्रण को पृथक किया जाता है जिनके अवयव एक ही विलायक में विलेय (Soluble) होते हैं।
      • सर्वप्रथम इस तकनीक का उपयोग प्राकृतिक रंग के रंगीन अवयव को पृथक करने में किया गया था ।
      • स्याही ( Ink ) के अवयव इसी विधि द्वारा अलग हो सकता है।
Purification of Water:
अशुद्ध जल को पीने योग्य बनाने हेतु जल का शुद्धिकरण होता है। यह प्रक्रिया निम्न तीनों चरणों में पूरा होता है-
  1. Sedimentation Tank - अशुद्ध जल को एक टंकी में डाला जाता है इसके बाद पानी में पोटाश एलम (फिटकरी) मिला दिया जाता है। पोटशएलम के कारण जल की अशुद्धि नीचे बैठ जाते हैं ।
  2. Filtration Tank— इस टंकी में जल को चारकोल, ककड़ और महीन बालू के स्तरों से गुजरना पड़ता है जिससे नल की निलंबित अशुद्ध दूर हो जाती है।
  3. Chlorination Tank - इस टंकी में जल में क्लोरीन मिला देते हैं जिससे जल में उपस्थित हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। इसके बाद जल पीने योग्य हो जाता है।
भौतिक परिवर्तन (Physical change)-
भौतिक परिवर्तन वह परिवर्तन है जिससे पदार्थ के कुछ गुणों में अस्थायी परिवर्तन आ जाता है। भौतिक परिवर्तन के दौरान पदार्थ के मूल संघटन और द्रव्यमान में कोई परिवर्तन नहीं होता है और नहीं कोई नया पदार्थ बनता है ।
  • भौतिक परिवर्तन के उदाहरण-
    1. जल का वाष्प बनना ।
    2. नमक का जल में घुलना ।
    3. विद्युत बल्व से प्रकाश का उत्सर्जन ।
रसायनिक परिवर्तन (Chemical change)--
रसायनिक परिवर्तन के दौरान नया पदार्थ बनते हैं जिनके गुण एवं संरचना मूल पदार्थ से बिल्कुल भिन्न होते हैं।
  • रसायनिक परिवर्तन के उदाहरण-
    1. लोहे पर जंग लगना
    2. कोयले का जलना
    3. लोहे एवं गंधक के मिश्रण को गर्म करना ।
    4. शरीर में भोजन का पचना

अभ्यास प्रश्न

1. किसी ठोस पदार्थ का वाष्प में परिवर्त्तन क्या कहलाता है ?
(a) वाष्पन
(b) उबलना
(c) संघनन
(d) उर्ध्वपातन
2. गैस का द्रव में परिवर्तन का क्या कहलाता है ?
(a) गैसीयकरण
(b) उर्ध्वपातन
(c) संघनन
(d) जमना
3. सौरमंडल में प्लाज्मा अवस्था की उत्पत्ति का कारण है-
(a) निम्न ताप
(b) उच्च दाब
(c) उच्च ताप
(d) इनमें से कोई नहीं
4. निम्न में कौन-सा कथन असत्य है ?
(a) ठोस पदार्थ के आकृति और आयतन निश्चित होते हैं।
(b) गैसीय पदार्थ के आकृति और आयतन दोनों अनिश्चित होते हैं।
(c) द्रव के आकार निश्चित परन्तु आयतन निश्चित नहीं होता है।
(d) गैसीय पदार्थ संपीड्य (Compressible) होते हैं ।
5. निम्न कथनों पर विचार कीजिए-
1. पदार्थ की चौथी अवस्था प्लाज्मा अवस्था कहलाती है I
2. पदार्थ की पंचम अवस्था बोस - आइंस्टाइन कंडेन्सेट अवस्था कहलाती है I
उपर्युक्त कौन से कथन सत्य है-
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) इनमें कोई नहीं
6. किसी यौगिक के गुण उसके अवयवी तत्व के गुणों से- 
(a) भिन्न होते हैं
(b) सदृश होते हैं
(c) दोनों A तथा B
(d) इनमें कोई नहीं
7. निम्नलिखित में कौन यौगिक है-
(a) लोहा
(b) पीतल
(c) आयोडीन
(d) फेरस सल्फाइड
8. निम्नलिखित में कौन मिश्रण है-
(a) हीरा
(b) लोहा
(c) बालू
(d) हवा
9. निम्नलिखित में कौन दो तत्वों का मिश्रण है-
(a ) नमक + मिट्टी
(b) हाइड्रोजन + ऑक्सीजन
(c) चीनी + मिट्टी
(d) ऐल्कोहॉल + जल
10. निम्नलिखित में कौन विषमांग मिश्रण के उदाहरण है-
(a ) नमक + जल
(b) चीनी + जल
(c) फिटकरी + जल
(d) तेल + जल
11. निम्नलिखित में कौन मिश्रण है-
(a) HCl गैस
(b) SO2 गैस
(c) वायु
(d) H2S गैस
12. नीचे दिये गये पदार्थों में कौन मिश्रण नहीं है-
(a) हवा
(b) साधारण नमक
(c) चीनी
(d) पीतल
13. इनमें कौन समांग मिश्रण नहीं है- 
(a) पीतल 
(b) हवा
(c) नमक की विलयन
(d) धुआँ
14. सोडावाटर किस तरह के मिश्रण के उदाहरण है-
(a) गैस एवं गैस का
(b) द्रव एवं गैस का 
(c) ठोस एवं गैस का
(d) द्रव एवं द्रव का
15. निम्नलिखित में कौन यौगिक है -
(a) वायु
(b) बादल
(c) बारूद 
(d) जल
16. निम्नलिखित में गलत कथन कौन सा है-
(a) तत्व एक ही प्रकार के परमाणुओं का बना होता है ।
(b) यौगिक का सूक्ष्मतम कण अणु कहलाता है।
(c) यौगिक एक ही प्रकार के परमाणुओं का बना होता है।
(d) तत्व का सूक्ष्मतम कण परमाणु कहलाता है ।
17. निम्नलिखित में कौन शुद्ध पदार्थ है-
(a) नदी का जल 
(b) स्याही
(c) ग्लूकोस
(d) मिट्टी
18. स्याही के अवयवों को अलग करने के लिए किस विधि का उपयोग किया जा सकता है ?
(a) कोमैटोग्राफी
(b) प्रभाजी आसवन
(c) वाष्पण
(d) ऊर्ध्वपातन
19. निम्नलिखित में कौन धातु नहीं है ?
(a) पारा
(b) आयोडीन
(c) कैडमियम
(d) सीजियम
20. निम्नलिखित में कौन यौगिक नहीं है ?
(a) चूना - पत्थर
(b) धोनेवाला सोडा
(c) पीतल
(d) चूना
21. निम्नलिखित में कौन भौतिक परिवर्तन है-
(a) लोहे में जंग लगना
(b) दूध से दही का बनना
(c) भोजन का पचना
(d) जल का जमना
22. उपधातु के गुण होते हैं-
(a) धातु के समान
(b) धातु और अधातु के मध्यवर्ती
(c) अधातु के समान
(d) इनमें से कोई नहीं
23. निम्नलिखित में कौन रसायनिक परिवर्तन नहीं है-
(a) मोमबत्ती का जलना
(b) प्रकाश संश्लेषण
(c) काँच का टूटना
(d) जल का वैद्युत अपघटन
24. बारूद किसका मिश्रण है-
(a) गंधक, कोयला और सोडियम सल्फेट
(b) शोरा, गंधक और कोयला
(c) लोहा, कार्बन और तूतिया
(d) बालू, गंधक और कोयला
25. निम्नलिखित में कौन कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में रहता है-
(a) फॉस्फोरस
(b) सिलीकन
(c) क्लोरीन
(d) ब्रोमीन
26. निम्नलिखित में कौन विषमांग मिश्रण है-
(a) जल
(b) पीतल
(c) आयोडीन युक्त नमक
(d) ब्रोंज
27. जल को हानिकारक जीवाणु से मुक्त कराने के लिए निम्नलिखित किस पदार्थ को मिलाया जाता है ?
(a) विरंजक चूर्ण 
(b) सोडियम कार्बोनेट
(c) चूना- जल
(d) काली-चूना
28. निम्नलिखित में कौन शुद्ध पदार्थ नहीं है ?
(a) बर्फ 
(b) कैल्शीयम ऑक्साइड
(c) दूध
(d) पारा
29. आधुनिक रसायन शास्त्र का जनक किसे माना जाता है ?
(a) अर्नेस्ट रदरफोर्ड 
(b) ऑटोहॉन
(c) मेंडीलीफ
(d) एंटोनी लवोइसिएर
30. द्रव की अवस्थाओं की अधिकतम संख्या क्या है ?
(a) तीन
(b) पाँच
(c) चार 
(d) परिवर्तनशील
31. सामान्यतः द्रव्य की अवस्थाओं के भौतिक वर्गीकरण में कौन सी अवस्था शामिल नहीं होती-
(a) कोलाइडल
(b) गैसीय
(c) द्रव
(d) ठोस
32. किसी पदार्थ द्वारा अधिकृत स्थान कहलाता है 
(a) घनत्व
(b) अंतरा - अणुक स्थान
(c) द्रव्यमान
(d) आयतन
33. निम्नलिखित में कौन सा कथन सत्य है-
(a) पानी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का मिश्रण है ।
(b) पानी नाइट्रोजन और ऑक्सीजन का एक यौगिक है।
(c) पानी ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का एक यौगिक है। 
(d) पानी एक मूल तत्व है।
34. विज्ञान के संदर्भ में निम्न में से कौन सा गुण मिश्रण का नहीं है-
(a) इसकी संरचना नियत होती है।
(b) यह दो या अधिक तत्वों अथवा यौगिक द्वारा बनता है । 
(c) इसे भौतिक तरीकों से अलग किया जा सकता है।
(d) किसी मिश्रण के घटक अपने गुणों को बनाए रखते हैं ।
35. ...... पदार्थ की उन अवस्थाओं में एक है जो बहुत ही कम घनत्व वाली गैस को अत्यंत कम तापमान के तहत ठंडा करके प्राप्त होती है-
(a) प्लाज्मा घनीभूत
(b) प्लाज्मा
(c) ओस-आइंस्टाइन घनीभूत
(d) गैस
36. पृथ्वी के भू-पटल पर सबसे अधिक मात्रा में पाये जाने वाला तत्व है-
(a) ऑक्सीजन
(b) सिलिकन
(c) ऐलुमिनियम
(d) लोहा
37. मानव शरीर में अधिकतम प्रतिशत में पाये जाने वाले तत्व हैं-
(a) ऑक्सीजन
(b) कार्बन
(c) हाइड्रोजन
(d) नाइट्रोजन
38. ठोस बर्फ के एक टुकड़े को गर्म करने पर वह पिघलने लगता है और ताप
(a) स्थिर रहता है
(b) बढ़ जाता है
(c) घटता है
(d) पहले बढ़ता है, फिर घटता है
39. निम्नलिखित कथनों में गलत कथन कौन-सा है ?
(a) किसी द्रव को संपीड़ित करना आसान होता है, जबकि गैस को कठिन ।
(b) ठोस पदार्थ की आकृति और आयतन निश्चित होते हैं।
(c) ठोस पदार्थ के कणों की गतिज ऊर्जा नगण्य होती है। 
(d) गैसों में विसरण का गुण पाया जाता है ।
40. निम्नलिखित में कौन पदार्थ नहीं है ?
(a) जल
(b) वायु
(c) ऊष्मा
(d) धूल कण
41. निम्नलिखित में कौन उर्ध्वपातित हो सकता है ?
(a) कोयला
(b) अमोनियम क्लोराइड
(c) सोडियम क्लोराइड
(d) ईथर
42. निम्नलिखित में किस विधि द्वारा कर्पूर (Camphor ) को शुद्ध रूप में प्राप्त किया जा सकता है ?
(a) स्रवण
(b) वाष्पन
(c) छानना
(d) उर्ध्वपातन
43. गैस की भाँति किसी ठोस पदार्थ को संपीड़ित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि
(a ) ठोस पदार्थ में अंतरा - अणक स्थान अत्यंत कम होता है।
(b) ठोस पदार्थ में अंतरा - अणुक स्थान बहुत ज्यादा होता है।
(c) ठोस पदार्थ में अंतरा - अणुक आकर्षण बल नगण्य होता है
(d) ठोस पदार्थ का घनत्व कम होता है।
44. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है ?
(a) पदार्थ कणों का बना होता है ।
(b) पदार्थ के कण अत्यंत सूक्ष्म होते है ।
(c) पदार्थ के कण अनवरत गतिशील रहते हैं ।
(d) पदार्थ के कण गतिशील नहीं रहते हैं ।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here
]]>
Tue, 23 Apr 2024 14:42:49 +0530 Jaankari Rakho