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भाषा एवं साहित्य

1. भारत के प्रमुख भाषा समूह कौन-से हैं?
(a) इंडो यूरोपीय 
(b) द्रविड़
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- भारत के प्रमुख भाषा समूह इंडो यूरोपीय तथा द्रविड़ दोनों ही हैं। उत्तर भारत की अधिकांश भाषाएँ हिंद यूरोपीय समूह के अंतर्गत आती हैं, जबकि दक्षिण भारत की भाषाएँ द्रविड़ समूह के अंतर्गत आती हैं।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. भारत में आने वाले आर्यों की भाषा संस्कृत थी और यह हिंद यूरोपीय समूह की भाषा है।
2. द्रविड़ भाषाओं में सबसे पुरानी भाषा तेलुगू है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) सत्य है। भारत में आने वाले आर्यों की भाषा संस्कृत थी, यह हिंद यूरोपीय समूह की भाषा है। इसे उच्च वर्गों के लोग, ब्राह्मण, क्षत्रिय आदि प्रयोग करते थे।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि द्रविड़ भाषाओं में सबसे पुरानी तेलुगू भाषा नहीं, बल्कि तमिल भाषा है, अन्य द्रविड़ भाषाओं का विकास ईसवी के पहले एक हजार वर्षों में हुआ था।
3. मुगलकाल में किस भाषा को राजभाषा का दर्जा प्राप्त था ?
(a) अरबी
(b) उर्दू
(c) फारसी
(d) हिंदी
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगलकाल में फारसी भाषा को राजभाषा का दर्जा प्राप्त था। तुर्की एवं मुगलों के शासनकाल में दो नई भाषाएँ अरबी और फारसी भारत में प्रचलित हुई। आगे चलकर उर्दू नामक एक नई भाषा का विकास हुआ, जो हिंदी की बोलियों पर आधारित थी। अबुल फजल द्वारा रचित अकबरनामा तथा आइन-ए-अकबरी प्रमुख फारसी पुस्तकें हैं।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. आर्यों की प्राचीनतम ज्ञात रचना ऋग्वेद है।
2. ब्राह्मण ग्रंथों के परिशिष्ट भागों को उपनिषद् कहा जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) सत्य है। वेदों की संख्या 4 हैऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद । ऋग्वेद आर्यों की प्राचीनतम ज्ञात रचना है। यह वैदिक संस्कृत में रचे गए 1028 सूक्तों का संग्रह है। यजुर्वेद में यज्ञ के संपादन की विधियाँ बताई गई हैं, सामवेद में ऋग्वेद के सूक्तों (छंदों) के गायन की विधि बताई गई है और अथर्ववेद में अनेक संस्कारों और कर्मकांडों का वर्णन है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि ब्राह्मण ग्रंथों के परिशिष्ट भागों को उपनिषद् नहीं, बल्कि 'आरण्यक' कहा जाता है। इसमें अनेक संस्कारों को बताया गया है। दार्शनिक साहित्य का आधार भी इन्हीं आरण्यक ग्रंथों ने तैयार किया है। उपनिषद् साहित्य में ब्रह्मांड का आरंभ, जीवन-मृत्यु, भौतिक और आध्यात्मिक जगत, ज्ञान की प्रकृति और अनेक दूसरे दार्शनिक प्रश्नों की विवेचना की गई है।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. रामायण महाकाव्य की रचना वाल्मिकी ने की थी।
2. अपने वर्तमान स्वरूप में ये ग्रंथ दूसरी सदी ई. में लिखे गए हैं।
3. महाभारत में दस हजार श्लोक हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं।
रामायण महाकाव्य के रचनाकार महर्षि वाल्मिकी है, इसमें मुख्यतः अयोध्या के सूर्यवंशी राजाओं के वृतों का वर्णन है। इस ग्रंथ की रचना वर्तमान स्वरूप में लगभग दूसरी सदी ईसवी में की गई है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि महाभारत में लगभग एक लाख श्लोक हैं, न कि दस हजार श्लोक । इस प्रकार यह विश्व का सबसे बड़ा काव्यग्रंथ है। इसका केंद्रीय विषय पांडव - कौरव युद्ध है।
6. आरंभिक बौद्ध साहित्य किस भाषा में लिखे गए हैं?
(a) पालि
(b) प्राकृत
(c) अर्द्धमागधी प्राकृत
(d) अपभ्रंश
उत्तर - (a)
व्याख्या- आरंभिक बौद्ध साहित्य पालि भाषा में लिखे गए हैं। यह तीन भागों में विभक्त है- सुत्तपिटक, विनयपिटक तथा अभिधम्म पिटक, महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश तत्कालीन आमजन की भाषा पालि में दिए ।
7. मिलिंदपह्नों एक बौद्ध ग्रंथ है, इसमें किस-किस के बीच संवाद वर्णित है?
(a) विश्वामित्र - गार्गी के मध्य संवाद
(b) बुद्ध के शिष्यों के मध्य संवाद
(c) मिनांडर तथा नागसेन के मध्य संवाद
(d) मनु तथा शुक्राचार्य के मध्य संवाद
उत्तर - (c)
व्याख्या- मिलिंदपह्नों एक बौद्ध ग्रंथ है, इसमें इंडो-ग्रीक शासक मिनांडर (मिलिंद) और बौद्ध दार्शनिक नागसेन के बीच का संवाद लिपिबद्ध है।
इस ग्रंथ का नाम मिलिंदपह्नों, मिनांडर द्वारा (नागसेन से) किए गए प्रश्नों के कारण पड़ा, यह पालि भाषा में लिखा गया ग्रंथ है। इस ग्रंथ में मिनांडर के प्रश्नों का नागसेन द्वारा दिया गया उत्तर उल्लेखित है।
8. निम्नलिखित में से कौन-सी भाषा द्रविड़ वर्ग में शामिल नहीं है?
(a) मराठी
(b) कन्नड़ 
(c) तेलुगू
(d) तमिल 
उत्तर - (a)
व्याख्या- मराठी द्रविड़ भाषा वर्ग में शामिल नहीं है, यह हिंद यूरोपीय समूह की भाषा है, जो मुख्यत: महाराष्ट्र में बोली जाती है। शेष कन्नड़, तेलुगू, तमिल तथा मलयालम को द्रविड़ भाषा समूह के रूप में जाना जाता है। द्रविड़ भाषा का मुख्य क्षेत्र दक्षिण भारत है।
9. प्रसिद्ध महाकाव्य 'कुरल' की रचना किसने की थी ? 
(a) तिरुवल्लुवर 
(b) सीतलैसत्तकार
(c) विष्णु शर्मा
(d) शंकराचार्य
उत्तर - (a)
व्याख्या- तिरुवल्लुवर ने प्रसिद्ध ग्रंथ 'कुरल' की रचना की, इस काव्य ग्रंथ में जीवन के अनेक पक्षों की विवेचना की गई है। तिरुवल्लुवर प्रसिद्ध तमिल कवि और दार्शनिक थे।
तमिल साहित्य में इनका योगदान उल्लेखनीय है । कुरल (थिरुकुरल) तमिल साहित्य में नीति पर आधारित पुस्तक है, जिसमें आदर्श गृहस्थ जीवन, नैतिक शिक्षा तथा पवित्र जीवन जीने की चर्चा की गई है।
10. निम्नलिखित युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं?
1. मृच्छकटिकम                 शूद्रक
2. बुद्धचरित                      वसुबंधु
3. मुद्राराक्षस                     विशाखदत्त
4. हर्षचरित                       बाणभट्ट
कूट
(a) 1, 2, 3 और 
(b) 1, 3 और 4
(c) 1 और 4
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए युग्मों में से युग्म (1), (3) और (1) सही सुमेलित हैं। शूद्रक, 'मृच्छकटिकम' का रचनाकार है। मृच्छकटिकम संस्कृत नाटक है, जिसमें 10 अंक हैं। नाटक की पृष्ठभूमि पाटलिपुत्र है। मृच्छकटिकम का अर्थ होता है - खिलौना, गाड़ी।
विशाखदत्त ने 'मुद्राराक्षस' की रचना की। इसकी रचना चौथी शताब्दी में की गई थी। इसमें चाणक्य की राजनीतिक सफलताओं का विश्लेषण मिलता है। बाणभट्ट 'हर्षचरित' का रचनाकार है । यह हर्षवर्द्धन की जीवनी है, जो संस्कृत में रचित है।
युग्म (2) सही सुमेलित नहीं है। अश्वघोष ने 'बुद्ध चरित' की रचना की। यह एक प्रसिद्ध बौद्ध ग्रंथ है, जिसकी रचना संस्कृत भाषा में की गई है।
11. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. भक्तिमार्गी संतों ने अपना उपदेश जनभाषा में दिया।
2. भक्तिकाल में भोजपुरी और अवधी हिंदी की दो प्रमुख बोलियाँ थीं।
3. मलिक मुहम्मद जायसी ने पद्मावत की रचना भोजपुरी में की थी।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) ये सभी
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। भक्तिमार्गी संतों ने अपने उपदेशों को आमजन की भाषा में दिया, जिससे उनका जुड़ाव अधिक-से-अधिक लोगों तक हुआ। भक्ति संतों में कबीर, नानक, नामदेव, सूरदास, तुलसीदास आदि प्रमुख थे।
भक्तिकाल में भोजपुरी और अवधी हिंदी की दो प्रमुख बोलियाँ थीं। कबीर की रचनाएँ अधिकांश भोजपुरी में हैं।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि मलिक मुहम्मद जायसी ने पद्मावत की रचना भोजपुरी में नहीं, बल्कि अवधी भाषा में की थी।
12. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
        लेखक                       पुस्तक
(a) कृष्णदेवराय              आमुक्तमाल्यदा
(b) पंपा                         मनुचरित
(c) धूर्जटि                      श्री कलहतीश्वर महात्म्य
(d) रन्ना                         गदायुद्ध
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए युग्मों में युग्म (b) सही सुमेलित नहीं है। 'मनुचरित' के रचनाकार पंपा नहीं, बल्कि अल्लसनी पेद्दन थे। पंपा ने आदिपुराण नामक ग्रंथ की रचना की थी। अल्लसनी पेद्दन एक प्रसिद्ध तेलुगू कवि थे, जो राजा कृष्णदेवराय के अष्टदिग्गज में शामिल थे। पेद्दन द्वारा रचित ग्रंथ मनुचरित में विजयनगर साम्राज्य का विस्तृत विवरण दिया गया है।
13. तमिल रामायण की रचना किसने की थी ?
(a) कुलशेखर
(b) पोन्ना
(c) रन्ना
(d) कंबन
उत्तर - (d)
व्याख्या- तमिल रामायण की रचना कंबन द्वारा की गई थी। पोन्ना ने शांतिपुराण की रचना की थी, जिसमें 16वें जैन तीर्थंकर की जीवनगाथा है। कुलशेखर अलवार संत थे, जिन्होंने नवीं शताब्दी में चेर राज्य पर शासन किया। उनकी रचना 'मुकुंदमाला' संस्कृत में रचित है। रन्ना ने अजित पुराण और गदायुद्ध की रचना की थी। पंपा, पोन्ना तथा रन्ना को कन्नड़ साहित्य का त्रिरत्न कहा जाता है।
14. निम्नलिखित में से कौन-सी रचना अमीर खुसरो की है ?
(a) किरानुल-सदायन 
(b) नूह सिपिहर
(c) आशिका
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- अमीर खुसरो की मुख्य रचनाएँ 'आशिका', 'नूह सिपिहर', तथा 'किरानुल-सदायन' हैं। ये शेख निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। खुसरो मध्यकाल के एक महान साहित्यकार कवि, रहस्यवादी संत तथा संगीतज्ञ थे। अमीर खुसरो (1253-1325 ई.) कई भाषाओं के जानकार थे । इन्होंने गजल, ख्याल, कव्वाली, तराना आदि संगीत की शैलियों की शुरुआत की।
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Sun, 11 Feb 2024 06:22:12 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | कला एवं संस्कृति | संगीत और नृत्य https://m.jaankarirakho.com/892 https://m.jaankarirakho.com/892 NCERT MCQs | कला एवं संस्कृति | संगीत और नृत्य

संगीत और नृत्य

1. संगीत के उद्भव के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. भारतीय संगीत की परंपरा वैदिक छंदों से स्थापित हुई ।
2. अथर्ववेद संगीत के प्राचीनतम स्रोत का प्रतिनिधित्व करता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- संगीत के उद्भव के संबंध में कथन (1) सत्य है। भारतीय संगीत की परंपरा बहुत पहले वेदों के युग से ही प्रारंभ हो गयी थी। जब वैदिक छंदों के गान के लिए लय-ताल, आरोह-अवरोह आदि के सिद्धांत स्थापित किए गए थे। कथन (2) सत्य नहीं है, क्योंकि अथर्ववेद नहीं, बल्कि सामवेद संगीत के प्राचीनतम स्रोत का प्रतिनिधित्व करता है।
2. भारतीय गायन और वाद्य संगीत कितने मुख्य स्वरों पर आधारित है ?
(a) पाँच मुख्य स्वर
(b) सात मुख्य स्वर
(c) आठ मुख्य स्वर
(d) दस मुख्य स्वर
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारतीय गायन और वाद्य संगीत दोनों सात मुख्य स्वरों और पाँच गौण स्वरों पर आधारित है। आगे चलकर अनेकानेक प्रकार के तंत्री वाद्यों, सुषिर वाद्यों और ढोलों (ताल वाद्यों) का आविष्कार किया गया।
3. निम्नलिखित में से कौन कर्नाटक संगीत शैली से संबंधित संगीतकार हैं?
(a) पुरंदरदास
(b) त्यागराज
(c) मधुस्वामी दीक्षितार
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- गायन और वाद्य दोनों प्रकार के संगीत के क्षेत्र में दो शास्त्रीय शैलियों का विकास भारत में हुआ- हिंदुस्तानी संगीत शैली तथा कर्नाटक संगीत शैली। कर्नाटक संगीत शैली दक्षिण भारत में प्रचलित है। कर्नाटक संगीत शैली के महानतम् संगीतकार - पुरंदरदास, त्यागराज तथा मधुस्वामी दीक्षितार हैं। पुरंदरदास को कर्नाटक संगीत के पिता के रूप में जाना जाता है।
4. निम्नलिखित में से किस धर्म में संगीत की परंपरा नहीं थी?
(a) हिंदू
(b) इस्लाम
(c) बौद्ध
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- संगीत आरंभिक इस्लामी परंपरा का अंग नहीं रहा था, हालाँकि कुरान की आयतों की तलावत में संगीत का रस पाया जाता है, पर बाद में सूफी संतों के प्रभाव के कारण इसका विकास हुआ। यह दरबारी जीवन का भी अंग बन गया।
5. मालवा के किस शासक की पहचान सिद्धहस्त संगीतकार के रूप में स्थापित है? 
(a) महमूद बेगड़ा
(b) बाज बहादुर
(c) आदिल शाह द्वितीय
(d) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर - (b)
व्याख्या- मालवा का सोलहवीं सदी का शासक बाजबहादुर और उसकी रानी रूपमती लोकगाथाओं के अंग बन चुके हैं। वे सिद्धहस्त संगीतकार ही नहीं थे बल्कि उन्होंने अनेक नए रागों की रचना भी की थी।
6. कथन (A) नटराज के रूप में शिव की जो मुद्रा प्रचलित है, वह इस बात का प्रतीक है कि भारतीय जनता के जीवन पर नृत्य कला का गहरा प्रभाव है।
कारण (R) नृत्य कलाओं को महाराजाओं, राजाओं और साधारण जनता का संरक्षण प्राप्त हुआ है।
कूट
(a) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है
(b) A और R दोनों सही हैं, परंतु R, A की सही व्याख्या नहीं है
(c) A सही है, किंतु R गलत है
(d) A गलत है, किंतु R सही है
उत्तर - (b)
व्याख्या- (A) और (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है। नटराज के रूप में शिव की जो मुद्रा प्रचलित है, वह इस बात का प्रतीक है कि भारतीय जनता के जीवन पर नृत्य कला का गहरा प्रभाव है। नृत्य कलाओं को महाराजाओं, राजाओं और साधारण जनता, सभी का संरक्षण प्राप्त हुआ।
7. भारतीय नृत्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इसमें भावनाओं की अभिव्यक्ति की जाती है।
2. मध्यकालीन मंदिरों के स्थापत्य से नृत्य की झलक मिलती है ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- भारतीय नृत्य के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं। भारतीय नृत्यकला की एक समृद्ध शास्त्रीय परंपरा रही है। इसमें भावनाओं की अभिव्यक्ति की जाती है, कोई कथा कही जाती है या कोई नाटिका प्रस्तुत की जाती है।
मध्यकालीन मंदिरों के स्थापत्य में नृत्य की झलक दिखती है, जो प्रचलित भावनाओं के संप्रेक्षण के रूप में 'नृत्य कला' को भावुकतापूर्ण स्वीकृति प्रदान करता है। चंदेल शासकों द्वारा निर्मित खजुराहों के मंदिरों की दीवारों पर चित्रित संगीत और नृत्य के विभिन्न दृश्य नृत्यकला के स्पष्ट प्रतिनिधि हैं। ये 14वीं तथा 15वीं शताब्दी के स्थापत्य निर्माण हैं।
8. निम्नलिखित में से कौन-सी नृत्य की शास्त्रीय शैली है?
(a) कथकली 
(b) कुचीपुड़ी
(c) भरतनाट्यम
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- कथकली, कुचीपुड़ी तथा भरतनाट्यम दक्षिण भारत में प्रचलित शास्त्रीय नृत्य शैलियाँ हैं। कथकली केरल में, कुचीपुड़ी आंध्र प्रदेश में तथा भरतनाट्यम तमिलनाडु राज्य में किया जाता है। भारतीय नृत्यकला को दो वर्गों में बाँटा जाता है- (i) शास्त्रीय नृत्य तथा (ii) लोक एवं जनजातीय नृत्य। शास्त्रीय नृत्य शास्त्र सम्मत, निर्धारित नियम पर आधारित होता है। भारतीय शास्त्रीय नृत्य की प्रमुख 8 शैलियाँ हैं- कत्थक, ओड़िशी, मणिपुरी, सत्रीया, मोहिनीअट्टम, कथकली, कुचीपुड़ी तथा भरतनाट्यम । शास्त्रीय नृत्यों में तांडव (शिव) तथा लास्य (पार्वती) दो प्रकार के भाव परिलक्षित होते हैं। लोक एवं जनजातीय नृत्य किसी क्षेत्र विशेष में प्रचलित नृत्य होता है, जिसमें वहाँ के सांस्कृतिक जीवन की कुल झाकियों की झलक मिलती है; जैसे- गरबा (गुजरात), गिद्दा (पंजाब), छऊ (बिहार) आदि ।
9. भारत में प्रचलित कव्वाली नामक संगीत शैली के जन्मदाता कौन हैं? 
(a) अमीर खुसरो 
(b) भरतमुनि
(c) अमीर हसन
(d) नागार्जुन
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारत में प्रचलित कव्वाली संगीत का जन्मदाता अमीर खुसरो को माना जाता है। इसके अतिरिक्त अमीर खुसरो को गजल, ख्याल तथा तराना का भी पिता माना जाता है ।
अमीर खुसरो को ‘तोता- ए - हिंद' अर्थात् 'हिंदं का तोता' कहा जाता है। इनका जन्म 1253 ई. में एटा, उत्तर प्रदेश में तथा मृत्यु 1325 ई. में दिल्ली में हुई। ये महान संगीतकार, इतिहासकार एवं कवि थे। इन्होंने 8 सुल्तानों का शासन देखा था। इन्हें खड़ी बोली के आविष्कार का श्रेय भी दिया जाता है।
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Sun, 11 Feb 2024 05:55:10 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | कला एवं संस्कृति | वास्तुकला एवं स्थापत्य कला https://m.jaankarirakho.com/891 https://m.jaankarirakho.com/891 NCERT MCQs | कला एवं संस्कृति | वास्तुकला एवं स्थापत्य कला

वास्तुकला एवं स्थापत्य कला

1. स्तूप के संदर्भ में नीचे दिए गए कथनों पर विचार कीजिए
1. स्तूप अधिकतर बुद्ध के स्मृति चिह्नों (रेलिक्स) पर बनाए जाते थे।
2. बुद्ध से जुड़े सभी स्तूप गंगा घाटी के दक्षिण में पाए गए हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- स्तूप के संदर्भ में कथन (1) सत्य है। स्तूप अर्द्ध वृत्ताकार गोल टीले के आकार की संरचना होती है। यह बौद्ध धर्म से संबद्ध संरचना है। अधिकतर स्तूप बुद्ध के अवशेषों एवं स्मृति चिह्नों (रेलिक्स) पर बनाए जाते थे। सारनाथ, साँची तथा भरहुत के प्रसिद्ध हैं।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि बुद्ध से जुड़े सभी स्तूप गंगा घाटी के दक्षिण में नहीं पाए गए हैं। केसरिया एवं गांधार आदि अनेक ऐसे स्थलों पर स्तूप पाए गए हैं, जो गंगा घाटी के उत्तर में स्थित हैं। मौर्य शासक अशोक ने 84 हजार स्तूपों को बनवाया था।
2. चैत्य एवं विहार के संबंध में नीचे दिए गए कथनों पर विचार कीजिए
1. चैत्य बौद्ध भिक्षुओं के रहने का स्थान होता था, जबकि विहार उनका उपासना स्थल था।
2. भाजा का चैत्य महाराष्ट्र में है। 
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2
(d) न तो1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- चैत्य एवं विहार के संबंध में कथन (2) सत्य है। भाजा एवं कार्ले प्रमुख चैत्य स्थल हैं, जो कि महाराष्ट्र में स्थित हैं।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि चैत्य बौद्ध भिक्षुओं का निवास स्थान नहीं, बल्कि पूजा स्थल है। जबकि विहार बौद्ध भिक्षुओं के रहने के स्थान को कहा जाता है। स्तूप, विहार (मठ) तथा चैत्य बौद्ध धर्म से संबंधित संरचनाएँ हैं। चैत्य के भीतर स्तूप होता था, जहाँ उपासना की जाती थी। विहारों में नालंदा महाविहार प्रसिद्ध था।
3. साँची स्तूप के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. यह स्तूप मौर्यकाल की एक कलात्मक उपलब्धि है।
2. प्रत्येक स्तूप में एक छोटा-सा कक्ष है, जिसमें बुद्ध के या बौद्ध संतों के या बौद्ध भिक्षुओं के पार्थिव अवशेष एक कलश में रखे होते हैं।
3. वर्तमान समय में यह स्तूप नष्ट हो चुका है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- साँची स्तूप के संबंध में कथन (3) असत्य है, क्योंकि मध्य प्रदेश में अवस्थित साँची का स्तूप ही वर्तमान में सुरक्षित बचा है। यह पूरी तरह से नष्ट नहीं हुआ है।
कथन (1) और (2) सत्य है । साँची का स्तूप मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में अवस्थित है। यह मौर्यकाल की कलात्मक उपलब्धि है। इस स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने अपनी पत्नी (महादेवी) के कहने पर तीसरी शताब्दी ई. पू. में करवाया था। इसके तोरण द्वार पर बुद्ध के जीवन की घटनाओं को प्रस्तुत (उत्कीर्ण) किया गया है।
प्रत्येक स्तूप एक छोटा-सा कक्ष होता है, जिसमें बुद्ध या बौद्ध संतों और भिक्षुओं का पार्थिव अवशेष एक कलश में रखा होता है। स्तूप के ऊपरी भाग में पत्थर की एक छतरी होती है तथा स्तूप के चारों ओर परिक्रमा का एक रास्ता होता है, जो रेलिंग से घिरा होता है। 
4. दक्षिण भारतीय बौद्ध स्मारक जगय्यपेट तथा नागार्जुनकोंडा किस राज्य में स्थित हैं?
(a) तमिलनाडु 
(b) आंध्र प्रदेश
(c) केरल
(d) कर्नाटक
उत्तर - (b)
व्याख्या- आंध्र प्रदेश के वेंगी क्षेत्र में अनेक स्तूप स्थल हैं; जैसे- जगय्यपेट, नागार्जुनकोंडा, अमरावती आदि । जगय्यपेट, नागार्जुनकोंडा तथा अमरावती दक्षिण भारत में स्थित प्रसिद्ध बौद्ध स्मारक हैं। हाल नामक सातवाहन राजा ने बौद्ध संत नागार्जुन के नाम पर श्री पर्वत शिखर पर एक विहार बनवाया था। हाल ने प्राकृत भाषा में गाथासप्तसती नामक पुस्तक की रचना भी की।
5. अमरावती स्तूप के विषय में दिए गए कथनों पर विचार कीजिए
1. यह आंध्र प्रदेश के वेंगी क्षेत्र में स्थित है।
2. इस पर जातक एवं गीता के प्रसंग चित्रित हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य नहीं है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- अमरावती स्तूप के विषय में दिए गए कथनों में से कथन ( 1 ) सत्य है। अमरावती स्तूप आंध्र प्रदेश के वेंगी क्षेत्र में अवस्थित है, साँची स्तूप की भाँति अमरावती स्तूप में भी प्रदक्षिणा पथ है, जो वेदिका से ढका हुआ है। कथन (2) असत्य है, क्योंकि अमरावती स्तूप पर बुद्ध जीवन की घटनाएँ और जातक कथाओं के प्रसंग चित्रित हैं, न कि गीता के प्रसंग ।
6. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कार्ले का चैत्य पूर्वी भारत में चट्टानों को काटकर बनाया गया था।
2. कार्ले चैत्य कक्ष (मंडप) को मनुष्यों तथा जानवरों की आकृतियों से सजाया गया था।
3. गुंटापल्ली और अनाकपल्ली अशोक स्तंभ के लिए प्रसिद्ध हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) सत्य है। कार्ले चैत्य कक्ष (मंडप) को मनुष्यों तथा जानवरों की आकृतियों से सजाया गया था, चैत्य बौद्धों का उपासना स्थल होता है।
कथन (1) और (3) असत्य हैं, क्योंकि कार्ले का चैत्य पूर्वी भारत में नहीं, बल्कि पश्चिमी भारत में स्थित है। यह महाराष्ट्र के पूना जिले में (कार्ला में) चट्टामों को काटकर बनाया गया था।
गुंटापल्ली में चट्टान काटकर चैत्य बनाया गया था, तो वहीं अनाकपल्ली में चट्टानों को काटकर स्तूप बनाया गया है। इस प्रकार ये स्थल बौद्ध चैत्य एवं स्तूप के लिए प्रसिद्ध हैं न कि अशोक स्तंभ के लिए
7. अजंता गुफाओं के संदर्भ में दिए गए कथनों पर विचार कीजिए
1. यह महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है।
2. इसमें कुल 26 गुफाएँ हैं, जिसमें से 4 चैत्य गुफाएँ हैं।
3. अजंता ही एक ऐसा उदाहरण है, जहाँ ई. पू. पहली शताब्दी से लेकर ईसा की पाँचवीं शताब्दी के चित्र पाए जाते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- अजंता गुफाओं के संदर्भ में दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) असत्य क्योंकि अजंता गुफा महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है, न कि नासिक जिले में। अजंता में कुल 30 गुफाएँ हैं, जिनमें से 4 चैत्य गुफाएँ हैं, इसमें बड़े-बड़े चैत्य विहार हैं और ये प्रतिमाओं तथा चित्रों से अलंकृत हैं।
कथन (3) सत्य है। अजंता ही एकमात्र उदाहरण है, जहाँ ईसा पूर्व पहली शताब्दी और ईसा की पाँचवी शताब्दी के चित्र पाए जाते हैं। अजंता में बुद्ध एवं
बौद्ध धर्म से जुड़े चित्र, मूर्ति, उपासना स्थल आदि पाए गए हैं। यह गुफा अपनी भित्ति चित्रकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इन गुफाओं में चट्टानों को काटकर बौद्ध स्मारक बनाए गए थे।
8. अजंता और महाबलीपुरम के रूप में ज्ञात दो ऐतिहासिक स्थानों में कौन-सी बात / बातें समान है/हैं?
1. दोनों एक ही समयकाल में निर्मित हुए थे।
2. दोनों एक ही धार्मिक संप्रदाय से संबद्ध हैं।
3. दोनों में शैलाकृत स्मारक है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 3
(c) 1 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन ( 1 ) और (3) सत्य हैं। शैलाकृत स्मारकों के निर्माण के दूसरे चरण में दूसरी शताब्दी से सातवीं शताब्दी ई. के बीच महायान बौद्ध धर्म, हिंदू तथा जैन धर्म में मूर्तिपूजा के बढ़ते प्रचलन ने अजंता तथा महाबलीपुरम जैसे स्मारकों के निर्माण को गति प्रदान की। अजंता में बौद्ध धर्म से जुड़ी प्रतिमाओं तथा जातक कथाओं का चित्रण है। महाबलीपुरम के मंडप पत्थरों को काटकर वृहद् रथमंदिरों का निर्माण किया गया है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि अजंता तथा महाबलीपुरम दोनों अलग-अलग धार्मिक संप्रदाय से संबद्ध हैं। अजंता, बौद्ध धर्म से एवं महाबलीपुरम, शैव धर्म से संबद्ध है।
9. एलोरा गुफा से संबंधित बिंदुओं पर विचार कीजिए
1. यहाँ बौद्ध, जैन एवं हिंदू धर्मों से संबंधित गुफाएँ हैं।
2. एलोरा की गुफाएँ भी अजंता की भाँति ही दो मंजिली हैं।
3. इसमें विष्णु के विभिन्न अवतारों को दर्शाया गया है ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) केवल 1
(d) 1 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- एलोरा गुफा से संबंधित कथन (1) और (3) सत्य हैं। एलोरा की गुफा महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में अवस्थित है। यहाँ बौद्ध, जैन एवं हिंदू धर्मों से संबंधित 34 गुफाएँ हैं। यहाँ ईसा की पाँचवीं सदी से लेकर ग्यारहवीं सदी तक के तीन भिन्न-भिन्न धर्मों के धर्म स्थल एक साथ दिखाई देते हैं। कथन (2) असत्य है, क्योंकि एलोरा में तीन मंजिला गुफा मिली है, जबकि अजंता में दो मंजिल तक की गुफा ही मिली है।
10. निम्नलिखित में कौन सुमेलित है?
(a) एलोरा की गुफाएँ                              शक
(b) मीनाक्षी मंदिर                                  पल्लव
(c) खजुराहो मंदिर                                चंदेल
(d) महाबलीपुरम के मंदिर                      राष्ट्रकूट
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए युग्मों में से युग्म (c) सही सुमेलित है। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण मध्य भारत के चंदेल शासकों ने कराया था। यहाँ पर हिंदू और जैन धर्म से संबंधित मंदिर हैं और खजुराहो को यूनेस्को विश्व विरासत स्थल समूह में शामिल किया गया है।
एलोरा के गुफा मंदिरों का निर्माण वाकाटक तथा गुप्त शासकों द्वारा कराया गया। मदुरै के मीनाक्षी मंदिर का निर्माण पांड्य शासकों ने करवाया था। महाबलीपुरम के मंदिरों का निर्माण पल्लव शासकों ने कराया, जो चट्टान काटकर बनाए जाने वाले मंदिरों में उत्कृष्ट हैं। यहाँ के मंदिरों के समूह को रथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।
11. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उदयगिरि - खंडगिरि गुफा पूर्वोत्तर भारत में स्थित है।
2. चट्टानों को काटकर देश के सबसे बड़े स्तूप का निर्माण अनाकापल्ली हुआ है।
3. उदयगिरि - खंडगिरि गुफाओं में खारवेल जैन राजाओं के शिलालेख पाए जाते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) केवल 1
(c) 2 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) और (3) सत्य हैं। अनाकापल्ली आंध्र प्रदेश में स्थित है तथा यहाँ चौथी-पाँचवीं सदी में चट्टानों को काटकर एक बड़ा स्तूप बनाया गया। यह देश में चट्टान काटकर निर्मित किया गया, सबसे बड़ा स्तूप है।
उदयगिरि - खंडगिरि गुफाओं में खारवेल जैन राजाओं के शिलालेख पाए गए हैं। ये जैन गुफाएँ मुनियों के लिए बनाई गई थीं।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि उदयगिरि खंडगिरि की गुफाएँ पूर्वोत्तर भारत में नहीं, बल्कि पूर्वी भारत में स्थित ओडिशा में हैं। यहाँ कुछ गुफाओं को बड़ी चट्टानों में पशु का आकार देकर बनाया गया है। ये गुफाएँ मुख्यतः जैन धर्म से संबंधित हैं।
12. नागर, द्रविड़ और बेसर हैं
(a) भारतीय उपमहाद्वीप के तीन मुख्य जातीय समूह
(b) तीन मुख्य भाषा वर्ग, जिनमें भारत की भाषाओं को विभक्त किया जा सकता है
(c) भारतीय मंदिर वास्तु की तीन मुख्य शैलियाँ
(d) भारत में प्रचलित तीन मुख्य संगीत घराने
उत्तर - (c)
व्याख्या- प्राचीन भारत में मंदिर वास्तु की तीन प्रमुख शैलियाँ विकसित हुई हैं। ये हैं- नागर, द्रविड़ तथा बेसर। नागर शैली का मंदिर स्थापत्य उत्तर भारत में प्रसिद्ध है। द्रविड़ शैली में दक्षिण भारत के मंदिर निर्मित हैं।
बेसर शैली वस्तुत: नागर तथा द्रविड़ का मिश्रित रूप है। बेसर शैली मध्य भारत के मंदिरों पर अपना प्रभाव डालती है।
13. नागर शैली के संदर्भ में दिए गए कथनों पर विचार कीजिए
1. यह उत्तर भारत में प्रचलित मंदिर निर्माण की शैली है।
2. इसके प्रवेश द्वार को गोपुरम कहा जाता है।
3. इसके गर्भगृह के प्रवेश द्वार के पास गंगा-यमुना नदी की प्रतिमाएँ हैं।
4. यह संपूर्ण मंदिर एक विशाल चबूतरे (वेदी) पर बनाया जाता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2, 3 और 4
(c) 1, 3 और 4
(d) 2 और 4
उत्तर - (c)
व्याख्या- नागर शैली के संदर्भ में कथन (1), (3) और (4) सत्य हैं। नागर शैली मंदिर स्थापत्य की उत्तर भारत में प्रचलित प्रमुख निर्माण शैली है। इसे उत्तर भारतीय मंदिर शैली भी कहा जाता है। इस शैली में संपूर्ण मंदिर को एक विशाल चबूतरे पर बनाया जाता है और उस तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ होती हैं। नागर शैली के मंदिरों में गंगा और यमुना जैसी नदी देवियों को (इनकी प्रतिमाओं को) गर्भगृह के प्रवेश द्वार के पास रखा जाता है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि गोपुरम, नागर शैली में निर्मित मंदिरों की नहीं, बल्कि द्रविड़ शैली में निर्मित मंदिरों की विशेषता है। द्रविड़ शैली में निर्मित मंदिर के मुख्य द्वार को गोपुरम कहा जाता है।
14. मंदिर के संबंध में नीचे दिए गए कथनों पर विचार कीजिए
1. पाँचवीं सदी तक आते-आते भू-प्रशासन में मंदिर की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण हो गई थी।
2. मंदिरों के पूजा गृह तीन प्रकार के होते थे।
3. मंदिर के गर्भगृह में गौण अधिष्ठाता देवताओं की मूर्ति को स्थापित किया जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) असत्य हैं। भू-प्रशासन में मंदिर की भूमिका पाँचवीं सदी तक नहीं, बल्कि दसवीं शताब्दी तक आते-आते महत्त्वपूर्ण हो गई थी।
मंदिर के गर्भगृह में मुख्य अधिष्ठाता देवताओं की मूर्ति को स्थापित किया जाता है न कि गौण देवता की। गौण देवताओं की मूर्ति मुख्य देवता के आस-पास स्थापित की जाती है। गर्भगृह ही अधिकांश पूजा-पाठ या धार्मिक क्रियाओं का केंद्र बिंदु होता है।
कथन (2) सत्य है। मंदिरों के पूजा गृह तीन प्रकार के होते हैं- संधर किस्म, निरंधर किस्म तथा सर्वतोभद्र ।
15. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. बेसर शैली मंदिर निर्माण की शैली है।
2. बेसर शैली का क्षेत्र पूर्वोत्तर भारत है।
3. बेसर शैली नागर एवं द्रविड़ शैली का मिश्रण है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य नहीं है /हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) सत्य नहीं है, क्योंकि शैली का क्षेत्र पूर्वोत्तर भारत नहीं, बल्कि विंध्याचल पर्वत से लेकर कृष्णा नदी तक है ।
कथन (1) और (3) सत्य हैं । वेसर शैली मंदिर निर्माण की शैली है। यह उत्तर भारत की नागर शैली तथा दक्षिण भारत की द्रविड़ शैली का मिश्रित रूप है। इस शैली के मंदिर विंध्याचल पर्वत (मध्य भारत ) से लेकर कृष्णा नदी (दक्षिण भारत) तक पाए जाते हैं। बेसर शैली को चालुक्य शैली भी कहा जाता है।
16. भारत के सांस्कृतिक इतिहास में 'पंचायतन' शब्द किसे निर्दिष्ट करता है ?
(a) ग्राम के ज्येष्ठ जनों की सभा
(b) धार्मिक संप्रदाय
(c) मंदिर रचना शैली
(d) प्रशासनिक अधिकारी
उत्तर - (c)
व्याख्या- भारत के सांस्कृतिक इतिहास में 'पंचायतन' शब्द मंदिर की रचना को निर्दिष्ट करता है। देवगढ़ का दशावतार मंदिर जो विष्णु को समर्पित है, यह उत्तर प्रदेश के ललितपुर में है, इसे गुप्तकालीन मंदिर स्थापत्य का एक श्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है। यह मंदिर वास्तुकला की पंचायतन शैली में निर्मित है। इस शैली में मुख्य देवालय को एक वर्गाकार वेदी पर बनाया जाता है और चार कोनों में चार छोटे सहायक देवालय बनाए जाते हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर पाँच छोटे-बड़े देवालय बनाए जाते हैं, इसलिए इस शैली को पंचायतन शैली कहा जाता है।
17. खजुराहो मंदिर के विषय में दिए गए कथनों पर विचार कीजिए
1. इसका निर्माण पल्लव राजाओं द्वारा कराया गया था।
2. यहाँ कंदरिया महादेव मंदिर शिल्प का श्रेष्ठ उदाहरण है।
3. इस मंदिर का निर्माण नागर शैली में हुआ है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- खजुराहो मंदिर के विषय में कथन (2) और (3) सत्य हैं। खजुराहों मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में अवस्थित है। इस मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है। यहाँ स्थित कंदरिया महादेव मंदिर को भारतीय मंदिर स्थापत्य शैली का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि खजुराहो मंदिर का निर्माण पल्लवों द्वारा नहीं, बल्कि चंदेल राजाओं द्वारा 900 ई. से 1130 ई. के बीच कराया गया था। खजुराहो के मंदिर प्रतिमाओं के लिए भी प्रसिद्ध हैं।
18. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. माउंट आबू एवं रणकपुर, राजस्थान में स्थित जैन मंदिर हैं।
2. प्रसिद्ध सूर्य मंदिर, मोढ़ेरा, (गुजरात) में स्थित है।
3. योगिनी पंथ को समर्पित मंदिर केवल मध्य प्रदेश में बनाए गए थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। माउंट आबू एवं रणकपुर के जैन मंदिर राजस्थान में अवस्थित हैं। इनका निर्माण 10वीं से 12वीं सदी के बीच सफेद संगमरमर का प्रयोग करके किया गया था।
सूर्य मंदिर मोढेरा (गुजरात) में अवस्थित है, यह मंदिर 11वीं शताब्दी में बना है, इसे सोलंकी राजवंश के राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 ई. में बनवाया था। कथन (3) असत्य है, क्योंकि योगिनी पंथ को समर्पित मंदिर केवल मध्य प्रदेश में ही नहीं है, बल्कि यह ओडिशा और तमिलनाडु में भी बनाए गए थे।
19. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अहोम शैली असम में प्रचलित मंदिर निर्माण की शैली है।
2. शिवसागर मंदिर बंगाल (कलकत्ता) में है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं? 
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) सत्य है । अहोम शैली, असम में प्रचलित मंदिर निर्माण की शैली है। यह शैली एक क्षेत्रीय शैली है, जिसका विकास 12वीं से 14वीं सदी के बीच हुआ, इस शैली का मुख्य क्षेत्र गुवाहाटी और उसके आस-पास का क्षेत्र था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि शिवसागर मंदिर बंगाल (कलकत्ता) में नहीं, बल्कि असम में है, यहाँ तीन मंदिर हैं, शिव, दुर्गा तथा विष्णु मंदिर। इस मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में असम की रानी बररजा अंबिका के द्वारा कराया गया था। स्मरणीय है कि 18वीं शताब्दी में शिवसागर अहोम साम्राज्य की राजधानी थी।
20. रेखापीड़, ढाडकेव तथा खाकरा किस मंदिर वास्तुकला की विशेषताएँ हैं? 
(a) असम वास्तुकला
(b) ओडिशा वास्तुकला
(c) तमिल वास्तुकला
(d) खजुराहों वास्तुकला
उत्तर - (b)
व्याख्या- रेखापीड़, ढाडकेव तथा खाकरा ओडिशा मंदिर की वास्तुकला की मुख्य विशेषताएँ हैं। यहाँ के अधिकांश प्रमुख ऐतिहासिक स्थल प्राचीन कलिंग क्षेत्र में अर्थात् आधुनिक पुरी जिले में ही स्थित हैं।
ओडिशा की मंदिर शैली को नागर शैली की उप शैली कहा जाता है। इन मंदिरों में देवालयों से पहले सामान्य रूप से मंडल होते हैं, जिन्हें ओडिशा में जगमोहन कहा जाता है। ओडिशा शैली के प्रमुख मंदिर के उदाहरण कोणार्क का सूर्य मंदिर, जगन्नाथ पुरी मंदिर आदि हैं।
21. 'यह मंदिर निर्माण की एक शैली है, जिसमें मंदिर के चारों ओर एक चहारदीवारी है और इसके प्रवेश द्वार को गोपुरम कहा जाता है । 
उपर्युक्त विवरण मंदिर निर्माण की किस शैली का है ?
(a) नागर शैली
(b वेसर (बेसर) शैली
(c) द्रविड़ शैली
(d) पहाड़ी शैली
उत्तर - (c)
व्याख्या- प्रश्न में वर्णित विवरण द्रविड़ शैली का है। द्रविड़ शैली के मंदिर चारों ओर एक चहारदीवारी से घिरे होते हैं, इस चहारदीवारी के बीच में प्रवेश द्वार होते हैं, जिन्हें गोपुरम् कहते हैं। इस शैली के मंदिर का निर्माण दक्षिण भारत में किया गया है।
द्रविड़ शैली के मंदिर के गुंबद को तमिलनाडु में विमान कहा जाता है, यह मुख्यतः एक सीढ़ीदार पिरामिड की भाँति होता है, जो ऊपर की ओर ज्यामितीय रूप से उठा होता है।
दक्षिण भारतीय (द्रविड़ शैली) मंदिरों में सामान्यतः भयानक द्वारपालों की प्रतिमाएँ खड़ी की जाती हैं। मंदिर के परिसर में एक बड़ा जलाशय अथवा तालाब में होता इस शैली के प्रमुख मंदिर मीनाक्षी मंदिर, बृहदेश्वर मंदिर आदि हैं।
22. काँचीपुरम, तंजावुर तथा कुंभकोणम् मंदिर नगर कहाँ अवस्थित हैं?
(a) कर्नाटक 
(b) आंध्र प्रदेश
(c) केरल 
(d) तमिलनाडु
उत्तर - (d)
व्याख्या- काँचीपुरम, तंजावुर तथा कुंभकोणम् मंदिर नगर तमिलनाडु में अवस्थित हैं। ये नगर मंदिर शहरी वास्तुकला के केंद्र बिंदु बनने लगे थे। तंजावुर का बृहदेश्वर मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का एक श्रेष्ठ उदाहरण है।
23. 'यह तंजावुर में स्थित एक मंदिर है, जो समस्त भारतीय मंदिरों में सबसे बड़ा और ऊँचा है। इसे राजराजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। '
उपर्युक्त विवरण किस मंदिर के विषय में है ?
(a) बृहदेश्वर मंदिर 
(b) मीनाक्षी मंदिर
(c) तट मंदिर
(d) रथ मंदिर
उत्तर - (a)
व्याख्या- उपर्युक्त विवरण बृहदेश्वर मंदिर का है। बृहदेश्वर मंदिर तंजावुर (तमिलनाडु) में अवस्थित है। यह सभी भारतीय मंदिरों में सबसे ऊँचा और बड़ा है। इसका निर्माण 1009 ई. के आस-पास राजराज चोल द्वारा पूरा कराया गया था। इसे राजराजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह विश्व में एकमात्र मंदिर है, जो ग्रेनाइट से बना हुआ है। यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है।
24. कैलाशनाथ मंदिर के संदर्भ में दिए गए कथनों पर विचार कीजिए। 
1. इसका निर्माण राष्ट्रकूट शासकों द्वारा करवाया गया था।
2. यह भारतीय शैलकृत वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
3. यह मंदिर बेसर शैली में निर्मित है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- कैलाशनाथ मंदिर के संदर्भ में कथन (3) असत्य है, क्योंकि कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण बेसर शैली में नहीं, बल्कि पूर्णतया द्रविड़ शैली में किया गया है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जो कि कैलाशवासी हैं, इसलिए इस मंदिर का नाम कैलाश मंदिर रखा गया।
कथन (1) और (2) सत्य हैं। कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट शासक कृष्ण प्रथम द्वारा 8वीं सदी में कराया गया था। यह मंदिर एलोरा (महाराष्ट्र) में स्थित है। यह एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया सबसे बड़ा मंदिर है।
25. प्रसिद्ध विरुपाक्ष मंदिर कहाँ अवस्थित है?
(a) भद्राचलम 
(b) चिदंबरम
(c) हंपी 
(d) श्रीकालहस्ती
उत्तर - (c)
व्याख्या- प्रसिद्ध विरुपाक्ष मंदिर हंपी (कर्नाटक) में अवस्थित है, यह मंदिर चालुक्य मंदिरों का एक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, यह मंदिर विक्रमादित्य द्वितीय के शासनकाल (733-44 ई.) में उसकी पटरानी लोका महादेवी द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
26. होयसल मंदिरों के संदर्भ में नीचे दिए गए कथनों पर विचार कीजिए
1. होयसल मंदिर द्रविड़ शैली के मंदिर को कहा जाता है।
2. हलेब्रिड का नटराज मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
3. होयसल मंदिर का निर्माण तारकीय योजना के अंतर्गत वर्गाकार रूप में किया गया है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(c) 1 और 3
(b) 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- होयसल मंदिरों के संदर्भ में कथन (1) और (3) असत्य हैं। होयसल मंदिर द्रविड़ शैली का नहीं, बल्कि बेसर शैली का मंदिर है, जिसमें द्रविड़ एवं नागर दोनों मंदिर शैलियों का मिश्रण मिलता है।
होयसल मंदिर का निर्माण तारकीय योजना के अंतर्गत तारे के आकार में किया गया है न कि वर्गाकार रूप में। होयसलों द्वारा बनाए गए मंदिर में अनेक आगे बढ़े हुए कोण होते हैं, जिससे इन मंदिरों की योजना (संरचना) तारे जैसी दिखाई देती है।
कथन (2) सत्य है, हलेब्रिड का नटराज मंदिर नटराज के रूप में भगवान शिव को समर्पित है।
27. विजयनगर वास्तुकला के संदर्भ में दिए गए कथनों पर विचार कीजिए।
1. इसमें द्रविड़ वास्तु शैलियों तथा इस्लामिक प्रभावों का संश्लिष्ट रूप मिलता है।
2. इस नगर का वर्णन निकोलो - डी- कोंटी तथा रडुआर्ड बारबोसा आदि ने किया है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- विजयनगर वास्तुकला के संदर्भ में दोनों कथन सत्य हैं। विजयनगर की वास्तुकला में सदियों पुरानी द्रविड़ वास्तुशैली तथा पड़ोसी सल्तनतों द्वारा अपनाई गई इस्लामिक वास्तुशैली का मिश्रित रूप मिलता है।
हंपी शहर विजयनगर की वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। विजयनगर की कला, वास्तुकला एवं नगर की समृद्धि का वर्णन कई विदेशी यात्रियों निकोलो - डी-कोंटी, रडुआर्ड बारबोसा, डोमिंगो पेइस आदि ने किया है।
28. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. नालंदा का मठीय विश्वविद्यालय एक महाविहार है, क्योंकि यह विभिन्न आकारों के अनेक मठों का संकुल है।
2. नालंदा महाविहार प्राचीन पूजा स्थल का केंद्र था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) सत्य है। नालंदा विश्वविद्यालय के नाम से प्राचीन भारत के प्रसिद्ध पुरास्थल बिहार में अवस्थित हैं। नालंदा का मठीय विश्वविद्यालय एक महाविहार है, क्योंकि यह विभिन्न आकारों के अनेक मठों का संकुल है। इसका निर्माण गुप्तकाल में हुआ था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि नालंदा महाविहार प्राचीन पूजा स्थल का केंद्र नहीं, बल्कि प्राचीन काल में शिक्षा का विश्वप्रसिद्ध केंद्र था। नालंदा के विषय में अधिकांश जानकारी चीनी यात्री ह्वेनसांग के विवरणों से प्राप्त होती है। ह्वेनसांग ने यहाँ अध्ययन (पढ़ाई) किया था।
29. ललितगिरि, वज्रगिरि तथा रत्नागिरि मठ इनमें से कहाँ अवस्थित हैं?
(a) बिहार
(b) महाराष्ट्र
(c) उत्तर प्रदेश
(d) ओडिशा
उत्तर - (d)
व्याख्या- ललितगिरि, वज्रगिरि तथा रत्नागिरि मठ ओडिशा में अवस्थित हैं। ये तीनों बौद्ध मठ हैं। कहीं-कहीं इन तीनों मठों को डायमंड ट्रायंगल (हीरक त्रिभुज) कहा जाता है। यहाँ से बुद्ध की अनेक मूर्तियाँ अलग-अलग अवस्था में से प्राप्त हुई हैं, जैसे-बुद्ध के उपवास की मूर्ति ।
30. 'यहाँ एक पैर पर खड़े योगी का चित्रण है, जिसे कुछ लोग भगीरथ एवं कुछ अर्जुन मानते हैं । ' यह निम्न में से किस मंदिर का चित्रण (विवरण) है?
(a) महाबलीपुरम मंदिर 
(b) बृहदेश्वर मंदिर
(c) हलेब्रिड मंदिर
(d) नटराज मंदिर
उत्तर - (a)
व्याख्या- महाबलीपुरम् में चट्टानों पर उत्कीर्ण चित्रण, कला की दृष्टि से उत्कृष्ट हैं। इसमें चट्टानों के मध्य एक प्राकृतिक दरार है, जिससे होकर (बहकर) पानी नीचे बने कुंड में एकत्रित होता है। विश्व का सबसे बड़ा और प्राकृतिक पैनल महाबलीपुरम की यह विशाल प्रतिमा (फलक/पैनल) है जिसकी ऊँचाई 15 मीटर तथा लंबाई 30 मीटर है। इसे पल्लव काल का माना जाता है। इस पैनल में एक मंदिर उत्कीर्ण है, जिसके सामने तपस्वी और श्रद्धालु बैठे हैं। इसके ऊपर एक पैर पर खड़े योगी का तपमुद्रा में चित्रण है, जिसे कुछ लोग भगीरथ या अर्जुन मानते हैं, जिसके निकट एक नदी तथा पास में वरद ( वरदान) मुद्रा में शिव को दिखाया गया है।
31. इंडो-इस्लामिक वास्तुकला के संबंध में नीचे दिए गए कथ पर विचार कीजिए
1. भारत में मुस्लिम आगमन के समय यहाँ धार्मिक एवं धर्मनिरपेक्ष दोनों वास्तुकला विद्यमान थीं।
2. इंडो-इस्लामिक वास्तुकला पर तुर्की प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- इंडो-इस्लामिक वास्तुकला के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं। भारत में इस्लाम विशेष रूप से मुस्लिम व्यापारियों, धर्मगुरुओं और आक्रमणकारियों के साथ आया। जब भारत में मुस्लिम धर्म का आगमन हुआ, तो यहाँ धार्मिक एवं धर्मनिरपेक्ष दोनों वास्तुकला विद्यमान थीं, परंतु बड़े पैमाने पर भवन निर्माण का कार्य 'तेरहवीं शताब्दी में तुर्की शासन की स्थापना के बाद शुरू हुआ, अतः इंडो- इस्लामिक वास्तुकला पर तुर्की प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।
भारत में आए मुस्लिमों के साथ वास्तुकला के क्षेत्र में अनेक संरचनात्मक तकनीकों, शैलियों तथा सजावटों का मिश्रण तैयार हुआ, जिसके फलस्वरूप भवन निर्माण की एक नई तकनीक का विकास हुआ, जिसे सामूहिक रूप से इंडो-इस्लामिक, इंडो- सारसेनिक, (इंडो अरेबिक) वास्तुकला कहा गया, कुतुबमीनार (दिल्ली) इसका उदाहरण है।
32. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. भवन निर्माण के लिए सबसे अधिक लोकप्रिय सामग्री में रोड़ी, कंकड़ एवं सीमेंट से चिनाई करना शामिल था।
2. 17वीं शताब्दी के प्रारंभ होते-होते भवन निर्माण के कार्य में ईंटों का प्रयोग होने लगा।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) सत्य है । ऊँची-मोटी मीनारों, विशाल दुर्ग के साथ किले बनाना मध्यकालीन भारतीय शासकों तथा राजघरानों की विशेषता थी, क्योंकि ऐसे अभेद्य किलों को अक्सर राजा की शक्ति का प्रतीक माना जाता था। 17वीं सदी की शुरुआत से ही भवन निर्माण कार्यों में ईंटों का प्रयोग होने लगा था। इनसे निर्माण कार्य में अधिक सरलता और नम्यता आ गई। कथन (1) असत्य है, क्योंकि भवन निर्माण के लिए सर्वाधिक लोकप्रिय सामग्री (मसाला) में रोड़ी, कंकड़ आदि से चिनाई करना था, परंतु इसमें सीमेंट शामिल नहीं था। निर्माण में कई प्रकार के पत्थर एवं टाइलों का भी प्रयोग होता था।
33. मीनारों के संबंध में दिए गए कथनों पर विचार कीजिए
1. स्तंभ या गुंबद का एक अन्य रूप मीनार थी, जो केवल भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में पाई जाती है।
2. मध्यकाल की सबसे प्रसिद्ध एवं आकर्षक मीनारों में से एक हैदराबाद की चारमीनार है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- मीनारों के संबंध में कथन (1) असत्य है । इस्लामिक (मुस्लिम) वास्तुकला की एक प्रमुख विशेषता मीनार थी। मीनार स्तंभ अथवा गुंबद का ही एक अन्य रूप थी, जो भारतीय उपमहाद्वीप के केवल उत्तरी भाग में ही नहीं, बल्कि सर्वत्र भारत में पाई जाती है ।
कथन (2) सत्य है। मध्यकाल की सबसे प्रसिद्ध एवं आकर्षक मीनार हैदराबाद की चारमीनार हैं। इन मीनारों की असाधारण आकाशीय ऊँचाई शासक की शक्ति का प्रतीक थी।
34. मकबरे से जुड़े तथ्यों ( कथनों) पर विचार करते हुए असत्य कथन का चयन कीजिए
(a) यह शासकों और शाही परिवारों के लोगों की कब्रों पर बनाया जाता था।
(b) जन्नत (स्वर्ग) प्राप्ति की कल्पना को लेकर मकबरों का निर्माण किया जाता था।
(c) इसे बाग-बगीचे या जलाशय के किनारे नहीं बनाया गया है।
(d) अकबर एवं एतमादुद्दौला का मकबरा आगरा में है।
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (c) असत्य है, क्योंकि मकबरों को स्वर्गीय तत्त्वों के मध्य में जैसे- बाग-बगीचों के अंदर या किसी जलाशय या नदी के किनारे बनाया जाता था। इस प्रकार के मकबरों का निर्माण बाद के काल में किया जाने लगा; जैसे- हुमायूँ का मकबरा तथा ताजमहल में देखा जा सकता है।
शासकों एवं शाही (राजा/सुल्तान) घरानों के लोगों की कब्रों पर विशाल मकबरा बनाना मध्यकालीन भारत की एक लोकप्रिय परंपरा थी। कुछ प्रसिद्ध मकबरों में दिल्ली में स्थित ग्यासुद्दीन तुगलक और हुमायूँ तथा आगरा में स्थित अकबर एवं एतमादुद्दौला का मकबरा है।
35. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अटाला मस्जिद का निर्माण शक राजवंश के शासकों ने करवाया था।
2. तीन दरवाजा मस्जिद का निर्माण बहादुरशाह द्वारा करवाया गया था।
3. ‘सादी सैयद मस्जिद' हैदराबाद में स्थित है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 2
(c) 2 और 3
(d) ये सभी
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) और (3) असत्य हैं। तीन दरवाजा मस्जिद का निर्माण अहमदशाह ने कराया था न कि बहादुरशाह ने। अहमदशाह ने जामी मस्जिद का भी निर्माण कराया था। यह गुजरात का शासक था और इसने अहमदाबाद नगर को बसाया था।
सादी मस्जिद हैदराबाद में नहीं, बल्कि अहमदाबाद में है। यह अपनी सुंदर जाली वाली कारीगरी के लिए प्रसिद्ध है, इसे 'जाली मस्जिद' भी कहा जाता है। कथन (1) सत्य है। जौनपुर के शक सुल्तानों ने अटाला मस्जिद को बनवाया था। यह एक भव्य इमारत है, जिसे जाली तथा कमल आदि से सजाया गया है।
36. निम्न में से कौन-सा कथन सत्य है?
(a) जैनुल आबदीन (कश्मीर का शासक) द्वारा पूरी कराई गई जामा मस्जिद पूर्णतया ईंटों से निर्मित है।
(b) कंगूरे (बुर्ज) जौनपुर की मस्जिदों की विशेषता है।
(c) जैनुल आबदीन की माँ का मकबरा इमारती लकड़ी, पत्थरों और ईंटों से निर्मित है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कोई भी कथन सत्य नहीं है।
कश्मीर के शासक जैनुल आबदीन द्वारा बनवाई गई जामा मस्जिद में लकड़ी, पत्थर और ईंटों का प्रयोग किया गया है।
कंगूरे (बुर्ज) जौनपुर नहीं, बल्कि कश्मीर की मस्जिदों की विशेषता है।
जैनुल आबदीन की माँ का मकबरा पूर्ण रूप से ईंटों और पॉलिशदार टाइलों से बना है, इसका निर्माण ईरानी शैली में किया गया है।
37. निम्नलिखित में से किस मंदिर में रामायण के दृश्यों का अंकन मिलता है?
(a) विठ्ठलस्वामी मंदिर
(b) हजारा राम मंदिर
(c) कैलाशनाथ मंदिर
(d) महाबलीपुरम का 'समुद्र तट का मंदिर'
उत्तर - (b)
व्याख्या- हजारा राम मंदिर में रामायण के दृश्यों का अंकण (चित्रण) मिलता है। यह मंदिर विजयनगर की वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस मंदिर की दीवारों पर तथा खंभों पर भगवान राम एवं रामायण से संबंधित दृश्यों को भली भाँति दर्शाया गया है। हंपी (कर्नाटक) में स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माता राजा कृष्णदेवराय को माना जाता है।
38. निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प असत्य है?
(a) अकबर के काल की सबसे बड़ी उपलब्धि आगरा के पास फतेहपुर सीकरी में एक नई राजधानी का निर्माण करना है।
(b) बुलंद दरवाजा आगरा की एक प्रमुख इमारत है।
(c) जोधाबाई का महल ईरानी शैली में बना है।
(d) 'b' और 'c' दोनों
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (b) और (c) असत्य हैं।
बुलंद दरवाजा आगरा में नहीं, बल्कि फतेहपुर सीकरी में अवस्थित है। यह अकबर द्वारा बनवाया गया एक वृहद् स्मारक है। जोधाबाई का महल ईरानी शैली से नहीं, बल्कि प्राचीन भारतीय शैली (बौद्ध स्थापत्य निर्माण शैली) में बना है।
कथन (a) सत्य है, क्योंकि वास्तविक अर्थों में मुगल वास्तुकला का आरंभ अकबर के काल में हुआ। अकबर के काल की सबसे बड़ी उपलब्धि आगरा के पास फतेहपुर सीकरी में स्थापित की गई नई राजधानी का निर्माण कराना था। यह विश्व की भव्य राजधानियों में से एक थी ।
39. निम्नलिखित कथनों का विचार कीजिए
1. लाहौर की बादशाही मस्जिद का निर्माण बाबर ने करवाया था।
2. दिल्ली की मोती मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने करवाया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) सत्य है । औरंगजेब मुगल बादशाह था उसके शासनकाल की प्रमुख इमारतों में दिल्ली की मोती मस्जिद प्रसिद्ध है। कथन (1) असत्य है, क्योंकि लाहौर की बादशाही मस्जिद का निर्माण बाबर ने नहीं, बल्कि औरंगजेब ने करवाया था।
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Sun, 11 Feb 2024 05:42:38 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | कला एवं संस्कृति | मूर्तिकला https://m.jaankarirakho.com/890 https://m.jaankarirakho.com/890 NCERT MCQs | कला एवं संस्कृति | मूर्तिकला

मूर्तिकला

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. पटना, विदिशा और मथुरा में यक्षों तथा यक्षिणियों की बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ पाई गई हैं।
2. इन प्रतिमाओं को अधिकतर बैठे हुए दिखाया गया है।
3. यक्षिणी की प्रतिमा का एक सर्वोत्कृष्ट उदाहरण दीदारगंज, पटना से प्राप्त हुआ है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं ?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं। पटना, विदिशा तथा मथुरा में यक्षों एवं यक्षिणियों की बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ पाई गई हैं, जो यक्ष पूजा की लोकप्रियता को बताती हैं। पटना के दीदारगंज से प्राप्त यक्षिणी की प्रतिमा (मूर्ति) मूर्तिकला का एक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि यक्ष यक्षिणियों की विशाल प्रतिमाएँ अधिकतर खड़ी अवस्था में प्राप्त हुई हैं। इन सभी प्रतिमाओं में एक विशेष तत्त्व यह है कि इनकी सतह चिकनी अर्थात् पॉलिश की हुई है।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार करते हुए असत्य कथन को चुनें
(a) सारनाथ स्तंभ के सिंह शीर्ष को मौर्यकालीन मूर्तिकला का एक सर्वोत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है।
(b) ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में हमें बुद्ध की प्रतिमाओं या आकृतियों के दर्शन नहीं होते हैं।
(c) पटना के दीदारगंज से मिली यक्षिणी की मूर्ति सफेद संगमरमर की बनी है।
(d) अशोक स्तंभ एकाश्म पत्थरों पर उत्कीर्ण है।
उत्तर - (c)
व्याख्या- पटना के दीदारगंज से प्राप्त यक्षिणी की मूर्ति संगमरमर नहीं, बल्कि बलुआ पत्थर से बनी है। इसे चामरग्राहिणी मूर्ति भी कहा जाता है, क्योंकि यह मूर्ति हाथ में चामर (पंखा) पकड़े खड़ी है, इसका अंगविन्यास संतुलित एवं समानुपातिक है।
3. धौली स्थल पर चट्टान को काटकर हाथी की एक विशाल मूर्ति बनाई गई है। यह किस राज्य में अवस्थित है?
(a) ओडिशा 
(b) मध्य प्रदेश
(c) उत्तर प्रदेश
(d) तमिलनाडु
उत्तर - (a)
व्याख्या- ओडिशा के धौली नामक स्थान पर चट्टान को काटकर हाथी की एक विशाल प्रतिमा बनाई गई है, इस पर सम्राट अशोक का शिलालेख भी अंकित हैं। इसका निर्माण अशोक के शासनकाल में हुआ था।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मूर्तिकला के कुछ उत्कृष्ट उदाहरण भरहुत, बोधगया तथा मथुरा से प्राप्त हुए हैं।
2. भरहुत में पाई गई मूर्तियाँ मौर्यकालीन यक्ष और यक्षिणी की प्रतिमाओं की भाँति दीर्घाकार नहीं हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) सत्य है । मूर्तिकला के कुछ उत्कृष्ट उदाहरण (नमूने) विदिशा एवं भरहुत (मध्य प्रदेश), बोधगया (बिहार), जगय्यपेट (आंध्र प्रदेश), खंडगिरि - उदयगिरि (उड़ीसा, भज तथा पानी (महाराष्ट्र) से मिले हैं।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि भरहुत (मध्य प्रदेश) से प्राप्त मूर्तियाँ मौर्यकाल के यक्ष और यक्षिणी की मूर्तियों की भाँति दीर्घाकार अर्थात् ऊँची हैं। यहीं से प्राप्त एक आख्यान मूर्ति में रूर जातक में बोधिसत्व हिरण को एक आदमी की जान बचाते हुए दिखाया गया है।
5. महारानी माया का स्वप्न (बुद्ध के जन्म से संबंधित) किस स्तूप में दर्शाया गया है ?
(a) साँची स्तूप 
(b) सारनाथ स्तूप
(c) भरहुत स्तूप
(d) बोधगया स्तूप
उत्तर - (c)
व्याख्या- बुद्ध के जन्म से संबंधित महारानी माया देवी (माता) के स्वप्न की घटना को भरहुत स्तूप में दर्शाया गया है, जिसमें महारानी की आकृति को लेटी (सोई) हुई अवस्था में और एक हाथी को ऊपर से उतरकर महारानी मायादेवी की कोख (गर्भाशय) की ओर बढ़ते हुए दिखाया गया है।
6. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मथुरा में बुद्ध की प्रतिमाएँ यक्षों की आरंभिक मूर्तियों जैसी बनी हैं, लेकिन गांधार में पाई गई बुद्ध की प्रतिमाओं में यूनानी शैली की विशेषताएँ पाई जाती हैं।
2. मथुरा और गांधार में बुद्ध के मानव रूप को प्रतीकात्मक रूप दिया गया है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं? 
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) सत्य है । ईसा की पहली शताब्दी तथा उसके बाद उत्तर भारत में मथुरा तथा गांधार (वर्तमान अफगानिस्तान) दक्षिण भारत में वेंगी (आंध्र प्रदेश) कला उत्पादन के मुख्य केंद्र के रूप में उभरे। मथुरा शैली (मथुरा में) बनी बुद्ध की मूर्तियाँ यक्षों की आरंभिक मूर्तियों की भाँति बनाई गई हैं, परंतु गांधार से प्राप्त बुद्ध की प्रतिमाओं में (मूर्तियों में) यूनानी शैली की विशेषताएँ पाई जाती हैं। गांधार की प्रतिमाओं पर विदेशी प्रभाव पाया गया है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि मथुरा एवं गांधार कला में बुद्ध के मानव रूप को प्रतीकात्मक रूप नहीं, बल्कि बुद्ध के प्रतीकात्मक रूप को मानव रूप दिया गया।
7. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उत्तर भारत में मूर्तिकला के दो महत्त्वपूर्ण संप्रदायों (घरानों) सारनाथ तथा कौशांबी का उदय हुआ।
2. सारनाथ तथा कौशांबी मूर्तिकला के केंद्र बनने के बाद मथुरा कला के उत्पादन के मुख्य केंद्र नहीं रहे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य नहीं है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) सत्य नहीं है। मथुरा जो मूर्तिकला का परंपरागत केंद्र था, वह सारनाथ तथा कौशांबी के मूर्तिकला केंद्र बनने के बाद भी कला के उत्पादन का मुख्य केंद्र ही बना रहा। मथुरा में बुद्ध की मूर्तियों को वस्त्र की कई तहें ओढ़े हुए दिखाया गया है तथा आभामंडल अत्यधिक अलंकृत है।
कथन (1) सत्य है, क्योंकि ईसा की पाँचवीं और छठीं शातब्दी में उत्तर भारत में मूर्तिकला की दो महत्त्वपूर्ण शैलियों (घरानों/क्षेत्रों) का उदय हुआ, जिनके नाम सारनाथ और कौशांबी था।
सारनाथ में पाई जाने वाली बौद्ध प्रतिमाओं में दोनों कंधों को वस्त्र से ढका हुआ दिखाया गया है। सिर के चारों ओर आभामंडल बना हुआ है, जिसमें सजावट (अलंकरण) बहुत कम किया गया है।
8. अवलोकितेश्वर, अमिताभ तथा मैत्रेय प्रतिमाएँ किससे संबंधित हैं?
(a) विष्णु (वैष्णव)
(b) शिव (शैव) 
(c) बुद्ध (बौद्ध)
(d) महावीर (जैन) 
उत्तर - (c)
व्याख्या- अवलोकितेश्वर अमिताभ, मैत्रेय, वज्रपाणि आदि प्रतिमाएँ बुद्ध एवं बोधिसत्वों की प्रतिमाएँ हैं। बुद्ध वे हैं, जिन्होंने परम ज्ञान की प्राप्ति कर ली है, जबकि बोधिसत्व उस ज्ञान के प्रत्याशी हैं। मैत्रेय भविष्य में अवतरित होने वाले बुद्ध के अवतार हैं तथा अमिताभ बुद्ध महायान संप्रदाय के अनुसार वर्तमान सृष्टि के अभिभावक हैं।
9. निम्न में से किस गुफा में रावण द्वारा कैलाश को उठाए हुए तथा विष्णु के विभिन्न अवतारों को दर्शाया (चित्रित) गया है?
(a) अजंता गुफा 
(b) कन्हेरी गुफा 
(c) बाघ गुफा
(d) एलोरा गुफा
उत्तर - (d)
व्याख्या- एलोरा गुफा में रावण द्वारा कैलाश पर्वत को उठाए हुए उत्कीर्ण किया गया है। इसके अतिरिक्त इस गुफा में ही भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों को भी उत्कीर्ण किया गया है। एलोरा गुफा महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है। इसकी विशेषता है कि यहाँ बौद्ध, जैन एवं ब्राह्मण तीनों ही धर्मों से संबंधित 34 गुफाएँ हैं। एलोरा में बनी तीन मंजिली गुफा को यहाँ की विशेष उपलब्धि माना जाता है।
10. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. भारतीय मूर्तिकारों ने उत्तरवैदिक काल में कांस्य मूर्तियों को बनाने की कला सीखी।
2. सिरेपेडु अर्थात् 'लुप्त-मोम' की प्रक्रिया, कांस्य प्रतिमाएँ एवं टेराकोटा मूर्तियों से संबंधित है।
3. बौद्ध, जैन और हिंदू देवी-देवताओं की कांस्य प्रतिमाएँ भारत के अनेक क्षेत्रों में पाई गई हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (3) सत्य है । बौद्ध, जैन तथा हिंदू देवी-देवताओं की कांस्य प्रतिमाएँ भारत के अनेक क्षेत्रों से प्राप्त हुई हैं। इन प्रतिमाओं की अवधि दूसरी से सोलहवीं सदी तक की है, इनमें से अधिकांश प्रतिमाएँ आनुष्ठानिक पूजा के लिए बनाई गई थीं।
कथन (1) और (2) असत्य हैं, क्योंकि भारतीय मूर्तिकारों ने सिंधु घाटी सभ्यता काल से ही कांसे को पिघलाना, ढालना तथा उससे मूर्तियाँ बनाने की कला सीख ली थी न कि उत्तर वैदिक काल में । इसका उदाहरण मोहनजोदड़ो से प्राप्त कांसे की नर्तकी की मूर्ति है।
कांसे की मूर्ति की ढलाई के लिए सिरेपेडु अर्थात् 'लुप्त मोम' की प्रक्रिया अपनाई जाती है, न कि टेराकोटा की मूर्तियों में।
11. निम्नलिखित में से किसमें अज्ञान या विस्मृति के दैत्य 'अपस्मार' को पैर ( पंजे ) से दबाते हुए दिखाया गया है ?
(a) बुद्ध के भूमिस्पर्श द्वारा
(b) शिव की नटराज प्रतिमा
(c) विष्णु की शेषशायी मुद्रा
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- नटराज रूपी शिव (नटराज मुद्रा) की प्रतिमा में शिव को अपने पैर (पंजे) से अज्ञान अथवा विस्मृति के दैत्य 'अपस्मार' को दबाते हुए दिखाया गया है, इस मूर्ति में भगवान शिव को नृत्य मुद्रा में दिखाया गया है। नटराज शिव की प्रतिमा एक प्रसिद्ध कांस्य मूर्ति है, यह बारहवीं शताब्दी में चोल काल में बनाई गई थी।
12. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. बुद्ध की एक कांस्य प्रतिमा बिहार के सुल्तानगंज से प्राप्त हुई है।
2. धानेसरखेड़ा से प्राप्त विशिष्ट कांस्य प्रतिमा में परिधान की तहें मथुरा शैली जैसी ही बनाई गई हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। बिहार के सुल्तानगंज से बुद्ध की एक विशाल कांस्य प्रतिमा प्राप्त हुई है, यह प्रतिमा विशिष्ट रूप से परिष्कृत तथा उच्च गुणवत्ता की है।
उत्तर प्रदेश के धानेसरखेड़ा से प्राप्त बुद्ध की कांस्य प्रतिमा में परिधान (वस्त्र) की तहें मथुरा शैली की भाँति ही बनी हैं अर्थात् इसमें कई घुमाव या मोड़ दिखाई देते हैं।
13. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कालियामर्दन, उत्तर प्रदेश से प्राप्त कांस्य मूर्ति है।
2. कुछ प्रमुख तीर्थंकरों की शासन देवियों या यक्षिणियों की नारी प्रतिमाएँ (काँस्य प्रतिमाएँ) बनाई गई थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) असत्य है, क्योंकि कालियामर्दन चोलकालीन कांस्य मूर्ति है, जो उत्तर प्रदेश से नहीं, बल्कि तमिलनाडु से प्राप्त हुई है। दसवीं से बारहवीं सदी के बीच चोल वंश के शासनकाल में उत्कृष्ट एवं सुंदर कांस्य प्रतिमाएँ बनाई गईं। दक्षिण भारत में कांस्य प्रतिमाएँ बनाने की कला आज भी कुंभकोणम् (तमिलनाडु) में प्रचलित है।
कथन (2) सत्य है, क्योंकि चक्रेश्वरी, आदिनाथ (जैन तीर्थंकर) की शासनदेवी और अंबिका, नेमिनाथ की शासनदेवी की कांस्य मूतियाँ बनाई गई।
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Sun, 11 Feb 2024 05:11:24 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | कला एवं संस्कृति | चित्रकला https://m.jaankarirakho.com/889 https://m.jaankarirakho.com/889 NCERT MCQs | कला एवं संस्कृति | चित्रकला

चित्रकला

1. प्रागैतिहासिक शैल चित्र के संबंध में दिए गए कथनों पर विचार कीजिए।
1. कलाकार चित्रों को बनाने के लिए अनेक रंगों का प्रयोग करते थे।
2. इसके प्रमाण भीमबेटका के गुफा चित्रों से मिलते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्रागैतिहासिक शैल चित्र के संबंध में दिए गए दोनों कथनों में से कोई भी कथन असत्य नहीं है। प्रागैतिहासिक शैल चित्रों को बनाने में कलाकार अनेक रंगों का प्रयोग करते थे। कलाकारों द्वारा इन चित्रों में लाल, हरा, सफेद, काला आदि रंगों का प्रयोग किया गया है।
प्रगौतिहासिक शैल चित्र के प्रमाण भीमबेटका के गुफा चित्रों से मिलते हैं। भीमबेटका मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में है। इसकी खोज वर्ष 1957-58 में डॉ. वी. ए. वाकणकर द्वारा की गई थी।
2. कुपगल्लू, पिकलिहाल एवं टेक्कलकोटा में क्या समानता है?
(a) तीनों शैल चित्र स्थल हैं।
(b) ये संगीत के तीन राग हैं
(c) यहाँ गर्म जल का भंडार हैं।
(d) ये मूर्तिकला के क्षेत्रीय स्थल हैं
उत्तर - (a)
व्याख्या- कुपगल्लू, पिकलिहाल एवं टेक्कलकोटा में यह समानता है कि तीनों प्रागैतिहासिक स्थल हैं, जोकि शैलचित्रों के लिए प्रसिद्ध हैं। कुपगल्लू, तेलंगाना राज्य में स्थित है, जबकि पिकलिहाल तथा टेक्कलकोटा कर्नाटक राज्य में हैं।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सबसे अधिक सुंदर शैल चित्र, मध्य प्रदेश में विंध्याचल की श्रृंखलाओं और उत्तर प्रदेश में कैमूर की पहाड़ियों में मिलते हैं।
2. ये पहाड़ी शृंखलाएँ पुरापाषाणकालीन और मध्यपाषाणकालीन अवशेषों से भरी पड़ी हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से सत्य कथन है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। मध्य प्रदेश में विंध्याचल की शृंखलाएँ तथा उत्तर प्रदेश में कैमूर की पहाड़ियाँ पुरापाषाण कालीन और मध्यपाषाणकालीन अवशेषों से भरी पड़ी हैं। यहाँ सबसे अधिक और सुंदर शैल चित्र मिले हैं, जिसमें भीमबेटका की गुफा प्रमुख है।
4. लखुडियार में पाए गए शैलचित्र किस काल से संबंधित हैं?
(a) प्रागैतिहासिक काल 
(b) नवपाषाण काल
(c) वैदिक काल
(d) मौर्य काल
उत्तर - (a)
व्याख्या- लखुडियार में पाए गए शैलचित्र प्रागैतिहासिक काल से संबंधित हैं। लखुडियार का शाब्दिक अर्थ है- 'एक लाख गुफाएँ। लखुडियार उत्तराखंड में सुयाल नदी के किनारे स्थित है।
5. निम्नलिखित में से किस युग के चित्रों में शिकार के दृश्य (शैल चित्र) अधिकता में पाए जाते हैं?
(a) पुरापाषाण काल 
(b) मध्यपाषाण काल
(c) नवपाषाण काल
(d) ऋग्वैदिक काल
उत्तर - (b)
व्याख्या- मध्यपाषाण काल के चित्रों में शिकार के दृश्य (शैलचित्र) अत्यधिक संख्या में पाए गए हैं। कई गुफा चित्रों में लोगों के समूह द्वारा पशुओं को मारते हुए दिखाया गया है। यह शिकारी युग को संदर्भित करता है।
6. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. बाघ गुफाएँ बौद्ध एवं जैन चित्रों वाली हैं।
2. रंगमहल के नाम से प्रसिद्ध गुफा अजंता गुफाओं में है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है / हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन असत्य हैं। बाघ गुफाएँ बौद्ध एवं जैन चित्रों से नहीं, बल्कि बौद्ध भित्ति चित्रों से संबंधित हैं। ये गुफाएँ सातवाहन काल में बनाई गई थीं। भौगोलिक रूप से बाघ गुफाएँ मध्य प्रदेश के धार जिले में अवस्थित हैं।
मूल 9 गुफाओं में से वर्तमान में केवल 5 गुफाएँ ही शेष रह गई हैं, इनमें गुफा संख्या 4 को 'रंगमहल' के नाम से जाना जाता है, इसकी दीवारों एवं छत पर सुंदर चित्र बने हैं।
7. चित्रकला के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उत्तर चित्रकला की परंपरा पूर्ववर्ती शताब्दियों में पल्लव, पांड्य और चोल वंशीय राजाओं के शासनकाल में दक्षिण भारत में आगे तमिलनाडु तक फैली।
2. चालुक्य राजाओं ने चित्रकला के विकास में नगण्य योगदान दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- चित्रकला के संबंध में कथन (1) सत्य है। उत्तर चित्रकला की परंपरा पूर्ववर्ती शताब्दियों में पल्लव, पांड्य तथा चोल राजाओं के संरक्षण में तमिलनाडु तक विस्तारित हुई | पल्लव नरेश राजसिंह के संरक्षण में बने कांचीपुरम मंदिर के चित्र, पांड्य शासकों के संरक्षण में निर्मित तिरूमलईपुरम् तथा सित्तनवासल में बने जैन गुफा चित्र तथा चोल शासकों के संरक्षण में बने बृहदेश्वर मंदिर के चित्र इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि चालुक्य राजाओं ने चित्रकला के विकास में नगण्य नहीं, बल्कि महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। इसका प्रमुख उदाहरण बादामी (कर्नाटक) की गुफाओं में चित्रित राजमहल का दृश्य उल्लेखनीय है।
8. विरुपाक्ष मंदिर की भीतरी छत पर बने चित्र किन प्रसंगों को दर्शाते हैं? 
(a) रामायण
(b) महाभारत
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) जातक कथा
उत्तर - (c)
व्याख्या विरुपाक्ष मंदिर की भीतरी छत पर अनेक चित्र बने हैं, जो विजयनगर वंश के इतिहास की घटनाओं को तथा रामायण एवं महाभारत के प्रसंगों को दर्शाते हैं; जैसे- बुक्काराय के गुरु विद्यारण्य का पालकी में शोभायात्रा का चित्र तथा भगवान विष्णु के सभी अवतारों का चित्रण । विरुपाक्ष मंदिर हंपी, कर्नाटक में स्थित है, यह भगवान विरुपाक्ष (शिव) को समर्पित है।
9. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. नायककालीन चित्रकारों ने महाभारत, रामायण तथा कृष्णलीला के दृश्यों को चित्रित किया।
2. तिरुवरूर के एक चित्रफलक में मुचुकुंद की कथा चित्रित की गई है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं ?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। नायककालीन चित्रकारों के चित्र तिरुपराकुनरम्, श्रीरंगम् तथा तिरुवरूर आदि में देखे जा सकते हैं। नायककालीन चित्रों में रामायण, महाभारत तथा कृष्णलीला प्रसंग चित्रित किए गए हैं। तिरूवरूर के एक चित्रफलक में राजा मुचुकुंद की कथा चित्रित की गई है।
10. कलम ऐझुथु, संदर्भित करता है
(a) केरल में अनुष्ठान के समय भूमि पर की जाने वाली चित्रकारी
(b) दक्षिण भारतीय मंदिरों में मंडप पर की जाने वाली चित्रकारी
(c) तमिलनाडु में स्थित गुफा चित्र 
(d) आंध्र प्रदेश के मंदिर परिसर में स्थित द्वारपाल की आकृति
उत्तर - (a)
व्याख्या- कमल ऐझुथु केरल में अनुष्ठान इत्यादि के समय भूमि पर की जाने वाली चित्रकारी है। केरल के कलाकारों ने अपने चित्रण के विषय रामायण और महाभारत से लिए हैं।
11. भित्ति चित्रकला के लिए प्रसिद्ध गोपिकाओं के साथ बाँसुरी बजाते हुए श्रीकृष्ण को कहाँ दिखाया गया है ?
(a) त्रिपरयार मंदिर 
(b) पुंडरीकपुरम् मंदिर
(c) श्रीशैलम मंदिर
(d) बृहदेश्वर मंदिर
उत्तर - (b)
व्याख्या- गोपिकाओं के साथ बाँसुरी बजाते हुए श्रीकृष्ण को कृष्ण मंदिर पुंडरीकपुरम् में दिखाया गया है। यह भित्ति चित्रकला का एक सुंदर उदाहरण है, जोकि केरल के कोट्टायम में अवस्थित है।
12. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. भित्ति चित्रों के कुछ परंपरागत उदाहरण बिहार के मिथिला तथा राजस्थान एवं गुजरात के पिठोरों में प्रचलित हैं।
2. भित्ति चित्र केवल गुफाओं में ही बनाए गए हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) असत्य है, क्योंकि भित्ति चित्र केवल गुफाओं में ही नहीं, बल्कि मंदिर की दीवारों, राजमहलों आदि में भी बनाए गए हैं।
कथन (1) सत्य है, क्योंकि भित्ति चित्रों के परंपरागत उदाहरण गुजरात एवं राजस्थान के पिठोरो, बिहार के मिथिला तथा महाराष्ट्र के वर्ली में मिलते हैं।
13. चित्रकला से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. केरल का कृष्णापुरम महल अपनी भित्ति चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है।
2. गजेंद्र मोक्षम् भित्ति चित्रकला तमिलनाडु की सित्तनवासल गुफा में है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- चित्रकला से संबंधित कथनों में से कथन (1) सत्य है। केरल में स्थित कृष्णापुरम् महल अपनी भित्ति चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है। इसका निर्माण कृष्णापुरम् मंदिर के पास त्रावणकोर के राजा मार्तंड वर्मा द्वारा 18वीं सदी में कराया गया था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि गजेंद्र मोक्षम् भित्ति चित्रकला तमिलनाडु के सित्तनवासल से नहीं, बल्कि केरल के कृष्णापुरम् महल में मिली है। इस भित्ति चित्र में एक हाथी को भगवान विष्णु को नमस्कार करते हुए दिखाया गया है।
14. पार्वती एवं उनकी सहायिकाओं को इनमें से किस मंदिर में चित्रित किया गया है? 
(a) सित्तनवासल मंदिर ( गुफा)
(b) वीरभद्र मंदिर, लेपाक्षी
(c) बृहदेश्वर मंदिर
(d) बादामी गुफा मंदिर
उत्तर - (b)
व्याख्या- पार्वती एवं उनकी सहायिकाओं का चित्रण वीरभद्र मंदिर, लेपाक्षी (आंध्र प्रदेश) में किया गया है। यह मंदिर भगवान वीरभद्र अर्थात् शिव को समर्पित है। यह मंदिर रामायण काल एवं पक्षीराज जटायु से भी जुड़ा है। 16वीं सदी में इस मंदिर का निर्माण विजयनगर शैली में हुआ था। इस मंदिर की एक विशेषता यह है कि इसका एक खंभा हवा में लटका हुआ (हैगिंग पिलर) है।
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Sun, 11 Feb 2024 04:54:37 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | स्वतंत्रता के बाद https://m.jaankarirakho.com/888 https://m.jaankarirakho.com/888 NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | स्वतंत्रता के बाद

स्वतंत्रता के बाद

1. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. 15 अगस्त, 1947 को भारत ने अपना पहला स्वाधीनता दिवस मनाया।
2. 14 अगस्त, 1947 को जवाहरलाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध भाषण संविधान सभा में दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और ना ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। 15 अगस्त, 1947 को भारत ने अपना पहला स्वाधीनता दिवस मनाया गया। स्वतंत्रता की घोषणा के पश्चात् 14 अगस्त, 1947 की अर्द्धरात्रि के समय जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा को संबोधित किया। यह भाषण 'नियति के साथ साक्षात्कार' के नाम से लोकप्रिय हुआ।
2. 14/15 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि को अंतरिम संसद के रूप में किसने सत्ता ग्रहण की?
(a) केंद्रीय लेजिस्लेटिव असेंबली
(b) संविधान सभा
(c) अंतरिम सरकार
(d) चैंबर ऑफ प्रिंसेज
उत्तर - (b)
व्याख्या- 14/15 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि को अंतरिम संसद के रूप में संविधान सभा ने सत्ता ग्रहण की। इसके पश्चात् संविधान सभा, संविधान निर्माण के साथ संसदीय कार्रवाई से जुड़ी गतिविधियों को भी अपनाती रही, जब तक वर्ष 1952 में लोकसभा का पहला चुनाव संपन्न नहीं हुआ।
3. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम (द इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट) ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया
(a) जनवरी, 1947 में 
(b) जुलाई, 1947 में
(c) अगस्त, 1947 में
(d) अगस्त, 1946 में
उत्तर - (b)
व्याख्या- 18 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम ( द इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट) ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया। इस अधिनियम द्वारा भारत की स्वतंत्रता के साथ इसके विभाजन को स्वीकार किया गया तथा पाकिस्तान के रूप में एक नए देश का जन्म हुआ।
4. भारत का अंतिम वायसराय था
(a) लॉर्ड वेवेल
(b) लॉर्ड माउंटबेटन 
(c) लॉर्ड लिनलिथगो
(d) ऑकिन लेक 
उत्तर - (b)
व्याख्या- लॉर्ड माउंटबेटन, भारत का अंतिम वायसराय था तथा यह स्वतंत्र भारतीय संघ का पहला गवर्नर जनरल था। 20 फरवरी, 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन को भारत का वायसराय नियुक्त किया गया। माउंटबेटन द्वारा प्रस्तुत माउंटबेटन योजना में देशी रियासतों के लिए भारत तथा पाकिस्तान के साथ विलय की शर्तें निर्धारित की गई थीं।
5. भारत के विभाजन के विकल्प के रूप में गाँधीजी ने माउंटबेटन को सुझाया था कि वे
(a) स्वतंत्रता प्रदान करने के कार्य को स्थगित करें।
(b) जिन्ना को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करें।
(c) नेहरू एवं जिन्ना को साथ-साथ सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करें।
(d) सेना को कुछ समय के लिए अधिकार ग्रहण करने के लिए आमंत्रित करें।
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारत के विभाजन के विकल्प के रूप में गाँधीजी ने तत्कालीन ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को यह सुझाव दिया था कि वह विभाजन के अपने फैसले को रद्द करते हुए मोहम्मद जिन्ना को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करे।
6. सांप्रदायिकता के संदर्भ में किसने कहा था कि 'निश्चित रूप से यह हमारा दोष है और हमें अपनी कमजोरियों का दंड भुगतना होगा?'
(a) महात्मा गाँधी
(b) जवाहरलाल नेहरू
(c) राजेंद्र प्रसाद
(d) वल्लभभाई पटेल
उत्तर - (b)
व्याख्या- सांप्रदायिकता के बारे में वर्ष 1946 में जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुस्तक ‘भारत: एक खोज' में लिखा था कि “निश्चित रूप से यह हमारा दोष है और हमें अपनी कमजोरियों का दंड भुगतना होगा, किंतु ब्रिटिश अधिकारियों ने भारत में तोड़फोड़ उत्पन्न करने के लिए सोच-समझकर जो कुछ किया, उसके लिए मैं उन्हें क्षमा नहीं कर सकता।" (a) रक्षा (b) विदेशी मामले तथा राष्ट्रमंडल (c) खाद्य एवं कृषि
7. अगस्त, 1947 में स्वतंत्रता दिवस समारोहों में निम्नलिखित में से कौन-सा नेता कहीं भी सम्मिलित नहीं हुआ?
(a) जवाहरलाल नेहरू
(b) महात्मा गाँधी 
(c) वल्लभभाई पटेल
(d) राजेंद्र प्रसाद 
उत्तर - (b)
व्याख्या- अगस्त, 1947 में स्वतंत्रता दिवस समारोहों के दौरान महात्मा गाँधी सम्मिलित नहीं हुए थे, क्योंकि वे उस दौरान दिल्ली से दूर नोआखाली (अब बांग्लादेश) से बिहार के गाँवों तक सांप्रदायिक दंगों से प्रभावित लोगों से मिल रहे थे।
8. रेडक्लिफ समिति किसलिए नियुक्त की गई थी?
(a) भारत में अल्पसंख्यकों की समस्या को सुलझाने के लिए
(b) स्वतंत्रता विधेयक को कार्यरूप में परिणत करने के लिए
(c) भारत और पाकिस्तान के मध्य सीमाओं को निर्धारित करने के लिए
(d) पूर्वी बंगाल के दंगों की जाँच के लिए
उत्तर - (c)
व्याख्या- अंतिम ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा 30 जून, 1947 को भारत तथा पाकिस्तान के मध्य पंजाब और बंगाल में सीमा निर्धारण के लिए रेडक्लिफ आयोग का गठन किया गया, इस आयोग को पंजाब तथा बंगाल के मुस्लिम तथा गैर-मुस्लिम जनसंख्या के आधार पर सीमा निर्धारण का उत्तरदायित्व दिया गया।
9. बंगाल के तेभागा किसान आंदोलन की क्या माँग थी ?
(a) जमींदारों की हिस्सेदारी को फसल के आधे भाग से कम करके एक-तिहाई करना।
(b) भूमि का वास्तविक खेतिहार होने के नाते भू-स्वामित्व कृषकों को प्रदान करना।
(c) जमींदारी प्रथा का उन्मूलन तथा कृषि दासता का अंत करना।
(d) कृषकों के समस्त ऋणों को रद्द करना।
उत्तर - (a)
व्याख्या- बंगाल में तेभागा आंदोलन जमींदारों की हिस्सेदारी को फसल के आधे भाग से कम कर एक-तिहाई करने की माँग के साथ वर्ष 1946 में आरंभ हुआ। यह एक सशक्त आंदोलन था, जिसने सरकार पर फ्लाइड कमीशन की सिफारिश के अनुरूप लगान की दर लागू करने को मुख्य विषय बनाया गया। इस आंदोलन के मुख्य नेता कम्पाराम सिंह तथा भुवन सिंह थे।
10. अंतरिम सरकार में डॉ. राजेंद्र प्रसाद के पास कौन-सा विभाग था? 
(a) रक्षा 
(b) विदेशी मामले तथा राष्ट्रमंडल 
(c) खाद्य एवं कृषि
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- भारत की अंतरिम सरकार का गठन 2 सितंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में किया गया। इस सरकार का निर्माण निर्वाचित संविधान सभा से हुआ था। जवाहरलाल नेहरू इस अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जो संविधान सभा के अध्यक्ष थे, को खाद्य एवं कृषि मंत्रालय का उत्तरदायित्व प्रदान किया गया था।
11. भारत के विभाजन के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे?
(a) सी. राजगोपालाचारी
(b) जे. वी. कृपलानी
(c) जवाहरलाल नेहरू
(d) मौलाना अबुल कलाम आजाद
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारत के विभाजन तथा देश की स्वतंत्रता के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष जे. बी. कृपलानी थे। वे एक प्रमुख गाँधीवादी थे। उनका जन्म 1888 ई. में सिंध प्रांत (पाकिस्तान) में हुआ था। वे मुजफ्फरपुर (बिहार) के कॉलेज में इतिहास तथा अंग्रेजी के शिक्षक थे। वर्ष 1927 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए तथा वर्ष 1946 में उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, वे दिसंबर 1946 से 1947 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
12. “इस समय भारत की प्रथम और अंतिम आवश्यकता यह है कि उसे एक राष्ट्र बनाया जाए। राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने वाली प्रत्येक चीज आगे बढ़नी चाहिए और उसमें रुकावट डालने वाली प्रत्येक वस्तु को समाप्त किया जाना चाहिए। हमने यही कसौटी भाषाई प्रांतों के सवाल पर भी अपनाई है।" यह कथन किसका है?
(a) जवाहरलाल नेहरू
(b) वल्लभभाई पटेल
(c) महात्मा गाँधी
(d) बी. आर. अंबेडकर
उत्तर - (b)
व्याख्या- यह वक्तव्य वल्लभभाई पटेल ने भाषाई आधार पर प्रांतों की माँग को समाप्त करते हुए दिया था। उनका मानना था कि स्वतंत्रता और विभाजन के उपरांत राष्ट्र के रूप में भारत की सबसे बड़ी चुनौती 'राष्ट्रवाद' को बढ़ावा देकर देश के एकीकरण के लक्ष्य को पूरा करना था। वे उन बाधाओं को अमान्य बनाना चाहते थे, जो 'राष्ट्र निर्माण' की प्रक्रिया में बाधक हैं।
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Sat, 10 Feb 2024 11:20:56 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | गवर्नर जनरल और वायसराय https://m.jaankarirakho.com/887 https://m.jaankarirakho.com/887 NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | गवर्नर जनरल और  वायसराय

गवर्नर जनरल और वायसराय

1. रॉबर्ट क्लाइव ने भारत का नक्शा बनाने की जिम्मेदारी किसे सौंपी थी?
(a) जॉर्ज मुलर 
(b) चार्ल्स वुड
(c) जेम्स रेनेल
(d) ऑर्थर ड्यूक
उत्तर - (c)
व्याख्या- रॉबर्ट क्लाइव ने 1782 ई. में जेम्स रेनेल को भारत का नक्शा बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। जेम्स रेनेल भारत पर अंग्रेजों की विजय के समर्थक थे और उन्हें इस वर्चस्व प्रक्रिया के दौरान भारतीय नक्शे को तैयार करना दिलचस्प लगा । जेम्स रेनेल एक भूगोलविद्, इतिहासकार और समुद्रशास्त्री थे उन्हें 'समुद्र विज्ञान का जनक' भी कहा जाता था।
2. लॉर्ड क्लाइव के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है? 
(a) 1765 ई. में मद्रास के गवर्नर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया था।
(b) प्लासी के युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व किया। 
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) न तो 'a' और न ही 'b'
उत्तर - (a)
व्याख्या- लॉर्ड क्लाइव के संदर्भ में कथन (a) असत्य है, क्योंकि लॉर्ड क्लाइव 1765 ई. में बंगाल के गवर्नर के पद पर आसीन था। कंपनी के अधीन बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स (1773 ई.) बना। लॉर्ड क्लाइव ने 1757 ई. में प्लासी के युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व किया था। इसने बंगाल में द्वैधशासन की स्थापना की थी।
3. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. वॉरेन हेस्टिंग्स मद्रास का प्रथम गवर्नर जनरल था।
2. वॉरेन हेस्टिंग्स के समय में रेग्युलेटिंग एक्ट को लाया गया था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) सत्य है। वॉरेन हेस्टिंग्स के समय में रेग्युलेटिंग एक्ट 1773 को लागू किया गया था। इस अधिनियम के अनुसार बंगाल के गवर्नर को अब अंग्रेजी क्षेत्रों के अधीन भारत का गवर्नर जनरल कहा जाने लगा, जिसका कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित किया गया था।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि वॉरेन हेस्टिंग्स मद्रास का नहीं, बल्कि बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल था।
4. वॉरेन हेस्टिंग्स द्वारा न्याय के क्षेत्र में किए गए सुधारों के संबंध में कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) उसने 1772 ई. में नई न्याय व्यवस्था स्थापित की।
(b) इस व्यवस्था में दीवानी और फौजदारी अदालतों के गठन का प्रावधान था।
(c) दीवानी अदालतों के मुखिया यूरोपीय जिला कलेक्टर होते थे।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- वॉरेन हेस्टिंग्स द्वारा न्याय के क्षेत्र में किए गए सुधारों के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। वॉरेन हेस्टिंग्स की न्याय व्यवस्था मुगल प्रणाली पर आधारित थी। उन्होंने प्रशासनिक सुधार के साथ-साथ न्यायिक क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण सुधार किए। उन्होंने 1772 ई. में एक नई न्याय व्यवस्था को लागू करते हुए प्रत्येक जिले में एक दीवानी और एक फौजदारी अदालत की स्थापना की।
दीवानी अदालतें यूरोपीय जिला कलेक्टर के अंतर्गत कार्य करती थीं, जिसमें मौलवी और हिंदू पंडित उनके लिए भारतीय कानूनों की व्याख्या करते थे, जबकि फौजदारी अदालतें काजी और मुफ्ती के अंतर्गत थीं, लेकिन वह कलेक्टर के दिशा-निर्देशानुसार कार्य करते थे।
5. निम्न में से किस गवर्नर जनरल पर इंग्लैंड में महाभियोग का मुकदमा चलाया गया?
(a) लॉर्ड कार्नवालिस
(b) लॉर्ड वेलेजली 
(c) वॉरेन हेस्टिंग्स
(d) लॉर्ड डलहौजी 
उत्तर - (c)
व्याख्या- वॉरेन हेस्टिंग्स पर इंग्लैंड में महाभियोग का मुकदमा चलाया गया था। पिट्स इंडिया एक्ट के विरोध में त्याग पत्र देकर जब वॉरेन हेस्टिंग्स 1785 ई. में इंग्लैंड लौटा तो ब्रिटिश राजनेता रेडमंड बर्क द्वारा बंगाल में कथित भ्रष्टाचार के आरोप में वॉरेन हेस्टिंग्स पर महाभियोग चलाया गया। इसी आरोप के कारण ब्रिटिश पार्लियामेंट में 1788 ई. से 1795 ई. तक लगातार सात वर्ष तक हेस्टिंग्स पर महाभियोग चलाया गया, लेकिन अंततः उसे सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया।
6. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. लॉर्ड कार्नवालिस 1793 ई. में भारत के गवर्नर जनरल थे।
2. उनके कार्यकाल के दौरान कई सुधार पेश किए गए।
3. उसके शासनकाल में महालवाड़ी व्यवस्था लागू की गई ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2 
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3 
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। लॉर्ड कार्नवालिस को 1786 ई. में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा पिट्स इंडिया एक्ट के अंतर्गत रेखांकित शांति स्थापना तथा शासन के पुनर्गठन हेतु गवर्नर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया। इनका कार्यकाल 1786-93 ई. तक था।
लॉर्ड कार्नवालिस ने अपने शासनकाल के दौरान कई सुधार कार्य किए, जिनमें न्यायिक सुधार, पुलिस सुधार, सिविल सेवा सुधार तथा राजस्व सुधार प्रमुख थे। इन्हें भारत में सिविल सेवा परीक्षा का जन्मदाता माना जाता है।
इन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में जमींदारों के पुलिस अधिकारों को समाप्त कर, थानों की स्थापना की और वहाँ एक दरोगा व कुछ पुलिस कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रारंभ व्यवस्था को किया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि लॉर्ड कार्नवालिस के शासनकाल में 1793 ई. में स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था लागू की गई थी न कि महालवाड़ी बंदोबस्त ।
7. निम्नलिखित में से किस गवर्नर जनरल ने भारत की प्रसंविदाबद्ध सिविल सेवा (कोपैनेन्टेड सिविल सर्विस ऑफ इंडिया) का सृजन किया, जो कालांतर में भारतीय सिविल सेवा के नाम से जानी गई? 
(a) वारेन हेस्टिंग्स
(b) लॉर्ड वेलेजली 
(c) लॉर्ड कार्नवालिस
(d) विलियम बैंटिंक 
उत्तर - (c)
व्याख्या- 'नागरिक सेवा' जिसे 'सिविल सेवा' भी कहा जाता है, का जन्मदाता लॉर्ड कार्नवालिस था। सिविल सेवा की परीक्षा प्रारंभ में इंग्लैंड में होती थी। प्रारंभ में इस परीक्षा के लिए निर्धारित अधिकतम आयु 23 वर्ष थी, जिसे बाद में घटाकर (कम करके) लॉर्ड लिटन ने 19 वर्ष करा दिया था। 1863 ई. में सत्येंद्रनाथ टैगोर ऐसे प्रथम भारतीय थे, जिनका चयन सिविल सेवा हेतु किया गया था।
8. बंगाल और बिहार में 'स्थायी बंदोबस्त' का प्रारंभ किस गवर्नर जनरल के काल में हुआ ?
(a) वॉरेन हेस्टिंग्स 
(b) लॉर्ड वेलेजली
(c) सर जॉन शोर
(d) लॉर्ड कार्नवालिस
उत्तर - (d)
व्याख्या- 'इस्तमरारी व्यवस्था' जिसे 'स्थायी बंदोबस्त' के रूप जाना जाता है, का प्रारंभ लॉर्ड कार्नवालिस के शासनकाल में हुआ था। यह बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में प्रारंभ की गई थी। इस व्यवस्था के अंतर्गत जमींदारों को भू राजस्व का 10/11 भाग कंपनी को तथा 1/11 भाग अपनी सेवाओं के लिए अपने पास रखना होता था। शीघ्र ही यह व्यवस्था उत्पीड़न तथा शोषण का साधन बन गई।
9. किस गवर्नर जनरल के शासन काल में 'फोर्ट विलियम कॉलेज' की स्थापना की गई थी?
(a) लॉर्ड कार्नवालिस
(b) लॉर्ड वेलेजली 
(c) लॉर्ड डलहौजी
(d) लॉर्ड लिटन
उत्तर - (b)
व्याख्या- लॉर्ड वेलेजली ने 1800 ई. में नागरिक सेवा में आने वाले लोगों के प्रशिक्षण के लिए कलकत्ता में 'फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की थी। लेकिन कंपनी (ब्रिटिश ईस्ट इंडिया) के निर्देशकों को लॉर्ड वेलेजली की यह कार्रवाई पसंद नहीं आई और 1806 ई. में उन्होंने कलकत्ता के कॉलेज के स्थान पर इंग्लैंड में हेलीबरी के ईस्ट इंडियन कॉलेज में प्रशिक्षण का कार्य आरंभ किया।
10. 'सहायक संधि' की शुरुआत किस गवर्नर जनरल ने की थी ?
(a) लॉर्ड कार्नवालिस 
(b) लॉर्ड वेलेजली
(c) सर जॉन शोर
(d) लॉर्ड ऑकलैंड 
उत्तर - (b)
व्याख्या- 'सहायक संधि' प्रणाली की शुरुआत लॉर्ड वेलेजली द्वारा की गई थी। 1798 ई. में रिचर्ड वेलेजली जिसे 'माक्विस ऑफ वेलेजली' के नाम से जाना जाता है, बंगाल का गवर्नर जनरल बना। सहायक संधि को स्वीकार करने वाला प्रथम राज्य हैदराबाद था ।
11. लॉर्ड वेलेजली द्वारा लागू की गई सहायक संधि व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) दूसरों के खर्च पर एक बड़ी सेना बनाए रखना
(b) भारत को नेपोलियन के खतरे से सुरक्षित रखना
(c) कंपनी के लिए एक नियत आय का प्रबंध करना
(d) भारतीय रियासतों के ऊपर ब्रिटिश सर्वोच्च सत्ता स्थापित करना
उत्तर - (c)
व्याख्या- लॉर्ड वेलेजली द्वारा लागू की गई सहायक संधि के संदर्भ में कथन (c) सत्य नहीं है। सहायक संधि व्यवस्था का संबंध कंपनी के लिए एक नियत आय का प्रबंध करना नहीं था, बल्कि यह दूसरों के खर्च पर बड़ी सेना बनाने का लक्ष्य लेकर उठाया गया कदम था, जिससे नेपोलियन के आक्रमण के खतरे से ब्रिटिश सत्ता को पुण्ण रखा जा सके। यह भारतीय रियासतों के ऊपर ब्रिटिश सर्वोच्च सत्ता स्थापित करने से प्रभावित था।
12. निम्न में से किसने कहा था कि 'अखिल भारत हर समय हमारे पतन की ओर देख रहा है। प्रत्येक स्थान के लोग हमारे विनाश पर आनंदित होंगे या कल्पना करके आनंदित हो रहे होंगे।'
(a) लॉर्ड वेलेजली 
(b) लॉर्ड मेटकॉफ
(c) लॉर्ड मिले प्रथम
(d) लॉर्ड ऑकलैंड
उत्तर - (b)
व्याख्या- उपर्युक्त कथन का संबंध लॉर्ड मेटकॉफ से है, इस कथन को उसने अपने गवर्नर जनरल के काल के दौरान 1835-36 ई. में कहा था। इस उक्ति के लगभग बीस वर्ष के बाद ही सिपाही विद्रोह ( 1857 ई.) हुआ था, क्योंकि ब्रिटिश प्रशासनिक, आर्थिक व अन्य नीतियों ने भारतीयों के प्रति दोषपूर्ण व्यवहार को अपनाया था।
13. 1835 ई. में भारतीय प्रेस को प्रतिबंधों से मुक्त करने का श्रेय किस गवर्नर जनरल को प्राप्त है?
(a) चार्ल्स मेटकॉफ 
(b) लॉर्ड रिपन
(c) लॉर्ड विलियम वेडरबर्न
(d) लॉर्ड एल्गिन-प्रथम
उत्तर - (a)
व्याख्या- 1835 ई. में भारतीय प्रेस को प्रतिबंधों से मुक्त करने का श्रेय चार्ल्स मेटकॉफ को दिया जाता है। एक गवर्नर जनरल के रूप में चार्ल्स मेटकॉफ का काल (1835-36) ई. तक था । समाचार पत्रों से प्रतिबंध हटाने के कारण इसे 'समाचार पत्रों का मुक्तिदाता' कहा जाता है।
14. किस गवर्नर जनरल के शासनकाल में अवध का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय किया गया?
(a) लॉर्ड मिटो-प्रथम 
(b) लॉर्ड मैकाले
(c) लॉर्ड मेटकॉफ
(d) लॉर्ड डलहौजी
उत्तर - (d)
व्याख्या- लॉर्ड डलहौजी के शासनकाल में 1856 ई. में अवध को ब्रिटिश राज्य में विलय कर लिया गया था। लॉर्ड डलहौजी 36 वर्ष की आयु में गवर्नर जनरल के रूप में भारत आया था, उसने अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार हेतु युद्ध व व्यपगत के सिद्धांत के अंतर्गत अनेक महत्त्वपूर्ण एवं सुधारात्मक कार्यों को संपन्न किया।
15. लॉर्ड डलहौजी ने भारत में रेलवे के एक नेटवर्क के निर्माण की योजना बनाई थी ताकि 
(a) भारतीय निर्यात के लिए आसानी से कच्चे माल की खरीद और निर्यात किया जा सके।
(b) ब्रिटिश पूँजी निवेश के लिए एक लाभदायक चैनल प्रदान करता है ।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) भारत में परिवहन के सस्ते एवं आसान साधन हेतु
उत्तर - (c)
व्याख्या- भारत में रेलवे के विकास का श्रेय लॉर्ड डलहौजी को दिया जाता है। लॉर्ड डलहौजी द्वारा भारत में रेल नेटवर्क के निर्माण की योजना भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के आर्थिक, राजनीतिक तथा सैनिक हितों की पूर्ति हेतु लाई गई थी। ये रेल लाइनें मुख्यतः भारत के अंदरूनी भागों में स्थित कच्चे माल का निर्माण करने वाले क्षेत्रों को निर्यात करने वाले बंदरगाहों से जोड़ने हेतु निर्मित की गई थीं।
साथ ही भारत में रेल निर्माण की योजना ब्रिटिश पूँजी निवेशकों के लिए एक लाभदायक अवसर था, क्योंकि 1860 के दशक में ब्रिटेन में ब्याज की दर तीन प्रतिशत थी, जबकि भारत में यह दर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा ब्रिटिश निवेशकों को आकर्षित करने हेतु 5% रखी गई थी।
16. लॉर्ड डलहौजी के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. इसने डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स (राज्य विलय का सिद्धांत) की नीति की शुरुआत की।
2. इसका शासनकाल 1846 से 1854 ई. तक था।
3. लॉर्ड डलहौजी ने 1854 ई. में सतारा को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 2 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- लॉर्ड डलहौजी के संबंध में कथन (2) और (3) असत्य है। लॉर्ड डलहौजी का शासनकाल 1848-56 ई. तक था न कि 1846-64 ई. तक। लॉर्ड डलहौजी की विलय की नीति के अंतर्गत सतारा को, 1848 ई. ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल किया गया था न कि 1854 ई. में। कथन (1) सत्य है, क्योंकि लॉर्ड डलहौजी अपने शासनकाल के दौरान ब्रिटिश साम्राज्य विस्तार के उद्देश्य से 'व्यपगत का सिद्धांत' (ड्राक्ट्रिन ऑफ लैप्स) जिसे 'राज्य विलय की नीति' भी कहा जाता है का प्रारंभ किया था।
17. किस गवर्नर जनरल के काल में कलकत्ता और आगरा के बीच सर्वप्रथम तार लाइन प्रारंभ की गई थी?
(a) लॉर्ड कैनिंग
(b) लॉर्ड कार्नवालिस
(c) लॉर्ड चेम्सफोर्ड
(d) लॉर्ड डलहौजी
उत्तर - (d)
व्याख्या- लॉर्ड डलहौजी द्वारा अपने गवर्नर जनरल के काल में 1853 ई. में कलकत्ता और आगरा के बीच सर्वप्रथम तार लाइन का प्रारंभ किया गया था। अंग्रेजों ने एक कुशल और आधुनिक डाक प्रणाली की व्यवस्था स्थित की थी और तार प्रणाली की भी शुरुआत की थी। लॉर्ड डलहौजी ने डाक टिकटों को भी प्रारंभ किया था।
इससे पूर्व जब भी कोई पत्र डाक द्वारा भेजा जाता था, तो नकद भुगतान करना पड़ता था, लेकिन डलहौजी ने डाक की दरें घटा दीं और पूरे भारत में कहीं भी पत्र भेजने के लिए एक समान दर रखी, जो एक अठन्नी (पुराने दो पैसे के बराबर) थी।
18. किस गवर्नर जनरल / वायसराय ने यह घोषणा की कि बहादुरशाह जफर की मृत्यु के बाद मुगलों से सम्राट की पदवी छीन ली जाएगी और वे केवल राजा ही कहे जाएँगे?
(a) लॉर्ड डलहौजी
(b) लॉर्ड कैनिंग
(c) लॉर्ड कर्जन
(d) लॉर्ड इरविन
उत्तर - (b)
व्याख्या- लॉर्ड कैनिंग ने 1866 ई. में यह घोषणा की थी कि बहादुरशाह की मृत्यु के पश्चात् मुगलों से सम्राट की पदवी छीन ली जाएगी और वे केवल राजा ही कहे जाएँगे, हालाँकि इसके पूर्व 1849 ई. में लॉर्ड डलहौजी ने मुगल वंश की प्रतिष्ठा पर चोट करते हुए यह घोषणा की थी कि बहादुरशाह के उत्तराधिकारी को ऐतिहासिक लाल किला छोड़कर दिल्ली के बाहर कुतुबमीनार के एक बहुत छोटे से निवास स्थान में रहना होगा।
19. प्रांतीय वित्त को केंद्रीय वित्त से अलग करने की दिशा में पहला कदम किस गवर्नर जनरल ने उठाया था ?
(a) लॉर्ड कैनिंग
(b) लॉर्ड मेयो 
(c) लॉर्ड रिपन
(d) लॉर्ड कर्जन
उत्तर - (b)
व्याख्या- लॉर्ड मेयो (1869-72 ई.) ने भारत में वित्त की विकेंद्रीकरण व्यवस्था को प्रारंभ किया, जिसके अंतर्गत प्रांतीय वित्त को केंद्रीय वित्त से अलग करने की दिशा में पहल की गई। उसने बजट के घाटे को भी कम किया और साथ ही आयकर की दर को 1% से बढ़ाकर 2.5% कर दिया।
20. लॉर्ड रिपन की सरकार द्वारा पारित प्रस्ताव 1858 ई. के बाद पेश किए गए प्रमुख प्रशासनिक परिवर्तनों में से एक था। निम्न में से कौन इस प्रस्ताव का हिस्सा नहीं था? 
(a) ग्रामीण एवं शहरी निकायों को पदोन्नत किया गया था।
(b) स्थानीय निकायों के अधिकांश सदस्य ब्रिटिश सरकार के अधिकारी थे।
(c) स्थानीय निकाय के अध्यक्ष के रूप में गैर-सरकारी चुनाव को अनुमति दी। 
(d) निर्वाचित सदस्य अल्पसंख्यक थे।
उत्तर - (b)
व्याख्या- स्थानीय संस्थाओं से संबंधित एक प्रस्ताव 1882 ई. में लॉर्ड रिपन के द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें ग्रामीण और नगरीय स्थानीय संस्थाओं द्वारा स्थानीय मामलों के प्रबंधन के संबंध में एक नीति निर्धारित की गई, जिसके अधिकांश सदस्य गैर-अधिकारी व्यक्ति थे, न कि ब्रिटिश सरकार के अधिकारी। 1882 ई. में लॉर्ड रिपन द्वारा स्थानीय संस्थाओं के विकास में अभूतपूर्व परिवर्तन की पहल की गई, इसी कारण लॉर्ड रिपन को 'स्थानीय स्वशासन का जनक' कहा जाता है।
21. लॉर्ड कर्जन के बारे में निम्न में से कौन-सा कथन सत्य है?
(a) उन्हें कांग्रेस के प्रति सहानुभूति थी।
(b) उन्होंने सहायक गठबंधन की शुरुआत की थी।
(c) उन्होंने लॉर्ड कैनिंग को भारत के वायसराय के रूप में सफल बनाया।
(d) उन्होंने बंगाल विभाजन की घोषणा की।
उत्तर - (d)
व्याख्या- लॉर्ड कर्जन के विषय में कथन (d) सत्य है कि उसने बंगाल विभाजन की घोषणा की। लॉर्ड कर्जन दिसंबर 1898 ई. में भारत का वायसराय बना। उसने अपने काल में अत्यंत अलोकप्रिय कदम उठाए, जिनसे भारतीयों का ब्रिटिश शासन के प्रति रोष और अधिक बढ़ता गया। वर्ष 1905 में लॉर्ड कर्जन ने राष्ट्रीय आंदोलन को दबाने और कमजोर करने के उद्देश्य से बंगाल का विभाजन दो भागों में कर दिया। यह विभाजन 'फूट डालो और राज करो' की नीति पर आधारित था।
22. भारतीय परिषद् अधिनियम, 1909 के अधिनियमित होने के समय भारत का वायसराय कौन था ? 
(a) लॉर्ड मिंटो द्वितीय
(b) लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय
(c) लॉर्ड लैंसडाऊन
(d) लॉर्ड इरविन   
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारतीय परिषद् अधिनियम, 1909 जिसे 'मार्ले मिंटो सुधार अधिनियम' भी कहा जाता है, के समय भारत का वायसराय लॉर्ड मिंटो द्वितीय था। जॉन मार्ले को भारत का राज्य सचिव नियुक्त किया गया था। अधिनियम के अंतर्गत भारत में प्रथम बार पृथक् निर्वाचन व्यवस्था की शुरुआत की गई थी और साथ ही मुसलमानों के प्रतिनिधित्व के मामले में विशेष रियायतें भी प्रदान की गई थीं।
23. निम्न में से ऐसे गवर्नर जनरल / वायसराय कौन थे, जिनको मारे जाने के इरादे से हमला किया गया था ? 
1. लॉर्ड रीडिंग
2. लॉर्ड मिंटो
3. लॉर्ड डफरिन
4. लॉर्ड हार्डिंग कूट
कूट
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 2 और 4
उत्तर - (d)
व्याख्या- लॉर्ड मिंटो और लॉर्ड हार्डिंग ऐसे दो वायसराय थे, जिन पर बम फेंककर उनकी हत्या की कोशिश की गई थी, लेकिन दोनों के विरुद्ध यह योजना असफल रही।
लॉर्ड मिंटो पर 13 नवंबर 1909 को अहमदाबाद में एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा हमला किया गया था, जबकि 23 दिसंबर, 1912 को दिल्ली के चाँदनी चौक में एक जुलूस के दौरान लॉर्ड हार्डिंग पर हमला किया गया था, जिसे दिल्ली षड्यंत्र के नाम से जाना जाता है और इसका प्रमुख प्रणेता रास बिहारी बोस को माना जाता है।
24. उस वायसराय का नाम बताइए जिसके कार्यकाल के दौरान प्रांतों में द्वैध शासन प्रणाली शुरू की गई ?
(a) लॉर्ड लिनलिथगो
(b) लॉर्ड लिटन
(c) लॉर्ड रिपन
(d) लॉर्ड चेम्सफोर्ड
उत्तर - (d)
व्याख्या- वर्ष 1919 में लॉर्ड चेम्सफोर्ड के शासनकाल में प्रांतों में द्वैध शासन प्रणाली की शुरुआत की गई थी। यह व्यवस्था वर्ष 1919 के भारत शासन अधिनियम, जिसे मॉण्टेग्यू चेम्सफोर्ड रिपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है के द्वारा प्रारंभ की गई थी। प्रांतों में द्वैध शासन की स्थापना से तात्पर्य प्रांतों में उत्तरदायी सरकार की स्थापना से था। इस व्यवस्था के अंतर्गत प्रांतीय कार्यकारिणी परिषद् को दो भागों में बाँट दिया गया, जिसके पहले भाग में गवर्नर और उसकी कार्यकारिणी • सदस्य शामिल जबकि दूसरे भाग में गवर्नर और मंत्रिगण शामिल थे।
25. लॉर्ड इरविन के संदर्भ में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) इनके शासनकाल में गाँधी इरविन समझौता संपन्न हुआ था।
(b) गाँधी इरविन समझौते के परिणामस्वरूप सविनय अवज्ञा आंदोलन को बंद कर दिया गया।
(c) लॉर्ड विलिंगडन को इनका उत्तराधिकारी बनाया गया।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- लॉर्ड इरविन के संदर्भ में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। लॉर्ड इरविन का वायसराय के रूप में कार्यकाल वर्ष 1926-31 तक था। 5 मार्च, 1931 को गाँधीजी और लॉर्ड इरविन के बीच एक समझौता हुआ, जिसे “गाँधी इरविन समझौता” या “दिल्ली समझौता” कहा जाता है। जिसके परिणामस्वरूप कांग्रेस की ओर से गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को वापस लेने का निर्णय लिया। लॉर्ड इरविन के कार्यकाल के पश्चात् लॉर्ड विलिंगडन (वर्ष 1931-36) को भारत का वायसराय नियुक्त किया गया।
26. वायसराय लॉर्ड विलिंगडन के कार्यकाल के दौरान निम्न में से कौन-सी घटना हुई थी ? 
(a) क्रिप्स मिशन 
(b) दूसरा गोलमेज सम्मेलन
(c) जलियाँवाला बाग हत्याकांड
(d) ये सभी
उत्तर - (b)
व्याख्या- लॉर्ड विलिंगडन (वर्ष 1931-36) के कार्यकाल के दौरान द्वितीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन लंदन में हुआ था। इस सम्मेलन में कांग्रेस की ओर से गाँधीजी ने प्रतिनिधित्व किया था। भारत में वायसराय के रूप में नियुक्त होने से पूर्व विलिंगडन बंबई और मद्रास के गवर्नर के रूप में भी कार्यभार का संचालन कर चुके थे।
27. किस वायसराय ने यह अवलोकन किया था कि "यह दुनिया बहुत खूबसूरत है, किंतु यह गाँधी के लिए नहीं है?"
(a) लॉर्ड इरविन 
(b) लॉर्ड वेवेल
(c) लॉर्ड माउंटबेटन
(d) लॉर्ड विलिंगडन
उत्तर - (d)
व्याख्या- लॉर्ड विलिंगडन ने कहा था कि “यह दुनिया बहुत खूबसूरत है, लेकिन यह गाँधीजी के लिए नहीं है । "
“लॉर्ड विलिंगडन के काल में ही अगस्त, 1932 में रैम्जे मैकडोनॉल्ड ने प्रसिद्ध सांप्रदायिक निर्णय की घोषणा की। गाँधीजी ने यरवदा जेल में बंद रहते हुए उनका दृढ़ विरोध किया। जिसके फलस्वरूप पूना समझौता संपन्न हुआ और हस्ताक्षर के साथ यह समझौता दलित जातियों के प्रश्नों पर सांप्रदायिक निर्णय लेने में परिवर्तित कर दिया था।
28. स्वतंत्र भारत के अंतिम वायसराय कौन थे?
(a) लॉर्ड लिनलिथगो 
(b) लॉर्ड माउंटबेटन
(c) लॉर्ड वेवेल
(d) लॉर्ड रीडिंग
उत्तर - (b)
व्याख्या- स्वतंत्र भारत के अंतिम वायसराय और प्रथम गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन थे, जिनका कार्यकाल वर्ष 1947-48 तक था।
उन्होंने लॉर्ड वेवेल के स्थान पर कार्यभार ग्रहण किया था। भारत विभाजन की योजना लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा घोषित की गई थी।
29. सी. राजगोपालाचारी के संदर्भ में कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
1. वह स्वतंत्र भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल थे।
2. वह आंतरिक सरकार के सदस्य थे।
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- सी. राजगोपालाचारी के संदर्भ में दिए गए कथनों में से कोई भी कथन असत्य नहीं है। सी. राजगोपालाचारी जून, 1948 से जनवरी, 1950 तक स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल रहे। उनके काल में 26 नवंबर, 1949 को स्वतंत्र संविधान सभा द्वारा भारत का संविधान अंगीकृत किया गया। साथ ही वह भारत के अंतिम गवर्नर जनरल भी थे, क्योंकि उनके पश्चात् इस पद को समाप्त कर दिया गया था। 24 अगस्त, 1946 को अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की गई। जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में 11 सहयोगियों के साथ 2 सितंबर, 1946 को सरकार का गठन किया गया, जिसमें मुस्लिम लीग शामिल नहीं हुई। सी राजगोपालाचारी इस अंतरिम सरकार में शामिल सदस्य थे और इन्हें शिक्षा विभाग सौंपा गया था।
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Sat, 10 Feb 2024 11:10:43 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | भारत का स्वाधीनता संग्राम : तृतीय चरण (वर्ष 1935&1947) https://m.jaankarirakho.com/886 https://m.jaankarirakho.com/886 NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | भारत का स्वाधीनता संग्राम : तृतीय चरण (वर्ष 1935-1947)

भारत का स्वाधीनता संग्राम : तृतीय चरण (वर्ष 1935-1947)

1. वर्ष 1935 के भारत सरकार कानून के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस कानून में एक नए अखिल भारतीय संघ की स्थापना तथा प्रांतों में प्रांतीय स्वायत्तता के आधार पर एक नई शासन प्रणाली की व्यवस्था की गई ।
2. केंद्र में एक सदनीय संघीय विधायिका की व्यवस्था की गई।
3. यह संघ (फेडरेशन) ब्रिटिश भारत के प्रांतों तथा रजवाड़ों पर आधारित था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- वर्ष 1935 के भारत सरकार कानून के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। लंदन में नवंबर 1932 के दौरान हुए तृतीय गोलमेज सम्मेलन के फलस्वरूप वर्ष 1935 का भारत सरकार कानून लाया गया। इस कानून में एक नए अखिल भारतीय संघ की स्थापना की गई तथा प्रांतों में प्रांतीय स्वायत्तता सुनिश्चित करते हुए नई शासन पद्धति को विकसित किया गया। इस कानून के अंतर्गत स्थापित संघ (फेडरेशन) तत्कालीन ब्रिटिश भारत के प्रांतों और रजवाड़ों पर आधारित था ।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि केंद्र में एक सदनीय नहीं, बल्कि दो सदनों वाली एक संघीय विधायिका की व्यवस्था की गई थी, जिसमें रजवाड़ों को भिन्न-भिन्न प्रतिनिधित्व दिया गया था।
2. जवाहरलाल नेहरू ने अपने किस सम्मेलन में कहा था कि भारत और विश्व की समस्याओं का एकमात्र समाधान समाजवाद है?
(a) वर्ष 1929, लाहौर अधिवेशन
(b) वर्ष 1931, कराची अधिवेशन
(c) वर्ष 1936, लखनऊ अधिवेशन
(d) वर्ष 1938, हरिपुरा अधिवेशन
उत्तर - (c)
व्याख्या- वर्ष 1936 के लखनऊ अधिवेशन में अपने अध्यक्षीय भाषण में जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस से आग्रह किया कि वह समाजवाद को अपना लक्ष्य बनाए तथा स्वयं को किसान तथा मजदूर वर्गों के सन्निकट स्थापित करे । पंडित नेहरू का यह विश्वास था कि मुस्लिम जनता को उनके प्रतिक्रियावादी सांप्रदायिक नेताओं से दूर हटाने का यही सबसे बेहतर उपाय है। साथ ही उन्होंने यह कहा था कि "विश्व और भारत की समस्याओं का एकमात्र समाधान समाजवाद है और इस शब्द का प्रयोग मैं अस्पष्ट मानवतावादी नहीं, बल्कि वैज्ञानिक, आर्थिक अर्थ में करता हूँ।”
3. कांग्रेस के अंदर वामपंथी प्रवृत्ति के उभार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. जवाहरलाल नेहरू वर्ष 1929, वर्ष 1936 तथा वर्ष 1937 में कांग्रेस अध्यक्ष बने।
2. सुभाषचन्द्र बोस वर्ष 1938, वर्ष 1939 तथा वर्ष 1940 में कांग्रेस अध्यक्ष बने ।
3. जवाहरलाल नेहरू जनता की आर्थिक मुक्ति के पैरोकार थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में कथन (1) और (3) सत्य हैं। जवाहरलाल नेहरू ने वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में वर्ष 1936 के लखनऊ अधिवेशन में तथा वर्ष 1937 के फैजपुर अधिवेशन में कांग्रेस की अध्यक्षता की थी। लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित हुआ था, जबकि फैजपुर अधिवेशन ऐसा प्रथम अवसर था जब किसी गाँव में यह संपन्न हुआ था।
जवाहरलाल नेहरू जनता की आर्थिक मुक्ति से सरोकार रखते थे। इसी उद्देश्य से उन्होंने फैजपुर अधिवेशन में 13 सूत्रीय अस्थायी कृषि कार्यक्रम घोषित किया था। साथ ही समाजवाद के रूप में लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु उन्होंने कृषि और उद्योग में निहित स्वार्थों के उन्मूलन पर भी जोर दिया था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि सुभाषचंद्र बोस ने केवल वर्ष 1938 ( हरिपुरा, गुजरात) और वर्ष 1939 ( त्रिपुरी, मध्य प्रदेश) के कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की थी, जबकि वर्ष 1940 (रामगढ़) के कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता मौलाना अबुल कलाम आजाद ने की थी।
4. निम्न कथनों में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) वर्ष 1938 में कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन के अध्यक्ष सुभाषचंद्र बोस थे।
(b) हरिपुरा अधिवेशन में कांग्रेस ने आर्थिक योजना का विचार अपनाया।
(c) हरिपुरा अधिवेशन में गठित 'राष्ट्रीय योजना समिति का अध्यक्ष मौ. अबुल कलाम आजाद को बनाया गया।
(d) राष्ट्रीय योजना समिति में कुल 3 सदस्य थे।
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (c) असत्य है, क्योंकि वर्ष 1938 के हरिपुरा (गुजरात) कांग्रेस अधिवेशन में गठित 'राष्ट्रीय नियोजन/ योजना समिति' का अध्यक्ष अबुल कलाम आजाद को नहीं, बल्कि जवाहरलाल नेहरू को बनाया गया था।
यह अधिवेशन सुभाषचंद्र बोस की अध्यक्षता में संपन्न किया गया था और इस अधिवेशन के दौरान गठित राष्ट्रीय योजना समिति के तीन सदस्यों में जवाहर लाल नेहरू, पट्टाभि सीतारमैया तथा सरदार वल्लभ भाई पटेल शामिल थे।
5. कांग्रेस समाजवादी पार्टी की स्थापना कब हुई थी ?
(a) वर्ष 1930 में 
(b) वर्ष 1932 में
(c) वर्ष 1934 में
(d) वर्ष 1936 में
उत्तर - (c)
व्याख्या- कांग्रेस समाजवादी पार्टी की स्थापना वर्ष 1934 के कांग्रेस अधिवेशन के दौरान (बंबई में डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में) आचार्य नरेंद्र देव तथा जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में हुई थी।
इस पार्टी की स्थापना में मीनू मसानी एवं अशोक मेहता ने भी योगदान दिया था। इसका प्रथम सम्मेलन वर्ष 1934 में पटना में हुआ था।
इस पार्टी की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य था देश के आर्थिक विकास की प्रक्रिया राज्य द्वारा नियोजित एवं नियंत्रित हो तथा राजाओं और जमींदारों का उन्मूलन बिना मुआवजे के किया जाए।
6. स्वामी सहजानंद सरस्वती की अध्यक्षता में गठित पहला अखिल भारतीय किसान संगठन कौन-सा था ?
(a) अखिल भारतीय मजदूर सभा
(b) अखिल भारतीय किसान सभा
(c) अखिल भारतीय किसान संगठन
(d) अखिल भारतीय मजदूर किसान संगठन
उत्तर - (b)
व्याख्या- अप्रैल, 1936 में स्वामी सहजानंद सरस्वती की अध्यक्षता में गठित पहला अखिल भारतीय किसान संगठन 'अखिल भारतीय किसान सभा' था। यह गठन लखनऊ में किया गया। यह संगठन तत्कालीन सभी प्रांतीय किसान सभाओं को मिलाकर एक संयुक्त सभा के रूप में बनाया गया थी । एन जी रंगा को इस सभा का महासचिव बनाया गया था।
7. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1 जनवरी, 1937 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से मास्को में आयोजित उत्पीड़ित जातियों के सम्मेलन में भाग लिया था।
2. इस सम्मेलन का आयोजन आर्थिक या राजनीतिक साम्राज्यवाद से पीड़ित एशियाई, अफ्रीकी और लातिन अमेरिकी देशों के निर्वासित राजनीतिक कार्यकर्ताओं और क्रांतिकारियों ने किया था।
3. इस सम्मेलन का उद्देश्य इन सबके साझे साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष में तालमेल बिठाना और उन्हें योजनाबद्ध रूप देना था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) और (3) सत्य हैं। कांग्रेस ने 1930 के दशक के समकालीन विश्व की घटनाओं में अपनी भूमिका के निरूपण हेतु साम्राज्यवादी प्रसार के विरोध की नीति विकसित कर ली थी। इसी नीति के अंतर्गत उसने आर्थिक और राजनीतिक रूप से पीड़ित एशियाई और अफ्रीकी व लैटिन अमेरिकी देशों के सम्मेलन में भाग लिया था।
इस सम्मेलन का उद्देश्य सभी शामिल सदस्यों द्वारा साम्राज्यवाद के विरोध हेतु योजनाबद्ध तरीके से नीतियों का निर्माण करना और उन्हें क्रियान्वित करना था।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि कांग्रेस ने वर्ष 1937 के मास्को सम्मेलन में नहीं, बल्कि वर्ष 1927 में आयोजित ब्रुसेल्स सम्मेलन में भाग लिया था, जिसका आयोजन उत्पीड़ित जातियों द्वारा किया गया था।
8. मुस्लिम लीग ने अलग पाकिस्तान का प्रस्ताव कब पारित किया था? 
(a) फरवरी 1922
(b) दिसंबर 1928 
(c) मार्च 1940
(d) सितंबर 1940 
उत्तर - (c)
व्याख्या- 22-23 मार्च, 1940 को मुस्लिम लीग ने लाहौर अधिवेशन में पहली बार पृथक् 'पाकिस्तान' राज्य के निर्माण का प्रस्ताव पारित किया था, परंतु प्रस्ताव में 'पाकिस्तान' शब्द का वर्णन नहीं था। लीग के इस अधिवेशन (1940) की अध्यक्षता मुहम्मद अली जिन्ना ने की थी। पृथक् पाकिस्तान की माँग को पहली बार आंशिक मान्यता 1942 के क्रिप्स प्रस्तावों में मिली थी।
9. जवाहरलाल नेहरू के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। 
1. नेहरू 'लीग अगेंस्ट इम्पीरियलिज्म' की एक्जीक्यूटिव कौंसिल के सदस्य थे।
2. उन्होंने वर्ष 1927 का अध्यक्षीय भाषाण प्रस्तुत किया
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- जवाहरलाल नेहरू के संबंध में कथन (1) सत्य है। वर्ष 1927 के ब्रुसेल्स सम्मेलन में स्थापित 'लीग अगेंस्ट इंपीरियलिज्म' की एक्जीक्यूटिव कौंसिल के सदस्य के रूप में नेहरू को चुना गया था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि जवाहरलाल नेहरू वर्ष 1927 के ब्रुसेल्स सम्मेलन में भाग लिया था न कि अध्यक्षीय भाषण प्रस्तुत किया था।
10. निम्नलिखित में से कौन 1939 में भारत प्रजामंडल (ऑल इंडिया स्टेट्स पीपुल्स कॉन्फ्रेंस) के अध्यक्ष थे?
(a) जय प्रकाश नारायण
(b) जवाहरलाल नेहरू
(c) शेख अब्दुल्ला
(d) सरदार वल्लभभाई पटेल
उत्तर - (b)
व्याख्या- जवाहरलाल नेहरू को वर्ष 1939 में भारत प्रजामंडल का अध्यक्ष चुना गया था। ऑल इंडिया स्टेट्स पीपुल्स कांफ्रेंस की स्थापना वर्ष 1935 में नहीं, बल्कि वर्ष 1927 में विभिन्न रजवाड़ों में राजनीतिक गतिविधियों के तालमेल हेतु की गई थी, क्योंकि इस समय रजवाड़ों की जनता ने अपने जनतांत्रिक अधिकारों तथा लोकप्रिय सरकारों की माँग लेकर आंदोलन करना प्रारंभ कर दिया था। कालांतर में ब्रिटिश भारत तथा रजवाड़ों के राजनीतिक संघर्षो के साझे राष्ट्रीय लक्ष्यों को सामने रखना था।
11. वर्ष 1937 के प्रांतीय चुनाव में मुसलमानों के लिए कुल कितनी सीटें आरक्षित थी ?
(a) 26 
(b) 482
(c) 382
(d) 256
उत्तर - (b)
व्याख्या- वर्ष 1937 के प्रांतीय चुनाव में मुसलमानों के लिए कुल आरक्षित सीटें 482 थीं। राष्ट्रवादी राजनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम सांप्रदायिकता का विकास था, जिसके अंतर्गत सीमित मताधिकार तथा अलग-अलग चुनाव मंडलों के आधार पर विधानसभाओं के लिए जो चुनाव कराए गए थे, उसने अलगाववादी भावनाओं को उत्पन्न किया था। इसके अतिरिक्त कांग्रेस अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित अनेक सीटें जीतने में असफल रही थी। मुसलमानों के लिए आरक्षित सीटों के अतिरिक्त कांग्रेस को केवल 26 सीटें प्राप्त हुई और उसमें से भी सिर्फ 15 सीटें पश्चिमोत्तर सीमा- प्रांत में प्राप्त हुई थी।
12. भारत में सांप्रदायिकता के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. सांप्रदायिकता के कारण दो राष्ट्र सिद्धांत का जन्म हुआ।
2. मुस्लिम लीग वहीं मजबूत थी, जहाँ मुस्लिम अल्पसंख्यक थे।
3. पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत पर मुस्लिम लीग मजबूत थी ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारत में सांप्रदायिकता के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं । सांप्रदायिकता के विकास ने 'दो राष्ट्र के सिद्धांत' को जन्म दिया। हिंदुओं के बीच हिंदू महासभा जैसे सांप्रदायिक संगठनों के अस्तित्व में आने से मुस्लिम लीग जैसे संगठनों को और अधिक बल मिला। दोनों संप्रदायों ने अपनी कट्टरवाद विरोधी नीतियों से इस सिद्धांत को प्रतिपादित किया।
जब बहुसंख्यक जनता का कोई भाग सांप्रदायिक और संकीर्ण हो जाता है और अल्पसंख्यकों की आलोचना की जाने लगती है, तो वह खुद को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं और इस स्थिति में अल्पसंख्यकों का सांप्रदायिक और संकीर्ण नेतृत्व मजबूत हो जाता है।
यही स्थिति मुस्लिम लीग की थी, यह पार्टी वहीं मजबूत थी या इसे जनसमर्थन वहीं प्राप्त हुआ, जहाँ मुस्लिमों की संख्या कम थी, क्योंकि उन स्थानों पर लीग ने अपने जनाधार को मजबूती देने हेतु सांप्रदायिक कट्टरता को व्यवहार में अपनाया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत, पंजाब, सिंध और बंगाल में मुस्लिम बहुसंख्यक थे। इसलिए इन स्थानों पर मुस्लिम लीग मजबूत नहीं थी, क्योंकि यहाँ मुस्लिम आबादी स्वयं को सुरक्षित महसूस करती थी।
13. द्वितीय विश्व युद्ध के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इसकी शुरूआत दिसंबर, 1939 में हुई थी।
(b) जर्मन प्रसारवाद इसका एक मुख्य कारण था।
(c) जर्मनी ने पौलैंड पर आक्रमण किया था।
(d) भारत इसमें शामिल नहीं था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- द्वितीय विश्व युद्ध के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) में भारत शामिल हुआ था, क्योंकि तत्कालीन भारत की सरकार ने राष्ट्रीय कांग्रेस या केंद्रीय धारा सभा के चुने हुए सदस्यों से बिना परामर्श लिए युद्ध में शामिल होने की घोषणा कर दी थी। द्वितीय विश्वयुद्ध सितंबर, 1939 में आरंभ हुआ, जब जर्मन प्रसारवाद की हिटलर की नीति के अनुसार नाजी जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया था। इससे पूर्व वह आस्ट्रिया (मार्च, 1938) और चेकोस्लोवाकिया (मार्च, 1939) पर अधिकार कर चुका था।
14. क्रिप्स मिशन के अध्यक्ष स्टेफोर्ड क्रिप्स जब भारत आए तो वो किस पद को सुशोभित कर रहे थे? 
(a) वायसराय 
(b) गवर्नर जनरल
(c) ब्रिटिश मंत्री 
(d) ब्रिटिश ईस्ट इंडिया के अधिकारी
उत्तर - (c)
व्याख्या- क्रिप्स मिशन के अध्यक्ष सर स्टेफोर्ड क्रिप्स का जब भारत आगमन हुआ, , तो वह ब्रिटिश मंत्री थे। वर्ष 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध की गंभीर स्थिति ने ब्रिटिशों को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं से बातचीत हेतु मजबूर कर दिया और इसी उद्देश्य के साथ ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने क्रिप्स मिशन को भारत भेजा था।
15. सर स्टेफोर्ड क्रिप्स की योजना में यह परिकल्पना थी कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 
(a) भारत को पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की जानी चाहिए
(b) स्वतंत्रता प्रदान करने के पहले भारत को दो भागों में विभाजित कर देना चाहिए
(c) भारत को इस शर्त के साथ गणतंत्र बना देना चाहिए कि वह राष्ट्रमंडल में शामिल होगा।
(d) भारत को डोमिनियन स्टेट्स दे देना चाहिए
उत्तर - (c)
व्याख्या- सर स्टेफोर्ड क्रिप्स की योजना में यह परिकल्पना थी कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत को इस शर्त के साथ गणतंत्र बना देना चाहिए कि वह राष्ट्रमंडल में शामिल होगा। क्रिप्स मिशन द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीयों से सहयोग पाने की आकांक्षा हेतु कैबिनेट मंत्री सर स्टेफोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में मार्च, 1942 में भारत आया था, इस मिशन का उद्देश्य "भारत में जितनी जल्दी हो सके स्वशासन की स्थापना" (डोमिनियन स्टेट्स प्रदान करना ) करना था। क्रिप्स मिशन और भारतीय नेताओं के बीच चली वार्ता असफल रही, क्योंकि ब्रिटिश शासन ने कांग्रेस की यह माँग मानने से इंकार कर दिया कि वास्तविक शक्ति तत्काल भारतीयों को सौंपी जाए।
16. व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन के लिए चुने गए पहले सत्याग्रही कौन थे? 
(a) सरोजनी नायडू
(b) सी. राजगोपालाचारी
(c) विनोबा भावे
(d) सुभाषचंद्र बोस
उत्तर - (c)
व्याख्या- 11 अक्टूबर, 1940 को महात्मा गाँधी द्वारा 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' के प्रथम सत्याग्रही विनोबा भावे थे। इस सत्याग्रह को महात्मा गाँधी द्वारा प्रारंभ किया गया था। इस सत्याग्रह की सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि इसमें महात्मा गाँधी द्वारा चयनित सत्याग्रही पूर्व निर्धारित स्थान पर भाषण देकर अपनी गिरफ्तारी देता था। अपने भाषण से पूर्व सत्याग्रही अपने सत्याग्रह की सूचना जिला मजिस्ट्रेट को भी देता था।
17. भारत छोड़ो आंदोलन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) 8 अगस्त, 1942 को बंबई में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव स्वीकार किया गया।
(b) 9 अगस्त को गाँधीजी समेत अधिकांश प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
(c) कांग्रेस को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- भारत छोड़ो आंदोलन के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। 8 अगस्त, 1942 को भारत छोड़ो प्रस्ताव को नेहरू जी ने पेश किया था, जो कुछ संशोधनों के साथ स्वीकार कर लिया गया। इस प्रस्ताव को मुंबई के ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान में कांग्रेस की बैठक में प्रस्तुत किया गया था।
9 अगस्त, 1942 को आंदोलन के प्रारंभ होते ही ऑपरेशन जीरो आवर के अंतर्गत गाँधीजी, अबुल कलाम आजाद सहित अन्य कई कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था।
इन नेताओं में से गाँधीजी और सरोजिनी नायडू को आगा खाँ पैलेस में, जवाहरलाल नेहरू, पट्टाभि सीतारमैया, आचार्य कृपलानी आदि को अहमदनगर जेल में, राजेंद्र प्रसाद को पटना जेल में तथा जय प्रकाश नारायण को हजारीबाग जेल में बंद रखा गया था।
कांग्रेसी नेता 15 जून, 1945 तक बंदीगृह में रहे थे और इसके साथ ही ब्रिटिश सरकार ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति, कांग्रेस कार्यकारिणी तथा प्रांतीय कांग्रेस समिति को गैर-कानूनी घोषित कर दिया था।
18. भारत छोड़ो आंदोलन के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. यह एक स्वतः स्फूर्त एवं हिंसक आंदोलन था।
2. इस आंदोलन को सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त था।
3. इस आंदोलन के दौरान संयुक्त प्रांत, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश तमिलनाडु एवं महाराष्ट्र के अनेक भागों में ब्रिटिश शासन लुप्त हो गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) केवल 2
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- भारत छोड़ो आंदोलन के संबंध में कथन (2) असत्य है। भारत छोड़ो आंदोलन को सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त नहीं था, आमतौर पर छात्र, मजदूर और किसान ही इस आंदोलन के आधार थे, जबकि उच्च वर्गों के लोग अथवा नौकरशाह सरकार के वफादार बने रहे।
19. 'करो या मरो' नारा निम्नलिखित आंदोलनों में से किसके साथ संबंधित है? 
(a) स्वदेशी आंदोलन 
(b) असहयोग आंदोलन
(c) सविनय अवज्ञा आंदोलन
(d) भारत छोड़ो आंदोलन
उत्तर - (d)
व्याख्या- 8 अगस्त, 1942 की रात को कांग्रेस प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए, महात्मा गांधी ने 'करो या मरो' का नारा दिया, यह भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत थी। महात्मा गाँधी ने अपने संबोधन में कहा कि पूर्ण स्वाधीनता से कम किसी चीज से संतुष्ट होने वाला नहीं हूँ। उन्होंने करो या मरो को एक मंत्र बताया, जिसका जाप करते रहना है और स्वतंत्रता प्राप्ति के लक्ष्य को पूरा करना है या इस प्रयास में मर जाना है।
20. 'इंडियन इंडिपेंडेंस लीग की स्थापना किसके द्वारा की गई थी ?
(a) सुभाषचंद्र बोस
(b) रास बिहारी बोस
(c) कैप्टन मोहन सिंह
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- 'इंडियन इंडिपेंडेंस लीग' की स्थापना रास बिहारी बोस द्वारा की गई थी। यह वर्ष 1920 से 1940 के दशक में सक्रिय रहा राजनीतिक संगठन था। इसका उद्देश्य प्रवासी भारतीयों को भारत में ब्रिटिशों से मुक्ति हेतु प्रेरित करना था। इसकी स्थापना में रास बिहारी बोस के साथ जवाहरलाल नेहरू ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह संगठन दक्षिण पूर्व एशिया एवं मुख्य भूमि से अलग भारतीय क्षेत्रों में सक्रिय रहा।
21. भारत की स्वाधीनता के लिए सैनिक अभियान चलाने के उद्देश्य से किस स्थान पर आजाद हिंद फौज की स्थापना की गई ?
(a) जापान में 
(b) तत्कालीन बर्मा में
(c) सिंगापुर में
(d) मलेशिया में
उत्तर - (c)
व्याख्या- भारत की स्वाधीनता के लिए सैनिक अभियान चलाने के उद्देश्य से सिंगापुर में सुभाषचंद्र बोस द्वारा रास बिहारी बोस की सहायता से आजाद हिंद फौज की स्थापना की गई थी। वर्ष 1943 में सुभाषचंद्र बोस जापानी सहायता प्राप्त करने के उद्देश्य से जर्मनी से जापान पहुँचे थे, ताकि ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह का प्रयास किया जा सके। हालाँकि आजाद हिंद फौज की स्थापना का विचार सर्वप्रथम कैप्टन मोहन सिंह ने दिया था। इस संगठन में बड़ी संख्या में दक्षिण-पूर्व एशिया में रहने वाले भारतीय तथा मलाया, सिंगापुर और वर्मा में जापानी सेनाओं द्वारा बंदी बनाए गए भारतीय सैनिक और अधिकारी शामिल हुए थे। 
22. दिल्ली के लाल किला के मुकदमे के संबंध में विचार कीजिए
1. सरकार ने इस मुकदमे में जनरल शाहनवाज, जनरल गुरुदयाल सिंह ढिल्लो और जनरल प्रेम सहगल पर दिल्ली के लाल किले में मुकदमा चलाने का फैसला किया।
2. ये लोग पहले ब्रिटिश सेना के अधिकारी थे।
3. कोर्ट मार्शल में आजाद हिंद फौज के इन बंदियों को दोष मुक्त करार दिया गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिल्ली के लाल किला के मुकदमे के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं।
आजाद हिंद फौज के अभियोग से तात्पर्य नवंबर 1945 से लेकर मई, 1946 तक आजाद हिंद फौज के अनेक अधिकारियों पर चले कोर्ट मार्शल से है। इस दौरान कुल दस मुकदमे चले, जिसमें पहला और सबसे प्रसिद्ध मुकदमा दिल्ली के लाल किले में चला था। इस मुकदमें में कर्नल प्रेम सहगल, कर्नल गुरु बख्श सिंह ढिल्लो तथा मेजर जनरल शाहनवाज खान संयुक्त रूप से अभियुक्त थे। इन लोगों की तरफ से मुकदमे को भूलाभाई देसाई ने प्रस्तुत किया था, पूर्व में ये सभी ब्रिटिश सेना के अधिकारी थे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि कोर्ट मार्शल में आजाद हिंद फौज के इन बंदियों की अंग्रेजी सरकार के कमांडर इन चीफ सर क्लॉड अक्लनिक के द्वारा उम्र कैद की सजा को माफ कर दिया गया था।
23. फरवरी, 1946 में नौसेना विद्रोह किस स्थान पर हुआ था ?
(a) कलकत्ता 
(b) मुंबई
(c) मद्रास
(d) गोवा
उत्तर - (b)
व्याख्या- फरवरी, 1946 में नौसेना विद्रोह मुंबई में हुआ था। भारत की स्वतंत्रता से पूर्व मुंबई में रायल इंडियन नेवी के सैनिकों द्वारा पूर्ण हड़ताल की गई और खुला विद्रोह भी किया गया, जिसे जल सेना विद्रोह या मुंबई विद्रोह के जाना जाता है। नाम
यद्यपि यह विद्रोह मुंबई में आरंभ हुआ, किंतु कराची से कोलकाता तक इसे समस्त ब्रिटिश भारत में समर्थन प्राप्त हुआ। इस विद्रोह का मुख्य कारण ब्रिटिश अफसरों द्वारा भारतीय नाविकों के प्रति अपनाया गया नस्लीय भेदभाव व टिप्पणी था ।
24. वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 13 वर्षीय कनकलता बरूआ को किस स्थान पर गोली मार कर हत्या कर गई थी?
(a) गोहपुर (असम) 
(b) थलचर (ओडिशा)
(c) हजारीबाग (झारखंड) 
(d) मुजफ्फरपुर (बिहार)
उत्तर - (a)
व्याख्या- कनकलता बरूआ भारत की स्वतंत्रता सेनानी थी, जिनकी अंग्रेजों ने वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान असम के गोहपुर में गोली मारकर हत्या कर दी थी, उन्हें 'वीरबाला' भी कहा जाता है।
25. सुभाषचंद्र बोस के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उन्होंने 21 अक्टूबर, 1943 को सिंगापुर में अंतरिम सरकार की स्थापना की थी।
2. उन्होंने अंडमान पर भारत का झंडा फहराया।
3. उन्होंने करो या मरो का नारा दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 3
(c) 1 और 2
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- सुभाषचंद्र बोस संबंध में दिए गए कथनों में से (1) और (2) सत्य हैं। सुभाषचंद्र बोस ने 21 अक्टूबर, 1943 को सिंगापुर में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार का गठन किया था, जिसका जर्मनी व जापान ने समर्थन किया था।
सुभाषचंद्र बोस ने अंडमान पर भारत का झंडा फहराया था, जिसके पश्चात् 8 नवंबर, 1943 को जापान ने अंडमान और निकोबार द्वीप को सुभाषचंद्र बोस को सौंप दिया। इन्होंने इनका नाम क्रमश: 'शहीद द्वीप' और 'स्वराज द्वीप' रखा था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि महात्मा गाँधी ने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अपने ऐतिहासिक संबोधन में 'करो या मरो' का आहवान किया था न कि सुभाषचंद्र बोस ने।
26. जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस ने एक अंतरिम मंत्रिमंडल का गठन कब किया था?
(a) जुलाई, 1946
(b) अगस्त, 1946 
(c) सितंबर, 1946
(d) अक्टूबर, 1946 
उत्तर - (c)
व्याख्या- जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस ने एक अंतरिम मंत्रिमंडल का गठन 2 सितंबर, 1946 को किया था। इस मंत्रिमंडल में मुस्लिम लीग की भागीदारी नहीं थी। इस अंतरिम मंत्रिमंडल में जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, आसफ अली, सी. राजगोपालाचारी, जॉन मथाई, सरफराज अहमद खाँ, नाजिक राम, सैयद अली जहीन आदि शामिल थे। ये सदस्य औपचारिक रूप से वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् के सदस्य थे।
27. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. फरवरी, 1947 में लॉर्ड माउंटबेटन को वायसराय बनाकर भारत भेजा गया।
2. माउंटबेटन ने कांग्रेस एवं लीग से बातचीत के उपरांत भारत विभाजन का रास्ता खोजा।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) असत्य है, क्योंकि मार्च, 1947 में लॉर्ड लुई माउंटबेटन भारत का वायसराय बनकर आया था न कि फरवरी, 1947 में।
कथन (2) सत्य है, क्योंकि लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत आगमन के पश्चात् कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेताओं से लंबी बातचीत की, लेकिन समझौते के पश्चात् देश विभाजन के रूप में एक हल निकाला गया और पाकिस्तान नामक एक नए राज्य की स्थापना को प्रस्तावित किया गया।
28. निम्न में से किस रियासत को 'जनमत संग्रह' के द्वारा भारतीय संघ में मिलाया गया ? 
(a) हैदराबाद
(b) कश्मीर 
(c) जूनागढ़
(d) सतारा 
उत्तर - (c)
व्याख्या- जूनागढ़ रियासत को 'जनमत संग्रह के द्वारा भारतीय संघ में मिलाया गया था। भारत और पाकिस्तान के स्वाधीन होने की घोषणा 3 जून, 1947 को की गई। तत्कालीन रजवाड़ों को यह छूट दी गई कि वे किसी भी राज्य में शामिल हो सकते हैं।
सरदार वल्लभभाई पटेल की सफल कूटनीति के कारण और अधिकांश रजवाड़ों की जनता ने भारत में शामिल होने का फैसला किया। काठियावाड़ के समुद्र तट पर स्थित जूनागढ़ रियासत की जनता ने भी भारत में शामिल होने की इच्छा जताई, लेकिन वहाँ का नवाब पाकिस्तान में शामिल होना चाहता था। अंतत: भारतीय सैन्य कार्रवाई के द्वारा राज्य पर कब्जा कर वहाँ एक जनमत संग्रह कराया गया और परिणाम भारत में शामिल होने के पक्ष में निकला।
29. निम्नलिखित में किन क्षेत्रों को मिलाकर वर्ष 1947 में पाकिस्तान का एक पृथक् राज्य के रूप में गठन हुआ था?
(a) पश्चिमी पंजाब
(b) पूर्वी बंगाल
(c) सिंध और पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- अगस्त, 1947 में पश्चिमी पंजाब, पूर्वी बंगाल तथा सिंध और पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत को मिलाकर एक पृथक् पाकिस्तान देश की स्थापना की गई थी। वर्तमान में पाकिस्तान का पूर्वी प्रांत वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के पश्चात् बांग्लादेश के रूप में एक स्वतंत्र राज्य बना। 'पाकिस्तान' शब्द का जन्म वर्ष 1933 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली द्वारा हुआ था।
30. 14 अगस्त, 1947 को संविधान सभा में आधी रात को प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा जो भाषण दिया गया था, उसका नाम क्या था ? 
(a) भाग्य विधाता से मिलन 
(b) नियति से मिलन
(c) प्रगति से मिलन
(d) प्रकृति से मिलन
उत्तर - (b)
व्याख्या- 14 अगस्त, 1947 की रात को जवाहरलाल नेहरू द्वारा संविधान सभा के समक्ष, जो प्रसिद्ध स्मरणीय वक्तव्य दिया गया, उसे 'नियति से मिलन' के रूप में संबोधित किया जाता है। अपने इस वक्तव्य में जवाहरलाल नेहरू ने देश की जनता को स्वाधीनता से अवगत कराते हुए एक नए युग में प्रवेश करने हेतु दृढ़ संकल्पित किया है।
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Sat, 10 Feb 2024 10:47:04 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | भारत का स्वाधीनता संग्राम : द्वितीय चरण (वर्ष 1915&1935) https://m.jaankarirakho.com/885 https://m.jaankarirakho.com/885 NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | भारत का स्वाधीनता संग्राम : द्वितीय चरण (वर्ष 1915-1935)

गाँधीवादी आंदोलन एवं अन्य घटनाएँ

1. गाँधीजी के भारत आगमन के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) उन्होंने दो वर्षों तक भारत भ्रमण किया।
(b) उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु माना।
(c) उन्होंने ब्रिटेन से कानून की शिक्षा प्राप्त की थी।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- गाँधीजी के भारत आगमन के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि गांधीजी ने दो वर्ष नहीं, बल्कि एक वर्ष तक भारत का भ्रमण किया। महात्मा गाँधी 46 वर्ष की अवस्था में वर्ष 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। उन्होंने वर्ष 1916 में अहमदाबाद के पास साबरमती आश्रम की स्थापना की, जहाँ उनके मित्रों और अनुयायियों ने वहाँ रहकर सत्य, अहिंसा में निहित मूल अर्थों को समझा।
महात्मा गाँधी गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा भारत में प्राप्त की तथा कानून की शिक्षा प्राप्त करने के लिए ब्रिटेन गए और वहाँ से उन्होंने वकालत के लिए दक्षिण अफ्रीका को चुना।
2. निम्न में से कौन होमरूल आंदोलन से जुड़ा हुआ था?
(a) बाल गंगाधर तिलक 
(b) ऐनी बेसेंट
(c) सुब्रह्मण्यम अय्यर
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- होमरूल आंदोलन से बाल गंगाधर तिलक, ऐनी बेसेंट और सुब्रह्मण्यम अय्यर जुड़े हुए थे। होमरूल आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहते हुए संवैधानिक तरीके से स्वशासन को प्राप्त करना था। 'स्वराज्य' की प्राप्ति हेतु बाल गंगाधर तिलक ने 28 अप्रैल, 1916 को बेलगाँव में 'होमरूल लीग' की स्थापना की थी।
3. होमरूल लीग आंदोलन के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. वर्ष 1915-16 में दो होमरूल लीग की स्थापना की गई ।
2. दोनों होमरूल लीग ने इस माँग को उठाया कि प्रथम विश्वयुद्ध के बाद भारत को होमरूल या स्वशासन प्रदान किया जाए।
3. इसी आंदोलन के दौरान तिलक ने अपना प्रसिद्ध नारा दिया था कि ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा' ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- होमरूल लीग आंदोलन के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं । वर्ष 1915-16 में दो होमरूल लीगों की स्थापना हुई थी, जिनमें से एक के नेता लोकमान्य तिलक थे, तो दूसरी लीग का नेतृत्व ऐनी बेसेंट और सुब्रह्मण्यम अय्यर कर रहे थे।
इन दोनों लोगों का एकमात्र उद्देश्य ब्रिटिश शासन से स्वराज या होमरूल को शीघ्रता से प्राप्त करना था। इसके अतिरिक्त दोनों होमरूल लीग ने यह माँग उठाई कि प्रथम विश्वयुद्ध • बाद भारत को स्वशासन प्रदान किया जाए। होमरूल लीग आंदोलन के दौरान ही तिलक ने संगठन को सफल बनाने और जनसमर्थन हेतु यह नारा दिया था कि “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा।”
4. कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन कब आयोजित किया गया था?
(a) वर्ष 1914 
(b) वर्ष 1915
(c) वर्ष 1916 
(d) वर्ष 1917
उत्तर - (c)
व्याख्या- कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन वर्ष 1916 में आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता अंबिकाचरण मजूमदार ने की थी। इस अधिवेशन में कांग्रेस के दोनों दल अर्थात् नरमदल और गरमदल का एकीकरण हो गया और कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग ने अपने पुराने मतभेदों को भुलाकर ब्रिटिश सरकार के समक्ष सभी राजनीतिक माँगें रखीं।
5. अगस्त, 1918 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बंबई में एक विशेष सत्र बुलाया था। इस सत्र की अध्यक्षता किसने की थी ?
(a) हसरत मोहानी 
(b) हसन इमाम 
(c) सुरेंद्रनाथ बनर्जी
(d) मोती लाल घोष
उत्तर - (b)
व्याख्या- अगस्त, 1918 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा बंबई में एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया। यह सत्र मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार के प्रस्तावों पर विचार करने के उद्देश्य से बुलाया गया था। इस विशेष अधिवेशन की अध्यक्षता हसन इमाम ने की थी। इस विशेष अधिवेशन में मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधारों के प्रस्तावों को 'निराशाजनक और असंतोषजनक' बताकर उसके स्थान पर स्वशासन की माँग पर बल दिया गया।
6. रॉलेट एक्ट के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. मार्च, 1919 में सरकार ने केंद्रीय विधानपरिषद् में भारतीय सदस्यों द्वारा विरोध के बावजूद रॉलेट कानून बनाया।
2. इस कानून में सरकार को यह अधिकार प्राप्त था कि वह किसी भी भारतीय पर अदालत में मुकदमा चला सकती है और उसे दंड दिए बिना जेल में बंद कर सकती है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 'न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- रॉलेट एक्ट के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। रॉलेट एक्ट कानून को 8 मार्च, 1919 को ब्रिटिश सरकार द्वारा केंद्रीय विधानपरिषद् में भारतीय सदस्यों के विरोध के बावजूद लागू किया गया था। भारत में क्रांतिकारियों के प्रभाव को समाप्त करने तथा राष्ट्रीय भावना को कुचलने के उद्देश्य से ब्रिटिश सरकार द्वारा सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट वर्ष 1918 में प्रस्तुत की। इसे 'काला कानून' भी कहा जाता है।
इस कानून के अनुसार किसी भी संदेहास्पद व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए गिरफ्तार किया जा सकता था, परंतु उसके विरुद्ध 'न कोई अपील, न कोई दलील और न कोई वकील' किया जा सकता था।
7. भारत में गाँधीजी द्वारा सत्याग्रह का पहला बड़ा प्रयोग किस स्थान पर किया गया था?
(a) अहमदाबाद 
(b) बारदोली
(c) चंपारण
(d) व्यक्तिगत आंदोलन
उत्तर - (c)
व्याख्या- गाँधीजी द्वारा सत्याग्रह का पहला बड़ा प्रयोग बिहार के चंपारण में किया गया था। तत्कालीन समय में चंपारण में नील की खेती करने वाले किसान और यूरोपीय निलहा साहब के बीच गतिरोध की स्थिति एक व्यापक स्तर पर पहुँच गई थी। अतएव राजकुमार शुक्ल के निमंत्रण पर वर्ष 1917 में गाँधीजी एवं उनके साथी राजेंद्र प्रसाद, मजहरूल हक, जे. बी. कृपलानी, नरहरि पारिख और महादेव देसाई आदि परिस्थितियों की जाँच-पड़ताल के लिए चंपारण गए। जिले के अधिकारियों द्वारा गाँधीजी को उस स्थान को छोड़ने को कहा गया, परंतु उन्होंने आदेश का उल्लंघन किया और मजबूर होकर ब्रिटिश सरकार ने एक जाँच समिति गठित की, जिसके सदस्य स्वयं गाँधीजी थे। फलस्वरूप किसानों की स्थिति में सुधार हुआ और इस प्रकार यह गाँधीजी का प्रथम सत्याग्रह था, जिसमें वह विजयी हुए।
8. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. वर्ष 1918 में गाँधीजी ने अहमदाबाद के मजदूरों और मिल मालिकों के बीच के विवाद में हस्तक्षेप किया।
2. उन्होंने मजदूरों की मजदूरी में 25% वृद्धि की माँग की।
3. उन्होंने मजदूरों को अपनी माँगों के लिए हड़ताल पर जाने को कहा।
4. उन्होंने इस आंदोलन के दौरान स्वयं आमरण अनशन किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1, 3 और 4
(d) 3 और 4
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1), (3) और (4) सत्य हैं। महात्मा गाँधी द्वारा चंपारण सत्याग्रह की सफलता के पश्चात् वर्ष 1918 में अहमदाबाद में मिल मजदूरों और मिल मालिकों के विवाद में हस्तक्षेप किया गया। उन्होंने मिल मजदूरों को हड़ताल पर जाने की राय दी और साथ ही मजदूरों को मालिकों के विरुद्ध हिंसा का प्रयोग न करने की हिदायतें भी दीं।
मजदूरों की हड़ताल को जारी रखने के संकल्प को बल प्रदान करने की दिशा में महात्मा गाँधी ने आमरण अनशन भी किया था। इस अनशन को देखते हुए मिल मालिकों ने मजदूरों की मजदूरी को बढ़ाने पर अपनी सहमति प्रदान कर दी थी। कथन (2) असत्य है, क्योंकि महात्मा गाँधी ने मजदूरों की मजदूरी में 25% नहीं, बल्कि 35% वृद्धि करने की माँग की थी।
9. खेड़ा आंदोलन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) यह आंदोलन वर्ष 1918 में हुआ था, जिसमें फसल खराब हो जाने के बावजूद भी सरकार लगान माफ नहीं कर रही थी
(b) इस आंदोलन में गाँधीजी ने किसानों से लगान न देने को कहा था
(c) खेड़ा आंदोलन के दौरान ही सरदार पटेल, गाँधीजी
(d) उपर्युक्त सभी अनुयायी बने थे
उत्तर - (d)
व्याख्या- खेड़ा आंदोलन के संबंध में सभी कथन सत्य हैं ।
गाँधीजी ने गुजरात के खेड़ा में वर्ष 1918 में 'कर नहीं आंदोलन' चलाया था, यह आंदोलन खेड़ा जिले में किसानों से जबरदस्ती लगान वसूल किए जाने के विरोध में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध चलाया गया था। इस आंदोलन में गाँधीजी ने किसानों को समर्थन देते हुए लगान न देने की वकालत की थी।
तत्पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने स्थिति पर नियंत्रण करते हुए केवल उन्हीं किसानों से लगान वसूलने के आदेश दिए, जो लगान देने में सक्षम हों। इस आदेश के पश्चात् यह संघर्ष वापस लिया गया। इसी आंदोलन के दौरान सरदार वल्लभभाई पटेल, गाँधीजी के अनुयायी बने थे।
10. गाँधीजी ने किस कानून को 'शैतान की करतूत' एवं निरंकुशवादी बताया था ?
(a) मार्ले मिंटो सुधार 
(b) रॉलेट एक्ट
(c) भारत शासन अधिनियम, 1919
(d) भारत शासन अधिनियम, 1935
उत्तर - (b)
व्याख्या- महात्मा गाँधी, मोहम्मद अली जिन्ना और अन्य शीर्ष नेताओं ने रॉलेट एक्ट को 'शैतान की करतूत' और निरंकुशवादी कहा था। इन नेताओं का यह मानना था कि यह कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मूलभूत अधिकारों पर अंकुश लगाने और पुलिस को और अधिक अधिकार देने के लिए लागू किया गया था। अत: इन नेताओं ने इस कानून को सरकार द्वारा लागू की गई लोगों की बुनियादी स्वतंत्रताओं पर अंकुश लगाने का साधन माना।
11. निम्न में से कौन खिलाफत कमेटी के गठन से संबंधित नहीं था?
1. मुहम्मद अली जिन्ना
2. हकीम अजमल
3. हसरत मोहानी
4. बदरुद्दीन तैयब जी
कूट
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 3 और 4
(d) 1 और 4
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुहम्मद अली जिन्ना एवं बदरुद्दीन तैयब खिलाफत कमेटी के गठन से संबंधित नहीं थे। सितंबर, 1919 में खिलाफत समिति का गठन हुआ, जिसमें शौकत अली और मोहम्मद अली (अलीबंधु), हसरत मोहानी और हकीम अजमल खाँ ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 25 नवंबर, 1919 को दिल्ली में संपन्न हुए 'अखिल भारतीय खिलाफत समिति के सम्मेलन की अध्यक्षता महात्मा गाँधी ने की थी।
12. खिलाफत आंदोलन के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के पश्चात् तुर्की के साथ हुए व्यवहार के विरोध में अली बंधुओं (मुहम्मद अली और शौकत अली) और अन्य दूसरे लोगों ने खिलाफत आंदोलन को आरंभ किया।
2. आगे चलकर यह आंदोलन राष्ट्रवादी आंदोलन का एक अंग बन गया।
3. इस आंदोलन को कांग्रेसी नेताओं का समर्थन नहीं मिला।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) ये सभी
उत्तर - (a)
व्याख्या- खिलाफत आंदोलन के संदर्भ में कथन (1) और (2) सत्य हैं।
भारत के मुसलमान तुर्की के सुल्तान को इस्लाम का प्रतीक मानते थे, लेकिन प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के पश्चात् तुर्की साम्राज्य का विघटन कर दिया गया। इससे क्षुब्ध होकर अली बंधुओं (मोहम्मद अली और शौकत अली) तथा हकीम अजमल खाँ और हसरत मोहानी आदि नेताओं ने खिलाफत आंदोलन प्रारंभ कर दिया था। धीरे-धीरे यह आंदोलन व्यापक होता गया और राष्ट्रवादी नेताओं के समर्थन के पश्चात् यह असहयोग और स्वराज प्राप्ति के रूप में परिणत हो गया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि खिलाफत आंदोलन को कांग्रेसी नेताओं का समर्थन प्राप्त था, जिसमें महात्मा गाँधी, मौलाना अबुल कलाम आजाद सहित अन्य नेता भी शामिल थे।
13. असहयोग आंदोलन के संबंध में कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) इस आंदोलन की शुरुआत अगस्त, 1920 में हुई थी ।
(b) इस आंदोलन के आरंभ से तुरंत पहले प्रमुख राष्ट्रवादी नेता बाल गंगाधर तिलक का निधन हो गया।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) कांग्रेस ने गाँधीजी के असहयोग आंदोलन को समर्थन प्रदान नहीं किया।
उत्तर - (c)
व्याख्या- असहयोग आंदोलन के संबंध में कथन (a) और (b) सत्य हैं। ब्रिटिश सरकार द्वारा रॉलेट कानून को रद्द करने, पंजाब के अत्याचारों की भरपाई करने तथा राष्ट्रवादियों की स्वशासन की आकांक्षा को मानने से मना करने के परिणामस्वरूप वर्ष 1920 में इलाहाबाद में एक सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें स्कूलों, कॉलेजों और अदालतों के बहिष्कार की रूपरेखा तैयार की गई। 31 अगस्त, 1920 को असहयोग आंदोलन प्रारंभ कर दिया गया तथा खिलाफत आंदोलन इसमें समाहित हो गया।
असहयोग आंदोलन के प्रारंभ होने से कुछ ही दिन पूर्व 1 अगस्त, 1920 को 64 वर्ष की अवस्था में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का निधन हो गया था। तिलक के निधन के पश्चात् ही कांग्रेस ने गाँधीजी के असहयोग आंदोलन को पूर्ण समर्थन दिया था, जिसमें कांग्रेसी नेता मोतीलाल नेहरू और चितरंजन दास ने प्रमुख भूमिका निभाई थी।
14. सितंबर, 1920 में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन कहाँ पर आयोजित किया गया था ?
(a) अमृतसर 
(b) मद्रास
(c) कलकत्ता
(d) बंबई
उत्तर - (c)
व्याख्या- सितंबर, 1920 में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में कलकत्ता में आयोजित किया गया था। इस अधिवेशन में असहयोग के प्रस्ताव को स्वीकार किया गया था। इस प्रस्ताव को कांग्रेस द्वारा स्वीकार किए जाने के पक्ष में दो कारण बताए गए थे- खिलाफत मुद्दे के प्रति ब्रिटिश सरकार का दृष्टिकोण एवं पंजाब में हुए अत्याचार तथा अपराधियों को दंडित न किया जाना।
15. असहयोग आंदोलन के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए तथा कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए
1. असहयोग आंदोलन के दौर में ही अलीगढ़ के जामिया मिलिया इस्लामिया कॉलेज (राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय), बिहार विद्यापीठ, काशी विद्यापीठ और गुजरात विद्यापीठ का जन्म हुआ।
2. असहयोग आंदोलन चलाने के लिए तिलक स्वराज कोष स्थापित किया गया।
3. इस आंदोलन में महिलाओं की भूमिका नगण्य थी।
4. इसमें विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार एक जन आंदोलन बन गया।
5. इस आंदोलन के दौरान 'रोटी' तथा 'कमल का फूल' स्वतंत्रता के प्रतीक बन गए।
कूट
(a) 1, 2 और 3 
(b) 2, 3 और 4
(c) 3, 4 और 5
(d) 1, 2 और 4
उत्तर - (d)
व्याख्या- असहयोग आंदोलन के संबंध में कथन (1), (2) और (4) सत्य हैं । असहयोग आंदोलन की शुरुआत वर्ष 1920 में अंग्रेजी हुकुमत का विरोध करने के उद्देश्य से की गई थी।
  • इस असहयोग आंदोलन के दौरान सरकारी विद्यालयों को छोड़ने वाले विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय विद्यालयों की स्थापना की गई। इसी क्रम में जामिया मिलिया इस्लामिया कॉलेज, अलीगढ़ (बाद में इसका स्थानांतरण दिल्ली कर दिया गया), बिहार विद्यापीठ, काशी विद्यापीठ, नेशनल कॉलेज लाहौर इत्यादि की स्थापना की गई।
  • देश में स्वतंत्रता संघर्ष को सक्रियता प्रदान करने के लिए असहयोग आंदोलन के दौरान 'तिलक स्वराज फंड' का गठन किया गया। यह फंड बाल गंगाधर तिलक की स्मृति में आरंभ किया गया।
  • इस असहयोग आंदोलन में विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार कर स्वदेशी वस्त्र अपनाने पर बल दिया गया। साथ ही खादी को प्रोत्साहित करने हेतु 20 लाख चरखों को वितरित किया गया।
  • आंदोलन से संबंधित विवादों के निपटारे के लिए पंच फैसला पीठें स्थापित की गईं ।
कथन (3) और (5) असत्य हैं, क्योंकि असहयोग आंदोलन के दौरान स्त्रियों ने भी हिस्सा लिया और अपने आभूषणों को दान स्वरूप देकर अपनी भूमिका को दर्शाया तथा इस आंदोलन के दौरान 'खादी' स्वतंत्रता का प्रतीक बन गई थी न कि 'रोटी' तथा 'कमल का फूल' ।
16. फरवरी, 1922 में 'कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक कहाँ पर हुई थी ?
(a) अमृतसर 
(b) अहमदाबाद
(c) बारदोली
(d) गोरखपुर
उत्तर - (c)
व्याख्या- 12 फरवरी, 1922 को 'कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक गुजरात के बारदोली नामक स्थान पर हुई थी। इस बैठक में एक प्रस्ताव द्वारा उन सभी हिंसक गतिविधियों पर रोक लगा दी गई, जिनसे कानून का उल्लंघन हो सकता था। साथ ही कांग्रेस के लोगों से यह आग्रह किया गया कि वे अपना समय चरखे को लोकप्रिय बनाने में, राष्ट्रीय विश्वविद्यालय चलाने में, छुआछूत मिटाने में तथा हिंदू-मुस्लिम एकता को प्रोत्साहित करने जैसे रचनात्मक कार्यों में लगाएँ।
17. स्वराजवादियों के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. नवंबर, 1923 में केंद्रीय धारा सभा के चुनाव से भरी जाने वाली 105 सीटों में से 48 सीटें स्वराजवादियों को मिलीं।
2. मार्च, 1925 में स्वराजवादियों ने एक प्रमुख राष्ट्रवादी नेता विट्ठलभाई पटेल को केंद्रीय धारा सभा का अध्यक्ष (स्पीकर) बनवाने में सफलता प्राप्त की।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- स्वराजवादियों के संबंध में कथन (1) असत्य है, क्योंकि वर्ष 1923 में संपन्न केंद्रीय धारा सभा (Central Legislative Assembly) के चुनाव में स्वराज पार्टी ने 105 सीटों में से 38 सीटों पर जीत दर्ज की थी। केंद्रीय धारा सभा की कुल 145 सीटों में से 105 सीटों पर चुनाव हुए थे, जबकि 40 सीटों पर प्रतिनिधियों का मनोनयन किया गया था।
स्वराजवादियों की सबसे बड़ी सफलता विट्ठलभाई पटेल को केंद्रीय धारा सभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया जाना था। विट्ठलभाई पटेल प्रसिद्ध गाँधीवादी तथा देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के बड़े भाई थे।
18. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. वर्ष 1927 में राष्ट्रीय आंदोलन में समाजवाद की नई प्रवृत्ति का उदय हुआ।
2. राजनीतिक दृष्टि से इस शक्ति की अभिव्यक्ति कांग्रेस के अंदर एक वामपंथ के उदय के रूप में हुई।
3. समाजवाद की नई प्रवृत्ति के नेता जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचंद्र बोस थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2 
(c) 2 और 3
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
वर्ष 1927 राष्ट्रीय आंदोलन ने पुनः अपनी सशक्त भूमिका को प्रदर्शित किया और समाजवाद की नई प्रवृत्ति का उदय हुआ। इस काल में समाजवाद और मार्क्सवादी विचार बहुत तीव्र गति से फैलने लगे थे।
इस युग में प्रवृत्त इन नई शक्तियों की अभिव्यक्ति कांग्रेस के भीतर एक वामपंथ के उदय के रूप में हुई। इस वामपंथ ने अपना ध्यान साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष के अतिरिक्त पूँजीपतियों और जमींदारों के आंतरिक वर्गीय शोषण पर भी केंद्रित किया। इस नई प्रवृत्ति अर्थात् समाजवाद के नेता और समर्थक जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचंद्र बोस थे।
19. कम्युनिस्ट इंटरनेशनल के लिए चुने जाने वाले प्रथम भारतीय कौन थे ? 
(a) मानवेंद्रनाथ रॉय 
(b) चंद्रशेखर आजाद
(c) जवाहरलाल नेहरू
(d) भगत सिंह
उत्तर - (a)
व्याख्या- कम्युनिस्ट इंटरनेशनल के लिए चुने जाने वाले प्रथम भारतीय मानवेंद्रनाथ रॉय थे, जिन्हें वर्ष 1920 में मॉस्को में आयोजित 'कम्युनिस्ट इंटरनेशनल' के दूसरे विश्व कांग्रेस में प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया था। उन्होंने अक्टूबर, 1920 में रूसी साम्यवादियों की सहायता से 'ताशकंद' में सैन्य तथा राजनीतिक प्रशिक्षण के लिए विद्यालयों की स्थापना की। इन संस्थानों का उद्देश्य भारत तथा दक्षिण पूर्व एशिया में 'साम्यवादी क्रांति' का प्रसार करना था।
20. कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना कब हुई थी ?
(a) वर्ष 1920 
(b) वर्ष 1925
(c) वर्ष 1927 
(d) वर्ष 1929
उत्तर - (b)
व्याख्या- कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना 26 दिसंबर, 1925 को मानवेंद्रनाथ रॉय के नेतृत्व में कानपुर में की गई थी। इसी दौरान ब्रिटिश सरकार द्वारा वर्ष 1924 में मुजफ्फर अहमद और श्रीपाद अमृत डांगे को कम्युनिस्ट विचारों के प्रचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उन पर तथा उन जैसे कुछ अन्य सदस्यों पर कानपुर षड्यंत्र का मुकदमा भी चलाया गया था। वर्ष 1928 में कम्युनिस्ट इंटरनेशनल ने ही इस पार्टी की कार्यप्रणाली सुनिश्चित की थी।
21. साइमन कमीशन के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. नवंबर, 1927 में ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1919 के भारत सरकार अधिनियम पर विचार करने तथा आवश्यक परिवर्तनों के सुझाव देने के लिए साइमन कमीशन का गठन किया था।
2. इस कमीशन में 3 भारतीय सदस्य भी शामिल थे
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- साइमन कमीशन के संबंध में कथन (1) सत्य है। वर्ष 1919 के भारत शासन अधिनियम के 10 वर्ष पश्चात् इस अधिनियम की समीक्षा हेतु एक आयोग के गठन का प्रावधान किया गया था, परंतु आयोग की नियुक्ति दो वर्ष पूर्व 1927 में ही कर दी गई थी, यह आयोग 'साइमन कमीशन' के रूप में जाना जाता है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य शामिल नहीं था, बल्कि साइमन कमीशन के सहयोग हेतु लॉर्ड इरविन द्वारा गठित एक अखिल भारतीय समिति के सदस्यों में अध्यक्ष सहित कुल 8 सदस्य शामिल थे।
22. साइमन कमीशन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) इस कमीशन को 'इंडियन स्टेट्यूटरी कमीशन' के नाम से जाना जाता है।
(b) इसका उद्देश्य संवैधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था।
(c) इस कमीशन में कुल 12 सदस्य थे।
(d) 'a' और 'b' दोनों
उत्तर - (d)
व्याख्या- साइमन कमीशन के संबंध में कथन (a) और (b) सत्य हैं। साइमन कमीशन का गठन वर्ष 1927 में ब्रिटिश सरकार द्वारा 'इंडियन स्टेट्यूटरी कमीशन' के रूप में किया गया था। इस समिति में कुल सात सदस्य थे और सर जॉन साइमन इसके अध्यक्ष थे। इसका उद्देश्य भारत के संबंध में उत्तरवर्ती संवैधानिक सुधारों की दिशा में कार्य करना था।
23. साइमन कमीशन के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) कांग्रेस ने साइमन कमीशन का बहिष्कार किया था।
(b) हिंदू महासभा तथा मुस्लिम लीग ने भी कमीशन का विरोध किया था।
(c) इस कमीशन ने सभी वर्गों एवं दलों में फूट डाल दी थी ।
(d) अनेक भारतीय राष्ट्रवादियों द्वारा संवैधानिक सुधार की एक वैकल्पिक योजना बनाकर साइमन कमीशन की चुनौती का जवाब देने का प्रयास किया गया।
उत्तर - (c)
व्याख्या- साइमन कमीशन के संबंध में कथन (c) असत्य है। साइमन कमीशन के आगमन ने तत्कालीन राजनीति और परिदृश्य पर गहरा प्रभाव डाला, जिसके परिणामस्वरूप भारत में विद्यमान सभी वर्ग एवं दल आपस में एकजुट हो गए न कि उनमें फूट पड़ गई, क्योंकि इस समिति में सभी सदस्य अंग्रेज थे और सभी वर्गों ने इसका विरोध किया। वर्ष 1927 के मद्रास अधिवेशन में इस कमीशन के बहिष्कार का निर्णय लिया गया और मुस्लिम लीग तथा हिंदू महासभा ने कांग्रेस के इस निर्णय का समर्थन किया।
इसके विरोधस्वरूप इन सभी नेताओं ने एकजुट होकर भारत के पक्ष में संवैधानिक सुधार की एक वैकल्पिक योजना बनाकर इस समिति को चुनौती देने का भी प्रयास किया।
24. नेहरू रिपोर्ट (1928) के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. इस रिपोर्ट के प्रमुख निर्माता जवाहरलाल नेहरू थे ।
2. इस रिपोर्ट को अगस्त, 1928 में अंतिम रूप दिया गया।
3. इस रिपोर्ट का मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा तथा सिख संगठनों ने समर्थन किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- नेहरू रिपोर्ट (1928) के संदर्भ में कथन (2) सत्य है। 28 अगस्त, 1928 को नेहरू रिपोर्ट को अंतिम रूप प्रदान किया गया और इसे लखनऊ में आयोजित सर्वदलीय सम्मेलन द्वारा स्वीकार कर लिया गया। इस रिपोर्ट में राष्ट्रीय आंदोलन में परिवर्तन लाने तथा पूर्ण स्वराज को तात्कालिक लक्ष्य के रूप में रखने तथा विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के समर्थन को प्राप्त करने से संबंधित प्रमुख बातों को ध्यान में रखा गया था।
कथन (1) और (3) असत्य है, क्योंकि नेहरू रिपोर्ट के प्रमुख निर्माता मोतीलाल नेहरू थे न कि जवाहरलाल नेहरू तथा मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा तथा सिख संगठनों के सांप्रदायिक प्रवृत्ति वाले नेताओं ने इसे अपना समर्थन नहीं दिया था।
25. वर्ष 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन के संबंध में कौन-सा / से कथन सत्य है/हैं?
(a) इस अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी
(b) इस अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज को अपना लक्ष्य घोषित किया
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) इस अधिवेशन में 31 जनवरी, 1930 को पहला स्वाधीनता दिवस घोषित किया गया
उत्तर - (c)
व्याख्या- वर्ष 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन के संबंध में कथन (a) और (b) सत्य हैं। वर्ष 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इसी अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज का लक्ष्य घोषित किया था। हालाँकि पूर्ण स्वराज को लक्ष्य के रूप में वर्ष 1928 में मोतीलाल नेहरू ने अपनी नेहरू रिपोर्ट में शामिल किया था।
कथन (d) असत्य है, क्योंकि इस अधिवेशन में 31 दिसंबर, 1929 को स्वाधीनता के स्वीकृत नए तिरंगे को फहराया गया तथा 26 जनवरी, 1930 को पहला स्वाधीनता दिवस घोषित किया गया था।
26. सविनय अवज्ञा आंदोलन के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. यह आंदोलन 6 अप्रैल, 1930 को प्रारंभ हुआ था।
2. इस आंदोलन की शुरुआत दांडी मार्च के साथ साबरमती आश्रम से हुई थी।
3. इस आंदोलन के दौरान गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ा था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- सविनय अवज्ञा आंदोलन के संबंध में कथन (1) असत्य है, क्योंकि सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत 6 अप्रैल को नहीं, बल्कि 12 मार्च, 1930 को हुई थी।
कथन (2) और (3) सत्य हैं, क्योंकि गाँधीजी ने 12 मार्च को साबरमती आश्रम से अपने 78 समर्थकों के साथ दांडी के लिए पैदल यात्रा प्रारंभ की थी। 24 दिनों की यात्रा के पश्चात् वह 5 अप्रैल को दांडी पहुँचे और 6 अप्रैल को उन्होंने नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा था।
27. सविनय अवज्ञा आंदोलन के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य भारत में जंगल कानून तोड़े गए।
2. पूर्वी भारत में ग्रामीण जनता ने चौकीदारी कर को अदा करने से इंकार कर दिया।
3. इस आंदोलन में स्त्रियों की भूमिका नगण्य थी।
4. नागालैंड की रानी गैडिन्ल्यू ने इस आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1, 2 और 3
(c) 1, 2 और 4
(d) 2, 3 और 4
उत्तर - (c)
व्याख्या- सविनय अवज्ञा आंदोलन के संदर्भ में कथन (1), (2) और (4) सत्य हैं। दांडी नमक सत्याग्रह के पश्चात् देश के कई भागों में सविनय अवज्ञा का दौर चला। इसी कड़ी में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान नमक कानून के अतिरिक्त महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य भारत में जंगल कानून तोड़े गए और पूर्वी भारत में ग्रामीण जनता ने चौकीदारी कर को अदा करने से इंकार कर दिया।
इस आंदोलन की एक प्रमुख विशेषता यह थी कि इसे देश के प्रत्येक प्रांत व प्रत्येक भाग से समर्थन मिला। उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में खान अब्दुल गफ्फार खान ने इस आंदोलन को बढ़ाया तो वहीं पूर्वोत्तर भारत में मणिपुर तथा नागालैंड की रानी गैडिन्ल्यू ने आंदोलन को एक नई दिशा प्रदान की।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि सविनय अवज्ञा आंदोलन में स्त्रियों ने अपनी भूमिका को सुनिश्चित किया था और वह घरों से निकलकर सत्याग्रह में भाग लेने लगी थीं।
28. प्रथम गोलमेज सम्मेलन, जोकि लंदन में आयोजित किया गया था, का उद्देश्य था 
(a) नेहरू रिपोर्ट पर विचार करना
(b) जिला फॉर्मूले पर विचार करना
(c) साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार करना
(d) कांग्रेस और ब्रिटिश के मध्य समझौता करना
उत्तर - (c)
व्याख्या- साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार करने के उद्देश्य से नवंबर, 1930 में प्रथम गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
यह सम्मेलन 12 नवंबर, 1930 से 19 जनवरी, 1931 तक चला था। लंदन के सेंट जेम्स पैलेस में आयोजित इस सम्मेलन की अध्यक्षता तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड ने की थी तथा इसका उद्घाटन ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम ने किया था।
29. गाँधी-इरविन समझौते के संदर्भ में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) सरकार हिंसक तथा अहिंसक सभी प्रकार के राजनीतिक बंदियों को रिहा करने पर सहमत हो गई थी।
(b) इस समझौते में नमक बनाने का अधिकार तथा विदेशी वस्त्रों तथा शराब की दुकान पर धरना देने के अधिकारों को समाप्त कर दिया गया।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) समझौते के अनुसार कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन रोक दिया तथा दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए तैयार हो गई।
उत्तर - (c)
व्याख्या- गाँधी-इरविन समझौते के संदर्भ में कथन (a) और (b) असत्य हैं। गाँधी-इरविन समझौते के मुख्य बिंदु निम्न हैं
  • हिंसात्मक गतिविधियों में लिप्त लोगों को छोड़कर सभी राजनीतिक बंदियों (अहिंसक गतिविधियों में शामिल) को रिहा करने पर सहमति बनी।
  • विदेशी स्त्रों के बहिष्कार, शराब की दुकानों पर धरना तथा शांतिपूर्ण विरोध को स्वीकृति दी गई।
  • कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित कर द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने पर अपनी सहमति प्रदान की।
30. वर्ष 1931 में कांग्रेस के कराची अधिवेशन के संबंध में विचार कीजिए 
1. इस अधिवेशन में गाँधी-इरविन समझौते को मान्यता दी गई ।
2. इसमें मौलिक अधिकार तथा आर्थिक नीति संबंधी प्रस्तावों को पेश किया गया।
3. इसमें स्वतंत्रता के बाद भारतीय समाज के पुनर्निर्माण की एक योजना की रूपरेखा प्रस्तुत की गई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- वर्ष 1931 में कांग्रेस के कराची अधिवेशन के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। गाँधी-इरविन समझौते को स्वीकृति प्रदान करने हेतु 29 मार्च, 1931 को कराची में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। इसकी अध्यक्षता सरदार वल्लभभाई पटेल ने की थी।
इस अधिवेशन में मौलिक अधिकार (निःशुल्क एवं प्राथमिक शिक्षा, अभिव्यक्ति, प्रेस संगठन आदि की स्वतंत्रता से संबंधित) तथा आर्थिक कार्यक्रम ( प्रमुख उद्योगों, परिवहन आदि को सरकारी नियंत्रण में रखना तथा लगान, मजदूरी, किसानों को कर्ज से राहत आदि) से संबंधित प्रस्तावों को पेश किया गया। मौलिक अधिकारों का प्रस्ताव जवाहरलाल नेहरू ने तैयार किया था।
इस अधिवेशन में स्वतंत्रता के बाद के भारत के निर्माण की योजना की रूपरेखा तैयार की गई थी।
31. द्वितीय गोलमेज सम्मेलन के संदर्भ में विचार कीजिए
1. यह सम्मेलन सितंबर, 1931 में लंदन में आयोजित हुआ था।
2. इस सम्मेलन में गाँधीजी ने कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया था।
3. भारतीय दृष्टिकोण से यह सम्मेलन सफल रहा था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2 
(c) 2 और 3
(d) केवल 3 
उत्तर - (d)
व्याख्या- द्वितीय गोलमेज सम्मेलन के संदर्भ में कथन (3) असत्य है, क्योंकि द्वितीय गोलमेज सम्मेलन भारतीय दृष्टिकोण से सफल नहीं रहा था। गोलमेज सम्मेलन के सफल होने के लिए यह आवश्यक था कि अल्पसंख्यकों की समस्या का समाधान पहले ही निकाला जाए। इस संबंध में गाँधीजी का मुस्लिम नेताओं से संपर्क का कोई परिणाम नहीं निकला।
कथन (1) और (2) सत्य हैं, द्वितीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन 7 सितंबर, 1931 से 1 दिसंबर, 1931 तक लंदन के सेंट पैलेस में किया गया था। इस सम्मेलन में गाँधीजी ने कांग्रेस की ओर से एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में हिस्सा लिया था।

क्रांतिकारी आंदोलन द्वितीय चरण

1. गदर पार्टी के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) इसकी स्थापना वर्ष 1915 में की गई थी।
(b) लाला हरदयाल, भगवान सिंह, रामचंद्र और सोहन सिंह भाखना आदि गदर पार्टी के प्रमुख नेता थे।
(c) इस पार्टी के द्वारा 'गदर' नामक साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन किया जाता था।
(d) इस पार्टी की विचारधारा धार्मिकता से प्रभावित नहीं थी ।
उत्तर - (a)
व्याख्या- गदर पार्टी के संबंध में कथन (a) असत्य है, क्योंकि अमेरिका और कनाडा में बसे भारतीयों ने वर्ष 1913 में 'गदर पार्टी' की स्थापना की थी। इस पार्टी के प्रमुख नेताओं में लाला हरदयाल, मुहम्मद बरकतुल्लाह, भगवान सिंह, रामचंद्र और सोहन सिंह भाखना आदि प्रमुख थे। इस पार्टी के अधिकांश सदस्य पंजाब के सिख किसान और भूतपूर्व सैनिक थे । इस पार्टी का आधार साप्ताहिक पत्र 'गदर' था, जिसके शीर्ष पर 'अंग्रेजी राज का दुश्मन' लिखा होता था। इस पार्टी की विचारधारा धर्मनिरपेक्ष थी।
2. हिंदुस्तानी प्रजातंत्र संघ (HRA) की स्थापना कब हुई थी?
(a) वर्ष 1924
(b) वर्ष 1925 
(c) वर्ष 1927
(d) वर्ष 1928
उत्तर - (a)
व्याख्या- हिंदुस्तानी प्रजातंत्र संघ (Hindustan Republic Association, HRA) की स्थापना वर्ष 1924 में की गई थी। स्वराज के लिए संघर्ष के दौरान एक अखिल भारतीय सम्मेलन के पश्चात् सशस्त्र क्रांति के लिए एक संगठन के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गई थी। यह संघ समाजवाद से प्रेरित था।
3. काकोरी ट्रेन डकैती कांड में किन क्रांतिकारियों को फाँसी की सजा दी गई थी? 
(a) रामप्रसाद विस्मिल और अशफाक उल्ला खाँ
(b) वीर सावरकर और वासुदेव चापेकर
(c) प्रफुल्लचंद्र चाकी और खुदीराम बोस
(d) सूर्य सेन एवं उधम सिंह
उत्तर - (a)
व्याख्या- काकोरी ट्रेन डकैती कांड में रामप्रसाद विस्मिल और अशफाक उल्ला खाँ को फाँसी दी गई थी। क्रांतिकारियों द्वारा धन एकत्रित करने के उद्देश्य से लखनऊ सहारनपुर संभाग के काकोरी नामक स्थान पर 9 अगस्त, 1925 को डकैती डालकर सरकारी खजाने को लूट लिया गया। इसके पश्चात् 29 लोगों पर मुकदमा चलाया गया। चार क्रांतिकारियों को फाँसी की सजा दे दी गई, जिनमें रामप्रसाद विस्मिल (गोरखपुर), अशफाक उल्ला खाँ (फैजाबाद), रोशनलाल (नैनी, इलाहाबाद) तथा राजेंद्र लाहिड़ी (गोंडा) शामिल थे।
4. हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) की स्थापना कब हुई थी?
(a) वर्ष 1919 
(b) वर्ष 1927
(c) वर्ष 1916
(d) वर्ष 1928
उत्तर - (d)
व्याख्या- हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) की स्थापना 9-10 सितंबर, 1928 को फिरोजशाह कोटला मैदान में की गई थी। इस संगठन को पूर्व में हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन के नाम से जाना जाता था। इस संगठन की स्थापना का नेतृत्व चंद्रशेखर आजाद ने किया था तथा इनके अन्य सहयोगियों में विजय कुमार सिन्हा, शिव वर्मा, जयदेव कपूर, भगत सिंह, भगवतीचरण वोहरा तथा सुखदेव आदि शामिल थे।
5. निम्नलिखित में से किसने बहरी ब्रिटिश सरकार को सुनाने हेतु केंद्रीय विधानसभा में 8 अप्रैल, 1929 को बम फेंका था?
1. भगत सिंह
2. सुखदेव 
3. राजगुरु
4. बटुकेश्वर दत्त 
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1 और 4
उत्तर - (d)
व्याख्या- हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के नेताओं (भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त) ने 8 अप्रैल, 1929 को केंद्रीय धारा सभा में बम फेंका था। इसका उद्देश्य किसी की हत्या करना नहीं था, बल्कि अंग्रेजों को अपनी बातें सुनाना था, यह कार्य राजनीतिक उद्देश्यों तथा जनक्रांति की आवश्यकता के संबंध में जनता को बताने के उद्देश्य से किया गया था।
6. चटगाँव शस्त्रागार लूट के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. यह लूट वर्ष 1930 में योजनाबद्ध तरीके से की गई थी।
2. इसका नेतृत्व मास्टर सूर्यसेन ने किया था।
3. इस दौरान लोकप्रिय सरकारी अधिकारियों पर हमले किए गए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/है?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- चटगाँव शस्त्रागार लूट के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य है। बंगाल में राष्ट्रवादी क्रांतिकारियों की गतिविधियाँ पुनः अप्रैल, 1930 में उभरकर सामने आईं, जब चटगाँव के सरकारी शस्त्रागार पर योजनाबद्ध तरीके से क्रांतिकारियों ने हमला किया था।
इस क्रांतिकारी समूह का नेतृत्व मास्टर सूर्यसेन ने किया था। बंगाल में क्रांतिकारी आंदोलन की एक प्रमुख विशेषता यह थी कि उसमें स्त्रियों की महत्त्वपूर्ण भागीदारी थी।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि बंगाल में क्रांतिकारियों द्वारा अलोकप्रिय सरकारी अधिकारियों पर हमले किए गए थे न कि लोकप्रिय अधिकारियों पर।
7. कारागार में 63 दिनों तक ऐतिहासिक भूख हड़ताल के पश्चात् किस क्रांतिकारी की मृत्यु हो गई थी?
(a) बटुकेश्वर दत्त 
(b) यतींद्र शर्मा
(c) जतिनदास
(d) अशफाक उल्ला खाँ
उत्तर - (c)
व्याख्या- कारागार में 63 दिनों के ऐतिहासिक भूख हड़ताल आंदोलन के पश्चात् क्रांतिकारी युवक जतिनदास की मृत्यु हो गई थी। क्रांतिकारी आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार पर तीव्र प्रहार किया, जिसके परिणामस्वरूप अनेक क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। कुछ पर मुकदमें चले तो कुछ को जेलों में बंद कर लिया गया।
8. मेरठ षड्यंत्र केस के संदर्भ में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) इस षड्यंत्र के अंतर्गत मार्च, 1929 में 31 मजदूर नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
(b) इनमें पाँच अंग्रेज भी शामिल थे।
(c) यह मुकदमा चार वर्षों तक चला था।
(d) इस केस में कुछ अभियुक्त रिहा हो गए, किंतु कुछ को सजा मिली।
उत्तर - (b)
व्याख्या- मेरठ षड्यंत्र केस के संदर्भ में कथन (b) असत्य है, क्योंकि मेरठ षड्यंत्र केस में तीन ब्रिटिश साम्यवादी शामिल थे न कि पाँच। फिलिप स्प्रेड, ब्रैन ब्रेडले तथा लेचर हचिसन को भारत से निष्कासित करने का विधेयक तैयार किया गया था और इन पर यह आरोप लगाया गया था कि ये सम्राट को भारत की प्रभुसत्ता से वंचित करने का प्रयास कर रहे थे।
यह षड्यंत्र मार्च, 1929 में प्रारंभ हुआ था और इसके अंतर्गत भारतीय रेलवे में हड़ताल की गई और ब्रिटिश सरकार द्वारा 31 श्रमिक नेताओं को बंदी बनाकर मेरठ लाया गया तथा उन पर मुकदमा चलाया गया।
यह मुकदमा कुल चार वर्ष तक अर्थात् वर्ष 1929 से 1933 तक चला। इनमें से 27 को कड़ी सजा दी गई तथा शेष को रिहा कर दिया गया।
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Sat, 10 Feb 2024 09:58:02 +0530 Jaankari Rakho
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राष्ट्रवाद का उदय / कांग्रेस पूर्व संगठन

1. निम्न में से कौन-सा कथन राष्ट्रवाद के संबंध में सत्य है?
(a) आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद बुनियादी तौर पर विदेशी आधिपत्य की चुनौती के जवाब के रूप में उदित हुआ।
(b) ब्रिटिश शासन की परिस्थितियों ने भारतीय जनमानस में राष्ट्रीय भावना को विकसित करने में सहायता दी ।
(c) ब्रिटिश शासन तथा उसके प्रत्यक्ष और परोक्ष परिणामों ने ही भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास के लिए भौतिक, नैतिक एवं बौद्धिक, *परिस्थितियाँ तैयार की थीं।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- राष्ट्रवाद के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं ।
उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में राष्ट्रीय राजनीतिक चेतना बहुत तेजी से विकसित हुई और भारत में एक संगठित राष्ट्रीय आंदोलन का आरंभ हुआ। भारत में राष्ट्रवाद की प्रवृत्तियाँ प्रबल होती गईं। आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद का उदय बुनियादी तौर पर विदेशी आधिपत्य की चुनौती के जवाब के रूप में हुआ था और इसी से उत्पन्न परिस्थितियों ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास को बढ़ावा दिया। ब्रिटिश शासन से उपजी परिस्थितियों (प्रत्यक्ष और परोक्ष परिणाम) ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2. भारत में राष्ट्रवाद के उदय के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
1. आधुनिक शिक्षा प्रणाली विभिन्न भाषाई क्षेत्रों में राष्ट्रवादी विचारों को फैलाने का माध्यम बन गई।
2. शिक्षित भारतीय, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के प्रति वफादार रहे।
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारत में राष्ट्रवाद के उदय के संबंध में कथन (2) असत्य है, क्योंकि शिक्षित भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के वफादार नहीं थे, बल्कि उन्होंने अपने विचारों में आधुनिकता का मिश्रण कर विदेशी (ब्रिटिश) शासन की बुराइयों को उजागर किया था।
इन्होंने एक मजबूत, समृद्ध और एकताबद्ध भारत की कल्पना को प्रोत्साहित किया और कालांतर में इन्हीं शिक्षित भारतीयों में से कुछ कुशल नेतृत्वकर्ता और संगठनकर्ता के रूप में उभरकर सामने आए।
कथन (1) सत्य है, क्योंकि उन्नीसवीं सदी में आधुनिक शिक्षा प्रणाली ने पाश्चात्य शिक्षा को ग्रहण कर एक आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष, बुद्धिसंगत, जनतांत्रिक तथा राष्ट्रवादी राजनीतिक दृष्टिकोण को अपनाया और इसका प्रसार किया।
3. कथन (A) राष्ट्रीय आंदोलन आधुनिक शिक्षा प्रणाली की उपज थी । कारण (R) आधुनिक शिक्षा प्रणाली ने शिक्षित भारतीयों को पाश्चात्य विचार अपनाकर राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व संभालने तथा उसे एक जनतांत्रिक और आधुनिक शिक्षा देने में समर्थ बनाया। 
कूट
(a) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है
(b) A और R दोनों सही हैं, परंतु R, A की सही व्याख्या नहीं है
(c) A सही, किंतु R गलत है
(d) A गलत, किंतु R सही है
उत्तर - (d)
व्याख्या- (A) गलत, किंतु (R) सही है । कथन (A) गलत है, क्योंकि राष्ट्रीय आंदोलन आधुनिक शिक्षा प्रणाली की उपज नहीं था, बल्कि वह ब्रिटेन तथा भारत के हितों के टकराव उत्पन्न परिस्थिति थी।
कारण (R) सत्य है, क्योंकि आधुनिक शिक्षा प्रणाली ने शिक्षित भारतीयों में पाश्चात्य विचारों और विचारकों के ज्ञान बोध की क्षमता प्रदान की, जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय आंदोलन को एक सही दिशा प्रदान करने में सक्षमता प्राप्त हुई।
4. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास के प्रमुख कारणों में शामिल नहीं था
(a) आर्थिक विकास
(b) प्रेस तथा साहित्य 
(c) भारत के अतीत की खोज
(d) शासकों का जातीय दंभ 
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास के प्रमुख कारणों में आर्थिक विकास शामिल नहीं था, जबकि प्रेस तथा साहित्य की भूमिका, भारत के अतीत की खोज एवं शासकों का जातीय दंभ आदि ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास को नई दिशा प्रदान की।
प्रेस व साहित्य वह महत्त्वपूर्ण साधन था, जिसके द्वारा भारतीयों ने देशभक्ति की भावनाओं का आधुनिक, आर्थिक सामाजिक व राजनीतिक रूप से प्रचार किया तथा एक अखिल भारतीय चेतना को जगाया। तत्कालीन समय के अनेक विद्वानों ने भारतीय राष्ट्रवादियों में भारत की राष्ट्रीय धरोहर व शासकों ( अशोक, चंद्रगुप्त आदि) की उपलब्धियों के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना की भावना को जाग्रत किया।
5. दादाभाई नौरोजी के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. इन्होंने अपने अर्थशास्त्रीय लेखन द्वारा यह सिद्ध किया कि भारत की गरीबी का कारण अंग्रेजों द्वारा उसका शोषण तथा यहाँ का धन ब्रिटेन भेजना था।
2. ये 2 बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- दादाभाई नौरोजी संबंध में कथन (2) असत्य है, क्योंकि दादाभाई नौरोजी जिन्हें 'ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया' भी कहा जाता है, ने दो नहीं, बल्कि तीन बार कांग्रेस के अधिवेशनों (1886 ई., 1893 ई. एवं 1906 ई.) की अध्यक्षता की थी।
कथन (1) सत्य है, क्योंकि दादाभाई नौरोजी भारत के पहले आर्थिक विचारक थे, जिन्होंने अपने अर्थशास्त्रीय लेखन 'धन निष्कासन के सिद्धांत' द्वारा यह सिद्ध किया कि भारत की गरीबी का कारण अंग्रेजों द्वारा उनका शोषण तथा यहाँ का धन ब्रिटेन भेजना था।
6. बंगाल के युवा राष्ट्रवादियों को ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की नीतियों से छूट दी गई थी, क्योंकि इसने आवाज उठाई थी
1. छोटे किसानों के लिए
2. जमींदारों के लिए
3. सामाजिक सुधार के लिए
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- बंगाल में युवा राष्ट्रवादियों को ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की नीतियों से छूट दी गई थी, क्योंकि इन राष्ट्रवादियों ने छोटे किसानों, जमींदारों तथा सामाजिक सुधार हेतु प्रयास करने प्रारंभ कर दिए थे। उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में भारत में अनेक राजनीतिक संगठनों की स्थापना हुई। इसी क्रम में 1851 ई. में बंगाल में ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की स्थापना, ब्रिटिश सरकार तक भारतीयों की शिकायतें पहुँचाने के लिए की गई थी।
7. इंडियन एसोसिएशन के संबंध में निम्न कथनों में से कौन-सा सत्य है?
(a) इंडियन एसोसिएशन, कांग्रेस से पूर्व राष्ट्रवादी संगठनों में सबसे महत्त्वपूर्ण संस्था थी।
(b) इसकी स्थापना सुरेंद्रनाथ बनर्जी एवं आनंद मोहन बोस के नेतृत्व में हुई थी।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) यह जुलाई, 1877 में मद्रास में स्थापित की गई थी।
उत्तर - (c)
व्याख्या- इंडियन एसोसिएशन के संबंध में कथन (a) और (b) सत्य हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से पूर्व राष्ट्रवादी संगठनों में सबसे महत्त्वपूर्ण संगठन इंडियन एसोसिएशन था। इसकी स्थापना जुलाई, 1876 में सुरेंद्रनाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस के नेतृत्व में कलकत्ता में की गई थी। इस एसोसिएशन ने राजनीतिक रूप से भारतीय जनता को एकताबद्ध करने का लक्ष्य रखा था।
8. किस वर्ष में सुरेंद्रनाथ बनर्जी द्वारा अखिल भारतीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का सम्मेलन बुलाया गया था ?
(a) 1881 ई.
(b) 1882 ई.
(c) 1883 ई.
(d) 1885 ई.
उत्तर - (c)
व्याख्या- उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में अनेक राजनीतिक संगठनों की स्थापना के पश्चात् एक अखिल भारतीय संगठन बनाने की दिशा में प्रयास किए गए और इसी क्रम में 1883 ई. में सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने एक अखिल भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया, जिसे उस सम्मेलन के अध्यक्ष द्वारा एक राष्ट्रीय संसद की दिशा में पहला कदम बताया गया था।
9. बॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन की स्थापना में कौन शामिल नहीं था?
(a) आनंद चारलू 
(b) फिरोजशाह मेहता
(c) बदरुद्दीन तैयब जी
(d) के. टी. तेलंग
उत्तर - (a)
व्याख्या- बॉम्बे प्रेसीडेंसी ऐसोसिएशन की स्थापना में आनंद चारलू शामिल नहीं थे। पी. आनंद चारलू मद्रास महाजन सभा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। बॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन की स्थापना 1885 ई. में बंबई में फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयब जी तथा के. टी. तेलंग द्वारा की गई थी। बॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन की स्थापना का उद्देश्य सरकारी पदों पर भारतीयों की नियुक्ति तथा भारत में सिविल सेवा परीक्षा को आयोजित कराने से संबंधित था।
10. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. 1878 ई. में पारित शस्त्र अधिनियम ने भारतीयों के हथियार रखने को प्रतिबंधित कर दिया था।
2. सरकार 1883 ई. में इल्बर्ट बिल लाई ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। 1870 से 1880 के दशक की कुछ घटनाओं ने भारतीयों में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध असंतोष की स्थिति उत्पन्न की और इसी दौरान ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों की माँगों को पूरा करने के स्थान पर नए दमनकारी कदम उठाए। इसी क्रम में 1878 ई. में शस्त्र कानून लाया गया, जिसने भारतीयों के शस्त्र रखने पर प्रतिबंध लगा दिया।
इल्बर्ट बिल को 9 फरवरी, 1883 ई. में लॉर्ड रिपन के कार्यकाल में लाया गया था। इस बिल के द्वारा भारतीय न्यायाधीशों को उन मामलों की सुनवाई करने का भी अधिकार भी दिया गया था, जिनमें यूरोपीय नागरिक शामिल होते थे, लेकिन भारत में रहने वाले अंग्रेजों और यूरोपवासियों के विरोध के कारण इसे वापस ले लिया गया।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन कहाँ आयोजित किया गया था? 
(a) कलकत्ता 
(b) लाहौर
(c) बंबई
(d) पुणे
उत्तर - (c)
व्याख्या- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन 28 दिसंबर, 1885 को बंबई स्थित गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित किया गया था। इसकी अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी ने की थी और इसी अधिवेशन में कांग्रेस के उद्देश्य निश्चित किए गए थे।
2. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. जार्ज यूले 1888 ई. के इलाहाबाद अधिवेशन के अध्यक्ष थे।
2. सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने कांग्रेस के पहले तीन सत्रों में भाग नहीं लिया था।
3. अल्फ्रेड वेब कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता करने वाले पहले ब्रिटिश थे।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) सत्य है ।
जॉर्ज यूले ने कांग्रेस के चौथे अधिवेशन की अध्यक्षता की थी, जो 1888 ई. में इलाहाबाद (प्रयागराज) में आयोजित किया गया था, इस अधिवेशन में कुल 1300 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
कथन (2) और (3) असत्य हैं, क्योंकि सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में भाग नहीं लिया था। तत्पश्चात् उन्होंने कांग्रेस के दूसरे अधिवेशन (1886, कलकत्ता) में भाग लिया था।
जॉर्ज यूले प्रथम अंग्रेज अध्यक्ष थे, जिन्होंने कांग्रेस की अध्यक्षता की थी, जबकि अल्फ्रेड वेब, जॉर्ज यूले और विलियम वेडरबर्न के बाद तीसरे ऐसे अंग्रेज थे, जिन्होंने कांग्रेस की अध्यक्षता (1894 मद्रास, 10वाँ अधिवेशन) की थी।
3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा / से कथन सत्य है / हैं? 
(a) बदरुद्दीन तैयब जी कांग्रेस के पहले मुस्लिम अध्यक्ष थे।
(b) दादाभाई नौरोजी कभी भी कांग्रेस अध्यक्ष नहीं रहे।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) न तो 'a' और न ही '
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संदर्भ में कथन (a) सत्य है। सैयद बदरुद्दीन तैयब जी प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष थे, जिन्होंने कांग्रेस के तीसरे अधिवेशन (1887, मद्रास) की अध्यक्षता की थी।
कथन (b) असत्य है, क्योंकि दादाभाई नौरोजी ने कांग्रेस के अधिवेशनों की अध्यक्षता तीन बार की थी, जो क्रमश: इस प्रकार है- दूसरा अधिवेशन (1886, कलकत्ता), 9वाँ अधिवेशन (1893, लाहौर) तथा 22वाँ अधिवेशन (1906, कलकत्ता ) ।
4. राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्यों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है ।
(a) देश में जनमत को प्रशिक्षित और संगठित करना ।
(b) राष्ट्रवादी राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करना।
(c) जाति, धर्म, प्रांत का भेदभाव किए बिना राष्ट्रीय एकता की भावना को विकसित तथा मजबूत करना।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्यों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन (1885 ई. में बंबई में आयोजित) में राष्ट्रीय कांग्रेस के कुछ उद्देश्य घोषित किए गए थे, जिनमें शामिल हैं
  • देश के विभिन्न भागों के राष्ट्रवादी राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करना।
  • जाति धर्म, प्रांत का भेद किए बिना राष्ट्रीय एकता की भावना को विकसित तथा मजबूत करना।
  • जनप्रिय माँगों का निरूपण तथा उन्हें सरकार के समक्ष प्रस्तुत करना तथा देश में जनमत को प्रशिक्षित और संगठित करना ।
5. किसने कहा था ? "कांग्रेस पतन के लिए लड़खड़ा रही है और मेरी सबसे बड़ी अभिलाषा, जब तक मैं भारत में हूँ, कांग्रेस की शांतिपूर्ण समाप्ति में सहयोग करना है। "
(a) जॉर्ज इमिल्टन 
(b) लॉर्ड कर्जन
(c) लॉर्ड डफरिन
(d) लॉर्ड मिंटो 
उत्तर - (b)
व्याख्या- उपर्युक्त कथन लॉर्ड कर्जन ने कहा था। लॉर्ड कर्जन ने 1890 ई. में विदेश सचिव को बताया कि "कांग्रेस पतन के लिए लड़खड़ा रही है और सबसे बड़ी अभिलाषा है कि जब तक मैं भारत में हूँ तब तक कांग्रेस की शांतिपूर्ण समाप्ति में सहयोग करूँ। तात्कालिक वायसराय लॉर्ड डफरिन ने 1887 ई. में एक सार्वजनिक भाषण में राष्ट्रीय कांग्रेस पर आक्रमण किया तथा उसे जनता के एक सूक्ष्म भाग का प्रतिनिधि करने वाली संस्था कहा।
6. 1890 में कांग्रेस सत्र को संबोधित करने वाली कलकत्ता विश्वविद्यालय की पहली महिला स्नातक कौन थी ?
(a) विजयलक्ष्मी पंडित 
(b) पंडित रमाबाई
(c) कादंबिनी गांगुली
(d) ऐनी बेसेंट
उत्तर - (c)
व्याख्या- 1890 ई. (कांग्रेस का छठा अधिवेशन, कलकत्ता) कांग्रेस सत्र को संबोधित करने वाली महिला कलकत्ता विश्वविद्यालय की पहली महिला स्नातक कादंबिनी गांगुली थी। इस अधिवेशन की अध्यक्षता फिरोजशाह मेहता ने की थी । इस अधिवेशन में यह संबोधन इस बात की ओर इंगित कर रहा था कि महिलाओं की स्थिति में सुधार होने की संभावना अपने प्राथमिक स्तर पर है ।
7. निम्नलिखित में से कौन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कभी अध्यक्ष नहीं चुना जा सका?
(a) लाला लाजपत राय
(b) ऐनी बेसेंट 
(c) मोतीलाल नेहरू
(d) बाल गंगाधर तिलक 
उत्तर - (d)
व्याख्या- बाल गंगाधर तिलक कभी भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं रहे। लाला लाजपत राय वर्ष 1920 में कोलकाता में विशेष अधिवेशन के अध्यक्ष थे। ऐनी बेसेंट ने 1917 ई. में कलकत्ता में आयोजित अधिवेशन की अध्यक्षता की थी। गोपाल कृष्ण गोखले ने वर्ष 1905 में बनारस में आयोजित अधिवेशन की अध्यक्षता की थी, जबकि मोतीलाल नेहरू ने 1919 ई. में अमृतसर में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की थी।
8. आरंभिक राष्ट्रवादियों के कार्यक्रम और कार्यकलाप में कौन-सा शामिल था ?
(a) राष्ट्रीय भावनाओं को जगाना तथा मजबूत करना ।
(b) भारतीय जनता को राष्ट्रवादी राजनीति की धारा में लाना।
(c) राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय माँगों का निरूपण करना।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- आरंभिक राष्ट्रवादी नेताओं का विश्वास था कि देश की राजनीतिक मुक्ति के लिए सीधी कार्यवाही व्यावहारिक नहीं है, इसीलिए उन्होंने एक कार्यसूची तैयार की, जिनमें शामिल तत्त्व इस प्रकार थे
  • राष्ट्रीय भावनाओं को जाग्रत करना तथा उन्हें मजबूती प्रदान करना।
  • बड़ी संख्या में भारतीय जनता को राष्ट्रवादी राजनीति की धारा में शामिल करना।
  • राजनीति और राजनीतिक आंदोलन हेतु उन्हें शिक्षित करना। देश में जनमत का संगठन करना।
  • राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय माँगों का निरूपण करना।
9. कांग्रेस के उदारवादी नेताओं की विधि थी
(a) असहयोग 
(b) संवैधानिक आंदोलन
(c) निष्क्रिय प्रतिरोध
(d) सविनय अवज्ञा
उत्तर - (b)
व्याख्या- कांग्रेस के उदारवादी नेताओं की विधि संवैधानिक आंदोलन की थी, क्योंकि वे अपनी मांगों को ब्रिटिश शासन के समक्ष नीतिगत और योजनाबद्ध तरीके से रखने के पक्षधर थे। 1885 ई. से 1892 ई. तक वे विधायी परिषदों के प्रसार और सुधार की माँग को लगातार उठाते रहे और उनके इस आंदोलन के दबाव स्वरूप ब्रिटिश सरकार को 1892 ई. में भारतीय परिषद् कानून लाना पड़ा था।
10. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारवादी नेताओं के संबंध में निम्न में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उन्होंने भारत से धन निकासी की आलोचना की।
(b) उन्होंने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार की वकालत की।
(c) उन्होंने जमींदारों द्वारा भारतीय ग्रामीण लोगों के शोषण के मुद्दे को नजरअंदाज किया।
(d) उन्होंने ब्रिटेन की शाही अर्थव्यवस्था में भारत द्वारा निभाई गई महत्त्वपूर्ण भूमिका को समझा।
उत्तर - (c)
व्याख्या- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारवादी नेताओं के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारवादी नेताओं ने जमींदारों द्वारा भारतीय ग्रामीण लोगों के शोषण के मुद्दे को भी उठाया था न कि उसे नजरअंदाज किया था।
उदारवादी नेताओं में प्रमुख दादाभाई नौरोजी ने धन निष्कासन के सिद्धांत का प्रतिपादन किया, क्योंकि उस समय भारत से धन का निर्गमन ब्रिटेन की ओर हो रहा था और उन्होंने इस धन के दोहन को रोकने की माँग की। साथ ही किसानों पर करों का बोझ कम करने के लिए उदारवादियों ने जमीन की मालगुजारी घटाने के संबंध में निरंतर आंदोलन को जारी रखा। उन्होंने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया और इन्हें न अपनाने की जनता से भी अपील की।
11. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. आरंभिक राष्ट्रवादियों का आरंभ से यह विश्वास था कि भारत में अंततः लोकतांत्रिक स्वशासन लागू होना चाहिए।
2. आरंभिक राष्ट्रवादियों के दबाव के कारण ही ब्रिटिश सरकार को 1892 में भारतीय कानून पास करना पड़ा।
3. राष्ट्रवादी 1892 के कानून से पूर्णत: संतुष्ट थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (3) असत्य है। ब्रिटिश सरकार द्वारा लाया गया 1892 का भारतीय परिषद् अधिनियम राष्ट्रवादियों को संतुष्ट करने में पूर्णतया असफल रहा, क्योंकि इस कानून के अंतर्गत शाही विधायी परिषद् तथा प्रांतीय परिषदों में संख्या को बढ़ाया गया। इनमें से कुछ सदस्यों को भारतीय अप्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुन सकते थे, परंतु बहुमत सरकारी सदस्यों का ही होता था। जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रवादियों ने परिषदों में भारतीय सदस्यों की संख्या बढ़ाने तथा उन्हें अधिक अधिकार दिए जाने की माँग उठाई और साथ ही उन्होंने सार्वजनिक धन पर भारतीयों के नियंत्रण की माँग की।
12. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. वर्ष 1905 तक भारत के राष्ट्रीय आंदोलन पर उन लोगों का वर्चस्व था, जिनको प्रायः नरमपंथी राष्ट्रवादी कहा जाता है।
2. नरमपंथी कानून की सीमा में रहकर संवैधानिक सुधारों के पक्षधर थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। 1885 से 1905 ई. तक के काल को भारतीय इतिहास में नरमपंथी राष्ट्रवाद के रूप में परिभाषित किया जाता है। अतः राष्ट्रीय आंदोलन का यह समय नरमपंथी राष्ट्रवादियों का था, क्योंकि इस समय की आंदोलन संबंधी गतिविधियों पर पूर्ण नियंत्रण और वर्चस्व नरमपंथी राष्ट्रवादियों का था।
नरमपंथी राष्ट्रवादी कानून की सीमा के अंतर्गत सांविधानिक आंदोलन और व्यवस्थित तरीके से राजनीतिक प्रगति पक्षधर थे। उनका विश्वास था कि यदि जनमत को उभारा और संगठित किया जाए और प्रार्थना पत्रों, सभाओं, प्रस्तावों तथा भाषणों के द्वारा अधिकारियों तक जनता की माँगों को पहुँचाया जाए, तो वे धीरे-धीरे एक-एक करके इन माँगों का पूरा करेंगे। -
13. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की 'ब्रिटिश समिति' की स्थापना कब की गई थी ? 
(a) 1886 ई. में
(b) 1889 ई. में 
(c) 1892 ई. में
(d) 1896 ई. में 
उत्तर - (b)
व्याख्या- 1889 ई. में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक 'ब्रिटिश समिति' की स्थापना गई थी। इस समिति ने 1890 ई. में 'इंडिया' नामक एक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया था। इस समिति का उद्देश्य ब्रिटेन में जनता के लिए भारतीय मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था, जिसके लिए भारत सरकार उत्तरदायी थी। इसके लिए दादाभाई नौरोजी और व्योमेश चंद्र बनर्जी ने इंग्लैंड में रहकर भारत के संदर्भ में हितकारी कानूनों के निर्माण के लिए कार्य किया।
14. वह कौन-सा कारण था, जिससे जनता को आभास हुआ कि सरकार व्यापक राजनीतिक अधिकार देने के बजाय उन्हें मिले थोड़े से अधिकार भी छीन रही है? 
(a) वर्ष 1898 में बना एक कानून जिसमें विदेशी शासन के प्रति असंतोष की भावना' फैलाने को अपराध घोषित किया गया।
(b) 1904 में बना इंडियन ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट |
(c) 1897 में लोकमान्य तिलक और दूसरे समाचार पत्र संपादकों को विदेशी सरकार के विरुद्ध जनता को भड़काने के आरोप में जेल की लंबी सजाएँ देना।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- उपर्युक्त वर्णित सभी परिस्थितियों ने एक उग्र वातावरण का विकास किया, जिसने राष्ट्रीय आंदोलन को तीव्रता प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1892 ई. और 1905 ई. के बीच घटित राजनीतिक घटनाओं ने राष्ट्रवादियों को उग्र राजनीति के बारे में सोचने के लिए बाध्य किया, जिनमें 1892 ई. का इंडियन कौंसिल एक्ट महत्त्वपूर्ण था।
इसके अतिरिक्त, 1898 में बनाया गया कानून, जिसके अंतर्गत कलकत्ता नगर निगम में भारतीयों की सदस्य संख्या को कम कर दिया गया, जिसने लोगों में विदेशी शासन के प्रति असंतोष की भावना को जाग्रत किया।
साथ ही वर्ष 1904 में इंडियन ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के द्वारा प्रेस की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया गया और 1897 ई. में नाटू भाइयों को बिना मुकदमा चलाए देश से बाहर जाने की सजा दे दी गई ।
15. निम्न में से किसका संबंध उग्र राष्ट्रवादी विचारधारा से था? 
(a) अश्विनी कुमार दत्त 
(b) विष्णुशास्त्री चिपलुंकर
(c) गोविंद रानाडे
(d) 'a' और 'b' दोनों
उत्तर - (d)
व्याख्या- उग्र राष्ट्रवाद की विचारधारा के समर्थक बंगाल में राजनारायण बोस और अश्विनी कुमार दत्त तथा महाराष्ट्र में विष्णु शास्त्री चिपलुंकर जैसे नेता थे। इस विचारधारा के सबसे प्रमुख अग्रदूत बाल गंगाधर तिलक थे।
उग्र राष्ट्रवादी विचारधारा के समर्थकों का विश्वास था कि ये अपनी मांगों को ब्रिटिशों के सामने क्रांतिकारी रूप से रखेंगे।
16. बाल गंगाधर तिलक के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. उन्होंने अंग्रेजी भाषा में 'मराठा' तथा मराठी भाषा में 'केसरी' नामक पत्रों का संपादन किया।
2. 1893 ई. में गणपति उत्सव तथा 1895 में शिवाजी महोत्सव का आयोजन आरंभ किया।
3. 1896-97 ई. में उन्होंने महाराष्ट्र में कर न चुकाने का आंदोलन चलाया।
4. 1899 ई. में उन्हें राजद्रोही लेखों के कारण 12 महीने की सजा हुई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 3 और 4
उत्तर - (c)
व्याख्या- बाल गंगाधर तिलक के संबंध में कथन (1), (2) और (3) सत्य हैं। उग्रवादी विचारधारा के व्यक्तित्व बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजी में 'मराठा' तथा मराठी भाषा 'केसरी' नामक पत्रों का प्रकाशन किया। इनके माध्यम से उन्होंने राष्ट्रवाद का प्रसार किया।
उन्होंने राष्ट्रवाद के प्रचार हेतु 1893 ई. में परंपरागत धार्मिक उत्सव (गणपति उत्सव) को प्रारंभ किया। साथ ही 1895 ई. में उन्होंने 'शिवाजी उत्सव को आरंभ किया, जिसका उद्देश्य महाराष्ट्रीय युवकों के अनुकरण हेतु राष्ट्रवाद की भावना को जाग्रत करना था।
1896-97 ई. में बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र में कर न चुकाने का अभियान चलाया था। साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र के अकाल पीड़ित किसा मालगुजारी न देने की अपील की थी।
कथन (4) असत्य है, क्योंकि बाल गंगाधर तिलक को सरकार के विरुद्ध घृणा और असंतोष भड़काने के आरोप में 1899 ई. में नहीं, बल्कि 1897 में 12 महीने की सजा के बजाय 18 महीने की सजा सुनाई गई थी।
17. उग्र राष्ट्रवादियों के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) विपिनचंद्र पाल, अरविंद घोष और लाला लाजपत राय आदि प्रमुख उग्र राष्ट्रवादी नेता थे।
(b) उनका मत था कि भारतीयों को मुक्ति स्वयं अपने प्रयासों से ही प्राप्त होगी।
(c) उनका मानना था कि भारत अंग्रेजों के 'कृपापूर्ण मार्गदर्शन' और नियंत्रण में प्रगति कर सकता है।
(d) उनका मानना था कि स्वराज या स्वाधीनता ही राष्ट्रीय आंदोलन का लक्ष्य है।
उत्तर - (c)
व्याख्या- उग्र राष्ट्रवादियों के संबंध में कथन (c) असत्य है। उग्र राष्ट्रवादियों का यह मानना था कि भारत अंग्रेजों के 'कृपापूर्ण मार्गदर्शन' और 'नियंत्रण' में प्रगति नहीं कर सकता, वे विदेशी शासन के विरुद्ध थे और उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन का एकमात्र लक्ष्य स्वराज या स्वाधीनता को माना था।
18. उग्र राष्ट्रवाद के विकास के प्रमुख कारणों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) नरमपंथियों के नेतृत्व में पहले के विरोधी आंदोलन का कोई विशेष परिणाम न निकलना।
(b) बंगाल में हिंदुओं तथा मुसलमानों में फूट डालने का प्रयत्न ।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- उग्र राष्ट्रवाद के विकास के प्रमुख कारणों के संबंध में कथन (a ) और (b) दोनों सत्य है। बंगाल विभाजन विरोधी आंदोलन का कोई परिणाम न निकल पाने के कारण जल्द ही यह आंदोलन तिलक, विपिनचंद्र पाल और अरविंद घोष जैसे उग्र राष्ट्रवादियों के हाथों में पहुँच गया, जिसके निम्न कारण थे
  • नरमपंथियों के नेतृत्व में पूर्व के आंदोलनों का कोई भी सार्थक परिणाम न निकल पाना।
  • बंगाल के दोनों भागों, विशेषकर पूर्वी बंगाल की सरकार द्वारा हिंदू-मुस्लिमों के बीच वैमनस्य की भावना का विकास किए जाने का प्रयत्न करना ।
19. वर्ष 1905 के कांग्रेस के बनारस अधिवेशन के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है? 
(a) इस अधिवेशन की अध्यक्षता गोपाल कृष्ण गोखले ने की थी।
(b) इस अधिवेशन में स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन का विरोध किया गया।
(c) इस अधिवेशन में गरमपंथी स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन को बंगाल तक सीमित रखने के पक्षधर थे।
(d) ‘b’ और ‘c' दोनों
उत्तर - (d)
व्याख्या- 1905 के कांग्रेस के बनारस अधिवेशन के संबंध में कथन (b) और (c) असत्य हैं।
वर्ष 1905 के बनारस अधिवेशन की अध्यक्षता गोपाल कृष्ण गोखले ने की थी और बंगाल विभाजन तथा कर्जन के प्रतिक्रियावादी शासन की इस अधिवेशन में निंदा भी की गई थी। इस अधिवेशन में स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन का समर्थन किया गया था।
नरमपंथी तथा गरमपंथी राष्ट्रवादियों के बीच इस मुद्दे पर सार्वजनिक बहस भी हुई थी। गरमपंथी इस आंदोलन को बंगाल बाहर देशभर में फैलाने के पक्षधर थे तथा औपनिवेशिक सरकार के साथ किसी रूप में भी जुड़ना नहीं चाहते थे, जबकि नरमपंथी इस आंदोलन को केवल बंगाल तक सीमित रखना चाहते थे।
20. कांग्रेस में पहली बार विभाजन किस अधिवेशन में हुआ था ?
(a) 1905 के बनारस अधिवेशन में
(b) 1907 के सूरत अधिवेशन में
(c) 1896 के कलकत्ता अधिवेशन में
(d) 1916 के लखनऊ अधिवेशन में
उत्तर - (b)
व्याख्या- कांग्रेस में पहली बार विभाजन 1907 में सूरत अधिवेशन के दौरान हुआ था, जब नरम दल और गरम दल में संघर्ष हुआ था, इस अधिवेशन की अध्यक्षता रासबिहारी बोस ने की थी। इस अधिवेशन के पश्चात् कांग्रेस पर पूर्णतया नरमदल का अधिकार हो गया था और गरम दल कांग्रेस से अलग होकर सक्रिय रूप से कार्य करता रहा। नौ वर्षों के बाद 1916 के लखनऊ अधिवेशन में दोनों पक्षों का पुनः एकीकरण हुआ था, लखनऊ अधिवेशन (1916) की अध्यक्षता अम्बिकाचरण मजूमदार ने की थी।

स्वदेशी आंदोलन

1. आरंभ में बंग-भंग विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किसके हाथ में था? 
(a) सुरेंद्रनाथ बनर्जी
(b) रवींद्रनाथ टैगोर 
(c) अरविंद घोष
(d) बी. जी. तिलक 
उत्तर - (a)
व्याख्या- आरंभ में बंग भंग विरोधी आंदोलन के प्रमुख नेता सुरेंद्रनाथ बनर्जी और कृष्ण कुमार मित्र जैसे नरमपंथी नेता थे, परंतु बाद में इस आंदोलन का नेतृत्व उग्र और क्रांतिकारी राष्ट्रवादियों ने सँभाल लिया। आरंभ में बंग-भंग विरोधी आंदोलन से प्रेरित स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन बंगाल के संपूर्ण राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रयासों के कारण था, न कि आंदोलन के किसी एक भाग के आरंभ में।
2. बंग-भंग विरोधी आंदोलन के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) बंगाल विभाजन 16 अक्टूबर, 1905 को लागू हुआ।
(b) बंगाल विभाजन के दिन को पूरे बंगाल में शोक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
(c) इस आंदोलन के समय ही रवींद्रनाथ ठाकुर ने अपना प्रसिद्ध गीत 'आमार सोनार बांग्ला' लिखा।
(d) इस आंदोलन ने हिंदुओं तथा मुसलमानों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा दिया।
उत्तर - (d)
व्याख्या- बंग-भंग विरोधी आंदोलन के संबंध में कथन (d) असत्य है, क्योंकि बंग-भंग विरोधी आंदोलन ने हिंदुओं तथा मुसलमानों के बीच वैमनस्य की भावना को बढ़ावा नहीं दिया, बल्कि इस आंदोलन ने बंगाल और बंगालियों की अटूट एकता के प्रतीक के रूप में - मुसलमानों के बीच के भाव को और अधिक सुदृढ़ किया और दोनों धर्मों के लोगों ने एक-दूसरे की कलाइयों पर राखियाँ बाँधकर अपनी भावना को दर्शाया।
3. 'वंदे मातरम्' का प्रथम बार व्यापक स्तर पर प्रयोग किस आंदोलन के दौरान किया गया था? 
(a) बंग-भंग विरोधी आंदोलन 
(b) होमरूल आंदोलन
(c) असहयोग आंदोलन
(d) सविनय अवज्ञा आंदोलन
उत्तर - (a)
व्याख्या- 'वंदे मातरम्' का प्रथम बार व्यापक स्तर पर प्रयोग बंग-भंग विरोधी आंदोलन के दौरान किया गया था। इस आंदोलन के दौरान कलकत्ता की सड़कों पर वंदे मातरम् की गूँज ने आंदोलन को एक नई दिशा प्रदान की और यह गीत रातों-रात बंगाल का राष्ट्रीय गीत बन गया, इस गीत को बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था।
4. स्वदेशी और बहिष्कार पहली बार किस घटना के दौरान संघर्ष की विधि के रूप में अपनाए गए थे?
(a) बंगाल विभाजन
(b) होमरूल आंदोलन
(c) असहयोग आंदोलन
(d) साइमन कमीशन की भारत यात्रा
उत्तर - (a)
व्याख्या- स्वदेशी और बहिष्कार पहली बार बंगाल विभाजन के संघर्ष की विधि के रूप में अपनाए गए। बंगाल के नेताओं को जब यह अनुभव हुआ कि केवल प्रदर्शनों, सार्वजनिक सभाओं और प्रस्तावों के माध्यम से ब्रिटिश सरकार बंगाल विभाजन को वापस नहीं लेने वाली है, तो विरोधस्वरूप उन लोगों ने बंग-भंग विरोधी आंदोलन को नई दिशा प्रदान करने हेतु स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन को मुख्य रूप से प्रारंभ कर दिया।
5. स्वदेशी आंदोलन के परिणामस्वरूप क्या परिवर्तन हुए?
(a) अनेक कपड़ा मिलें, साबुन और माचिस के कारखानें, हैंडलूम के उद्यम तथा राष्ट्रीय बैंक और बीमा कंपनियाँ खुलीं ।
(b) राष्ट्रवादी काव्य, गद्य और पत्रकारिता का विकास हुआ।
(c) 15 अगस्त, 1906 को एक राष्ट्रीय शिक्षा परिषद् की स्थापना की गई।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- स्वदेशी आंदोलन के परिणामस्वरूप निम्नलिखित परिवर्तन हुए स्वदेशी आंदोलन का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष आत्मनिर्भरता या आत्मशक्ति पर दिया जाने वाला बल था। आर्थिक क्षेत्र में इसका अर्थ देशी उद्योगों व अन्य उद्यमों को बढ़ावा देना था। इस आंदोलन के दौरान अनेक कपड़ा मिलें, साबुन और माचिस के कारखाने, हैंडलूम के उद्यम, राष्ट्रीय बैंक और बीमा कंपनियाँ खोली गईं। राष्ट्रवादी काव्य, गद्य और पत्रकारिता का विकास हुआ, जिनमें रवींद्रनाथ ठाकुर, रजनीकांत सेन, सैयद अबू मुहम्मद और मुकुंद दास आदि ने देशभक्ति से ओत-प्रोत गीतों की रचना की।
इसी दौरान शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति हेतु 15 अगस्त, 1906 में एक राष्ट्रीय शिक्षा परिषद् की स्थापना की गई और कलकत्ता में एक राष्ट्रीय कॉलेज का आरंभ हुआ, जिसके प्रधानाचार्य अरविंद घोष थे।
6. स्वदेशी आंदोलन के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. इस आंदोलन में बंगाल के छात्रों ने प्रमुख भूमिका निभाई।
2. इस आंदोलन में महिलाएँ शामिल नहीं थीं।
3. मुस्लिमों ने इस आंदोलन से दूरी बनाए रखी।
4. इस आंदोलन में जमींदारों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- स्वदेशी आंदोलन के संबंध में कथन (2) और (3) असत्य हैं। स्वदेशी आंदोलन में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी एक महत्त्वपूर्ण पहलू था। शहरी मध्य वर्ग की महिलाएँ जुलूसों और धरनों में शामिल हुईं और इसके बाद से उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन में निरंतर अपनी भूमिका का निर्वहन किया।
इस आंदोलन में अनेक प्रमुख मुस्लिम नागरिकों ने भी शिरकत की, जिसमें प्रसिद्ध वकील अब्दुर्रसूल, लोकप्रिय आंदोलनकारी लियाकत अली और व्यापारी गजनवी प्रमुख थे। इसके बावजूद अनेक मुसलमान अपना हित चाहते हुए आंदोलन में शामिल नहीं हुए।
7. बंगाल 1905 ई. में विभाजित हुआ, जिसके विरोध के फलस्वरूप यह दुबारा एकीकृत हुआ
(a) वर्ष 1906 में 
(b) वर्ष 1916 में
(c) वर्ष 1911 में
(d) वर्ष 1909 में
उत्तर - (c)
व्याख्या- वर्ष 1911 में ब्रिटिश शासक जॉर्ज पंचम तथा महारानी मैरी के भारत आगमन पर दिल्ली में दरबार आयोजित हुआ। इस दरबार में बंगाल विभाजन की प्रक्रिया को रखकर पुनः बंगाल को एकीकृत करने की घोषणा की गई।

क्रांतिकारी आंदोलन : प्रथम चरण

1. निम्न में से किस संगठन की स्थापना वी. डी. सावरकर द्वारा की गई थी? 
(a) युगांतर भारत
(b) अनुशीलन समिति
(c) हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन
(d) अभिनव भारतं 
उत्तर - (d)
व्याख्या- 1904 ई. में विनायक दामोदर सावरकर ने 'अभिनव भारत नामक क्रांतिकारियों के एक गुप्त संगठन की स्थापना की थी। इसे प्रारंभ में 'मित्र मेला' के रूप में नासिक में स्थापित किया गया था, जब वी. डी सावरकर छात्र थे।
2. निम्न में से कौन-सा/से क्रांतिकारी समाचार पत्र है /हैं?
(a) काल
(b) संध्या 
(c) युगांतर
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- 1905 ई. के बाद अनेक समाचार पत्रों ने क्रांतिकारी आंदोलन को एक नई भूमिका प्रदान की। इनमें बंगाल में 'संध्या' और 'युगांतर' तथा महाराष्ट्र के 'काल' समाचार पत्र प्रमुख थे।
'संध्या' समाचार पत्र वर्ष 1906 में को ब्रह्मबांधव उपाध्याय द्वारा, युगांतर समाचार पत्र को वर्ष 1916 में बारींद्र कुमार घोष द्वारा और 'काल' पत्र को वर्ष 1898 में शिवराम महादेव परांजपे के द्वारा प्रकाशित किया गया था।
3. निम्न में से कौन मुजफ्फरपुर बम कांड से संबंधित था?
(a) खुदीराम बोस
(b) प्रफुल्लचंद चाकी 
(c) रास बिहारी बोस
(d) 'a' और 'b' दोनों
उत्तर - (d)
व्याख्या- खुदीराम बोस तथा प्रफुल्ल चाकी ने मुजफ्फरपुर में जज किंग्सफोर्ड की बग्घी पर बम फेंका था, जिसे मुजफ्फरपुर बम कांड (1908) के नाम से जाना जाता है।
हालाँकि इस घटनाक्रम के पश्चात् प्रफुल्ल चाकी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए खुद को गोली मार ली तथा खुदीराम बोस पर मुकदमा चलाया गया और अंतत: उन्हें भी फाँसी दे दी गई। इस घटना के बाद भारतीय इतिहास में क्रांतिकारी आतंकवाद का आंदोलन आरंभ हो चुका था।

मुस्लिम लीग

1. मुस्लिम लीग की स्थापना के समय ब्रिटिश वायसराय कौन था ?
(a) लॉर्ड मिंटो
(b) लॉर्ड कर्जन
(c) लॉर्ड इरविन
(d) लॉर्ड चेम्सफोर्ड
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुस्लिम लीग की स्थापना के समय 1906 ई. में ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड मिंटो II था। इसकी स्थापना का श्रेय आगा खाँ और ढाका के नवाब सलीमुल्लाह को जाता है।
मुस्लिम लीग की स्थापना से संबंधित एक संप्रदाय, जिसकी अगुवाई आगा खाँ कर रहे थे, तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मिंटो से शिमला में मिला था और उसके पश्चात् मुस्लिम लीग एक दल के रूप में स्थापित हुई।
2. निम्नलिखित में किसने ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना की थी ? 
(a) सर सैयद अहमद खाँ
(b) मोहम्मद इकबाल
(c) आगा खान
(d) नवाब सलीमुल्लाह खान
उत्तर - (d)
व्याख्या- वर्ष 1906 में नवाब सलीमुल्लाह खान के नेतृत्व में ढाका में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना हुई। शिक्षित मुसलमानों और बड़े मुस्लिम नवाबों के बीच अलगाववादी प्रवृत्तियों का विकास हुआ।
3. मुस्लिम लीग का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
(a) भारत के मुसलमानों में ब्रिटिश सरकार के प्रति वफादारी की भावना जगाना।
(b) भारतीय मुसलमानों के राजनीतिक अधिकारों और हितों की रक्षा की घोषणा करना ।
(c) लीग के दूसरे उद्देश्यों पर अडिग रहते हुए दूसरे समुदायों के प्रति किसी प्रकार के विरोध की भावना को रोकना।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- अंग्रेजों की 'फूट डालो और राज करो' नीति का एकमात्र उद्देश्य हिंदुओं और मुसलमानों को पृथक् करना था और अंग्रेज, मुस्लिम लींग की स्थापना होने के पश्चात् अपनी इस नीति में कामयाब भी हो गए। मुस्लिमों का एक उच्च वर्गीय समुदाय अंग्रेजों के पक्ष में था, जिसके प्रतिनिधिमंडल ने ब्रिटिश वायसराय से मिलकर एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें निम्न बातें शामिल थीं
  • मुस्लिम लीग का लक्ष्य ब्रिटिश सरकार के प्रति वफादारी कायम रखने का होगा।
  • मुस्लिमों के हितों की रक्षा करना और उसमें वृद्धि करना।
  • भारत के अन्य समुदायों के प्रति मुसलमानों में शत्रुता की भावना को पनपने नहीं देना।
4. 'अल हिलाल' नामक समाचार पत्र का संपादन किसके द्वारा किया गया था? 
(a) हसरत मोहानी
(b) सर सैयद अहमद खाँ
(c) अबुल कलाम आजाद
(d) मुहम्मद अली जिन्ना
उत्तर - (c)
व्याख्या- 'अल हिलाल' नामक समाचार पत्र का संपादन 1912 ई. में मौलाना अबुल कलाम आजाद ने महज 24 वर्ष की अवस्था में किया था। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान राष्ट्रवादी भावनाएँ पारंपरिक मुसलमान उलेमाओं के एक भाग के रूप में भी उभर रही थी। इनका नेतृत्व मदरसा देवबंद करता था। इन विद्वानों में सबसे प्रमुख मौलाना अबुल कलाम आजाद थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपनी सक्रिय भागीदारी को मजबूती के साथ निभाया था।
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Sat, 10 Feb 2024 09:30:43 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | 1857 का विद्रोह https://m.jaankarirakho.com/883 https://m.jaankarirakho.com/883 NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | 1857 का विद्रोह

विद्रोह का कारण

1. 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण क्या था?
(a) गाय और सुअर की चर्बी लगे कारतूसों का प्रयोग
(b) भारतीय सैनिकों को तिलक लगाने से मना करना
(c) भारतीयों को समुद्र पार दूसरे देशों में भेजना
(d) भारतीय सैनिकों की कंपनी की सेना से छँटनी
उत्तर - (a)
व्याख्या- 1857 के विद्रोह के तात्कालिक कारणों में कथन (1) सत्य है । वर्ष 1856 में ब्रिटिश सेना द्वारा पुरानी ब्राउन बैस के स्थान पर नई इनफील्ड राइफल को लाया गया था, इसमें कारतूस को भरने के लिए कारतूस पर लगे केवर को दाँत से कॉटना पड़ता था।
इन कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी का प्रयोग किए जाने की खबर फैल गई, जिसका परिणाम यह हुआ कि भारतीय सिपाहियों (हिंदू और मुस्लिम) ने विद्रोह कर दिया।
29 मार्च, 1857 को मंगल पांडे नामक एक सैनिक ने बैरकपुर में गाय की चर्बी "मिले कारतूसों को मुँह से काटने से स्पष्ट मना कर दिया था।
2. डलहौजी के कुछ उपायों ने भारत में गंभीर असंतोष उत्पन्न किया, जो 1857 के विद्रोह के लिए उत्तरदायी थे | निम्न में से कौन-सा एक उपाय उनमें से नहीं था ?
(a) हड़प नीति का सिद्धांत
(b) धर्म और जाति संबंधी नुकसान का डर
(c) कई शासकों के खिताब और पेंशन का उन्मूलन
(d) शैक्षिक सुधार
उत्तर -  (d)
व्याख्या- डलहौजी द्वारा किए गए कुछ उपायों ने भारतीयों में गंभीर असंतोष की स्थिति को उत्पन्न कर दिया, जिसने 1857 के विद्रोह को प्रारंभ करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन इन सभी कारणों में शैक्षिक सुधार शामिल नहीं था।
डलहौजी द्वारा हड़प नीति का सिद्धांत, जिसने कई राजाओं से उनके राज्यों को छीन लिया, कई शासकों की पेंशन का उन्मूलन किया गया, जिससे उन शासकों में ब्रिटिशों के विरुद्ध असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो गई और साथ ही धर्म और जाति के प्रति ब्रिटिशों के व्यवहार ने 1857 की पृष्ठभूमि को तैयार किया। 
3. ........... को बंगाल की सेना की नर्सरी कहा जाता था। 
(a) अवध
(b) बॉम्बे
(c) आगरा
(d) पंजाब
उत्तर - (a)
व्याख्या- अवध को 'बंगाल आर्मी की पौधशाला' अर्थात् बंगाल की सेना की नर्सरी कहा जाता था, क्योंकि बंगाल आर्मी के सिपाहियों में से बहुत सारे अवध और पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाँवों से भर्ती होकर आए थे। इनमें से अधिकांश ब्राह्मण जाति के थे।
4. 1857 के विद्रोह के लिए निम्न में से कौन-सा सैन्य कारण जिम्मेदार था ?
(a) भारतीय और ब्रिटिश सैनिकों के मध्य वेतन और पेंशन संबंधी मुद्दे
(b) हड़प नीति का सिद्धांत
(c) जॉन लॉरेंस की गैर-हस्तक्षेप नीति
(d) इनाम आयोग की स्थापना
उत्तर - (a)
व्याख्या- 1857 के विद्रोह के संबंध में भारतीय और ब्रिटिश सैनिकों के बीच होने वाला भेदभाव, जिसमें वेतन और पेंशन संबंधी मुद्दे शामिल थे, विद्रोह का एक मुख्य कारण था। ब्रिटिश फौज में भारतीय सिपाहियों के लिए पदोन्नति सहित वेतन और पेंशन संबंधी समस्याएँ भी प्रबल थीं, क्योंकि सेना के सभी उच्च पद यूरोपीय सैनिकों के लिए सुरक्षित किए गए थे।
5. 1857 के विद्रोह के कारणों के बारे में निम्न कथनों पर विचार करें
1. निःसंतान राजाओं की बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया की समाप्ति।
2. भारतीय प्रजा को नीचा दिखाने की ब्रिटिश नीति .
3. अंग्रेजी और भारतीय सैनिकों के बीच भेदभाव
4. सामाजिक सुधार और ईसाई धर्म में परिवर्तन
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 3 और 4
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- 1857 के विद्रोह के कारणों के विषय में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। 1857 में हुए विद्रोह के लिए अनेक कारण उत्तरदायी रहे हैं, जिनमें मुख्य था अंग्रेजों द्वारा दत्तक पुत्र या राजा द्वारा गोद लेने की प्रथा को समाप्त करना था, जिसने संबंधित भारतीय राजाओं को अंग्रेजों के नीतियों के विरुद्ध कर दिया।
ब्रिटिशों द्वारा भारतीयों को अपने नए नियमों या अन्य कारणों से नीचा दिखाना भी एक प्रमुख कारण था, जिससे भारतीय अंग्रेजों के विरुद्ध हुए और उनकी नीति से क्षुब्ध हुए।
भारतीय सैनिकों और अंग्रेज सैनिकों के बीच होने वाले भेदभाव ने क्रांति का • मार्ग प्रशस्त किया और साथ ही तत्कालीन समाज में व्याप्त अनेक प्रकार की रीतियों अंग्रेजों ने समाप्त कर दिया अथवा उनमें परिवर्तन कर दिए गए। को इसके अतिरिक्त अंग्रेज ईसाई मिशनरी द्वारा समाज के निचले तबके के लोगों का धर्म परिवर्तन कराने से भी विद्रोह को बल मिला।
6. 1857 के विद्रोह के विषय में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) यह राजाओं, नवाबों और तालुकेदारों द्वारा सावधानीपूर्वक संगठित और नियोजित विद्रोह था।
(b) अफवाहों और भविष्यवाणियों ने इसके विस्तृत होने में कोई भूमिका नहीं निभाई।
(c) 1857 में विद्रोही उद्घोषणाओं ने आबादी के सभी वर्गों को उनकी जाति एवं पंथ के बावजूद बार-बार अपील की।
(d) अंग्रेज विद्रोहियों को शीघ्रतापूर्वक एवं आसानी से नियंत्रित करने में सफल रहे।
उत्तर - (a)
व्याख्या- 1857 के विद्रोह के विषय में कथन (a) सत्य है। 1857 का विद्रोह राजाओं, नवाबों और तालुकेदारों द्वारा सावधानीपूर्वक संगठित और नियोजित विद्रोह था, क्योंकि ब्रिटिशों की दोषपूर्ण नीतियों ने सबसे अधिक •प्रभाव इन्हीं पर डाला था। अवध के अधिग्रहण के पश्चात् संबंधित परिवारों पर बुरा प्रभाव पड़ा। अंग्रेजों द्वारा तालुकेदारों तथा जमींदारों की जमीनें जब्त कर लेने से वे सपत्तिहीन बन गए और अपनी खोई हुई जमीन तथा प्रतिष्ठा की प्राप्ति ने 1857 की क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया।
7. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित पहली घटना थी
(a) नाना साहब के नेतृत्व में कानपुर का विद्रोह
(b) बेगम हजरत महल के द्वारा अवध का नेतृत्व
(c) सिपाहियों का दिल्ली के लाल किले तक मार्च
(d) झाँसी की रानी का विद्रोह
उत्तर - (c)
व्याख्या- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित पहली घटना सिपाहियों का दिल्ली के लाल किले तक मार्च निकालना था। सिपाहियों की टोली मेरठ से पैदल चलकर 10 मई, 1857 को दिल्ली पहुँचकर मुगल बादशाह से मिलना चाहती थी, लेकिन जैसे ही अन्य टुकड़ियों को इस बात का पता चला, तो अन्य टुकड़ियों ने भी बगावत कर दी।
8. 1857 के विद्रोह का आरंभ कहाँ से हुआ था?
(a) फैजाबाद 
(b) कानपुर
(c) मेरठ
(d) झाँसी
उत्तर - (c)
व्याख्या- 1857 के विद्रोह का आरंभ 10 मई, 1857 को मेरठ से हुआ था। उसके पश्चात् यह तेजी से पूरे उत्तर भारत में फैलने लगा। जल्द ही उत्तर में पंजाब से लेकर दक्षिण में नर्मदा तक तथा पूर्व में बिहार से लेकर पश्चिम में राजस्थान तक एक विस्तृत भू-भाग इस विद्रोह की चपेट में आ गया।
9. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. मंगल पांडे ने बलिया में विद्रोह किया था।
2. उन्हें 9 मई, 1857 को फाँसी दे दी गई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन असत्य हैं। मंगल पांडे ने बलिया में नहीं, बल्कि बैरकपुर (पश्चिमी बंगाल) में विद्रोह किया था। मंगल पांडे को विद्रोह करने तथा अपने अधिकारियों पर हमला करने के कारण 8 अप्रैल, 1857 को फाँसी दे दी गई थी।
10. 12 मई, 1857 को मेरठ के विद्रोही सैनिकों ने दिल्ली के लाल किले पर धावा बोलकर किसे भारत का सम्राट घोषित किया?
(a) शाहआलम द्वितीय 
(b) बहादुरशाह जफर
(c) बख्तखान
(d) अकबर द्वितीय
उत्तर - (b)
व्याख्या- 12 मई, 1857 को मेरठ के विद्रोही सैनिकों ने दिल्ली के लाल किले पर धावा बोलकर अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर को भारत का सम्राट घोषित किया और फिर सैनिकों ने उसी के नेतृत्व में युद्ध को जारी रखने का संकल्प किया।
11. बहादुरशाह जफर के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) उन्हें 1857 ई. में बंदी बना लिया गया था।
(b) उन पर मुकदमा चलाया गया और उन्हें भूटान निर्वासित कर दिया गया।
(c) उनकी मृत्यु 1865 ई. में हुई।
(d) उनके बड़े बेटे को उनका उत्तराधिकारी घोषित किया गया।
उत्तर - (a)
व्याख्या- बहादुरशाह जफर के संबंध में कथन (a ) सत्य है । बहादुरशाह जफर को 1857 ई. में अंग्रेजों द्वारा बंदी बना लिया गया तथा सितंबर, 1857 में अंग्रेजों द्वारा दिल्ली पर अधिकार कर लिया। इस विद्रोह को एक साल के अंदर ही दबा दिया गया। 1862 ई. में बहादुरशाह की मृत्यु अंग्रेजों द्वारा उस पर अभियोग चलाकर रंगून (बर्मा) निर्वासित करने के दौरान हुई थी ।
12. दिल्ली में प्रतीक के रूप में नेता बहादुरशाह जफर थे, किंतु वास्तविक नियंत्रण एक सैनिक समिति के हाथ में था। इस समिति का प्रमुख था
(a) सिकंदर हयात खाँ
(b) जफर खाँ 
(c) जनरल बख्त खाँ
(d) मौलवी अहमद उल्लाह
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिल्ली में प्रतीक के रूप में विद्रोह का नेता बहादुरशाह जफर था, लेकिन वास्तविक नियंत्रण एक सैनिक समिति के हाथों में था, जिसका प्रमुख जनरल बख्त खाँ था। इन्होंने ही बरेली के सैनिकों का नेतृत्व किया था और इन्हें दिल्ली ले आए थे। 1857 के विद्रोह के प्रमुख केंद्र दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, बरेली, झाँसी तथा आरा (बिहार) थे।
13. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. 1857 के विद्रोह की शक्ति हिंदू-मुस्लिम एकता में निहित थी।
2. सभी विद्रोहियों ने बहादुरशाह को भारत का सम्राट मानने से इंकार कर दिया था। 
3. 1857 के विद्रोह के प्रमुख केंद्र दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, झाँसी आदि थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 आर 3
(c) 1 और 3
(d) ये सभी
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं। 1857 की क्रांति का मूल हिंदू-मुस्लिम एकता थी, क्योंकि विद्रोह के तात्कालिक कारण ने दोनों समुदायों की धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाई थी, जिसके परिणामस्वरूप दोनों समुदायों के सैनिकों ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया था। 1857 के विद्रोह के प्रमुख केंद्र - दिल्ली, कानपुर, बरेली, लखनऊ, झाँसी, आरा (बिहार) आदि थे।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि विद्रोहियों ने ही मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर को भारत का सम्राट माना था।
14. 1857 के विद्रोह के नेताओं के बारे में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. तात्या टोपे, नाना साहब का विश्वसनीय सेवक था।
2. बरेली में खान बहादुर खान ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का नेतृत्व किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- 1857 के विद्रोह के नेताओं के विषय में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। तात्या टोपे, नाना साहब का एक विश्वसनीय सेवक था, जिसने अपनी सैन्य टुकड़ी के साथ नाना साहब की ओर से विद्रोह में मुख्य भूमिका निभाई थी। नाना साहब कानपुर में विद्रोह के नेता थे, तो वहीं बरेली में 1857 के विद्रोह का नेतृत्व खान बहादुर खान ने किया था।
15. शाहमल उन नेताओं में से एक थे, जिन्होंने 1857 के विद्रोह में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। निम्न में से कौन-सा कथन उनके संदर्भ में असत्य है? 
1. शाहमल ने 84 देश के जमींदारों और काश्तकारों को लामबंद किया।
2. उसने एक अंग्रेज अधिकारी के आवास पर अधिकार करके उसे 'न्याय के हॉल में बदल दिया।
3. जुलाई, 1860 में वह युद्ध में मारा गया।
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) ये सभी
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (3) असत्य है, क्योंकि शाहमल की मृत्यु जुलाई, 1857 के युद्ध (1857 का विद्रोह) के दौरान हुई थी, न कि 1860 ई. में। शाहमल उत्तर प्रदेश के बड़ौत परगना के एक बड़े गाँव के जाट कुटुंब परिवार से संबंधित थे। इनका परगना चौरासी देस (चौरासी गाँव) में फैला था।
16. निम्न कथनों में से कौन-सा असत्य है?
(a) 1857 के विद्रोह के दौरान अंग्रेजों ने सर्वप्रथम कानपुर पर अधिकार किया।
(b) अंग्रेजों ने 20 सितंबर, 1857 को दिल्ली पर अधिकार कर सम्राट बहादुरशाह को बंदी बना लिया।
(c) दिल्ली के पतन के बाद विद्रोह का केंद्र बिंदु नष्ट हो गया।
(d) 1859 ई. के अंत तक भारत पर ब्रिटिश सत्ता पूरी तरह पुनर्स्थापित हो चुकी थी।
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (a) असत्य है। 1857 के विद्रोह के दौरान अंग्रेजों ने सर्वप्रथम दिल्ली पर अधिकार किया और 20 सितंबर, 1857 को सम्राट बहादुरशाह को बंदी बनाकर उस पर अभियोग की प्रक्रिया के अंतर्गत उसे रंगून (बर्मा) भेज दिया। 1859 ई. के अंत तक अंग्रेजों ने विद्रोह को पूरी तरह दबा दिया था और भारत में ब्रिटिश सत्ता को पुनर्स्थापित कर दिया था।
17. 1857 के विद्रोह के संबंध में विचार कीजिए
1. यह विद्रोह बहुत व्यापक क्षेत्र में फैला और इसे जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त था, फिर भी यह पूरे देश को या भारतीय समाज के सभी अंगों तथा वर्गों को अपने विद्रोह में नहीं ले सका।
2. ग्वालियर के सिंधिया, इंदौर के होल्कर, हैदराबाद के निजाम आदि शासकों ने विद्रोह को व्यापक रूप से अपना समर्थन प्रदान किया था। 
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- 1857 के विद्रोह के संबंध में कथन (1) सत्य है।
1857 का विद्रोह व्यापक क्षेत्र में फैला था और इसे जन समर्थन भी प्राप्त था, लेकिन यह विद्रोह भारतीय समाज के सभी अंगों और वर्गों को विद्रोह में शामिल नहीं कर पाया। यह दक्षिण तथा पूर्वी और पश्चिमी भारत के अधिकांश भागों में नहीं फैल सका, क्योंकि इस क्षेत्र में पहले से ही अनेक विद्रोह हो चुके थे।
कथा (2) असत्य है, क्योंकि ग्वालियर के सिंधिया, इंदौर के होल्कर, हैदराबाद के निजाम, जोधपुर के राजा सहित अनेक सिख और राजपूत शासकों ने विद्रोह को अपना समर्थन न देंकर विद्रोह को कुचलने में अंग्रेजों की सहायता की थी।
18. 1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेजों द्वारा क्रूर दमन के दौरान निम्न नेताओं में से कौन नेपाल भागने में सफल रहे थे?
1. तात्याँ टोपे 
2. बेगम हजरत महल
3. कुँवर सिंह
4. नाना साहब
कूट
(a) 1 और 3
(b) 2 और 4
(c) 3 और 4
(d) ये सभी
उत्तर - (b)
व्याख्या- 1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेजों द्वारा क्रूर दमन के दौरान बेगम हजरत महल और नाना साहब नेपाल की ओर कूच करने में सफल रहे थे। 1859 ई. के आरंभ में नाना साहब कानपुर में हुई अपनी हार को स्वीकार न करते हुए नेपाल की ओर चले गए, जहाँ से उनका कोई पता न चला और अन्य नेताओं की मृत्यु के पश्चात् मजबूर होकर बेगम हजरत महल भी नेपाल में जा छिपी थी।
19. 1857 के विद्रोह के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) सभी नेताओं ने एक दूसरे के साथ सहज ढंग से समन्वय स्थापित किया।
(b) रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु 1857 ई. में हुई थी।
(c) कुँवर सिंह को उसके एक दोस्त ने धोखा देकर अंग्रेजों के हाथों फाँसी दिलवा दी।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- 1857 के विद्रोह के संबंध में कोई भी कथन सत्य नहीं हैं।
1857 के विद्रोह को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय नेतृत्व प्रदान किया गया, जहाँ उनके बीच किसी भी प्रकार का समन्वय नहीं था। सभी नेतृत्वकर्ता क्षेत्र विशेष में अपने-अपने तरीके से विद्रोह को नेतृत्व प्रदान कर रहे थे।
रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु जून, 1858 में हुई थी, न कि 1857 में। ये झाँसी की रानी थीं और इन्होंने साहसपूर्वक अंग्रेजों का विरोध किया। कुँवर सिंह को नहीं, बल्कि तात्या टोपे को उसके एक मित्र के विश्वासघात के कारण अंग्रेजों ने फाँसी की सजा दी थी।
20. निम्न से कौन 1857 के विद्रोह की सबसे महत्त्वपूर्ण कमजोरी थी ?
(a) विद्रोही सिपाहियों में अनुशासन का अभाव 
(b) विद्रोहियों में समन्वय और संगठन की कमी 
(c) कुशल नेतृत्व का अभाव 
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- 1857 के विद्रोह ने अपने प्रारंभिक चरणों में ब्रिटिश सत्ता की नींव को हिला दिया था, लेकिन धीरे-धीरे इस विद्रोह में व्याप्त कमजोरियों ने विद्रोह की दिशा बदल दी, जिसमें शामिल हैं विद्रोही सिपाहियों में अनुशासन का अभाव था, क्योंकि विद्रोह में अधिकतर वे लौंग शामिल हुए थे, जिनके आपसी हित जुड़े थे, जिनमें अधिकतर जमींदार लोग थे।
विद्रोही अधिकतर अपने-अपने क्षेत्र में विद्रोह को दबाने का प्रयास कर रहे थे जिसके कारण अन्य नेतृत्वकर्ता से उनका समन्वय और सहयोग स्थापित नहीं हो सका।
विद्रोह को व्यापक समर्थन किसानों, सैनिकों, दस्तकारों आदि से प्राप्त हुआ था, लेकिन उनका नेतृत्व परंपरा प्रेमी शासक कर रहे थे, जिनकी शक्ति को विदेशी शासन ने समाप्त कर दिया, अतः कुशल नेतृत्व के अभाव में इस विद्रोह की कमजोरी उभरकर सामने आई।
21. आजमगढ़ में 25 अगस्त, 1857 की उद्घोषणा में निम्न में से किस एक मुद्दे पर बल दिया गया था ?
(a) हिंदू-मुस्लिम सौहार्द की भावना
(b) अंग्रेजी सरकार को समर्थन
(c) बादशाही की वापसी
(d) राजस्व की माँग
उत्तर - (a)
व्याख्या- आजमगढ़ में 25 अगस्त, 1857 को विद्रोहियों द्वारा जारी घोषणा पत्र में हिंदू-मुस्लिम एकता से संबंधित विचारों को सम्मिलित करते हुए, उनके द्वारा एकजुट होकर ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लड़ाई को जारी रखने हेतु संकेत दिए गए थे, साथ ही लोगों से बड़ी संख्या में इस विद्रोह में शामिल होने हेतु आग्रह भी किया था। इस घोषणा पत्र में व्यापारी, जमींदार, कारीगर, सरकारी कर्मचारी सहित पंडितों, फकीरों आदि के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गई थी।
22. 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार ने सिपाहियों का इन प्रांतों से चयन किया 
(a) उत्तर प्रदेश एवं बिहार
(b) बंगाल एवं ओडिशा
(c) गोरखा, सिख तथा पंजाब 
(d) मद्रास प्रेसीडेंसी एवं मराठा
उत्तर - (c)
व्याख्या- 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार ने गोरखा, सिख तथा पंजाबा प्रांतों से सिपाहियों का चयन किया। 1857 के विद्रोह को दबाने में सहायक पंजाबियों, गोरखों तथा पठानों को लड़ाकू जाति घोषित किया गया तथा उन्हें बड़ी संख्या में ब्रिटिश सेना में शामिल किया गया।
1857 के विद्रोह के बाद सेना का सावधानी के साथ पुनर्गठन किया गया, जिसका प्रमुख उद्देश्य एक और विद्रोह न होने देना था। सेना की भर्ती में जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर भेदभाव किया जाने लगा। लड़ाकू तथा गैर-लड़ाकू "जातियों के मध्य भौगोलिक विभाजन किया गया। f
23. महारानी विक्टोरिया ने भारतीय प्रशासन को ब्रिटिश ताज के नियंत्रण में लेने की घोषणा कब की थी ?
(a) 1 नवंबर, 1858
(b) 31 दिसंबर, 1957
(c) 6 जनवरी, 1958
(d) 17 नवंबर, 1859
उत्तर - (a)
व्याख्या- महारानी विक्टोरिया ने भारतीय प्रशासन को ब्रिटिश ताज के नियंत्रण में लेने की घोषणा 1 नवंबर, 1858 को की थी। तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग द्वारा इलाहाबाद में एक दरबार के आयोजन के दौरान ब्रिटेन *की महारानी विक्टोरिया के राजाज्ञा - पत्र को पढ़कर सुनाया गया था, जिसमें भारतीय राजाओं के अधिकारों को सुरक्षित रखने की घोषणा की गई थी और अन्य किसी भी भारतीय क्षेत्र को ब्रिटिश सत्ता में शामिल न करने की बात भी उस घोषणा-पत्र में शामिल थी।
24. महारानी विक्टोरिया की उद्घोषणा (1858) का उद्देश्य क्या था? 
1. किसी भी भारतीय राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में न मिलाया जाए।
2. भारतीय प्रशासन को ब्रिटिश सम्राट के अधीन रखना।
3. भारत के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापार का नियमन करना।
उपर्युक्त कौन-सा/से कथन सही हैं/ है ? 
(a) 1 और 2 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। महारानी विक्टोरिया (1858) के घोषणा पत्र के उद्देश्य निम्न थे
इस घोषणा-पत्र के द्वारा भारतीय राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन न करने की बात कही गई थी, साथ ही भारतीय राजाओं के अधिकारों को सुरक्षित रखने की घोषणा भी की गई थी। इस घोषणा पत्र के द्वारा 1858 ई. में ब्रिटिश पार्लियामेंट ने एक अधिनियम पास कर भारत में कंपनी के शासन को समाप्त कर दिया और भारत पर ब्रिटिश सम्राट के नियंत्रण की बात कही गई थी । कथन (3) सत्य नहीं है, क्योंकि इस घोषणा का उद्देश्य ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापार का नियमन नहीं था।
25. 1857 के विद्रोह के बाद प्रशासन में कौन-से परिवर्तन किए गए थे?
(a) गवर्नर जनरल को वायसराय की उपाधि दी गई।
(b) गवर्नर जनरल की परिषद् का विस्तार किया गया।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- 1857 के विद्रोह के पश्चात् 1858 के घोषणा पत्र के द्वारा महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए तथा प्रशासनिक परिवर्तन भी किए गए, जो निम्न हैं 1858 के कानून के अनुसार भारत का शासन संचालन गवर्नर जनरल के द्वारा संचालित किया जाना था, उसे वायसराय अर्थात् सम्राट के व्यक्तिगत प्रतिनिधि की पदवी दी गई थी।
इस कानून में गवर्नर जनरल हेतु एक कार्यकारिणी परिषद् की भी व्यवस्था की गई, जिसके द्वारा इस परिषद् के सदस्य विभिन्न विभागों के प्रमुख व गवर्नर जनरल के सहयोगी की भूमिका को निभाएँगे अर्थात् गवर्नर जनरल की शक्तियों व अधिकार क्षेत्र में विस्तार किया गया।
26. 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश प्रांतीय प्रशासन में लाए गए सुधारों के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. प्रांतों को निश्चित अनुदान देने की व्यवस्था 1882 ई. में समाप्त कर दी गई।
2. केंद्रीय और प्रांतीय वित्त को अलग करने की दिशा में पहला कदम 1870 ई. में लॉर्ड मेयो ने उठाया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं? 
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) नै तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- 1857 के विद्रोह के पश्चात् ब्रिटिश प्रांतीय प्रशासन में सुधारों के संबंध में दिए गए दोनों कथन असत्य हैं।
1858 के घोषणा पत्र के पश्चात् प्रांतीय प्रशासन में भी परिवर्तन हुए और 451882 ई. में प्रांतों को निश्चित अनुदान देने की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया और उसके स्थान पर यह व्यवस्था की गई कि किसी प्रांत को कुछ स्रोतों से
प्राप्त पूरी आय दी जाएगी और साथ ही अन्य स्रोतों से प्राप्त आय का एक निश्चित भाग दिया जाएगा।
प्रांतीय वित्त को केंद्रीय वित्त से अलग करने दिशा में पहला कदम 1870 ई. में लॉर्ड मेयो द्वारा उठाया गया था। पुलिस, जेल, शिक्षा, चिकित्सीय सेवाओं तथा सड़कों जैसी कुछ सेवाओं के प्रशासन के लिए प्रांतीय सरकारों को निर्धारित रकम दी जाने लगी और उसका उपयोग प्रांतीय सरकार की इच्छा पर आधारित कर दिया गया।
27. 1858 के ब्रिटिश शासन द्वारा पारित एक्ट के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस एक्ट के द्वारा देश के सभी शासकों को यह विश्वास कराया गया कि भविष्य में कभी भी उनके भू-क्षेत्र पर अधिकार नहीं किया जाएगा।
2. इस एक्ट के माध्यम से सेना में यूरोपीय सिपाहियों का अनुपात कम करने और भारतीय सिपाहियों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया गया।
3. मुसलमानों की जमीन और संपत्ति बड़े पैमाने पर छीन ली गई।
4. इस एक्ट के माध्यम से अंग्रेजों ने निर्णय किया कि वे भारत के लोगों के धार्मिक और सामाजिक रीति-रिवाजों का सम्मान करेंगे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 2 और 3
(d) 3 और 4
उत्तर - (b)
व्याख्या- 1858 के ब्रिटिश शासन द्वारा पारित एक्ट के संदर्भ में कथन ( 2 ) असत्य है।
1858 के ब्रिटिश शासन द्वारा पारित अधिनियम के माध्यम से सेना में भी परिवर्तन किए गए और सेना का पुनर्गठन किया गया, जिसका प्रमुख उद्देश्य 1857 के विद्रोह की स्थिति को दोबारा न दोहराना था। इस परिवर्तन में सेना पर यूरोपीय सैनिकों का वर्चस्व सुनिश्चित किया गया और सेना में भारतीयों के मुकाबले यूरोपीय सैनिकों को वरीयता दी गई और उस अनुपात को बढ़ा दिया गया। बंगाल की सेना में यह अनुपात एक और का तथा मद्रास और बंबई की सेनाओं में दो और पाँच का था।
28. किस वर्ष बजट की प्रणाली भारत में 1857 के विद्रोह के बाद प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक कदम के रूप में पेश की गई थी?
(a) 1858 ई.
(b) 1859 ई.
(c) 1860 ई.
(d) 1862 ई.
उत्तर - (c)
व्याख्या- 1860 ई. में बजट प्रणाली की शुरुआत भारत में 1857 के विद्रोह के बाद प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम था।
बजट प्रणाली की शुरुआत के साथ ही प्रत्येक स्रोत से आने वाली अनुमानित आय का ब्यौरा तैयार किया गया। कुछ समय पश्चात् केंद्रीय तथा प्रांतीय सरकारों के बीच आय के वितरण के विषय में निर्णय लिया गया।
29. हिंदू-मुस्लिम एकता 1857 के विद्रोह का मुख्य स्तंभ था। दोनों समुदायों के बीच फूट और दरार पैदा करने के लिए अंग्रेजों ने क्या उपाय किए? 
(a) प्रारंभिक वर्षों में मुस्लिमों के साथ सेवा में भेदभाव किया जाता था।
(b) उन्हें हिंदुओं के संचालक के रूप में दिखाया गया था।
(c) यह प्रचारित किया गया था कि ब्रिटिश शासन के प्रति वफादार होने पर ही हिंदुओं का हित है।
(d) उपर्युक्त सभी 
उत्तर - (d)
व्याख्या- 1857 के विद्रोह के पश्चात् हिंदू-मुस्लिम एकता में फूट डालने के उद्देश्य से अंग्रेजों द्वारा मुसलमानों को नौकरियाँ देने में उनके साथ भेदभाव किया गया, क्योंकि ब्रिटिशों ने मुस्लिमों को 1857 के विद्रोह का मुख्य शत्रु माना।
तत्पश्चात् उन्होंने हिंदुओं को यह समझाने का प्रयास किया कि मुसलमानों ने हिंदुओं का दमन किया है।
इसी उद्देश्य को लेकर वह लगातार दोनों समुदायों के बीच कभी धर्म के आधार पर, कभी सुविधाओं व नौकरियों के आधार पर तथा अन्य कुछ कारणों के आधार पर फूट डालने का प्रयास करते रहे।
30. 1857 की क्रांति के पश्चात् सेना पुनर्गठन के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए | 
1. सेना के भारतीय अंग का संगठन 'संतुलन और जवाबी संतुलन' तथा 'बाँटो और राज करो' की नीति के आधार पर किया गया था।
2. सेना की भर्ती में जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर भेदभाव को समाप्त कर सैन्य संगठन को मजबूती प्रदान की गई।x
3. विद्रोह को कुचलने में सहायता देने वाले पंजाबियों, गोरखों और पठानों को लड़ाकू जाति घोषित किया गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है / हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 2 और 3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- 1857 की क्रांति के पश्चात् सेना पुनर्गठन के संबंध में कथन ( 2 ) असत्य है। 1857 के विद्रोह के पश्चात् ब्रिटिशों के द्वारा सेना में परिवर्तन के प्रयास किए गए ताकि पूर्व की परिस्थितियाँ फिर से उत्पन्न न हों। इसी आधार पर सेना में भर्ती जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर की जाने लगी न कि इसे समाप्त किया गया था।
कथन (1) और (3) सत्य हैं। सेना के भारतीय अंग का संगठन 'संतुलन और जवाबी संतुलन' तथा 'बाँटो और राज करो' की नीति के आधार पर किया गया था। विद्रोह को कुचलने में सहायता देने वाले पंजाबियों, गोरखों और पठानों को लड़ाकू जाति घोषित किया गया। साथ ही 'लड़ाकू’ और ‘गैर-लड़ाकू' की अवधारणा को भी विकसित किया गया। अवध, बिहार, मध्य भारत और दक्षिण भारत के सैनिकों ने ही आरंभ में अंग्रेजों की भारत विजय में सहायता की थी, परंतु 1857 के विद्रोह में उनके भाग न लेने के कारण इन्हें 'गैर-लड़ाकू' घोषित कर दिया गया और सेना में उनको भर्ती करना बंद कर दिया गया।
31. ब्रिटिश शासन द्वारा 1858 ई. के पश्चात् अपनाई गई नीतियों के संबंध में विचार कीजिए 
1. इसके पश्चात् भारतीयों में परस्पर बाँटों और राज करो की नीति को आगे बढ़ाया गया।
2. 1870 ई. के पश्चात् उच्च तथा मध्यवर्गीय मुसलमानों को राष्ट्रीय आंदोलन के विरुद्ध खड़ा करने का प्रयास किया गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / है?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)  
व्याख्या- ब्रिटिश शासन द्वारा 1858 ई. के पश्चात् अपनाई गई नीतियों के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य है।
1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश शासन द्वारा 1858 ई. के घोषणा पत्र के माध्यम से अपनाई गई नीतियों में प्रशासनिक, प्रांतीय सैन्य सहित अन्य सुधारों को महत्त्व दिया गया, लेकिन साथ ही ब्रिटिशों ने 'बॉटों और राज करो' की नीति को भी आगे बढ़ाया।
इसके अंतर्गत उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता पर प्रहार किया। एक ओर जहाँ उन्होंने (1857 के पश्चात् मुस्लिमों के साथ भेदभाव किया और हिंदुओं को अपना हितैषी बताया, तो वहीं (1870 के बाद इस नीति के बिल्कुल विपरीत उच्च तथा मध्यवर्गीय मुसलमानों को राष्ट्रवादी आंदोलन के विरुद्ध खड़ा करने का प्रयास किया, क्योंकि अंग्रेजों ने राष्ट्रीय आंदोलन को धर्म के आधार पर बाँटना प्रारंभ कर दिया था।
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Sat, 10 Feb 2024 08:44:00 +0530 Jaankari Rakho
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समाज सुधार आंदोलन

1. राजा राममोहन राय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. ये 19वीं सदी के पूर्वार्द्ध में सामाजिक एवं सांस्कृतिक जागरण के प्रमुख नेता थे।
2. राजा राममोहन राय संस्कृत, फारसी, अरबी, अंग्रेजी तथा फ्रांसीसी भाषा जानते थे।
3. 1809 ई. में इन्होंने फारसी में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'एकेश्वरवादियों को उपहार' (Gift to Monotheists ) लिखी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- राजा राममोहन राय के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
राजा राममोहन राय 19वीं सदी के पूर्वार्द्ध में सामाजिक और सांस्कृतिक जागरण के प्रमुख नेता थे। बौद्धिक और सांस्कृतिक उथल-पुथल उन्नीसवीं सदी के भारत की विशेषता थी। राजा राममोहन राय को 'भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत' माना जाता है।
राजा राममोहन राय प्राच्य और पाश्चात्य चिंतन के संशलिष्ट (मिले-जुले ) रूप के प्रतिनिधि थे। वे संस्कृत, फारसी, अरबी, अंग्रेजी, फ्रांसीसी, ग्रीक और हिब्रू सहित एक दर्जन से अधिक भाषाओं के जानकार थे।
इन्होंने 1809 ई. में फारसी में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'एकेश्वरवादियों को उपहार' लिखी, जिसमें उन्होंने अनेक देवताओं में विश्वास के विरुद्ध और एकेश्वरवाद के पक्ष में मजबूती के साथ तर्क दिए ।
2. 'प्रीसेप्ट्स ऑफ जीसस' पुस्तक के लेखक हैं
(a) ईश्वरचंद्र विद्यासागर
(b) डी. के. कर्वे
(c) बी. जी. तिलक
(d) राजा राममोहन राय
उत्तर - (d)
व्याख्या- राजा राममोहन राय ने 1820 ई. में 'प्रीसेप्ट्स ऑफ जीसस' नामक पुस्तक प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने 'न्यू टेस्टामेंट' के नैतिक और दार्शनिक संदेश की प्रशंसा की। वे चाहते थे, कि ईसा मसीह के उच्च नैतिक संदेश को हिंदू धर्म में समाहित कर लिया जाए, इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु उन्होंने यह पुस्तक लिखी थी।
3. ब्रह्म समाज के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं? 
1. इसकी स्थापना 1828 ई. में हुई थी।
2. इसने मूर्तिपूजा तथा सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया।
3. इस समाज की यह मान्यता थी कि वेद त्रुटिहीन हैं।
कूट
(a) केवल 1 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- ब्रह्म समाज के संदर्भ में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। राजा राममोहन राय ने 1828 ई. में ब्रह्म सभा नाम की एक धार्मिक संस्था की स्थापना की, जिसे बाद में ब्रह्म समाज कहा गया। इसका उद्देश्य हिंदू धर्म को स्वच्छ बनाना और एकेश्वरवाद की शिक्षा देना था।
ब्रह्म समाज ने मानवीय प्रतिष्ठा पर बल दिया तथा मूर्ति पूजा और सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों की आलोचना की। ब्रह्म समाज के दो आधार थे - तर्क शक्ति और वेद तथा उपनिषद् क्योंकि यह समाज वेदों को त्रुटिरहित मानता था।
4. यंग बंगाल आंदोलन के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) इस आंदोलन का नेतृत्व लॉर्ड हेनरी ने किया था। 
(b) इस आंदोलन ने सामाजिक व धार्मिक रूढ़ियों को तोड़ा।
(c) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्त्रियों की शिक्षा के लिए माँग उठाई
(d) इसने फ्रांस की क्रांति तथा इंग्लैंड के उदय चिंतन के आदर्श प्रस्तुत किए।
उत्तर - (a)
व्याख्या- यंग बंगाल आंदोलन के संबंध में कथन (a) असत्य है, क्योंकि यंग बंगाल आंदोलन का नेतृत्व लॉर्ड हेनरी ने नहीं, बल्कि हेनरी लुई विवियन डेरोजियो ने किया था। बंगाल में आधुनिकीकरण के आंदोलन को आगे बढ़ाने में युवा सामाजिक कार्यकर्ता हेनरी लुई विवियन डेरोजियो का बहुत बड़ा योगदान रहा।
5. कलकत्ता के प्रसिद्ध 'हिंदू कॉलेज' की स्थापना किसने की थी ?
(a) राजा राममोहन राय
(b) डेविड हेयर
(c) विलियम जोन्स
(d) वारेन हेस्टिंग्स
उत्तर - (b)
व्याख्या- कलकत्ता के प्रसिद्ध हिंदू कॉलेज की स्थापना डेविड हेयर ने की। इस कॉलेज की स्थापना 1817 ई. में हुई थी। वे स्कॉटलैंड के निवासी थे और घड़ियों के व्यापार हेतु कलकत्ता आए थे। बंगाल में आधुनिकीकरण के आंदोलन को आगे बढ़ाने में कलकत्ता के हिंदू कॉलेज ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। राजा राममोहन राय ने इस संस्था की स्थापना में हेयर का सहयोग किया।
6. ब्रह्म समाज को पुनर्जीवित करने का श्रेय किसे प्राप्त है ?
(a) रवींद्रनाथ ठाकुर
(b) केशवचंद्र सेन
(c) देवेंद्रनाथ ठाकुर
(d) सौम्येन्द्र नाथ टैगोर
उत्तर - (c)
व्याख्या- ब्रह्म समाज को पुनर्जीवित करने का श्रेय देवेंद्रनाथ ठाकुर को दिया जाता है। देवेंद्रनाथ ठाकुर रवींद्रनाथ ठाकुर के पिता थे, जो भारतीय विद्या की सर्वोत्तम परंपरा और नवीन पाश्चात्य चिंतन से सरोकार रखते थे। उन्होंने राजा राममोहन राय के विचारों के प्रचार के लिए 1839 ई. में 'तत्त्वबोधिनी सभा' की के स्थापना की थी।
7. ईश्वरचंद्र विद्यासागर के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. उन्होंने संस्कृत कॉलेज गैर-ब्राह्मण विद्यार्थियों के लिए भी खोल दिए।
2. इन्होंने विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया तथा इसके लिए सफल आंदोलन भी चलाया।
3. इन्होंने बाल विवाह तथा बहुविवाह का समर्थन किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) ये सभी
उत्तर - (b)
व्याख्या- ईश्वरचंद्र विद्यासागर के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। आधुनिक भारत के निर्माण में ईश्वरचंद्र विद्यासागर का अहम योगदान रहा है। उन्होंने संस्कृत पढ़ाने की नई तकनीक को विकसित किया, साथ ही संस्कृत कॉलेज के दरवाजे गैर-ब्राह्मण विद्यार्थियों के लिए खोल दिए, क्योंकि वे संस्कृत के अध्ययन पर ब्राह्मण जाति के तत्कालीन एकाधिकार के विरोधी थे।
ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने नारी जाति के उत्थान हेतु विधवा पुनर्विवाह की प्रथा का समर्थन किया। इन्होंने 1855 ई. में विधवा पुनर्विवाह के पक्ष में आवाज उठाई तथा जल्द ही यह एक आंदोलन में बदल गया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने 1850 ई. में बाल विवाह का विरोध किया और उन्होंने बहुविवाह का विरोध करते हुए आजीवन आंदोलन चलाया।
8. प्रार्थना समाज के बारे में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. प्रार्थना समाज की स्थापना 1867 ई. में हुई थी।
2. इसने जाति प्रथा और अस्पृश्यता की निंदा की।
3. इसके द्वारा विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) ये सभी 
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्रर्थाना समाज के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। बंगाल में प्रारंभ हुआ धार्मिक-सामाजिक सुधार आंदोलन देश के कई भागों में फैला और इसी क्रम में 1867 ई. में बंबई में प्रार्थना समाज की स्थापना हुई। इसके प्रमुख नेता महादेव गोविंद रानाडे और रामकृष्ण गोपाल भंडारकर थो। इसके नेता ब्रह्म समाज से प्रभावित थे। इन्होंने जाति प्रथा और अस्पृश्यता की निंदा की और साथ ही स्त्रियों के उत्थान हेतु विधवा पुनर्विवाह का भी समर्थन किया।
9. परमहंस मंडली के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. इसकी स्थापना 1849 ई. में महाराष्ट्र में हुई थी ।
2. इसके संस्थापक बहुदेववाद में विश्वास करते थे।
3. इस मंडली की शाखाएँ बड़ौदा, राजकोट, मैसूर आदि स्थानों पर विस्तृत थीं।
4. इस मंडली के लोग विधवा विवाह एवं स्त्री शिक्षण में विश्वास करते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 2, 3 और 4
उत्तर - (b)
व्याख्या- परमहंस मंडली के संदर्भ में दिए गए कथनों में से कथन (2) और (3) असत्य हैं।
परमहंस मंडली के संस्थापक एकेश्वरवाद अर्थात् एक ईश्वर में विश्वास करते थे न कि बहुदेववाद में। परमहंस मंडली की शाखाएँ पूना, सतारा तथा महाराष्ट्र के कई नगरों में विस्तृत थीं न कि बड़ौदा, राजकोट तथा मैसूर में। कथन (1) और (4) सत्य हैं। 1849 ई. में स्थापित इस संस्था के लोग विधवा विवाह एवं स्त्री शिक्षण में विश्वास करते थे।
10. निम्न में से कौन-सा कथन सत्य है ? 
1. 1850 ई. में विष्णु शास्त्री पंडित ने 'विधवा विवाह समाज' की स्थापना की थी।
2. करसोनदास मलजी ने 1852 में गुजराती भाषा में विधवा विवाह के समर्थन में 'सत्य प्रकाश' नामक पत्रिका निकाली।
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। 1850 ई. में विष्णु शास्त्री पंडित ने 'विधवा-विवाह समाज' की स्थापना की थी। 19वीं सदी में विधवा विवाह को लेकर समाज सुधारकों ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण कार्य किए, जिसमें ईश्वरचंद्र विद्यासागर, राजा राममोहन राय, ज्योतिबा फुले आदि का नाम उल्लेखनीय रहा है।
करसोनदास मलजी विधवा विवाह के क्षेत्र में योगदान देने वाले एक महत्त्वपूर्ण कार्यकर्ता थे। 1852 ई. में उन्होंने गुजराती भाषा में विधवा विवाह के समर्थन में 'सत्य प्रकाश' नामक पत्रिका का प्रकाशन किया था।
11. समाज सुधारक ज्योतिबा फूले के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. 1848 ई. में उन्होंने निम्न जाति की कन्याओं के लिए स्कूल खोला।
2. ज्योतिबा ने दलितों के उद्धार का जो महान कार्य किया, उसके लिए उन्हें महात्मा की पदवीं प्रदान की गई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- समाज सुधारक ज्योतिबा फूले के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं ।
पश्चिमी भारत के महान समाज सुधारकों में ज्योतिबा फूले का अतुलनीय योगदान रहा है। इन्होंने दलितों और स्त्रियों के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किए। 1848 ई. में उन्होंने निम्न जातियों की कन्याओं के लिए स्कूल भी खोला था। उन्होंने दलितों के उद्धार के लिए जो कार्य किए, उसके लिए उन्हें 'महात्मा' की पदवीं प्रदान की गई थी।
12. 'सत्य शोधक समाज' की स्थापना किसने की?
(a) दयानंद सरस्वती 
(b) ज्योतिबा फुले
(c) महात्मा गाँधी
(d) डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर
उत्तर - (b)
व्याख्या- 'सत्य शोधक समाज' की स्थापना ज्योतिबा फूले ने वर्ष 1873 में की। इस समाज का योगदान महाराष्ट्र में समाज सुधार के क्षेत्र में अत्यधिक रहा। जाति प्रथा की जड़ता को समाप्त करने के लिए ज्योतिबा फूले ने सामाजिक आंदोलन की शुरुआत की, जो समानता के लिए संघर्ष की प्रक्रिया का अंग प्रमाणित हुआ। ज्योतिबा फुले ने जाति व्यवस्था पर प्रहार करते हुए 'गुलाम गिरि' नामक एक पुस्तक की रचना भी की थी।
13. बाल शास्त्री जंभेकर के बारे में निम्न में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं? 
1. उन्होंने दर्पण के नाम से एक साप्ताहिक पत्र आरंभ किया था।
2. वह बॉम्बे के पहले समाज सुधारक थे।
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- बाल शास्त्री जंभेकर के विषय में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। बाल शास्त्री जंभेकर मराठी पत्रकारिता के अग्रदूत थे। इन्होंने दर्पण नामक प्रथम मराठी पत्रिका आरंभ की थी। इन्होंने इतिहास और गणित से संबंधित विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं। वे महाराष्ट्र के समाज सुधारक थे तथा बॉम्बे के पहले समाज सुधारक थे।
14. बी. आर. अंबेडकर को भारत में दलित आंदोलनों का जनक माना जाता है। उनके संबंध में निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) उनका जन्म महार परिवार में हुआ था।
(b) वर्ष 1931 में उन्होंने मंदिर प्रवेश आंदोलन शुरू किया।
(c) वे हिंदू धर्म में समानता और जातिवाद की अनुपस्थिति को लागू करना चाहते थे।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं ।
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने वर्ष 1927 में मंदिर प्रवेश आंदोलन को प्रारंभ किया था न कि 1931 में। इस आंदोलन में महार जाति के लोगों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया था। वर्ष 1927 से 1935 के बीच अंबेडकर ने मंदिरों में प्रवेश से संबंधित ऐसे तीन आंदोलनों को प्रारंभ किया था।
15. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. के. वीरेशलिंगम दक्षिण भारत में सुधार आंदोलनों के एक प्रसिद्ध नेता थे।
2. वीरेशलिंगम ने 1876 ई. में एक तेलुगू पत्रिका शुरू की, जो लगभग पूर्णत: समाज सुधार कार्य के लिए समर्पित थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। दक्षिण भारत में के. वीरशेलिंगम तथा श्रीधारलू नायडू सुधार आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे। वे विशेष रूप से केशव चंद्र सेन के विचारों से अत्यधिक प्रभावित थे। उन्होंने 1876 ई. में एक तेलुगू पत्रिका ‘विवेकवर्धिनी' का प्रकाशन प्रारंभ किया, जो समाज सुधार कार्य के लिए समर्पित थी। इन्होंने समाज सुधार के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाते हुए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
16. ' श्री नारायण धर्म परिपालन योगम्' (एस.एन.डी.पी) संस्था की स्थापना किसके द्वारा की गई थी?
(a) के. वीरेशलिंगम 
(b) नारायण गुरु
(c) ज्योतिबा फूले
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- नारायण गुरु ने वर्ष 1903 में 'श्री नारायण धर्म परिपालन योगम्' (एस. एन. डी. पी.) संस्था की स्थापना की, जो सामाजिक सुधार का एक महत्त्वपूर्ण साधन बनी। नारायण गुरु ने जाति तथा धर्म पर आधारित भेदों को निरर्थक माना और “एक जाति, एक धर्म और एक ईश्वर" की आवश्यकता पर बल दिया। ने
17. दयानंद सरस्वती के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है ? 
(a) दयानंद सरस्वती का जन्म 1824 ई. में काठियावाड़ में हुआ था
(b) इनके बचपन का नाम मूलशंकर था
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) इनका मानना था कि उपनिषद् में ईश्वर द्वारा प्रदत्त सारा ज्ञान विद्यमान है
उत्तर - (c)
व्याख्या- दयानंद सरस्वती के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (a) और (b) दोनों सत्य हैं ।
उत्तर भारत में धार्मिक और सामाजिक सुधार का सबसे प्रभावशाली आंदोलन दयानंद सरस्वती ने प्रारंभ किया। दयानंद सरस्वती का जन्म 1824 ई. में काठियावाड़ प्रांत में हुआ था। इनके बचपन का नाम मूलशंकर था। 14 वर्ष की आयु में उन्होंने मूर्ति पूजा का बहिष्कार किया। दयानंद सरस्वती का मानना था कि ईश्वर द्वारा प्रदत्त सभी ज्ञान वेदों में विद्यमान है न कि उपनिषदों में।
18. आर्य समाज के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) आर्य समाज की स्थापना 1875 ई. में बंबई में की गई थी।
(b) आर्य समाज बाल विवाह का विरोध तथा विधवा पुनर्विवाह का समर्थन करता है।
(c) आर्य समाज के सदस्य 5 सिद्धांतों का अनुसरण करते हैं।
(d) आर्य समाज की यह मान्यता है कि ईश्वर एक है।
उत्तर - (c)
व्याख्या- आर्य समाज के संबंध में कथन (c) असत्य है, क्योंकि आर्य समाज के सदस्य 'दस सिद्धांतों का अनुसरण करते थे न कि पाँच सिद्धांतों का, इनमें प्रथम है - वेदों का अध्ययन, शेष सिद्धांत सद्गुण और नैतिकता से संबंधित हैं। आर्य समाज की स्थापना दयानंद सरस्वती ने की थी और इसका मुख्य उद्देश्य था-वैदिक धर्म को पुनः शुद्ध रूप में स्थापित करना। इनका मूल नारा था - "वेदों की ओर लौटो ।”
19. स्वामी विवेकानंद द्वारा रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब हुई थी ? 
(a) 1886 ई.
(b) 1892 ई. 
(c) 1898 ई. 
(d) 1897 ई.
उत्तर - (d)
व्याख्या- स्वामी विवेकानंद द्वारा रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1897 ई. में इनके उपदेशों के प्रचार तथा उन्हें व्यवहार में लाने के उद्देश्य से की गई थी, जिसे वर्ष 1909 में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत कराया गया। रामकृष्ण मिशन का कलकत्ता के वेल्लूर और अल्मोड़ा के मायावती नामक स्थान पर मुख्यालय खोला गया।
20. स्वामी विवेकानंद के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. उन्होंने भारतीय एवं पाश्चात्य दर्शन का गहन अध्ययन किया।
2. उन्होंने 1893 ई. में अमेरिका के शिकागो नगर में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- स्वामी विवेकानंद के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं।
स्वामी विवेकानंद का जीवन चरित्र रामकृष्ण परमहंस से बिल्कुल भिन्न था। उन्होंने भारतीय और पाश्चात्य दर्शन का गहन अध्ययन किया था। उनके द्वारा देश के बाहर किए गए कार्यों ने विदेशियों का ध्यान भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित किया।
इसी क्रम में उन्होंने 1893 ई. में अमेरिका के शिकागो शहर में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लिया और उनके द्वारा सम्मेलन में दिए गए भाषण ने दूसरे देशों के लोगों को बहुत अधिक प्रभावित किया था।

मुस्लिम, पारसी और सिख सुधार

1. 19वीं शताब्दी के मुस्लिम धर्म सुधार आंदोलन से संबंधित कथनों पर विचार कीजिए 
1. मुसलमानों में जागरण की शुरुआत 19वीं सदी के पूर्वार्द्ध में बरेली के सैयद अहमद और बंगाल के शरीयतुल्ला जैसे नेताओं के प्रयासों से हुई।
2. भारतीय मुसलमानों पर पाश्चात्य विचारों और आधुनिक शिक्षा का प्रभाव बहुत जल्दी से पड़ा।
3. अंग्रेजी शिक्षा और सामाजिक तथा आर्थिक लाभों से वंचित रहने के कारण भारतीय मुसलमानों में लंबे समय तक मध्य वर्ग का उदय नहीं हो सका।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- 19वीं शताब्दी के मुस्लिम धर्म सुधार आंदोलन से संबंधित दिए गए कथनों में से कथन (2) असत्य है, क्योंकि मुस्लिम धर्म सुधार आंदोलन के संदर्भ में भारतीय मुसलमानों पर पाश्चात्य विचारों और आधुनिक शिक्षा का प्रभाव देर से पड़ा न कि जल्द पड़ा। इसका प्रमुख कारण उन्नीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध में मुसलमानों के बीच शिक्षा के माध्यम का विकास न होना था, क्योंकि दिल्ली और कलकत्ता के बहुत कम मुसलमानों ने तत्कालीन समय में अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त की थी।
2. सर सैयद अहमद खाँ के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. उन्होंने एक न्यायिक अफसर के रूप में ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी की और 1857 ई. के विद्रोह के दौरान वे कंपनी के प्रति वफादार बने रहे।
2. 1864 ई. में उन्होंने अनुवाद समिति की स्थापना की।
3. उन्होंने 1870 ई. में अलीगढ़ में 'मोहम्मडन एंग्लो ओरियंटल कॉलेज' की स्थापना की थी।
4. कांग्रेस का विरोध करने के लिए उन्होंने कुछ हिंदू तथा मुसलमान नेताओं के सहयोग से इंडियन पेट्रियोटिक एसोसिएशन की स्थापना की।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1, 2 और 4
उत्तर - (d)
व्याख्या- सर सैयद अहमद खाँ के संदर्भ में दिए गए कथनों में से कथन (1), (2) और (4) सत्य हैं।
मुसलमानों में आधुनिक शिक्षा के प्रसार और सामाजिक सुधार के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण आंदोलन सर सैयद अहमद खाँ द्वारा प्रारंभ किया गया था।
आरंभिक जीवन में वे ईस्ट इंडिया कंपनी के न्यायिक अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। 1857 के विद्रोह के समय वे कंपनी के प्रति वफादार थे। उन्होंने मुसलमानों की शैक्षिक स्थिति को सुधारने की दिशा में अथक् प्रयास किए। 1864 ई. में उन्होंने अनुवाद समिति की स्थापना की, जिसे बाद में वैज्ञानिक समिति का नाम दिया गया। उन्होंने कांग्रेस का विरोध करने के उद्देश्य से ‘इंडियन पैट्रियोटिक एसोसिएशन' की स्थापना की थी और मुसलमानों को कांग्रेस में शामिल होने से मना किया था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि अलीगढ़ में 'मोहम्मडन एंग्लो ओरियंटल कॉलेज' की स्थापना 1875 ई. में हुई थी न कि 1870 में। यही कॉलेज आगे चलकर 'अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय' के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
3. निम्न कथनों में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) पारसी समाज सुधारक दादाभाई नौरोजी और नौरोजी फरदून जी दोनों ने मिलकर 'रास्त गोफ्तार' नामक पत्रिका का प्रकाशन किया था।
(b) 1870 के दशक में अमृतसर और लाहौर में सिंह सभाएँ स्थापित हुई और उन्होंने सिखों में सुधार आंदोलन को आरंभ किया।
(c) सिंह सभाओं के प्रयत्नों तथा अंग्रेजों की सहायता से 1890 ई. में लाहौर में खालसा कॉलेज की स्थापना हुई ।
(d) 20वीं सदी के आरंभिक दशकों में गुरुद्वारों में सुधार हेतु शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और अकाली दल द्वारा मिलकर एक आंदोलन चलाया गया।
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (c) असत्य है, क्योंकि सिंह सभाओं के प्रयत्नों तथा अंग्रेजों की सहायता से वर्ष 1892 (न कि 1890 में) में अमृतसर में खालसा कॉलेज की स्थापना हुई थी। इस कॉलेज ने और इस प्रकार के अन्य प्रयत्नों से स्थापित विद्यालयों ने गुरुमुखी, सिख धर्मज्ञान और पंजाबी भाषा के साहित्य को प्रोत्साहन दिया।
4. रहनुमाई मजदायसन सभा (रिलीजस रिफॉर्म एसोसिएशन) के गठन से संबंधित थे 
(a) नौरोजी फरदून जी 
(c) दादा भाई नौरोजी
(b) एस. एस. बंगाली
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- 1851 ई. में रहनुमाई मजदायसन सभा (रिलीजस रिफॉर्म एसोसिएशन) का आरंभ नौरोजी फरदून जी दादा भाई नौरोजी, एस. एस. बंगाली तथा अन्य लोगों ने किया। इन सभी ने मिलकर धर्म के क्षेत्र में फैले रूढ़िवाद के विरुद्ध आंदोलन को प्रारंभ किया।
5. निम्न में से किस स्थान पर सिंह सभा आंदोलन का गठन किया गया था?
1. अमृतसर
2. लखनऊ 
3. लाहौर
4. दिल्ली 
कूट
(a) 1 और 3
(b) 2 और 3
(c) 2 और 3 
(d) 3 और 4
उत्तर - (a)
व्याख्या- 1870 के दशक अमृतसर और लाहौर में सिंह सभाएँ स्थापित की गईं और उन्होंने सिखों में सुधार आंदोलन को प्रारंभ किया, तत्पश्चात् दोनों सभाएँ मिलकर एक हो गईं। सिंह सभा ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस आंदोलन के मुख्य उद्देश्य हैं- सच्चे सिख धर्म का प्रचार-प्रसार करना, इनके खोए हुए गौरव को पुनः प्राप्त करना, सिखों की ऐतिहासिक एवं धार्मिक पुस्तकें लिखना और उनका वितरण करना।
6. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. अकाली आंदोलन वर्ष 1921 में शुरू हुआ था।
2. अकाली आंदोलन के परिणामस्वरूप वर्ष 1922 में गुरुद्वारा अधिनियम अधिनियमित किया गया था।
3. अकाली आंदोलन की शुरुआत से पूर्व अमृतसर में खालसा कॉलेज शुरू किया गया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। सिखों में धार्मिक सुधार का आरंभ 19वीं सदी की समाप्ति के साथ हुआ जब अमृतसर में खालसा कॉलेज की स्थापना हुई। लेकिन सुधार के प्रयासों को बल वर्ष 1920 के बाद मिला, जब 1921 में पंजाब में अकाली आंदोलन प्रारंभ हुआ। आंदोलन के फलस्वरूप वर्ष 1922 में सिख गुरुद्वारा कानून बना और वर्ष 1925 में उसमें संशोधन भी हुए।

महिला शिक्षा और महिला संबंधी अन्य सुधार

1. आधुनिक भारत की सबसे प्रारंभिक और सबसे प्रसिद्ध महिला समाज सुधारक का नाम बताइए। वह 'स्त्री-पुरुष तुलना' नामक पुस्तक की लेखिका भी थीं? 
(a) पंडिता रमाबाई
(b) श्रीमती ऐनी बेसेंट
(c) ताराबाई शिंदे
(d) मुथुलक्ष्मी रेड्डी
उत्तर - (c)
व्याख्या- आधुनिक भारत की सबसे प्रारंभिक और सबसे प्रसिद्ध महिला समाज सुधारक ताराबाई शिंदे थीं, जिन्होंने पूना में घर पर ही शिक्षा प्राप्त की थी। इन्होंने 'स्त्री-पुरुष तुलना' नामक एक पुस्तक की रचना भी की थी, जिसमें पुरुषों और महिलाओं के बीच मौजूद सामाजिक भेदभाव की आलोचना की गई थी।
2. पंडिता रमाबाई के संबंध में निम्न में से कौन-सा/से कथन है/हैं?
1. वह संस्कृत की विद्वान् थीं।
2. उन्होंने महिलाओं को आश्रय प्रदान करने के लिए पूना में एक विधवा गृह की स्थापना की।
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- पंडिता रमाबाई के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। पंड़िता रमाबाई संस्कृत की महान विद्वान् थी। इनका मानना था कि हिंदू धर्म महिलाओं का दमन करता है। उन्होंने ऊँची जातियों की हिंदू महिलाओं की स्थिति को दर्शाने हेतु एक पुस्तक की रचना भी की थी।
उन्होंने पूना में एक विधवा गृह की स्थापना भी की थी, जिसमें ससुराल वालों का अत्याचार झेल रही महिलाओं को पनाह दी जाती थी ।
3. शारदा एक्ट का संबंध था
(a) बाल विवाह प्रतिबंध से
(b) अंतर्जातीय विवाह प्रतिबंध से
(c) विधवा विवाह प्रतिबंध से
(d) जनजातीय विवाह प्रतिबंध से
उत्तर - (a)
व्याख्या- शारदा एक्ट का संबंध बाल विवाह प्रतिबंध से है। बीसवीं सदी में बाल विवाह को रोकने हेतु वर्ष 1929 में शारदा एक्ट लाया गया। इस कानून में विवाह के लिए लड़कियों की उम्र न्यूनतम 16 वर्ष और लड़कों की उम्र न्यूनतम 18 वर्ष निश्चित की गई।

सांस्कृतिक जागरण एवं अन्य सुधार

1. राजा राममोहन राय के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) वे भारतीय पत्रकारिता के अग्रदूत थे।
(b) उन्होंने राजनीतिक आधार पर सार्वजनिक आंदोलन शुरू किया।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) न तो 'a' और न ही 'b'
उत्तर - (c)
व्याख्या- राजा राममोहन राय के संबंध में दिए गए दोनों कथन असत्य हैं, क्योंकि राजा राममोहन राय को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत कहा जाता है। उन्होंने सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
राजा राममोहन राय द्वारा स्थापित ब्रह्म समाज धार्मिक सुधार का पहला महत्त्वपूर्ण संगठन था। इस समाज ने धार्मिक और सामाजिक कुरीतियों का बहिष्कार किया और समाज के लिए एक नए नियम का प्रतिपादन किया।
2. थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना किसने की थी ?
(a) मैडम एच. पी. ब्लावत्स्की 
(b) राजा राममोहन राय
(c) महात्मा गाँधी 
(d) स्वामी विवेकानंद
उत्तर - (a)
व्याख्या- थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना मैडम एच. पी. ब्लावत्स्की तथा कर्नल ऑलकाट के द्वारा की गई थी। मद्रास के निकट अड्यार में इस सोसायटी ने अपना मुख्यालय स्थापित किया था। 1893 ई. में भारत आने वाली श्रीमती ऐनी बेसेंट के नेतृत्व में थियोसोफी आंदोलन संपूर्ण भारत में फैल गया था।
3. थियोसोफिकल सोसायटी के संबंध में निम्न में कौन-सा कथन सत्य है ?
1. इसके संस्थापक गैर भारतीय थे।
2. भारत में इसका मुख्यालय कलकत्ता में था।
3. यह संस्था हिंदू धर्म के पुनरुद्धार के पक्ष में थी।
4. इसने आत्मा के पुनरागमन के सिद्धांत को मान्यता दी।
कूट
(a) 1, 2 और 3 
(b) 2, 3 और 4
(c) 1, 3 और 4
(d) 1 और 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- थियोसोफिकल सोसायटी के संबंध में दिए गए कथनों में कथन (1), (3) और (4) सत्य हैं। थियोसोफिकल सोसायटी के संस्थापक गैर भारतीय थे और इसकी स्थापना संयुक्त राज्य अमेरिका में की गई थी। थियोसोफिस्ट प्रचार करते थे कि हिंदुत्व, पारसी मत ( जरथुष्ट मत) तथा बौद्ध मत जैसे प्राचीन धर्मों को पुनर्स्थापित तथा मजबूत किया जाए। साथ ही उन्होंने आत्मा के पुनरागमन सिद्धांत को भी प्रचारित किया।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि थियोसोफिकल सोसायटी का मुख्यालय कलकत्ता में नहीं, बल्कि मद्रास के निकट अड्यार में स्थापित किया गया था।
4. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' की रचना रवींद्रनाथ ठाकुर ने की थी।
2. राष्ट्रगान की रचना बंकिमचंद्र चटर्जी ने की थी ।
3. 'सारे जहाँ से अच्छा' गीत की रचना मुहम्मद इकबाल ने की थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) ये सभी
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (3) सत्य है । सुधारवादी विचारों ने समाज में बदलाव लाने के उद्देश्य से बीसवीं सदी में अपनी गहरी छाप छोड़ी। इसी क्रम में मुहम्मद इकबाल ने उस दौरान राष्ट्रगीत के रूप में 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ता हमारा' की रचना की थी।
कथन (1) और (2) असत्य हैं, क्योंकि राष्ट्रगीत वंदे मातरम् की रचना बंकिमचंद्र चटर्जी ने और राष्ट्रगान की रचना रवींद्रनाथ ठाकुर ने की थी।
5. निम्न कथनों में से कौन-सा कथन असत्य कथन है ?
(a) अवनींद्र नाथ ठाकुर एक प्रसिद्ध चित्रकार थे ।
(b) राजा रवि वर्मा ने भारतीय महाकाव्यों तथा आख्यानों के आधार पर चित्र बनाए ।
(c) अमृता शेरगिल ब्रिटिश काल के बाद की एक प्रसिद्ध नृत्यांगना थी।
(d) नंदलाल बसु एक प्रसिद्ध चित्रकार थे।
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (c) असत्य है, क्योंकि अमृता शेरगिल ब्रिटिशकाल के पश्चात् की एक प्रसिद्ध ख्याति प्राप्त चित्रकार थीं न कि नृत्यांगना। बीसवीं सदी में अवनींद्रनाथ ठाकुर और अन्य चित्रकार जैसे राजा रवि वर्मा, नंदलाल बसु आदि प्रसिद्ध चित्रकार थे। इन चित्रकारों के प्रयासों से जिस नवीन चित्रकला शैली का विकास हुआ, वह बंगाल शैली के रूप में जानी गई। राजा रवि वर्मा ने इस काल में भारतीय महाकाव्यों तथा आख्यानों के आधार पर चित्र बनाए तो वहीं दूसरी ओर, नंदलाल बसु ने प्राचीन कथाओं के दृश्यों के साथ-साथ कारीगरों और शिल्पियों के दैनिक जीवन को अपनी चित्रकारी के माध्यम से दिखाया।
6. मोतीलाल घोष द्वारा संपादित पत्रिका कौन-सी है ?
(a) द हिंदू 
(b) स्वदेशमित्रम्
(c) प्रभाकर
(d) अमृत बाजार पत्रिका
उत्तर - (d)
व्याख्या- मोतीलाल घोष और शिशिर कुमार घोष नामक दो भाइयों ने अमृत बाजार पत्रिका का संपादन किया था। अमृत बाजार पत्रिका बांग्ला भाषा का एक प्रमुख भारतीय समाचार पत्र है। इसका प्रथम प्रकाशन 20 फरवरी, 1868 ई. को हुआ था। वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट के बाद इस पत्रिका को पूर्णत: अंग्रेजी भाषा का बना दिया गया, लेकिन इससे पूर्व यह बांग्ला और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में प्रकाशित होती थी।
7. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. पीसी महालनोबिस ने भारत में सांख्यिकी के अध्ययन की ठोस नींव रखी थी।
2. श्रीनिवास रामानुजन 20वीं सदी के एक महान इंजीनियर थे।
3. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया, ब्रिटिश शासन के दौरान एक प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) सत्य है । उन्नीसवीं सदी के अंतिम चरण और संपूर्ण बीसवीं सदी को भारत में विज्ञान के विकास के रूप में जाना जाता है। इसी चरण में पी. सी. महालनोबिस एक श्रेष्ठ वैज्ञानिक थे, जिन्होंने भारत में सांख्यिकी के अध्ययन की मजबूत नींव रखी।
कथन (2) और (3) असत्य हैं, क्योंकि श्रीनिवास रामानुजन 20वीं सदी के एक महान गणितज्ञ थे न कि इंजीनियर । साथ ही मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया, ब्रिटिश शासन के दौरान (1861-1962 ई.) के इंजीनियरी और टेक्नोलॉजी क्षेत्र के महान भारतीय वैज्ञानिक थे न कि गणितज्ञ और खगोलशास्त्री |
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Sat, 10 Feb 2024 07:35:38 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | प्रमुख विद्रोह ( आदिवासी एवं किसान आंदोलन) https://m.jaankarirakho.com/881 https://m.jaankarirakho.com/881 NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | प्रमुख विद्रोह ( आदिवासी एवं किसान आंदोलन)

जनजातीय आंदोलन

1. खासी जनजाति के लोगों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह किया। इस विद्रोह का नेता कौन था ?
(a) सीताराम राजू
(b) सिद्ध और कान्हू 
(c) रानी गैडिन्ल्यू
(d) यू तीरथ सिंह 
उत्तर - (d)
व्याख्या- खासी जनजाति द्वारा ब्रिटिश शासन के विरुद्ध किए गए विद्रोह का नेतृत्व यू तीरथ सिंह (तीरत सिंह) ने किया था। यह विद्रोह उत्तर-पूर्वी भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध आदिवासियों द्वारा किए गए विद्रोहों में से एक मेघालय की खासी जनजाति द्वारा किया गया विद्रोह था।
2. अंग्रेजों ने किस प्रकार आदिवासी जीवन में हस्तक्षेप किया, जिसके कारण उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया?
(a) वन कानून द्वारा झूम खेती को हतोत्साहित करना ।
(b) स्थायी बंदोबस्त की शुरुआत और उच्च राजस्व की माँग ।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) न तो 'a' और न ही 'b'
उत्तर - (c)
व्याख्या- अंग्रेजों ने वन कानून द्वारा झूम खेती को हतोत्साहित करके स्थायी बंदोबस्त और उच्च राजस्व की माँग द्वारा आदिवासी जीवन में हस्तक्षेप किया। अंग्रेजों के वन कानून के द्वारा आदिवासी समूहों के जीवन निर्वाह और आजीविका पर व्यापक प्रभाव पड़ा। साथ ही अंग्रेजों के द्वारा आदिवासियों को एक स्थान पर बसाकर उन पर अपनी राजस्व की माँगों को थोपा गया। आदिवासी झूम कृषि करते थे और वनों पर आश्रित रहते थे, लेकिन अंग्रेजों द्वारा दोनों चीजों में हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप आदिवासियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया।
3. जनजातीय आंदोलन के संदर्भ में 'दिकु' शब्द का अर्थ है
(a) आदिवासियों का एक धार्मिक प्रधान
(b) आदिवासी क्षेत्र में बाहरी व्यक्ति
(c) आदिवासी आंदोलन का नेता
(d) गुरिल्ला युद्ध का प्रकार
उत्तर - (b)
व्याख्या- जनजातीय आंदोलन के संदर्भ में 'दिकु' शब्द आदिवासी क्षेत्र में बाहरी व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता था। तत्कालीन समय के जमींदार और अन्य लोग (यूरोपीय) आदिवासी क्षेत्रों ( आदिवासियों का निवास स्थान ) में राजस्व की प्राप्ति हेतु, उनकी जीविका के मुख्य आधार को समाप्त कर उन्हें अपने अधीन कार्य करने को मजबूर करते थे। इसी के परिणामस्वरूप मुंडा जैसी जनजातियों ने दिकुओं के विरुद्ध विद्रोह किया था।
4. भील आदिवासी आंदोलन के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
1. यह भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में हुआ।
2. यह 1820 ई. में शुरू हुआ और 1831 ई. तक जारी रहा।
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- भील आदिवासी आंदोलन के संबंध में दोनों कथन असत्य हैं । भील जाति के लोग पश्चिमी तट पर स्थित खानदेश में निवास करते थे। खानदेश महाराष्ट्र में स्थित क्षेत्र है। यह विद्रोह उत्तरी-पश्चिमी भाग में हुआ था। यह विद्रोह सर्वप्रथम 1812 ई. में अंग्रेजों के विरुद्ध प्रारंभ हुआ। भीलों का यह विद्रोह 1831-46 ई. के मध्य अधिक सक्रिय था। अतः वास्तव में, यह विद्रोह 1812 ई. से 1846 ई. के मध्य तक चला।
5. रंपा विद्रोह के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है ?
(a) यह विद्रोह 1886 ई. में हुआ था।
(b) यह एक लोकप्रिय किसान विद्रोह था।
(c) यह वर्तमान महाराष्ट्र में हुआ था।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (a)
व्याख्या- रंपा विद्रोह के संबंध में कथन (a) सत्य है। रंपा विद्रोह 1886 ई. में आंध्र प्रदेश में हुआ था। यह विद्रोह न केवल ब्रिटिश शासन के विरुद्ध, बल्कि जमींदारों तथा महाजनों के शोषण के विरुद्ध किया गया था। यह विद्रोह आंध्र प्रदेश में अल्लूरी सीताराम राजू के नेतृत्व में किया गया था। इस विद्रोह का प्रमुख कारण मनसबदारों की मनमानी, उनका भ्रष्टाचार और समाज में जंगल कानून का व्याप्त होना था।
6. मुंडा आंदोलन के संदर्भ में कौन-सा कथन सत्य है ?
1. 1895 ई. में बिरसा मुंडा ने अपने अनुयायियों से अपने गौरवशाली अतीत को पुनः प्राप्त करने का आग्रह किया।
2. मुंडा आंदोलन मिशनरियों, साहूकारों तथा हिंदू जमींदारों को बाहर करना चाहता था।
3. वर्ष 1900 में उसकी मृत्यु के बाद यह आंदोलन कमजोर पड़ गया।
कूट
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुंडा आंदोलन के संदर्भ में सभी कथन सत्य हैं। बिरसा मुंडा को मुंडा आंदोलन का प्रणेता माना जाता है। इन्होंने 'दिकुओं' (बाहरी लोग) के विरुद्ध विद्रोह को एक निरंतर गति प्रदान की। 1895 ई. में बिरसा मुंडा ने अपने अनुयायियों से आग्रह किया कि अपने गौरवपूर्ण अतीत, जिसमें वे लोग शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करते थे और अपनी आजीविका चलाते थे, को पुनर्जीवित करने हेतु संकल्पित हों।
बिरसा मुंडा द्वारा प्रारंभ किया गया आंदोलन मिशनरियों, महाजनों, हिंदू भू-स्वामियों और सरकार अर्थात् दिकुओं के विरुद्ध था। इस आंदोलन के राजनीतिक उद्देश्यों से ब्रिटिशों को अत्यंत परेशानी थी।
वर्ष 1900 में बिरसा मुंडा की मृत्यु हैजा के कारण हुई । वास्तव में, एक कुशल नेतृत्व के अभाव में मुंडा आंदोलन कमजोर पड़ गया।
7. वर्ष 1906 में सोंग्राम संगमा द्वारा किस स्थान पर विद्रोह किया गया था?
(a) असम
(b) गुजरात 
(c) उड़ीसा
(d) तमिलनाडु
उत्तर - (a)
व्याख्या- 'सोंग्राम संगमा' नामक आदिवासी विद्रोह वर्ष 1906 में असम में हुआ था। यह विद्रोह औपनिवेशिक वन कानूनों के विरुद्ध किया गया था, जिसके कारण आदिवासी लोगों की जीवन निर्वाह पद्धति अबाध रूप से बाधित हुई और उन्होंने ब्रिटिशों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
8. 1930 के दशक में मध्य प्रांत में हुए वन सत्याग्रह का मुख्य कारण क्या था? 
(a) मानव - पशु विवाद
(b) ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए
(c) औपनिवेशिक वन कानून
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (c)
व्याख्या- 1930 के दशक में मध्य प्रांत में हुए वन सत्याग्रह का मुख्य कारण ‘औपनिवेशिक वन कानून' का लाया जाना था। यह वन कानून अंग्रेजों द्वारा वनों पर अपने नियंत्रण को स्थापित करने हेतु लाया गया था। इसके कारण कई आदिवासी जनजातियाँ अपने मूल स्थान से विस्थापित होने को मजबूर हुईं। इस कानून के अंतर्गत झूम कृषकों को केवल इस शर्त पर वन में रहने दिया गया कि वे वन विभाग को श्रम प्रदान करेंगे।
9. भारत में 19वीं शताब्दी के जनजातीय विद्रोह के लिए निम्नलिखित में से कौन-से तत्व ने साझा कारण मुहैया किया?
(a) भू-राजस्व की नई प्रणाली का लागू होना और जनजातीय उत्पादों पर कर का लगाया जाना
(b) जनजातीय क्षेत्रों में विदेशी धर्म प्रचारकों का प्रभाव
(c) जनजातीय क्षेत्रों में बिचौलियों के रूप में बड़ी संख्या में महाजनों, व्यापारियों और लगान के ठेकेदारों का बढ़ना
(d) जनजातीय समुदायों की प्राचीन भूमि संबंधी व्यवस्था का संपूर्ण विचलन
उत्तर - (d)
व्याख्या- भारत में 19वीं शताब्दी के दौरान देश के विभिन्न भागों में जनजातीय आंदोलन के प्रारंभ होने का मुख्य कारण ब्रिटिशों द्वारा बदलते वन कानून तथा अपने व्यवहार पर लगी पाबंदियाँ थीं। इस व्यवस्था ने जनजातीय समुदायों की प्राचीन भूमि संबंधी व्यवस्था को बदल दिया, जिसकी प्रतिक्रिया जनजातीय विद्रोहों के माध्यम से सामने आई। इस व्यवस्था से उपजी समस्याओं के कारण विशेषत: नए करों और व्यापारियों व महाजनों द्वारा जनजातियों का अत्यधिक शोषण किया गया।

किसान आंदोलन

1. नील की खेती के संदर्भ में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. अंग्रेजों ने गाँव के मुखिया पर रैयतों की ओर से एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने हेतु दबाव डाला।
2. रैयतों को नील की बहुत कम कीमत मिलती थी।
कूट
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- नील की खेती के संदर्भ में दोनों कथन सत्य हैं। अंग्रेजों द्वारा गाँव के मुखिया पर रैयती व्यवस्था के अंतर्गत एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डाला जाता था और जो इस अनुबंध पर हस्ताक्षर कर देते थे, उन्हें नील उगाने के लिए कम ब्याज दर पर बागान मालिकों से नकद कर्ज मिल जाता था, लेकिन कर्ज लेने वाले रैयत (किसान) को अपनी जमीन के कम-से-कम 25% भाग पर नील की खेती करनी पड़ती थी।
रैयतों द्वारा नील की खेती पूर्ण हो जाने पर कटाई के पश्चात् उन्हें बागान मालिकों से पुन: कर्ज मिल जाता था और नील की उपज के बदले कम कीमत मिलती थी।
2. नील विद्रोह के संबंध में कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) यह गुजरात में हुआ था।
(b) गाँव के मुखिया और जमींदारों ने विद्रोह का समर्थन किया।
(c) विद्रोह के परिणामस्वरूप नील आयोग नियुक्त किया गया।
(d) आयोग ने बागान मालिकों को दोषी ठहराया।
उत्तर - (a)
व्याख्या- नील विद्रोह के संबंध में कथन (a) असत्य है, क्योंकि नील विद्रोह 1859 ई. में गुजरात में नहीं, बल्कि बंगाल के नदिया जिले से प्रारंभ हुआ था, जब बंगाल के बहुत सारे रैयतों ने नील की खेती करने से इंकार कर दिया था।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. बारदोली सत्याग्रह वर्ष 1928 में हुआ था।
2. इसकी अध्यक्षता सरदार वल्लभभाई पटेल ने की थी।
3. उन्होंने किसानों द्वारा 'कर नहीं देने' का आंदोलन चलाया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
बारदोली सत्याग्रह भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान जून, 1928 में गुजरात में हुआ एक प्रमुख किसान आंदोलन था, जिसका नेतृत्व सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया था।
तत्कालीन प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में 30% तक वृद्धि कर दी थी। वल्लभभाई पटेल ने लगान वृद्धि का विरोध किया था और किसानों से कर नहीं देने की अपील की थी।
4. किस वर्ष स्वामी सहजानंद सरस्वती द्वारा अखिल भारतीय किसान सभा का गठन किया गया था ? 
(a) वर्ष 1932
(b) वर्ष 1936
(c) वर्ष 1934
(d) वर्ष 1940
उत्तर - (b)
व्याख्या- वर्ष 1936 में लखनऊ में स्वामी सहजानंद सरस्वती की अध्यक्षता में पहला अखिल भारतीय किसान संगठन, अखिल भारतीय किसान सभा के नाम से जाना जाने लगा। नागरिक अवज्ञा आंदोलन और वामपंथी पार्टियों के विभिन्न गुटों ने राजनीतिक कार्यकर्ताओं की एक ऐसी नई पीढ़ी को उत्पन्न किया, जो किसानों और मजदूरों के संगठन हेतु समर्पित थी। परिणामस्वरूप किसान संगठन और ट्रेड यूनियन की स्थापना विभिन्न शहरों मे की जाने लगी थी।

नागरिक विद्रोह / अपदस्थ शासक / जमींदार

1. निम्न में से कौन-सा 1857 ई. से पूर्व हुए नागरिक विद्रोहों का प्राथमिक कारण था ? 
(a) अंग्रेजों एवं साहूकारों द्वारा गाँव के कारीगरों और किसानों का शोषण।
(b) अंग्रेजों द्वारा अर्थव्यवस्था, प्रशासन और भू-राजस्व व्यवस्था में तीव्र गति से किया गया परिवर्तन।
(c) भू-राजस्व की माँगों को तेज करने और यथासंभव बड़ी राशि निकालने की औपनिवेशिक नीति
(d) बढ़े राजस्व का एक हिस्सा भी कृषि के विकास या किसानों के कल्याण पर खर्च नहीं करना ।
उत्तर - (b)
व्याख्या- अंग्रेजों द्वारा अर्थव्यवस्था, प्रशासन और भू-राजस्व व्यवस्था में तीव्र गति से किया गया परिवर्तन 1857 ई. से पूर्व हुए नागरिक विद्रोहों का प्राथमिक कारण था। इन परिस्थितियों ने भारतीय समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को जिसमें किसान, श्रमिक, आदिवासी जनजाति आदि सम्मिलित थे, अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह और नागरिक प्रदर्शन हेतु अग्रसर किया।
2. निम्नलिखित विद्रोहों में से किसको बंकिमचंद्र चटर्जी ने अपने उपन्यास 'आनंदमठ' में उल्लेख कर प्रसिद्ध किया? 
(a) भील विद्रोह 
(b) रंगपुर तथा दीनापुर
(c) संन्यासी विद्रोह
(d) विष्णुपुर तथा वीरभूमि विद्रोह
उत्तर - (c)
व्याख्या- संन्यासी विद्रोह को बंकिमचंद्र चटर्जी ने अपने उपन्यास 'आनंदमठ' में उल्लेख कर प्रसिद्ध किया। अठारहवीं सदी के अंतिम वर्षों में (1763-1800 ई.) अर्थात् बंगाल की विजय के पश्चात् अंग्रेजों के विरुद्ध होने वाला प्रथम विद्रोह संन्यासी विद्रोह था। यह संन्यासियों और फकीरों के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ। यह पूर्वी भारत के अनेक क्षेत्रों में फैला । केना सरकार और द्विजनारायण ने इस विद्रोह को नेतृत्व प्रदान किया था, जिसका प्रमुख क्षेत्र बंगाल और बिहार प्रांत था। इस विद्रोह में अधिकांश विद्रोही किसान थे। इस विद्रोह का दमन करने में अंग्रेजों को लगभग 30 वर्षों का समय लग गया था।
3. निम्न में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1795 ई. से 1805 ई. तक दक्षिण भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध भयंकर विद्रोह हुआ।
(b) इस विद्रोह का नेतृत्व जमींदारों द्वारा किया गया, जिन्हें पोलिगार कहते हैं ।
(c) पोलिगारों ने जनता की सहायता से अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
दक्षिण भारत में 1795 ई. से 1805 ई. के बीच अंग्रेजों को भीषण विद्रोह का सामना करना पड़ा। यह विद्रोह पोलिगारों द्वारा किया गया था, जो जमींदार थे। पोलिगारों को सत्ता विजयनगर साम्राज्य के दौरान विरासत में मिली थी, इसलिए पोलिगारों को विद्रोह के समय तत्कालीन दक्षिण भारतीय क्षेत्र मद्रास, उत्तरी अर्काट का तिरुनेल्वेली जिला और आंध्र प्रदेश के अभ्यर्पति जिलों के स्थानीय किसानों का भी समर्थन प्राप्त था।
4. उस व्यक्ति का नाम बताइए, जिसने मणिपुर में ब्रिटिश विरोधी विद्रोह का नेतृत्व किया, किंतु विद्रोह को दबा दिया गया और उसकी हत्या कर दी गई। 
(a) वासुदेव बलवंत
(b) हीरा सिंह 
(c) टिकेंद्रजीत
(d) तीरथ सिंह 
उत्तर - (c)
व्याख्या- मणिपुर में ब्रिटिश विरोधी विद्रोह का नेतृत्व टिकेंद्रजीत ने किया था। वे महान देशभक्त और ब्रिटिश साम्राज्यवादी योजना के घोर विरोधी थे। उन्होंने ब्रिटिशों की विस्तारवादी नीतियों से लोगों को अवगत कराया था, जिसके परिणामस्वरूप 1891 ई. में आंग्ल-मणिपुर युद्ध प्रारंभ हुआ, हालाँकि इस युद्ध में अंग्रेज विजयी हुए और टिकेंद्रजीत सिंह को फाँसी दे दी गई।
5. रामोशी विद्रोह सही रूप में किस भौगोलिक क्षेत्र में हुआ था? 
(a) पश्चिमी भारत
(b) पूर्वी भारत 
(c) पूर्वी घाट
(d) पश्चिमी घाट 
उत्तर - (d)
व्याख्या- रामोशी विद्रोह (1877-78 ई.) पश्चिमी घाट के क्षेत्र में भौगेलिक हुआ। रामोशी जनजाति को प्रशिक्षित करते हुए वासुदेव बलवंत फड़के ने 'रामोशी कृषक जत्था' संगठित किया था। बलवंत फड़के को गिरफ्तार कर काला पानी की सजा दी गई, जहाँ 1883 ई. में इनका निधन हो गया।
6. फड़के सशस्त्र विद्रोह के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं? 
(a) यह विद्रोह 1879 ई. में हुआ था।
(b) इसका नेतृत्व वासुदेव बलवंत फड़के ने किया था।
(c) यह विद्रोह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध शुरू हुआ था।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- फड़के सशस्त्र विद्रोह के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। फड़के सशस्त्र विद्रोह 1879 ई. में महाराष्ट्र में वासुदेव बलवंत फड़के के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ था। ब्रिटिश काल में किसानों की दयनीय स्थिति को देखते हुए फड़के ने कोली, भील तथा धांगड़ जातियों को एकत्र कर 'रामोशी' नामक एक क्रांतिकारी संगठन का निर्माण किया।
अपने इस मुक्ति संग्राम के लिए इन्होंने महाजनों और धनी अंग्रेज साहूकारों को लूटकर धन एकत्र किया, परंतु यह विद्रोह अधिक समय तक जारी न रह सका तथा फड़के को पकड़ लिया गया और आजीवन कारावास की सजा दी गई।
7. कूका आंदोलन के संदर्भ में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. कूका आंदोलन का नेतृत्व गुरु रामसिंह ने किया था।
2. उन्होंने अंग्रेजों द्वारा समर्पित भ्रष्ट महंतों के विरुद्ध विद्रोह किया।
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- कूका आंदोलन के संदर्भ में कथन (1) सत्य है। कूका विद्रोह या आंदोलन 1871-72 ई. में पंजाब के कूका लोगों द्वारा किया गया एक सशस्त्र विद्रोह था, जिसका नेतृत्व बालक सिंह तथा उनके अनुयायी गुरु रामसिंह ने किया था। प्रारंभ में कूका आंदोलन सिक्ख पंथ में व्याप्त अंधविश्वास और बुराइयों को दूर करने के लिए किया गया, लेकिन बाद में यह आंदोलन एक राजनीतिक आंदोलन में परिवर्तित हो गया।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि कूका विद्रोह अंग्रेजों द्वारा गायों की हत्या को बढ़ावा देने के विरोध में किया गया था न कि यह भ्रष्ट महंतों के विरुद्ध किया गया था।

विविध

1. वहाबियों के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं? 
1. सैयद अहमद बरेलवी इसके मुख्य प्रवर्तक थे।
2. बंगाल और बिहार इस संप्रदाय के प्रमुख आधार थे।
3. उन्होंने लोगों से ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के लिए इस पवित्र युद्ध में शामिल होने का आग्रह किया।
कूट
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- वहाबियों के संदर्भ में सभी कथन सत्य हैं। वहाबी संप्रदाय इस्लाम की एक शाखा थी, जो अत्यंत कट्टर मानी जाती थी। वहाबी आंदोलन शाह वली उल्लाह ने प्रारंभ किया था। तत्पश्चात् सैयद अहमद बरेलवी ने इस आंदोलन को आगे बढ़ाया था। इनके अनुयायियों को वहाबी कहा जाता था। यह एक पुनर्जागरण आंदोलन था, जो 1828 ई. से 1888 ई. तक चलता रहा। इसका प्रमुख केंद्र पटना था। बिहार और बंगाल के किसान वर्ग, कारीगर और दुकानदारों ने वहाबी आंदोलन को समर्थन दिया था।
वहाबी आंदोलन के समर्थकों ने लोगों से ब्रिटिश शासन को जड़ से समाप्त करने हेतु इस पवित्र युद्ध में शामिल होने का आग्रह किया था।
2. निम्न में से किस स्थान पर 1857 ई. के विद्रोह से पहले लोकप्रिय सिपाहियों के विद्रोह हुए थे? 
1. वेल्लूर कूट
2. लखनऊ
3. बैरकपुर
4. बॉम्बे 
कूट
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 3 और 4
उत्तर - (b)
व्याख्या- वेल्लूर और बैरकपुर नामक स्थान पर 1857 ई. के विद्रोह से पूर्व लोकप्रिय सिपाहियों का विद्रोह हुआ था। अपने प्रारंभ के विद्रोह को देखते हुए कंपनी की फौज में शामिल सिपाहियों ने भी 1806 ई. में वेल्लूर विद्रोह और 1824 ई. में बैरकपुर विद्रोह किया था। वेल्लूर में टीपू सुल्तान के बेटों को अंग्रेजों ने बसाया था और कहीं-न-कहीं उनकी मौजूदगी कंपनी में कार्यरत् सिपाहियों के लिए प्रेरणा स्रोत थी ।
3. भारत में 1857 के विद्रोह से पूर्व हुए सिपाही विद्रोह के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है? 
(a) वेल्लूर विद्रोह 1806 ई. में हुआ था।
(b) बैरकपुर में विद्रोह का नेतृत्व 47वीं नेटिव इंफैन्ट्री ने किया था।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए कथनों में कोई भी कथन असत्य नहीं है। वेल्लूर विद्रोह (1806) और बैरकपुर विद्रोह (1824) दोनों 1857 की क्रांति के पूर्व घटित हुए थे। बैरकपुर में 47वीं नेटिव इंफैंट्री के सिपाहियों ने विद्रोह किया था, जिसे देखक ब्रिटिश भी आश्चर्यचकित थे। यह विद्रोह मुख्य रू से चर्बी लगे कारतूसों के प्रयोग करने को लेकर था।
4. अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस का गठन किस वर्ष किया गया था?
(a) वर्ष 1918
(b) वर्ष 1920 
(c) वर्ष 1924
(d) वर्ष 1930
उत्तर - (b)
व्याख्या- अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस का गठन या स्थापना वर्ष 1920 में एन. एम. जोशी द्वारा की गई थी । यह भारत में भारतीय राष्ट्रीय मजदूर संघ कांग्रेस के पश्चात् दूसरा सबसे बड़ा मजदूर संघ है, जो श्रमिकों के हितों से संबंधित मूलभूत विचारों को लेकर गठित हुआ था।
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Sat, 10 Feb 2024 06:54:58 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | ब्रिटिश काल की प्रशासनिक एवं आर्थिक नीतियाँ https://m.jaankarirakho.com/880 https://m.jaankarirakho.com/880 NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | ब्रिटिश काल की प्रशासनिक एवं आर्थिक नीतियाँ

भारत में अंग्रेजों की आर्थिक नीतियाँ

1. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. युद्धों और उपनिवेशवाद के द्वारा ब्रिटेन ने अनेक विदेशी व्यापारों पर अधिकार कर लिया।
2. निर्यात बाजारों के कारण ब्रिटेन के निर्यातक उद्योगों का उत्पादन तेजी से घट गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) सत्य है। ब्रिटेन में हुई औद्योगिक क्रांति ने उसकी अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव डाला। 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 19वीं सदी के पूर्व के दशकों में ब्रिटेन में कुछ महत्त्वपूर्ण सामाजिक आर्थिक, रूपांतरण हुए, जिसके फलस्वरूप ब्रिटेन ने युद्ध और उपनिवेशवाद के द्वारा विदेशी बाजारों पर एकाधिकार स्थापित कर लिया था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि निर्यात बाजारों में उत्तरोत्तर वृद्धि के कारण ब्रिटेन के निर्यातक उद्योगों का उत्पादन तेजी से बढ़ा न कि घट गया, क्योंकि इसमें उत्पादन तथा संगठन की आधुनिकतम तकनीकों का प्रयोग किया गया था।
2. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. भारत सरकार ने 1813 ई. के बाद मुक्त व्यापार अर्थात् ब्रिटिश माल के अबाध भारत प्रवेश की नीति अपनाई ।
2. भारतीय दस्तकारों को अब ब्रिटेन की मशीनों से बने माल के साथ कष्टदायक और असमान प्रतियोगिता का सामना करना पड़ा।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। 1813 ई. के पश्चात् भारत सरकार द्वारा मुक्त व्यापार की नीति का अनुसरण करने से ब्रिटिश माल का भारत में प्रवेश अबाध गति से होने लगा, जिसके फलस्वरूप भारत में ब्रिटिश माल बिना किसी शुल्क या फिर मामूली आयात शुल्क के साथ आने लगा।
भारतीय दस्तकारों के द्वारा बनाए गए सामान ब्रिटिश मशीनों और आधुनिक तकनीकों का सामना करने में असक्षम दिखे, जिससे भारतीय दस्तकारों की स्थिति दयनीय होती गई।
3. किस संधि के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल की दीवानी प्राप्त हुई थी?
(a) 12 जनवरी 1665 
(b) 12 अगस्त, 1766
(c) 12 नवंबर, 1767
(d) 12 सितंबर, 1764
उत्तर - (b)
व्याख्या- बक्सर के युद्ध (1764 ई.) के पश्चात् 12 अगस्त, 1766 को इलाहाबाद की संधि के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल की दीवानी प्राप्त हुई थी। यह संधि रॉबर्ट क्लाइव तथा मुगल सम्राट शाहआलम द्वितीय के मध्य हुई थी। इस संधि के परिणामस्वरूप बंगाल में प्रशासकीय परिवर्तनों की शुरुआत हुई, जिससे ब्रिटिश प्रशासनिक व्यवस्था की आधारशिला रखी गई ।

यातायात और संचार के साधनों का विकास

1. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. भारत में रेल लाइन बिछाने का पहला सुझाव वर्ष 1834 ई. में कलकत्ता में आया था।
2. भारत में भाप से चलने वाली रेलों का प्रथम प्रस्ताव 1835 ई. में मद्रास में रखा गया था।
3. बंबई और थाणे के मध्य पहली रेल लाइन यातायात के लिए 1853 ई. में खोल दी गई थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) असत्य हैं। भारत में रेल लाइन बिछाने का प्रथम सुझाव 1834 ई. में नहीं, बल्कि 1831 ई. में मद्रास में आया था, लेकिन इस रेल के डिब्बों को घोड़े खींचने वाले थे।
भारत में भाप से चलने वाली रेलों का प्रथम प्रस्ताव 1835 ई. में नहीं, बल्कि 1834 में इंग्लैंड में रखा गया था। इस प्रस्ताव को इंग्लैंड के रेलवे प्रोमोटरों, वित्तपतियों ( उद्योगपतियों) भारत से व्यापार कर रहे व्यापारिक उद्यम समूहों तथा वस्त्र उत्पादकों से अभूतपूर्व राजनीतिक समर्थन मिला।
2. भारत में प्रथम रेल लाइन का निर्माण किस ब्रिटिश गवर्नर जनरल के समय हुआ था ? 
(a) लॉर्ड डलहौजी 
(b) लॉर्ड कर्जन
(c) लॉर्ड वेलेजली
(d) लॉर्ड लिटन
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारत में प्रथम रेललाइन का निर्माण लॉर्ड डलहौजी के समय में हुआ। 1848-1856 ई. के मध्य भारत में प्रथम रेल बंबई से ठाणे (1853) के मध्य चलाई गई थी।
लॉर्ड डलहौजी ने वर्ष 1853 में रेल के विकास से संबंधित एक कार्यक्रम बनाया था, जिसमें चार प्रमुख ट्रंक लाइनों का प्रस्ताव रखा गया, जो देश के अंदरूनी भागों को बड़े बंदरगाहों से तथा देश के विभिन्न भागों को आपस में जोड़ सकें।
3. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. वास्तव में, 1813 ई. में प्रशासन और न्याय व्यवस्था में जितने भी महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए, उनका लक्ष्य मालगुजारी का संग्रह बढ़ाना था।
2. कंपनी के व्यापार और मुनाफों के लिए तथा प्रशासनिक खर्च के लिए धन जुटाने का भार मुख्यतः जमींदारों पर था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं? 
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) असत्य है, क्योंकि कंपनी के व्यापार और मुनाफों के लिए तथा प्रशासनिक खर्च के लिए धन की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी जमींदारों पर नहीं, बल्कि किसानों अर्थात रैयतों पर थी।
कथन (1) सत्य है। 1813 ई. के एक्ट के द्वारा प्रशासन व्यय के संबंध में जितने भी महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए, उनका उद्देश्य मालगुजारी का संग्रह बढ़ाना था।

स्थायी बंदोबस्त

1. स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था कब लागू की गई?
(a) 1787 ई. में
(b) 1789 ई. में 
(c) 1793 ई. में
(d) 1790 ई. में 
उत्तर - (c)
व्याख्या- स्थायी बंदोबस्त (इस्तमरारी बंदोबस्त) व्यवस्था का प्रारंभ 1793 ई. में लॉर्ड कार्नवालिस द्वारा बंगाल और बिहार में किया गया था। इस व्यवस्था के अंतर्गत जमींदारों और मालगुजारों को भूस्वामी बना दिया गया।
दूसरी ओर, काश्तकारों का दर्जा निम्न हो गया और अब वे बँटाईदार बनकर रह गए तथा वे जमीन पर अपने लंबे समय से चले आ रहे पारंपरिक अधिकारों से वंचित कर दिए गए।
2. स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस बंदोबस्त की शर्तों के अनुसार राजाओं और तालुकेदारों को जमींदार के रूप में मान्यता दी गई।
2. जमींदारों को किसानों से लगान वसूलने और कंपनी को राजस्व चुकाने का अधिकार सौंपा गया।
3. किसानों की ओर से चुकाई जाने वाली राशि को प्रतिवर्ष निर्धारित किया जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था के संदर्भ में कथन (1) और (2) सत्य हैं। स्थायी बंदोबस्त की शर्तों के अनुसार राजाओं और तालुकेदारों को जमींदारों के रूप में मान्यता प्रदान की गई और उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई कि वे किसानों से लगान वसूल करें और साथ ही कंपनी को राजस्व भी चुकाएँ ।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि किसानों की ओर से चुकाई जाने वाली राशि को स्थायी रूप से निश्चित कर दिया गया यह प्रत्येक वर्ष नहीं बदलती थी। इस राशि को स्थायी करने का अर्थ यह था कि किसानों से अंग्रेजों को नियमित रूप से राजस्व मिलता रहेगा और जमींदारों को जमीन में सुधार के लिए खर्च करने का प्रोत्साहन मिलेगा।
3. 'स्थायी बंदोबस्त' किसके साथ किया गया?
(a) जमींदारों के साथ
(b) ग्रामीण समुदायों के साथ
(c) मुकदमों के साथ
(d) किसानों के साथ
उत्तर - (a)
व्याख्या- स्थायी बंदोबस्त जमींदारों के साथ किया गया था। भू-राजस्व के संग्रह के लिए यह स्था अंग्रेजों द्वारा प्रारंभ की गई थी। ब्रिटिशकालीन जमींदारों की स्थिति मुगलकालीन जमींदारों से बेहतर थी। बंदोबस्त के अंतर्गत जमींदारों को स्वामित्व प्रदान कर भू-राजस्व की पूरी जिम्मेदारी प्रदान की गई।
4. स्थायी बंदोबस्त के कारण कौन-सी समस्या उत्पन्न हुई?
(a) कंपनी ने जो राजस्व तय किया वह इतना अधिक था कि उसको चुकाने में जमींदारों को बहुत परेशानी हो रही थी।
(b) जो जमींदार राजस्व चुकाने में असमर्थ हो जाता था उसकी जमींदारी छीन ली जाती थी।
(c) इस व्यवस्था से जमींदारों की स्थिति में तो सुधार आया, किंतु कंपनी को कोई लाभ नहीं हुआ।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- स्थायी बंदोबस्त के कारण निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न हुई 
स्थायी बंदोबस्त के राजस्व को स्थायी रूप से तय करने के पश्चात् कंपनी के अफसरों को यह प्रतीत हो रहा था कि जमींदार जमीन में सुधार हेतु खर्च नहीं कर रहे हैं, जिसका मुख्य कारण ब्रिटिशों द्वारा तय की गई राजस्व की उच्च दर थी, जिसे चुकाने में जमींदारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
इस दौरान बहुत सारी जमींदारी को कंपनी ने नीलाम कर दिया था, जिसका कारण जमींदारों का राजस्व चुकाने में विफल होना था। इस विफलता के कारण जमींदारों से उनकी जमींदारी छीन ली जाती थी।
19वीं सदी के पहले दशक में जमींदारों की स्थिति में सुधार हुआ, लेकिन कंपनी को लाभ नहीं हो रहा था, जिसका मुख्य कारण राजस्व की दर को स्थायी रूप से तय करना था, , क्योंकि अब वह शर्त के अनुसार राजस्व में वृद्धि करने में असक्षम थी।
5. स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस व्यवस्था में लगान का 10/11 भाग जमींदार स्वयं अपने पास रख लेते थे तथा 1/11 भाग कंपनी को देते थे।
2. यह व्यवस्था बनारस (उत्तर प्रदेश), उड़ीसा (ओडिशा) तथा उत्तरी कर्नाटक में लागू की गई थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a) 
व्याख्या- स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था के संबंध में कथन (1) असत्य है।
स्थायी बंदोबस्त के अनुसार जमींदारों को किसानों से जो भी लगान मिलता उसका 10/11 भाग उन्हें राज्य को देना पड़ता था और वह स्वयं के पास केवल 1/11 भाग ही रख सकते थे।
कथन (2) सत्य है, क्योंकि स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था बंगाल और बिहार के अतिरिक्त उड़ीसा, बनारस और उत्तरी कर्नाटक में लागू की गई थी।

रैयतवाड़ी व्यवस्था

1. निम्नलिखित में से कौन ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में रैयतवाड़ी बंदोबस्त को प्रारंभ किए जाने से संबद्ध था / थे?
1. लॉर्ड कार्नवालिस
2. अलेक्जेंडर रीड
3. टॉमस मुनरो
कूट
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- रैयतवाड़ी बंदोबस्त को प्रारंभ करने में अलेक्जेंडर रीड तथा टॉमस मुनरो का योगदान रहा है। यह बंदोबस्त 1792 ई. में आरंभ किया गया। यह बंदोबस्त तमिलनाडु के बारामहल क्षेत्र में लागू किया गया। ब्रिटिश भारत के 51% क्षेत्र में यह व्यवस्था लागू की गई ।
2. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. ब्रिटिश नियंत्रण वाले दक्षिण भारतीय क्षेत्रों में स्थायी बंदोबस्त के स्थान पर एक नई व्यवस्था 'रैयतवाड़ी' का जन्म हुआ।
2. इस व्यवस्था में सीधे रैयतों (किसानों) से लगान की वसूली तय की गई ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं? 
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। दक्षिणी भारत में रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की गई। दक्षिण भारत में देश के अन्य क्षेत्रों की भाँति जमींदार नहीं थे। अत: उन्होंने यह तय किया कि उन किसानों (रैयत) से सीधे ही लगान की वसूली करनी चाहिए, जो कई वर्षों से जमीनों पर खेती करते आ रहे हैं।
3. रैयतवाड़ी व्यवस्था कहाँ लागू थी ?
(a) बंगाल प्रेसीडेंसी
(b) मद्रास प्रेसीडेंसी 
(c) बंबई प्रेसीडेंसी में
(d) मद्रास और बंबई प्रेसीडेंसी में
उत्तर - (d)
व्याख्या- 1802 ई. में मद्रास के तत्कालीन गवर्नर टॉमस मुनरो ने रैयतवाड़ी व्यवस्था का आरंभ किया। यह व्यवस्था मद्रास और बंबई के भागों में कुछ लागू की गई थी। इस व्यवस्था में भू-राजस्व का निर्धारण उपज के आधार पर नहीं, बल्कि भूमि के क्षेत्रफल के आधार पर किया गया।
4. रैयतवाड़ी बंदोबस्त के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. किसानों द्वारा लगान सीधे सरकार को दिया जाता था। 
2. सरकार रैयत को पट्टे देती थी।
3. कर लगाने के पूर्व भूमि का सर्वेक्षण और मूल्य निर्धारण किया जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- रैयतवाड़ी बंदोबस्त के संदर्भ में सभी कथन सत्य हैं। रैयतवाड़ी बंदोबस्त के संदर्भ में किसानों द्वारा लगान सीधे सरकार को प्रदान करने की प्रक्रिया को लागू किया गया। सरकार, रैयतों को पट्टे पर भूमि प्रदान करती थी तथा कर लगाने से पहले भूमि का सर्वेक्षण किया जाता था तथा लगान की राशि तय की जाती थी।

महालवाड़ी व्यवस्था

1. महालवाड़ी व्यवस्था के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए।
1. इस व्यवस्था का जन्मदाता हॉल्ट मैकेंजी को माना जाता था।
2. यह व्यवस्था बंगाल प्रेसीडेंसी के उत्तर-पश्चिम प्रांतों के लिए तैयार की गई थी।
3. इस व्यवस्था को 1820 ई. में लागू किया गया था।
4. इस व्यवस्था में राजस्व को स्थायी रूप से तय कर दिया जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 3 और 4
(d) 1 और 4
उत्तर - (c)
व्याख्या- महालवाड़ी व्यवस्था के संदर्भ में कथन (3) और (4) असत्य हैं। महालवाड़ी व्यवस्था को 1820 ई. में नहीं, बल्कि 1822 ई. में मध्य प्रांत, आगरा एवं पंजाब के क्षेत्रों में लागू किया गया था। इस व्यवस्था में राजस्व को स्थायी रूप से तय नहीं किया गया, बल्कि उसमें समय-समय पर संशोधनों की व्यवस्था रखी गई। इस व्यवस्था में राजस्व संग्रह और उसे कंपनी को अदा करने की जिम्मेदारी गाँव के प्रधानों के माध्यम से की जाने लगी।
2. महालवाड़ी व्यवस्था में राजस्व एकत्रित करने की जिम्मेदारी होती थी 
(a) जमींदार 
(b) किसान
(c) गाँव का मुखिया
(d) कंपनी
उत्तर - (c)
व्याख्या- महालवाड़ी बंदोबस्त में राजस्व एकत्रित करने की जिम्मेदारी महाल या गाँव के प्रधानों (मुखिया) की थी। इनके माध्यम से राजस्व एकत्रित कर उसे कंपनी को अदा किया जाने लगा। इस व्यवस्था के अंतर्गत गाँव के प्रमुख किसानों को भूमि से निष्कासित करने का अधिकार था। इस व्यवस्था के अंतर्गत लगान का निर्धारण महाल या संपूर्ण गाँव की उपज के आधार पर किया जाता था।
3. ब्रिटिश राजस्व दस्तावेजों में महाल क्या था?
(a) गाँव या गाँवों का समूह 
(b) ऐतिहासिक इमारत
(c) एक कर
(d) एक सैन्य सोपान
उत्तर - (a)
व्याख्या- ब्रिटिश राजस्व दस्तावेजों में 'महाल' से तात्पर्य गाँव या गाँवों के समूह से था। हॉल्ट मैकेंजी के महालवाड़ी बंदोबस्त का मुख्य आकर्षण 'महाल' से वसूल होने वाला राजस्व था। इस व्यवस्था को महालों में लागू करने से पूर्व मैकेंजी ने सभी गाँवों का दौरा कलेक्टरों के माध्यम से कराया और जमीनों की जाँच की तथा खेतों को मापा गया।

कृषि, व्यापार एवं वाणिज्य

1. निम्न में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) अठारहवीं सदी के आखिरी दशक से ही बंगाल में नील की खेती बंद होने लगी थी
(b) नील की खेती की मुख्य दो विधियाँ थी निज और रैयती
(c) रैयती व्यवस्था के अंतर्गत बागान मालिक रैयतों के साथ एक अनुबंध (पट्टा) करते थे
(d) बागान मालिकों से अनुबंध करने वाले रैयतों को अपनी जमीन के कम-से-कम 25% भाग पर नील की खेती करनी होती थी
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (a) असत्य है, क्योंकि अठारहवीं सदी के आखिरी दशक से ही बंगाल में नील की खेती बंद होने के स्थान पर तेजी से फैलने लगी थी, क्योंकि यह दशक ब्रिटेन में तीव्र औद्योगीकरण का था और इस दौरान बंगाल का नील विश्व बाजारों में अपनी गहरी छाप छोड़ चुका था। वर्ष 1810 में ब्रिटेन द्वारा आयात किए गए भारतीय नील में उसका हिस्सा 95% था ।
2. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. ब्रिटिश काल में वाराणसी, लखनऊ, आगरा आदि सूती वस्त्र उत्पादन के महत्त्वपूर्ण केंद्र थे।
2. 17वीं 18वीं शताब्दी में गोवा, सूरत तथा मछलीपट्टनम आदि जहाज निर्माण के मुख्य केंद्र थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a ) 1 और 2
(b) केवल 1
(c) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। ब्रिटिश काल के दौरान शहरों में बसे शिल्पकार उपयोगी वस्तुओं के अतिरिक्त विलास हेतु वस्तुओं का भी निर्माण करते थे। ये वस्तुएँ देशी और विदेशी बाजारों में बिकती थीं, इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण सूती वस्त्र थे। उस दौरान सूती वस्त्रों का उत्पादन ढाका, कृष्णानगर, वाराणसी, लखनऊ, आगरा, बुरहानपुर, सूरत, भड़ौच, अहमदाबाद आदि में किया जाता था।
17वीं, 18वीं शताब्दी में जहाज निर्माण के क्षेत्र में भारत अग्रणी देशों में से एक था। भारत में गोवा, सूरत, मछलीपट्टनम, सतगाँव, ढाका और चटगाँव जहाज निर्माण के मुख्य केंद्र थे।
3. निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) 17वीं सदी के अंतिम दशक से ही बंगाल में नील की खेती तेजी से फैलने लगी थी
(b) 1788 ई. में ब्रिटेन द्वारा आयात किए गए नील में भारतीय नील का हिस्सा 50% था
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) 1810 ई. में ब्रिटेन द्वारा आयात किए गए नील में भारतीय नील का हिस्सा 95% हो चुका था
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (a) और (b) सही हैं, क्योंकि नील की खेती सत्रहवीं सदी में नहीं, बल्कि अठारहवीं सदी के आखिरी दशकों से ही बंगाल में तेजी से फैलने लगी थी। 1788 ई. में ब्रिटेन द्वारा आयात किए गए नील में भारतीय नील का हिस्सा 30% था न कि 50% ।
4. नील विद्रोह कहाँ हुआ था ?
(a) पंजाब 
(b) गुजरात 
(c) महाराष्ट्र
(d) बंगाल
उत्तर - (d)
व्याख्या- नील विद्रोह बंगाल के किसानों द्वारा 1859 ई. में किया गया था, जिसे 'नील आंदोलन' के नाम से भी जाना जाता है।
इस आंदोलन का आरंभ बंगाल के नदिया जिले से हुआ था, जहाँ के नील किसानों ने नील की खेती करने से मना कर दिया था। यह आंदोलन संपूर्ण रूप से अहिंसक था और इसमें भारतीय हिंदू व मुसलमानों ने हिस्सा लिया था।
5. ब्रिटिश काल में झूम खेती के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. झूम खेती को घुमंतू खेती कहा जाता है।
2. इस प्रकार की खेती अधिकांशतः जंगली क्षेत्रों में और छोटे भू-भागों पर की जाती थी।
3. इस खेती के अंतर्गत खेतों को जोतने और बीजों को बोने के स्थान पर खेत में बिखेर दिया जाता था।
4. घुमंतू किसान मुख्य रूप से पूर्वोत्तर और मध्य भारत की पर्वतीय व जंगली पट्टियों में रहते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 3 और 4
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- ब्रिटिश काल में झूम खेती के संदर्भ में दिए गए सभी कथन सत्य हैं ।
उन्नीसवीं सदी तक देश के विभिन्न भागों में आदिवासी विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय रहे, उनमें से एक झूम कृषि थी। झूम खेती और घुमंतू खेती एक-दूसरे के समकक्ष थी।
झूम खेती मुख्यतः जंगलों में छोटे-छोटे भूखंडों को साफ करके की जाती इस खेती में जमीन पर उगी घास को जलाकर उससे बनी राख को खेतों में बिखेर दिया जाता था, जिससे जमीन उपजाऊ हो जाती थी, क्योंकि राख में पोटाश पाई जाती थी। घुमंतू किसान मुख्यतः पूर्वोत्तर क्षेत्र और मध्य भारत के पर्वतीय व जंगली क्षेत्रों में निवास करते थे।
6. निम्न में से कौन-सी जनजाति स्वयं को जंगल की संतान मानती थी ? 
(a) खोंड 
(b) बैगा
(c) संथाल 
(d) गोंड
उत्तर - (b)
व्याख्या- बैगा जनजाति स्वयं को 'जंगल की संतान' मानती थी । बैगा लोग दूसरों की मजदूरी नहीं करते थे, वह केवल जंगल की उपज पर ही अपना जीवन निर्वाह करते थे।
मजदूरी करना बैगा जनजाति के लोगों के लिए अपमानजनक बात थी। यह भारत के मध्य क्षेत्रों में निवास करते थे। भारत के आदिवासियों में बैगा जनजाति के लोग सबसे अच्छे शिकारी माने जाते थे।
7. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. 18वीं सदी में भारतीय रेशम की यूरोपीय बाजारों में भारी माँग थी।
2. भारतीय रेशम की गुणवत्ता के कारण निर्यात तेजी से बढ़ रहा था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
18वीं सदी में भारतीय रेशम की यूरोपीय बाजारों में बहुत अधिक माँग थी, क्योंकि भारतीय रेशम की गुणवत्ता अत्यधिक आकर्षण का केंद्र थी और भारत का निर्यात निरंतर बढ़ रहा था।
वर्तमान झारखंड में स्थित हजारीबाग के आस-पास निवास करने वाली संथाल जनजाति रेशम के कीड़े पालती थी और निर्यात की बढ़ोतरी को देखते हुए ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी विदेशों में रेशम की माँग को पूरा करने के लिए रेशम उत्पादन पर अत्यधिक बल देने लगे।
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Sat, 10 Feb 2024 06:09:04 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | भारत में यूरोपीय शक्ति का आगमन https://m.jaankarirakho.com/879 https://m.jaankarirakho.com/879 NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | भारत में यूरोपीय शक्ति का आगमन

भारत में यूरोपीयों का प्रवेश

1. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन सत्य है?
(a) पुर्तगाली नाविक वास्को-डि-गामा ने 1498 ई. में यूरोप से भारत तक एक नए समुद्री मार्ग की खोज की थी
(b) वास्को-डि-गामा आशा अंतरीप होते हुए अफ्रीका का चक्कर लगाकर भारत में कालीकट पहुँचा था
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) वास्को-डि-गामा जिस माल को लेकर लौटा, वह पूरी यात्रा की कीमत के 20 गुना दामों पर बिका
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (a) और (b) सत्य हैं। नवजागरण के क्षेत्र में प्रमुख कार्यों में से एक नए-नए समुद्री मार्गों की खोज करना भी था। इस क्षेत्र में यूरोपीय नाविकों ने अभूतपूर्व पहल की। एक ओर जहाँ स्पेन के निवासी कोलंबस ने अमेरिका की खोज की, तो वहीं दूसरी प्रमुख उपलब्धि वास्को-डि-गामा की रही, जिसने 1498 ई. में भारत की खोज की। वह आशा अंतरीप के मार्ग से होते हुए अफ्रीका से भारत के कालीकट तट पर पहुँचा था।
कथन (d) असत्य है, क्योंकि वास्को-डि-गामा जिस माल को लेकर वापस लौटा, वह पूरी यात्रा की कीमत का 20 गुना नहीं, बल्कि 60 गुना दामों पर बिका।
2. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. 1510 ई. में गोवा पर अधिकार करने वाला पुर्तगाली गवर्नर फ्रांसिस्को अल्मीडा था।
2. अल्बुकर्क के काल में पुर्तगालियों ने फारस की खाड़ी में स्थित हरमुज से लेकर मलक्का तक अधिकार कर लिया था।
3. दक्षिण भारत मुगल साम्राज्य से बाहर था, अतः उन्हें मुगलों की शक्ति का सामना नहीं करना पड़ा।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं? 
(a) केवल 1
(b) 1 और 2 
(c) केवल 2
(d) 1 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) असत्य है। गोवा पर 1510 ई. में अधिकार करने वाला पुर्तगाली गवर्नर अलफांसो-डि- अल्बुकर्क था, न कि फ्रांसिस्को अल्मीडा। उसने भारत के तटीय क्षेत्र पर अपना आधिपत्य स्थापित किया साथ ही अपना व्यापार और अधिकार क्षेत्र बढ़ाने तथा यूरोपीयों से अपने व्यापारिक एकाधिकार को सुरक्षित रखने हेतु निरंतर संघर्षरत् रहा।
3. यूरोप के विभिन्न देशों की कंपनियों ने भारत के विभिन्न हिस्सों में अपने व्यापारिक केंद्र स्थापित किए थे। निम्न में से किस देश की कंपनी शामिल नहीं थी? 
(a) स्पेन
(b) पुर्तगाल 
(c) हॉलैंड
(d) डेनमार्क
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारत में स्पेन की कंपनी ने अपना व्यापारिक केंद्र स्थापित नहीं किया था। भारत में जिन यूरोपीय देशों की कंपनियों ने अपने व्यापारिक केंद्र स्थापित किए थे, उनमें शामिल थे- पुर्तगाल, हॉलैंड (नीदरलैंड), इंग्लैंड, फ्रांस तथा डेनमार्क। इन कंपनियों के व्यापारिक केंद्र मुख्यतः समुद्र तटवर्ती क्षेत्र थे।
4. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. 16वीं सदी के उत्तरार्द्ध में इंग्लैंड, हॉलैंड और बाद में फ्रांस उभरती हुई व्यापारिक और प्रतिद्वंद्वी शक्तियाँ थीं।
2. इन शक्तियों ने विश्व व्यापार पर स्पेन और पुर्तगाली एकाधिकार के विरुद्ध संघर्ष छेड़ दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। 16वीं सदी के उत्तरार्द्ध में इंग्लैंड, हॉलैंड और उसके पश्चात् फ्रांस उभरती हुई व्यापारिक और प्रतिद्वंद्वी शक्तियाँ थीं और इन सभी ने विश्व व्यापार पर स्पेन और पुर्तगाली एकाधिकार के विरुद्ध संघर्ष प्रारंभ कर दिया। इस संघर्ष में स्पेन और पुर्तगाल की पराजय हुई, जिसके फलस्वरूप अंग्रेज और डच 'केप ऑफ गुड होप' के रास्ते भारत आने वाले मार्ग का प्रयोग करने लगे और पूर्व में अपना साम्राज्य विस्तार करने की दिशा में अग्रसर हो गए। इसी क्रम में डचों ने इंडोनेशिया पर और अंग्रेजों ने भारत, श्रीलंका और मलाया पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया।
5. डच ईस्ट इंडिया कंपनी के विषय में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1604 ई. में हुई थी।
(b) डच संसद ने एक चार्टर के द्वारा कंपनी को युद्ध एवं संधि करने तथा किले बनाने के अधिकार दे दिए थे।
(c) डचों की व्यापारिक रुचि भारत में नहीं, बल्कि इंडोनेशिया के मसाला उत्पादक क्षेत्रों में थी।
(d) 1658 ई. में डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने श्रीलंका को विजित किया था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- डच ईस्ट इंडिया कंपनी के विषय में कथन (a) असत्य है, क्योंकि डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1604 ई. में नहीं, बल्कि 1602 ई. में हुई थी।
डच संसद ने एक चार्टर के माध्यम से कंपनी को साम्राज्य विस्तार हेतु विभिन्न अधिकारों के प्रयोग की मान्यता प्रदान कर रखी थी।
डच भारत को विजित करने के बजाय इंडोनेशिया के जावा, सुमात्रा और स्पाइस आइलैंड जैसे द्वीपों पर अपना अधिकार स्थापित करना चाहते थे, क्योंकि ये द्वीप मसालों के लिए प्रसिद्ध थे।
डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1658 ई. में श्रीलंका को विजित किया तथा कैंडी में अपना केंद्र स्थापित किया।
6. 1600 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी को चार्टर प्रदान करने के समय ब्रिटेन की महारानी कौन थीं?
(a) एलिजाबेथ द्वितीय
(b) एलिजाबेथ प्रथम
(c) मैरी क्यूरी
(d) डायना
उत्तर - (b)
व्याख्या- 1600 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी को चार्टर प्रदान करते समय ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ प्रथम थीं, इसके फलस्वरूप कंपनी को पूर्व में व्यापार करने का एकाधिकार प्राप्त हो गया था। इस चार्टर का अर्थ यह था कि इंग्लैंड की कोई और अन्य कंपनी उस क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियाँ नहीं कर सकती थी।
7. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. 1605 ई. में कंपनी ने भारत के पश्चिमी तट पर गोवा में एक फैक्ट्री की स्थापना की।
2. कंपनी ने कैप्टन हॉकिंस को जहाँगीर के दरबार में शाही आज्ञा लेने के लिए भेजा।
3. 1615 ई. में अंग्रेज राजदूत टॉमस रो मुगल साम्राज्य के सभी भागों में व्यापार करने और फैक्ट्रियों को स्थापित करने का शाही फरमान जारी कराने में सफल रहा।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के संदर्भ में कथन (1) असत्य है, क्योंकि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के पश्चिमी तट पर सूरत में 1608. ई. में फैक्ट्री स्थापित करने का निश्चय किया था न कि 1605 ई. में गोवा में । 
उस समय व्यापारिक केंद्रों को 'फैक्ट्री' के नाम से जाना जाता था और इसी फैक्ट्री की स्वीकृति लेने हेतु कंपनी ने कैप्टन हॉकिस को जहाँगीर के दरबार में भेजा था। परिणामस्वरूप एक शाही फरमान द्वारा पश्चिमी तट के अनेक स्थानों पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को फैक्ट्रियाँ स्थापित करने की अनुमति प्राप्त हो गई।
8. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. 18वीं सदी के आरंभ तक इंग्लैंड एवं फ्रांस की कंपनियों का यूरोप व भारत के मध्य व्यापार पर प्रभुत्व स्थापित हो गया।
2. व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता तथा अधिकाधिक लाभ के कारण कंपनियों के मध्य झगड़े भी हुए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। 18वीं सदी के आरंभ तक अंग्रेजों और फ्रांसीसियों ने पुर्तगालियों, स्पेनवासियों तथा डचों को उन महत्त्वपूर्ण स्थलों से विस्थापित कर दिया था, जो उन्होंने एशिया और यूरोप के मध्य व्यापार के लिए पहले स्थापित किए थे। इस प्रकार इंग्लैंड और फ्रांस की कंपनियों का यूरोप व भारत के मध्य व्यापार पर प्रभुत्व स्थापित हो गया।
व्यापारिक कंपनियाँ कम-से-कम कीमत पर भारतीय माल को खरीदना चाहती थीं और बाजार पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहती थीं और इसी लाभ की स्थिति ने इनके मध्य परस्पर विरोध और प्रतिद्वंद्विता की स्थिति को जन्म दिया।
9. अंग्रेजों ने दक्षिण भारत में 1611 ई. में अपनी पहली फैक्ट्री कहाँ स्थापित की थी ?
(a) नागपट्टनम 
(b) उरैयूर
(c) मसूलीपट्टनम
(d) गोवा
उत्तर - (c)
व्याख्या- अंग्रेजों ने दक्षिण भारत में 1611 ई. में अपनी पहली फैक्ट्री मसूलीपट्टनम में स्थापित की थी, परंतु जल्द ही उनकी गतिविधियों का केंद्र मद्रास बन गया, जिसका पट्टा 1639 ई. में संबंधित क्षेत्र के स्थानीय राजा ने उन्हें दे दिया था। राजा ने अंग्रेजों को उस स्थान की किलेबंदी करने, उनका प्रशासन चलाने और सिक्के ढालने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि बंदरगाह से प्राप्त चुंगी का आधा भाग राजा को हिस्से के रूप में दिया जाएगा।
10. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंबई प्रांत किससे प्राप्त किया था?
(a) डचों से 
(b) फ्रांसीसियों से
(c) डेनिशों से
(d) पुर्तगालियों से
उत्तर - (d)
व्याख्या- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंबई प्रांत को पुर्तगालियों से प्राप्त किया, क्योंकि 1661 ई. में पुर्तगालियों ने अपनी राजकुमारी कैथरीन ब्रेगांजा का विवाह ब्रिटेन के चार्ल्स द्वितीय से किया और बंबई को उसे दहेज के रूप में दिया तथा राजकुमार चार्ल्स ने 1668 ई. में बंबई को दस पौंड के वार्षिक किराये पर ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया।
इस प्रकार कंपनी को मराठा शक्ति से रक्षा हेतु बंबई का बंदरगाह अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ। जल्द ही कंपनी ने पश्चिमी तट पर मुख्यालय के रूप में मद्रास का स्थान प्राप्त कर लिया था।
11. फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कब हुई थी? 
(a) 1660 ई.
(b) 1662 ई.
(c) 1664 ई.
(d) 1666 ई.
उत्तर - (c)
व्याख्या- फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1664 ई. में की गई थी। कंपनी ने अपनी स्थापना के साथ ही पूर्वी तट पर कलकत्ता के पास चंद्रनगर और पांडिचेरी में अपनी स्थिति को सुदृढ़ कर लिया था, पांडिचेरी को उन्होंने पूर्ण रूप से किलाबंद कर लिया था।
12. 1740-48 ई. के मध्य यूरोप में चला 'ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार का युद्ध' किन यूरोपीय शक्तियों के मध्य हुआ था?
(a) फ्रांसीसी और अंग्रेज
(b) डच और फ्रांसीसी
(c) पुर्तगाली और डच 
(d) अंग्रेज और पुर्तगाली
उत्तर - (a)
व्याख्या- 1740-48 ई. के मध्य यूरोप में चले 'ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार के युद्ध' में अंग्रेज और फ्रांसीसी परस्पर विरोधी गुट में शामिल थे। इस युद्ध के परिणाम दोनों देशों के मध्य भारत में दृष्टिगोचर हुए, जब फ्रांसीसियों ने सेंट जॉर्ज को अपने आधिपत्य में ले लिया था। इस युद्ध के समय पांडिचेरी में फ्रांसीसी गवर्नर के रूप में डूप्ले कार्यरत था।
13. यूरोप में अंग्रेजों तथा फ्रांसीसियों के मध्य होने वाला 'सप्तवर्षीय युद्ध' कब से कब तक चला था ? 
(a) 1753 से 1760 ई. तक
(b) 1754 से 1761 ई. तक
(c) 1755 से 1762 ई. तक
(d) 1756 से 1763 ई. तक
उत्तर - (d)
व्याख्या- यूरोप में अंग्रेजों तथा फ्रांसीसियों के मध्य होने वाला 'सप्तवर्षीय युद्ध' 1756 ई. से 1763 ई. तक चला था। इस युद्ध के परिणामस्वरूप कर्नाटक में फ्रांसीसियों को पराजय का सामना करना पड़ा। युद्ध के पश्चात् भारत में फ्रांसीसियों की राजनीतिक सत्ता समाप्त हो गई और अब वह केवल व्यापारिक गतिविधियों तक सीमित रह गए और अंग्रेजों ने बंगाल पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया।

ब्रिटिश का साम्राज्य विस्तार

1. इंग्लैंड की ईस्ट इंडिया कंपनी की भारत में प्रथम निर्णायक सैन्य सफलता मानी जाती है
(a) बक्सर का युद्ध
(b) प्लासी का युद्ध 
(c) पानीपत का युद्ध
(d) हल्दीघाटी का युद्ध 
उत्तर - (b)
व्याख्या- इंग्लैंड की ईस्ट इंडिया कंपनी की भारत में प्रथम निर्णायक सैन्य सफलता 1757 ई. का प्लासी का युद्ध मानी जाती है। अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को परास्त कर बंगाल पर अपना पूर्ण अधिकार कर लिया था, क्योंकि इस समय बंगाल आर्थिक सत्ता का केंद्र था।
2. 18वीं शताब्दी में भारत में लड़े गए युद्धों का निम्नलिखित में से सही कालानुक्रम कौन-सा है ?
(a) वांडीवाश युद्ध - बक्सर युद्ध - अंबर युद्ध - प्लासी युद्ध
(b) अंबर युद्ध - प्लासी युद्ध - वांडीवाश युद्ध - बक्सर युद्ध
(c) वांडीवाश युद्ध - प्लासी युद्ध - अंबर युद्ध - बक्सर युद्ध
(d) अंबर युद्ध - बक्सर युद्ध - वांडीवाश युद्ध - प्लासी युद्ध
उत्तर - (b)
व्याख्या- 18वीं शताब्दी में भारत में लड़े गए युद्धों का सही कालानुक्रम इस प्रकार है-अंबर युद्ध-प्लासी युद्ध - वांडीवाश युद्ध-बक्सर युद्ध अंबर की लड़ाई 1749 ई. में डूप्ले के नेतृत्व में फ्रांसीसी सेना तथा कर्नाटक के नवाब अनवरुद्दीन की सेना के बीच हुई थी। इस लड़ाई में अनवरुद्दीन मारा गया।
प्लासी का युद्ध 1757 ई. में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना तथा बंगाल के नव • सिराजुद्दौला के बीच हुआ। इस युद्ध में सिराजुद्दौला मारा गया। वांडीवाश का युद्ध 1760 ई. में ब्रिटिश तथा फ्रांसीसी सेनाओं के बीच हुआ। यह एक निर्णायक युद्ध था, जिसने फ्रांसीसी शक्ति को भारत में क्षीण कर दिया। बक्सर का युद्ध 1764 ई. में अंग्रेजी सेना तथा अवध के नवाब, बंगाल के नवाब एवं मुगल सम्राट की संयुक्त सेना के बीच हुआ। इस युद्ध से बंगाल पर ईस्ट इंडिया कंपनी का नियंत्रण स्थापित हुआ। 21.
3. 1717 ई. में मुगल सम्राट द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को जारी किए गए शाही फरमान के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है।
1. कलकत्ता से होने वाले व्यापार पर कर वसूलने का अधिकार कंपनी को प्राप्त हो गया।
2. कंपनी को बिना कर चुकाए बंगाल से वस्तुओं के आयात निर्यात की छूट मिल गई।
3. भारतीय व्यापारियों एवं कंपनी के कर्मचारियों की निजी व्यापार हेतु कर की दर एक समान थी।
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- 1717 ई. में मुगल सम्राट द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को जारी किए गए शाही फरमान के संबंध में कथन (1) असत्य है। मुगल सम्राट फर्रुखसियर द्वारा जारी किए गए इस शाही फरमान में अंग्रेजों को बहुमूल्य विशेषाधिकार प्रदान किए गए थे, लेकिन कलकत्ता से होने वाले व्यापार पर कर वसूलने का अधिकार कंपनी को प्राप्त नहीं था।
कथन (2) और (3) सत्य है। कंपनी को बिना कर चुकाए बंगाल से वस्तुओं के आयात-निर्यात की छूट मिल गई। कंपनी के कर्मचारियों को भी निजी व्यापार के लिए कर देने होते थे, जो भारतीय व्यापारियों पर लगे कर के सदृश थे ।
4. निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) 1750 ई. में मुर्शिदकुली खाँ की मृत्यु के बाद सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना।
(b) सिराजुद्दौला ने अंग्रेज तथा फ्रांसीसी कंपनियों को हुक्म दिया कि वे किलेबंदी रोकें तथा बकाया राजस्व चुकाएँ।
(c) जब अंग्रेजों ने सिराजुद्दौला की बात नहीं मानी तो उसने 30,000 सिपाहियों के साथ कासिम बाजार स्थित इंग्लिश फैक्ट्री पर आक्रमण कर दिया।
(d) अंग्रेजों के हाथ से कलकत्ता के निकल जाने के बाद कंपनी ने राबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में बंगाल के लिए सेना भेजी।
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (a) असत्य है, क्योंकि 1750 ई. में नहीं, बल्कि 1756 ई. में अलीवर्दी खाँ की मृत्यु के पश्चात् सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना । सिराजुद्दौला एक साहसी नवाब था और संभवत: अंग्रेजी उसके आक्रामक व्यवहार से परिचित थे। नवाब बनने के पश्चात् सिराजुद्दौला ने अंग्रेजों को राजस्व चुकाने और किलेबंदी को रोकने की आज्ञा दी।
5. सिराजुद्दौला ने फोर्ट विलियम पर कब अधिकार किया?
(a) 18 जनवरी, 1756
(b) 27 मार्च 1756
(c) 20 जून, 1756
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- सिराजुद्दौला ने कलकत्ता में 20 जून, 1756 में फोर्ट विलियम को भी अपने अधिकार में ले लिया। नवाब बनते ही उसने अंग्रेजों के विरुद्ध आक्रामक व्यवहार अपनाते हुए कासिम बाजार में स्थित उनकी फैक्ट्री पर आक्रमण कर, उस पर अधिकार कर लिया।
6. निम्नलिखित में से कौन-सा असत्य कथन है ?
(a) प्लासी के युद्ध के उपरांत कंपनी को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में मुक्त व्यापार का अधिकार मिला।
(b) कंपनी को चौबीस परगने की जमींदारी मिली।
(c) कलकत्ता पर आक्रमण के हर्जाने के रूप में मीर जाफर ने कंपनी को ₹1 करोड़ दिए ।
(d) अंततः इस युद्ध ने कंपनी का बंगाल तथा पूरे भारत पर अधिकार का रास्ता खोल दिया।
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (c) असत्य है। प्लासी के के युद्ध पश्चात् कलकत्ता पर आक्रमण के हर्जाने के रूप में मीर जाफर ने कंपनी को और नगर के व्यापारियों को एक करोड़ सतहत्तर लाख रुपए दिए, साथ ही कंपनी के अधिकारियों को 'उपहारों' अर्थात् रिश्वत के रूप में बड़ी रकमें दी गईं। क्लाइव को बीस लाख रुपए और एडमिरल वाट्सन को दस लाख रुपए से अधिक की रकम दी गई ।
7. अंग्रेजों ने मीर जाफर के पश्चात् किसे बंगाल का नवाब बनाया ?
(a) मीर कासिम 
(b) जगत सेठ
(c) शुजाउद्दौला
(d) मीर अशरफ
उत्तर - (a)
व्याख्या- अंग्रेजों ने मीर जाफर के पश्चात् उसके दामाद मीर कासिम को बंगाल का नवाब बनाया। प्लासी के युद्ध के पश्चात् अंग्रेजी सत्ता का बंगाल पर • वास्तविक आधिपत्य स्थापित हुआ, जिसके परिणामस्वरूप अंग्रेज अफसर व उनके भारतीय दलाल किसानों से कम दाम पर वस्तुओं की खरीद कर अधिक लाभ कमाने लगे थे। इनके इस व्यवहार से मीर जाफर भी खुश नहीं था और अंततः वह भी कंपनी के विरुद्ध होने लगा, जिसके बाद कंपनी ने मीर जाफर को बंगाल के नवाब के पद से हटा दिया।
8. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. मीर कासिम ने बंगाल में आंतरिक व्यापार पर लगने वाले सभी कर समाप्त कर दिए।
2. मीर कासिम ने यूरोपीय तर्ज पर एक आधुनिक और अनुशासित सेना खड़ी करने का प्रयास किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है / है?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कोई भी कथन असत्य नहीं है।
मीर कासिम ने बंगाल में आंतरिक व्यापार पर लगने वाले महसूल (कर) को समाप्त कर दिया और अपनी प्रजा को वो छूट प्रदान कर दी, जिसे अंग्रेजों ने बलपूर्वक प्राप्त किया था।
मीर कासिम ने नवाब बनने के पश्चात् इसकी आवश्यकता महसूस की कि अपनी स्वतंत्रता को कायम रखने हेतु एक भरा हुआ शाही खजाना और एक कुशल सेना का होना आवश्यक है। इसलिए उसने सार्वजनिक अव्यवस्था को सँभालने, राजस्व प्रशासन से भ्रष्टाचार को समाप्त कर अपनी आय बढ़ाने और यूरोपीय तर्ज पर एक आधुनिक और अनुशासित सेना खड़ी करने का प्रयास किया।
9. 22 अक्टूबर, 1764 को हुए बक्सर के युद्ध में अंग्रेजी सेना के विरुद्ध कौन लड़े थे? 
(a) मीर कासिम
(b) अवध का नवाब शुजाउद्दौला
(c) मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- 22 अक्टूबर, 1764 को पश्चिमी बिहार प्रांत के बक्सर नामक स्थान पर एक निर्णायक युद्ध लड़ा गया, जिसमें भारतीय सेना की ओर से मीर कासिम, अवध का नवाब शुजाउद्दौला और मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय शामिल थे। इन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध किया, इस युद्ध को 'बक्सर का युद्ध' के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध में भारतीय संयुक्त सेना की पराजय हुई और अंग्रेजों की निर्णायक विजय हुई।
10. 1765 ई. की इलाहाबाद की संधि के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. संधि के अनुसार कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी मिल गई।
2. अवध के नवाब ने कड़ा और इलाहाबाद को मुगल बादशाह को दे दिया।
3. कंपनी ने मुगल बादशाह को ₹25 लाख देना मंजूर किया।
4. बाहरी आक्रमण से नवाब की रक्षा के लिए कंपनी ने अपनी सेना भेजने का वचन दिया, किंतु इसका खर्च नवाब को वहन करना था ।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) ये सभी
उत्तर - (c)
व्याख्या- 1765 ई. की इलाहाबाद की संधि के संबंध में कथन (3) असत्य है, क्योंकि कंपन मुगल बादशाह का ₹25 लाख नहीं, बल्कि ₹26 लाख देना मंजूर किया था। बक्सर के युद्ध के पश्चात् भारतीय सेना और अंग्रेजों के मध्य 1765 ई. में इलाहाबाद की संधि हुई। इस संधि के अंतर्गत मुगल सम्राट को इलाहाबाद और कड़ा का प्रांत भी जीतकर दे दिया गया।
11. द्वैध शासन के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. 1765 ई. से 1772 तक बंगाल में दोहरी सरकार रही, क्योंकि वहाँ एक साथ दो सत्ताएँ शासन कर रही थीं।
2. सेना और राजस्व वसूली अंग्रेजों के पास, जबकि प्रशासनिक अधिकार नवाब के पास था।
उपर्युक्त में कौन सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- द्वैध शासन के संदर्भ में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। 1765 से 1772 ई. तक बंगाल में दोहरी सरकार सत्ता का संचालन कर रही थी। सेना और राजस्व वसूली का कार्य अंग्रेजों द्वारा किया जा रहा था, तो वहीं प्रशासन संभालने का कार्य नवाब के द्वारा होता था। बंगाल में द्वैध शासन का जनक रॉबर्ट क्लाइव को माना जाता है।
12. प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध कब हुआ था?
(a) 1765 ई.
(b) 1769 ई.
(c) 1775 ई.
(d) 1782 ई.
उत्तर - (b)
व्याख्या- प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध 1767 ई. से 1769 ई. के मध्य अंग्रेजों और हैदर अली के मध्य हुआ था, जिसमें हैदर अली विजयी हुआ। इस युद्ध के पश्चात् 4 अप्रैल, 1769 को अंग्रेज़ों और हैदर अली के मध्य मद्रास की संधि हुई।
13. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. मैसूर के साथ अंग्रेजों का चार बार (1767-69, 1780-84, 1790-92 और 1799 ई.) युद्ध हुआ था।
2. श्रीरंगपट्टनम की संधि 1799 ई. में हुई थी।
3. 1799 ई. के अंतिम युद्ध में टीपू की मृत्यु हो गई।
4. टीपू के बाद मैसूर का राजकाज बोडियार राजवंश के हाथ में सौंप दिया गया।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1, 2 और 4
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) असत्य है। आंग्ल-मैसूर युद्ध क्रमश: चार बार (1767-69, 1780-84, 1790-92, 1799) लड़ा गया, जिसमें अंग्रेजों को चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध में सफलता मिली, जब टीपू सुल्तान मारा गया। तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध के पश्चात् अंग्रेजों और टीपू के मध्य 1792 ई. में श्रीरंगपट्टनम की संधि हुई थी। टीपू की मृत्यु के पश्चात् मैसूर का राजकाज बोडियार राजवंश को सौंपा गया।
14. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन सत्य है?
1. प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध 1784 ई. की मंगलौर की संधि के साथ समाप्त हुआ था।
2. द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1803-06 ई.) में उड़ीसा और यमुना के उत्तर में स्थित आगरा व दिल्ली सहित कई भू-भाग अंग्रेजों के अधिकार में आ गए।
3. 1817-19 ई. के तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध ने मराठों की शक्ति को पूर्ण रूप से दबा दिया।
कूट
(a) केवल 1 
(b) 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) और (3) सत्य हैं। भारतीय इतिहास में क्रमश: तीन आंग्ल-मराठा युद्ध हुए, प्रथम 1775-1782 ई., द्वितीय 1803-1806 ई. तथा तृतीय 1817-1819 ई. में। द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध में अंग्रेजों ने उड़ीसा और यमुना के उत्तर में स्थित आगरा व दिल्ली सहित कई भू-भागों को अपने नियंत्रण में ले लिया था, लेकिन तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध में मराठों ने अंग्रेजों की शक्ति को पूर्ण रूप दबा दिया था।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध 1782 ई. में सालबाई की संधि के साथ समाप्त हुआ था न कि मंगलौर की संधि के साथ (1784 ई.) । मंगलौर की संधि (1784 ई.) के द्वारा द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध समाप्त हुआ था।
15. लॉर्ड वेलेजली कब गवर्नर जनरल बना?
(a) 1795 ई.
(b) 1798 ई.
(c) 1802 ई.
(d) 1805 ई.
उत्तर - (b) 
व्याख्या- लॉर्ड वेलेजली 1798 ई. में गवर्नर जनरल बना था, उसने भारत के गवर्नर जनरल के रूप में 1798-1805 ई. तक अपनी सेवाएँ दीं। उसे 'सहायक संधि' प्रणाली के लिए जाना जाता है। लॉर्ड वेलेजली के कार्यकाल में ही चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध हुआ था, जिसमें टीपू सुल्तान की मृत्यु हुई थी।
16. अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने हेतु लॉर्ड वेलेजली ने किन उपायों का सहारा लिया?
(a) सहायक संधि प्रणाली
(b) खुला युद्ध
(c) पहले से अधीन बनाए जा चुके शासकों का भू-भाग हड़पना।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- लॉर्ड वेलेजली ने अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने हेतु तीन उपायों का सहारा लिया, जिसमें शामिल हैं
(i) सहायक संधि प्रणाली में सामान्यत: भारतीय शासक को यह भी स्वीकार करना पड़ता था कि वह अपने दरबार में एक ब्रिटिश रेजीडेंट रखेगा।
(ii) खुला युद्ध के अंतर्गत अंग्रेज भारतीय राज्यों के खर्च पर एक बड़ी सेना रखते थे और वे युद्ध अपने क्षेत्र से दूर लड़ते थे।
(iii) पहले से अधीन बनाए जा चुके शासकों के क्षेत्रों को हड़पना । लॉर्ड वेलेजली भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार हेतु आया था और इसी लक्ष्य को वेलेजली ने पूर्ण करने का प्रयास किया।
17. निम्न में से सहायक संधि के प्रावधानों पर विचार कीजिए
1. भारतीय शासक को अपने दरबार में एक ब्रिटिश रेजीडेंट रखना होता था।
2. भारतीय शासक अंग्रेजों की स्वीकृति के बिना किसी यूरोपीय को अपनी सेवा में रख सकते थे।
3. गवर्नर जनरल के परामर्श के बिना कोई भारतीय शासक दूसरे शासक से वार्ता कर सकता था।
4. सहायक संधि के बदले अंग्रेज उस शासक तथा उसके राज्य की रक्षा का वचन देते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं? 
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 3 और 4
(d) 1 और 4
उत्तर - (b)
व्याख्या- सहायक संधि के प्रावधानों के संबंध में कथन (2) और (3) असत्य हैं। सहायक संधि की शर्तों के अनुसार भारतीय शासक अपने दरबार में अंग्रेजों की स्वीकृति के बिना किसी यूरोपीय को अपनी सेवा में नहीं रख सकता था। सहायक संधि की एक अन्य शर्त के अनुसार, गवर्नर जनरल से परामर्श किए बिना कोई भारतीय शासक किसी दूसरे भारतीय शासक बातचीत नहीं कर सकता था।
18. अंग्रेजों ने इंदौर के होल्कर राजवंश से राजघाट की संधि कब की थी ?
(a) 1802 ई. में 
(b) 1803 ई. में 
(c) 1806 ई. में
(d) 1808 ई. में
उत्तर - (c)
व्याख्या- अंग्रेजों द्वारा इंदौर के होल्कर राजवंश से राजघाट की संधि जनवरी, 1806 में की गई थी। इसी संधि के साथ लॉर्ड वेलेजली को भी भारत से वापस ब्रिटेन बुला लिया गया था। इस संधि का मुख्य कारण विश्व पटल पर नेपोलियन बोनापार्ट का पुनः आगमन था और ब्रिटेन ने इसी को मद्देनजर रखते हुए अपने धन को बचाने हेतु साम्राज्य के प्रसार को रोकने का निर्णय लिया।
19. किस ब्रिटिश गवर्नर जनरल के काल में कंपनी ने 'सर्वोच्चता' की एक नई नीति की शुरुआत की थी ?
(a) वॉरेन हेस्टिंग्स 
(b) लॉर्ड कार्नवालिस
(c) लॉर्ड कर्जन
(d) लॉर्ड हेस्टिंग्स
उत्तर - (d)
व्याख्या- लॉर्ड हेस्टिंग्स (1813-1823 ई.) के काल में ब्रिटिश कंपनी ने 'सर्वोच्चता' की एक नई नीति की शुरुआत की थी। इससे पूर्व कंपनी उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ से ही क्षेत्रीय विस्तार की आक्रामक नीति का अनुसरण कर रही थी, लेकिन लॉर्ड हेस्टिंग्स के गवर्नर जनरल बनने के पश्चात् कंपनी द्वारा इस बात पर बल दिया गया कि उसकी सत्ता सर्वोच्च है, इसलिए वह भारतीय राज्यों से शीर्षस्थ है। अपने हितों की रक्षा हेतु वह भारतीय रियासतों का अधिग्रहण कर भी सकती है या उनको अधिग्रहण करने हेतु बाध्य भी कर सकती है।
20. किसके नेतृत्व में अंग्रेजों ने सिंध का अधिग्रहण कर लिया?
(a) चार्ल्स नेपियर 
(b) चार्ल्स मैसन
(c) लॉर्ड एल्गिन
(d) लॉर्ड मेयो
उत्तर - (a)
व्याख्या- चार्ल्स नेपियर के नेतृत्व में अंग्रेजों ने सिघ का अधिग्रहण किया। 1843 ई. में एक संक्षिप्त अभियान के पश्चात् यह कार्य किया गया था और इस कार्य के बदले नेपियर को पुरस्कार स्वरूप सात लाख रुपए भी मिले थे। इससे पूर्व 1832 ई. में एक संधि के द्वारा सिंघ की सड़कों और नदियों को ब्रिटिश व्यापार के लिए खोल दिया गया था। इसी दौरान 1839 ई. में सिघ के अमीर कहलाने वाले सरदारों के साथ एक सहायक संधि पर हस्ताक्षर भी कराए गए थे।
21. अंग्रेज तथा सिखों के मध्य लाहौर की संधि कब संपन्न हुई थी?
(a) 20 फरवरी, 1845
(b) 8 मार्च, 1846 
(c) 20 अक्टूबर, 1847
(d) 14 जनवरी, 1848 
उत्तर - (b)
व्याख्या- अंग्रेज और सिखों के मध्य लाहौर की संधि 8 मार्च, 1846 को हुई थी। यह एक अपमानजनक संघि थी, जिसके पश्चात् अंग्रेजों ने जालंधर के दोआब क्षेत्र को हड़प लिया और पचास लाख रुपए नकद लेकर जम्मू एवं कश्मीर को राजा गुलाब सिंह डोगरा को सौंप दिया। पंजाब की सेना को घटाकर अंग्रेजों द्वारा 20,000 पैदल तथा 12,000 घुड़सवार सेना तक सीमित कर दिया तथा बहुत बड़ी संख्या में ब्रिटिश सेना को लाहौर में तैनात कर दिया गया।
22. पंजाब पर जिस समय अंग्रेजों का अधिकार हुआ उस समय गवर्नर जनरल कौन था?
(a) लॉर्ड हेस्टिंग्स
(b) लॉर्ड एलनवरो 
(c) लॉर्ड वेलेजली
(d) लॉर्ड डलहौजी 
उत्तर - (d)
व्याख्या- पंजाब पर जिस समय अंग्रेजों का अधिकार हुआ, उस समय लॉर्ड डलहौजी भारत का गवर्नर जनरल था। लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल (1848 से 1856 ई. तक) में भारत में अंग्रेजों की प्रभुसत्ता स्थापित हो गई। 1848 ई. में पंजाब में अंग्रेजों के विरुद्ध कई विद्रोह हुए और उसके बाद द्वितीय आंग्ल-सिम्ख युद्ध हुआ, जिसमें पंजाब की सेनाएँ हार गईं और अंग्रेजों ने पंजाब को अपने राज्य क्षेत्र में शामिल कर लिया।
23. डलहौजी की विलय नीति के अंतर्गत निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस नीति के अनुसार यदि किसी सुरक्षा प्राप्त राज्य का शासक विना किसी स्वाभाविक उत्तराधिकारी के मर जाए तो उसका राज्य उसके दत्तक उत्तराधिकारी को सौंपने का प्रावधान था।
2. यदि उत्तराधिकारी को गोद लेने के कार्य को पहले से अंग्रेज अधिकारियों की सहमति प्राप्त न होगी, तो वह ब्रिटिश राज्य में मिला लिया जाएगा।
3. इस नीति के अनुसार सर्वप्रथम नागपुर राज्य का विलय किया गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- डलहौजी की विलय-नीति के संबंध में कथन (1) और (3) असत्य हैं। लॉर्ड डलहौजी की विलय नीति (डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स) से संबंधित सिद्धांत के अनुसार, यदि किसी सुरक्षा प्राप्त राज्य का शासक बिना एक स्वाभाविक उत्तराधिकारी के मर जाए तो उसका राज्य उसके दत्तक उत्तराधिकारी को नहीं सौंपा जाएगा। इस नीति के अनुसार, सर्वप्रथम सतारा को 1848 ई. में अंग्रेजी राज्य में शामिल (विलय) किया गया था।
24. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. कंपनी ने 1857 ई. में अवध को अपने नियंत्रण में ले लिया।
2. अवध के नियंत्रण हेतु अंग्रेजों ने यह तर्क दिया कि अवध की जनता को नवाब के कुशासन से मुक्त कराने हेतु ऐसा किया गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 3
(c) 1 और 2
(d) न ता 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) असत्य है। कंपनी द्वारा अवध को विलय की नीति के अंतर्गत अंग्रेजी राज्य में 1857 ई. में नहीं, बल्कि 1856 ई. में शामिल किया गया था। कंपनी द्वारा अवध को शामिल किए जाने के संबंध में यह तर्क दिया गया कि अवध की जनता को वर्तमान नवाब के 'कुशासन' से मुक्त कराने के लिए वह कर्त्तव्य से बँधे हुए हैं, इसलिए वह अवध को ब्रिटिश शासन में शामिल कर रहे हैं।
25. निम्नलिखित में से कौन-से कथन सत्य हैं?
1. वॉरन हेस्टिंग्स के काल तक कंपनी बंगाल, बंबई और मद्रास में सत्ता हासिल कर चुकी थी।
2. ब्रिटिश क्षेत्र प्रशासकीय इकाइयों में बँटे होते थे, जिन्हें प्रेसीडेंसी कहा जाता था।
3. 1772 ई. में स्थापित नई न्याय व्यवस्था के अंतर्गत फौजदारी एवं दीवानी अदालतों को समाप्त कर दिया गया।
4. मौलवी एवं हिंदू पंडित कानूनों की व्याख्या से संबंधित थे।
कूट
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1, 2 और 4
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1), (2) और (4) सत्य हैं।
वॉरेन हेस्टिंग्स का कार्यकाल (1773-1785 ई.) एक गवर्नर जनरल के रूप में कंपनी की शक्ति को विस्तार देने हेतु महत्त्वपूर्ण था। इसके शासनकाल तक बंगाल के अतिरिक्त बंबई और मद्रास में ब्रिटिश सत्ता स्थापित हो चुकी थी। तत्कालीन समय में ब्रिटिश क्षेत्र प्रशासकीय इकाइयों में बँटे थे, जिसे प्रेजिडेंसी कहकर संबोधित किया जाता था।
इस काल में दीवानी अदालतों के प्रधान यूरोपीय जिला कलक्टर होते थे, जिनके लिए मौलवी और हिंदू पंडित भारतीय कानूनों की व्याख्या करते थे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि वॉरेन हेस्टिंग्स के काल में एक नई न्याय व्यवस्था स्थापित हुई। 1772 ई. में स्थापित इस न्याय व्यवस्था में प्रत्येक जिले में दो अदालतों (दीवानी और फौजदारी) का प्रावधान किया गया।
26. किस गवर्नर जनरल पर इंग्लैंड में महाभियोग का मुकदमा चलाया गया था?
(a) वेलेजली
(b) क्लाइव 
(c) वॉरन हेस्टिंग्स
(d) कर्जन 
उत्तर - (c)
व्याख्या- वॉरन हेस्टिंग्स अपने कार्यकाल की अवधि के समाप्त हो जाने के पश्चात् 1785 ई. में वापस इंग्लैंड लौट गया तो ऐडमंड बर्के ने उस पर बंगाल का शासन सही ढंग से न चलाने का आरोप लगाया और इस आरोप के कारण हेस्टिंग्स पर ब्रिटिश संसद में महाभियोग का मुकदमा चलाया गया, जो सात वर्षों तक निरंतर चलता रहा।
27. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. 1857 ई. तक भारतीय उपमहाद्वीप के 63% भू-भाग और शेष 78% आबादी पर कंपनी का सीधा शासन स्थापित हो चुका था।
2. ईस्ट इंडिया कंपनी एक व्यापारिक कंपनी से बढ़ते हुए एक भौगोलिक शक्ति बन गई थी ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। 1857 ई. तक भारतीय उपमहाद्वीप के 63% भू-भाग और 78% आबादी पर कंपनी का सीधा शासन स्थापित हो चुका था। इसके अतिरिक्त देश के शेष भू-भाग और आबादी पर कंपनी का अप्रत्यक्ष प्रभाव था।
1857 ई. के पूर्व व्यावहारिक स्तर पर ईस्ट इंडिया कंपनी ने समस्त भारत को अपने नियंत्रण में ले लिया था।
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Sat, 10 Feb 2024 05:17:28 +0530 Jaankari Rakho
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उत्तरवर्ती मुगल

1. औरंगजेब की मृत्यु के बाद कौन मुगल बादशाह बना था ?
(a) बहादुरशाह प्रथम
(b) जहाँदारशाह 
(c) मुहम्मदशाह
(d) अकबर द्वितीय 
उत्तर - (a)
व्याख्या- औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् बहादुरशाह प्रथम बादशाह बना। 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् ग़द्दी को लेकर उसके बेटों के मध्य हुए उत्तराधिकार के युद्ध में पैंसठ वर्षीय बहादुरशाह की विजय हुई। वह विद्वान्, आत्मगौरव से परिपूर्ण और योग्य था।
2. मुगल शासक बहादुरशाह के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) उसने समझौते तथा मेल-मिलाप की नीति अपनाई तथा औरंगजेब द्वारा अपनाई गई संकीर्णतावादी नीतियों में से कुछ को बदल दिया।
(b) इसके शासनकाल में मंदिरों को नष्ट नहीं किया गया।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) उसने मराठा सरदारों के प्रति गहरे मेल-मिलाप की नीति अपनाई तथा उन्हें दक्कन की सरदेशमुखी तथा चौथ वसूलने का अधिकार दे दिया।
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल शासक बहादुरशाह के संबंध में कथन (a) और (b) सत्य हैं। मुगल शासक बहादुरशाह ने शासन की बागडोर संभालते ही मेल-मिलाप और समझौते की नीति अपनाई और साथ ही उसने औरंगजेब की संकीर्णतापूर्ण नीतियों को भी बदल दिया। उसने हिंदू सरदारों और राजाओं के प्रति सहिष्णु व्यवहार को अपनाया। उसने पूर्व के शासक औरंगजेब की भाँति मंदिरों को नष्ट नहीं किया।
उसने मराठों के साथ ऊपरी मेल-मिलाप की नीति को अपनाते हुए दक्कन की सरदेशमुखी वसूलने का अधिकार तो मराठों को दिया, परंतु चौथ का अधिकार नहीं दिया।
3. निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) बहादुरशाह की मृत्यु के बाद हुए गृहयुद्ध में उसका एक कम काबिल बेटा जहाँदारशाह विजयी हुआ।
(b) जहाँदारशाह को अपने समय के सबसे शक्तिशाली सामंत जुल्फिकार खाँ का समर्थन प्राप्त था।
(c) जहाँदारशाह के शासनकाल में जजिया को पुनः प्रारंभ कर दिया गया।
(d) जहाँदारशाह के काल में आमेर के राजा जयसिंह को मिर्जा राजा सवाई की पदवी दी गई और गुजरात का सूबेदार नियुक्त किया गया।
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (c) असत्य है, क्योंकि जहाँदारशाह के शासनकाल में जजिया कर को समाप्त कर दिया गया न कि उसे प्रारंभ किया गया।
बहादुरशाह की मृत्यु के पश्चात् उसका कम काबिल बेटा जहाँदारशाह, जुल्फिकार खाँ की सहायता से गृहयुद्ध में विजयी रहा है और सत्ता पर कब्जा किया। जुल्फिकार खाँ को वजीर नियुक्त किया गया, वस्तुतः शासन की बागडोर वास्तविक रूप से उसी के हाथों में थी। अपनी स्थिति को मजबूत रखने हेतु जुल्फिकार खाँ ने राजपूतों तथा मराठों के साथ अपनी स्थिति को सुदृढ़ता प्रदान की। इसी क्रम में आमेर के राजा जयसिंह को मिर्जा राजा सवाई की पदवी दी गई और उन्हें मालवा का सूबेदार नियुक्त कर दिया गया।
4. मुगलकाल में इजारेदार कौन थे ?
(a) भूमि की माप करने वाले
(b) लगान तय करने वाले 
(c) कृषि भूमि का निर्धारण करने वाले
(d) लगान के ठेकेदार
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुगलकाल में इजारेदार लगान के ठेकेदारों को कहा जाता था। जहाँदारशाह के वजीर जुल्फिकार खाँ ने इजारा व्यवस्था को प्रारंभ किया था, जो टोडरमल की भू-राजस्व व्यवस्था के समान थी। इसके अंतर्गत इजारेदार और बिचौलिये से लगान वसूल कर सरकार को एक निश्चित राशि देने हेतु करारनामा किया गया, लेकिन इजारेदारों के मनमाने लगान वसूलने से किसानों का उत्पीड़न बढ़ा।
5. चिनकिलिच खाँ के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. वह 1722 ई. में मुगल शासक का वजीर बना।
2. उसने प्रशासनिक सुधार के लिए प्रयत्न किया।
3. वह जनवरी, 1723 में वजीर का पद छोड़कर दक्कन चला गया।
4. उसका जाना मुगल साम्राज्य से निष्ठा और सद्गुणों के पलायन का प्रतीक था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 4
(d) ये सभी
उत्तर - (c)
व्याख्या- चिनकिलिच खाँ के संदर्भ में कथन (1), (2) और (4) सत्य हैं ।
चिनकिलिच खाँ हैदराबाद रियासत का संस्थापक था। वह मुगल बादशाह मुहम्मदशाह का एक योग्य वजीर था, वह 1722 ई. में वजीर बना।
उसने पद संभालते ही प्रशासन में सुधार हेतु महत्त्वपूर्ण प्रयास किए। मुगल साम्राज्य का वास्तविक बिखराव चिनकिलिच खाँ, जिसे निजाम-उल-मुल्क के रूप में भी जाना जाता है, के पश्चात् ही प्रारंभ हुआ। चिनकिलिच खाँ के दक्कन जाने की प्रक्रिया को मुगल साम्राज्य से निष्ठा और सद्गुणों के पलायन का प्रतीक माना जाता है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि चिनकिलिच खाँ जनवरी, 1723 में नहीं, बल्कि अक्टूबर, 1724 में वजीर का पद छोड़कर दक्कन चला गया।
6. किस मुगल बादशाह के शासनकाल में नादिरशाह ने भारत पर आक्रमण किया था?
(a) अहमदशाह 
(b) आलमगीर द्वितीय
(c) मुहम्मदशाह
(d) रफी-उद्-दरजात
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुहम्मदशाह के शासनकाल (1719-48 ई.) में नादिरशाह ने 1739 ई. में भारत पर आक्रमण किया था । नादिरशाह का भारत पर आक्रमण करने का प्राथमिक उद्देश्य भारत से अपार धन लूटना था। नादिरशाह फारस (ईरान) का निवासी था। एक अनुमान के अनुसार नादिरशाह ने भारत से कुल 70 करोड़ मूल्य की वस्तुएँ लूटी थीं ।
7. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. करनाल के युद्ध में मुहम्मदशाह को नादिरशाह से हार का सामना करना पड़ा।
2. नादिरशाह ने दिल्ली पर अधिकार करके यहाँ के नागरिकों के साथ सद्व्यवहार प्रदर्शित किया।
3. दिल्ली से वापस जाते समय वह प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा तथा शाहजहाँ का रत्नजड़ित मयूर सिंहासन (तख्तेताउस) भी लूट ले गया।
4. उसने मुहम्मदशाह को सिंधु नदी के पूर्व के साम्राज्य के क्षेत्रों को उसे देने के लिए बाध्य किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 3 और 4
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं।
करनाल का युद्ध (13 फरवरी, 1739) नादिरशाह और मुगल शासक मुहम्मदशाह के बीच हुआ था। फूट, अयोग्य नेतृत्व, आपसी द्वेष तथा परस्पर अविश्वास ने इस युद्ध में मुगल फौज को शिकस्त दी और मुहम्मदशाह को बंदी बना लिया। इस प्रकार नादिरशाह दिल्ली की ओर बढ़ा।
नादिरशाह ने दिल्ली पर आक्रमण कर अपार धन लूटा तथा बहुत से कत्लेआम किए और दिल्ली से वापस जाते समय प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा और रत्नजड़ित मयूर सिंहासन (तख्ते ताउस) भी अपने साथ ले गया।
कथन (2) और (4) असत्य हैं, क्योंकि नादिरशाह ने दिल्ली पर आक्रमण कर अपने कुछ सैनिकों की का बदला लेने के लिए नागरिकों के साथ हुत बुरा व्यवहार किया। दिल्ली से वापस जाते समय मुहम्मदशाह को सिंधु नदी के पश्चिम साम्राज्य के क्षेत्रों को उसे (नादिरशाह) देने के लिए बाध्य किया था न कि पूर्वी साम्राज्य के क्षेत्रों को ।
8. मुगल साम्राज्य के पतन के परिणाम के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) इसके परिणामस्वरूप अंग्रेजों के लिए भारत पर नियंत्रण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
(b) मुगलों के पतन के पश्चात् अन्य भारतीय क्षेत्रीय शक्तियों ने मुगलों की विरासत का दावा किया तथा इन शक्तियों ने मिलकर अंग्रेजों के लिए एक नई चुनौती पेश की।
(c) मुगलों के पतन के पश्चात् कोई ऐसी शक्ति नहीं बची थी, जो अंग्रेजों को कठिन चुनौती दे सके।
(d) मुगल साम्राज्य के पतन ने शताब्दियों पुराने सामाजिक-आर्थिक ढाँचे के स्थान पर एक औपनिवेशिक ढाँचा स्थापित कर दिया।
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन के परिणाम के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि मुगल साम्राज्य के पतन के पश्चात् भारतीय शक्तियों में से किसी भी क्षेत्रीय शक्ति ने मुगलों की विरासत का दावा नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप अंग्रेजों को भारत में सत्ता स्थापित करने हेतु किसी भी महत्त्वपूर्ण चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा।

प्रांतीय शक्तियों का उदय

1. 18वीं सदी के दौरान मुगल साम्राज्य और उनकी राजनीतिक व्यवस्था के खंडहर पर किन शक्तियों का उदय हुआ?
(a) बंगाल 
(b) मराठा
(c) मैसूर
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- 18वीं सदी के दौरान मुगल साम्राज्य और उसकी राजनीतिक व्यवस्था के खंडहर पर बड़ी संख्या में स्वतंत्र और अर्द्धस्वतंत्र शक्तियों का उद्भव हुआ, जिसमें बंगाल, अवध, हैदराबाद, मैसूर और मराठा आदि शक्तियाँ प्रमुख थीं।
2. निम्न में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) अवध तथा हैदराबाद राज्य उत्तराधिकार वाले राज्य थे। मुगल साम्राज्य के कमजोर होने से प्रांतीय गवर्नरों के स्वतंत्र होने का दावा करने से इन राज्यों का जन्म हुआ था।
(b) मराठा, अफगान, जाट तथा पंजाब जैसे राज्यों का जन्म मुगल शासन के विरुद्ध स्थानीय सरदारों, जमींदारों तथा किसानों के विद्रोह के कारण हुआ था।
(c) इन शक्तियों के अतिरिक्त दक्षिण-पश्चिम तथा दक्षिण-पूर्व के समुद्री किनारों के क्षेत्र थे, जहाँ मुगलों का प्रत्यक्ष प्रभाव था।
(d) इन सभी क्षेत्रीय शक्तियों ने मुगल प्रशासन के तौर-तरीकों और उसकी पद्धति को अपनाया।
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (c) सत्य नहीं है। मुगल साम्राज्य के पतन के पश्चात् कुछ उत्तराधिकार वाले राज्य तथा कुछ ऐसे राज्य जिनका जन्म किसान, जमींदार आदि के विद्रोह के कारण हुआ, अस्तित्व में आए इन सभी के अतिरिक्त एक तीसरा क्षेत्र भी था, जिसमें दक्षिण-पश्चिम तथा दक्षिण-पूर्व के समुद्री किनारों के क्षेत्र तथा उत्तर-पूर्वी भारत के क्षेत्र शामिल थे, इन क्षेत्रों पर किसी भी रूप में मुगल प्रभाव स्थापित नहीं हो पाया था।

हैदराबाद

1. निम्नलिखित में से कौन हैदराबाद के स्वतंत्र राज्य का संस्थापक था?
(a) कमरुद्दीन खाँ
(b) मोहम्मद अमीन खाँ
(c) असद खाँ
(d) चिनकिलिच खाँ
उत्तर - (d)
व्याख्या- हैदराबाद के स्वतंत्र राज्य का संस्थापक निजाम-उल-मुल्क आसफजाह था, जिसे चिनकिलिच खाँ के नाम से भी जाना जाता था। इसने 1724 ई. में हैदराबाद राज्य की स्थापना की थी। औरंगजेब के पश्चात् के नवाबों में उसका महत्त्वपूर्ण स्थान था। सैयद बंधुओं को मुगल सत्ता से निष्कासित करने में उसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण थी।

बंगाल

1. बंगाल के नवाबों का सही कालक्रम कौन-सा है ?
(a) मुर्शिदकुली खाँ-शुजाउद्दीन - सरफराज खाँ - अलीवर्दी खाँ
(b) शुजाउद्दीन-सरफराज खाँ - अलीवर्दी खाँ- मुर्शीदकुली खाँ
(c) सरफराज खाँ-अलीवर्दी खाँ - मुर्शिदकुली खाँ - शुजाउद्दीन
(d) अलीवर्दी खाँ - मुर्शिदकुली खाँ - शुजाउद्दीन - सरफराज खाँ
उत्तर - (a)
व्याख्या- बंगाल के नवाबों का सही कालक्रम इस प्रकार है
मुर्शिदकुली खाँ → शुजाउद्दीन → सरफराज खाँ → अलीवर्दी खाँ 
बंगाल में स्वतंत्र सत्ता की स्थापना का श्रेय मुर्शिदकुली खाँ और अलीवर्दी खाँ को जाता है। मुर्शिदकुली खाँ को 1717 ई. में बंगाल का सूबेदार बनाया गया जिसके पश्चात् उसने स्वयं को केंद्रीय सत्ता से मुक्त कर लिया था। 1727 ई. में मुर्शिदकुली खाँ की मृत्यु के पश्चात् बंगाल के अन्य नवाबों का क्रम निम्नवत् है शुजाउद्दीन- 1727-1739 ई., सरफराज खाँ - 1739-1740 ई., अलीवर्दी खाँ - 1740-1756 ई. था,
2. निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) मुर्शिदकुली खाँ, औरंगजेब के शासनकाल में  बंगाल का दीवान था।
(b) फर्रुखसियर ने मुर्शिदकुली खाँ को बंगाल का सूबेदार बना दिया।
(c) मुर्शिदकुली खाँ ने मध्य बंगाल में मुर्शिदाबाद को अपनी राजधानी बनाया।
(d) मुर्शिदकुली खाँ और उत्तराधिकारी नवाबों ने बंगाल, बिहार और उड़ीसा पर स्वतंत्र शासकों की भाँति व्यवहार किया और मुगल बादशाह को राजस्व देने से मना कर दिया।
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए कथनों में कथन (d) असत्य है, क्योंकि मुर्शिदकुली खाँ और उसके उत्तराधिकारी नवाबों ने बंगाल, बिहार और उड़ीसा पर स्वतंत्र शासकों की भाँति शासन किया, यद्यपि वे मुगल बादशाह को नियमित रूप से राजस्व भी भेजते रहे।
मुर्शिदकुली खाँ, औरंगजेब के शासनकाल में बंगाल का दीवान था, उसके पश्चात् फर्रूखसियर ने उसे बंगाल का सूबेदार नियुक्त कर दिया और मुर्शिदकुली खाँ ने मध्य बंगाल में मुर्शिदाबाद को अपनी राजधानी बनाया।
3. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. मुर्शिदकुली खाँ ने भू-राजस्व बंदोबस्त के द्वारा जागीर भूमि के एक बड़े भाग को खालसा भूमि बना दिया।
2. उसने ठेके पर भू-राजस्व वसूल करने की इजारा व्यवस्था को समाप्त कर दिया।
3. उसने गरीब किसानों, खेतिहरों आदि की सहायता के लिए तकाबी ऋण प्रदान किए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) ये सभी
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं ।
मुर्शिदकुली खाँ ने स्वतंत्र शासक के रूप में बंगाल के प्रशासन को मितव्ययी बनाया। उसने बंगाल के वित्तीय मामलों का प्रबंध नए सिरे से किया। साथ ही नए भू-राजस्व बंदोबस्त के द्वारा जागीर भूमि के एक बड़े भाग को खालसा भूमि में बदल दिया।
मुर्शिदकुली खाँ ने स्थानीय जमींदारों और सौदागर, साहूकारों बीच से राजस्व वसूलने वाले किसान और सौदागर साहूकार भर्ती किए और साथ ही गरीब खेतिहरों का कष्ट दूर करने तथा उन्हें समय पर भू-राजस्व देने में समर्थवान बनाने हेतु तकाबी ऋण भी प्रदान किए।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि मुर्शिदकुली खाँ ने ठेके पर भू-राजस्व वसूल करने की 'इजारा व्यवस्था' को आरंभ किया था।
4. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. बंगाल के नवाबों ने कंपनी के नौकरों को देश के कानून का पालन करने तथा अन्य व्यापारियों के बराबर सीमा शुल्क देने को बाध्य किया।
2. अलीवर्दी खाँ ने अंग्रेजों को कलकत्ता और चंद्रनगर के अपने कारखानों की किलेबंदी करने की स्वीकृति दी ।
3. अंग्रेजी कंपनी की सैन्य धमकी के बावजूद भी बंगाल के नवाब कंपनी को अपनी सत्ता के लिए कोई खतरा नहीं मानते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2 
(c) केवल 3
(d) ये सभी
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन ( 2 ) असत्य है, क्योंकि बंगाल के नवाब अलीवर्दी खाँ ने अंग्रेजों और फ्रांसीसियों को कलकत्ता और चंद्रनगर के अपने कारखानों की किलेबंदी करने की स्वीकृति नहीं दी थी।
अलीवर्दी खाँ का मानना था कि व्यापार का प्रसार जनता और सरकार के लिए लाभदायक है, इसलिए उन्होंने भारतीय और विदेशी व्यापारियों को बढ़ावा दिया। इन्होंने अपने शासनकाल में भूमि सुधारों को भी बढ़ावा दिया था।

अवध

1. अवध के स्वायत्त राज्य का संस्थापक कौन था?
(a) आसफउद्दौला
(b) सआदत खाँ 
(c) शुजाउद्दौला
(d) सफदरजंग 
उत्तर - (b)
व्याख्या- अवध के स्वायत्त राज्य का संस्थापक सआदत खाँ बुरहान-उल-मुल्क था। उसे 1722 ई. में अवध का सूबेदार बनाया गया था। वह एक अत्यंत निडर, कर्मठ, दृढ़ प्रतिज्ञ और कुशल व्यक्ति था। उसकी • नियुक्ति के समय कई प्रांतीय जमींदारों ने उसके प्रति तल्खी बरती, लेकिन उसने सबके प्रति अनुशासनात्मक व्यवहार अपनाया।
2. निम्न में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) सआदत खाँ ने 1725 ई. में नया राजस्व बंदोबस्त (रेवेंयू सेटेलमेंट) किया।
(b) सफदरजंग ने न्याय की उचित व्यवस्था की तथा हिंदुओं और मुसलमानों के बीच निष्पक्षता की नीति अपनाई।
(c) सफदरजंग के शासनकाल में लखनऊ कला एवं साहित्य के संरक्षण की दृष्टि से दिल्ली का प्रतिद्वंद्वी हो गया।
(d) सफदरजंग के काल में सरकार के सबसे बड़े पद पर एक हिंदू महाराजा नवाब राय आसीन था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (a) असत्य है, क्योंकि सआदत खाँ ने 1725 ई. में नहीं, बल्कि 1723 ई. में नया राजस्व बंदोबस्त (रेवेंयू सेटेलमेंट) लागू किया। इसके अनुसार वह उचित भू-लगान लगाकर तथा बड़े जमींदारों के अत्याचारों से बचाकर किसानों की स्थिति को सुव्यवस्थित और बेहतर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता था।

मैसूर

1. हैदर अली के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. हैदर अली का जन्म 1721 ई. में हुआ था।
2. उसने 1755 ई. में डिंडीगुल में फ्रांसीसी विशेषज्ञों की सहायता से एक आधुनिक शस्त्रागार का निर्माण किया।
3. उसने 1761 ई. में खानदेवराव को सत्ता से हटाकर मैसूर की सत्ता पर अधिकार कर लिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- हैदर अली के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। हैदर अली का जन्म 1721 ई. में हुआ था। दक्षिण भारत में हैदराबाद के समीप हैदर अली के अधीन मैसूर नामक एक महत्त्वपूर्ण सत्ता के केंद्र का विकास हुआ।
उसने मैसूर में एक साधारण सैन्य अधिकारी के रूप में अपने जीवन की शुरुआत की और 1755 ई. में उसने डिंडीगुल में आधुनिक शस्त्रागार की स्थापना भी की।
18वीं सदी के प्रारंभ में खानदेवराव ने मैसूर की सत्ता को अपने हाथ में ले लिया था, लेकिन 1761 ई. में हैदर अली ने खानदेवराव को सत्ता से हटाकर स्वयं को मैसूर का शासक घोषित कर दिया।
2. 'टीपू सुल्तान' के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने एक नए कैलेंडर को लागू किया।
2. उसने श्रीरंगपट्टम में 'स्वतंत्रता वृक्ष' लगाया।
3. उसने जागीर प्रथा को बढ़ावा दिया।
4. वह पैदावार का एक-चौथाई हिस्सा भू-राजस्व के रूप में लेता था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन असत्य है / हैं ?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 3 और 4
(d) 1, 2 और 3 
उत्तर - (c)
व्याख्या- 'टीपू सुल्तान' के संबंध में कथन (3) और (4) असत्य हैं। टीपू सुल्तान हैदर अली का पुत्र व मैसूर की सत्ता का उत्तराधिकारी था, उसने जागीर देने की प्रथा को समाप्त कर राजकीय आय बढ़ाने के प्रयास किए।
टीपू सुल्तान ने पोलिगारों की पैतृक संपत्ति को कम करने तथा राज्य और किसानों के बीच मध्यस्थों को समाप्त करने का प्रयास किया। वह पैदावार का एक-चौथाई नहीं, बल्कि एक-तिहाई हिस्सा भू-राजस्व के रूप में लेता था। वह भू-राजस्व में छूट देने का पक्षधर था।
कथन (1) और (2) सत्य हैं। टीपू सुल्तान ने एक नए कैलेंडर को लागू किया, जिसे 'इलाही कैलेंडर' कहा गया। उसने श्रीरंगपट्टम में 'स्वतंत्रता वृक्ष' भी लगवाया। यह वृक्ष फ्रांस और मैसूर के मैत्री के प्रतीक स्वरूप लगाया गया था।
3. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. विदेशी व्यापार के विकास हेतु फ्रांस, तुर्की, ईरान और पीगू में अपने राजदूत को भेजा।
2. चीन के साथ व्यापारिक संबंध कायम किए।
3. बंदरगाह वाले नगरों में व्यापारिक संस्थाएँ स्थापित करके रूस तथा अरब के साथ व्यापार बढ़ाने का प्रयत्न किया।
उपर्युक्त कथन किस शासक से संबंधित है/हैं?
(a) हैदर अली
(b) टीपू सुल्तान
(c) अलीवर्दी खाँ
(d) सवाई जयसिंह
उत्तर - (b)
व्याख्या- उपर्युक्त कथन मैसूर के शासक टीपू सुल्तान से संबंधित हैं। टीपू सुल्तान आधुनिक व्यापार और उद्योग के महत्त्व को समझता था और वह इसके पक्ष में भी था।
वास्तव में, वह तत्कालीन भारतीय शासकों में एकमात्र ऐसा शासक था, जो आर्थिक शक्ति के महत्त्व को सैनिक शक्ति की नींव मानता था। उसने विदेशी व्यापार के विकास हेतु विभिन्न देशों; जैसे-फ्रांस, तुर्की, ईरान और पीगू में अपने दूत भेजे थे। चीन के साथ भी उसने व्यापार को बढ़ावा दिया और अपने बंदरगाह नगरों में व्यापारिक संस्थाएँ भी स्थापित की, ताकि रूस और अरब देशों के साथ व्यापार को बढ़ाया जा सके।

केरल

1. निम्न में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
(a) मार्तंड वर्मा – उरैयूर 
(b) सवाई जयसिंह - आमेर
(c) दोस्त अली – कर्नाटक
(d) सूरजमल – जाट राज्य
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए युग्मों में से युग्म (a) सही सुमेलित नहीं है।
मार्तंड वर्मा का संबंध त्रावणकोर राज्य से था। इस राज्य को 1729 ई. के बाद अठारहवीं सदी के एक अग्रणी राजा मार्तंड वर्मा के नेतृत्व में प्रमुखता मिली। में अठारहवीं सदी के प्रारंभ में ये केवल चार प्रमुख राज्यों में सामंत और राजाओं के नेतृत्व में बँटे थे, जिसमें कालीकट, चिरक्कल, कोचीन और त्रावणकोर शामिल थे।
2. मार्तंड वर्मा के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने यूरोपीय अफसरों की सहायता से पश्चिमी मॉडल के आधार पर एक शक्तिशाली फौज का गठन किया।
2. उसने क्विलोन और इलायादाम को जीत लिया और डचों को पराजित कर केरल में उनकी सत्ता समाप्त कर दी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं? :
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- मार्तंड वर्मा के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं। राजा मार्तंड वर्मा ने अपने राज्य को नई गति प्रदान करने हेतु यूरोपीय अफसरों की मदद से पश्चिमी मॉडल के आधार पर एक शक्तिशाली फौज को संगठित किया और उसे आधुनिक हथियारों से सुसज्जित किया। उसने एक आधुनिक शस्त्रागार का भी निर्माण किया तथा उसने अपनी इस नई संगठित फौज का प्रयोग अपनी शक्ति और क्षेत्र विस्तार हेतु किया।
मार्तंड वर्मा ने सर्वप्रथम शासक बनने के पश्चात् सामंतों पर अपना आधिपत्य स्थापित किया और साथ ही क्विलोन और इलायादाम को जीत लिया तथा डचों को पराजित कर केरल में उनकी राजनीतिक सत्ता को भी समाप्त कर दिया।

राजपूत राज्य

1. 18वीं सदी के सर्वश्रेष्ठ राजपूत शासक सवाई जयसिंह के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. वह एक विख्यात राजनेता, कानून निर्माता, सुधारक तथा विज्ञान प्रेमी था।
2. उसने नेपियर की रचना का संस्कृत में अनुवाद कराया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- 18वीं सदी के सर्वश्रेष्ठ राजपूत शासक सवाई जयसिंह के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं। अठारहवीं सदी में सबसे श्रेष्ठ राजपूत शासक सवाई जयसिंह था, वह एक कुशल कानून निर्माता, सुधारक और विज्ञान प्रेमी था। उसने युक्लिड की रेखागणित के तत्त्व' तथा त्रिकोणमिति की बहुत सारी कृतियों और लघुगणकों को बनाने और उसके उपयोग संबंधी नेपियर की रचना का संस्कृत में अनुवाद कराया।
2. 1773 ई. में 'जिज मुहम्मदशाही' पुस्तक, जो नक्षत्रों संबंधी ज्ञान से संबंधित है, के लेखक हैं
(a) जसवंत सिंह
(b) राजा भारमल 
(c) सवाई जयसिंह
(d) महाराणा अमर सिंह 
उत्तर - (c)
व्याख्या- 'जिज मुहम्मदशाही' पुस्तक की रचना 1773 ई. में जयपुर के शासक सवाई जयसिंह ने की। 'जिज मुहम्मदशाही' खगोल विज्ञान संबंधी पर्यवेक्षण तथा सारणियों का सेट तैयार करने वाली पुस्तक है ।

जाट

1. भरतपुर के जाट राज्य का संस्थापक कौन था? 
(a) चूड़ामन 
(b) हीरामन
(c) राजमन 
(d) हरमन
उत्तर - (a)
व्याख्या- भरतपुर के जाट राज्य का संस्थापक चूड़ामन और बदन सिंह था। भरतपुर वर्तमान राजस्थान में स्थित है। जाट खेतिहरों की एक जाति थी, जो दिल्ली, आगरा और मथुरा के आस-पास के क्षेत्रों में रहती थी।
2. किस जाट शासक के नेतृत्व में जाट सत्ता अपनी उच्चतम गरिमा पर पहुँची? 
(a) बदन सिंह 
(b) चूड़ामन
(c) सूरजमल
(d) रामसिंह
उत्तर - (c)
व्याख्या- जाट शासक सूरजमल के नेतृत्व में जाट सत्ता अपनी उच्चतम गरिमा पर पहुँची। सूरजमल का शासनकाल 1756 ई. से 1763 ई. तक था । वह एक कुशल प्रशासक, योग्य सेनापति तथा कुशाग्र बुद्धि का राजनेता था। उसका अधिकार क्षेत्र पूर्व में गंगा से लेकर पश्चिम में आगरा के सूबे तक था तथा उत्तर में दिल्ली के सूबों से लेकर दक्षिण में चंबल तक फैला था। उसके राज्य में अन्य जिलों के अतिरिक्त प्रमुख रूप से आगरा, मथुरा, मेरठ व अलीगढ़ शामिल थे।

सिख

1. सिख धर्म के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. सिख धर्म को गुरु नानक ने 15वीं शताब्दी में चलाया।
2. गुरु हरगोविंद ने सिखों को लड़ाकू समुदाय के रूप में स्थापित किया।
3. गुरु गोविंद सिंह की मृत्यु के बाद सिखों का नेतृत्व बाबा रामचंद्र ने किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- सिख धर्म के संबंध में कथन (3) असत्य है, क्योंकि सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह (1666-1708 ई.) के नेतृत्व में सिख एक राजनीतिक और सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित हुए।
गुरु गोविंद सिंह की मृत्यु के पश्चात् गुरु की परंपरा समाप्त हो गई और सिखों का नेतृत्व गुरु गोविंद सिंह के कृपापात्र बंदा सिंह ने किया था, जो इतिहास में बंदा बहादुर के नाम से प्रसिद्ध है।
कथन (1) और (2) सत्य हैं। सिख धर्म की स्थापना 15वीं शताब्दी में गुरु नानक ने की, गुरु हरगोविंद ने सिखों को लड़ाकू बनाने की ओर ध्यान दिया।
2. सिख गुरुओं का सही कालक्रम कौन-सा है ?
(a) गुरु नानक-गुरु अंगद - गुरु हरगोविंद - गुरु गोविंद सिंह
(b) गुरु नानक-गुरु हरगोविंद - गुरु अंगद - गुरु गोविंद सिंह
(c) गुरु नानक - गुरु गोविंद सिंह गुरु अंगद - गुरु हरगोविंद
(d) गुरु गोविंद सिंह-गुरु हरगोविंद - गुरु नानक - गुरु अंगद
उत्तर - (a)
व्याख्या- सिख गुरुओं का सही कालक्रम निम्नवत् है
गुरु नानक → गुरु अंगद → गुरु हरगोविंद → गुरु गोविंद सिंह 
  • गुरु नानक देव का जन्म 1469 ई. में ननकाना साहिब में हुआ था, जो वर्तमान पाकिस्तान में है। गुरु नानक देव सिख संप्रदाय प्रथम गुरु थे। इनका निधन 1539 ई. में करतारपुर साहिब (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था।
  • गुरु अंगद सिखों के दूसरे गुरु थे। इनका जन्म 1504 ई. में श्री मुक्तसर साहिब (पंजाब) में हुआ था। गुरु अंगद का निधन 1552 ई. में अमृतसर (पंजाब) में हुआ था।
  • गुरु हरगोविंद सिखों के छठे गुरु थे। इनका जन्म 1595 ई. में अमृतसर पंजाब में हुआ था। इनके पिता गुरु अर्जन देव को जहाँगीर द्वारा मृत्युदंड दिए जाने के बाद 11 वर्ष की आयु में उन्हें 'गुरु' बनाया गया। गुरु हरगोविंद सिंह का निधन 1644 ई. में किरतरपुर साहिब (वर्तमन में पंजाब) में हुआ था।
  • सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह का जन्म 1666 ई. पटना (बिहार) में हुआ था। इन्होंने 'खालसा पंथ' की स्थापना की थी। 1708 ई. में गुरु गोविंद सिंह का निधन नांदेड (महाराष्ट्र) में हुआ था।
3. सिखों के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. गुरु गोविंद सिंह सिखों के 10वें एवं अंतिम गुरु थे।
2. गुरु गोविंद सिंह की मृत्यु के बाद सिखों को बंदा बहादुर के नाम से एक योग्य नेता मिला।
3. बंदा बहादुर के नेतृत्व में सिखों ने मुगलों का बहादुरी से सामना किया तथा लाहौर से दिल्ली तक के सारे क्षेत्रों पर अधिकार हो गया।
उपर्युक्त में से कौन-से कथन सत्य हैं ?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- सिखों के संदर्भ में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
सिखों के अंतिम व दसवें गुरु गोविंद सिंह थे। उनकी मृत्यु के पश्चात् बंदा बहादुर ने सिखों को नेतृत्व प्रदान किया। उसने सिख शक्ति को एकजुट करने के प्रयास किए तथा पंजाब के किसानों और नीची जातियों के लोगों को एकजुट कर मुगल सत्ता के विरुद्ध आठ वर्षों तक युद्ध किया। उसके नेतृत्व में लाहौर से दिल्ली तक के क्षेत्रों पर सिखों का अधिकार रहा। अंततः 1715 ई. में बंदा बहादुर को गिरफ्तार कर उसकी हत्या कर दी गई।
4. रणजीत सिंह के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. इनका संबंध सुकरचकिया मिसल से था।
2. इन्होंने सतलुज के पश्चिम में सभी सिख प्रधानों को अपने अधीन कर पंजाब में अपना राज्य स्थापित किया।
3. भू-राजस्व का हिसाब 40% सकल उत्पादन के आधार पर लगाया।
4. रणजीत सिंह ने यूरोपीय प्रशिक्षकों की सहायता से एक शक्तिशाली एवं अनुशासित फौज तैयार की।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1, 2 और 4
उत्तर - (d)
व्याख्या- रणजीत सिंह के संबंध में कथन (1), (2) और (4) सत्य हैं। रणजीत सिंह के अधीन पंजाब ने प्रमुखता प्राप्त की थी। वह अठारहवीं सदी के अंत में सुकरचकिया मिसल के प्रधान थे। इन्होंने 1799 ई. में लाहौर और 1802 ई. में अमृतसर पर अधिकार कर लिया। में
इन्होंने सतलुज के पश्चिम के सभी सिख प्रधानों को अपने अधीन कर पंजाब पर अपना आधिपत्य स्थापित किया। तत्पश्चात् कश्मीर, पेशावर और मुल्तान को भी अपने अधिकार में ले लिया।
रणजीत सिंह द्वारा यूरोपीय प्रशिक्षकों की सहायता से एक अनुशासित फौज तैयार की गई, जिसमें सिखों के अतिरिक्त, गोरखा, बिहारी, उड़िया, पठान, गेगरा तथा पंजाबी मुसलमान सैनिक भी शामिल थे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि रणजीत सिंह ने भू-राजस्व का हिसाब 40% नहीं, बल्कि 50% सकंल उत्पादन के आधार पर लगाया, क्योंकि उन्होंने मुगलों द्वारा लागू की गई भू-राजस्व की व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं किया।

मराठा

1. शाहू और ताराबाई के मध्य हुए गृहयुद्ध ने एक नई व्यवस्था को जन्म दिया, वह व्यवस्था थी 
(a) पेशवा का पद
(b) मनसबदारी प्रथा का आरंभ
(c) सैन्य व्यवस्था में परिवर्तन 
(d) जजिया कर की वसूली
उत्तर - (a)
व्याख्या- शाहू और ताराबाई के मध्य हुए गृहयुद्ध के पश्चात् एक नई व्यवस्था का आरंभ हुआ, जो पेशवा का पद कहलाया, जिसका नेता राजा शाहू पेशवा बालाजी विश्वनाथ था। इस परिवर्तन के साथ इतिहास में पेशवा आधिपत्य का दूसरा काल आरंभ हुआ, जिसमें मराठा राज्य एक साम्राज्य के रूप में बदल गया।
2. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु के बाद उसका पुत्र बाजीराव प्रथम पेशवा बना।
2. बालाजी विश्वनाथ को शिवाजी के बाद गुरिल्ला युद्ध का सबसे बड़ा प्रतिपादक माना गया।
3. बाजीराव प्रथम ने निजामुलमुल्क को दक्कन प्रांतों की चौथ एवं सरदेशमुखी मराठों को देने के लिए बाध्य किया।
4. बाजीराव प्रथम ने पश्चिमी तट पर स्थित पुर्तगाली क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था।
उपर्युक्त में से कौन-से कथन असत्य हैं ?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 2 और 4
(d) 3 और 4
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) और (4) असत्य हैं, क्योंकि बालाजी विश्वनाथ को नहीं, बल्कि बाजीराव प्रथम को शिवाजी के पश्चात् गुरिल्ला युद्ध का सबसे बड़ा प्रतिपादक माना जाता है। बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु 1720 ई. में हुई, जिसके पश्चात् उसका 20 वर्षीय पुत्र बाजीराव प्रथम पेशवा बना।
बाजीराव प्रथम पश्चिम तट से पुर्तगालियों के अधिकार को समाप्त करने में सफल नहीं हुआ फलस्वरूप पुर्तगालियों ने पश्चिमी तट क्षेत्र पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। हालाँकि बाजीराव प्रथम ने सिलसिट और बसई (बसीन) पर अपना आधिपत्य स्थापित करने में सफलता प्राप्त कर ली थी।
3. पानीपत का तृतीय युद्ध कब हुआ था?
(a) 14 जनवरी, 1760
(b) 5 जनवरी, 1760
(c) 14 जनवरी, 1761
(d) 5 जनवरी, 1761
उत्तर - (c)
व्याख्या- पानीपत का तृतीय युद्ध 14 जनवरी, 1761 को मराठों और अफगानों के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में मराठों का नेतृत्व बालाजी बाजीराव (नाना साहब) के अल्पवयस्क पुत्र विश्वास राव तथा सेनापति सदाशिव राव भाऊ और अफगानों का नेतृत्व अहमदशाह अब्दाली ने किया था। इस युद्ध में मराठों की हार हुई फलस्वरूप मराठा शक्ति कमजोर हो गई।
4. पानीपत के युद्ध के परिणाम पर विचार कीजिए
1. पानीपत की पराजय से मराठों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँची।
2. मराठों की पराजय ने कंपनी को बंगाल और दक्षिण भारत में अपनी सत्ता मजबूत करने का अवसर दिया।
3. युद्ध में पेशवा का बेटा विश्वास राव, सदाशिव राव भाऊ तथा बहुत से मराठा सरदार मारे गए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। पानीपत के तृतीय युद्ध के निम्न परिणाम हुए
इस युद्ध में मराठों की पराजय ने मराठा शक्ति का ह्रास किया, जिसने मराठों की प्रतिष्ठा पर एक प्रश्नचिह्न लगा दिया। इस युद्ध में मराठों की पराजय के परिणामस्वरूप ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी सत्ता को मजबूत करते हुए बंगाल और दक्षिण भारत में कंपनी का विस्तार किया। इस युद्ध में मराठों की ओर से लड़ते हुए पेशवा बालाजी बाजीराव का अल्पवयस्क पुत्र विश्वास राव, सदाशिव राव भाऊ तथा असंख्य मराठा सैनिक मारे गए थे ।

18वीं सदी के लोगों का सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक जीवन

1. निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) मुगलों के शासनकाल में एशिया तथा यूरोप के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार होता था।
(b) भारत में चाय, चीनी, चीनी मिट्टी तथा रेशम का आयात अरब से होता था।
(c) सिंगापुर से टिन का आयात किया जाता था।
(d) भारत से कच्चा रेशम, रेशमी कपड़े, नील, शोरा अफीम, चावल, काली मिर्च तथा अन्य मसाले विदेशों को निर्यात किए जाते थे।
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (b) असत्य है, क्योंकि अठारहवीं सदी के दौरान भारत में चाय, चीनी, चीनी मिट्टी और रेशम का आयात चीन से होता था न कि अरब से। अरब से आयात होने वाली वस्तुओं में कहवा, सोना, दवाएँ और शहद शामिल था। इस काल के दौरान भारत कच्चा रेशम, और रेशमी कपड़े, लौहे का सामान, नील, शोरा, अफीम, चावल, गेहूँ, चीनी, काली मिर्च और अन्य मसाले, रत्न तथा औषधियों का निर्यात विभिन्न देशों में करता था।
2. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. 18वीं सदी में भारत में शिक्षा परंपरागत थी तथा उसका पश्चिमी क्षेत्रों में हुए द्रुत परिवर्तनों से कोई संपर्क नहीं था।
2. हिंदुओं में उच्च शिक्षा फारसी माध्यम से होती थी।
3. यद्यपि प्राथमिक शिक्षा मुख्यतः ब्राह्मण राजपूत तथा वैश्य जैसी जातियों तक ही सीमित थी, किंतु छोटी जातियों के भी कई लोग बहुधा उसे प्राप्त कर लेते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) असत्य हैं। अठारहवीं सदी के भारत में हिंदुओं में उच्च शिक्षा का माध्यम फारसी नहीं, बल्कि संस्कृत थी और मुख्यत: यह भाषा ब्राह्मणों तक ही सीमित थी। अठारहवीं सदी में तत्कालीन राजकीय भाषा होने के कारण फारसी भाषा हिंदुओं और मुसलमानों में समान रूप से लोकप्रिय थी।
3. निम्न में कौन-सा कथन सत्य है ?
1. 18वीं शताब्दी में जाति हिंदुओं के सामाजिक जीवन की मुख्य विशेषता थी।
2. जाति नियम कठोर नहीं थे।
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) सत्य है। 18वीं सदी के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन के अंतर्गत जाति हिंदुओं के सामाजिक जीवन की मुख्य विशेषता थी। हिंदू धर्म चार वर्णों के अतिरिक्त अनेक जातियों में बँटा था। जातियों का स्वरूप अलग-अलग स्थानों पर भिन्न-भिन्न था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि 18वीं सदी में जाति नियम अत्यंत कठोर थे । ब्राह्मणों के नेतृत्व में उच्च जातियों ने सभी सामाजिक प्रतिष्ठा और विशेषाधिकार पर अपना एकाधिकार स्थापित कर रखा था।
4. निम्न में से कौन-सा कथन सत्य है ?
1. 18वीं सदी के दौरान सांस्कृतिक दृष्टि से भारत में दुर्बलता के लक्षण दिखाई देते हैं।
2. तत्कालीन सांस्कृतिक क्रियाकलापों का खर्च अधिकतर शाही दरबार शासक और सामंत तथा सरदार वहन करते थे, परंतु उनकी खराब आर्थिक स्थिति के कारण सांस्कृतिक कार्यों की धीरे-धीरे अवहेलना होने लगी।
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। अठारहवीं सदी अपनी पिछली सदियों से सांस्कृतिक निरंतरता को कायम रखने में अवश्य सफल रही, परंतु साथ ही भारतीय संस्कृति संपूर्ण रूप से परंपरावादी बनी रही अर्थात् इस सदी के दौरान सांस्कृतिक दृष्टि से भारत में दुर्बलता के लक्षण दृष्टिगोचर होते हैं।
18वीं सदी में तत्कालीन सांस्कृतिक क्रियाकलापों का खर्च अधिकतर शाही दरबार शासक और सामंत तथा सरदारों द्वारा वहन किया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय होती गई और सांस्कृतिक कार्यों की अवहेलना होने लगी। उस काल के दौरान अधिकतर उन सांस्कृतिक कार्यों में दुर्बलता के लक्षण दिखाई दिए, जो राजाओं और सामंतों के संरक्षण पर निर्भर थे।
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NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | मराठा राज्य और संघ https://m.jaankarirakho.com/877 https://m.jaankarirakho.com/877 NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | मराठा राज्य और संघ

मराठा शक्ति का अभ्युदय

1. मराठों के उदय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. अहमदनगर और बीजापुर की सेनाओं में मराठे उच्च पद पर आसीन थे।
2. दक्कनी राज्यों तथा मुगलों दोनों ने मराठों का समर्थन प्राप्त करने की कोशिश की।
3. राजपूतों की भाँति मराठों का एक सुप्रतिष्ठित राज्य था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- मराठों के उदय के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। दक्षिण भारत के दो प्रमुख राज्य अहमदनगर और बीजापुर की में मराठे उच्च पर आसीन थे, वे अपनी वीरता के लिए जाने जाते थे। यही कारण था कि यहाँ के शासकों ने मराठों को अपनी सेना में प्रतिष्ठित पद दिए। मराठों की शक्ति को देखते हुए मुगल शासक भी उन्हें अपने पक्ष करना चाहते थे। मुगल शासकों ने दक्षिण भारत में अपना प्रभुत्व जमाने के लिए मराठों का समर्थन प्राप्त करने की कोशिश की।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि राजपूतों की भाँति मराठों का कोई प्रतिष्ठित राज्य नहीं था, बल्कि मराठा साम्राज्य को व्यवस्थित करने का श्रेय शाहजी भोंसले एवं शिवाजी को जाता था।
2. मुगल काल के उत्तरार्द्ध में मोरे, घोटगे तथा निंबलकर किस रूप में प्रतिष्ठित थे? 
(a) मराठा सत्ताधारी परिवार
(b) मुगल सेना में उच्च सेनाधिकारी
(c) निजाम के सहयोगी
(d) मराठा राजकीय सेवा में लगे कर्मचारी
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल काल के उत्तरार्द्ध में मोरे, घोटगे तथा निंबलकर मराठा सत्ताधारी परिवार से संबंधित थे। ये काफी प्रभावशाली मराठा थे, जिनके हाथों में स्थानीय सत्ता थी, परंतु इनकी शक्तियाँ विकेंद्रित थीं।
ये मुख्यत: अहमदनगर एवं बीजापुर शासकों को सैन्य सहायता प्रदान करते थे, कालांतर में मराठा शक्तियाँ एकजुट होने लगी थीं। मुगल स्वयं भी प्रभावशाली मराठों की सहायता से दक्षिण भारत में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते थे, परंतु मुगलों का मराठों के साथ संघर्ष हुआ।
3. शाहजी भोंसले के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा स नहीं है?
(a) शाहजी ने अहमदाबाद में अपनी राजनीतिक स्थिति को सुदृढ़ किया।
(b) 1636 ई. में उन्हें अपने प्रभुत्व वाले प्रदेश छोड़ने पड़े थे।
(c) वे कुछ दिन बीजापुर की सेवा में रहे।
(d) उन्होंने बेंगलूर (बंगलुरु) में अर्द्ध स्वतंत्र राज्य स्थापित किया था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- शाहजी भोंसले के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (a ) सत्य नहीं है, क्योंकि शाहजी पहले ऐसे प्रभावशाली मराठा थे, जिन्होंने अहमदाबाद में नहीं, बल्कि अहमदनगर में अपनी स्थिति मजबूत की। वे पहले ऐसे मराठा थे, जिन्होंने मराठा शक्तियों को एक करना प्रारंभ किया। कालांतर में उनके पुत्र शिवाजी ने इसी कार्य को आगे बढ़ाया। उन्होंने मुगलों के विरुद्ध अहमदनगर की ओर से चुनौती दी, परंतु एक संधि के अनुसार शाहजी को उन्हें अपने प्रभुत्व वाले प्रदेश छोड़ने पड़े थे, इसके बाद वे बीजापुर की सेवा में लग गए। तत्पश्चात् में शाहजी भोंसले कर्नाटक की ओर चले गए, वहाँ उन्होंने राजनीतिक अस्थिरता का लाभ उठाकर बेंगलूर ( बंगलुरु) में एक अर्द्ध स्वतंत्र राज्य स्थापित किया था।

शिवाजी का उदय

1. शिवाजी के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उनकी माता का नाम जीजाबाई था।
(b) उन्होंने 1637 ई. में राजगढ़, कोंडाना तथा तोरण को जीत लिया था।
(c) 18 वर्ष की आयु में उन्होंने सैन्य अभियान प्रारंभ कर दिया था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- शिवाजी के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि शिवाजी ने मात्र 18 वर्ष की आयु में 1645 ई. से 1647 ई. के मध्य पूना के समीपवर्ती राजगढ़, कोंडाना तथा तोरण के पहाड़ी किलों को जीतकर अपने पराक्रम का परिचय दिया था।
2. शिवाजी के साम्राज्य विस्तार में किस संरक्षक / अभिभावक की मुख्य भूमिका थी? 
(a) दादा कोंडदेव
(b) दादा भीमदेव
(c) रामानुज पुलस्कर
(d) दादा बीसलदेव
उत्तर - (a)
व्याख्या शिवाजी के साम्राज्य विस्तार में उनके संरक्षक एवं अभिभावक दादा कोंडदेव की भूमिका महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। कोंडदेव के नेतृत्व में उन्होंने कई सैन्य अभियान भी जीते। राजगढ़, कोंडाना तथा तोरण के पहाड़ी किलों को जीतने के बाद 1647 ई. में ही दादा कोंडदेव का निधन हो गया। कोंडदेव के निधन के बाद शिवाजी ने समस्त कार्य भार स्वयं संभाला।
3. शिवाजी के विजय अभियानों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. 1647 ई. में उन्होंने अपने पिता की जागीर पूर्ण रूप से अपने नियंत्रण में ले ली।
2. शिवाजी की विजय का वास्तविक दौर 1666 ई. में प्रारंभ हुआ।
3. उन्होंने जवाली राज्य को जीतकर मराठा साम्राज्य में मिलाया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2 3
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- शिवाजी के विजय अभियानों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। 1647 ई. में शिवाजी ने अपने संरक्षक एवं अभिभावक से अपने पिता की जागीर पूर्ण रूप से अपने नियंत्रण में ले ली थी एवं स्वयं को 'मुख्तार' भी घोषित कर दिया।
शिवाजी की विजय का वास्तविक दौर 1656 ई. में प्रारंभ हुआ था। सर्वप्रथम उन्होंने मराठा सरदार चंद्र राव मोरे से जवाली का राज्य जीत लिया। शिवाजी ने जवाली राज्य व वहाँ के खजाने प्राप्त करने के लिए छल प्रपंच का सहारा लिया। जवाली विजय अभियान के बाद शिवाजी जवाली क्षेत्र के निर्विवाद स्वामी बन गए। इस विजय अभियान से शिवाजी को व्यापक सफलता मिली, क्योंकि इसके तत्पश्चात् सतारा व कोंकण क्षेत्र तक पहुँचना सरल हो गया था।
4. शिवाजी के काल की विभिन्न घटनाओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. मुगलों ने 1667 ई. में बीजापुर पर आक्रमण किया, जिससे शिवाजी बीजापुर के प्रतिशोध से बच गए।
2. शिवाजी ने 1666 ई. में मुगल क्षेत्र में प्रवेश कर अपना खजाना भरा था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- शिवाजी के काल की विभिन्न घटनाओं के संबंध में केवल कथन (1) सत्य है। 1667 ई. में बीजापुर शासकों पर मुगल सैनिकों ने आक्रमण कर दिया, इस संघर्ष में बीजापुर के शासक इतने उलझ गए कि शिवाजी, स्वयं बीजापुर के शासकों के प्रतिशोध से बच गए।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि शिवाजी ने 1665 ई. में नहीं, बल्कि 1657 ई. में मुगल क्षेत्र में प्रवेश किया था।
5. वह कौन सेनानायक था, जिसे बीजापुर के सुल्तान ने 1659 ई. में शिवाजी को दबाने के लिए भेजा था ?
(a) मीर जुमला 
(b) अफजल खाँ
(c) इब्राहिम हुसैन
(d) अलताफ खाँ
उत्तर - (b)
व्याख्या- बीजापुर के सुल्तान ने 1659 ई. में सरदार अफजल खाँ को शिवाजी को दबाने के लिए भेजा था। अफजल खाँ ने शिवाजी को व्यक्तिगत मुलाकात के लिए निमंत्रण भेजा, साथ ही यह वादा किया कि वह बीजापुर के सुल्तान से माफी भी दिलवा देगा। शिवाजी अफजल खाँ की चालाकी समझते थे, उन्होंने मिलने की बात स्वीकार कर ली। अफजल खाँ ने गले लगने के बहाने, शिवाजी पर आक्रमण कर दिया, किंतु शिवाजी ने साहसिक ढंग से अपना बचाव करते हुए, 1669 ई. में अफजल खाँ की हत्या कर दी।
6. किस वर्ष मराठा सेना ने पऩहाला' के मजबूत किले पर अधिकार कर लिया था ? 
(a) 1655 ई.
(b) 1656 ई. 
(c) 1659 ई.
(d) 1660 ई. 
उत्तर - (c)
व्याख्या- 1659 ई. में बीजापुर के सरदार अफजल खाँ की हत्या के पश्चात् शिवाजी के सैनिकों का मनोबल काफी बढ़ गया। इस विजय के बाद शिवाजी के सैनिकों ने अफजल खाँ के हथियारों एवं तोपखाने को अपने अधिकार में ले लिया। इसी विजय से उत्साहित होकर मराठों ने 'पनहाला' जैसे मजबूत किले पर अधिकार कर लिया, साथ ही दक्षिणी कोंकण एवं कोल्हापुर तक मराठों का प्रभुत्व स्थापित हो गया।
7. शिवाजी के पराक्रम के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) जनता उन्हें अलौकिक शक्तियों का श्रेय देने लगी थी।
(b) मराठा क्षेत्र के लोग भारी संख्या में सेना में शामिल होने लगे।
(c) अहमदनगर के तुर्क सैनिक शिवाजी की सेना में शामिल हो गए।
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- शिवाजी के पराक्रम के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि अहमदनगर के तुर्क सैनिक शिवाजी की सेना में शामिल नहीं हुए। शिवाजी की बढ़ती लोकप्रियता के कारण मराठा क्षेत्र के लोग उनकी सेना में शामिल होने लगे। यहाँ तक कि भाड़े पर बीजापुरी सेना में कार्य करने वाले अफगानी सैनिक भी, शिवाजी की सेना में शामिल होने लगे और जनता शिवाजी को अलौकिक शक्तियों का श्रेय देने लगी थी।
8. शिवाजी मुगलों की कैद से भागने के समय कौन-से नगर में कैद थे? 
(a) ग्वालियर
(b) आगरा
(c) दिल्ली
(d) कानपुर
उत्तर - (b)
व्याख्या- शिवाजी मुगलों की कैद से भागने के समय आगरा में कैद थे। शिवाजी तथा औरंगजेब के मध्य समझौते की प्रक्रिया के अंतर्गत जयसिंह ने शिवाजी को आगरा आने का निमंत्रण भेजा। मुगल दरबार में शिवाजी द्वारा साम्राज्य की सेवा में प्रवेश करने से मना करने पर उन्हें बंदी बनाया गया था। 1666 ई. में शिवाजी, कैद से भाग गए और नए तरीके से मराठा साम्राज्य को व्यवस्थित किया।
9. 'पुरंदर की संधि' के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह आमेर के राजा जयसिंह और शिवाजी के बीच हुई थी ।
2. राजा जयसिंह मुगल प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर रहे थे ।
3. यह संधि 1668 ई. में हुई थी ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- 'पुरंदर की संधि' के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। पुरंदर की संधि आमेर के शासक एवं औरंगजेब के विश्वासपात्र राजा जयसिंह एवं शिवाजी के मध्य 1665 ई. में हुई थी। राजा जयसिंह मुगल प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर रहे थे। उसे पूरी प्रशासनिक और सैनिक स्वायत्तता प्रदान की गई थी, उसका सीधा संबंध मुगल सम्राट से था।
10. जयसिंह ने किसे पत्र लिखकर यह कहा था कि “शिवा को वृत्त के बिंदु की तरह हम चारों ओर से घेर लेंगे )" 
(a) शाहजहाँ को
(b) औरंगजेब को 
(c) दाराशिकोह को
(d) शाइस्ता खाँ
उत्तर - (b)
व्याख्या- पुरंदर की संधि के बाद, शिवाजी के संदर्भ में आमेर के शासक जयसिंह ने औरंगजेब को पत्र लिखकर कहा था कि “शिवा को वृत्त के बिंदु की तरह हम चारों ओर से घेर लेंगे।” दक्षिण भारत में मुगलों की पैठ को मजबूत बनाने के लिए यह आवश्यक था कि शिवाजी को मुगलों के प्रति विश्वासपात्र बनाया जा सके। औरंगजेब बीजापुर की शक्ति कुचलने के बाद शिवाजी को भी कमजोर करना चाहता था, ताकि दक्षिण भारत में मुगलों के समक्ष कोई चुनौती प्रस्तुत करने वाला न हो।
11. शिवाजी द्वारा सूरत को दूसरी बार कब लूटा गया ?
(a) 1670 ई.
(b) 1675 ई.
(c) 1665 ई.
(d) 1666 ई.
उत्तर - (a)
व्याख्या- शिवाजी द्वारा सूरत को दूसरी बार 1670 ई. में लूटा गया था।
पुरंदर की संधि की विफलता के कारण शिवाजी ने मराठों की शक्ति को एक बार फिर पुनर्जीवित करने की कोशिश की। पुरंदर की संधि के कारण हुई आर्थिक क्षति की भरपाई करने के उद्देश्य से शिवाजी ने सूरत पर आक्रमण किया और उसे लूट लिया। ध्यातव्य है कि शिवाजी ने 1664 ई. में पहली बार सूरत को लूटा था।
12. शिवाजी के राजतिलक से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। 
1. शिवाजी ने 1674 ई. में रायगढ़ में विधिवत् राजमुकुट धारण किया।
2. राजतिलक का संस्कार पुरोहित गंगाभट्ट ने करवाया था।
3. राजतिलक समारोह में पुरोहित द्वारा शिवाजी को उच्च वर्गीय ब्राह्मण शासक घोषित किया गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- शिवाजी के राजतिलक से संबंधित कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
1674 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ में विधिवत राजमुकुट धारण किया। प्रारंभ में शिवाजी पूना के एक जागीरदार थे, परंतु अपनी वीरता एवं पराक्रम का परिचय देते हुए शिवाजी ने मराठा साम्राज्य की नींव रखी।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि राजतिलक समारोह संपादित कराने वाले पुरोहित गंगाभट्ट ने विधिवत यह घोषणा की थी कि शिवाजी उच्च वर्गीय क्षत्रिय हैं, और यह भी कहा कि शिवाजी अब एक स्वतंत्र शासक है।
13. शिवाजी ने निम्नलिखित में से कौन-सी उपाधि धारण की थी ? 
(a) मराठा शिरोमणि
(b) हिंदू शिरोमणि 
(c) हैंदव धर्मोद्धारक
(d) हिंदू हितैषी 
उत्तर - (c)
व्याख्या- शिवाजी ने 'हैंदव धर्मोद्धारक' की उपाधि धारण की थी। यह उपाधि उन्होंने बीजापुरी अधिकारियों से जिंजी और बेल्लूर जीतने के उपरांत धारण की थी, लेकिन इन्होंने इस उपाधि के विपरीत इस क्षेत्र में निवास करने वाली हिंदू आबादी को भी लूटा था।
14. निम्नलिखित में किस अभियान से लौटने के कुछ ही दिन बाद 1680 ई. में शिवाजी की मृत्यु हो गई थी ? (
(a) कर्नाटक अभियान
(b) गोलकुंडा अभियान
(c) आगरा अभियान
(d) अहमदनगर अभियान
उत्तर - (a)
व्याख्या- कर्नाटक अभियान से लौटने के कुछ दिन बाद ही 1680 ई. में शिवाजी की मृत्यु हो गई। कर्नाटक अभियान शिवाजी की आखिरी बड़ी सैन्य कार्रवाई मानी जाती है।
जिंजी का क्षेत्र उन्होंने अपने पुत्र राम को दे दिया, परंतु मुगलों के साथ निरंतर संघर्ष के कारण शिवाजी को अनेक परेशानियों से होकर गुजरना पड़ा।

मराठा प्रशासन

1. शिवाजी के प्रशासन से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. शिवाजी की शासन प्रणाली दक्कनी राज्यों से उधार ली गई थी।
2. प्रशासन में आठ मंत्रियों के समूह को अष्टप्रधान कहा जाता था।
3. अष्टप्रधान का स्वरूप मंत्रिपरिषद् वाला था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 2 और 3
(c) 1 और 2 
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c) 
व्याख्या- शिवाजी के प्रशासन से संबंधित दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
शिवाजी की प्रशासनिक व्यवस्था का ढाँचा दक्कनी राज्यों से मिलता-जुलता था। यह विशेषत: अहमदनगर एवं बीजापुर के प्रशासनिक ढाँचे पर आधारित था। मराठा शासन व्यवस्था में 8 मंत्री नियुक्त किए गए, जिन्हें सामूहिक रूप में 'अष्टप्रधान' कहा गया है तथापि इसका स्वरूप मंत्रिपरिषद् वाला नहीं था, क्योंकि प्रत्येक मंत्री सीधे राजा के प्रति उत्तरदायी था। इनका कार्य राजा को परामर्श देना मात्र था, इसे किसी भी अर्थ में मंत्रिमंडल नहीं कहा जा सकता था।
2. शिवाजी प्रशासन में सेना के लिए जिम्मेदार अधिकारी को क्या कहा जाता था?
(a) सर-ए-जानदार 
(b) सर-ए-नौबत
(c) सर - ए - निशां
(d) सर-ए-पागा 
उत्तर - (b)
व्याख्या- शिवाजी के प्रशासन में सेना के लिए जिम्मेदार अधिकारी को 'सर-ए-नौबत' कहा जाता था। इसे पेशवा के समान अधिक सम्मानजनक माना जाता था। सेनापति (सर-ए-नौबत) का पद अक्सर मराठा सरदारों को ही दिया जाता था, यह संपूर्ण घुड़सवार सेना का की प्रधान होता था।
3. मराठा प्रशासन के अधिकारियों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. न्यायाधीश और पंडितराव क्रमश: न्याय व्यवस्था और पारमार्थिक दोनों के लिए जिम्मेदार थे।
2. किसी स्त्री या नर्तकी को सेना के साथ ले जाने की अनुमति थी। 
3. स्थायी सेना में तीस से चालीस हजार घुड़सवार शामिल थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- मराठा प्रशासन के अधिकारियों के संबंध में कथन (2) असत्य है, क्योंकि सेना में कड़ा अनुशासन वरता जाता था और किसी स्त्री या नर्तकी को सेना के साथ ले जाने की अनुमति नहीं थी। मराठा सैनिकों में स्थायी सेना (पगा) में तीस से चालीस हजार घुड़सवार सैनिक होते थे।
4. निम्नलिखित में से किसने 1679 ई. में शिवाजी के प्रशासन में नए सिरे से राजस्व का निर्धारण किया था ? 
(a) मलिक अंबर
(b) अन्नाजी दत्तो
(c) राजा टोडरमल
(d) अन्ना मजूमदार
उत्तर - (b)
व्याख्या- 1679 ई. में शिवाजी के प्रशासन में नए सिरे से राजस्व का निर्धारण अन्नाजी दत्तो ने किया। शिवाजी ने इस मामले में मलिक अंबर की व्यवस्था का अनुकरण किया। शिवाजी ने देशमुखी या जमींदारी प्रथा समाप्त नहीं की थी, लेकिन उन्होंने अपने अधिकारियों को मोकासा या जागीरें नहीं दीं।
5. मराठा प्रशासन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) मोकासा एक प्रकार की जागीर थी।
(b) स्थायी सेना को सिलहदार कहा जाता था।
(c) मवाली एक प्रकार के सुरक्षा कर्मचारी थे।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर - (b)
व्याख्या- मराठा प्रशासन के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि मराठा प्रशासन में अस्थायी सेना को 'सिलहदार' कहा जाता था। इस श्रेणी के सैनिकों को अपने घोड़े व अन्य खर्चे स्वयं उठाने पड़ते थे, इन्हें केवल युद्ध के समय लड़ाई भत्ता मिलता था।

पेशवाओं के अधीन मराठा

1. राजा शाहू का पेशवा कौन था? जिसने पेशवा आधिपत्य को स्थापित किया? 
(a) बालाजी विश्वनाथ 
(b) बालाजी बाजीराव
(c) राजाराम 
(d) बालाजी विशंभर
उत्तर - (a)
व्याख्या- राजा शाहू का पेशवा बालाजी विश्वनाथ था, जिसने पेशवा आधिपत्य स्थापित किया था। 18वीं सदी में मराठा साम्राज्य की स्थापना उन्हीं के नेतृत्व में हुई थी। बालाजी विश्वनाथ ने शाहू की सहायता से एक मजबूत मराठा साम्राज्य की नींव रखी, परंतु आंतरिक कलह और औरंगजेब के अधीन मुगलों के आक्रमण से मराठा साम्राज्य की स्थिति कमजोर होती चली गई। 1713 ई. में उन्होंने पेशवा की उपाधि धारण की। उन्होंने सैयद बंधुओं कहने पर मुगल सम्राट से जो संधि की थी, उसमें पेशवा ने अपना पूर्ण कौशल दिखाया था, जिसके माध्यम से उन्होंने मुगलों की राजनीति में हस्तक्षेप करने का अधिकार मराठों के लिए प्राप्त कर लिया था।
2. बालाजी विश्वनाथ के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) वह एक क्षत्रिय था।
(b) वह 1713 ई. में पेशवा बना था।
(c) उसने मुगल अधिकारियों के आपसी झगड़ों का लाभ उठाया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या बालाजी विश्वनाथ के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि ये एक चितपावन ब्राह्मण परिवार से थे और अपनी प्रतिभा के बल पर वे 1713 ई. में मराठा साम्राज्य के 7वें पेशवा बने ।
3. बालाजी विश्वनाथ किस मुगल बादशाह की कब्र ( खुल्दाबाद) तक पैदल चलकर गया था? 
(a) जहाँगीर
(b) शाहजहाँ 
(c) औरंगजेब
(d) हुमायूँ
उत्तर - (c)
व्याख्या- मराठा पेशवा बालाजी विश्वनाथ मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र (खुल्दाबाद) तक पैदल चलकर गया था। बालाजी विश्वनाथ ने मुगलों के साथ 21 वर्ष तक संघर्ष किया, अंततः बालाजी ने मुगलों के साथ संधि कर मराठा साम्राज्य को स्थिर किया।
4. बाजीराव प्रथम के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसे शिवाजी के बाद गुरिल्ला युद्ध का सबसे बड़ा प्रतिपादक कहा गया।
2. जीवन भर उसने दक्कन में बुरहान-उल-मुल्क की शक्ति को नियंत्रित करने की कोशिश की।
3. बाजीराव ने 1733 ई. में जंजीरा के सिद्दियों के विरुद्ध एक अभियान किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- बाजीराव प्रथम के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं ।
1720 ई. में बालाजी विश्वनाथ के निधन के बाद बाजीराव प्रथम मराठा साम्राज्य का पेशवा बना। बाजीराव प्रथम को शिवाजी के बाद गुरिल्ला युद्ध का सबसे बड़ा प्रतिपादक कहा गया, इसने 1737 ई. में दिल्ली पर आक्रमण किया। वह पहला पेशवा था, जिसने दिल्ली पर आक्रमण किया तथा 1733 ई. में जंजीरा के सिद्दियों के विरुद्ध अभियान किया।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि बाजीराव प्रथम ने जीवन भर (1720-1740 ई. तक) मुगलों की शक्ति को नियंत्रित करने की कोशिश की। उसने आंग्रिया, पुर्तगालियों व अंग्रेजों को भी पराजित किया तथा पालखेड़ के युद्ध में उसने निजाम को भी पराजित कर दक्षिण भारत में अपनी स्थिति मजबूत कर ली।
5. बाजीराव प्रथम ने किस यूरोपीय शक्ति को 'सिलसिट' में पराजित किया था ? 
(a) अंग्रेज
(b) पुर्तगाली
(c) डच
(d) फ्रांसीसी
उत्तर - (b)
व्याख्या- बाजीराव प्रथम ने यूरोपीय शक्ति पुर्तगाली को 'सिलसिट' में पराजित किया। 1739 ई. में अपने अंतिम दिनों में बाजीराव प्रथम ने अपने भाई चिमन अप्पा को भेजकर पुर्तगालियों को पराजित किया, तत्पश्चात् मराठा एवं पुर्तगाली अधिकारियों को 'बसई की संधि' करनी पड़ी।
6. बालाजी बाजीराव के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) वह बाजीराव प्रथम का भाई था।
(b) उसे नाना साहब के नाम से जाना जाता था।
(c) वह 1740 ई. से 1761 ई. तक पेशवा रहा ।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- बालाजी बाजीराव के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि बालाजी बाजीराव, बाजीराव प्रथम का भाई नहीं, बल्कि पुत्र था। उसे 'नाना साहब' के नाम से भी जाना जाता है। बालाजी बाजीराव 1740 ई. से जून 1761 ई. तक पेशवा रहा।
7. पानीपत का तीसरा युद्ध कब लड़ा गया?
(a) 14 जनवरी, 1760 
(b) 5 जनवरी, 1761
(c) 14 जनवरी, 1761
(d) 5 नवंबर, 1556 
उत्तर - (c)
व्याख्या- पानीपत का तीसरा युद्ध 14 जनवरी, 1761 को लड़ा गया। मुगलों की कमजोर सत्ता को देखते हुए अफगान अक्रांता अहमदशाह अब्दाली भारत पर नियंत्रण करना चाहता था। मराठा शक्ति ने अब्दाली की महत्त्वाकांक्षा पर रोक लगाने के लिए उसका सामना किया, इस युद्ध में मराठों की पराजय हुई।
8. पानीपत का तृतीय युद्ध किनके मध्य लड़ा गया था?
(a) पेशवा विश्वनाथ राव और अहमदशाह अब्दाली के मध्य
(b) पेशवा सदाशिव राव भाऊ तथा नादिरशाह के मध्य
(c) पेशवा बाजीराव प्रथम तथा अब्दाली के मध्य
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- पानीपत का तृतीय युद्ध मराठा पेशवा विश्वनाथ राव और अहमदशाह अब्दाली के मध्य हुआ था। इस युद्ध में मराठा सेनाओं के सेनापति सदाशिव राव भाऊ थे। युद्ध में इब्राहिम शाह गार्दी ने मराठों का साथ दिया था। मराठा और अफगानी शासकों के मध्य हुए इस युद्ध में अंततः अफगानी शासक विजयी हुए थे। इस युद्ध में सिंधिया शासक महादजी सिंधिया ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
9. पेशवा माधव राव निम्नलिखित में किन शक्तियों को पराजित करने में सफल नहीं हुआ ? 
(a) निजाम
(b) हैदरअली
(c) मुगल
(d) रूहेला
उत्तर - (c)
व्याख्या- पेशवा माधव राव मुगल शक्तियों को पराजित करने में सफल नहीं हुआ। माधव राव प्रथम मराठा साम्राज्य के चौथे पूर्वाधिकार प्राप्त पेशवा थे। अल्पवयस्क होने के बावजूद माधव राव प्रथम की अद्भुत दूरदर्शिता एवं संगठन क्षमता के कारण पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों की खोई हुई शक्ति और प्रतिष्ठा की पुनर्प्राप्ति संभव हो पाई। माधव राव ने अपने शासनकाल के दौरान निजाम, मैसूर के शासक हैदर अली व रूहेला शासकों को पराजित कर मराठा शक्तियों का प्रदर्शन किया, परंतु मुगलों के साथ सौहार्द्रपूर्ण संबंध स्थापित किए। उसने मुगल शासक शाहआलम को दिल्ली की सत्ता प्राप्त करने में सहायता की।
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Fri, 09 Feb 2024 10:00:39 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | मुगल साम्राज्य का पतन https://m.jaankarirakho.com/876 https://m.jaankarirakho.com/876 NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | मुगल साम्राज्य का पतन

मुगल साम्राज्य का पतन

1. मुगल साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया निम्नलिखित में से किस कारण से प्रारंभ हुई ?
(a) औरंगजेब की नीति 
(b) मराठा साम्राज्य का विस्तार
(c) कमजोर शासक वर्ग
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया में औरंगजेब की नीतियों, मराठा साम्राज्य के विस्तार, कमजोर शासक वर्ग की उपस्थिति इत्यादि कारण प्रमुख थे। औरंगजेब के 50 वर्षीय शासन के उपरांत इन समस्याओं के कारण मुगल साम्राज्य के पतन का मार्ग प्रशस्त हुआ।
2. मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मुगल दरबार सरदारों के बीच गुटबाजी और झगड़ों का केंद्र बन गया |
2. सूबेदार स्वतंत्र आचरण करने लगे।
3. मराठों के आक्रमण पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत तक होने लगे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। औरंगजेब की मृत्यु (1707 ई.) के पश्चात् मुगल दरबार सरदारों की आपसी गुटबाजी और आंतरिक झगड़ों का केंद्र बन गया और सभी स्वायत्त सत्ता की लालसा रखने लगे। मुगलकालीन महत्त्वाकांक्षी सूबेदार भी औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर सत्ता की बागडोर स्वयं संभालने का प्रयास करने लगे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि मराठों के आक्रमण दक्कन से लेकर गंगा घाटी के मैदानों तक होने लगे थे, जहाँ तक मुगल शासन का क्षेत्र था, न कि पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत तक।
3. निम्नलिखित में से किन आक्रमणकारियों ने दिल्ली पर आक्रमण से मुगल साम्राज्य के पतन को अवश्यंभावी बना दिया?
(a) अहमदशाह अब्दाली
(b) मीर जादा कालीम
(c) नादिरशाह
(d) अब्दुल्ला खाँ
उत्तर - (c)
व्याख्या- 1739 ई. में ईरानी आक्रमणकारी नादिरशाह द्वारा दिल्ली पर किए गए आक्रमण ने मुगल साम्राज्य के पतन को अवश्यंभावी बना दिया। नादिरशाह भारत की अपार धन संपदा के कारण ही इस ओर आकर्षित हुआ था। मुगल सेना और नादिरशाह के बीच हुए युद्ध को 'करनाल के युद्ध' के रूप में जाना जाता है।
4. मुगल साम्राज्य के पतन में निम्नलिखित में से किसने महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया?
(a) कुल कृषि भूमि क्षेत्र का विस्तार
(b) जब्ती क्षेत्र का विस्तार
(c) कपास तथा नील के उत्पादन में वृद्धि
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्रश्न में दिए गए तथ्य मुगलकालीन अर्थव्यवस्था के विकास को दर्शाते हैं, न कि मुगल साम्राज्य के पतन को। मुगल साम्राज्य के पतन का कारण आर्थिक व्यवस्था से अधिक राजनीतिक अदूरदर्शिता से संबंधित था।
5. मुगल साम्राज्य के पतन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मनसबदारों की संख्या किस शासक के काल में सर्वाधिक थी? 
(a) जहाँगीर 
(b) शाहजहाँ
(c) औरंगजेब
(d) मुहम्मद शाह रंगीला
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन में मनसबदारों की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी और इनकी संख्या औरंगजेब के काल में सर्वाधिक थी। मनसबदारी व्यवस्था का आरंभ अकबर के काल में हुआ, परंतु इनकी संख्या में निरंतर वृद्धि अकबर के पश्चात् के शासकों के काल में होती गई।
जहाँगीर के काल में (1605 ई.) में मनसबदारों की संख्या 2069 थी। शाहजहाँ के काल में (1637 ई.) में मनसबदारों की संख्या 8000 हो गई और यह संख्या औरंगजेब के काल में 11450 तक पहुँच गई । इस प्रकार औरंगजेब के काल में अपने पूर्ववर्ती शासकों के काल की अपेक्षा मनसबदारों की संख्या में पाँच गुनी वृद्धि हुई।
6. मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान जमींदारों की स्थिति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. जमींदारों के प्रति मुगलों की नीति अंतर्विरोधपूर्ण थी।
2. उन्हें साम्राज्य की आंतरिक स्थिरता के लिए खतरा माना जा रहा था।
3. उन्हें स्थानीय प्रशासन के कार्य से जोड़ने की कोशिश की जा रही थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान जमींदारों की स्थिति के संबंध में सभी कथन सत्य हैं।
जमींदारों के प्रति मुगलों की नीति अंतर्विरोधपूर्ण थी । जहाँ एक ओर वे मुगल साम्राज्य के लिए असुरक्षा की भावना के द्योतक थे, तो दूसरी ओर उन्हें मुगलों द्वारा स्थानीय प्रशासन के कार्य में जोड़ने की कोशिश भी की गई थी।
उनमें से बहुत से मराठों, राजपूतों व अन्य को मनसब तथा राजनीतिक पद प्रदान कर साम्राज्य को सुदृढ़ता प्रदान करने का प्रयत्न किया गया था।
7. प्रशासनिक स्तर पर सरदारों की गुटबाजी से हुए मुगल साम्राज्य के पतन को इतिहासकारों ने कौन-सा संकट कहा है?
((a) जागीरदारी व्यवस्था का संकट
(b) रैयतवाड़ी व्यवस्था का संकट
(c) मनसबदारी व्यवस्था का संकट
(d) महालवाड़ी व्यवस्था का संकट
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य में प्रशासनिक स्तर पर सरदारों के बीच असंतोष और गुटबाजी से उत्पन्न हुई स्थिति को इतिहासकारों ने 'जागीरदारी व्यवस्था के संकट' की संज्ञा दी है।
मुगलकाल में जागीरों से अधिक-से-अधिक धन प्राप्त करने की आकांक्षा के फलस्वरूप ग्रामीण समाज सहित किसानों व जमींदारों का अंतर्विरोध प्रत्यक्ष रूप से दृष्टिगोचर होने लगा और स्थानीय स्तर पर स्वतंत्र राज्य स्थापित करने के प्रयत्नों ने इस संकटपूर्ण व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
8. मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में औरंगजेब की नीतियों पर विचार कीजिए 
1. उसने बीजापुर और गोलकुंडा को खालिसा के रूप में सुरक्षित रखा।
2. वह खालिसा से युद्ध का खर्च निकालना चाहता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या - मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं।
मुगलकालीन शासन व्यवस्था में खालिसा भूमि वह होती थी, जिसकी आय बादशाह के लिए सुरक्षित रखी जाती थी। यह भूमि बादशाह के प्रत्यक्ष नियंत्रण में रहती थी। औरंगजेब ने अपने शासनकाल के दौरान इसी पद्धति के द्वारा गोलकुंडा व बीजापुर को खालिसा के रूप में सुरक्षित रखा था, क्योंकि वे सबसे अच्छी जागीरें थीं।
औरंगजेब द्वारा सबसे अच्छी जागीरों के रूप में गोलकुंडा और बीजापुर को सुरक्षित रखने का उद्देश्य उन क्षेत्रों से प्राप्त आय से युद्ध में होने वाले खर्चों का वहन करना था।
9. निम्नलिखित में से किस इतिहासकार ने मुगल साम्राज्य में हुई जागीरों की कमी को मुगल साम्राज्य के पतन के लिए जिम्मेदार माना है? 
(a) भीमसेन
(b) खाफी खाँ 
(c) सतीश चंद्रा
(d) अब्बास खाँ सरवानी
उत्तर - (b)
व्याख्या- इतिहासकार खाफी खाँ ने मुगल साम्राज्य में हुई जागीरों की कमी को मुगल साम्राज्य के पतन के लिए जिम्मेदार माना है। इस स्थिति को खाफी खाँ द्वारा एक उक्ति के रूप में व्यक्त किया गया है, 'एक अनार सौ बीमार' ।
10. मुगल साम्राज्य के पतन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली 'जागीर ' के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. औरंगजेब के काल में 'जागीर की कमी की समस्या विकराल हो गई।
2. औरंगजेब की दक्कन विजय ने जागीर की समस्या को समाप्त कर दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से त्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली 'जागीर ' के संबंध में कथन (1) सत्य है । औरंगजेब द्वारा राजनीतिक प्रयोजनों व युद्धों के भार वहन व अन्य कार्यों हेतु जागीरों से प्राप्त आमदनी (आय) व जागीरों के माध्यम से परिस्थिति को स्वयं के अनुरूप बनाने की प्रक्रिया ने तत्कालीन सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था में असंतोषजनक स्थिति को प्रारंभ किया, जिसके फलस्वरूप 'जागीरों की कमी' की समस्या उभरकर सामने आने लगी, क्योंकि सरदारों द्वारा जागीरों से अत्यधिक धन प्राप्त करने की लालसा ने एक विरोधपूर्ण वातावरण तैयार किया।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि औरंगजेब की दक्कन विजय के पश्चात् जागीरों की समस्या का समाधान नहीं निकला था।
11. निम्नलिखित में से कौन-सा संगठन मुगलों के अधीन विकसित सबसे महत्त्वपूर्ण संस्थाओं में से एक था?
(a) उमरा संगठन
(b) मुकद्दम संगठन
(c) खालिसा संगठन
(d) मीर- बक्शी संगठन
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल उमरा संगठन या सरदार तंत्र, मुगलों के अधीन विकसित सबसे महत्त्वपूर्ण संस्थाओं में से एक था। मुगलों ने उमरा संगठन या सरदार तंत्र धर्म या नस्ल आधारित भेदभाव किए बना विकसित किया था। इस तंत्र में मराठा, राजपूत, हिंदुस्तानी, अफगानी आदि समुदाय के सभी व्यक्तियों को मनसब का अधिकार प्रदान किया गया था। इन समुदायों ने अपने दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया था और साम्राज्य में शांति व्यवस्था स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
12. मुगल साम्राज्य के पतन में 'सरदार संगठन की भूमिका के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) सरदार संगठन ने राष्ट्र विरोधी कार्य किया।
(b) सरदार संगठन विभिन्न नस्लीय पहचान का था।
(c) सरदार संगठन का राष्ट्रीय चरित्र उभरकर सामने आ गया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन में 'सरदार संगठन' की भूमिका के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है। मुगल साम्राज्य के पतन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सरदार संगठन में अलग-अलग समुदायों, नस्लों और प्रजातियों के लोगों के शामिल होने के कारण उनका कोई भी राष्ट्रीय चरित्र उभरकर सामने नहीं आया। मुगल काल में राष्ट्रीयता की भावना आधुनिक समय से बिल्कुल भिन्न थी। अतएव उन मानकों के आधार पर मुगल सरदारों ने राष्ट्रविरोधी किए थे।
13. मुगल साम्राज्य के पतन में प्रशासन की भूमिका के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. मुगल शासन प्रणाली अत्यधिक केंद्रीकृत थी।
2. सुयोग्य शासकों के अभाव में केंद्रीकृत प्रशासन में बिखराव आया।
3. वजीरों ने केंद्रीकृत सत्ता को संभाल लिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन में प्रशासन की भूमिका के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं।
मुगलों ने अपनी शासन प्रणाली में विभिन्न स्तरों पर अंकुश और प्रतिसंतुलन की युक्ति लागू की थी। उन्होंने विभिन्न नस्लों और धार्मिक समूहों को ऐसा संतुलित रूप देने का प्रयास किया, जिससे अमीरों या उनके समूहों की महत्त्वाकांक्षाओं पर नियंत्रण रखा जा सके। अतएव मुगल शासन प्रणाली अत्यधिक केंद्रीकृत थी।
औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् अयोग्य व निर्बल उत्तराधिकारियों ने जागीरदारी व्यवस्था पर आए संकट को संभालने में समुचित रूप से सफलता प्राप्त नहीं की और परिणामस्वरूप प्रशासन तंत्र का ह्रास हुआ।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि मुगल साम्राज्य की बिखरती हुई केंद्रीकृत व्यवस्था को वजीरों ने संभालने की कोशिश तो की, परंतु वे उसमें सफल नहीं हुए।
14. औरंगजेब के समय निम्नलिखित में किस क्षेत्रीय शक्ति ने मुगलों के पतन को अवश्यंभावी बना दिया ?
(a) बीजापुर 
(b) बहमनी
(c) मराठा
(d) अफगान
उत्तर - (c)
व्याख्या- औरंगजेब के समय मराठा शक्ति ने मुगलों के पतन को अवश्यंभावी बना दिया था। औरंगजेब द्वारा मराठा आंदोलन के वास्तविक स्वरूप को समझने में की गई भूल, शंभाजी को मृत्यु दंड देना तथा शाहू व अन्य मराठों पर विश्वास न करना, इन सभी परिस्थितियों ने मराठों और मुगल बादशाह के बीच एक वैचारिक मतभेद को जन्म दिया, जिसके परिणामस्वरूप मराठा शक्ति ने मुगल साम्राज्य के पतन के मार्ग को प्रशस्त करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।
15. मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. औरंगजेब मराठा समस्या को हल करने में विफल रहा।
2. उसने कई मराठा सरदारों को मनसब दिए।
3. मराठों के विरुद्ध दक्कनी राज्यों के साथ गठबंधन सफल रहा।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। मुगल साम्राज्य के पतन हेतु जिम्मेदार, मराठा समस्या को हल करने में औरंगजेब की विफलता एक उत्तरदायी कारण रही। हालाँकि उसने कई मराठों को मनसब अवश्य प्रदान किए, लेकिन ऊँचे पदों पर सदैव राजपूतों का वर्चस्व रहा, जिसका प्रमुख कारण यह था कि कभी भी मराठा औरंगजेब के विश्वासपात्र नहीं रहे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि मराठों के विरुद्ध दक्कनी राज्यों के साथ गठबंधन करने में विफल रहा। इस विफलता की इतिहासकारों द्वारा आलोचना की गई है।
16. औरंगजेब के किस पुत्र ने यह परामर्श दिया था कि उसे बीजापुर और गोलकुंडा के साथ समझौता कर लेना चाहिए?
(a) शाहआलम
(b) आलमगीर
(c) आजमशाह
(d) मुअज्जम 
उत्तर - (a)
व्याख्या- औरंगजेब के ज्येष्ठ पुत्र शाहआलम ने यह परामर्श दिया था कि उसे बीजापुर और गोलकुंडा के साथ समझौता कर लेना चाहिए और उसके कुछ प्रदेशों को मुगल साम्राज्य में शामिल कर शेष प्रदेशों को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर रखना चाहिए ।
इन क्षेत्रों की व्यवस्था के साथ-साथ वह कर्नाटक, जोकि सुदूर दक्षिण में स्थित है, पर भी शासन करना चाहता था, लेकिन औरंगजेब ने शाहआलम के इस परामर्श को नहीं माना। फलस्वरूप मुगल प्रशासन को विस्तार देने के क्रम की स्थितियाँ बिगड़ने लगी और मुगल सरदारों के साथ राजस्व वसूली की समस्या भी उत्पन्न हो गई।
17. मुगल साम्राज्य के पतन में राजपूत शासकों की भूमिका के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) मारवाड़ के साथ मुगलों की अनबन हो गई थी ।
(b) औरंगजेब ने मेवाड़ को नष्ट कर दिया था।
(c) दक्कन युद्ध में राठौर राजपूतों ने औरंगजेब का साथ दिया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन में राजपूत शासकों की भूमिका के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि दक्कन युद्ध में राठौर राजपूतों ने औरंगजेब का साथ नहीं दिया।
1681 ई. से 1707 ई. के बीच दक्कन में राठौर राजपूतों की बड़ी संख्या में मौजूदगी न होने के कारण मराठों के विरुद्ध मुगलों के संघर्ष की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, क्योंकि उनकी माँग यह थी कि उन्हें ऊँचे मनसब प्रदान किए जाएँ और साथ ही उनका राज्य उन्हें वापस कर दिया जाए । औरंगजेब की मृत्यु के पाँच-छह वर्षों के उपरांत राजपूत शासकों के प्रति नीतियों में बड़ा बदलाव आया। इससे पूर्व औरंगजेब के मारवाड़ और मेवाड़ के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध नहीं रहे थे। अतएव इन परिस्थितियों के परिणामस्वरूप मुगल साम्राज्य के पतन की दिशा निर्धारित हुई।
18. औरंगजेब के द्वारा उठाए गए निम्नलिखित में से किन कदमों ने मुगल साम्राज्य के पतन में भूमिका निभाई?
(a) मंदिरों के प्रति कड़ी नीति
(b) जजिया कर को लागू करना
(c) इस्लामी कानून को वरीयता
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- औरंगजेब की धार्मिक नीति में शामिल मंदिरों के प्रति कड़ी नीति, जजिया कर को पुनः लागू किया जाना तथा इस्लामी कानून को वरीयता प्रदान किया जाना आदि ऐसे कदम थे, जिन्होंने मुगल साम्राज्य के प्रति लोगों में असंतोषजनक भावनाओं का प्रसार किया और एक बड़ा वर्ग (हिंदू समुदाय) उसके इन फैसलों से विमुख हो गया। हालाँकि इस्लामी कानून को वरीयता देने के बावजूद भी मुस्लिम समुदाय एकजुट नहीं हुआ और कई राज्यों में निष्ठा का भाव अपूर्ण बना रहा।
19. मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान किस अफगान शासक ने उत्तरी भारत में पाँच बार आक्रमण किया था ? 
(a) अहमदशाह अब्दाली 
(b) जलालुद्दीन मांगबरनी
(c) आदम खाँ
(d) नादिरशाह
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान नादिरशाह के आक्रमण के पश्चात् अफगान शासक अहमदशाह अब्दाली ने अपार लूटपाट के उद्देश्य से 1748 ई. से 1761 ई. के बीच पाँच बार निरंतर उत्तरी भारत पर आक्रमण किया था। पानीपत का तृतीय युद्ध 1761 ई. में मराठों और अफगानों के बीच हुआ था, जिसमें अफगानों का नेतृत्व अहमदशाह अब्दाली ने किया था।
20. मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान अवध, बंगाल एवं हैदराबाद में कौन-सी भू-व्यवस्था लागू थी ? 
(a) जमींदारी
(b) स्थायी बंदोबस्त
(c) इजारेदारी व्यवस्था
(d) महालवाड़ी व्यवस्था
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान अवध, बंगाल और हैदराबाद में इजारेदारी व्यवस्था लागू थी। वे जागीरदारी व्यवस्था को संदेहास्पद मानते थे और उन्होंने इसके स्थान पर कर संग्रह की व्यवस्था इजारेदारी को अपनाया। इसके साथ ही अठारहवीं शताब्दी में यह व्यवस्था समस्त भारत में फैल गई। हालाँकि पूर्व में यह व्यवस्था मुगलों द्वारा नहीं अपनाई गई थी।
21. मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. औरंगजेब के उत्तराधिकारियों ने पतन को रोकने का प्रयास नहीं किया।
2. सरदार राज्य की आमदनी का एक बहुत बड़ा भाग स्वयं ले लेते थे।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं । औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् उत्तराधिकारियों के बीच परस्पर उत्तराधिकार के युद्ध निरंतर होने लगे और इस प्रकार उन शासकों की कमजोरियाँ परिलक्षित होने लगीं, जिसने मुगल साम्राज्य के पतन के मार्ग को प्रशस्त किया।
मुगल साम्राज्य के पतन का एक अन्य कारण आर्थिक कठिनाइयाँ भी थीं। इस समय तक न तो पर्याप्त धन बचा था और न ही जागीरें, जो विभिन्न अधिकारियों को दी जा सकती थीं। जमींदार असंतुष्ट थे, क्योंकि उन पर शासन का कठोर नियंत्रण था और सरदार उनसे आमदनी का बहुत बड़ा भाग वसूल करते थे। अतः उनका सरदारों के साथ संघर्ष आरंभ हो गया।
22. अठारहवीं सदी में मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान मुगल अधिकारियों ने स्थानीय शासकों के रूप में स्वयं को क्यों ढाल लिया? 
(a) प्राय: उनका स्थानांतरण नहीं होता था।
(b) प्राय: उनका संबंध उच्च नस्ल से होता था।
(c) वे राजपरिवार के प्रिय होते थे।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- मनसबदारी प्रथा में बदलती हुई परिस्थितियों ने अधिकारियों मुगल को स्थानीय शासकों जैसा व्यवहार करने हेतु प्रेरित किया, क्योंकि अठारहवीं शताब्दी में अधिकारियों का स्थानांतरण नहीं किया जाता था, जैसा कि पूर्व में अकबर के काल में होता था। अकबर ने अधिकारियों को एक प्रांत से दूसरे प्रांत में स्थानांतरित करते रहने पर बल दिया था, जिससे कि वे किसी विशेष क्षेत्र में शक्तिशाली न हो पाएँ।
23. मुगलों के पतन के संबंध में सैनिक प्रशासन की भूमिका पर विचार कीजिए
1. मुगल तोपखाना तकनीक में पिछड़ गया।
2. बंदूकों और तोपों के नवीनतम नमूनों में मुगलों ने रुचि दिखाई।
3. वे तोप चलाने के लिए भारतीय सैनिकों को प्रशिक्षित नहीं करते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगलों के पतन के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं ।
मुगलों का सैन्य प्रशासन अठारहवीं शताब्दी के दौरान अपने पूर्व के शासकों के शासनकाल की भाँति सुदृढ़ नहीं रह गया था। इस काल तक मुगल तोपखाना तकनीकी का ह्रास होने लगा था और वह अत्यंत दयनीय अवस्था में पहुँच गया था।
अपनी अंतिम अवस्था में मुगल भारतीय सैनिकों को प्रशिक्षित करने के स्थान पर विदेशियों को तोप चलाने हेतु नियुक्त करने लगे थे।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि मुगलों ने अठारहवीं शताब्दी के दौरान बंदूकों और तोपों के नवीनतम नमूनों में किसी प्रकार की कोई रुचि नहीं दिखाई थी, जिसका प्रयोग विश्व के अन्य देशों में किया जा रहा था।
24. मुगल साम्राज्य के पतन में आवश्यक कारकों के रहते हुए 'उत्तराधिकार का युद्ध' कब प्रारंभ हुआ था? 
(a) 1701 ई.
(b) 1707 ई. 
(c) 1739 ई. 
(d) 1703 ई.
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन हेतु महत्त्वपूर्ण 'उत्तराधिकार का युद्ध' औरंगजेब की मृत्यु के साथ ही 1707 ई. में आरंभ हुआ था। औरंगजेब के तीन जीवित पुत्रों के बीच सत्ता का संघर्ष आरंभ हुआ।
औरंगजेब पश्चात् सत्ता पर काबिज मुगल शासक अत्यंत अयोग्य और कमजोर थे, जिसके परिणामस्वरूप मुगल साम्राज्य पतन की ओर उन्मुख हुआ।
25. मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान निम्नलिखित में किस स्थान पर बसे हुए अफगानियों ने मुगल शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया?
(a) रुहेलखंड
(b) बनारस 
(c) हैदराबाद
(d) अवध
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान रुहेलखंड में बसे हुए अफगानियों ने मुगल शासन के विरुद्ध विद्रोह किया था।
मुगलों और रूहेलखंड के अफगानियों (बुंदेला) के बीच पहली बार संघर्ष मुधकरशाह के समय में शुरू हुआ। यह संघर्ष मुख्यतः उत्तराधिकार की समस्या को लेकर हुआ था।
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Fri, 09 Feb 2024 09:12:35 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | मुगल साम्राज्य https://m.jaankarirakho.com/875 https://m.jaankarirakho.com/875 NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | मुगल साम्राज्य

बाबर

1. मुगल बादशाह बनने से पूर्व बाबर 14 वर्ष की अल्पायु में कहाँ का शासक बना था ? 
(a) फरगना
(b) उज्बेक
(c) काबुल
(d) खुरासान
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल बादशाह बनने से पूर्व बाबर 14 वर्ष की अल्पायु में 1494 ई. में ट्रांस-आक्सियाना के फरगना नामक एक छोटे से राज्य का शासक बना। बाबर ने 1507 ई. में बादशाह की उपाधि धारण की और पद - पादशाही की स्थापना की, जिसमें शासक को बादशाह कहा जाता है।
2. इनमें से किसने बाबर को 'सर-ए-पुल' के युद्ध में पराजित किया?
(a) अब्दुल्लाह खाँ उज्बेक 
(b) शैबानी खाँ
(c) उबैदुल्लाह खाँ
(d) जानी बेग 
उत्तर - (b)
व्याख्या- शैबानी खाँ ने बाबर को 'सर-ए-पुल' के युद्ध में पराजित किया तथा समरकंद पर अधिकार कर लिया। शीघ्र ही उसने अन्य तैमूरी राज्यों को भी जीत लिया, जिससे विवश होकर बाबर को काबुल की ओर बढ़ना पड़ा और इसी क्रम में उसने 1504 ई. में काबुल को जीता।
3. बाबर के समकालीन सफावी लोगों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सफावी राजवंश ने ईरान पर अपना वर्चस्व स्थापित किया था।
2. सफावी लोग हजरत मुहम्मद को अपना पूर्वज मानते थे।
3. सफावी सुन्नी संप्रदाय के पक्षधर थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं? 
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- बाबर के समकालीन सफावी लोगों के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। सफावी नामक एक नए राजवंश ने ईरान पर अपना शासन स्थापित किया। ये लोग हजरत मुहम्मद को अपना पूर्वज मानते थे। अत: उनका धर्म इस्लाम था। इन्होंने उस क्षेत्र के आस-पास के क्षेत्रों में भी वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास किया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि सफावी लोग सुन्नी के नहीं, बल्कि शिया संप्रदाय के पक्षधर (हिमायती) थे तथा शिया संप्रदाय को नहीं मानने वालों पर अत्याचार करते थे।
4. निम्नलिखित में किस स्थान पर 1510 ई. में ईरान के शाह इस्माइल ने शैबानी खाँ की हत्या की थी ?
(a) पंजाब के निकट 
(b) मेरू के निकट
(c) हेरात के निकट
(d) बोलूगा नदी के निकट
उत्तर - (b)
व्याख्या- 1510 ई. में मेरू के निकट एक घमासान युद्ध में ईरान के शासक शाह इस्माइल ने समरकंद के शासक शैबानी खाँ को पराजित कर उसकी हत्या कर दी थी ।
शैबानी खाँ की हत्या के बाद बाबर ने ईरानी फौजों की सहायता से समरकंद पर अधिकार कर लिया, परंतु शीघ्र ही उजबेकों ने बाबर को समरकंद से बाहर कर दिया। इस प्रकार बाबर को एक बार फिर काबुल लौटना पड़ा।
5. बाबर के भारत पर आक्रमण करने के पीछे क्या कारण था ?
(a) वह स्वयं को भारत के क्षेत्रों का वाजिब हकदार समझता था।
(b) उसने सुन रखा था कि भारत सोने-चाँदी का देश है।
(c) वह तैमूर के भारत आक्रमण से प्रभावित था।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- बाबर द्वारा भारत पर आक्रमण करने के कुछ प्रमुख कारणों में भारत की समृद्धि, स्वयं को भारतीय क्षेत्रों का वाजिब अधिकारी समझना, भारत की सोने-चाँदी के देश के रूप में ख्याति, तैमूर द्वारा भारत आक्रमण में प्राप्त अत्यधिक धन तथा इसके साथ-साथ उत्तर-पश्चिम भारत की राजनीतिक स्थिति आदि शामिल थे।
6. बाबर के समकालीन दौलत खाँ लोदी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. वह पंजाब का अफगानी सूबेदार था।
2. उसने बाबर को खुश करने के लिए अपने पुत्र को उसके दरबार में भेजा था।
3. दौलत खाँ ने बाबर के दूत को दिल्ली में रोक लिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 3
(b) 2 और 3 
(c) केवल 1
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- बाबर के समकालीन दौलत खाँ लोदी के संबंध में कथन (1) सत्य है, क्योंकि भारत का शासक इब्राहिम लोदी तथा पंजाब का अफगानी सूबेदार दौलत खाँ लोदी था।
कथन (2) और (3) असत्य हैं, क्योंकि दौलत खाँ लोदी ने बाबर को नहीं, बल्कि इब्राहिम लोदी को खुश करने के लिए अपने पुत्र को दिल्ली के दरबार में भेजा था, जिसका लाभ उठाकर उसने अपने क्षेत्रों में वृद्धि की।
1518-19 ई. में जब बाबर ने 'भिरा के दुर्ग' को जीता, तो उसने इब्राहिम लोदी तथा दौलत खाँ लोदी को पत्र भेजकर तुर्कों के क्षेत्रों को वापस करने को कहा, परंतु दौलत खाँ ने बाबर के दूत को लाहौर में ही रोक लिया था।
7. भारत में बाबर की आरंभिक विजयों का सही क्रम निम्नलिखित में से कौन-सा था ?
(a) स्यालकोट-लाहौर - काबुल 
(b) काबुल - स्यालकोट-लाहौर
(c) लाहौर - स्यालकोट- काबुल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारत में बाबर की आरंभिक विजयों का सही क्रम इस प्रकार हैकाबुल, स्यालकोट तथा लाहौर।
बाबर ने काबुल को 1504 ई. में ही जीत लिया था, जबकि उसने स्यालकोट तथा लाहौर पर अधिकार 1520-21 ई. में किया।
जब बाबर काबुल लौटा तो दौलत खाँ ने बाबर के प्रतिनिधियों को भिरा से निकाल दिया, जिससे नाराज होकर बाबर ने 1520-21 ई. में सिंधु नदी पार करके भिरा, स्यालकोट तथा लाहौर को जीत लिया।
8. निम्नलिखित में से किसके नेतृत्व में एक दूतमंडल बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए निमंत्रण देने गया था?
(a) सिकंदर लोदी
(b) दिलावर खाँ लोदी
(c) राणा सांगा
(d) इब्राहिम लोदी
उत्तर - (b)
व्याख्या- दौलत खाँ लोदी ने अपने पुत्र दिलावर खाँ लोदी के नेतृत्व में बाबर के पास भारत पर आक्रमण करने के लिए एक दूतमंडल भेजा था, जिसमें उसने भारत के सुल्तान इब्राहिम खाँ लोदी को अपदस्थ करने का सुझाव दिया था।
9. पानीपत का प्रथम युद्ध किसके मध्य हुआ था ?
(a) हेमू और मुगल
(b) हुमायूँ और शेरखान
(c) हेमू और मुगल
(d) बाबर और इब्राहिम लोदी
उत्तर - (d)
व्याख्या- पानीपत का प्रथम युद्ध 20 अप्रैल, 1526 को बाबर तथा इब्राहिम लोदी के बीच हुआ, जिसमें बाबर विजयी हुआ, इस युद्ध में दिल्ली सल्तनत का अंतिम सुल्तान युद्ध क्षेत्र में मारा गया। तत्पश्चात् बाबर ने स्वयं को बादशाह घोषित किया तथा भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की।
10. बाबर ने निम्नलिखित में से किन तोपचियों का प्रयोग पानीपत के प्रथम युद्ध में किया था?
(a) उस्ताद अली 
(b) मुस्तफा
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- बाबर ने 'उस्ताद अली' तथा 'मुस्तफा' दो तोपचियों का प्रयोग पानीपत के प्रथम युद्ध में किया था। इस युद्ध में बारूद तथा उस्मानिया पद्धति (युक्ति) का प्रयोग किया गया। यह युक्ति बाबर ने उस्मानिया के शासक से सीखी थी, जिसने ईरान के शाह इस्माइल के विरुद्ध इसका प्रयोग किया था।
11. निम्नलिखित में से किस शासक ने अपने रोजनामचे में दर्ज किया है 'अब हमें काबुल की गरीबी नहीं चाहिए । " 
(a) दौलत खाँ लोदी
(b) इस्माइल शाह
(c) बाबर
(d) इब्राहिम लोदी
उत्तर - (c)
व्याख्या- बाबर ने अपने रोजनामचे में यह लिखा है कि "अब हमें काबुल की गरीबी नहीं चाहिए” अर्थात् अब बाबर भारत जैसे समृद्ध क्षेत्र (देश) को मात्र लूट पाट करके छोड़ना नहीं चाहता था, वह यहाँ रहकर शासन करना चाहता था।
12. पानीपत के प्रथम युद्ध के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इस युद्ध के पश्चात् बाबर ने दिल्ली और आगरा पर नियंत्रण कर लिया।
2. बाबर ने भारत के लोगों को 'बला की मुखालफत' दिखाने वाला घोषित किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- पानीपत के प्रथम युद्ध के संदर्भ में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। पानीपत के युद्ध में विजयी होने के पश्चात् बाबर आगे बढ़ा तथा उसे दिल्ली एवं आगरा तक के क्षेत्रों को अपने अधिकार में ले लिया। बाबर ने यह लिखा है कि "जब उसकी सेना गाँवों में पहुँचती थी, तो भारत के लोगों ने 'बला की मुखालफत' दिखाई अर्थात् उन्हें तैमूर की लूटपाट की घटना याद आ जाती थी और ये गाँव छोड़कर भाग जाते थे।"
13. खानवा के युद्ध के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. यह युद्ध बाबर और राणा सांगा के बीच हुआ था।
2. राणा सांगा ने मुगल क्षेत्र 'बयाणा' पर अधिकार कर लिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- खानवा के युद्ध के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। खाना का युद्ध 1527 ई. में मेवाड़ के राणा सांगा तथा बाबर के बीच हुआ था। मुगलों के भारत में प्रवेश के प्रयत्न को कमजोर करने के लिए राणा सांगा ने 'ख्याति' और 'बयाणा' जैसे सीमावर्ती मुगल क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया, ताकि बाबर को रोक सके।
14. राणा सांगा का प्रभाव मालवा से 'पिलिया खार' तक फैला हुआ था इनमें 'पिलिया खार' क्या था?
(a) सीमावर्ती प्रदेश
(b) एक नदी
(c) एक पहाड़
(d) एक मरुस्थलीय क्षेत्र
उत्तर - (b)
व्याख्या- 'पिलिया खार' एक नदी थी। राणा सांगा ने गुजरात तथा मालवा की संयुक्त सेना को 1519 ई. में गणरौण की लड़ाई में पराजित किया। गुजरात तथा मालवा की संयुक्त सेना का नेतृत्व गुजरात के शासक महमूद खिलजी ने किया। इस युद्ध में जीत के बाद राणा सांगा का प्रभाव मालवा से लेकर आगरा के पास बहने वाली नदी पिलिया खार तक स्थापित हो गया।
15. खानवा के युद्ध के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) बाबर ने स्वयं को सच्चा मुसलमान घोषित किया।
(b) उसने संपूर्ण राज्य में शराब की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी।
(c) बाबर ने इस युद्ध में राणा सांगा की हत्या कर दी।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- खानवा के युद्ध के संबंध में कथन (c) असत्य है। खानवा के युद्ध में राणा सांगा और उसकी सेना पराजित हुई, किंतु राणा सांगा बचकर भाग गया न कि बाबर ने उसकी हत्या कर दी थी। राणा सांगा बचकर भागने के बाद बाबर से पुनः संघर्ष करना चाहता था, परंतु उसे उसके अपने ही सरदारों ने जहर देकर मार दिया, क्योंकि वे राणा के मंसूबों को खतरनाक और आत्मघाती मानते थे।
16. खानवा की लड़ाई के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. बाबर ने आगरा से पूर्व की ओर ग्वालियर, धौलपुर किले को जीत लिया।
2. उसने अलवर के एक बड़े भाग को इब्राहिम लोदी से छीनकर अपने राज्य में मिला लिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- खानवा की लड़ाई के संबंध में कथन (1) सत्य है। खानवा के युद्ध में विजयी होने के बाद दिल्ली-आगरा क्षेत्र में बाबर की स्थिति मजबूत हो गई। उसने ग्वालियर तथा धौलपुर के किलों को भी जीत लिया। खानवा युद्ध जीतने के बाद बाबर ने 'गाजी' की उपाधि धारण की।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि बाबर ने अलवर के एक बड़े भाग को इब्राहिम लोदी से नहीं, बल्कि हसन खाँ मेवाती से छीनकर अपने राज्य में मिला लिया था।
17. चंदेरी का युद्ध किन दो शासकों के बीच हुआ था?
(a) बाबर और मेदिनी राय
(b) हसन खाँ मेवाती और बाबर 
(c) मेदिनी राय और इब्राहिम लोदी 
(d) बाबर और शेर खाँ
उत्तर - (a)
व्याख्या- चंदेरी का युद्ध (1528 ई.) बाबर तथा मेदिनी राय के बीच हुआ, जिसमें बाबर विजयी हुआ था। चंदेरी, मालवा क्षेत्र में स्थित था, इसका शासक मेदिनी राय था। इस युद्ध में बाबर ने 'जिहाद' का नारा दिया था और इस युद्ध में मेदिनी राय की हार के बाद राजपूत स्त्रियों ने जौहर व्रत किया था।
18. बाबर के समय में अफगानों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अफगान बाबर से पराजित हो गए, लेकिन मुगल शासन को मन स्वीकार नहीं कर पाए थे।
2. पूर्वी उत्तर प्रदेश में अफगानों का प्रभुत्व स्थापित था।
3. अफगानों के पास लोकप्रिय नेता नहीं था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- बाबर के समय में अफगानों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। घाघरा युद्ध में (1529 ई.) अफगानों ने बाबर की अधीनता तो स्वीकार कर ली थी, किंतु ये स्वतंत्र शासन के लिए प्रयासरत थे। उस समय पूर्वी उत्तर प्रदेश, अफगानों के प्रभाव में था। इसी क्रम में अफगान मुगलों के कुछ क्षेत्रों पर अधिकार करके कन्नौज तक पहुँच गए। अफगान सरदारों की सहायता बंगाल का शासक एवं इब्राहिम लोदी का दामाद नुसरत शाह कर रहा था, लेकिन अफगानों की सबसे बड़ी कमजोरी उनके पास कोई लोकप्रिय एवं सक्षम नेता का न होना था।
19. बाबर के व्यक्तिगत जीवन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) उसकी मृत्यु 1530 ई. में हुई थी ।
(b) वह उर्दू भाषा का उच्चकोटि का विद्वान् था।
(c) वह प्राकृतिक सौंदर्य से बहुत प्रभावित था।
(d) वह पोलो खेलने का शौकीन था।
उत्तर - (b)
व्याख्या- बाबर के व्यक्तिगत जीवन के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि बाबर ऊर्दू का नहीं, बल्कि तुर्की भाषा का उच्चकोटि का विद्वान् था। बाबर, भारत में मुगल साम्राज्य का संस्थापक था, इसका जन्म मध्य एशिया ( उज्बेकिस्तान) में 14 फरवरी, 1483 ई. को हुआ था तथा इसकी मृत्यु काबुल जाते समय रास्ते में ही 1530 ई. में हो गई ।
यह प्राकृतिक सौंदर्य का प्रेमी था तथा इसने चारबाग बागवानी परंपरा की नींव रखी। बाबर पोलो खेलने का शौकीन था।
20. बाबर ने अपनी आत्मकथा 'तुजुक-ए-बाबरी' की रचना निम्नलिखित में से किस भाषा में की थी ?
(a) फारसी 
(b) अरबी
(c) तुर्की
(d) उर्दू
उत्तर - (c)
व्याख्या- बाबर ने अपनी आत्मकथा 'तुजुक-ए-बाबरी' की रचना मातृभाषा तुर्की में (चगताई में) की थी। बाबर अपने काल के प्रसिद्ध कवियों और कलाकारों के संपर्क में रहता था। इस रचना में उसने अपने बचपन से लेकर भारत विजय तक का वर्णन किया है । 'तुजुक - ए - बाबरी' को 'बाबरनामा' भी कहा जाता है।

हुमायूँ

1. हुमायूँ के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. 1530 ई. में वह 30 वर्ष की आयु में शासक बना था।
2. उसे साम्राज्य को सभी भाइयों में बाँट देने की तैमूरी प्रथा का सामना करना पड़ा था।
3. बाबर हुमायूँ को अपने भाइयों से सख्ती से पेश आने का परामर्श दिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- हुमायूँ के संबंध में कथन (1) और (3) असत्य हैं। हुमायूँ, बाबर की मृत्यु के बाद दिसंबर, 1530 में गद्दी पर बैठा, उस समय उसकी आयु 30 वर्ष नहीं, बल्कि 23 वर्ष थीं। हुमायूँ का पूरा नाम नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ था। इसका जन्म 1508 ई. में काबुल में हुआ था। 
बाबर ने अपने पुत्र हुमायूँ को अपने भाइयों से सख्ती से नहीं, बल्कि प्यार से पेश आने का परामर्श दिया था।
2. जब हुमायूँ आगरा में गद्दी पर बैठा उस समय कौन-सा क्षेत्र उसके अंतर्गत था ? 
(a) काबुल 
(b) कंधार
(c) बदख्शाँ
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- जब हुमायूँ 23 वर्ष की अवस्था में 1530 ई. में आगरा की गद्दी बदख्शाँ पर बैठा, उस समय इसके अधिकार क्षेत्र में काबुल, कंधार (कंदहार), आदि थे।
3. निम्न नामों में से उसे चिह्नित कीजिए, जो हुमायूँ के भाइयों में से किसी का नाम नहीं था 
(a) कमरान 
(b) उस्मान
(c) अस्करी
(d) हिंदाल
उत्तर - (b)
व्याख्या- हुमायूँ के भाइयों में कमरान, अस्करी तथा हिंदाल शामिल थे। हुमायूँ बाबर का सबसे बड़ा पुत्र था। हुमायूँ ने अपने भाई कमरान को काबुल और कंधार का शासन (राज्य) दे दिया। कमरान इन गरीब क्षेत्रों से संतुष्ट नहीं था और उसने लाहौर एवं मुल्तान पर अधिकर कर लिया। हुमायूँ गृहयुद्ध नहीं चाहता था, अत: उसने मान्यता दे दी और कमरान ने भी हुमायूँ की प्रभुता को स्वीकार कर लिया।
4. हुमायूँ के शुरुआती युद्धों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसने 1532 ई. में दौराह में अफगान सेना को पराजित किया था।
2. उसने पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर पर अधिकार कर लिया था।
3. गुजरात का शासक बहादुरशाह उसका प्रतिद्वंद्वी था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- हुमायूँ शुरुआती युद्धों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। हुमायूँ जब शासक बना तो उसके सामने अफगानों की बढ़ती हुई शक्ति तथा गुजरात का शासक बहादुरशाह था। हुमायूँ ने अफगानों को अधिक गंभीर खतरा समझा और 1532 ई. में दौराह नामक स्थान पर अफगान सेना को पराजित किया। इस सफलता के साथ ही हुमायूँ ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में जौनपुर तक को अपने अधिकार में ले लिया।
5. हुमायूँ ने 'चुनार के दुर्ग' पर प्रथम बार आक्रमण कब किया था?
(a) 1532 ई.
(b) 1531 ई.
(c) 1533 ई.
(d) 1536 ई.
उत्तर - (a)
व्याख्या- हुमायूँ ने 'चुनार के दुर्ग' पर प्रथम बार आक्रमण 1532 ई. में किया था। हुमायूँ ने अफगानों को पराजित कर पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर तक अधिकार करने के बाद चुनार पर घेरा डाला।
चुनार का सशक्त दुर्ग आगरा और पूर्व के बीच थल मार्ग एवं नदी मार्ग को नियंत्रित करता था। इसे पूर्वी भारत के 'प्रवेश द्वार' के रूप में भी जाना जाता था। ध्यातव्य है कि यह क्षेत्र अफगान सरदार शेरशाह के अधिकार क्षेत्र में था। हुमायूँ ने चार महीने की घेराबंदी के बाद शेरशाह से समझौता किया और चुनार के किले पर शेरशाह (शेर खाँ) का अधिकार मान लिया।
6. निम्नलिखित में किस किले को बहादुरशाह से बचाने के लिए राणा सांगा की विधवा रानी ने हुमायूँ को राखी भेजी थी?
(a) मेवाड़ का किला
(b) रणथंभौर का किला 
(c) चित्तौड़ का किला
(d) मालवा का किला
उत्तर - (c)
व्याख्या- चित्तौड़ का किला, बहादुरशाह से बचाने के लिए राणा सांगा की विधवा ने हुमायूँ को राखी भेजी थी। चित्तौड़ के किले पर बहादुरशाह ने घेरा डाला और उसने राजपूतों की शक्ति को छिन्न-भिन्न कर दिया, जिसे देखकर रानी कर्णावती ( राणा सांगा की विधवा) ने हुमायूँ को राखी भेजकर सहायता माँगी थी।
7. हुमायूँ ने अपने शासनकाल में किस स्थान पर 'दीनपनाह' नामक नगर को बसाया था? 
(a) दिल्ली
(b) आगरा 
(c) काबुल
(d) कंधार
उत्तर - (a)
व्याख्या- हुमायूँ ने अपने शासनकाल में दिल्ली में 'दीनपनाह' नामक नगर बसाया था, इसका शासन अफगानिस्तान, पाकिस्तान से लेकर उत्तर भारत के हिस्सों में रहा। अपने इस नए नगर दीनपनाह में हुमायूँ अनेक उत्सवों व भोज के कार्यक्रम करता था।

शेरशाह

1. शेरशाह के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) वह बिहार का निर्विवाद स्वामी था।
(b) वह एक तुर्क सरदार था।
(c) वह मुगलों के प्रति वफादारी का दिखावा करता था।
(d) उसकी सेना में 1200 हाथी शामिल थे।
उत्तर - (b)
व्याख्या- शेरशाह के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि शेरशाह तुर्क नहीं, बल्कि एक अफगान सरदार था। शेरशाह ने बिहार में अपनी स्थिति सुदृढ़ करते हुए अफगानियों को एकत्र किया।
यह मुगलों के प्रति वफादारी का दिखावा करता रहा, परंतु वह अपनी योजना व्यवस्थित ढंग से तैयार कर रहा था। शेरशाह को गुजरात शासक बहादुरशाह से काफी आर्थिक सहायता मिली थी। इन संसाधनों के बल पर इसने एक विशाल सेना का निर्माण किया, जिसमें 1200 हाथी भी शामिल थे।
2. शेरशाह की सेना के किस तोपची ने चुनार के घेरे में हुमायूँ को छः माह तक उलझाए रखा था ? 
(a) मुहम्मद खाँ
(b) रूसी खाँ
(c) तीरगी बेग
(d) सफी खाँ  
उत्तर - (b)
व्याख्या- शेरशाह की सेना में से 'रूसी खाँ' तोपची ने चुनार के घेरे में हुमायूँ को छः माह तक उलझाए रखा था। जब शेरशाह को पराजित करने के लिए हुमायूँ ने 1538 ई. में चुनारगढ़ के किले पर आक्रमण किया, तब अफगानों ने वीरतापूर्वक इस किले की रक्षा की।
3. चौसा के युद्ध के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यह हुमायूँ और शेरशाह के मध्य हुआ था।
(b) चौसा बिहार के बक्सर के पास स्थित था।
(c) यह युद्ध सोन नदी के किनारे हुआ था।
(d) इसमें हुमायूँ पराजित हुआ था।
उत्तर - (c)
व्याख्या- चौसा के युद्ध के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं हैं, क्योंकि चौसा का युद्ध सोन नदी के किनारे नहीं, बल्कि कर्मनाशा नदी के किनारे हुआ था। हुमायूँ एवं शेरशाह के बीच कर्मनाशा नदी के किनारे निर्णायक चौसा का युद्ध 29 जून, 1539 को लड़ा गया, जिसमें हुमायूँ की पराजय हुई। हुमायूँ अपने घोड़े सहित नदी में कूद गया और एक भिश्ती (सैनिकों को पानी पिलाने वाला) अतगा खाँ की सहायता से उसने अपनी जान बचाई। इस विजय के फलस्वरूप शेरशाह ने अपना नाम बदलकर 'शेर खाँ' से 'शेरशाह' किया और अपने नाम का खुतबा पढ़वाया।
4. हुमायूँ और शेरशाह के बीच कन्नौज का युद्ध कब हुआ था?
(a) मार्च, 1539 में 
(b) मई, 1540 में
(c) जुलाई, 1541 में
(d) दिसंबर, 1540 में
उत्तर - (b)
व्याख्या- हुमायूँ और शेरशाह के बीच कन्नौज का युद्ध मई, 1540 में बिलग्राम में हुआ था, परंतु इस युद्ध में हुमायूँ को शेरशाह से पुनः पराजय का सामना करना पड़ा तथा हिंदुस्तान पर शेरशाह का अधिकार हो गया।
कन्नौज के युद्ध की पराजय के कारण ही हुमायूँ ने 1553 ई. तक हिंदुस्तान से बाहर निर्वासित जीवन व्यतीत किया।
5. कन्नौज के युद्ध में हुमायूँ के किन भाइयों ने शेरशाह का मुकाबला बहादुरी से किया था? 
(a) हिंदाल 
(b) अस्करी
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) कमरान
उत्तर - (c)
व्याख्या- कन्नौज के युद्ध में हुमायूँ के दोनों भाई हिंदाल एवं अस्करी ने शेरशाह का मुकाबला बहादुरी से किया, इस युद्ध में शेरशाह ने हुमायूँ को पुनः पराजित किया।
6. शेरशाह के विरुद्ध हुमायूँ की विफलता का मुख्य कारण क्या था? 
(a) वह अफगानों की शक्ति का सही अंदाजा नहीं लगा पाया।
(b) उसके भाइयों ने उसका साथ नहीं दिया।
(c) शेरशाह को ईरान के शाह का समर्थन प्राप्त था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- शेरशाह के विरुद्ध हुमायूँ की विफलता का मुख्य कारण यह था कि वह अफगानों की सैन्य शक्ति का अंदाजा सही से नहीं लगा पाया, वह अफगानों को अपनी सैन्य शक्ति के आगे कमजोर समझ रहा था।
हुमायूँ के संबंध में इतिहास में कहा जाता है कि वह बहुत ही विद्वान् व्यक्ति था तथा सैन्य मामलों एवं सैन्य दृष्टि से काफी कुशल व्यक्ति था, परंतु युद्ध का नेतृत्व करना, अपने साम्राज्य को कैसे स्थायी बनाना, इन सब विषयों में हुमायूँ कमजोर था।
7. सूर साम्राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. शेरशाह ने 67 वर्ष की आयु में सूर साम्राज्य की स्थापना की। 
2. सूर साम्राज्य की स्थापना 1540 ई. में हुई थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- सूर साम्राज्य के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। शेरशाह ने 1540 ई. में 67 वर्ष की आयु में सूर साम्राज्य की स्थापना की। इसका जन्म 1486 ई. में 'हिसार फिरोजा' या 'नारनोल' नामक स्थान पर हुआ। शेरशाह के पिता का नाम हसन खाँ एवं दादा का नाम इब्राहिम सूर था, शेरशाह के बचपन का नाम फरीद था।
8. शेरशाह ने किस सुल्तान की मृत्यु के बाद से उत्तर भारत में स्थापित सबसे बड़े साम्राज्य पर शासन किया?
(a) मुहम्मद बिन तुगलक 
(b) फिरोजशाह तुगलक
(c) मुबारक खिलजी
(d) नासिरुद्दीन महमूद
उत्तर - (c)
व्याख्या- शेरशाह ने बिन मुहम्मद तुगलक की मृत्यु के बाद से उत्तर भारत में स्थापित सबसे बड़े साम्राज्य पर शासन किया। शेरशाह का साम्राज्य बंगाल से लेकर सिंधु नदी तक (कश्मीर को छोड़कर) विस्तृत था तथा पश्चिम में मालवा एवं पूर्ण राजस्थान पर इसका अधिकार था।
9. शेरशाह द्वारा स्थापित साम्राज्य में निम्नलिखित में से कौन-सा क्षेत्र शामिल नहीं था?
(a) बंगाल
(b) सिंघ प्रदेश 
(c) कश्मीर
(d) बिहार
उत्तर - (c)
व्याख्या- शोरशाह द्वारा स्थापित साम्राज्य में कश्मीर का क्षेत्र शामिल नहीं था। 1524 ई. में शेरशाह ने महमूद लोदी की और से मुगलों के विरुद्ध बावरा के युद्ध में भाग लिया तथा नुसरतशाह को पराजित कर 'हजरत-ए-आला' की उपाधि धारण की। इसने अपने विजय अभियान की शुरुआत सर्वप्रथम 1541 ई. में 'गक्खर प्रदेश' को जीतकर की। इसके पश्चात् 1541 ई. में 'बंगाल विद्रोह' को दबाया तथा 1542 ई. में मालवा व रणथंभौर पर विजय प्राप्त की एवं 1545 ई. में बुंदेलखंड को जीतकर पूरे उत्तर भारत में अपनी प्रभुसत्ता स्थापित की।
10. शेरशाह के समकालीन किस राजपूत शासक ने पश्चिमी तथा उत्तरी राजपूताना पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था?
(a) राजा मालदेव
(b) राजा विक्रमजीत
(c) राजा मानसिंह
(d) राजा जयसिंह
उत्तर - (a)
व्याख्या- शेरशाह के समकालीन राजा मालदेव ने पश्चिमी एवं उत्तरी राजपूताना पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। यह शेरशाह व हुमायूँ के संघर्ष के दौरान अपने राज्य का विस्तार करने लगा था। 1544 ई. में शेरशाह ने कूटनीति का सहारा लेकर मारवाड़ की राजधानी जोधपुर पर अधिकार कर लिया तथा वहाँ के शासक मालदेव को पराजित किया।
11. राजपूत और अफगान सेना के मध्य युद्ध अजमेर और जोधपुर के बीच किस स्थान पर हुआ था?
(a) सामेल 
(b) सिरोही
(c) सिरसा
(d) सिकंदरा
उत्तर - (a)
व्याख्या- राजपूत एवं अफगान सेना के मध्य 1544 ई. में युद्ध अजमेर एवं जोधपुर के बीच सामेल नामक स्थान पर हुआ था। इस युद्ध में शेरशाह ने जाली पत्रों की कूटनीति के माध्यम से मारवाड़ के शासक मालदेव की सेना में फूट डाल दी, जिसके परिणामस्वरूप राजपूत थोड़े से सैनिकों के साथ लड़े और पराजित हुए।
12. शेरशाह सूरी का आखिरी अभियान कौन-सा था, जिसमें तोप से घायल हो जाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई थी?
(a) सामेल के अभियान में
(b) चुनार के अभियान में
(c) कालिंजर के अभियान में
(d) मेवाड़ के अभियान में
उत्तर - (c)
व्याख्या- 1545 ई. में शेरशाह सूरी ने कालिंजर पर अपना अंतिम आक्रमण किया, जिसका शासक कीरत सिंह था। इस अभियान के दौरान जब वह 'उक्का' नामक आग्नेयास्त्र (Firearms) चला रहा था, तो उसी दौरान तोप फट गई, जिसमें शेरशाह घायल हो गया। तत्पश्चात् किले पर अधिकार हो जाने की खबर सुनने के बाद (1545 ई.) में उसकी मृत्यु हो गई।
13. इस्लाम शाह के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) वह शेरशाह का उत्तराधिकारी था।
(b) उसने 1556 ई. तक शासन किया।
(c) वह योग्य शासक एवं सेनापति था।
(d) वह अफगानों के बीच कवाइली झगड़ों को निपटाने में उलझा रहा।
उत्तर - (b)
व्याख्या- इस्लाम शाह के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि इस्लाम शाह ने 1556 ई. तक नहीं, बल्कि 1553 ई. तक शासन किया था।
शेरशाह का उत्तराधिकारी उसका दूसरा पुत्र जलाल खाँ था। 1545 ई. में जलाल खाँ, इस्लाम शाह के नाम से सूर साम्राज्य की गद्दी पर बैठा। यह एक योग्य शासक एवं सेनापति था, उसने अपनी राजधानी आगरा से ग्वालियर स्थानांतरित की।
उसने संपूर्ण इक्ता भूमि को खालिसा भूमि में परिवर्तित कर दिया तथा वह महत्त्वपूर्ण अधिकारियों का वेतन राजकीय खजाने से देने लगा।
14. हुमायूँ ने किस वर्ष सूर साम्राज्य का विघटन कर पुनः मुगल सत्ता की स्थापना की थी?
(a) 1553 ई. में
(b) 1554 ई. में
(c) 1555 ई. में
(d) 1556 ई. में
उत्तर - (c)
व्याख्या- हुमायूँ ने 1555 ई. में सूर साम्राज्य का विघटन कर पुनः मुगल सत्ता की स्थापना की थी। मुगलों एवं अफगानों के मध्य सरहिंद नामक स्थान पर युद्ध हुआ, इस युद्ध में अफगान पराजित हुए तथा हुमायूँ ने आगरा एवं दिल्ली पर फिर से अधिकार स्थापित कर लिया। इस्लाम शाह की कम आयु में मृत्यु हो जाने के कारण इसके उत्तराधिकारियों में गृहयुद्ध छिड़ गया, जिस कारण हुमायूँ को भारत में अपना खोया हुआ साम्राज्य वापस पाने का अवसर मिल गया।
15. शेरशाह द्वारा किए गए सुधारों में निम्नलिखित में से कौन-सा शामिल नहीं था? 
(a) डाकुओं और लूटेरों से वह सख्ती से पेश आया।
(b) कर न अदा करने वाले जमींदारों पर कड़ाई की।
(c) साम्राज्य में शांति व्यवस्था की पुनर्स्थापना की।
(d) उसने जजिया कर को लागू किया।
उत्तर - (d)
व्याख्या- शेरशाह द्वारा किए गए सुधारों में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि शेरशाह ने अपने शासनकाल में कभी भी जजिया कर नहीं लगाया था। शेरशाह ने अपने साम्राज्य के एक छोर से दूसरे छोर तक शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कई प्रशासनिक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक कार्य किए। इसने लुटेरों एवं डाकुओं पर अंकुश लगाया तथा उनसे सख्ती से पेश आया। शेरशाह ने भू-राजस्व अदा न करने अथवा सरदार का आदेश ने मानने वाले जमींदारों के साथ बहुत कड़ाई से कार्य लिया।
शेरशाह के प्रशासन की विशेषता उसका अत्यधिक केंद्रीकृत होना था। शेरशाह स्वयं प्रशासन की धुरी था तथा वह स्वयं ही सभी महत्त्वपूर्ण कार्य करता था।
16. निम्नलिखित में से कौन शेरशाह सूरी का दरबारी इतिहासकार था?
(a) खफी खाँ
(b) अब्बास खाँ सरवानी
(c) फैजी 
(d) मुबारक अली
उत्तर - (b)
व्याख्या- अब्बास खाँ सरबानी/सरवानी सूर वंश के संस्थापक शेरशाह का दरबारी इतिहासकार था, इसने 'तवारिख-ए-शेरशाही' नामक प्रसिद्ध ऐतिहासिक ग्रंथ की रचना की। इस ग्रंथ में शेरशाह के राजस्थान अभियान का वर्णन तथा उसकी साम्राज्यवादी एवं प्रशासनिक नीतियों का समावेश किया गया है। इस ग्रंथ में मेवाड़ के शासक उदय सिंह तथा मारवाड़ के शासक मालदेव का शेरशाह से संबंधों का विवरण प्राप्त होता है।
17. शेरशाह ने अपने शासनकाल में 'ग्रांड ट्रंक रोड' को चालू करवाया यह सड़क कहाँ से कहाँ तक जाती थी?
(a) सिंधु नदी से बंगाल के सोना गाँव तक
(b) काबुल से बंगाल के वर्धमान तक
(c) दिल्ली से बंगाल तक
(d) आगरा से मुर्शीदाबाद तक
उत्तर - (a)
व्याख्या- शेरशाह ने पश्चिम में सिंधु नदी से लेकर बंगाल में सोना गाँव तक पहुँचने वाली पुरानी सड़क जिसे 'ग्रांड ट्रंक रोड' कहा जाता है, का पुनः निर्माण करवाया था। इसने आगरा से जोधपुर एवं चित्तौड़ तक एक सड़क का निर्माण करवाया था, जो गुजरात के बंदरगाह से जुड़ी हुई थी। इस सड़क के अतिरिक्त शेरशाह ने मुल्तान से पश्चिम एवं मध्य एशिया जाने वाले यात्रियों के लिए भी सड़क का निर्माण करवाया था।
18. शेरशाह सूरी द्वारा स्थापित सरायों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। 
1. उसने यात्रियों की सुविधा के लिए सड़क पर 8 किलोमीटर की दूरी पर सरायों का निर्माण कराया।
2. सरायों में हिंदुओं और मुसलमानों के रहने के लिए अलग-अलग स्थानों की व्यवस्था की गई थी।
3. हिंदू यात्रियों को बिस्तर और भोजन देने तथा उनके घोड़ों को दाना देने के काम की व्यवस्था करने के लिए ब्राह्मणों को नियुक्त किया गया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- शेरशाह सूरी द्वारा स्थापित सरायों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। शेरशाह ने यात्रियों की सुविधा हेतु सड़कों के किनारे छायादार वृक्ष लगवाए तथा प्रति चार मील की दूरी अर्थात् दो-दो कोस (लगभग 8 किमी) की दूरी पर सड़क के किनारे सराय की स्थापना करवाई। सड़कों के किनारे लगभग 1700 सरायों का निर्माण किया गया था।
प्रत्येक सराय में हिंदू एवं मुसलमानों के विश्राम, भोजन एवं सुख-सुविधा के अलग-अलग प्रबंध थे। सरायों का प्रबंध इमाम 'मुअनिज' नामक अधिकारी करते थे। हिंदू यात्रियों को बिस्तर और भोजन देने तथा उनके घोड़ों को दाना देने के कार्य की व्यवस्था करने के लिए ब्राह्मणों को नियुक्त किया गया था।
19. यह सिद्धांत किसने प्रस्तुत किया था कि "यदि तुम्हारे क्षेत्र में किसी व्यापारी की मृत्यु हो जाए, तो उसके माल पर हाथ डालना विश्वासघात है। " 
(a) शेरशाह 
(b) शेख निजामी
(c) अब्बास सरबानी
(d) इस्माइल खाँ
उत्तर - (b)
व्याख्या- शेरशाह ने लोगों को शेख निजामी के इस सिद्धांत को ध्यान रखने का निर्देश दिया कि “यदि तुम्हारे क्षेत्र में किसी व्यापारी की मृत्यु हो जाए, तो उसके माल पर हाथ डालना विश्वासघात है।" शेरशाह के शासनकाल में किसी व्यापारी की मृत्यु हो जाने पर लोगों को उसके माल को लावारिस मानकर हथिया लेने की सख्त मनाही थी। शेरशाह ने स्पष्ट रूप से यह घोषणा कर दी थी कि यदि किसी व्यापारी की क्षति होगी, तो उसका उत्तरदायित्व स्थानीय मुकद्दमों एवं जमींदारों की होगी।
20. शेरशाह सूरी ने निम्नलिखित में किसका सिक्का नहीं चलवाया था ? 
(a) चाँदी 
(b) सोना
(c) ताँबा
(d) चमड़ा
उत्तर - (d)
व्याख्या- शेरशाह सूरी ने चमड़े के सिक्के नहीं चलवाए थे। शेरशाह ने मानक सिक्कों का विकास किया, जो सोने, चाँदी एवं ताँबे के बने होते थे। शेरशाह ने 167 ग्रेन के सोने के सिक्के जारी किए, जो 'अशर्फी' के नाम से जाने जाते थे। उसने 180 ग्रेन के चाँदी के सिक्के जिसमें 175 ग्रेन शुद्ध चाँदी थी जारी किए, ये सिक्के 'रुपये' के नाम से जाने जाते थे।
21. शेरशाह की प्रशासनिक व्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. कई गाँवों को मिलाकर परगना बनता था।
2. परगना शिकदार के जिम्मे होता था।
3. अमिल सैन्य अस्तबल की देख-रेख करता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3 
(c) 1 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- शेरशाह की प्रशासनिक व्यवस्था के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। शेरशाह ने सल्तनत काल से प्रचलित प्रशासनिक व्यवस्थाओं में कोई बदलाव नहीं किया था तथा सल्तनत काल से चली आ रही परंपराओं को स्थापित रखा। कई गाँवों को मिलाकर एक परगने का निर्माण होता था। परगने की जिम्मेदारी शिकदार नामक अधिकारी के पास होती थी, जो शांति व्यवस्था का ध्यान रखता था।
कथन (3) सत्य नहीं है, क्योंकि अमिल नामक अधिकारी का संबंध सैन्य अस्तबल से नहीं, बल्कि भू-राजस्व प्रशासन से था।
22. शेरशाह के प्रशासन में 'शिकदार-ए-शिकदारान' किसका उच्च अधिकारी था ? 
(a) परगना 
(b) सरकार
(c) जिला
(d) गाँव
उत्तर - (b)
व्याख्या- शेरशाह के प्रशासन में 'शिकदार - ए - शिकदारान' का पद उच्च था, जोकि सरकार का उच्च अधिकारी होता था। ध्यातव्य है कि सरकार में दो प्रकार के अधिकारी नियुक्त किए जाते थे शिकदार-ए-शिकदारान एवं मुंसिफ-ए-मुंसिफान, मुंसिफान भू-राजस्व प्रशासन से संबंधित था।
23. शेरशाह के प्रशासन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है ?
(a) मुंसिफ भू-राजस्व की वसूली करता था।
(b) सरकार को मिलाकर सुधार बनता था।
(c) कबायिली सरदारों की प्रशासन में भूमिका नगण्य थी।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- शेरशाह के प्रशासन के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है।
शेरशाह के काल में बंगाल जैसे कुछ क्षेत्रों में वास्तविक शक्ति कबायिली सरदारों के हाथों में रहती थी एवं सूबेदार का उस पर बहुत कम नियंत्रण रहता था। शेरशाह प्रशासनिक व्यवस्था की स्वयं निगरानी करता था, वह सुबह से लेकर देर रात तक राजकार्य में लगा रहता था तथा राज्य की जनता की स्थिति जानने के लिए राज्य का दौरा करता रहता था।
24. शेरशाह द्वारा स्थापित 'भू-राजस्व प्रणाली' के संवर्द्धन में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसने दरों की सूची 'रे' का प्रचलन करवाया।
2. राज्य का हिस्सा उपज का 1/4 था।
3. जमीन को उत्तम, मध्यम और निम्न में बाँटा गया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- शेरशाह द्वारा स्थापित 'भू-राजस्व प्रणाली' के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। जमीन को उत्तम, मध्यम एवं निम्न अर्थात् इन तीन वर्गों में बाँटा गया था। इसके अतिरिक्त शेरशाह ने दरों की एक सूची तैयार की थी, जिसे 'रे' कहा जाता था।
कथन (2) सत्य नहीं है, क्योंकि शेरशाह की भू-राजस्व प्रणाली के अंतर्गत राज्य का हिस्सा उपज का एक-तिहाई (1/3) होता था। किसानों को यह हिस्सा नकद अदायगी के रूप में राज्य को देने की छूट थी। फिर भी सरकार नकद अदायगी को सर्वाधिक प्राथमिकता देती थी।
25. शेरशाह के प्रशासन में बोई गई जमीन के क्षेत्रफल, फसल की किस्में और देय लगान को जिसमें दर्ज किया जाता था, उसे क्या नाम दिया गया ?
(a) पट्टा
(b) कबूलियत
(c) मल्फियत 
(d) लंक बटाई
उत्तर - (a)
व्याख्या- शेरशाह के प्रशासन में बोई गई जमीन के क्षेत्रफल, लगाई गई फसलों की किस्में एवं प्रत्येक किसान द्वारा देय लगान को एक कागज पर दर्ज किया जाता था, जिसे 'पट्टा' कहते थे । प्रत्येक किसान को पट्टा दिया जाता था और उससे कबूलियत लिखवाई जाती थी। पट्टे में जमीन के स्वामी का नाम इत्यादि स्पष्ट किया जाता था। कबूलियत में यह बात स्पष्ट की जाती थी कि संबंधित किसानों को कितना राजस्व प्रदान करना है।
26. शेरशाह के सैन्य प्रशासन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसने कबायिली सरदारों के अधीन कबायिलियों की फौज खड़ी करने के चलन का त्याग किया।
2. उसने सिपाहियों की सीधी भरती का सिलसिला शुरू किया।
3. प्रत्येक सिपाही का पूरा व्यक्तिगत वर्णन दर्ज रहता था, जिसे 'चेहरा' कहते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- शेरशाह के सैन्य प्रशासन के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं । शेरशाह ने अपने विस्तृत साम्राज्य को संभालने के लिए एक शक्तिशाली सेना खड़ी की, उसने आवश्यकता होने पर कबायली सरदारों के अधीन कबायिलियों की फौज खड़ी करने के चलन का त्याग कर दिया। इसके बदले में उसने सिपाहियों को सीधे शामिल करना शुरू कर दिया, जिसके लिए प्रत्येक रंगरूट के चरित्र की जाँच की जाती थी। प्रत्येक सिपाही का पूरा व्यक्तिगत वर्णन दर्ज रहता था, जिसे 'चेहरा' कहते थे ।
27. घोड़ों को दागने की 'दाग-प्रणाली' शेरशाह ने किस सुल्तान से उधार ली थी ? 
(a) गयासुद्दीन बलबन
(b) अलाउददीन खिलजी 
(c) मोहम्मद बिन तुगलक
(d) फिरोजशाह तुगलक 
उत्तर - (b)
व्याख्या- घोड़ों को दागने की 'दाग प्रणाली' शेरशाह ने दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश के शासक अलाउद्दीन खिलजी से उधार ली थी।
सर्वप्रथम अलाउद्दीन खिलजी ने इस प्रणाली को अपनाया था। सेना को शक्तिशाली एवं संगठनात्मक रूप से मजबूत बनाने के उद्देश्य से घोड़े पर शाही निशान का दाग लगाया जाता था, ताकि कोई उसके बदले घटिया दर्जे के घोड़े का उपयोग न कर सके।
28. शेरशाह की सेना के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है ?
(a) उसकी सेना में 1,50,0000 घुड़सवार थे।
(b) उसकी सेना में पैदल सैनिकों की संख्या 25,000 थी।
(c) सैनिक तोड़ेदार बंदूकों या धनुषों से सज्जित होते थे।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- शेरशाह की सेना के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। शेरशाह की विशेष सेना में 1,50,0000 घुड़सवार और 25,000 पैदल सैनिक बताए जाते हैं। ये लोग तोड़ेदार बंदूक एवं धनुष से सज्जित होते थे। इसके अतिरिक्त उसमें 5000 हाथी और तोपों का एक दस्ता भी था। शेरशाह ने अपने साम्राज्य में सैन्य छावनियाँ भी स्थापित कीं।
29. मध्यकालीन भारत के किस शासक ने कहा था कि "न्याय धार्मिक कृत्यों में से सबसे श्रेष्ठ है और इसका अनुमोदन काफिर तथा मुसलमान दोनों करते हैं?" 
(a) हुमायूँ 
(b) शेरशाह
(c) इस्लाम शाह
(d) बहादुरशाह
उत्तर - (b)
व्याख्या- मध्यकालीन भारत के शासक शेरशाह ने कहा था कि "न्याय धार्मिक कार्यों में सबसे श्रेष्ठ है और इसका अनुमोदन काफिर और मुसलमान दोनों करते हैं।” न्याय व्यवस्था पर शेरशाह का विशेष ध्यान था । वह किसी भी अत्याचारी को चाहे वह कितना भी बड़ा सरदार क्यों न हो या उसके अपने कबीले का व्यक्ति अथवा उसका रिश्तेदार हो, माफ नहीं करता था। न्याय के लिए काजी की नियुक्ति की गई थी।
इसके अतिरिक्त फौजदारी और दीवानी दोनों प्रकार के मामलों को निपटारा स्थानीय तौर पर पंचायत और जमींदार किया करते थे।
30. मध्यकालीन किस शासक ने इस्लामी कानूनों की एक संहि ने करवाई थी? 
(a) शेरशाह सूरी
(b) इस्लाम शाह
(c) इस्माइल खाँ
(d) मोहम्मद शाह
उत्तर - (b)
व्याख्या- मध्यकालीन शासक इस्लाम शाह ने इस्लामी कानूनों की एक संहिता तैयार करवाई थी । इस्लाम शाह शेरशाह का उत्तराधिकारी एवं उसका पुत्र था, न्याय के क्षेत्र में उसका यह कदम महत्त्वपूर्ण माना जाता है। उसके शासनकाल में अमीरों के विशेषाधिकारों पर भी अंकुश लगा दिया गया, परंतु इस्लाम शाह के निधन के पश्चात् उसके द्वारा बनाई गई संहिता भी समाप्त हो गई।
31. शेरशाह के काल की घटनाओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. शेरशाह ने आगरा में पुराना किला और उसके अंदर एक मस्जिद का निर्माण करवाया था।
2. उसके शासनकाल में मलिक मुहम्मद जायसी ने फारसी में पद्मावत की रचना की थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- शेरशाह के काल से संबंधित घटनाओं के संदर्भ में दिए गए कथनों में से कोई भी कथन सत्य नहीं है ।
शेरशाह ने दिल्ली में यमुना के किनारे पुराना किला और उसके अंदर एक मस्जिद का निर्माण करवाया था। इसके अतिरिक्त इसके शासनकाल में मलिक मुहम्मद जायसी ने हिंदी में पद्मावत की रचना की, जिसे एक प्रसिद्ध काव्य-ग्रंथ माना जाता था।

अकबर

1. निम्नलिखित में से किस स्थान पर अकबर को हुमायूँ की मृत्यु की सूचना मिलने पर राजगद्दी पर बैठाया गया था?
(a) काबूल
(b) लाहौर
(c) सरहिंद
(d) कलानौर
उत्तर - (d)
व्याख्या- 1556 ई. में हुमायूँ की मृत्यु के बाद अकबर को पंजाब के कलानौर के समीप गद्दी पर बैठाया गया था, उस समय अकबर की आयु 14 वर्ष थी। अकबर ने बैरम खाँ के संरक्षण में मुगल वंश की बागडोर संभाली थी।
2. अकबर के समकालीन हेमचंद्र विक्रमादित्य या हेमू के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए |
1. हेमू ने अपना जीवन इस्लामशाह के अधीन एक बाजार अधीक्षक के रूप में आरंभ किया था।
2. वह बाईस लड़ाइयाँ लड़ चुका था और उनमें से किसी में भी उसे हार का सामना नहीं करना पड़ा था।
3. इस्लाम शाह ने हेमू को 'विक्रमादित्य' की उपाधि दी थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- अकबर के समकालीन हेमू के संबंध में केवल कथन (3) असत्य है, क्योंकि हेमू को 'विक्रमादित्य' की उपाधि इस्लामशाह ने नहीं, बल्कि आदिलशाह ने दी थी। इसे मध्यकाल में भारत का अंतिम हिंदू शासक माना जाता है। यह शेरशाह सूरी का योग्य दीवान, कोषाध्यक्ष और सेनानायक था।
3. अकबर के संरक्षक तथा हुमायूँ के विश्वस्त अधिकारी बैरम खाँ ने कौन-सी उपाधि धारण की थी ? 
(a) 'सर-ए-जानदार' 
(b) 'खान-ए-खानन'
(c) नियाबत - ए - खुदाई
(d) जिल्ले-इलाही
उत्तर - (b)
व्याख्या- अकबर के संरक्षक तथा हुमायूँ के विश्वस्त अधिकारी बैरम खाँ ने ‘खान-ए-खानान' की उपाधि धारण की थी। बैरम खाँ के नेतृत्व में मुगल सेना सुसंगठित होने लगी थी। एक संरक्षक एवं कुशल अभिभावक के रूप में बैरम खाँ प्रतिकूल परिस्थितियों में मुगल साम्राज्य को मजबूत बनाने व अफगानी शक्तियों को पराजित करने में सफल रहा।
4. पानीपत के द्वितीय युद्ध के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. यह युद्ध अकबर और हेमू के मध्य हुआ था।
2. हेमू राजपूत सेना का नेतृत्व कर रहा था।
3. मुगल सेना का नेतृत्व बैरम खाँ ने किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- पानीपत के द्वितीय युद्ध के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं। पानीपत का द्वितीय युद्ध 1556 ई. में अकबर और हेमू के मध्य लड़ा गया था। इस युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्व अकबर का संरक्षक बैरम खाँ कर रहा था। इस युद्ध में अकबर विजयी हुआ था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि हेमू राजपूत सेना का नहीं, बल्कि अफगानी सेना का नेतृत्व कर रहा था।
5. बैरम खाँ के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) अकबर ने उसे 'मक्का' जाने का विकल्प दिया था।
(b) एक अफगान सरदार ने अहमदाबाद में उसकी हत्या कर दी थी।
(c) अकबर ने उसकी पत्नी से विवाह कर लिया था।
(d) वह एक सुन्नी सरदार था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- वैरम खाँ के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि वैरम खाँ एक शिया सरदार था, यही कारण था कि अकबर के दरबार में उसकी उपेक्षा की जाने लगी। उस पर आरोप लगा कि वह शिया लोगों पर अधिक मेहरवान रहता था, जिस कारण अकबर ने उसे सत्ता से दूर रहने की अनुमति दी और उसे 'मक्का' जाने का विकल्प दिया था।
वैरम खाँ की मृत्यु के बाद अकबर ने उसकी विधवा सलीमा बेगम से विवाह कर लिया था।
6, अकबर ने माहम अनगा के पुत्र आदम खाँ को किस आक्रमण का नेतृत्व प्रदान किया था?
(a) गुजरात
(b) राजस्थान 
(c) मालवा
(d) दिल्ली 
उत्तर - (c)
व्याख्या- अकबर ने माहम अनगा के पुत्र आदम खाँ को मालवा पर आक्रमण का नेतृत्व प्रदान किया था। आदम खाँ ने 1561 ई. में मालवा पर आक्रमण किया, उस समय मालवा का शासक बाजबहादुर था, जो पराजित हुआ।
7. अकबर के समकालीन बाजबहादुर के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) वह मालवा का शासक था।
(b) उसके विभिन्न गुणों में उसकी संगीत प्रवीणता और काव्य पटुता भी शामिल थी।
(c) रूपमती के साथ बाजबहादुर की प्रेम कथाएँ लोकविदित हैं।
(d) उसके शासनकाल में उज्जैन संगीत का एक विख्यात केंद्र था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- अकबर के समकालीन बाजबहादुर के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (d) सत्य नहीं है। बाजबहादुर मालवा का शासक था, उसके शासनकाल में उज्जैन नहीं, बल्कि मांडू संगीत का एक विख्यात केंद्र था। के विभिन्न गुणों में उसकी संगीत प्रवीणता और काव्य पटुता भी बाजबहादुर शामिल थी। बाजबहादुर की अपनी पत्नी एवं प्रेयसी रूपमती के साथ प्रेम कथाएँ लोकविदित मानी जाती हैं।
8. अकबर के साथ युद्ध करने वाली रानी दुर्गावती कहाँ की शासिका (रिजेंट) थीं?
(a) गढ़ मंडला
(b) मांडू 
(c) असीरगढ़
(d) रामगढ़
उत्तर - (a)
व्याख्या- अकबर के साथ युद्ध करने वाली रानी दुर्गावती गढ़ मंडला की शासिका थीं। 1564 ई. में अकबर ने अपने सैन्य अधिकारी आसफ खाँ को गढ़ मंडला राज्य पर आक्रमण कर उसे जीतने के लिए भेजा। गढ़ मंडला का शासक वीरनारायण अल्पवयस्क था, जिसकी संरक्षिका उसकी माँ दुर्गावती थी।
9. राजपूतों में प्रसिद्ध योद्धा जयमल और फत्ता का संबंध किस राज्य से था? 
(a) चित्तौड़
(b) मेवाड़
(c) जोधपुर
(d) मालवा
उत्तर - (a)
व्याख्या- राजपूतों के प्रसिद्ध योद्धा जयमल और फत्ता का संबंध चित्तौड़ राज्य से था। चित्तौड़ के तत्कालीन शासक राणा उदयसिंह ने चित्तौड़ के किले की सुरक्षा की जिम्मेदारी इन दोनों को ही सौंप रखी थी। इन दोनों योद्धाओं ने किले की रक्षा में सक्रिय योगदान दिया।
10. अकबर द्वारा जीते गए राजपूत राज्यों का सही क्रम कौन-सा है ?
(a) चित्तौड़- रणथंभौर - बीकानेर-जैसलमेर
(b) रणथंभौर-चित्तौड़ - बीकानेर-जैसलमेर
(c) बीकानेर - जैसलमेर-चित्तौड़- रणथंभौर
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- अकबर द्वारा जीते गए राजपूत राज्यों का सही क्रम है- चित्तौड़ (1567 ई.), रणथंभौर (1569 ई.), बीकानेर (1570 ई.) तथा जैसलमेर (1570 ई.)।
मेवाड़ को छोड़कर अधिकतर राजपूत शासकों ने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी। सबसे पहले उसने चित्तौड़ पर विजय प्राप्त की, उस समय चित्तौड़ का किला सबसे शक्तिशाली माना जाता था। चित्तौड़ विजय के बाद रणथंभौर पर विजय प्राप्त की गई। तत्पश्चात् बीकानेर व जैसलमेर के राजपूत शासकों ने भी अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली।
11. अकबर की गुजरात विजय के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सत्य नहीं है ? 
(a) उसने 1572 ई. में अहमदाबाद पर अधिकार कर लिया।
(b) कांबे नामक स्थान पर उसने पहली बार समुद्र देखा था।
(c) उसके समय में पुर्तगालियों ने समुद्र पर वर्चस्व स्थापित कर लिया था।
(d) गुजरात अभियान में मिर्जाओं ने उसका साथ दिया था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- अकबर की गुजरात विजय के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (d) सत्य नहीं है।
गुजरात अभियान में मिर्जाओं ने अकबर का साथ नहीं दिया था, बल्कि अकबर ने इनके विरुद्ध भी सैन्य कार्रवाई करके भरूच, बड़ौदा और सूरत पर अधिकार कर लिया। अपने गुजरात विजय अभियान के दौरान अकबर ने 1572 ई. में अहमदाबाद पर अधिकार कर लिया। गुजरात के कांबे नामक स्थान पर ही अकबर ने पहली बार समुद्र देखा था। उस समय गुजरात के समुद्री तटों पर पुर्तगालियों का वर्चस्व था और इसी समय पुर्तगालियों की एक व्यापार मंडली ने अकबर से भेंट की थी।
12. बिहार के किस शासक को पराजित कर अकबर ने उत्तर भारत के अंतिम अफगान राज्य को समाप्त कर दिया?
(a) तुगरिल खान
(b) दाऊद खाँ
(c) बुगरा खाँ
(d) इस्लाम शाह
उत्तर - (b)
व्याख्या- 1576 ई. में बिहार के शासक दाऊद खाँ को पराजित कर अकबर ने उत्तर भारत के अंतिम अफगान राज्य को समाप्त कर दिया था। इस विजय के बाद ही अकबर के साम्राज्य विस्तार का प्रथम चरण समाप्त हो गया। इससे पूर्व बिहार में मुगलों की स्थिति बेहद कमजोर थी, परंतु इस सैन्य अभियान के बाद बिहार से अफगान शासन का अंत हो गया।
13. निम्नलिखित में किस व्यक्ति ने बिहार तथा बंगाल में मुगल सेना का नेतृत्व किया था?
(a) मुनीम खाँ 
(b) बैरम खाँ
(c) मानसिंह
(d) तिरगी बेग
उत्तर - (a)
व्याख्या- 'खान-ए-खाना' मुनीम खाँ ने बिहार एवं बंगाल में मुगल सेना का नेतृत्व किया। अकबर, मुनीम खाँ पर नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपकर स्वयं आगरा लौट गया। मुनीम खाँ एक अनुभवी सेनापति एवं योद्धा था, जिसने बंगाल एवं बिहार पर आक्रमण कर वहाँ के अफगानी शासक को परास्त किया। दाऊद खाँ एक प्रभावशाली अफगानी शासक था, परंतु मुनीम खाँ के पराक्रम के समक्ष उसे पराजय का सामना करना पड़ा।

अकबर की राजपूत नीति

1. किस राजपूत शासक ने अपनी पुत्री हरखा बाई का विवाह अकबर से किया था ? 
(a) राजा भारमल 
(b) राजा टोडरमल
(c) राजा मानसिंह 
(d) राजा जयसिंह
उत्तर - (a)
व्याख्या- आमेर के राजपूत शासक राजा भारमल ने अपनी छोटी बेटी हरा बाई का विवाह अकबर से किया था। राजा भारमल पहला ऐसा राजपूत शासक था, जिसने प्रारंभ में ही अकबर के साथ सौहार्द्रपूर्ण संबंध स्थापित किए। ऐसा करके भारमल मुगलों के साथ मित्रवत् संबंध बनाए रखना चाहता था। इसके बदले में भारमल को एक बड़ा सरदार बना दिया गया, साथ ही उसका बेटा भगवान दास 5 हजार दर्जे वाला मनसबदार बन गया।
2. अकबर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अकबर ने अपनी हिंदू पत्नियों को पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता दी।
2. मानसिंह को 7 हजारी मनसब का दर्जा दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- अकबर के संबंध में दिए गए दोनों कथन (1) और (2) सत्य हैं । अकबर ने अपनी हिंदू पत्नियों को पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता दी, साथ ही उनके माता-पिताओं और सगे-संबंधियों को सरदारों की जमात में सम्मानजनक स्थान दिया। उसने मानसिंह को 7 हजारी मनसब का दर्जा दिया।
3. 1672 ई. में जब अकबर गुजरात अभियान में गया, तो उसने आगरा की जिम्मेदारी किस राजपूत शासक को सौंपी थी? 
(a) भगवान दास 
(b) भारमल
(c) बीरबल
(d) मानसिंह
उत्तर - (b)
व्याख्या- 1672 ई. में जब अकबर गुजरात अभियान में गया, तो आगरा की जिम्मेदारी अपने ससुर भारमल को सौंप दी थी। आमेर का शासक भारमल अकबर का सबसे विश्वसनीय सरदार माना जाता था।
4. निम्नलिखित में किन राजपूत राजाओं के साथ अकबर का कोई वैवाहिक संबंध नहीं था? 
(a) रणथंभौर के हाड़ाओं के साथ
(b) आमेर के राजपूतों के साथ
(c) चित्तौड़ के राजपूतों के साथ
(d) जोधपुर के राजपूतों के साथ
उत्तर - (a)
व्याख्या- रणथंभौर के 'हाड़ा राजपूत' राजाओं ने अकबर के साथ किसी भी प्रकार का वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं किया था, किंतु फिर भी अकबर उनका बहुत सम्मान करता था। अकबर ने हाड़ा राजा राव सुरजन हाड़ा को 2 हजार का मनसब प्रदान किया था तथा उसे गढ़ कटंगा राज्य की जिम्मेदारी भी दी थी।
5. निम्नलिखित में से कौन एकमात्र राजपूत राज्य था, जो मुगल प्रभुता स्वीकार न करने पर कायम रहा ?
(a) मेवाड़ 
(b) जैसलमेर
(c) बीकानेर
(d) आमेर
उत्तर - (a)
व्याख्या- मेवाड़ एकमात्र राजपूत राज्य था, जो मुगल प्रभुता स्वीकार न करने पर कायम रहा। चित्तौड़ विजय अभियान के बाद अधिकतर राजपूत शासकों ने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली, परंतु मेवाड़ के राजपूत शासकों ने अधीनता स्वीकार नहीं की थी। 1572 ई. में राणा उदयसिंह का पुत्र राणा प्रताप गद्दी पर बैठा। अकबर चाहता था कि राणा प्रताप उसकी अधीनता स्वीकार कर ले, इसके लिए अनेक दूत भेजे गए, परंतु राणा ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। राणा प्रताप को मनाने के लिए मानसिंह को भी भेजा गया, परंतु राणा प्रताप ने मानसिंह को अपमानित कर वापिस भेज दिया था।
6. हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना के सेनापति कौन थे? 
(a) अनर सिंह 
(b) मानसिंह
(c) हकीम खाँ
(d) शक्ति सिंह
उत्तर - (c)
व्याख्या- हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना का सेनापति हकीम खाँ था वह एक अफगान सरदार था। 1576 ई. में राणा प्रताप एवं अकबर की सेना वे मध्य हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा गया था, इस युद्ध में मुगलों की सेना का नेतृत्व नसिंह कर रहा था।
7. हल्दीघाटी के युद्ध के समय राणा की राजधानी कहाँ थी?
(a) अजमेर
(b) कुंभलगढ़ 
(c) हल्दीघाटी
(d) चित्तौड़
उत्तर - (b)
व्याख्या- हल्दीघाटी के युद्ध के समय राणा प्रताप की राजधानी कुंभलगढ़ थी। इसी के रास्ते में हल्दीघाटी नामक स्थान पर ऐतिहासिक युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में राणा प्रताप को पराजय का सामना करना पड़ा।
8. राणा प्रताप के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सत्य नहीं है? 
(a) डूंगरपुर, बाँसवाड़ा तथा सिरोही राज्य राणा के मित्र थे।
(b) भील राजाओं ने राणा की व्यक्तिगत मदद की थी ।
(c) राणा ने डूंगरपुर के निकट 'चांबड़' में एक नई राजधानी स्थापित की।
(d) 1580 ई. में राणा की मृत्यु हो गई थी।
उत्तर - (d)
व्याख्या- राणा प्रताप के संबंध में दिए गए कथनों में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि राणा प्रताप की मृत्यु 1580 ई. में नहीं, बल्कि 51 वर्ष की अवस्था में 1597 ई. में हुई थी। राणा प्रताप उदयपुर मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे।
9. किस शासक ने अपनी पुत्री जगत गोसाईं या जोधाबाई का विवाह अकबर के ज्येष्ठ पुत्र सलीम से कर दिया ?
(a) राजा चंद्रसेन
(b) राय सिंह बीकानेरी
(c) उदयसिंह
(d) अमरसिंह
उत्तर - (c)
व्याख्या- जोधपुर के प्रशासक चंद्रसेन के बड़े भाई उदयसिंह ने अपनी पुत्री जगत गोसाईं या जोधाबाई का विवाह अकबर के ज्येष्ठ पुत्र सलीम से कर दिया। पहली बार विवाह, हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न हुआ था।

अकबर का साम्राज्य विस्तार

1. अकबर के शासनकाल में सबसे गंभीर विद्रोह निम्नलिखित में से किस स्थान पर हुआ था? 
(a) बंगाल
(b) बिहार
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) अजमेर
उत्तर - (c)
व्याख्या- अकबर के शासनकाल में सबसे गंभीर विद्रोह बंगाल और बिहार में हुआ था। इस विद्रोह का मुख्य कारण जागीरदारों के घोड़ों को दागने की प्रणाली और उनकी आमदनी का कड़ा लेखा-जोखा था। इस विद्रोह के साथ कुछ उलेमा भी अकबर के उदारवादी विचारों से सहमत नहीं थे। काबुल के शासक और अकबर के एक भाई मिर्जा हकीम ने भी इस विद्रोह को प्रोत्साहित किया।
2. अकबर के साम्राज्य विस्तार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसने राजा टोडरमल के नेतृत्व में एक सेना बंगाल और बिहार भेजी थी।
2. मिर्जा हकीम के विरुद्ध राजा मानसिंह को भेजा था ।
3. अकबर ने 1580 ई. में काबुल पर आक्रमण किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है / हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- अकबर के साम्राज्य विस्तार के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (3) असत्य है, क्योंकि अकबर ने 1580 ई. नहीं, बल्कि 1581 ई. में काबुल पर आक्रमण किया था, जिसका नेतृत्व अकबर तथा मानसिंह ने किया था।
3. अकबर के प्रिय पात्र और सेनापति बीरबल की हत्या किस युद्ध में हुई थी? 
(a) बलुचिस्तान
(b) सिंध
(c) कंधार
(d) बिहार
उत्तर - (a)
व्याख्या- अकबर के प्रिय पात्र और सेनापति बीरबल की हत्या बलुचिस्तान के युद्ध के दौरान हुई थी। 1586 ई. बीरबल को बलुचिस्तान में पख्तुन युसुफजाई कबीलों के विद्रोह को दबाने के लिए भेजा गया था। बीरबल के साथ जैन खान कोका भी अकबर की सेना में शामिल था।
जैन खान कोका ने धोखे के साथ बीरबल को अफगानिस्तान की धूसर पहाड़ियों में भेज दिया, जहाँ ईष्यालु सैनिकों ने उसकी हत्या कर दी।

अकबर के सुधार

1. अकबर के सुधारों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उसने जजिया कर को समाप्त कर दिया।
(b) उसने तीर्थयात्रा कर को पुनर्जीवित किया।
(c) उसने इबादतखाना की स्थापना की।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (b)
व्याख्या- अकबर के सुधारों के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि 91. इबादतखाना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए अकबर ने तीर्थयात्रा कर को पुनर्जीवित नहीं, बल्कि इसे 1563 ई. में पूरी तरह समाप्त कर दिया था। (Chap-13, Class-XI, Old NCERT) स्थापना आगरा में 1576 ई. में हुई थी।
उसने 1562 ई. में गैर-मुसलमानों से वसूला जाने वाला धार्मिक कर, जजिया को भी समाप्त कर दिया। उसने इबादतखाना की स्थापना की, जिसमें सभी धर्म के लोगों को विशेष स्थान दिया गया। उसने धार्मिक अनुष्ठान संबंधित मामलों में कभी हस्तक्षेप नहीं किया।
2. अबुल फजल ने किसे 'फर - ए - ईजादी' कहकर संबोधित किया है?
(a) सच्चे बादशाह को
(b) दैवी ज्ञान को
(c) फारसी साहित्य को
(d) तैमूरी राजस्व को
उत्तर - (b)
व्याख्या- अबुल फजल ने दैवी ज्ञान को 'फर - ए - ईजादी' कहकर संबोधित किया। अबुल फजल के अनुसार सच्चे बादशाह का पद बहुत जिम्मेदारी का पद माना जाता है, जो दैवी ज्ञान (फर्र - ए - ईजादी) पर निर्भर करता है, इसलिए अल्लाह और सच्चे बादशाह के मध्य कोई बाधा खड़ी नहीं कर सकता है।
3. अकबर द्वारा अपनाई गई 'सुलह-ए-कुल' की नीति का शाब्दिक अर्थ क्या होता है ? 
(a) सबका मालिक एक है ।
(b) सबके लिए सलामती की नीति ।
(c) सबका धर्म एक-सा है।
(d) सर्व सम्मान की नीति।
उत्तर - (b)
व्याख्या- अकबर द्वारा अपनाई गई 'सुलह-ए-कुल' की नीति का शाब्दिक अर्थ- सबके लिए सलामती की नीति होता है। अकबर की यह नीति उसके उदारवादी विचारों को प्रतिबिंबित करती है। आरंभ में अकबर भले ही एक कट्टर मुसलमान था, परंतु कालांतर में उसके विचार बदल गए थे । वह ईश्वर के चिंतन में लगा रहता था, सभी धर्मों को सम्मान देने लगा था। इसी उद्देश्य से उसने सुलह-ए-कुल की नीति को अपनाया।
4. अकबर ने अपने दरबार में उदार विचारों वाले मेधावी व्यक्तियों का एक समूह एकत्रित किया था। निम्नलिखित में से कौन इनमें शामिल नहीं था ? 
(a) अबुल फजल
(b) फैजी 
(c) महेशदास
(d) बैरम खान 
उत्तर - (d)
व्याख्या- अकबर ने अपने दरबार में उदार विचारों वाले मेधावी व्यक्तियों का एक समूह एकत्रित किया था, जिसमें बैरम खान शामिल नहीं था। मेधावी व्यक्तियों के समूह में अबुल फंजल, फैजी महेशदास, मुल्ला दो प्याजा, मानसिंह, अब्दुल रहीम खानखाना शामिल थे। बैरम खान अकबर का संरक्षक था।
5. अकबर ने किस अधिकारी को 'मदद-ए-मआश' के वितरण में भ्रष्टाचार का दोषी पाए जाने पर सजा दी थी ?
(a) अब्दुन्नबी खाँ 
(b) फैजी
(c) अबुल फजल
(d) मुल्ला- दो - प्याजा
उत्तर - (a)
व्याख्या- 1575 ई. में अकबर ने अब्दुन्नबी खाँ को 'मदद-ए-मआश' ( जमीन के वितरण के मामले में) भ्रष्टाचार और अत्याचार का दोषी पाया गया था, उसने अन्य भ्रष्ट तरीके से काफी संपत्ति जमा कर ली थी। वह एक धर्मांध व्यक्ति था, उसने शिक्षाओं तथा मथुरा के ब्राह्मणों को धार्मिक विश्वास के कारण जिस कारण उसे अधिकारी पद से हटा दिया गया था। मृत्युदंड दिया था,
6. अकबर के 'मजहर' के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इसकी घोषणा 1579 ई. में हुई थी।
2. इसे 'समरथ की अमोघत्व का आदेश' कहा गया।
3. यह साम्राज्य की धार्मिक परिस्थितियों को स्थिरता प्रदान करने में सहायक सिद्ध हुआ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- अकबर के 'मजहर' के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। अकबर ने मजहर की घोषाणा 1579 ई. में की थी, इसे 'समरथ की अमोघत्व का आदेश' कहा गया। मजहर के माध्यम से साम्राज्य की धार्मिक परिस्थितियों को स्थिरता प्रदान करने में काफी सहायता मिली थी ।
7. अकबर के सामाजिक सुधारों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है? 
(a) उसने सती प्रथा समाप्त कर दी ।
(b) विधवा विवाह को कानूनी समर्थन दिया।
(c) विवाह की आयु को बढ़ाकर लड़कियों के मामले में 14 वर्ष तथा लड़कों के लिए 16 वर्ष कर दिया
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- अकबर के सामाजिक सुधारों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
अकबर ने समाज में प्रचलित सती प्रथा पर रोक लगा दी। उसने विधवा विवाह को भी मान्यता दी, ताकि सती होने की आवश्यकता ही न पड़े। अकबर ने विवाह की आयु को बढ़ाकर लड़कियों के लिए 14 वर्ष तथा लड़कों के लिए 16 वर्ष कर दिया था।

जहाँगीर

1. जहाँगीर के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) वह अकबर का ज्येष्ठ पुत्र था।
(b) उसके बचपन का नाम सलीम था।
(c) उसके भाई खुसरो ने जहाँगीर के विरुद्ध विद्रोह किया था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- जहाँगीर के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि खुसरो जहाँगीर का भाई नहीं, बल्कि पुत्र था।
अकबर का उत्तराधिकारी जहाँगीर 1605 ई. में मुगल शासक बना, उसके सत्ताहीन होने के कुछ ही समय बाद लगभंग 1606 ई में उसके ज्येष्ठ पुत्र खुसरो ने अपने ही पिता जहाँगीर के विरुद्ध सत्ता प्राप्ति के लिए विद्रोह प्रारंभ कर दिया। खुसरो और जहाँगीर की सेना के मध्य जालंधर के भैरवाल मैदान में युद्ध हुआ, जिसमें खुसरो की पराजय के उपरांत उसे पकड़कर जेल में डाल दिया गया।
2. जहाँगीर द्वारा साम्राज्य विस्तार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. जहाँगीर ने मेवाड़ के साथ चार दशकों से चले आ रहे संघर्ष को समाप्त कर दिया।
2. जहाँगीर ने मानसिंह को बंगाल का सूबेदार बनाकर भेजा था।
3. जहाँगीर ने इस्लाम खाँ को 1600 ई. में बंगाल की जिम्मेदारी सौंपी थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- जहाँगीर द्वारा साम्राज्य विस्तार के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। जहाँगीर का शासनकाल 1605 ई. से 1627 ई. तक रहा। जहाँगीर का काल मुगल साम्राज्य में चित्रकला का 'स्वर्णिम काल' माना जाता है, हालाँकि जहाँगीर ने इस दौरान अपने सैन्य अभियान से मुगल सत्ता का विस्तार भी किया, जिनमें मेवाड़ की विजय महत्त्वपूर्ण थी, क्योंकि यह मुगलों के लिए पिछले चार दशकों से इसकी विजय हेतु प्रयास व संघर्ष किए जा रहे थे।
मेवाड़ विजय, जहाँगीर की एक प्रमुख सैन्य उपलब्धि मानी जाती है। बंगाल के क्षेत्र में कई अफगान सरदार मुगलों के लिए संकट बन गए थे, जिनमें मूसा खाँ, बारह भुइयाँ खाँ आदि महत्त्वपूर्ण थे। इन्होंने बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों; जैसे- ढाका, सोनारगाँव पर अधिकार कर लिया था, जिसके कारण जहाँगीर ने मानसिंह को बंगाल का सूबेदार बनाकर भेजा, किंतु स्थिति नियंत्रण में नहीं आई तत्पश्चात् जहाँगीर ने 1600 ई. में इस्लाम खाँ को वहाँ का सूबेदार बनाकर भेजा, जिसने इन सभी क्षेत्रों पर पुनः अधिकार स्थापित किया।
3. नूरजहाँ के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) जहाँगीर ने 1611 ई. में नूरजहाँ से निकाह किया था।
(b) पूर्व में वह शेर अफगान नामक ईरानी की पत्नी थी ।
(c) उसके पिता इतमाद्दुदौला मुगल दीवान थे।
(d) उसके भाई आसफ खाँ को मीर बक्शी बनाया गया था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- नूरजहाँ के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि आसफ खाँ को 'मीर बक्शी' (सैन्य विभाग) नहीं, बल्कि 'खान-ए- सामा' बनाया गया था। नूरजहाँ का वास्तविक नाम मेहरुन्निसा था तथा इसके पिता इतमाद्द्दौला, मुगलों के दीवान थे। इसके प्रथम पति का नाम शेर अफगान था, जिसकी मृत्यु के बाद नूरजहाँ का विवाह 1611 ई. में जहाँगीर से हुआ।
4. खुर्रम के विद्रोह को समाप्त करने के लिए जहाँगीर ने किसे भेजा था? 
(a) आसफ खाँ को 
(b) महावत खाँ को
(c) मलिक अंबर को
(d) इतमादुदौला को
उत्तर - (b)
व्याख्या- खुर्रम द्वारा अपने ही पिता जहाँगीर के विरुद्ध प्रारंभ किए गए विद्रोह को समाप्त करने के लिए जहाँगीर ने महावत खाँ को भेजा था, जिसने खुर्रम को पराजित किया। अंतत: 1626 ई. में विद्रोह समाप्त हुआ और पिता-पुत्र में समझौता हो गया।

शाहजहाँ

1. शाहजहाँ के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) शाहजहाँ का शासनकाल 1628-58 ई. तक था।
(b) वह जहाँगीर का ज्येष्ठ पुत्र था।
(c) उसने कंधार अभियान किया था।
(d) उपर्युक्त में से कोई अभियान नहीं 
उत्तर - (b)
व्याख्या- शाहजहाँ के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि शाहजहाँ, जहाँगीर का पुत्र था, परंतु जहाँगीर का ज्येष्ठ पुत्र शाहजहाँ न होकर खुसरो था। शाहजहाँ का शासनकाल (1628-58 ई.) परिवर्तनों और हलचलों का काल था। शाहजहाँ ने उत्तराधिकार के लिए विद्रोह किया और उसमें सफल रहा तथा मुगल वंश की सत्ता प्राप्त की।
2. शाहजहाँ के शासनकाल की महत्त्वपूर्ण घटनाओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. बुखारा और बल्ख पर नजर मुहम्मद ने अधिकार कर लिया था। 
2. अब्दुल अजीज ने जहाँगीर के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- शाहजहाँ के शासनकाल में घटित होने वाली घटनाओं के संबंध में कथन (1) सत्य है।
आर्थिक और सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण कंधार के क्षेत्र की विजय के उपरांत शाहजहाँ ने बुखारा और बल्ख अभियान को 1646 ई. में संचालित किया। बुखारा और बल्ख का क्षेत्र नजर मुहम्मद के अधिकार में था, लेकिन नजर मुहम्मद के पुत्र अब्दुल अजीज ने अपने ही पिता के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और इसमें उसने जहाँगीर से सहायता की माँग की थी। जहाँगीर ने उसकी सहायता कर बुखारा और बल्ख के क्षेत्र पर अधिकार स्थापित किया।
3. शाहजहाँ ने मुगलों के 'वतन' को जीतने की इच्छा प्रकट की। यह 'वतन' कौन-सा था ?
(a) समरकंद और फरगना 
(b) काबुल और बल्ख
(c) कंधार और बलुचिस्तान
(d) खुरासान और कंधार
उत्तर - (a)
व्याख्या- शाहजहाँ द्वारा मुगलों के 'वतन' समरकंद और फरगना को जीतने की इच्छा से प्रेरित था, क्योंकि मुगल दरबार में इसकी चर्चा अकसर होती रहती थी। साथ ही शाहजहाँ का उद्देश्य यह भी था कि इन क्षेत्रों में कोई मित्र शासक हो, जो काबुल की सीमा से लगे क्षेत्रों में अफगानी कबीलों को नियंत्रण में रखे ।

औरंगजेब

1. शाहजहाँ के पश्चात् हुए उत्तराधिकार के युद्ध में कौन विजयी रहा ? 
(a) दाराशिकोह 
(b) औरंगजेब
(c) शूजा
(d) सुलेमान
उत्तर - (b)
व्याख्या- शाहजहाँ के पश्चात् हुए उत्तराधिकार के युद्ध में औरंगजेब विजयी रहा था। शाहजहाँ के बीमार पड़ने और मृत्यु की अफवाह के उपरांत उसके पुत्रों दाराशिकोह और औरंगजेब के मध्य तीन उत्तराधिकार के युद्ध हुए थे, जिसमें औरंगजेब ने अपनी कूटनीति एवं सैन्य क्षमता का प्रदर्शन करते हुए दाराशिकोह को धरमट के युद्ध ( 15 अप्रैल 1658) पराजित किया था।
2. सामूगढ़ का युद्ध किनके बीच में संपन्न हुआ था?
(a) दाराशिकोह और औरंगजेब
(b) सुलेमान शिकोह और शूजा
(c) औरंगजेब और शूजा
(d) दाराशिकोह और सुलेमान
उत्तर - (a)
व्याख्या- सामूगढ़ का युद्ध दूसरा उत्तराधिकार का युद्ध था, जोकि 29 मई, 1658 को औरंगजेब और दाराशिकोह के मध्य हुआ था। इस युद्ध में भी दाराशिकोह की हार हुई। में
उत्तराधिकार के युद्ध का मुख्य कारण मुगल सत्ता को प्राप्त करना था। शाहजहाँ अपने बड़े पुत्र दाराशिकोह को गद्दी देना चाहता था, परंतु औरंगजेब को यह मंजूर नहीं था, अतः उसने शाहजहाँ को आगरा के किले में कैद कर दिया और दाराशिकोह से युद्ध किया।
3. औरंगजेब के संबंध में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) उसने शहजादा मुअज्जम को 12 वर्षों तक जेल में कैद रखा।
(b) उसका व्यक्तिगत जीवन बहुत साधारण था।
(c) उसकी ख्याति एक धार्मिक उदारवादी बादशाह के रूप में थी।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- औरंगजेब के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि औरंगजेब की ख्याति एक धार्मिक उदारवादी बादशाह के रूप में न होकर एक कट्टरतावादी शासक के रूप में थी। उसके धार्मिक विचार रूढ़िवादी थे। वह दार्शनिक रहस्यवाद में रुचि नहीं रखता था। उसने अपने साम्राज्य में मुस्लिम कानून (शरिया) को मजबूती से लागू किया, इसके लिए उसने मुहतसिब को नियुक्त किया, जिसका कार्य लोगों को शरिया कानून के अनुसार चलने के लिए निर्देशित करना होता था। इसने हिंदुओं पर जजिया कर पुन: लगा दिया था।
4. औरंगजेब के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने कश्मीर से लेकर जिंजी तथा हिंदूकुश से लेकर चटगाँव तक साम्राज्य का विस्तार किया।
2. उसे 'जिंदा पीर' के नाम से जाना जाता है।
3. उसने अपने शासन में 'हनीफ' कानून को अपनाया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- औरंगजेब के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
औरंगजेब लगभग 50 वर्षों (1658-1707 ई.) तक मुगल सत्ता पर काबिज रहा, इसके शासनकाल में मुगल साम्राज्य का सर्वाधिक विस्तार हुआ। इसके शासनकाल में मुगल साम्राज्य अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच गया, जो उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में जिंजी तक तथा पश्चिम में हिंदूकुश से पूर्व में चटगाँव तक फैला हुआ था।
यह औरंगजेब को सशक्त और कर्मठ शासक के रूप में प्रस्तुत करता है, परंतु वह धार्मिक दृष्टिकोण से कट्टरतावादी था। हिंदुओं के विरुद्ध अनेक धार्मिक अत्याचार और मुस्लिम आस्था का अत्यधिक समर्थन करने के कारण उसे 'जिंदा पीर' कहा जाता था। साथ ही उसने शासन व्यवस्था में मुस्लिम कानून की 'हनीफ' कानून की व्याख्या को अपनाया, जिसका पालन भारत में पारंपरिक रूप से किया जा रहा था।
5. औरंगजेब के काल में जारी किए जाने वाले धर्मनिरपेक्ष फरमान को क्या कहा जाता था? 
(a) जवाबीत
(b) हनीफ 
(c) शरीयत
(d) फबाजील
उत्तर - (a)
व्याख्या- औरंगजेब द्वारा जारी किए जाने वाले धर्मनिरपेक्ष फरमान को 'जवाबीत' कहा जाता था। जवाबीत-ए-आलमगिरि नामक एक कृति में औरंगजेब के ऐसे फरमानों को संकलित किया गया है।
6. औरंगजेब की धार्मिक नीति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने अपने शासनकाल में सिक्कों पर कलमा की खुदाई करने का निषेध कर दिया।
2. उसने नौरोज के त्यौहार की मनाही कर दी।
3. सभी सूबों में मुहतसिब की नियुक्ति पर पाबंदी लगा दी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- औरंगजेब की धार्मिक नीति के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
औरंगजेब एक रूढ़िवादी मुस्लिम शासक था। उसकी धार्मिक नीति एकपक्षीय थी। उसने अपने शासनकाल के आरंभ में ही सिक्कों पर कलमा की खुदाई बंद करवा दी। उसका मानना था कि सिक्कों पर किसी के पैर रखने या एक-हाथ से दूसरे हाथ में पहुँचने के क्रम में नापाक हो जाए तो यह कलमा का अपमान होगा और यह अधर्म होगा।
उसने ईरानी जरथुस्ती के पर्व नौरोज पर पाबंदी लगा दी, जो इसके अन्य धर्म के प्रति उपेक्षा को दर्शाता है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि उसने सूबों में मुहतसिब नियुक्त किए, जिसका कार्य यह था कि वह लोगों को शरा ( धार्मिक कानून) के अनुसार जीवन व्यतीत करने को निर्देशित करे ।
7. औरंगजेब निम्नलिखित में से कौन-सा वाद्ययंत्र बजाने में निपुण माना जाता था? 
(a) सरोद
(b) सितार 
(c) वीणा
(d) नगाड़ा 
उत्तर - (c)
व्याख्या- औरंगजेब को वीणा बजाने में निपुण माना जाता था। औरंगजेब ने अपने शासनकाल के दौरान ऐसे कई कदम उठाए, जिन्हें शुद्धतावादी कहा गया, परंतु इसके पीछे वस्तुत: आर्थिक और सामाजिक उद्देश्य थे।
8. औरंगजेब के शासनकाल में तोड़े गए मथुरा के केवशराय मंदिर में का निर्माण किसने करवाया था ? 
(a) वीरसिंह बुंदेला
(b) राजा भारमल
(c) शाह शूजा
(d) दाराशिकोह
उत्तर - (a)
व्याख्या- मथुरा के केशवराय मंदिर का निर्माण जहाँगीर के शासनकाल में वीरसिंह देव बुंदेला द्वारा करवाया गया था, जिसे 1669 ई. में औरंगजेब द्वारा तुड़वा दिया गया और इसके स्थान पर मस्जिद का निर्माण करवाया गया। इसके अतिरिक्त औरंगजेब ने बनारस के विश्वनाथ मंदिर को भी तुड़वा दिया था।
9. औरंगजेब की धार्मिक नीति का वर्णन करने वाली पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगिरि' की रचना किसने की थी ?
(a) खफी खाँ
(b) अब्बास खाँ सरबानी
(c) मुस्तैद खाँ
(d) बर्नियर
उत्तर - (c)
व्याख्या- औरंगजेब की धार्मिक नीति का वर्णन करने वाली पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगिरि' की रचना मुस्तैद खाँ ने की थी। इसमें औरंगजेब द्वारा मंदिर तोड़ने का हुक्म व तोड़े जाने वाले मंदिरों तथा हिंदुओं के प्रति अपनाए जाने वाले धर्मांध निर्णयों का वर्णन मिलता है।
10. औरंगजेब की धार्मिक-सामाजिक नीतियों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने जजिया कर को पुनः लागू किया था।
2. उसने 'अबवाव' नामक एक नया शुल्क अनिवार्य कर दिया था।
3. हिंदू जजिया कर को भेदभाव का द्योतक मानते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- औरंगजेब की धार्मिक सामाजिक नीतियों के संबंध में कथन ( 1 ) और (3) सत्य हैं ।
औरंगजेब दूसरे धर्म के अनुयायियों के प्रति धर्मांध व्यवहार अपनाता था, जिसका परिचय उसके द्वारा मंदिरों के प्रति व्यवहार तथा पुनः जजिया कर लगाए जाने से लगाया जा सकता है। अकबर ने जजिया कर को समाप्त कर दिया था, परंतु औरंगजेब ने पुनः इसे 1679 ई. में लागू कर दिया।
शरिया के अनुसार, मुस्लिम राज्य में गैर-मुसलमानों को जजिया कर अदा करना अनिवार्य था, जिसका पालन औरंगजेब ने किया और इसे लागू किया। जजिया कर को हिंदू भेदभाव का द्योतक मानते थे । इतिहासकारों के अनुसार, यह कोई आर्थिक दबाव नहीं था, बल्कि हिंदुओं को इस्लाम कबूल करने पर मजबूर करने का प्रयास था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि औरंगजेब ने 'अबवाव' नामक शुल्क को अनिवार्य नहीं किया था और न ही इसका प्रावधान शरियत में था।

मुगलकालीन प्रशासनिक व्यवस्था

1. मुगलकालीन भू-राजस्व के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अकबर ने वार्षिक राजस्व निर्धारण की प्रणाली फिर से आरंभ की।
2. कानूनगो नामक अधिकारी वास्तविक खेती की स्थिति की जानकारी बादशाह को भेजता था।
3. अकबर के काल में पूरे उत्तर भारत में 'करोरी' नाम से जानने वाले अमले भर्ती किए गए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगलकालीन भू-राजस्व के संबंध में सभी कथन सत्य हैं।
गुजरात विजय (1571 ई.) के पश्चात् अकबर ने प्रशासनिक समस्याओं का समाधान करते हुए वार्षिक राजस्वं निर्धारण की प्रणाली को फिर से शुरू किया, जो हुमायूँ के समय बंद हो गई थी।
कानूनगो (अधिकारी) ने लोगों को, जो जमीन के वंशानुगत जोतदार और साथ ही स्थानीय परिस्थितियों से भली-भाँति अवगत थे, आदेश दिया गया था कि वे वास्तविक उपज, खेती की स्थिति, स्थानीय कीमतों आदि के विषय में जानकारी भेजे।
अकबर ने 1573 ई. में उत्तर भारत में 'करोरी' नाम से जानने वाले अमले भर्ती किए। उनमें से प्रत्येक को एक करोड़ 'दाम' वसूल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
2. 'दहसाला' पद्धति के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इसे हुमायूँ ने प्रारंभ किया था।
(b) इस प्रणाली के अनुसार पिछले दस साल का हिसाब लगाया जाता था।
(c) औसत उपज का एक तिहाई भाग राज्य का हिस्सा तय किया गया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- 'दहसाला' पद्धति के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि दहसाला पद्धति की शुरुआत हुमायूँ ने नहीं, बल्कि अकबर ने प्रारंभ की थी। कानूनगो नामक अधिकारी से प्राप्त जानकारी के आधार पर दहसाला (दससाला) की शुरुआत 1580 ई. में हुई थी। इस प्रणाली के अंतर्गत पिछले दस (दह) साल के दौरान अलग-अलग फसलों की औसत उपजों और उनकी औसत कीमतों का हिसाब लगाया गया । औसत उपज का एक तिहाई भाग राज्य का हिस्सा तय किया गया, लेकिन राजस्व की माँग नकद के रूप में सामने रखी गई।
3. 'दहसाला प्रणाली' का परिष्कृत रूप निम्नलिखित में से किस रूप में सामने आया? 
(a) जब्ती प्रणाली 
(b) 'मन' प्रणाली
(c) गल्ला प्रणाली
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- जब्ती प्रणाली पूर्व से चलती आ रही 'दहसाला प्रणाली' का परिष्कृत रूप था।
मुगलकाल में यदि सूखे, बाढ़ आदि के कारण फसलें नष्ट हो जाती थीं, तो किसान को भू-राजस्व में छूट दी जाती थी। पैमाइश की इस प्रणाली और इस पर आधारित राजस्व निर्धारण को 'जब्ती' कहा जाता था। अकबर ने इस प्रणाली को लाहौर से इलाहाबाद तक और मालवा तथा गुजरात में लागू किया।
4. 'गल्ला - बख्शी' प्रणाली के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इसे बँटाई प्रणाली के नाम से भी जाना जाता है।
2. इस प्रणाली में उपज निर्धारित अनुपात में किसानों और राज्य में नहीं बाँटी जाती थी।
3. इस प्रणाली को बहुत न्यायपूर्ण माना जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- 'गल्ला- बख्शी' प्रणाली के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं । अकबर के शासनकाल में राजस्व निर्धारण की प्रणालियों का प्रयोग किया जाता था तथा सबसे पुरानी प्रणाली का नाम 'बँटाई' या 'गल्ला - बक्शी' था ।
इस प्रणाली को बहुत न्यायपूर्ण माना जाता था, लेकिन इसके लिए फसल की कटनी के समय या उसके पकते समय ईमानदार सरकारी आमलों की पूरी एक फौज की मौजूदगी की आवश्यकता रहती थी।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि इस प्रणाली में उपज निर्धारित अनुपात में किसानों और राज्यों के मध्य बाँट दी जाती थी। फसल बोने के बाद या काटकर बोझा बाँधने के बाद अथवा जब खेत में खड़ी होती थी, उसी समय बाँट ली जाती थी।
5. मुगल काल में नसक' का प्रचलन किस रूप में था ?
(a) भू-राजस्व के रूप में
(b) सैन्य प्रशासन के रूप में 
(c) राजकीय पोशाक के रूप में
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगलकाल में 'नसक' का प्रचलन भू-राजस्व के रूप में था। यह प्रणाली मुगलकालीन शासक अकबर के समय प्रचलन में थी। इसे मध्यकालीन विद्वानों द्वारा 'ककूत' या 'आकलन' भी कहा जाता था। यह प्रणाली किसानों द्वारा अतीत में अदा किए जाने वाले राजस्व के आधार पर उसकी मौजूदा देनदारी के बारे में लगाया गया आकलन होता था।
6. मुगलकालीन भू-राजस्व प्रशासन के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) जिस जमीन पर लगभग प्रत्येक साल खेती की जाती थी उसे 'पोलज' कहा जाता था।
(b) जब उसमें खेती नहीं की जाती थी, तो उसे 'परती' कहते थे।
(c) जो जमीन लगातार दो तीन साल परती रहती थी, उसे 'चाचर' कहा जाता था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुगलकालीन भू-राजस्व प्रशासन के संबंध में दिए गए कथनों में से कोई भी कथन असत्य नहीं है ।
मुगलकालीन कुछ क्षेत्रों में राजस्व निर्धारण की कुछ दूसरी पद्धतियाँ भी प्रचलन में थीं। भू-राजस्व के निर्धारण हेतु कृषि में स्थायित्व या निरंतरता का भी ध्यान रखा जाता था। जिस भूमि पर प्रत्येक वर्ष कृषि की जाती थी, वह 'पोलज' (उपजाऊ भूमि) कहलाती थी।
जब उस भूमि पर कृषि नहीं की जाती थी, तो वह 'परती' कहलाती थी। जो जमीन लगातार दो-तीन वर्षों तक परती रहती थी, उसे 'चाचर' कहा जाता था और तीन वर्ष से अधिक समय तक परती रहने वाली भूमि बंजर कहलाती थी। इस प्रकार, कृषि में भूमि का वर्गीकरण पोलज, परती, चाचर और बंजर में किया गया था।
7. 'मनसबदारी' पद्धति की शुरुआत निम्नलिखित में से किस मुगल बादशाह ने की थी ?
(a) हुमायूँ
(b) अकबर 
(c) जहाँगीर
(d) औरंगजेब 
उत्तर - (b)
व्याख्या- 'मनसबदारी' पद्धति की शुरुआत 1567 ई. में मुगल बादशाह में अकबर ने की थी। इस पद्धति के अंतर्गत सरदारों को, जो मनसब प्रदान किए जाते थे, वे 10,50 तथा 100 के गुणनफल के रूप में होते थे (अधिकतम 5000 ) । इस प्रकार, कुल 66 श्रेणियों को मनसबदारी पद्धति के अंतर्गत दर्शाया गया है, किंतु अबुल फजल ने 33 श्रेणियों का ही वर्णन किया है।
5000 से अधिक का मनसब शाही परिवार के सदस्यों को ही प्रदान किया जाता था, यद्यपि इस काल के दौरान अजीज कोका और मानसिंह को 7000 के मनसब दिए गए थे।
8. अकबर कालीन स्थानीय प्रशासन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. स्थानीय शासन के संगठन में अकबर ने कोई परिवर्तन नहीं किया।
2. सरकार के मुख्य अधिकारी फौजदार और अमलगुजार होते थे ।
3. फौजदार शांति व्यवस्था के लिए जिम्मेदार होता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- अकबर कालीन स्थानीय प्रशासन के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं ।
अकबर ने स्थानीय प्रशासन के संगठन में किसी भी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं किया। यह व्यवस्था पूर्ववत् परगने और सरकार के रूप कायम रही। अकबर कालीन स्थानीय प्रशासन में सरकार का मुख्य अधिकारी फौजदार और अमलगुजार होता था।
अकबरकालीन सरकारों के मुख्य अधिकारी अपने-अपने कार्यों को संभालते थे, जिनमें फौजदार शांति व्यवस्था के कार्यों को संभालता था, जबकि अमलगुजार का कार्य भू-राजस्व निर्धारित करना तथा उसे वसूल करना था।
9. मुगलकालीन प्रशासन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) अकबर की केंद्रीय शासन प्रणाली सल्तनत कालीन प्रशासन पर आधारित थी।
(b) मुगल प्रशासन न्याय विभाग एक पृथक् विभाग रहा था ।
(c) अकबर ने वकील के पद को समाप्त कर दिया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगलकालीन प्रशासन के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि अकबर के शासनकाल में सर्वशक्तिमान वजीर की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया था न कि वकील के पद को, क्योंकि अकबर का संरक्षक बैरम खाँ वकील के रूप में वजीर की सत्ता का उपभोग करता रहा। अकबर ने केंद्रीय तथा प्रांतीय सरकारों के संगठन पर विशेष ध्यान दिया। उसकी केंद्रीय शासन प्रणाली दिल्ली सल्तनत के काल में विकसित शासन - संरचना पर आधारित थी, लेकिन विभिन्न विभागों के कार्यों को सावधानी के साथ पुनर्गठित किया गया और राज्य कार्यों के संचालन हेतु नियम बनाए गए थे। मुगलकाल में न्याय विभाग एक पृथक् विभाग था।
10. मुगल प्रशासन में कौन-सा अधिकारी राजा और प्रशासन के बीच की मुख्य कड़ी था? 
(a) किरोरी 
(b) अमलगुजार
(c) वजीर
(d) मीर बख्शी
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल प्रशासन के अंतर्गत 'वजीर' नामक अधिकारी राजा और प्रशासन के बीच की मुख्य कड़ी था। इससे पूर्व के काल में मध्य एशियाई और तैमूरी परंपरा में वजीर के पद का प्रावधान था, जिसके अधीन विभिन्न विभागों के प्रधान कार्य करते थे। मुगल काल में सम्राट की सहायता हेतु अनेक मंत्री होते थे, जिनमें वजीर सर्वोच्च पद था। वह सभी विभागों की देखभाल करता था व अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति में अपना परामर्श देता था।
11. 'मीर बख्शी' के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह सैनिक विभाग का प्रधान होता था।
2. इस पद पर केवल प्रमुख सरदारों को ही नियुक्त किया जाता था।
3. साम्राज्य की खुफिया और सूचना एजेंसियों का प्रधान मीर बख्शी होता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- 'मीर बख्शी' के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। मुगल काल में सैन्य विभाग का सर्वोच्च अधिकारी 'मीर बख्शी' कहलाता था। इस पद का विकास अकबर के काल में प्रारंभ हुआ था। मुगलकालीन सरदारों के संगठन का प्रधान दीवान नहीं, बल्कि मीर बख्शी माना जाता था। इसलिए इस पद पर केवल प्रमुख सरदारों को ही नियुक्त किया जाता था। मनसबों पर नियुक्ति अथवा पदोन्नति के लिए की जाने वाली सिफारिश मीर बख्शी ही करता था।
मुगलकालीन खुफिया विभाग का प्रमुख 'बरीद' था और सूचना विभाग का प्रमुख 'वाकियानवीस' था, जो मुगल साम्राज्य के सभी हिस्सों में तैनात किए जाते थे। इन सभी विभागों का प्रधान भी मीर बख्शी होता था।
12. अकबर के शासनकाल के बारह सूबे में निम्नलिखित में से कौन-सा एक सूबा सम्मिलित नहीं था ?
(a) बिहार 
(b) मालवा
(c) अजमेर
(d) मारवाड़
उत्तर - (d)
व्याख्या- अकबर के शासनकाल के बारह सूबों में मारवाड़ शामिल नहीं था। 1580 ई. में अकबर ने अपने साम्राज्य को 12 सूबों में बाँटा था, जिनमें शामिल हैं- बंगाल, बिहार, इलाहाबाद, अवध, आगरा, दिल्ली, लाहौर, मुल्तान, काबुल, अजमेर, मालवा और गुजरात । प्रत्येक सूबे में एक-एक सूबेदार, दीवान बख्शी, सदर, काजी और वाकियानवीस को नियुक्त किया गया था, जिससे संतुलन की स्थिति को सूबों में भी विकसित किया गया।
13. मुगल सेना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अकबर के अधीन अपनी सैनिक टुकड़ी के खर्च के लिए मनसबदार को औसतन ₹240 प्रतिवर्ष प्रति सवार दिए जाते थे।
2. जहाँगीर के काल में इसे बढ़ाकर ₹300 कर दिया गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या मुगल सेना के संबंध में कथन (1) सत्य है।
अकबर द्वारा स्थापित प्रशासन तंत्र और राजस्व व्यवस्था को जहाँगीर और शाहजहाँ ने कुछ परिवर्तनों के साथ जारी रखा, परंतु मनसबदारी व्यवस्था में कुछ महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किए गए। अकबर द्वारा अपनी सैनिक टुकड़ी के खर्च के लिए मनसबदार को औसत रूप से ₹240 प्रतिवर्ष प्रति सवार दिए जाते थे।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि जहाँगीर के शासनकाल में मनसबदारों को दिए जाने वाले सैनिक टुकड़ी के खर्च में कमी की गई और यह ₹200 कर दिया गया न कि ₹3001
14. निम्नलिखित में से किस मुगल शासक ने 'दुआस्पाह-सी अस्पाह' प्रणाली की शुरुआत की थी?
(a) अकबर
(b) जहाँगीर
(c) शाहजहाँ
(d) औरंगजेब
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगलकालीन मनसबदारी व्यवस्था के अंतर्गत जहाँगीर द्वारा 'दुआस्पाह-सी अस्पाह' प्रणाली प्रारंभ की गई थी, जिसके अंतर्गत कुछ विशेष सरदारों को 'जात' दर्जे में बिना किसी वृद्धि के अधिक सवार रखने की अनुमति दी गई थी।
इस प्रणाली का शाब्दिक अर्थ 'दो या तीन घोड़ों वाला सवार' होता है। व्यावहारिक रूप से इसका अर्थ यह था कि इस दर्जे के मनसबदार को उसके सवार दर्जे के अनुसार निर्धारित संख्या से दोगुनी संख्या में सवार रखने पड़ते थे और उसे उसी हिसाब से वेतन भी दिया जाता था।
15. जागीरों के आवंटन के लिए राजस्व विभाग को एक 'बही' रखनी पड़ती थी, उसे क्या कहा जाता था?
(a) जमा- दामी
(b) दस-मासा 
(c) अस्पाह
(d) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर - (a)
व्याख्या- जागीरों के आवंटन हेतु राजस्व विभाग द्वारा रखी जाने वाली 'बही' 'जमा- दामी' कहलाती थी। राजस्व विभाग द्वारा रखी जाने वाली बही में विभिन्न क्षेत्रों के जमा राजस्व दर्ज होते थे, लेकिन लेखा रुपयों में नहीं, बल्कि दामों (कम मूल्य का एक सिक्का) में दिखाया जाता था।
16. मुगल बादशाह जो फुटकर घुड़सवार रखते थे, उन्हें क्या कहा जाता था? 
(a) वाहिनी 
(b) अहदी
(c) पदाति
(d) बख्शी
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगल बादशाह जो फुटकर घुड़सवार रखते थे, उन्हें 'अहदी' कहा जाता था। मुगलकालीन घुड़सवार मुगल सेना की प्रमुख वाहिनी थे और मनसबदार अधिक-से-अधिक घुड़सवार रखने का प्रयास करते थे।
अहदियों को 'भद्र घुड़सवार' की संज्ञा दी गई है और उनके वेतन दूसरे घुड़सवारों से काफी अधिक संख्या में होते थे। वे विश्वास पात्र सैन्य दल के सदस्य होते थे और उनकी नियुक्ति स्वयं सम्राट करते थे।
17. मुगल सेना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. शाहंशाह के शाही अंगरक्षकों को 'वालाशाही' कहा जाता था।
2. पैदल सैनिकों को 'पियादगान' कहा जाता था।
3. गुलाम अहदी के पद पर नियुक्त हो सकता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल सेना के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं । मुगलकाल में अहदियों के अतिरिक्त सम्राट एक शाही अंगरक्षकों का दल भी रखते थे, जो राजमहल के सशस्त्र पहरेदार होते थे, इन्हें 'वालाशाही' कहा जाता था। वे घुड़सवार होते थे, लेकिन नगर दुर्ग और राजमहल में पैदल कार्य करते थे।
मुगलकाल के दौरान पैदल सैनिकों की संख्या अधिक थी। वे कई हिस्सों में बँटे हुए थे। उनमें से बहुत से लोग बंदूकची थे और वे तीन से सात रुपये मासिक वेतन पाते थे। इन्हें 'पियादगान' कहा जाता था।
मुगलकाल के पैदल सैनिकों में भारवाहक, हरकारे, नौकर, तलवारबाज, पहलवान और गुलाम शामिल थे। इन्हें सभी सुख सुविधाएँ शाही परिवार या सम्राट के द्वारा दी जाती थीं, कभी-कभी इन गुलामों अहंदी का पद भी दिया जा सकता था।
18. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) शाहजहाँ के पास 200000 घुड़सवार थे।
(b) औरंगजेब के पास 240000 घुड़सवार थे।
(c) शाहजहाँ के पास पैदल सैनिकों की संख्या 40000 थी।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कोई भी कथन असत्य नहीं है। मुगलकालीन सेना की संख्या का निर्धारण नहीं किया जा सकता है, लेकिन एक अनुमान के तौर पर यह ज्ञात है कि शाहजहाँ के अधीन 200000 घुड़सवार कार्य करते थे, जिनमें जिलों में और फौजदारों के साथ कार्य करने वाले घुड़सवार शामिल नहीं थे, लेकिन औरंगजेब के काल में यह संख्या 240000 हो गई। शाहजहाँ के अधीन कार्यरत पैदल सैनिकों की संख्या 40000 बताई गई है, जिनमें गैर-लड़ाका वर्ग शामिल नहीं थे। अनुमानत: औरंगजेब के अधीन भी शाहजहाँ के समकक्ष ही पैदल सैनिक कार्यरत् थे।

मुगलकालीन सामाजिक व्यवस्था

1. मुगलकालीन सामाजिक व्यवस्था में सरदार वर्ग के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है? 
(a) अधिकतर मुगल सरदारों का मूल निवास तूरान का क्षेत्र था।
(b) जहाँगीर के काल में अफगानों को सरदार वर्ग में शामिल किया जाने लगा।
(c) अकबर के काल में हिंदुओं को सरदार वर्ग में शामिल किया गया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कोई भी कथन असत्य नहीं है। मुगलकालीन सामाजिक व्यवस्था में सरदार वर्ग मुख्यतः शासक वर्ग के थे। मुगल सरदारों को सामाजिक तथा आर्थिक दोनों ही दृष्टियों से विशेषाधिकार प्राप्त थे। इन आरंभिक मुगल सरदारों का निवास स्थान मुगलों के ही समान तूरान और उसके आस-पास के क्षेत्रों; जैसे-ताजकिस्तान, खुरासान व ईरान आदि में था।
बाबर और अकबर के काल में अफगान अमीरों का मुगलों के साथ संघर्ष निरंतर चलता रहा, लेकिन जहाँगीर के शासनकाल से ही अफगानों को भी सरदार वर्ग में स्थान दिया जाने लगा था।
अकबर के शासनकाल से हिंदुओं को भी सरदार वर्ग में नियमित रूप से शामिल किया जाने लगा और ऐसे सरदारों में सबसे अधिक संख्या राजपूतों की थी।
2. मुगलकालीन सामाजिक व्यवस्था में भारतीय मुसलमानों को क्या कहा जाता था? 
(a) शरीफजादा
(b) शेखजादा 
(c) काफिर
(d) मुतल्ला 
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगलकालीन सामाजिक व्यवस्था में भारतीय मुसलमानों को ‘शेखजादा' कहा जाता था। इन्हें 'हिंदुस्तानी' उपनाम से भी जाना जाता है। जहाँगीर के शासनकाल में इन शेखजादा को शाही सेवा में शामिल किया जाने लगा था।
3. निम्नलिखित में से कौन मुगल सरदार वर्ग के महत्त्वपूर्ण हिंदू सरदारों में शामिल नहीं था? 
(a) राजा टोडरमल
(b) राजा मानसिंह 
(c) राजा महेशदास
(d) राजा रतन सिंह 
उत्तर - (d)
व्याख्या- राजा रतन सिंह मुगल सरदार वर्ग के महत्त्वपूर्ण हिंदू सरदारों में शामिल नहीं था। अकबरकालीन राजपूतों में कछवाहों की प्रधानता थी | राजा मानसिंह और बीरबल अकबर के व्यक्तिगत मित्र थे। बीरबल को ही राजा महेशदास के नाम से भी जाना जाता है। भू-राजस्व व्यवस्था में राजा टोडरमल का प्रमुख स्थान था।
4. मुगलकालीन समाज में महिलाओं की भाँति पुरुषों द्वारा कान में कुंडल पहनने का प्रचलन किसने प्रारंभ करवाया?
(a) बाबर
(b) हुमायूँ
(c) जहाँगीर
(d) शाहजहाँ
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगलकालीन समाज में महिलाओं की भाँति पुरुषों द्वारा कान में कुंडल पहनने का प्रचलन जहाँगीर ने प्रारंभ करवाया था। इसके शासनकाल के दौरान आभूषण और हीरे-जवाहरात स्त्री-पुरुष दोनों पहनते थे। इस काल में आभूषणों को एक विशेष सीमा तक सुरक्षित संपत्ति माना जाता था।
5. मुगलकालीन समाज के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है? 
(a) जमींदार अपनी जमींदारी की सभी जमीन का 'स्वत्वाधिकारी' होता था।
(b) देशमुख, पारिल, नायक स्थानीय जमींदार के नाम थे ।
(c) सरदारों की तुलना में जमींदारों की आय सीमित थी।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगलकालीन समाज के संबंध में कथन (a) असत्य है, क्योंकि मुगलकालीन समाज में जमींदार अपनी जमींदारी की सभी जमीन का 'स्वत्वाधिकारी' नहीं होता था। मुगलकालीन समाज में भूमि का व्यक्तिगत स्वामित्व भारत में दीर्घकाल से प्रचलित था। इसकी पुष्टि अबुल फजल तथा अन्य समकालीन लेखकों की कृतियों से स्पष्ट होती है। इस काल में भूमि का स्वत्वाधिकार मुख्य रूप से उत्तराधिकार पर निर्भर था।
6. मुगलकालीन सामाजिक व्यवस्था में मध्य वर्ग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. बर्नियर के अनुसार भारत में कोई 'मध्य वर्ग' नहीं था ।
2. मध्य वर्ग का अर्थ व्यापारी और दुकानदार था ।
3. मुगलकालीन मध्य वर्ग का जीवन स्तर अमीरों और गरीबों के मध्य में होता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुगलकालीन सामाजिक व्यवस्था में मध्य वर्ग के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। मध्यकालीन भारत में 'मध्य वर्ग' के अस्तित्व को लेकर प्रसिद्ध विचारकों व लेखकों में स्पष्ट स्थिति का विवरण प्राप्त नहीं होता है। बर्नियर के अनुसार, भारत में मध्य वर्ग नहीं था, लेकिन उनका यह कथन तर्कसंगत प्राप्त नहीं होता।
मध्य वर्ग से तात्पर्य व्यापारियों और दुकानदारों से था। भारत में धनाढ्य व्यापारियों और वणिकों का एक बहुत बड़ा वर्ग था, जिनमें से कुछ तत्कालीन समय के समृद्ध व्यापारियों में से एक थे।
7. मुगलकालीन सामाजिक व्यवस्था के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) जमींदारों के ऊपर राजा होते थे।
(b) तुर्की लेखकों ने राजाओं को भी 'जमींदार' कहा है।
(c) जमींदारों, सरदारों और राजाओं की अपनी सशस्त्र सेनाएँ होती थीं।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगलकालीन सामाजिक व्यवस्था के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि मुगलकालीन सामाजिक व्यवस्था के अंतर्गत तुर्की लेखकों ने नहीं, बल्कि फारसी लेखकों ने राजाओं को 'जमींदार' कहा है।
मुगलकालीन व्यवस्था के अंतर्गत जमींदारों के ऊपर राजा होते थे, जिनका प्रभुत्व कभी छोटे तो कभी बड़े क्षेत्रों पर होता था और जिन्हें अलग-अलग सीमाओं तक आंतरिक स्वशासनाधिकार प्राप्त था । तत्कालीन समाज में जमींदारों, सरदारों और राजाओं की अपनी सशस्त्र सेनाएँ होती थीं और वे गढ़ियों (छोटे किले) में निवास करते थे।
8. पूर्व मध्यकाल में हिंदू राजाओं द्वारा किए गए भूमिदानों को क्या कहा जाता था? 
(a) शासन 
(b) जागीर
(c) वतन जागीर
(d) खिल्लत
उत्तर - (a)
व्याख्या- पूर्व मध्यकाल में हिंदू राजाओं द्वारा दिए गए भूमिदानों को 'शासन' कहा जाता था।
इस काल में विद्वानों, उलेमाओं आदि सहित अन्य पेशेवर लोगों को थोड़ी बहुत जमीन दान में दी जाती थी और ऐसी भूमियों के लिए मुगल शब्दावली में ‘मदद-ए-मआश’ और राजस्थान में शासन शब्द प्रयुक्त होता था। मुगल सम्राटों के अतिरिक्त छोटे शासक, जमींदार और सरदार भी ऐसे दान दिया करते थे।

मुगलकालीन आर्थिक व्यवस्था

1. मुगलकालीन कृषि के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. चावल, मोटे अनाज और दालें लोगों के मुख्य आहार थे।
2. बंगाल के तटवर्ती प्रदेशों में लोग खाने में मांस का प्रयोग करते थे।
3. नमक और शक्कर अधिक खर्चीले थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगलकालीन कृषि के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं । मुगलकालीन ग्रामीण जीवन के अंतर्गत लोगों के मुख्य आहार में चावल, मोटे अनाज और विभिन्न प्रकार की दालें शामिल थीं, इन्हें 'पैलसर्ट' कहा जाता था। उत्तर भारत में गेहूँ या मोटे अनाज से बनी रोटियाँ, दाल तथा हरी सब्जियाँ लोगों का आम भोजन होता था। इस काल में नमक और शक्कर अधिक खर्चीले थे।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि बंगाल में और तटवर्ती प्रदेशों में लोग मछली को भोजन के रूप में में ग्रहण करते थे न कि मांस को, जबकि मांस का सेवन दक्षिण तथा प्रायद्वीपीय प्रदेश के लोगों द्वारा किया जाता था।
2. मुगलकालीन हुंडियों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यक एक साख - पत्र होता था।
(b) इसका भुगतान किसी निश्चित समय के बाद छूट के साथ किया जाता था।
(c) हुंडी में बीमे की राशि शामिल नहीं होती थी।
(d) सर्राफ हुंडियों के कारोबार के विशेषज्ञ थे।
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगलकालीन हुंडियों के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि मुगलकालीन आर्थिक गतिविधियों के अंतर्गत हुंडी का एक महत्त्वपूर्ण स्थान था, इन हुंडियों में बीमे की राशि शामिल होती थी। हुंडी एक साख-पत्र होती थी, जिसका भुगतान किसी निश्चित समय के बाद छूट के साथ किया जाता था। यह मुद्रा को देश के एक भाग से दूसरे भाग में ले जाने हेतु संचालित एक वित्तीय प्रणाली थी, जिससे वस्तुओं के संचालन में सहायता मिलती थी।
3. निम्नलिखित में किस शासक के काल में व्यापारियों की संपत्ति की रक्षा के लिए कई कानून बनाए गए थे?
(a) हुमायूँ 
(b) शेरशाह सूरी
(c) इस्लाम सूरी
(d) अकबर 
उत्तर - (b)
व्याख्या- शेरशाह सूरी के शासनकाल में सम्राटों द्वारा व्यापारियों की संपत्ति की रक्षा हेतु कई कानून बनाए गए। इसके पश्चात् जहाँगीर ने भी व्यापारियों की संपत्ति की रक्षा हेतु कानून बनाए।
उसके द्वारा बनाए गए कानून की एक धारा में यह लिखित है कि यदि किसी भी व्यापारी की मृत्यु हो जाए, तो उसकी संपत्ति उसके उत्तराधिकारी को सौंपी जाएगी और यदि उसका वारिस नहीं है, तो उसकी संपत्ति की रक्षा के लिए निरीक्षक और पहरेदार नियुक्त किए जाएँगे।
4. मुगलकाल के वाणिज्य व्यापार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. मुगल शासक उच्च शुद्धता के चाँदी के सिक्के ढलवाते थे।
2. जब्ती प्रणाली के अंतर्गत भू-राजस्व का निर्धारण नकदी तौर पर किया जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगलकाल के वाणिज्य व्यापार के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं ।
सत्रहवीं सदी में वाणिज्य व्यापार के विकास में मुगलकालीन शासन व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण स्थान था। मुगल शासक उच्च शुद्धता के चाँदी के सिक्के ढलवाते थे तथा ये सिक्के भारत में और भारत से बाहर भी मानक मुद्रा के रूप में प्रचलित हुए, जिनसे व्यापार में सहायता मिलती थी ।
मुगलकालीन अर्थव्यवस्था के अंतर्गत जब्ती प्रणाली के अंतर्गत भू-राजस्व का निर्धारण नकदी तौर पर किया जाता था और उसकी नकद अदायगी भी अपेक्षित थी। इसके अंतर्गत किसान को भू-राजस्व निर्धारण के वैकल्पिक तरीकों का चुनाव करने की सुविधा प्रदान की जाती थी; जैसे-फसल का बँटवारा और राज्य के हिस्से को व्यापारियों के द्वारा गाँवों में ही बेच दिया जाता था।

मुगलकालीन कला एवं संस्कृति

1. मुगल स्थापत्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मुगलों ने जलस्रोतों से युक्त सुनियोजित बगीचे लगवाए ।
2. बाबर ने आगरा और लाहौर में बगीचे लगवाए थे।
3. मुगलों के राजमहलों और प्रमोद-स्थलों में प्रवाहयुक्त जलस्रोतों की व्यवस्था होती थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुगल स्थापत्य के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
मुगल काल के दौरान भारत में हुए सांस्कृतिक विकास के कारण मुगलकाल को गुप्तकाल के बाद भारत का दूसरा स्वर्णयुग कहा जाता है। मुगल स्थापत्य के अंतर्गत किले, राजमहलों, मस्जिदों, दरवाजों आदि का निर्माण करवाया गया। यह स्थापत्य इंडो-इस्लामिक शैली (भारतीय- तुर्की-ईरानी शैली का मिश्रण) से बनाई गई थी।
इन स्थापत्य स्थलों पर जलस्रोतों से युक्त चार बाग पद्धति से बगीचे लगाए जाते थे। साथ ही इन स्थलों पर प्रवाहयुक्त जलस्रोतों की व्यवस्था होती थी, बाबर बगीचों का शौकीन था अतः उसने आगरा एवं लाहौर में बगीचे लगवाए थे।
2. निम्नलिखित में से कौन मुगलों के द्वारा लगवाए गए बाग के उत्कृष्ट उदाहरण हैं?
(a) निशांत बाग 
(b) शालीमार बाग
(c) पिंजोर बाग
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुगल शासकों द्वारा देश के अनेक भागों में बाग स्थापित किए गए। इनमें से कुछ प्रमुख हैं- कश्मीर का निशांत बाग, लाहौर का शालीमार बाग, पंजाब का पिंजोर बाग आदि। निशांत बाग का निर्माण आसिफ खाँ के द्वारा 1633 ई. में किया गया था, आसिफ खाँ नूरजहाँ का भाई था। शालीमार बाग शाहजहाँ के द्वारा बनवाया गया था और पिंजोर बाग 1760 ई. में पंजाब के मुगल सूबेदार फिदाई खान ने बनवाया था।
3. शेरशाह ने अपने जीवनकाल में अपना मकबरा निम्नलिखित में से कहाँ बनवाया था ? 
(a) सासाराम (बिहार) 
(b) पुराना किला (दिल्ली)
(c) लाल किला (आगरा)
(d) आराम बाग (लाहौर)
उत्तर - (a)
व्याख्या- शेरशाह का मकबरा बिहार के सासाराम में स्थित है। इसका निर्माण शेरशाह द्वारा 1545 ई. में जीवित रहते हुए करवाया गया था। यह इंडो-इस्लामिक वास्तुकला के अंतर्गत निर्मित किया गया है। इसका डिजाइन अलावाल खान द्वारा तैयार किया गया। यह लाल बलुआ पत्थर से बना है। यह एक झील के मध्य में स्थित है। इसे 'भारत का दूसरा ताजमहल' कहा जाता है।
4. अकबर द्वारा स्थापित स्थापत्य कला के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने आगरा का किला बनवाया था।
2. आगरा का किला संगमरमर का बना हुआ है।
3. फतेहपुर सीकरी में एक राजमहल सह - किले का निर्माण अकबर ने करवाया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- अकबर द्वारा स्थापित स्थापत्य कला के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं।
आगरा के किले का निर्माण अकबर द्वारा 1573 ई. में करवाया गया। यह किला 1638 ई. तक मुगल शासकों का मुख्य निवास स्थान होता था। वर्तमान में यह यूनेस्को विश्व विरासत सूची में शामिल है। आगरा से 36 किमी दूर फतेहपुर सीकरी नगर की स्थापना अकबर ने की थी। यहाँ अकबर ने एक राजमहल सह-किले का निर्माण करवाया।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि आगरा का किला संगमरमर का नहीं, बल्कि लाल बलुआ पत्थर से बना है।
5. 'बुलंद दरवाजा' के संबंध में निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यह फतेहपुर सीकरी में स्थित है।
(b) इसका निर्माण अकबर की गुजरात विजय के उपलक्ष्य में करवाया गया था।
(c) यह अर्द्धगुंबदीय शैली में बना हुआ है।
(d) यह तुर्की कला प्रभावित है।
उत्तर - (d)
व्याख्या- 'बुलंद दरवाजा' के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि यह तुर्की कला से नहीं, बल्कि ईरानी शैली से प्रभावित है। मुगल बादशाह अकबर ने बुलंद दरवाजे का निर्माण 1575 ई. गुजरात विजय के उपलक्ष्य में करवाया था, क्योंकि बुलंद दरवाजे का अर्थ है, जीत का दरवाजा। यह विश्व का सबसे ऊँचा दरवाजा है। यह अर्द्धगुंबदीय शैली में बना है।
6. मुगल काल में दीवारों को अर्द्ध मूल्यवान पत्थरों से बनी फूल-पत्तियों की आकृतियों से सजाने का चलन क्या कहलाता था?
(a) मेहराब
(b) प्येत्रा-यूरा
(c) इंडो-इस्लामिक शैली
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- जहाँगीर के शासनकाल के अंतिम वर्षों में केवल संगमरमर की इमारतें बनाने और उसकी दीवारों पर अर्द्ध मूल्यवान पत्थरों से बनी फूल-पत्तियों की आकृतियों से सजाने का चलन प्रारंभ हुआ, जिसे प्येत्रा-यूरा कहते हैं। नूरजहाँ द्वारा निर्मित अपने पिता इतमादुउद्दौला के मकबरे (आगरा) में सर्वप्रथम प्येत्रा-यूरा का प्रयोग किया गया।
7. हुमायूँ के मकबरे के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) यह ताजमहल का पूर्वसूचक माना जाता है।
(b) दोहरे गुंबद का प्रयोग इसकी मुख्य विशेषता है।
(c) इसका निर्माण हुमायूँ के जीवनकाल में हुआ था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- हुमायूँ के मकबरे के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि हुमायूँ के मकबरे का निर्माण हुमायूँ की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी हाजी बेगम के द्वारा 1558 ई. में करवाया गया। इसका डिजाइन मिराक मिर्जा गयास ने तैयार किया था। यह लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है। इसे वर्ष 1993 में यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल में शामिल किया गया।
8. शाहजहाँ के शासनकाल की स्थापत्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। 
1. इसके शासनकाल में मस्जिद निर्माण अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच गया।
2. आगरा के किले की मोती मस्जिद लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है।
3. दिल्ली की जामा मस्जिद की मुख्य विशेषता विशालकाय दरवाजा तथा ऊँची पतली मीनारें हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- शाहजहाँ के शासनकाल की स्थापत्य के संबंध में कथन ( 1 ) और (3) सत्य हैं ।
मुगल शासक शाहजहाँ का शासनकाल अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इसके द्वारा ही आगरा में प्रसिद्ध ताजमहल का निर्माण करवाया गया। इसके शासनकाल में मस्जिदों का निर्माण अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच गया था। दिल्ली की जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ ने 1656 ई. में करवाया था। यह लाल बलुआ पत्थर से बनी हुई है। इसका विशाल दरवाजा, ऊँची मीनार, गुंबदें इसके मुख्य आकर्षक हैं।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि आगरा की मोती मस्जिद संगमरमर से बनी है।
9. मुगलों ने चित्रकारी में किन नए विषयों को समावेशित किया?
(a) दरबार की चित्रकारी
(b) शिकार की चित्रकारी 
(c) युद्ध की चित्रकारी
(d) ये सभी 
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुगल चित्रकारी के विषयों के संबंध में दिए गए उपर्युक्त सभी विषयों को शामिल किया गया था। चित्रकला के क्षेत्र में मुगलों का योगदान विशिष्ट था, , उन्होंने चित्रकारी में अनेक नए विषयों; जैसे- दरबार, युद्ध तथा शिकार के दृश्यों को शामिल किया। उन्होंने चित्रकला में नए रंगों तथा नई शैलियों का प्रयोग आरंभ किया।
10. मुगल चित्रकारों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. जसवंत और दसावन हुमायूँ के दरबार के दो प्रसिद्ध चित्रकार थे।
2. अब्दुस समद बाबर के दरबार को सुशोभित करता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुगल चित्रकारों के संबंध में दिए गए दोनों कथन असत्य हैं, क्योंकि जसवंत और दसावन अकबर के दरबार के प्रसिद्ध चित्रकार थे। अकबर द्वारा स्थापित चित्रकला हेतु कारखाने में देश के विभिन्न भागों से बहुत सारे चित्रकारों को शामिल किया गया था, जिससे हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म के चित्रकारों को स्थान दिया गया।
अब्दुस समद हुमायूँ के दरबार का चित्रकार था, जिसे हुमायूँ ईरान से अपने साथ लाया था। इसका एक प्रसिद्ध चित्रकला संग्रह 'हमजानामा' है।
11. मुगलकला की चित्रकारी में निम्नलिखित में किन विषयों पर चित्र बनाए गए ? 
(a) फारसी कथाओं के चित्र
(b) महाभारत के चित्र
(c) अकबरनामा के चित्र
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुगलकला की चित्रकारी में उपर्युक्त सभी विषयों पर चित्र बनाए गए। अकबर के द्वारा स्थापित कारखाने में नियुक्त चित्रकारों को विभिन्न विषयों पर चित्र बनाने का कार्य सौंपा गया। इन्हें फारसी कथाओं को चित्रित करने के अतिरिक्त महाभारत के फारसी अनुवाद, ऐतिहासिक रचना अकबरनामा व अन्य पुस्तकों को भी चित्रों से सजाने का कार्य सौंपा गया। इस प्रकार चित्रकारों के लिए भारतीय जीवन से जुड़े प्रसंग तथा प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण चित्रकारी के प्रधान विषय बन गए।
12. मुगल चित्रकला के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. भारतीय रंगों का, जैसे मयूरी नीले का अधिक उपयोग किया जाने लगा।
2. फारसी शैली के सपाटपन का स्थान भारतीय कूँची की गोलाई ने ले लिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल चित्रकला के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं।
अकबर द्वारा ईरान से आए चित्रकार 'मीर सईद अली' और 'अब्दुस समद के नेतृत्व में कारखाना स्थापित किया गया था, जिस कारण से चित्रकला पर प्रारंभ में फारसी प्रभाव अधिक था, परंतु बाद में जब अकबर ने भारतीय चित्रकारों को बड़ी संख्या में नियुक्त किया, तो चित्रकला पर फारसी प्रभाव लगभग समाप्त हो गया।
अब चित्रकला के लिए भारतीय रंगों (मयूरी, नीले रंग) तथा भारतीय सामानों का अधिक प्रयोग होने लगा। साथ ही अब फारसी शैली के सपाटपन के स्थान पर भारतीय कूँची की गोलाई का प्रयोग किया जाने लगा।
13. निम्नलिखित में से किस बादशाह के काल में मनुष्य की एकल आकृतियों और पशुओं की आकृतियों के चित्रण में विशेष प्रगति हुई? 
(a) अकबर 
(b) जहाँगीर
(c) शाहजहाँ
(d) औरंगजेब
उत्तर - (b)
व्याख्या- जहाँगीर के शासनकाल में शिकार, लड़ाई और दरबार के दृश्यों के अतिरिक्त मनुष्य की एकल आकृतियों और पशुओं के चित्रण में विशेष प्रगति हुई। मुगल शासक जहाँगीर के समय मुगल चित्रकला अपनी पराकाष्ठा पर पहुँची। इसके शासनकाल के प्रसिद्ध चित्रकार उस्ताद मंसूर और अबुल हसन थे।
14. मुगल दरबार की राजकीय भाषा निम्नलिखित में से कौन-सी थी ?
(a) तुर्की 
(b) फारसी
(c) उर्दू
(d) हिंदवी
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगल दरबार की राजकीय भाषा फारसी थी। अकबर के शासनकाल में फारसी कविता और गद्य रचनाएँ अपने चरम पर पहुँचीं, इसके लिए अकबर ने फैजी के नेतृत्व में एक अनुवाद विभाग की स्थापना की, जहाँ प्रमुख भारतीय ग्रंथों का फारसी में अनुवाद किया जाता था।
15. मुगलकालीन लेखकों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उत्बी और नजीरी फारसी कवि थे।
(b) अलाउल ने बांग्ला में कविताएँ लिखीं।
(c) मलिक मुहम्मद जायसी ने हिंदी में पद्मावत लिखी।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुगलकालीन लेखकों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। 'उत्बी तथा नजीरी' अकबर के दरबार के प्रमुख फारसी कवि थे। इनका जन्म फारस में हुआ था तथापि इन्होंने मुगल दरबार व साम्राज्य में फारसी के प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
अकबर के शासनकाल में स्थानीय भाषाओं में भी साहित्य की रचना हुई। उदाहरण के लिए अलाउल ने बांग्ला में कविताएँ लिखीं तथा सूफी संत मलिक मोहम्मद जायसी ने हिंदी में पद्मावत की रचना की, जिसमें अलाउद्दीन के चित्तौड़ पर आक्रमण का वर्णन मिलता है।
16. निम्नलिखित में से कौन-सा लेखक अकबर के समकालीन था? 
(a) मलिक मुहम्मद जायसी
(b) गोस्वामी तुलसीदास
(c) अमरी खुसरो
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगल शासक अकबर (1542-1605 ई.) के समकालीन लेखक गोस्वामी तुलसीदास (1532-1623 ई.) थे। गोस्वामी तुलसीदास राम भक्त थे, उन्होंने अवधी भाषा में 'रामचरितमानस' की रचना की।
17. मुगलकालीन संगीत के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. अकबर चित्तौड़ के प्रसिद्ध गायक तानसेन का संरक्षक था।
2. औरंगजेब ने अपने दरबार से गायन को बंद करवा दिया, लेकिन वाद्ययंत्रों के वादनों को नहीं।
3. मुहम्मद शाह के काल में संगीत का उत्थान हुआ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगलकालीन संगीत के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं। मुगलकाल में संगीत की सर्वाधिक प्रगति अकबर के शासनकाल में हुई। जहाँगीर और शाहजहाँ ने भी इसमें अकबर का अनुकरण किया। हालाँकि रूढ़िवादी औरंगजेब ने अपने दरबार में गायन को बंद करवा दिया, जबकि वाद्ययंत्रों का वादन प्रचलित था। औरंगजेब स्वयं एक अच्छा वीणावादक था, हालाँकि औरंगजेब के शासनकाल का अंत होने के उपरांत मुहम्मद शाह के शासनकाल में दरबारी संगीत पुनर्जीवित हुआ।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि अकबर ने ग्वालियर के प्रसिद्ध गायक तानसेन को संरक्षण प्रदान किया था।
18. भारतीय शास्त्रीय संगीत पर फारसी में सबसे अधिक पुस्तकों की रचना किसके शासनकाल में हुई थी ?
(a) जहाँगीर
(b) शाहजहाँ
(c) औरंगजेब
(d) बहादुरशाह जफ़र
उत्तर - (c)
व्याख्या- भारतीय शास्त्रीय संगीत पर फारसी में सबसे अधिक रचना औरंगजेब के ही शासनकाल में हुई। औरंगजेब के शासनकाल में फकीरूल्लाह ने ‘मान कुतुहल' का फारसी भाषा में अनुवाद 'राग दर्पण' के नाम से किया तथा इस पुस्तक को उसने औरंगजेब को समर्पित किया। मिर्जा रोशन जमीन ने अहोवल रचित 'संगीत परिजात' का अनुवाद फारसी में किया।
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Fri, 09 Feb 2024 06:36:24 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | भक्ति और सूफी आंदोलन https://m.jaankarirakho.com/874 https://m.jaankarirakho.com/874 NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | भक्ति और सूफी आंदोलन

भक्ति आंदोलन

1. भक्ति आंदोलन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) शिव, विष्णु तथा दुर्गा को परम देवी-देवताओं के रूप में मान्यता मिली।
(b) स्थानीय मिथक तथा किस्से पौराणिक कथाओं के अंग बन गए।
(c) बौद्ध और जैनों ने भी भक्ति की अवधारणा को अपनाया।
(d) भक्ति आंदोलन पर इस्लाम का गहरा प्रभाव था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- भक्ति आंदोलन के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि भक्ति आंदोलन पर इस्लाम का प्रभाव नहीं था। इसके आरंभ होने के बाद पश्चिमोत्तर में इस्लाम का आगमन हुआ था। भारत में 8वीं सदी में भक्ति आंदोलन प्रारंभ हुआ, जिसके प्रभाव स्वरूप शिव, विष्णु तथा दुर्गा को परम देवी-देवताओं के रूप में मान्यता मिली। ऐसी विचारधारा का प्रसार हुआ कि परमेश्वर मनुष्य को सभी बंधनों से मुक्त कर सकता है।
लोगों ने भजन, कीर्तन, नृत्य-संगीत जैसे कृत्यों के द्वारा ईश्वर के प्रति अपनी भावना प्रकट की। इतना ही नहीं भक्ति आंदोलन के इस माध्यम को बौद्ध तथा जैन मतावलंबियों ने भी अपनाया। भक्ति आंदोलन के दौरान देवी-देवताओं से संबंधित अनेक स्थानीय कथाएँ व कहानियाँ बन गईं ।
2. भक्ति आंदोलन के उद्भव के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. भक्ति आंदोलन का उद्भव दक्षिण भारत में हुआ।
2. शैव परंपरा को अपनाने वाले नयनार कहलाए।
3. वैष्णव परंपरा को मानने वाले अलवार कहे गए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- भक्ति आंदोलन के उद्भव के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं ।
भक्ति आंदोलन का विकास सगुण ईश्वर की भक्ति के लिए दक्षिण भारत में 7वीं से 12वीं सदी के मध्य हुआ। दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन का विकास व प्रसार अलवार और नयनार संतों के द्वारा किया गया। नयनार संत शिव के उपासक थे, उन्होंने शैव परंपरा को अपनाया, जबकि अलवार संत भगवान विष्णु के उपासक थे, उन्होंने वैष्णव परंपरा को अपनाया। दोनों ने ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत भक्ति और मोक्ष के मार्ग का उपदेश दिया।
3. भक्ति आंदोलन के विकास के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है ?
(a) दक्षिण भारत में भक्ति का प्रसार स्थानीय भाषा में प्रचलित हुआ।
(b) उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन का प्रसार स्थानीय भाषा में हुआ।
(c) दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन ने जाति व्यवस्था को अस्वीकार कर दिया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- भक्ति आंदोलन के विकास के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है । उत्तर भारत में स्थानीय भाषाओं में भक्ति आंदोलन का व्यापक प्रसार नहीं हुआ, क्योंकि इन क्षेत्रों में संस्कृत भाषा की प्रधानता थी। दक्षिणी भारत के क्षेत्रों में अलवार और नयनार संतों ने भक्ति आंदोलन के संदेश के प्रसार में स्थानीय भाषाओं; जैसे- तेलुगू तमिल कन्नड़ आदि का प्रयोग किया, जो अत्यधिक सहायक बनीं।
4. महाराष्ट्र में हुए भक्ति आंदोलन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) यह विट्ठल स्वामी के गुणगान पर आधारित था।
(b) विट्ठल शिव के रूप माने जाते हैं।
(c) यहाँ सभी प्रकार के कर्मकांडों का विरोध किया गया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- महाराष्ट्र में हुए भक्ति आंदोलन के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है। महाराष्ट्र के भक्ति संत भगवान विट्ठल के उपासक थे। भगवान विट्ठल, भगवान विष्णु का एक रूप माने जाते हैं। भगवान विट्ठल के अराधको ने वारकरी संप्रदाय को जन्म दिया। ज्ञानेश्वर, तुकाराम, नामदेव, एकनाथ आदि महाराष्ट्र के महान भक्ति संत हुए। इन सभी संतों ने विद्यमान सभी प्रकार के कर्मकांडों, सामाजिक भेदभाव, ऊँच-नीच का विरोध किया।
5. सखुबाई नामक स्त्री संत का संबंध निम्नलिखित में से किस क्षेत्र से था?
(a) कर्नाटक
(b) आंध्र प्रदेश
(c) महाराष्ट्र
(d) राजस्थान
उत्तर - (c)
व्याख्या- सखुबाई महाराष्ट्र की एक महान स्त्री संत थीं। इनका संबंध वारकरी संप्रदाय से था । वारकरी संप्रदाय भगवान विट्ठल को अपना आराध्य मानते थे। सखुबाई जैसी स्त्री संत की उपस्थिति भारत में भक्ति आंदोलन में महिलाओं की सक्रिय व महत्त्वपूर्ण भूमिका को इंगित करती है।
6. महाराष्ट्र के भक्ति आंदोलन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इन्होंने पवित्रता के आडंबरों का विरोध किया।
2. इन्होंने जन्म आधारित सामाजिक अंतर का समर्थन किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- महाराष्ट्र के भक्ति आंदोलन के संबंध में कथन (a) सत्य है । महाराष्ट्र के भक्ति आंदोलन के संतों ने सभी प्रकार के कर्मकांडों, पवित्रता के आडंबरों और जन्म पर आधारित सामाजिक अंतरों का विरोध किया। इन संतों ने अपने अनुयायियों को सामान्य व्यक्तियों की भाँति रोजी-रोटी कमाते हुए परिवार के साथ रहने और विनम्रतापूर्वक जरूरतमंद व्यक्तियों की सेवा करने की शिक्षा दी। इन्होंने इस बात पर अत्यधिक बल दिया कि असली भक्ति दूसरों के दुःखों को बाँटने में है।

प्रमुख संत

1. नामदेव के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन का श्रेय नामदेव को दिया जाता है।
2. उनका जीवन काल चौदहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- नामदेव के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। संत नामदेव महाराष्ट्र के एक प्रमुख भक्ति संत थे, उन्होंने ही उत्तर भारत सहित महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन की शुरुआत की और इसके लिए उन्होंने वारकरी संप्रदाय का आरंभ किया, जिस कारण संत नामदेव को महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन का श्रेय दिया।
संत नामदेव ने भगवान विट्ठल से संबंधित अनेक भक्ति गीतों (अभंग) की रचना मराठी भाषा में की। नामदेव पेशे से दर्जी थे, वे संत बनने से पहले लुटेरे का जीवन व्यतीत कर रहे थे। संत नामदेव का जीवनकाल 14वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में था।
2. रामानंद के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इनका जीवनकाल चौदहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में था।
(b) इनका जन्म बनारस में हुआ था।
(c) ये रामानुज के अनुगामी थे। 
(d) इन्होंने विष्णु के स्थान पर राम की उपासना की।
उत्तर - (b)
व्याख्या- संत रामानंद के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है। संत रामानंद उत्तर भारत के एक महान भक्ति संत थे। इनका जन्म प्रयाग हुआ था। इन्हें भक्ति आंदोलन के विचारों को दक्षिण भारत से उत्तर भारत में लाने का श्रेय दिया जाता है।
3. निम्नलिखित में से कौन-सा एक रामानंद का शिष्य नहीं था ?
(a) रविदास 
(b) मीराबाई
(c) कबीर
(d) सेना
उत्तर - (b)
व्याख्या- मीराबाई रामानंद की शिष्य नहीं थी, क्योंकि मीराबाई के गुरु रविदास थे । उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन के प्रवर्तक संत रामानंद ने समाज के सभी वर्गों के लोगों को अपना भक्ति संदेश व उपदेश दिया। उन्होंने समाज के सभी वर्गों, जिनमें निम्न जाति के लोग भी सम्मिलित थे, उन्हें अपना शिष्य बनाया। उनके शिष्यों में कबीर - जुलाहा जाति से, रविदास - चमार जाति से व सेना- एक नाई जाति से थे।
4. निम्नलिखित में से कौन-सी नाथपंथ आंदोलन की विशेषता नहीं थी? 
(a) जाति प्रथा का विरोध 
(b) ब्राह्मण श्रेष्ठता को चुनौती
(c) वर्णव्यवस्था का समर्थन
(d) समानता का भाव
उत्तर - (c)
व्याख्या- नाथपंथी आंदोलन उत्तर भारत की नीची कही जाने वाली जातियों में बहुत लोकप्रिय था। इसने सामाजिक वर्ण व्यवस्था की तीव्र आलोचना का विरोध किया। इन्होंने निराकार परम सत्य का चिंतन-मनन एवं उनके साथ एकाकार हो जाने की अनुभूति को मोक्ष का मार्ग बताया।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. 'बीजक' संत दादू के उपदेशों का संकलन है।
2. पुष्टिमार्ग के दर्शन को मध्वाचार्य ने प्रतिपादित किया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य नहीं हैं। 'बीजक' संत कबीर की रचना है, जिसमें उनकी साखियों का संग्रह मिलता है। पुष्टिमार्ग, भक्ति की एक धारा है जिसका प्रवर्तन वल्लभाचार्य ने किया है।
6. संत कबीर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इन्होंने ईश्वर के एकत्व पर बल दिया।
2. इन्होंने तीर्थ, व्रत, गंगा स्नान, अजान आदि का विरोध किया।
3. ये संत जीवन जीने के लिए गृहस्थ जीवन के त्याग को आवश्यक मानते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- संत कबीर के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। संत कबीर एक महान भक्ति संत थे। इन्होंने अपने संदेशों के माध्यम से सभी धर्मों के ईश्वर के संबंध में ईश्वर के एकत्व पर बल दिया। इन्होंने ईश्वर को अनेक नामों जैसे- राम, हरि, गोविंद, अल्ला, साईं, साहिब आदि नामों से संबोधित किया। कबीर ने जाति प्रथा, अस्पृश्यता, मूर्ति पूजा, तीर्थ यात्रा, गंगा स्नान का विरोध किया। इन्होंने मनुष्य की मूलभूत एकता तथा सभी धर्मों में प्रेम की शिक्षा पर बल दिया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि कबीर संत जीवन जीने के लिए गृहस्थ जीवन के त्याग को आवश्यक नहीं मानते थे।
7. सिख धर्म की शिक्षाओं के स्रोत गुरु नानक का जन्म 1489 ई. में कहाँ हुआ था ?
(a) अमृतसर
(b) ननकाना 
(c) नाभा 
(d) नांदेड
उत्तर - (b) 
व्याख्या- सिख धर्म की शिक्षाओं के स्रोत गुरु नानक का जन्म 1489 ई. में रावी नदी के तट पर स्थित तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। अब यह स्थान ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है, जोकि पाकिस्तान में स्थित है और सिखों के लिए एक पवित्र स्थान है।
8. गुरु नानक के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उन्होंने फारसी में शिक्षा प्राप्त की थी।
(b) बचपन में वे बढ़ई के कार्य से जुड़े हुए थे |
(c) उनका जन्म खत्री परिवार में हुआ था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- गुरु नानक के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है। गुरु नानक के पिता लेखा कार्य से जुड़े हुए थे, जिसके कारण गुरु नानक भी बचपन में इन कार्यों में जुड़ गए, परंतु नानक की प्रवृत्ति अध्यात्म की ओर थी और उन्हें साधु संतों की संगति अधिक अच्छी लगती थी। कुछ समय पश्चात् जब उन्हें आध्यात्मिक अनुभूति की प्राप्ति हुई, तो उन्होंने संसार का त्याग कर दिया
9. सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक द्वारा स्थापित 'धर्मसाल' क्या था? 
(a) यात्रियों के लिए आराम गृह 
(b) धार्मिक भोजनालय
(c) पशु एवं पक्षियों के लिए पानी पीने का स्थान
(d) उपासना एवं धार्मिक कार्यों का स्थान
उत्तर - (d)
व्याख्या- गुरु नानक द्वारा उपासना और धार्मिक कार्यों के लिए जो स्थान नियुक्त किया गया, उसे 'धर्मसाल' कहा गया। आज इसी धर्मसाल को गुरुद्वारा कहा जाता है। सिख धर्म का केंद्रीय गुरुद्वारा हरमिंदर साहब है, जिसे स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, जो अमृतसर में है।
10. सिख धर्म से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. गुरु नानक के उत्तराधिकारी गुरु अंगद थे।
2. गुरु ग्रंथ साहिब की रचना गुरुमुखी लिपि में हुई है।
3. खालसा पंथ की पना गुरु गोविंद सिंह ने थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- सिख धर्म के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। गुरु नानक सिख धर्म के संस्थापक थे। उन्होंने अपने विचारों को प्रसारित करने व लोगों के मार्गदर्शन के लिए गुरु की आवश्यकता पर बल दिया और उन्होंने गुरु परंपरा की की। शुरुआत गुरुनानक ने अपनी मृत्यु से पूर्व अपने एक अनुयायी लहणा (गुरु अंगद) को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
गुरु अंगद ने गुरु नानक की रचनाओं का संग्रह गुरु ग्रंथ साहिब में किया, इस हेतु उन्होंने गुरुमुखी नामक एक नई लिपि का विकास किया।
मुगलों के शासनकाल में सिख अनुयायियों के प्रति काफी अत्याचार किया गया, जिस कारण सिखों की रक्षार्थ हेतु सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह ने 1699 ई. में खालसा पंथ की स्थापना की।
11. निम्नलिखित में से वे तीन शब्द कौन-से हैं, जिनका उपयोग गुरु नानक ने अपने उपदेशों के सार को व्यक्त करने के लिए किया था?
(a) नाम, दान, ध्यान
(b) नाम, दान, काम 
(c) नाम, दान, स्नान
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुरु नानक ने अपने उपदेशों का सार व्यक्त करने के लिए तीन शब्दों का प्रयोग किया, जो हैं नाम, दान और स्नान । नाम से उनका तात्पर्य, सही उपासना से था। दान का तात्पर्य दूसरों का हित करना और स्नान से तात्पर्य आचार-विचार की पवित्रता से था।
12. नानक तथा कबीर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. मुगल सम्राट जहाँगीर ने इन दोनों संतों की शिक्षाओं को आत्मसात किया।
2. कबीर के अनुयायी कबीरपंथी कहलाए तथा नानक के अनुयायी सिख ।
3. इनके विरोध में रूढ़िवादी तत्त्व पुराने धर्मों की रक्षा के लिए एकजुट हो गए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 2
(d) केवल 1
उत्तर - (b)
व्याख्या- नानक तथा कबीर के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं।
कबीर ने निर्गुण भक्ति का प्रसार किया और ईश्वर के एकत्व पर बल दिया। उनके अनुयायी कबीरपंथी कहलाए। कबीर की वाणी को बीजक नामक ग्रंथ में संकलित किया गया है। गुरुनानक ने सिख धर्म की स्थापना की और अपने विचारों के प्रसार के लिए गुरु परंपरा की शुरुआत की।
कबीर तथा नानक के द्वारा जब विभिन्न धर्मों में विद्यमान अनावश्यक कर्मकांडों, मूर्तिपूजा, तीर्थयात्रा का विरोध किया गया और उन्हें त्यागने का आग्रह लोगों से किया तो रूढ़िवादी तत्त्व पुराने धर्मों की रक्षा हेतु एकजुट हो गए।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि मुगल शासक जहाँगीर ने नानक और कबीर की शिक्षाओं को नहीं अपनाया, बल्कि सम्राट जहाँगीर ने सिख समुदाय को अपने लिए एक संभावित खतरा माना और उसने 1606 ई. में गुरु अर्जुन सिंह को मृत्युदंड दे दिया।
13. कबीर और नानक के नेतृत्व में चलने वाले असंप्रदायिक आंदोलन के अतिरिक्त उत्तर भारत में कौन-सा आंदोलन प्रारंभ हुआ?
(a) शिव चर्चा 
(b) वैष्णव आंदोलन
(c) निरंकारी आंदोलन
(d) वारकरी आंदोलन
उत्तर - (b)
व्याख्या- कबीर और नानक के नेतृत्व में चलने वाले असंप्रदायिक आंदोलन के अतिरिक्त उत्तर भारत में वैष्णव आंदोलन प्रारंभ हुआ।
उत्तर भारत में वैष्णव आंदोलन के अंतर्गत भगवान विष्णु के दो रूप-राम और कृष्ण की उपासना प्रारंभ हुई। विशेषतौर पर कृष्ण की बाल लीला, राधा के साथ प्रेमलीला आदि को केंद्रीय विषय बनाकर 15वीं - 16वीं शताब्दी में कवियों ने कई उत्कृष्ट काव्यों की रचना की। प्रेम, भक्ति, नृत्य, संगीत, संकीर्तन को उपासना का माध्यम बनाया गया। वैष्णव आंदोलन के प्रमुख संतों में चैतन्य, सूरदास, मीरा एवं नरसी मेहता महत्त्वपूर्ण थे।
14. महाप्रभु चैतन्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. आरंभिक सूफियों की भाँति चैतन्य ने संगीत गोष्ठी को लोकप्रिय बनाया।
2. चैतन्य के अनुसार उपासना, प्रेम और भक्ति एवं नृत्य और संगीत में निहित थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- चैतन्य महाप्रभु के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। चैतन्य महाप्रभु का जन्म 1486 ई. में बंगाल के नदिया जिले में हुआ था। वे वैष्णव आंदोलन के एक महान संत थे। उन्होंने कृष्ण भक्ति पर बल दिया, उन्होंने कृष्ण भक्ति के माध्यम के रूप में ईश्वर के नाम का कीर्तन या संगीत गोष्ठी को लोकप्रिय बनाया। उन्होंने गोसाई संघ की स्थापना की। चैतन्य ने ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति एवं नृत्य और संगीत में ईश्वर की उपासना को निहित माना है। चैतन्य के अनुसार प्रेम और भक्ति के भाव में डूबा संगीत और नृत्य ईश्वर की उपस्थिति की अनुभूति कराता है।
15. संत कवियों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) वे हिंदू धर्म के वृहतर ढाँचे के अंदर रहे।
(b) उनका दार्शनिक विश्वास वेदांती ऐक्यवाद का रूप था।
(c) उन्होंने ईश्वर और उसकी दृष्टि की मूलभूत एकता पर बल दिया।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर - (d)
व्याख्या- संत कवियों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
भक्ति आंदोलन के संतों ने ईश्वर की उपासना की शिक्षा दी है, उन्होंने ईश्वर भक्ति को परमानंद व मोक्ष का मार्ग बताया है, जोकि हिंदू धर्म के सिद्धांतों को रेखांकित करते हैं। इन भक्ति संतों ने वेदों की महानता को स्वीकार किया है। उन्होंने वेदों की सर्वश्रेष्ठता को सर्वमान्य माना है, जो उनके वेदांती ऐक्यवाद का परिचायक है। भक्ति संतों ने ईश्वर की एकता पर बल दिया है। संत कबीर और गुरुनानक ऐक्यवाद तथा ईश्वरीय एकता के प्रखर समर्थक रहे हैं।
16. वीर शैव आंदोलन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह आंदोलन तमिल भक्ति आंदोलन और मंदिर पूजा की प्रतिक्रिया में प्रारंभ हुआ।
2. इस आंदोलन के माध्यम से सभी प्रकार के कर्मकांडों का विरोध किया गया।
3. यह आंदोलन सभी व्यक्तियों की समानता के प्रश्न में ब्राह्मणवादी विचारधारा के विरुद्ध था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3 
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- वीर शैव आंदोलन के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
वीर शैव आंदोलन बासवन्ना, अल्लामाप्रभु और अक्कमहादेवी के द्वारा दक्षिण भारत के क्षेत्रों में प्रारंभ किया गया। यह आंदोलन तमिल भक्ति आंदोलन और निम्न जातियों के मंदिरों में प्रवेश पर रोक की प्रतिक्रिया स्वरूप प्रारंभ हुआ। इसने सभी प्रकार के कर्मकांडों तथा मूर्तिपूजा का विरोध किया। इन्होंने समाज में जाति तथा लिंगात्मक समानता की वकालत की।
यह आंदोलन मुख्यतः कर्नाटक के क्षेत्रों में 12वीं शताब्दी में प्रारंभ हुआ। यह आंदोलन ब्राह्मणवादी विचारधारा का प्रबल विरोधी था।
17. भक्ति आंदोलन में संत कवियों द्वारा स्थापित 'जीवमात्र की एकता' का सिद्धांत अरबी में क्या कहलाया ? 
(a) तौहीद-ए-इलाही
(b) तौहीद-ए-वजूदी
(c) तौहीद - ए - नूरी
(d) नियाबत - ए - खुदाई
उत्तर - (b)
व्याख्या- भक्ति आंदोलन में संत कवियों द्वारा स्थापित 'जीवमात्र की एकता' का सिद्धांत अरबी में तौहीद-ए-वजूदी के नाम से विख्यात है। इस सिद्धांत के अनुसार सभी जीव तत्त्वतः एक हैं और सब कुछ एक ही परमतत्त्व की अभिव्यक्ति है। भक्ति संतों का यह सिद्धांत, मुस्लिम सूफी संतों के चिंतन का मुख्य आधार बना।
18. अब्दुल वहीद बेलग्रामी की किस पुस्तक में कृष्ण, मुरली, गोपी, राधा, यमुना आदि शब्दों के अर्थ मिलते हैं?
(a) पद्मावत वसी 
(b) तुफैल - ए - हिंदी
(c) हिंदवी - तौहीद
(d) हिकैक - ए - हिंदी
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्रसिद्ध सूफी विचारक अब्दुल वहीद बेलग्रामी ने हिंदी में हिकैक-ए-हिंदी नामक पुस्तक लिखी, जिसमें उन्होंने सूफी रहस्यवादी संदर्भ में कृष्ण, मुरली, गोपी, राधा, यमुना आदि शब्दों के अर्थ स्पष्ट करने की कोशिश की।
19. भक्ति आंदोलन से संबंधित साहित्य के विषय में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. महान शंकर के बाद रामानुज, मध्वाचार्य, वल्लभ ने अद्वैत दर्शन पर अपनी रचनाएँ संस्कृत में लिखीं।
2. कागज के चलन का लाभ उठाकर पुराने पाठों की नकलें तैयार की गईं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 1
(c) केवल
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- भक्ति आंदोलन से संबंधित साहित्य के विषय में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। भक्ति आंदोलन का प्रारंभ आठवीं सदी में माना जाता है, हालाँकि भक्ति संतों ने अपने संदेशों व उपदेशों के प्रसार के लिए स्थानीय भाषाओं का प्रयोग किया, परंतु अभी भी साहित्य लेखन की भाषा संस्कृत ही थी। अनेक भक्ति संतों व विचारकों; जैसे- शंकर, रामानुज, मध्वाचार्य, वल्लभ आदि ने अद्वैत दर्शन पर अपनी रचनाएँ संस्कृत में लिखीं।
इस समय कागज का अत्यधिक चलन था, जिसका लाभ उठाकर प्रसिद्ध भक्ति ग्रंथों; जैसे- रामायण, महाभारत आदि के पाठों की नकलें तैयार की गईं और इसके माध्यम से भी भक्ति संतों ने भक्ति आंदोलन की विचारधाराओं को प्रसारित किया।
20. भक्ति आंदोलन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस आंदोलन के समर्थक अधिकांश संत महात्मा, ब्राह्मण थे। 
2. इसके अनुसार और ईश्वर का संबंध प्रेमभाव पर आधारित है।
3. धार्मिक कर्मकांडों के करने की अपेक्षा भक्तिभाव से ईश्वर की उपासना करना अधिक श्रेष्ठ है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- भक्ति आंदोलन के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं।
भारत में भक्ति आंदोलन की शुरुआत दक्षिण भारत के क्षेत्रों में अलवार और नयनार संतों द्वारा की गई। इन संतों ने भजनों, गीतों के द्वारा भक्ति भावना का प्रसार किया। इन संतों ने यह बताया कि मनुष्य और ईश्वर का संबंध प्रेमभाव पर आधारित है। मनुष्य ईश्वर के प्रति प्रेममयी भाव से भक्ति कर ईश्वर की अनुभूति व परमानंद को प्राप्त कर सकता है। इन संतों ने सभी प्रकार के धार्मिक कर्मकांडों का विरोध किया, इन्होंने धार्मिक कर्मकांड की अपेक्षा भक्तिभाव को ईश्वर की उपासना के लिए श्रेष्ठ बताया।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि भक्ति आंदोलन नगरों में व्यापारियों, शिल्पकारों तथा गाँवों में किसानों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय था। इस आंदोलन के अधिकांश संत महात्मा अब्राह्मण थे।
21. निम्नलिखित में से किस संत ने गीता को मराठी भाषा में लिखा, जिससे जो लोग संस्कृत के विद्वान नहीं थे वे भी उसे समझ सके?
(a) तुकाराम
(b) एकनाथ 
(c) ज्ञानेश्वर
(d) नरसी मेहता 
उत्तर - (c)
व्याख्या- ज्ञानेश्वर ने मराठी भाषा में गीता पर टीकाएँ लिखीं, जिसे भावार्थ-दीपिका के नाम से जाना जाता है, यह पुस्तक उन लोगों के लिए थी, जो संस्कृत के विद्वान नहीं थे अर्थात् स्थानीय भाषी लोगों के मध्य भक्ति के विचारों को प्रसारित करने के लिए इसकी रचना की गई। ज्ञानेश्वर महाराष्ट्र के एक महान भक्ति संत थे। उन्हें महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन का अग्रदूत माना जाता है।
22. भक्ति आंदोलन में 'पंचककार' या पाँच कक्के का संबंध किस संप्रदाय से था ? 
(a) गोरखनाथ
(b) नाथपंथी
(c) सिख संप्रदाय
(d) कबीर पंथी
उत्तर - (c)
व्याख्या- भक्ति आंदोलन के 'पंचककार' का संबंध सिख संप्रदाय से है। सिख धर्म के लोग स्वयं को अन्य लोगों से अलग दिखाने के लिए पाँच विशेषताओं को धारण करते हैं, जिसे पंचककार या पाँच कक्के कहा जाता है। इनमें केश, कंघा, कड़ा, कृपाण और कच्छा शामिल हैं।
23. भक्ति परंपरा के वर्गों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. सगुण भक्ति में शिव, विष्णु तथा उनके अवतारों की आराधना की जाती थी।
2. निर्गुण भक्ति परंपरा में अमूर्त, निराकार ईश्वर की उपासना की जाती थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- भक्ति परंपरा के वर्गों के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं । इतिहासकारों ने भक्ति परंपरा को दो वर्गों में विभाजित किया है। एक, सगुण भक्ति और दूसरी, निर्गुण भक्ति | सगुण भक्ति के अंतर्गत ईश्वर के मूर्त रूप की आराधना की जाती है। इसके अंतर्गत शिव, विष्णु तथा उनके अवतारों की आराधना की जाती है। इसके प्रमुख भक्ति संतों में अलवार संत, नयनार संत, चैतन्य, मीरा आदि सम्मिलित हैं।
निर्गुण भक्ति के अंतर्गत भगवान के अमूर्त या निराकार रूप की आराधना की जाती है, इसके प्रमुख संतों में कबीर, नानक आदि सम्मिलित हैं।
24. 'नलयिरादिव्यप्रबंधम्' नामक तमिल वेद का संबंध निम्नलिखित में से किन संतों से है? 
(a) अलवार संत 
(b) नयनार संत
(c) वारकरी संत
(d) आदि संत
उत्तर - (a)
व्याख्या- तमिल वेद 'नलयिरादिव्यप्रबंधम्' का संबंध अलवार संतों से है। दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन की शुरुआत का श्रेय अलवार (विष्णु भक्त) और नयनार (शिव भक्त) संतों को जाता है। अलवार और नयनार संतों की रचना को वेद जितना महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाता है, इसलिए अलवार संतों के एक प्रमुख काव्य संकलन नलयिरादिव्यप्रबंधम् को तमिल वेद का दर्जा प्राप्त है।
25. बासवन्ना ( 1106-68 ई.) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने महाराष्ट्र में वीर शैव परंपरा की शुरुआत की।
2. उसने पारंपरिक अनुष्ठानों की आलोचना प्रस्तुत की।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- बासवन्ना के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (2) सत्य है । बारहवीं शताब्दी में बासवन्ना ( 1106-68 ई.) ने कर्नाटक प्रांत में वीर शैव आंदोलन की शुरुआत की। बासवन्ना, कलचुरि के राजा का मंत्री और एक ब्राह्मण था। उसने ब्राह्मणवादी श्रेष्ठता तथा जातिप्रथा का विरोध करने के लिए इसकी शुरुआत की। इस आंदोलन के अंतर्गत उन्होंने कई सामाजिक उत्थान के कार्य; जैसे- बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह को प्रोत्साहित किया एवं धार्मिक कर्मकांडों का बहिष्कार किया।
26. लिंगायत समुदाय के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) ये शिव की आराधना लिंग के रूप में करते हैं।
(b) इस समुदाय के पुरुष स्कंध पर सोने के एक पिटारे में एक लघु लिंग को धारण करते हैं।
(c) जंगम अर्थात् यायावर भिक्षु लिंगायत से संबंधित थे।
(d) पुनर्जन्म के सिद्धांत पर उन्होंने प्रश्नवाचक चिह्न लगाया।
उत्तर - (b)
व्याख्या- लिंगायत संप्रदाय के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है।
बासवन्ना के द्वारा प्रारंभ किए गए वीर शैव आंदोलन का मुख्य उद्देश्य समाज में विद्यमान ब्राह्मणवादी श्रेष्ठता तथा जातिप्रथा का विरोध करना था, जिससे समाज के वे वर्ग, जिन्हें ब्राह्मणीय सामाजिक व्यवस्था में निम्न स्थान प्राप्त था, वे उसके अनुयायी बन गए। इनके अनुयायी को वीर शैव अर्थात् शिव के वीर कहा जाता था। ये लिंगायत अर्थात् इस समुदाय के पुरुष वाम स्कंध पर चाँदी के पिटारे में एक लघु लिंग धारण करते थे।
27. भक्तिमय राजकुमारी मीराबाई के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उनका विवाह सिसोदिया कुल में हुआ था। 
2. उन्होंने कृष्ण को अपना एकमात्र आराध्य स्वीकार किया।
3. उन्होंने सूरदास को अपना गुरु माना था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- भक्ति संत मीराबाई के संबंध में कथन (1) और ( 2 ) सत्य हैं। मीराबाई भक्ति परंपरा की एक प्रसिद्ध कवयित्री थीं। वह मारवाड़ की एक राजपूत राजकुमारी थीं, इनका विवाह इनकी इच्छा के विरुद्ध सिसोदिया कुल के राजकुमार से कर दिया गया।
इन्होंने विष्णु के अवतार कृष्ण को अपना आराध्य स्वीकार किया। कृष्ण के प्रेम में यह राजभवन से निकल कर एक परिब्राजिका संत बन गईं। कृष्ण के प्रति प्रेम भावना व्यक्त करने के लिए इन्होंने अनेक गीतों की रचना की।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि इनके गुरु सूरदास नहीं बल्कि संत रविदास थे।
28. पंद्रहवीं शताब्दी में भक्ति आंदोलन से जुड़ी हुई रचना 'कीर्तनघोष' के रचयिता कौन हैं? 
(a) राहुल देव
(b) शंकर देव
(c) विष्णु देव
(d) रैदास
उत्तर - (b)
व्याख्या- 'कीर्तनघोष' काव्य के रचयिता शंकर देव हैं। शंकरदेव असम के एक प्रसिद्ध वैष्णव संत थे। इनका जीवनकाल 15वीं शताब्दी का उत्तरार्द्ध माना जाता है। इनके उपदेशों को 'भगवती धर्म' कहा जाता है, क्योंकि यह भगवद्गीता पर आधारित हैं। इन्होंने अपने उपदेशों के प्रसार के लिए मठ या सत्र जैसे प्रार्थनागृह की स्थापना की और सत्रिया नामक नृत्य, जो एक शास्त्रीय नृत्य है, विकसित किया।
29. नयनार एवं अलवार संतों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) वे कुछ समृद्ध एवं शिक्षित जाति से संबंधित थे।
(b) इन संतों ने संगम साहित्य का अनुसरण किया।
(c) तेवरम् अलवार संतों से संबंधित नहीं है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- अलवार और नयनार संतों के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि समृद्ध एवं शिक्षित जाति से संबंधित नहीं है। आठवीं शताब्दी के दक्षिण भारत में अलवार और नयनार संतों द्वारा भक्ति आंदोलन की शुरुआत की गई। अलवार विष्णु के उपासक, तथा नयनार शिव के उपासक थे। अलवार संतों की संख्या 12 और नयनार संतों की संख्या 63 थी। ये संत सभी जातियों से थे, जिनमें पुलैया और पनार जैसी अस्पृश्य समझी जाने वाली जातियों के लोग भी शामिल थे।
30. निम्नलिखित दार्शनिक विचारधाराओं के संबंध में दिए गए कथनों पर विचार कीजिए 
1. शंकराचार्य ने द्वैतवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
2. रामानुजाचार्य ने अद्वैतवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- दार्शनिक विचारधाराओं के संबंध में दिए गए दोनों कथनों में से कोई भी कथन सत्य नहीं हैं।
शंकराचार्य ने अद्वैतवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया था, जिसके अनुसार जीवात्मा तथा परमात्मा, दोनों एक ही हैं। उन्होंने यह शिक्षा दी कि ब्रह्म ही एकमात्र सत्य है, जो निर्गुण तथा निराकार है।
रामानुजाचार्य ने विशिष्टाद्वैत वाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जिसके अनुसार आत्मा, परमात्मा से जुड़ने के बाद भी अपनी अलग सत्ता बनाए रखती है। इन्होंने मोक्ष प्राप्ति का उपाय विष्णु के प्रति अनन्य भक्ति को बताया।
31. गाँधी जी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तेने कहिए पीर पराई जाने रे' की रचना निम्नलिखित में से किसने की?
(a) नामदेव
(b) नरसी मेहता
(c) सखुबाई
(d) दिगंबर मेहता
उत्तर - (b)
व्याख्या- गाँधीजी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तेने कहिए' नामक प्रसिद्ध भजन की रचना नरसी मेहता ने की थी। नरसी मेहता गुजरात के एक महान वैष्णव संत थे। इन्होंने भगवान विष्णु की आराधना व उनकी भक्ति के उपदेशों को प्रसारित किया।

सूफी आंदोलन

1. 10वीं सदी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इस सदी में सूफीवाद का उदय हुआ।
2. इस सदी में अब्बासी खिलाफत के अवशेषों पर अरबों का उदय हुआ।
3. इस सदी में मुताजिल दर्शन का बोलबाला समाप्त हो गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- 10वीं सदी के घटनाक्रमों के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। 10वीं सदी में इस्लाम धर्म में सूफी आंदोलन या सूफीवाद का उदय हुआ। यह एक मुस्लिम रहस्यवादी आंदोलन था। इस आंदोलन ने ईश्वर तथा जीवात्मा को जोड़ने वाले तत्त्व के रूप में प्रेम पर बहुत अधिक बल दिया।
इसी सदी में मुताजिला या बुद्धिवादी दर्शन का बोलबाला समाप्त हो गया और कुरान तथा हदीस पर आधारित रूढ़िवादी विचारधाराओं का उदय हुआ। कथन (2) असत्य है, क्योंकि 10वीं सदी में अब्बासी खिलाफत के विघटन के उपरांत तुर्कों का उदय हुआ।
2. निम्नलिखित में से कौन महिला रहस्यवादिनी का प्रतिनिधित्व 8वीं सदी में करती है? 
(a) मंसूर - बिन - हल्लाज
(b) राबिया
(c) दुर्रानी
(d) अल-गज्जाली
उत्तर - (b)
व्याख्या- 8वीं सदी में मुस्लिम महिला रहस्यवादिनी का प्रतिनिधित्व राबिया ने किया। इसने मनुष्य तथा ईश्वर के मध्य संबंध स्थापित करने का एक मार्ग प्रेम को बताया। राबिया को अपने सर्वेश्वरवादी दृष्टिकोण के लिए रूढ़िवादियों के विरोध का भी सामना करना पड़ा।
3. " धर्म और अधर्म, दोनों उसी (ईश्वर) की ओर भागे जा रहे हैं, और ( एक साथ ) घोषणा कर रहे हैं, वह (ईश्वर) एक है और उसके राज्य में कोई हिस्सेदार नहीं है।" यह कथन किस कवि का है?
(a) फारसी कवि सनाई
(b) फारसी कवि हज्जाल
(c) तुर्की कवि तुर्मान
(d) उर्दू कवि राबिया
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्रसिद्ध फारसी कवि सनाई ने सूफी मत की मानवीय भावना को अभिव्यक्त करते हुए कहा था कि “धर्म और अधर्म दोनों उसी ईश्वर की ओर भागे जा रहे हैं और एक साथ यह घोषणा कर रहे हैं कि ईश्वर एक है और उसके राज्य में कोई हिस्सेदार नहीं है।"
4. सूफी सिलसिलों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) जो इस्लामी कानून का पालन करते थे, बा-शरा कहलाए ।
(b) जो शरा से बँधे हुए नहीं थे, वे बे-शरा कहलाए।
(c) बे-शरा सिलसिलों का अनुशासन घुमक्कड़ संत करते थे।
(d) बा-शरा भारत में प्रचलित नहीं था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- सूफी सिलसिलों के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि बा-शरा भारत में प्रचलित था। सूफी सिलसिलों में कुल 12 सिलसिले / पंथ प्रचलित थे। प्रत्येक सिलसिले का नेतृत्व एक प्रसिद्ध पीर के द्वारा किया जाता था। ये सिलसिले मुख्यतः दो प्रकार के बा-शरा (शरिया कानून को पूरी तरह मानने वाला) और बे-शरा ( शरिया कानून के मार्ग पर नहीं चलने वाला) थे। भारत में बा-शरा और बे-शरा दोनों ने ही अपना प्रभाव डाला। बा - शरा सिलसिले में चिश्ती, सुहरावर्दी, फिरदौसी आदि महत्त्वपूर्ण थे ।
5. सूफीवाद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सूफीवाद उन्नीसवीं शताब्दी में मुद्रित एक अंग्रेजी शब्द है।
2. सूफीवाद के लिए इस्लामी ग्रंथों में तसव्वुफ शब्द का प्रयोग किया गया है।
3. 'सूफ' शब्द का अर्थ होता है - सूती वस्त्र ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- सूफीवाद के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
सूफीवाद को अंग्रेजी में सूफीइज्म कहा जाता है, जो अंग्रेजी शब्द है। इस्लामी ग्रंथों में इसके लिए तसव्वुफ शब्द जिसका मततल है इस्लाम का रहस्यवादी पंप प्रयोग हुआ है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि कुछ विद्वानों के अनुसार सूफीवाद सूफ निकलता है, जिसका अर्थ ऊन है। यह उस खुरदूरे ऊनी कपड़े की ओर संकेत करता है, जिसे सूफी पहनते हैं ।
6. 'सिलसिला' के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इसका शाब्दिक अर्थ 'जंजीर' होता है।
(b) मध्यकाल में कुल बारह सिलसिले प्रचलित थे।
(c) सभी सिलसिलों का नाम उनके संस्थापकों के नाम पर रखा गया था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं 
उत्तर - (c)
व्याख्या- सिलसिला के संबंध में कथन (c) सत्य है। बे-शरा सूफीवाद के उदय के बाद सूफी संतों ने अपने विचारों, अनुयायियों आदि को एक संगठित स्वरूप प्रदान करने के लिए अलग-अलग सिलसिलों का गठन किया। इन सिलसिलों के नामकरण का आधार सिर्फ इनके संस्थापक का नाम नहीं था। हालाँकि कुछ सिलसिलों का नामकरण उनके संस्थापकों के नामों पर भी हुआ, जैसे- कादिरी सिलसिला। इसका नामकरण इसके संस्थापक शेख अब्दुल कादिर जिलानी के नाम पर हुआ। कुछ सिलसिलों का नामकरण संस्थापक के जन्म स्थान के नाम पर रखा गया, जैसे चिश्ती सिलसिला। इसका नामकरण इनके संस्थापक के जन्मस्थान अफगानिस्तान के चिश्ती शहर के नाम पर किया गया।
7. निजामुद्दीन औलिया तथा नासिरुद्दीन चिराग-ए-देहली का संबंध किस सूफी सिलसिले से था? 
(a) चिश्ती सिलसिला 
(b) सुहरावर्दी सिलसिला
(c) नक्शबंदी सिलसिला
(d) फिरदौसी सिलसिला
उत्तर - (a)
व्याख्या- निजामुद्दीन औलिया तथा नासिरुद्दीन चिराग ए-देहली दोनों चिश्ती सिलसिले के सूफी संत थे । निजामुद्दीन औलिया सबसे प्रसिद्ध सूफी संत थे, वे सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत करते थे तथा सभी लोगों विशेषकर निम्न वर्गीय लोगों से निस्संकोच मिलते थे, ये योग में पारंगत थे, इनकी दरगाह दिल्ली में है। नासिरुद्दीन चिराग-ए-देहली 14वीं शताब्दी के चिश्ती सिलसिले के प्रमुख सूफी संत थे, ये सूफी संत निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। इनकी मृत्यु के पश्चात् 1358 ई. में इनका मकबरा दिल्ली के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक द्वारा बनवाया गया था।
8. निजामुद्दीन औलिया के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. वे उर्दू में बात करते थे।
2. उन्होंने 'समा' के जरिए लोकप्रियता अर्जित की।
3. योगी लोग इन्हें सिद्ध पुरुष कहा करते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- निजामुद्दीन औलिया के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं । निजामुद्दीन औलिया एक प्रसिद्ध चिश्ती सूफी संत थे। इनका सांस्कृतिक केंद्र दिल्ली में था। ये बाबा फरीद के शिष्य थे। इन्होंने अपने सूफी मत के प्रसार के लिए गायन का सहारा लिया, जिसे 'समा' कहा जाता है, जो हिंदी में होता था, जिससे अधिक से अधिक लोग आकर्षित होते थे। साथ ही औलिया योग-प्राणायाम में पारंगत थे, इसलिए इन्हें सिद्ध पुरुष भी कहा जाता था। कथन (1) असत्य है, क्योंकि औलिया लोगों से उन्हीं की भाषा हिंदी में बात करते थे।
9. निम्नलिखित में से चिश्ती संत को 'चिराग-ए-दिल्ली' कहा जाता है ? 
(a) मुईनुद्दीन
(b) फरीदुद्दीन
(c) निजामुद्दीन औलिया
(d) नासिरुद्दीन
उत्तर - (d)
व्याख्या- शेख नासिरुद्दीन 'चिराग-ए- देहली' के नाम से प्रसिद्ध हैं। इनका जीवनकाल 14वीं सदी था। ये दिल्ली के एक प्रसिद्ध चिश्ती सूफी संत थे। ये लोग विशेषकर निम्नवर्गीय लोगों से उन्हीं की बोली में बाते करते थे। लोगों से बेहतर ढंग से जुड़ने के लिए हिंदी बोली के गायन (समा) का सहारा लेते थे।
10. निम्नलिखित में से किस लेखक का संबंध चिश्ती खानकाह से नहीं था ?
(a) अमीर हसन सिज्जी
(b) अमीर खुसरो
(c) इब्नबतूता
(d) जियाउद्दीन बरनी
उत्तर - (c)
व्याख्या- इब्नबतूता लेखक का संबंध चिश्ती खानकाह से नहीं था। निजामुद्दीन औलिया से मिलने आने वाले कवि तथा इतिहासकारों में अमीर हसन सिज्जी, अमीर खुसरो और जियाउद्दीन बरनी शामिल थे, जबकि इब्नबतूता अफ्रीकी यात्री था। यह उत्तरी अफ्रीका देश मोरक्को का निवासी था। इसने 14वीं शताब्दी में मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में दिल्ली सल्तनत की यात्रा की थी। इसने अपनी पुस्तक रेहला या रिहला में दिल्ली सल्तनत की विस्तृत जानकारी दी है।
11. निम्नलिखित में किस शब्द का प्रयोग ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के लिए किया जाता है? 
(a) बंदा - नवाज 
(b) गरीब नवाज
(c) चिराग-ए-मुफलिस
(d) गरीब - पालक
उत्तर - (b)
व्याख्या- चिश्ती सिलसिले के संस्थापक ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती को 'गरीब नवाज' के नाम से भी जाना जाता है। इनकी दरगाह सबसे अधिक पूजनीय है, जो अजमेर में स्थित है। यह दरगाह शेख की सदाचारिता, धर्मनिष्ठता और विभिन्न शासकों द्वारा किए गए प्रश्रय के कारण लोकप्रिय थी।
12. शेख निजामुद्दीन औलिया के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उन्हें 'सुल्तान-उल-मशेख' कहा जाता था ।
2. अमीर खुसरो उनका प्रमुख अनुयायी था।
3. उनकी दरगाह पर गाने वाले कव्वाल अपने गायन की शुरुआत 'समा ' से करते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- शेख निजामुद्दीन औलिया के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
निजामुद्दीन औलिया, चिश्ती सिलसिले के एक प्रसिद्ध सूफी संत थे, उनके अनुयायी उन्हें 'सुल्तान-उल-मशेख' कह कर संबोधित करते थे अर्थात् शेखों में सुल्तान। चिश्ती संत का शासकों के मध्य अत्यधिक सम्मान था, वे उन्हें झुक कर प्रणाम, कदम चूमना, विभिन्न पदवी प्रदान करते थे।
अमीर खुसरो निजामुद्दीन औलिया के अनुयायी थे, जो एक महान कवि तथा संगीतज्ञ थे। इनका जीवनकाल 1253-1325 ई. तक था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि शेख निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर गाने वाले करवाल अपने गायन की शुरुआत कौल (कहावत) से करते थे। कौल का प्रचलन अमीर खुसरो के द्वारा किया गया।
13. शेख मुईनुद्दीन चिश्ती की जीवनी 'मुनिस-अल-अखाह' किस मुगल शहजादी ने लिखी थी ?
(a) आलमआरा 
(c) गुलबदन बेगम
(b) जहाँआरा
(d) अस्मत बेगम 
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगलशासक शाहजहाँ की पुत्री शहजादी जहाँआरा ने चिश्ती संत शेख मुईनुद्दीन चिश्ती की जीवनी की रचना मुनिस अल-अखाह (अर्थात् आत्मा का विश्वास) नाम से की। इसमें जहाँआरा की शेख चिश्ती के प्रति भक्ति को दर्शाया गया है।
14. शेख सलीम चिश्ती की दरगाह निम्नलिखित में से किस स्थान पर अवस्थित है?
(a) लाहौर, पाकिस्तान
(b) फतेहपुर सीकरी, आगरा
(c) निजामुद्दीन, दिल्ली
(d) जौनपुर, उत्तर प्रदेश
उत्तर - (b)
व्याख्या- शेख सलीम चिश्ती की दरगाह फतेहपुर सीकरी में स्थित है। यह दरगाह अपनी इंडो इस्लामिक वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इस दरगाह का निर्माण अकबर के द्वारा अपनी राजधानी फतेहपुर सीकरी में किया गया। यह दरगाह चिश्तियों और मुगल राज्य के घनिष्ठ संबंधों का प्रतीक है। शेख सलीम चिश्ती, चिश्ती सिलसिले के प्रसिद्ध संत थे।
15. सुहरावर्दी सिलसिले के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इनकी गतिविधियों का मुख्य केंद्र पंजाब और मुल्तान था ।
2. वे गरीबी का जीवन बिताने में विश्वास करते थे।
3. उन्होंने राज्य की सेवा स्वीकार की थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- सुहरावर्दी सिलसिले के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य है। चिश्ती सिलसिले के अतिरिक्त भारत में प्रवेश करने वाला एक अन्य बा- शरा सिलसिला सुहरावर्दी सिलसिला था। हालाँकि यह चिश्ती की भाँति भारत के विस्तृत भागों में नहीं फैल सका, इसका प्रमुख केंद्र पंजाब और मुल्तान था। साथ ही चिश्ती सिलसिले के विपरीत सुहारावर्दी सिलसिले के सूफी संतों ने राज्य की राजनीति से स्वयं को जोड़ा और राज्य की सेवाएँ तथा विभिन्न विभागों के उच्च पदों को स्वीकार किया, जबकि चिश्ती ने स्वयं को राज्य की राजनीति से अलग रखा और अध्यात्म पर अपना पूरा जीवन व्यतीत किया। कथन 2 असत्य है, क्योंकि सुहरावर्दी सिलसिले के संत गरीबी का जीवन व्यतीत करने में विश्वास नहीं करते थे।
16. निम्नलिखित में किसका संबंध सुहरावर्दी सिलसिले से नहीं था?
(a) शिहाबुद्दीन सुहरावर्दी
(b) हमीदुद्दीन नागौरी
(c) बहाउद्दीन जकारिया
(d) सैय्यद मोहम्मद गेसूदराज
उत्तर - (d)
व्याख्या- सैय्यद मोहम्मद गेसूदराज का संबंध सुहरावर्दी सिलसिले से न होकर चिश्ती सिलसिले से था। मोहम्मद गेसूदराज चिश्ती सिलसिले के प्रसिद्ध सूफी संत थे। इनका धार्मिक केंद्र गुलबर्ग था। इन्हें बंदा नवाज के नाम से भी जाना जाता है।
17. शेख बहाउद्दीन किस सूफी सिलसिले से जुड़े थे?
(a) सुहरावर्दी संप्रदाय
(b) ऋषि संप्रदाय
(c) चिश्ती संप्रदाय
(d) फिरदौसी संप्रदाय
उत्तर - (a)
व्याख्या- शेख बहाउद्दीन जकारिया का संबंध सुहरावर्दी संप्रदाय से है। वह सुहरावर्दी संप्रदाय के संस्थापक थे। भारत में सुहरावर्दी संप्रदाय को पंजाब तथा मुल्तान से बाहर प्रसारित करने का श्रेय शेख शिहाबुद्दीन सुहरावर्दी तथा हमीदुदीन नागौरी को जाता है।
सुहरावर्दी संतों ने राजकीय सेवा स्वीकार की तथा कई संत मजहबी (धार्मिक कार्य) विभाग के उच्च पदों तक पहुँचे।
18. सूफी आंदोलनों के दौरान रचे गए साहित्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मुसलमानों द्वारा लिखा गया सबसे अधिक साहित्य अरबी में था।
2. अरबी को रसूल की भाषा माना गया।
3. अरबी का प्रयोग स्पेन से लेकर बगदाद तक लिखे जाने वाले साहित्य की भाषा के रूप किया गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- सूफी आंदोलन के दौरान रचे गए साहित्य के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। सूफी आंदोलन के दौरान भारत में साहित्य की रचना मुख्यतः दो भाषाओं-अरबी तथा फारसी में हुई। हालाँकि सर्वाधिक साहित्य की रचना अरबी भाषा में की गई। भारत में अरबी भाषा का उपयोग मुख्य रूप से इस्लाम के सैद्धांतिक तथा दार्शनिक पक्षों पर लिखने वाले विद्वानों तक सीमित रहा । विज्ञान तथा खगोल शास्त्र की कुछ रचनाओं का अरबी में अनुवाद किया गया।
अरबी भाषा को मुसलमानों में रसूल अर्थात् पैगंबर की भाषा माना जाता था, जिस कारण इसका प्रयोग अधिकांश मुस्लिम साहित्य लेखन में हुआ, जबकि फारसी कवियों में फिरदौसी, अमीर खुसरो, जियाउद्दीन बरनी आदि महत्त्वपूर्ण थे।
अरबी भाषा का साहित्यिक रूप में प्रयोग स्पेन से लेकर बगदाद तक पूरे अरब में किया जाता है।
19. सूफी संतों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएं
1. मध्य एशिया के महान सूफी संतों में गज्जाली, रूमी और सादी के नाम उल्लेखनीय हैं।
2. नाथ पंथियों, सिद्धों और योगियों की तरह सूफी भी यही मानते थे कि दुनिया के प्रति अलग नजरिया अपनाने के लिए दिल को सिखाया जा सकता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- सूफी संतों के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं ।
सूफी आंदोलन के महान प्रारंभिक संतों में गज्जाली, रूमी और सादी के नाम उल्लेखनीय हैं, ये मुख्यतः मध्य एशिया के थे।
नाथ पंथियों, सिद्धों एवं योगियों की भाँति सूफियों ने यह माना कि दुनिया के प्रति अलग नजरिया अपनाने के लिए दिल को सिखाया-पढ़ाया जा सकता है।
20. कश्मीर में 15वीं एवं 16वीं सदियों में सूफीवाद के ऋषि पंथ काउदय हुआ। इसकी स्थापना किसने की थी ?
(a) शेख नूरुद्दीन वली
(b) बाबा फरीद
(c) शाह आलम बुखारी
(d) सैय्यद मोहम्मद गेसूदराज
उत्तर - (a)
व्याख्या- कश्मीर में 15वीं एवं 16वीं शताब्दी में सूफीवाद के ऋषि पंथ का उदय हुआ। इस पंथ की स्थापना शेख नूरुद्दीन वली द्वारा की गई। इन्हें नंद ऋषि के नाम से भी जाना जाता है। इस वंश ने कश्मीर के लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला।
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Fri, 09 Feb 2024 05:10:53 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | विजयनगर, बहमनी एवं अन्य प्रांतीय राज्य https://m.jaankarirakho.com/873 https://m.jaankarirakho.com/873 NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | विजयनगर, बहमनी एवं अन्य प्रांतीय राज्य

विजयनगर साम्राज्य

1. विजयनगर साम्राज्य के अंतर्गत शासन करने वाले राजवंशों का सही क्रम कौन-सा है ?
(a) संगम-सालुव-तुलुव- अरावीडु
(b) सालुव-संगम-तुलुव- अरावीडु
(c) तुलुव-संगम- अरावीडु-सालुव
(d) अरावीडु - संगम-तुलुव-सालुव
उत्तर - (a)
व्याख्या- विजयनगर साम्राज्य के अंतर्गत शासन करने वाले राजवंशों का सही क्रम-संगम-सालुव-तुलुव एवं अरावीडु है ।
दिल्ली सल्तनत में व्याप्त राजनीतिक अस्थिरता का लाभ उठाकर अनेक राज्य स्वतंत्र हुए, दक्षिण भारत में इसका लाभ उठाते हुए विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हुई।
विजयनगर पर शासन करने वाला प्रथम वंश संगम वंश इस वंश की स्थापना हरिहर एवं बुक्का नाम के दो भाइयों ने की थी। इस वंश ने 1336-1485 ई. तक विजयनगर पर शासन किया। इसके बाद सालुव वंश की स्थापना नरसिंह सालुव ने की। इस वंश का शासनकाल 1485 से 1505 ई. तक था। सुलुव/ सालुव वंश के बाद तुलुव वंश की स्थापना 1505 ई. में वीर नरसिंह ने की। इस वंश ने विजयनगर साम्राज्य पर 1505-1570 ई. तक शासन किया। सबसे अंतिम वंश अरावीडु था, जिसकी स्थापना तिरुमल ने की थी। इस वंश ने 1570 से 1652 ई. तक शासन किया।
2. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना से संबंधित निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इसके संस्थापक काकतीय राजा के सामंत थे।
(b) इसकी स्थापना फिरोजशाह तुगलक के काल में हुई थी।
(c) यह एक हिंदू राजवंश था।
(d) इसकी अवस्थिति दक्षिण भारत में थी ।
उत्तर - (b)
व्याख्या- विजयनगर साम्राज्य की स्थापना से संबंधित कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि विजयनगर साम्राज्य की स्थापना फिरोजशाह तुगलक के काल में नहीं बल्कि मुहम्मद बिन तुगलक के काल में हुई थी। विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ई. में हरिहर व बुक्का नामक दो भाइयों ने अपने गुरु विद्यारण्य एवं वेदों के भाष्यकार सायण की प्रेरणा से कृष्णा की सहायक नदी तुंगभद्रा के दक्षिणी तट पर अनैगोंडी के समीप की।
3. हरिहर और बुक्का के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. मुहम्मद बिन तुगलक ने इन्हें बंदी बना लिया था।
2. गुरु विद्यारण्य के निर्देश पर वे हिंदू धर्म में दीक्षित हुए।
3. उन्होंने दौलताबाद को अपनी राजधानी बनाया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- हरिहर एवं बुक्का के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। 18 अप्रैल, 1336 को भगवान विरुपाक्ष की उपस्थिति में मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में हरिहर प्रथम एवं बुक्का प्रथम के द्वारा संगम वंश की स्थापना की गई ।
मुहम्मद बिन तुगलक ने दोनों भाइयों को बंदी बना लिया था तथा उन्हें मुसलमान बना दिया था। कालांतर में अपने गुरु विद्यारण्य के निर्देश पर वे हिंदू धर्म में दीक्षित हुए थे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि हरिहर प्रथम ने इसने पहले अनैगोंडी तथा बाद में हंपी ( वर्तमान कर्नाटक) को राजधानी बनाया। इसके बाद इसका भाई बुक्का प्रथम 1356 ई. में विजयनगर साम्राज्य की गद्दी पर बैठा तथा इसने मदुरै को अपने साम्राज्य में मिला लिया था।
4. हरिहर प्रथम के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) वह 1336 ई. में राजा बना।
(b) उसने मैसूर और होयसल राज्य से युद्ध लड़ा। 
(c) आरंभ में विजयनगर की राजव्यवस्था कोऑपरेटिव कॉमनवेल्थ थी ।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- हरिहर प्रथम के संबंध में दिए गए कथनों में से कोई भी कथन असत्य नहीं हैं।
हरिहर प्रथम संगम वंश का प्रथम शासक था। वह 1336 ई. में राजा बना था। इसने 1336 ई. में मैसूर तथा होससल राज्य से युद्ध किया था। 1346 ई. में होयसल राज्य को पूर्णत: विजयनगर साम्राज्य में मिला लिया गया।
प्रारंभ में विजयनगर राज्य व्यवस्था एक सहकारी राज्य व्यवस्था (कोऑपरेटिव कॉमनवेल्थ) थी। हरिहर प्रथम ने काकतीय वंश का अनुसरण करते हुए अपने राज्य को स्थलों एवं नाडुओं में संगठित किया तथा ब्राह्मणों की नियुक्ति की।
5. इतिहासकारों के द्वारा प्रयोग 'विजयनगर साम्राज्य' शब्द के लिए समकालीन लोगों ने उसे क्या कहकर संबोधित किया है ?
(a) तेलुगू साम्राज्यमु
(b) कर्नाटक साम्राज्यमु
(c) तमिल साम्राज्यमु
(d) संगम साम्राज्यमु
उत्तर - (b)
व्याख्या- इतिहासकार 'विजयनगर साम्राज्य' शब्द का प्रयोग करते हैं, तो वही समकालीन लोगों ने इस साम्राज्य को 'कर्नाटक साम्राज्यमु' की संज्ञा दी है। इस साम्राज्य की अस्थिर सीमाओं में अलग-अलग भाषाएँ बोलने वाले तथा अलग-अलग धार्मिक परंपराओं को मानने वाले लोग रहते थे।
6. विजयनगर साम्राज्य के आरंभिक शासकों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें। 
1. उड़ीसा के गजपति शासक उनके समकालीन थे।
2. उन्होंने स्वयं को 'राय' की उपाधि प्रदान की।
3. उन्होंने तंजावुर के चन्नकेशव मंदिर को संरक्षण दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- विजयनगर साम्राज्य के आरंभिक शासकों के संबंध में कथन ( 1 ) और (2) सत्य हैं। विजयनगर साम्राज्य के आरंभिक शासकों के समकालीन दक्कन के सुल्तान एवं उड़ीसा के गजपति शासक थे। विजयनगर के प्रारंभिक शासक अपने समकालीन शासकों के साथ संघर्ष करते रहे तथा साथ ही इन राज्यों के संपर्क से विचारों का आदान-प्रदान कर विशेष रूप स्थापत्य के क्षेत्र में विकास करने लगे।
विजयनगर के शासकों ने स्वयं को 'राय' की उपाधि प्रदान की तथा अमर नायकों की नियुक्ति की।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि चन्नकेशव मंदिर तंजावुर में नहीं, बल्कि बेलूर में स्थित है। इस मंदिर को विजयनगर के शासकों ने संरक्षण प्रदान किया था।
7. संगम वंश के शासकों के संबंध में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा सत्य है? 
(a) यह विजयनगर का पाँचवाँ राजवंश था।
(b) बुक्का प्रथम का संबंध संगम से नहीं था।
(c) संगम वंश का कुल शासन 149 वर्षों का था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- संगम वंश के शासकों के संबंध में कथन (c) सत्य है। संगम वंश ने ही विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की थी। यह वंश इस साम्राज्य का प्रथम राजवंश था। संगम वंश का प्रथम शासक हरिहर था, जो 1336 ई. को विजयनगर की गद्दी पर आसीन हुआ। इसने 1356 ई. तक शासन किया। इसके बाद इसका भाई बुक्का प्रथम 1356 ई. में शासक बना, जो 1377 ई. तक आसीन रहा। इस वंश के शासकों का शासनकाल 1336 से 1485 ई. तक था अर्थात् इन्होंने 149 वर्षों तक विजयनगर साम्राज्य पर शासन किया।
8. बुक्का प्रथम के शासनकाल में उसका सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी कौन था ?
(a) मदुरै का सुल्तान 
(b) बीजापुर का शासक
(c) जौनपुर का सुल्तान
(d) दिल्ली का सुल्तान
उत्तर - (a)
व्याख्या- हरिहर प्रथम की मृत्यु के बाद इसका भाई बुक्का प्रथम 1356 ई. में विजयनगर साम्राज्य की गद्दी पर बैठा तथा 1377 ई. तक सत्तारूढ़ रहा । इसके शासनकाल में इसका मुख्य विरोधी / प्रतिद्वंद्वी मदुरै राय था। मदुरै के सुल्तान एवं विजयनगर के शासक के बीच संघर्ष अनेक वर्षों तक चलता रहा। अंतत: विजयनगर के शासक बुक्का प्रथम को सफलता मिली तथा मदुरै को विजयनगर साम्राज्य में मिला लिया गया।
9. विजयनगर साम्राज्य के महान शासक कृष्णदेवराय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. इनका संबंध तुलुव राजवंश से था।
2. इनका शासककाल 1509 से 1530 ई. तक था।
3. उन्होंने उड़ीसा के राजा को पराजित किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- विजयनगर साम्राज्य के महान शासक कृष्णदेवराय के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
तुलुव वंश के शासक कृष्णदेवराय अपने भाई तथा तुलुव वंश के संस्थापक वीर नरसिंह की मृत्योपरांत विजयनगर साम्राज्य की गद्दी पर बैठा, इसका राज्याभिषेक श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन हुआ। कृष्णदेवराय का शासनकाल 1509 से 1530 ई. तक था।
कृष्णदेवराय के राज्यारोहण के समय विजयनगर अत्यंत विषम परिस्थिति में था, उड़ीसा के गजपति विजयनगर साम्राज्य के पत्तन का लाभ उठाने का प्रयास कर रहे थे। तब इसने 1513 ई. में उड़ीसा के शासक गजपति रुद्रदेव को पराजित कर उदयगिरि पर अधिकार कर लिया।
10. कृष्णदेवराय के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उसने रायपुर दोआब पर अधिकार कर लिया था।
(b) रायपुर दोआब नर्मदा और ताप्ती के बीच का स्थान था।
(c) उसने 1520 ई. में बीजापुर के सुल्तान को पराजित किया था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- कृष्णदेवराय के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि रायपुर दोआब नर्मदा और ताप्ती नदी पर नहीं, बल्कि तुंगभद्रा और कृष्णा नदी के बीच स्थित था। कृष्णदेवराय ने अपने शासनकाल में रायपुर दोआब पर अधिकार कर लिया था। कृष्णदेवराय ने गजपति से 1513 ई. में उदयगिरि जीता तथा 1520 ई. में बीजापुर के युसूफ आदिलशाह को परास्त कर तुंगभद्रा एवं कृष्णा नदियों के बीच का क्षेत्र रायपुर दोआब को जीता।
11. भारतीय मंदिरों में भव्य गोपुरमों को जोड़ने का श्रेय निम्नलिखित में से किस शासक को दिया जाता है?
(a) देवराय द्वितीय
(b) नरसिंह वर्मन
(c) कृष्णदेवराय
(d) हरिहर द्वितीय
उत्तर - (c)
व्याख्या- कृष्णदेवराय को श्रेष्ठ मंदिरों के निर्माण एवं महत्त्वपूर्ण दक्षिण कुछ भारतीय मंदिरों में प्रभावशाली गोपुरम को जोड़ने का श्रेय दिया जाता है। कृष्णदेवराय विजयनगर का सबसे प्रसिद्ध शासक था, इसके शासनकाल में स्थापत्य कला में भी विस्तार हुआ। इसने विजयनगर के पास एक उपनगरीय बस्ती की भी स्थापना की, जिसे नागालपुरम कहा जाता था।
12. कृष्णदेवराय की शासन पद्धति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. उसने नौसेना के विकास की ओर ध्यान नहीं दिया।
2. पेस नामक इतालवी यात्री उसके दरबार में रहता था।
3. उसने विजयनगर साम्राज्य को कृष्णा नदी तक स्थापित कर दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 2 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- कृष्णदेवराय की शासन पद्धति के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं ।
कृष्णदेवराय ने अपने पूर्ववर्ती शासकों के विपरीत नौसेना के विकास पर अधिक ध्यान नहीं दिया। इतालवी यात्री डोमिंगो पेस कृष्णदेवराय के शासनकाल में विजयनगर आया था।
विजयनगर साम्राज्य के प्रसिद्ध शासक राजा कृष्णदेवराय ने विजयनगर साम्राज्य को भव्यता के शिखर तक पहुँचा दिया। वह उन सभी लड़ाइयों में सफल रहा, जो उसने लड़ीं। उसने ओडिशा, बीजापुर के राजाओं को पराजित किया तथा अपने साम्राज्य का विस्तार कृष्णा नदी तक किया।
13. निम्नलिखित में से कौन-सा विदेशी यात्री कृष्णदेवराय के शासनकाल में भारत नहीं आया था ?
(a) बारबोसा
(b) डोमिंगो पेस
(c) निकोलो-डीकोंटी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- निकोलो-डी- कोंटी कृष्णदेवराय के शासनकाल में नहीं, बल्कि देवराय प्रथम के काल में भारत आया था। यह एक इतावली यात्री था। उसने विजयनगर के शहर, उसके दरबार, वहाँ की प्रथाओं, मुद्रा, त्योहारों आदि का विशद वर्णन किया है। दुआटै बारबोसा (1500-1516 ई.) तथा डोमिंगो पेस (1520-1522 ई.) कृष्णदेवराय के शासनकाल में भारत आए थे।
14. रामराजा के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सत्य नहीं है?
(a) यह सदाशिव राय का संरक्षक था।
(b) उसने बीजापुर के शासक को हाथी की आपूर्ति बंद कर दी।
(c) उसने गोलकुंडा और अहमदनगर के शासकों को पराजित किया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- रामराजा के संबंध में कथन (2) सत्य नहीं है, क्योंकि रामराजा ने बीजापुर के शासक को हाथी की नहीं, बल्कि घोड़ों की आपूर्ति को बंद कर दिया था। 1543 ई. में सदाशिव राय वियजनगर साम्राज्य की गद्दी पर बैठा, परंतु इसकी सत्ता के उपयोग की वास्तविक शक्ति रामराजा के हाथों में थी। रामराजा ने विभिन्न मुस्लिम शासकों को एक दूसरे के विरुद्ध उकसाते रहने में कामयाबी प्राप्त की। उसने पुर्तगालियों के साथ एक व्यापारिक संधि की।
15. तालीकोटा या राक्षस तंगड़ी का युद्ध कब और कहाँ लड़ा गया था?
(a) 1565 ई. (तुंगभद्रा)
(b) 1565 ई. (बन्निहट्टी) 
(c) 1560 ई. (अहमदनगर)
(d) 1560 ई. (गुलबर्गा) 
उत्तर - (b)
व्याख्या- तालीकोटा के निकट बन्नीहट्टी के पास यह युद्ध हुआ। यह युद्ध 23 जनवरी, 1565 ई. को विजयनगर एवं दक्षिण भारतीय राज्यों के महासंघ (जिसमें अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुंडा व बीदर शामिल थे) के बीच हुआ था। इस महासंघ में गोलकुंडा से शत्रुता के कारण बरार शामिल नहीं हुआ था।
इस युद्ध में महासंघों की संयुक्त शक्तियों ने विजयनगर को बुरी तरह से पराजित किया तथा रामराजा वीरतापूर्वक लड़ते हुए शत्रु द्वारा मारा गया। इस युद्ध को तालीकोटा या 'राक्षस तंगडी' के युद्ध के नाम से जाना जाता है।
16. विजयनगर साम्राज्य के अरावीडु वंश के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. यह विजयनगर साम्राज्य का अंतिम राजवंश था।
2. अरावीडु के शासक 18वीं सदी के अंत तक सत्ता पर आसीन रहे।
3. अरावीडु राजवंश ने पेनुकोंडा और चंद्रगिरि पर शासन किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- विजयनगर साम्राज्य के अरावीडु वंश के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं।
रामराजा के भाई तिरुमल ने 1570 ई. में सदाशिव को अपदस्थ कर दिया तथा अरावीडु वंश की स्थापना की। इसने पेनुकोंडा को अपनी राजधानी बनाया तथा बाद में इसी वंश के वेंकटद्वितीय ने चंद्रगिरि को अपनी राजधानी बनाया तथा यह राजवंश पेनुकोंडा एवं चंद्रगिरि में शासन करने लगा।
यह राजवंश विजयनगर साम्राज्य का अंतिम राजवंश था, इस राजवंश ने 16वीं शताब्दी के अंत से लेकर 17वीं शताब्दी के मध्य तक शासन किया।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि अरावीडु के शासक 18वीं सदी के अंत तक सत्ता पर आसीन रहे। अरावीडु वंश का शासनकाल 1570 से 1652 ई. तक है।
17. विजयनगर साम्राज्य के शासनकाल की जानकारी किस पुस्तक से मिलती है?
(a) मृच्छकटिकम 
(b) अमुक्तमल्यद
(c) तोलापिय्यम्
(d) मणिमैक्लई
उत्तर - (b)
व्याख्या- विजयनगर साम्राज्य के शासनकाल की जानकारी कृष्णदेवराय द्वारा रचित तेलुगू ग्रंथ अमुक्तमाल्यदा (मोतियों की माला) से प्राप्त होती है। इस ग्रंथ में राजनीतिक विचारों एवं प्रशासनिक नीतियों का विवेचन किया गया है। इस ग्रंथ में कृष्णदेवराय ने राजस्व के विनियोजन एवं अर्थव्यवस्था के विकास पर बल देते हुए लिखा है कि राजा को तालाबों एवं सिंचाई के अन्य साधनों तथा अन्य कल्याणकारी कार्यों के द्वारा प्रजा को संतुष्ट रखना चाहिए तथा राजा को कभी भी धर्म की अवहेलना नहीं करनी चाहिए।
18. विजयनगर प्रशासन में किसे राजा की सेवा के लिए एक निश्चित संख्या में पैदल सैनिक, घोड़े और हाथी रखने पड़ते थे?
(a) पलफूगार 
(b) आमरम्
(c) मोरबक्शी
(d) रायरायन
उत्तर - (a)
व्याख्या- विजयनगर साम्राज्य में पलफूगार (पालिगार) या नायक कहे जाने वाले इन सरदारों को राज्य की सेवा के लिए एक निश्चित संख्या में पैदल सैनिक, घोड़े एवं हाथी रखने पड़ते थे। नायकों को केंद्रीय कोष में कुछ धन भी दिया जाता था। इन नायकों का वर्ग बहुत शक्तिशाली था और कभी-कभी सरकार के लिए उन पर नियंत्रण रखना कठिन हो जाता था। इस प्रकार की आंतरिक कमजोरियों के कारण बन्निहट्टी के युद्ध में विजयनगर की पराजय हुई।
19. निम्नलिखित में से किस विदेशी यात्री ने विजयनगर साम्राज्य के संबंध में कहा है कि "जमीन आबादी से भरी हुई है, लेकिन जो लोग गाँवों में रहते हैं, वे बहुत दयनीय अवस्था में हैं"
(a) निकोलो-डी-कोंटी 
(b) बारवोसा
(c) निकितिन
(d) नूनिज
उत्तर - (c)
व्याख्या- ऐथेनसियूस निकितिन (1470-1479 ई.) रूसी घोड़ों का व्यापारी था। इसने विजयनगर साम्राज्य भू-राजस्व व्यवस्था पर कहा है कि "जमीन आबादी से भरी हुई है, लेकिन जो लोग गाँवों में रहते हैं, वे बहुत दयनीय अवस्था में हैं, जबकि सरदार लोग खूब समृद्ध तथा विलासिता का जीवन जीते हैं।” विजयनगर साम्राज्य के अंतर्गत भू-राजस्व में कर व्यवस्था विद्यमान थी, जमीनों के प्रकार के आधार पर उस पर भू-राजस्व कर लगाया जाता था। निकितन ने यह कथन विजयनगर साम्राज्य में पाई जाने वाली कर प्रणाली के आधार पर ग्रामीण व्यवस्था के लोगों के जीवन स्तर को देखते हुए कहा था।
20. निम्नलिखित में से कौन-सा कर विजयनगर साम्राज्य में प्रचलित नहीं था ? 
(a) संपत्ति कर 
(b) पेशागत कर
(c) सैनिक कर
(d) चरी कर
उत्तर - (d)
व्याख्या- चरी कर विजयनगर साम्राज्य में प्रचलित कर नहीं था, यह कर एक प्रकार का चारागाह कर था, जो अलाउद्दीन खिलजी के समय शुरू किया गया था। विजयनगर साम्राज्य के अंतर्गत भू-राजस्व कर के अतिरिक्त अन्य कर भी लिए जाते हैं, जिसमें मुख्य रूप से संपत्ति कर, पैदावार की बिक्री पर लगने वाला कर, पेशागत कर, सैनिक कर तथा विवाह कर शामिल हैं।
21. विजयनगर सैन्य प्रशासन में अमर नायक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। 
1. अमर नायक प्रणाली के तत्त्व इक्ता प्रणाली से मेल खाते हैं। 
2. अमर नायक सैनिक कमांडर थे, जिन्हें राय द्वारा प्रशासन के लिए राज्य क्षेत्र दिए जाते थे।
3. अमर नायक, राजा को वर्ष में दो बार भेंट भेजा करते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- विजयनगर सैन्य प्रशासन में अमर नायक के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
विजयनगर साम्राज्य में नायक या अमर नायक बड़े भू-सामंत होते थे और इन्हें वेतन के बदले अधीनस्थ सेना के रख-रखाव के लिए विशेष भूखंड अमरम् प्रदान की जाती थी तथा इन अमरम् भूमि का प्रयोग करने के कारण इन्हें अमर नायक भी कहा जाता था, यह इक्ता से मेल खाती है।
ये सैनिक कमांडर होते थे, जिन्हें शासक द्वारा दिए गए भूखंड या क्षेत्र के किसानों, शिल्पकर्मियों एवं व्यापारियों से भू-राजस्व तथा अन्य कर वसूलने होते थे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि विजयनगर अमर नायक, राजा को वर्ष में दो बार नहीं बल्कि एक बार भेंट भेजा करते थे और अपनी स्वामिभक्ति प्रकट करने के लिए राजकीय दरबार में उपहारों के साथ स्वयं उपस्थित हुआ करते थे।
22. फारसी यात्री अब्दुररज्जाक भारत में किस राजा के शासनकाल में आया था?
(a) देवराय I
(b) कृष्ण देवराय I 
(c) देवराय II
(d) कृष्णराय II 
उत्तर - (c)
व्याख्या- फारसी यात्री अब्दुररज्जाक विजयनगर के शासक देवराय II के शासनकाल में भारत आया था। उसने विजयनगर का विशद विवरण प्रस्तुत किया है। अब्दुररज्जाक ने वर्ष 1443 में विजयनगर की यात्रा की थी। विजयनगर के विषय में उसने लिखा है कि “मैंने पूरे विश्व में इसके समान दूसरा नगर नहीं देखा।” उसके वर्णन से तत्कालीन विजय की स्थलाकृति प्रशासन तथा सामाजिक जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है।
23. विजयनगर स्थापत्य का वर्णन करने वाला यात्री अब्दुररज्जाक के बारे में सत्य कथन है
1. अब्दुररज्जाक फारस के शासक मिर्जा शाहरूख का राजदूत था।
2. उसने विजयनगर के शहरी वातावरण का विवरण दिया है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- विजयनगर स्थापत्य का वर्णन करने वाला यात्री अब्दुररज्जाक के बारे में दोनों कथन सत्य हैं। अब्दुररज्जाक फारस (ईरान) के शासक मिर्जा शाहरूख का राजदूत था। यह देवराय द्वितीय के शासनकाल में आया था। इसने शहरी वातावरण का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है।
इसने विजयनगर को संसार के श्रेष्ठतम नगरों में से एक माना तथा बताया कि इस शहर में एक के भीतर एक सात परकोटे हैं। इसके अनुसार शहर को विशाल किलेबंदी से घेरा गया था। इस किलेबंदी की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता यह थी कि इसकी पहली, दूसरी व तीसरी दीवारों के बीच जुते हुए खेत तथा बगीचे भी थे।
24. विजयनगर साम्राज्य में राजकीय केंद्रों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. राजकीय केंद्र बस्ती के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित था।
2. इसमें 100 से अधिक मंदिर सम्मिलित थे।
3. मंदिर पूर्णत: से राजगिरि से निर्मित थे
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 3
(c) 1 और 2
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- विजयनगर साम्राज्य में राजकीय केंद्रों के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं।
विजयनगर साम्राज्य में जिस स्थान पर मंदिरों का समूह होता था, वे राजकीय केंद्र कहलाते थे। ये राजकीय केंद्र राज्य के बस्ती के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित होते थे, जिसमें 60 से भी अधिक मंदिर थे।
इस केंद्र में लगभग 30 संरचनाओं की भी पहचान महलों के रूप में की गई है, इन संरचनाओं एवं मंदिरों के मध्य मूल अंतर यह था कि मंदिर पूर्णत: से राजगिरि से निर्मित होते थे, जबकि इन महलों की अधिरचना विकारी वस्तुओं से बनाई गई थी।
25. 'महानवमी डिब्बा' के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यह 'राजा के भवन' का एक मंच था।
(b) यह शहर का सबसे ऊँचा स्थान था।
(c) इस पर लोहे की संरचना बनी थी।
(d) इसका आधार उत्कीर्ण था।
उत्तर - (c)
व्याख्या- 'महानवमी डिब्बा' के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि इस पर लोहे की संरचना नहीं, बल्कि पत्थर की संरचना बनी थी।
विजयनगर साम्राज्य में कुछ विशिष्ट भवन भी थे। उनमें से प्रमुख महानवमी डिब्बा था, जो मुख्यतः राजा के भवन का मंच था। इसमें दो प्रमुख मंच थे, जिसमें पहला सभा मंडप तथा दूसरा महानवमी डिब्बा था। इसकी संरचना का पूरा क्षेत्र दोहरी दीवारों से घिरा हुआ था तथा इनके बीच में एक गली होती थी। सभा मंडप एक ऊँचा मंच होता था, जबकि महानवमी डिब्बा एक विशालकाय मंच होता था।
26. विट्ठल स्वामी मंदिर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। 
1. यह विष्णु के रूप में पूजे जाने वाले विट्ठल स्वामी का मंदिर है।
2. यह रथ के आकार का मंदिर है।
3. इस मंदिर के अंदर कोई सभागार नहीं है ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 3
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- विट्ठल स्वामी मंदिर के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। विजयनगर साम्राज्य के अंतर्गत विरुपाक्ष मंदिर के अतिरिक्त विट्ठल मंदिर की भी महत्ता अत्यधिक थी । यहाँ के प्रमुख देवता विट्ठल थे, जो सामान्यतः महाराष्ट्र में पूजे जाने वाले विष्णु के रूप हैं।
मंदिर परिसरों की एक चारित्रिक विशेषता रथ गलियाँ है, जो मंदिर के गोपुरम से 'सीधी रेखा में जाती हैं, इन गलियों को फर्श तथा पत्थर के टुकड़ों से बनाया गया था और इनके दोनों ओर स्तंभ वाले मंडप थे, जिनमें व्यापारी अपनी दुकानें लगाया करते थे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि दक्षिण भारत के अन्य मंदिरों की भाँति इसमें मंदिर के अंदर सभागार बने है।
27. विजयनगर साम्राज्य से संबद्ध हंपी को यूनेस्को द्वारा किस वर्ष राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल घोषित किया गया था?
(a) वर्ष 1970 में 
(b) वर्ष 1972 में
(c) वर्ष 1974 में
(d) वर्ष 1986 में
उत्तर - (d)
व्याख्या- यूनेस्को ने हंपी का वर्ष 1986 में विश्व धरोहर स्थल (राष्ट्रीय महत्त्व स्थल) के रूप में घोषित किया था। हंपी भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है। हंपी में स्मारकों के समूह में अंतिम महान हिंदू साम्राज्य विजयनगर की राजधानी के अवशेष प्राप्त होते हैं।

बहमनी साम्राज्य

1. बहमनी साम्राज्य की स्थापना 1347 ई. में किस अफगान सरदार ने की थी ?
(a) महमूद गवाँ
(b) अलाउद्दीन मसूद शाह 
(c) अलाउद्दीन हसन
(d) फिरोजशाह बहमनी
उत्तर - (c)
व्याख्या- अलाउद्दीन हसन गंगू ने 1347 ई. में 'अबू मुजफ्फर अलाउद्दीन हसन बहमन शाह' की उपाधि धारण कर बहमनी साम्राज्य की स्थापना की तथा गुलबर्गा को अपनी राजधानी बनाया। दिल्ली सल्तनत के विघटन के परिणामस्वरूप स्थापित हुए मुस्लिम राज्यों में यह सर्वाधिक शक्तिशाली था।
2. हसन गंगू के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) वह गंगू नामक ब्राह्मण की सेवा में रहता था।
(b) उसने बहमनशाह का खिताब धारण कर लिया था।
(c) जियाउद्दीन बरनी उसका विवरण प्रस्तु
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- हसन गंगू के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि जियाउद्दीन बरनी ने हसन गंगू का नहीं बल्कि मुहम्मद बिन तुगलक का विवरण प्रस्तुत किया है।
बहमनी राज्य की स्थापना 1347 ई. में हुई थी, इसका संस्थापक जीवन में कुछ बनने की धुन लेकर साहसिक मार्ग पर निकला एक अफगान था, जिसका नाम अलाउद्दीन हसन था। इसका उत्थान गंगू नामक एक ब्राह्मण की सेवा में रहते हुए हुआ, इसलिए इसे हंसन गंगू के नाम से जाना जाता है। राजगद्दी पर आसीन होने के बाद इसने अलाउद्दीन हसन बहमनशाह की उपाधि (खिताब) धारण की।
3. फिरोजशाह बहमन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इसका शासनकाल 1397 से 1422 ई. के बीच था।
2. उसे कुरान की टीकाओं और इस्लामी कानून का अच्छा ज्ञान था।
3. वह आशु कविता किया करता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3 
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- फिरोजशाह बहमन के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। फिरोजशाह बहमन ने 1397 से 1422 ई. के बीच शासन किया। वह प्राकृतिक विद्वान, तर्कशास्त्र, ज्यामिति आदि विषयों का ज्ञाता था और वह श्रेष्ठ खुशनवीस (सुलेखकार) और कवि था तथा वह आशु कविता लिखा करता था।
ताजुद्दीन फिरोजशाह बहमन, बहमनी वंश का सर्वाधिक विद्वान् सुल्तान था। इसने पहली बार विद्वान् हिंदुओं अथवा ब्राह्मणों को अपने दरबार में ऊँचे पदों पर नियुक्त किया। इसने खगोलशास्त्र के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए दौलताबाद के निकट जंतर-मंतर की स्थापना की
4. फिरोजशाह बहमन के विषय में किस इतिहासकार ने कहा है कि "वह एक सच्चा मुसलमान था जिसकी कमजोरी सिर्फ यह थी कि वह शराब पीता था?" 
(a) फरिश्ता 
(b) इब्नबतूता
(c) डोमिंगो पायस
(d) अब्दुररज्जाक
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्रसिद्ध इतिहासकार फरिश्ता ने फिरोजशाह बहमन के संदर्भ में कहा कि “फिरोजशाह एक सच्चा मुसलमान था, जिसकी कमजोरी सिर्फ यह थी कि वह शराब पीता और संगीत सुनता था ।” फिरोजशाह धर्मतत्त्वज्ञों, कवियों, ऐतिहासिक विवरणों के वाचकों एवं वाक्पटु दरबारियों की संगति में रहता था।
5. बहमन साम्राज्य के अंतर्गत चौल और डामोल निम्नलिखित में से क्या था? 
(a) स्थापत्य कला 
(b) बंदरगाह
(c) मंदिर
(d) स्थानीय पंचायत
उत्तर - (b)
व्याख्या- फिरोजशाह बहमन ने अपने राज्य के मुख्य बंदरगाह चौल एवं डामोल की ओर विशेष ध्यान दिया। फारस की खाड़ी एवं लालसागर से व्यापारिक जहाज बहमनी साम्राज्य में आते थे तथा संसार के सभी भागों से विलासिता की वस्तुओं को यहाँ पहुँचाया जाता था।
6. अहमदशाह प्रथम के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. वह फिरोजशाह बहमन का पुत्र था।
2. वह सूफी संत गैसूदराज की संगति में रहता था।
3. उसे बली भी कहा जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- अहमदशाह प्रथम के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं। अहमदशाह प्रथम सूफी संत गैसू दराज से प्रभावित था। गैसूदराज के सानिध्य में रहने के कारण अहमदशाह प्रथम को 'बली' भी कहा जाता है। 1422 ई. में अहमदशाह प्रथम बहमनी साम्राज्य की गद्दी पर आसीन हुआ। कथन (1) असत्य है, क्योंकि वह फिरोजशाह बहमन का पुत्र नहीं, बल्कि भाई था।
7. महमूद गवाँ के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) वह जन्म से अफगानी मूल का था ।
(b) उसे मलिक-उल-तुज्जार की उपाधि प्राप्त थी।
(c) उसने हामोल और गोवा को जीता था।
(d) उसने अपने राज्य को आठ भागों में विभाजित किया था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- महमूद गवाँ के संबंध में कथन (a ) सत्य नहीं है, क्योंकि महमूद गवाँ जन्म से अफगानी मूल का नहीं, बल्कि ईरानी मूल का था।
वारंगल के बहुत से हिस्सों के बहमनी सल्तनत के अधिकार में चले जाने से दक्षिण भारत की शक्ति का संतुलन बिगड़ गया। बहमन राज्य धीरे-धीरे विस्तृत होता गया तथा महमूद गवाँ की पेशवाई (प्रधान मंत्रिमंडल) में वह अपनी शक्ति व प्रादेशिक विस्तार की पराकाष्ठा पर पहुँच गया था। उसे मलिक-उल-तुज्जार की उपाधि प्रदान की गई थी। महमूद गवाँ का प्रमुख सैनिक अभियान पश्चिमी तट के प्रदेशों पर, जिसमें हामोल और गोवा भी शामिल थे तथा हासिल की गई जीत भी थी। उसने अपने साम्राज्य को आठ भागों में विभाजित किया था।
8. निम्नलिखित में से कौन एक बहमनी साम्राज्य का हिस्सा नहीं था?
(a) गोलकुंडा 
(b) बीजापुर
(c) अहमदनगर
(d) त्रिरुचिपल्ली
उत्तर - (d)
व्याख्या- त्रिरुचिपल्ली बहमनी साम्राज्य का हिस्सा नहीं था। बहमनी साम्राज्य की स्थापना जफर खाँ नामक सरदार ने अलाउद्दीन हसन बहमन शाह की उपाधि धारण करके 1347 ई. में की। बहमनी साम्राज्य का विभाजन वर्ष 1527 में हुआ और बहमनी साम्राज्य पाँच छोटे राज्य गोलकुंडा, बीजापुर, अहमदनगर, बरार एवं बीदर में बँट गया।
9. महमूद गवाँ के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. 1482 ई. में उसे मृत्यु दंड दिया गया।
2. उसने बीदर में एक प्रसिद्ध मदरसा बनवाया था।
3. महमूद गवाँ के साम्राज्य को मुगलों ने हड़प लिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं? 
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2 
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- महमूद गवाँ के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। 1482 ई. में महमूद गवाँ को मृत्युदंड दिया गया था, उस समय उसकी आयु 70 वर्ष थी। गवाँ शिक्षा व कला का महान संरक्षक था, उसने राजधानी बीदर में एक महमूद महाविद्यालय (मदरसा) की स्थापना की। उसके आग्रह पर ईरान एवं इराक के उस समय सर्वाधिक विख्यात विद्वान् इस मदरसे में शिक्षण कार्य हेतु आए थे। महमूद गवाँ की मृत्यु के पश्चात् बहमनी का पतन आरंभ हो गया। 17वीं शताब्दी में मुगलों ने बहमनी राज्य को हड़प लिया।

विजयनगर- बहमनी संघर्ष

1. निम्नलिखित में किस क्षेत्र के लिए विजयनगर- बहमनी में टकराव की स्थिति नहीं थी?
(a) तुंगभद्रा का दोआब
(b) कृष्णा- गोदावरी डेल्टा क्षेत्र
(c) मराठावाड़ा प्रदेश
(d) गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र
उत्तर - (d)
व्याख्या- गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र विजयनगर बहमनी में टकराव की स्थिति में नहीं था। 14वीं शताब्दी मध्य से 16वीं शताब्दी के मध्य तक लगभग दो शताब्दियों का काल दक्षिण भारत में विजयनगर एवं बहमनी साम्राज्य के बीच प्रभुत्व के संघर्ष का इतिहास रहा। तुंगभद्रा का दोआब, कृष्णा- गोदावरी डेल्टा क्षेत्र तथा मराठवाड़ा प्रदेशों में इन दोनों के महान संघर्ष होते रहे।
2. विजयनगर - बहमनी संघर्ष के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. बुक्का प्रथम ने 1367 ई. में मुड़कल किले पर आक्रमण किया।
2. देवराय द्वितीय के काल में बहमनी सुल्तान ने पहली बार विजयनगर में प्रवेश किया था।
3. विजयनगर - बहमनी संघर्ष में पहली बार तोपों का प्रयोग किया गया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / है?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- विजयनगर बहमनी संघर्ष के संबंध में कथन (1) और (8) सत्य है। बुक्का प्रथम ने वर्ष 1367 ई. में तुंगभ्रदा दोआब में मुड़कल के किले पर आक्रमण किया। इस युद्ध में पहली बार तोपों का प्रयोग किया गया। कथन ( 2 ) असत्य है, क्योंकि देवराय द्वितीयके काल में नहीं, बल्कि बुक्का प्रथम के काल में बहमनी सुल्तान ने पहली बार विजयनगर में प्रवेश किया था।
3. वारंगल के राजा ने बहमनी सुल्तान को एक रत्न मंडित सिंहासन भेंट किया। यह सिंहासन दिल्ली के किस सुल्तान के लिए बनाया गया था?
(a) मुहम्मद बिन तुगलक
(b) फिरोजशाह तुगलक 
(c) मलिक काफूर
(d) अलाउद्दीन खिलजी
उत्तर - (a)
व्याख्या- वारंगल के राजा ने बहमनी सुल्तान को एक रत्न मंडित सिंहासन भेंट किया था। यह सिंहासन दिल्ली सल्तनत के तुगलक वंश के शासक मुहम्मद बिन तुगलक के लिए बनवाया गया था। बहमनी सुल्तान द्वारा वारंगल पर आक्रमण करने के कारण यह सिंहासन विवशतापूर्वक देना पड़ा था।
4. विजयनगर-बहमनी संघर्ष के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कृष्णा - गोदावरी घाटी प्रश्न पर विजयनगर- बहमनी और उड़ीसा का संघर्ष आरंभ हुआ।
2. वारंगल, बहमनियों को छोड़कर विजयनगर के साथ हो गया।
3. देवराय प्रथम फिरोजशाह बहमनी से पराजित हो गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- विजयनगरबहमनी संघर्ष के संबंध में कथन (3) सत्य है। कृष्णा- गोदावरी डेल्टा क्षेत्र के प्रश्न पर विजयनगर- बहमनी के संघर्ष में तीसरा पक्ष वारंगल था। वारंगल ने बहमनियों के साथ संधि की तथा यह संधि 50 वर्षों तक बनी रही। 1406 ई. में फिरोजशाह बहमनी ने विजयनगर पर चढ़ाई की, जिसमें संगम वंशीय शासक देवराय प्रथम पराजित हुआ तथा संधि के लिए बाध्य हुआ। देवराय ने अपनी एक पुत्री का विवाह फिरोजशाह बहमनी के साथ कर दिया तथा अपने कई किले फिरोजशाह को समर्पित कर दिए।
5. विजयनगर - बहमनी संघर्ष में देवराय द्वितीय की भूमिका के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है? 
(a) उसकी सेना में 10000 मुसलमान सैनिक थे।
(b) उसने 60000 कुशल हिंदू धनुर्धारियों को शामिल किया।
(c) उसने 1443 ई. में मुदकल बाँकापुर को जीत लिया।
(d) इसके शासनकाल में अब्दुररज्जाक भारत आया था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- विजयनगर बहमनी संघर्ष में देवराय द्वितीय की भूमिका के संबंध में कथन (1) असत्य है। देवराय प्रथम के शासनकाल में 10 हजार मुसलमान सैनिक थे, जबकि देवराय द्वितीय के शासनकाल में मुसलमान सैनिकों की बात नहीं की गई है। इतिहासकार फरिश्ता के अनुसार, देवराय द्वितीय ने बहमनी सेनाओं से मुकाबला करने के लिए 80000 घुड़सवार तथा 200000 पैदल सैनिकों के अतिरिक्त देवराय द्वितीय ने 60000 कुशल हिंदू धनुर्धारियों को अपनी सेना में शामिल किया था।
देवराय द्वितीय के शासनकाल में अब्दुररज्जाक विजयनगर आया था।

अन्य प्रांतीय राज्य

पूर्वी भारत : बंगाल, असम और उड़ीसा
1. तुगलक काल में सल्तनत से अलग होकर किसने बंगाल में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की थी ?
(a) मुहम्मद बिन तुगलक 
(b) शम्सुद्दीन इलियास खाँ
(c) बुगरा खाँ
(d) तुगरिल खाँ
उत्तर - (b)
व्याख्या- तुगलक काल में सल्तनत से अलग होकर शम्सुद्दीन इलियास खाँ ने बंगाल में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की थी। अपनी दूरी एवं जलवायु के कारण बंगाल दिल्ली के नियंत्रण से बहुधा मुक्त ही रहा था, इसका एक और भी कारण था। बंगाल का संचार मुख्य रूप से जलमार्गों पर निर्भर था और तुर्क शासक ऐसे मार्गों से अपरिचित थे।
जब मुहम्मद तुगलक सल्तनत के विभिन्न भागों में भड़क रहे विद्रोहों को दबाने में व्यस्त था, उसी समय 1338 ई. में बंगाल फिर दिल्ली से स्वतंत्र हो गया तथा 1342 ई. इलियास खाँ नामक एक अमीर ने लखनौती व सोनार गाँव पर अधिकार कर लिया तथा शम्सुद्दीन इलियास खाँ की उपाधि धारण कर बंगाल की गद्दी पर बैठ गया।
2. शम्सुद्दीन इलियास खाँ के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसने पश्चिम में बंगाल का विस्तार तिरहुत, चंपारण तथा गोरखपुर तक किया।
2. उसने पंडुआ को अपनी राजधानी बनाया था।
3. दिल्ली से मैत्रीपूर्ण संबंधों का लाभ उठाकर उसने कन्नौज पर भी अधिकार कर लिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- शम्सुद्दीन इलियास खाँ के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। दिल्ली के साथ अपने मैत्रीपूर्ण संबंधों का लाभ उठाकर इलियास खाँ ने कामरूप राज्य (आधुनिक असम) पर अधिकार कर लिया था। शम्सुद्दीन इलियास खाँ ने 1338 ई. में बंगाल में एक स्वतंत्र शासन की स्थापना की। उसने तिरहुत, चंपारण तथा गोरखपुर पर कब्जा कर पश्चिम की ओर अपने राज्य का विस्तार किया तथा 'पंडुआ' को राजधानी बनाया।
3. सल्तनत काल में कोसी नदी निम्नलिखित में से किन दो राज्यों के बीच सीमा निर्धारण का कार्य करती थी ? 
(a) सल्तनत और बंगाल
(b) बंगाल और असम
(c) सल्तनत और बिहार
(d) बंगाल और बिहार
उत्तर - (a)
व्याख्या- सल्तनकल काल में कोसी नदी सल्तनत और बंगाल के मध्य सीमा का निर्धारण करती थी। इलियास खाँ के चंपारण एवं गोरखपुर के नवविजित क्षेत्रों से होते हुए फिरोजशाह तुगलक ने बंगाल पहुँचकर इनकी राजधानी पंडुआ पर अधिकार कर लिया, जिसके कारण इलियास खाँ को एकदाला के किले में शरण लेनी पड़ी।
लगभग दो महीने के बाद फिरोजशाह तुगलक एवं इलियास खाँ के मध्य युद्ध हुए, जिसमें इलियास खाँ पराजित हुआ। अतः दोनों में मित्रता की एक संधि हुई, जिसके अनुसार बिहार से होकर बहने वाली कोसी नदी सल्तनत एवं बंगाल शासकों की सीमा का निर्धारण करेगी।
4. सुल्तान गियासुद्दीन आजमशाह के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है ? 
(a) फारसी शायर हाफिज उसका घनिष्ठ मित्र था।
(b) उसके चीनियों के साथ कटु संबंध थे।
(c) इसके काल में राजा गणेश के अधीन हिंदू शासन स्थापित हुआ था।
(d) आजमशाह का शासनकाल 1389-1409 ई. था।
उत्तर - (b)
व्याख्या- सुल्तान गियासुद्दीन आजमशाह के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि आजमशाह ने चीनियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किए थे। इलियास खाँ के राजवंश का सबसे प्रसिद्ध सुल्तान गियासुद्दीन आजमशाह था । वह अपनी न्यायप्रियता एवं विद्वानता के लिए प्रसिद्ध था। चीनी सम्राट ने उसके दूत का स्वागत किया। इसने 1400 ई. में अपने दूत द्वारा चीनी शासक एवं इसकी पत्नी को उपहार भेजे थे तथा बौद्ध भिक्षुओं को आने का अनुरोध किया था।
5. बंगाल के शासकों के अधीन बांग्ला साहित्य श्रीकृष्ण विजय को किसने संकलित किया था ? 
(a) विद्याधर बसु
(b) मालाधर बसु 
(c) सत्याराज खाँ
(d) सत्यजीत राय 
उत्तर - (b)
व्याख्या- बांग्ला साहित्यकार मालाधर बसु था, जिसने श्रीकृष्ण विजय का संकलन किया था। बंगाल के सुल्तान ने इसे गुणराज खाँ की उपाधि दी थी तथा इसके पुत्र को सत्यराज खाँ की उपाधि से सम्मानित किया था। मुख्य रूप से बांग्ला भाषा का विकास अलाउद्दीन हुसैन के शासनकाल में हुआ।
6. अलाउद्दीन हुसैन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसने हिंदुओं को ऊँचे-ऊँचे पद प्रदान किए।
2. धर्मात्मा वैष्णवों के रूप में विख्यात दो भाई रूपा और सनातन ऊँचे पदों पर आसीन थे।
3. वह महान वैष्णव संत चैतन्य का बहुत आदर करता था ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- अलाउद्दीन हुसैन के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। हिंदुओं को उसने उच्च पद प्रदान किए थे। अलाउद्दीन हुसैन ने रूपा तथा सनातन नामक भाइयों को उच्च पद प्रदान किया।
वह महान वैष्णव संत चैतन्य का बहुत आदर करता था। अलाउद्दीन हुसैन के प्रबुद्ध शासन के अधीन बंगाल के इतिहास में एक शानदार दौर की शुरुआत हुई। अलाउद्दीन ने बंगाल में कानून व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा तथा इसने उदार नीति अपनाते हुए सभी धर्मों को अधिकार दिए।
7. अहोम के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यह बंगाल के पूरब में स्थित राज्य था।
(b) अहोम उत्तर बर्मा के मंगोली मूल के एक कबीले के लोग थे।
(c) असम नाम अहोम से व्युत्पन्न हुआ है ।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- अहोम के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। बंगाल के स्वतंत्र सुल्तानों ने अपने पूर्ववर्ती शासकों का अनुसरण करते हुए बंगाल के पूर्व की ओर अहोम (वर्तमान असम) की ओर ध्यान दिया, परंतु असफल रहे।
अहोम मूल रूप से उत्तर बर्मा के मंगोली मूल के लोगों का एक कबीला था, जो 13वीं शताब्दी में एक शक्तिशाली राज्य के रूप में स्थापित हुआ तथा कालांतर में हिंदू धर्म, संस्कृति में रच बस गया।
8. निम्नलिखित में से किस अहोम शासक ने अपना नाम बदलकर 'स्वर्ण नारायण' रखा था? 
(a) अलाउद्दीन हुसैन 
(b) नुसरतशाह
(c) सुहुगमुंग
(d) गुणराज खाँ
उत्तर - (c)
व्याख्या- सुहुगमुंग अपना नाम बदलकर 'स्वर्ण नारायण' रखा, जो हिंदू संस्कृति व धर्म का एक चक था। अलाउद्दीन हुसैन के बेटे नुसरतशाह ने अहोम राज्य पर हमला किया, जिसमें उसे असफलता का सामना करना पड़ा तथा भारी क्षति उठानी पड़ी। इस समय पूर्वी ब्रह्मपुत्र घाटी (अहोम) में सुहुगमुंग का शासन था। इसने मुसलमानों का आक्रमण विफल किया तथा अपने राज्य का विस्तार किया।
9. दक्षिण में कर्नाटक की ओर उड़ीसा के शासन का विस्तार करने का श्रेय किसे जाता है ?
(a) गंग शासकों को 
(b) गजपति राजवंश को
(c) रेड्डियों के राज्य को
(d) तुगलक सुल्तानों को
उत्तर - (b)
व्याख्या- दक्षिण से कर्नाटक की ओर ओडिशा के शासन का विस्तार करने का श्रेय गजपति राजवंश को जाता है। अपने इस दक्षिण विमुख विस्तार के परिणामस्वरूप उनका संघर्ष विजयनगर साम्राज्य, रेड्डियों के राज्य तथा बहमनी सल्तनत से हुआ। गजपति राजवंश के शासनकाल को उड़ीसा के इतिहास का स्वर्णकाल माना जाता है।
10. प्राचीन उड़ीसा के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) बंगाल और उड़ीसा राज्य की सीमा सरस्वती नदी थी ।
(b) उड़ीसा के शासक अपनी सत्ता को भागीरथी तक स्थापित करने में सफल रहे।
(c) अलाउद्दीन हुसैन शाह ने पुरी और कटक पर आक्रमण किया था।
(d) उपर्युक्त से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- प्राचीन उड़ीसा के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है ।
उड़ीसा के शासकों ने अपनी सत्ता भागीरथी तक विस्तारित करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें शीघ्र ही पीछे हटना पड़ा। इन क्षेत्रों पर उड़ीसा के शासकों के अधिकार अधिक समय तक नहीं रह सके।

पश्चिमी भारत : गुजरात, मालवा और मेवाड़

1. निम्नलिखित में से किसे गुजरात राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है ? 
(a) अहमदशाह प्रथम 
(b) जफर खाँ
(c) मोहम्मद इलियास
(d) महमूद बेगड़ा
उत्तर - (a)
व्याख्या- 1407 ई. में जफर खाँ ने दिल्ली सल्तनत की अधीनता त्यागकर स्वतंत्र राज्य का निर्माण किया तथा मुजफ्फर के नाम गुजरात की गद्दी पर बैठा, परंतु गुजरात राज्य का वास्तविक संस्थापक इसका पौत्र अहमदशाह प्रथम (1411-43 ई.) था। इसने अपने लंबे शासनकाल में अमीरों पर नियंत्रण स्थापित किया तथा प्रशासन को व्यवस्थित आधार प्रदान किया।
2. मुजफ्फरशाह के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल सिंधपुर पर आक्रमण किया था।
2. उसने मालवा के शासक हुशंगशाह को पराजित करके बंदी बना लिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 1
(c) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुजफ्फरशाह के संबंध में केवल कथन (2) सत्य है। मुजफ्फरशाह ने मालवा के शासक हुशंगशाह को पराजित कर उसे बंदी बना लिया था, किंतु कुछ समय बाद उसे मुक्त कर राज्य वापस कर दिया। कथन (1) सत्य नहीं है, क्योंकि सिंधपुर पर मुजफ्फरशाह ने नहीं, बल्कि उसके पौत्र अहमदशाह प्रथम ने आक्रमण किया था। यह गुजरात में स्थित है। वहाँ पर अहमदशाह ने अनेक मंदिरों को नष्ट कर दिया तथा हिंदुओं पर जजिया कर लगाया जो गुजरात में पहली बार हिंदुओं पर लगाया गया था।
3. महमूद बेगड़ा के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उसने सौराष्ट्र और चांपानेर को जीत लिया था।
(b) उसने मुस्तफाबाद नामक शहर बसाया था।
(c) उदयराज उसका दरबारी कवि था।
(d) वह शाहजहाँ के समकालीन था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- महमूद बेगड़ा के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि महमूद बेगड़ा मुगल शासक शाहजहाँ के नहीं, बल्कि हुमायूँ के समकालीन था। अहमदशाह के उत्तराधिकारियों ने अपने राज्य का विस्तार करने एवं उसे सुदृढ़ बनाने की उसकी नीति को जारी रखा। अहमदशाह प्रथम के बाद गुजरात का प्रसिद्ध शासक महमूद बेगड़ा हुआ। इसके शासनकाल में गुजरात राज्य अपने चरमोत्कर्ष की स्थिति में था, यह इतना शक्तिशाली हो गया कि इसके समकालीन मुगल शासक हुमायूँ के लिए एक गंभीर चुनौती सिद्ध हुआ।
4. गुजरात को उत्तर भारत और उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने वाला मालवा राज्य किन दो नदियों के बीच स्थित था?
(a) कृष्णा तथा कावेरी 
(b) नर्मदा तथा ताप्ती
(c) तुंगभद्रा तथा नर्मदा
(d) गोदावरी तथा ताप्ती
उत्तर - (b)
व्याख्या- मालवा राज्य, नर्मदा एवं ताप्ती नदियों के बीच ऊँचे पठार पर स्थित था। वह गुजरात को उत्तर भारत एंव उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने वाले मुख्य मार्गों पर पड़ता था। मालवा राज्य जब तक शक्तिशाली रहा तब तक वह गुजरात, मेवाड़ एवं बहमनी साम्राज्य एवं दिल्ली के लोदी सुल्तान की महत्त्वाकांक्षाओं के लिए एक दीवार बना रहा था।
5. मालवा राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. मालवा की राजधानी मांडू थी।
2. जहाज महल धार में स्थित था।
3. हिंडोला महल मांडू में स्थित था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- मालवा राज्य के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। 15वीं शताब्दी के दौरान मालवा राज्य अपने वैभव के उच्चतम शिखर पर था। राजधानी धार से हटाकर मांडू को बनाया गया।
यहाँ पर मालवा शासकों ने बड़ी संख्या में इमारतें बनवाई थीं, जिनमें जामा मस्जिद, हिंडोला महल एवं जहाज महल यहाँ की सबसे विख्यात इमारतें हैं ।
6. मालवा के शासक हुशंगशाह के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उसने जैनों को प्रश्रय दिया।
(b) वह मेवाड़ के राणा कुंभा का समकालीन था।
(c) वह धार्मिक रूप से सहिष्णु शासक था।
(d) उसने राजपूतों को मालवा में बसने दिया।
उत्तर - (b)
व्याख्या- मालवा के शासक हुशंगशाह के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि मालवा का शासक हुशंगशाह, मेवाड़ के शासक राणा कुंभा का समकालीन नहीं, बल्कि राजा मोकल के समकालीन था।
मालवा के आरंभिक शासक हुशंगशाह ने धार्मिक सहिष्णुता की उदार नीति अपनाई। बहुत से राजपूतों को मालवा में बसने को प्रोत्साहित किया, उसने जैनों को प्रश्रय दिया था।
इसके काल में मंदिरों के निर्माण में कोई प्रतिबंध नहीं था, परंतु मालवा के सभी शासक इतने सहिष्णु नहीं थे। महमूद खिलजी ने मेवाड़ के शासक राणा कुंभा एवं पड़ोसी हिंदू राजाओं से अपने संघर्ष के दौरान बहुत से मंदिरों को नष्ट कराया था।
7. मेवाड़ राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मेवाड़ को प्रबल शक्ति का दर्जा दिलाने का श्रेय राणा सांगा को प्राप्त था।
2. राणा कुंभा ने चित्तौड़ में कीर्तिस्तंभ का निर्माण करवाया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- मेवाड़ राज्य के संबंध में कथन (2) सत्य है । राणा कुंभा ने चित्तौड़ में कीर्तिस्तंभ का निर्माण करवाया था। राणा कुंभा के राजमहल के ध्वंसावशेष और चित्तौड़ का कीर्तिस्तंभ इस बात का साक्षी है कि वह एक उत्साही निर्माता था।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि मेवाड़ को प्रबल शक्ति का दर्जा दिलाने का श्रेय राणा सांगा को नहीं, बल्कि राणा कुंभा को जाता है। इसने अपने आंतरिक प्रतिद्वंद्वियों को पराजित कर उसने अपनी स्थिति सुदृढ़ की थी ।
8. घटोली का युद्ध 1517-18 ई. में किन दो शासकों के बीच हुआ था?
(a) संग्राम सिंह और इब्राहिम लोदी
(b) राणा सांगा और इब्राहिम लोदी
(c) राणा कुंभा और सिकंदर लोदी
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- खतोली या घटोली का युद्ध 1517-18 में शासक इब्राहिम लोदी एवं मेवाड़ शासक राणा सांगा के बीच हुआ था। राणा सांगा से पराजित होकर इब्राहिम लोदी दिल्ली लौट आया तथा अपनी आंतरिक स्थिति को मजबूत करने में लग गया। इस युद्ध में मेवाड़ की शक्ति सुदृढ़ हुई।
9. राणा सांगा के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) वह राणा कुंभा का पुत्र था।
(b) 1511 ई. में उसने महमूद द्वितीय को बंदी बनाया था।
(c) उसके काल में घटोली का युद्ध हुआ था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर - (a )
व्याख्या- राणा सांगा के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है। 1508 ई. में राणा कुंभा का पौत्र राणा सांगा मेवाड़ की राजगद्दी पर बैठा। राणा सांगा मेवाड़ राजाओं में सबसे प्रसिद्ध शासक था। यह एक बहादुर योद्धा व शासक था। इन्होंने दिल्ली, गुजरात व मालवा तथा मुगल बादशाहों के आक्रमणों से अपने राज्य की रक्षा की।

उत्तर पश्चिम और उत्तर भारत : शर्की और कश्मीर

1. जौनपुर के शासक मलिक सरवर ने 'मलिक-उल-शर्क' की उपाधि धारण की थी। इसका अर्थ क्या है?
(a) जन्नत का मालिक 
(b) पूर्व का स्वामी
(c) पश्चिम का स्वामी
(d) धरती का स्वामी
उत्तर - (b)
व्याख्या- मलिक-उल-शर्क से आशय 'पूर्व के स्वामी' से है। गंगा की घाटी में अपनी आबादी की घोषणा सबसे पहले करने वालों में मलिक सरवर का नाम था। यह फिरोजशाह तुगलक के समय का प्रमुख अमीर था। मलिक सरवर कुछ समय तक वजीर रहा तथा बाद में उसे मलिक-उल-शर्क की उपाधि के साथ सल्तनत के पूर्वी क्षेत्र जौनपुर का शासक बना दिया गया था।
2. जौनपुर के शर्की राजवंश के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. शर्की सुल्तानों ने दिल्ली की स्थापत्य शैली की अंधाधुंध नकल की।
2. प्रसिद्ध हिंदी महाकाव्य 'पद्मावत' का रचयिता मलिक मुहम्मद जायसी जौनपुर का था।
3. बहलोल लोदी ने 1484 ई. में जौनपुर को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3 
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- जौनपुर के शर्की राजवंश के संबंध में कथन (3) सत्य है। लोदी वंश के सुल्तान बहलोल लोदी ने 1484 ई. में जौनपुर को जीतकर शक राज्य को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया। शक सुल्तानों ने विद्ववता और संस्कृति को संरक्षण प्रदान किया। कालांतर में जौनपुर को पूरब का शिराज ' कहा जाने लगा। प्रसिद्ध हिंदी महाकाव्य पद्मावत का रचयिता मलिक मुहम्मद जायसी रायबरेली का निवासी था।
कथन (1) और (2) असत्य हैं। शर्की सुल्तानों ने दिल्ली सल्तनत की स्थापत्य शैली की नकल न कर अपनी एक अलग शैली का विकास किया, जिसकी विशेषता ऊँचे-ऊँचे सिंहद्वार एवं विशालकाय मेहराब थे।
3. शर्की सुल्तानों ने किस राज्य के शासकों को उत्तर प्रदेश में विस्तार करने से रोक दिया था? 
(a) बंगाल के शासकों को 
(b) कामरूप के शासकों को
(c) उड़ीसा के शासकों को 
(d) मेवाड़ के शासकों को
उत्तर - (a)
व्याख्या- शर्की सुल्तानों ने बंगाल के शासकों को पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपने राज्य का विस्तार करने में विफल किया। दिल्ली सल्तनत के अधीन शक साम्राज्य चले जाने के बाद भी शर्की सुल्तानों ने इस विस्तृत क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखी। शर्की सुल्तानों ने जो सांस्कृतिक परंपरा स्थापित की थी वह शर्की साम्राज्य के विघटन के बाद भी लंबे समय तक विद्यमान रही।
4. कश्मीर के संबंध में किस इतिहासकार ने कहा है कि "कश्मीर में ऐसे हिंदुओं को भी प्रवेश नहीं करने दिया जाता था, जो वहाँ के सरदारों से व्यक्तिगत रूप से परिचित नहीं थे "
(a) कल्हण
(b) अलबरूनी
(c) जियाऊद्दीन बरनी
(d) इब्नबतूता
उत्तर - (b)
व्याख्या- कश्मीर के संबंध में इतिहासकार अलबरूनी कहता है कि “कश्मीर में ऐसे हिंदुओं को भी प्रवेश नहीं दिया जाता था, जो वहाँ के सरदारों से व्यक्तिगत रूप से परिचित नहीं थे।" उस समय कश्मीर शैव धर्म के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध था, परंतु 14वीं सदी के मध्य के आस-पास हिंदू शासन की समाप्ति की स्थिति के साथ बदल गई। 1320 ई. में मंगोल नायक ब्लूचा द्वारा आक्रमण कश्मीर में हिंदू शासन के अंत का प्रारंभिक काल था।
5. जैनुल आबिदीन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। 
1. श्रीया भट्ट युद्ध उसके दरबार का न्याय मंत्री तथा दरबारी वैद्य था।
2. इसके काल में राजतरंगिणी का अनुवाद फारसी में करवाया।
3. जैना लंका उसकी अभियंतन (इंजीनियरिंग) संबंधी उत्कृष्ट उपलब्धि थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- जैनुल आबिदीन के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। श्रीया भट्ट, जैनुल आविदीन के शासनकाल में उसके न्याय विभाग का मंत्री तथा दरबारी वैद्य था। इसके शासनकाल में राजतरंगिणी का फारसी में अनुवाद कराया गया।
जैना लंका उसकी अभियंतन संबंधी उत्कृष्ट उपलब्धि थी। यह बूलर झील में तैयार कृत्रिम द्वीप था, जिस पर उसका राजमहल और मस्जिद बनवाई गई थी। जैन-उल- आबिदीन को कश्मीरी बड़शाह (बड़ाशाह) कहकर पुकारा जाता था।
6. जैनुल आबिदीन की उपलब्धियों में कौन-सा सत्य नहीं है?
(a) उसे 'बदशाह' कहा जाता है।
(b) उसने लद्दाख पर मंगोल हमले को नाकाम किया था।
(c) यह 'तिब्बत-ए-खुर्द' को नहीं जीत पाया।
(d) उसे कश्मीर का अकबर कहा जाता है।
उत्तर - (c)
व्याख्या- जैनुल आबिदीन की उपलब्धियों के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि इसने बाल्टिस्तान क्षेत्र जिसे तिब्बत-ए-खुर्द कहा जाता है, को जीता।
जैनुल आबिदीन को कश्मीरी आज भी बदशाह (बड़ाशाह) कहते हैं। वह कोई महान् योद्धा तो नहीं था, फिर भी इसने लद्दाख पर मंगोल हमले को नाकाम कर दिया। जम्मू और राजौरी पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर उसने कश्मीरी राज्य का एकीकरण किया।
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Thu, 08 Feb 2024 10:58:20 +0530 Jaankari Rakho
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गुलाम वंश

1. गुलाम वंश के संस्थापक तथा भारत में मुहम्मद गौरी के उत्तराधिकारी के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है ?
(a) उसे गुलामों का गुलाम कहा जाता है ।
(b) उसका संबंध मामलूक वंश से था।
(c) यलदूज उसका मुख्य प्रतिद्वंद्वी था।
(d) उसने तराइन के युद्ध में भाग लिया था। 
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक तथा भारत के मुहम्मद गौरी के उत्तराधिकारी के संबंध में कथन (c) सत्य है ।
मुहम्मद गौरी के तुर्क गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने भारत में गौरी के युद्ध कार्यों में भाग लिया तथा भारत में गौरी की साम्राज्यवादी नीति के अंतर्गत अनेक क्षेत्रों को जोड़कर गौरी साम्राज्य में मिलाया।
कुतुबुद्दीन ने दिल्ली सिंहासन के पूर्व गौरी के भतीजे व उत्तराधिकारी सुल्तान गयासुद्दीन मुहम्मद से दास मुक्ति पत्र प्राप्त कर लिया, परंतु भारत में दिल्ली के सिंहासन पर मुहम्मद गौरी के दूसरे गुलाम यलदूज की भी नजर थी, परंतु यलदूज को गौरी की मृत्यु के बाद गजनी का उत्तराधिकार प्राप्त हुआ, जिसके कारण कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत में गुलाम वंश की स्थापना की।
2. कुतुबुद्दीन ऐबक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसके नेतृत्व में इल्बारी वंश का उत्थान हुआ।
2. उसने लाहौर को राजधानी बनाया था।
3. उसने अजमेर में अढ़ाई दिन का झोंपड़ा बनवाया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या कुतुबुद्दीन ऐबक के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। 1206 ई. में मुहम्मद गौरी की मृत्यु के बाद उसके विश्वसनीय दास कुतुबुद्दीन में ऐबक ने भारत में गुलाम या दास वंश की स्थापना की थी। उसने इल्बारी वंश का उत्थान किया तथा दिल्ली सल्तनत के विस्तार की प्रक्रिया आरंभ की। इसने अपनी राजधानी लाहौर को बनाया।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने अजमेर में 'अढाई दिन का झोंपड़ा' नामक मस्जिद का निर्माण करवाया।
3. सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु कैसे हुई?
(a) उसके एक महत्त्वाकांक्षी कुलीन व्यक्ति ने कपट से छुरा मारकर हत्या कर दी।
(b) पंजाब पर अधिकार के किए यलदूज के साथ युद्ध में उसकी मृत्यु हुई।
(c) बुंदेलखंड के किले कालिंजर की घेराबंदी करते समय चोट के कारण उसकी मृत्यु हुईं ।
(d) चौगान की क्रीड़ा के दौरान घोड़े से गिरने के पश्चात् उसकी मृत्यु हुई।
उत्तर - (d)
व्याख्या- वर्ष 1210 में चौगान खेलते समय घोड़े से गिर जाने के कारण कुतुबुद्दीन ऐबक को गहरी चोटें लगीं और उससे उसकी मृत्यु हो गई। कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु 'लाहौर' में हुई और उसे वहीं दफना दिया गया। कुतुबुद्दीन की मृत्यु के उपरांत इल्तुतमिश ने दिल्ली सल्तनत पर अपना नियंत्रण स्थापित किया।
4. इल्तुतमिश के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने कुतुबुद्दीन के दामाद आरामशाह को युद्ध में पराजित किया था।
2. भारत में तुर्की शासन का वास्तविक संस्थापक इल्तुतमिश ही था।
3. इल्तुतमिश के समय अली मर्दान खाँ ने स्वयं को बिहार तथा बंगाल का गवर्नर घोषित कर दिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 2 और 3 
(b) 1 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- इल्तुतमिश के संबंध में कथन ( 2 ) और (3) सत्य हैं।
कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद उसका पुत्र आरामशाह दिल्ली सल्तनत की गद्दी पर बैठा, परंतु बदायूँ के इक्तादार एवं कुतुबुद्दीन ऐबक के दामाद इल्तुतमिश ने आरामशाह को युद्ध में हराकर स्वयं को सुल्तान घोषित किया। इल्तुतमिश दिल्ली सल्तनत तथा भारत में तुर्की शासन का वास्तविक संस्थापक था। उसने अली मर्दान खाँ को बिहार तथा बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया था।
5. इल्तुतमिश ने अपने शासनकाल ( 1210-1238 ई.) में निम्नलिखित में से कौन-सा कार्य नहीं किया था ? 
(a) ग्वालियर और बयाना पर अधिकार
(b) अजमेर और नागोर पर सत्ता स्थापना
(c) रणथंभौर और जालोर पर आक्रमण
(d) मारवाड़ की राजधानी नागदा पर आक्रमण
उत्तर - (d)
व्याख्या- इल्तुतमिश ने अपने शासनकाल में मारवाड़ की राजधानी नागदा पर आक्रमण नहीं किया था। इल्तुतमिश ने अपने विरोधियों यलदूज एवं कुबाचा को पराजित किया तथा मंगोल शासक चंगेज के आक्रमण को अपनी सूझ-बूझ से स्थगित कर दिया।
इल्तुतमिश ने बंगाल में हिसामुद्दीन खिलजी के विद्रोह का दमन करने के साथ-साथ राजपूतों का भी दमन करके साम्राज्य को सशक्त बनाया। इसने ग्वालियर, पूर्वी राजस्थान क्षेत्र (अजमेर एवं बयाना) तथा रणथंभौर एवं जालोर जैसे राजपूत साम्राज्य को अपने अधीन किया।
6. भारत पर मंगोल आक्रमण का खतरा 1221 ई. में तब उत्पन्न हो गया था, जब चंगेज खाँ सिंधु नदी तक आ गया था। वह किसका पीछा करता हुआ आया था? 
(a) जलालुद्दीन मंगबरनी
(b) अलाउद्दीन आलम शाह
(c) जमालुद्दीन ख्वाजा
(d) नासिरुद्दीन कुबाचा
उत्तर - (a)
व्याख्या- इल्तुतमिश के समय ही दिल्ली सल्तनत पर मंगोल आक्रमण का खतरा भी मंडराने लगा। 1221 ई. में मुस्लिमों के प्रतिष्ठित राज्य ख्वारिज्म को मंगोलों ने जीत लिया। उसके बाद ख्वारिज्म का राजकुमार जलालुद्दीन मंगबरनी भारत की ओर भागा।
चंगेज खाँ उसका पीछा करते हुए सिंधु नदी तक आ गया। मंगबरनी ने इल्तुतमिश से शरण माँगी, परंतु इल्तुतमिश ने शरण देने से मना कर दिया। अंत में चंगेज खाँ सिंधु नदी से आगे नहीं बढ़ा। इस प्रकार मंगोल आक्रमण का खतरा टल गया।
7. रजिया सुल्तान के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. रजिया ने अपने अभिलेखों और सिक्कों पर अंकित करवाया कि वह सुल्तान इल्तुतमिश की पुत्री है।
2. मिनहास - ए - सिराज ने रजिया को उसके भाइयों में सबसे अधिक योग्य और सक्षम बताया है।
3. होयसल वंश की रानी रुद्रम्मा देवी के व्यवहार से रजिया का व्यवहार समानता रखता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 1
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- रजिया सुल्तान के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं।
रजिया सुल्तान ने अपने अभिलेखों एवं सिक्कों पर सुल्तान इल्तुतमिश की बेटी अंकित करवाया। रजिया ने पर्दा-प्रथा को त्याग दिया और यह पुरुषों के समान कुबा (कोट) और कुलाह (टोपी) पहनकर दरबार में बैठती थी। रजिया पहली मुस्लिम शासिका थी।
मिनहास-ए-सिराज ने रजिया को उसके भाइयों में सबसे अधिक योग्य और सक्षम बताया है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि आधुनिक आंध्र प्रदेश के वारंगल क्षेत्र में किसी समय काकतीय वंश का राज था, उस वंश की रानी रुद्रम्मा देवी के व्यवहार से रजिया सुल्तान के व्यवहार में कोई समानता नहीं थी।
8. निम्नलिखित में किसने किस शासक के बारे में लिखा है कि "उस दिन से बारान, अमरोहा, संभल और कटेहर ( आधुनिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश) के इक्ता सुरक्षित हो गए और उन्हें उपद्रवों से हमेशा के लिए मुक्ति मिल गई ।  "
(a) बरनी ने बलबन के बारे में
(b) मिनहास-ए-सिराज ने तुगरिल खाँ के बारे में
(c) बरनी ने बुगरा खाँ के बारे में
(d) इब्नबतूता ने मुहम्मद बिन तुगलक के बारे में
उत्तर - (a)
व्याख्या- उक्त कथन बलबन के संबंध में इतिहासकार बरनी ने कहा है । जियाउद्दीन बरनी भारत का इतिहास लिखने वाला पहला इतिहासकार है। बरनी ने बलबन की मेवातियों से निपटने की नीति 'खून और फौलाद' (रक्त और लौह की नीति) की व्याख्या करते हुए कहा है कि “उस दिन बारान, अमरोहा, संभल एवं कटेहर के इक्ता सुरक्षित हो गए एवं उन्हें उपद्रवों से हमेशा के लिए मुक्ति मिल गई । ”
9. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन बलबन के संबंध में सत्य नहीं है?
(a) उसने 'नियामत-ए- खुदाई' के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
(b) उसने इक्तादारी व्यवस्था प्रारंभ की।
(c) उसने तुर्कान - ए - चहलगानी का प्रभाव समाप्त किया।
(d) उसने बंगाल के विद्रोह का दमन किया।
उत्तर - (b)
व्याख्या- बलबन के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि इक्ता प्रणाली की व्यवस्था बलबन ने नहीं, बल्कि इल्तुतमिश ने आरंभ की थी। बलबन 1265 ई. में दिल्ली सल्तनत की गद्दी पर बैठा तथा उसने नियामत - ए - खुदाई के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। तुर्कान ए-चहलगानी अमीरों के दल का हिस्सा था, जिसका बलबन ने दमन कर दिया था। बलबन ने बंगाल के विद्रोह को दबाने के लिए अभियान भी किया।
10. गयासुद्दीन बलबन के सुल्तान बनने के पश्चात् हुई विभिन्न घटनाओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. बलबन ने दरबार में 'खून और फौलाद' की नीति का पालन करवाया।
2. मंगोल आक्रमणकारी अब्दुल्ला (हलाकू का पौत्र) ने बलबन के काल में दिल्ली पर आक्रमण किया था।
3. बलबन ने बंगाल अभियान के पश्चात् बुगरा खाँ को बंगाल का सूबेदार बनाया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 2
(b) 1 और 3 
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- गयासुद्दीन बलबन के सुल्तान बनने के पश्चात् हुई घटनाओं के संबंध में कथन (2) असत्य हैं।
बलबन ने अपनी कूटनीति एवं शक्ति की मिली-जुली नीति (खून और फौलाद) अपनाई। इसने अपनी कूटनीति के अंतर्गत ईरान के मंगोल शासक इल-खान हलाकू के पास अपना दूत राजनीतिक संबंध स्थापित करने के लिए भेजा। हलाकू ने भी अपने दूत भेजकर राजनीतिक संबंध स्थापित किए, परंतु बलबन की मृत्यु के बाद 1292 ई. में हलाकू का एक पौत्र अब्दुल्ला 1,50,000 घुड़सवारों के साथ दिल्ली की ओर बढ़ चला, , लेकिन जलालुद्दीन खिलजी ने बलबन द्वारा स्थापित भटिंडा, सुनाम आदि में स्थापित सीमा सुरक्षा के निकट उसे पराजित कर दिया।
11. बलबन के शासनकाल में बंगाल के लखनौती में किस शासक ने विद्रोह किया था, जिसको दबाने के लिए बलबन स्वयं बंगाल अभियान पर गया था? 
(a) तुगरिल खान ने
(b) इबान खान ने
(c) बुगरा खाँ ने
(d) बख्तियार खिलजी ने
उत्तर - (a)
व्याख्या- बलबन ने दिल्ली सल्तनत को सशक्त बनाने के लिए पूर्वी भारत पर नियंत्रण की प्रक्रिया आरंभ की। बंगाल में तुगरिल खान ने पहले तो बलबन की अधीनता स्वीकार कर ली थी, परंतु बाद में उसने भी अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की, तब बलबन ने स्वयं सेना लेकर लखनौती (1280 ई.) पर चढ़ाई की और तुगरिल खान को समाप्त कर दिया तथा उसके परिजनों को भी अमानवीय दंड दिए। यह सैनिक अभियान तीन वर्ष तक चला था, जिसका नेतृत्व बलबन ने दिल्ली से दूर जाकर किया था।
12. बलबन के समय में हुए मंगोल आक्रमणों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. 1245 ई. में बलबन ने मंगोल सेनापति तैर बहादुर को पराजित किया।
2. बलबन ने मंगोलों से मुल्तान को पुनः छीन लिया तथा दिल्ली सल्तनत मिला लिया।
3. बलबन ने मंगोलों से लड़ने के लिए तबरहिंद, सुनाम और समाना के किलों की मरम्मत करवाई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- बलबन के समय में हुए मंगोल आक्रमणों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं ।
लाहौर विजित करने के बाद मंगोल सेना ने सेनापति तैर बहादुर के नेतृत्व में 1245 ई. में मुल्तान पर चढ़ाई की। बलबन ने एक विशाल सेना लेकर मुल्तान की रक्षा की तथा मंगोल सेनापति तैर बहादुर को परास्त किया और मुल्तान को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया।
बलबन ने मंगोलों को व्यास नदी पार करने से रोकने के लिए तबरहिंद, सुनाम एवं समाना के किलों की मरम्मत करवाई।

खिलजी वंश

1. खिलजी वंश के किस सुल्तान ने 'शासितों के स्वैच्छिक स आधारित राज्य' के सिद्धांत का पालन किया?
(a) जलालुद्दीन खिलजी
(b) अलाउद्दीन खिलजी
(c) मुबारक खिलजी
(d) नासिरुद्दीन खिलजी
उत्तर - (a)
व्याख्या- जलालुद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का वह पहला शासक था, जिसने स्पष्ट शब्दों में यह विचार रखा कि राज्य को 'शासितों के स्वैच्छिक समर्थन पर आधारित ' होना चाहिए, क्योंकि भारत में हिंदुओं की संख्या अधिक है, इसलिए यह देश सही अर्थों में इस्लामी राष्ट्र नहीं हो सकता।
जलालुद्दीन खिलजी ने सहिष्णुता का व्यवहार करने एवं राजाओं का सहारा न लेने की नीति अपनाकर अमीरों की सद्भावना भी प्राप्त करने की कोशिश की।
2. खिलजी वंश के संस्थापक जलालुद्दीन खिलजी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. खिलजी अमीरों ने 1290 ई. में जलालुद्दीन खिलजी को दिल्ली की गद्दी पर बैठाया।
2. जलालुद्दीन खिलजी के सुल्तान बनने से कुछ पदों पर तुर्कों का एकाधिकार समाप्त हो गया।
3. सुल्तान बनने से पूर्व वह उत्तर पश्चिम सीमा का प्रधान रक्षक था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- खिलजी वंश के संस्थापक जलालुद्दीन खिलजी के संबंध में सभी कथन सत्य हैं ।
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने गुलाम वंश के अंतिम शासक कैकुबाद की हत्या कर 1290 ई. में खिलजी वंश की स्थापना की। खिलजी वंश दिल्ली सल्तनत के अंतर्गत शासन करने वाला दूसरा वंश था, जो मध्य एशिया से आया था। शासक बनने के बाद भी जलालुद्दीन खिलजी ने सिंहासनारोहण से मना कर दिया तथा दिल्ली में किलोखरी महल को अपनी राजधानी बनाया।
जलालुद्दीन खिलजी, जो मिश्रित रक्त था, ने तुर्कों को ऊँचे पदों से वंचित नहीं किया था, लेकिन उसके उदय के साथ ही उच्च पदों पर तुर्कों का एकाधिकार समाप्त हो गया था।
सुल्तान बनने से पूर्व जलालुद्दीन खिलजी उत्तर-पश्चिम सीमा का प्रधान रक्षक था और उसने अनेक लड़ाइयों में मंगोलों के विरुद्ध अपना जौहर दिखाया था।
3. अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316 ई.) के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) अलाउद्दीन ने अपने पिता जलालुद्दीन खिलजी को धोखे से मारकर गद्दी प्राप्त की।
(b) वह सुल्तान बनने से पूर्व अवध का सूबेदार था।
(c) अलाउद्दीन के सेनापति मलिक काफूर ने देवगिरि पर आक्रमण किया था।
(d) अलाउद्दीन ने सरदारों को अपना स्वामीभक्त बनाया।
उत्तर - (a)
व्याख्या- अलाउद्दीन खिलजी के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है। जलालुद्दीन खिलजी का भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन खिलजी ने अपने ससुर जलालुद्दीन की धोखे से हत्या कर सत्ता प्राप्त की। यह बलबन के लालमहल में अलाउद्दीन नियाबुद्दीन मोहम्मद गुरशास्प के नाम की उपाधि के साथ सिंहासनारूढ़ (1296 ई.) हुआ।
अलाउद्दीन ने परोपकारिता एवं मानवतावाद पर आधारित शासन के सिद्धांत को अस्वीकार कर कठोरता एवं आतंक को अपने शासन का आधार बनाया ।
4. अलाउद्दीन खिलजी के समय हुए मंगोल आक्रमणों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सबसे ज्यादा मंगोल आक्रमण अलाउद्दीन खिलजी के काल में हुए थे ।
2. मंगोल आक्रमण का सामना करने के लिए उसने एक विशाल अस्थायी सेना का गठन किया था।
3. उसने अपने सैनिकों के लिए 'सीरी' नामक एक नया गैरिसन शहर नहीं बसाया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य नहीं है / हैं ?
(a) 1 और 3
(b) केवल 2 
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 1
उत्तर - (b)
व्याख्या- अलाउद्दीन खिलजी के समय हुए मंगोल आक्रमणों के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य नहीं हैं, क्योंकि मंगोल आक्रमण का सामना करने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने एक स्थायी सेना को गठित किया, न कि अस्थायी सेना को अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में 1290-1300 ई. तथा 1302-1303 ई. के मध्य मंगोल आक्रमण हुए थे।
अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सैनिकों के लिए मंगोल आक्रमण से सुरक्षा हेतु सीरी नामक एक गैरीसन शहर का निर्माण किया था।
5. अलाउद्दीन खिलजी के गुलाम तथा सेनापति मलिक काफूर के दक्षिण अभियान के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने मदुरै नगर पर आक्रमण कर उसे लूटा था।
2. उसने द्वारसमुद्र के होयसलों पर आक्रमण किया था।
3. उसने देवगिरि के शासक राय रामचंद्र को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- अलाउद्दीन खिलजी के गुलाम तथा सेनापति मलिक काफूर के दक्षिण अभियान के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
दिल्ली सल्तनत के शासक अलाउद्दीन खिलजी के दास गुलाम एवं विश्वासपात्र मलिक काफूर ने देवगिरि, वारंगल, द्वार समुद्र के होयसल, मुदैर तथा माबर जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों पर आक्रमण कर तथा उन क्षेत्रों को लूटा एवं विजित कर अपने मालिक अलाउद्दीन खिलजी के साम्राज्य में मिला दिया था। इसने इन अभियानों के दौरान दिल्ली सल्तनत के लिए बड़ी संख्या में खजाना, हाथी एवं घोड़े प्राप्त किए थे।
अलाउद्दीन की दक्कन विजय को मलिक काफूर ने संभव बनाया था और उसने इसी दौरान देवगिरि के शासक राय रामचंद्र को आत्मसमर्पण के लिए भी मजबूर किया और परिणामस्वरूप राय रामचंद्र 1315 ई. तक दिल्ली सल्तनत का वफादार बना रहा।
6. सैनिकों को वेतन देने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने कौन-सा तरीका अपनाया था ? 
(a) उसने सैनिकों को इक्ता के स्थान पर नकद वेतन दिया।
(b) उसने सैनिकों को नकद वेतन की जगह इक्ता दिया।
(c) उसने सैनिकों को दैनिक मजदूरी पर नियुक्त किया।
(d) उसने सैनिकों को सेवा के उपरांत वेतन देना तय किया।
उत्तर - (a)
व्याख्या- अलाउद्दीन खिलजी ने सैनिकों को इक्ता (भूमि) प्रदान करने के बदले नकद वेतन देने की प्रथा प्रारंभ की। अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में महत्त्वपूर्ण सैनिक सुधार संभवतः चित्तौड़ एवं रणथंभौर विजय के पश्चात् लागू किए गए थे।
खिलजी के शासनकाल में सेनानायकों को विभिन्न क्षेत्रों के सूबेदार के रूप में नियुक्त किया गया तथा इन क्षेत्रों को इक्ता कहा जाता था और उन्हें संभालने वाले अधिकारी इक्तादार या मुक्ती कहे जाते थे। ये इक्तादार सैनिक सेवाओं के बदले अपने क्षेत्रों में राजस्व वसूलते थे तथा इस राजस्व के रूप में मिली रकम से ही सैनिकों को वेतन दिया जाता था।
7. गुजरात विजय के पश्चात् अलाउद्दीन ने रणथंभौर ( राजस्थान ) पर आक्रमण किया। पृथ्वीराज चौहान का कौन-सा उत्तराधिकारी वहाँ शासन कर रहा था ? 
(a) राजा रतन सिंह 
(b) राजा रामरायन
(c) राजा हम्मीर देव
(d) विक्रम सिंह चौहान
उत्तर - (c)
व्याख्या- पृथ्वीराज चौहान का उत्तराधिकारी राजा हम्मीर देव रणथंभौर का शासक था। रणथंभौर अभियान की पूर्वपीठिका गुजरात अभियान में ही तैयार हो गई थी। वस्तुत: गुजरात अभियान के पश्चात् वापस लौटती हुई सेना में युद्ध की लूट के बँटवारे को लेकर संघर्ष छिड़ गया। कुछ सैनिकों ने सरकारी कोष से धन लेकर रणथंभौर में शरण ली, जिसके बाद अलाउद्दीन ने रणथंभौर के शासक हम्मीर देव से उन सैनिकों को वापस करने का प्रस्ताव भेजा, परंतु हम्मीर देव ने इनकार कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप अलाउद्दीन ने नुसरत खाँ के नेतृत्व में एक सेना भेजी, परंतु नुसरत खाँ मारा गया। अंतत: अलाउद्दीन स्वयं रणथंभौर अभियान का नेतृत्व किया, जिसमें हम्मीर देव अपने सैनिकों के साथ लड़ते हुए मारा गया।
8. अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ आक्रमण के संबंध में किसने कहा है कि 'रानी पद्मिनी सिंहलद्वीप की रानी थी'?
(a) अमीर खुसरो 
(b) हसन निजामी
(c) मलिक मुहम्मद जायसी
(d) खिज्र खाँ
उत्तर - (c)
व्याख्या- अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ आक्रमण के संबंध में मलिक मुहम्मद जायसी ने कहा है कि 'रानी पद्मिनी सिंहलद्वीप की रानी थी।' अलाउद्दीन खिलजी का चित्तौड़ अभियान राजा रतन सिंह के विरुद्ध था। इस अभियान के दो मुख्य कारण थे- पहला राजा रतन सिंह का वृहद् साम्राज्य क्षेत्र तथा दूसरा राजा रतन सिंह की पत्नी रानी पद्मावती को प्राप्त करना, लेकिन बहुत से आधुनिक इतिहासकार इस दूसरे कारण को सत्य नहीं मानते, क्योंकि इसका प्रथम उल्लेख अलाउद्दीन की चित्तौड़ विजय के सौ वर्षों बाद हुआ। इसकी सर्वप्रथम रचना कवि मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा की गई। इस कथा में रानी पद्मिनी या पद्मावती को सिंघलद्वीप की रानी बताया गया है तथा रतन सिंह अनेक अविश्वसनीय साहसिक कार्य एवं पराक्रम करते हुए सात समुद्र करके रानी को चित्तौड़ लाता है।
9. अलाउद्दीन खिलजी के दरबारी कवि अमीर खुसरो के संबंध में निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) चित्तौड़ अभियान में वह अलाउद्दीन के साथ था।
(b) उसने रणथंभौर के किले का सजीव वर्णन किया था।
(c) अमीर खुसरो ने दक्षिण अभियान पर पुस्तक की रचना की थी।
(d) अमीर खुसरो ने अलाउद्दीन खिलजी के अतिरिक्त अन्य सुल्तानों का शासन भी देखा था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- अलाउद्दीन खिलजी के दरबारी कवि अमीर खुसरो के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि अलाउद्दीन खिलजी का दरबारी कवि अमीर खुसरो, इसके चित्तौड़ अभियान में शामिल नहीं था, बल्कि अमीर खुसरो अलाउद्दीन के रणथंभौर अभियान में शामिल था।
अमीर खुसरो दिल्ली सल्तनत के प्रमुख कवि, शायर, गायक, इतिहासकार एवं संगीतकार थे। इनका परिवार कई पीढ़ियों से राजदरबार से संबंधित था, स्वयं अमीर खुसरो ने 8 सुल्तानों का शासन देखा था। अमीर खुसरो प्रथम मुस्लिम कवि थे, जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया था।
10. दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने भूमि में फसल की माप का आधा राजस्व के रूप में लेने का दावा प्रस्तुत किया?
(a) इल्तुतमिश 
(b) बलबन
(c) अलाउद्दीन खिलजी
(d) मुहम्मद बिन तुगलक
उत्तर - (c)
व्याख्या- अलाउद्दीन खिलजी ने भू-राजस्व प्रणाली में सुधार किया। उसने भूमि में फसल की माप का आधा हिस्सा राजस्व के रूप में लेने का दावा प्रस्तुत किया। अलाउद्दीन खिलजी ने खूत (भू-राजस्व) और मुकद्दम (मुखिया) जैसे जमींदारों की शक्ति को क्षीण करते हुए सीधे राजस्व भुगतान की प्रक्रिया आरंभ की। इस प्रकार गाँव के शक्तिशाली और धनाढ्य लोगों के भू-राजस्व अधिकारों को समाप्त कर सल्तनत को अधिक लाभ दिया गया।

तुगलक वंश

1. गयासुद्दीन तुगलक से संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसने 1420 ई. में तुगलक वंश की स्थापना की थी।
2. गयासुद्दीन के पुत्र फिरोजशाह तुगलक का विस्तार अलाउद्दीन खिलजी के साम्राज्य के बराबर था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- गयासुद्दीन तुगलक के संबंध में दिए गए कथनों में से कोई भी कथन सत्य नहीं है।
गयासुद्दीन/ ग्यासुद्दीन ने 1320 ई. में तुगलक वंश की स्थापना की थी। गयासुद्दीन का मूल नाम 'गाजी तुगलक' अथवा 'गाजी बेग तुगलक' था । वह एक महत्त्वाकांक्षी शासक था, जिसने सुदूर दक्षिण तक सल्तनत पर प्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित किया गयासुद्दीन तुगलक के पुत्र जौना खाँ ने दक्षिणी अभियानों का नेतृत्व किया था और राजमुंदरी अभिलेख में उसे दुनिया का खान कहा गया।
फिरोजशाह तुगलक का साम्राज्य अलाउद्दीन खिलजी की अपेक्षा छोटा था। उसका नियंत्रण दक्षिण तथा पूर्वी भारत पर कमजोर हुआ था। वस्तुतः उसकी मृत्यु के पश्चात् तुगलक वंश का विघटन हो गया और उत्तर भारत अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बँट गया।
2. मुहम्मद बिन तुगलक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसने नया गैरिसन शहर बनाने के स्थान पर दिल्ली के 'देहली - ए - कुहना' को सैनिक छावनी में तब्दील कर दिया।
2. उसने पुराने शहर के निवासियों को दक्षिण में बनी नई राजधानी दौलताबाद भेज दिया।
3. उसके शासनकाल में ईरानी यात्री इब्नबतूता भारत आया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 3
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 4
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुहम्मद बिन तुगलक के संबंध में कथन (3) असत्य है, क्योंकि मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में ईरानी यात्री नहीं, बल्कि मोरक्को यात्री इब्नबतूता 1333 ई. में भारत आया था। सुल्तान ने इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया था।
दिल्ली सल्तनत के इतिहास में मोहम्मद बिन तुगलक सर्वाधिक विलक्षण व्यक्तित्व का स्वामी था। यह दिल्ली सल्तनत का सबसे योग्य एवं शिक्षित शासक था। यह फारसी एवं अरबी का विद्वान् था।
3. मुहम्मद बिन तुगलक के द्वारा लिए गए विभिन्न निर्णयों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. वह अपने सैनिकों को नकद वेतन देता था।
2. उसने आज की कागजी मुद्रा की तरह 'टोकन' मुद्रा चलाई थी ।
3. यह 'टोकन' मुद्रा सोने और चाँदी के समान महँगी थी।
4. चौदहवीं सदी के लोगों ने टोकन मुद्रा पर भरोसा व्यक्त किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुहम्मद बिन तुगलक के द्वारा लिए गए विभिन्न निर्णयों के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
मुहम्मद बिन तुगलक अपने सैनिकों को नकद वेतन देता था तथा उसने एक बड़ी सेना स्थापित की थी। चाँदी की कमी के कारण मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में सांकेतिक या टोकन मुद्रा का प्रचलन किया गया, इस सांकेतिक मुद्रा के अंतर्गत पीतल/काँसे की मुद्रा प्रयोग में लाई गई।
पीतल की मुद्रा/सिक्के चलाने वाला प्रथम सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक ही था। कांस्य / पीतल की मुद्रा का मूल्य चाँदी की मुद्रा के बराबर रखा गया। सिक्कों पर फारसी तथा अरबी भाषा में लेख लिखे गए थे।
लोगों ने सरलता से अपने घरों में सिक्के बनाने शुरू कर दिए, जो राजकीय सिक्कों जैसे ही थे। राजकोष को भारी नुकसान हुआ, जिसके परिणामस्वरूप इसे सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन बंद करना पड़ा।
4. मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा किए गए प्रयोगों को क्रम के अनुसार व्यवस्थित करें
(a) राजधानी परिवर्तन कर वृद्धि - सांकेतिक मुद्रा खुरासान अभियान
(b) सांकेतिक मुद्रा- खुरासान अभियान - कर वृद्धि - राजधानी परिवर्तन
(c) कर वृद्धि - राजधानी परिवर्तन - सांकेतिक मुद्रा खुरासान अभियान
(d) सांकेतिक मुद्रा-राजधानी परिवर्तन कर वृद्धि - खुरासान अभियान
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा प्रयोगों का सही क्रम इस प्रकार से है - कर वृद्धि - राजधानी परिवर्तन- सांकेतिक मुद्राखुरासान अभियान ।
मुहम्मद बिन तुगलक ने 1325-27 ई. के मध्य इस क्षेत्र में कर वृद्धि 50% तक कर दी थी। जिस समय दोआब में कर वृद्धि की गई, उस समय दोआब में अकाल एवं सूखा पड़ रहा था।
मुहम्मद तुगलक ने 1326-27 ई. में दिल्ली के स्थान पर देवगिरि को राजधानी बनाया तथा इसका नाम दौलताबाद रखा।
मुहम्मद बिन तुगलक ने 1329-30 ई. में सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन किया, जो असफल रहा।
1333 ई. में तुगलक ने मंगोलों के विरुद्ध खुरासान अभियान किया था।
5. मुहम्मद बिन तुगलक के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इसके काल में तमीशिरिन के नेतृत्व में मंगोलों ने सिंध पर आक्रमण किया था।
2. उसने सिंध विजय प्राप्त की और कलानौर, पेशावर तक अधिकार कायम किया।
3. उसे 'अभागा आदर्शवादी' की संज्ञा दी गई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुहम्मद -बिन-तुगलक के संदर्भ में सभी कथन सत्य हैं। 1327 ई. में मंगोल आक्रमणकारी तर्माशिरिन ने भारत के सिंध क्षेत्र पर आक्रमण किया था तथा इन आक्रमणकारियों ने लाहौर एवं मुल्तान को रौंद डाला, साथ ही मेरठ व बदायूँ तक लूटपाट की। मुहम्मद तुगलक की सेना ने उसे पराजित किया, परंतु इतिहासकार फरिश्ता कहता है कि 'तुगलक ने मंगोलों को रिश्वत देकर वापस भेज दिया।
मुहम्मद बिन तुगलक ने सिंध को जीतकर कलानौर तथा पेशावर तक अधिकार कर लिया । मुहम्मद बिन तुगलक को अभागा आदर्शवादी भी कहा गया।
6. मुहम्मद बिन तुगलक के काल से संबंधित कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) अली गुरशास्प का विद्रोह इसी के काल में हुआ था।
(b) उसने देवगिरि का नाम बदलकर दौलताबाद कर दिया था।
(c) तुर्क आक्रमण से बचने के लिए उसने राजधानी परिवर्तन किया था।
(d) मुहम्मद बिन तुगलक ने सूफियों को दौलताबाद जाने का आदेश दिया था।
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुहम्मद बिन तुगलक के काल से संबंधित कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि मुहम्मद- - बिन तुगलक ने तुर्क आक्रमण से बचने के लिए राजधानी परिवर्तित नहीं की थी। राजधानी परिवर्तन मुहम्मद बिन तुगलक की योजनाओं में सर्वाधिक प्रतिक्रियावादी कार्य माना जाता है। कुतुबुद्दीन ऐबक एवं मुबारक खिलजी ने देवगिरि का नाम कुतुबाबाद रखा था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने इसे राजधानी बनाया एवं देवगिरि का नाम दौलताबाद रखा। दिल्ली के स्थान पर देवगिरि राजधानी बनाने के संबंध में अनेक मत दिए जाते हैं। इब्नबतूता के अनुसार, सुल्तान को दिल्ली के नागरिकों ने असम्मानपूर्ण पत्र लिखे थे, अतएव उन्हें दंडित करने के लिए देवगिरि को राजधानी बनाने का निर्णय लिया गया।
7. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. देवगिरि दक्षिण भारत में तुर्क शासन के विस्तार का आधार था।
2. मुहम्मद-बिन-तुगलक ने शहजादे के तौर पर देवगिरि में कई वर्ष बिताए थे।
3. मुहम्मद बिन तुगलक ने इब्नबतूता को सद्र नियुक्त किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। मुहम्मद बिन तुगलक ने राजसत्ता प्राप्त करने के बाद सबसे विवादास्पद कदम राजधानी स्थानांतरण करके उठाया था। इसने दिल्ली के स्थान पर देवगिरि को राजधानी (1326-27 ई.) बनाया तथा इसका नाम दौलताबाद रख दिया, परंतु जनता के विद्रोहों के कारण मुहम्मद तुगलक ने 1335 ई. में दिल्ली को पुनः राजधानी बनाया तथा लोगों को लौटने का आदेश दिया।
मोरक्को का यात्री इब्नबतूता मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में भारत आया था। इब्नबतूता को दिल्ली का सद्र नियुक्त किया गया था।
8. फिरोजशाह तुगलक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. यह मुहम्मद तुगलक का पुत्र था।
2. इसका शासनकाल 1351 ई. से 1388 ई. तक था।
3. फिरोज ने अमीरों को लगान का अनुदान दिया था।
4. वह सरदारों के साथ व्यवहार करने में उदार था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3 
(b) 2, 3 और 4
(c) 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर - (b)
व्याख्या- फिरोजशाह तुगलक के संबंध में कथन (2), (3) और (4) सत्य हैं। मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के बाद इसका चचेरा भाई फिरोजशाह दिल्ली सल्तनत का सुल्तान बना।
यह गयासुद्दीन तुगलक के भाई मलिक रज्जब का पुत्र था, इसकी माता मैला नाइला अबोहर के भट्टी राजपूत राय रनमल की पुत्री थी। उसने 1351 ई. से 1388 ई. तक शासन किया।
फिरोज अमीर तथा सरदारों के प्रति उदार था, उसने अमीरों को लगान का अनुदान दिया।
9. निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) फिरोज ने बंगाल पर दो बार आक्रमण किया और सफल रहा।
(b) फिरोज ने जाजनगर के शासक पर चढ़ाई की।
(c) फिरोज ने पंजाब की पहाड़ियों में कांगड़ा पर हमला किया।
(d) फिरोज ने गुजरात और थट्टा के विद्रोहों को दबा दिया।
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (a) सत्य नहीं है कि फिरोजशाह ने बंगाल पर दो बार आक्रमण किया तथा सफल रहा। बंगाल मुहम्मद बिन तुगलक के समय स्वतंत्र हो गया था तथा हाजी इलियास शम्सुद्दीन इलियास शाह नाम से बंगाल का स्वतंत्र शासक बन गया। फिरोजशाह तुगलक ने शम्सुद्दीन से संधि कर उसे बंगाल का शासक स्वीकार कर लिया। फिरोजशाह का प्रथम बंगाल अभियान असफल रहा। इसके बाद पुन: 1359 ई. में बंगाल का अभियान हुआ, फिरोजशाह का यह अभियान असफल रहा।
10. फिरोज तुगलक की धार्मिक नीति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने मुसलमान स्त्रियों के इबादत करने और मन्नतें माँगने के लिए पीरों की मजारों पर जाने के रिवाज पर रोक लगा दी।
2. फिरोज ने जजिया को एक अलग कर बना दिया।
3. उसने ब्राह्मणों को जजिया कर से मुक्त कर दिया।
4. उसने स्त्रियों, बच्चों, अंधों- अपंगों को जजिया से मुक्त कर दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1, 2 और 4
(b) 2, 3 और 4
(c) 3 और 4
(d) 1, 3 और 4
उत्तर - (a)
व्याख्या- फिरोजशाह तुगलक की धार्मिक नीति के संबंध में कथन (1), (2) और (4) सत्य हैं ।
उसने स्त्रियों, बच्चों तथा अपंगों को जजिया से मुक्त किया। फिरोज के समय पहली बार जजिया अलग कर बना। फिरोजशाह तुगलक ने पीरों की मजारों पर महिलाओं के जाने पर रोक लगा दी, जो शरियत के तहत प्रतिबंधित था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि फिरोजशाह तुगलक पहला शासक था, जिसने ब्राह्मणों पर जजिया कर लगाया था।
11. फिरोज द्वारा बनवाई गई सबसे बड़ी नहर 200 किमी लंबी थी। यह कहाँ से कहाँ तक जाती थी?
(a) सतलुज से निकलकर हाँसी तक
(b) यमुना से निकलकर इटावा तक
(c) गंगा से निकलकर हिसार- फिरोजा तक
(d) ब्रह्मपुत्र से निकलकर बंगाल तक
उत्तर - (a)
व्याख्या- फिरोजशाह तुगलक ने 200 किमी लंबी सबसे बड़ी नहर बनवाई थी। यह सबसे बड़ी नहर सतलुज से निकलकर हाँसी तक जाती थी। फिरोजशाह तुगलक ने कई नहरों की मरम्मत करवाई तथा कई नई नहरें • खुदवाईं, इसने कुल पाँच नहरों का निर्माण करवाया था।
12. फिरोज ने आदेश दिया था कि किसी स्थान पर हमले के दौरान सुंदर और कुलीन परिवारों से उत्पन्न लड़कों को चुनकर गुलाम के रूप में भेजा जाए। इस प्रकार फिरोज के पास गुलामों की संख्या कितनी हो गई थी ? 
(a) लगभग 160000 गुलाम
(b) लगभग 180000 गुलाम
(c) लगभग 200000 गुलाम
(d) लगभग 250000 गुलाम
उत्तर - (b)
व्याख्या- फिरोजशाह तुगलक ने आर्थिक स्थिति के महत्त्व के साथ-साथ राजनीतिक स्थिति को भी महत्त्व दिया था। इसने अपने अधिकारियों को आदेश दिया था कि जब किसी स्थान पर आक्रमण हो, तो सुंदर एवं कुलीन परिवारों से उत्पन्न लड़कों को चुनकर सुल्तान के पास गुलामों के रूप में भेज दें, इस प्रकार धीरे-धीरे 180000 गुलाम एकत्रित कर लिए गए। इनमें से कुछ को फिरोजशाह ने विभिन्न दस्तकारियों का प्रशिक्षण दिलवाकर साम्राज्य के शाही कारखानों में नियुक्त कर दिया।
13. नासिरुद्दीन महमूद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. वह फिरोजशाह तुगलक का पुत्र था।
2. वह सुल्तान महमूद का पुत्र था।
3. उसका शासन 13941412 ई. तक था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- नासिरुद्दीन महमूद के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं।
फिरोजशाह की मृत्यु के बाद उसका पौत्र गयासुद्दीन तुगलक 1388 ई. में सिंहासन पर बैठा। इसके पश्चात् अबुबक्र, अलाउद्दीन सिकंदर शाह शासक बना। अलाउद्दीन सिकंदर शाह की मृत्यु के पश्चात् नासिरुद्दीन महमूद (1394-1412 ई.) दिल्ली सल्तनत का शासक बना। यह तुगलक वंश का अंतिम एवं अयोग्य शासक था। इसके शासनकाल में तैमूर लंग का आक्रमण हुआ, जिसमें महमूद पराजित होकर गुजरात भाग गया।
14. किस वंश के अंतिम शासकों के लिए एक वाक्पटु व्यक्ति ने कहा "शाहे- जहाँ ( दुनिया के बादशाह) की हुकूमत दिल्ली से लेकर पालम तक चलती है। " 
(a) लोदी वंश के शासकों के लिए
(b) तुगलक वंश के शासकों के लिए
(c) खिलजी वंश के शासकों के लिए
(d) सैयद वंश के शासकों के लिए
उत्तर - (b)
व्याख्या- उपर्युक्त वाक्य तुगलक के शासकों के लिए कहा गया है। फिरोजशाह तुगलक के सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत अमीर लोग बहुत ही शक्तिशाली हो गए थे तथा कमजोर सेना के प्रांतों के सूबेदार आजाद हो गए तथा दिल्ली के सुल्तान की सत्ता वस्तुतः दिल्ली के आस-पास के कुछ क्षेत्रों तक सिमट कर रह गई जैसा कि एक वाक्पटु व्यक्ति ने कहा “शाहे जहाँ ( दुनिया के बादशाह) की हुकूमत दिल्ली से लेकर पालम तक चलती है।”
15. तैमूर लंग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. वह एक अरबी आक्रमणकारी था।
2. उसने नासिरुद्दीन महमूद के काल में आक्रमण किया था।
3. वह चंगेज खाँ से खून के रिश्ते का दावा करता था।
4. उसने अपनी विजय का दौर 1360 ई. में आरंभ किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) 2, 3 और 4
(c) 3 और 4
(d) 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- तैमूर लंग के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं।
तुर्की आक्रमणकारी तैमूर लंग ने 1398 ई. में तुगलक शासक नासिरुद्दीन महमूद (1399-1412 ई.) के समय में आक्रमण किया। तैमूर लंग ने चंगेज खाँ के साथ खून के रिश्ते का दावा किया और इसने अपनी विजय का दौर 1370 ई. में प्रारंभ किया तथा इसने सीरिया से लेकर सिंधु नदी के प्रदेशों पर अपनी सत्ता स्थापित कर ली थी।

सैयद और लोदी वंश

1. 1414 ई. में एक स्थानीय शासक ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया। उसने स्वयं को सुल्तान घोषित कर दिया। उसने किस वंश की स्थापना की थी ? 
(a) सैयद वंश 
(b) खिज्र वंश
(c) अफगानी वंश
(d) लोदी वंश
उत्तर - (a)
व्याख्या- 1413 ई. में तुगलक वंश का पतन हो गया तथा दिल्ली क्षेत्र पर एक स्थानीय शासक ने अधिकार कर लिया और स्वयं को दिल्ली क्षेत्र का सुल्तान घोषित कर सैयद वंश की स्थापना की।
2. सैयद वंश के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें
1. सैयद वंश की स्थापना खिज्र खान ने की थी।
2. सैयद वंश का कुल शासन छः वर्षों का रहा।
3. सैयद वंश की समाप्ति 1451 ई. में हो गई थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- सैयद वंश के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं।
तैमूर लंग ने भारत से जाते समय खिज्र खान की सेवाओं से प्रसन्न होकर मुल्तान एवं दीपालपुर की सूबेदारी उसे सौंप दी, इससे खिज्र खान प्रभावशाली हो गया। कालांतर में उसने दिल्ली पर आक्रमण कर सर्वसम्मति से चुने गए दौलत खाँ को हरा दिया तथा 1414 ई. में स्वयं सुल्तान बन बैठा तथा सैयद वंश की स्थापना की।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि इस वंश के कुल चार शासकों ने 1414 ई. से 1451 ई. तक कुल 37 वर्षों तक शासन किया।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. लोदी वंश के शासक अफगानी थे।
2. लोदी वंश के शासकों ने सल्तनत को संगठित किया।
3. लोदियों का जौनपुर के साथ संघर्ष चलता रहा।
4. लोदी शासकों ने कश्मीर को अपने साम्राज्य में मिला लिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) 2, 3 और 4
(c) 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में कथन (1), (2) और (3) सत्य हैं। लोदी वंश के शासक अफगान मूल के थे। लोदी वंश के शासकों ने जौनपुर से लेकर पूर्व में पश्चिम बंगाल की गंगा घाटी तक के क्षेत्रों को दिल्ली सल्तनत के साम्राज्य में मिलाया। लोदी शासकों ने दिल्ली सल्तनत को संगठित करने का भी प्रयास किया, जिसमें कुछ सीमा तक सफल भी हुए।
कथन (4) असत्य है, क्योंकि लोदी शासकों ने कश्मीर को अपने साम्राज्य में शामिल करने में सफलता प्राप्त नहीं की थी।
4. लोदी वंश के महान शासक सिकंदर लोदी (1489-1517 ई.) ने दिल्ली सल्तनत का विस्तार अपने शासनकाल में कहाँ तक किया था?
(a) उत्तर-पश्चिम सिंध प्रांत तक 
(b) पश्चिमी बंगाल की गंगा घाटी तक
(c) कृष्णा नदी के मुहाने तक
(d) पूर्वोत्तर में खासी पहाड़ियों तक
उत्तर - (b)
व्याख्या- सिकंदर लोदी ने जौनपुर के शासक को हराकर, जौनपुर साम्राज्य को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया तथा इसने पश्चिम बंगाल की गंगा घाटी तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया। बहलोल लोदी ने अपनी मृत्यु से पूर्व अपने तीसरे पुत्र सिकंदर लोदी, जिसका मूल नाम निजाम खाँ था, को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
सल्तनत की गद्दी पर आसीन होते हुए, निजाम खाँ को सिकंदर लोदी के नाम से जाना गया। सिकंदर 1494-95 ई. में बंगाल की गंगा घाटी क्षेत्र दक्षिण बिहार पर विजय प्राप्त की तथा बंगाल शासक अलाउद्दीन हुसैन शाह से मैत्री संबंध स्थापित किए।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. लोदी शासक अफगान सरदारों की राजभक्ति पर अधिक निर्भर थे।
2. प्रमुख अफगान सरदारों ने अंतिम लोदी सुल्तान इब्राहिम लोदी का समर्थन किया।
3. 1526 ई. में इब्राहिम लोदी काबुल के शासक बाबर से पराजित हो गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) केवल 3 
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं।
लोदी शासक अफगान सरदारों को राजभक्ति पर आधारित था। सिकंदर लोदी का ज्येष्ठ पुत्र तथा लोदी वंश का अंतिम शासक इब्राहिम लोदी दिल्ली सल्तनत की राजगद्दी पर 1517 ई. में आसीन हुआ।
1526 ई. में पानीपत का प्रथम युद्ध मुगल शासक बाबर तथा इब्राहिम लोदी के बीच हुआ, जिसमें इब्राहिम मारा गया तथा बाबर विजयी हुआ और भारत में मुगल वंश की स्थापना हुई।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि प्रमुख अफगान सरदारों ने अंतिम लोदी सुल्तान इब्राहिम लोदी को समर्थन नहीं दिया था।

दिल्ली सल्तनत की प्रशासनिक व्यवस्था

1. दिल्ली सल्तनत के राजत्व के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) तुर्क सुल्तानों ने स्वयं को बगदाद के अब्बासी खलीफा का प्रतिनिधि घोषित किया।
(b) खलीफा भारत का कानूनी शासक बन गया।
(c) सुल्तान ने स्वयं को इस्लामी दुनिया का अंग बताया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिल्ली सल्तनत के राजत्व के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है कि खलीफा भारत का कानूनी शासक बन गया। सल्तनत काल में सुल्तान तथा खलीफा का संबंध वैधानिक रूप से परिवर्तित होता रहा। यद्यपि सैद्धांतिक रूप से खलीफा राज्य का प्रधान रहा, परंतु व्यावहारिक रूप से सुल्तान की राय प्रधान थी। अनेक सुल्तानों ने खलीफा अनुमति पत्र प्राप्त कर अपने शासन को वैध बनाया, परंतु शासन पर सुल्तान की शक्ति हमेशा विद्यमान रही।
2. सल्तनतकालीन प्रशासन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. मुसलमान शासकों में उत्तराधिकार का कोई स्पष्ट नियम विकसित नहीं था।
2. गद्दी पर शासक के सभी पुत्रों को बराबरी का दावेदार माना जाता था।
3. गद्दी हासिल करने में लोकमत की उपेक्षा की जाती थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- सल्तनतकालीन प्रशासन के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। सल्तनतकालीन मुसलमान शासक मुख्यतः वैध उत्तराधिकार को स्वीकार करते थे, परंतु ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी, जिससे किसी सफल एवं शक्तिशाली सैनिक नेता को गद्दी पर जबरन अधिकार करने से रोका जा सके। सल्तनतकाल में ऐसे कई अवसर आए जब राजगद्दी के लिए अपने शासक की हत्या कर दी गई या सैनिक शक्ति के बल पर गद्दी हड़प ली गई हो।
3. किस प्रशासनिक अधिकारी के अंतर्गत महालेखा परीक्षक व्यय की जाँच-पड़ताल का कार्य करता था और महालेखाकार आय की निगरानी करता था? 
(a) वजीर
(b) दीवान-ए- आरिज
(c) सुल्तान
(d) दीवान-ए-रिसाल
उत्तर - (a)
व्याख्या- वजीर के अंतर्गत मुस्तरिफ-ए-मुमालिक (महालेखाकार) एवं मुस्तौफी-ए-मुमालिक (महालेखा परीक्षक) होता था, जो क्रमशः आय एवं व्यय की देखभाल करता था।
सल्तनतकाल में वजीर ऐसा प्रमुख अधिकारी होता था, जो इस साम्राज्य की पूरी वित्तीय व्यवस्था की देखभाल करता था। वजीर सल्तनतकाल के दीवान - ए - विजारत विभाग का प्रमुख होता था। वह सुल्तान का प्रधान सलाहकार माना जाता था एवं विशेष रूप से वित्त प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालता था। वजीर की शक्तियाँ एवं महत्त्व विभिन्न शासकों के दौरान परिवर्तित भी होती रहीं। तुगलक काल में वजीर शक्ति चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई थी।
4. दिल्ली सल्तनत की प्रचलित प्रशासनिक इकाइयों का सही क्रम निम्नलिखित में से कौन-सा है ?
(a) सूबा - शिक-परगना-गाँव
(b) परगना - गाँव- सूबा - शिक
(c) शिक-गाँव-सूबा-परगना
(d) परगना-सूबा-गाँव - शिक
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिल्ली सल्तनत की प्रचलित प्रशासनिक इकाइयों का सही क्रम सूबा - शिक-परगना-गाँव है। इनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है
सल्तनतकाल की मुख्य विशेषता इक्ता व्यवस्था थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में प्रचलित सामंती प्रथा को नष्ट करना एवं साम्राज्य के दूरस्थ प्रदेश को केंद्र से जोड़ना था। इक्ता के प्रधान को मुक्ति या वली कहते थे। बाद में इक्ता ही प्रांत या सूबा बन गए।
स्थानीय प्रशासन की सबसे बड़ी इकाई के रूप में आधुनिक जिले के समान शिक का गठन किया गया तथा इसके प्रधान को शिकदार कहा गया। शिक, सूबा के अंतर्गत आते थे, जो जिले के रूप में होते थे।
स्थानीय प्रशासन को सरल बनाने हेतु शिक का विभाजन परगना में किया जाता था, जो कई गाँवों का समूह होता था।
स्थानीय प्रशासन की सबसे छोटी इकाई के रूप में गाँव/ ग्राम का गठन किया जो एक स्वायत्त शासन का रूप था। गया,
5. सल्तनतकालीन न्याय व्यवस्था के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) काजी दीवानी का फैसला शरीयत के अनुसार करता था।
(b) हिंदुओं पर उनके अपने वैयक्तिक कानून लागू होते थे।
(c) शहरों में जातियों के मुखिया न्याय करते थे।
(d) फौजदारी कानून गाँव की पंचायतें तय करती थीं।
उत्तर - (d)
व्याख्या- सल्तनतकालीन न्याय व्यवस्था के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है कि 'फौजदारी कानून गाँव की पंचायतें तय करती थीं।' सल्तनतकाल में फौजदारी कानून शासकों द्वारा समय-समय पर बनाए गए नियमों पर आधारित होते थे। फौजदारी कानून हिंदुओं एवं मुसलमानों पर समान रूप से लागू होते थे। सुल्तान न्याय का सर्वोच्च अधिकारी था। इसके अतिरिक्त बड़ी मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में काजी एवं मुफ्ती होते थे, जो मुसलमानों के फौजदारी तथा दीवानी न्याय एवं हिंदुओं का फौजदारी न्याय करते थे।
6. सल्तनतकालीन प्रशासन में दरबार में शिष्टाचार का निर्वाह किस अधिकारी का दायित्व माना जाता था?
(a) अमीर-ए-बहर
(b) वकील - ए - दर -ए- समां
(c) बरीद
(d) अमीर
उत्तर - (b)
व्याख्या- वकील-ए-दर दरबार में मुख्य रूप से शिष्टाचार का निर्वाह करता था, यह सल्तनतकाल में एक जिम्मेदार एवं महत्त्वपूर्ण अधिकारी होता था। यह सल्तनतकाल की सभी गतिविधियों की देखरेख करता था। सल्तनतकाल में वकील-ए-दर ही निर्धारित करता था कि कौन अमीर किस स्थान पर बैठेगा।
7. इक्ता के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह स्थानीय प्रशासन से जुड़ा हुआ था। 
2. जिन अमीरों को इक्ता दिया जाता था, उन्हें वली कहा जाता था।
3. वली अपने कर्त्तव्यों में लगभग स्वतंत्र हुआ करते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 2
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- इक्ता के संबंध में दिए गए कथन सभी कथन सत्य हैं। मुहम्मद गौरी की विजय के बाद से ही भारत में इक्ता व्यवस्था के प्रमाण मिलते हैं। सल्तनतकाल में इक्ता क्षेत्र आधुनिक समय के प्रांत / सूबा से संबंधित है। इक्ता के प्रशासक मुक्ति या वली कहलाते थे। यह संबंधित क्षेत्र में भू राजस्व का संग्रह करते थे तथा उस क्षेत्र का प्रशासन देखते थे। वली संगृहीत राशि में से प्रशासनिक खर्च एवं वेतन को पूरा करने के पश्चात् जो फवाजिल (शेष रकम) बचती थी, उसे वे केंद्रीय खजाने में भेज देते थे।
8. ग्राम प्रशासन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) चौरासी गाँवों की इकाई एक पारंपरिक व्यवस्था थी।
(b) भू-स्वामी को चौधरी कहा जाता था।
(c) मुखिया को मुकद्दम कहा जाता था।
(d) पटवारी ग्राम प्रशासन का अधिकारी था।
उत्तर - (b)
व्याख्या- ग्राम प्रशासन के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि भू-स्वामी को चौधरी नहीं कहा जाता था।
सल्तनतकालीन प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत स्थानीय प्रशासन की सबसे छोटी इकाई के रूप में गाँव/ग्राम का गठन किया गया, जो एक स्वायत्त शासन का रूप होती थी। यह गाँव चौरासी (84) गाँवों की एक इकाई की पारंपरिक व्यवस्था में संगठित होते थे। इन गाँवों के प्रधान को मुखिया (मुकद्दम) कहा जाता था तथा गाँव के महत्त्वपूर्ण लोगों में खूत (भू-स्वामी) होते थे। मुखिया तथा पटवारी इसके प्रमुख अधिकारी होते थे। सामान्यतः न्याय प्रशासन का कार्य मुख्य रूप से ग्राम पंचायत करती थी।

सल्तनतकालीन आर्थिक स्थिति

1. किस विदेशी यात्री ने यह विवरण प्रस्तुत किया है कि 'भारत की मिट्टी इतनी उपजाऊ है कि साल में दो-दो फसलें उगाई जाती हैं और चावल की तो तीन-तीन फसलें उत्पन्न की जाती हैं ?
(a) मोरक्को के यात्री इब्नबतूता 
(b) अरब यात्री सुलेमान
(c) तुर्की यात्री बरनी
(d) ब्रिटिश यात्री बर्नियर
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिया गया विवरण मोरक्को के यात्री इब्नबतूता ने प्रस्तुत किया है। अफ्रीकी देश मोरक्को निवासी इब्नबतूता ने 14वीं शताब्दी में भारत की यात्रा की ने थी। यह मुहम्मद-बिन-तुगलक के राज दरबार में 8 वर्षों तक रहा। इसने पूरे देश की यात्रा की तथा भारतीय उपजों के बारे में महत्त्वपूर्ण विवरण दिया है। इसने भारत में अच्छी कृषि व्यवस्था तथा फल-फूल, जड़ी बूटियों की जानकारी दी है । इब्नबतूता ने भारत की मिट्टी को उपजाऊ बताया है तथा यहाँ के प्रमुख अनाजों की महत्ता को स्पष्ट किया।
2. सल्तनतकालीन आर्थिक स्थिति के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) मुद्रा प्रणाली टंके और दिरहम पर आधारित थी।
(b) दिरहम सोने का सिक्का था।
(c) दिल्ली इस्लामी दुनिया के पूर्वी हिस्से का सबसे बड़ा नगर था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- सल्तनतकालीन आर्थिक स्थिति के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है ।
व्यापार एवं वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिए सल्तनतकाल में चाँदी के टंके एवं ताँबे के दिरहम पर आधारित एक ठोस मुद्रा प्रणाली स्थापित की गई। सल्तनतकाल में सर्वप्रथम इल्तुतमिश द्वारा पहली बार मानक सिक्के जारी किए गए थे, जिनका नाम टंका एवं जीतल थे, बाद में ताँबे के दिरहम नामक सिक्के भी जारी किए गए थे।
3. सल्तनतकालीन व्यापार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. हिंद महासागर के व्यापारिक मार्ग पर अरबों का एकाधिकार था।
2. मुसलमानों का बोहरा समुदाय व्यापार से जुड़ा हुआ था।
3. मुल्तानी व्यापारियों में ज्यादातर मुसलमान शामिल थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- सल्तनतकालीन व्यापार के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। सल्तनतकाल में भारत का व्यापार चीन, अरब, मध्य एशिया, यूरोप एवं अफ्रीका तक था। यद्यपि हिंद महासागर के मार्ग से होने वाले व्यापार में अरब व्यापारियों का एकाधिकार था। इस मार्ग से होने वाले व्यापार में मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग शामिल था, जिसे बोहरा समुदाय के रूप में जाना जाता था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि मुल्तानी व्यापारियों में ज्यादातर हिंदू व्यापारी शामिल थे।
4. सल्तनतकालीन आर्थिक प्रशासन से जुड़ा 'हरकारा' नामक अधिकारी का कार्य क्या था? 
(a) व्यापारिक मार्गों का निरीक्षक
(b) डाक व्यवस्था का अधिकारी
(c) घोड़ों के अस्तबल का निरीक्षक
(d) व्यापारिक समूहों का अधिकारी
उत्तर - (b)
व्याख्या- सल्तनतकालीन आर्थिक प्रशासन से जुड़ा 'हरकारा' नामक अधिकारी भारत में देश के एक भाग से दूसरे भाग तक तेजी से डाक पहुँचाने की व्यवस्था का कार्य करता था। हरकारे लोग कुछ किलोमीटर की दूरी पर डाक व्यवस्था के लिए विशेष तौर से बनाए गए मचानों पर बैठे रहते थे तथा पिछले पड़ाव से कोई हरकारा इन तक पहुँचकर उन्हें किसी स्थान पर जाने के लिए डाक देते थे। हरकारा दौड़ते समय हमेशा एक घंटी बजाते रहते थे, जिससे अगली मंजिल पर बैठा अन्य हरकारा सतर्क हो जाए और तुरंत डाक लेकर आगे बढ़ सके।
5. सल्तनतकाल में 'रहट' का प्रयोग किस कार्य हेतु किया जाता था?
(a) कवच बनाने में 
(b) सिंचाई कार्य में
(c) चुंगी अदायगी में
(d) शीशा बनाने में
उत्तर - (b)
व्याख्या- सल्तनतकाल में 'रहट' का प्रयोग सिचाई व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए किया जाता था। इस विधि द्वारा ज्यादा गहराई से पानी निकालने की व्यवस्था की गई। यह एक प्रकार से कुआँ होता था। रहट सिंचाई में एक धुरी से दो बैलों को इस प्रकार बाँधा जाता था कि ये गोल चक्कर काटते रहें।
दूसरी ओर किसी पारंपरिक कुएँ के ऊपर सिस्टम लगाकर उस पर चेन या रस्सी के माध्यम से बाल्टियाँ बाँधी जाती थीं। इन बाल्टियों की चेन या रस्सी को बैलों की धुरी से इस प्रकार जोड़ा जाता था कि जब बैल गोल घूमे तो धुरी के माध्यम से उत्पन्न यांत्रिक ऊर्जा से बाल्टियों में लगे चेन घूमने लगें तथा कुएँ से पानी खेतों की ओर गिरने लगे।

सल्तनतकालीन सामाजिक व्यवस्था

1. सल्तनतकालीन सामाजिक जीवन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. मुहम्मद तुगलक अपने अमीरों को प्रत्येक साल दो नई पोशाकें देता था।
2. वह प्रत्येक साल 2,00,000 आयातित पोशाकों का वितरण करता था।
3. ये पोशाकें मखमल, दमस्क या ऊन की बनी होती थीं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- सल्तनतकालीन सामाजिक जीवन के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
तुर्कों के आगमन से भारतीय समाज का स्वरूप परिवर्तित हुआ, क्योंकि उसमें नए लोग जुड़े, जो अपने साथ नया धर्म, नई संस्कृति एवं नई परंपराएँ लेकर आए थे। सल्तनतकाल में महत्त्वपूर्ण एवं प्रभावपूर्ण लोगों को अमीर कहा गया। इन अमीरों को मुहम्मद तुगलक साल में दो बार नई पोशाकें देता था।
ये पोशाकें साल में गर्मी एवं जाड़े के महीनों में अमीर वर्गों को दी जाती थीं। मुहम्मद बिन तुगलक एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक वर्ष 2,00,000 पोशाकों का वितरण करता था।
ये पोशाकें मुख्यतः आयात किए गए मखमल, दमस्क या ऊन की बनी होती थीं, जिसमें जरी की कीमती कढ़ाई होती थी।
2. सल्तनतकाल में हिंदू समाज के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस काल में हिंदू समाज की संरचना में व्यापक परिवर्तन हुआ।
2. ब्राह्मणों को खेती-बाड़ी करने की अनुमति थी।
3. शूद्रों को मांस और मदिरा के अतिरिक्त अन्य सभी धंधे करने की छूट दी गई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- सल्तनतकाल में हिंदू समाज के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं। सल्तनतकाल में हिंदू समाज की संरचना में कोई परिवर्तन नहीं हुआ था। इस काल में भी पहले से चली आ रही परंपराओं के आधार पर ब्राह्मणों को ऊँचा स्थान दिया, परंतु अयोग्य ब्राह्मणों की निंदा भी की गई।
ब्राह्मणों को खेती तथा शूद्रों को मांस-मंदिरा के साथ अन्य व्यवसायों की पूरी छूट थी।
3. दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने कहा था कि “हिंदू लोग मूर्तियों का यमुना में विसर्जन करने के लिए नाचते-गाते, ढोल बजाते हुए, जुलूसों में शाही महल की दीवारों के पास से गुजरते हैं और मैं चुपचाप देखता रह जाता हूँ?"
(a) जलालुद्दीन खिलजी 
(b) अलाउद्दीन खिलजी
(c) मोहम्मद बिन तुगलक
(d) फिरोजशाह तुगलक
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथन को दिल्ली सल्तनत के सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी ने कहा था। जलालुद्दीन खिलजी ने बलबन को अपदस्थ कर सत्ता पर अधिकार किया तथा खिलजी वंश की स्थापना की। इसने किलोखरी के महल में अपना राज्याभिषेक कराया था।
इसने हिंदुओं को अपने धर्म एवं रीति-रिवाजों के पालन की पूर्ण स्वतंत्रता दी तथा अपने विरोधियों के प्रति भी उदारता दिखाई थी ।

सल्तनकालीन कला एवं संस्कृति

1. कुतुबमीनार के निकट स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद पूर्व में कौन-सा मंदिर था?
(a) विष्णु मंदिर 
(b) शिव मंदिर
(c) राम मंदिर
(d) ब्रह्मा मंदिर
उत्तर - (a)
व्याख्या- सल्तनतकाल में कई हिंदू मंदिरों को मस्जिदों में बदल दिया गया, जिसमें मुख्य रूप से कुतुबमीनार के निकट कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद है, जो पहले विष्णु मंदिर था। इसे मस्जिद का रूप देने के लिए गर्भगृह में स्थित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को नष्ट कर उसके सामने मेहराबों पर कुरान की आयतें उत्कीर्ण कर दी गई। सल्तनतकाल के आरंभिक दौर में कई नगरों को नष्ट कर दिया गया था। मंदिर आक्रमणकारियों के मुख्य निशाने पर होते थे ताकि मुस्लिम शासक अपने आप को सर्वश्रेष्ठ दिखा सकें तथा अपने धर्म को सर्वोच्च बता सकें तथा मंदिरों की वृहद् संपत्ति पर अधिकार किया जा सके।
2. दिल्ली के सुल्तानों ने गैरिसनों के निवास के लिए किलों का निर्माण करवाया था। गैरिसन क्या था ? 
(a) मेहराब के निर्माता
(b) रक्षक सैनिकों की टुकड़ियाँ
(c) वास्तुकारों का निवास
(d) विदेशी यात्रियों का ठहराव स्थल
उत्तर - (b)
व्याख्या- सल्तनतकाल की रक्षक सैनिकों की टुकड़ियाँ, जिसे गैरिसन कहा जाता था, के निवास के लिए तेरहवीं सदी के आरंभिक वर्षों में सुल्तानों ने मजबूत किलेबंद के रूप में शहरों का निर्माण कराया। यह अन्य शहरों से संबंधित थे, जो दिल्ली क्षेत्र के आस-पास में अधिक स्थापित किए गए।
3. कुतुबमीनार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह देहली - ए- कुहना में स्थित है ।
2. यह कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश तथा मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा निर्मित है।
3. यह कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की याद में निर्मित है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- कुतुबमीनार के संबंध में दिए गए कथन (1) और (3) सत्य हैं। कुतुबमीनार 'देहली-ए-कुहना' में स्थित है, 'देहली-ए-कुहना' का अर्थ 'पुरानी दिल्ली' है। यह दिल्ली शहर में स्थित ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊँची मीनार है। इसका निर्माण 1192 ई. में गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक ने प्रसिद्ध सूफी संत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की याद में कराया।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि इस मीनार का ऐबक ने केवल आधार ही बनवाया था, जिसके बाद इसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसमें तीन मंजिलों का निर्माण कराया तथा पाँचवीं एवं अंतिम मंजिल का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने
4. 'मस्जिद' के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यह फारसी का शब्द है।
(b) यहाँ मुसलमान अल्लाह की आराधना करते हैं।
(c) मस्जिद में मक्का की ओर मुँह करके खड़े होते हैं।
(d) जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है।
उत्तर - (a)
व्याख्या- 'मस्जिद' के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि 'मस्जिद' फारसी भाषा का शब्द नहीं है, बल्कि मस्जिद एक अरबी शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- ऐसा स्थल जहाँ प्रणाम करने की जगह हो अर्थात् प्रार्थना करने का स्थल हो। यह मुसलमानों की इबादतगाह होती है, जहाँ वे अपने ईश्वर/अल्लाह को याद करते हैं। इस्लामिक वास्तुकला के दौरान पूरी दुनिया में मस्जिदों का विकास हुआ।
5. सल्तनतकालीन वास्तुकला के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इंडो-इस्लामिक वास्तुकला में मेहराब और गुंबद का प्रयोग होता था।
2. मेहराब के निर्माण में धरन का प्रयोग होता था।
3. भारतीय शिल्पकार नुकीले मेहराबों को बनाना जानते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 2 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- सल्तनतकालीन वास्तुकला के संबंध में कथन (2) असत्य है, क्योंकि सल्तनतकाल की प्रमुख विशेषता चूना गारा का सीमेंट के रूप में प्रयोग तथा मेहराबों, गुंबदों, ऊँची मीनारों एवं डाटदार छतों का व्यापक प्रयोग थी। इस समय तुर्कों से पूर्व प्रचलित शैलियों-स्तंभ और धरनी एवं कदलिकाकृति का स्थान वैज्ञानिक तरीकों से बनी मेहराबी छतों एवं शिखरों का स्थान गुंबदों ने ले लिया।
6. सल्तनतकालीन मकबरे के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. फिरोजशाह तुगलक का मकबरा दिल्ली के हौजखास में स्थित है।
2. सिकंदर लोदी का मकबरा दिल्ली में स्थित है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- सल्तनतकालीन मकबरे के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं। फिरोजशाह तुगलक का मकबरा दिल्ली के हौजखास क्षेत्र में स्थित है। यह मकबरा तुगलक वंश के अंतिम व तृतीय शासक फिरोजशाह तुगलक का है। सिकंदर लोदी का मकबरा लोदी गार्डन नई दिल्ली में स्थित है। यह मकबरा एक अष्टकोणीय बनावट है, जो इंडो इस्लामिक स्थापत्य कला शैली पर आधारित है।
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Thu, 08 Feb 2024 09:15:36 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | भारत पर अरब एवं तुर्क आक्रमण https://m.jaankarirakho.com/871 https://m.jaankarirakho.com/871 NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | भारत पर अरब एवं तुर्क आक्रमण

भारत पर अरब एवं तुर्क आक्रमण

1. भारत पर अरब आक्रमण के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) अरबों ने सर्वप्रथम सिंध पर आक्रमण किया।
(b) सिंध भारत का पश्चिमोत्तर प्रांत था।
(c) भारत पर पहला अरब आक्रमण 712 ई. में हुआ था।
(d) अरब सिंध जीतने में सफल नहीं हुए।
उत्तर - (d)
व्याख्या- भारत पर अरब आक्रमण के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि मुहम्मद-बिन-कासिम के नेतृत्व में 712 ई. में अरब सिंध को जीतने में सफल हुए थे।
कासिम ने भारत पश्चिमोत्तर प्रांत सिंध के शासक दाहिर एवं उसके पुत्र जयसिंह को हराकर सिंध के क्षेत्र मुल्तान पर अधिकार कर उस क्षेत्र का नाम स्वर्ण नगर रख दिया था।
2. अरब आक्रमण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. राजस्थान के स्थानीय शासकों ने अरबों को आगे बढ़ने से रोक दिया था।
2. अरब के लोग केवल विजेता बनकर ही भारत में आए थे।
3. अरबों ने पश्चिम भारत में बस्तियाँ स्थापित कीं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 3
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- अरब आक्रमण के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। राजस्थान के राजपूत शासकों ने अपने क्षेत्रों में अरबों के आक्रमणों का सामना किया तथा अरबों को आगे बढ़ने से रोका, जिसके कारण अरब निवासी पश्चिम भारत में ही रहने लगे।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि अरब के लोग केवल विजेता बनकर ही भारत नहीं आए थे, बल्कि भारत के पश्चिमी तट पर अरब व्यापारियों ने अनेक वस्तियाँ भी स्थापित कीं। अरबवासी सिंध क्षेत्र के स्थानीय लोगों के साथ मिल-जुलकर रहते थे, उन्हीं से शादी करते एवं एशिया के अन्य प्रदेशों के साथ होने वाले भारतीय व्यापार में हिस्सा लेते थे।
3. नौवीं सदी के अंतिम दौर में ट्रांस-ऑक्सियाना, खुरासान और ईरान में किसका शासन था ?
(a) सासानियों का
(b) अब्बासी खलीफाओं का
(c) तुर्की सरदारों का
(d) खुरासानी साम्राज्य का
उत्तर - (a)
व्याख्या- नौवीं सदी के अंतिम दौर में ट्रांस-ऑक्सियाना, खुरासान एवं ईरान के कुछ हिस्सों पर सासानियों का शासन था, जो मूल रूप से ईरानी थे। इन सासानियों को गाजी सैनिकों से संघर्ष करना पड़ा, जिसके कारण इनकी शक्ति क्षीण होती गई तथा गाजियों का वर्चस्व बढ़ता गया।
4. तुर्क सैनिकों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) तुर्क लोगों में से अधिकांश प्राकृतिक शक्तियों की पूजा करते थे।
(b) मुसलमानों की दृष्टि में तुर्क विधर्मी थे।
(c) तुर्क कभी इस्लामीकृत नहीं हो पाए।
(d) लूट-खसोट में उनका लगाव बना रहा।
उत्तर - (c)
व्याख्या- तुर्क सैनिकों के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि तुर्क सैनिकों ने इस्लाम के अनुरूप अपनी कार्य प्रणालियों को गति दी।
कालांतर में बहुत से तुर्क मुसलमान बन गए, लेकिन गैर-मुस्लिम तुर्क जनजातियों के हमलों के विरुद्ध संघर्ष चलता रहा, इस्लामीकृत तुर्क बाद में इस्लाम के सबसे बड़े रक्षकों एवं जेहादियों के रूप में उभरने लगे, परंतु इस्लाम की रक्षा एवं लूट-पाट की धारणा बनी रही।
5. निम्नलिखित में से किस तुर्क सरदार ने गजनी को अपनी राजधानी बनाकर स्वतंत्र राज्य की स्थापना की थी?
(a) अलप्तगीन
(b) महमूद 
(c) सुबुक्तगीन
(d) इस्माइल
उत्तर - (a)
व्याख्या- तुर्क सरदार अलप्तगीन ने 10वीं शताब्दी में गजनी पर अधिकार करके गजनवी वंश को चलाया तथा गजनी को अपनी राजधानी बनाकर स्वतंत्र राज्य की स्थापना की। सासानी राज्य के शासन की समाप्ति के बाद गजनवियों की शक्ति में वृद्धि हुई।
6. कथन (A) भारत पर तुर्की आक्रमण सफल हुए।
कारण (R) उत्तर भारत में राजनीतिक एकता नहीं थी ।
(a) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है
(b) A और R दोनों सही हैं, परंतु R, A की सही व्याख्या नहीं है
(c) A सही है, किंतु R गलत है
(d) A गलत है, किंतु R सही है 
उत्तर - (a)
व्याख्या- (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है। भारत पर सर्वाधिक तुर्की आक्रमण उत्तर-पश्चिम तथा राजपूताना पर हुआ। भारत में तुर्की आक्रमण की सफलता का प्रमुख कारण शासक वर्ग की आपसी राजनीतिक एकता का अभाव था। क्षेत्रों में छोटे-छोटे राज्य स्थापित थे तथा किसी केंद्रीकृत सत्ता का अभाव था। तुर्की आक्रमण के समय भी देशी शासकों ने एकताबद्ध न होकर अपनी शक्ति को कमजोर किया।
7. तुर्की के सामने राजपूत राज्यों के संघर्ष के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. राजपूतों ने तुर्कों और अरबों के आक्रमण का मुकाबला किया पर कामयाब नहीं हो पाए।
2. राजपूतों ने भारत के सीमांत क्षेत्रों विशेषकर अफगानिस्तान और पंजाब को शत्रु के हाथों में रहने दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- तुर्कों के सामने राजपूत राज्यों के संघर्ष के संबंध में दिए गए कथनों में से दोनों कथन सत्य हैं। राजपूत अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध थे, फिर भी उनको तुर्की मुसलमानों के साथ युद्ध में हार झेलनी पड़ी। देश में राजनीतिक एकता का अभाव, राजपूतों का दोषपूर्ण सैनिक संचालन इत्यादि राजपूतों के असफल होने के प्रमुख कारण थे।
राजपूतों ने अपने भारतीय सीमा क्षेत्रों को छोड़कर अन्य भारतीय सीमा क्षेत्रों पर तुर्कियों के रहने का विरोध नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप तुर्की भारत के सीमांत क्षेत्रों अफगानिस्तान एवं पंजाब में अपनी मजबूती बनाकर भारत के उत्तरी मैदान तथा गंगा-यमुना के दोआब क्षेत्रों में भी अपनी स्थिति सुदृढ़ करने लगे।

महमूद गनजवी

1. महमूद गजनवी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसका शासनकाल 998 ई. से 1030 ई. तक था।
2. इसको मध्यकालीन मुसलमान इतिहासकार इस्लाम का नायक मानते थे।
3. उसने मध्य एशियाई तुर्क जनजातियों से अपने राज्य और धर्म की रक्षा की थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य हैं ?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- महमूद गजनवी के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। अलप्तगीन का गुलाम एवं दामाद सुबुक्तगीन का पुत्र महमूद गजनवी सुल्तान की उपाधि लेकर 998 ई. में गजनी साम्राज्य की गद्दी पर बैठा। इसका शासन काल 1030 ई. तक था।
सुल्तान की उपाधि लेने वाला वह प्रथम मुस्लिम शासक था। इसे कुछ इतिहासकार इस्लाम का नेतृत्वकर्ता या नायक भी कहते हैं । इतिहासकारों का मत है कि इसने मध्य एशियाई तुर्क जनजातियों से गजनी साम्राज्य की रक्षा की, जिस कारण इसे इस्लाम का नायक भी कहा गया।
2. महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उसने भारत पर सत्रह आक्रमण किए थे।
(b) भारत में उसे लुटेरे के रूप में जाना गया।
(c) उसने सबसे पहले राजस्थान के हिंदूशाही शासकों पर आक्रमण किया।
(d) वह मुल्तान मुसलमान राजाओं के विरुद्ध भी था।
उत्तर - (c)
व्याख्या- महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि महमूद गजनवी के भारत पर शुरुआती आक्रमणों / हमलों का लक्ष्य पेशावर एवं पंजाब पर राज करने वाले हिंदूशाही शासक थे। भारत की धन संपत्ति को अर्जित करने के उद्देश्य से गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया था।
महमूद गजनवी के आक्रमण के समय दक्षिण में चोल, चालुक्य, काबुल एवं पंजाब में हिंदूशाही, मुल्तान में करमाथी, सिंध में अरब, कश्मीर में लोहार वंश, कन्नौज में प्रतिहार, बंगाल में पाल, दिल्ली में तोमर, मालवा में परमार इत्यादि वंशों का शासन था।
3. निम्नलिखित में से किस हिंदूशाही शासक ने सामानियों के साथ मिलकर गजनी पर आक्रमण किया था?
(a) राजा जयदेव
(b) राजा जयपाल 
(c) राजा महेन्द्रपाल
(d) राजा विक्रमादित्य
उत्तर - (b)
व्याख्या- हिंदूशाही शासक जयपाल ने सामानियों के साथ मिलकर गजनी पर आक्रमण किया, परंतु राजा जयपाल के नेतृत्व में लड़ी गई सेना को पराजय का सामना करना पड़ा था। हिंदूशाही शासक महमूद गजनवी के पिता के समय से ही गजनवियों से संघर्ष कर रहे थे।
इस समय पंजाब से लेकर अफगानिस्तान तक के प्रदेश हिंदूशाही शासकों के अधीन थे, हिंदूशाही शासकों को यह अहसास हो गया कि गजनी में स्वतंत्र राज्य की स्थापना इनके क्षेत्रों के लिए खतरा है।
4. ‘वैहिंद के युद्ध’ के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यह निर्णायक युद्ध 1008-09 ई. में हुआ था।
(b) यह युद्ध महमूद गजनवी और आनंदपाल के बीच हुआ था।
(c) आनंदपाल ने खोखरों की सहायता से विजय प्राप्त की।
(d) मुल्तान पर गजनवियों का अधिकार हो गया।
उत्तर - (c)
व्याख्या- वैहिंद के के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है। आनंदपाल ने युद्ध खोखरों की सहायता से विजय प्राप्त की।
1001 ई. में महमूद गजनवी ने हिंदूशाही शासक जयपाल को निर्णायक युद्ध में परास्त कर बंदी बना लिया, परंतु कुछ दिनों के बाद छोड़ दिया, इस अपमान को राजा जयपाल सहन न कर सका तथा जलती चिता में अपने प्राण न्यौछावर करने का निर्णय कर लिया।
इसके पश्चात् इसका पुत्र आनंदपाल राजा बना तथा इसकी राजधानी वैहिंद (पेशावर के निकट) थी। यहाँ पर 1008 ई. में महमूद गजनी एवं आनंदपाल का युद्ध हुआ, इस युद्ध में भी महमूद गजनी की विजय हुई। इस युद्ध में राजा आनंदपाल का साथ मुल्तान के मुसलमान शासक तथा पंजाब की युद्ध प्रिय जनजाति खोखर के सैनिकों ने भी दिया, परंतु इस युद्ध में आनंदपाल की हार हुई
5. महमूद गजनवी के साथ भारत आने वाला प्रसिद्ध इतिहासकार कौन था ? 
(a) फरिश्ता
(b) अलबरूनी 
(c) अफीफ
(d) इब्नबतूता 
उत्तर - (b)
व्याख्या- महमूद गजनवी के साथ भारत आने वाला प्रसिद्ध इतिहासकार अलबरूनी था । यह कुछ समय तक भारत में रहा। यह एक महान गणितज्ञ, दार्शनिक, ज्योतिषी एवं संस्कृत विद्वान् था। यह अनेक भाषाओं का ज्ञाता था, जिनमें फारसी, हिब्रू, सीरियाई तथा संस्कृत शामिल थीं। इसने अपनी किताब में भारत की राजनैतिक एवं सामाजिक दशा का विस्तृत वर्णन किया है।
6. अस्सी अध्यायों में विभाजित अरबी में लिखित अलबरूनी की पुस्तक का नाम क्या था?
(a) हिंदवी
(b) मात-उल-किताब 
(c) किताब - उल - हिंद
(d) चचनामा 
उत्तर - (c)
व्याख्या- अस्सी अध्यायों में विभाजित अरबी में लिखित अलबरूनी की पुस्तक का नाम किताब अल-हिंद है। भारत के विषय में इसने अपनी रचना किताब-उल-हिंद ( तहकीक-ए-हिंद) में विस्तृत वर्णन किया। यह ग्रंथ एक विस्तृत ग्रंथ है, जो धर्म, दर्शन, त्यौहार, खगोल विज्ञान, रीति-रिवाज एवं प्रथाओं, सामाजिक जीवन, भार-तौल तथा मापन विधियों, मूर्तिकला, कानून, मापतंत्र विज्ञान इत्यादि अध्यायों में विभक्त है। इस ग्रंथ के अनेक अध्यायों को प्रश्न के साथ आरंभ किया गया है, जिसका उत्तर सांस्कृतिक परंपराओं के आधार पर दिया गया है।
7. अलबरूनी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अलबरूनी का गणित की ओर झुकाव था।
2. उसका यात्रा वृत्तांत पश्चिम में सहारा रेगिस्तान से लेकर उत्तर में वोल्गा नदी तक फैला हुआ था।
3. भारतीय ग्रंथों के प्रति उसकी दृष्टि आलोचनात्मक थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- अलबरूनी के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
अलबरूनी ने महमूद गजनी के साथ भारत आकर यहाँ के प्रमुख क्षेत्रों की यात्रा की तथा अरबी भाषा में अपने ग्रंथ किताब - उल - हिंद की रचना की। उसका गणित के प्रति विशेष लगाव था। उसकी यात्रा में वोल्गा से सहारा तक की भौगेलिक परिस्थितियों का विवरण मिलता है ।
इसने अपनी भारत यात्रा के दौरान भारतीय ग्रंथों व विद्वानों की आलोचना की, इसने कहा कि भारतीय विद्वानों का विदेशों से संपर्क नहीं है, वे केवल अपने क्षेत्र अपने धर्म तथा अपनी संस्कृति को श्रेष्ठ बताते हैं।
8. अलबरूनी द्वारा अनुवादित पुस्तकों के विषय में कौन शामिल था?
(a) दंत कथाएँ 
(b) खगोल विज्ञान
(c) चिकित्सा
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- अलबरूनी द्वारा अनुवादित पुस्तकों के विषय में दंत कथाएँ, खगोल विज्ञान एवं चिकित्सा संबंधी कृतियों का समावेश किया था। अलबरूनी ने अपने लेखन में अधिकतर अरबी भाषा का प्रयोग किया था, उसने अपनी कृतियों को संभवत: भारतीय उपमहाद्वीप के सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए लिखा। अलबरूनी संस्कृत, पालि एवं प्राकृत ग्रंथों के अरबी भाषा में अनुवादों एवं रूपांतरणों से परिचित था।

मुहम्मद गौरी

1. गौरी साम्राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह उत्तर पश्चिम अफगानिस्तान में स्थित था।
2. गौरियों ने अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ अब्बासी खलीफाओं के मातहत शासकों के रूप में किया था।
3. सुल्तान अलाउद्दीन के अधीन गौरियों की शक्ति में वृद्धि हुई। उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- गौरी साम्राज्य के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। उत्तर-पश्चिम अफगानिस्तान में गौर नामक प्रदेश का उदय हुआ, जिसे गौरी साम्राज्य कहा जाने लगा। सुल्तान अलाउद्दीन के अधीन गौरियों की शक्ति में वृद्धि हुई।
कथन (2) असत्य है, गौरियों ने अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ गजनी के मातहत शासकों के रूप में किया था, परंतु शीघ्र ही वे गजनवियों से पूरी तरह स्वतंत्र हो गए थे।
2. शहाबुद्दीन मुहम्मद के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) वह 1173 ई. में शासक बना।
(b) वह खुरासान का शासक था।
(c) उसे मुइज्जुद्दीन मुहम्मद बिन साम भी कहा जाता है।
(d) यह इतिहास में मुहम्मद गौरी के नाम से जाना जाता है।
उत्तर - (b)
व्याख्या- शहाबुद्दीन मुहम्मद के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है।
1173 ई. में शहाबुद्दीन मुहम्मद मुइज्जुद्दीन मुहम्मद बिन साम के नाम से गजनी के सिंहासन पर बैठा, जिसे इतिहास में मुहम्मद गौरी के नाम से जाना गया। 1163 ई. में गयासुद्दीन मोहम्मद ने गौर की राजगद्दी संभाली तदोपरांत इसने अपने छोटे भाई मुइज्जुद्दीन मुहम्मद बिन साम (मुहम्मद गौरी) को 1173 ई. में गजनी की गद्दी सौंप दी। मुहम्मद गौरी शंसबनी वंश का शासक था और इसका प्रथम आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान पर हुआ।
3. मुहम्मद गौरी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने गोमल दर्रे से भारत पर आक्रमण किया था।
2. 1178 ई. में राजपूताना रेगिस्तान से होकर वह गुजरात में प्रवेश करने में सफल रहा।
3. उसने पंजाब के गजनवी प्रदेशों को जीतने की मुहिम शुरू की।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुहम्मद गौरी के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं।
1178 ई. में मुहम्मद गौरी ने राजपूताना रेगिस्तान क्षेत्र से होते हुए गुजरात प्रवेश किया तथा गुजरात के नेहरवाला पर आक्रमण किया, तो चालुक्य वंशीय शासक मूलराज के भाई भीम द्वितीय ने मुहम्मद गौरी को माउंटआबू पर्वत के पास पराजित कर दिया था।
इस पराजय के बाद उसने पंजाब में गजनवी प्रदेशों को जीतने की मुहिम आरंभ की तथा 1190 ई. तक पंजाब के बड़े हिस्से का स्वामी बन गया।
4. मुहम्मद गौरी के समकालीन पृथ्वीराज चौहान के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) वह 14 वर्ष की आयु में शासक बना।
(b) उसका राज्याभिषेक दिल्ली में हुआ।
(c) उसने चंदेल शासकों को परास्त किया।
(d) उसने 16 वर्ष की आयु में विजय अभियान शुरू कर दिया था।
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुहम्मद गौरी के समकालीन पृथ्वीराज चौहान के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है। चौहान वंश के सबसे प्रतापी शासक पृथ्वीराज तृतीय या पृथ्वीराज चौहान मात्र 14 वर्ष की अवस्था में अजमेर की राजगद्दी पर बैठे तथा इनका राज्याभिषेक अजमेर में हुआ। इन्होंने 16 वर्ष की अवस्था में अपना विजय अभियान शुरू कर दिया। पृथ्वीराज ने कई पड़ोसी हिंदू राज्यों के विरुद्ध सैन्य सफलता प्राप्त की, जिसमें विशेष रूप से वह चंदेल राजा परमर्दिदेव के विरुद्ध थे।
5. निम्नलिखित में किस युद्ध में आल्हा और ऊदल नामक भाई वीरगति को प्राप्त हुए थे? 
(a) बिठोवा की लड़ाई 
(b) महोबा की लड़ाई
(c) कन्नौज की लड़ाई
(d) सोमनाथ की लड़ाई
उत्तर - (b)
व्याख्या- महोबा के युद्ध में आल्हा और ऊदल दोनों भाई वीरगति को प्राप्त हुए थे। पृथ्वीराज चौहान ने चंदेल शासकों के क्षेत्र बुंदेलखंड में आक्रमण करके महोबा की लड़ाई में चंदेल शासक परमर्दिदेव को परास्त किया। पृथ्वीराज ने बुंदेलखंड को जीतने के बाद भी उसे अपने साम्राज्य में नहीं मिलाया।
6. तराइन की प्रथम लड़ाई के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. यह लड़ाई 1191 ई. में हुई थी।
2. इस लड़ाई में गौरी की सेना बुरी तरह पराजित हुई थी।
3. इस युद्ध के बाद पृथ्वीराज ने सरहिंद पर अधिकार कर लिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- तराइन की प्रथम लड़ाई के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। थानेसर से लगभग 20 किमी की दूरी पर तराइन रण क्षेत्र में 1191 ई. में मुहम्मद गौरी तथा पृथ्वीराज चौहान के बीच युद्ध हुआ।
इस युद्ध में मोहम्मद गौरी को हार का सामना करना पड़ा। गौरी ने पृथ्वीराज के भाई पर आक्रमण किया, जिसके पश्चात् गोविंद राव ने गौरी की भुजा पर हमला कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप गौरी को पीछे हटना पड़ा तथा एक खिलजी सैनिक द्वारा गौरी की रणक्षेत्र से बाहर ले जाकर जान बचाई गई। मुहम्मद गौरी गजनी लौट गया, जिसके उपरांत राजपूतों ने सरहिंद पर घेरा डाला, किंतु वे सुगमता से सरहिंद विजय पर पाने में सफल नहीं हो सके।
7. तराइन की द्वितीय लड़ाई के संबंध में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) यह लड़ाई 1192 ई. में हुई थी।
(b) इस युद्ध में जयचंद ने गौरी का साथ दिया।
(c) इस युद्ध में पृथ्वीराज सिरसा में बंदी बना लिया गया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- तराइन की द्वितीय लड़ाई के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है ।
1192 ई. के तराइन के द्वितीय युद्ध को भारतीय इतिहास में एक नया मोड़ माना गया, इस युद्ध में मुहम्मद गौरी ने अपनी पूरी तैयारी के साथ पृथ्वीराज पर आक्रमण किया, इस युद्ध में गौरी ने 12000 सैनिकों के साथ युद्ध किया। इस युद्ध में पृथ्वीराज ने उत्तर भारत के सभी राजाओं से सहायता माँगी, जिसके परिणामस्वरूप राजाओं ने अपनी-अपनी सैन्य टुकड़ियाँ भी भेजीं, परंतु कन्नौज का शासक जयचंद इस युद्ध से अलग रहा।
8. जयचंद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. वह गहड़वाल राज्य का शासक था।
2. यह राज्य कन्नौज में स्थित था।
3. वह बंगाल के सेन राजा को पराजित कर चुका था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- जयचंद के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
जयचंद गहड़वाल (राठौर) राज्य के शासक थे, जो कन्नौज राज्य में स्थित था। राजा जयचंद ने वीरता, साहस, कुशल नेतृत्व एवं दूरदर्शिता जैसे गुणों के चलते कन्नौज राज्य का अधिक विस्तार किया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि बंगाल के सेन शासक लक्ष्मण सेन से जयचंद पराजित हुआ था। इसके अतिरिक्त दिल्ली पर अधिकार करने को लेकर हुए युद्ध में चौहान वंश के शासकों द्वारा जयचंद की भी हार हुई ।
9. मुहम्मद गौरी ने किस युद्ध में जयचंद को पराजित किया?
(a) तराइन का युद्ध (1191)
(b) तराइन का युद्ध (1192)
(c) चंदावर का युद्ध (1194 )
(d) कन्नौज का युद्ध (1194 )
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुहम्मद गौरी ने चंदावर के युद्ध में जयचंद को पराजित किया। तराइन का युद्ध जीतने के बाद मुहम्मद गौरी गजनी से 1194 ई. में भारत लौटा तथा 50,000 घुड़सवारों के साथ यमुना पार करके कन्नौज पर चढ़ाई कर दी। इस समय कन्नौज के शासक राजा जयचंद तथा मुहम्मद गौरी के मध्य कन्नौज के निकट चंदावर नामक स्थान पर भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में जयचंद की जीत लगभग निश्चित हो चुकी थी, परंतु युद्ध में जयचंद की आँख में तीर लगा और हाथी से गिरकर उसकी मृत्यु हो गई तथा मुहम्मद गौरी ने कन्नौज पर अधिकार कर लिया।
10. मुहम्मद गौरी ने किस सेनापति को बनारस से पूर्व की ओर के कुछ क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी थी? 
(a) कुतुबुद्दीन ऐबक 
(b) बख्तियार खिलजी
(c) यल्दोज
(d) कुवाचा
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुहम्मद गौरी ने बख्तियार खिलजी को (जिसके चाचा ने तराइन का युद्ध लड़ा था) बनारस से पूर्व की ओर कुछ क्षेत्रों को संभालने की जिम्मेदारी दे दी। इस स्थिति का लाभ उठाकर बख्तियार खिलजी ने बिहार पर कई हमले किए थे, इन हमलों के दौरान बख्तियार खिलजी ने बिहार के कुछ प्रसिद्ध बौद्ध बिहारों जैसे नालंदा एवं विक्रमशिला को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया।
11. बख्तियार खिलजी के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उसने नालंदा और विक्रमशिला को नष्ट कर दिया।
(b) उसने बंगाल पहुँचने का रास्ता खोजा।
(c) उसने बंगाल के सेन राजा लक्ष्मण सेन पर हमला किया था।
(d) उसने लखनौती पर हमला किया पर सफल नहीं हो पाया।
उत्तर - (d)
व्याख्या- बख्तियार खिलजी के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि 1204 ई. में बख्तियार सेन शासकों की राजधानी लखनौती की ओर बढ़ा एवं बिना किसी विरोध के उस पर अधिकार कर लिया, क्योंकि सेन शासक उस समय दक्षिण बंगाल में सोनार गाँव गया हुआ था। बंगाल में अपनी स्थिति मजबूत करने के बाद बख्तियार खिलजी को मुहम्मद गौरी ने बंगाल का सूबेदार नियुक्त कर दिया।
12. बख्तियार खिलजी के पूर्वोत्तर अभियान के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. वह बंगाल का सूबेदार बन गया।
2. उसने असम को जीत लिया।
3. उसने तिब्बत पर आक्रमण करने की योजना बनाई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3 
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- बख्तियार खिलजी के पूर्वोत्तर अभियान के संबंध में कथन ( 1 ) और (3) सत्य हैं।
बख्तियार खिलजी बंगाल का सूबेदार नियुक्त हुआ। बख्तियार खिलजी ने ब्रह्मपुत्र घाटी की तरफ चढ़ाई की, जो उसका मूर्खतापूर्ण निर्णय था। खिलजी असम क्षेत्र में चढ़ाई करता गया और असम की माघ सेना पीछे हटती गई तथा तुर्क सेना आगे बढ़ती गई अतः थकी-हारी तुर्क सेना का एक ऐसे स्थान पर युद्ध हुआ, जहाँ एक चौड़ी नदी थी, इस युद्ध में खिलजी की बुरी तरह हार हुई तथा वह कुछ कबीलों की सहायता से अपनी जान बचाकर भागा।
कुछ इतिहासकार मानते हैं कि बख्तियार खिलजी ने तिब्बत पर अधिकार करने का भी मन बना लिया था, किंतु असम की हार ने उसे इस ओर ध्यान देने नहीं दिया।
13. मुहम्मद गौरी की मृत्यु का निम्नलिखित पर क्या प्रभाव पड़ा?
(a) गौरियों ने मध्य एशियाई महत्त्वाकांक्षाओं की तिलांजलि दे दी।
(b) पश्चिम पंजाब की खोखर जाति ने विद्रोह कर दिया।
(c) भारत में तुर्क शासन की स्थापना मार्ग प्रशस्त हुआ।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुहम्मद गौरी की मृत्यु के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। 1203 ई. में खारिज्मी शासक से हार के बाद गौरियों ने अपनी मध्य एशियाई महत्त्वाकांक्षाओं को छोड़कर अपना पूरा ध्यान भारत की ओर लगाया।
मुहम्मद गौरी ने वर्ष 1206 में अंतिम बार भारत पर आक्रमण किया। 15 मार्च, 1206 को गजनी लौट रहा था तो मार्ग में कुछ शिया विद्रोहियों एवं हिंदू खोखरों ने उसकी हत्या कर दी। इसके शव को गजनी में दफनाया गया था।
मुहम्मद गौरी ने भारत में नए राज्यों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया, इसके शासनकाल में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं धार्मिक प्रभाव व्यापक रूप से सामने आए। भारत में इंडो-इस्लामिक कला तथा संस्कृति का विकास होने लगा।
14. महमूद गजनी तथा गौरी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. एक योद्धा के रूप में महमूद गजनी, गौरी से अधिक सफल था।
2. दोनों में से किसी को भी इस्लाम की चिंता नहीं थी।
3. दोनों ने हिंदू अफसरों और सिपाहियों का उपयोग किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (d) (b)
व्याख्या- महमूद गजनी एवं मुहम्मद गौरी के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
मुहम्मद गौरी के आक्रमण को मुहम्मद बिन कासिम एवं महमूद गजनी के उद्देश्यों से जोड़कर देखा जा सकता है, जिसमें मुहम्मद गौरी के आक्रमण का प्रभाव अधिक स्थायी सिद्ध हुआ, परंतु एक योद्धा के रूप में महमूद गजनवी, मुहम्मद गौरी से अधिक सफल था, क्योंकि गजनी को भारत या मध्य एशिया में बड़ी पराजय का दंश नहीं झेलना पड़ा।
गजनी व गौरी ने भारत में तो सफलतापूर्वक आक्रमण किए, यहाँ के स्थानीय शासकों, सामंतों, सिपाहियों के सहयोग से किए, परंतु इन्होंने इस्लाम का उपयोग नहीं किया था, क्योंकि इन्हें इस्लाम की समझ नहीं थी।
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Thu, 08 Feb 2024 07:32:41 +0530 Jaankari Rakho
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दर्शन

1. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) भारतीय दर्शन को चार भागों में बाँटा गया है
(b) इसका मुख्य विषय मोक्ष रहा है
(c) मोक्ष का उपदेश सबसे पहले गौतम बुद्ध ने दिया था
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि भारतीय दर्शन में चार नहीं बल्कि छः मतवाद विकसित हो चुके थे, जिनमें शामिल हैं—सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदांत । भारतीय दर्शन का केंद्रीय विषय मोक्ष है। मोक्ष की संकल्पना बौद्ध धर्म से प्रभावित है, जिसका प्रतिपादन सर्वप्रथम महात्मा बुद्ध ने किया था।
2. सांख्य दर्शन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह सबसे प्राचीन दर्शन है।
2. इसके अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति ईश्वर से नहीं, अपितु प्रकृति से होती है।
3. प्रकृति और पुरुष दोनों के मेल से सृष्टि का निर्माण होता है।
उपर्युक्त 'कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 3
(c) 1, 2 और 3 
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- सांख्य दर्शन के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। सांख्य की व्युत्पत्ति संख्या शब्द से हुई है। यह सबसे प्राचीन दर्शन माना जाता है।
प्राचीन सांख्य दर्शन के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति के लिए दैवी शक्ति का अस्तित्व मानना आवश्यक नहीं है। अतएव यह एक तर्कमूलक प्राचीन मत था कि सृष्टि की उत्पत्ति ईश्वर से नहीं अपितु प्रकृति से होती है ।
चौथी सदी के आस-पास सांख्य दर्शन में 'प्रकृति' के अतिरिक्त 'पुरुष' नामक एक और उपादान (उपहार) जुड़ा और दोनों को सृष्टि का कारण माना गया। इस नवीनतम मतानुसार 'प्रकृति' और 'पुरुष' दोनों के मेल से सृष्टि का निर्माण होता है।
3. योग दर्शन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मोक्ष ध्यान और शारीरिक साधना से मिलता है ।
2. ज्ञानेंद्रियों और कर्मेंद्रियों का निग्रह योगमार्ग का मूलाधार है ।
3. इसमें सांसारिक समस्याओं से भागने की प्रवृत्ति नहीं दिखाई देती है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 2
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- योग दर्शन के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। योग दर्शन के अनुसार, मोक्ष ध्यान और शारीरिक साधना से प्राप्त होता है।
मोक्ष की प्राप्ति के लिए अनेक प्रकार के आसन अर्थात् विभिन्न स्थिति में दैहिक व्यायाम तथा प्राणायाम अर्थात् श्वास के व्यायाम बताए गए हैं। अतः ज्ञानेंद्रियों और कर्मेंद्रियों का निग्रह योगमार्ग का मूलाधार है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि योगदर्शन में सांसारिक समस्याओं से भागने की प्रवृत्ति दिखाई देती है।
4. “जहाँ-जहाँ धुआँ रहता है, वहाँ-वहाँ आग रहती है" जैसी तर्कपूर्ण बातें किस दर्शन का हिस्सा हैं?
(a) योग दर्शन
(b) न्याय दर्शन 
(c) सांख्य दर्शन
(d) वैशेषिक दर्शन 
उत्तर - (b)
व्याख्या- “जहाँ-जहाँ धुआँ रहता है, वहाँ-वहाँ आग रहती है', जैसी तर्कपूर्ण बातें न्याय `का हिस्सा हैं। न्याय या विश्लेषण पद्धति का विकास तर्कशास्त्र के रूप में ं हुआ है। इस दर्शन की विशेष बात यह है कि इसमें किसी प्रतिज्ञा या कथन की सत्यता की जाँच अनुमान, शब्द और उपमान द्वारा की जाती है।
5. वैशेषिक दर्शन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यह सामान्य और विशेष के बीच कोई अंतर नहीं करता।
(b) पृथ्वी, जल, तेज वायु और आकाश के मेल से नई वस्तुएँ बनती हैं।
(c) वैशेषिक दर्शन ने परमाणुवाद की स्थापना की।
(d) वैशेषिक दर्शन ने भारत में भौतिकशास्त्र का आरंभ किया।
उत्तर - (a)
व्याख्या- वैशेषिक दर्शन के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि वैशेषिक दर्शन सामान्य और विशेष के बीच अंतर करता है। यह द्रव्य अर्थात् भौतिक तत्त्वों के विवेचन को महत्त्व देता है। वैशेषिक दर्शन के प्रवर्तक कणाद या उलूक थे और यह प्रकृतिवाद में अपनी अंतर्दृष्टि के लिए जाने जाते थे। यह प्राकृतिक दर्शन में परमाणुवाद का एक रूप है।
6. मीमांसा दर्शन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इसके अनुसार मोक्ष वेद-विहित कर्मों के अनुष्ठान से प्राप्त होता है।
2. वेद में कही गई बातें सदैव सत्य नहीं होती हैं।
3. मोक्ष पाने के लिए यज्ञ करना चाहिए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- मीमांसा दर्शन के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। मीमांसा का मूल अर्थ है- तर्क करने और अर्थ लगाने की कला, लेकिन इसमें तर्क का प्रयोग विविध वैदिक कर्मों के अनुष्ठानों का औचित्य सिद्ध करने हेतु किया गया है। इस दर्शन के अनुसार, मोक्ष इन्हीं वेद - विहित कर्मों के अनुष्ठान से प्राप्त होता है।
मीमांसा दर्शन दृढ़तापूर्वक यह संकेत करता है कि मोक्ष पाने के लिए यज्ञ आवश्यक है। ऐसे यज्ञों से पुरोहितों को आर्थिक लाभ प्राप्त होता था और विविध वर्गों के बीच सामाजिक स्तरभेद को मान्यता मिलती थी।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि मीमांसा दर्शन के अनुसार वेद में कहीं गई बातें सर्वदा सत्य होती हैं।
7. वेदांत दर्शन के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) बादरायण का 'ब्रह्मसूत्र' इस दर्शन का मूल ग्रंथ है।
(b) रामानुज ब्रह्म को निर्गुण बताते हैं।
(c) इस दर्शन के अनुसार ब्रह्म ही सत्य है।
(d) आत्मा और ब्रह्म अभेद है।
उत्तर - (b)
व्याख्या- वेदांत दर्शन के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि वेदांत दर्शन में रामानुज ब्रह्म को सगुण बताते हैं, न कि निर्गुण | इस दर्शन में शंकराचार्य ब्रह्म को निर्गुण बताते हैं। वेदांत का अर्थ है 'वेद का अंत' । ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में संकलित बादरायण का ब्रह्मसूत्र वेदांत दर्शन का मूल ग्रंथ है। वेदांत दर्शन का मूल आरंभिक उपनिषदों में पाया जाता है। इस दर्शन के अनुसार आत्मा और ब्रह्म में अभेद है। अतः जो भी आत्मा को या स्वयं को पहचान लेता है, उसे ब्रह्म का ज्ञान हो जाता है।
8. निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा भारतीय षड्दर्शन का हिस्सा नहीं है ?
(a) मीमांसा और वेदांत
(b) न्याय और वैशेषिक
(c) लोकायत और कापालिक
(d) सांख्य और योग
उत्तर - (c)
व्याख्या- लोकायत और कापालिक भारतीय षड्दर्शन का हिस्सा नहीं है । लोकायत को चार्वाक दर्शन भी कहते हैं, यह एक भौतिकवादी दर्शन है। अजित केशकंबली को इस दर्शन का अग्रदूत माना जाता है।
कापालिक एक संप्रदाय है, जिसके संस्थापक लवकुलीश (लकुलीश) थे, यह शैव धर्म का अंग है।

धर्म

1. निम्नलिखित में से कौन भारत के एशियाई देशों से सांस्कृतिक संपर्क को दर्शाता है ?
(a) श्रीलंका, बर्मा, चीन में बौद्ध धर्म का प्रचार
(b) ब्राह्मी अभिलेख का श्रीलंका में पाया जाना
(c) बर्मी लोगों द्वारा थेरवाद को विकसित करना
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन भारत के एशियाई देशों के सांस्कृतिक संपर्क को दर्शाते हैं। भारत हड़प्पा युग से ही अपने एशियाई पड़ोसियों के साथ संपर्क में रहा था। भारतीय व्यापारी लोग मेसोपोटामिया के नगरों तक पहुँचे, जहाँ ईसा-पूर्व 2400 से ईसा पूर्व 1700 के बीच उन व्यापारियों की मुहरें पाई गई हैं। धीरे-धीरे बौद्ध धर्म के प्रचार से श्रीलंका, बर्मा, चीन और मध्य एशिया के साथ भारत का संपर्क बढ़ा। अशोक के काल में श्रीलंका में धर्म प्रचारक के रूप में महेंद्र गया था।
यहीं से ईसा पूर्व दूसरी और पहली सदियों के छोटे-छोटे ब्राह्मी अभिलेख श्रीलंका में पाए गए हैं। इसके पश्चात् ईसवी सन् की आरंभिक सदियों में बौद्ध धर्म का प्रचार भारत से बर्मा अर्थात् आधुनिक म्यांमार की ओर हुआ।
बर्मी लोगों ने बौद्ध धर्म के थेरवाद को विकसित किया और बुद्ध की आराधना अनेक मंदिर और प्रतिमाएँ बनवाईं ।
2. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. बर्मा और श्रीलंका के बौद्धों ने प्रचुर बौद्ध साहित्य की रचना की।
2. श्रीलंका में समस्त पालि मूल ग्रंथ संगृहीत किए गए।
3. श्रीलंका से कालांतर में बौद्ध धर्म लुप्त हो गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। भारत से बाहर धार्मिक प्रसार के क्रम में बर्मा और श्रीलंका के बौद्धों ने प्रचुर बौद्ध साहित्य की रचना की, जो भारत में दुर्लभ था। इस काल के दौरान श्रीलंका में समस्त पालि मूल ग्रंथ संगृहीत किए गए और उन पर टीकाएँ लिखी गईं ।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि कालांतर में बौद्ध धर्म श्रीलंका में नहीं, बल्कि भारत में लुप्त हो गया। वर्तमान में श्रीलंका में बौद्ध धर्म के अनुयायी बहुतायत में में विद्यमान हैं।
3. अफगानिस्तान के किस स्थान पर विश्व की सबसे बड़ी बुद्ध मूर्ति का निर्माण ईसवी सन् में हुआ था ? 
(a) बेगराम 
(b) बामियान
(c) हेरात
(d) काबुल
उत्तर - (b)
व्याख्या- अफगानिस्तान के बामियान नामक स्थान पर विश्व की सबसे बड़ी बुद्ध मूर्ति का निर्माण ईसवी सन् में चट्टान को काटकर किया गया था।
यह स्थान अफगानिस्तान के उत्तरी भाग में स्थित है, जहाँ से बुद्ध की बहुत-सी मूर्तियों और विहारों के पुरावशेष मिले हैं। इसके साथ का दूसरा स्थल बेगराम हाथीदाँत की दस्तकारी के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें कुषाण काल की भारतीय कलाकारी की झलक मिलती है।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. बौद्ध धर्म के माध्यम से ही सभी क्षेत्रों से भारतीय संस्कृति का प्रसार हुआ।
2. बर्मा के पेगू और मोलमेन सुवर्ण भूमि कहलाते थे।
3. पांड्य राजाओं ने सुमात्रा में अपनी बस्तियाँ स्थापित की।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 2 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 1
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) सत्य है। बर्मा के पेगू और मोलमेन सुवर्ण भूमि कहलाते थे तथा भड़ौच, वाराणसी और भागलपुर के व्यापारी बर्मा के साथ व्यापार करते थे।
कथन (1) और (3) असत्य हैं, क्योंकि भारतीय संस्कृति दक्षिण-पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म के माध्यम से नहीं पहुँची। बर्मा को छोड़कर अन्य देशों में भारतीय संस्कृति का प्रसार मुख्यतया ब्राह्मणीय धर्म के माध्यम से हुआ। ईसवी सन् की आरंभिक सदियों में पांड्य राजाओं ने नहीं, बल्कि पल्लव शासकों ने सुमात्रा में अपनी बस्तियाँ स्थापित की थीं।
5. प्राचीन भारत के लोगों के सुवर्णद्वीप के साथ सांस्कृतिक एवं व्यापारिक संबंध थे। इसकी पहचान किससे की गई है?
(a) इंडोनेशिया (जावा) 
(b) सुमात्रा
(c) फिलीपींस
(d) सिंहलद्वीप
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारतीयों के ईसा की पहली सदी से ही इंडोनेशिया (जावा) के साथ, जिसे प्राचीन भारत के लोग सुवर्णद्वीप कहते थे, घनिष्ठ व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध थे। यहाँ पर 56 ई. में सर्वप्रथम स्थापित की गई भारतीय बस्तियाँ इस तथ्य का प्रमाण देती हैं कि ईसा की दूसरी सदी में यहाँ कई छोटे-छोटे भारतीय राज्य भी स्थापित हुए।
6. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) सौराष्ट्र से आने वाले व्यापारी प्राय: जैन होते थे।
(b) दक्षिण भारत से आने वाले व्यापारी शैव और वैष्णव होते थे।
(c) बंगाल से आने वाले व्यापारी बौद्ध होते थे।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं ।
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य है ।
ईसा की सातवीं शताब्दी तक दक्षिण पूर्व एशिया के साथ भारत का संबंध काफी बढ़ गया था। धीरे-धीरे दक्षिण-पूर्व एशिया के लोगों ने भारतीय संस्कृति की • कुछ बातें स्वीकार कर लीं। भारत के व्यापारी सौराष्ट्र, तमिलनाडु, उड़ीसा और बंगाल आदि से दक्षिण-पूर्व एशिया जाते थे। सौराष्ट्र से आने वाले व्यापारी प्राय: जैन होते थे। दक्षिण भारत से आने वाले शैव और वैष्णव तथा बंगाल से आने वालों में बौद्धों की बहुतायत थी।
7. गुप्तोत्तर कालीन धार्मिक प्रवृत्तियों में आए परिवर्तन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) पंचदेवता में इंद्र का स्थान प्रमुख था
(b) मारुत पंचदेवता में शामिल नहीं थे
(c) वरुण लोकपाल की श्रेणी के देवता थे
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- गुप्तोत्तर कालीन धार्मिक प्रवृत्तियों के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है। गुप्तोत्तर काल में ब्रह्मा, गणपति, विष्णु, शक्ति और शिव पाँच देवताओं की पूजा प्रचलित रही, जिन्हें सम्मिलित रूप से 'पंचदेवता' कहा जाता था। इस काल में देवमाला में देवताओं का स्थान उनकी श्रेष्ठता के क्रम में दिया जाने लगा। विष्णु, शिव और दुर्गा ये तीनों मुख्य देवता के रूप में ग्रहण किए गए और कई अन्य देव और देवियाँ उनके अधीन या गौण देवता माने गए तथा परिचरों और अनुचरों के रूप में उनके नीचे रखे गए।

कला तथा समाज

1. भारतीय समाज में प्रचलित वर्ण व्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. ऐसी मान्यता थी कि वर्ण व्यवस्था दैवी शक्ति द्वारा निश्चित की गई थी।
2. प्रत्येक वर्ण की न केवल सामाजिक पहचान, बल्कि अनुष्ठानिक पहचान भी थी।
3. रामायण में वर्णित है कि दूसरे के धर्म को अपनाने के बदले अपने धर्म की रक्षा के लिए मर जाना अच्छा है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 3 
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारतीय समाज में प्रचलित वर्ण व्यवस्था के संबंध में कथन ( 1 ) और (2) सत्य हैं ।
भारत में धर्म के प्रभाव से विशेष प्रकार के सामाजिक वर्गों का गठन हुआ। भारत में वर्ण संबंधी नियमों को राज्य और धर्म दोनों का समर्थन प्राप्त था। तत्कालीन समाज में ऐसा विश्वास प्रचलित था कि वर्ण व्यवस्था दैवी शक्ति द्वारा निश्चित की गई है।
भारत में समाज चार वर्णों में विभक्त था - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र । इन वर्णों की न केवल सामाजिक पहचान, बल्कि अनुष्ठानिक पहचान भी थी। कानून और धर्म ने वर्णों और जातियों को कर्ममूलक, से जन्ममूलक या आनुवंशिक बना दिया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि रामायण नहीं, बल्कि भगवद्गीता हमें यह सिखाती है कि दूसरे के धर्म को अपनाने के बदले अपने धर्म की रक्षा के लिए मर जाना अच्छा है, क्योंकि दूसरे धर्म को अपनाने का परिणाम संकटपूर्ण होता है।
2. प्राचीन भारत में हुए सामाजिक परिवर्तनों के अनुक्रम के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) गाय की रक्षा के कारण राजा 'गोपति' कहलाता था ।
(b) बेटी को दुहितृ कहा जाता था।
(c) बैल को गोवाल कहा गया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि प्राचीन भारत में हुए सामाजिक परिवर्तनों के अनुक्रम में 'गोवाल' शब्द बैल के लिए नहीं, बल्कि भैंस के लिए प्रयोग किया गया। वैदिक आर्यों को गाय से इतनी घनिष्ठता थी कि जब उन्होंने भारत में भैंस को पहली बार देखा तो 'गोवाल' अर्थात् गाय जैसे बालों वाली कहने लगे।
3. प्राचीन काल की सामाजिक व्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. द्विजों को यज्ञोपवीत का अधिकार प्राप्त नहीं था।
2. शूद्रों को 'अनागरिक' की संज्ञा दी गई थी।
3. ब्राह्मणों को कर्ज पर ब्याज दो प्रतिशत मिलता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- प्राचीन काल की सामाजिक व्यवस्था के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (2) और (3) सत्य हैं।
प्राचीन काल की सामाजिक वर्ण संरचना में शूद्रों का स्थान निम्न था। उन्हें अपने से ऊपर के तीनों वर्णों की सेवा करनी होती थी। कुछ स्मृतिकारों ने शूद्रों को दास के रूप में प्रयोग किया है। अतः इन्हें 'अनागरिक' की संज्ञा दी गई थी। प्राचीन काल की वर्ण व्यवस्था के अंतर्गत प्रत्येक वर्ण के लिए भुगतान की दर और आर्थिक सुविधा अलग-अलग निश्चित की गई थी। ब्राह्मणों को कर्ज पर ब्याज दो प्रतिशत मिलता था, क्षत्रियों को तीन प्रतिशत, वैश्यों को चार प्रतिशत तथा शूद्रों के लिए पाँच प्रतिशत निर्धारित था।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि प्राचीन काल में द्विज शब्द का प्रयोग संयुक्त रूप से ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य के लिए किया जाता था और उन्हें वेद पढ़ने और यज्ञोपवीत संस्कार पाने का अधिकार था, परंतु शूद्र इससे वंचित थे।
4. कलियुग का लक्षण विभिन्न वर्गों या सामाजिक वर्गों के मिश्रण का होना बताया गया है, जिसे क्या कहते हैं?
(a) वर्ण संकर
(b) चांडाल
(c) शूद्र
(d) द्विज
उत्तर - (a)
व्याख्या- कलियुग का लक्षण विभिन्न वर्णों या सामाजिक वर्गों के मिश्रण का होना बताया गया है, जिसे वर्ण संकर कहते हैं। इसका यह आशय है कि वैश्यों और शूद्रों (किसानों, शिल्पियों और मजदूरों) ने अपने ऊपर सौंपे गए उत्पादन कार्य करने बंद कर दिए अर्थात् वैश्य किसानों ने कर चुकाना बंद कर दिया और शूद्रों ने मजदूरी करना छोड़ दिया। वे विवाह आदि सामाजिक संबंधों में वर्णसंबंधी प्रतिबंधों की उपेक्षा करने लगे, इन सभी कृत्यों ने एक नई पद्धति का विकास किया।
5. धर्मसूत्रों और धर्मशास्त्रों में वर्णित 'उचित जीविका' के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. ब्राह्मणों का कार्य दान देना और लेना था।
2. क्षत्रियों का कार्य न्याय करना है।
3. गौ-पालन शूद्रों का कार्य था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- धर्मसूत्रों और धर्मशास्त्रों में वर्णित 'उचित जीविका' के संबंध में कथन (3) असत्य हैं, क्योंकि गौ-पालन का कार्य वैश्यों का था न कि शूद्रों का। वैश्यों को तीन कार्य करने होते थे, जिनमें शामिल हैं- कृषि, गौ-पालन तथा व्यापार कार्य, जबकि शूद्रों के लिए एकमात्र जीविका थी- तीनों उच्च वर्णों की सेवा करना ।
6. जाति एवं सामाजिक गतिशीलता के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) वर्ण की भाँति जाति भी जन्म पर आधारित थी।
(b) वर्ण की भाँति जातियों की संख्या भी निश्चित थी।
(c) जंगल में रहने वालों को निषाद कहा जाता था।
(d) सुवर्णकार जाति समूह का प्रतिनिधित्व करता था।
उत्तर - (b)
व्याख्या- जाति एवं सामाजिक गतिशीलता के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है। जाति एवं सामाजिक गतिशीलता के परंपरागत सिद्धांत में चार वर्ण बताए गए हैं, जबकि जातियों की कोई निश्चित संख्या नहीं बताई गई है। हालाँकि वर्ण की भाँति जाति भी जन्म पर आधारित थी। ब्राह्मणीय व्यवस्था में अनेक नए समुदायों का उदय हुआ, जिन्हें वर्ण व्यवस्था में समाहित करना सरल नहीं था। अतः उन्हें जातियों में बाँट दिया गया। वे जातियाँ जो एक ही जीविका अथवा व्यवसाय से जुड़ी थीं, उन्हें कभी-कभी श्रेणियों में भी संगठित किया जाता था।
7. प्राचीन भारतीय समाज को मध्यकालीन समाज में बदलने के कारणों में कौन शामिल था? 
(a) इसका मूल कारण भूमि अनुदान था।
(b) वर्णमूलक समाज का अत्यधिक कठोर होना।
(c) भूमि अनुदान के कारण भू-स्वामियों का उदित होना।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्राचीन भारतीय समाज को मध्यकालीन समाज में बदलने में उपर्युक्त सभी कारण शामिल थे। इनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित हैं
प्राचीन भारतीय समाज, जो धीरे-धीरे मध्यकालीन समाज में परिणत हुआ, उसका मूल कारण भूमि अनुदान की प्रथा थी। भूमि अनुदान की प्रथा के फलस्वरूप एक ऐसे समाज की स्थापना हुई, जिसमें भोग-विलासी जीवन और नियत कर्मों से विमुख होना प्रमुख था।
वर्णमूलक समाज, जिसमें वैश्य और शूद्र सम्मिलित थे, इनके उत्पादनात्मक क्रियाकलापों पर संपूर्ण व्यवस्था निर्भर थी, लेकिन कलियुग संकट के फलस्वरूप यह व्यवस्था एक नया रूप लेने लगी।
भूमि अनुदान की प्रथा ने भूस्वामियों के उदय में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप अनेक राजाओं का प्रभुत्व क्षेत्र कम होता गया।
8. छठी - सातवीं सदी में सांस्कृतिक विकास के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. सातवीं सदी में संस्कृत के गद्य और पद्य की अलंकृत शैलियों का प्रचलन बढ़ा।
2. गद्य में अलंकरण की पराकाष्ठा 'बाण' की कृतियों में मिलती है।
3. सातवीं सदी में देव प्रतिमाएँ केवल प्रस्तर की बनाई जाती थीं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3 
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- छठी-सातवीं सदी में सांस्कृतिक विकास के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
छठी-सातवीं शताब्दी संस्कृत साहित्य के इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। शासक वर्ग द्वारा लगातार उपयोग में आने से संस्कृत भाषा का सातवीं सदी तक गद्य तथा पद्य • प्रचलन बढ़ता गया।
मध्यकाल के संस्कृत लेखकों द्वारा बाणभट्ट की रचनाओं का अनुसरण करना, बाण की गद्य में अलंकरण की पराकाष्ठा को दर्शाता है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि सातवीं सदी में देव प्रतिमाएँ केवल प्रस्तर की नहीं, बल्कि प्रस्तर तथा कांसा के मिश्रण से निर्मित की गई थीं।
9. भारत के सांस्कृतिक इतिहास में 'पंचायतन' शब्द किसे निर्दिष्ट करता है ? 
(a) बुजुर्गों की आम सभा
(b) श्रमिकों का संघ 
(c) एक मंदिर शैली
(d) राजा की परिषद् 
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तोत्तर काल में प्रचलित 'पंचायतन' एक विशेष प्रकार के मंदिर को दर्शाता है। गुप्तोत्तर काल धार्मिक परिवर्तनों की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रहा है। इस समय पंचदेवता (ब्रह्मा, गणपति, विष्णु, शक्ति और शिव) प्रचलित हुए। मुख्य देवता शिव या किसी अन्य देव या देवी को मुख्य मंदिर में स्थापित किया जाता था और उसके चारों और बने चार गौण मंदिरों में चार अन्य देवता स्थापित किए जाते थे। ऐसे ही मंदिरों को 'पंचायतन' का दर्जा प्राप्त था।
10. प्राचीन कालीन कला और साहित्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उत्तरी काले पॉलिशदार मृद्भांड उन्नत अवस्था में थे।
2. बुद्ध की पहली मूर्ति गांधार शैली में बनाई गई थी।
3. गुप्तकाल में मंदिरों का निर्माण प्रस्तर खंड में हुआ है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- प्राचीन कालीन कला और साहित्य के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं।
प्राचीन भारत में शिल्पकार सुंदर कलाकृतियों के निर्माण हेतु प्रसिद्ध थे। अशोक द्वारा बनवाए गए अखंड प्रस्तर के स्तंभ अपनी चमकदार पॉलिश के लिए प्रसिद्ध हैं, किंतु उनकी तुलना उत्तरी काले पॉलिशदार मृद्धांड से की जाती है। अतः यह अवस्था दर्शाती है कि ये मृद्धांड अपनी उन्नत अवस्था में थे।
भारतीय कला और यूनानी कला के मिश्रण से जिस कला-शैली का जन्म हुआ, वह गांधार शैली कहलाती है। बुद्ध की पहली प्रतिमा गांधार शैली में ही निर्मित थी।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि गुप्तकाल में मंदिरों का निर्माण ईंटों के प्रयोग द्वारा किया जाता था और इसका प्रारंभ गुप्तकाल में ही हुआ।

अर्थव्यवस्था

1. प्राचीन कालीन कृषि के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उत्तर वैदिक काल में किसान शासकों और योद्धाओं को नजराना देते थे।
2. किसान लौहारों, रथकारों और बढ़इयों का पेट भरते थे ।
3. उत्तर वैदिक काल में किसान वर्ग 'बल' कहलाने लगे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 2
(c) केवल 1
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्राचीन कालीन कृषि के संबंध में सभी कथन सत्य हैं ।
उत्तर वैदिक काल में किसान और अन्य लोगों के द्वारा राजाओं और योद्धाओं को राजांश (नजराना) दिया जाता था, जिसका उपयोग राजा द्वारा यज्ञ और पुरोहितों के संपोषण हेतु किया जाता था।
किसान मुख्यत: योद्धा वर्ग के रूप में उभर रहे लौहारों, रथकारों और बढ़ई की आवश्यकताओं की पूर्ति करते थे तथा उनका पेट भरते थे ।
वैदिक काल में किसानों की सेना ने पशुचारक सेना का स्थान लिया और धीरे-धीरे सशस्त्र सेना के रूप में संगठित हुए। उत्तर वैदिक काल में किसान वर्ग 'बल' अर्थात् सैन्य शक्ति कहलाने लगे।
2. निम्नलिखित में किसके लिए वैदिक साहित्य में किसी भी शब्द का प्रयोग नहीं मिलता है? 
(a) शिल्पियों के लिए 
(b) मजदूरों के लिए
(c) गाय के लिए
(d) बढ़ई के लिए
उत्तर - (b)
व्याख्या- वैदिक साहित्य में मजदूरों के लिए किसी भी शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है। धीरे-धीरे परिस्थितियाँ बदली और मौर्यकाल तक आते-आते दास और मजदूर बड़े-बड़े राजकीय कृषि क्षेत्रों में कार्य करने लगे, जिसकी जानकारी कौटिल्य की रचना 'अर्थशास्त्र' से मिलती है।
3. निम्नलिखित कथनों में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) भूमि अनुदान से कृषि पंचांग का प्रचार हुआ।
(b) भूमि अनुदान से सुदूर दक्षिण और सुदूर पूर्व में सभ्यता का विस्तार हुआ।
(c) पूर्व मध्यकाल के ग्रंथों में शूद्रों को कृषक कहा जाने लगा।
(d) सामंती ढाँचे में भू-स्वामियों और योद्धाओं के वर्ग की स्त्रियों की दशा में सुधार हुआ।
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि छठी सदी के आस-पास सामंती ढाँचे में भू-स्वामियों और योद्धाओं के वर्ग की स्त्रियों की दशा सुधरने के बजाय और बिगड़ गई। पूर्व मध्यकाल में राजस्थान में सती प्रथा का प्रचलन बढ़ा, लेकिन निचले वर्ग की स्त्रियों को आर्थिक क्रियाकलाप में भाग लेने और पुनर्विवाह करने में स्वायत्तता दी गई। सामंती ढाँचे का उदय भूमि अनुदान के परिणामस्वरूप उपजी एक व्यवस्था थी।
4. प्राचीन भारत की नई कृषि अर्थव्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. ह्वेनसांग ने शूद्रों को कृषक बतलाया।
2. भू- स्वामी सामान्यतः सभी वर्गों के होते थे।
3. कृषक को गाँव अनुदान के रूप में दिया जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 1
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्राचीन भारत की नई कृषि अर्थव्यवस्था के संबंध में कथन ( 1 ) और (3) सत्य हैं ।
प्राचीन भारत में नई कृषि अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए। इसी क्रम में ह्वेनसांग ने शूद्रों को कृषक बताया है। अतः इससे ज्ञात होता है कि शूद्र, कृषि-मजदूरों और दासों के रूप में कृषि कार्य करना छोड़ रहे थे।
पाँचवीं-छठी सदी में जनजातीय क्षेत्रों में सामान्यतः गाँव अनुदान में दिया जाता था। साथ ही उस क्षेत्र के कृषक भी इस व्यक्ति को सौंप दिए जाते थे, जिन्हें अनुदान में संपूर्ण गाँव दिया जाता था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि भू-स्वामी सामान्यतः ब्राह्मण होते थे न कि सभी वर्णों के।
5. गुप्तोत्तर कालीन कृषि अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस समय कृषि अर्थव्यवस्था के केंद्र में बँटाईदार या गैर-स्वामित्व प्राप्त किसान आ गए थे।
2. कृष्य भूमि अनुदान की पद्धति को समर्थन प्राप्त हुआ था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तोत्तर कालीन कृषि अर्थव्यवस्था के संदर्भ में दोनों कथन सत्य हैं। गुप्तोत्तर काल में भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आया। अब भू-स्वामी न तो स्वयं भूमि पर कृषि करते थे और न ही प्रत्यक्ष रूप से कर वसूलते थे। अब भूमि आबाद करने और कर वसूली का अधिकार बँटाईदारों अथवा गैर-स्वामित्व प्राप्त किसानों को दिया गया था।
कृष्य भूमि अनुदान की प्रथा को नवोदित शासकों का समर्थन था।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

1. विश्व में इस्पात बनाने की कला सबसे पहले किस देश में विकसित में हुई थी? 
(a) यूरोप 
(b) भारत
(c) चीन
(d) अफ्रीका
उत्तर - (b)
व्याख्या- विश्व में सर्वप्रथम इस्पात बनाने की कला भारत में विकसित हुई। इस्पात बनाने की कला भारतीयों की भौतिक संस्कृति का द्योतक है । इस्पात निर्माण ने भारतीयों को निर्यात हेतु प्रोत्साहित किया, जिससे भारत का व्यापार यूरोपीय देशों तक बढ़ा । प्राचीन काल में भारत से परिष्कृत लोहे के निर्यात व्यापार को 'उट्ज' कहा जाता था।
2. प्राचीन काल में प्रचलित विज्ञान एवं गणित के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. भारतीयों ने अंकन पद्धति, दाशमिक पद्धति और शून्य का प्रयोग सर्वप्रथम प्रारंभ किया था।
2. अरबों के द्वारा भारतीय अंकन पद्धति को अपनाया गया।
3. ईरानियों ने स्वयं अपनी अंकमाला को हिंदसा कहा।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2 
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2 
उत्तर - (b) 
व्याख्या- प्राचीन काल में प्रचलित विज्ञान एवं गणित के संबंध में से कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
ईसा पूर्व तीसरी सदी गणित, खगोल - विद्या और आयुर्विज्ञान के विकास हेतु महत्त्वपूर्ण थी । गणित के क्षेत्र में भारतीयों द्वारा अंकन पद्धति, दाशमिक पद्धति और शून्य के प्रयोग का विकास किया गया। भारतीय अंकन पद्धति को अरबों ने अपनाया और उसका पश्चिमी देशों में प्रसार किया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि ईरानियों ने नहीं, बल्कि अरबों ने स्वयं अपनी अंकमाला को 'हिंदसा' कहा। पश्चिमी देशों में इस अंकमाला का प्रचार होने के सदियों पहले ही भारत में इसका प्रयोग किया जा चुका था।
3. ईसा पूर्व दूसरी सदी में राजाओं के लिए उपयुक्त यज्ञवेदी बनाने के लिए किसने व्यावहारिक ज्यामिति की रचना की?
(a) ब्रह्मगुप्त
(b) आर्यभट्ट
(c) आपस्तंब
(d) वराहमिहिर
उत्तर - (c)
व्याख्या- ईसा-पूर्व दूसरी सदी में राजाओं के लिए उपयुक्त यज्ञवेदी बनाने के लिए आपस्तंब ने व्यावहारिक ज्यामिति की रचना की। इस ज्यामिति में न्यूनकोण, अधिककोण और समकोण का वर्णन किया गया है।
4. निम्नलिखित कथनों में कौन-सा सत्य नहीं है?
(a) अथर्ववेद में औषधियों का उल्लेख सबसे पहले मिलता है।
(b) सुश्रुत संहिता में शल्य विधि का वर्णन है।
(c) चरक को शल्य चिकित्सा का जनक माना जाता है।
(d) चरक संहिता में कुष्ठ और मिरगी का वर्णन है।
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि प्राचीन भारत में आयुर्विज्ञान (चिकित्सा विज्ञान) में सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का जनक माना जाता है, न कि चरक को। प्राचीन भारत में वैद्यों ने शरीर रचना विज्ञान, जिसे एनटॉमी कहते हैं, का अध्ययन किया और इन्होंने रोगों के उपचार हेतु नई विधियों की खोज की तथा औषधि भी बताई । औषधियों का उल्लेख सर्वप्रथम अथर्ववेद में मिलता है।
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Thu, 08 Feb 2024 07:07:48 +0530 Jaankari Rakho
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संगम युग

1. निम्नलिखित में से कौन-सा एक तमिल देश के संगम युग का राजवंश नहीं था ?
(a) चेर 
(b) चोल
(c) पल्लव
(d) पांड्य
उत्तर - (c)
व्याख्या- 'पल्लव' संगम युग का राजवंश नहीं था। संगम साहित्य में चेल, चोल और पाण्ड्य राज्यों का उल्लेख है और संगम युग में इन राज्यों का ही वर्णन मिलता है। पांड्य सुदूर दक्षिण में स्थित था। चोल कोरोमंडल पर शासन करते थे, जबकि चेर पांड्य क्षेत्र के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र पर शासन करते थे। चेरों के शासकीय क्षेत्र को केरल कहा जाता है।
2. अशोक के अभिलेखों में दक्षिण भारत के किस राजवंश का उल्लेख नहीं मिलता है ? 
(a) चोल 
(b) चेर
(c) पांड्य
(d) होयसल
उत्तर - (d)
व्याख्या- अशोक के अभिलेखों में दक्षिण भारत के होयसल वंश का उल्लेख नहीं मिलता है। इसके अभिलेखों में साम्राज्य की सीमा पर बसने वाले चोल, पांड्य, चेर (केरलपुत्र) तथा सतियपुत्रों का उल्लेख किया गया है, जिसमें केवल सतियपुत्रों की पहचान अब तक स्पष्ट रूप से नहीं हो पाई है।
होयसल राजवंश का संबंध मध्यकालीन भारत से है। होयसलों के राज्य का क्षेत्र वर्तमान के मैसूर में स्थित था। इस वंश ने 1006 से 1346 ई. तक शासन किया था।
3. महापाषाणकालीन कलश-शवाधान (अर्न बेरियल) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. वे मृतकों के अस्थिपंजर को काले कलश में डालकर दफनाते
2. कई मामलों में ये अस्थिपंजर पत्थरों से घिरे होते थे।
3. अर्न बेरियल गर्त शवाधान से भिन्न परिपाटी की थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 3
(b) 1 और 3 
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- महापाषाणकालीन कलश-शवाधान (अर्न बेरियल) के संबंध में कथन (1) और (2) असत्य हैं, क्योंकि तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों में निवास करने वाले महापाषाणिक लोग मृतकों के अस्थिपंजर को लाल कलश में डालकर गड्ढों में दफनाते थे न कि काले कलश में। ये अस्थिपंजर पत्थरों से घिरे नहीं होते थे और इसमें दफन की वस्तुएँ भी अधिक नहीं होती थीं। कथन (3) सत्य है, क्योंकि अर्न बेरियल परिपाटी गर्त शवाधानों से भिन्न थी, जोकि गोदावरी - कृष्णा घाटी में प्रचलित थी।
4. उत्तर भारत के धार्मिक समूहों के संपर्क में आने से महापाषाणिक लोगों के जीवन में कौन-सा बदलाव आया?
(a) धान रोपनी की परिपाटी का प्रचलन
(b) लोहे के व्यापार का प्रचलन
(c) रहट द्वारा सिंचाई का प्रचलन
(d) खरीफ फसलों का प्रचलन
उत्तर - (a)
व्याख्या- उत्तर भारत के धार्मिक समूहों के संपर्क में आने से महापाषाणिक लोगों ने धान रोपनी की परिपाटी को अपनाया। प्रथम शताब्दी ई. में महापाषाणिकों ने पहाड़ों से मैदानों की ओर रुख किया और कछारी डेल्टाई क्षेत्रों को कृषि योग्य बनाया। बौद्ध, जैन, ब्राह्मण धर्मप्रचारक आदि के संपर्क में आने से महापाषाणिकों का उनकी भौतिक संस्कृति के साथ संपर्क हुआ। इसके फलस्वरूप उन्होंने अनेक गाँव और नगर बसाए तथा उनके बीच भी सामाजिक वर्ग बनने लगे।
5. सुदूर दक्षिण के प्रायद्वीपीय क्षेत्र को निम्नलिखित में से क्या कहकर संबोधित किया जाता था?
(a) तमिषकम
(b) संगम 
(c) तमिलक्षेत्र
(d) प्रायद्वीपीय भूमि 
उत्तर - (a)
व्याख्या- सुदूर दक्षिण के प्रायद्वीपीय क्षेत्र को 'तमिषकम या तमिलकम' कहकर पुकारा जाता था। यह क्षेत्र उत्तरी और सुदूर दक्षिणी लोगों के बीच संस्कृति और आर्थिक संबंध की स्थापना हेतु महत्त्वपूर्ण था।
6. पांड्य राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह प्रायद्वीप के सुदूर दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी भाग में अवस्थित था।
2. पाटलिपुत्र में रहने वाले मेगास्थनीज को पांड्य देश की जानकारी थी।
3. इसे मोतियों का देश कहा जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 2 
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- पांड्य राज्य के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। पांड्य राज्य भारतीय प्रायद्वीप के सुदूर दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी भाग में था और उसमें तमिलनाडु के आधुनिक तिरुनेल्लवेली, रामनद और मदुरै जिले शामिल थे। उसकी राजधानी मदुरै थी।
मेगास्थनीज ने पांड्य राज्य के संबंध में सर्वप्रथम उल्लेख किया है अर्थात् उसे इस राज्य के बारे में जानकारी थी।
पाटलिपुत्र में निवास करने वाले मेगास्थनीज के अनुसार पांड्य राज्य 'मोतियों का देश' था। यह मोतियों के लिए प्रसिद्ध था।
7. चोल, चेर और पांड्य राज्यों के उदय में समकालीन किस साम्राज्य का योगदान था ?
(a) रोमन साम्राज्य का
(b) बिजेंटियन साम्राज्य का 
(c) ईरानी साम्राज्य का
(d) तुर्की साम्राज्य का 
उत्तर - (a)
व्याख्या- चोल, पांड्य और चेर इन तीनों राज्यों के उदय में रोमन साम्राज्य के साथ बढ़ते हुए व्यापार का महत्त्वपूर्ण योगदान था। ईसा की पहली सदी से ही ये तीनों राज्यों के शासक उस आयात-निर्यात व्यापार से लाभ उठाते रहे, जो एक ओर दक्षिण भारत के समुद्रतटवर्ती प्रदेश और दूसरी ओर रोमन साम्राज्य के पूर्वी उपनिवेशों के (विशेषत: मिस्र) बीच चल रहा था।
8. पांड्य राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इसके अंतर्गत तमिलनाडु के तिरुनेल्लवेली, रामनद और मदुरै जिले शामिल थे।
2. उसकी राजधानी तिरुनेल्लवेली में थी।
3. पांड्य राजाओं ने आगस्टस के दरबार में राजदूत भेजे थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- पांड्य राज्य के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर पर तीन आरंभिक राज्यों के उदय में एक महत्त्वपूर्ण राज्य पांड्य था। इस राज्य का उल्लेख सर्वप्रथम मेगास्थनीज ने किया है। इस राज्य में तमिलनाडु के आधुनिक तिरुनेल्लवेली, रामनद और मदुरै जिले शामिल थे।
पांड्य शासकों का रोमन साम्राज्य के साथ व्यापारिक संबंध था, जिसके फलस्वरूप उन्होंने रोमन सम्राट आगस्टस दरबार में अपना राजदूत भेजा था। कथन (2) असत्य है, क्योंकि पांड्य राज्य की राजधानी तिरुनेल्लवेली नहीं, बल्कि मदुरै थी।
9. चोल राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सत्य नहीं है ?
(a) चोल राज्य मध्य काल के आरंभ में कोरोमंडल कहलाता था।
(b) यह पेन्नार और वेलार नदियों के बीच स्थित था।
(c) उनकी राजनीतिक सत्ता का केंद्र उरैयूर था ।
(d) उरैयूर रेशम व्यापार के लिए प्रसिद्ध था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- चोल राज्य के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि चोल राज्य की राजनीतिक सत्ता का केंद्र उरैयूर सूती कपड़े के व्यापार हेतु प्रसिद्ध था, न कि रेशम के व्यापार हेतु। चोल राज्य संगमकालीन आरंभिक तीन राज्यों में से एक था, जो चोलमंडलम (कोरोमंडल) कहलाता था। यह पेन्नार तथा वेलार नदियों के बीच स्थित पांड्य राज्यक्षेत्र के पूर्वोत्तर कोण में था।
10. ईसा-पूर्व दूसरी सदी के मध्य में किस चोल राजा ने श्रीलंका पर विजय प्राप्त की थी ?
(a) एलारा 
(b) शेनगुट्टवन
(c) राजेंद्र चोल
(d) राजा बल्लाल
उत्तर - (a)
व्याख्या- ईसा पूर्व दूसरी सदी के मध्य में एलारा नामक चोल राजा ने श्रीलंका पर विजय प्राप्त कर, वहाँ लगभग 50 वर्षों तक शासन किया था। एलारा पहला शक्तिशाली चोल शासक था, जिसने चेर तथा पांड्य शासकों को पराजित किया।
11. चोल शासक कारैकाल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने पुहार नामक नगर की स्थापना की थी।
2. उसने कृष्णा नदी के किनारे 160 किमी लंबा बाँध बनाया था।
3. पुहार की पहचान वर्तमान के कावेरीपट्टनम से की गई है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- चोल शासक कारैकाल के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं । चोलों का सुनिश्चित इतिहास काल उसके प्रसिद्ध शासक कारैकाल (करिकाल) के समय ईसा की दूसरी सदी से प्रारंभ होता है। कारैकाल सात स्वरों (संगीत) का ज्ञाता तथा वैदिक धर्म का अनुयायी था। उसने पुहार नामक नगर की स्थापना की थी। यह एक व्यापारिक केंद्र था।
पुहार को आधुनिक रूप से कावेरीपट्टनम के रूप में जाना जाता है। यह चोल शासकों की राजधानी थी । उत्खनन से यह पता चलता है कि पुहार का डॉक (गोदीबाड़ा) बहुत विशाल था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि कारैकाल ने कावेरी नदी के किनारे 160 किमी लंबा बाँध बनाया था न कि कृष्णा नदी के किनारे । इस बाँध का निर्माण श्रीलंका से बंदी बनाकर लाए गए 12,000 गुलामों के द्वारा कराया गया था।
12. चोलों के वैभव का मुख्य स्रोत निम्नलिखित में से कौन एक था ?
(a) सूती कपड़ों का व्यापार
(b) रेशमी कपड़ों का व्यापार
(c) मसालों का व्या
(d) युद्ध में जीते गए क्षेत्र
उत्तर - (a)
व्याख्या- चोलों के वैभव का मुख्य स्रोत सूती कपड़ों का व्यापार था। चोलों का राज्य मुख्यत: व्यापार और वाणिज्य हेतु प्रसिद्ध था। इनके राजधानी नगर के पास विशाल बंदरगाहों के होने से व्यापार में सरलता होती थी। संगमकालीन राज्यों में अन्यत्र ऐसे उदाहरण नहीं मिलते हैं।
13. चोल साम्राज्य के पतन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कारैकाल के उत्तराधिकारियों के समय चोल सत्ता का ह्रास हुआ।
2. ईसा की चौथी से नौवीं सदी तक के दक्षिण भारतीय इतिहास में चोलों की भूमिका नगण्य रही।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- चोल साम्राज्य के पतन के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं।
चोल शासक कारैकाल की सत्ता समाप्ति के पश्चात् उसके उत्तराधिक अत्यंत दुर्बल सिद्ध हुए और वह अपने राज्य के पतन को रोक न सके। उनकी दुर्बलता का लाभ उठाकर चेर, पांड्य और उत्तर के एक अन्य राज्य पल्लव ने उन पर आक्रमण कर वहाँ अपनी सत्ता स्थापित कर ली।
कारैकाल के पश्चात् दक्षिण भारत में ईसा की चौथी से नौवीं सदी तक भारतीय इतिहास में चोलों की भूमिका प्रभावहीन बनी रही, जिसने चोल सत्ता को पतन की ओर उन्मुख किया।
14. चेर राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. यह राज्य पांड्य क्षेत्र के पश्चिम और उत्तर में था।
2. उसमें आधुनिक केरल राज्य और तमिलनाडु का अंश था।
3. चेरों ने चोल नरेश कारैकाल के पिता का वध किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- चेर राज्य के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। पांड्य और चोल शासन की समाप्ति के पश्चात् दक्षिण भारत में एक नया राज्य चेर वंश स्थापित हुआ, जिसे अशोक के अभिलेखों में केरलपुत्र के नाम से भी संबोधित किया गया है। इनका राज्य पांड्य क्षेत्र के पश्चिम और उत्तर में विस्तृत था।
चेर राज्य समुद्र और पहाड़ों के बीच एक सँकरी-सी पट्टी में दृष्टिगोचर होता है, जिसमें आधुनिक केरल राज्य और तमिलनाडु का अंश विद्यमान था।
चेरों का इतिहास चोल और पांड्य शासकों के साथ युद्धरत् की स्थिति का बोध कराता है। इसी क्रम में चेर शासकों ने एक युद्ध में चोल राजा कारैकाल के पिता की हत्या कर दी थी। परिणामस्वरूप चेर शासकों को भी अपनी जान गँवानी पड़ी, जो इन राज्यों के मध्य युद्ध की भीषण अवस्था को चित्रित करता है।
15. चेर क्षेत्र के किस स्थान की पहचान मुजिरिस से की जाती है, जहाँ रोमनों ने अपने हित की रक्षा के लिए सेना की दो टुकड़ियाँ स्थापित की थीं?
(a) क्रांगनोर
(b) कडैसियर
(c) कंबन
(d) कावेरीपट्टनम
उत्तर - (a)
व्याख्या- चेर क्षेत्र के क्रांगनोर की पहचान मुजिरिस से की जाती है, जहाँ रोमनों ने अपने हित की रक्षा के लिए सेना की दो टुकड़ियाँ स्थापित की थीं। यहाँ पर रोमनों ने अपने राजा आगस्टस के एक भव्य मंदिर का भी निर्माण कराया था। संगमकाल में रोमन साम्राज्य के साथ चोल और पांड्य राज्यों का व्यापारिक संबंध स्थापित था।
16. चेर शासक सेंगुट्टुवन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उसे लाल चेर के नाम से जाना जाता था।
(b) उसने अपने भाई को राजसिंहासन पर बैठाया था।
(c) उसने यमुना को पार कर उत्तर में चढ़ाई की थी।
(d) ईसा की दूसरी सदी के बाद चेर शक्ति का ह्रास हो गया।
उत्तर - (c)
व्याख्या- चेर शासक सेंगुट्टुवन के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि चेर शासक सेंगुट्टुवन ने अपने साम्राज्य को आकार देने हेतु उत्तर में गंगा नदी को पार कर चढ़ाई की थी न कि यमुना नदी को। सेंगुट्टुवन चेर शासकों में सबसे महत्त्वपूर्ण शासक था, जिसके संबंध में चेर कवियों ने भी वर्णन किया है। इसे 'लाल चेर' या ‘भला चेर' भी कहा जाता है। चेर शासकों की शक्ति का ह्रास ईसा की दूसरी सदी के बाद हुआ तत्पश्चात् ईसा की आठवीं सदी तक उनके बारे में कोई ज्ञात जानकारी उपलब्ध नहीं होती।
17. सुदूर दक्षिण राज्यों के व्यापार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. वे गोल मिर्च उगाते थे, जिनकी पश्चिमी दुनिया में माँग थी।
2. वे हाथी दाँत का व्यापार करते थे।
3. उनका सूती कपड़ा साँप के केंचुल जैसा मोटा होता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- सुदूर दक्षिण राज्यों के व्यापार के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। सुदूर दक्षिण राज्य (चोल, पांड्य, चेर) परस्पर युद्ध में लगे रहने के कारण भी इनके व्यापार पर अधिक प्रभाव नहीं डाल सके। वे मसाले में विशेषकर गोल मिर्च उगाते थे, जिनकी पश्चिमी देशों में बहुत अधिक माँग थी।
संगमकालीन राज्य व्यापार की दृष्टि से काफी मूल्यवान समझे जाने वाले हाथियों के दाँत का भी व्यापार पश्चिमी देशों में करते थे। साथ ही मोती और रत्न का भी व्यापार पश्चिमी देशों में भारी मात्रा में होता था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि संगमकालीन दक्षिण राज्य मलमल और रेशम उत्पन्न करते थे और उससे तैयार सूती कपड़ा साँप के केंचुल की भाँति पतला प्रतीत होता था, न कि मोटा।
18. सुदूर दक्षिणी राज्यों का निम्नलिखित में से किसके साथ व्यापारिक संबंध स्थापित था? 
(a) हेलेनिस्टिक राज्य
(b) अरब राज्य 
(c) मलय द्वीप समूह
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- सुदूर दक्षिणी राज्यों के यूनानी या मिस्र के हेलेनिस्टिक राज्य, अरब राज्यों तथा मलय द्वीपसमूह के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित थे, जहाँ से वे चीन के साथ भी व्यापार करते थे।
19. निम्नलिखित में किस क्षेत्र के बारे में कहावत है कि "जितनी जमीन में एक हाथी लेट सकता है, उतनी जमीन सात आदमियों का पेट भर सकती है?"
(a) कावेरी डेल्टा क्षेत्र 
(b) कृष्णा डेल्टा क्षेत्र
(c) गोदावरी डेल्टा क्षेत्र
(d) नर्मदा डेल्टा क्षेत्र
उत्तर - (a)
व्याख्या- कावेरी डेल्टा क्षेत्र के बारे में संगमकाल में यह कहावत प्रसिद्ध थी कि “जितनी जमीन में एक हाथी लेट सकता है, उतनी जमीन सात आदमियों का पेट भर सकती है।" यह क्षेत्र धान, रागी, ईख आदि की उपज हेतु प्रसिद्ध था। इन सभी के अतिरिक्त इन प्रदेशों में अनाज, फल, गोल मिर्च, हल्दी आदि की पैदावार भी होती थी।
20. दक्षिण भारत के सामाजिक वर्गों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. तमिल भूमि में ब्राह्मण संस्कृति का प्रभाव संगम काल में सामने आया।
2. चौथी शताब्दी ई. के बाद ब्राह्मणों को भूमि अनुदान का उल्लेख मिलता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दक्षिण भारत के सामाजिक वर्गों के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं। दक्षिण भारत में ब्राह्मण संस्कृति का प्रभाव ईसा की आरंभिक शताब्दियों में 'संगम काल' के दौरान बढ़ा। ब्राह्मणों को भूमि अनुदान देने का साक्ष्य चौथी शताब्दी ई. के पल्लव अभिलेखों से पहली बार मिलता है।
21. संगम साहित्य में 'तोलकाप्पियम' एक ग्रंथ है
(a) तमिल कविता का
(b) तमिल व्याकरण का
(c) तमिल वास्तुशास्त्र का
(d) तमिल राजशास्त्र का
उत्तर - (b)
व्याख्या- संगम साहित्य में 'तोलकाप्पियम' एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है। यह व्याकरण तथा अलंकार शास्त्र से संबद्ध रचना है। 'तोलकाप्प्यिम' की रचना तोलकापियार ने की, तोलकापियार एक तमिल वैयाकरण थे। द्वितीय संगम के दौरान तोलकापियार ने तोलकाप्पियम की रचना की। इस ग्रंथ में 8 प्रकार के विवाहों का उल्लेख मिलता है।
22. दक्षिण भारत के वह स्थानीय देवता कौन थे, जो आरंभिक मध्यकाल में सुब्रह्मण्यम कहलाने लगे?
(a) मारुत 
(b) मुरूगन
(c) मेलकणक्कु
(d) मारवाह
उत्तर - (b)
व्याख्या- दक्षिण भारत के पहाड़ी प्रदेशों के लोगों के मुख्य देवता मुरूगन थे, जो आरंभिक मध्यकाल में 'सुब्रामनियम' या 'सुब्रह्मण्यम' कहलाने लगे। दक्षिण भारतीय इतिहास के तमिल प्रदेशों में ब्राह्मण संस्कृति के प्रारंभ होने के पश्चात् अन्य राजा वैदिक यज्ञ करने लगे। वेदानुयायी ब्राह्मण शास्त्रार्थ करने लगे।
23. संगम साहित्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. संगम, तमिल कवियों का सम्मेलन था।
2. यह राजा के आश्रय में आयोजित होता था।
3. मुजिरिस में संगम राजाश्रय में आयोजित होते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- संगम साहित्य के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं । ऐतिहासिक काल के आरंभ में तमिल लोगों से संबंधित जानकारी का स्रोत संगम साहित्य है। संगम तमिल कवियों का संघ या सम्मेलन था। संगम का आयोजन राजा या किसी सामंत के आश्रय में किया जाता था। पाण्ड्य शासकों को इन संघों का संरक्षक माना जाता है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि संगम का आयोजन मुजिरिस में न होकर मदुरै में किया जाता था।
24. संगम समूहों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मेलकणक्कु एक आख्यानात्मक ग्रंथ था।
2. कोलकणक्कु एक उपदेशात्मक ग्रंथ था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- संगम समूहों के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं।
संगम समूह को मुख्य रूप से दो समूहों में बाँटा जाता है- पहला आख्यानात्मक और दूसरा उपदेशात्मक आख्यानात्मक ग्रंथ मेलकणक्कु अर्थात् अट्ठारह मुख्य ग्रंथों का समूह है, जिसमें आठ पद्य भाषा में हैं और दस ग्राम्य गीत के रूप में संकलित हैं। उपदेशात्मक ग्रंथ कोलकणक्कु अट्ठारह लघु ग्रंथों का समूह है।
25. दक्षिण भारत में प्रचलित कीलक (फन्नी), सपाट सेल्ट, शूलाग्र आदि क्या थे?
(a) लोहे के बने हथियार 
(b) तमिल भाषा के ग्रंथ
(c) मुख्य व्यापारिक समूह
(d) राजा की उपाधि
उत्तर - (a)
व्याख्या- दक्षिण भारत में प्रचलित कीलक ( फन्नी), सपाट सेल्ट, शूलाग्र आदि लोहे से निर्मित हथियार थे, जिनका प्रयोग युद्ध और शिकार हेतु किया जाता था, इनका वर्णन संगम साहित्य में मिलता है।
26. संगम साहित्य के प्रचुर अंश ईसा सन् की आरंभिक सदियों में लिखे गए उनका अंतिम रूप से संकलन कब किया गया था ?
(a) 500 ई. के आस-पास
(b) 600 ई. के आस-पास
(c) 700 ई. के आस-पास
(d) 1000 ई. के आस-पास
उत्तर - (b)
व्याख्या- संगम के आयोजनों के पश्चात् रचित संगम साहित्य जो वर्तमान समय में उपलब्ध है, लगभग 300 ई. और 600 ई. के बीच संकलित किया गया था, परंतु इसके कुछ भाग अति प्राचीन हैं, जो ईसा पूर्व दूसरी सदी के प्रतीत होते हैं।
27. सातवीं सदी में उदित हुए दक्षिण भारत के राज्यों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. काँची में पल्लव राजवंश का उदय हुआ।
2. बादामी में पांड्य राजवंश अस्तित्व में आया।
3. मदुरै में चालुक्यों ने सत्ता संभाली।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- सातवीं सदी में उदित हुए दक्षिण भारत के राज्यों के संबंध में कथन (1) सत्य है। सातवीं सदी के आरंभ में उदित हुए राज्यों में काँची में पल्लव राज्य का शासन स्थापित हुआ था। इस राज्य के उदय के संबंध में अनुदान पत्रों में के द्वारा जानकारी प्राप्त होती है।
कथन (2) और (3) असत्य हैं, क्योंकि बादामी में चालुक्य वंश और मदुरै में पांड्य वंश का उदय हुआ था।
28. सातवीं सदी में दक्षिण भारत के राज्यों के संदर्भ में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यहाँ ब्राह्मण धर्म का उत्कर्ष हुआ।
(b) विष्णु तथा शिव के पत्थर निर्मित मंदिरों का निर्माण आरंभ हुआ।
(c) यहाँ 'प्राकृत' राजभाषा थी।
(d) वाकाटकों का राज्य उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ में था।
उत्तर - (c)
व्याख्या- सातवीं सदी में दक्षिण भारत के राज्यों के संदर्भ में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि सातवीं सदी में दक्षिण भारतीय राज्यों में संस्कृत राजभाषा थी, न कि प्राकृत । लगभग 400 ई. से ही प्राकृत के स्थान पर संस्कृत इस प्रायद्वीप (दक्षिण भारत) की राजभाषा हो गई थी और इस समय के अधिकांश शासन-पत्र ( सनद) संस्कृत भाषा में ही मिलते हैं।
29. चालुक्यों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. चालुक्य स्वयं को ब्रह्मा, मनु या चंद्र के वंशज मानते थे।
2. उनके पूर्वजों ने कन्नौज में राज किया था।
3. वे स्थानीय कन्नड़ जाति के थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- चालुक्यों के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं।
चालुक्य वंश ने 757 ई. तक लगभग 200 वर्ष दक्कन और दक्षिण भारत के इतिहास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। चालुक्य शासक स्वयं को ब्रह्मा, मनु या चंद्र के वंशज मानते थे।
चालुक्य वंशीय शासकों के संबंध से यह प्रतीत होता है कि वे मुख्यतः कन्नड़ जाति के थे, किंतु ब्राह्मणों के द्वारा उन्हें क्षत्रियों के सदृश जातिगत विशेषताएँ प्राप्त हुई थी।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि चालुक्यों के पूर्वज कन्नौज में नहीं, बल्कि अयोध्या में राज करते थे।
30. दक्षिण भारत के किस राजवंश ने टोंडाईनाडु अर्थात् 'लताओं के देश' में अपनी सत्ता स्थापित की ?
(a) पल्लव
(b) राष्ट्रकूट
(c) चोल
(d) इक्ष्वाकु
उत्तर - (a)
व्याख्या- पल्लव शब्द का अर्थ- लता होता है, जो टोंडाई का रूपांतर है। पल्लव एक स्थानीय जनजाति थी, जिसने टोंडाईनाडु अर्थात् लताओं के देश में अपनी सत्ता को स्थापित किया था। इक्वाकु शासकों को अपदस्थ कर पल्लव राजवंश स्वयं सत्ता पर आरूढ़ हुआ।
31. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कदंब राज्य की स्थापना मयूरशर्मन ने की थी।
2. इस राज्य का विस्तार कर्नाटक और कोंकण तक था।
3. कदंब राज्य की राजधानी कोलार थी ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
पल्लवों के पश्चात् कदंब राज्य की स्थापना मयूरशर्मन ने अपने अपमान का बदला लेने हेतु की थी। पल्लवों का आरंभिक संघर्ष कदंबों के साथ ही हुआ था। कदंब वंश के राज्य का विस्तार चौथी सदी में उत्तरी कर्नाटक और कोंकण के क्षेत्र तक था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि कदंब राजाओं की राजधानी कर्नाटक के उत्तर केनरा जिले में वैजयंती या बनवासी थी, न कि कोलार ।
32. दक्षिण भारतीय राज्यों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. पल्लव, कदंब तथा चालुक्यों ने अश्वमेध और वाजपेय यज्ञ किए।
2. कलभ्रों को दुष्ट राजा कहा गया है।
3. कलभ्रों ने चोल, पांड्य और चेर राजाओं को बंदी बनाया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दक्षिण भारतीय राज्यों के संबंध में सभी कथन सत्य हैं ।
पल्लव, कदंब, बादामी के चालुक्य और उनके अन्य समकक्ष शासक वैदिक यज्ञ के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने अश्वमेध और वाजपेय यज्ञ भी किए थे, जिससे न केवल उनके शासन को वैधता और प्रतिष्ठा मिली, बल्कि पुरोहित वर्ग की आय में आशातीत वृद्धि हुई।
चोल, पांड्य और चेर शासन की समाप्ति के पश्चात् प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में सबसे महत्त्वपूर्ण घटना थी-छठी सदी में कलभ्रों के नेतृत्व में हुआ विद्रोह। कलभ्रों को दुष्ट राजा कहा गया है। इस विद्रोह को पांड्य, पल्लव और बादामी के चालुक्यों के संयुक्त प्रयास से ही दबाया जा सका।
कलभ्रों का आतंक इतना व्यापक था कि उन्होंने चोल, पांड्य और चेर राजाओं को बंदी बना उनकी सत्ता पर अधिकार स्थापित कर लिया था।
33. किस ग्रंथ में कहा गया है कि राजा वीरता के लिए योद्धाओं को गाँव देते थे ? 
(a) वैदिक ग्रंथ 
(b) तमिल ग्रंथ
(c) संगम ग्रंथ
(d) उपनिषद्
उत्तर - (c)
व्याख्या- संगम ग्रंथों में यह कहा गया है कि राजा वीरता के लिए योद्धाओं को गाँव देते थे। साथ ही इस काल में ब्राह्मणों को भी भूमि अनुदान में दी जाती थी। इन अनुदानों के फलस्वरूप पल्लवों के अधीन तीसरी सदी के अंत से दक्षिणी आंध्र प्रदेश और उत्तरी तमिलनाडु में कृषि विस्तार को संभवत: बढ़ावा मिला।
34. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. पुलकेशिन द्वितीय की जानकारी का स्रोत ऐहोल अभिलेख है।
2. रविकीर्ति उसका दरबारी कवि था।
3. उसने कदंबों की राजधानी बनवासी को अपने अधीन कर लिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2.
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। पुलकेशिन द्वितीय चालुक्य वंश का प्रतापी शासक था। काँची में पल्लव-चालुक्य संघर्ष मुख्य रूप से प्रभुसत्ता को लेकर प्रारंभ हुआ था, जिसके केंद्र में बादामी का चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय था। इसके संबंध में जानकारी का स्रोत ऐहोल अभिलेख है।
रविकीर्ति, जोकि पुलकेशिन द्वितीय का दरबारी कवि था, ने अपने राजा की जीवनी का वर्णन एक प्रशस्ति (गुणवर्णन) के माध्यम से किया है, जो ऐहोल अभिलेख में उत्कीर्ण है।
ऐहोल अभिलेख से यह जानकारी प्राप्त होती है कि पुलकेशिन द्वितीय ने कदंबों की राजधानी बनवासी पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया था, साथ ही कर्नाटक के गंग शासकों को अपनी प्रभुता स्वीकार करने हेतु विवश किया और नर्मदा के किनारे हर्ष की सेना को पराजित कर उसकी दक्षिण विजय को रोक दिया था।
35. पल्लव राजा नरसिंहवर्मन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उसका शासन काल 630 से 668 ई. तक था।
(b) उसने वातापीकोंड की उपाधि धारण की थी।
(c) वह चालुक्यों से पराजित हो गया था।
(d) उसने चेरों, पांड्यों और कलभ्रों को पराजित किया था।
उत्तर - (c)
व्याख्या- पल्लव राजा नरसिंहवर्मन के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है। चालुक्य - पल्लव संघर्ष के दूसरे चरण में पल्लव राजा नरसिंहवर्मन ने पुलकेशिन द्वितीय के आक्रमण को विफल करते हुए उसे पराजित किया और चालुक्यों की राजधानी वातापी पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। संभवत: इसी आक्रमण के दौरान पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु भी हो गई थी ।
36. छठी से आठवीं सदी के मध्य दक्षिण भारत में धर्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. शिव और विष्णु लोकप्रिय देवता बन गए । 
2. पल्लव राजाओं ने आराध्य देवताओं की प्रतिमाओं की स्थापना के लिए मंदिरों का निर्माण करवाया।
3. पुलकेशिन द्वितीय ने मामल्लपुरम की स्थापना की
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 2
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
छठी से आठवीं सदी के मध्य दक्षिण भारत में यज्ञानुष्ठानों के अतिरिक्त ब्रह्मा, विष्णु और शिव की पूजा लोकप्रिय हो गई, जिसमें शिव और विष्णु अति लोकप्रिय देवता बन गए।
पल्लव राजाओं ने सातवीं और आठवीं सदी में अपने पूजनीय और आराध्य देवताओं की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए बहुत सारे प्रस्तर (पत्थर) मंदिरों का निर्माण कराया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि प्रसिद्ध बंदरगाह शहर मामल्लपुरम या महाबलिपुरम की स्थापना सातवीं सदी में पल्लव राजा नरसिंहवर्मन ने करायी थी, न कि पुलकेशिन द्वितीय ने।
37. दक्षिण भारत में कोटि का वह गाँव क्या कहलाता था, जहाँ व्यापारियों और वणिकों का मिला-जुला वास होता था ?
(a) उर 
(b) सभा
(c) नगरम्
(d) अग्रहार
उत्तर - (c)
व्याख्या- दक्षिण भारतीय ग्रामीण विस्तार से संबंधित नगरम् कोटि का वह गाँव होता था, जहाँ व्यापारियों और वणिकों का मिला-जुला वास होता था और इस समस्त क्षेत्र पर इन्हीं का वर्चस्व रहता था। ऐसे गाँव का विकास संभवत: इसलिए हुआ, क्योंकि तत्कालीन समय में व्यापार में गिरावट आई थी और वणिक वर्ग गाँवों की ओर प्रवास कर रहे थे।
38. दक्षिण भारतीय सामाजिक ढाँचे के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. राजाओं और पुरोहितों के नीचे किसान आते थे। 
2. वाकाटक, पल्लव शासकों ने धर्ममहाराज की उपाधि धारण की थी।
3. सिंहवर्मन ने कलियुग के दुर्गुणों से ग्रस्त धर्म का उद्धार किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दक्षिण भारतीय सामाजिक ढाँचे के संबंध में सभी कथन सत्य हैं ।
दक्षिण भारतीय समाज में राजा और पुरोहित सबसे ऊपरी क्रम में आसीन थे। इस काल में राजा ब्राह्मण या क्षत्रिय होने का दावा करते थे। राजाओं और पुरोहितों से नीचे किसानों का स्थान था, जो अनेकानेक कृषक जातियों में बँटे हुए थे।
राजा ने अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करने हेतु व्यवस्था का पालन करना इसी सुनिश्चित किया ताकि राजा और पुरोहितों का कल्याण संभव हो कारण वाकाटक, पल्लव, कदंब और पश्चिमी गंग राजाओं ने 'धर्ममहाराज' की उपाधि धारण की थी।
पल्लव राज्य के वास्तविक संस्थापक सिंहवर्मन के विषय में यह कहा गया है कि उन्होंने कलियुग के दुर्गुणों से ग्रस्त धर्म का उद्धार किया था। स्पष्टत: इसके द्वारा किए गए कलभ्रों के दमन के संबंध में यह बात कही गई थी।

चोल साम्राज्य (9वीं से 12वीं सदी तक) 

1. चोल साम्राज्य के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) 9वीं सदी में चोल साम्राज्य की स्थापना विजयालय ने की थी।
(b) 850 ई. में विजयालय ने तंजौर पर अधिकार कर दिया था।
(c) विजयालय चालुक्यों का सामंत था ।
(d) चोलों ने एक शक्तिशाली नौसेना विकसित की थी।
उत्तर - (c)
व्याख्या- चोल साम्राज्य के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि चोल साम्राज्य का संस्थापक विजयालय आरंभ में पल्लवों का सामंत था न कि चालुक्यों का | चोल साम्राज्य की स्थापना नौवीं सदी में हुई और इसने दक्षिण भारतीय प्रायद्वीप के एक बहुत बड़े भाग पर अपना नियंत्रण स्थापित किया था। चोल शासक विजयालय ने 850 ई. में तंजौर को अपने अधिकार क्षेत्र में शामिल कर लिया था। चोल शासकों ने एक शक्तिशाली नौसेना का भी विकास किया था, जिसके बल पर उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के समुद्री व्यापार का मार्ग प्रशस्त किया और श्रीलंका तथा मालदीव को जीत लिया था।
2. कोवलन और माधवी की कन्या के साहसिक जीवन का विवरण मिलता है, किंतु यह महाकाव्य धार्मिक अधिक है, साहित्यिक कम। इस रचना के लेखक संगमकालीन शासक सेनगुट्टूवन के मित्र तथा समकालीन थे। यहाँ किस महाकाव्य का एक स्पष्ट विवरण प्रस्तुत किया गया है ? 
(a) मणिमैकले
(b) तोलकाप्पियम
(c) सिलप्पदिकारम
(d) कडैसियर
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्रश्न में वर्णित विवरण मणिमैकले के विषय में प्रस्तुत किया गया है। 'मणिमैकले' संगम साहित्य की श्रेष्ठतम महाकाव्यात्मक रचना है। मणिमैकले में कोवलन और माधवी की कन्या का साहसिक विवरण है। इस महाकाव्य से छठी शताब्दी ई. के तमिल सभाज एवं आर्थिक जीवन का स्पष्ट आभास मिलता है। यह महाकाव्य धार्मिक अधिक है, साहित्यिक कम।
3. चोल राजा राजराज के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसका शासन काल 885 से 1014 ई. तक था ।
2. उसने त्रिवेंद्रम में चेरों की नौसेना को ध्वस्त कर दिया था।
3. उसने श्रीलंका के उत्तरी भाग को जीत लिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- चोल राजा राजराज के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं।
चोल शासक राजराज सबसे समृद्ध शासक था। उसे अपने पिता के जीवनकाल में ही युवराज नियुक्त कर दिया गया था। सिंहासनारूद होने के पूर्व ही वह प्रशासन और युद्ध का काफी अनुभव प्राप्त कर चुका था। साथ ही उसने त्रिवेंद्रम के चेरों की नौसेना को भी ध्वस्त कर दिया था और कोईलोन पर भी आक्रमण किया था।
राजराज ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ होने वाले व्यापार पर नियंत्रण स्थापित करने के उद्देश्य से श्रीलंका पर चढ़ाई कर उसके उत्तरी हिस्से को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया था।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि राजराज का शासनकाल 985 ई. से 1014 ई. तक था।
4. राजेंद्र चोल के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है ?
(a) उसने तंजौर में राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया था।
(b) उसने श्रीलंका को 50 वर्षों तक चोल साम्राज्य में मिला कर रखा।
(c) उसने गंगईकोंड चोलपुरम की स्थापना की थी।
(d) उसने कलिंग के रास्ते बंगाल पर आक्रमण किया था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- राजेंद्र चोल के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि तंजौर के राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण 1010 ई. में अपने शासनकाल के दौरान राजराज ने कराया था न कि राजेंद्र चोल ने। राजराज का उत्तराधिकारी राजेंद्र चोल प्रथम हुआ, जिसने राजराज की विस्तारवादी नीति को आगे बढ़ाया। राजेंद्र चोल ने समुद्रगुप्त के दक्षिण अभियान मार्ग का अनुसरण करते हुए गंगा पर विजय की नीति अपनाई और कावेरी नदी के मुहाने पर एक नए राजधानी शहर को बसाया, जिसे 'गंगईकोंड चोलपुरम्' का नाम दिया गया।
श्रीलंका की विजय को कायम रखते हुए उसने वहाँ के राजा और रानी के मुकुट तथा राज चिह्न पर अधिकार कर लिया तथा अगले 50 वर्षों तक श्रीलंका को चोल साम्राज्य के अधीन रखा।
5. चोल शासकों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उन्होंने पांड्य और चेरों को पराजित किया था।
2. चोलों ने शैलेंद्र शासकों पर सैन्य आक्रमण किया था।
3. शैलेंद्र शासक बौद्ध थे और चोलों के साथ उनके मधुर संबंध थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) 1 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- चोल शासकों के संबंध में सभी कथन सत्य हैं।
राजराज की विस्तारवादी नीति का अनुसरण करते हुए राजेंद्र चोल ने पांड्य और चेर देशों को पूर्णतः पराभूत कर अपने साम्राज्य के अधीन कर लिया।
राजेंद्र प्रथम ( चोल शासक) ने अपनी नौसेना शक्ति से श्री विजय साम्राज्य राजवंश का शासन था।
पर आक्रमण किया, उस समय वहाँ शैलेंद्र शैलेंद्र शासक बौद्ध थे और उनके संबंध चोलों के साथ मधुर थे। जिसकी जानकारी हमें नागपट्टम में शैलेंद्र शासकों द्वारा बनवाए गए बौद्ध विहार से मिलती है। इस विहार का खर्च चलाने के लिए राजेंद्र चोल ने शैलेंद्र शासकों के अनुरोध पर एक गाँव भी दान में दिया था।
6. चोल काल में व्यापार के लिए लाई गई सभी वस्तुओं के लिए चीनी लोग किस शब्द का प्रयोग करते थे ? 
(a) चुंगी
(b) नजराना 
(c) स्वर्णभूमि 
(d) आयातित वस्तु
उत्तर - (b)
व्याख्या- चोल काल में व्यापार के लिए लाई गई सभी वस्तुओं के लिए चीनी लोग 'नजराना' शब्द का प्रयोग करते थे। चोल शासकों ने अपने शासनकाल के दौरान काँच के बर्तन, कपूर, कमख्वाब, गैंडे के सींग, हाथी के दाँत आदि चीन भेजे थे, जिसके बदले में 'ताँबे के सिक्कों की 81,800 मालाएँ' चीन द्वारा नजराना के रूप में दी गई थी। यह उस समय की एक कूटनीतिक व्यापारिक गतिविधि को दर्शाता है।
7. चोल प्रशासन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. चोल प्रशासन मंडलम्, वलनाडु और नाडुओं में विभाजित था
2. अधिकारियों को सामान्यतः राजस्वदायी भूमिदान द्वारा भुगतान किया जाता था।
3. चोलकाल में उर और महासभा 'ग्राम प्रशासन की इकाई थी ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 1
उत्तर - (b)
व्याख्या- चोल प्रशासन के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। चोल साम्राज्य मंडलों या प्रांतों में विभाजित था और मंडलम्, वलनाडुओं और नाडुओं में बाँटे गए थे। चोलकालीन प्रशासन में कभी-कभी राजपरिवार के सदस्य प्रांतीय शासक नियुक्त किए जाते थे। अधिकारियों को सामान्यतः राजस्व प्राप्त होने वाली भूमि के रूप में वेतन दिया जाता था।
चोलकालीन अभिलेखों की अधिकता के कारण इस साम्राज्य के ग्राम प्रशासन की अधिक जानकारी होती है। इन अभिलेखों में दो माओं का उल्लेख मिलता है - उर और सभा या महासभा । 'उर', गाँवों की आम सभा थी, जबकि 'महासभा' अग्रहार कहे जाने वाले ब्राह्मण गाँवों के वयस्क सदस्यों की सभा थी।
8. मंदिर निर्माण में मंदिर की चारदीवारियों में जगह-जगह ऊँचे सिंहद्वार बने होते थे, उन्हें क्या कहा जाता था ?
(a) पंचायत
(b) गोपुरम
(c) क्षत्रप
(d) मेहराब
उत्तर - (b)
व्याख्या- चोलकालीन मंदिर निर्माण में मंदिर की चारदीवारियों में जगह-जगह ऊँचे सिंहद्वार बने होते थे, जिन्हें गोपुरम् कहा जाता था। कालांतर में विमानों और आँगनों के साथ-साथ मंदिर निर्माण में गोपुरम को भी अधिकाधिक अलंकृत किया जाने लगा। मंदिर निर्माण से संबंधित महत्त्वपूर्ण शब्दावलियों में विमानशैली, मंडपम्, गोपुरम आदि दक्षिण भारत की महत्त्वपूर्ण विशेषता थी, जो द्रविड़ शैली की परिचायक है।
9. चोलकालीन, धार्मिक परंपराओं के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) अलवार संत विष्णु के भक्त थे ।
(b) नयनार संत ब्रह्मा के उपासक थे।
(c) सामान्य लोगों के लिए मंदिर सांस्कृतिक जीवन का केंद्र था।
(d) राजा और रानी की प्रतिमाएँ भी प्रतिष्ठित करने का चलन था।
उत्तर - (b)
व्याख्या- चोलकालीन, धार्मिक परंपराओं के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि नयनार संत शिव के उपासक थे न कि ब्रह्मा के। अलवार और नयनार संतों ने तमिल तथा संबंधित क्षेत्र की अन्यान्य भाषाओं में गीतों और भजनों की रचना की थी। अलवार संत विष्णु के उपासक थे। अन्य सभी कथन सही हैं ।
10. चोलकालीन किस रचना को 'पाँचवें वेद' की संज्ञा दी गई है?
(a) तमिल रामायण 
(b) तिरुमुरई
(c) कन्नड़ काव्य
(d) तिक्कन्ना
उत्तर - (b)
व्याख्या- चोलकालीन रचना 'तिरुमुरई' को 'पाँचवें वेद' की संज्ञा दी गई है। तिरुमुरई को बारहवीं सदी के आरंभ में संकलित किया गया था। यह अलवार तथा नयनार संतों द्वारा रचित एक पवित्र ग्रंथ की श्रेणी में सूचीबद्ध किया जाता है।
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Thu, 08 Feb 2024 06:14:17 +0530 Jaankari Rakho
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गुप्तोत्तर कालीन राजवंश

1. गुप्तवंश के पतन से लेकर आरंभिक सातवीं शताब्दी में हर्ष के उत्थान तक उत्तर भारत में निम्नलिखित में से किन राज्यों का शासन था ?
1. मगध के गुप्त
2. मालवा के परमार
3. थानेश्वर के पुष्यभूति
4. कन्नौज के मौखरि
5. देवगिरि के यादव
6. वल्लभी के मैत्रक
कूट
(a) 1, 2 और 5
(b) 1, 3, 4 और 6
(c) 2, 3 और 4 
(d) 5 और 6
उत्तर - (b)
व्याख्या- गुप्तवंश के पतन के पश्चात् आरंभिक सातवीं शताब्दी में हर्षवर्द्धन के उत्थान तक उत्तर भारत में विभिन्न राजवंशों का उदय हुआ। मगध के गुप्त तथा थानेश्वर के पुष्यभूति शासकों ने अपनी शक्ति का विस्तार किया।
कन्नौज के मौखरि तथा वल्लभी के मैत्रक इस दौरान स्थानीय स्तर पर शासन करते थे। हर्षवर्द्धन ने थानेश्वर के पुष्यभूति तथा कन्नौज के मौखरि वंश के शासन का विलय कर सशक्त शासन की स्थापना की।
2. हर्षवर्द्धन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. हर्षवर्द्धन का शासनकाल 606 ई. से 647 ई. तक था।
2. हर्षवर्द्धन के शासन का आरंभिक जीवन इतिहास ह्वेनसांग के विवरण से मिलता है।
3. हर्षवर्द्धन को भारत का अंतिम हिंदू सम्राट कहा गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं ।
हर्षवर्द्धन का शासनकाल 606 ई. से 647 ई. तक रहा।
हर्षवर्द्धन को भारत का अंतिम हिंदू सम्राट कहा जाता है, लेकिन वह न तो कट्टर हिंदू था और न ही संपूर्ण भारत का शासक
कथन (2) असत्य है, क्योंकि हर्षवर्द्धन के शासन का आरंभिक जीवन इतिहास ह्वेनसांग के विवरण से नहीं मिलता। यह जानकारी हमें हर्षवर्द्धन द्वारा आश्रय प्राप्त कवि बाणभट्ट की रचना 'हर्षचरित' से मिलती है।
3. हर्षवर्द्धन का साम्राज्य पूरे उत्तर भारत में फैला हुआ था ।
निम्नलिखित में से कौन-सा अपवाद स्वरूप हर्षवर्द्धन के साम्राज्य का हिस्सा नहीं था?
(a) राजस्थान
(b) पंजाब
(c) उत्तर प्रदेश
(d) कश्मीर
उत्तर - (d)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन का साम्राज्य कश्मीर को छोड़कर संपूर्ण उत्तर भारत में फैला था। राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार प्रत्यक्ष रूप से हर्ष के नियंत्रण में थे, इसके अतिरिक्त असम का क्षेत्र भी उसके नियंत्रण में था। पूर्वी भारत में गौड़ के शैव राजा शशांक ने हर्षवर्द्धन की अधीनता को स्वीकार नहीं किया था।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. हर्षवर्द्धन के पूर्व शासकों की राजधानी थानेसर थी।
2. हर्षवर्द्धन ने असम को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया।
3. उसने दक्कन के सभी राज्यों को जीत लिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (d).
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। पुष्यभूति वंश जिसे वर्द्धन राजवंश के रूप में भी जाना जाता है, की प्रारंभिक राजधानी थानेश्वर (थानेसर) थी । हर्षवर्द्धन ने शासक बनने के पश्चात् कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया। हर्षवर्द्धन का साम्राज्य उत्तर-पश्चिम क्षेत्र के अतिरिक्त पूर्व में कामरूप (असम) तक फैला था ।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि हर्षवर्द्धन का दक्कन अभियान सफल नहीं रहा था।
5. हर्षवर्द्धन तथा पुलकेशिन द्वितीय के बीच हुए संघर्ष का क्या परिणाम रहा था?
(a) पुलकेशिन द्वितीय विजयी रहा
(b) हर्षवर्द्धन की जीत हुई
(c) दोनों शासकों के बीच समझौता हुआ
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं 
उत्तर - (a)
व्याख्या- पुलकेशिन द्वितीय ने ही हर्षवर्द्धन को दक्षिण में साम्राज्य विस्तार से रोका था और दोनों के मध्य युद्ध हुआ, जिसमें पुलकेशिन द्वितीय की विजय हुई। अपने संपूर्ण जीवनकाल में हर्षवर्द्धन को सबसे कड़े विरोध का सामना पुलकेशिन द्वितीय के विरुद्ध करना पड़ा था।
6. हर्षवर्द्धन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसको बौद्ध धर्म से लगाव था, उसने जीवन के अंतिम वर्षों में बौद्ध धर्म अपना लिया था।
2. उसने दूसरे धर्मों को हतोत्साहित करने का प्रयास किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन के संबंध में कथन (1) सत्य है। हर्षवर्द्धन को बौद्ध धर्म से लगाव था और शायद जीवन के अंतिम वर्षों में वह बौद्ध भी बन गया था। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने हर्ष के संबंध में भी लिखा है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि हर्षवर्द्धन बौद्ध धर्म से जरूर जुड़ा था, लेकिन दूसरे धर्मों को भी निरंतर उसका आश्रय मिलता रहा।
7. हर्षवर्द्धन के शासनकाल में कौन-सा तीर्थयात्री मध्य एशिया को पार करते हुए भारत पहुँचा था ?
(a) बौद्ध यात्री फाह्यान 
(b) बौद्ध यात्री ह्वेनसांग
(c) अरब यात्री अलमसूदी
(d) बौद्ध यात्री इत्सिंग
उत्तर - (b)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन के शासनकाल में बौद्ध यात्री ह्वेनसांग (युवान- च्वांग ) मध्य एशिया को पार करते हुए भारत पहुँचा था। हर्ष के शासनकाल का महत्त्व चीनी यात्री ह्वेनसांग के भ्रमण को लेकर था। वह लगभग 26 वर्ष की उम्र में चीन से रवाना हुआ और फाह्यान का अनुसरण करते हुए भारत आया था। वह नालंदा महाविहार में अध्ययन हेतु रुका और 645 ई. में पुन: चीन लौट गया। वह 15 वर्षों तक भारत में रहा।
8. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. चीनी तीर्थयात्री फाह्यान ने कनिष्क द्वारा आयोजित की गई चतुर्थ बौद्ध परिषद् में हिस्सा लिया।
2. चीनी तीर्थयात्री ह्वेनसांग, हर्ष से मिला और उसे बौद्ध धर्म का प्रतिरोधी पाया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन असत्य हैं। फाह्यान कनिष्क के शासनकाल में नहीं, बल्कि गुप्त शासक चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन में भारत आया था।
चीनी यात्री ह्वेनसांग हर्षवर्द्धन के शासनकाल में भारत आया । ह्वेनसांग ने हर्षवर्द्धन को बौद्ध धर्म का महान समर्थक पाया। इस दौरान बौद्ध धर्म तथा बौद्ध संस्थाओं की विकसित अवस्था की जानकारी ह्वेनसांग ने दी है।
9. हर्षवर्द्धन के समकालीन किस राजा ने बोधगया में बोधिवृक्ष को काट डाला था? 
(a) शशांक
(b) पुलकेशिन 
(c) धर्मपाल
(d) चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य 
उत्तर - (a)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन के समकालीन गौड शासक शशांक ने बोधगया में बोधिवृक्ष को काट डाला था। गौड शासक शशांक शैव मतावलंबी था। हर्षवर्द्धन को अपने साम्राज्य के विस्तार हेतु पूर्वी भारत में शशांक से संघर्ष करना पड़ा था।
10. ह्वेनसांग के यात्रा वृत्तांत के संदर्भ में भारत की सामाजिक स्थिति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. भारत में जाति प्रथा की प्रधानता थी।
2. अछूतों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता था।
3. भारत के लोगों को जल्दी गुस्सा आता था, परंतु वे ईमानदार होते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- ह्वेनसांग के यात्रा वृत्तांत के संदर्भ में दिए गए तीनों कथन सत्य हैं। ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वृत्तांत में भारतीय सामाजिक दशा का वर्णन किया है, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख रूप से शामिल हैं
भारत में जाति प्रथा विद्यमान थी।
नगरों के बाहर रहने वाले अछूतों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता था।
सभी लोग शाकाहारी नहीं थे, हालाँकि इस बात पर बल दिया जाता था कि लोग मांस न खाएँ ।
भारत के लोग गर्म मिजाज के थे, उन्हें जल्दी गुस्सा आता था, परंतु वे ईमानदार होते थे।
आजीवन कारावास ही सबसे कठोर दंड था।
11. हर्षवर्द्धन ने अपने शासनकाल में किसके माध्यम से पदाधिकारियों को जमीन देने की प्रथा चलाई थी ?
(a) शासन पत्र ( सनद)
(b) छत्रदान 
(c) भूमि - अनुदान प्रथा 
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन ने अपने शासनकाल में शासन पत्र ( सनद ) के माध्यम से पदाधिकारियों को जमीन देने की प्रथा चलाई थी। हालाँकि राज्य को समर्पित विशेष सेवाओं के लिए पुरोहितों को भूमि दान देने की परंपरा जारी रही। इन अनुदानों में वही रियासतें शामिल थीं, जोकि पिछले अनुदानों में रहती थीं। 
12. हर्षवर्द्धन के प्रशासन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) हर्षवर्द्धन की सेना में घोड़े, हाथी तथा पैदल सैनिक मौजूद थे।
(b) युद्ध के समय उसे सभी सामंतों का सहयोग प्राप्त था।
(c) प्रत्येक सामंत निर्धारित संख्या में पैदल सैनिक और घोड़े देता था।
(d) उसकी शाही सेना का आकार विशाल नहीं था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन के प्रशासन के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि हर्षवर्द्धन के पास 1,00,000 घोड़े और 60,000 हाथी थे। माना जाता है कि इतनी विशाल सेना मौर्य शासकों के पास भी नहीं थी। युद्धों में हर्षवर्द्धन को सामंतों का साथ मिलता था, इसलिए अनुमान लगाया गया होगा कि उसके पास एक विशाल सेना है।
13. हर्षवर्द्धन के शासनकाल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. हर्ष के साम्राज्य में विधि-व्यवस्था अच्छी नहीं थी।
2. डाकुओं ने ह्वेनसांग का सामान लूट लिया था।
3. देश के कानून में अपराध के लिए कड़ी सजा का विधान नहीं था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन के शासनकाल के संबंध में कथन (1) और ( 2 ) सत्य हैं। हर्षवर्द्धन के शासनकाल में विधि व्यवस्था अच्छी नहीं थी। चीनी यात्री ह्वेनसांग को कई बार लुटेरों का सामना करना पड़ा।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि ह्वेनसांग के अनुसार उस समय कानून में अपराध के लिए कठोर दंड का विधान था। डकैती को दूसरा राजद्रोह माना जाता था और उसके लिए डाकू का दायाँ हाथ काट लिया जाता था, परंतु प्रतीत होता है कि बौद्ध धर्म के प्रभाव में आकर दंड की कठोरता को कम कर दिया गया और अपराधियों को आजीवन कारावास दिया जाने लगा।
14. हर्षकालीन बौद्ध धर्म के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) बौद्ध लोग 18 संप्रदायों में बँटे हुए थे।
(b) बौद्धों का सबसे विख्यात केंद्र नालंदा था।
(c) नालंदा में हीनयान संप्रदाय का दर्शन पढ़ाया जाता था।
(d) नालंदा में 10,000 छात्र पढ़ते थे।
उत्तर - (c)
व्याख्या- हर्षकालीन बौद्ध धर्म के संबंध में दिए गए कथनों में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध भिक्षुओं को शिक्षित किया जाता था, जिनमें उन्हें महायान संप्रदाय का बौद्ध दर्शन पढ़ाया जाता था।
15. सम्राट हर्षवर्द्धन ने बौद्ध धार्मिक सम्मेलनों का आयोजन किस स्थान पर करवाया? 
(a) प्रयाग और वातापी
(b) थानेसर और प्रयाग
(c) कन्नौज और प्रयाग
(d) प्रयाग और वाराणसी
उत्तर - (c)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन ने क्रमश: कन्नौज और प्रयाग में बौद्ध धार्मिक सम्मेलना का आयोजन करवाया था। हर्ष की धार्मिक नीति सहनशीलता की थी। वह आरंभिक जीवन में शैव था, परंतु धीरे-धीरे बौद्ध धर्म का महान संपोषक हो गया।
16. निम्नलिखित में से कौन एक हर्षवर्द्धन की रचना नहीं मानी जाती है? 
(a) नागानंद
(b) प्रियदर्शिका 
(c) रत्नावली
(d) राजतरंगिणी 
उत्तर - (d)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन की रचनाओं में राजतरंगिणी शामिल नहीं है। अन्य तीन रचनाएँ प्रियदर्शिका, रत्नावली और नागानंद नाटक के रूप में प्रसिद्ध हैं, जो हर्षवर्द्धन द्वारा लिखी गई हैं। इन रचनाओं के लेखकों को लेकर मतभेद रहा है। कहा जाता है कि धावक नामक कवि ने हर्षवर्द्धन से पुरस्कार लेकर उसके नाम से ये तीनों नाटक लिखे।
मध्यकाल के कई लेखकों ने भी इस बात का खंडन किया कि ये तीनों नाटक हर्षवर्द्धन ने लिखे। राजतरंगिनी की रचना हर्षवर्द्धन ने नहीं, बल्कि कल्हण ने की थी। इसमें कश्मीर के इतिहास की जानकारी मिलती है।
17. कलिंग राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. प्रसिद्ध राजा खारवेल कभी यहाँ का शासक था।
2. कलिंग महानदी के दक्षिण में उड़ीसा के समुद्र तट पर स्थित था।
3. कलिंग का रोम के साथ व्यापारिक संबंध था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- कलिंग राज्य के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। खारवेल कलिंग राज्य का प्रसिद्ध शासक था, जिसने अपने साम्राज्य को मगध की सीमा तक विस्तारित करने का प्रयास किया।
महानदी के दक्षिण में उड़ीसा का समुद्रतटवर्ती प्रदेश जिसे कलिंग के नाम से जाना जाता है, अशोक के काल में अपने उत्कर्ष तक पहुँचा, लेकिन यहाँ एक सुदृढ़ राज्य की स्थापना ईसा पूर्व पहली सदी में हुई।
ईसा की पहली और दूसरी सदी में उड़ीसा के बंदरगाहों पर मोती, हाथी दाँत और मलमल का व्यापार होता था। खारवेल की राजधानी कलिंग नगरी के स्थल पर शिशुपालगढ़ में जो खुदाई हुई है, उसमें रोम की कुछ वस्तुएँ मिली हैं। उ पता चलता है कि कलिंग राज्य का रोम के साथ व्यापारिक संबंध था।
18. चौथी से छठी सदी तक उड़ीसा में स्थापित हुए राज्यों के संबंध में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) माठर सबसे महत्त्वपूर्ण राज्य था।
(b) माठर को मातृसत्तात्मक वंश भी कहा जाता है।
(c) इसका राज्य महानदी और कृष्णा के बीच फैला हुआ था ।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- चौथी से छठी सदी तक उड़ीसा में स्थापित हुए राज्यों के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है। चौथी सदी के मध्य से छठी सदी तक उड़ीसा में अनेक राज्य स्थापित हुए, जिनमें पाँच की पहचान स्पष्ट रूप से की जा सकती है। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण माठर वंश का राज्य था। इसे पितृभक्त वंश भी कहते हैं। जब उनकी सत्ता अपने शिखर पर थी तब महानदी और कृष्णा के बीच उनका राज्य विस्तार था।
19. उड़ीसा में स्थापित महत्त्वपूर्ण राजवंशों में निम्नलिखित में से कौन शामिल नहीं था ? 
(a) वशिष्ठ वंश
(b) नल वंश
(c) मान वंश
(d) पाल वंश
उत्तर - (d)
व्याख्या- उड़ीसा में स्थापित महत्त्वपूर्ण राजवंशों में पाल वंश शामिल नहीं था। पाल वंश की स्थापना बंगाल में एक स्वतंत्र राज्य के रूप में गोपाल द्वारा की गई थी। वशिष्ठ वंश का शासन दक्षिण कलिंग में आंध्र प्रदेश की सीमाओं पर था। नल वंश का राज्य महाकांतार के वन्य प्रदेशों में था और मान वंश का राज्य महानदी के पार उत्तर के समुद्रतटवर्ती क्षेत्र में था।
20. किस स्थान से प्राप्त अभिलेख से ज्ञात होता है कि बंगाल के लोग ईसा पूर्व दूसरी सदी में प्राकृत और ब्राह्मी लिपि जानते थे?
(a) वर्धमान 
(b) नोआखाली
(c) सिलहट
(d) चिटगाँव
उत्तर - (b)
व्याख्या- दक्षिण-पूर्व बंगाल के समुद्रतटवर्ती नोआखाली जिले से प्राप्त एक अभिलेख से प्रकट होता है कि उस क्षेत्र के लोग ईसा पूर्व दूसरी सदी में प्राकृत और ब्राह्मी लिपि जानते थे। इसके अतिरिक्त दक्षिण-पूर्व बंगाल में खरोष्ठी लिपि भी प्रचलित थी। एक अन्य अभिलेख से ज्ञात होता है कि कई बौद्ध भिक्षुओं के भरण-पोषण के लिए अनाज और सिक्कों से भरे भंडार गृह थे।
21. पुंड्रवर्द्धन राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस राज्य की स्वर्ण मुद्राएँ दीनार कहलाती थीं।
2. इसका क्षेत्र उत्तरी बंगाल में पड़ता था।
3. यहाँ धार्मिक प्रयोजनार्थ कर मुक्त भूमि दान में दी गई थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) केवल 1
उत्तर - (b)
व्याख्या- पुंड्रवर्द्धन राज्य के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। 432-33 ई. से लेकर लगभग सौ वर्षों तक पुंड्रवर्द्धन भुक्ति में, जो लगभग संपूर्ण उत्तरी बंगाल में स्थित था और अब जिसमें अधिकतर बांग्लादेश शामिल है, बड़ी संख्या में ताम्रपत्र मिले हैं जिन पर भूमि के विक्रय और अनुदान अभिलिखित हैं। अधिकतर अनुदान पत्रों से ज्ञात होता है, क्योंकि भूमि का मूल्य दीनार नामक स्वर्ण मुद्राओं में चुकाया जाता था, परंतु जब कभी भूमि का अनुदान धार्मिक प्रयोजनों के लिए किया जाता था, तब अनुदान पाने वालों को कर नहीं देना पड़ता था।
22. पाँचवीं सदी में बंगाल में स्थापित राज्य के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) बंगाल का ब्रह्मपुत्र द्वारा गठित त्रिभुजाकार भाग समतट कहलाता था।
(b) इसे चौथी सदी में चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा जीता गया था।
(c) यहाँ पर ब्राह्मण धर्म का प्रभाव नहीं था।
(d) यहाँ से संस्कृत भाषा के प्रयोग का प्रमाण नहीं मिलता।
उत्तर - (b)
व्याख्या- पाँचवीं सदी में बंगाल में स्थापित राज्य के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि बंगाल में ब्रह्मपुत्र द्वारा गठित त्रिभुजाकार भाग समतट कहलाता था। इसे चौथी सदी में चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के द्वारा नहीं, बल्कि समुद्रगुप्त द्वारा जीता गया था।
23. सातवीं सदी के खड्ग वंश के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस वंश का राज्य ढाका क्षेत्र में स्थापित था।
2. राट वंश इसका समकालीन वंश था।
3. लोकनाथ नामक ब्राह्मण सामंत का राज, इसके समकालीन था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- खड्ग वंश के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। सातवीं सदी में बंगाल के अंतर्गत ढाका क्षेत्र में खड्ग वंश का राज्य था। इसके अतिरिक्त अन्य दो राज्य भी स्थापित थे, जो खड्ग वंश के समकालीन थे, जिसमें लोक नामक ब्राह्मण सामंत का राज्य और राट वंश का राज्य।
दोनों राज्य कुमिल्ला क्षेत्र में पड़ते थे। दक्षिण-पूर्व और मध्य बंगाल के इन सभी राजाओं ने छठी और सातवीं सदियों में भूमि के अनुदान पत्र जारी किए थे। इन अनुदान पत्रों से यह ज्ञात होता है कि उन क्षेत्रों में सातवीं सदी के उत्तरार्द्ध में संस्कृत की शिक्षा प्रचलित थी।
24. 'अग्रहारिक' नामक अधिकारी निम्नलिखित में से किसकी देखभाल करता था? 
(a) कर संग्रहण 
(b) धार्मिक न्यास
(c) भांडागारिक 
(d) वन 
उत्तर - (b) 
व्याख्या- 'अग्रहारिक' नामक अधिकारी 'धार्मिक न्यास' की देखभाल करता था । पूर्वी भारत में गुप्तोत्तर काल में ऐसे न्यासों की स्थापना हुई जो 'अग्रहार' कहलाते थे। न्यास में कुछ भूमि होती थी, जिससे आय प्राप्त होती थी। इन अग्रहारों का उद्देश्य पठन-पाठन और धार्मिक अनुष्ठानों लगे ब्राह्मणों का भरण-पोषण करना था। यहाँ कुछ अग्रहारों से कर वसूला जाता था, जबकि देश में अन्यत्र ऐसे अग्रहार कर मुक्त होते थे।
25. असम के कामरूप के राजाओं ने कौन-सी उपाधि धारण की थी ? 
(a) महाराज
(b) अग्रहारी 
(c) वर्मन
(d) महाराजाधिराज
उत्तर - (c)
व्याख्या- कामरूप के राजाओं ने वर्मन उपाधि धारण की थी। यह उपाधि केवल उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत में ही नहीं फैली, अपितु बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में भी पाई जाती है। यह उपाधि, जिसका अर्थ है- कवच या जिरहबख्तर और जो योद्धा होने का प्रतीक है, मनु ने के लिए निर्धारित की है।
26. कामरूप के शासक भास्करवर्मन के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसका नियंत्रण ब्रह्मपुत्र मैदान के आगे तक पहुँच गया था।
2. चीनी यात्री ह्वेनसांग उसके राज्य में घूमने आया था।
3. वहाँ ब्राह्मण धर्म का बोलबाला था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- भास्करवर्मन के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। सातवीं सदी में भास्करवर्मन कामरूप का शासक बना, जिसका नियंत्रण ब्रह्मपुत्र मैदान के बड़े भाग पर और उसके आगे के कुछ क्षेत्रों पर भी था। कामरूप में बौद्ध धर्म सुदृढ़ स्थिति में था और चीनी यात्री ह्वेनसांग अपने भारत भ्रमण के दौरान कामरूप राज्य में भी भ्रमण हेतु आया था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि कामरूप के राजाओं ने ब्राह्मणों को भूमिदान देकर अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया था। अतः कामरूप में ब्राह्मण धर्म का बोलबाला नहीं था।

उत्तर भारत के राजवंश (हर्ष के बाद ) 

1. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) पाल साम्राज्य की स्थापना 750 ई. में गोपाल ने की थी।
(b) गोपाल का चुनाव जनता द्वारा किया गया था।
(c) गोपाल को राष्ट्रकूट राजा ध्रुव ने पराजित किया था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि राष्ट्रकूट राजा ध्रुव ने गोपाल को नहीं, बल्कि धर्मपाल को पराजित किया था। पाल वंश के शासन की स्थापना गोपाल ने 750 ई. में की। माना जाता है कि क्षेत्रीय अराजकता को देखते हुए लोगों ने गोपाल को राजा चुना। पालवंशी शासक गोपाल ने ओदंतपुरी विश्वविद्यालय की स्थापना की।
2. पाल शासक धर्मपाल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. धर्मपाल ने 770 ई. से 810 ई. तक शासन किया।
2. उसने कन्नौज पर अधिकार कर लिया था।
3. राष्ट्रकूट शासक नागभट्ट ने धर्मपाल से कन्नौज छीन लिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- धर्मपाल के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। पाल वंश के संस्थापक गोपाल की मृत्यु के पश्चात् धर्मपाल शासक बना, जोकि उसका पुत्र था। धर्मपाल का शासनकाल 770 ई. से 810 ई. तक था।
राष्ट्रकूट राजा ध्रुव के दक्कन लौटने के पश्चात् अवसर का लाभ उठाकर धर्मपाल ने कन्नौज पर अधिकार कर लिया और वहाँ एक भव्य दरबार का आयोजन किया, जिसमें पंजाब, राजस्थान आदि के अधीन शासकों ने भाग लिया था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि राष्ट्रकूट शासक नागभट्ट द्वितीय ने धर्मपाल से कन्नौज को छीन लिया था।
3. पाल वंश के किस शासक ने प्रागज्य / तिषपुर (असम), उड़ीसा तथा नेपाल के एक हिस्से को जीत लिया था?
(a) धर्मपाल
(b) देवपाल
(c) गोपाल
(d) महीपाल
उत्तर - (b)
व्याख्या- पाल वंश के शासक दे वपाल ने प्रागज्योतिषपुर (असम), उड़ीसा तथा संभवत: नेपाल के एक हिस्से को जीत लिया था। देवपाल, धर्मपाल का पुत्र था, जिसने लगभग 40 वर्षों तक ( 810-850 ई.) शासन किया था।
4. पाल शासकों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) संतरक्षित तथा दीपांकर (अतिश) को तिब्बत भेजा गया था। 
(b) शैलेंद्र शासक ने अपने दूत पाल भेजे थे।
(c) शैलेंद्र ब्राह्मण धर्म के पोषक थे।
(d) शैलेंद्र ने नालंदा में विहार बनाने की अनुमति माँगी थी।
उत्तर - (c)
व्याख्या- पाल शासकों के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि दक्षिण-पूर्व एशियाई देश के शैलेंद्र शासक ब्राह्मण धर्म के नहीं वरन् बौद्ध धर्म के पोषक दक्षिण-पूर्व एशिया में शैलेंद्रों का साम्राज्य मलाया, जावा, सुमात्रा और आस-पास के द्वीपों तक फैला था। पाल शासकों और शैलेंद्र साम्राज्य के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों में काफी घनिष्ठता थी। प्रश्न में दिए गए अन्य कथन इनकी घनिष्ठता के परिचायक हैं।
5. प्रतिहार वंश के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इन्हें गुर्जर प्रतिहार भी कहा जाता है।
(b) उनका उद्भव गुर्जराष्ट्र या राजस्थान में हुआ था।
(c) वे आरंभ में स्थानीय ओहदेदार थे।
(d) उन्होंने आरंभ में ही कन्नौज को जीत लिया था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्रतिहार वंश के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि प्रतिहार वंश के आरंभिक शासकों ने कन्नौज (ऊपरी गंगा घाटी) और मालवा पर अधिकार करने का प्रयत्न किया, लेकिन उनके इन प्रयत्नों को राष्ट्रकूट राजा ध्रुव ने 790 ई. में तथा उसके पश्चात् गोविंद तृतीय 806-07 ई. में नाकाम कर दिया।
6. प्रतिहार राजवंश का वास्तविक संस्थापक किसे माना जाता है?
(a) भोज परमार 
(b) महेंद्रपाल
(c) ध्रुव
(d) मिहिरभोज (भोज)
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्रतिहार वंश का वास्तविक संस्थापक इस वंश के महानतम् शासक राजा भोज को माना जाता है, जिसे मिहिरभोज के रूप में भी संबोधित वि जाता है। उसने प्रतिहार साम्राज्य का पुनर्निर्माण करते हुए 836 ई. में कन्नौज पर पुनः अधिकार कर अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया था।

राष्ट्रकूट

1. राष्ट्रकूट वंश के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इसकी स्थापना दंतिदुर्ग ने की थी ।
(b) मान्यखेत राष्ट्रकूट की राजधानी थी ।
(c) मान्यखेत मध्य प्रदेश में अवस्थित था।
(d) राष्ट्रकूट शासकों ने वेंगी के चालुक्यों से युद्ध किया था।
उत्तर - (c)
व्याख्या राष्ट्रकूट वंश के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि राष्ट्रकूट राजाओं की राजधानी मान्यखेत या मालखेड़ मध्य प्रदेश में नहीं वरन् महाराष्ट्र के आधुनिक शोलापुर के निकट स्थित थी। राष्ट्रकूट राजाओं ने मान्यखेत में अपनी राजधानी स्थापित कर उत्तर महाराष्ट्र के संपूर्ण प्रदेश पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था।
2. निम्नलिखित में से कौन-सा एक राष्ट्रकूट वंश का महान शासक नहीं था ? 
(a) अमोघवर्ष 
(b) गोविंद तृतीय
(c) इंद्र तृतीय
(d) महेंद्रपाल प्रथम
उत्तर - (d)
व्याख्या- महेंद्रपाल प्रथम राष्ट्रकूट वंश का शासक नहीं था, बल्कि गुर्जर प्रतिहार वंश का एक प्रमुख शासक था। वह राजा भोज का पुत्र और उसका उत्तराधिकारी था। अन्य सभी शासक राष्ट्रकूट वंश से संबंधित हैं
गोविंद तृतीय का शासनकाल  793-814 ई. तक था।
अमोघवर्ष का शासनकाल 814-878 ई. तक था ।
इंद्र तृतीय का शासनकाल 915-927 ई. तक था।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. गोविंद तृतीय ने केरल, पांड्य और चोल राजाओं को भयभीत किया था।
2. गोविंद तृतीय ने मान्यखेत में विजय स्तंभों की स्थापना की।
3. अमोघवर्ष ने 68 वर्षों तक शासन किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
गोविंद तृतीय राष्ट्रकूट वंश के महान शासकों में से एक था। एक अभिलेख से यह ज्ञात होता है कि गोविंद तृतीय ने अपने दक्षिण अभियान के दौरान केरल, पांड्य और चोल राजाओं को अपनी शक्ति से भयभीत कर दिया था। गोविंद तृतीय ने श्रीलंका विजय के उपरांत मान्यखेत में विजय स्तंभों की स्थापना की।
अमोघवर्ष अपने पूर्व के शासक, गोविंद तृतीय की भाँति महान था। उसने 68 वर्षों तक शासन किया था, लेकिन वह धर्म व साहित्य में अधिक अभिरुचि रखता था। वह स्वयं एक लेखक था और उसने राजनीति के ऊपर कन्नड़ भाषा में एक रचना की थी।
4. राष्ट्रकूट वंश के अंतिम प्रतापी राजा कृष्ण तृतीय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसका कार्यकाल 934 ई. से 996 ई. तक था ।
2. उसने तंजौर के चोल शासक के विरुद्ध सैनिक अभियान किया।
3. उसने रामेश्वरम् में विजय स्तंभ स्थापित किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य हैं ?
(a) 1 और 2 
(b) 1, 2 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- कृष्ण तृतीय के संबंध में सभी कथन सत्य हैं।
कृष्ण तृतीय राष्ट्रकूट वंश का अंतिम प्रतापी शासक था, जिसका शासनकाल 934-96 ई. तक था। कृष्ण तृतीय ने चोल शासक परांतक को परास्त कर चोल साम्राज्य के उत्तरी भाग पर आधिपत्य स्थापित कर लिया था। चोल शासक तंजौर पर शासन करते थे। इससे पूर्व उसने मालवा के परमारों और वेंगी के पूर्वी चालुक्यों से भी युद्ध किया था।
कृष्ण तृतीय ने चोलों को परास्त कर दक्षिण में रामेश्वरम् की ओर अभियान किया और वहाँ तक के प्रदेशों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर अपने स्मृति चिह्न के रूप में एक विजय स्तंभ स्थापित किया और साथ ही एक मंदिर का भी निर्माण कराया।
5. राष्ट्रकूट राजा कृष्ण प्रथम का उत्तराधिकारी अमोघवर्ष कौन-से धर्म का पालन करता था ? 
(a) बौद्ध धर्म
(b) जैन धर्म
(c) सनातन धर्म
(d) इस्लाम धर्म
उत्तर - (b)
व्याख्या- राष्ट्रकूट राजा कृष्ण प्रथम का उत्तराधिकारी अमोघवर्ष जैन धर्म का पालन करता था। राष्ट्रकूट शासक धार्मिक रूप से सहिष्णु और उदार थे। उन्होंने न केवल शैव और वैष्णव धर्म को प्रश्रय दिया, बल्कि जैन धर्म को भी बढ़ावा दिया। राष्ट्रकूट शासकों ने मुसलमान व्यापारियों को भी अपने राज्य में बसने की अनुमति दी और इस्लाम धर्म के प्रचार पर भी कोई पाबंदी नहीं लगाई ।

आर्थिक तथा सामाजिक जीवन, शिक्षा और धार्मिक विश्वास

1. 800 ई.-1200 ई. के बीच निम्नलिखित में गुजरात के किन नगरों का विकास व्यापारिक केंद्र के रूप में हुआ था?
(a) अन्हिलवाड़
(b) चांपानेर
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) जाजनगर
उत्तर - (c)
व्याख्या- 800 ई. - 1200 ई. के बीच गुजरात के अन्हिलवाड़ तथा चांपानेर नगरों का विकास व्यापारिक केंद्र के रूप में हुआ था। यह काल भारत के लिए व्यापार की दृष्टि से अधिक महत्त्वपूर्ण था, क्योंकि इस काल में भारत के दक्षिण-पूर्व एशिया और चीन के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित हुए थे। बंगाल, दक्षिण भारत, मालवा और गुजरात आदि क्षेत्र व्यापारिक संबंधों में अग्रणी थे।
2. पूर्व मध्यकाल ( 800-1200 ई.) के बीच व्यापार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इस काल के चिंतन में भी वाणिज्य - व्यापार के ह्रास की झाँकी मिलती है ।
2. इस काल में भारत के बाहर यात्रा करने पर निषेध लगा दिया गया।
3. खारे जल वाले समुद्र की यात्रा करने से व्यक्ति अशुद्ध हो जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- पूर्व मध्यकाल के बीच व्यापार के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। पूर्व मध्यकाल (800-1200 ई.) के दौरान कृषि का विकास और ब्राह्मणों की स्थिति में सुधार होने लगा। वाणिज्य व्यापार का ह्रास हुआ, जिसे इस काल के प्रमुख चिंतकों ने एक भय की स्थिति के रूप में देखा। इस काल में कई भारतीय व्यापारी, दार्शनिक, चिकित्सक और शिल्पी बगदाद तथा पश्चिमी एशिया के मुस्लिम शहरों में पहुँचे।
लेकिन उपर्युक्त कथनों (कथन 2 और 3) के माध्यम से यह पता चलता है कि यह निषेध केवल ब्राह्मणों पर पाबंदियों की ओर इशारा करता है, क्योंकि धर्मशास्त्रकारों या चिंतकों को यह भय था कि कहीं भारतीयों का मुस्लिम बहुल और बौद्ध बहुल क्षेत्रों में जाने से विचारों में असनातन धार्मिक प्रवृत्तियों का विकास न हो जाए, जो अवांछनीय सिद्ध हो ।
3. विख्यात मणिग्रामन और नानदेशी का संबंध निम्नलिखित में से किससे है ?
(a) वास्तुकला श्रेणी 
(b) व्यापारिक श्रेणी
(c) कर
(d) सैन्य अधिकारी
उत्तर - (b)
व्याख्या- मणिग्रामन और नानदेशी भारतीय व्यापारियों की श्रेणियाँ (गिल्ड) थीं, जो प्रारंभिक काल से ही सक्रिय थीं। समुद्री यात्रा पर लगे निषेध के फलस्वरूप छठी सदी से दक्षिण भारत तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के बीच व्यापार में अभूतपूर्व बढ़ोतरी होने लगी।
इसकी जानकारी हमें उस काल के साहित्य तथा हरिषेण के वृहत्कथा-कोष से मिलती है। इस काल में बहुत से व्यापारी समूह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में ही बस गए। व्यापारियों की भाँति पुरोहितों ने भी दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की ओर रुख किया, जिसके फलस्वरूप हिंदू और बौद्ध धार्मिक विचारों का समावेश संभव हुआ। 
4. पूर्व मध्यकाल में प्रचलित 'कैंटन' शब्द का संबंध निम्नलिखित में से किससे है ?
(a) भारतीय समुद्री बंदरगाह 
(b) चीनी समुद्री बंदरगाह
(c) व्यापारिक समूह
(d) चीन का स्थापत्य
उत्तर - (b)
व्याख्या- पूर्व मध्यकाल में प्रचलित 'कैंटन' शब्द का संबंध चीनी समुद्री बंदरगाह से था। वर्तमान में यह ग्वांग्झो के नाम से प्रचलित चीन का एक शहर है। अरब यात्रियों ने कैंटन के लिए 'कानफू' शब्द का प्रयोग किया है। बौद्ध विद्वान भारत से चीन समुद्री मार्गों से जाते थे और उनका अंतिम स्थल कैंटन ही था। चीन इस काल के दौरान हिंद महासागर के मार्ग द्वारा होने वाले व्यापार का एक प्रमुख आकर्षण स्थल था।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सामंत तथा राणक राउत को राजस्वदायी गाँव दान में दिया जाता था |
2. राजा द्वारा अपने अधिकारियों और समर्थकों को दिए गए राजस्व दान स्थायी थे।
3. राजस्व दान को 'भोग' कहा जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं। पूर्व मध्यकाल सामाजिक परिवर्तनों की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण था। इस काल में सामंत तथा राणक राउत (जिन्हें राजपूत के रूप में जाना जाता है) आदि की शक्तियों में वृद्धि हुई और उन्हें सरकारी कार्यों के बदले नकद न देकर अधिक राजस्व प्राप्ति वाले गाँव दान में दिए जाते थे। राजा द्वारा अपने अधिकारियों और समर्थकों को दिए जाने वाले राजस्व दान को 'भोग' कहा जाता था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि राजा द्वारा अपने अधिकारियों और समर्थकों को दिया जाने वाला राजस्व दान अस्थायी होता था न कि स्थायी, जिसे राजा अपनी इच्छानुसार वापस ले सकता था। लेकिन यह स्थिति तब उत्पन्न होती थी, जब जागीरदार विद्रोह कर दे या राजा के विरुद्ध षड्यंत्र करने लगे।
6. फ्यूडल समाज के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इसने राजा की स्थिति कमजोर कर दी।
2. फ्यूडल सरदारों के प्रभुत्व से ग्रामीण स्वशासन कमजोर पड़ा।
3. फ्यूडल लोगों के पास अपना सैन्य बल नहीं था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य नहीं है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) केवल 2
(d) केवल 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- फ्यूडल समाज के संबंध में कथन (3) सत्य नहीं है, क्योंकि फ्यूडल समाज के सरदारों के पास सेनाएँ होती थीं, जिनका प्रयोग वह असामान्य स्थिति में राजा के विरुद्ध भी कर सकते थे।
कथन (1) और (2) सत्य हैं। फ्यूडल समाज पूर्व मध्यकाल में राजाओं के राजस्व दान ( भोग) की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न एक व्यवस्था थी, जो वंशानुगत व्यवस्था पर आधारित थी । इस व्यवस्था के द्वारा जागीरदार अपने अधीन एक उपजागीरदार नियुक्त कर जमीन पर कोई कार्य किए बिना ही जीविका प्राप्त करता था। भारत में ऐसे समाज के विकास के दूरगामी प्रभाव अधिक हानिप्रद सिद्ध हुए, जिसने राजा की स्थिति को कमजोर कर दिया और राजा फ्यूडल सरदारों पर अधिक आश्रित हो गए।
7. किस साम्राज्य के एक करोड़पति (कोटीश्वर) के बारे में मालूम होता है कि उसके घर पर झंकार करते घुँघरूओं से युक्त बड़े-बड़े ध्वज लहराते थे? 
(a) चालुक्य साम्राज्य
(b) चोल साम्राज्य 
(c) पल्लव साम्राज्य
(d) चेर साम्राज्य
उत्तर - (a)
व्याख्या- चालुक्य साम्राज्य के एक करोड़पति (कोटीश्वर ) बारे में यह मालूम होता है कि उसके घर पर झंकार करते हुए घुँघरूओं से युक्त बड़े-बड़े ध्वज लहराते थे। पूर्व मध्यकाल के दौरान बड़े व्यापारी भी राजा के तौर-तरीकों की नकल करते थे और कभी-कभी उनका रहन-सहन शाही किस्म का होता था। कोटीश्वर के पास बड़ी संख्या में हाथी-घोड़े होते थे, जो उन्हें राजा के समतुल्य दिखाते थे।
उनके घरों में मुख्य इमारत तक जाने के लिए स्फटिक से निर्मित सीढ़ियाँ होती थीं, जहाँ एक मंदिर भी निर्मित होता था। गुजरात में मंत्री के पदों पर नियुक्त वस्तुपाल और तेजपाल तत्कालीन समय के सबसे समृद्ध व्यापारी थे।
8. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अनेक राजपूत कुल अपने मूल को महाभारत में उल्लेखित सूर्यवंशी और चंद्रवंशी क्षत्रियों से जोड़ते हैं।
2. राजपूतों का उद्भव मुनि वशिष्ठ द्वारा माउंटआबू पर प्रज्वलित यज्ञाग्नि से हुआ।
3. राजपूत कुल प्रतिहार, परमार, चौहान और सोलंकी यज्ञाग्नि से पैदा हुए हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
पूर्व मध्यकाल में राजपूत जाति के उद्भव के संबंध में विद्वानों के बीच निम्न विवाद रहे हैं। अनेक राजपूत कुल (कलान) स्वयं को महाभारत में उल्लेखित सूर्यवंशी तथा चंद्रवंशी क्षत्रियों से जोड़ते हैं।
कुछ अन्य कुल का दावा है कि उनकी उत्पत्ति मुनि वशिष्ठ द्वारा माउंटआबू पर्वत पर प्रज्वलित यज्ञानिग्न कुंड से हुई है। प्रतिहार, परमार, चौहान और सोलंकी के बारे में विद्वानों का मत है कि उनकी उत्पत्ति अग्निकुंड से हुई है ।
9. पूर्व मध्यकाल में स्त्रियों की दशा के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. स्त्रियों को मानसिक दृष्टि से हीन माना जाता था।
2. स्त्रियों को वेद पढ़ने की मनाही थी।
3. मत्स्यपुराण पति को गलती करने वाली पत्नी को कोड़े व खपच्ची से पीटने का अधिकार देता है ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3 
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- पूर्व मध्यकाल में स्त्रियों की दशा के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। पूर्व मध्यकाल में स्त्रियों की दशा अपने पूर्व के कालों की भाँति ही दयनीय थी। इस काल में स्त्रियों को मानसिक दृष्टि से कमजोर माना जाता था और पति की सेवा एकमात्र कर्त्तव्य था।
इसके अतिरिक्त उन्हें वेद पढ़ने की मनाही थी और साथ ही विवाह की उम्र भी और कम निर्धारित कर दी गई, जिससे उनका उच्च शिक्षा का अधिकार भी समाप्त हो गया।
मत्स्यपुराण में पति को यह अधिकार प्राप्त था कि गलती करने वाली पत्नी को कोड़े या खपच्ची से पीट सकता है।
10. पूर्व मध्यकाल में धार्मिक आंदोलन और विश्वास के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. चतुर्दान का संबंध बौद्ध सिद्धांत से है।
2. बासव और चन्नबासव का संबंध लिंगायत से है।
3. शंकराचार्य ने मोक्ष का मार्ग ईश्वर की भक्ति बताया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 2 और 3
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- धार्मिक आंदोलन और विश्वास के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं।
बारहवीं सदी में दक्षिण भारत में लिंगायत धार्मिक आंदोलन का जन्म हुआ, जिसके प्रमुख बासव और उसका भतीजा चन्नबासव थे। यह कर्नाटक कल्चूरि राजा के दरबार से संबंधित थे। लिंगायत शिव के उपासक थे और उन्होंने जाति प्रथा का प्रबल विरोध किया।
शंकराचार्य के अनुसार ईश्वर की भक्ति ही, मोक्ष का मार्ग है, जिसका आधार इस ज्ञान पर आधारित है कि ईश्वर और उसकी सृष्टि एक ही है। इस दर्शन को 'वेदांत दर्शन' कहते हैं ।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि चतुर्दान (विद्या, आहार, औषधि और आश्रय के दान) का संबंध बौद्ध सिद्धांत से नहीं, बल्कि जैन सिद्धांत से है, जिसने जैन धर्म को लोकप्रिय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
11. निम्नलिखित मध्यकालीन संतों को कालानुसार व्यवस्थित कीजिए
(a) रामानुज - शकंराचार्य-वल्लभाचार्य-माध्वाचार्य
(b) रामानुज-माध्वाचार्य-शंकराचार्य-वल्लभाचार्य
(c) शंकराचार्य - रामानुज-माध्वाचार्य-वल्लभाचार्
(d) वल्लभाचार्य - माध्वाचार्य- शंकराचार्य-रामानुज
उत्तर - (c)
व्याख्या- प्रश्न में दिए गए मध्यकालीन संतों का सही कालक्रम निम्नानुसार है शंकराचार्य, आठवीं सदी के एक महान दार्शनिक व विचारक थे। इनके दर्शन को अद्वैत कहा जाता है। इनकी भगवद्गीता, उपनिषदों और वेदांत सूत्रों पर लिखी गई टीकाएँ अत्यंत प्रसिद्ध हुईं।
रामानुज, ग्यारहवीं सदी के एक प्रसिद्ध विद्वान हैं, जिन्होंने वेदों के साथ भक्ति परंपरा को सामंजस्य प्रदान करने की कोशिश की।
माध्वाचार्य, तेरहवीं सदी में भारत में भक्ति आंदोलन के महत्त्वपूर्ण दार्शनिकों में से एक थे। वे तत्त्ववाद के प्रवर्तक थे, जिसे द्वैतवाद के नाम से भी जाना जाता है।
वल्लभाचार्य, पंद्रहवीं सदी के भक्तिकालीन सगुण धारा की कृष्णभक्ति शाखा के आधार स्तंभ पुष्टिमार्ग के प्रणेता थे।
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Thu, 08 Feb 2024 05:17:27 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | गुप्त काल https://m.jaankarirakho.com/867 https://m.jaankarirakho.com/867 NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | गुप्त काल

गुप्त वंश का उद्भव एवं विकास

1. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) गुप्त मूलतः वैश्य थे।
(b) गुप्त साम्राज्य मौर्य साम्राज्य जितना विस्तृत था।
(c) ईसा की तीसरी सदी के अंत में इनका आरंभिक राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार था।
(d) गुप्तों ने 120 वर्ष तक भारत को राजनीतिक एकता के सूत्र में बाँधे रखा।
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि गुप्त साम्राज्य मौर्य साम्राज्य जितना विस्तृत नहीं था, किंतु इसने संपूर्ण उत्तर भारत को 335 ई. से 445 ई. तक लगभग एक सदी से ऊपर राजनीतिक एक के में बाँधे सूत्र रखा। ईसा की तीसरी सदी के अंत में गुप्त वंश का विस्तार उत्तर प्रदेश और बिहार में था।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. गुप्त काल में उत्तर प्रदेश अधिक महत्त्व वाला क्षेत्र था।
2. गुप्त वंश के शासक सातवाहनों के सामंत थे।
3. बिहार और उत्तर प्रदेश में अनेक स्थानों से कुषाण पुरावशेषों के ठीक बाद गुप्त पुरावशेष मिले हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं। संभवत: यह प्रतीत होता है कि गुप्त शासक बिहार की अपेक्षा उत्तर प्रदेश को अधिक महत्त्व देते थे, क्योंकि आरंभिक गुप्त मुद्राएँ और अभिलेख मुख्यत: उत्तर प्रदेश में ही पाए गए हैं। गुप्त शासकों की सत्ता का केंद्र प्रयाग था, जहाँ से इन्होंने अपने साम्राज्य का निरंतर विस्तार किया। अतएव उत्तर प्रदेश ही वह स्थान प्रतीत होता है, जहाँ से गुप्त शासकों ने अपने शासन को सुचारू रूप से संचालित किया।
बिहार और उत्तर प्रदेश के अनेक स्थानों से मिले गुप्तकालीन पुरावशेषों के साक्ष्य जिसमें जीन, लगाम, बटन वाले कोट, पतलून और जूते आदि सम्मिलित थे, जिनका पूर्व में कुषाणों द्वारा प्रयोग किया गया था, के आधार पर यह कहा जा सकता है कि कुषाण पुरावशेषों के ठीक बाद गुप्तकालीन पुरावशेषों का मिलना एक संयोग मात्र नहीं था, बल्कि कुषाणों से गुप्तों ने बहुत गतिविधियाँ सीखी थीं।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि गुप्त वंश के शासक सातवाहनों के नहीं, बल्कि कुषाणों के सामंत थे।
3. निम्नलिखित में से किस एक का प्रयोग करना गुप्त शासकों ने कुषाणों से नहीं सीखा था ? 
(a) जीन का प्रयोग
(b) लगाम का प्रयोग
(c) जूतों का प्रयोग
(d) युद्ध में घोड़ों का प्रयोग
उत्तर - (d)
व्याख्या- युद्ध में घोड़ों का प्रयोग करना गुप्त शासकों ने कुषाणों से नहीं सीखा था। इसका प्रमाण गुप्त काल के सिक्कों पर मिलता है ।
गुप्त काल के सिक्कों पर मुख्यतः घुड़सवार अंकित हैं। कुछ गुप्त राजाओं को उत्तम और अद्वितीय महारथी (रथ पर लड़ने वाले) कहा गया है, लेकिन उनकी मूल शक्ति का आधार घोड़ों का प्रयोग था।
4. गुप्त वंश के उद्भव और विकास के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इनके राज्य में मध्य भारत की उर्वर भूमि के कारण उपज अच्छी होती थी।
2. दक्षिणी - बिहार से प्राप्त लोहे के उपयोग से उन्नत तकनीक के औजार और हथियारों के निर्माण को बल मिला।
3. रोमन साम्राज्य से व्यापार में वृद्धि हुई थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- गुप्त वंश के उद्भव और विकास के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। गुप्त काल में मध्य भारत की उर्वर भूमि के कारण उपज अच्छी होती थी, जिसमें बिहार और उत्तर प्रदेश आते हैं। इस काल में कृषि लोगों का मुख्य व्यवसाय था। इस काल में कृषि अधिकांशतः वर्षा पर निर्भर थी।
गुप्त काल में दक्षिणी- बिहार से प्राप्त लोहे के उपयोग से उन्नत तकनीक के औजार और हथियारों के निर्माण को बल मिला। इसके कारण वे इस क्षेत्र में लगभग एक सदी तक शासन करते रहे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि इस काल में भारत तथा पाश्चात्य विश्व (रोमन साम्राज्य) के बीच व्यापारिक संबंधों में गिरावट देखी गई, जिसके प्रमाण हमें कुमारगुप्त प्रथम कालीन मंदसौर अभिलेख में मिलते हैं।

प्रमुख शासक

1. गुप्त वंश के पहले प्रसिद्ध शासक चंद्रगुप्त प्रथम के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने लिच्छवि राजकुमारी से विवाह किया था, जो संभवतः नेपाल की थी।
2. उसने क्षत्रिय कुल में विवाह कर अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई |
3. चंद्रगुप्त ने महाबलशाली की उपाधि धारण की थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- चंद्रगुप्त प्रथम के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। प्रथम गुप्त शासक चंद्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवि राजकुमारी से विवाह किया, जो संभवत: नेपाल की थी। इससे उसकी सत्ता को बल मिला था। गुप्त लोग संभवतः वैश्य थे, इसलिए क्षत्रिय कुल में विवाह करने से उनकी प्रतिष्ठा बढ़ी थी। कथन (3) असत्य है, क्योंकि चंद्रगुप्त प्रथम ने 'महाराजाधिराज' की उपाधि ग्रहण की थी।
2. चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त संवत् की शुरुआत कब की थी ?
(a) 319-20 ई. में
(b) 320-21 ई. में
(c) 322-23 ई. में
(d) 318-19 ई. में
उत्तर - (a)
व्याख्या- चंद्रगुप्त प्रथम ने 319-20 ई. में अपने राज्यारोहण के स्मारक के रूप में गुप्त संवत् चलाया। यह संवत् गुप्त सम्राटों के काल तक ही प्रचलन में रहा। कई गुप्त सम्राटों के अभिलेखों में काल-निर्देश इसी संवत् के अनुसार मिलते हैं।
3. गुप्त वंश के किस शासक को उसके साहसिक अभियानों के लिए भारत का नेपोलियन कहा जाता है ?
(a) चंद्रगुप्त मौर्य 
(b) चंद्रगुप्त द्वितीय
(c) अशोक
(d) समुद्रगुप्त
उत्तर - (d)
व्याख्या- समुद्रगुप्त को उसके साहसिक अभियानों के लिए 'भारत का नेपोलियन' कहा जाता है। इसने गुप्त साम्राज्य का अभूतपूर्व विस्तार किया। इलाहाबाद प्रशस्ति अभिलेख से समुद्रगुप्त की विजयों के बारे में विस्तृत विवरण प्राप्त होता है और उसमें यह बताया गया है कि उसने कभी भी पराजय का सामना नहीं किया।
4. समुद्रगुप्त के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसका शासनकाल 335-380 ई. के बीच था।
2. वह अशोक के समान शांति और अनाक्रमण का पालन करता था।
3. हरिषेण उसका दरबारी कवि था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3 
(d) 1 और 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- समुद्रगुप्त के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। समुद्रगुप्त का शासनकाल 335-380 ई. के बीच था। उसने उत्तर भारत के नौ शासकों तथा दक्षिणापथ के बारह शासकों को पराजित कर अपना साम्राज्य स्थापित किया था।
हरिषेण समुद्रगुप्त का दरबारी कवि था। उसने समुद्रगुप्त के पराक्रम का उदात्त वर्णन किया है। एक लंबे अभिलेख में कवि ने गिनाया है कि समुद्रगुप्त ने किन-किन लोगों और किन देशों पर विजय प्राप्त की है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि समुद्रगुप्त अशोक के विपरीत था। अशोक शांति और अनाक्रमण की नीति में विश्वास करता था, समुद्रगुप्त हिंसा और विजय में आनंद पाता था।
5. समुद्रगुप्त द्वारा विजित स्थान और क्षेत्रों को पाँच समूहों में बाँटा जाता है। पाँचवें समूह में कौन-कौन राज्य शामिल थे?
(a) चेर और चोल 
(b) शक और कुषाण
(c) पह्नव और सीथियन 
(d) नेपाल और पंजाब
उत्तर - (b)
व्याख्या- समुद्रगुप्त द्वारा विजित पाँचवें समूह में शक और कुषाण राज्य शामिल थे। समुद्रगुप्त द्वारा विजित प्रथम समूह में गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र के शासक सम्मिलित थे। द्वितीय समूह में नेपाल, असम, बंगाल आदि के राजा सम्मिलित थे, जो पूर्वी हिमालय के राज्यों तथा सीमावर्ती राज्यों में शासन करते थे। तृतीय समूह में आटविक राज्य जो विंध्य क्षेत्र में पड़ते थे, शामिल थे। चतुर्थ समूह में पूर्वी दक्कन और दक्षिण भारत के 12 शासक सम्मिलित थे।
6. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. श्रीलंका के राजा मेघवर्मन ने समुद्रगुप्त के पास दूत भेजा था।
2. समुद्रगुप्त को कभी पराजय का सामना नहीं करना पड़ा।
3. समुद्रगुप्त का अभिलेख अयोध्या से प्राप्त हुआ है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। एक चीनी स्रोत के अनुसार श्रीलंका के राजा मेघवर्मन ने गया में बुद्ध का मंदिर बनवाने की अनुमति प्राप्त करने के लिए समुद्रगुप्त के पास दूत भेजा था। अनुमति प्राप्त होने पर यह मंदिर विशाल बौद्ध विहार के रूप में विकसित हो गया। इलाहाबाद की प्रशस्ति के अनुसार समुद्रगुप्त को कभी भी पराजय का सामना नहीं करना पड़ा।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि समुद्रगुप्त का अभिलेख इलाहाबाद उसी स्तंभ पर खुदा है, जिस पर शांतिकामी अशोक का अभिलेख है।
7. समुद्रगुप्त के शासनकाल में जंगली क्षेत्रों में स्थित राज्यों को क्या कहा जाता था?
(a) आंतरिक राज्य 
(b) आदिवासी राज्य
(c) आटविक राज्य
(d) सीमावर्ती राज्य
उत्तर - (c)
व्याख्या- समुद्रगुप्त के शासनकाल में जंगली क्षेत्रों में स्थित राज्यों को 'आटविक राज्य' कहा जाता था, राज्य विंध्य क्षेत्र में अवस्थित थे। समुद्रगुप्त ने इन सभी को अपने राज्य में सम्मिलित कर लिया था। 
8. चंद्रगुप्त द्वितीय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसने पश्चिमी समुद्रतट ( प्रमुख व्यापारिक केंद्र) पर कब्जा कर लिया।
2. उसने उज्जैन को द्वितीय राजधानी बनाया था।
3. उसने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- चंद्रगुप्त द्वितीय के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। चंद्रगुप्त द्वितीय ने पश्चिमी मालवा और गुजरात पर प्रभुत्व स्थापित कर शक क्षत्रपों के शासन को समाप्त कर दिया। इस विजय के पश्चात् व्यापार वाणिज्य हेतु प्रसिद्ध पश्चिमी समुद्र तट चंद्रगुप्त द्वितीय को प्राप्त हुआ।
चंद्रगुप्त द्वितीय की विजयों के फलस्वरूप मालवा व उज्जैन व्यापारिक नगरों के रूप में प्रसिद्ध हुए और उज्जैन को द्वितीय राजधानी का दर्जा दिया गया। चंद्रगुप्त द्वितीय ने 'विक्रमादित्य' की उपाधि धारण की थी। इसके अतिरिक्त साँची अभिलेख में उसे 'देवराज' और 'प्रवरसेन' कहा गया है ।
9. निम्नलिखित में किस स्रोत से ये जानकारी मिलती है कि चंद्रगुप्त द्वितीय ने गुप्त साम्राज्य का प्रभुत्व पश्चिमोत्तर भारत और बंगाल तक स्थापित किया था?
(a) दिल्ली स्थित लौह स्तंभ अभिलेख
(b) प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख
(c) हाथीगुम्फा अभिलेख
(d) लौरिया नंदनगढ़ अभिलेख
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिल्ली में कुतुबमीनार के समीप स्थित लौह स्तंभ पर खुदे अभिलेख से यह जानकारी मिलती है कि चंद्रगुप्त द्वितीय ने गुप्त साम्राज्य का प्रभुत्व पश्चिमोत्तर भारत और बंगाल तक स्थापित किया था। इस अभिलेख में चंद्र नामक व्यक्ति की चर्चा की गई है, जिसे संभवतः चंद्रगुप्त द्वितीय माना गया है।
10. चंद्रगुप्त द्वितीय के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है ?
(a) 'चंद्र' नामक राजा की पहचान चंद्रगुप्त द्वितीय से की जाती है।
(b) उसके दरबार में अमरसिंह नामक रत्न रहता था।
(c) उसके समय में चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आया था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं 
उत्तर - (c)
व्याख्या- चंद्रगुप्त द्वितीय के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि चंद्रगुप्त द्वितीय के काल में चीनी यात्री ह्वेनसांग नहीं, बल्कि फाह्यान भारत की यात्रा पर आया था। उसने तत्कालीन समाज के विषय में विस्तृत विवरण दिया है।
11. 'मेघदूत' के रचयिता कालिदास चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में रहते थे। यह दरबार कहाँ लगता था ?
(a) उज्जैन 
(b) मालवा
(c) इलाहाबाद
(d) मेहरौली
उत्तर - (a)
व्याख्या- 'मेघदूत' के रचयिता कालिदास चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में रहते थे। यह दरबार उज्जैन में लगता था। चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में नौ विद्वानों की एक मंडली निवास करती थी, जिसे 'नवरत्न' कहा जाता था। इनमें कालिदास, धनवंतरि क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, बेताल भट्ट, घटकर्पर, वराहमिहिर, वररुचि जैसे विद्वान् थे। "

गुप्तकालीन प्रशासन

1. गुप्त वंश के शासकों ने निम्नलिखित में कौन-सी आडंबरपूर्ण उपाधि धारण नहीं की थी ?
(a) परमेश्वर
(b) महाराजाधिराज
(c) परमभट्टारक
(d) देवानाम प्रियदर्शी
उत्तर - (d)
व्याख्या- गुप्त वंश के शासकों ने 'देवानाम प्रियदर्शी' नामक आडंबरपूर्ण उपाधि धारण नहीं की थी। देवानाम प्रियदर्शी उपाधि मौर्य काल में अशोक द्वारा धारण की गई थी। गुप्त राजाओं ने परमेश्वर महाराजाधिराज, परमभट्टारक आदि उपाधियाँ धारण की थीं।
2. गुप्तकालीन प्रशासन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. राजा का पद वंशगत था।
2. राजसत्ता ज्येष्ठाधिकार की अटल प्रथा के अभाव में सीमित थी।
3. राजगद्दी हमेशा ज्येष्ठ पुत्र को मिलती थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तकालीन प्रशासन के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। गुप्त काल में राजपद वंशगत था अर्थात् राजा का पद पुत्र को ही मिलता था, परंतु यह आवश्यक नहीं था कि वह पद ज्येष्ठ पुत्र को ही दिया जाएगा अर्थात् राजसत्ता ज्येष्ठाधिकार की अटल प्रथा के अभाव में सीमित थी।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि गुप्त काल में राजगद्दी हमेशा ज्येष्ठ पुत्र को ही नहीं मिलती थी। इससे अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी, जिसका लाभ सामंत और उच्चाधिकारी उठा सकते थे।
3. गुप्त प्रशासन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) गुप्तों की सेना में 3 लाख पैदल सैनिक थे।
(b) राजा स्थायी सेना रखता था।
(c) अश्वचालित रथ अप्रासंगिक हो चुके थे।
(d) घुड़सवारों की महत्ता सैन्य प्रशासन में बढ़ गई थी।
उत्तर - (a)
व्याख्या- गुप्त प्रशासन के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि गुप्त सेना की संख्या ज्ञात नहीं है, परंतु सेना के चार प्रमुख अंग थे- पदाति, रथारोही, अश्वारोही तथा गजसेना। पदाति सेना की छोटी टुकड़ी को 'चथूय', गज सेना के नायक को 'कटुक' तथा अश्वारोही सेना के प्रमुख को 'अटाश्वपति' कहा जाता था, साधारण सैनिक को 'चाट' कहा जाता था।
4. गुप्तकालीन राजस्व प्रशासन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. राज्य द्वारा उपज के चौथे भाग से लेकर छठे भाग तक कर के रूप में लिया जाता था।
2. राजकीय सेना के अभियान का खर्च राजकीय कोष से होता था।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- गुप्तकालीन राजस्व प्रशासन के संबंध में कथन (1) सत्य है। गुप्तकाल में राज्य द्वारा उपज के चौथे भाग से लेकर छठे भाग तक कर के रूप में में लिया जाता था। इन करों में भाग, भोग, उद्रंग, उपरिकर, मूलावात, प्रत्पाप तथा शुल्क को शामिल किया जाता था। करों की अदायगी हिरण्य (नकद) तथा मेय (अन्न) के रूप में की जाती थी।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि गुप्त काल में जब भी राजकीय सेना गाँवों से गुजरती थी तो उसके समस्त खर्च स्थानीय प्रजा द्वारा वहन किए जाते थे। ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने वाले राजकीय अधिकारी अपने निर्वाह के लिए किसानों से पशु, अन्न, खाट आदि वस्तुएँ लेते थे।
5. गुप्त काल में मध्य और पश्चिम भारत में ग्रामवासियों से सरकारी सेना और अधिकारियों की सेवा के लिए बेगार (विष्टि) कराया जाता था। यह क्या था?
(a) एक प्रकार का निःशुल्क श्रम
(b) एक प्रकार का कर
(c) एक प्रकार की सैनिक सेवा
(d) एक प्रकार का राजकीय सम्मान
उत्तर - (a)
व्याख्या- गुप्त काल में मध्य और पश्चिम भारत में ग्रामवासियों से सरकारी सेना और अधिकारियों की सेवा के लिए बेगार कराया जाता था, . बेगार का अर्थ 'निःशुल्क श्रम है। तत्कालीन समाज में यह विष्टि के रूप में जाना जाता था।
6. गुप्तकालीन किस स्रोत से यह जानकारी प्राप्त होती है कि शिल्पी, वणिक और लिपिक एक ही संस्था में कार्य करते थे?
(a) प्रयाग प्रशस्ति से
(b) वैशाली से प्राप्त सीलों से
(c) मेहरौली लौह स्तंभ
(d) मेघदूतम् कृति से
उत्तर - (b)
व्याख्या- गुप्त काल में वैशाली से प्राप्त सीलों से ज्ञात होता है कि शिल्पी, वणिक और लिपिक एक ही संस्था में कार्य करते थे और इस प्रकार वे स्पष्टतः नगर के कार्यों का संचालन करते थे। उत्तरी बंगाल ( बांग्लादेश) के कोटिवर्ष विषय की प्रशासनिक परिषद् में मुख्य वणिक, मुख्य व्यापारिक और मुख्य शिल्पी शामिल थे। भूमि के अनुदान या खरीद बिक्री में उनकी सम्मति आवश्यक समझी जाती थी।
7. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. गुप्त सम्राट स्वयं के लिए दैवीय अधिकारों का दावा करते थे।
2. उनका प्रशासन नितांत केंद्रीयकृत था।
3. इन्होंने भूमिदान की परंपरा को विस्तारित किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं ।
गुप्त शासकों ने स्वयं के दैवीय अधिकारों की पुष्टि के लए 'परमभागवत', ‘परमभट्टारक' इत्यादि उपाधियाँ ग्रहण कीं। गुप्त शासकों ने भूमिदान की परंपरा का विस्तार किया, पुरोहितों तथा प्रशासकों को भूमिदान दिया जाने लगा।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि गुप्त काल में राज्य कई भुक्तियों अर्थात् प्रांतों में विभाजित था और प्रत्येक भुक्ति एक-एक उपरिक के प्रभार में रहती थी। भुक्तियाँ कई विषयों अर्थात् जिलों में विभाजित थीं। प्रत्येक विषय का प्रभारी 'विषयपति' होता था।

गुप्तकालीन अर्थव्यवस्था

1. गुप्तकालीन आर्थिक जीवन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. आर्थिक जीवन की जानकारी फाह्यान के यात्रा वृत्तांत से मिलती है।
2. जैन धर्म को धनी वर्ग का समर्थन प्राप्त था।
3. मगध नगरों और धनवानों से भरा हुआ क्षेत्र था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) केवल 1
(d) केवल 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- गुप्तकालीन आर्थिक जीवन के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं । गुप्तकाल के आर्थिक जीवन के संबंध में फाह्यान ने अपने यात्रा वृत्तांत में उल्लेख किया है। फाह्यान के अनुसार, साधारण जनता प्रतिदिन के विनिमय में वस्तुओं की अदला-बदली अथवा कौड़ियों से काम चलाती थी। तत्कालीन समय में मगध नगरों और धनवानों से भरा हुआ था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि बौद्ध यात्री फाह्यान के अनुसार, धनी लोग बौद्ध धर्म का संपोषण करते थे और उसके लिए दान देते थे।
2. गुप्त काल में जारी की गई स्वर्ण मुद्राओं को निम्नलिखित में किस नाम से जाना जाता था? 
(a) टका 
(b) निष्क
(c) दीनार
(d) शतमान
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्त काल में जारी की गई स्वर्ण मुद्राओं को दीनार के नाम से जाना जाता था। नियंत्रित आकार और धार वाली ये स्वर्ण मुद्राएँ अनेक प्रकारों और उपप्रकारों में पाई जाती हैं। गुप्त काल में स्वर्ण मुद्राओं का उपयोग सेना और प्रशासनिक अधिकारी को वेतन चुकाने तथा भूमि की खरीद बिक्री में किया जाता था।
3. गुप्तकालीन सिक्कों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. सिक्कों पर युद्धप्रियता और कलाप्रियता का संकेत मिलता है।
2. गुप्त शासकों के सिक्के कुषाण सिक्कों की तरह ही शुद्ध थे ।
3. इस काल में चाँदी के सिक्के भी जारी किए गए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तकालीन सिक्कों के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। गुप्तकालीन सिक्कों पर गुप्त राजाओं के स्पष्ट चित्र हैं और इनसे उनकी युद्धप्रियता और कलाप्रियता का संकेत मिलता है।
गुजरात विजय के पश्चात् गुप्त राजाओं ने बड़ी संख्या में चाँदी के सिक्के भी जारी किए, जो केवल स्थानीय लेन-देन में चलते थे, क्योंकि पश्चिमी क्षत्रपों के यहाँ चाँदी के सिक्कों का महत्त्वपूर्ण स्थान था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि गुप्तकालीन स्वर्ण मुद्राएँ उतनी शुद्ध नहीं थीं जितनी कुषाण मुद्राएँ, तथापि इनका उपयोग वेतन आदि के भुगतान में किया जाता था।
4. गुप्तकालीन व्यापार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस काल में सुदूर व्यापार (रोमन व्यापार) में ह्रास हो गया था।
2. रोमन लोगों ने चीनियों से रेशम उत्पन्न करने की कला सीखी थी।
3. बुनकरों ने मूल व्यवसाय छोड़कर अन्य व्यवसाय अपना लिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तकालीन व्यापार के संबंध में सभी कथन सत्य हैं।
गुप्त काल में पूर्व काल की तुलना में सुदूर व्यापार (रोमन व्यापार) में ह्रास हो गया था। 550 ई. तक भारत पूर्वी रोमन साम्राज्य के साथ कुछ व्यापार करता रहा, जहाँ वह रेशम भेजता था।
550 ई. के आस-पास पूर्वी रोमन साम्राज्य के लोगों ने चीनियों से रेशम उत्पन्न करने की कला सीख ली, इससे भारत के निर्यात व्यापार पर बुरा असर पड़ा। छठी सदी के मध्य तक आते-आते भारतीय रेशम की माँग विदेशों में कमजोर पड़ गई थी।
गुप्त काल में रेशम बुनकरों की एक श्रेणी (पश्चिम भारत) अपने मूल स्थान को छोड़कर मंदसौर में बस गई। वहाँ उन बुनकरों ने अपना मूल व्यवसाय छोड़कर अन्य व्यवसायों को अपनाया।
5. गुप्तकाल में किस स्थान पर सर्वप्रथम ब्राह्मण पुरोहितों का भू-स्वामी में के रूप में उदय हुआ था? 
(a) मध्य प्रदेश (
(b) पश्चिमोत्तर भारत 
(c) दक्कन
(d) मगध
उत्तर - (a)
व्याख्या- गुप्त काल में मध्य प्रदेश में सर्वप्रथम ब्राह्मण पुरोहितों का भू-स्वामी के रूप में उदय हुआ था, जो किसानों के हितों के विपरीत था। ब्राह्मण पुरोहितों को दान में जो भूमि दी गई उससे अवश्य ही बहुत सी परती जमीन आबाद हुई, लेकिन यह अनुदानभोगी वर्ग स्थानीय जनजातीय किसानों के ऊपर लाद दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप किसानों की स्थिति में परिवर्तन आया।

गुप्तकालीन समाज

1. गुप्तकालीन समाज के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. ब्राह्मणों ने गुप्त शासकों को वैश्य घोषित किया।
2. ब्राह्मणों ने गुप्त राजाओं को देवताओं के गुणों से अलंकृत रूप में चित्रित किया।
3. गुप्त राजा ब्राह्मण - प्रधान वर्ण व्यवस्था में परम प्रतिपालक हो गए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
(c) 2 और 3
(b) केवल 1
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तकालीन समाज के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं। ब्राह्मणों ने गुप्त राजाओं को देवताओं के गुणों से अलंकृत रूप में चित्रित किया। इससे गुप्त राजाओं की प्रतिष्ठा धर्मशास्त्र सम्मत हो गई और वे ब्राह्मण-प्रधान वर्ण व्यवस्था के परम प्रतिपालक हो गए।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि गुप्त काल में ब्राह्मणों को बड़े पैमाने पर भूमि अनुदान दिए गए, जिसके कारण पूर्व काल के समान ब्राह्मणों की स्थिति श्रेष्ठ बनी रही, जिसके फलस्वरूप ब्राह्मण गुप्त वंशियों को क्षत्रिय मानने लगे, जबकि वे मूलत: वैश्य थे।
2. गुप्तकाल में शूद्रों की स्थिति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इस काल में शूद्रों की स्थिति में सुधार हुआ।
2. उन्हें रामायण, महाभारत और पुराण सुनने का अधिकार था।
3. वे कृष्ण नामक नए देवता की पूजा कर सकते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तकाल में शूद्रों की स्थिति के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। गुप्त काल में शूद्रों की स्थिति में सुधार हुआ। उन्हें अब रामायण, महाभारत और पुराण सुनने का अधिकार मिल गया। वे अब कृष्ण नामक नए देवता की पूजा भी कर सकते थे। उन्हें कुछ गृहस्थ संस्कारों या घरेलू अनुष्ठा अधिकार मिला। इन कार्यों में अवश्य ही पुरोहितों को दक्षिणा प्राप्त होती थी। इससे समझा जा सकता है कि ये सभी शूद्रों की आर्थिक स्थिति में हुए सुधार के परिणाम थे। का भी
3. पति के मरने पर उसकी पत्नी का पति की चिता में आत्मदाह करने का पहला अभिलेखीय साक्ष्य कब प्राप्त हुआ?
(a) 510 ई. में
(b) 501 ई. में
(c) 520 ई. में
(d) 530 ई. में
उत्तर - (a)
व्याख्या- पति के मरने पर उसकी पत्नी का पति की चिता में आत्मदाह करने का पहला अभिलेखीय साक्ष्य भानुगुप्त के एरण अभिलेख से मिला है, जो 510 ई. में उत्कीर्ण हुआ। हालाँकि गुप्तोत्तर काल की कुछ स्मृतियों में कहा गया है कि यदि पति खो जाए, मर जाए या नपुंसक हो जाए, संन्यासी हो जाए या पतित (जाति बाह्य) हो जाए, तो स्त्री पुनर्विवाह कर सकती है ।
4. गुप्तकालीन स्त्रियों की सामाजिक स्थिति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. विवाह के समय वधू को भेंट में दिया जाने वाला धन स्त्रीधन कहलाता था।
2. कात्यायन के अनुसार, स्त्री अपना स्त्रीधन बेच सकती थी।
3. जमीन में स्त्रियों को हिस्सा मिलता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तकालीन स्त्रियों की सामाजिक स्थिति के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। गुप्त काल में विवाह आदि के समय वधू के माता-पिता से तथा सास-ससुर से वधू को जो कुछ उपहारस्वरूप मिलता था, वह स्त्रीधन कहलाता था।
छठी सदी के स्मृतिकार कात्यायन के अनुसार, स्त्री अपने स्त्रीधन के साथ अपनी अचल संपत्ति को भी बेच सकती थी। कात्यायन के अनुसार, भूमि में स्त्रियों को हिस्सा मिलता था, परंतु भारत के पितृतंत्रात्मक समाज में धर्मशास्त्र के अनुसार सामान्यतः बेटी को अचल संपत्ति का उत्तराधिकार नहीं मिलता था।

गुप्तकालीन धार्मिक व्यवस्था

1. गुप्तकालीन धार्मिक व्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. गुप्त काल में बौद्ध धर्म को राजाश्रय मिलना प्रारंभ हुआ।
2. नालंदा बौद्ध शिक्षा का केंद्र बन गया।
3. भागवत देवता जनजातीय सरदार का दिव्य प्रतिरूप समझे जाते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल1
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर -(b)
व्याख्या- गुप्तकालीन धार्मिक व्यवस्था के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं । गुप्तकाल में नालंदा बौद्ध शिक्षा का केंद्र बन गया था। ह्वेनसांग के अनुसार, 100 ग्राम तथा इत्सिंग के अनुसार 200 ग्रामों का राजस्व इसे प्राप्त होता था।
भागवत देवता जनजातीय सरदार का दिव्य प्रतिरूप समझे जाते थे। जिस प्रकार जनजातीय सरदार स्वजनों से भेंट पाता था और उसे हिस्सा मानकर उन्हीं स्वजनों के बीच बाँट देता था उसी प्रकार माना जाता था कि नारायण भगवान अर्थात् हिस्सा या भाग्य अपने भक्तों के बीच उनकी भक्ति के अनुसार बाँटता है।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि गुप्त काल में बौद्ध धर्म को राजाश्रय मिलना समाप्त हो गया। फाह्यान ऐसी धारणा देता है कि बौद्ध धर्म बहुत समुन्नत स्थिति में था, लेकिन यथार्थ में इस धर्म का जो उत्कर्ष अशोक और कनिष्क के शासनकाल में था, वह गुप्तकाल में नहीं रहा।
2. गुप्त काल में कृष्ण की विष्णु से अभिन्नता दिखाने के उद्देश्य से किस गाथाकाव्य को नया रूप दिया गया?
(a) महाभारत
(b) कृष्णलीला
(c) कुरुक्षेत्र 
(d) रामायण
उत्तर - (a)
व्याख्या- गुप्त काल में विष्णु पश्चिम भारत के निवासी कुल के एक पौराणिक मा से एक साधारण पुरुष हो गया, जो कृष्ण वासुदेव कहलाता था। गुप्त काल में कृष्ण की विष्णु से अभिन्नता दिखाने के उद्देश्य से महान् गाथाकाव्य 'महाभारत' को नया रूप दिया गया।
3. भागवत संप्रदाय के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) भागवत संप्रदाय के मुख्य तत्व भक्ति एवं अहिंसा है।
(b) भक्ति का अर्थ प्रेममय निष्ठा निवेदन है।
(c) छठी सदी में आकर विष्णु की गणना शिव और ब्रह्मा के साथ होने लगी।
(d) भागवत पुराण ब्रह्मा को समर्पित पुस्तक है।
उत्तर - (d)
व्याख्या- भागवत संप्रदाय के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि भागवत संप्रदाय में भागवत पुराण विष्णु को समर्पित पुस्तक है। इस पुराण की कथा का प्रवचन पुरोहित लोग कई दिनों में संपन्न करते थे। मध्यकाल में पूर्वी भारत में जहाँ-जहाँ भागवत धर्म स्थापित हुआ, वहाँ विष्णु की पूजा और उनकी लीलाओं का कीर्तन होता था।

गुप्तकालीन कला / साहित्य / विज्ञान

1. गुप्तकाल को प्राचीन भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है, क्योंकि
(a) आर्थिक क्षेत्र में प्रगति हुई।
(b) कला के क्षेत्र में प्रगति हुई।
(c) अखिल भारतीय साम्राज्य की स्थापना हुई।
(d) शूद्रों की स्थिति में सुधार हुआ।
उत्तर - (b)
व्याख्या- गुप्तकाल को प्राचीन भारत का स्वर्णयुग कहा जाता है, क्योंकि इस काल में कला के क्षेत्र में प्रगति हुई। इस काल में समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय कला और साहित्य दोनों के संपोषक थे। स्थापत्य एवं चित्रकला के क्षेत्र में विकास की चरम सीमा गुप्तकाल में ही प्राप्त हुई है।
2. गुप्तकालीन कला के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. समुद्रगुप्त को सिक्के पर वीणा बजाते हुए दिखाया गया है।
2. चंद्रगुप्त प्रथम का दरबार नवरत्नों से सुसज्जित था।
3. अजंता की चित्रावली गुप्तकालीन बौद्ध कला का श्रेष्ठ उदाहरण है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तकालीन कला के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। समुद्रगुप्त को सिक्के पर वीणा बजाते हुए दिखाया गया है, वह कवि, संगीतज्ञ और विद्या का संरक्षक था। समुद्रगुप्त को कविराज की उपाधि प्रदान की गई है। अजंता की चित्रावली गुप्तकालीन बौद्ध कला का सर्वश्रेष्ठ नमूना है। यद्यपि इस चित्रकला में ईसा की पहली सदी से लेकर सातवीं सदी तक के चित्र शामिल हैं, फिर भी अधिकतर गुप्तकालीन ही हैं। इन चित्रों में गौतम बुद्ध और उनके पिछले जन्मों की विभिन्न घटनाएँ चित्रित हैं।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि चंद्रगुप्त द्वितीय का दरबार नवरत्न अर्थात् नौ बड़े-बड़े विद्वानों से अलंकृत था।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. आर्यभट्ट कृत आर्यभट्टीय गणित की पुस्तक है।
2. 'रोमक सिद्धांत' नामक रचना का संबंध खगोलशास्त्र से है।
3. ईसा की पाँचवीं सदी के प्रारंभ में भारत में दाशमिक पद्धति ज्ञात थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1, 2 और 3
(c) केवल 1
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। गुप्त काल में आर्यभट्ट कृत 'आर्यभट्टीय' गणित की पुस्तक है। गुप्त काल में खगोलशास्त्र में रोमक सिद्धांत' नामक पुस्तक रची गई। इसके नाम से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इस पर यूनानी चिंतकों का प्रभाव था। इलाहाबाद (प्रयागराज) में मिले 448 ई. (पाँचवीं सदी) के एक गुप्त अभिलेख से ज्ञात होता है कि ईसा की पाँचवीं सदी के आरंभ में भारत में दाशमिक पद्धति ज्ञात थी। दाशमिक पद्धति भारतीय संख्या पद्धति है, जिसमें गणना के लिए दस अंकों (0 से 9) का सहारा लिया जाता है।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. गुप्त काल में धातुओं को मिलाने का प्रयोग हुआ।
2. मेहरौली लौह स्तंभ में उत्तम किस्म के लोहे का उपयोग हुआ है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं।
गुप्त काल में धातुओं को मिलाने के प्रयोग किए जा रहे थे। गुप्तकालीन शिल्पकारों ने अपना चमत्कार अपनी लौह और कांस्य कृतियों में दिखाया था।
गुप्त काल में मेहरौली लौह स्तंभ में उत्तम किस्म के लोहे का उपयोग हुआ है। यह स्तंभ शिल्पकार के महान तकनीकी कौशल का प्रमाण है। शुष्क क्षेत्र में रहने के कारण भी इसका जीवन लंबा हुआ है अर्थात् इसमें जंग नहीं लगा।
5. 'शूद्रक' द्वारा लिखी गई प्राचीन भारतीय पुस्तक 'मृच्छकटिकम्' का विषय था 
(a) एक धनी व्यापारी और गणिका की पुत्री की प्रेमकथा
(b) चंद्रगुप्त द्वितीय की पश्चिम भारत के शक क्षत्रपों पर विजय
(c) समुद्रगुप्त के सैन्य अभियान तथा शौर्यपूर्ण कार्य
(d) गुप्त राजवंश के एक राजा तथा कामरूप की राजकुमारी की प्रेमकथा
उत्तर - (a)
व्याख्या- 'शूद्रक' ने 'मृच्छकटिकम्' की रचना गुप्तकाल में की। ‘मृच्छकटिकम्' का शाब्दिक अर्थ है 'मिट्टी की खिलौना गाड़ी'। इस रचना में एक धनी व्यापारी तथा गणिका की पुत्री की प्रेमकथा का विवरण मिलता है। ‘मृच्छकटिकम्’ संस्कृत नाटकों में उच्च कोटि की रचना है।

पतन

1. गुप्त साम्राज्य के पतन के कारणों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कमजोर उत्तराधिकारी का होना
2. हूणों द्वारा आक्रमण करना
3. सामंतों द्वारा विद्रोह किया जाना 
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं? 
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्त साम्राज्य के पतन के कारणों के संदर्भ में दिए गए सभी कथन सत्य हैं ।
चंद्रगुप्त द्वितीय के उत्तराधिकारियों को ईसा की पाँचवीं सदी के उत्तरार्द्ध में मध्य एशिया के हूणों के आक्रमण का सामना करना पड़ा। आरंभ में तो गुप्त सम्राट स्कंदगुप्त ने हूणों को भारत में आगे बढ़ने से रोकने के लिए जोरदार प्रयास किया, लेकिन उसके उत्तराधिकारी कमजोर सिद्ध हुए और आक्रमणकारी हूणों के सामने टिक नहीं पाए ।
गुप्त साम्राज्य के पतन में सामंतों द्वारा विद्रोह किया जाना महत्त्वपूर्ण कारक था । गुप्त सम्राटों की ओर से उत्तरी बंगाल में नियुक्त शासनाध्यक्षों और सम्राट अर्थात् दक्षिण-पूर्व बंगाल के उनके सामंतों ने अपने को स्वतंत्र बनाना शुरू कर दिया ।
2. हूणों द्वारा गुप्त शासकों को पराजित करने में मुख्य रूप से क्या सहायक रहा?
(a) उत्तम घुड़सवार 
(b) रकाबों का प्रयोग
(c) घोड़े पर बैठा हुआ धनुर्धर
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- हूण घुड़सवारी में बेजोड़ थे और धातु के बने रकाबों का उपयोग करते थे। वे तेजी से आक्रमण कर सकते थे और उत्तम धनुर्धर होने के कारण न केवल ईरान में, बल्कि भारत में भी बहुत सफल हुए।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मालवा नरेश यशोवर्मन ने हूणों को पराजित किया।
2. यशोवर्मन ने 532 ई. में विजय स्तंभ का निर्माण किया।
3. करद (कर देने वाले) सामंत राजाओं ने गुप्त साम्राज्य को दुर्बल बनाया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
मालवा के औलिकर सामंत वंश के यशोवर्मन ने जल्द ही हूणों की सत्ता को उखाड़ फेंका। इसके कुछ समय पश्चात् मालवा नरेश ने गुप्त शासकों की सत्ता को भी चुनौती दे दी और संपूर्ण उत्तर भारत में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के उपलक्ष में 532 ई. में विजय स्तंभ खड़े किए।
करद सामंत राजाओं ने सिर उठाकर गुप्त साम्राज्य को और दुर्बल बना दिया था।
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Wed, 07 Feb 2024 11:01:46 +0530 Jaankari Rakho
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देशी राजवंश

1. उत्तर भारत में मौर्यों के सबसे महत्त्वपूर्ण देशी उत्तराधिकारी कौन हुए?
(a) शुंग वंश के शासक
(b) पाल वंश के शासक 
(c) वर्द्धन वंश के शासक
(d) कण्व वंश के शासक 
उत्तर - (a)
व्याख्या- उत्तर भारत में मौर्यों के सबसे महत्त्वपूर्ण देशी उत्तराधिकारी शुंग और उसके बाद कण्व हुए। शुंग वंश की स्थापना 185 ई. पू. में पुष्यमित्र शुंग ने की थी। इस वंश की उत्पत्ति के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। संभवतः शुंग उज्जैन प्रदेश से संबद्ध थे, जहाँ इनके पूर्वज मौर्यों की सेना में सेवारत थे।
2. मौर्योत्तर काल के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) कण्व वंश, सातवाहन वंश के बाद सत्ता में आया।
(b) सातवाहन मौर्यकालीन वंश नहीं था।
(c) सातवाहन दक्कन का प्रतिनिधित्व करते थे।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- मौर्योत्तर काल के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि मौर्योत्तर काल में कण्व वंश तथा सातवाहन वंश समकालीन थे। उत्तर भारत में 73 ई. पू. में वासुदेव ने कण्व वंश की स्थापना की थी। 
दक्कन और मध्य भारत में मौर्यों के उत्तराधिकारी सातवाहन रहे। हालाँकि मध्य में करीब सौ वर्षों का व्यवधान हुआ। सिमुक ने 60 ईसा पूर्व में सुशर्मा की हत्या कर सातवाहन वंश की स्थापना की।
3. मौर्योत्तर काल में शासक वंशों का सही कालानुक्रम क्या है?
(a) शुंग-कण्व-सातवाहन 
(b) सातवाहन-शुंग-कण्व
(c) कण्व-शुंग-सातवाहन
(d) वर्धन- शुंग - कण्व
उत्तर - (a)
व्याख्या- मौर्योत्तर काल में शासक वंशों का सही कालानुक्रम शुंग-कण्व-सातवाहन है। इन राजवंशों के शासनकाल में शुंगवंश (1853 ई. पू.-73 ई. पू.), कण्व वंश (73 ई. पू.-30 ई.पू.) एवं सातवाहन वंश (60 ई. पू.-240 ई.) का शासन रहा।
इस काल में मगध सहित भारत के विभिन्न भागों में क्षेत्रीय साम्राज्य का उदय हुआ। इन साम्राज्यों ने इतिहास के छोटे कालखंडों में राज किया था, जिनमें शुंग, कण्व, सातवाहन, वाकाटक आदि प्रमुख थे।
4. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) पुराणों में सातवाहन शासन का उल्लेख है।
(b) सातवाहन शासकों ने 300 वर्ष तक शासन किया।
(c) सातवाहनों का सबसे पुराना अभिलेख ईसा पूर्व पहली सदी का था।
(d) सातवाहनों ने कण्वों को पराजित किया था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि पुराणों में केवल आंध्र शासन का उल्लेख है, सातवाहन शासन का नहीं। दूसरी ओर सातवाहन अभिलेखों में आंध्र नाम नहीं मिलता है। हालाँकि सातवाहन और पुराणों में उल्लिखित आंध्र एक ही माने जाते हैं।
सातवाहन वंश के इतिहास के लिए मत्स्य तथा वायु पुराण विशेष रूप से उपयोगी हैं। सातवाहन वंश के शासकों को दक्षिणाधिपति तथा इनके द्वारा शासित प्रदेश दक्षिणापथ कहा जाता है।
5. सातवाहन राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सातवाहन राज्य उत्तरी महाराष्ट्र और ऊपरी गोदावरी घाटी में स्थापित था।
2. दक्कन और मध्य भारत में मौर्यो उत्तराधिकारी सातवाहन हुए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 3
(c) 1 और 2
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- सातवाहन राज्य के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं ।
आरंभिक सातवाहन राजा आंध्र में नहीं, बल्कि उत्तरी महाराष्ट्र में थे। जहाँ उनके प्राचीनतम सिक्के और अधिकांश आरंभिक अभिलेख मिले हैं। उन्होंने अपनी सत्ता ऊपरी गोदावरी घाटी में स्थापित की थी।
दक्कन और मध्य भारत में मौर्यों के उत्तराधिकारी सातवाहन हुए। दक्षिण में सातवाहन शक्तियों का तीन सदियों तक निरंतर उत्कर्ष होता रहा। इतने अधिक समय तक भारतीय इतिहास के किसी भी अन्य राजवंश ने अबाध रूप से शासन नहीं किया।
6. सातवाहन पूर्व बस्तियों का अस्तित्व दक्कन के अनेक स्थलों पर पाए जाने वाले निम्नलिखित में से किस प्रकार के मृद्भांड से प्रमाणित होता है?
(a) लाल मृद्भांड
(b) काले व लाल मृद्भांड 
(c) गेरुआ लेपित चित्रित मृद्भांड
(d) ये सभी 
उत्तर - (d)
व्याख्या- सातवाहन पूर्व बस्तियों का अस्तित्व दक्कन के अनेक स्थलों पर पाए जाने वाले लाल मृद्भांड, काले व लाल मृद्भांड और गेरुआ लेपित चित्रित मृद्भांड से प्रमाणित होता है। इन बस्तियों में से अधिक बस्तियाँ, लोहे का उपयोग करने वाले उन महापाषाण निर्माताओं से संबद्ध हैं, जो उत्तर से आने वाली भौतिक संस्कृतियों के साथ संपर्क के फलस्वरूप नए-नए कार्यकलापों की ओर प्रेरित हुए होंगे।
7. सातवाहन वंश के किस शासक ने सातवाहन वंश को स्थापित करने तथा ऐश्वर्य लौटाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी?
(a) गौतमी श्री वालपुत 
(b) गौतमीपुत्र शातकर्णी
(c) शातकर्णी प्रथम
(d) वशिष्ठि पुत्र पुलमावी
उत्तर - (b)
व्याख्या- सातवाहन वंश के शासक गौतमीपुत्र शातकर्णी ने सातवाहन वंश को स्थापित करने तथा ऐश्वर्य लौटाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी।
गौतमीपुत्र शातकर्णी का शासनकाल 106 ई. 130 ई. तक का था। यह इस वंश का 23वाँ तथा सबसे महान शासक था। गौतमीपुत्र शातकर्णी की सैनिक विजयों की जानकारी इनकी माँ बलश्री की नासिक प्रशस्ति से मिलती है।
8. निम्नलिखित में से किस शासक के लिए एक ब्राह्मण शब्द प्रयुक्त हुआ है? 
(a) पुष्यमित्र शुंग 
(b) खारवेल
(c) गौतमीपुत्र शातकर्णी
(d) सुशर्मन
उत्तर - (c)
व्याख्या- गौतमीपुत्र शातकर्णी ने स्वयं को 'एका ब्राह्मण' (एकमात्र ब्राह्मण) कहा तथा उसने यह दावा किया कि उसने क्षहरात वंश का विनाश किया, क्योंकि उसका शत्रु नहपान इसी वंश का था। नहपान के जो 8000 से अधिक चाँदी के सिक्के नासिक के पास से मिले हैं, उन पर सातवाहन राजा द्वारा फिर से ढलवाए जाने के चिह्न हैं।
9. सौराष्ट्र ( काठियावाड़) के किस शासक ने सातवाहनों को दो बार पराजित किया, किंतु वैवाहिक संबंध के कारण उनका नाश नहीं किया?
(a) शक शासक रुद्रदामन
(b) शक शासक रुद्रसिंह तृतीय
(c) कुषाण शासक कुजुल कडफिसस प्रथम
(d) कुषाण शासक हुविष्क
उत्तर - (a)
व्याख्या- सौराष्ट्र (काठियावाड़) के शक शासक रुद्रदामन प्रथम (130-150 ई.) ने सातवाहन शासक वशिष्ट पुत्र शातकर्णी को बार पराजित किया। रुद्रदामन प्रथम के राज्याधिकार में सिंध, कोंकण, नर्मदा घाटी, मालवा, काठियावाड़ और गुजरात का एक बड़ा भाग था।
10. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. शातकर्णी प्रथम का कलिंग नरेश से युद्ध हुआ था, इसे पश्चिम का स्वामी कहा जाता था।
2. वशिष्ठिपुत्र ने शक शासक की पुत्री से विवाह किया था।
3. सातवाहन शासकों का प्रशासन केंद्रीकृत नहीं था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। सातवाहन वंश के शासक शातकर्णी का युद्ध कलिंग नरेश से हुआ था, जिसमें शातकर्णी विजयी हुआ था। शातकर्णी को पश्चिम का स्वामी कहा जाता था। गौतमीपुत्र शातकर्णी ने शकों को पराजित कर पश्चिम दक्कन पर शासन किया था।
शातकर्णी के समय में शकों ने सातवाहन पर लगातार आक्रमण किए और यह स्थिति गौतमीपुत्र के बेटे वशिष्ठिपुत्र के शासनकाल तक चलती रही तत्पश्चात् वशिष्ठिपुत्र ने शक शासक की पुत्री से विवाह किया था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि सातवाहनों का प्रशासन केंद्रीकृत था। राज्य प्रांतों में बँटा हुआ था, जिन पर सैनिक तथा असैनिक राज्यपाल शासन करते थे। प्रत्येक गाँव का प्रधान राजस्व या कर वसूल करता था। इस काल में 'ग्रामीण' क्षेत्रों में प्रशासक गौल्मिक कहलाता था।
11. सातवाहन शासक यज्ञश्री शातकर्णी (166-194 ई.) के सिक्कों पर किसका चित्र अंकित मिलता है ? 
(a) घोड़े का चित्र
(b) समुद्र का चित्र
(c) जहाज का चित्र
(d) लक्ष्मी देवी का चित्र
उत्तर - (c)
व्याख्या- सातवाहन शासक यज्ञश्री शातकर्णी (166-194 ई.) के सिक्कों पर जहाज का चित्र अंकित था, जो जलयात्रा और समुद्री व्यापार के प्रति उसके प्रेम का परिचायक था। उनके सिक्के न केवल आंध्र प्रदेश, बल्कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में भी पाए जाते हैं। यज्ञश्री शातकर्णी इस वंश का अंतिम महत्त्वपूर्ण राजा था। इसने शकों द्वारा जीते गए अपने भू-भागों को पुनः प्राप्त कर लिया था।
12. ब्राह्मणों को भूमि अनुदान या जागीर देने की प्रथा का आरंभ किन शासकों ने किया था?
(a) शक शासकों ने 
(b) इक्ष्वाकु शासकों ने
(c) सातवाहन शासकों ने 
(d) शुंग शासकों ने
उत्तर - (c)
व्याख्या- ब्राह्मणों को भूमि अनुदान या जागीर देने की प्रथा का आरंभ सातवाहन शासकों ने किया था। उन्होंने अधिकतर भूमिदान बौद्ध भिक्षुओं को ही दिए। बौद्ध भिक्षुओं को भूमिदान देने का कारण जनजातीय लोगों का बौद्धीकरण करना था।
13. सातवाहन कालीन प्रशासनिक व्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सातवाहन राजाओं की तुलना देवताओं से की गई।
2. सातवाहनों ने कई प्रशासनिक इकाइयाँ वही रखी, जो अशोक के काल में पाई गई थीं।
3. द्वितीय श्रेणी का राजा महाभोज कहलाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1, 2 और 3
(c) केवल 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- सातवाहन कालीन प्रशासनिक व्यवस्था के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। सातवाहन राजाओं की तुलना देवताओं से की गई। सातवाहन राजा का वर्णन राम, भीम, केशव, अर्जुन आदि पौराणिक महापुरुषों के गुणों से विभूषित रूप से किया गया है। बल और पराक्रम के संदर्भ में राजा की तुलना उक्त पौराणिक पुरुषों और दिव्य विभूतियों से की गई है।
सातवाहनों ने कई प्रशासनिक इकाइयाँ वही रखीं, जो अशोक के काल में पाई गई थीं। उनके समय में जिले को अशोक की भाँति ही आहार कहते थे। सातवाहन राज्यों में पहली श्रेणी का सामंत राजा कहलाता था, उसे सिक्का ढालने का अधिकार रहता था। द्वितीय श्रेणी का राजा महाभोज कहलाता था। इन सामंतों को अपने-अपने क्षेत्रों में कुछ सत्ता प्राप थी।
14. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सातवाहन शासक वैष्णव देवताओं के उपासक थे।
2. सातवाहन शासकों ने भिक्षुओं को ग्रामदान देकर बौद्ध धर्म को बढ़ाया।
3. उनके राज्य में बौद्धधर्म के हीनयान संप्रदाय का प्रचलन था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3  
(b) 1 और 2 
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। स्मृति काल में राजा स्वयं को देवता का प्रतिनिधि मानते थे। सातवाहन काल आते-आते वे स्वयं के साथ देवताओं का तादात्म्य स्थापित करने लगे। सातवाहन राजा कृष्ण, वासुदेव जैसे बहुत से वैष्णव देवताओं के भी उपासक थे।
सातवाहन शासकों ने भिक्षुओं को ग्रामदान देकर बौद्ध धर्म को बढ़ाया, जिसके कारण आंध्र प्रदेश में नागार्जुन कोंडा और अमरावती नगर सातवाहनों के शासन में और विशेषकर उनके उत्तराधिकारी इक्ष्वाकुओं के शासन में बौद्ध संस्कृति के महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गए।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि राज्य में बौद्ध धर्म के हीनयान का नहीं, वरन् महायान संप्रदाय का प्रचलन था।
15. सातवाहन कालीन वास्तुकला के अंतर्गत 'कार्ले' किसलिए विश्व प्रसिद्ध है?
(a) विहार के लिए 
(b) चैत्य के लिए
(c) स्तूप के लिए
(d) मंदिर के लिए
उत्तर - (b)
व्याख्या- सातवाहन कालीन वास्तुकला के अंतर्गत 'कार्ले' चैत्य के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह लगभग 40 मी लंबा और 15 मी ऊँचा है। यह विशाल शिला वास्तुकला का प्रभावोत्पादक उदाहरण है।
चैत्य, बौद्धों के मंदिर का कार्य करता था और विहार, भिक्षु निवास का। चैत्य अनेकानेक स्तंभों पर खड़ा बड़ा हॉल जैसा होता था और विहार में एक केंद्रीय शाला होती थी, जिसके सामने के बरामदे की ओर एक द्वार होता था। विहार, चैत्यों के समीप ही बनाए जाते थे।
16. सातवाहन कालीन वास्तुकला के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. नागार्जुन कोंडा के स्तूप भित्ति- प्रतिमाओं से सुसज्जित हैं।
2. अमरावती में स्तूपों के साथ-साथ हिंदू मंदिर भी बने हैं।
3. अमरावती में बुद्ध को उपदेश देते हुए दर्शाया गया है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3 
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- सातवाहन कालीन वास्तुकला के संबंध में कोई भी कथन असत्य नहीं है। अमरावती का स्तूप भित्ति प्रतिमाओं से सुसज्जित है। इनमें बुद्ध के जीवन के विभिन्न दृश्य चिह्नित हैं। अमरावती स्तूप का निर्माण लगभग 200 ई. पू. में आरंभ हुआ, किंतु ईसा की दूसरी सदी के उत्तरार्द्ध में आकर वह पूर्णरूपेण निर्मित हुआ।
नागार्जुन कोंडा में बौद्ध स्मारकों के साथ-साथ पुरानी ईंटों से बने हिंदू मंदिर भी हैं । नागार्जुन कोंडा में बुद्ध को उपदेश देते हुए दर्शाया गया है। नागार्जुन कोंडा में लगभग दो दर्जन विहार दिखाई देते हैं। अपने स्तूपों और महाचैत्यों से अलंकृत यह स्थान ईसा की आरंभिक सदियों में मूर्तिकला में सबसे ऊँचा प्रतीत होता था।
17. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इक्ष्वाकु शासकों ने दक्कन खनिज स्रोतों का उपयोग किया।
2. इक्ष्वाकुओं के शासनकाल में अमरावती प्रमुख बौद्ध केंद्र बन गया था।
3. नागार्जुन कोंडा इक्ष्वाकुओं के काल में बौद्ध केंद्र बना था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(c) 1, 2 और 3
(b) 1 और 2 
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। इक्ष्वाकु और सातवाहन दोनों ने दक्कन के खनिज स्रोतों का उपयोग किया। इसका उपयोग इनके द्वारा कृषि यंत्रों के निर्माण तथा युद्ध सामग्री के निर्माण में किया गया था।
आंध्र प्रदेश में नागार्जुन कोंडा और अमरावती नगर सातवाहनों के शासन में और विशेषकर उनके उत्तराधिकारी इक्ष्वाकुओं के शासन में बौद्ध संस्कृति के महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गए।
नागार्जुन कोंडा इक्ष्वाकुओं के काल में अपने उत्कर्ष पर था । इक्ष्वाकुओं के शासन काल में यह बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र भी बन गया था।

विदेशी राजवंश

1. हिंद - यूनानी शासकों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) वे बैक्ट्रिया में राज करते थे।
(b) पार्थिया ने सेल्यूकस साम्राज्य स्थापित किया था।
(c) बैक्ट्रिया वर्तमान के ईरान में स्थित है।
(d) यूनान आक्रमण का प्रमुख कारण था सेल्यूकस द्वारा स्थापित साम्राज्य की कमजोरी
उत्तर - (c)
व्याख्या- हिंद यूनानी शासकों के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि बैक्ट्रिया वर्तमान में अफगानिस्तान, तजाकिस्तान और पाकिस्तान में बँटा हुआ है। बैक्ट्रिया एशिया के उस ऐतिहासिक क्षेत्र का प्राचीन नाम है, जो हिंदूकुश पर्वत शृंखला और अमुदरिया के बीच स्थित है ।
2. हिंद - यूनानी शासन के प्रभावों पर विचार कीजिए
1. सबसे पहले हिंद - यूनानियों ने ही भारत में सोने के सिक्के जारी किए।
2. उन्होंने हेलोनिस्टिक कला का विकास किया।
3. यह कला विशुद्ध रूप से यूनानी थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3 
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। सबसे पहले हिंद-यूनानियों ने ही भारत में सोने के सिक्के जारी किए, पर इनकी मात्रा कुषाणों के शासन में अत्यधिक बढ़ी। इन सिक्कों पर पूर्व में जारी किए गए सिक्कों के विपरीत राजाओं के नाम व तिथियाँ उत्कीर्ण की जाने लगी थीं।
हिंद-यूनानी शासकों ने भारत के पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत में यूनान की कला चलाई, जिसे हेलोनिस्टिक आर्ट कहते हैं। भारत में गंधार कला इसका उत्तम उदाहरण है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि हेलोनिस्टिक कला विशुद्ध यूनानी नहीं थी। सिकंदर की मृत्यु के बाद विजित गैर-यूनानियों के साथ यूनानियों के संपर्क से इसका उदय हुआ था।
3. भारत में शक आधिपत्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. शकों ने कुल पाँच शाखाएँ स्थापित की थीं।
2. शकों की दूसरी शाखा की राजधानी तक्षशिला थी।
3. शकों की पाँचवीं शाखा ने पश्चिमोत्तर भारत पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) केवल 1
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारत में शक आधिपत्य के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं । शकों की पाँच शाखाएँ थीं और हर शाखा की राजधानी भारत और अफगानिस्तान में अलग-अलग भाग में थी।
शकों की प्रथम शाखा अफगानिस्तान में तथा दूसरी शाखा पंजाब में स्थित थी, जिसकी राजधानी तक्षशिला बनी। तीसरी शाखा मथुरा में स्थित हुई, जहाँ उसने लगभग दो सदियों तक राज किया। चौथी शाखा ने अपनी सत्ता पश्चिम भारत में स्थापित की, जहाँ उसने ईसा की चौथी सदी के आरंभ तक शासन किया। कथन (3) असत्य है, क्योंकि शकों की पाँचवीं शाखा ने ऊपरी दक्कन पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया।
4. शक शासक रुद्रदामन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसका शासनकाल 130-150 ई. तक था।
2. भारत में संस्कृत भाषा में पहला अभिलेख रुद्रदामन ने जारी किया था।
3. उसने सुदर्शन झील का पुनरुद्धार करवाया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- शक शासक रुद्रदामन के संबंध में कथन (1), (2) और (3) सत्य हैं। शक शासक रुद्रदामन प्रथम का शासनकाल 130-150 ई. तक था। उसका शासन न केवल सिंध में बल्कि कोंकण, नर्मदा घाटी, मालवा, काठियावाड़ और गुजरात के बड़े भाग में भी था।
रुद्रदामन ने विदेशी होते हुए भी सबसे पहले विशुद्ध संस्कृत भाषा में लंबा अभिलेख, जिसे जूनागढ़ अभिलेख कहते हैं, जारी किया।
रुद्रदामन ने गिरनार पर्वत पर स्थित काठियावाड़ के अर्द्धशुष्क क्षेत्र की प्रसिद्ध सुदर्शन झील का पुनरुद्धार करवाया था। इस झील का निर्माण मौर्य काल में हुआ था। इसके समय सौराष्ट्र प्रांत का शासक सुविशाख था।
5. विक्रम और शक संवत् के बीच कितने वर्षों का अंतर है ?
(a) 57 वर्ष 
(b) 78 वर्ष
(c) 135 वर्ष
(d) 320 वर्ष
उत्तर - (c)
व्याख्या- विक्रम तथा शक संवत् के बीच 135 वर्षों का अंतर है। विक्रम संवत् की शुरुआत 57 ई. पू. में विक्रमादित्य की शकों पर विजय के पश्चात् हुई। इसके पश्चात् विक्रमादित्य को स्पृहणीय की उपाधि दी गई तथा वह ऊँची प्रतिष्ठा और सत्ता के प्रतीक बन गए।
शक संवत की शुरुआत 78 ई. में की गई। इसे आरंभ करने का श्रेय कनिष्क को है। भारत सरकार का कैलेंडर शक संवत् पर आधारित है।
6. पह्नव शासकों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) उन्होंने दक्षिण भारत में अपना आधिपत्य स्थापित किया था।
(b) सर्वाधिक प्रसिद्ध शासक गोंदोफर्निस था।
(c) इनका मूल निवास स्थान ईरान था।
(d) इनके काल में सेंट टॉमस भारत आया था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- पहव शासकों के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि पश्चिमोत्तर भारत में शकों के आधिपत्य के बाद पार्थियाई लोगों का आधिपत्य हुआ। यूनानियों और शकों के विपरीत वे ईसा की पहली सदी में पश्चिमोत्तर भारत के एक छोटे से भाग पर ही सत्ता स्थापित कर सके। आने से पहले शकों की तरह पार्थियाई लोग भी भारतीय राजतंत्र और समाज के अभिन्न अंग बन गए।
7. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कुषाण शासकों का संबंध यूची कबीले से था।
2. कैडफाइसिस प्रथम ने अपने शासन में स्वर्ण मुद्राएँ जारी की थीं।
3. कुषाणों की राजधानी पुरुषपुर / पेशावर थी |
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं ।
कुषाण शासक यूची कबीले से संबंधित थे। यूची कबीला पाँच कुलों में बँटा हुआ था। कुषाण उन्हीं में से एक कुल के थे। कुषाण उत्तरी मध्य एशिया के हरित मैदान के खानाबदोश लोग थे और चीन के पड़ोस में रहते थे।
कुषाणों की पहली राजधानी आधुनिक पाकिस्तान में अवस्थित पुरुषपुर या पेशावर में थी, जहाँ कनिष्क ने एक मठ और विशाल स्तूप का निर्माण कराया था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि कैडफाइसिस प्रथम ने रोमन सिक्कों की नकल करके ताँबे के सिक्के ढलवाए तथा महाराजाधिराज • उपाधि धारण की। उसने ये सिक्के हिंदूकुश के दक्षिण में चलवाए। थे।
8. किस शासक के काल में कश्मीर में चौथी बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया ? 
(a) अशोक
(b) कालाशोक 
(c) कनिष्क
(d) अजातशत्रु 
उत्तर - (c)
व्याख्या- कश्मीर में चौथी बौद्ध संगीति का आयोजन करने वाला कुषाण शासक कनिष्क था। इस संगीति के अध्यक्ष वसुमित्र थे। इस संगीति में बौद्ध ग्रंथों के ऊपर टीकाएँ लिखी गईं, जो विभाषशास्त्र कहलाती हैं ।
9. मौर्योत्तर कालीन व्यापार के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) मथुरा वस्त्र निर्माण का केंद्र बन गया था।
(b) भारतीय दंतशिल्प की वस्तुएँ अफगानिस्तान और रोम से मिली हैं।
(c) रोम की काँच की वस्तुएँ तक्षशिला से मिली हैं।
(d) उत्तर भारत में रंगरेजी एक उन्नत शिल्प था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- मौर्योत्तर कालीन व्यापार के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि मौर्योत्तर काल में रंगरेजी उत्तर भारत में नहीं वरन् दक्षिण भारत के कई नगरों में उन्नत शिल्प थी। तमिलनाडु में तिरुचिरापल्ली नगर के उपांतवर्ती उरैपूर में ईंटों का बना रंगाई का हौज मिला है।
अरिकमेडु में भी इस प्रकार के हौज मिले हैं। ये हौज ईसा की पहली तीसरी सदियों के हैं। इन क्षेत्रों में करघे पर कपड़ा बुनने का व्यवसाय भी प्रचलित था।
10. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. दीघनिकाय नामक पुस्तक में चौबीस प्रकार के व्यवसायों का उल्लेख है।
2. महावस्तु में 36 प्रकार के व्यवसायियों का उल्लेख है।
3. मिलिंदपंहो में 100 व्यवसाय का उल्लेख है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) केवल 4
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। मौर्यपूर्व काल के दीघनिकाय में लगभग चौबीस प्रकार के व्यवसायों का उल्लेख है। इसी काल में महावस्तु में राजगीर में रहने वाले 36 प्रकार के व्यवसासियों का उल्लेख है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि मिलिंदपंहो में 75 व्यवसायों का उल्लेख है, जिनमें 60 विविध प्रकार के शिल्पों से संबद्ध हैं।
11. मौर्योत्तर काल में व्यापार के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) भारत और पूर्वी रोमन साम्राज्य के बीच का व्यापार आरंभ से ही समुद्री मार्ग द्वारा होता था।
(b) भारत और रोम के बीच व्यापार में विलास की वस्तुओं का महत्त्व अधिक होता था।
(c) भड़ौच और सोपारा बंदरगाह पश्चिमी समुद्र तथा अरिकमेडु और ताम्रलिप्ति पूर्वी तट पर स्थित थे।
(d) भड़ौच एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- मौर्योत्तर काल में व्यापार के संबंध में कथन (a) असत्य है, क्योंकि मौर्योत्तर काल में भारत और पूर्वी रोमन साम्राज्य के बीच अधिकतर व् स्थल मार्ग से होता था। ईसा पूर्व पहली सदी में शकों, पार्थियनों और कुषाणों की गतिविधियों के कारण स्थल मार्ग से व्यापार करना संकटापन्न हो गया। इसी कारण पहली सदी से व्यापार मुख्यतः समुद्री मार्ग से होने लगा था।
12. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कुषाण और शक लोग व्यापार के लिए पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत से पश्चिमी समुद्र तक दो मार्गों से जाते थे और ये दोनों मार्ग तक्षशिला में मिलते थे।
2. पहला मार्ग उत्तर से दक्षिण की ओर जाता हुआ तक्षशिला को निचली सिंधु घाटी से जोड़ता था और वहाँ से भड़ौच चला जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। शक और कुषाण लोग भी पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत से पश्चिम समुद्र तट तक दो मार्गों से जाते थे। दोनों मार्ग तक्षशिला में मिलते थे और मध्य एशिया से गुजरने वाले रेशम मार्ग से भी जुड़े थे।
इसका पहला मार्ग उत्तर से सीधे दक्षिण की ओर जाता था। यह मार्ग तक्षशिला को निचली सिंधु घाटी से जोड़ता था और वहाँ से भड़ौच चला जाता था। दूसरा मार्ग, उत्तरापथ नाम से प्रसिद्ध था। यह तक्षशिला से चलकर आधुनिक पंजाब से होते हुए यमुना के पश्चिम तट पहुँचता और यमुना का अनुसरण करते हुए दक्षिण की ओर मथुरा पहुँचता था।
13. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मौर्योत्तर काल सोना, चाँदी, तांबा, काँसा, सीसा और पोटीन के सिक्के बनाने के लिए प्रसिद्ध है।
2. रोमन सम्राट ट्रॉजन ने फारस की खाड़ी का पता लगाया था।
3. भारत में पाए गए रोमन सोने-चांदी के सिक्कों की संख्या 6000 से अधिक है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। मौर्योत्तर काल सोना, चाँदी, ताँबा, काँसा, सीसा और पोटीन के सिक्के बनाने के लिए प्रसिद्ध है। इस काल के सिक्का ढालने के कई प्रकार के साँचे उत्तर भारत और दक्कन में पाए गए हैं।
रोमन सम्राट ट्रॉजन ने व्यापारिक मार्गों के लिए फारस की खाड़ी का पता लगाया। इसके कारण रोमन वस्तुएँ अफगानिस्तान और पश्चिमोत्तर भारत में पहुँचती थीं।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि भारत में पाए गए रोमन सोने, चाँदी के सिक्कों की संख्या 6000 से अधिक नहीं है, परंतु यह कहना कठिन है कि केवल इतने ही सिक्के रोम से आए। रोमन लेखक प्लिनी ने 'नेचुरल हिस्ट्री' नामक अपने विवरण में अफसोस प्रकट किया है कि भारत के साथ व्यापार करके रोम अपना स्वर्णभंडार लुटाता जा रहा है।
14. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सातवाहन और कुषाण साम्राज्यों में नगरों की उन्नति का एक कारण रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार था।
2. कुषाण साम्राज्य के कारण पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नगर समृद्ध हुए थे।
3. कुषाण राजाओं ने मार्गों की सुरक्षा का प्रबंधन किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 3 
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। कुषाण और सातवाहन साम्राज्यों में नगरों की उन्नति का मुख्य कारण रोमन साम्राज्य के साथ व्यापारिक संबंध अच्छे होना था। भारत, रोमन साम्राज्य के पूर्वी भाग और मध्य भाग के साथ ही व्यापार करता था।
कुषाण साम्राज्य के कारण पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के स्थान समृद्ध हुए थे, क्योंकि कुषाण शक्ति का केंद्र पश्चिमोत्तर भारत था। कुषाण साम्राज्य में मार्गों पर सुरक्षा का प्रबंध था, जिसके कारण इस काल में व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि हुई।
15. शक- कुषाण काल में भवन निर्माण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. पक्की ईंटों का प्रयोग फर्श बनाने में किया जाता था।
2. खपरों (टाइलों) का प्रयोग फर्श और छत दोनों में किया जाता था।
3. सुर्खी और खपरा बाहर से अपनाई गई वस्तु थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- शक- कुषाण काल में भवन निर्माण के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। शक-कुषाण काल में भवन निर्माण के कार्यों में उल्लेखनीय प्रगति हुई। इनमें पक्की ईंटों का प्रयोग फर्श बनाने में किया गया तथा खपरों (टाइलों) का प्रयोग फर्श और छत दोनों में किया गया है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि शक तथा कुषाण काल में भवनों के निर्माण में प्रयुक्त सुर्खी और खपरा बाहर से अपनाई गई वस्तु नहीं थी ।
16. अश्वघोष किसके समकालीन था ?
(a) अशोक का 
(b) चंद्रगुप्त द्वितीय का
(c) कनिष्क का
(d) हर्षवर्द्धन का
उत्तर - (c)
व्याख्या- अश्वघोष कनिष्क के समकालीन था। वह कनिष्क का दरबारी . रचनाकार था। उसने अनेक महत्त्वपूर्ण संस्कृत ग्रंथों की रचना की। बुद्ध की जीवनी 'बुद्ध चरित' उसकी नाट्य रचना है।
17. प्राचीन काल के भारत पर आक्रमणों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही अनुक्रम है?
(a) यूनानी-शक - कुषाण
(b) यूनानी- कुषाण - शक
(c) शक- यूनानी- कुषाण
(d) शक- कुषाण - यूनानी
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्राचीन काल के भारत पर आक्रमणों के संबंध में सही क्रम यूनानी-शक - कुषाण था।
भारत पर आक्रमण सबसे पहले हिंद - यूनानियों ने किया। ईसा पूर्व दूसरी सदी के आरंभ में हिंद - यूनानियों ने पश्चिमोत्तर भारत के विशाल क्षेत्र पर कब्जा किया। यूनानियों के बाद शक आए। यूनानियों ने भारत के जितने भाग पर कब्जा किया था, उससे अधिक भाग पर शकों ने किया।
पश्चिमोत्तर भारत मे शकों के आधिपत्यों के बाद पार्थियाई अथवा पह्नव लोगों का आधिपत्य हुआ। पह्नव के बाद कुषाण आए, जो यूची और तोखारी भी कहलाते थे। कुषाणों ने बैक्ट्रिया तथा उत्तरी अफगानिस्तान पर आधिपत्य करते हुए शकों को अपदस्थ किया।
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Wed, 07 Feb 2024 10:24:40 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | मौर्यकाल https://m.jaankarirakho.com/865 https://m.jaankarirakho.com/865 NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | मौर्यकाल

मौर्य शासकों का विवरण

1. मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य की विजयों का जिसके ग्रंथ में विस्तृत वर्णन है, वह है
(a) भास
(b) शूद्रक 
(c) विशाखदत्त
(d) अश्वघोष 
उत्तर - (c)
व्याख्या- मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य की विजयों का विस्तृत वर्णन विशाखादत्त की पुस्तक मुद्राराक्षस में मिलता है। इस ग्रंथ में चंद्रगुप्त के शत्रुओं के विरुद्ध चाणक्य ने जो नीति अपनाई उसके बारे में भी चर्चा मिलती है। इसकी रचना नौवीं सदी में हुई थी। आधुनिक काल में इस विषय पर कई नाटक लिखे गए हैं ।
2. चंद्रगुप्त मौर्य के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) ब्राह्मण परंपरा के अनुसार वह शूद्र था।
(b) बौद्ध परंपरा के अनुसार वह क्षत्रिय था।
(c) प्लूटार्क के अनुसार उसने साठ हजार की सेना लेकर पूरे भारत को रौंद दिया।
(d) उसकी माता का नाम मुरा था, जो नंदों के रनवास में रहती थी।
उत्तर - (c)
व्याख्या- चंद्रगुप्त मौर्य के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि जस्टिन नामक यूनानी लेखक के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य ने अपनी 600000 सैनिकों की फौज लेकर सारे भारत को रौंद दिया था। चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य उत्तर-पश्चिम में ईरान (फारस) से लेकर पूर्व में बंगाल तक, उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक (मैसूर) तक फैला हुआ था।
3. सेल्यूकस, जिसको अलेक्जेंडर द्वारा सिंध एवं अफगानिस्तान का प्रशासक नियुक्त किया गया था, को किस भारतीय शासक ने हराया?
(a) समुद्रगुप्त
(b) अशोक
(c) बिंदुसार
(d) चंद्रगुप्त मौर्य
उत्तर - (d)
व्याख्या- ग्रीक शासक अलेक्जेंडर ने सिंध एवं अफगानिस्तान का प्रशासक सेल्यूकस को नियुक्त किया था। चंद्रगुप्त मौर्य ने युद्ध में सेल्यूकस निकेटर को पराजित कर पश्चिमोत्तर भारत को जीत लिया था। यह क्षेत्र सिंधु नदी के पश्चिम में स्थित था। इस युद्ध के पश्चात् दोनों के बीच समझौता हो गया, जिसके अंतर्गत चंद्रगुप्त मौर्य से 500 हाथी लेकर उसके बदले सेल्यूकस ने उसे पूर्वी अफगानिस्तान, बलूचिस्तान और सिंध का पश्चिमी क्षेत्र दे दिया।
4. मौर्य साम्राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. मौर्य साम्राज्य के विस्तार की जानकारी 'इंडिका' तथा 'अर्थशास्त्र' से मिलती है।
2. मेगास्थनीज ने पाटलिपुत्र के शासन का वर्णन किया है ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। मौर्य साम्राज्य के विस्तार की जानकारी हमें मेगास्थनीज की पुस्तक 'इंडिका' और कौटिल्य के 'अर्थशास्त्र' से मिलती है।
मेगास्थनीज ने पाटलिपुत्र के साथ-साथ मौर्य साम्राज्य के शासन का वर्णन किया है। मेगास्थनीज यूनान का राजदूत था, उसे सेल्यूकस ने चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था।
5. मौर्य साम्राज्य की स्थापना के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सत्य नहीं है?
(a) मौर्यों से पूर्व मगध पर नंद वंश का शासन था।
(b) उत्तर भारत में मगध सबसे शक्तिशाली राज्य था।
(c) चंद्रगुप्त ने घनानंद को पराजित किया था।
(d) घनानंद नंद वंश का लोकप्रिय राजा था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- मौर्य साम्राज्य की स्थापना के संदर्भ में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि घनानंद नंद वंश का लोकप्रिय नहीं, बल्कि अलोकप्रिय राजा था। चंद्रगुप्त ने अपनी सेना का संगठन किया और नंद राजा घनानंद को सिंहासन से उतार दिया, जिसका लोगों ने स्वागत किया। ईसा पूर्व चौथी सदी में मगध पर नंद राजाओं का शासन था। वह उत्तर भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य था। नंद राजाओं ने करों की वसूली से अपार संपत्ति एकत्र कर ली थी और उनके पास एक विशाल सेना भी थी, परंतु वे कुशल शासक नहीं थे।
6. चंद्रगुप्त मौर्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. 305 ई. पू. में उसने घनानंद को पराजित किया था।
2. चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस निकेटर से भारत का राज्य छीना था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- चंद्रगुप्त मौर्य के संबंध में दिया गया कोई भी कथन सत्य नहीं है। चंद्रगुप्त मौर्य ने एक लंबे अभियान के पश्चात् 305 ई. पू. में यूनानी सेनापति सेल्यूकस निकेटर को पराजित किया था। इस युद्ध के पश्चात् चंद्रगुप्त मौर्य ने सिंधु नदी को पार कर उस प्रदेश को जीत लिया था, जो आज अफगानिस्तान का हिस्सा है।
7. मौर्य सम्राट बिंदुसार के शासन की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता निम्नलिखित में से क्या थी? 
(a) विशाल स्थायी सेना
(b) यूनानी राजाओं के साथ निरंतर संबंध 
(c) भू-राजस्व व्यवस्था
(d) स्थानीय व्यापार 
उत्तर - (b)
व्याख्या- मौर्य सम्राट बिंदुसार के शासन की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता पश्चिमी यूनानी राजाओं के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध थे। दो विदेशी राजदूत डायमेकस तथा डायनोसियस उसके दरबार में आए थे। प्लिनी के अनुसार मिस्र के शासक टॉलमी द्वितीय फिलाडेल्फस ने डायनोसियस नामक एक राजदूत मौर्य दरबार में भेजा था।
8. बिंदुसार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. बिंदुसार के शासनकाल में साम्राज्य दक्षिण में मैसूर तक फैल गया था।
2. बिंदुसार की दक्षिण के राज्यों के साथ मैत्री थी ।
3. केवल कलिंग प्रदेश (ओडिशा) और सुदूर दक्षिण के राज्य उसके साम्राज्य में नहीं थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) 1, 2 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b) 
व्याख्या- बिंदुसार के संबंध में सभी कथन सत्य है। बिंदुसार के शासनकाल में मौर्य साम्राज्य दक्षिण में मैसूर तक फैल गया था, इस प्रकार उसके साम्राज्य में लगभग पूरा देश शामिल था। बिंदुसार की दक्षिण के राज्यों के साथ मैत्री थी, इसलिए उसने उन राज्यों पर कभी आक्रमण नहीं किया था।
बिंदुसार के काल में केवल कलिंग प्रदेश (ओडिशा) और सुदूर दक्षिण के राज्य ही उसके साम्राज्य में नहीं थे। कलिंग के लोग मौर्य के अधीन नहीं रहना चाहते थे, इसलिए अशोक को उन पर आक्रमण करना पड़ा।
9. निम्नलिखित में से किस अभिलेख में सम्राट अशोक का नाम 'अशोक' मिलता है? 
(a) प्रथम लघु शिलालेख 
(b) दीर्घ शिलालेख
(c) पृथक् शिलालेख
(d) लघु स्तंभ लेख
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्रथम लघु शिलालेख में सम्राट अशोक का नाम 'अशोक' मिलता है, जो कर्नाटक के तीन स्थानों तथा मध्य प्रदेश के एक स्थान पर पाए गए हैं। अशोक पहला भारतीय राजा था, जिसने अपने अभिलेखों के सहारे सीधे अपनी प्रजा को संबोधित किया।
10. सम्राट अशोक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. बौद्ध परंपरा के अनुसार उसने 99 भाइयों की हत्या की थी।
2. अभिलेखों में उसका नाम 'देवानांप्रिय पियदस्सि' मिलता है।
3. अशोक के अभिलेख केवल शिलाओं पर उत्कीर्ण मिलते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- सम्राट अशोक के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। बौद्ध परंपरा के अनुसार अशोक अपने आरंभिक जीवन में अति क्रूर था। अपने 99 भाइयों की हत्या करके वह राजगद्दी पर बैठा था।
प्रथम लघु अभिलेख को छोड़कर अन्य सभी अभिलेखों में अशोक को 'देवानांप्रिय पियदस्सि' (देवों का प्यारा) नाम से संबोधित किया गया है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि अशोक के अभिलेख केवल शिलाओं पर उत्कीर्ण नहीं हैं, बल्कि अशोक के अभिलेखों को पाँच श्रेणियों में बाँटा गया है - दीर्घ शिलालेख, लघु शिलालेख, पृथक् शिलालेख, दीर्घ स्तंभलेख और लघु स्तंभलेख।
11. अशोक के अभिलेखों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसने प्रजा को संबोधित करने के लिए अभिलेखों का सहारा लिया।
2. अशोक के अभिलेख केवल लिपि में लिखित हैं।
3. अशोक के अभिलेख अभी तक 45 स्थानों में कुल 182 पाठांतरों से पाए गए हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- अशोक के अभिलेखों के संदर्भ में कथन (1) और (3) सत्य हैं । अशोक ने प्रजा को संबोधित करने के लिए अभिलेखों का सहारा लिया था। अशोक के अभिलेख शिलाओं पर पत्थर के पॉलिशदार शीर्षयुक्त स्तंभों पर, गुफाओं में और एक स्थान से प्राप्त मिट्टी के कटोरे पर भी उत्कीर्ण हैं। अशोक के अभिलेख अभी तक 45 स्थानों में कुल 182 पाठांतरों से पाए गए हैं। ये न केवल भारतीय उपमहाद्वीप में हैं, अपितु अफगानिस्तान में भी पाए गए हैं।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि अशोक के अभिलेख ब्राह्मी, खरोष्ठी, अरमाइक और ग्रीक लिपि में लिखित हैं। अशोक के प्राकृत भाषा में रचे अभिलेख साम्राज्य के अधिकांश भागों में ब्राह्मी लिपि में लिखित हैं, किंतु पश्चिमोत्तर भाग में ये खरोष्ठी और अरमाइक लिपियों में लिखित हैं और अफगानिस्तान में इनकी भाषा और लिपि अरमाइक और यूनानी दोनों हैं।
12. सम्राट अशोक के कलिंग युद्ध के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) अशोक ने अपने जीवन में केवल कलिंग युद्ध में भाग लिया था।
(b) कलिंग युद्ध के संबंध में अशोक के अभिलेख में शतसहस्र शब्द का प्रयोग किया गया है।
(c) कलिंग युद्ध अशोक के राज्याभिषेक के आठ वर्ष बाद हुआ था।
(d) इस युद्ध का वर्णन ग्यारहवें शिलालेख में मिलता है।
उत्तर - (d)
व्याख्या- सम्राट अशोक के कलिंग युद्ध के संदर्भ में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि सम्राट अशोक के कलिंग युद्ध का वर्णन 13वें शिलालेख में मिलता है। इस युद्ध में 1,00,000 लोग मारे गए, कई लाख लोग घायल हुए और 1,59,000 बंदी बनाए गए। इस युद्ध में हुए भारी नरसंहार से अशोक का हृदय दुःखी हुआ। इस युद्ध के कारण ब्राह्मण, पुरोहितों और बौद्ध भिक्षुओं को भी बहुत कष्ट झेलने पड़े, जिससे अशोक को गहरी व्यथा और पश्चाताप हुआ। इसलिए उसने दूसरे राज्यों पर भौतिक विजय पाने की नीति छोड़कर सांस्कृतिक विजय पाने की नीति अपनाई।
13. अशोक ने लोगों को शिक्षा देने के लिए किस अधिकारी की नियुक्ति की थी, जो जगह-जगह घूमकर शिक्षा देते थे?
(a) धम्माधिकारी
(b) धम्मसेवक 
(c) धम्म महामात्त
(d) धम्म अमात्य
उत्तर - (c)
व्याख्या- अशोक ने लोगों को शिक्षा देने के लिए धम्म महामात्त नाम के अधिकारियों की नियुक्ति की, जो जगह-जगह जाकर धम्म की शिक्षा देता था। इसकी नियुक्ति अशोक ने राज्याभिषेक के 14वें वर्ष में की थी। अपनी प्रजा के नैतिक उत्थान के लिए अशोक ने जिन आधारों की संहिता प्रस्तुत की, उसे उनके अभिलेखों में धम्म कहा गया है।
14. कलिंग युद्ध के पश्चात् अशोक द्वारा अपनाए गए 'धम्म' के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसका मानना था कि 'धम्म' के माध्यम से लोगों का दिल जीता जा सकता है।
2. वह चाहता था कि उसके बाद उसके उत्तराधिकारी भी युद्ध के स्थान पर धम्म का पालन करें।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- कलिंग युद्ध के पश्चात् अशोक द्वारा अपनाए गए 'धम्म' के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं।
कलिंग युद्ध के पश्चात् अशोक ने माना कि धम्म के माध्यम से लोगों का दिल जीतना बलपूर्वक विजय पाने से अधिक अच्छा है।
कलिंग युद्ध के पश्चात् अशोक चाहता था कि उसके बाद उसके उत्तराधिकारी भी युद्ध के स्थान पर धम्म नीति का पालन करें। इसके लिए उसने भविष्य के लिए अभिलेखों में धम्म नीति की चर्चा की।
15. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अशोक ने अपने संदेश कई स्थानों पर शिलाओं और स्तंभों पर उत्कीर्ण करवाए।
2. अशोक ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे राजा के संदेशों को उन लोगों को पढ़कर सुनाएँ, जो स्वयं पढ़ नहीं सकते।
3. अशोक ने सीरिया, मिस्र, ग्रीस तथा श्रीलंका में भी दूत भेजे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) केवल 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
अशोक ने अपने धम्म के प्रचार-प्रसार के लिए अपने संदेश कई स्थानों पर शिलाओं और स्तंभों पर उत्कीर्ण करवाए।
अशोक ने अपने अधिकारियों को यह निर्देश दिया कि वे राजा के संदेश को उन लोगों को पढ़कर सुनाए, जो स्वयं पढ़ नहीं सकते हैं, इसके लिए धम्म महामात्र नामक नए अधिकारी की नियुक्ति की गई।
अशोक ने धम्म के विचारों को प्रसारित करने के लिए सीरिया, मिस्र, ग्रीस तथा श्रीलंका में भी दूत भेजे ।
16. अशोक द्वारा प्रयोग की गई कौन-सी लिपि से भारत में अनेक लिपियों का विकास हुआ था? 
(a) खरोष्ठी
(b) अरमाइक 
(c) ब्राह्मी
(d) रोमन
उत्तर - (c)
व्याख्या- अशोक द्वारा प्रयोग की गई ब्राह्मी लिपि से देवनागरी, बांग्ला, मलयालम तथा तमिल लिपियों का विकास हुआ था। अशोक की अधिकांश राजाज्ञाएँ ब्राह्मी लिपि में हैं। उस समय भारत के अनेक प्रदेशों में ब्राह्मी लिपि का प्रचलन था। अशोक के अभिलेखों की भाषा सामान्यतः प्राकृत है। यह आम जनता की भाषा थी, जबकि संस्कृत भाषा ऊँची जातियों के शिक्षित लोगों द्वारा बोली जाती थी।
17. अशोक से संबंधित निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) वह मनुष्यों और पशुओं की हत्या पर रोक लगाने के विरुद्ध था।
(b) वह धार्मिक सौहार्द का पक्षधर था।
(c) उसने युद्ध न करने का वचन दिया था।
(d) उसने धार्मिक अनुष्ठानों में पशुओं की बलि पर प्रतिबंध लगाया।
उत्तर - (a)
व्याख्या- अशोक के संदर्भ में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि अशोक मनुष्यों और पशुओं की हत्या पर रोक लगाना चाहता था, इसलिए उसने युद्ध न करने का वचन दिया था। उसने धार्मिक अनुष्ठानों में पशुओं की बलि देने पर प्रतिबंध लगाया, क्योंकि वह इसे क्रूर कार्य समझता था।
वह यह भी चाहता था कि लोग मांस न खाएँ। उस समय उसके अपने रसोईघर में प्रतिदिन दो मोर और एक हिरन राजा के लिए पकाए जाते थे, इस पर भी उसने रोक लगा दी थी।
18. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. अशोक के उत्तराधिकारी दुर्बल थे, जिसके कारण साम्राज्य का पतन प्रारंभ हो गया।
2. अति केंद्रीयकृत प्रशासन के कारण मौर्य साम्राज्य का पतन हो गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं।
अशोक के शासनकाल के पश्चात् मौर्य साम्राज्य का विघटन आरंभ हो गया, क्योंकि अशोक के उत्तराधिकारी दुर्बल थे और वे साम्राज्य का शासन अच्छी तरह संभाल न सके। अति केंद्रीयकृत प्रशासन के कारण मौर्य साम्राज्य के विभिन्न प्रांत अलग होने लगे और अंत में स्वतंत्र बन गए।
19. किस स्थान से प्राप्त अशोक के अभिलेखों की भाषा और लिपि अरमाइक एवं यूनानी दोनों हैं? 
(a) ईरान
(b) अफगानिस्तान 
(c) जेड्रोशिया
(d) इराक
उत्तर - (b)
व्याख्या- अफगानिस्तान के 'कंधार' से प्राप्त अशोक के अभिलेखों की भाषा और लिपि अरमाइक और यूनानी दोनों हैं। भारत पश्चिमोत्तर भाग में अभिलेख खरोष्ठी और अरमाइक लिपियों में हैं।
अभिलेखों में राजा की आज्ञाओं को उत्कीर्ण किया जाता था। अशोक के अभिलेख सामान्यतः प्राचीन राजमार्गों के किनारे स्थापित थे। अशोक के अभिलेख से अशोक के जीवनवृत्त, उसकी आंतरिक और राष्ट्रीय नीति तथा उसके राज्य के विस्तार की जानकारी मिलती है।

प्रशासन / अर्थव्यवस्था / समाज / कला

1. मौर्यकालीन अधिकारियों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. 'धम्ममहामात्र' को पुरस्कार तथा दंड देने का अधिकार था।
2. समाज में धर्म का प्रचार करने के लिए 'राजूक' नामक अधिकारी की नियुक्ति की गई थी।
3. शीर्षस्थ अधिकारी को 'तीर्थ' कहा जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 3
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- मौर्यकालीन अधिकारियों के संबंध में कथन (3) सत्य है।
मौर्यकालीन अधिकारियों में शीर्षस्थ अधिकारियों को 'तीर्थ' कहा जाता है। इनकी संख्या 18 थी। अधिकतर स्थानों पर इन्हें 'महामात्य' भी कहा जाता था। सबसे महत्त्वपूर्ण तीर्थ या महामात्य 'मंत्री' और 'पुरोहित' थे । इनका साम्राज्य के अन्य अधिकारियों पर प्रत्यक्ष नियंत्रण होता था।
कथन (1) और (2) असत्य हैं, क्योंकि अशोक ने नारी सहित समाज के विभिन्न वर्गों के बीच धर्म का प्रचार करने के लिए राजूक को नहीं, बल्कि धम्म महामात्र नियुक्त किए। धम्म महामात्र को दंड देने का अधिकार नहीं था।
मौर्यकालीन समाज में न्याय कार्य करने के लिए राजूकों की भी नियुक्ति की गई। इन्हें कर संग्रह के अधिकार भी प्राप्त थे। इनके द्वारा शतसहस्र प्राणियों पर भी शासन करने का उल्लेख मिलता है ।
2. मौर्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) समाहर्ता राजकीय कोषागार का संरक्षक होता था।
(b) सन्निघात भंडारागार का संरक्षक होता था।
(c) प्रशासन के शीर्ष पर सम्राट होता था।
(d) केंद्रीय प्रशासन प्रांतों में विभाजित था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- मौर्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि मौर्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था में समाहर्ता कर निर्धारण का सर्वोच्च अधिकारी होता था, जिसे वित्तमंत्री भी कहते थे। राज्य को समाहर्ता के चलते जो नुकसान होता था, उसे अधिक महत्त्व दिया जाता था। कर निर्धारण का ऐसा विशद संगठन पहली बार मौर्यकाल में ही देखा जाता है।
3. राजत्व के सिद्धांत के अंतर्गत कौटिल्य ने राजा को क्या कहकर संबोधित किया है ?
(a) धर्म संरक्षक
(b) धर्म उद्धारक
(c) धर्म प्रवर्तक
(d) धर्म सुधारक
उत्तर - (c)
व्याख्या- राजत्व के सिद्धांत के अंतर्गत कौटिल्य ने राजा को धर्म प्रवर्तक अर्थात् सामाजिक व्यवस्था का संचालक कहा है। कौटिल्य ने राजा को परामर्श दिया है कि जब वर्णाश्रम धर्म (वर्णों और आश्रमों पर आधारित समाज व्यवस्था) लुप्त होने लगे तो राजा को धर्म की स्थापना करनी चाहिए। अशोक ने अपने अभिलेखों में कहा कि राजा का आदेश अन्य आदेशों से ऊपर है। अशोक ने धर्म का प्रवर्तन किया और उसने मूलतत्त्वों को पूरे देश में समझाने और स्थापित करने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की।
4. मौर्यकाल में कृषकों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. कृषि योग्य जमीन का मापन राज्य द्वारा किया जाता था।
2. दासों को कृषि कार्य में नहीं लगाया जाता था।
3. इस समय पहली बार सुसंगठित कर प्रणाली का विकास हुआ था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) केवल 1
उत्तर - (c)
व्याख्या- मौर्यकाल में कृषकों के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं।
मौर्यकाल में अधिकारी जमीन को मापता और उन नहरों का निरीक्षण करता था, जिसमें होकर पानी छोटी नहरों में पहुँचता था। इस काल में राज्य कृषकों की भलाई के लिए सिंचाई और जल वितरण की व्यवस्था करता था।
मौर्यकाल में पहली बार सुसंगठित कर प्रणाली का विकास हुआ था। कौटिल्य ने कृषकों, शिल्पियों और व्यापारियों से उगाहे जाने वाले करों का नामोल्लेख किया है। मौर्यों ने वसूली करने और ठीक से जमा रखने से अधिक महत्त्व कर निर्धारण को दिया था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि मौर्यकाल में ही दासों को कृषि कार्यों में बड़े पैमाने पर लगाया गया। राज्य के पास बड़े-बड़े कृषि क्षेत्र थे, जिनमें अनगिनत दास और मजदूर कृषि हेतु लगाए जाते थे।
5. मेगास्थनीज ने मौर्यकालीन समाज के संबंध में क्या नहीं कहा है?
(a) महिलाएं अंगरक्षक का कार्य भी करती थीं।
(b) समाज चार भागों में विभक्त था।
(c) समाज में दास व्यवस्था का अस्तित्व नहीं था।
(d) समाज में सती प्रथा का अस्तित्व नहीं था।
उत्तर - (b)
व्याख्या- मेगास्थनीज ने भारतीय समाज को चार भागों में नहीं, बल्कि सात जातियों ( दार्शनिक, किसान, चरवाहा, कारीगर व शिल्पी, सैनिक, निरीक्षक, सभासद) में विभक्त किया है। मेगास्थनीज चंद्रगुप्त के दरबार पश्चिम एशिया के यूनानी राजा सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था।
6. मौर्यकालीन कला के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अशोक की राजाज्ञाएँ चट्टानों और बलुआ पत्थर के ऊँचे स्तंभों पर उत्कीर्ण की गई थीं।
2. प्रत्येक स्तंभ के सिर पर हाथी, सांड या सिंह की प्रतिमा बनाई गई थी।
3. अशोक के अभिलेखों की भाषा प्राकृत थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- मौर्यकालीन कला के संबंध में दिए गए तीनों कथन सत्य हैं।
अशोक की राजाज्ञाएँ चट्टानों और बलुआ पत्थर के ऊँचे स्तंभों पर उत्कीर्ण की गई थीं, जिन्हें अभिलेख कहा जाता था। अशोक के अभिलेखों को तीन भागों (शिलालेख, स्तंभलेख तथा गुहालेख) में बाँटा गया है।
अशोक के प्रत्येक स्तंभ के सिर पर हाथी, सिंह या सांड की प्रतिमा बनाई गई है। अशोक के अधिकांश अभिलेख प्राकृत भाषा में हैं, जबकि पश्चिमोत्तर से मिले अभिलेख अरमाइक और यूनानी भाषा में हैं। प्राकृत के अधिकांश अभिलेख ब्राह्मी लिपि में लिखे गए थे, जबकि पश्चिमोत्तर में कुछ अभिलेख खरोष्ठी लिपि में लिखे गए थे।
7. अशोक के अभिलेखों में वर्णित 'पतिवेदक' शब्द का अर्थ अभिलेखशास्त्रियों द्वारा क्या लगाया गया है?
(a) गुप्तचर
(b) धर्म प्रचारक
(c) संवाददाता
(d) कर संग्रहकर्ता
उत्तर - (c)
व्याख्या- अशोक के अभिलेखों में वर्णित 'पतिवेदक' शब्द का अर्थ अभिलेखशास्त्रियों द्वारा संवाददाता लगाया गया है। इसका कार्य सम्राट को विभिन्न सूचना देना था। आधुनिक संवाददाता की तुलना में पतिवेदक के दायित्व भिन्न थे।
8. मौर्यकालीन समाज के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) चारों वर्गों के लोग सेना में भर्ती होते थे।
(b) अपराध करने वाले ब्राह्मणों को यातना नहीं दी जाती थी।
(c) महिलाओं को नियोग की अनुमति नहीं थी ।
(d) मोक्ष की अवधारणा विकसित हो चुकी थी।
उत्तर - (c)
व्याख्या- मौर्यकालीन समाज के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि मौर्यकालीन समाज में महिलाओं को पुनर्विवाह व नियोग की अनुमति थी। इस काल में स्त्रियों की स्थिति स्मृति काल की अपेक्षा अधिक सुरक्षित थी। कौटिल्य ने स्त्रियों के विवाह विच्छेद (तलाक) की अनुमति दी थी। इसके लिए उसने मोक्ष शब्द का प्रयोग किया था।
9. संभ्रांत घर की स्त्रियाँ प्रायः घर के अंदर रहती थीं। कौटिल्य ने ऐसी स्त्रियों को क्या कहकर संबोधित किया है?
(a) रूपाजीवा
(b) गणिकाध्यक्ष 
(c) अनिष्कासिनी
(d) अमाजू
उत्तर - (c)
व्याख्या- मौर्यकाल में सभ्रांत घर की स्त्रियाँ प्राय: घर के अंदर ही रहती थीं। कौटिल्य ने ऐसी स्त्रियों को अनिष्कासिनी कहकर संबोधित किया है। मौर्यकाल में स्वतंत्र रूप से वैश्यावृत्ति करने वाली स्त्रियों को रूपाजीवा तथा स्त्री कलाकारों को रंगोपजीवनी कहा जाता था।
10. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. स्ट्रेबो के अनुसार भारत में दास प्रथा नहीं थी।
2. दासों को कृषि कार्यों में नहीं लगाया जाता था।
3. दासों को संपत्ति रखने का अधिकार था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) केवल 1
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य स्ट्रेबो एवं मेगास्थनीज के अनुसार भारत में दास प्रथा नहीं थी, परंतु इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारत में गृहदास वैदिक काल से पाए जाते थे।
मौर्यकाल में दासों की स्थिति संतोषजनक थी, उन्हें संपत्ति रखने व बेचने का अधिकार प्राप्त था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि मौर्य काल में दासों को कृषि कार्यों में बड़े पैमाने पर लगाया गया। राज्य के पास बड़े-बड़े कृषि क्षेत्र थे, जिसमें अनगिनत दास लगाए जाते थे।
11. निम्नलिखित में से कौन एक मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण था ? 
(a) ब्राह्मणों की प्रतिक्रिया 
(b) वित्तीय संकट
(c) दमनकारी शासन
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी विकल्प मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण हैं। ब्राह्मणों की प्रतिक्रिया के द्वारा भी मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ। मौर्य साम्राज्य के खंडहर पर खड़े हुए कुछ नए राज्यों के शासक ब्राह्मण हुए। मध्य प्रदेश में और उसके पूर्व मौर्य साम्राज्य के अवशेषों पर शासन करने वाले शुंग और कण्व ब्राह्मण थे।
सेना और प्रशासनिक अधिकारियों पर होने वाले भारी खर्च के बोझ से मौर्य साम्राज्य के सामने वित्तीय संकट खड़ा हो गया, जो मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण बना।
प्रांतों में दमनकारी शासन ने भी मौर्य साम्राज्य के पतन को बढ़ाया। बिंदुसार तथा अशोक के काल में अत्याचारों के काफी प्रमाण मिलते हैं।
12. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. पुष्यमित्र शुंग ने 185 ई. में मौर्य साम्राज्य को नष्ट कर दिया।
2. पुष्यमित्र शुंग मौर्य राजा तुशास्प का सेनापति था।
3. अशोक ने पश्चिमोत्तर सीमावर्ती क्षेत्रों पर ध्यान नहीं दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या दिए गए कथनों में कथन (1) और (3) सत्य हैं।
पुष्यमित्र शुंग ने 185 ई. पू. में मौर्य साम्राज्य को अंतिम रूप से नष्ट कर दिया था। अशोक ने अपने शासनकाल के अंतिम वर्षों में देश-विदेश में मुख्यतः धर्म का प्रचार किया, जिसके कारण वह पश्चिमोत्तर सीमावर्ती क्षेत्रों पर ध्यान नहीं दे सका। कथन (2) असत्य है, क्योंकि पुष्यमित्र शुंग अंतिम मौर्य राजा वृहद्रथ का सेनापति था। पुष्यमित्र शुंग ने मौर्य शासक वृहद्रथ की हत्या कर दी और पाटलिपुत्र के सिंहासन पर कब्जा कर लिया तथा शुंग वंश की स्थापना की।
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Wed, 07 Feb 2024 09:49:33 +0530 Jaankari Rakho
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महाजनपदों का विकास

1. पुरातत्वविदों ने 'जनपद' नामक इकाइयों की कई बस्तियों की खुदाई की। ये बस्तियाँ निम्नलिखित में से किस एक स्थान से नहीं मिली हैं?
(a) कौशांबी, उत्तर प्रदेश 
(b) पुराना किला, दिल्ली
(c) हस्तिनापुर, मेरठ 
(d) अतरंजीखेड़ा, एटा
उत्तर - (a)
व्याख्या- पुरातत्वविदों को कौशांबी (उत्तर प्रदेश) से जनपदीय बस्तियाँ नहीं मिली हैं। कौशांबी से महाजनपद कालीन किले की दीवार के अवशेष मिले हैं। इसके एक भाग का निर्माण संभवतः 2500 वर्ष पूर्व हुआ था। पुरातत्वविदों को दिल्ली के पुराना किला, उत्तर प्रदेश के हस्तिनापुर तथा अतरंजीखेड़ा से जनपदों की कई बस्तियों के साक्ष्य मिले हैं। इन 'जनपदों' ने कालांतर में महाजनपद का रूप धारण कर लिया था।
2. महाजनपद के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सत्य नहीं है?
(a) महाजनपदों की कई राजधानियों में किलेबंदी की गई थी।
(b) अधिकतर महाजनपदों की एक राजधानी होती थी ।
(c) राजधानियों की किलेबंदी केवल पत्थर से की जाती थी।
(d) अन्य राजाओं के आक्रमण से बचने के लिए किलेबंदी की जाती थी।
उत्तर - (c)
व्याख्या- महाजनपद के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि महाजनपदकालीन राजधानियों की किलेबंदी लकड़ी, ईंट तथा पत्थर तीनों से की जाती थी। किलेबंदी के लिए लकड़ी, ईंट या पत्थर की ऊँची दीवारें बनाई जाती थीं।
ज्ञातव्य है कि धार्मिक साहित्यिक स्रोतों में महाजनपदों की संख्या 16 बताई गई है। इनकी राजधानियों की अन्य राजाओं के आक्रमण से बचने के लिए किलेबंदी की जाती थी।
अधिकतर महाजनपदों की राजधानी एक होती थी, लेकिन इसका अपवाद भी था। इसमें अवंति की दो राजधानियाँ थीं।
3. महाजनपद कालीन राजा के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. राजा के पास स्थायी सेना थी।
2. सेना को भुगतान आहत सिक्कों में होता था।
3. सेना को केवल युद्ध के समय बहाल किया जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- महाजनपद कालीन राजा के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं । महाजनपद काल में राजा की शक्ति में बढ़ोतरी हुई थी। अब राजा स्थायी सेना रखने लगा था। सिपाहियों को नियमित वेतन देकर पूरे वर्ष रखा जाता था।
कुछ भुगतान संभवत: आहत सिक्कों के रूप में होता था। आहत सिक्के धातु की चादर को काटकर बनाए जाते थे। इन पर कुछ लिखा हुआ नहीं होता था, बल्कि ठप्पे द्वारा कुछ चिह्न बनाए जाते थे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि सेना की बहाली महाजनपद काल में केवल युद्ध के समय नहीं, बल्कि नियमित रूप से होने लगी थी।
4. महाजनपद कालीन कर प्रणाली के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) 'भाग' फसलों पर लगने वाला कर था।
(b) उपज का 1/3 भाग कर के रूप में दिया जाता था।
(c) कारीगरों को राजा के लिए महीने में एक दिन कार्य करना था।
(d) पशुपालकों को उत्पाद के रूप में कर देना पड़ता था।
उत्तर - (b)
व्याख्या- महाजनपद कालीन कर प्रणाली के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि महाजनपद काल में कर उपज का 1/6वाँ हिस्सा लिया जाने लगा था। इस काल में फसलों पर लगाए गए कर सबसे महत्त्वपूर्ण थे, क्योंकि अधिकांश लोग कृषक थे। प्राय: उपज का 1/6वाँ हिस्सा कर के रूप में निर्धारित किया जाता था, जिसे 'भाग' कहा जाता था। इस काल में बुनकर, लोहार या सुनार जैसे कारीगरों को कर अदायगी स्वरूप राजा के लिए महीने में एक दिन कार्य करना पड़ता था। पशुपालकों को पशुओं या उनके उत्पाद के रूप में कर देना पड़ता था।
5. महाजनपद कालीन आर्थिक व्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. व्यापारियों को सामान खरीदने-बेचने पर कर नहीं देना पड़ता था।
2. आखेटकों तथा संग्राहकों को जंगल से प्राप्त वस्तुएँ कर के रूप में देनी होती थीं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- महाजनपद कालीन आर्थिक व्यवस्था के संबंध में कथन ( 2 ) सत्य है । महाजनपद काल में आखेटकों (शिकार करने वाले) तथा संग्राहको ( खाद्य उत्पादन को संग्रहीत करने वाले) को जंगल से प्राप्त वस्तुओं को कर के रूप में राजा को देना पड़ता था। इन वस्तुओं में शिकार किए हुए जानवर के माँस, फल, अनाज आदि शामिल थे।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि व्यापारियों को सामान खरीदने-बेचने पर भी कर देना पड़ता था। यह कर सिक्कों अथवा वस्तु के रूप में लिया जाता था।
6. बिहार में स्थित अंग महाजनपद में निम्नलिखित में से कौन-से जिले शामिल थे? 
(a) पटना और वैशाली 
(b) मुंगेर और भागलपुर
(c) दरभंगा और सीतामढ़ी
(d) सारण और वैशाली
उत्तर - (b)
व्याख्या- बिहार में स्थित अंग में आधुनिक मुंगेर और भागलपुर जिले शामिल थे। महाजनपदों की क्षेत्रीय अवस्थिति के अनुसार पूरब से शुरू करने पर पहले स्थान पर अंग महाजनपद था। यह बिहार में स्थित था। अंग की राजधानी चंपा थी। यहाँ से ईसा पूर्व छठी सदी से आबादी होने के प्रमाण मिलते हैं। यहाँ पाँचवीं सदी ई. पू. के लगभग का मिट्टी का किला मिला है। अंततोगत्वा अंग जनपद को पड़ोस के शक्तिशाली मगध राज्य ने अपने राज्य में मिला लिया।
7. महाजनपद काल में कृषि से संबंधित निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा असत्य है ?
(a) लकड़ी की जगह लोहे के फाल का प्रयोग होने लगा।
(b) धान को छिड़ककर उपजाने के बजाय पौधों के रोपण की विधि अपनाई गई।
(c) खेती का कार्य केवल भूमिहीन खेतिहर मजदूरों से कराया जाने लगा।
(d) खाद्यान्न फसलों के उत्पादन में वृद्धि हुई।
उत्तर - (c)
व्याख्या- महाजनपद काल में कृषि से संबंधित कथन (c) असत्य है, क्योंकि महाजनपद काल में कृषि कार्य में अधिकतर दास, दासी तथा भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को लगाया जाता था। भूमिहीन खेतिहर मजदूर को कम्मकार कहा जाता था। इस काल में धान की खेती के अतिरिक्त जौ, दलहन, ज्वार, कपास तथा ईख की भी खेती होती थी।
8. महाजनपदों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. बौद्ध तथा जैन ग्रंथों में महाजनपदों की संख्या सोलह बताई गई है।
2. इन ग्रंथों में महाजनपदों के नाम की सूची एक समान है।
3. अस्मक दक्षिण भारत में स्थित एकमात्र महाजनपद था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 3
(c) 1 और 3.
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- महाजनपदों के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं।
बौद्ध ग्रंथ 'अंगुत्तर निकाय' तथा जैन ग्रंथ 'भगवती सूत्र' में महाजनपदों की संख्या सोलह बताई गई है। इसमें अस्मक एकमात्र महाजनपद है, जो दक्षिण भारत में गोदावरी नदी के किनारे स्थित था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि बौद्ध तथा जैन ग्रंथों में महाजनपदों के नाम की सूची भिन्न-भिन्न मिलती है, लेकिन वज्जि, मगध, कोसल, कुरु, पांचाल, गांधार और अवंति का नाम समान मिलता है।
9. छठी शताब्दी ईसा पूर्व में गणराज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. गणराज्य में शक्ति परिवारों और कुलों के प्रमुखों के हाथों में रहती थी।
2. गणराज्य में वंशानुगत राजा का प्रचलन था।
3. शाक्य और लिच्छवि वंशों के अपने प्रसिद्ध गणराज्य थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- छठी शताब्दी ईसा पूर्व में गणराज्य के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। महाजनपद काल में गणराज्य ऐसा शासन होता था, जिसमें शक्ति परिवारों और कुलों के प्रमुखों या कुछ चुने हुए व्यक्तियों के या किसी चुने हुए मुखिया के हाथ में रहती थी। शाक्य और लिच्छवि वंशों के अपने प्रसिद्ध गणराज्य थे। इनका क्षेत्र वर्तमान के उत्तरी बिहार में स्थित था।
कथन (2) है, क्योंकि गणराज्य में वंशानुगत राजा का नहीं, बल्कि चुने हुए राजा का प्रचलन था। ये जनता द्वारा चुने जाते थे, इसलिए इनका नाम 'गणराज्य' था।
10. ईसा पूर्व छठी शताब्दी में राजा के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) राजा, समाज और धर्म का रक्षक था।
(b) राजा की स्थिति शक्तिशाली हो गई थी।
(c) अमात्य राजा को दैवी शक्ति तथा गुणों से संपन्न बनाते थे।
(d) पुरोहित राजा का मुख्य सलाहकार होता था।
उत्तर - (c)
व्याख्या- ईसा पूर्व छठी शताब्दी में राजा के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि इस शताब्दी में अमात्य नहीं, बल्कि पुरोहित राजा को दैवी शक्ति तथा गुणों से संपन्न बनाता था । पुरोहित ब्राह्मण होता था। राजतंत्र के मामले में ब्राह्मणों का कहना था कि राजा कोई सामान्य मनुष्य न होकर देवता के समान है और ब्राह्मण ही कुछ अनुष्ठान करके राजा को दैवी शक्ति तथा गुणों से संपन्न बना देता था।
राजा इस काल में शक्तिशाली बन गया था, वह समाज और धर्म का रक्षक था। पुरोहित, राजा का मुख्य सलाहकार होता था।
11. ईसा पूर्व छठी सदी में महाजनपदों के निर्माण में सहायक कारकों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. लोहे का व्यापक प्रयोग होने से महाजनपदों का निर्माण प्रारंभ हुआ।
2. नए कृषि उपकरणों की सहायता से अधिक अनाज उत्पन्न होने लगा था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- महाजनपदों के निर्माण में सहायक कारकों के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं। छठी सदी ईसा पूर्व में लोहे के व्यापक प्रयोग ने जनपदों को महाजनपद बदल दिया। लोहे का व्यापक प्रयोग इस काल की एक युगांतकारी घटना थी।
इसने कालांतर में भारतीय उपमहाद्वीप में द्वितीय नगरीकरण को जन्म दिया। प्रथम नगरीय सभ्यता हड़प्पा सभ्यता थी। इस काल में लोहे से बने हथियारों से जंगलों की सफाई हुई। उन्हें खेती योग्य भूमि में बदल दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कृषि में अधिशेष उत्पादन होने लगा।
12. महाजनपद काल में जहाँ सत्ता पुरुषों के एक समूह के हाथ में होती थी, उसे क्या कहा जाता था? 
(a) डायाक
(b) ओलीगार्की
(c) पेट्रॉय
(d) डेमोकार्गी
उत्तर - (b)
व्याख्या- ओलीगार्की या 'समूह शासन' उसे कहते हैं, जहाँ सत्ता पुरुषों के एक समूह के हाथ में होती थी। महाजनपद काल में इस प्रकार की शासन प्रणाली प्रचलन में थी। भारत के बाहर रोमन साम्राज्य में भी ओलीगार्की नामक शासन प्रणाली का प्रचलन था।

मगध

1. मगध के शासक बिंबिसार के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) वह हर्यंक कुल का तथा महावीर स्वामी का समकालीन था।
(b) उसने अंग देश पर अधिकार कर लिया था।
(c) उसकी पहली पत्नी कोशलराज की पुत्री थी।
(d) काशी का राज्य उसे दहेज में मिला था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- मगध के शासक बिंबिसार के संबंध में कथन (a ) सत्य नहीं है, क्योंकि बिंबिसार महावीर स्वामी का नहीं, बल्कि महात्मा बुद्ध का समकालीन था । वह हर्यक वंश तथा मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। उसने अंग राज्य को जीतकर मगध साम्राज्य में मिलाया तथा अपने पुत्र अजातशत्रु को वहाँ का शासक नियुक्त किया। उसकी प्रथम पत्नी कोशलदेवी कोशलराज प्रसेनजीत की बहन थी तथा दूसरी पत्नी लिच्छवि राजकुमारी चेल्लना थी। उसे काशी का क्षेत्र दहेज के रूप में दिया गया था।
2. बिंबिसार ने अपने राजवैद्य जीवक को अवंति के किस शासक के उपचार के लिए भेजा था? 
(a) राजा प्रसेनजीत 
(b) राजा चंडप्रद्योत महासेन
(c) राजा कोशलजीत
(d) रानी चेल्लना
उत्तर - (b)
व्याख्या- बिंबिसार ने अपने राजवैद्य जीवक को अवंति के राजा चंडप्रद्योत महासेन के उपचार के लिए भेजा था। वे पीलिया रोग से पीड़ित थे। जीवक ने उन्हें रोगमुक्त कर दिया था। इसका परिणाम यह हुआ कि मगध तथा अवंति में मित्रता हो गई। अवंति की राजधानी उज्जैन थी। कालांतर में अवंति मगध साम्राज्य के अंतर्गत समाहित हो गई तथा मगध सबसे अधिक शक्तिशाली राज्य बन गया।
3. मगध के शासक अजातशत्रु के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसने अपने पिता की हत्या कर सिंहासन पर कब्जा किया था।
2. उसने वैशाली को मगध साम्राज्य में मिला लिया।
3. उसने पाटलिपुत्र की किलेबंदी करवाई |
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- मगध के शासक अजातशत्रु के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। बिंबिसार के बाद उसका पुत्र अजातशत्रु (492-460 ई. पू.) सिंहासन पर बैठा। अजातशत्रु को 'पितृहंता' भी कहा जाता है, क्योंकि उसने अपने पिता की हत्या कर राजगद्दी प्राप्त की थी। उसने अपने शासनकाल में वैशाली को मगध साम्राज्य में मिला लिया था। यह कार्य उसके पिता बिंबिसार भी नहीं कर पाए थे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि पाटलिपुत्र की किलेबंदी अजातशत्रु ने नहीं, बल्कि उसके पुत्र उदायिन ने की थी।
4. मगध साम्राज्य के विभिन्न वंशों के अंतर्गत निम्नलिखित में से किस एक शासक ने शासन नहीं किया था ? 
(a) कालाशोक
(b) प्रसेनजीत
(c) महापद्मनंद
(d) उदायिन
उत्तर - (b)
व्याख्या- मगध साम्राज्य के अंतर्गत प्रसेनजीत ने शासन नहीं किया था। प्रसेनजीत छठी सदी ईसा पूर्व में कोशल के राजा थे। वह गौतम बुद्ध के समकालीन था। इसकी बहन कोशल देवी की शादी मगध नरेश बिंबिसार से हुई थी। प्रसेनजीत के शासनकाल में काशी कोसल का हिस्सा था। कालाशोक मगध पर शासन करने वाले शिशुनाग वंश का शासक था। महापद्मनंद तथा उदायिन ने मगध साम्राज्य पर शासन किया था।
5. वज्जि संघ पर अजातशत्रु आक्रमण करना चाहता था। उसने उस विषय पर सलाह के लिए अपने एक मंत्री को बुद्ध के पास भेजा था, अजातशत्रु के उस मंत्री का क्या नाम था ?
(a) चेटक 
(b) सुनीध
(c) वस्सकार
(d) जीवक
उत्तर - (c)
व्याख्या- अजातशत्रु ने अपने मंत्री वस्सकार को वज्जि संघ पर आक्रमण के संदर्भ में सलाह लेने हेतु बुद्ध के पास भेजा था। अजातशत्रु का मंत्री वज्जि की राजधानी वैशाली में षड्यंत्र के माध्यम से फूट डालने में सफल रहा और अंत में वैशाली को जीतकर अजातशत्रु ने मगध साम्राज्य में मिला लिया।
6. वज्जि संघ का वर्णन सर्वप्रथम किस ग्रंथ में मिलता है?
(a) मज्झिम निकाय
(b) विनयपिटक
(c) दीघनिकाय
(d) अभिधम्मपिटक
उत्तर - (c)
व्याख्या- वज्जि संघ का वर्णन सर्वप्रथम 'दीघनिकाय' नामक ग्रंथ में मिलता है। यह एक प्रसिद्ध बौद्ध ग्रंथ है, जिसमें बुद्ध के कई व्याख्यान वर्णित हैं। इसे लगभग 2300 वर्ष पूर्व लिखा गया था। गद्य एवं पद्य दोनों में रचित इस निकाय में बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का समर्थन किया गया है। इस निकाय का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण सुत्त है- 'महापरिनिब्बानसुत्त' । इस निकाय में महात्मा बुद्ध के जीवन के अंतिम समय, अंतिम उपदेशों, मृत्यु तथा अंत्येष्टि का वर्णन किया गया है।
7. महाजनपद काल में अनाज रखने के लिए किस पात्र का उपयोग किया जाता था? 
(a) गैरिक-मृद्भांड
(b) चित्रित-धूसर मृदभांड
(c) कांस्य का मृद्भांड
(d) लौहे से बना मृद्भांड
उत्तर - (b)
व्याख्या- महाजनपद काल में अनाज रखने के लिए चित्रित धूसर मृद्भांड का उपयोग किया जाता था इस प्रकार के पात्रों में अधिकतर थालियाँ और कटोरियाँ ही मिली हैं। ये पात्र बहुत ही पतली सतह के सुंदर और चिकने होते हैं। संभवत: इनका प्रयोग विशेष अवसरों पर महत्त्वपूर्ण लोगों को भोजन परोसने के लिए भी किया जाता था। ये पात्र मिट्टी से बनाए जाते थे।

विदेशी आक्रमण

1. 516 ई. पू. में भारत पर हुए ईरानी आक्रमण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह आक्रमण भारत की पश्चिमोत्तर सीमा पर हुआ था ।
2. प्रथम आक्रमण दारयवहु (देरियस) के नेतृत्व में हुआ था।
3. देरियस ने पंजाब और सिंध को जीत लिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- 516 ई. पू. में भारत पर हुए ईरानी आक्रमण के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। भारत पर प्रथम विदेशी आक्रमण ईरान के हखमनी वंश के राजाओं ने किया। दारयवहु इसी वंश का शासक था। इसी के नेतृत्त्व में यह आक्रमण हुआ।
दारयवहु (देरियस) ने 516 ई. पू. में पश्चिमोत्तर भारत में प्रवेश किया और पंजाब तथा सिंध को जीत लिया। यह क्षेत्र फारस (ईरान) का बीसवाँ प्रांत क्षत्रपी बन गया। फारस साम्राज्य में कुल मिलाकर अट्ठाइस क्षत्रपियाँ थीं।
2. फारस (ईरान) साम्राज्य के भारतीय क्षत्रपी में निम्नलिखित में से कौन-सा भाग शामिल नहीं था ?
(a) सिंधु नदी का पश्चिमी क्षेत्र 
(b) पंजाब
(c) सिंध
(d) कुरुक्षेत्र
उत्तर - (d)
व्याख्या- फारस (ईरान) साम्राज्य के भारतीय क्षत्रपी में कुरुक्षेत्र (हरियाणा) शामिल नहीं था। यहाँ तक ईरानी आक्रमणकारी नहीं पहुँच पाए थे। भारतीय क्षत्रपी में सिंध, पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत तथा पंजाब का सिंधु नदी के पश्चिम वाला भाग था। यह साम्राज्य का सबसे अधिक आबाद और उपजाऊ भाग था। दारयवहु के तीन अभिलेखों बेहिस्तून, पर्सिपोलिस एवं नक्शेरुस्तम से यह सिद्ध होता है कि उसी ने सर्वप्रथम सिंधु नदी के तटवर्ती भारतीय भू-भागों को अधिकृत किया।
3. ईरानी शासक क्षयार्ष के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. वह जरसिस का उत्तराधिकारी था।
2. उसने भारतीयों को अपनी फौज शामिल किया था।
3. उसने यूनानियों के विरुद्ध युद्ध में भाग लिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 2 और 3 
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- ईरानी शासक क्षयार्ष के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं। क्षयार्ष ने भारतीयों को अपनी सेना में बड़े पैमाने पर शामिल किया था। इसका कारण यह था कि यूनानियों के विरुद्ध लंबी लड़ाई लड़नी थी तथा बिना भारतीय सैनिकों के सहयोग के यह लड़ाई जीतना संभव नहीं था।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि क्षयार्ष दारयवहु का उत्तराधिकारी था। जरसिस उसी का अन्य एक नाम था। क्षयार्ष के बाद भारत में ईरानी साम्राज्य का अंत हो गया था।
4. छठी सदी ईसा पूर्व में प्रचलित 'टैलेंट' क्या था?
(a) सेना में भर्ती की प्रक्रिया
(b) मुद्रा तथा भार की प्राचीन माप
(c) व्यापारिक श्रेणी का समूह
(d) समुद्री व्यापार का मार्ग
उत्तर - (b)
व्याख्या- छठी सदी ईसा पूर्व में प्रचलित 'टैलेंट' मुद्रा तथा भार की प्राचीन माप थी। राजस्व के रूप में इसकी अदायगी होती थी। ईरानी साम्राज्य के बीसवें प्रांत (पंजाब तथा सिंध) से 360 टैलेंट सोना राजस्व के रूप में आता था, जो फारस के सभी एशियाई प्रांतों से मिलने वाले कुल राजस्व का एक-तिहाई था।
5. ईरान और भारत के मध्य संपर्क के परिणामों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. स्थापत्य कला पर स्पष्ट ईरानी प्रभाव
2. खरोष्ठी लिपि का शुभारंभ
3. आहत मुद्राओं का प्रचलन
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- ईरान और भारत के मध्य संपर्क के परिणामों के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। भारत और ईरान का संपर्क लगभग 200 वर्षों तक बना रहा। इस संपर्क के परिणामस्वरूप भारत में स्थापत्य कला पर स्पष्ट रूप से ईरानी प्रभाव देखने को मिलता है। ईरानी संपर्क से भारत में खरोष्ठी लिपि का विकास हुआ। यह लिपि अरबी की तरह दाईं से बाईं ओर लिखी जाती थी। ईसा पूर्व तीसरी सदी में पश्चिमोत्तर भारत में अशोक के कुछ अभिलेख इसी लिपि में लिखे गए। साथ ही ईरानी संपर्क का यह परिणाम भी हुआ कि आहत मुद्राओं का प्रचलन बढ़ गया।
6. भारत से बाहर सिकंदर द्वारा जीते गए प्रदेशों में निम्नलिखित में से कौन शामिल नहीं था?
(a) एशिया माइनर (तुर्की)
(b) इराक
(c) ईरान
(d) अफगानिस्तान
उत्तर - (d)
व्याख्या- भारत से बाहर सिकंदर द्वारा जीते गए प्रदेशों में अफगानिस्तान शामिल नहीं था। अफगानिस्तान तत्कालीन समय में भारत का भाग था। सिकंदर ने भारत से ईरानी साम्राज्य को समाप्त कर दिया था। उसके बाद उसने न केवल एशिया माइनर (तुर्की) और इराक को, बल्कि ईरान को भी जीत लिया। ईरान से वह भारत की ओर बढ़ा था।
7. भारत पर सिकंदर के आक्रमण के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. हेरोडोटस ने भारत का वर्णन अपार संपत्ति वाले देश के रूप में किया था।
2. इस वर्णन को पढ़कर सिकंदर भारत पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित हुआ।
3. सुकरात ने सिकंदर को भारत पर आक्रमण के लिए प्रोत्साहित किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) केवल 3
(d) केवल 1
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारत पर सिकंदर के आक्रमण के संदर्भ में कथन (1) और (2) सत्य हैं। इतिहास के पिता कहे जाने वाले हेरोडोटस तथा अन्य यूनानी लेखकों ने भारत का वर्णन अपार संपत्ति वाले देश के रूप में किया था। इस वर्णन को पढ़कर ही सिकंदर भारत पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित हुआ। सिकंदर में भौगोलिक अन्वेषण और प्राकृतिक इतिहास के प्रति तीव्र इच्छा थी, जिसके कारण वह भारत आना चाहता था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि सुकरात ने नहीं, बल्कि अरस्तू ने सिकंदर को भारत पर आक्रमण करने के लिए प्रोत्साहित किया था।
8. सिकंदर के आक्रमण के समय उत्तर भारत पर निम्नलिखित राजवंशों में से किस एक का शासन था ?
(a) नंद
(b) मौर्य
(c) कण्व
(d) शुंग
उत्तर - (a)
व्याख्या- उत्तर पश्चिम भारत पर सिकंदर के आक्रमण के समय उत्तर भारत पर नंद वंश का शासन था। घनानंद मगध साम्राज्य का शासक था। उसकी विशाल सेना का विवरण सुनकर सिकंदर के सैनिक हतोत्साहित हुए और सिकंदर को अपना अभियान समाप्त करना पड़ा।
9. सिकंदर के समकालीन राजा पोरस का राज्य किनके बीच में अवस्थित था ? 
(a) सिंधु तथा झेलम नदी
(b) रावी तथा व्यास नदी
(c) झेलम तथा चिनाब नदी
(d) चिनाब तथा सतलुज नदी
उत्तर - (c)
व्याख्या- सिकंदर के समकालीन राजा पोरस का राज्य झेलम तथा चिनाब के बीच स्थित था। सिकंदर ने भारत पर आक्रमण कर पोरस को पराजित किया, परंतु वह उसकी बहादुरी और साहस से बड़ा प्रभावित हुआ । इसलिए उसने उसका राज्य वापस कर दिया तथा पोरस को अपना सहयोगी बना लिया। इसके पश्चात् ही वह व्यास नदी तक पहुँच पाया। उसकी सेना ने व्यास नदी को पार करने से मना कर दिया।
10. भारत तथा यूनानी संपर्क के निम्नलिखित में से क्या परिणाम हुए?
1. बढ़ईगिरि भारत की सबसे उन्नत दस्तकारी बन गई ।
2. सिकंदर ने सिकंदरिया शहर की स्थापना की।
3. व्यास नदी के तट पर सिकंदर ने बुकेफाल नगर की स्थापना की।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। सिकंदर के आक्रमण के पश्चात् भारत में बढ़ईगिरि उन्नत दस्तकारी बन कर उभरी थी। बढ़ई रथ, नाव और जहाज बनाते थे। तत्कालीन समय में इन सभी का अत्यंत महत्त्व था। सिकंदर ने सिकंदरिया नामक नगर की स्थापना की। कथन (3) असत्य है, क्योंकि बुकेफाल नगर की स्थापना झेलम नदी के तट पर हुई थी। बुकेफाल सिकंदर के घोड़े का नाम था।
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Wed, 07 Feb 2024 09:15:34 +0530 Jaankari Rakho
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जैन धर्म

1. जैन धर्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. जैन धर्म के सिद्धांतों का उपदेश देने वाले दिगंबर कहलाते थे।
2. पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- जैन धर्म के संबंध में कथन (1) असत्य है, क्योंकि जैन धर्म के सिद्धांतों का उपदेश देने वाले 'तीर्थंकर' कहलाते थे। कथन (2) सत्य है। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ थे, जो वाराणसी के निवासी थे। महावीर स्वामी अंतिम तीर्थंकर (24वें तीर्थंकर) थे। महावीर स्वामी को जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
2. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) महावीर को 'जिन' तथा उनके अनुयायियों को जैन कहा जाता है ।
(b) महावीर ने जैन व्रतों में ब्रह्मचर्य को जोड़ा था।
(c) जैन धर्म में पूर्व जन्म की अवधारणा नहीं है।
(d) जैन संघों में स्त्री और पुरुष दोनों भाग ले सकते थे।
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि जैन धर्म में पूर्व जन्म की अवधारणा है। जैन धर्म के अनुसार, पूर्व जन्म में अर्जित पुण्य या पाप के अनुसार ही किसी का जन्म उच्च या निम्न कुल में होता है और वे उसके अनुसार कर्मफल भोगते हैं। इसके अतिरिक्त कर्म फल ही जन्म तथा मृत्यु का कारण है।
3. त्रिरत्न सिद्धांत सम्यक ज्ञान, सम्यक ध्यान तथा सम्यक आचरण जिस धर्म की महिमा है, वह है
(a) बौद्ध धर्म 
(b) ईसाई धर्म
(c) जैन धर्म
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- सम्यक् ज्ञान, सम्यक् ध्यान तथा सम्यक् आचरण जैन धर्म के त्रिरत्नों में शामिल हैं, जिन्हें तीन जौहर भी कहा जाता है। इन त्रिरत्नों में जैन धर्म ने मुख्यतः सांसारिक बंधनों से छुटकारा पाने के उपाय बताए हैं। ऐसा छुटकारा या मोक्ष पाने के लिए कर्मकाण्डीय अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं, बल्कि यह त्रिरत्न सिद्धांत से प्राप्त किया जा सकता है।
4. जैन धर्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. जैन धर्म के उपदेशों का संकलन पाटलिपुत्र में किया गया था।
2. इसमें उपदेश के लिए प्राकृत भाषा तथा ग्रंथ रचना के लिए अर्द्ध- मागधी भाषा का प्रयोग किया गया।
3. जैन धर्म ने मूर्ति पूजा का विरोध किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- जैन धर्म के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
जैन धर्म के उपदेशों का संकलन पाटलिपुत्र में किया गया था। जैन धर्म के मुख्य उपदेशों को संकलित करने के लिए पाटलिपुत्र में एक परिषद् का भी आयोजन किया गया था, लेकिन दक्षिणी जैनों ने इस परिषद् का बहिष्कार किया और इसके निर्णयों को मानने से इनकार कर दिया था। जैन संप्रदायों में धर्मोपदेश के लिए सामान्य जन की बोलचाल की प्राकृत भाषा को अपनाया गया। जैन धार्मिक ग्रंथों की रचना अर्द्धमागधी भाषा में की गई थी।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि जैन धर्म ने मूर्ति पूजा का विरोध नहीं किया था। जैन धर्म कालांतर में महावीर और तीर्थंकरों की भी पूजा करने लगे, इसके लिए सुंदर और विशाल प्रतिमाएँ विशेषकर कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में निर्मित हुईं।
5. निम्नलिखित में से किस स्थान का संबंध प्रत्यक्ष रूप से महावीर स्वामी से नहीं जुड़ा हुआ है? 
(a) वैशाली
(b) लुंबिनी 
(c) चंपा
(d) पावापुरी
उत्तर - (b)
व्याख्या- लुंबिनी का संबंध प्रत्यक्ष रूप से महावीर स्वामी से न होकर महात्मा बुद्ध से है जबकि वैशाली, चंपा तथा पावापुरी का संबंध महावीर स्वामी से से है। महावीर स्वामी का जन्म वैशाली में तथा मृत्यु राजगीर के पास पावापुरी में हुई थी। महावीर स्वामी ने अपने जीवन काल में कोसल, मगध, मिथिला, चंपा आदि प्रदेश में भ्रमण करके धर्म का प्रचार किया था।
6. जैन धर्म के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) पाँचवीं सदी में कर्नाटक में स्थापित जैन मठों को 'बसदि' कहा जाता था।
(b) जैन धर्म ने देवताओं के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया।
(c) जैन धर्म में युद्ध और कृषि दोनों वर्जित हैं।
(d) मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त ने कर्नाटक में जैन धर्म का प्रचार-प्रसार किया था।
उत्तर - (b)
व्याख्या- जैन धर्म के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि जैन धर्म ने देवताओं के अस्तित्व को स्वीकार किया, परंतु उनका स्थान जिन से नीचे रखा। बौद्ध धर्म में वर्ण व्यवस्था की जो निंदा है, वह जैन धर्म में नहीं है। महावीर के अनुसार पूर्व जन्म में अर्जित पुण्य या पाप के अनुसार ही किसी का जन्म उच्च या निम्न कुल में होता है। 
7. महावीर स्वामी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उनकी माता का नाम त्रिशला था।
2. महावीर के परिवार का संबंध मगध से था।
3. 30 वर्ष की आयु में उन्होंने गृह त्याग दिया था।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 1
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- महावीर स्वामी के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। महावीर स्वामी की माता का नाम त्रिशला था, जो बिबिंसार के ससुर लिच्छवि-नरेश चेतक की बहन थी। इस प्रकार महावीर के परिवार का संबंध मगध के राजपरिवार से था। आरंभ में महावीर गृहस्थ जीवन में थे, किंतु सत्य की खोज में वे 30 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन का परित्याग करके यती (संयासी) हो गए। 42 वर्ष की आयु में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
8. जैन धर्म के सिद्धांतों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. अहिंसा का पालन करना चाहिए।
2. सभी को वस्त्रों का त्याग करना चाहिए।
3. सभी को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल
उत्तर - (b)
व्याख्या- जैन धर्म के सिद्धांतों के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। जैन धर्म के सिद्धांतों के अनुसार सभी को अहिंसा के नियमों का कठोरता से पालन करना चाहिए अर्थात् किसी भी जीव को न तो कष्ट देना चाहिए और न ही उसकी हत्या करनी चाहिए।
जैन धर्म के सिद्धांतों में ब्रह्मचर्य के पालन पर भी पूर्ण बल दिया है। इसके अनुसार भिक्षुओं को किसी नारी से वार्तालाप, उसे देखना, उससे संसर्ग का ध्यान करने की भी मनाही है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि जैन सिद्धांतों के अनुसार केवल पुरुषों को ही वस्त्रों सहित सब कुछ त्याग देना पड़ता है।
9. जैन धर्म के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) जैन धर्म का समर्थन मुख्यतः व्यापारियों ने किया था।
(b) किसानों के लिए अहिंसा का पालन करना मुश्किल था।
(c) गुजरात, तमिलनाडु तथा कर्नाटक में जैन धर्म का प्रसार हुआ।
(d) जैन धर्म की शिक्षाएँ कुशीनगर में लिखी गई थीं।
उत्तर - (d)
व्याख्या- जैन धर्म के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि जैन धर्म की शिक्षाएँ लगभग 1500 वर्ष पूर्व गुजरात के वल्लभी नामक स्थान पर लिखी गई थीं । हालाँकि प्रारंभ महावीर तथा उनके अनुयायियों की शिक्षाएँ कई शताब्दियों तक मौखिक रूप में प्रयोग हो रही थीं। जैन धर्म का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ कल्पसूत्र संस्कृत में लिखा गया है। महावीर के दिए गए मौलिक सिद्धांत चौदह प्राचीन ग्रंथों में संकलित हैं। इन ग्रंथों को 'पूर्व' कहते हैं।

बौद्ध धर्म

1. महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ई. पू. में किस कुल में हुआ था ?
(a) वज्जि
(b) शाक्य
(c) लिच्छवि
(d) संकुशा
उत्तर - (b) 
व्याख्या- महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ई. पू. में शाक्य नामक क्षत्रिय कुल में कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी नामक स्थान पर हुआ था। वर्तमान समय में कपिलवस्तु की पहचान बस्ती जिले के पिपरहवा के रूप में की जाती है। गौतम के पिता कपिलवस्तु के निर्वाचित राजा और गणतांत्रिक शाक्य कुल बुद्ध के प्रधान थे तथा उनकी माता कोसल राजवंश की कन्या थीं।
2. महात्मा बुद्ध के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) उन्होंने 29 वर्ष की आयु में गृह त्याग दिया था।
(b) ज्ञान प्राप्ति के पश्चात् वे प्रज्ञावान कहलाए।
(c) उन्होंने समतावादी भावना का समर्थन नहीं किया।
(d) उन्हें 35 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त हुआ था।
उत्तर - (c)
व्याख्या- महात्मा बुद्ध के संबंध में विकल्प (c) सत्य नहीं है, क्योंकि गणराज्य में उत्पन्न होने के कारण महात्मा बुद्ध में कुछ समतावादी भावना आई थी। इस कारण बौद्ध धर्म ने वर्ण व्यवस्था एवं जाति प्रथा का विरोध किया तथा बौद्ध संघ का द्वार सभी जातियों के लिए खोल दिया। बौद्ध संघ में स्त्रियों को भी आने की अनुमति प्राप्त थी। बुद्ध ने 29 वर्ष की आयु में गृह त्याग दिया। सात वर्षों तक भटकते रहने के बाद 35 वर्ष की उम्र में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।
3. महात्मा बुद्ध के सिद्धांतों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उन्होंने दुःख की निवृत्ति के लिए अष्टांगिक मार्ग को आवश्यक बताया।
2. उन्होंने ईश्वर की अवधारणा को अस्वीकार कर दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 2
(c) केवल 1
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- महात्मा बुद्ध के सिद्धांतों के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं। गौतम बुद्ध ने दुःख की निवृत्ति के लिए अष्टांगिक मार्ग (अष्टविध साधन) बताया। ये आठ साधन हैं – सम्यक् दृष्टि, सम्यक् संकल्प, सम्यक् वाक्, सम्यक् कर्मान्त, सम्यक् आजीव, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति और सम्यक् समाधि।
गौतम बुद्ध ईश्वर की अवधारणा को अस्वीकार करते थे। बुद्ध ने ईश्वर के स्थान पर मानव प्रतिष्ठा पर बल दिया था। इस बात को हम भारत के धर्मों के इतिहास में क्रांति कह सकते हैं।
4. बौद्ध धर्म के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सुत्तनिपात (प्राचीनतम बौद्ध ग्रंथ) में गाय को अन्नदा, वन्नदा और सुखदा कहा गया है।
2. आम लोगों की भाषा प्राकृत में बौद्ध साहित्य की रचना हुई थी।
3. बौद्ध धर्म के कारण 'बुद्धिवाद' का महत्त्व बढ़ गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 2 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- बौद्ध धर्म के संदर्भ में कथन (1) और (3) सत्य हैं। सुत्तनिपात (प्राचीनतम बौद्ध ग्रंथ) में गाय को अन्नदा, वन्नदा, सुखदा कहा गया है। बौद्ध धर्म ने अहिंसा अर्थात् जीवमात्र के प्रति दया की भावना जगाकर देश में पशुधन की वृद्धि की।
बौद्ध धर्म के कारण 'बुद्धिवाद' का महत्त्व बढ़ गया, क्योंकि बौद्ध धर्म ने बौद्धिक और साहित्यिक जगत चेतना जगाई। इसमें लोगों को यह समझाया गया कि किसी वस्तु को यूँ ही नहीं, बल्कि भली-भाँति गुण-दोष का विवेचन कर उसे आत्मसात करें।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि बौद्ध साहित्य की रचना पालि भाषा में की गई थी। आरंभिक बौद्ध पालि साहित्य को तीन कोटियों में बाँटा जा सकता है। प्रथम कोटि में बुद्ध के वचन और उपदेश हैं, दूसरी में संघ के सदस्यों द्वारा पालनीय नियम आते हैं और तीसरी में धम्म का दार्शनिक विवेचन है।
5. महात्मा बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन किस स्थान पर दिया ? 
(a) वैशाली
(b) सारनाथ
(c) कौशाम्बी
(d) पावापुरी
उत्तर - (b)
व्याख्या- ज्ञान-प्राप्ति के उपरांत महात्मा बुद्ध ने अपने ज्ञान का प्रथम प्रवचन वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के निकट सारनाथ में दिया। इस परिघटना को 'धर्मचक्र प्रवर्तन' कहा जाता है।
महात्मा बुद्ध ने 35 वर्ष की आयु में बोधगया में एक पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान-प्राप्त किया। इस ज्ञान प्राप्ति के उपरांत वह 'प्रज्ञावान' अर्थात् बुद्ध कहलाए।
6. निम्नलिखित में से कौन-सा एक बौद्ध मत में निर्वाण की अवधारणा की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या करता है ?
(a) तृष्णा रूपी अग्नि का शमन
(b) स्वयं की पूर्णतः अस्तित्वहीनता
(c) परमानंद एवं विश्राम की स्थिति
(d) धारणातीत मानसिक अवस्था
उत्तर - (a)
व्याख्या- तृष्णा रूपी अग्नि का शमन करने को बौद्ध मत में निर्वाण की प्राप्ति बताया गया है। बौद्ध धर्म में संसार को समस्याओं से घिरा बताया गया है। महात्मा बुद्ध ने कहा था कि संसार दुःखमय है और दुःख का कारण अपनी इच्छाओं, लालसाओं पर नियंत्रण करना है। लालसा पर विजय प्राप्त करने से ही निर्वाण की प्राप्ति होगी, जिसका अर्थ है कि जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाएगी।
7. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म की अवधारणा है।
(b) बौद्ध धर्म में आत्मा की अवधारणा है।
(c) बौद्ध धर्म उदार और जनतांत्रिक है।
(d) बौद्ध धर्म वेद-प्रमाण्य के प्रति अनास्था रखता है।
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि बौद्ध धर्म में आत्मा की अवधारणा नहीं है। बौद्ध धर्म में अनात्मवाद के सिद्धांत के अंतर्गत यह मान्यता है कि व्यक्ति में जो आत्मा है, वह उसके अवसान के साथ समाप्त हो जाती है।
आत्मा शाश्वत या चिरस्थायी वस्तु नहीं है, जो अगले जन्म में विद्यमान रहे। बौद्ध धर्म में ईश्वर की अवधारणा भी नहीं है, क्योंकि बौद्ध धर्म ने ईश्वर के स्थान पर मानव प्रतिष्ठा पर बल दिया है।
8. प्राचीन भारत के किस शासक ने बोधगया में स्थित बोधिवृक्ष को काटकर नष्ट कर दिया था ? 
(a) गौड़ शासक शशांक 
(b) पुष्यमित्र शुंग
(c) मिहिरकुल
(d) अमोघवर्ष
उत्तर - (a)
व्याख्या- गौड़ देश के शासक शशांक ने बोधगया में उस बोधिवृक्ष को काट कर नष्ट कर दिया, जिसके नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। ब्राह्मण शासक पुष्यमित्र शुंग ने बौद्धों को सताया, जिसके उदाहरण ईसा की छठी-सातवीं सदी में मिलते हैं। शैव संप्रदाय के हूण राजा मिहिरकुल ने भी सैकड़ों बौद्धों की हत्या की थी।
9. निम्नलिखित पर विचार कीजिए
1. बुद्ध में देवत्वारोपण
2. बोधिसत्व के पथ पर चलना 
3. मूर्ति उपासना तथा अनुष्ठान
उपर्युक्त में कौन-सी विशेषता/विशेषताएँ महायान बौद्ध मत की है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- उपरोक्त सभी विशेषताएँ महायान बौद्ध मत में समाहित हैं।
ईसा की प्रथम शताब्दी में बौद्ध अवधारणाओं और व्यवहार में परिवर्तन आया। प्रारंभिक बौद्ध मत में जहाँ 'निर्वाण' के लिए व्यक्तिगत प्रयास को महत्त्व दिया जाता था, वहाँ अब बुद्ध को मुक्तिदाता के रूप में मानकर उनमें देवत्वारोपण को महत्त्व दिया गया। साथ-साथ इस समय बोधिसत्व की अवधारणा विकसित हुई। बुद्ध और बोधिसत्व की मूर्तियों की पूजा तथा अनुष्ठान परंपरा का महत्त्वपूर्ण अंग बन गया।
10. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. बोधिसत्व, बौद्धमत के हीनयान संप्रदाय की केंद्रीय संकल्पना है।
2. बोधिसत्व अपने प्रबोध के मार्ग पर बढ़ता हुआ करुणामय है।
3. बोधिसत्व समस्त सचेतन प्राणियों को उनके प्रबोध के मार्ग पर चलने में सहायता करने के लिए स्वयं की निर्वाण प्राप्ति को विलंबित करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में कथन (2) और (3) सत्य हैं। बोधिसत्व की अवधारणा के अनुसार, बोधिसत्वों को परम करुणामय जीव माना है, जो अपने सत्कर्मों से पुण्य कमाते थे, किंतु वह इस पुण्य का प्रयोग दुनिया को दुःखों में छोड़ कर स्वयं की निर्वाण प्राप्ति के लिए नहीं करते, बल्कि वे अपने निर्वाण को विलंबित कर दूसरों के निर्वाण मार्ग में सहायता प्रदान करते हैं।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि बोधिसत्व की अवधारणा का संबंध महायान चिंतन से सृजित है न कि हीनयान चिंतन प्रणाली से ।
11. बुद्धकालीन समाज के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. यह उत्तरी काले पॉलिशदार मृद्धांड का आरंभ था।
2. यह भारत में द्वितीय नगरीकरण की शुरुआत का काल था।
3. इस काल में चतुर्वर्ण व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- बुद्धकालीन समाज के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। बुद्धकालीन समाज के पुरातत्व के अनुसार, इस काल में उत्तरी काले पॉलिशदार मृद्भांड का विकास आरंभ हुआ। इस मृद्भांड को अंग्रेजी संक्षेपाक्षर एन. बी. पी. डब्ल्यू अर्थात् नार्दर्न ब्लैक पॉलिश्ड वेयर कहते हैं। यह मृद्भांड बहुत ही चिकने और चमकीले होते थे, जो संभवतः धनवान लोगों के द्वारा प्रयोग किए जाते थे।
यह भारत के द्वितीय नगरीकरण की शुरुआत का काल था। ईसा पूर्व लगभग पाँचवीं सदी में मध्य गंगा के मैदान में नगरों के प्रकट होने के साथ ही भारत में द्वितीय नगरीकरण की शुरुआत हुई। पालि तथा संस्कृत ग्रंथों के अनुसार यहाँ अनेक नगरों के साक्ष्य मिले हैं, जैसे- कौशांबी, श्रावस्ती, अयोध्या, कपिलवस्तु, वाराणसी, वैशाली, राजगीर, पाटलिपुत्र और चंपा।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि इस काल में चतुर्वर्ण व्यवस्था ध्वस्त नहीं हो सकी। इसका उदाहरण हमें कबायली समुदाय में देखने को मिलता था, जिनका समाज स्पष्ट चार वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र) में बँटा हुआ था।
12. बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. भारत से बाहर श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड तथा इंडोनेशिया में बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ।
2. इन क्षेत्रों में 'थेरवाद' नामक बौद्ध धर्म का आरंभिक रूप कहीं अधिक प्रचलित था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं। भारत से बाहर बौद्ध धर्म का दक्षिण-पूर्व एशिया की ओर श्रीलंका, म्यांमार, थाइलैंड तथा इंडोनेशिया सहित अन्य भागों में भी प्रसार हुआ । इन क्षेत्रों में 'थेरवाद' नामक बौद्ध धर्म का आरंभिक रूप भी अधिक प्रचलित था। बौद्ध धर्म का भारत के पश्चिमी तथा दक्षिणी भाग में भी प्रसार हुआ, जहाँ बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए पहाड़ों में दर्जनों गुफाएँ खोदी गईं।
13. छठी सदी ईसा पूर्व में प्रचलित 'कुटागारशालाओं' का संबंध निम्नलिखित में से किससे था?
(a) बौद्ध शिक्षा केंद्र
(b) बौद्ध भिक्षुओं का वर्षा ऋतु में ठहरने का स्थान
(c) वाद-विवाद से संबंधित बौद्ध स्थल
(d) अनुयायियों का आश्रय स्थल
उत्तर - (c)
व्याख्या- छठी सदी ईसा पूर्व में प्रचलित कुटागारशालाओं का संबंध वाद-विवाद से संबंधित बौद्ध स्थलों से था। बौद्ध ग्रंथों में हमें 64 संप्रदायों या चिंतन परंपराओं का उल्लेख मिलता है। इससे जीवंत चर्चाओं और विवादों की एक झाँकी मिलती है। शिक्षक एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूम-घूमकर अपने दर्शन या विश्व के विषय में अपनी समझ को लेकर एक-दूसरे से तथा सामान्य लोगों से तर्क-वितर्क करते थे, जो चर्चा कुटागारशालाओं में आयोजित होती थीं।
14. बौद्ध साहित्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. बुद्ध के किसी भी संभाषण को उनके जीवनकाल में नहीं लिखा गया।
2. दीपवंश तथा महावंश की रचना श्रीलंका में हुई।
3. दीघनिकाय एक बौद्ध ग्रंथ है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1, 2 और 3
(c) 2 और 3 
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- बौद्ध साहित्य के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
बुद्ध के किसी भी संभाषण को उनके जीवनकाल में नहीं लिखा गया था। उनकी मृत्यु के पश्चात् उनके शिष्यों ने ज्येष्ठों की एक सभा वैशाली में बुलाई। वहाँ पर शिक्षाओं का संकलन किया गया। इन संग्रहों को त्रिपिटक कहा जाता है।
जब बौद्ध धर्म श्रीलंका जैसे क्षेत्रों में फैला, तो दीपवंश (द्वीप का इतिहास) और महावंश (महान इतिहास) जैसे बौद्ध इतिहास को लिखा गया। इनमें से कई रचनाओं में बुद्ध की जीवनी लिखी गई है।
दीघनिकाय एक बौद्ध ग्रंथ है, जिसकी चर्चा सुत्तपिटक में की गई है। यह गद्य और पद्य दोनों में लिखा गया है।
15. सुत्तपिटक के किस भाग में भिक्षुणियों द्वारा रचित छंदों का संकलन मिलता है ? 
(a) जातक
(b) थेरीगाथा
(c) मज्झिमनिकाय
(d) भेरीगाथा
उत्तर - (b)
व्याख्या सुत्तपिटक के थेरीगाथा भाग में भिक्षुओं द्वारा रचित छंदों का संकलन मिलता है। इससे महिलाओं के सामाजिक और आध्यात्मिक अनुभवों के बारे में अंतर्दृष्टि मिलती है। थेरीगाथा खुद्दक निकाय के 15 ग्रंथों में से एक है। इसमें परमपद प्राप्त 73 विद्वान् भिक्षुणियों के उदान अर्थात् उद्गार 522 गाथाओं में संगृहीत हैं।
16. गौतम बुद्ध ने अपने किस शिष्य के कहने पर महिलाओं को संघ में प्रवेश की अनुमति दी थी ? 
(a) आनंद
(b) उपारिय 
(c) राहुल
(d) संकर्षण 
उत्तर - (a)
व्याख्या- गौतम बुद्ध ने अपने शिष्य आनंद के कहने पर महिलाओं को संघ में प्रवेश की अनुमति दी थी। बुद्ध की उपमाता महाप्रजापति गौतमी संघ में आने वाली पहली भिक्षुणी बनीं। कई स्त्रियाँ जो संघ में आईं, वे धम्म की उपदेशिकाएँ बन गईं। आगे चलकर वे महिलाएँ थेरी बनीं, जिसका अर्थ है, ऐसी महिलाएँ जिन्होंने निर्वाण प्राप्त कर लिया हो ।
17. बुद्धकालीन अर्थव्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस काल में धातु के सिक्कों का प्रचलन बढ़ गया।
2. इस काल में 'श्रेणी' का निर्माण हुआ।
3. इस काल में वाराणसी व्यापार का मुख्य केंद्र था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- बुद्धकालीन अर्थव्यवस्था के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। बुद्धकालीन अर्थव्यवस्था में धातु के सिक्कों का प्रचलन बढ़ गया। ये सिक्के आहत (पंचमार्क) कहलाते थे, क्योंकि ये धातु पर पेड़, मछली, साँड, हाथी, अर्द्धचंद्र आदि किसी वस्तु की आकृति का ठप्पा मारकर बनाए जाते थे। बुद्धकालीन अर्थव्यवस्था के अंतर्गत शिल्पी और वणिक दोनों अपने-अपने प्रमुखों के नेतृत्व में श्रेणियों में संगठित थे। हमें शिल्पियों की 18 श्रेणियों का उल्लेख मिलता है।
बुद्ध काल में वाराणसी व्यापार का मुख्य केंद्र था। इस काल में व्यापार मार्ग श्रावस्ती से पूर्व और दक्षिण की ओर निकलकर और कुशीनगर होते हुए वाराणसी तक गया था।
18. बुद्धकाल के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) उपज का 1/6 कर के रूप में चुकाना पड़ता था।
(b) गाँव के मुखिया को भोजक कहा जाता था।
(c) 'शतमान' इस काल का प्रमुख ग्रंथ था।
(d) महामात्र इस काल का कर संग्रहकर्ता था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- बुद्धकाल के संबंध में कथन (d) असत्य है, क्योंकि बुद्धकाल में उच्चकोटि के अधिकारी महामात्र कहलाते थे। वे अनेक प्रकार के कार्य करते थे, जैसे- मंत्री, सेनानायक, न्यायाधिकारी, महालेखाकार और अंतःपुर प्रधान के कार्य। आयुक्त नाम से विदित अधिकारियों का वर्ग भी कुछ राज्यों में इसी प्रकार का कार्य करता था।
19. बुद्धकालीन विधि व्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. न्याय व्यवस्था की विधिवत् शुरुआत इसी काल में हुई।
2. वर्ण भेद के आधार पर ही व्यवहार विधि और दंड-विधि निर्धारित होती थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- बुद्धकालीन विधि व्यवस्था के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं। बुद्धकाल में ही भारतीय विधि और न्याय व्यवस्था का उद्भव हुआ था। इससे पहले कबायली कानून चलते थे, जिसमें वर्गभेद का कोई स्थान नहीं था। बुद्धकाल में वर्ण भेद के आधार पर ही व्यवहार - विधि और दंड-विधि निर्धारित होती थी, जो वर्ण जितना ऊँचा होता था, वह उतना ही पवित्र माना गया और व्यवहार एवं दंड - विधि में उससे उतनी ही उच्चकोटि के नैतिक आचरण की अपेक्षा की जाती थी।
20. बुद्धकालीन गणतंत्रीय एवं राजतंत्रीय प्रणाली के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. गणतंत्र में राजस्व का अधिकार गण को तथा राजतंत्र में राजा को प्राप्त था।
2. धर्मशास्त्रों में गणराज्यों को मान्यता प्रदान नहीं की गई।
3. गणतंत्रों के विपरीत राजतंत्रों का संचालन अल्पतांत्रिक सभाएँ करती थीं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- बुद्धकालीन गणतंत्रीय एवं राजतंत्रीय प्रणाली के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं।
बुद्धकालीन गणतंत्र में राजस्व का अधिकार गण या गाँव में प्रत्येक प्रधान को होता था, जबकि राजतंत्र में प्रजा से राजस्व पाने का अधिकार एकमात्र राजा का होता था। धर्मशास्त्रों में गणराज्यों को मान्यता प्रदान नहीं की गई थी, क्योंकि धर्मशास्त्रों पर ब्राह्मणों का प्रभुत्व था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि गणतंत्र का संचालन अल्पतांत्रिक सभाएँ करती थीं न कि कोई एक व्यक्ति, लेकिन राजतंत्र में यह कार्य एक व्यक्ति करता था।
21. बौद्ध धर्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. भारत में पूजित प्रथम मानव मूर्ति महात्मा बुद्ध की है।
2. महात्मा बुद्ध की प्रतिमाओं का निर्माण 'गंधार शैली' में किया गया है।
3. बराबर की पहाड़ियों ( गया, बिहार) को तराशकर बौद्ध स्तूपों का निर्माण किया गया है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 2 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- बौद्ध धर्म के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। भारत में पूजित प्रथम मानव मूर्ति महात्मा बुद्ध की है। श्रद्धालु उपासकों ने बुद्ध के जीवन की अनेक घटनाओं को पत्थरों में उकेरा है। वर्तमान बिहार के गया में और मध्य प्रदेश के साँची और भरहुत में जो चित्र मिले हैं, वे बौद्ध कला के कृष्ट नमूने हैं।
महात्मा बुद्ध की प्रतिमाओं का निर्माण गंधार शैली में किया गया था। गंधार शैली को पश्चिमोत्तर सीमांत में यूनान और भारत के मूर्तिकारों ने विकसित किया था। कथन (3) असत्य है, क्योंकि बराबर की पहाड़ियों तथा नासिक के आस-पास की पहाड़ियों को तराशकर गुहा वास्तुशिल्प का निर्माण किया गया, जिसे 'विहार' कहा जाता था। यहाँ बौद्ध भिक्षु वर्षाकाल में ठहरते थे।

विविध

1. जैन तथा बौद्ध धर्म के उदय के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) इनका उदय वैदिक कर्मकांडों की प्रतिक्रिया में हुआ
(b) वर्ण व्यवस्था में लचीलापन आना
(c) नई कृषि मूलक अर्थव्यवस्था का विस्तार होना
(d) लौह उपकरणों का बड़े पैमाने पर प्रयोग होना
उत्तर - (b)
व्याख्या- जैन तथा बौद्ध धर्म का उदय वर्ण व्यवस्था में कठोरता के आने से हुआ था, अतः कथन (b) असत्य है। वैदिकोत्तर काल में समाज स्पष्टत: चार वर्णों में विभाजित था - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र । प्रत्येक वर्ण के कर्त्तव्य अलग-अलग निर्धारित थे और इस पर बल दिया जाता था कि वर्ण जन्ममूलक है।
2. विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के उदय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. पशुओं की बलि की आलोचना जैन तथा बौद्ध धर्म ने की।
2. वैश्यों ने नवीन धर्मो का स्वागत किया।
3. वणिकों ने प्रचुर मात्रा में नए धर्मों को दान दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं? 
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के उदय के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। पशुओं की बलि की आलोचना जैन तथा बौद्ध धर्म दोनों में की गई, क्योंकि नई कृषि मूलक अर्थव्यवस्था में पशुओं की अत्यधिक आवश्यकता थी।
वैश्यों ने भी इन धर्मों का स्वागत किया, क्योंकि इन नवीन धर्मों ने ऋण तथा सूदखोरी की क्रियाओं को वैधता प्रदान की, जो वैदिक सभ्यता में प्रतिबंधित थी।
वणिकों ने प्रचुर मात्रा में नए धर्मों को दान दिया, क्योंकि नए धर्मों ने वाणिज्य तथा व्यापार को सभी धर्मों के लिए खोल दिया।
3. जैन तथा बौद्ध धर्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. दोनों धर्म अष्टांगिक मार्ग का समर्थन करते थे।
2. दोनों धर्मों में मध्यम प्रतिपदा को समान माना गया है।
3. दोनों धर्मों के प्रवर्तक क्षत्रिय कुल के थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 1
उत्तर - (a)
व्याख्या- जैन तथा बौद्ध धर्म के संबंध में कथन (1) (2) असत्य हैं। ‘अष्टांगिक मार्ग' तथा 'मध्यम प्रतिपदा' का सिद्धांत केवल बौद्ध धर्म से संबंधित है।
गौतम बुद्ध ने दुःख की निवृत्ति के लिए अष्टांगिक मार्ग का साधन बताया था। गौतम बुद्ध मध्यम प्रतिपदा अर्थात मध्यम मार्ग के समर्थक थे। उनके अनुसार न अत्यधिक विलास करना चाहिए और न अत्यधिक संयम करना चाहिए। कथन (3) सत्य है, क्योंकि जैन तथा बौद्ध धर्म के प्रवर्तक क्षत्रिय कुल से संबद्ध थे।
4. जैन तथा बौद्ध धर्म ने निम्नलिखित में से किसको मान्यता प्रदान की ? 
(a) पशुबलि 
(b) वैदिक कर्मकांड
(c) ब्याज पर धन लगाना
(d) वैदिक साहित्य
उत्तर - (c)
व्याख्या- जैन तथा बौद्ध धर्म ने ब्याज पर धन लगाने को मान्यता प्रदान की थी। इससे पहले ब्राह्मणों की कानून संबंधी पुस्तकों में जो 'धर्मसूत्र' कहलाती थी, सूद पर धन लगाने के कारोबार को निंदनीय समझा जाता था और सूद पर जीने वाले को 'अधम' कहा जाता था।
इससे प्रभावित होकर वाणिज्यिक गतिविधियों में संलग्न समुदायों ने इन धर्मों को अंगीकृत किया तथा इसके अनुयायी बने।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. बुद्ध काल में सर्वप्रथम स्तूप बनाने की शुरुआत हुई।
2. स्तूप में हर्मिका से निकले मस्तूल को यष्टि कहते थे।
3. स्तूप बुद्ध के प्रतीक अवशेषों पर बनाए जाते थे।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 2 और 3 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) और (3) सत्य हैं ।
स्तूप की अंडाकार संरचना के ऊपर एक हर्मिका होती थी। हर्मिका में एक जिसे यष्टि कहते थे। जिस पर अकसर एक छत्री लगी मस्तूल निकलता था, होती थी। टीले के चारों ओर एक वेदिका होती थी, जो पवित्र स्थल को सामान्य दुनिया से अलग करती थी।
स्तूप, बुद्ध के प्रतीक अवशेषों पर बनाए जाते थे, जिसमें बुद्ध की अस्थियाँ तथा उनके द्वारा प्रयुक्त सामान होता था।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि स्तूप बनाने की परंपरा बुद्ध से पहले भी रही, परंतु वह बौद्ध धर्म से जुड़ गई, चूँकि उनमें ऐसे अवशेष रहते थे, जिन्हें पवित्र समझा जाता था।
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Wed, 07 Feb 2024 08:42:30 +0530 Jaankari Rakho
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आर्यों का मूल स्थान एवं प्रसार

1. भारतीय उपमहाद्वीप में आर्यों के आगमन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) आर्यों के सभी कबीलों का आगमन एक साथ हुआ।
(b) आर्यों का संघर्ष दास तथा दस्यु नामक स्थानीय जनों से हुआ।
(c) दास जनों का उल्लेख प्राचीन सीरियाई साहित्य में मिलता है।
(d) दस्यु मध्य एशिया के मूल निवासी थे।
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारतीय उपमहाद्वीप में आर्यों के आगमन के संबंध में कथन (b) सत्य है, क्योंकि 1500 ई. पू. के आस-पास आर्यों का आगमन भारतीय उपमहाद्वीप में हुआ। इस दौरान आर्यों को स्थानीय जनों से संघर्ष करना पड़ा था। इन स्थानीय जनों में दास तथा दस्यु प्रमुख रूप से शामिल थे। इस संघर्ष में आर्यों की जीत हुई थी।
कथन (a), (c) और (d) असत्य हैं, क्योंकि आर्यों के कबीले भारत में एक साथ नहीं, बल्कि अलग-अलग आए थे। दास जनों का उल्लेख सीरियाई साहित्य से नहीं, बल्कि ईरानी साहित्य में मिलता है। दस्यु मध्य एशिया के नहीं, बल्कि भारत के मूल निवासी थे।
2. इतिहासकारों के अनुसार भारत आगमन के समय आर्यों का मुख्य व्यवसाय क्या था?
(a) कृषि कार्य
(b) शिकार
(c) पशुचारण
(d) खाद्य संग्राहक
उत्तर - (c)
व्याख्या- इतिहासकारों के अनुसार भारत आगमन के समय आर्यों का मुख्य व्यवसाय पशुचारण था। आर्यों के जीवन में कृषि का स्थान गौण था। इसका मुख्य कारण यह था कि वे घुमंतू जीवन शैली से संबंध रखते थे। वे कई पर्वतों को पार कर भारत आए थे। ऐसे में उनकी जीविका का मुख्य साधन पशुचारण था। यूरेशिया में बड़े-बड़े घास के मैदान होने से पशुचारण उनके लिए आसान व्यवसाय था।
3. वैदिक संस्कृति के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सरस्वती आर्यों की पवित्र नदी थी।
2. सरस्वती को ऋग्वेद में 'नदीतमा' कहा गया है।
3. आर्यों का भारत में आरंभिक निवास स्थान 'सप्त सैंधव प्रदेश ' कहलाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- वैदिक संस्कृति के संदर्भ में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। ऋग्वेद के नदी सूक्त में 25 नदियों का वर्णन है। इसमें सरस्वती को आर्यों की सर्वाधिक पवित्र नदी माना गया है। साथ ही ऋग्वेद में सरस्वती नदी को नदीतमा ( नदियों में प्रमुख) कहा गया है।
ऋग्वेद में आर्यों का भारत में आरंभिक निवास स्थान 'सप्त सैंधव प्रदेश' था। सात प्रमुख नदियों की उपस्थिति के कारण ही इस क्षेत्र का नाम 'सप्त सैंधव' पड़ा।
4. भरत और त्रित्सु नामक आर्य वंश कबीले के पुरोहित निम्नलिखित में से कौन थे? 
(a) ऋषि वशिष्ठ
(b) ऋषि विश्वामित्र 
(c) ऋषि गृत्मस
(d) ऋषि अंगीरस
उत्तर - (a)
व्याख्या- भरत और त्रित्सु नामक आर्य वंश कबीले के पुरोहित ऋषि वशिष्ठ थे। आर्य कई कबीलों में विभक्त थे, उनमें भरत तथा त्रित्सु दोनों आर्यो के शासक कबीले थे । 'भरत' कबीले के नाम पर ही हमारे देश का नाम 'भारत' पड़ा था। इन दोनों कबीलों को पुरोहित वशिष्ठ का सान्निध्य प्राप्त था। ऋग्वैदिक काल में सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकारी पुरोहित होता था।
5. आर्यों की जानकारी के स्रोतों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) ऋग्वेद में 'आर्य' शब्द का उल्लेख 36 बार हुआ है।
(b) कस्साइट अभिलेख (इराक) से आर्य नाम का उल्लेख मिलता है।
(c) मितन्नी अभिलेख (सीरिया) से आर्यों की जानकारी मिलती है।
(d) भारतीय अभिलेख 'हाथीगुम्फा' से आर्यों की जानकारी मिलती है।
उत्तर - (d)
व्याख्या- आर्यों की जानकारी के स्रोतों के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि हाथीगुम्फा अभिलेख का संबंध आर्यों से नहीं, बल्कि कलिंग नरेश खारवेल से है। यह अभिलेख ओडिशा के भुवनेश्वर में उदयगिरि की पहाड़ी में स्थित यह अभिलेख प्राकृत भाषा में है।
ऋग्वेद हिंदू-यूरोपीय भाषाओं का सबसे पुराना ग्रंथ है । इस वेद में 'आर्य' शब्द का उल्लेख 36 बार हुआ है। इसके अतिरिक्त इराक में मिले लगभग 1600 ई. पू. के कस्साइट अभिलेखों में तथा सीरिया में मितन्नी अभिलेखों में आर्य नाम का उल्लेख मिलता है।
6. 'पंच जन' के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह आर्यों के पाँच कबीलों का समूह था।
2. पाँचों कबीलों की आपस में शत्रुता थी।
3. तुर्वस एक अनार्य कबीला था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1, 2 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- 'पंच जन' के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। परंपरानुसार आर्यों के पाँच कबीले थे, जिन्हें 'पंचजन' कहा जाता था। इनमें अनु, द्रुहु, पुरु, तुर्वस तथा यदु शामिल थे।
वैदिक आर्यों को दो तरह के संबंधों का सामना करना पड़ा, एक ओर उनकी आर्य-पूर्व जनों से लड़ाई हुई, तो दूसरी ओर अपने ही लोगों के बीच आंतरिक जनजातीय संघर्षों से आर्य समुदाय दीर्घ काल तक जर्जर रहा ।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि तुर्वस एक अनार्य कबीला नहीं था, बल्कि यह पंचजन में शामिल आर्य कबीला था।
7. ऋग्वेद में उल्लिखित प्रसिद्ध दस राजाओं का युद्ध ( दसराज्ञ युद्ध) किस नदी के किनारे लड़ा गया था?
(a) परुष्णी
(b) सरस्वती
(c) विपाशा
(d) अस्किनी
उत्तर - (a)
व्याख्या ऋग्वेद में उल्लिखित प्रसिद्ध दस राजाओं का युद्ध (दसराज्ञ युद्ध) परुष्णी (वर्तमान में रावी) नदी के तट पर लड़ा गया था।
ऋग्वेद में दसराज्ञ युद्ध का वर्णन है, जिसमें भरत जन के स्वामी सुदाश ने दस राजाओं के संघ को हराया था। इसमें पाँच आर्य और पाँच आर्योत्तर जन के प्रधान थे।
8. भारतीय आर्य भाषा के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. आर्य भाषा वैदिक संस्कृति का आधार थी।
2. आर्य भाषा-भाषियों का आगमन 1000 ई. पू. में हुआ था।
3. आर्य हिंद यूरोपीय परिवार की भाषा बोलते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) केवल 2
(c) केवल 1
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारतीय आर्य भाषा के संबंध में कथन (2) असत्य है, क्योंकि भारत में आर्य भाषा-भाषियों का आगमन 1000 ई. पू. में नहीं, बल्कि 1500 ई. से कुछ पहले हुआ था। उनके आगमन का कोई ठोस पुरातात्विक प्रमाण नहीं मिलता है। आर्यों के द्वारा प्रयोग में लाए गए हथियारों को आधार बनाकर ऐसा माना जाता है कि भारतीय उपमहाद्वीप में हड़प्पा सभ्यता के पतन के पश्चात् 1500 ई. पू. में आर्यों का आगमन हुआ तथा ऋग्वैदिक काल की शुरुआत हुई। इस प्रकार आर्य भाषा, जो हिंद - यूरोपीय परिवार की भाषा थी, वैदिक संस्कृति का आधार बनी।
9. जिन क्षेत्रों में आर्यभाषियों की संस्कृति का विकास हुआ वहाँ एक विशेष प्रकार की मिट्टी के बर्तनों का निर्माण होता था, इसे क्या कहा जाता था ?
(a) चित्रित धूसर मृद्भांड
(b) गैरिक मृद्भांड  
(c) जोरवे मृद्भांड
(d) झूकर मृद्भांड 
उत्तर - (a)
व्याख्या- आर्य भाषी क्षेत्रों में विकसित मिट्टी के बर्तनों को चित्रित धूसर मृद्भांड कहा जाता है तथा इस संस्कृति को चित्रित धूसर मृद्भांड संस्कृति (Painted Greyware Culture) कहते हैं। यह मिट्टी के बर्तनों की एक परंपरा है, जिसमें स्लेटी रंग के बर्तनों पर काले रंग से डिजाइन बनाया जाता था। गंगा, सतलुज तथा घग्घर-हकरा नदियों के मैदान इस संस्कृति के केंद्रीय स्थल हैं।
10. आर्यों के प्रसार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. आर्य सबसे पहले पंजाब आकर बसे ।
2. कालांतर में कुरुक्षेत्र तक आर्यों का प्रसार हुआ। 
3. नर्मदा के मुहाने तक आर्यों का वास था। 
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 2
(d) केवल 1
उत्तर - (c)
व्याख्या- आर्यों के प्रसार के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। आर्य सबसे पहले भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भाग में स्थित पंजाब में आकर बसे थे । यहाँ सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी तथा सतलुज नदियाँ बहती थीं। इसी भूमि को आर्यों ने अपने आवास के लिए निर्धारित किया था। धीरे-धीरे आर्यों का प्रसार दिल्ली तथा कुरुक्षेत्र (हरियाणा) तक हो गया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि नर्मदा नदी के मुहाने तक आर्यों का विस्तार नहीं हुआ था। नर्मदा नदी के दक्षिण में (दक्षिण भारत में) आर्यों के प्रसार तथा आर्यीकरण का श्रेय ऋषि अगस्तस्य को जाता है, जो कालांतर में हुआ था।

ऋग्वैदिक काल

1. ऋग्वैदिक आर्यों के जीवन के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. ऋग्वैदिक आर्यों का जीवन पशुचारण पर आधारित था।
2. ऋग्वेद में 'गविष्टि' युद्ध का पर्याय है।
3. ऋग्वैदिक लोगों का भूमि पर निजी स्वामित्व नहीं था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 2
(c) 1,2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- ऋग्वैदिक आर्यों के जीवन के संदर्भ में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। ऋग्वैदिक आर्य पशुचारक थे। गाय चराने तथा खेती करने का पेशा उनकी आजीविका का आधार था। ऋग्वेद में युद्ध के लिए 'गविष्टि' शब्द प्रयुक्त हुआ है, जिसका अर्थ 'गायों का अंवेषण' होता है। कृषि की ओर बढ़ते ऋग्वैदिक लोगों के पास निजी स्वामित्व वाली भूमि नहीं थी।
2. ऋग्वैदिक काल में आर्यों के प्रशासन तंत्र में युद्ध का फ कौन करता था ? 
(a) जनस्य गोप 
(b) ग्रामणी
(c) राजन्
(d) विदथ
उत्तर - (c)
व्याख्या ऋग्वैदिक काल में आर्यों के प्रशासन तंत्र में युद्ध का नेतृत्व राजन् करता था। ऋग्वैदिक काल में आर्यों का प्रशासन तंत्र कबीले के प्रधान के हाथों में था, प्रधान ही राजन् (अर्थात् राजा) कहलाता था। इस काल में राजा की सहायता के लिए अनेक अधिकारी होते थे, जिनमें पुरोहित, ग्रामणी, व्रजपति, कुलपा आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।
3. ऋग्वैदिक काल में राज्य व्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. राजा का पद आनुवंशिक हो गया था।
2. सभा और समिति राजनीतिक संस्थाएँ थीं।
3. महिलाओं को सभा एवं समिति में भाग लेने का अधिकार था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 3
(c) केवल 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- ऋग्वैदिक काल में राज्य व्यवस्था के संबंध में कथन (3) असत्य है, क्योंकि महिलाओं को सभा एवं विदथ में भाग लेने का अधिकार प्राप्त था, न कि सभा एवं समिति में विदथ आर्यों की सर्वाधिक प्राचीन संस्था थी। इसे जनसभा भी कहा जाता था।
सभा समृद्ध एवं अभिजात लोगों की संस्था थी वहीं समिति राजा की नियुक्ति, पदच्युत करने व उस पर नियंत्रण रखने का कार्य करती थी ।
कथन (1) और (2) सत्य हैं। ऋग्वैदिक काल में राजा का पद आनुवंशिक हो गया था अर्थात् राजा का बेटा ही राजा बनता था। सभा तथा समिति दो महत्त्वपूर्ण राजनीतिक संस्थाएँ थीं।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. ऋग्वेद काल में वशिष्ठ और विश्वामित्र महान पुरोहित थे। 
2. वशिष्ठ उदार तथा विश्वामित्र रूढ़िवादी थे ।
3. विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की रचना की थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) केवल 1
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं। ऋग्वैदिक दैनिक प्रशासन में कुछ अधिकारी राजा की सहायता करते थे। सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकारी पुरोहित होता था। वशिष्ठ तथा विश्वामित्र दो महान पुरोहित थे।
विश्वामित्र ने लोगों को आर्य बनाने के लिए गायत्री मंत्र की रचना की। गायत्री मंत्र ऋग्वेद के तीसरे मंडल में है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि ऋषि वशिष्ठ रूढ़िवादी तथा विश्वामित्र उदार प्रवृत्ति के पुरोहित थे।
5. ऋग्वैदिक काल में 'बलि' को निम्नलिखित में से किस रूप में परिभाषित किया गया है? 
(a) एक स्वैच्छिक कर के रूप में
(b) पशुओं की बलि के रूप में
(c) राजा के राजत्व अधिकार के रूप में
(d) स्थानीय जन कबीले के रूप में
उत्तर - (a)
व्याख्या- ऋग्वैदिक काल में 'बलि' एक स्वैच्छिक कर था। ऋग्वेद में किसी ऐसे कर्मचारी का विवरण ज्ञात नहीं होता, जो कर संग्रह का कार्य करता हो । संभवतः प्रजा राजा को उसका अंश स्वेच्छा से देती थी, जिसका नाम बलि अर्थात् चढ़ावा था। यह वस्तु या मुद्रा के रूप में होता था। विनिमय के माध्यम के रूप में 'निष्क' का उल्लेख मिलता है।
6. राजा की सैन्य शक्ति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. राजा के साथ स्थायी सेना थी।
2. व्रात, गण और सर्घ लड़ाकू कबीला था।
3. 'ग्राम' स्थायी सेना का हिस्सा था।
4. सैनिक तत्त्व प्रबल था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) 2 और 3 
(c) 1 और 3
(d) केवल 1
उत्तर - (c)
व्याख्या- राजा की सैन्य शक्ति के संबंध में कथन (1) और (3) असत्य हैं, क्योंकि ऋग्वैदिक काल में राजा के पास स्थायी सेना नहीं थी, बल्कि युद्ध के समय सेना का गठन किया जाता था। ग्राम स्थायी सेना का हिस्सा नहीं था, , बल्कि जब युद्ध का समय आता था, तो ये राजा की सहायता करता था। ग्रामणी ग्राम का प्रधान होता था, वह लड़ाकू दलों का प्रधान था।
कथन (2) और (4) सत्य हैं। व्रात, गण, ग्राम और सर्घ नाम से विदित विभिन्न कबीलाई टोलियाँ लड़ाई लड़ती थीं। इस काल में सैनिक तत्त्व प्रबल था।
7. ऋग्वैदिक कालीन सामाजिक संगठन 'जन' के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. जन में सदस्यों की कुल संख्या 100 से अधिक होती थी।
2. ऋग्वेद में जन शब्द का प्रयोग 275 बार हुआ है।
3. ऋचाओं में दो जनों की संयुक्त युद्ध क्षमता इक्कीस बताई गई है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) केवल 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- ऋग्वैदिक कालीन सामाजिक संगठन 'जन' के संबंध में कथन ( 2 ) और (3) सत्य हैं। विश के समूह को जन कहा जाता था। ऋग्वेद में 'जन' शब्द का उल्लेख 275 बार मिलता है, जबकि जनपद शब्द का उल्लेख एक बार भी नहीं मिलता। इस समय लोग कबीले के अंग थे, क्योंकि तत्कालीन समय में राज्यक्षेत्र या राज्य स्थापित नहीं हो पाया था। ऋग्वेद की एक पुरानी ऋचा में दो जनों की संयुक्त युद्ध क्षमता इक्कीस बताई गई है।
कारण (1) असत्य है, क्योंकि ऋग्वेद यह वर्णित है कि किसी भी जन में सदस्यों की संख्या कुल मिलाकर 100 से अधिक नहीं होती थी।
8. व्यवसाय के आधार पर समाज में विभेदीकरण आरंभ हुआ था, किंतु उन दिनों यह विभेदीकरण अधिक जटिल नहीं था। किसी परिवार का एक सदस्य कहता है- मैं कवि हूँ, मेरे पिता वैद्य हैं और मेरी माता चक्की चलाने वाली है, भिन्न-भिन्न व्यवसायों से जीवकोपार्जन करते हुए हम एक साथ रहते हैं। यह विवरण किस काल की सामाजिक व्यवस्था का अधिक स्पष्ट विवरण प्रस्तुत करता है ?
(a) ऋग्वैदिक काल
(b) उत्तर वैदिक काल
(c) पौराणिक काल
(d) मौर्योत्तर काल
उत्तर - (a)
व्याख्या- ऋग्वैदिक काल प्रश्न में वर्णित सामाजिक व्यवस्था का स्पष्ट विवरण प्रस्तुत करता है। ऋग्वैदिक काल में व्यवसाय के आधार पर समाज में विभेदीकरण आरंभ हो चुका था, किंतु यह अधिक स्पष्ट नहीं था। ऋग्वेद में एक विशिष्ट विवरण प्रस्तुत किया गया है, जिसमें एक युवा अपने माता-पिता के पृथक् व्यवसाय के बावजूद साथ रहने का जिक्र करता है। इससे यह तथ्य स्पष्ट होता है कि ऋग्वैदिक कालीन वर्ण व्यवस्था जन्म आधारित नहीं, बल्कि कर्म पर आधारित थी।
9. ऋग्वैदिक पारिवारिक संरचना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. परिवार पितृतंत्रात्मक प्रकृति का था।
2. परिवार में वीर पुत्रों के लिए देवता से प्रार्थना की जाती थी।
3. पुत्री की कामना का उल्लेख ऋग्वेद में नहीं मिलता है ।
4. प्रजा और पशु की कामना को हतोत्साहित किया गया है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 3 और 4 
(b) 2, 3 और 4
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- ऋग्वैदिक पारिवारिक संरचना के संबंध में कथन (1), (2) और (3) सत्य हैं।
ऋग्वैदिक समाज पितृतंत्रात्मक प्रकृति का था, जिसमें पिता परिवार का मुखिया होता था। परिवार की अनेक पीढ़ियाँ एक घर में साथ-साथ रहती थीं। निरंतर युद्ध में लगे पितृतंत्रात्मक समाज में लोग हमेशा वीर पुत्रों की प्राप्ति के लिए देवता से प्रार्थना करते थे। ऋग्वेद में पुत्री के लिए कामना कहीं भी व्यक्त नहीं की गई है।
कथन (4) असत्य है, क्योंकि ऋग्वेद में प्रजा (संतान) और पशु की कामना सूक्तों में बार-बार की गई है।
10. ऋग्वैदिक कालीन महिलाओं की स्थिति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. वे पतियों के साथ यज्ञ में आहुति नहीं दे सकती थीं।
2. उन्हें सूक्तों की रचना का अधिकार प्राप्त था।
3. बहुपति प्रथा का प्रचलन था।
4. बाल विवाह का प्रचलन था ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 2 और 3
(b) 1, 2 और 3
(c) 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर - (a)
व्याख्या- ऋग्वैदिक कालीन महिलाओं की स्थिति के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं ।
ऋग्वेद में महिलाओं की स्थिति सम्मानजनक थी। उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार था। उच्च शिक्षा प्राप्त कई महिलाओं ने अनेक सूक्तों एवं ऋचाओं की रचना की थी। इसमें लोपामुद्रा, घोषा आदि का नाम शामिल था। इस काल में बहुपति प्रथा का प्रचलन था। ऋग्वेद में नियोग प्रथा और विधवा-विवाह के प्रचलन का भी उल्लेख मिलता है।
कथन (1) और (4) असत्य हैं, क्योंकि ऋग्वेद में महिलाओं को पतियों के साथ यज्ञ में आहुति देने का अधिकार प्राप्त था। इस काल में बाल विवाह का कोई उदाहरण नहीं मिलता है।
11. ऋग्वेद के किस मंडल में सर्वप्रथम 'शूद्र' शब्द का उल्लेख एक वर्ण के रूप में हुआ है? 
(a) सातवें मंडल में 
(b) दसवें मंडल में
(c) आठवें मंडल में
(d) नौवें मंडल में
उत्तर - (b)
व्याख्या- 'शूद्र' शब्द का प्रयोग ऋग्वेद के दसवें मंडल में मिलता है। चूँकि 10वाँ मंडल बाद में जोड़ा गया था, अत: इससे प्रतीत होता है कि शूद्र शब्द का प्रयोग ऋग्वैदिक काल के अंत में प्रचलन में आया था।
ज्ञातव्य है कि ऋग्वेद में 10 मंडल हैं, जिनमें 2 से 7 तक प्राचीनतम अंश हैं। पहला और दसवाँ मंडल सबसे बाद में जोड़े गए हैं।
12. वैदिक काल में लोहे के उपयोग के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. भारत में लोहे का उपयोग 1000 ई. पू. से कुछ पहले प्रारंभ हुआ।
2. लोहे से बने औजारों से गंगा की घाटी के घने जंगलों को साफ किया गया।
3. लोहे के प्रयोग ने भारतीय उपमहाद्वीप में प्रथम नगरीकरण को जन्म दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- वैदिक काल में लोहे के उपयोग के संदर्भ में कथन (1) और (2) सत्य हैं।
उत्तर प्रदेश के अतरंजीखेड़ा में लोहे का प्रथम साक्ष्य 1000 ई. पू. आस-पास का था। लोहे की प्राप्ति के पश्चात् ऋग्वैदिक लोगों के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आया। लोहे से बने औजारों का प्रयोग कर आर्यों ने जंगलों को साफ कर अपना विस्तार गंगा घाटी तक कर लिया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि लोहे के प्रयोग ने भारतीय उपमहाद्वीप में द्वितीय नगरीकरण को जन्म दिया था। प्रथम नगरीकरण हड़प्पा सभ्यता को कहा जाता है।
13. ताँबे या काँसे के अर्थ में किस शब्द के प्रयोग से प्रकट होता है कि ऋग्वैदिक आर्यों को धातुकर्म की जानकारी थी?
(a) बलि 
(b) अयस
(c) आहुति
(d) ताम्रपत्र
उत्तर - (b)
व्याख्या- ताँबे या काँसे के अर्थ में अयस शब्द के प्रयोग से स्पष्ट होता है कि ऋग्वैदिक आर्यों को धातुकर्म की जानकारी थी। कृष्ण या श्याम अयस लोहे को कहा जाता था। ऋग्वैदिक लोग ताँबे को राजस्थान के खेतड़ी से आयात करते थे तथा इसमें टिन का मिश्रण कर कांस्य का निर्माण किया जाता था। इससे स्पष्ट होता है कि उन्हें धातुकर्म की जानकारी थी।
14. ऋग्वैदिक कालीन व्यापार एवं वाणिज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. ऋग्वेद में बढ़ई, रथकार, बुनकर आदि शिल्पियों के उल्लेख मिलते हैं।
2. व्यापार नियमित प्रकृति का था।
3. वैदिक जन का अधिक संबंध स्थल मार्ग से था। 
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- ऋग्वैदिक कालीन व्यापार एवं वाणिज्य के संबंध में कथन ( 1 ) और (3) सत्य हैं।
ऋग्वेद में विभिन्न शिल्पियों का उल्लेख मिलता है। इनमें बढ़ई, रथकार, बुनकर, चर्मकार, कुम्हार आदि प्रमुख रूप से शामिल थे। इससे ज्ञात होता है कि आर्य लोगों में इन सभी शिल्पों का प्रचलन था।
आर्यजन या वैदिक जन का अधिकांश व्यापार स्थल मार्ग से होता था, क्योंकि ऋग्वेद में उल्लिखित ‘समुद्र' शब्द मुख्यतः जलराशि का वाचक है। कथन (2) असत्य है, क्योंकि ऋग्वैदिक काल में नियमित व्यापार के होने का कोई प्रमाण नहीं मिलता है।
15. ऋग्वेद में निम्नलिखित में किस देवता की स्तुति को संगृहीत नहीं किया गया है? 
(a) नासत्य
(b) वरुण
(c) प्रजापति
(d) मित्र त्र
उत्तर - (c)
व्याख्या- ऋग्वेद में 'प्रजापति' की स्तुति को संगृहीत नहीं किया गया है। 'प्रजापति' देवता का महत्त्व उत्तरवैदिक काल में बढ़ गया था। ऋग्वैदिक कालीन देवता का ऋग्वेद में इंद्र का 250 बार, अग्नि का 200 बार, वरुण का 30 बार, रुद्र का 3 बार, बृहस्पति का 11 बार तथा पृथ्वी का 1 बार उल्लेख मिलता है। नासत्य, वरुण तथा मित्र की स्तुति को संगृहीत किया गया है।
16. वैदिक धर्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. वैदिक धर्म इहलौकिक था।
2. धर्म में यज्ञों की प्रधानता नहीं थी ।
3. उपासना की विधि स्तुति पाठ पर आधारित थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं? 
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- वैदिक धर्म के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं।
वैदिक धर्म पारलौकिकता में विश्वास नहीं करता था। यह इहलौकिक धर्म था। देवताओं की उपासना की मुख्य रीति स्तुति पाठ करना और यज्ञ बलि (चढ़ावा) अर्पित करना थी। ऋग्वैदिक काल में स्तुतिपाठ पर अधिक बल दिया गया था। स्तुति - पाठ सामूहिक भी होता था और अलग-अलग भी । सामान्यतः हर कबीले या गोत्र का अपना अलग देवता होता था। कथन (2) असत्य है, क्योंकि वैदिक धर्म में यज्ञों की मूल प्रधानता थी।

वेद

1. ऋग्वेद में इंद्र को 'पुरंदर' कहा गया है। पुरंदर का शाब्दिक अर्थ क्या है ? 
(a) शत्रुओं को पराजित करने वाला 
(b) दुर्गों को तोड़ने वाला
(c) वर्षा करने वाला
(d) दुर्ग की रक्षा करने वाला
उत्तर - (b)
व्याख्या- ऋग्वेद में इंद्र को 'पुरंदर' कहा गया है। पुरंदर का शाब्दिक अर्थ होता है— 'दुर्गों को तोड़ने वाला' । ऋग्वेद में सबसे अधिक प्रतापी देवता इंद्र थे। इंद्र को युद्धों में आर्यों का नेतृत्वकर्ता माना गया, जो अनार्यों के साथ युद्ध में आर्यों सहयोगी हैं।
2. पूर्व वैदिक आर्यों का प्रमुखतः धर्म था
(a) भक्ति 
(b) मूर्तिपूजा और यज्ञ
(c) प्रकृति पूजा और यज्ञ
(d) प्रकृति पूजा और भक्ति
उत्तर - (c)
व्याख्या- पूर्व वैदिक (ऋग्वैदिक कालीन) आर्यों का प्रमुखतः धर्म तथा पूजा-पद्धति प्रकृति पूजा और यज्ञ पर आधारित थे। ऋग्वेद में अनेक ऐसे देवता उद्धृत हैं, जिनका संबंध प्रकृति की विभिन्न शक्तियों का प्रतिरूप है।
देवताओं की उपासना की मुख्य रीति स्तुति पाठ तथा यज्ञबलि अर्पित करना था।
3. वैदिक ग्रंथों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. ऐतरेय ब्राह्मण ग्रंथ में ब्राह्मण की जीविका का वर्णन है।
2. मंत्रों के संग्रह को संहिता कहा जाता है।
3. वैदिक संहिताओं के बाद 'ब्राह्मण' ग्रंथ की रचना हुई ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- वैदिक ग्रंथों के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। ऐतरेय ऋग्वेद का ब्राह्मण ग्रंथ है। इसमें मुख्य रूप से ब्राह्मण की जीविका का वर्णन मिलता है। चारों वेदों को सम्मिलित रूप से संहिता कहा जाता है। ये मुख्यतः मंत्रों का संग्रह है। ब्राह्मण ग्रंथ की रचना संहिताओं की व्याख्या हेतु सरल गद्य में संहिताओं के बाद में की गई है। प्रत्येक वेद के लिए अलग-अलग ब्राह्मण ग्रंथ की रचना की गई है।

उत्तरवैदिक काल

1. भारतीय उपमहाद्वीप में उत्तरवैदिक काल का उदय कब हुआ था?
(a) 1500 ई. पू. से 600 ई. पू. के बीच
(b) 1000 ई. पू. से 600 ई. पू. के बीच
(c) 1500 ई. पू. से 1000 ई. पू. के बीच
(d) 800 ई. पू. से 200 ई. पू. के बीच
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारतीय उपमहाद्वीप में उत्तरवैदिक काल का उदय 1000 ई. पू. से 600 ई. पू. के बीच हुआ था। इस काल में ही सामवेद, यजुर्वेद एवं अथर्ववेद की रचना हुई थी। इसके अतिरिक्त ब्राह्मण ग्रंथों, आरण्यकों एवं उपनिषदों को रचना उत्तरवैदिक काल में ही हुई थी ।
2. उत्तरवैदिक काल में आर्यों के प्रसार के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इस काल में राज्य विस्तार पंजाब से बढ़कर कुरुक्षेत्र तक हो गया।
(b) गंगा-यमुना दोआब तक आर्य संस्कृति का विकास हुआ।
(c) पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत में वैदिक ग्रंथों की रचना हुई।
(d) इस संस्कृति का मुख्य केंद्र मध्य प्रदेश था।
उत्तर - (c)
व्याख्या- उत्तरवैदिक काल में आर्यों के प्रसार के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि उत्तरवैदिक कालीन वैदिक ग्रंथों की रचना पश्चिमोत्तर प्रांत में नहीं, बल्कि उत्तरी गंगा के मैदान में हुई थी।
इस युग में राज्य का विस्तार पंजाब से बढ़कर कुरुक्षेत्र (दिल्ली और गंगा यमुना दोआब का उत्तरी भाग) में आ गया था। इस संस्कृति का मुख्य केंद्र मध्य भारत बन गया। इसके अंतर्गत दिल्ली, पंजाब, पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत के भाग आदि शामिल थे।
3. उत्तरवैदिक काल में राजनीतिक संगठन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. राजा की शक्ति में वृद्धि हुई, वह स्थायी सेना रखने लगा ।
2. सभा तथा समिति की स्थिति में गिरावट दर्ज की गई।
3. इस काल में क्षेत्र के लिए राष्ट्र शब्द का प्रयोग नहीं होता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3 
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- उत्तरवैदिक काल में राजनीतिक संगठन के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
उत्तरवैदिक काल में राज्यों की आकार वृद्धि से राजा की शक्ति में वृद्धि हुई, उसके पास स्थायी सेना हो गई।
इस समय में ऋग्वैदिक जनता वाली सभा-समितियों की स्थिति में गिरावट दर्ज की गई। उनकी जगह राजकीय प्रभुत्व आ गए। विदथ का नामोनिशान नहीं रहा। कथन (3) असत्य है, क्योंकि राष्ट्र शब्द, जिसका अर्थ-प्रदेश या क्षेत्र होता है, प्रथम बार इसी समय मिलने लगा था।
4. उत्तरवैदिक काल की सामाजिक स्थिति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस काल में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त थे।
2. इस काल में महिलाओं को संपत्ति के अधिकार से वंचित कर दिया गया।
3. इस काल में महिलाएँ सभा, समिति तथा विदथ में भाग लेती थीं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1, 2 और 3
(c) केवल 1
(d) 1 और 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- उत्तरवैदिक काल की सामाजिक स्थिति के संबंध में कथन (1) और (3) असत्य हैं। उत्तर वैदिक काल में समाज में स्त्रियों की स्थिति में गिरावट दर्ज की गई। महिलाएँ अब अधिक स्वतंत्र नहीं थीं। उत्तर वैदिक ग्रंथों में पुत्री जन्म को अच्छा नहीं माना जाता था।
इस काल में सभा, समिति तथा विदथ में स्त्रियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी।
कथन (2) सत्य है। इस काल में स्त्रियों को संपत्ति के अधिकार से वंचित कर दिया गया।
5. उत्तरवैदिक समाज के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) आश्रम व्यवस्था स्थापित हो गई थी
(b) वर्ण व्यवस्था जटिल हो गई थी
(c) गोत्र व्यवस्था स्थापित हो गई थी
(d) क्षत्रिय वर्ण-व्यवस्था में उच्च हो गए
उत्तर - (d)
व्याख्या- उत्तरवैदिक समाज के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि उत्तरवैदिक काल में क्षत्रिय वर्ण-व्यवस्था में दूसरे स्थान पर पहुँच गए। उत्तरवैदिक समाज चार वर्णों में विभक्त था - ब्राह्मण, राजन्य या क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। यज्ञ का अनुष्ठान अत्यधिक बढ़ गया था, जिससे ब्राह्मणों की शक्ति में अपार वृद्धि हुई और वे वर्ण व्यवस्था में उच्च स्थान पर पहुँच गए।
6. उत्तरवैदिक कालीन देवताओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. प्रजापति सर्वोच्च देवता बन गए थे।
2. प्रजापति सृजन के देवता थे।
3. शूद्रों के देवता के रूप में 'पूषन' स्थापित हो गए।
उपर्युक्त में 'कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- उत्तरवैदिक कालीन देवताओं के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। उत्तरवैदिक काल में ऋग्वैदिक काल के प्रमुख देवता द्यौ और अग्नि की लोकप्रियता में गिरावट आई तथा उनका स्थान प्रजापति ने ले लिया। प्रजापति सृजन के देवता थे। पशुओं के देवता रुद्र ने इस काल में महत्ता पाई। विष्णु को वे लोग अपना पालक और रक्षक मानने लगे। लोग ऋग्वैदिक काल में अपने अर्द्ध- खानाबदोशी जीवन को छोड़कर स्थायी रूप से बस गए थे। इस काल में 'पूषन' शूद्रों के देवता के रूप में स्थापित हुए। 
7. उत्तरवैदिक काल की अर्थव्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस काल में जीविका का मुख्य साधन व्यापार था।
2. इस काल में जौं के साथ चावल और गेहूँ मुख्य फसल हो गयी।
3. इस काल में गैरिक मृद्भांड संस्कृति का विकास हुआ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य नहीं है ?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 3
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- उत्तरवैदिक काल की अर्थव्यवस्था के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य नहीं हैं, क्योंकि उत्तरवैदिक काल में जीविका का मुख्य साधन व्यापार नहीं, बल्कि कृषि एवं पशुपालन था।
इस काल में गैरिक मृद्भांड संस्कृति का नहीं, बल्कि चित्रित धूसर मृद्भांड संस्कृति का विकास हुआ था।
कथन (2) सत्य है, उत्तर वैदिक काल में जौ के साथ चावल और गेहूँ मुख्य फसल के रूप में स्थापित हुए।
8. उत्तरवैदिक काल में कृषि से संबंधित कथनों में कौन-सा सत्य नहीं है ?
(a) श्याम अयस से बने हल का प्रचलन प्रारंभ हुआ।
(b) 'शतपथ' ब्राह्मण में हल के संबंध में वर्णन मिलता है।
(c) श्याम अयस का संबंध ताँबा से था।
(d) इस काल में संगृहीत का कार्य कृषि कर एकत्रित करना था।
उत्तर - (c)
व्याख्या- उत्तरवैदिक काल में कृषि से संबंधित कथनों में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि श्याम अयस का संबंध ताँबे से नहीं, बल्कि लौह से है। वैदिक काल के अंतिम दौर में लोहे का ज्ञान पूर्वी उत्तर प्रदेश और विदेह में फैल गया था। इन प्रदेशों में जो सबसे पुराने लौह अस्त्र पाए गए हैं, वे ईसा पूर्व सातवीं शताब्दी के हैं और उत्तरवैदिक ग्रंथों में इस धातु को श्याम या कृष्ण अयस कहा गया है।
9. उत्तरवैदिक काल की धार्मिक स्थिति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. राजसूय यज्ञ पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता था।
2. अश्वमेध यज्ञ राज्य विस्तार के लिए किया जाता था।
3. वाजपेय यज्ञ दिव्य शक्ति के लिए किया जाता था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं ?
(a) केवल 3
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b) 49.
व्याख्या- उत्तरवैदिक काल की धार्मिक स्थिति के संबंध में कथन ( 2 ) सत्य है। अश्वमेध यज्ञ का आयोजन राज्य विस्तार के लिए किया जाता था। इस यज्ञ में राजा का घोड़ा छोड़ा जाता था। घोड़ा जिन-जिन क्षेत्रों से गुजरता था उन सभी क्षेत्रों पर राजा का एकछत्र राज्य माना जाता था। राजा राजसूय यज्ञ करता था, जिससे यह समझा जाता था कि उसे दिव्य शक्ति मिल गई। वह वाजपेय यज्ञ (रथदौड़) का आयोजन भी करता था, जो शौर्य प्रदर्शन एवं प्रजा के मनोरंजन हेतु किया जाता था।
10.उपनिषदों के संदर्भ में कथनों पर विचार कीजिए
1. इन ग्रंथों में यथार्थ विश्वास और ज्ञान को महत्त्व दिया गया है।
2. उपनिषदों ने आत्मा का ज्ञान प्राप्त करने पर बल दिया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- उपनिषदों के संदर्भ में दोनों कथन सत्य हैं। उत्तर वैदिक काल के अंत में 600 ई.पू. के आस-पास उपनिषदों की रचना हुई। इन दार्शनिक ग्रंथों में कर्मकांड की निंदा की गई है तथा यथार्थ, विश्वास तथा ज्ञान को महत्त्व दिया गया है।
उपनिषदों में कहा गया है कि अपनी आत्मा के ज्ञान को ठीक प्रकार से जानना चाहिए। आत्मा तथा परमात्मा के बीच संबंधों को उपनिषदों ने परिभाषित किया। इसमें आत्मा, जीव, जगत, ब्रह्म जैसे गूढ़ दार्शनिक मतों को समझाने का प्रयास किया गया है।
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Wed, 07 Feb 2024 07:33:54 +0530 Jaankari Rakho
NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | सिंधु घाटी सभ्यता https://m.jaankarirakho.com/861 https://m.jaankarirakho.com/861 NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | सिंधु घाटी सभ्यता

उद्भव एवं विस्तार

1. किस सभ्यता का उदय ताम्रपाषाणिक पृष्ठभूमि में भारतीय उपमहादेश के पश्चिमोत्तर भाग में हुआ था?
(a) कांस्ययुगीन हड़प्पा सभ्यता
(b) लौहयुगीन आर्य सभ्यता
(c) ताम्रपाषाणिक महापाषाण सभ्यता
(d) मेसोपोटामिया की सभ्यता
उत्तर - (a)
व्याख्या- कांस्ययुगीन हड़प्पा सभ्यता का उदय ताम्रपाषाणिक पृष्ठभूमि में भारतीय उपमहादेश के पश्चिमोत्तर भाग में हुआ था। हड़प्पा सभ्यता में सर्वप्रथम टिन तथा ताँबे को मिलाकर कांस्य का निर्माण किया गया था, इसलिए इसे कांस्ययुगीन सभ्यता कहा जाता है। ताम्रपाषाणिक पृष्ठभूमि में जितनी भी संस्कृतियों का विकास हुआ था, इनमें हड़प्पा संस्कृति कहीं अधिक विकसित थी ।
ताम्रपाषणिक पृष्ठभूमि का अर्थ उस युग से है, जब पत्थर और ताँबे का प्रयोग बहुतायत में होने लगा। ताम्रपाषाण अवस्था हड़प्पा की कांस्युगीन संस्कृति से पहले की है।
2. दयाराम साहनी द्वारा वर्ष 1921 में खोजी गई सिंधु घाटी सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता पड़ा,क्योंकि
(a) सर्वप्रथम इसकी खोज पाकिस्तान स्थित हड़प्पा नामक स्थल पर हुई थी ।
(b) सर्वप्रथम इसकी खोज पंजाब प्रांत में स्थित सिंधु नदी के तट पर हुई थी।
(c) इसका संबंध प्राक्-हड़प्पीय संस्कृति से था।
(d) इसका संबंध झुकर संस्कृति से था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- दयाराम साहनी द्वारा वर्ष 1921 में खोजी गई सिंधु घाटी सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता पड़ा। इस प्राचीन सभ्यता का विस्तार सिंधु घाटी से अलग क्षेत्रों में होने के कारण एक विशिष्ट पहचान के लिए इस सभ्यता का नामकरण हड़प्पा सभ्यता किया गया।
3. सिंधु घाटी सभ्यता के विस्तार से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उत्तर में इसका विस्तार जम्मू-कश्मीर के मांडा तक था।
2. दक्षिण में इसका विस्तार नर्मदा के मुहाने तक था।
3. पश्चिम में इसका विस्तार बलूचिस्तान के मकरान तक था।
4. पूर्व में इसका विस्तार गंगा घाटी तक था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 4 
(b) 1, 2 और 3
(c) 2, 3 और 4
(d) केवल 4
उत्तर - (b)
व्याख्या- सिंधु घाटी सभ्यता के विस्तार के संबंध में कथन (1), (2) और (3) सत्य हैं ।
सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार उत्तर में मांडा (जम्मू एवं कश्मीर) से लेकर दक्षिण में नर्मदा के मुहाने तक और पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरान समुद्र तट से लेकर उत्तर-पूर्व में मेरठ तक था । यह संपूर्ण क्षेत्र त्रिभुज के आकार का है तथा इसका पूरा क्षेत्रफल लगभग 1299600 वर्ग किलोमीटर है।
कथन (4) असत्य है, क्योंकि सिंधु घाटी सभ्यता का पूर्व में विस्तार गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आलमगीरपुर (मेरठ) तक था।
4. हड़प्पा स्थल गणेश्वर, जो राजस्थान में स्थित ताँबा आपूर्ति केंद्र था, का उत्खनन किसके निर्देशन में किया गया था?
(a) एच. डी. सांकलिया 
(b) ए. एन. घोष
(c) बी. एन. मिश्रा
(d) आर. सी. अग्रवाल
उत्तर - (d)
व्याख्या- गणेश्वर सभ्यता का उत्खनन आर.सी. अग्रवाल द्वारा वर्ष 1977 में करवाया गया था। गणेश्वर से उत्खनन में ताम्र युगीन उपकरण भी प्राप्त हुए। यह कांतली नदी के किनारे स्थित है। इसे हड़प्पाई स्थलों को ताँवा आपूर्ति केंद्र के रूप में जाना जाता था। यह सभ्यता राजस्थान में विकसित हुई थी, इसको 'पुरातत्व का पुष्कर' भी कहा जाता है। यहाँ से ताँबे का बाण एवं मछली पकड़ने का काँटा प्राप्त हुआ है। साथ ही यहाँ से काले एवं नीले रंग से अलंकृत मृपात्र मिले हैं

नगर योजना

1. हड़प्पाई नगरों की विशेषताओं में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन एक शामिल नहीं था? 
(a) नगरों के घर सामान्यतः दो या तीन मंजिल के होते थे।
(b) घर के आँगन के चारों ओर कमरे बनाए जाते थे।
(c) घरों में एक अलग स्नानघर होता था।
(d) कुछ घरों में कुएँ होते थे।
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (a) हड़प्पाई नगरों की विशेषताओं में शामिल नहीं था, क्योंकि हड़प्पाई नगरों में घर सामान्यतः दो या तीन मंजिला नहीं, बल्कि एक या दो मंजिला होते थे। घर के आँगन के चारों ओर कमरे बनाए जाते थे। अधिकांश घरों में एक अलग स्नानघर होता था और कुछ घरों में कुएँ भी होते थे। कई नगरों में मकानों के बाहर नाले ढके हुए होते थे। इन्हें सावधानी से सीधी लाइन में बनाया जाता था। हर नाली में हल्की ढलान होती थी ताकि पानी आसानी से बह सके।
2. हड़प्पा सभ्यता स्थलों में निर्मित सड़कों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मुख्य सड़क करीब दस मीटर चौड़ी होती थी।
2. सड़कों के दोनों ओर मकान बनाए जाते थे।
3. मकानों की नालियाँ सड़कों की नाली से मिली होती थी।
4. मुख्य सड़क को जनपथ कहा जाता था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1, 2 और 3
(c) 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर - (b)
व्याख्या- हड़प्पा सभ्यता स्थलों में निर्मित सड़कों के संबंध में कथन (1), (2) और (3) सत्य हैं।
हड़प्पा सभ्यता में सड़कें चौड़ी होती थीं। मुख्य सड़क करीब दस मीटर चौड़ी थी, जो आधुनिक नगरों की बड़ी-बड़ी सड़कों के बराबर है। सड़क के दोनों ओर मकान बनाए जाते थे। मकान ईंटों के बने होते थे और उनकी दीवारें मोटी तथा मजबूत होती थीं। दीवारों पर पलस्तर और रंग किया जाता था। मकानों की नालियाँ, सड़कों की नालियों से मिलती होती थीं।
कथन (4) असत्य है, क्योंकि मुख्य सड़क को जनपथ नहीं, बल्कि राजपथ कहा जाता था।
3. हड़प्पाई नगरीय योजना का सबसे महत्त्वपूर्ण स्थल विशाल स्नानागार था। इसके संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यह मोहनजोदड़ो तथा धौलावीरा में स्थित है।
(b) यह ईंटों के स्थापत्य का सुंदर उदाहरण है।
(c) स्नानागार में जल की आपूर्ति कुएँ से होती थी।
(d) विशाल स्नानागार धर्मानुष्ठान संबंधी स्नान के लिए बना था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि मोहनजोदड़ो एक मात्र हड़प्पाई स्थल है, जहाँ विशाल स्नानागार के प्रमाण मिले हैं।
विशाल स्नानागार ईंटों के स्थापत्य का सुंदर उदाहरण है। यह 11.88 मी लंबा, 7.01 मी चौड़ा और 2.43 मी गहरा है। दोनों सिरों पर तल तक सीढ़ियाँ बनी हुई थीं। बगल में कपड़े बदलने के लिए कमरे थे। स्नानागार का फर्श पक्की ईंटों का बना है। पास के कमरे में बड़ा-सा कुआँ है। इससे पानी निकालकर हौज में डाला जाता था। यह विशाल स्नानागार धर्मानुष्ठान संबंधी स्नान के लिए बनाया गया था।
4. निम्नलिखित में से कौन-सा प्राचीन नगर अपने उन्नत जल संचयन और प्रबंधन प्रणाली के लिए सुप्रसिद्ध है, जहाँ बाँधों की श्रृंखला का निर्माण किया गया था और संबद्ध जलाशयों में नहर के माध्यम से जल को प्रवाहित किया जाता था?
(a) धौलावीरा 
(b) कालीबंगा
(c) राखीगढ़ी
(d) रोपड़
उत्तर - (a)
व्याख्या- गुजरात के कच्छ जिले के भचाऊ में स्थित धौलावीरा एक ऐसा स्थल है, जो अपने उन्नत जल संचयन और प्रबंधन प्रणाली के लिए प्रसिद्ध था। धौलावीरा में जलाशयों का प्रयोग कृषि के लिए जल संचय हेतु किया गया था। बाँधों की श्रृंखला का निर्माण कर संबद्ध जलाशयों में नहर के माध्यम प्रवाहित किया जाता था। इसकी खोज आर. एस. बिष्ट ने वर्ष 1990-91 में की थी। यह हड़प्पा सभ्यता का चौथा विशालतम नगर है। जल
4. मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारत अन्नागार, अनाज रखने का 3 कोठार था, इसके संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह 45.71 मी लंबा तथा 15.23 मी चौड़ा था।
2. इसका तलक्षेत्र लगभग 838.1025 वर्ग मीटर था।
3. मोहनजोदड़ो के अतिरिक्त हड़प्पा से भी कोठार के साक्ष्य मिले हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारत कोठार की लंबाई 45.71 मी तथा चौड़ाई 15.23 मी है। इसका तलक्षेत्र लगभग 838.1025 वर्ग मीटर है। हड़प्पा के कोठारों के दक्षिण में खुला फर्श है और उस पर दो कतारों में ईंट के वृत्ताकार चबूतरे बने हुए हैं।
ध्यातव्य है कि इनका उपयोग फसल की निराई के कार्य के लिए होता था, क्योंकि फर्श की दरारों में गेहूँ और जौ के दाने मिले हैं। ये अन्न कोठार नदी के किनारे बनाए गए थे। नदियों के सहारे सुदूर क्षेत्रों से अनाज को लाकर इनमें एकत्रित किया जाता था।
मोहनजोदड़ो के अतिरिक्त हड़प्पा से भी कोठार के साक्ष्य मिले हैं।
5. हड़प्पा सभ्यता के समकालीन किस सभ्यता के भवनों में धूप में सुखाई गई ईंटों का ही प्रयोग हुआ था ? 
(a) मेसोपोटामिया की सभ्यता 
(b) मिस्र की सभ्यता
(c) बेबीलोन की सभ्यता
(d) चीन की सभ्यता
उत्तर - (b)
व्याख्या- हड़प्पा सभ्यता के समकालीन मिस्र की सभ्यता के भवनों में धूप में सुखाई गई ईंटों का प्रयोग हुआ है। इसके विपरीत हड़प्पा सभ्यता में आग में पकाई हुई पक्की ईंटों का प्रयोग होता था। इसका प्रमाण मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा मिलता है।
मिस्र की सभ्यता का विकास नील नदी के किनारे हुआ था। यहाँ नील नदी के आस पास की मिट्टी से साँचे में ढालकर ईंटों को बनाया जाता था। इन ईंटों को आग में पकाने के बजाय धूप में सुखाकर प्रयोग में लाया जाता था। इन ईंटों से मकानों का निर्माण किया जाता था।

प्रमुख स्थल

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, रोपड़ तथा कालीबंगा सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल हैं।
2. हड़प्पा के लोगों ने सड़कों तथा नालियों के जाल के साथ नियोजित शहरों का विकास किया।
3. हड़प्पा के लोगों को धातुओं के उपयोग का सही पता नहीं था।
उपर्युक्त में से कौन-से/सा कथन सत्य हैं/ है ?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में कथन (1) और (2) सत्य हैं। मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, रोपड़ तथा कालीबंगा सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल हैं। मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा वर्तमान में पाकिस्तान में अवस्थित हैं, जबकि रोपड़ (पंजाब) और कालीबंगा (राजस्थान) में स्थित है।
हड़प्पा की सड़कों तथा नालियों का निर्माण जाल (ग्रिड) की भाँति किया गया था, जो किसी नियोजित शहर के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि हड़प्पा के लोगों को विभिन्न धातुओं, धातुकर्म तथा धातुओं के उपयोग का पूरा ज्ञान था। वह सोने, चाँदी, ताँबा इत्यादि से परिचित थे। ताँबे के साथ टिन के मिश्रण से कांस्य निर्माण की भी उन्हें जानकारी थी।
2. मोहनजोदड़ो के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इसका अर्थ मृतकों का टीला होता है।
2. यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है।
3. गोदीबाड़ा, मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी विशेषता है।
4. मोहनजोदड़ो के निचले नगर में आवासीय भवनों के साक्ष्य मिलते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1, 2 और 3 
(b) 1, 2, 3 और 4
(c) 1, 2 और 4
(d) केवल 4
उत्तर - (c)
व्याख्या- मोहनजोदड़ो के संबंध में कथन (1), (2), (4) सत्य हैं। सिंधी भाषा में मोहनजोदड़ो शब्द का अर्थ- मृतकों का टीला होता है। मोहनजोदड़ो पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सिंधु नदी के दाएँ तट पर अवस्थित है। इस विशाल नगरीय संरचना के निम्न नगरों में आवासीय भवनों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। कथन (3) असत्य है, क्योंकि गोदीबाड़ा (आधुनिक बंदरगाह) मोहनजोदड़ो में नहीं बल्कि, लोथल में स्थित था।
3. मोहनजोदड़ो की नालियों के संबंध में किसने कहा था कि "निश्चित रूप से यह अब तक खोजी गई सर्वथा संपूर्ण प्राचीन प्रणाली है?"
(a) मार्टिमर व्हीलर 
(b) आर. एल. ऐंटिन
(c) अर्नेस्ट मैके 
(d) दयाराम साहनी
उत्तर - (c)
व्याख्या- मोहनजोदड़ो की नालियों के संबंध में अनेंस्ट मैके ने कहा था कि “निश्चित रूप से यह अब तक खोजी गई सर्वथा संपूर्ण प्राचीन प्रणाली है।” ये नालियाँ सड़क के किनारे बनीं हुई थीं। इन पर मैनहॉल बना होता था, जिसके माध्यम से नालों की सफाई होती थी। घरों से निकलने वाली नालियाँ मुख्य सड़क पर बनी नालियों में मिलती थीं।
4. प्रत्येक घर में ईंटों से बना अपना एक स्नानघर होता था, जिसकी नालियाँ दीवार के माध्यम से सड़क की नालियों से जुड़ी थीं। कुछ घरों में दूसरे तल या छत पर जाने हेतु बनाई गई सीढ़ियों के अवशेष मिले हैं। कई आवासों में कुएँ थे, जो अधिकांशतः एक ऐसे कक्ष में बनाए गए थे जिसमें बाहर से आया जा सकता था और जिनका प्रयोग संभवतः राहगीरों द्वारा किया जाता था। यह किस नगर की संरचना का विशिष्ट विवरण प्रस्तुत करता है ?
(a) मोहनजोदड़ो
(b) लोथल
(c) रोपड़
(d) कोटदीजी
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्रश्न में वर्णित विवरण का संबंध मोहनजोदड़ो से है। मोहनजोदड़ो का आवासीय विस्तार अन्य हड़प्पा स्थलों से विशिष्ट है। यहाँ आवासों का निर्माण एक विशिष्ट संरचना के अंतर्गत किया गया था, जिसमें घरों में स्नानघर तथा कुओं का निर्माण, इसकी विशिष्टता है।
5. धौलावीरा की वह अद्वितीय विशेषता कौन-सी है, जो अन्य किसी भी हड़प्पाई स्थल से नहीं मिलती ?
(a) नगर का त्रिस्तरीय विभाजन
(b) नगर का एकल स्वरूप
(c) नगर का द्विस्तरीय विभाजन
(d) उन्नत जल निकासी प्रणाली
उत्तर - (a)
व्याख्या- धौलावीरा का त्रिस्तरीय विभाजन इसकी अद्वितीय विशेषता है। त्रिस्तरीय विभाजन अन्य किसी भी हड़प्पा स्थल से नहीं मिलता। अन्य हड़प्पाकालीन नगर दो भागों (1) किला या नगर दुर्ग और (2) निचले नगर में विभाजित थे। किंतु इनसे भिन्न धौलावीरा तीन प्रमुख भागों में विभाजित था, जिनमें से दो भाग आयताकार किलेबंदी से पूरी तरह सुरक्षित थे, जबकि तीसरा भाग खुला हुआ था।
6. कालीबंगा के अतिरिक्त वह दूसरा हड़प्पाई स्थल कौन-सा है, जहाँ से दो सांस्कृतिक अवस्थाओं के साक्ष्य मिलते हैं?
(a) धौलावीरा 
(b) मोहनजोदड़ो
(c) बनावली
(d) चान्हूदड़ो
उत्तर - (c)
व्याख्या- कालीबंगा के अतिरिक्त बनावली वह दूसरा स्थल है, जहाँ से दो सांस्कृतिक अवस्थाओं के साक्ष्य मिलते हैं। पहली संस्कृति प्राक् हड़प्पा (हड़प्पा-पूर्व) तथा दूसरी संस्कृति हड़प्पाकालीन है। हरियाणा के हिसार जिले में स्थित इस पुरास्थल की खोज आर. एस. बिष्ट ने वर्ष 1973 में की थी। यहाँ से सिंधुकालीन मिट्टी के उत्कृष्ट बर्तन, सेलखड़ी की अनेक मुहरें और सिंधुकालीन विशिष्ट लिपि से युक्त मिट्टी की पकाई गई कुछ मुहरें मिली हैं। बनावली में जल निकासी प्रणाली, जो सिंधु सभ्यता की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता थी, का अभाव था।
7. हड़प्पाई स्थलों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. शोर्तुघई सुदूर अफगानिस्तान में स्थित था।
2. शोर्तुघई लाल रंग के लाजवर्द पत्थरों के लिए प्रसिद्ध था।
3. लोथल कार्नीलियन के लिए प्रसिद्ध था।
4. खेतड़ी अंचल राजस्थान में स्थित था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 3 और 4 दोनों
उत्तर - (b)
व्याख्या- हड़प्पाई स्थलों के संबंध में कथन (2) असत्य है, क्योंकि शोर्तुघई लाल रंग के लाजवर्द पत्थरों के लिए नहीं वरन् नीले रंग के लाजव (लाजवर्दमणि) के लिए प्रसिद्ध था। इसका आयात हड़प्पावासी सुदूर अफगानिस्तान में स्थित शोर्तुघई से करते थे। यह हड़प्पा सभ्यता का एक व्यापारिक केंद्र था। यहाँ स्थित 'सर-ए-संग' की खानों से लाजवर्दमणि प्राप्त की जाती थी। इसके अतिरिक्त यहाँ से टिन तथा सोना भी प्राप्त किया जाता था।

आर्थिक, सामाजिक तथा धार्मिक जीवन

1. हड़प्पा सभ्यता के संदर्भ में निम्नलिखित में कौन-सा कथन असत्य है? 
(a) यहाँ के लोगों ने सर्वप्रथम कपास का उत्पादन किया था।
(b) हड़प्पाई लोगों को लोहे का ज्ञान था।
(c) इस सभ्यता के लोग तिल और सरसों का उत्पादन करते थे।
(d) हड़प्पा सभ्यता को कांस्ययुगीन सभ्यता भी कहा जाता है ।
उत्तर - (b)
व्याख्या- हड़प्पा सभ्यता के संदर्भ में कथन (b) असत्य है, क्योंकि हड़प्पा सभ्यता के लोगों को लोहे का ज्ञान नहीं था।
भारत में लोहे का ज्ञान उत्तर वैदिक काल (1000 ई. पू.- 800 ई.पू.) के लोगों को हुआ। हड़प्पा सभ्यता के लोग ताँबा, टिन, कांस्य, सोना आदि से परिचित थे। वे टिन तथा ताँबे को मिलाकर कांस्य का निर्माण करते थे। यही कारण है कि सिंधु घाटी सभ्यता को कांस्ययुगीन सभ्यता भी कहा जाता है।
2. हड़प्पा सभ्यता की कृषि प्रौद्योगिकी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. खेत जोतने के लिए लोहे के हल का प्रयोग होता था।
2. हल को बैलों के द्वारा चलाया जाता था।
3. कालीबंगा में जुते हुए खेत का साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य नहीं है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- हड़प्पा सभ्यता की कृषि प्रौद्योगिकी के संदर्भ में कथन (1) सत्य नहीं है, क्योंकि खेत जोतने के लिए लोहे के हल का नहीं, बल्कि मिट्टी के हल का प्रयोग होता था। मिट्टी से बने हल के प्रतिरूपों की प्राप्ति बनावली से हुई है।
मुहरों पर वृषभ का रेखांकन तथा प्राप्त मृणमूर्तियों से ज्ञात होता है कि हड़प्पा निवासी खेत जोतने के लिए बैलों का प्रयोग करते थे। पुरातत्त्वविदों को कालीबंगा (राजस्थान) से जुते हुए खेत के साक्ष्य मिले हैं, जो हड़प्पा के आरंभिक स्तर से संबद्ध है।
3. मेसोपोटामिया से प्राप्त लेखों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. यहाँ के लेखों से दिलमुन, मगान तथ मेलुहा के आपसी संपर्कों की जानकारी मिलती है।
2. मेलुहा की पहचान हड़प्पा क्षेत्र से की गई है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- मेसोपोटामिया से प्राप्त लेखों के संदर्भ में दोनों कथन सत्य हैं। मेसोपोटामिया की सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन थी। यहाँ से प्राप्त तीसरी सहस्राब्दि ई.पू. के लेखों में दिलमुन, मगान तथा मेलुहा (संभवत: हड़प्पाई क्षेत्र) आपसी संपर्कों का विवरण मिलता है। मेलुहा की पहचान हड़प्पा सभ्यता के क्षेत्र से की गई है। इस स्थल से बाह्य व्यापार फारस की खाड़ी, मेसोपोटामिया, अफगानिस्तान एवं तुर्कमेनिस्तान से होता था।
4. निम्नलिखित में किस स्थान से मिली गोलाकार 'फारस की खाड़ी' प्रकार की मुहर पर हड़प्पाई चित्र अंकित मिले हैं?
(a) बहरीन
(b) ओमान
(c) बेबीलोनिया
(d) मेसोपोटामिया
उत्तर - (a)
व्याख्या- बहरीन से मिली गोलाकार 'फारस की खाड़ी' प्रकार की मुहर पर कभी-कभी हड़प्पाई चित्र अंकित मिलते हैं। बहरीन को मेसोपोटामियाई लेखों में दिलमुन कहा गया है।
दिलमुन के स्थानीय बाँट हड़प्पाई मानक का अनुसरण करते हुए प्रतीत होते हैं। इससे प्रमाणित होता है कि हड़प्पा का बहरीन के साथ व्यापारिक संबंध था।
'फारस की खाड़ी' प्रकार की मुहर का तात्पर्य ऐसी मुहर से है, जिसमें फारस की खाड़ी को चित्र के रूप में अंकित किया जाता था।
5. हड़प्पाई बाँटों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) बाँट का निर्माण सामान्यतः चर्ट नामक पत्थर से होता था।
(b) बाँट निशानरहित तथा घनाकार होते थे।
(c) इन बाँट का निचला मानदंड दशमलव प्रणाली पर आधारित था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर - (c)
व्याख्या- हड़प्पाई बाँटों के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि हड़प्पाई बाँटों का ऊपरी मानदंड दशमलव प्रणाली पर आधारित था। हड़प्पा काल में विनिमय बाँटों की एक सूक्ष्म या परिशुद्ध प्रणाली द्वारा नियंत्रित था। ये बाँट सामान्यत: चर्ट पत्थर के बने होते थे तथा सामान्यतः ये किसी भी तरह के निशान रहित घनाकार होते थे। इन बाँटों के निचले मानदंड द्विआधारी ( 1, 2, 4, 8, 16, 32 इत्यादि गुणज में) थे, जबकि ऊपरी मानदंड दशमलव प्रणाली का अनुसरण करते थे।
6. हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत होने वाले व्यापार के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. यहाँ विदेशी तथा आंतरिक दोनों व्यापार होते थे।
2. व्यापार के लिए धातु की मुहरों का प्रयोग होता था।
3. यहाँ का व्यापार वस्तु-विनिमय प्रणाली पर आधारित था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत होने वाले व्यापार के संदर्भ में कथन ( 1 ) और (3) सत्य हैं। वस्तुओं के आदान-प्रदान को वस्तु विनिमय प्रणाली कहा जाता है। यह हड़प्पा सभ्यता के व्यापार का मुख्य आधार था। हड़प्पा सभ्यता में होने वाले आंतरिक तथा बाह्य व्यापार दोनों में वस्तु विनिमय प्रणाली का उपयोग होता था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि हड़प्पा सभ्यता में व्यापार के लिए धातु का नहीं, बल्कि वस्तुओं के आदान-प्रदान का प्रयोग होता था।
7. हड़प्पाई संस्कृति में पशुपालन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) हड़प्पाई लोग बैल, भैंस, बकरी और भेड़ पालते थे।
(b) घोड़े के अस्तित्व का संकेत धौलावीरा से मिला है।
(c) कालीबंगा से घोड़े की अस्थि का अवशेष मिला है।
(d) हड़प्पाई लोग कूबड वाले साँड को अप्रिय मानते थे।
उत्तर - (a)
व्याख्या- हड़प्पाई संस्कृति में पशुपालन के संबंध में कथन (a ) सत्य है । हड़प्पाई लोग बैल, भैंस, बकरी, भेड़ आदि पालते थे। गाय और घोड़े को पालतू बनाए जाने का साक्ष्य हड़प्पा सभ्यता में नहीं मिलता है। घोड़े के अस्तित्व का संकेत मोहनजोदड़ो तथा लोथल की एक मूर्तिका (टेराकोटा) से मिलता है, लेकिन इसे बाह्य आक्रमण का प्रतीक माना गया है। यहाँ ऐसी कोई मूर्ति नहीं मिली है जिस पर गाय की आकृति खुदी हो, कूबड़ वाला साँड इस संस्कृति में विशेष महत्त्व रखता था।
8. निम्नलिखित में से कौन-से क्षेत्र शंख निर्मित वस्तुओं के निर्माण के प्रमुख केंद्र के रूप में प्रचलित थे ? 
(a) मुंडिगाक तथा मालवाड
(b) रंगपुर तथा बनावली
(c) नागेश्वर तथा बालाकोट
(d) राखीगढ़ी तथा कालीबंगन
उत्तर - (c)
व्याख्या- नागेश्वर (गुजरात) तथा बालाकोट (पाकिस्तान) दो ऐसे स्थल थे, जो शंख से निर्मित होने वाली वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध थे। ये दोनों समुद्र (नदी) के किनारे स्थित थे। ये शंख बनी वस्तुओं, जिनमें चूड़ियाँ, करछियाँ तथा पच्चीकारी की वस्तुएँ सम्मिलित हैं, के निर्माण के विशिष्ट केंद्र थे। यहाँ से बनी वस्तुओं को दूसरी बस्तियों तक ले जाया जाता था।
9. निम्नलिखित में से कौन-सा तथ्य सिंधु घाटी के निवासियों के सामुद्रिक व्यापार से संबंधित नहीं है 
(a) लोथल से एक गोदी या डॉकयार्ड की खोज
(b) एक मोहर पर जलयान का चित्र
(c) आयातित वस्तुओं की बहुतायत में उपस्थिति
(d) पश्चिमी एशियाई देशों के साथ हड़प्पाकालीन लोगों के वाणिज्यिक संबंध
उत्तर - (b)
व्याख्या- विकल्प (b) में दिया गया तथ्य सिंधु घाटी के निवासियों के सामुद्रिक व्यापार से संबंधित नहीं है। सिंधु घाटी सभ्यता में एक मोहर पर जलयान का चित्र मिलना सामुद्रिक व्यापार से संबंधित गतिविधियों का द्योतक नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग आंतरिक आवागमन के लिए जलयान (नाव) का प्रयोग करते थे।
लोथल से प्राप्त गोदी या डॉकयार्ड (बंदरगाह) का साक्ष्य, पश्चिमी एशियाई देशों से संपर्क तथा आयातित वस्तुओं की बहुतायत में हड़प्पाई स्थलों पर उपस्थिति इस बात का द्योतक है कि सिंधु सभ्यता के लोगों का सामुद्रिक व्यापार से संबंध था।
10. लगभग 7000 वर्ष पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप में कपास की खेती के साक्ष्य सर्वप्रथम किस स्थान से प्राप्त हुए हैं?
(a) चोलिस्तान
(b) गणेश्वर
(c) मेहरगढ़
(d) नागेश्वरम
उत्तर - (c)
व्याख्या- भारतीय उपमहाद्वीप के मेहरगढ़ नामक स्थल से लगभग 7000 वर्ष पूर्व के कपास की खेती के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। मेहरगढ़ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है। मेहरगढ़ पुरातात्त्विक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थान है। यहाँ नवपाषाण युग के बहुत से अवशेष प्राप्त हुए हैं। यह विश्व के उन स्थानों में से एक है जहाँ प्राचीनतम कृषि एवं पशुपालन से संबंधित साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। इन अवशेषों से पता चलता है कि यहाँ के लोग कपास, गेहूँ एवं जौ की खेती करते थे तथा भेड़, बकरी एवं अन्य जानवर पालते थे।
11. हड़प्पा सभ्यता में शवाधान से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. यहाँ शवाधान के अंतर्गत मृतकों को गर्तों में दफनाया जाता था।
2. 1980 के दशक में बनावली से मिले एक शवाधान में सूक्ष्म मनकों से बना एक आभूषण प्राप्त हुआ था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- हड़प्पा सभ्यता में शवाधान के संबंध में कथन (1) सत्य है।
हड़प्पा सभ्यता में शवाधान के अंतर्गत मृतकों को गर्तौ (गढ्डों) में दफनाए जाने का साक्ष्य मिला है। यह आंशिक समाधिकरण के अंतर्गत आता था। इस प्रक्रिया में शव को पशु-पक्षियों को खाने के लिए खुले में छोड़ दिया जाता था। उनके खाने के बाद बचे शेष भाग को गर्तों में दफना दिया जाता था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि 1980 के दशक के मध्य में बनावली से नहीं, बल्कि हड़प्पा से मिले एक शवाधान में सूक्ष्म मनकों से बना एक आभूषण मिला है।
12. फेयॉन्स के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. फेयॉन्स के छोटे पात्र कीमती माने जाते थे |
2. फेयॉन्स के पात्र सुगंधित द्रव्यों के पात्रों के रूप में प्रयोग होते थे।
3. फेयॉन्स के पात्र सभी स्थलों से प्राप्त हुए हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) केवल 1
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- फेयॉन्स के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
फेयॉन्स के छोटे पात्र संभवतः कीमती माने जाते थे, क्योंकि इन्हें बनाना कठिन था। विलासिता संबंधी वस्तु में फेयॉन्स के पात्र का प्रयोग सुगंधित द्रव्यों के पात्रों के रूप में किया जाता था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि फेयॉन्स के पात्र सभी स्थलों से प्राप्त न होकर अधिकांशतः मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से मिले हैं।
13. हड़प्पा संस्कृति के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है? 
(a) यहाँ का समाज मातृसत्तात्मक था।
(b) यूनीकॉर्न सबसे महत्त्वपूर्ण पशु था।
(c) राखीगढ़ी में मंदिर का साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
(d) मोहनजोदड़ो से पुजारी की मूर्ति मिली है।
उत्तर - (c)
व्याख्या- हड़प्पा संस्कृति के संदर्भ में कथन (c) असत्य है, क्योंकि किसी भी हड़प्पाई स्थल से मंदिर का साक्ष्य प्राप्त नहीं हुआ। भारतीय संस्कृति में मंदिर बनाने का प्रथम प्रमाण गुप्त काल से मिलता है। पुरास्थलों से प्राप्त मिट्टी की मूर्तियों, पत्थर की छोटी मूर्तियों, मुहरों आदि पर चित्रित चिह्नों से यह परिलक्षित होता है कि हड़प्पा में धार्मिक विचारधारा मातृदेवी, पशुपतिनाथ, योनि, लिंग, वृक्ष आदि की पूजा की जाती थी। धार्मिक दृष्टिकोण का आधार इहलौकिक तथा व्यावहारिक अधिक था।
14. हड़प्पा सभ्यता में प्रचलित परिधानों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. स्त्रियाँ छोटा घाघरा पहनती थीं, जो कमरबंद से कसा रहता था।
2. वस्त्र सूती एवं ऊनी दोनों तरह के पहने जाते थे।
3. आभूषणों का प्रयोग केवल महिलाएँ करती थीं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- हड़प्पा सभ्यता में प्रचलित परिधानों के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। हड़प्पा सभ्यता के लोग सूत कातकर वस्त्रों का निर्माण करते थे। ये वस्त्र ऊनी तथा सूती दोनों प्रकार के होते थे। महिलाएँ छोटा घाघरा पहनती थीं, जो कमरबंद से कसा रहता था। वे अपने बालों को भाँति-भाँति से गूंथती और कँघों से सजाती थीं।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि हड़प्पा सभ्यता में आभूषणों का प्रयोग पुरुष एवं महिलाएँ दोनों करते थे। आभूषण क्वार्ट्ज और सीप के बने होते थे। अमीर वर्ग के लोग सोने और चाँदी के बने आभूषण पहनते थे।
15. सिंधु घाटी के पुरुष देवता के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसके सिर पर तीन सींग हैं।
2. वह पद्मासन की मुद्रा में बैठा है।
3. मुहर पर चित्रित देवता को पशुपति महादेव बताया गया है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2 
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- सिंधु घाटी के पुरुष देवता के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। हड़प्पा सभ्यता में एक पुरुष देवता का साक्ष्य मिला है। उसके सिर पर तीन सींग हैं। वह एक योगी की ध्यान मुद्रा में एक टाँग पर दूसरी टाँग डाले बैठा (पद्मासन लगाए) दिखाया गया है। उसके चारों ओर एक हाथी, एक बाघ और एक गैंडा है। आसन के नीचे एक भैंसा है और पाँवों के समीप दो हिरण हैं। मुहरों पर चित्रित देवता की आकृति को पशुपति महादेव बताया गया है।

कला एवं शिल्प

1. हड़प्पा सभ्यता के शिल्प उत्पादन में मनकों के निर्माण में प्रयुक्त होने वाला कार्नीलियन कैसा होता था ? 
(a) सुंदर लाल रंग का 
(b) सुंदर काला रंग का
(c) सुंदर हरे रंग का
(d) सुंदर पीले रंग का
उत्तर - (a)
व्याख्या- हड़प्पा सभ्यता के शिल्प उत्पादन में मनकों के निर्माण में प्रयोग होने वाला कार्नीलियन सुंदर लाल रंग का होता था। कार्नीलियन एक प्रकार का पत्थर होता था। इसका प्रयोग मुख्य रूप से मनके बनाने के लिए किया जाता था। इस काल में मनके बनाने के लिए कार्नीलियन के अतिरिक्त जैस्पर, स्फटिक, क्वार्ट्ज, सेलखड़ी, शंख, पकी मिट्टी आदि का भी प्रयोग होता था। कुछ मनके दो या दो से अधिक पत्थरों को आपस में जोड़कर बनाए जाते थे।
2. हड़प्पा सभ्यता की लिपि के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. हड़प्पाई लिपि का सबसे पुराना नमूना वर्ष 1853 में मिला था।
2. संपूर्ण हड़प्पाई लिपि वर्ष 1923 में प्रकाश में आ गई थी।
3. हड़प्पाई लिपि पूरी तरह से सुमेरी भाषा से प्रेरित है।
4. यह एक भावचित्रात्मक लिपि है। 
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1, 2 और 4 
(b) 2, 3 और 4
(c) 2 और 4
(d) 1 और 4
उत्तर - (a) 
व्याख्या- हड़प्पा सभ्यता की लिपि के संबंध में कथन (1), (2) और (4) सत्य हैं। हड़प्पाई सभ्यता के निवासियों ने लेखन-कला का आविष्कार किया था। यद्यपि हड़प्पाई लिपि का सबसे पुराना नमूना वर्ष 1853 में मिला था और वर्ष 1923 तक पूरी लिपि प्रकाश में आ गई थी, किंतु वह अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी है। यह एक भावचित्रात्मक लिपि है। इस लिपि में कुल मिलाकर 250 से 400 तक चित्राक्षर (पिक्टोग्राफ) हैं और चित्र के रूप में लिखा हर अक्षर किसी ध्वनि, भाव या वस्तु का सूचक है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि हड़प्पाई लिपि पूरी तरह से सुमेरी भाषा से प्रेरित नहीं है। कुछ लोग सुमेरियाई भाषा से संबंध जोड़ते हैं, परंतु इसका संतोषप्रद परिणाम नहीं निकला।
3. हड़प्पा संस्कृति के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है? 
(a) काँसे की नर्तकी हड़प्पा मूर्तिकला का सर्वश्रेष्ठ नमूना है।
(b) काँसे की नर्तकी की वस्त्र सज्जा उत्कृष्ट है।
(c) कुछ प्रतिमाएँ प्रस्तर की बनी होती थीं।
(d) सेलखड़ी की एक मूर्ति के बाएँ कंधे तथा दाएँ हाथ के नीचे अलंकृत वस्त्र है।
उत्तर - (b)
व्याख्या- हड़प्पा संस्कृति के संबंध में कथन (b) असत्य है, क्योंकि हड़प्पा सभ्यता में मोहनजोदड़ो से, जो काँसे की मूर्ति मिली है उस पर वस्त्र सज्जा नहीं है, बल्कि पूरी मूर्ति गले में पड़े हार के अतिरिक्त नग्न अवस्था में है। काँसे की यह मूर्ति मूर्तिकला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। इसे नृत्य की अवस्था में बनाया गया है।
4. हड़प्पाई मृद्भांड के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. हड़प्पाई लोग कुम्हार के चाक का उपयोग कर मृद्भांड बनाते थे।
2. हड़प्पाई मृद्भांडों पर वृत्त या वृक्ष की आकृतियाँ मिलती हैं।
3. किसी भी हड़प्पाई मृद्भांड पर मनुष्य की आकृति का साक्ष्य नहीं मिला है ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- हड़प्पाई मृद्भांड के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। हड़प्पाई लोग कुम्हार के चाक का उपयोग करके मृद्भांड निर्मित करते थे तथा इन लोगों के अनेक बर्तनों पर विभिन्न रंगों की चित्रकारी देखने को मिलती है। हड़प्पाई मृद्भांडों पर सामान्यतः वृत्त या वृक्ष की आकृतियाँ देखने को मिलती हैं। कथन (3) असत्य है, क्योंकि कुछ हड़प्पाई मृद्धांडों पर मनुष्य की आकृति भी दिखाई देती है। इसका साक्ष्य मोहनजोदड़ो से प्राप्त मृद्भांड पर देखने को मिलता है।

सभ्यता का पतन

1. हड़प्पा सभ्यता के पतन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. हड़प्पा सभ्यता लगभग 2000 वर्षों तक जीवित रही।
2. 1500 ई. के आस-पास हड़प्पा सभ्यता का पतन हो गया।
3. पारिस्थितिकी परिवर्तन इस सभ्यता के पतन का मुख्य कारण था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- हड़प्पा सभ्यता के पतन के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं, परंतु 1 सत्य नहीं है, क्योंकि हड़प्पा सभ्यता 2000 वर्ष तक नहीं, अपितु 1000 वर्ष तक जीवित रही थी।
कार्बन डेटिंग पद्धति के अनुसार इसका काल 2350 ई. पू. से 1750 ई. पू. तक निर्धारित किया गया है। हड़प्पा सभ्यता बाद में उत्तर हड़प्पा संस्कृति में बदल गई। पुरातत्त्वविद् आरेल स्टाइन तथा ए.एन. घोष ने पर्यावरणीय परिस्थितियों तथा पारिस्थितिकी में बदलाव को हड़प्पा सभ्यता के पतन का सबसे बड़ा कारण माना।
2. हड़प्पा सभ्यता के पतन के लिए बाह्य व आर्यों के आक्रमण को किसने जिम्मेदार माना है?
(a) सर मार्टिमर व्हीलर
(b) आरेल स्टाइन 
(c) जॉन मार्शल
(d) के यू. आर. कनेडी 
उत्तर - (a)
व्याख्या- सर मार्टिमर व्हीलर ने हड़प्पा सभ्यता के पतन के लिए बाह्य व आर्यों के आक्रमण को जिम्मेदार माना है। मार्टिमर व्हीलर ने लिखा है- "ऋग्वेद में 'पुर' शब्द का उल्लेख है जिसका अर्थ है प्राचीर, किला या गढ़। आर्यों के युद्ध के देवता इंद्र को पुरंदर अर्थात् गढ़ ध्वंसक कहा गया है।" इसका अर्थ है कि आर्यों ने इंद्र के नेतृत्व में आक्रमण कर हड़प्पा सभ्यता के किलों को ध्वस्त कर दिया, जिसके कारण इस सभ्यता का पतन हो गया।
3. उत्तर हड़प्पा संस्कृति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इसमें शैलीगत एकरूपता समाप्त हो गई।
2. हड़प्पाई शैली में भारी विविधता आ गई।
3. इस संस्कृति में पत्थर और ताँबे के औजारों का उपयोग होता था।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- उत्तर हड़प्पा संस्कृति के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
उत्तर हड़प्पा संस्कृति का चरण लगभग 2000 से 1200 ई. पू. के बीच माना जाता है। इस चरण के आने से हड़प्पा कालीन सभ्यता का स्वतंत्र अस्तित्व धीरे-धीरे विलुप्त हो गया।
इस चरण की प्रमुख विशेषता थी कि शैलीगत एकरूपता समाप्त हो गई साथ ही हड़प्पाई शैली में भारी विविधता आ गई। इस संस्कृति में पत्थर और ताँबे के औजारों का उपयोग बढ़ा तथा कांस्य का उपयोग कम हो गया।
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Wed, 07 Feb 2024 06:37:51 +0530 Jaankari Rakho
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पाषाणकालीन संस्कृतियाँ

1. आदि मानव के द्वारा प्रयोग किए जाने वाले पशुओं की हड्डियों से बने औजारों का प्रमाण कहाँ से मिलता है ? 
(a) कश्मीर घाटी
(b) बोलन घाटी
(c) नेपाल की तराई
(d) ऊपरी गंगा के मैदान
उत्तर - (a)
व्याख्या- कश्मीर की घाटी में जानवरों (पशुओं) की हड्डियों से बने औजार और हथियार के प्रमाण मिले हैं। इस काल में आदिमानव ज्यादातर चकमक पत्थरों से बने औजारों का प्रयोग बहुतायत मात्रा में करते थे। पत्थर के बड़े टुकड़ों से हथौड़े, कुल्हाड़ियाँ और बसूले बनाए जाते थे। इन औजारों का प्रयोग आदिमानव पेड़ों की टहनियाँ काटने, जानवरों को मारने, जमीन खोदने आदि में करता था। चकमक पत्थर के आविष्कार ने आग उत्पन्न करने के अतिरिक्त अन्य कार्यों में आदि मानव को सुविधाएँ दीं।
2. आरंभिक पुरापाषाण काल के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इस काल में मानव खाद्य संग्राहक बना रहा
(b) इस काल में विदारणी एक प्रमुख औजार था
(c) इस युग के निवास स्थल सोहन घाटी से मिले हैं
(d) इस युग में खंडक का प्रयोग शिकार के लिए किया जाता था
उत्तर - (a)
व्याख्या- आरंभिक पुरापाषाण काल के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि आरंभिक पुरापाषाण काल के मानव खाद्य संग्राहक नहीं थे, इस युग का मानवअपना खाद्य कठिनाई से प्राप्त करता था और अधिकांशतः शिकार पर ही निर्भर था।
कुल्हाड़ी या हस्त-कुठार (हैंड- एक्स), विदारणी (क्लीवर) तथा खंडक (चॉपर) आदि हथियारों तथा औजारों का उपयोग होता था। इस युग के निवास स्थल सोहन घाटी से मिले हैं, जो वर्तमान में पाकिस्तान प्रांत में स्थित हैं, लेकिन अनेक स्थल कश्मीर और थार मरुस्थलीय क्षेत्रों में भी मिले हैं।
3. भारतीय पुरापाषाण युग को तीन अवस्थाओं में बाँटा जाता है। निम्नलिखित में से कौन उनमें शामिल नहीं है?
(a) निम्न पुरापाषाण युग
(b) महापाषाण युग
(c) मध्य-पुरापाषाण युग
(d) उत्तर- पुरापाषाण युग
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारतीय पुरापाषाण युग की तीन अवस्थाओं में महापाषाण युग शामिल नहीं है। भारतीय पुरापाषाण युग को मानव द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले पत्थर के औजारों और जलवायु परिवर्तन के आधार पर तीन अवस्थाओं में बाँटा जाता है- आरंभिक या निम्न पुरापाषाण युग, मध्य- पुरापाषाण युग, उत्तर पुरापाषाण युग।
4. पुरापाषाण युग के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) अधिकांश आरंभिक पुरापाषाण युग हिम युग से गुजरा है।
(b) आरंभिक पुरापाषाण के स्थल पाकिस्तान में पाए जाते हैं।
(c) आरंभिक पुरापाषाण के औजार बिहार के चिरांद में पाए गए हैं।
(d) हस्तकुठार द्वितीय हिमालयीय अंतर्हिमावर्तन के समय के जमाव में मिले हैं।
उत्तर - (c)
व्याख्या- पुरापाषाण युग के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि आरंभिक पुरापाषाण युग के औजार चिरांद से नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की बेलन घाटी (मिर्जापुर) से प्राप्त हुए हैं। चिरांद (बिहार) से नवपाषाण काल के पत्थर के औजार प्राप्त हुए हैं।
5. मध्य-पुरापाषाण युग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इस युग में उद्योग मुख्यत: पत्थर की पपड़ी से बनी वस्तुओं का था।
2. फलक, बेधनी, छेदनी तथा खुरचनी पपड़ी से बने औजार हैं।
3. इस युग में सूक्ष्म पाषाण (माइक्रोलिथ्स) औजारों का प्रयोग होता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- मध्य- पुरापाषाण युग के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं । मध्य पुरापाषाण युग में उद्योग मुख्यतः पत्थर की पपड़ी से बनी वस्तुओं का था। ये पपड़ियाँ संपूर्ण भारत में पाई गई हैं और इनमें क्षेत्रीय अंतर भी पाया गया है। इस युग के औजारों में पपड़ियों से बने विविध प्रकार के फलक, बेधनी, मुख्य छेदनी और खुरचनी आदि शामिल हैं। 
कथन (3) असत्य है, क्योंकि माइक्रोलिथ्स औजार मध्य पाषाण युग से संबंधित है न कि मध्य पुरापाषाण युग से।
6. मध्य पुरापाषाण काल में उस उद्योग को क्या कहते थे, जिसमें पत्थर के गोलों से वस्तुओं का निर्माण किया जाता था?
(a) मिसोलिथिक उद्योग
(b) बटिकाश्म उद्योग
(c) शैलाश्रय उद्योग
(d) मेगालिथ उद्योग
उत्तर - (b)
व्याख्या- मध्य-पुरापाषाण काल में पत्थर के गोलों से वस्तुओं के निर्माण की कला विकसित थी, जिसे सरल बटिकाश्म उद्योग के रूप में जाना जाता है। इस काल के स्थल उसी स्थान पर मिले हैं, जहाँ आरंभिक पुरापाषाण स्थल पाए गए हैं। इस युग की शिल्प सामग्री नर्मदा नदी के किनारे स्थित कई स्थानों पर तथा तुंगभद्रा नदी के दक्षिणावर्ती अनेक स्थानों पर पाई गई है।
7. आधुनिक प्रारूप में मानव (होमोसेपिएंस) का प्रादुर्भाव किस युग में हुआ था?
(a) उत्तर पुरापाषाणीय काल
(b) मध्य-पुरापाषाणीय काल 
(c) मध्य-पाषाण काल
(d) नव-पाषाण काल
उत्तर - (a)
व्याख्या- आधुनिक प्रारूप में मानव का प्रादुर्भाव उत्तर पुरापाषाणीय काल में हुआ। आधुनिक मानव को होमोसेपिएंस के नाम से जाना जाता है। इस युग में मानव के उपयोग हेतु गुफाओं का साक्ष्य भीमबेटका से मिला है। इस युग में फलक और तक्षणियों (ब्लेड्स और ब्यूरिन्स) के उपयोग के साक्ष्य आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश आदि क्षेत्रों से मिले हैं।
8. मध्य-पाषाण युग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह पुरापाषाण और नव-पाषाण के बीच का संक्रमण काल है।
2. इस युग में लोग शिकार करके, मछली पकड़कर और खाद्य वस्तुएँ एकत्रित कर पेट भरते थे।
3. इस युग में लोग पशुपालक बन गए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1, 2 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर -  (a)
व्याख्या- मध्य-पाषाण युग के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। प्रस्तर युगीन संस्कृति में 9000 ई. पू. में एक मध्यवर्ती अवस्था का प्रादुर्भाव हुआ, जो में मध्यपाषाण युग के रूप में जाना जाता है। यह पुरापाषाण युग और नवपाषाण युग के बीच का संक्रमण काल था। इस युग के लोग शिकार करके, मछली पकड़कर और खाद्य वस्तुओं को संग्रह कर अपना भोजन तैयार करते थे। कथन (3) असत्य है, क्योंकि मध्य पाषाण युग के लोग पशुपालक नहीं थे। पशुपालन नवपाषाण युग से प्रारंभ हुआ।
9. मनुष्य द्वारा खोजी गई प्रथम धातु ताँबा थी । इसमें किसके मिश्रण से कांस्य का निर्माण होता था ?
(a) टिन
(b) लोहा
(c) लाजवर्थ मणि
(d) सीसा
उत्तर - (a)
व्याख्या- मनुष्य द्वारा खोजी गई प्रथम धातु ताँबा थी। ताँबा और टिन के मिश्रण से काँसा का निर्माण होता है, क्योंकि यह एक मिश्रधातु है। ताँबा भारत में राजस्थान के खेतड़ी से प्राप्त किया जाता था और टिन का आयात बर्मा और मलय प्रायद्वीपों से किया जाता था। दक्षिण भारत में देवी प्रतिमाओं के निर्माण में कांसा का प्रयोग किया जाता था।
10. पुरापाषाण और मध्यपाषाण की कलाकृतियों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इस काल में पर्चिंग पक्षी आरंभिक चित्रों में नहीं पाए जाते थे।
(b) पर्चिंग अनाज पर जीने वाला प्रमुख पक्षी था।
(c) भीमबेटका चित्रकला की आदिम प्रस्तुति को उद्घाटित करता है।
(d) भीमबेटका वर्तमान में उत्तर प्रदेश में स्थित है।
उत्तर - (d)
व्याख्या- पुरापाषाण और मध्यपाषाण की कलाकृतियों के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि पुरापाषाण और मध्यपाषाण की कलाकृतियाँ भीमबेटका के शैलाश्रय से प्राप्त हुई हैं। यह स्थल वर्तमान उत्तर प्रदेश में नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश में स्थित है। यह स्थल विंध्य पर्वत के दक्षिण में स्थित है। यहाँ पर 500 से भी अधिक चित्रित गुफाएँ पाई गई हैं। इन गुफाओं के चित्र पुरापाषाण काल से लेकर मध्यपाषाण काल तक के हैं जिनमें बहुत सारे पशु, पक्षी और चित्र भी हैं। अनाज पर आश्रित रहने वाली पर्चिंग पक्षी के चित्र इन गुफाओं में नहीं मिले हैं। मानव
11. मध्य पाषाणिक प्रसंग में पशुपालन के प्रमाण जहाँ मिले हैं, यह स्थान है
(a) लंघनाज
(b) बीरभानपुर
(c) आदमगढ़ 
(d) चोपनी मांडो
उत्तर - (c)
व्याख्या- मध्य पाषाणिक प्रसंग में पशुपालन का सबसे प्राचीन प्रमाण आदमगढ़ से प्राप्त हुआ है। मध्य प्रदेश में आदमगढ़ तथा राजस्थान के बागोर जिले में पशुपालन की उन्नत अवस्था मौजूद थी। यह अवस्था 9000 ई.पू. से 4000 ई.पू. के मध्य मौजूद थी। आदमगढ़ में यहाँ के निवासियों की जीविका का आधार पशुपालन प्रतीत होता है। पशुपालकों के निवास स्थल के साक्ष्य भी यहाँ प्राप्त हुए हैं।
12. नवपाषाण काल के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इस युग के लोग पॉलिशदार पत्थर का प्रयोग करते थे ।
(b) लोग काँस्य की कुल्हाड़ी का प्रयोग करते थे।
(c) इस काल में सर्वप्रथम कृषि उत्पादन शुरू हुआ।
(d) इस काल में ही मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए चाक का उपयोग शुरू हुआ।
उत्तर - (b)
व्याख्या- नवपाषाण काल के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि नवपाषाण काल में काँसे की कुल्हाड़ी का प्रयोग नहीं किया जाता था, बल्कि पॉलिशदार पत्थर के औजारों और हथियारों का प्रयोग होता था। नवपाषाण काल कई महत्त्वपूर्ण कारणों से केंद्र में रहा, जिसमें कृषि उत्पादन, मिट्टी के बर्तन बनाने हेतु चाक का उपयोग, पशुपालन का प्रारंभ तथा आग का प्रारंभ आदि प्रमुख थे।
13. नवपाषाण काल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. गुफकराल से कृषि के साक्ष्य मिले हैं।
2. गुफकराल का अर्थ 'शिकारी की गुहा' होता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं? 
(a) केवल 1 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- नवपाषाण काल के संबंध में कथन (1) सत्य है। कश्मीर घाटी में नवपाषाणकालीन स्थान गुफकराल है, जहाँ के लोग कृषि और पशुपालन दोनों से परिचित थे। अत: यहाँ से कृषि के साक्ष्य मिले हैं।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि गुफकराल का अर्थ 'कुम्हार की गुफा' होता है न कि शिकारी की गुहा |
14. बिहार स्थित किस नवपाषाणिक स्थल से हड्डी के हथियार बड़ी संख्या में प्राप्त हुए हैं? 
(a) वज्जि 
(b) कुंडग्राम
(c) चिरांद
(d) चंपा
उत्तर - (c)
व्याख्या- बिहार के सारण जिले में अवस्थित चिरांद नामक नवपाषाण कालीन स्थल से हड्डी के हथियार बड़ी संख्या में प्राप्त हुए हैं। यहाँ से प्राप्त हड्डियों के औजारों की तिथि 2000 . पू. के आस-पास की थी। संभवतः यहाँ से मिले औजार को पहले नवपाषाण काल की श्रेणी में रखा गया है।
15. निम्नलिखित में से किस स्थान पर मानव के साथ कुत्ते को दफनाने का साक्ष्य मिला है ?
(a) बुर्जहोम
(b) कोलडिहवा 
(c) चोपानी मांडो
(d) मांडो 
उत्तर - (a)
व्याख्या- बुर्जहोम की कब्रों में मालिकों के साथ पालतू कुत्ते को दफनाने का साक्ष्य मिला है। उत्तर पश्चिम में कश्मीर घाटी में नवपाषाण संस्कृति का महत्त्वपूर्ण स्थल 'बुर्जहोम' है, जिसका अर्थ है- 'भुर्ज वृक्षों का स्थान' ।
पालतू कुत्तों को उनके मालिकों के साथ दफनाने की प्रथा भारत के अन्य किसी भाग में नवपाषाण युगीन लोगों में शायद नहीं थी।
16. यह बोलन दर्रे के पास एक हरा भरा समतल स्थान है, यहाँ के स्त्री-पुरुषों ने इस क्षेत्र में सबसे पहले जौ, गेहूँ उगाना तथा भेड़-बकरी पालना सीखा। कब्रों में मनुष्य के साथ बकरी को दफनाने से उनकी इस आस्था को बल मिलता है कि मृत्यु के बाद भी जीवन होता है? यह विवरण इस नवपाषाणिक स्थल का सटीक विवरण है 
(a) मेहरगढ़
(b) बुर्जहोम 
(c) गुफकराल
(d) कोटदीजी 
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्रश्न में वर्णित विवरण का संबंध मेहरगढ़ से है। मेहरगढ़ पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ईरान की सीमा के पास बोलन दर्रे के निकट है, यह एक समतल मैदानी क्षेत्र है। नवपाषाण काल में कृषि एवं पशुपालन का पहला साक्ष्य इस स्थान से प्राप्त हुआ है। यहाँ मृतकों के साथ कब्र में बकरी को दफनाने का भी साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
17. दाओजली हेडिंग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. यह ब्रह्मपुत्र की घाटी में स्थित था।
2. यहाँ से 'काष्ठाश्म' के औजार और बर्तन मिले हैं।
3. यहाँ से मूसल और खरल जैसे उपकरण प्राप्त हुए हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल
उत्तर - (c)
व्याख्या- दाओजली हेडिंग के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। दाओजली हेडिंग असम के कछार पर्वत के ऊपरी भाग में ब्रह्मपुत्र नदी घाटी में स्थित एक नवप्रस्तरकालीन स्थल है।
नवप्रस्तरकालीन मानव ने यहाँ उपलब्ध बलुआ पत्थर व शैल का उपयोग उपकरणों को बनाने में किया था। यहाँ से प्राप्त उपकरण अधिकांशतः इन्हीं दोनों पत्थरों से बनाए गए।
इस स्थल से प्राप्त मुख्य अवशेष पाषाण उपकरण हैं, जो क्वार्जाइट, बलुआ पत्थर, शैल व प्रस्तरीकृत लकड़ी पर निर्मित हैं। इनमें मूसल और खरल तथा काष्ठाश्म के औजार व बर्तन शामिल हैं।
18. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. नवपाषाण काल में कुत्ते को सबसे पहले पालतू बनाया गया था।
2. महागढ़ा और पैच्चमपल्ली से कृषि कार्य के साक्ष्य मिले हैं।
3. नवपाषाण काल के लोग कपड़े बुनने लगे थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। पाषाणकालीन लोगों ने संभवतः अपने घरों के आस-पास चारा रखकर जंतुओं को पालतू बनाया। सबसे पहले इनके द्वारा कुत्ते को पालतू बनाने के बारे में साक्ष्य प्राप्त होते हैं। तत्पश्चात् भेड़ और बकरी को पालतू बनाए जाने की चर्चा सामने आती है। नवपाषाणकालीन स्थल से कृषक और पशुपालकों के बारे में भी जानकारी प्राप्त होती है।
भारत के पश्चिमोत्तर क्षेत्र, आधुनिक कश्मीर, पूर्वी तथा दक्षिण भारत ऐसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र हैं जहाँ से कृषकों और पशुपालकों के साक्ष्य मिले हैं। महागढ़ा (उत्तर-प्रदेश) और पैच्चमपल्ली (तमिलनाडु) ऐसे नवपाषाणकालीन स्थल थे, जहाँ से कृषकों के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
नवपाषाण काल में कपास उगाए जाने के संबंध में पता चला है, जिससे यह प्रतीत होता है कि लोग कपड़ा बुनने का कार्य भी करते थे।
19. नवपाषाणिक मिश्रित कृषि के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. खेती वाले मनुष्य अनिवार्य रूप से पशुपालन करते थे।
2. कृषि के साथ पशुपालन को मिश्रित कृषि की संज्ञा दी गई ।
3. फसल काटने के पश्चात् तुरंत सारा अनाज खत्म कर दिया जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3 
(c) 1, 2 और 3 
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- नवपाषाणिक मिश्रित कृषि के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। नवपाषाण काल में पशुपालन और कृषि दोनों साथ की जाने लगी थी, तत्पश्चात् मिश्रित की शुरुआत हुई। संभवतः इस काल में पानी की निकटता वाले क्षेत्रों का पशु बाहुल्य के कारण मनुष्य ने उनका अध्ययन किया और कृषि कार्य के पश्चात् फसलों की भूसी को उनके आहार के रूप में उपयोग करने लगे, जिससे दोनों कार्य साथ-साथ किए जाने लगे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि नवपाषाण काल में फसल काटने के तुरंत बाद सारा अनाज समाप्त नहीं किया जाता था, बल्कि उसे अगली उपज तक चलाया जाता था और उसमें से कुछ बोने के लिए बीज के रूप में भी आवश्यकतानुसार अनाज को बचाकर रखा जाता था।
20. नवपाषाणकालीन लोगों के धार्मिक विश्वास के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मृत व्यक्तियों को हथियार, बर्तन तथा खाने-पीने की चीजों के साथ दफनाया जाता था।
2. मृत पूर्वजों के शव जमीन में दफना देने से उनकी आत्माएँ फसलों के बढ़ने में मदद देती हैं।
3. नवपाषाण काल के लोगों का कुल-चिह्नों में विश्वास था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- नवपाषाणकालीन लोगों के धार्मिक विश्वास के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। मृत व्यक्तियों को दफनाने के तरीकों से नवपाषाणकालीन लोगों के धार्मिक विश्वासों के विषय में जानकारी मिलती है। मृत व्यक्तियों को हथियार, मिट्टी के बर्तन तथा खाने-पीने की वस्तुओं के साथ कब्रों में दफनाया जाता था। ऐसा विश्वास था कि मरने के बाद भी व्यक्तियों को इन वस्तुओं की जरूरत पड़ेगी।
नवपाषाण काल में कब्रों का महत्त्व पहले की अपेक्षा अधिक हो गया था, क्योंकि इस समय कृषि का प्रचलन शुरू हो गया था और लोग आखेटक से खाद्य संग्राहक की ओर प्रेरित होने लगे। संभवतः इन्हीं कारणों से उस काल के लोगों की यह धारणा बन गई थी कि जिन मृत पूर्वजों के शव जमीन के नीचे गढ़े . हुए हैं, उनकी आत्माएँ फसलों के बढ़ने में सहायता देती हैं।
नवपाषाण काल में इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि इन लोगों का कुल चिह्नों में विश्वास था । यदि कोई जाति या साथ-साथ रहने वाले परिवारों का कोई समूह किसी पशु या पौधे की आकृति को अपनी जाति या समूह का चिह्न मान लेता था, तो उसे जाति या समूह का कुल चिह्न कहा जाता था।
21. निम्नलिखित में से कौन-सी घटना नवपाषाण काल से संबंधित है?
(a) आंवा में मिट्टी के बर्तन बनाना
(b) चिकने पत्थर के औजार बनाना
(c) पहिए का आविष्कार
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- नवपाषाण काल को कृषि का आरंभ, मिश्रित कृषि का विकास, बस्तियों का विकास, चिकने पत्थर के औजार बनाना, आंवा में मिट्टी के बर्तन बनाना, पहिए का आविष्कार तथा कातने और बुनने की कला का प्रारंभ आदि प्रक्रियाओं के प्रारंभ हेतु जाना जाता है।
विश्वस्तरीय संदर्भ में नवपाषाण युग 9000 ई.पू. में आरंभ होता है, वहीं भारतीय उपमहाद्वीप में इसकी शुरुआत 7000 ई.पू. से मानी जाती है।

ताम्रपाषाण कृषक संस्कृतियाँ

1. ताम्रपाषाण युग के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इसे चाल्कोलिथिक कहा जाता है।
(b) यह पत्थर और ताँबे के उपयोग की अवस्था है।
(c) तकनीकी दृष्टि से ताम्रपाषाण अवस्था हड़प्पा की कांस्ययुगीन संस्कृति के बाद की है।
(d) यहाँ के लोग ग्रामीण समुदाय बना कर रहते थे।
उत्तर - (c)
व्याख्या- ताम्रपाषाण युग के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि तकनीकी दृष्टि से ताम्रपाषाण अवस्था हड़प्पा की कांस्ययुगीन संस्कृति से पहले की है न कि बाद की। नवपाषाण युग के अंत होने के साथ ही धातुओं का प्रयोग प्रारंभ हो गया। धातुओं में सबसे पहले ताँबा का प्रयोग प्रारंभ हुआ।
कई संस्कृतियों का जन्म पत्थर और ताँबे के उपकरणों का साथ-साथ प्रयोग करने के कारण हुआ। इन संस्कृतियों को ताम्रपाषाणिक (चाल्कोलिथिक) कहते हैं, जिसका अर्थ है- पत्थर और ताँबे के उपयोग की अवस्था । वे लोग मुख्यत: ग्रामीण समुदाय बनाकर रहते थे और देश के ऐसे विशाल भागों में फैले थे, जहाँ पहाड़ी और नदियाँ विद्यमान थीं।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अहार और गिलुंद ताम्रपाषाणिक स्थल हैं।
2. मालवा मृद्भांड ताम्रपाषाणिक मृद्भांडों में उत्कृष्टतम माना जाता है। 
3. पश्चिमी महाराष्ट्र में इनामगाँव एक वृहत्तर ताम्रपाषाणिक स्थल है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। अहार और गिलुंद से ताँबे की वस्तुएँ बहुतायत में मिली हैं, यह राजस्थान में स्थित है। अहार का प्राचीन नाम तांबवती अर्थात् तांबावाली जगह है। अहार संस्कृति का काल संभवतः 2100 और 1500 ई. पू. के बीच का है और गिलुंद इसी संस्कृति का स्थानीय केंद्र था, गिलुंद से ताँबे के टुकड़े प्राप्त हुए हैं।
पश्चिमी मध्य प्रदेश में स्थित मालवा मृद्भांड ताम्रपाषाणिक मृद्भांडों में उत्कृष्टतम माना जाता है, जो उसकी विलक्षणता को दर्शाता है। इनामगाँव पश्चिमी महाराष्ट्र में आरंभिक ताम्रपाषाणिक स्थल है, यह ताम्रपाषाण युग की सबसे बड़ी बस्ती है ।
3. भारत में ताम्रपाषाण अवस्था की बस्तियाँ निम्नलिखित में से कहाँ नहीं मिलतीं?
(a) दक्षिण-पूर्वी राजस्थान
(b) मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग
(c) पश्चिमी महाराष्ट्र
(d) ऊपरी गंगा यमुना दोआब
उत्तर - (d)
व्याख्या- भारत में ताम्रपाषाण अवस्था की बस्तियाँ ऊपरी गंगा यमुना दोआब क्षेत्र में नहीं मिलती हैं, बल्कि इस अवस्था की बस्तियाँ दक्षिण-पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग तथा दक्षिण-पूर्वी भारत और पश्चिमी महाराष्ट्र में पाई गई हैं। अहार, गिलुंद, मालवा, कायथा, एरण आदि इस प्रकार के उदाहरण हैं।
4. जोरवे संस्कृति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. जोरवे एक नगरीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है ।
2. यह कोंकण के तट प्रदेश में फैली थी।
3. इनामगाँव में नगरीकरण के प्रमाण मिलते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- जोरवे संस्कृति के संबंध में कथन (3) सत्य है । जोरवे संस्कृति की कई बस्तियों में से प्रमुख दैमाबाद और इनामगाँव नगरीकरण के स्तर तक पहुँच चुकी थी, जिसके प्रमाण इन ताम्रपाषाण कालीन स्थलों से प्राप्त होते हैं।
कथन (1) और (2) असत्य हैं, क्योंकि जोरवे संस्कृति मुख्यतः एक ग्रामीण संस्कृति थी, जिसका प्रादुर्भाव 1400-700 ई. पू. के आस-पास विदर्भ के कुछ भाग तथा कोंकण तट प्रदेशों के समूचे महाराष्ट्र में हुआ था।
5. निम्नलिखित में से किस स्थल को तांबवती (तांबावाली ) कहा जाता है ? 
(a) अहार
(b) ताराडोर
(c) महिषादल
(d) खैराडीह
उत्तर - (a)
व्याख्या- अहार को तांबवती ( तांबावाली) के नाम से जाना जाता है, यह अहार का प्राचीन नाम था। अहार राजस्थान की बनास घाटी के शुष्क क्षेत्र में स्थित एक ताम्रपाषाणिक स्थल है, जहाँ से ताम्रपाषाणिक बस्तियों के प्रमाण भी मिले हैं।
6. ताम्रपाषाण युग की जीवन शैली के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. ताम्रपाषाण युग में लोग आभूषण और सजावट के शौकीन थे।
2. स्त्रियाँ सीपियों तथा हड्डियों के आभूषण पहनती थीं।
3. स्त्रियाँ बालों में सुंदर कंघियाँ लगाए रखती थीं ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- ताम्रपाषाण युग की जीवन शैली के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। ताम्रपाषाण युग के लोगों को जंगली जंतुओं और कष्टदायक मौसम से आजादी मिली, जिसके कारण उनके पास पर्याप्त समय था दूसरे कार्यों के लिए और इन कार्यों में उन लोगों ने आभूषण बनाने की कला पर ध्यान दिया और इसी कारण वे लोग आभूषण और सजावट के शौकीन होते गए। स्त्रियाँ सीपियों तथा हड्डियों के आभूषण पहनने लगीं और बालों में सुंदर कंघियाँ लगाने लगीं।
7. ताम्रपाषाण संस्कृति के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) ताम्रपाषाण काल में कपास की खेती की जाती थी।
(b) इस काल के लोग काले व लाल मृद्भांड का प्रयोग नहीं करते थे।
(c) इस काल के लोग पक्की ईंटों से परिचित नहीं थे।
(d) महाराष्ट्र में सेमल की रूई के धागे प्राप्त हुए हैं।
उत्तर - (b)
व्याख्या- ताम्रपाषाण संस्कृति के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि ताम्रपाषाण कालीन संस्कृति के लोग काले-व-लाल मृद्भांड का प्रयोग करते थे। इनका प्रयोग दूसरी शताब्दी ई.पू. में बड़े पैमाने पर होता था। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई स्थलों से चित्रित मृद्धांडों के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
8. ताम्रपाषाणिक संस्कृति में निम्नलिखित में से किस पशु का साक्ष्य प्राप्त नहीं होता?
(a) गाय
(b) सुअर
(c) घोड़ा
(d) ऊँट
उत्तर - (c)
व्याख्या- ताम्रपाषाण संस्कृति घोड़े का साक्ष्य प्राप्त नहीं होता है। संभवतः इस संस्कृति के लोग घोड़े से परिचित नहीं थे। दक्षिण-पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, पश्चिमी महाराष्ट्र तथा अन्यत्र कई ताम्रपाषाणिक स्थलों से पशुपालन और खेती करने का साक्ष्य प्राप्त हुआ है। इस युग के लोग गाय, भेड़, बकरी, सूअर और भैंस से परिचित थे। वे हिरण का शिकार करते थे। कई स्थलों से ऊँट के भी अवशेष प्राप्त हुए हैं।
9. ताम्र पाषाण युग की कब्रों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. महाराष्ट्र के लोग मृतक को कलश में रखकर कब्रिस्तान में दफनाते थे।
2. मृतकों के साथ ताँबे की वस्तुओं को भी दफनाया जाता था।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- ताम्र पाषाण युग की कब्रों के संबंध में कथन (2) सत्य है। ताम्रपाषाण संस्कृति की कई बस्तियों से शव-संस्कारों तथा पूजा पद्धति के संबंध में जानकारी प्राप्त होती है। इस काल में हड़प्पा संस्कृति की तरह अलग-अलग कब्रिस्तान नहीं होते थे। महाराष्ट्र के लोग कब्र में मिट्टी की हड्डियों के साथ-साथ ताँबे की कुछ वस्तुओं को रखते थे, जिसका प्रचलन इस काल में देखा जाता है।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि महाराष्ट्र के लोग मृतक को कलश में रखकर कब्रिस्तान में नहीं, बल्कि अपने घर के फर्श के अंदर उत्तर-दक्षिण दिशा में दफनाते थे।
10. ताम्रपाषाण कालीन धार्मिक जीवन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) वे मातृ देवी की पूजा करते थे।
(b) यहाँ से कच्ची मिट्टी की नग्न मूर्तियों की पूजा के प्रमाण मिलते हैं।
(c) शेर धार्मिक पंथ का प्रतीक था।
(d) मालवा में वृषभ मूर्तिकाएँ प्राप्त हुई हैं।
उत्तर - (c)
व्याख्या- ताम्रपाषाण कालीन धार्मिक जीवन के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि ताम्रपाषाण कालीन संस्कृति की मालवा और राजस्थान में मिली रूढ़ शैली में बनी मिट्टी की वृषभ- मूर्तिकाएँ यह संकेत करती हैं कि वृषभ (साँड) धार्मिक पंथ का प्रतीक था, न कि शेर ।
11. ताम्रपाषाण काल के संबंध में निम्नलिखित कथनों में कौन सत्य नहीं है? 
(a) ताम्रपाषाण अवस्था में अनाज भवन, मृद्भांड में क्षेत्रीय समानता थी।
(b) पूर्वी भारत चावल उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था।
(c) नवदाटोली में सबसे अधिक अनाज के भंडार पाए गए हैं।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- ताम्रपाषाण काल के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि ताम्रपाषाण अवस्था में अनाज, न, मृद्भांड आदि में क्षेत्रीय समानता के स्थान पर क्षेत्रीय अंतर प्रतीत होता है। एक ओर जहाँ पूर्वी भारत में चावल की खेती बहुतायत में की जाती थी, तो वहीं दूसरी ओर पश्चिमी भारत में जौ और गेहूँ बहुतायत में उगाए जाते थे।
गेहूँ, चावल, बाजरा, उड़द, मसूर, मूँग और मटर आदि अनाज महाराष्ट्र में नर्मदा नदी पर स्थित नवदाटोली स्थल से प्राप्त हुए हैं अर्थात् यहाँ से सबसे अधिक अनाज के भंडार पाए गए हैं।
12. किस ताम्रपाषाणिक स्थल से एक ऐसी पिंडिका मिली है, जो सिंधु-टाइप से मिलती-जुलती है ? 
(a) अलवर
(b) मेहरगढ़ 
(c) गणेश्वर
(d) नवदाटोली 
उत्तर - (c)
व्याख्या- राजस्थान में स्थित गणेश्वर ताम्रपाषाण कालीन स्थल से ऐसी पिंडिका मिली है, जो सिंधु टाइप से मिलती-जुलती है।
अनेक प्रकार की प्राक् हड़प्पीय ताम्रपाषाण संस्कृतियाँ सिंध, बलूचिस्तान, राजस्थान आदि प्रदेशों में कृषक समुदायों के प्रसार में प्रेरणा स्रोत बनी और उनसे हड़प्पा की नगर सभ्यता के उदय हेतु अनुकूल अवसर बना। इसी दृष्टि से राजस्थान का कालीबंगा और गणेश्वर स्थल प्रमुख रूप से सिंधु टाइप दिखाई पड़ते हैं।
13. कायथा संस्कृति के संबंध में निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यह लगभग 2000-1800 ई. पू. तक विकसित रही ।
(b) यह हड़प्पा संस्कृति की कनिष्ठ समकालीन है।
(c) इसके मृद्धांडों में प्राक्-हड़प्पाई लक्षण नहीं दिखते हैं ।
(d) इस पर हड़प्पाई प्रभाव दिखाई देते हैं।
उत्तर - (c)
व्याख्या- कायथा संस्कृति के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है। यह संस्कृति, प्राक्-हड़प्पाई और हड़प्पोत्तर ताम्रपाषाण संस्कृति तथा हड़प्पा संस्कृति की समकालीन ताम्रपाषाण संस्कृति है, जो उत्तरी, पश्चिमी और मध्य भारत में पाई जाती है। इस संस्कृति के मृद्भांडों में कुछ प्राक्-हड़प्पाई लक्षण दिखाई देते हैं। साथ ही इस पर हड़प्पाई प्रभाव दिखाई पड़ता है। यह संस्कृति लगभग 2000-1800 ई. पू. में विकसित हुई थी।
14. निम्नलिखित में से कौन-सी संस्कृति हड़प्पा संस्कृति से पृथक् मानी जाती है? 
(a) मालवा संस्कृति
(b) जोरवे संस्कृति 
(c) गैरिक मृद्भांड संस्कृति
(d) ताम्रपाषाणिक संस्कृति 
उत्तर - (c) (a)
व्याख्या- मालवा संस्कृति हड़प्पा संस्कृति से पृथक् मानी जाती है, यह एक ताम्रपाषणिक बस्ती है। यहाँ से उत्कृष्ट ताम्र पाषाण के मृद्भांड मिलते हैं। मालवा संस्कृति का काल 1700-1200 ई.पू. माना जाता है, यह पश्चिमी मध्य प्रदेश में स्थित है।
15. ताम्रपाषाण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. जलोढ़ मिट्टी वाले मैदानों में ताम्रपाषाणिक अवशेष मिले हैं।
2. ताम्रपाषाणिक लोगों ने अधिकतर नदी-तटों पर पहाड़ियों से कम दूरी पर गाँव बसाए ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो
उत्तर - (b)
व्याख्या- ताम्रपाषाण के संबंध में कथन (2) सत्य है। सामान्यत: ताम्रपाषाणिक लोगों ने अधिकतर नदी-तटों पर पहाड़ियों से कम दूरी वाले स्थानों में गाँव बसाए थे। ये लोग सूक्ष्म पाषाणों और पत्थर के औजारों का प्रयोग करते थे। इनमें से अधिकतर लोग ताँबे को पिघलाने की कला से परिचित थे।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि जलोढ़ मिट्टी वाले मैदानों और घने जंगल वाले क्षेत्रों को छोड़ कर प्राय: समूचे देश में ताम्रपाषाण संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। हालाँकि जलोढ़ मिट्टी वाले मैदानों में भी जलाशय के किनारे कई ताम्रपाषाणिक बस्तियाँ मिली हैं।
16. ताम्रपाषाण काल के संबंध में निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) ताम्रपाषाण स्थलों से न हल और न फावड़ा पाया गया है
(b) इस काल के लोग झूम खेती करते थे।
(c) ताम्रपाषाण के लोग लोहे के प्रयोग से व्यापक खेती करते थे
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- ताम्रपाषाण काल के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि खेती के लिए लौह के उपकरणों का प्रयोग आवश्यक होता है, लेकिन ताम्रपाषाण संस्कृति में लोहे का अस्तित्व नहीं था। ताम्रपाषाण के जो लोग पश्चिमी और मध्य भारत के काली कपास मिट्टी वाले क्षेत्रों में रहते थे, गहन या विस्तृत पैमाने पर कृषि कार्य नहीं कर सके।
ताम्रपाषाण स्थल से हल और फावड़ा का न पाया जाना इस बात को स्पष्ट स्वरूप प्रदान करता है कि ये लोग जमीन खोदने वाले डंडे (डीगिंग स्टिक) में पत्थर का छिद्रित चक्का दबाव के लिए लटका कर एक वैकल्पिक रूप में झूम कृषि कर पाते थे।
17. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. पश्चिमी महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में बच्चों के शवाधानों से ताम्रपाषाण संस्कृति की आम दुर्बलता प्रकट होती है।
2. खाद्य उत्पादक अर्थव्यवस्था के होते हुए भी बच्चों के मरने की दर बहुत ऊँची थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य है। पश्चिमी महाराष्ट्र में पोषाहार में कमी, चिकित्सा के ज्ञान का अभाव या महामारी के प्रकोप को बड़ी संख्या में बच्चों के शवाधानों का जिम्मेदार माना जा सकता है।
खाद्य उत्पादक अर्थव्यवस्था के बावजूद पश्चिमी महाराष्ट्र में बच्चों की मौतों की उच्च दर ने ताम्रपाषाणिक संस्कृति के आर्थिक और सामाजिक ढाँचे को आयुवर्धक नहीं बताया है।
18. ताम्रपाषाणकालीन संस्कृतियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. चालीस से अधिक ताम्र निधियाँ भारत के विभिन्न हिस्सों से प्राप्त हुई हैं।
2. ताम्र निधियों में से अधिकांश गंगा-यमुना दोआब में केंद्रित हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- ताम्रपाषाणकालीन संस्कृतियों के संदर्भ में दिए गए दोनों कथनों में से कोई भी कथन सत्य नहीं है ।
भारत के विभिन्न हिस्सों में चालीस से अधिक ताम्र निधियाँ (ताम्र उपकरणों के जखीरें) प्राप्त हुई हैं। ये पूर्व में बंगाल से गुजरात तथा हरियाणा तक फैली हैं। दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश में ताम्र निधियाँ प्राप्त होती हैं। भारत के उत्तरी मैदान विशेषकर गंगा-यमुना दोआब में आधी ताम्र निधियाँ स्थित हैं।
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Wed, 07 Feb 2024 05:49:59 +0530 Jaankari Rakho
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पुरातात्विक स्रोत

1. प्राचीनकालीन स्थलों के उत्खनन के संबंध में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा असत्य है?
(a) पश्चिमोत्तर भारत में नगरों की स्थापना 2500 ई. पू. में हुई थी।
(b) केवल उत्तर भारत में शव के साथ औजार भी मिले हैं।
(c) उत्खनन से किसी संस्कृति की भौतिक अवस्था उद्घाटित होती है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- प्राचीनकालीन स्थलों के उत्खनन के संबंध में कथन (b) असत्य है, क्योंकि न केवल उत्तर भारत में बल्कि दक्षिण भारत में शवों के साथ औजार, हथियार, मिट्टी के बर्तन आदि को दफनाने का प्रचलन था। इन कब्रों के ऊपर एक घेरे में बड़े-बड़े पत्थर खड़े कर दिए जाते थे, जिसे महापाषाण कहा जाता था।
पश्चिमोत्तर भारत में रोपड़ (पंजाब), माँडा (जम्मू कश्मीर) आदि स्थलों के उत्खननों से ऐसे नगरों की जानकारी मिलती है, जिनकी स्थापना 2500 ई. पू. में हुई थी। उत्खनन से प्राचीन काल के लोगों के भौतिक जीवन के संबंध में जानकारी मिलती है, जिसे पुरातत्व (आर्कियोलॉजी) विज्ञान के अंतर्गत शामिल किया जाता है।
2. प्राचीन सिक्कों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. आरंभिक सिक्कों पर प्रतीक चिह्न मिलते हैं।
2. बाद के सिक्कों पर राजाओं और देवताओं के नाम मिलते हैं।
3. सिक्कों के आधार पर राजवंशों के इतिहास का पुनर्निर्माण किया जाता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- प्राचीन सिक्कों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। प्राचीन सिक्कों के अध्ययन को मुद्राशास्त्र (न्यूमिस्मेटिक्स) कहा जाता है। प्राचीन काल में धातु मुद्रा या सिक्का ही प्रचलन में था, जिसे आहत मुद्रा कहते थे। इन मुद्राओं पर वृक्ष, देवी-देवताओं और जंगली जानवरों आदि के प्रतीक चिह्न और संकेतकों के भी चिह्न मिले हैं।
प्राचीन काल में कुछ सिक्के ऐसे भी मिले हैं, जिन पर राजाओं और देवताओं के नाम तथा तिथियाँ उल्लिखित हैं।
ऐसे सिक्कों में गुप्त शासक समुद्रगुप्त के अश्वमेध तथा वीणावादन प्रकार के सिक्के एवं कनिष्क के सिक्कों पर शिव की आकृति आदि मिली है। इन सिक्कों की सहायता से राजवंशों के इतिहास का पुनर्निर्माण, मुद्राशास्त्रियों द्वारा किया जाता है।
3. अभिलेखों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अभिलेखों के अध्ययन को एपिग्राफी कहा जाता है।
2. कार्पस इन्सक्रिप्शनम इण्डिकेरम् में केवल मौर्यकाल के अभिलेखों को प्रकाशित किया गया है।
3. अशोक के अभिलेख ब्राह्मी, खरोष्ठी एवं अरमाइक लिपि में मिलते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (a)
व्याख्या - अभिलेखों के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं। पुरातात्विक साक्ष्यों में सिक्कों की अपेक्षा अभिलेखों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसके अध्ययन को पुरालेखशास्त्र या एपिग्राफी कहा जाता है। अभिलेख मुख्यत: मुहरों, स्तूपों, प्रस्तरस्तंभों, चट्टानों, ताम्रपत्रों, मंदिर की दीवारों तथा ईंटों या मूर्तियों पर पाए जाते हैं।
अशोक के अधिकांश अभिलेख ब्राह्मी लिपि में मिले हैं, जो बाएँ से दाएँ लिखी जाती थी। उनमें से कुछ खरोष्ठी लिपि के अभिलेख भी हैं, जो दाएँ से बाएँ लिखी जाती थी। इसके अतिरिक्त पाकिस्तान और अफगानिस्तान से मिले अशोक के अभिलेखों में यूनानी और अरमाइक लिपियों का भी प्रयोग हुआ है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि कार्पस इन्सक्रिप्शनम इण्डिकेरम् नामक ग्रंथमाला में केवल मौर्यों के ही नहीं, बल्कि मौर्योत्तर तथा गुप्तकाल के अधिकांश अभिलेखों को भी संकलित कर प्रकाशित किया गया है।
4. सम्राट अशोक के राज्यादेशों का सबसे पहले विकूटन (डिसाइफर) किसने किया था ?
(a) जॉर्ज व्यूलर
(b) जेम्स प्रिंसेप
(c) मैक्स मूलर
(d) विलियम जोन्स
उत्तर - (6)
व्याख्या-  सम्राट अशोक के राज्यादेशों का सबसे पहले विकूटन (डिसाइफर) 1837 ई. में जेम्स प्रिंसेप ने किया। अशोक के शिलालेख तीसरी शताब्दी ई.पू. के हैं। जेम्स प्रिंसेप बंगाल में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेवा में उच्च पद आसीन एक ब्रिटिश अधिकारी था। अशोक के अभिलेख ब्राह्मी, ग्रीक, अरमाइक तथा खरोष्ठी लिपि में उत्कीर्ण थे, जिनकी भाषा सामान्यतया प्राकृत थी।
5. अपने शिलालेखों में अशोक सामान्यतः किस नाम से जाने जाते हैं?
(a) चक्रवर्ती 
(b) प्रियदर्शी
(c) धर्मदेव
(d) धर्मकीर्ति
उत्तर - (b)
व्याख्या- अपने शिलालेखों में अशोक को सामान्यतः प्रियदर्शी ( पियदस्सी) नाम से उल्लेखित किया गया है। प्रियदर्शी का अर्थ है- 'मनोहर मुखाकृति वाला' । मास्की तथा गुजर्रा शिलालेखों में राजा का नाम 'असोक' (अशोक) लिखा है। अशोक के शिलालेख भारत की प्रत्येक दिशा में बड़ी संख्या में उत्कीर्ण कराए गए थे।

साहित्यिक स्रोत

1. प्राचीन काल में साहित्यिक स्रोत के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) भारत में पांडुलिपियाँ भोजपत्रों और तामपत्रों पर लिखी मिलती हैं।
(b) मध्य एशिया में पांडुलिपियाँ मेषचर्म तथा काष्ठफलकों पर लिखी मिलती हैं।
(c) भारत में अधिकतर पांडुलिपियाँ उत्तर प्रदेश से प्राप्त हुई हैं।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- प्राचीन काल के साहित्यिक स्रोत के संबंध में कथन (c) असत्य है, क्योंकि में अधिकतर पांडुलिपियाँ उत्तर प्रदेश से नहीं, बल्कि दक्षिण भारत, कश्मीर और नेपाल से प्राप्त हुई हैं। 
भारत में पांडुलिपियाँ, भोजपत्रों और तामपत्रों पर लिखी मिलती हैं, परंतु मध्य एशिया में, जहाँ भारत से प्राकृत भाषा का प्रसार हुआ था, वहाँ ये पांडुलिपियाँ मेषचर्म तथा काष्ठफलकों पर भी लिखी गई हैं। वर्तमान में अधिकांश अभिलेख संग्रहालयों में और पांडुलिपियाँ पुस्तककालयों में संचित तथा सुरक्षित हैं।
2. साहित्यिक स्रोत के रूप में वेदों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. सभी वैदिक ग्रंथों में बाद में जोड़े गए तथ्य मिलते हैं।
2. ऋग्वेद में मुख्यत: देवताओं की स्तुतियाँ हैं।
3. वैदिक साहित्यों में कर्मकांड और पौराणिक आख्यान का वर्णन नहीं है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- साहित्यिक स्रोत के रूप में वेदों के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य है। साहित्यिक स्रोतों के रूप में वेदों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह भारत की साहित्यिक और सांस्कृतिक स्थितियों के बारे में वर्णन करता है। ऋग्वेद सबसे प्राचीन है, जिसका कालखंड 1500-1000 ई. पू. के लगभग का है तथा अन्य वेदों का कालखंड 1000-500 ई. पू. के लगभग का है। प्रायः सभी वैदिक ग्रंथों में क्षेपक (बाद में जोड़े गए तथ्य) मिलते हैं, जो प्रारंभ अथवा अंत में होते हैं। ऋग्वेद में मुख्यतः देवताओं की स्तुतियाँ वर्णित है, जबकि उपनिषदों में हमें दार्शनिक चिंतन का उल्लेख मिलता है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि ऋग्वेद के अतिरिक्त सभी वैदिक साहित्यों स्तुतियों के साथ-साथ कर्मकांड, जादू-टोना और आख्यानों का विवरण मिलता है।
3. निम्नलिखित में किसको पुराणों के चार युग में शामिल किया जाता है ? 
1. निरुक्त
2. कृत
3. त्रेता
4. द्वापर
5. कलि
कूट 
(a) 1, 2, 3 और 4 
(b) 2, 3, 4 और 5
(c) 1, 3, 4 और 5   
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- पुराणों में शामिल युग हैं कृत त्रेता → द्वापर →  कलि। पुराणों में दिए गए चार युगों में निरुक्त को शामिल नहीं किया जाता है, क्योंकि यह एक वेदांग है।
पुराणों के अनुसार, प्रत्येक युग अपने पिछले युग की अपेक्षा बेहतर नहीं रहा और कहा गया है कि एक युग के बाद जब दूसरा युग आरंभ होता है, तब नैतिक मूल्यों और सामाजिक मानदंडों का अध:पतन होता है।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. हरिषेण समुद्रगुप्त के दरबार का प्रसिद्ध कवि था।
2. उसने 'देवी चंद्रगुप्तम्' काव्य की रचना की।
3. यह प्रयाग प्रशस्ति का भी रचयिता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1 और 3 
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए कथन में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। हरिषेण, गुप्तवंशीय शासक समुद्रगुप्त के दरबार में रहने वाला राजकवि था, जो संस्कृत में रचनाएँ करता था। वह प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में स्थित 'प्रयाग प्रशस्ति' का रचनाकार था। इसने काव्यात्मक विशिष्टता के साथ इसकी रचना की थी, जिसमें समुद्रगुप्त के व्यक्तित्व तथा विजयों का विवरण था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि 'देवी चंद्रगुप्तम्' विशाख दत्त की प्रसिद्ध रचना है।
5. कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी निम्नलिखित में से किससे संबंधित है?
(a) चंद्रगुप्त के शासन से
(b) गीतों के संकलन से
(c) कश्मीर के इतिहास से
(d) कृष्णदेव राय के शासन से
उत्तर - (c)
व्याख्या- कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी, कश्मीर के इतिहास से संबंधित है। 'राजतरंगिणी' जिसका अर्थ 'राजाओं की धारा' है। कल्हण ने राजतरंगिणी की रचना 12वीं शताब्दी में की। यह संस्कृत भाषा की रचना है।
इसमें कश्मीर के शासकों के चरित्रों का संग्रह है। यह ऐतिहासिक लेखन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। यह पहली कृति है, जिसमें आधुनिक काल के इतिहास लेखन के लक्षण मौजूद हैं।
6. सूत्र लेखन का सबसे विख्यात उदाहरण निम्नलिखित में से कौन-सी पुस्तक में दिया गया है ? 
(a) योगशास्त्र 
(b) अष्टाध्यायी
(c) महाभारत
(d) राजतरंगिणी
उत्तर - (b)
व्याख्या- पाणिनि द्वारा रचित सूत्र लेखन का सबसे विख्यात उदाहरण अष्टाध्यायी में दिया गया। इसकी रचना चौथी शताब्दी ई. पू. में की गई थी जो मूलत: एक व्याकरण ग्रंथ है। व्याकरण के नियमों का उदाहरण देने हेतु पाणिनि ने तत्कालीन समाज, अर्थव्यवस्था और संस्कृति के व्यापक पक्षों को उजागर किया है।
7. महाभारत के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह दसवीं सदी ई. पू. से चौथी सदी ई. पू. तक की स्थिति का आभास देता है।
2. पहले इसमें 1000 श्लोक थे, इसे जय कहा जाता था।
3. बाद में 24000 श्लोक हो जाने से 'भारत' कहा गया।
4. एक लाख श्लोक होने पर इसका नाम महाभारत पड़ा।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 4 
(b) 1, 2 और 3
(c) 1, 3 और 4
(d) 3 और 4
उत्तर - (c)
व्याख्या- महाभारत के संबंध में कथन (1), (3) और (4) सत्य हैं। महाभारत धार्मिक साहित्य का एक प्रमुख स्रोत है, जिसे वेदव्यास द्वारा लिखा गया था। इस महाकाव्य में दसवीं सदी ई. पू. से चौथी शताब्दी ई. पू. तक की स्थिति का वर्णन मिलता है।
इस महाकाव्य में श्लोकों की संख्या 24,000 हो जाने की स्थिति में इसे 'भारत' नाम दिया गया, क्योंकि इसमें प्राचीनतम वैदिक जन भरत के वंशजों की कथा है। इस महाकाव्य में अंततः श्लोकों की संख्या एक लाख होने के पश्चात् इसे मूल रूप से महाभारत या शतसहस्री संहिता के नाम से जाना जाने लगा।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि महाभारत में पहले केवल 8800 श्लोक थे और इसे 'जय' कहा जाता था, जिसका शाब्दिक अर्थ था- विजय संबंधी संग्रह ग्रंथ ।
8. बौद्ध ग्रंथों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए )
1. प्राचीनतम बौद्ध ग्रंथ पालि भाषा में लिखे गए थे।
2. पालि भाषा कन्नौज या उत्तरी बिहार में बोली जाती थी।
3. महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथाएँ जातक कहलाती हैं ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- बौद्ध ग्रंथों के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। प्राचीनतम बौद्ध ग्रंथों को ईसा-पूर्व दूसरी सदी में अंतिम रूप से श्रीलंका में संकलित किया गया था। बौद्ध ग्रंथों के धार्मिक शिक्षा से संबंधित अंश बुद्ध समय की स्थिति का बोध कराते हैं। ये बौद्ध ग्रंथ पालि भाषा में लिखे गए। थे।
बौद्धों के धार्मिक साहित्य में सबसे महत्त्वपूर्ण और रोचक तथ्य महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथाएँ हैं। ये कथाएँ जातक कहलाती हैं।
ये जातक कथाएँ एक प्रकार की लोक कथाएँ हैं, जो ईसा पूर्व पाँचवीं सदी से दूसरी सदी ईस्वी सन् तक की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर प्रकाश डालती हैं।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि पालि भाषा कन्नौज या उत्तरी बिहार में नहीं, बल्कि मगध अर्थात दक्षिणी बिहार में बोली जाती थी।
9. जैन साहित्यिक स्रोतों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. जैन ग्रंथों की रचना प्राकृत भाषा में हुई थी।
2. ईसा की आठवीं सदी में वल्लभी में उन्हें संकलित किया गया।
3. जैन ग्रंथों में व्यापार और व्यापारियों के उल्लेख बार-बार मिलते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- जैन साहित्यिक स्रोतों के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। बौद्ध ग्रंथ के साथ-साथ जैन ग्रंथ भी एक महत्त्वपूर्ण साहित्यिक स्रोत रहे हैं, जिनकी रचना प्राकृत भाषा में की गई है।
जैन ग्रंथों के अनेक ऐसे अंश हैं, जिनके आधार पर हमें महावीर कालीन बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के राजनीतिक, इतिहास के पुनर्निर्माण में सहायता प्राप्त होती है। इस ग्रंथ में व्यापार और व्यापारियों से संबंधित उल्लेख बार - बार मिलते हैं।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि ईसा की आठवीं सदी में नहीं, बल्कि छठी सदी में गुजरात के वल्लभी नगर में जैन ग्रंथों को अंतिम रूप से संकलित किया गया।
10. कौटिल्य के अर्थशास्त्र के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) यह एक विधि ग्रंथ है।
(b) यह पंद्रह अधिकरणों में विभक्त है।
(c) इसमें पहला और सातवाँ अधिकरण प्राचीन हैं।
(d) इसमें प्राचीन भारतीय राजतंत्र तथा अर्थव्यवस्था के अध्ययन की सामग्री मिलती है।
उत्तर - (c)
व्याख्या- कौटिल्य के अर्थशास्त्र के संबंध में कथन (c) असत्य है, क्योंकि यह एक विधि ग्रंथ है, जो पंद्रह अधिकरणों या खंडों में विभक्त है, जिसका दूसरा और तीसरा खंड प्राचीन है न कि पहला व सातवाँ अधिकरण । इसके प्राचीनतम अंश मौर्यकालीन समाज और आर्थिक व्यवस्था की जानकारी देते हैं। इस ग्रंथ के द्वारा प्राचीन भारतीय राजतंत्र तथा अर्थव्यवस्था के अध्ययन में सहयोग मिलता है।
11. संगम साहित्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. ये प्राचीनतम तमिल ग्रंथ हैं।
2. इनका संकलन ईसा की आरंभिक चार सदियों में हुआ।
3. संगम साहित्य के पद्य 30,000 पंक्तियों में मिलते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- संगम साहित्य के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। प्राचीनतम तमिल ग्रंथों को संगम साहित्य के नाम से जाना जाता है।
इन साहित्यों का सृजन तत्कालीन राजाओं द्वारा संरक्षित विद्या केंद्रों में एकत्र कवियों या भाटों ( राजाओं का यशगान करने वाली एक जाति) द्वारा ईसा की आरंभिक चार सदियों में किया गया था, जबकि इसका अंतिम संकलन संभवत: छठी सदी में हुआ मालूम पड़ता है।
संगम साहित्य के पद्य 30,000 पंक्तियों में लिखे गए हैं, जो आठ एट्टत्तोकै (संकलनों) में विभक्त हैं। ये पद्य सौ-सौ के समूहों में संगृहीत हैं।
12. यूनानी लेखक जस्टिन द्वारा किसे 'सैण्ड्रोकोट्स' कहा गया था?
(a) चंद्रगुप्त मौर्य
(b) चंद्रगुप्त प्रथम
(c) चंद्रगुप्त द्वितीय
(d) समुद्रगुप्त
उत्तर - (a)
व्याख्या- यूनानी लेखक जस्टिन ने सिकंदर के समकालीन 'सैण्ड्रोकोट्स' नाम की चर्चा की है। जस्टिन के विवरण से यह पता चलता है कि 326 ई. पू. सिकंदर के आक्रमण के समय, 322 ई. पू. में चंद्रगुप्त मौर्य का राज्य हुआ था। अतः यूनानी विवरण में सैण्ड्रोकोट्स नामक वह व्यक्ति चंद्रगुप्त मौर्य ही है।
13. हाथीगुम्फा अभिलेख किस शासक के विषय में जानकारी का स्रोत है? 
(a) खारवेल 
(b) अशोक
(c) हर्षवर्द्धन
(d) कनिष्क
उत्तर - (a)
व्याख्या- हाथीगुम्फा अभिलेख से खारवेल के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। ईसा की पहली सदी में कलिंग के खारवेल ने इस अभिलेख में अपने जीवन की बहुत सी घटनाओं का वर्णन वर्षवार किया है।
खारवेल ने नंद वंश के संस्थापक महापद्मनंद तथा अशोक के कलिंग पर आक्रमण की चर्चा हाथीगुम्फा अभिलेख में की है। हाथीगुम्फा अभिलेख ओडिशा की उदयगिरि पहाड़ियों में स्थित है।

इतिहास लेखन

1.. आधुनिक इतिहास लेखन के अंतर्गत मनुस्मृति का अंग्रेजी अनुवाद किस नाम से किया गया था?
(a) ए कोड ऑफ जेंटू लॉज 
(b) द कोड टू लॉज
(c) ए कोड ऑफ जेन्टल कॉमन
(d) कोड ऑफ कॉन्डक्ट
उत्तर - (a)
व्याख्या- आधुनिक इतिहास लेखन के अंतर्गत 'मनुस्मृति' का अंग्रेजी अनुवाद 1776 ई. में 'ए कोड ऑफ जेंटू लॉज' के नाम से कराया गया। यह सबसे अधिक प्रामाणिक मानी जाने वाली स्मृतियों में शामिल है। मनुस्मृति का अंग्रेजी अनुवाद प्राचीन भारतीय कानूनों और रीति-रिवाजों समझने के लिए करवाया गया था।
2. 1789 ई. में 'अभिज्ञानशाकुंतलम्' नाटक का अंग्रेजी अनुवाद किसने किया था?
(a) जेम्स प्रिंसेप
(b) विलियम जोंस
(c) हेनरी विलियम डेरिजीयो  
(d) मैक्स मूलर
उत्तर - (b)
व्याख्या- ईस्ट इंडिया कंपनी के सिविल सेवक सर विलियम जोंस ने 1789 ई. में कालिदास द्वारा रचित 'अभिज्ञानशाकुंतलम' नामक नाटक का अंग्रेजी में अनुवाद किया। ब्रिटिशों द्वारा प्राचीन कानूनों और रीति-रिवाजों को समझने के प्रयास की दिशा में व्यापक कार्य आरंभ हुए, जो लगातार अठारहवीं सदी तक चलते रहे। इसी कड़ी में 1784 ई. में कलकत्ता में एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल नामक शोध संस्था की स्थापना की गई।
3.. भारतीय इतिहास के अंग्रेजी लेखकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सर विलियम जोंस ने भगवद्गीता का अंग्रेजी अनुवाद किया था।
2. विल्किन्स ने कलकत्ता में एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल की स्थापना की थी।
3. भारत का पहला सुव्यवस्थित इतिहास विसेंट ऑर्थर स्मिथ ने तैयार किया था।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारतीय इतिहास के अंग्रेजी लेखकों के संदर्भ में कथन (3) सत्य है। विसेंट ऑर्थर स्मिथ भारत में व्याप्त सभी कुरीतियों तथा अन्य सामाजिक बुराइयों के गहन अध्ययन को अपनी पुस्तक 'अर्ली हिस्ट्री ऑफ इंडिया' में प्रकाशित किया है। इसी आधार पर उन्होंने 1904 ई. में प्राचीन भारत का पहला सुव्यवस्थित इतिहास भी तैयार किया। इस पुस्तक में उन्होंने राजनीतिक इतिहास को प्रधानता दी है।
कथन (1) और (2) असत्य हैं, क्योंकि सर विलियम जोंस ने अभिज्ञानशाकुंतलम का अंग्रेजी में अनुवाद किया तथा विल्किन्स ने 1785 ई. में भगवद्गीता का अंग्रेजी में अनुवाद किया था और 'एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल' की स्थापना की थी।
4. अराजनैतिक इतिहास लेखन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. ए. एल. बॉशम ने 'वंडर दैट वाज इंडिया' नामक पुस्तक लिखी।
2. बॉशम के अनुसार अतीत का अध्ययन जिज्ञासा और आनंद के लिए होना चाहिए।
3. यह पुस्तक वर्ष 1941 में प्रकाशित हुई थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और
(c) 1, 2 और 3
(d) 2 और
उत्तर - (a)
व्याख्या- अराजनैतिक इतिहास लेखन के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं । ब्रिटिश इतिहासकार संस्कृतविद् ए. एल. बॉशम ने अपनी पुस्तक 'वंडर वाज इंडिया' में प्राचीन भारतीय संस्कृति और सभ्यता के विभिन्न पक्षों को सुव्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत किया है और उन दोषों को नहीं दोहराया है, जिससे से पूर्व लेखक वी. ए. स्मिथ ग्रसित थे।
ए. एल. बॉशम के कुछ लेखों से यह पता चलता है कि वह नास्तिक संप्रदायों के भौतिकवादी दर्शन में रुचि रखते थे। हालाँकि उन्होंने अपने बाद के लेखों कुछ के माध्यम से यह विचार रखा कि अतीत का अध्ययन जिज्ञासा और आनंद के लिए होना चाहिए।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि ए. एल. बॉशम की पुस्तक 'वंडर दैट वाज इंडिया' वर्ष 1951 में प्रकाशित हुई थी न कि वर्ष 1941 में।
5.. निम्नलिखित में से किस इतिहासकार ने महाभारत काल से लेकर गुप्त साम्राज्य के अंत तक भारतीय इतिहास का पुनर्निर्माण किया था?
(a) राम कृष्ण गोपाल भंडारकर
(b) हेमचंद्र राय चौधरी 
(c) वी. ए. स्मिथ
(d) डी. डी. कौशांबी
उत्तर - (b)
व्याख्या- हेमचंद्र राय चौधरी ने महाभारत काल से लेकर गुप्त साम्राज्य के अंत तक के भारतीय इतिहास का पुनर्निर्माण किया था। वह एक यूरोपीय इतिहास के अध्यापक थे, इसलिए उनकी पुस्तक 'प्राचीन भारत के राजनैतिक इतिहास' में नए तरीकों तथा तुलनात्मक दृष्टिकोण का समावेश मिलता है।
6. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. पश्चिमी इतिहासकारों ने धार्मिक कर्मकांड, जाति, बंधुत्व और रूढ़ि को भारतीय इतिहास की मूल शक्तियाँ माना।
2. पश्चिमी इतिहासकारों का मानना है कि भारतीय समाज न बदला है और न बदला जा सकता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। पश्चिमी लेखकों ने भारत के संबंध में सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रक्रिया के स्थान पर राजनीतिक गतिविधियों को व्यापक महत्त्व देना प्रारंभ किया है। उन्होंने इस बात पर बल दिया है कि सभी महत्त्वपूर्ण वस्तुएँ भारत में आयातित नहीं हैं। कालांतर में उन्होंने धार्मिक धारणाएँ, कर्मकांड, जाति (वर्ण), बंधुत्व और रूढ़ि को ही भारतीय इतिहास के मुख्य तत्त्वों में शामिल किया है।
पश्चिमी इतिहासकार भारत के पिछड़ेपन का कारण बदलाव के प्रति उनकी नकारात्मक चेतना को उद्धृत करते हैं।

विविध

1. प्राचीन भारतीय इतिहास के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) प्राक् आर्य, हिंद आर्य, यूनानी ने भारत को अपना घर बनाया।
(b) आर्य सांस्कृतिक उपादान हड़प्पा सभ्यता के अंग हैं।
(c) प्राक आर्य जातीय उपादान दक्षिण की द्रविड़ संस्कृति से आए हैं।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- प्राचीन भारतीय इतिहास के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि प्राचीन भारतीय इतिहास के संबंध में आर्य सांस्कृतिक उपादान हड़प्पा संस्कृति का अंग नहीं है। यह उत्तर के वैदिक और संस्कृतमूलक संस्कृति के अंग हैं। प्राचीन भारतीय संस्कृति की विलक्षणता यह रही है कि इसमें उत्तर और दक्षिण के तथा पूर्व और पश्चिम के सांस्कृतिक उपादान समेकित हो गए हैं।
2. भरतों का देश अर्थात् भारतवर्ष में निवास करने वालों को क्या कह कर संबोधित किया गया?
(a) भरत वंशी
(b) भरत संतति
(c) भारतवासी 
(d) सिंधुवासी
उत्तर - (b)
व्याख्या- संपूर्ण देश भरत नामक एक प्राचीन वंश के अंतर्गत शामिल था, जिसके नाम पर इसे भारतवर्ष अर्थात भरतों का देश कहा गया और यहाँ के निवासियों के लिए 'भरत संतति' शब्द का प्रयोग किया गया। प्राचीन भारत के लोगों की यह विशेषता थी कि वे एक के लिए लगातार प्रयत्नशील रहे, उन्होंने देश की अखंडता को बनाए रखा।
3. निम्नलिखित में से कौन-सी प्राचीन भारतीय इतिहास की विशेषता थी? 
(a) वर्ण व्यवस्था
(b) जाति व्यवस्था
(c) भाषात्मक और सांस्कृतिक एकता 
(d) ये सभी 
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्राचीन भारतीय इतिहास की विशेषताओं में वर्ण-व्यवस्था, जाति-व्यवस्था तथा भाषात्मक और सांस्कृतिक एकता शामिल थी। जहाँ एक ओर उत्तर भारत में वर्ण-व्यवस्था या जाति व्यवस्था का जन्म हुआ तो वहीं दूसरी ओर देश में भाषात्मक और सांस्कृतिक एकता स्थापित करने के प्रयास भी निरंतर चलते रहे। ईसा-पूर्व तीसरी सदी में प्राकृत भाषा संपर्क-भाषा (लिंगुआ फ्रैका) के रूप में प्रचलित था
4. भारतीय उपमहाद्वीप के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. भारतीय उपमहाद्वीप उतना बड़ा है जितना रूस को छोड़कर पूरा यूरोप है।
2. भारतीय उपमहाद्वीप के अंतर्गत भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और पाकिस्तान शामिल हैं।
3. भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग शीत कटिबंध में स्थित हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3 
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारतीय उपमहाद्वीप के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। भारत के इतिहास को उसके भौगोलिक अध्ययन के बिना नहीं समझा जा सकता। भारतीय उपमहाद्वीप का कुल क्षेत्रफल 4,202,500 वर्ग किमी है, जो संपूर्ण यूरोपीय महादेश के बराबर है (रूस को छोड़कर ) ।
भारतीय उपमहाद्वीप में भारत सहित बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और पाकिस्तान शामिल हैं।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि भारतीय उपमहाद्वीप का अधिकांश भाग उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है न कि शीत कटिबंधीय क्षेत्र में।
5. प्राचीन भारत में पश्चिमोत्तर सीमा के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) सुलेमान पर्वत हिमालय के पश्चिम में स्थित है।
(b) सुलेमान पर्वत शृंखला बलूचिस्तान में किरथार से जुड़ी है।
(c) बोलन दर्रे से प्रागैतिहासिक काल से ही आवागमन होता था।
(d) ईरानी आक्रमण बोलन दर्रे से हुआ था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्राचीन भारत में पश्चिमोत्तर सीमा के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित सुलेमान पर्वत शृंखला हिमालय के दक्षिण में स्थित है न कि पश्चिम में।
6. प्राचीन भारतीय इतिहास में मध्य एशिया के लिए बौद्ध धर्म के प्रचार का केंद्र स्थल कौन-सा था ? 
(a) कश्मीर
(b) नेपाल की घाटी
(c) गंगा के मैदानी क्षेत्र
(d) हिंदूकुश पर्वत
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्राचीन भारतीय इतिहास में मध्य एशिया के लिए बौद्ध धर्म प्रचार का केंद्र स्थल कश्मीर था। कश्मीर घाटी चारों ओर से पर्वतीय क्षेत्रों से घिरी होने के कारण एक अलग जीवन पद्धति के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा पाई। यहाँ पर लोगों के द्वारा सर्दियों और गर्मियों में मैदानी और पहाड़ी भागों में निरंतर आवागमन के पश्चात् एक नए तरह के आर्थिक और सांस्कृतिक वातावरण का विकास हुआ।
7. प्राचीन भारत में निम्नलिखित में से कौन-सा बंदरगाह कोरोमंडल तट पर अवस्थित था?
(b) मुजरिस 
(a) अरिकमेडू
(c) सोपारा
(d) ताम्रलिप्ति
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्राचीन भारत में अरिकमेडू, कोरोमंडल तट पर अवस्थित बंदरगाह में था। कोरोमंडल तट एक चौड़ा तटीय मैदान है, जो पूर्वी तमिलनाडु में स्थित है। अरिकमेडू के अतिरिक्त कोरोमंडल तट पर महाबलिपुरम तथा कावेरीपट्टनम् बंदरगाह भी अवस्थित थे। ये मुख्यतः व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित थे, क्योंकि इन बंदरगाहों के द्वारा अन्य राज्यों से आवागमन आसान था।
8. प्राचीन भारत में धातुओं की प्राप्ति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर  विचार कीजिए 
1. सोने का सबसे पुराना अवशेष 1800 ई. पू. में कर्नाटक से प्राप्त हुआ।
2. प्राचीन काल में आंध्र प्रदेश सीसे के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था।
3. मेसोपोटामिया से टिन का आयात होता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 2 और 3 
(c) 1 और 2
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- प्राचीन भारत में धातुओं की प्राप्ति के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। प्राचीन भारत में सोना कोलार (कर्नाटक) की खानों से प्राप्त किया जाता था। सोने का सबसे प्राचीन अवशेष 1800 ई. के आस-पास कर्नाटक पू. में एक नवपाषाण युगीन स्थल से मिला है। सोने का नियमित प्रचलन ईसा की पाँचवीं सदी में हुआ था। कोलार कर्नाटक के गंगवंशियों की प्राचीनतम राजधानी थी ।
प्राचीन काल में आंध्र प्रदेश सीसा के उत्पादन हेतु प्रसिद्ध था, इसी कारण आंध्र प्रदेश पर शासन करने वाले सातवाहन वंश के राजाओं ने बड़ी संख्या में सीसे के सिक्के जारी किए थे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि टिन का आयात मेसोपोटामिया से नहीं, बल्कि अफगानिस्तान से किया जाता था।
9. वैदिकोत्तर संस्कृति, जो मुख्यतः लोहे के प्रयोग पर आश्रित थी, का विकास मुख्यतः किस क्षेत्र में हुआ ? 
(a) गंगा-यमुना दोआब में
(b) नेपाल घाटी में 
(c) मध्य गंगा घाटी में 
(d) पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत में
उत्तर - (c)
व्याख्या- वैदिकोत्तर संस्कृति, जो मुख्यतः लोहे के प्रयोग पर आश्रित थी, का विकास मुख् मध्य गंगा की घाटी में हुआ था। वैदिक संस्कृति का उद्भव पश्चिमोत्तर प्रदेश और पंजाब में हुआ। मगध राजवंश के उदय का प्रमुख कारण लोहे का नियमित प्रयोग था। बड़े पैमाने पर अवंति (उज्जैन की राजधानी) राज्य ने लोहे का प्रयोग कर स्वयं को स्थापित किया।
10. आरंभिक मध्य युग के प्रमाण निम्नलिखित में से किन क्षेत्रों में मिलते हैं? 
(a) असम 
(b) ब्रह्मपुत्र घाटी
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) बोलन घाटी
उत्तर - (c)
व्याख्या- आरंभिक मध्य युग के प्रमाण असम और ब्रह्मपुत्र नदी घाटी के क्षेत्रों में से मिलते हैं। वैदिकोत्तर संस्कृति के बाद लोहे के प्रयोग ने विभिन्न नदी घाटी में राजवंशों और राज्यों के उद्भव को बढ़ावा दिया, इसी क्रम में अंतिम चरण का महत्त्व ब्रह्मपुत्र घाटी को प्राप्त हुआ। प्रमुख शक्तियाँ इन नदी घाटियों में प्रभुत्व हेतु निरंतर संघर्षरत रहीं।
11. प्राचीन कालीन कलिंग देश के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यह वर्तमान के ओडिशा का समुद्रवर्ती प्रदेश था
(b) उसकी उत्तरी सीमा महानदी थी।
(c) उसकी दक्षिणी सीमा नर्मदा नदी थी
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- प्राचीन कालीन कलिंग देश के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि प्राचीन कालीन कलिंग देश की दक्षिणी सीमा गोदावरी नदी तक थी न कि नर्मदा नदी तक। भारतीय प्रायद्वीपीय क्षेत्र के पूर्वी भाग में आधुनिक ओडिशा का समुद्र तटवर्ती क्षेत्र कलिंग देश कहलाता था, जिसकी उत्तरी सीमा महानदी तक थी।
12. ऐतिहासिक स्रोत के रूप में उपलब्ध विश्व प्रसिद्ध कंधार के अभिलेख की लिपि क्या है? 
(a) अरमाइक और ब्राह्मी
(b) यूनानी और ब्राह्मी 
(c) देवनागरी और तमिल
(d) यूनानी और अरमाइक 
उत्तर - (d)
व्याख्या- ऐतिहासिक स्रोतों के रूप में उपलब्ध विश्व प्रसिद्ध कंधार के अभिलेख की लिपि यूनानी और अरमाइक हैं। लगभग 2250 वर्ष पुराना ह स्रोत (अभिलेख) वर्तमान अफगानिस्तान से प्राप्त हुआ है। यह अभिलेख मौर्य शासक अशोक के आदेश पर उत्कीर्ण करवाया गया था।
13. प्राचीन पांडुलिपियों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है? 
(a) प्राचीनकाल में पांडुलिपियों के लिए भूर्ज की छाल का प्रयोग होता था।
(b) ताड़ के पत्तों को काटकर लेखन कार्य किया जाता था।
(c) हाथ से लिखी गई पुस्तकें पांडुलिपि की श्रेणी में आती थीं।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्राचीन पांडुलिपियों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। प्राचीन पांडुलिपि के अध्ययन को निम्न प्रकार द्वारा समझा जा सकता है।
जिन पुस्तकों को हाथ से लिखा गया है, वो पांडुलिपि कही जाती हैं। पांडुलिपि के लिए अंग्रेजी में प्रयुक्त होने वाला शब्द 'मैन्यूस्क्रिप्ट' है। यह लैटिन शब्द 'मेनू' जिसका अर्थ 'हाथ' होता है, से निकला है।
पांडुलिपियाँ प्राय: ताड़पत्रों अथवा हिमालय क्षेत्र में उगने वाले भूर्ज नामक पेड़ की छाल से विशेष प्रकार से तैयार भोजपत्र पर लिखी जाती थीं। प्राय: ये पांडुलिपियाँ मंदिरों और विहारों में प्राप्त होती हैं।
इन पांडुलिपियों में आर्थिक मान्यताओं व व्यवहारों, राजाओं के जीवन, औषधियों तथा विज्ञान आदि सभी प्रकार के विषयों की चर्चा मिलती हैं।
14. प्राचीन कालीन भाषा के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उत्तर भारत की अधिकांश भाषाएँ द्रविड़ भाषा से निकली हैं।
2. द्रविड़ भाषा बोलने वाले लोग विंध्य के दक्षिण में रहते थे।
3. भारतीय आर्य भाषा बोलने वाले लोग विंध्य के उत्तर में रहते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- प्राचीन कालीन भाषा के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं । विंध्य पर्वत शृंखला भारत के पूर्व और पश्चिम को मध्य भाग से विभक्त करती है और इस प्रकार यह उत्तर भारत और दक्षिण भारत की विभाजक रेखा कहलाती है। द्रविड़ भाषा बोलने वाले लोग विंध्य पर्वत के दक्षिणी भाग में रहते हैं। विंध्य के उत्तरी भाग में निवास करने वाले लोग भारतीय आर्य भाषा का प्रयोग करते हैं।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि उत्तरी और पश्चिमी भारत की अधिकांश भाषाएँ एक ही मूल भाषा हिंद आर्य से निकली हैं न कि द्रविड़ भाषा से ।
15. प्राचीन काल में मिले किस पात्र में शराब या तेल जैसे तरल पदार्थ को रखा जाता था? 
(a) एंफोरा 
(b) एरेटाइन
(c) पोडुका
(d) बेरिगाजा
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्राचीन काल में एंफोरा नामक पात्र में शराब या तेल जैसे तरल पदार्थ को रखा जाता था। एंफोरा एक कंटेनर था, जिसकी तुलना प्राचीन यूनान में भंडारण के लिए प्रयुक्त बर्तन से की जाती है।
इसकी आकृति में मुख्यत: एक संकीर्ण गर्दन वाली आकार और दोनों ओर पकड़ने हेतु हैंडल लगा होता था।
16. राजस्थान के खेत्री नामक क्षेत्र से ताँबे के बहुत से सेल्ट (1000 ई. पू. से पहले के) पाए गए हैं। इनकी पहचान किससे की जाती है?
(a) आदिम कुल्हाडी 
(b) आदिम बाण 
(c) आदिम गंडासा
(d) आदिम हल
उत्तर - (a)
व्याख्या- राजस्थान के खेत्री (खेतड़ी) क्षेत्रों से ताँबे के बहुत से सेल्ट, जिन्हें आदिम कुल्हाड़ी कहा जाता है, 1000 ई. पू. की अवधि से पहले पाए गए हैं। ये ताँबे के औजार राजस्थान के अतिरिक्त दक्षिणी बिहार और मध्य प्रदेश से भी पाए गए थे। चूँकि ताँबा उपयोग में लाई गई पहली धातु थी, इसलिए हिंदू इस धातु को पवित्र मानने लगे और ताम्र- पात्रों का धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग होने लगा।
17. प्राचीन कालीन धातुओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार
1. बर्मा तथा मलय प्रायद्वीपों के साथ भारत टिन का व्यापार करता था।
2. बिहार में मिली पाल-कालीन कांस्य प्रतिमाओं के लिए टिन जमशेदपुर तथा धनबाद से प्राप्त होता था।
3. हजारीबाग में टिन के अयस्क को गलाने का कार्य होता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- प्राचीन कालीन धातुओं के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। ईसवी सन् की आरंभिक सदी से ही भारत का बर्मा और मलय प्रायद्वीपों के साथ व्यापक संपर्क स्थापित होने लगा था और ये दोनों क्षेत्र टिन धातु के भंडार में अग्रणी थे। जिसके फलस्वरूप बड़े पैमाने पर दक्षिण भारत में बनने वाली देव प्रतिमाओं में काँसे का प्रयोग होने लगा। हजारीबाग प्राचीन काल में टिन के अयस्क को गलाने हेतु प्रसिद्ध केंद्र था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि बिहार में मिली पाल-कालीन कांस्य प्रतिमाओं के लिए टिन संभवत: जमशेदपुर और धनबाद से नहीं, बल्कि हजारीबाग और राँची से प्राप्त होता था।
18. प्राचीन काल में कौन-सा प्रदेश बड़े पैमाने पर लोहे का उपयोग करके ई. पू. छठी-पाँचवीं सदियों में महत्त्वपूर्ण राज्य बन गया था?
(a) अवंति
(b) कन्नौज 
(c) गांधार
(d) बडिज 
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्राचीन काल में अवंति प्रदेश बड़े पैमाने पर लोहे का उपयोग करके ई. पू. छठी-पाँचवीं सदियों में महत्त्वपूर्ण राज्य बन गया था। लोहे के प्रयोग ने साम्राज्य स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कालांतर में यह महाजनपद में परिवर्तित हो गया। इसकी दो राजधानियाँ थीं। उत्तरी अवंति की राजधानी उज्जयिनी तथा दक्षिणी अवंति की राजधानी महिष्मती थी।
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Wed, 07 Feb 2024 05:03:45 +0530 Jaankari Rakho