बौद्ध मत
जैन मत
वैष्णव मत
शैव मत
रामेश्वरम्
कांची
मदुरई
श्रवणबेलगोला
पार्श्वनाथ
ऋषभदेव
महावीर
चेतक
बौद्ध धर्म का
जैन धर्म का
शैव धर्म का
वैष्णव धर्म का
चामुंडराय ने
कृष्ण प्रथम ने
कुमारपाल ने
तेजपाल ने
राजगीर
सांची
पावापुरी
समस्तीपुर
कुंडग्राम में
पाटलिपुत्र में
मगध में
लुंबिनी में
वाराणसी
कौशाम्बी
गिरिब्रज
चम्पा
शाक्य
जांत्रिक
सल्लास
लिच्छवी
स्थूलबाहु के नेतृत्व में दक्षिण भारत में जैन धर्म का प्रचार हुआ ।
'पाटलिपुत्र' में हुई परिषद के पश्चात् जो जैन धर्म के लोग भद्रबाहु के नेतृत्व में रहे, वे श्वेतांबर कहलाए ।
प्रथम शतक ई. पू. में जैन धर्म को कलिंग के राजा खारवेल का समर्थन मिला।
बौद्धों के विपरीत जैन धर्म की प्रारंभिक अवस्था में है, जैन धर्म के लोग चित्रों का पूजन करते थे ।
कर्म
निष्ठा
अहिंसा
विराग
जैनियों ने
बौद्धों ने
आजीविकों ने
मीमांसाकों ने
सारनाथ
कौशाम्बी
कुशीनगर
देवीपाटन
बारह अंग
बारह उपांग
चौदह पूर्व
चौदह उपपूर्व
जैन
आजीवक
चार्वाक
बौद्ध
अर्ध-मागधी
पाली
प्राकृत
संस्कृत
बौद्ध धर्म
ईसाई धर्म
जैन धर्म
उक्त में से कोई नहीं
यशोदा
अनोञ्जा
त्रिशाला
देवानंदी
बौद्ध मत
जैन मत
सिख मत
वैष्णव मत
जिन
रत्न
कैवल्य
निर्वाण
महायान बौद्ध संप्रदाय ने
हीनायान बौद्ध संप्रदाय ने
जैन धर्म ने
लोकायत शाखा ने
वैशाली में
वल्लभी में
पावा में
पाटलिपुत्र में
स्थूलभद्र
भद्रबाहु
कालकाचार्य
देविर्ध- क्षमा श्रमण
चंपा
पावा
सम्मेद शिखर
ऊर्जयंत
जमालि
योसुद
विपिन
प्रभाष
आजीविकों ने
थारूओं ने
जैनों ने
तांत्रिकों ने
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