शून्य / Zero
π r
2r
2π r
सदैव 1 से कम
सदैव 1 के बराबर
सदैव 1 से अधिक
1 के बराबर अथवा कम
एकसमान वेग से / Uniform velocity
एकसमान त्वरण से / Uniform acceleration
बढ़ते त्वरण से / Increasing acceleration
घटते त्वरण से / Decreasing acceleration
विराम में है
बिना त्वरण के गमन कर रहा है
त्वरित गति में है
एकसमान वेग से गमन कर रहा है
दूरी / The distance
विस्थापन / The displacement
त्वरण / The acceleration
चाल / The speed
यदि कार सीधी सड़क पर गमन कर रही है।
यदि कार वृत्ताकार पथ में गमन रक रही है।
लोलक इधर-उधर गति कर रहा है ।
पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा कर रही है।
महावीर को 'जिन' तथा उनके अनुयायियों को जैन कहा जाता है ।
महावीर ने जैन व्रतों में ब्रह्मचर्य को जोड़ा था।
जैन धर्म में पूर्व जन्म की अवधारणा नहीं है।
जैन संघों में स्त्री और पुरुष दोनों भाग ले सकते थे।
बौद्ध धर्म
ईसाई धर्म
जैन धर्म
इनमें से कोई नहीं
वैशाली
लुंबिनी
चंपा
पावापुरी
पाँचवीं सदी में कर्नाटक में स्थापित जैन मठों को 'बसदि' कहा जाता था।
जैन धर्म ने देवताओं के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया।
जैन धर्म में युद्ध और कृषि दोनों वर्जित हैं।
मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त ने कर्नाटक में जैन धर्म का प्रचार-प्रसार किया था।
जैन धर्म का समर्थन मुख्यतः व्यापारियों ने किया था।
किसानों के लिए अहिंसा का पालन करना मुश्किल था।
गुजरात, तमिलनाडु तथा कर्नाटक में जैन धर्म का प्रसार हुआ।
जैन धर्म की शिक्षाएँ कुशीनगर में लिखी गई थीं।
वज्जि
शाक्य
लिच्छवि
संकुशा
उन्होंने 29 वर्ष की आयु में गृह त्याग दिया था।
ज्ञान प्राप्ति के पश्चात् वे प्रज्ञावान कहलाए।
उन्होंने समतावादी भावना का समर्थन नहीं किया।
उन्हें 35 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त हुआ था।
वैशाली
सारनाथ
कौशाम्बी
पावापुरी
तृष्णा रूपी अग्नि का शमन
स्वयं की पूर्णतः अस्तित्वहीनता
परमानंद एवं विश्राम की स्थिति
धारणातीत मानसिक अवस्था
बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म की अवधारणा है।
बौद्ध धर्म में आत्मा की अवधारणा है।
बौद्ध धर्म उदार और जनतांत्रिक है।
बौद्ध धर्म वेद-प्रमाण्य के प्रति अनास्था रखता है।
गौड़ शासक शशांक
पुष्यमित्र शुंग
मिहिरकुल
अमोघवर्ष
बौद्ध शिक्षा केंद्र
बौद्ध भिक्षुओं का वर्षा ऋतु में ठहरने का स्थान
वाद-विवाद से संबंधित बौद्ध स्थल
अनुयायियों का आश्रय स्थल
जातक
थेरीगाथा
मज्झिमनिकाय
भेरीगाथा
आनंद
उपारिय
राहुल
संकर्षण
उपज का 1/6 कर के रूप में चुकाना पड़ता था।
गाँव के मुखिया को भोजक कहा जाता था।
'शतमान' इस काल का प्रमुख ग्रंथ था।
महामात्र इस काल का कर संग्रहकर्ता था।
मुहम्मद गोरी
मुहम्मद बिन तुगलक
बलबन
अलाउद्दीन खिलजी
तुगलक वंश
खिलजी वंश
लोदी वंश
इनमें से कोई नहीं
दिल्ली
आगरा
जयपुर
उदयपुर
ईरान
ईराक
अफगानिस्तान
मोरक्को
आगरा
दिल्ली
फतेहपुर शिकरी
अजमेर
जहाँगीर
शाहजहाँ
दारा शिकोह
औरंगजेब
हुमायूँ
जहाँगीर
अकबर
औरंगजेब
अहोम
भील
गोंड
बंजारा
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