भारती
स्वागतम
हिन्दुस्तान
मैत्री
थियोसोफिकल सोसाइटी
सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी
आर्य समाज
ब्रह्म समाज
जिरोफाइट
हाइड्रोफाइट
हैलोफाइट
सक्यूट
1906 ई. में
1916 ई. में
1940 ई. में
1946 ई. में
बरौनी में
विशाखापत्तनम में
डिगबोई में
मुम्बई में
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महात्मा गांधी
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
भारत का स्वतंत्रता युद्ध
जवाहरलाल नेहरू
सोडियम कार्बोनेट
सोडियम बाइकार्बोनेट
सोडियम क्लोराइड
सोडियम नाइट्रेट
रैंडम एक्सेस मैमरी
कंट्रोल यूनिट
अरिथ्मेटिक लॉजिक यूनिट
हार्ड डिस्क
पश्चिमी राजस्थान
जम्मू और कश्मीर
गुजरात
मध्य प्रदेश
इस्पात
पेट्रोलियम
मकबरा
जूट (पटसन )
1955 ई०
1956 ई०
1957 ई०
1958 ई०
1926 ई० में
1928 ई० में
1939 ई० में
1942 ई० में
पांडिचेरी
मद्रास
गोवा
केरल
संसद
उच्चतम न्यायालय
उच्च न्यायालय
चुनाव आयोग
विद्यार्थियों की त्रुटियाँ
विद्यार्थियों की अधिगम - शैलियाँ
विद्यार्थियों की क्षमताएँ
विद्यार्थियों की आवश्यकताएँ
अभिभावकों की भागीदारी
क्षमता - संवर्द्धन
संवेदनशील बनाना
पृथक्करण
चढ़ना
फुदकना
दौड़ना
लिखना
समस्या केवल एक सिद्धांत-प्रकरण पर आधारित होती है
समस्या कथन में संकेत अंतर्निहित रूप से दिया होता है
समस्या मौलिक होती है
सही उत्तर प्राप्त करने का सामान्यतः एक उपागम होता है
प्रत्येक त्रुटि को सुधारने में बहुत अधिक समय लगेगा तथा एक शिक्षक के लिए थकाने वाला होगा
स्वयं बच्चों द्वारा त्रुटियों को सुधारा जा सकता है, इसलिए शिक्षक को उन्हें तुरंत ही नहीं सुधारना चाहिए
यदि एक शिक्षक कक्षा-कक्ष में सभी बच्चों की त्रुटियों को सुधारने योग्य नहीं है तो यह संकेत करता है कि शिक्षक - शिक्षा की व्यवस्था असफल है
एक शिक्षक को प्रत्येक त्रुटि पर ध्यान नहीं देना चाहिए अन्यथा पाठ्यक्रम पूरा नहीं होगा
मेरा प्रिय मित्र
पेरा पड़ोस
मेरा विद्यालय
मेरा परिवार
कार्य - परिहार अभिविन्यास
नैपुण्यता अभिविन्यास
निष्पादन - उपागम अभिविन्यास
निष्पादन - परिहार अभिविन्यास
मुक्त अंत वाली सामग्री उपलब्ध कराने
मुक्त खेल के लिए समय देने
सृजनात्मक चिंतन के लिए असीमित अवसर उपलब्ध कराने
जब विद्यार्थी स्वंय से कोई कार्य करने की कोशिश कर रहे हों तो उनसे परिपूर्णता की अपेक्षा करने
प्रकरणों की विविधता, जिन्हें परंपरागत पाठ्यचर्या में संबोधित किए जाने की आवश्यकता है, से शिक्षकों के अभिभूत होने की कम संभावना होती है
विद्यार्थियों में विभिन्न विषय-क्षेत्रों के विशेष प्रकरणों के प्रति नापसंदगी विकसित होने की कम संभावना होती है
पाठ-योजना बनाने और गतिविधियों में शिक्षकों को अधिक लचीलेपन की अनुमति होती है
विद्यार्थियों को सीखे गए नये ज्ञान का बहु- संदर्भों में अनुप्रयोग और सामान्यीकृत करने के अवसर दिए जाते हैं
स्टर्न
बिने
टरमैन
इनमें से कोई नहीं
3 वर्ष की आयु में
4 वर्ष की आयु में
5 वर्ष की आयु में
6 वर्ष की आयु में
मन का अध्ययन
आत्मा का अध्ययन
शरीर का अध्ययन
व्यवहार का अध्ययन
बी० एन० झा
स्किनर
डेविस
वुडवर्थ
पढ़ने की अक्षमता
लिखने की अक्षमता
सीखने की अक्षमता
सुनने की अक्षमता
मन्द - बुद्धि बालकों की पहचान के लिए
प्रतिभाशाली बालकों की पहचान के लिए
पिछड़े बालकों की पहचान के लिए
बहरे बालकों की पहचान के लिए
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