विसरण, वाष्पन, गैसों का संपीडन
वाष्पन, गैसों का संपीडन, विलेयता
वाष्पन, विसरण, गैसों का प्रसार
वाष्पन, विलेयता, विसरण, गैसों का संपीडन
निम्न ताप, निम्न दाब
उच्च ताप, निम्न दाब
निम्न ताप, उच्च दाब
उच्च ताप, उच्च दाब
केवल गैसें तरल के समान व्यवहार करती है
गैस तथा ठोस तरल के समान व्यवहार करते है
गैस तथा द्रव तरल के समान व्यवहार करते है
केवल द्रव तरल के समान व्यवहार करते है
विसरण
वाष्पोत्सर्जन
परासरण
वाष्पन
जल, वायु, पवन
वायु, शर्करा, तेल
ऑक्सीजन, जल, शर्करा
नमक, रस, वायु
298K, 311K तथा 339K
298K, 300K तथा 338 K
298K, 278K तथा 543K
298K, 310K तथा 338K
ठोस का द्रव अवस्था से गुजरे बिना वाष्प में रूपांतरण वाष्पन कहलाता है।
ठोस का द्रव अवस्था से गुजरे बिना गैस में रूपांतरण ऊर्ध्वपातन कहलाता है।
वाष्प का द्रव अवस्था से गुजरे बिना ठोस में रूपांतरण हिमीकरण कहलाता है।
ठोस का द्रव में रूपांतरण ऊर्ध्वपातन कहलाता है।
306K, 329K, 391K
308K, 329K, 392K
308K, 329K, 391K
329K, 392K, 308K
जल के तापमान में वृद्धि
जल के तापमान में कमी
जल का कम खुला पृष्ठीय क्षेत्रफल
जल में नमक मिलाना
पश्चिमोत्तर भारत में नगरों की स्थापना 2500 ई. पू. में हुई थी।
केवल उत्तर भारत में शव के साथ औजार भी मिले हैं।
उत्खनन से किसी संस्कृति की भौतिक अवस्था उद्घाटित होती है।
उपर्युक्त में से कोई नहीं
जॉर्ज व्यूलर
जेम्स प्रिंसेप
मैक्स मूलर
विलियम जोन्स
चक्रवर्ती
प्रियदर्शी
धर्मदेव
धर्मकीर्ति
भारत में पांडुलिपियाँ भोजपत्रों और तामपत्रों पर लिखी मिलती हैं।
मध्य एशिया में पांडुलिपियाँ मेषचर्म तथा काष्ठफलकों पर लिखी मिलती हैं।
भारत में अधिकतर पांडुलिपियाँ उत्तर प्रदेश से प्राप्त हुई हैं।
उपर्युक्त में से कोई नहीं
चंद्रगुप्त के शासन से
गीतों के संकलन से
कश्मीर के इतिहास से
कृष्णदेव राय के शासन से
योगशास्त्र
अष्टाध्यायी
महाभारत
राजतरंगिणी
यह एक विधि ग्रंथ है।
यह पंद्रह अधिकरणों में विभक्त है।
इसमें पहला और सातवाँ अधिकरण प्राचीन हैं।
इसमें प्राचीन भारतीय राजतंत्र तथा अर्थव्यवस्था के अध्ययन की सामग्री मिलती है।
चंद्रगुप्त मौर्य
चंद्रगुप्त प्रथम
चंद्रगुप्त द्वितीय
समुद्रगुप्त
खारवेल
अशोक
हर्षवर्द्धन
कनिष्क
ए कोड ऑफ जेंटू लॉज
द कोड टू लॉज
ए कोड ऑफ जेन्टल कॉमन
कोड ऑफ कॉन्डक्ट
जेम्स प्रिंसेप
विलियम जोंस
हेनरी विलियम डेरिजीयो
मैक्स मूलर
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