NCERT EXAMPLAR SOLUTION | CLASS 10TH | SCIENCE (विज्ञान) | Magnetic Effects of Electric Current विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव
Magnetic Effects of Electric Current विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

NCERT EXAMPLAR SOLUTION | CLASS 10TH | SCIENCE (विज्ञान) | Magnetic Effects of Electric Current विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव
ANSWERS
DISCUSSION
- किसी चुंबक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें किसी चुंबकीय बल का अनुभव किया जाए, चुम्बक का चुंबकीय क्षेत्र होता है।
- चुम्बकीय बल रेखाएँ सदैव चुंबक के उत्तरी ध्रुव से निकलती है तथा वक्र बनाती हुई चुम्बक के दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती है।
- और पुन: चुंबक के अंदर से होती हुई वापस उत्तरी ध्रुव पर लौट आती है।
- अतः चुंबकीय बल रेखाएँ बन्द वक्र बनाती है।
- जबकी विद्युतीय बल रेखाएँ बन्द नहीं बनाती बल्की खुली रेखाएँ बनाती है।
- चुंबकीय बल रेखाएँ एक-दूसरे को आपस में कभी नहीं काटती है।
- चुंबक के ध्रुव (उत्तरी या दक्षिणी) के निकट चुंबकीय बल प्रबल होती है क्योंकि चुंबकीय बल रेखाएँ पास-पास होती है।
- लेकिन चुंबक के बीच में चुम्बकीय प्रबलता बहुत कम होती है, ध्रुवों के अपेक्षा ।
- दाहिने हाथ का अंगूठा नियम-यदि हम दायें हाथ की पकड़ में होने वाले रैखिक तार चालक की कल्पना करते हैं, ताकि अंगूठा धारा की दिशा में इंगित हो तो चालक के चारों ओर उंगलियों की वक्रता चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा का प्रतिनिधित्व करेगी।
- चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक धारा वाहक एक सीधे चालक के चारों ओर संकेंद्रित वृत्त के रूप होती हैं।
- जब कुंजी को बाहर निकाला जाता है तो सीधे चालक के माध्यम से कोई धारा प्रवाहित नहीं होता है।
- अतः उसके कारण सतह ABCD में कोई चुंबकीय क्षेत्र नहीं होता है।
- केवल मौजूद चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र होता है जो सतह ABCD के समान होता।
- और इसके कारण क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे के समांतर सीधी रेखाएँ होती है।
- चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ A से निकलती हैं और B में प्रवेश करती है।
- क्योंकि A से धारा वामावर्त है जबकि B से घड़ी की सूई दक्षिणावर्त है।
- परिपाटी के अनुसार, चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से निकलकर दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती है।
- धारा में अंतर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं को प्रभावित कर सकता है लेकिन ध्रुव (Pole) वही रहेगा।
- क्योंकि A में धारा वामावर्त्त है इसलिए दाहिने हाथ के अंगूठे के नियम के अनुसार यह उत्तरी ध्रुव के रूप में कार्य करता है।
- जबकि B दक्षिणी ध्रुव के रूप में कार्य करता है।
- चुम्बकत्व के लिए गैस का नियम किसी बन्द पृष्ठ से गुजरने वाला कुल चुंबकीय फ्लक्स सदैव शून्य होता है
- परिनालिका-यह एक प्रकार का छड़ चुम्बक के जैसा ही व्यवहार करता है।
- परिनालिका के N तथा S ध्रुवों को प्रवाहित धारा की दिशा बदलकर बदला जा सकता है।
- धारा को बढ़ाने पर परिनालिका के चुम्बकीय तीव्रता बढ़ाई जा सकती है तथा घटाने पर घटायी जा सकती है।
- परिनालिका में चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से निकलकर दक्षिणी ध्रुव पर जाती है।
- फिर परिनालिका के भीतर से होते हुए पुनः उत्तरी ध्रुव पर पहुँच जाती है।
- परिनालिका के भीतर उत्पन्न प्रबल चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग चुंबकीय पदार्थ जैसे नर्म लोहे के टुकड़ों को, परिनालिका के भीतर रखकर, चुंबकीय करने में किया जाता है।
- स्थायी चुंबक स्टील से बनाई जती है।
- क्योंकि स्टील की धारण शक्ति, नर्म लोहे की अपेक्षा बहुत अधिक होती है।
- स्थायी चुंबक बनाने के लिए स्टील, कोबाल्ट व निकिल धातुओं से बनाई जाती है।
- स्टील कोबाल्ट तथा निकिल का मिश्रित करके स्थायी चुंबक बनाई जाती है।
- बल की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लिए लंबवत् है, जो फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम द्वारा दी जाती है।
- इसलिए यहाँ जब चुंबकीय क्षेत्र और धारा एक दूसरे के लंबवत् होते हैं।
- तो दोनों प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन द्वारा अनुभव बल कागज के तल की ओर अनुभव करेगा।
- क्योंकि वे दोनों चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत् हैं, क्योंकि ये दोनों विपरीत दिशाओं में है।
- जब प्रोटॉन को विद्युत चुंबकीय क्षेत्र के बीच से गुजारा जाता है तो यह –ve की ओर मुड़ जाता है।
- विद्युत चुम्बक का उपयोग मोटर, डायनेमों, मिक्सर तथा पंखों में किया जाता है।
- विद्युत मोटरों में आर्मेचर को घूमाने के लिए हमेशा विद्युत चुंबक का उपयोग किया जाता।
- विद्युत चुंबक में जितनी ज्यादा फेरों की संख्या होगी चुंबकीय तीव्रता उतनी ही अधिक होगी।
- गैल्वेनोमीटर एक विक्षेपण के माध्यम से परिपथ में विद्युत प्रवाह की उपस्थिति को दर्शाता है।
- कुंजी लगाने पर विक्षेपण देखा जाता है और कुंडली-2 में धारा विपरीत दिशा में प्रवाहित हो रही है।
- गैल्वेनोमीटर विद्युत धारा की उपस्थिति का पता लगाता है।
- जबकि एमीटर विद्युत धारा को मापता है।
- एमीटर में बहुत ही नगण्य प्रतिरोध जोड़ा जाता है। जबकि Volt meter (वोल्टमीटर) में अति उच्च प्रतिरोध जोड़ा जाता है।
- एमीटर में प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है।
- जबकि वोल्टमीटर में प्रतिरोध समानांतर क्रम में जोड़ा जाता है।
- अत: भारत में प्रत्यावर्ती धारा में प्रत्येक 1/50sec के पश्चात दिशा परिवर्त्तन होता है। यह गलत कथन होगा।
- फ्लेमिंग के दाहिने हाथ के नियम से ज्ञात है की जब कुंडली की गति की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र के दाहिने कोण पर होती है तो दिष्ट धारा सबसे अधिक पाई जाती है।
- प्रत्यावर्ती धारा का उपयोग बिना किसी हानि के लम्बे समय तक तथा लम्बी दूरी तक संचारित करने में किया जाता है।
- AC (प्रत्यावर्ती धारा) का मान समय के साथ बदलता है।
- AC का उपयोग आमतौर पर घरों में बल्बों, कूलर, पंखे, TV आदि चलाने में किया जाता है।
- DC (Direct Current) का मान तथा दिशा नियत रहते है, समय के साथ नहीं बदलते है।
- हमारे घरों में बिजली AC से आती है लेकिन बैटरी में संचित DC धारा को करते है।
- DC का उपयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग में उपयोग करते हैं।
- AC (करेंट) की फ्रीक्वेंसी की वजह से खतरनाक होता है।
- DC में कोई फ्रिक्वेंसी नहीं होती जिसके कारण सुरक्षित होता।
9. (c) विद्युत् आवेश से युक्त किसी वस्तु धारा उत्पन्न भौतिक क्षेत्र चुम्बकीय क्षेत्र (electromagnetic field या EMF या EM field) कहा जाता है।
- विद्युत चुम्बकीय बल प्रकृति में पाये जाने वाले चार प्रकार के मूलभूत बलों या अन्तः क्रियाओं में से एक है। अन्य तीन मूलभूत बल है (1) प्रबल अन्योन्यक्रिया, (2) दुर्बल अन्योन्यक्रिया तथा गुरुत्वाकर्षण।
- विद्युत स्थैतिक बल - जो स्थिर आवेशों पर लगता है |
- चुम्बकीय बल जो केवल गतिमान आवेशों पर लगता है।
- विद्युत चुंबकीय विकिरण - निर्वात (Pace) एवं अन्य माध्यमों से स्वयं प्रसारित तरंग होती है। इसे प्रकाश भी कहा जाता है।
- किंतु वास्तव में प्रकाश, विद्युत चुंबकीय विकिरण का एक छोटा सा भाग है।
- दृश्य प्रकाश, एक्स-किरण, गामा- किरण, रेडियो तरंगे आदि सभी विद्युत चुम्बकीय तरंगे है।
- परिनालिका के अंदर की ओर एक समांतर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ होती है।
- जो एक समान चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करती है।
- जिसमें ज्ञात है, कि यह सभी बिंदुओं पर समान है।
- छड़ चुम्बक में यह देखा जाता है जब चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक कुंडली बनाते हुए आपस में मिल जाती है तो चुम्बकीय क्षेत्र सिरों पर प्रबल होता है।
- लेकिन परिनालिका में रेखाएँ समांतर होती है इसलिए यह सभी स्थानों पर एक समान रहती है ।
- छड़ चुम्बक के मध्य में चुम्बकीय तीव्रता कम होती है।
- परिनालिका के अंदर एक समान चुंबकीय क्षेत्र होता।
- दिक सूचक सर्पी वलय का उपयोग किया जाना चाहिए।
- इस व्यवस्था के साथ, एक ब्रुश हर समय क्षेत्र में ऊपर की ओर एक गतिमान हाथ के साथ सम्पर्क में रहता है।
- दूसरा नीचे की ओर गतिमान हाथ के सम्पर्क में रहता है।
- इस प्रकार एक दिशात्मक धारा उत्पन्न होता है जिसे दिष्ट धारा जनित्र कहते हैं।
- सर्पी वलयों एवं ब्रुशों का उपयोग विद्युत मोटर में किया जाता है, विद्युत जनित्र में नहीं।
- एक दिशात्मक प्रवाह उत्पन्न करने के लिए सर्पी वलय की आवश्यकता होती है।
- जनरेटर एक यांत्रिक उपकरण जो यांत्रिक ऊर्जा से AC विद्युत शक्ति में परिवर्तित करता है।
- जबकि DC जनरेटर यांत्रिक ऊर्जा को DC में परिवर्तित करता है।
- AC जनरेटर को अल्टरनेटर भी कहा जाता है।
- उत्पन्न विद्युत ऊर्जा एक प्रत्यावर्ती धारा साइन सॉइडल आउटपुट तरंग के रूप में होती है।
- अगर शरीर सूखा है तो प्रतिरोध 100000 ओम होगा।
- ऐसे में 220 वोल्ट छुएंगे तो सिर्फ 220 ÷ 100000 = 2.2 मिली एम्पीयर का करंट लगेगा जो हल्का झटका देगा।
- AC जनरेटर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत के आधार पर काम करता है।
- विद्युत्मय तार और उदासीन तार के सीधे संपर्क में आने पर अतिभारण हो सकता है।
- यह तब होता है जब तारों को विद्युत शोधन क्षतिग्रस्त या उपकरण में कोई भ्रंश (खराबी) हो जाता है।
- भू संपर्कण - यह सुनिश्चित करता है कि यदि उपकरण में कोई विद्युत का क्षरण होता है तो उपकरण अतिरिक्त धारा को भूसंपर्कण में प्रवाहित कर दें।
- जिससे उपयोगकर्ता को विद्युत का गंभीर झटका नहीं लग सकता।
- लेकिन लघुपथन के लिए फ्यूज की सुरक्षा आवश्यक है।
- स्टेबलाइजर का उपयोग उपकरणों को उच्च वोल्टता की विद्युत से बचाने में किया जाता है।
- विद्युत मीटरों का उपयोग विशेष रूप से घरों में उपयोग की जाने वाली विद्युत धारा को मापता है।
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