भारतीय दस्तकारी उद्योग नष्ट हो गए थे।
भारत के वस्त्र उद्योग में मशीनों का बड़ी संख्या में प्रवेश हुआ था ।
देश के अनेक भागों में रेलवे लाइनें बिछाई गई थी ।
ब्रिटिश उत्पादन के आयात पर भारी शुल्क लगाया गया था।
भारतीय हस्तशिल्पों के निर्यात में वृद्धि
भारतीयों के स्वामित्व वाले कारखानों की संख्या में वृद्धि
भारतीय कृषि का वाणिज्यीकरण
नगरीय जनसंख्या में तीव्र वृद्धि
उत्तरी भारत में
(c) एवं (d) दोनों
पश्चिमी भारत में
दक्षिणी भारत में
सन् 1787 ई में
सन् 1789 ई में
सन् 1790 ई में
सन् 1793 ई में
भारत में ब्रिटिश आयातों पर दी गई विशेष रियायतों के लिए
ब्रिटिश नागरिकों द्वारा किए जा रहे प्रजातीय भेदभाव के लिए
ब्रिटिश हित के लिए किए जा रहे भारतीय हित के दमन के लिए
भारतीय रियासतों के राजाओं पर ब्रिटिश पॉलिटिकल एजेंटों को दी जा रही तरजीह के लिए
हिन्दुस्तान कॉमर्शियल बैंक
अवध कॉमर्शियल बैंक
पंजाब नेशनल बैंक
पंजाब एंड सिंध बैंक
अमर्त्य सेन
रमेशचंद्र दत्त
गोपाल कृष्ण गोखले
दादाभाई नौरोजी
बी जी तिलक
दादाभाई नौरोजी
कार्ल मार्क्स
एडम स्मिथ
भारी उद्योगों का अभाव
विदेशी पूंजी की कमी
प्राकृतिक संसाधनों की कमी
धनिक वर्ग द्वारा भू-संपत्ति में निवेश करने को तरजीह दिया जाना
1835 में
1837 में
1839 में
1841 में
स्थायी बंदोबस्त
महालवाड़ी बंदोबस्त
रैयतवाड़ी बंदोबस्त
उपर्युक्त में से कोई नहीं
वेलेजली
वारेन हेस्टिंग्स
लॉर्ड कार्नवालिस
लॉर्ड डफरिन
रैयत की तुलना में जमींदार की स्थिति को अधिक सशक्त बनाना
ईस्ट इंडिया कंपनी को जमींदारों का अधिपति बनाना
न्यायिक पद्धति को अधिक कार्यकुशल बनाना
उपर्युक्त (a), (b) तथा (c) कथनों में से कोई भी सही नहीं है।
देश के संसाधनों का उपयोग ब्रिटेन के हित में किया जा रहा था।
भारत की राष्ट्रीय संपदा का एक भाग अथवा कुल वार्षिक उत्पाद ब्रिटेन को निर्यात कर दिया जाता था जिसके लिए भारत को कोई वास्तविक प्रतिफल नहीं मिलता था ।
साम्राज्यवादी शक्ति के संरक्षण में ब्रिटिश उद्योगपतियों को भारत में निवेश के अवसर दिए जाते थे।
भारत में ब्रिटिश सामान का आयात किया जाता था और यहाॅ देश को दिन प्रतिदिन अधिकाधिक गरीब बनाया जाता था ।
एम एन राय
जयप्रकाश नारायण
राममनोहर लोहिया
दादाभाई नौरोजी
जमींदारों के ऊपर किसानों का विश्वास था
जमींदारों के ऊपर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं था
यह ब्रिटिश सरकार की जिम्मेदारी थी
खेतिहरों की दिलचस्पी पट्टा प्राप्त करने में नहीं थी
बाल गंगाधर तिलक
आर सी दत्त
एम जी रानाडे
सर सैयद अहमद खां
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