मुख्यमंत्री
संविधान द्वारा सरकार की संसदीय व्यवस्था में राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है, जबकि मुख्यमंत्री वास्तविक । दूसरे शब्दों में, राज्यपाल राज्य का मुखिया होता है, जबकि मुख्यमंत्री सरकार का। इस तरह राज्य में मुख्यमंत्री की स्थिति उसी तरह है, जिस तरह केंद्र में प्रधानमंत्री की।

मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री की नियुक्ति
शपथ, कार्यकाल एवं वेतन
- मैं भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और सत्यनिष्ठा रखूंगा।
- भारत की प्रभुता और अखंडता बनाए रखूंगा।
- मैं अपने दायित्वों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंत:करण से निवर्हन करूंगा।
- मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा।
मुख्यमंत्री के कार्य एवं शक्तियां
- राज्यपाल उन्हीं लोगों को मंत्री नियुक्त करता है, जिनकी सिफारिश मुख्यमंत्री ने की हो।
- वह मंत्रियों के विभागों का वितरण एवं फेरबदल करता है।
- मतभेद होने पर वह किसी भी मंत्री से त्याग-पत्र देने के लिए कह सकता है या राज्यपाल को उसे बर्खास्त करने का परामर्श दे सकता है।
- वह मंत्रिपरिषद की बैठक की अध्यक्षता कर इसके फैसलों को प्रभावित करता है।
- वह सभी मंत्रियों के क्रिया-कलापों में सहयोग, नियंत्रण, निर्देश और मार्गदर्शन देता है।
- अपने कार्य से त्याग-पत्र देकर वह पूरी मंत्रिपरिषद को समाप्त कर सकता है। चूंकि मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद का मुखिया होता है, उसके इस्तीफे या मौत के कारण मंत्रिपरिषद अपने आप ही विघटित हो जाती है। दूसरी ओर यदि किसी मंत्री का पद रिक्त होता है तो मुख्यमंत्री उसे भर या नहीं भी भर सकता।
- राज्यपाल एवं मंत्रिमरिषद के बीच संवाद का वह प्रमुख तंत्र है। मुख्यमंत्री का यह कर्तव्य है कि वहः
- राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी मंत्रिपरिषद् के सभी विनिश्चय राज्यपाल को संसूचित करे।
- राज्य के कार्यों के प्रशसन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी जो जानकारी राज्यपाल मांगे, वह दे, और
- किसी विषय को जिस पर किसी मंत्री ने निश्चिय कर दिया है किन्तु मंत्रिपरिषद् ने विचार नहीं किया है, राज्यपाल द्वारा अपेक्षा किए जाने पर परिषद के समक्ष विचार के लिए रखे।
- वह महत्वपूर्ण अधिकारियों, जैसे- महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों और राज्य निर्वाचन आयुक्त आदि की नियुक्ति के संबंध में राज्यपाल को परामर्श देता है।
- वह राज्यपाल को विधानसभा का सत्र बुलाने एवं उसे स्थगित करने के संबंध में सलाह देता है।
- वह राज्यपाल को किसी भी समय विधानसभा विघटित करने की सिफारिश कर सकता है।
- वह सभा पटल पर सरकारी नीतियों की घोषणा करता है।
- वह राज्य योजना बोर्ड का अध्यक्ष होता है।
- वह संबंधित क्षेत्रीय परिषद के क्रमवार उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करता है। एक समय में इसका कार्यकाल एक वर्ष का होता है।
- वह अन्तरराज्यीय परिषद और नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल का सदस्य होता है। इन दोनों परिषदों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।
- वह राज्य सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है।
- आपातकाल के दौरान राजनीतिक स्तर पर वह मुख्य प्रबंधक होता है।
- राज्य का नेता होने के नाते वह जनता के विभिन्न वर्गों से मिलता है और उनसे उनकी समस्याओं आदि के संबंध में ज्ञापन प्राप्त करता है,
- वह सेवाओं का राजनीतिक प्रमुख होता है।
राज्यपाल के साथ संबंध
- अनुच्छेद 163: जिन बातों में इस संविधान द्वारा या इसके अधीन राज्यपाल से यह अपेक्षित है कि वह अपने कृत्यों या उनमें से किसी को अपने विवेकानुसार करे उन बातों को छोड़कर राज्यपाल को अपने कृत्यों का प्रयोग करने में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका प्रधान, मुख्यमंत्री होगा।
- अनुच्छेद 164:
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर ही करेगा।
- मंत्री राज्यपाल के प्रसादपर्यंत अपना पद धारण करेंगे, और
- मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी राज्य विधानसभा के प्रति होगी।
- अनुच्छेद 167: मुख्यमंत्री का कर्तव्य है कि वह:
- राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी मंत्रिपरिषद् के सभी विनिश्चय राज्यपाल को संसूचित करे।
- राज्य के कार्यों के प्रशसन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी जो जानकारी राज्यपाल मांगे, वह दे, और
- किसी विषय को जिस पर किसी मंत्री ने निश्चिय कर दिया है किन्तु मंत्रिपरिषद् ने विचार नहीं किया है, राज्यपाल द्वारा अपेक्षा किए जाने पर परिषद के समक्ष विचार के लिए रखे।
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here