General Competition | Economics & Economy | राष्ट्रीय आय
वर्तमान समय में सभी अर्द्धविकसित एवं विकासशील देश का मुख्य उद्देश्य है- आर्थिक विकास को अधिक तेज बनाना।
General Competition | Economics & Economy | राष्ट्रीय आय
- वर्तमान समय में सभी अर्द्धविकसित एवं विकासशील देश का मुख्य उद्देश्य है- आर्थिक विकास को अधिक तेज बनाना।
- राष्ट्रीय आय के माप से ही हमें यह जानकारी प्राप्त होती है कि किसी देश का आर्थिक विकास हो रहा है या नहीं ।
- देश के प्राकृतिक संसाधनों पर श्रम और पूँजी लगाकर उनका उपयोग किया जाता है उससे प्रत्येक वर्ष एक निश्चित मात्रा में वस्तुओं और सेवाओं के योग को ही राष्ट्रीय आय कहते हैं।
- राष्ट्रीय आय की धारणा को जानने से पहले अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह को समझना आवश्यक है।
आय का चक्रीय प्रवाह (The Circular Flow of Income)
- आय और उत्पाद के चक्रीय प्रवाह के दृष्टिकोण से एक अर्थव्यवस्था को प्राय: पाँच श्रेणी में बाटाँ जाता है-
- उत्पादक क्षेत्र - यह क्षेत्र वस्तुओं और सेवाओं का उत्पाद करता है।
- गृहस्थ क्षेत्र - यह क्षेत्र वस्तुओं और सेवाओं का उपभोग करता है। गृहस्थ, उत्पादन के साधन (भूमि, पूँजी, श्रम एवं उद्यम ) के स्वामी होते हैं।
- सरकारी क्षेत्र - यह क्षेत्र कराधान एवं आर्थिक सहायता आदि से संबंधित कार्य करता है।
- शेष विश्व क्षेत्र - यह क्षेत्र निर्यात और आयात करता है।
- वित्तीय क्षेत्र - यह क्षेत्र मुद्रा उधार देता है एवं जमाएँ स्वीकार करता है।
- आय और उत्पादन के चक्रीय प्रवाह से तात्पर्य अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में मौद्रीक आय के प्रवाह या वस्तुओं और सेवाओं के चक्रीय प्रवाह से है।
- आय के चक्रीय प्रवाह के दो मुख्य कारण हैं-
- किसी एक दिशा में होने वाले वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह के साथ-साथ उससे विपरित दिशा में मुद्रा का प्रवाह होता है ।
- एक क्षेत्र को जो प्राप्तियाँ मिलती है, वे दूसरे क्षेत्र को किए जाने वाले भुगतान के बराबर होता है।
- आय के प्रवाह से तात्पर्य मुद्रा के प्रवाह से है। जबकि उत्पाद के प्रवाह से अभिप्राय वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह से है। आय के प्रवाह को मौद्रीक प्रवाह तथा उत्पाद के प्रवाह को वास्तविक प्रवाह कहा जाता है।
- सामान्य रूप से किसी देश की अर्थव्यवस्था को केवल दो क्षेत्र उत्पादक क्षेत्र तथा उपभोक्ता क्षेत्र (गृहस्थ क्षेत्र) में बाँट दिया जाए तो इनके बीच निम्न रूप से उत्पादन, आय एवं व्यय का प्रवाह निरंतर चलता रहता है।
राष्ट्रीय आय की परिभाषा
- "किसी देश का श्रम तथा पूँजी, प्राकृतिक संसाधनों पर क्रियाशील होकर प्रतिवर्ष वस्तुओं का एक शुद्ध समूह उत्पन्न करे हैं जिसमें भौतिक तथा अभौतिक पदार्थ तथा सभी प्रकार की सेवाएँ सम्मिलित रहती है। यह देश का राष्ट्रीय आय कहलाता है । "
- अल्फ्रेड मार्शल के अनुसार राष्ट्रीय आय एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य है।
- "राष्ट्रीय आय किसी समाज की वास्तविक आय का वह भाग जिसमें विदेशों से प्राप्त आय भी सम्मिलित है, जिसे मुद्रा के रूप में मापा जाता है।"
- प्रो. पीगू के अनुसार एक निश्चित अवधि में देश के नागरिकों के संपूर्ण आय को राष्ट्रीय आय माना है।
- “वास्तविक राष्ट्रीय आय वार्षिक शुद्ध उत्पादन का वह भाग जिसका उस वर्ष में प्रत्यक्ष रूप से उपभोग किया जाता है । "
- मार्शल और पीगूं के ठीक विपरित फिशर ने उत्पादन की अपेक्षा उपभोग को राष्ट्रीय आय का आधार माना हैं।
राष्ट्रीय आय लेखांकन की मूल धारणाएँ (Basic Concepts of National Income Accounting)
- राष्ट्रीय आय लेखा विधि भी घरेलू सीमा शब्द का प्रयोग विशेष अर्थों में किया जाता है। घरेलू सीमा की परिभाषा में निम्नलिखित बातों को शामिल किया जाता है-
- देश की राजनीतिक या भौगोलिक तथा समुद्री सीमा ।
- देश के निवासियों द्वारा दो या दो से अधिक देशों के बीच चलाए जाने वाले जलयान तथा वायुयान।
- मछली पकड़ने की नौकाएँ, तेल व प्राकृतिक गैस यान जो अंतराष्ट्रीय जल सीमा में या उस सीमा में देश के निवासियों द्वारा चलाए जाते हैं जिनमें देश को तेल खोजने का अधिकार है।
- देश का विदेशों में स्थित दूतावास, वाणिज्य दूतावास तथा सैनिक प्रतिष्ठान, वैज्ञानिक स्टेशन आदि । परंतु भारत में अमेरिका का दूतावास भारत की घरेलू सीमा का अंग नहीं है।
- एक देश के सामान्य निवासी से अभिप्राय उस व्यक्ति या संस्था से है जो उस देश में समान्यतया रहता है या स्थित है जिसकी आर्थिक रूचि उस देश में केंद्रित हैं।
- यदि कोई व्यक्ति एक वर्ष से अधिक समय के लिए विदेश में रहता है तो वह विदेश का सामान्य निवासी कहलाता है वह देश के लिए गैर निवासी हो जाएगा।
- घरेलू उत्पाद या आय की धारणा का संबंध किसी देश की घरेलू सीमा में सभी उत्पादकों (सामान्य निवासी + गैर निवासी) द्वारा उत्पादित उत्पादन से है।
- राष्ट्रीय उत्पाद या आय की धारणा का संबंध किसी देश के सभी सामान्य निवासी द्वारा देश की घरेलू सीमा तथा शेष विश्व में किए गए उत्पाद से है।
- सकल (Gross) शब्द का प्रयोग शुद्ध (Net) शब्द की तुलना में विस्तृत अर्थों में किया जाता है।
- मूल्य ह्रास (Depreciation) से तात्पर्य एक लेखा वर्ष में सामान्य टूट फूट, अनुमानित अप्रचलन तथा आकस्मिक हानि से है।
- बाजार कीमत की धारणा व्यय दृष्टिकोण की धारणा है जबकि साधन लागत की धारणा आय दृष्टिकोण की धारणा है।
राष्ट्रीय आय
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