General Competition | Science | Biology (जीव विज्ञान) | कोशिका विज्ञान

कोशिका (Cell) सभी सजीवों अथवा जीवन की आधारभूत संरचना एवं क्रियात्मक इकाई (Basic Structural and Functional Unit) है।

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General Competition | Science | Biology (जीव विज्ञान) | कोशिका विज्ञान

  • कोशिका (Cell) सभी सजीवों अथवा जीवन की आधारभूत संरचना एवं क्रियात्मक इकाई (Basic Structural and Functional Unit) है।
  • कोशिका जीवद्रव्य (Protoplsm) से बनी संरचना होती है और इस जीवद्रव्य में कई कार्बनिक तथा अकार्बनिक यौगिक उपस्थित रहते हैं।
  • सभी सजीवों की कोशिका एक समान नहीं होती है। अलग-अलग सजीवों की कोशिका आकार, स्वरूप (Shape) तथा संख्या में एक-दूसरे से काफी भिन्न होते हैं।
    • संसार की सबसे छोटी कोशिका - माइक्रोप्लाज्मा गैलिसेप्टिकम
    • संसार की सबसे बड़ी कोशिका- शुतुरमुर्ग का अंडा
    • संसार शरीर की सबसे छोटी कोशिका - मस्तिष्क के सेरीबेलम का ग्रेन्यूल कोशिका
    • मानव शरीर की सबसे बड़ी कोशिका - अंडाणु (Ova)
    • मानव शरीर की सबसे लम्बी कोशिका - न्यूरॉन
  • कोशिका का आकार एवं आकृति कैसी होगी, यह कोशिका के कार्यों पर निर्भर करता है अर्थात अलग-अलग कार्य करने वाले कोशिका का आकार एवं आकृति एक-दूसरे से भिन्न होती है।
  • कुछ कोशिका अपना आकार पल-पल बदलते भी रहते हैं। अमीवा तथा मनुष्य का WBC कोशिका का आकार निश्चित नहीं रहता है। ये दोनों ही कोशिका अपना आकार बदलते रहती है।
  • सभी सजीवों में कोशिका की संख्या भी एक समान नहीं होती है। कोशिका के संख्या के आधार पर सजीवों को दो समूहों में रखा गया है- 
    1. Unicellular ( एककोशिकीय ) जब जीवों के शरीर केवल एक ही कोशिका से निर्मित होता है वह एक कोशिकीय जीव कहलाते हैं। ये जीव आँखों से दिखाई नहीं पड़ते हैं, इन्हें देखने हेतु सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता पड़ती है। उदाहरण:- सूक्ष्मजीव ( Micro Organism)
    2. Multicellular (बहुकोशिकीय)- इन जीवों का शरीर अनेक कोशिका से मिलकर बना होता है। उदाहरण:- सभी दिखने वाले सजीव
  • विभिन्न सजीवों में कोशिका की संख्या कितनी होगी, यह सजीवों के शरीर के आकार पर निर्भर करता है। शरीर का आकार जितना बड़ा होगा उसमें कोशिका की संख्या उतनी ही अधिक होगी।

कोशिका का विकासक्रम

  • 1590 : जैड जैनसेन तथा एच. जैनसेन ने माइक्रोस्कोप की खोज की और इसके साथ ही कोशिका अध्ययन का मार्ग खुल गया ।
  • 1665 : रॉबर्ट हुक ने अपनी द्वारा बनाये गये माइक्रोस्कोप से कोशिका की खोज की। कोशिका का नामांकरण भी रॉबर्ट हुक के द्वारा किया गया।
    • कोशिका (Cell) लैटिन शब्द से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- छोटा कमरा ।
    • रॉबर्ट हुक ने कोशिका की खोज कॉर्क ( पेड़ की छाल) के टुकड़े में किया था।
    • रॉबर्ट हुक द्वारा खोजा गया कोशिका का मृत कोशिका था ।
  • 1683 : ल्यूवेनहॉक द्वारा सर्वप्रथम जीवित कोशिका की खोज की गई। ल्यूवेनहाक ने पहले की तुलना में उन्नत माइक्रोस्कोप द्वारा जीवित कोशिका के रूप में जीवाणु, प्रोटोजोआ, RBC कोशिकाओं को देखा।
  • 1831 : रॉबर्ट ब्राउन ने कोशिका के मध्य एक गोल संरचना देखी, जिसका नाम उन्होंने केन्द्रक (Nucleus) नाम दिया ।
  • 1838-39 : जैकब श्लाइडेन तथा श्वान ने कोशिका मतवाद (Cenn theory) प्रस्तुत कि, जिसके बाद यह स्पष्ट हो पाया कि प्रत्येक सजीव का शरीर कोशिकाओं से निर्मित हैं।
    : श्लाइडेन तथा श्वान के द्वारा प्रस्तुत कोशिका मतवाद की प्रमुख बातें-
    1. प्रत्येक जीव का शरीर एक अथवा अनेक कोशिकाओं से निर्मित होता है।
    2. प्रत्येक जीव की उत्पत्ति एक कोशिका से ही होती है।
    3. प्रत्येक कोशिका अपने आप में एक स्वाधीन इकाई है परंतु सब कोशिका मिलकर काम करते हैं, परिणामस्वरूप एक जीव का निर्माण होता है।
    4. कोशिका की उत्पत्ति जिस भी प्रक्रिया से हो उसमें कोशिका का केन्द्रक मुख्य भूमिका अदा करता हैं।
  • 1839 : पुरकिंजे ने कोशिका में पाये जाने वाले अर्धतरल एवं दानेदार पदार्थ को जीवद्रव्य (Proplasm) नाम दिया।
  • 1846 : पुरकिंजे के बाद वॉन मोल ने कोशिका में पाये जाने वाले जीवद्रव्य की खोज की।
  • 1855 : रूडॉल्फ विरचॉव ने यह पता लगाया कि नये कोशिका का निर्माण पहले मौजूद कोशिकाओं के विभाजन के फलस्वरूप होता है।
  • 1861 : मैक्स शुल्ज ने कोशिका को जीवद्रव्य (Protoplsm) का एक पिंड बताया। उनका यह मत Protoplasm Theory कहलाया ।
  • 1831 : एम. नॉल तथा ई. रस्का ने इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का आविष्कार किया। इसके बाद कोशिका के क्षेत्र में काफी तीव्र गति से अनुसंधान होने लगा।

कोशिका की संरचना

  • कोशिका को मुख्य रूप से दो हिस्सों में बाँटा जा सकता है- कोशिका झिल्ली (पौधे में कोशिका झिल्ली के अतिरिक्त कोशिका भित्ति भी) और जीवद्रव्य ।
  • जीवद्रव्य को पुनः दो हिस्सों में विभक्त किया जाता है। कोशिकाद्रव्य तथा केन्द्रक I
  • कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) में ढेर सारी रचनायें (Structure) पायी जाती है। जो दो प्रकार के होते हैं-
    1. जीवद्रवीय रचनायें (Organoids) - इसके अंतर्गत जीवित रचनायें आते हैं जिनमें बढ़ने तथा विभाजन करने की क्षमता होती है। ये रचनायें हैं-
      1. सेंट्रोसोम
      2. आंतरद्रव्य जालिका
      3. राइबोसोम
      4. माइटोकॉण्ड्रिया
      5. लवक
      6. गॉल्जीकाय
      7. लाइसोसोम
    2. मेटाप्लास्ट्स (Metaplast) - ये निर्जीव रचनायें हैं जिनमें न तो बढ़ने की क्षमता होती है और न ही विभाजन करने की।
      • मेटाप्लास्ट के अंतर्गत रसधानी, वसा-कण, प्रोटीन, ग्लाइकोजेन, पीत आदि आते हैं।

कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)

  • प्रत्येक कोशिका के चारों ओर बहुत ही पतली, जीवित मुलायम तथा लचीली झिल्ली होती है जो कोशिका झिल्ली कहलाता है। यह लगभग 75A° मोटा होता है।
  • कोशिका झिल्ली कोशिका को दूसरी कोशिका तथा बाहरी वातावरण से अलग करती है।
  • कोशिका झिल्ली अर्द्धपारन्य (Semipermeable) या चयनात्मक पारगम्य (Selective premable) होती है क्योंकि इस झिल्ली से होकर कुछ ही पदार्थ कोशिका के अंदर बाहर आ जा सकते है, सभी पदार्थ नहीं।
  • कोशिका झिल्ली लीपीड और प्रोटीन की बनी होती है। इस झिल्ली में दो परत प्रोटीन की तथा इनके बीच एक परत वसा की होती है। कोशिका झिल्ली के संबंध में तरल मोजाइक मॉडल सिंगर तथा निकॉलसन ने दिया था।
  • कोशिका झिल्ली के प्रमुख कार्य-
    • यह कोशिका को निश्चित आकृति देता है तथा कोशिका के भीतरी संरनाओं को बाहरी आघात से बचाता है।
    • यह कोशिका के अंदर जाने तथा बाहर आने वाले पदार्थ पर नियंत्रण रखता है।
    • एक कोशिकीय जीवों में कोशिका झिल्ली द्वारा ही सीलिया, फ्लेजिला तथा कूटपाद का निर्माण होता है ।
    • कोशिका द्वारा होने वाले परासरण तथा त्रिसरण की क्रिया कोशिका झिल्ली द्वारा ही सम्पन्न होता है।

कोशिका भित्ती

  • पौधा तथा कवक में कोशिका झिल्ली के बाहर एक ओर परत होती है जो कोशिका भित्ती कहलाती है। कोशिका भित्ती कोशिका झिल्ली के तरह न तो जीवित झिल्ली है और न ही अर्द्धपरागम्य ।
  • कोशिका भित्ती तीन परतों का बना एक मोटी भित्ती है। पौधों को कोशिका भित्ती सेल्युलोज तथा हेमी सेल्यूलोज की बनी होती है तथा कवकों की कोशिका भित्ती काइटीन तथा हेमीसेल्यूलोज की बनी होती है। 
  • कोशिका भित्ती के प्रमुख कार्य-
    • यह भित्ती पौधे के कोशिका की रक्षात्मक परत है जो कोशिका को निश्चित आकार, मजबूती तथा सुरक्षा प्रदान करती है।
    • यह कोशिका को सूखने से बचाता है एवं विभिन्न कोशिकाओं को जोड़ने का कार्य करता है।
    • कोशिका भित्ती एक निर्जीव संरचना है जो पारगम्य होता है और ह कोशिका झिल्ली को भी सुरक्षा देता है।

कोशिका द्रव्य

  • जीवद्रव्य का वह भाग जो केन्द्रक (Nucleus) तथा कोशिका झिल्ली के मध्य होता है उसे ही कोशिका द्रव्य कहा जाता है।
  • कोशिका द्रव्य ( या जीवद्रव्य) रंगहीन अर्द्धपारदर्शक तथा अर्द्धतरल पदार्थ है । यह एक प्रकार का कोलाइड है जिसमें 80 प्रतिशत तक जल होता है।
  • जल के अलावे जीवद्रव्य ( कोशिका द्रव्य) में लगभग 30 तत्व पाये जाते हैं जिनमें ऑक्सीजन, कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन मुख्य है।
  • कोशिका द्रव्य में कई जीवित तथा कार्य करने वाले रचनायें मौजूद रहती है जिसे कोशिका अंगक (Cell Organelle) कहते हैं।

आंतरद्रव्य जालिका (Endoplasmic Reticulum)

  • यह महीन नलिकाओं का एक जाल जैसी संरचना के रूप में कोशिका द्रव्य में पायी जाती है।
  • यह संरचना कहीं-कहीं पर काशिका झिल्ली से मिली होती है तो कहीं-कहीं पर केन्द्रक के केन्द्रक झिल्ली से मिली होती है।
  • यह संरचना लिपोप्रोटीन (लीपीड और प्रोटीन) की बनी होती है। कोशिका द्रव्य में ER (Endoplasmic Reticulum) दो प्रकार के होते है-
    1. चिकनी अंतरद्रव्य जालिका ( Smooth ER)
    2. खुरदुरी अंतरद्रव्य जालिका (Rough ER)
  • Rough ER के झिल्ली पर राइबोसोम के सूक्ष्म कण पाये जाते हैं जबकि Smooth ER पर राइबोसोम उपस्थित नहीं होते है।
  • अपनी विशेष संरचना के कारण अंतरव्य जालिका को कोशिका (या कोशिका द्रव्य) का कंकाल तंत्र कहा जाता है।
  • इस संरचना की खोज सर्वप्रथम पोर्टर, क्लाउडे तथा फूलम ने किया था जबकि इसका प्रथम बार नामकरण पोर्टर तथा कलमैन के द्वारा किया गया ।
  • अंतरद्रव्यजालिका को वर्त्तमान समय में एरगैस्टोप्लाज्मा (Ergastoplasm) भी कहा जाता है।
  • अंतरद्रव्य जालिका के प्रमुख कार्य-
    • यह अतः कोशिकीय परिवहन का कार्य करती है। अंतरद्रव्य जालिका के नली में तरल द्रव्य भरा रहता है जिसे यह कोशिका द्रव्य के विभिन्न हिस्सों में वितरित करते रहती है।
    • कोशिका द्रव्य के अंदर प्रोटीन का परिवहन मुख्यतः अंतर द्रव्य जालिका द्वारा किया जाता है।
    • चिकनी अंतरद्रव्य जालिका वसा तथा कोलेस्ट्रॉल के संश्लेषण में भाग लेती है तथा खुरदुरी अंतरद्रव्य जालिका प्रोटीन संश्लेषण में मदद करता है ।
    • अंतरद्रव्य जालिका उन कोशिकाओं में अधिक पायी जाती है जिनमें प्रोटीन, वसा, हॉर्मोन का संश्लेषण होता है। जैसे- मनुष्य के यकृत, अग्न्याशय के कोशिका में अंतरद्रव्य जालिका की संख्या अधिक होता है।
    • मानव यकृत में पाये जाने वाले चिकनी अंतरद्रव्य जालिका यकृत को विष के प्रभाव को नष्ट करने में मदद करता है।

राइबोसोम (Ribosome)

  • राइबोसोम एक दानेदार संरचना है जो आंतरद्रव्यजालिका के ऊपर (RER में), या अकेले या गुच्छों के रूप में कोशिका द्रव्य में बिखड़े रहते हैं। यह झिल्ली विहीन तथा सबसे छोटा कोशिका अंगक है।
  • कोशिका द्रव्य में जो राइबोसोम गुच्छों के रूप में पाये जाते हैं उसे पॉलीराइबोसोम या पॉलीसोम कहते हैं। पॉलीसोम में सभी राइबोसोम मेसेंजर RNA (mRNA) के धागे समान रचना से बँधे होते हैं।
  • राइबोसोम प्रोटीन तथा आर. एन. ए. (RNA) से मिलकर बना होता है।
  • राइबोसोम दो प्रकार के होते हैं 70S तथा 80S राइबोसोम । 70S राइबोसोम के दो सब यूनिट होते है 30S तथा 50S, ठीक इसी प्रकार 80S राइबोसोम के भी दो सबयूनिट होते है 40S तथा 60S
  • राइबोसोम की खोज सर्वप्रथम रॉबिन्सन तथा ब्राउन ने पादप कोशिका में किया था। जन्तु कोशिका में राइबोसोम का खोज जी. ई. पैलाडे द्वारा किया गया था। राइबोसोम का नामकरण रॉबर्ट के द्वारा किया गया।
  • राइबोसोम के कार्य-
    • यह प्रोटीन संश्लेषण का काम करता है। इसके अभाव में कोशिका में प्रोटीन संश्लेषण हो पाना संभव नहीं है। राइबोसोम को कोशिका का प्रोटीन फैक्ट्री कहा जाता है।

गॉल्जीकाय (Golgi body)

  • कोशिका द्रव्य में यह मुड़े हुए छड़ के गुच्छे के समान दिखाई पड़ते है। पादप कोशिका में गॉल्जी काय मुड़े हुए छड़ की रचना बनाकर बिखड़े रहते हैं जिसे डिक्टियोसोम (Dictysome) कहा जाता है।
  • डॉल्टन तथा फेलिक्स नामक वैज्ञानिक ने पूरे गॉल्जीकाय के संरचना को तीन भागों में बाँटा है- सिस्टर्नी (Cisternae), छोटे ट्यूब्यूल्स एवं वेसिकल्स (Small tubules and Vesicles) तथा बड़ी रसधानी (large vaculoes)। 
  • सर्वप्रथम इसकी खोज कैमिली गॉल्जी ने किया था। कैमिलो गॉल्जी इटली के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर थे उन्होंने इस संरचना की खोज तंत्रिका कोशिका में की थी।
  • कैमिलो गॉल्जी ने इस संरचना का नाम आंतरिक जालिका वत उपकरण (Internal retricular apertus) रखा था परंतु बाद के समय इसका नाम गॉल्जीकाय (Golgi body) पड़ गया ।
  • गॉल्जीकाय के प्रमुख कार्य-
    • यह अंगक कार्बोहाइड्रेट, लिपिड प्रोटीन, न्यूक्लिक एसीड जेसे पदार्थों का पैकेजिंग, संग्रह तथा स्रवण (Secretion) करता है। यह कोशिका का मुख्य Secretion Organelle ( स्रवण अंगक) है।
    • यह लाइसोसोम (Lysosome) जैसे महत्वपूर्ण कोशिका अंगक के निर्माण में मदद करते है।
    • कोशिका के अंदर ग्लाइकोलिपीड तथा ग्लाइकोप्रोटीन का निर्माण गॉल्जीकाय में ही होता है।

लाइसोसोम (Lysosome)

  • यह कोशिकाद्रव्य की झिल्लीदार थैलियों जैसी संरचना है । इस थैलियों की आकृति हमेशा एक जैसी बनी रहती है, यह बहुरूपता (Polymorphism) को दर्शाते है।
  • लाइसोसोम पौधे के कोशिका के तुलना में जंतु कोशिका में प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।
  • लाइसोसोम थैली के अंदर हर प्रकार के हाइड्रोलाइटिक एंजाइम पाये जाते हैं। इन इंजाइमों में इतनी क्षमता है कि यह कोशिका द्रव्य एवं उसमें उपस्थित सभी जीवित संरचनाओं को नष्ट कर सकता है। लाइसोसोम को आत्महत्या की थैली कहा जाता है।
  • लाइसोसोम की खोज सर्वप्रथम 1958 में डि डवे के द्वारा किया गया। डि डवे को इस कार्य हेतु 1974 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
  • लाइसोसोम के प्रमुख कार्य-
    • यह कोशिका अंगकों के टूटे-फूटे भाग को पाचित (Digestion) कर कोशिका द्रव्य को साफ रखता है। यह आवश्यकता के अनुरूप कोशिका को भी नष्ट करता है।
    • यह कोशिका को विषाणु, जीवाणु तथा अन्य सूक्ष्मजीवों के संक्रमण से बचाता है।

लवक (Plastid)

  • लवक केवल पौधों के कोशिका में पाया जाता है। यह कोशिका में पाये जाने वाले सभी कोशिकांगों में बड़ा होता है।
  • लवक में खास वर्णक (Pigment) पाये जाते है। वर्णकों के आधार पर लवक तीन प्रकार के होते है- हरित लक्क (Chloroplast), वर्णलत्रक ( Chromoplast) तथा अवर्णीलक्क (Leucoplast)
  • हरित लवक (Chloroplast)
    • यह सबसे महत्वपूर्ण लवक है, इस लवक में क्लोरोफील वर्णक (Chlorophyll Pigment) पाये जाते हैं जिसके चलते प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पौधों में सम्पन्न हो जाती है।
    • हरित लवक मुख्यतः हरी पत्तियों के मेसोफिल कोशिका में पाया जाता है। सभी कोशिकाओं के हरित लवक प्रकाश सूक्ष्मदर्शी से देखने पर समान नहीं दिखाई पड़ते है। एक कोशिका में 1 से लेकर 80 तक हरित लवक हो सकते हैं, जिसकी व्यास 4-10pm तथा मोटाई 3-4 pm तक होती है।
    • हरित लवक का जब प्रकाश सूक्ष्मदर्शी द्वारा अध्ययन हुआ तो इसकी संरचना कुछ इस प्रकार निर्धारित हुई-
    • हरित लवक दुहरी चिकनी झिल्ली से घिरी होती है। यह दुहरी झिल्ली पारगम्य होती है तथा प्रोटीन से बनी होती है। दुहरी झिल्ली से घिरा हुआ तरलयुक्त गुहा (Cavity) की Stroma (स्ट्रोमा) कहते हैं। Stroma में महीन झिल्लीदार संरचनाओं को Stroma lamelle कहते हैं। Stroma lamelle के बीच-बीच चपटी एवं वृत्ताकार थैली एक समूह में व्यवस्थित रहते हैं जिसे Thylakoid कहते है। Thylakoid प्रोटीन एवं लिपिड का बना होता है। Thylakoid के समूह को Granum कहा जाता है Thylakoid नामक थैली में ही क्लोरोफील पाया जाता है। क्लोरोफील अणुओं के समूह को Quantasome भी कहा जाता है।
    • हरित लवक प्रकाश संश्लेषण क्रिया के केन्द्र है और यह सिर्फ प्रकाश-संश्लेषी पौधों में ही पाया जाता है।
  • वर्णी लवक ( Chromoplast)
    • इसे रंगीन लवक कहा जाता है, पौधों में हरे रंग के अतिरिक्त अन्य सभी रंगों के लिए वर्णी लवक ही उत्तरदायी होते है।
    • विभिन्न प्रकार के वर्णी लवक-
      गाजर का नारंगी रंग - कैरोटीन
      हल्दी का पीला रंग - जैन्थोफील
      पपीते का पीला रंग - कैरिका जैन्थिन
      टमाटर का लाल रंग - लाइकोपीन
      सेब का लाल रंग - एन्थोसाइनीन
    • सभी रंगों के लिए उत्तरदायी वर्णी वलक वसा में घुलनशील होते हैं तथा मुख्य रूप से फूलों तथा फलों में ही पाये जाते है।
    • गौरतलब है कि हरित लवक वर्णी लवक के रूप में परिवर्तित हो सकते है तथा वर्णी लवक हरित लवक में। तीनों प्रकार के लवक आपस में परिवर्तित हो सकते है।
  • अवर्णी लवक (Leucoplast)
    • यह लवक पौधों के उन भागों के कोशिका में पाये जात हैं जो सूर्य के प्रकाश से वंचित रहते है। जड़, भूमिगत तना (आलू, प्याज) में यह लवक मुख्य रूप से पायी जाते है।
    • यह लवक विभिन्न प्रकार के पोषक पदार्थों का संग्रह करती है। यह लवक कई प्रकार के होते हैं-
      Amyloplast - स्टार्च संग्रह करने वाला 
      Proteinoplast - प्रोटीन संग्रह करने वाला 
      Aleuroplast - प्रोटीन संग्रह करने वाला 
      Elaioplast - वसा संग्रह करने वाला

तारककाय (Centrosome)

  • यह संरचना केवल जंतु कोशिका मे ही पायी जाती है। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से देखने पर यह बेलन जैसा दिखता है और इसके चारों ओर वृत्तीय क्रम में व्यवस्थित, धागे जैसी संरचना होती है, इस संरचना को Astral rays कहते है।
  • प्रत्येक सेन्ट्रोसोम के अंदर एक या दो कण जैसी संरचना पायी जाती है जिसे Centriol कहते है।
  • Centrosome का नामकरण टी. बोभेरी के द्वारा किया गया। Centrosome जंतु कोशिका को कोशिका विभाजन में मदद करता है।

रसधानियाँ (Vacuole)

  • रसधानी कोशिका की निर्जीव रचनाएँ (Metaplast) है। रसधानी मुख्य रूप से पौधों की कोशिका में पायी है। जंतु कोशिका में काफी छोटे आकार की रसधानी पायी जाती है या नहीं पायी जाती है।
  • रसधानी थैली समान आकृति है जो चारों ओर से झिल्ली द्वारा घिरी रहती है । इस झिल्ली को Tonoplast कहते है। Tonoplast (टोनोप्लास्ट) एक अर्द्धपारगम्य झिल्ली है।
  • पौधों की रसधानियाँ में कोशिका रस (Cellsap) भरा रहता है। कोशिका रस पौधों की कोशिका में जीवद्रव्य का निर्माण करता है।
  • रसधानी जंतु कोशिका में जल संतुलन बनाये रखने का कार्य करती है।
  • कुछ एककोशिकीय जीवों (प्रोटोजोआ ) की रसधानियाँ संकुचनशील (Contractile) होती है और वह रसधानी शरीर से अपशिष्ट तरल पदार्थ का संग्रह कर बाहर निकालने में मदद करती है।
  • कोशिका द्रव्य में पाये जाने वाले कुछ नवीन संरचनाओं का पता जीव वैज्ञानिकों ने लगाया है, जो इस प्रकार है-
    1. स्फीरोसोम्स (Sphaerosome) : इसे पौधों की कोशिका का लाइसोसोम कहा जाता है। यह वसा का संश्लेषण तथा संग्रहण का कार्य करता है।
    2. कोशिकीय पंजर (Cytoskeleton) : यह प्रोटीन का बना सूक्ष्म तंतु या जाल है जो पूरे कोशिकाद्रव्य में फैला रहता है। यह एक रचनात्मक ढाँचा बनाकर कोशिका की आकृत्ति बनाये रखते है ।
    3. परॉक्सीसोम (Peroxisome) : यह संरचना पौधों में प्रकाशीय श्वसन में मदद करता है। इसके द्वारा कोशिका में हाइड्रोजनपरऑक्साइड (H2O2) का भी उत्पादन होता है।
    4. Microtubules : यह छोटी-छोटी नलिकाकार संरचना है जो पूरे काशिकाद्रव्य में फैली रहती है। यह संरचना कोशिका को गति कराने में सहायक होती है। 

केन्द्रक (Nucleus)

  • सभी जीवित कोशिका के कोशिका द्रव्य के मध्य में गोलाकार तथा अंडाकार आकृति होती है जिसे केन्द्रक कहते है। केन्द्रक गोलाकार या अंडाकार आकृति के अलावे वृक्क (Kidney) आकृति जैसा, घोड़े के पैर आकृति जैसा भी हो सकता है।
  • कुछ जीवित कोशिका में केन्द्रक नहीं भी पाये जाते हैं, कुछ कोशिका में दो केन्द्रक भी पाये जाते हैं जबकि कुछ ऐसे भी कोशिका है जिनमें कई केन्द्रक पाये जाते है।
  • सभी जीवित कोशिका का केन्द्रक एक समान नहीं होता है। केन्द्रक की आकृति कोशिका के क्रिया (कार्य) पर निर्भर करता है।
  • एक केन्द्रक के संरचना में निम्नलिखित भाग पाये जाते है-
    1. केन्द्रक झिल्ली (Nuclear membrane or Nuclear evelope)- यह दोहरी परत की बनी झिल्ली होती है जो केन्द्रक के चारों ओर रहता है। दोहरी परत वाली झिल्ली के बीच के जगह को Perinuclear space कहते है। केन्द्रक झिल्ली की बाहरी परत अंतरद्रव्यजालिका से जबकि भीतरी परत क्रोमेटीन नेटवर्क से जुड़ा रहता है। केन्द्रक झिल्ली में कई छिद्र होते हैं, जिन छिद्रों से कोशिका द्रव्य तथा केन्द्रकद्रव्य के बीच पोषक पदार्थों का आदान-प्रदान होता है।
    2. केन्द्रक द्रव्य (Nucleoplasm or Nucleosap) केन्द्रक के भीतर पाये जाने वाले जीवद्रव्य को ही केन्द्रकद्रव्य कहते है। इस द्रव्य में मुख्य रूप से प्रोटीन, फॉस्फोरस और न्यूक्लिक अम्ल (DNA तथा RNA ) पाये जाते है।
    3. क्रोमैटीन जाल (Chromatin Network ) केन्द्रक द्रव्य में महीन धागों का बना जाल क्रोमैटीन जालिका कहलाता है, यह जालिका कोशिका विभाजन के समय काफी स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ते है । क्रोमैटीन जालिका हिस्टोन प्रोटीन, ननहिस्टोन प्रोटीन, DNA तथा RNA से मिलकर बना होता है ।
      • केन्द्रक द्रव्य में क्रोमैटीन जालिका दो तरह के होते है। एक जालिका विखड़ा हुआ रहता है जिसे यूक्रोमैटीन कहते है तथा एक जालिका बहुत ही सघन और सख्त रहता है जिसे हेटरोक्रोमैटीन कहते है। यूक्रोमैटीन सक्रिय रहते है जबकि हैटरोक्रोमैटीन निष्क्रिय रहते है।
      • कोशिका विभाजन के समय क्रोमैटीन जालिका एक नई छड़ जैसी संरचना में बदल जाती है तब इसे गुणसूत्र (Chromosome) कहा जाता है।
    4. केंद्रिका (Nucleolus)— केन्द्रक द्रव्य में एक छोटी गोलाकार संरचना रहती है जिसे केंद्रिका कहते है । इसकी खोज 'फॉण्टाना' के द्वारा की गई थी। केंद्रिका में RNA का संश्लेषण होता है, राइबोसोम का निर्माण होता है और यह कोशिका विभाजन के समय केन्द्रक को सहायता प्रदान करता है।
  • कोशिका के भीतर होने वाले समस्त कार्य एवं गतिविधियों का नियंत्रण केन्द्रक द्वारा ही किया जाता है। केन्द्रक को कोशिका का मस्तिष्क कहा जाता है।

Prokaryotic तथा Eukaryotic कोशिका

  • अब तक कोशिका के बारे में जितनी जानकारी हमलोग प्राप्त किये है वे विकसित कोशिका है। विकसित कोशिका ही Eukaryotic कोशिका है जो सभी पौधा तथा जन्तु में पाये जाते हैं। 
  • पृथ्वी पर जो जीव पहली बार अवतरित हुए उनकी कोशिका Eukaryotic की तरह नहीं थे उनमें कई कोशिकीय संरचना का अभाव था। इस तरह के कम विकसित कोशिका को Prokaryotic कोशिका कहा जाता है। जीवाणु में इसी तरह की कोशिका पायी जाती है।
  • Prokaryotic तथा Eukaryotic कोशिका में मुख्य अंतर-
    1. प्रोकैयीटिक प्राचीन तथा कम विकसित कोशिका है, इसका आकार भी छोटा होता है जबकि यूकैरोयोटीक विकसित कोशिका है, इसका आकार प्रोकैरोयोटीक से बड़ा होता है।
    2. प्रोकैरोटीक में वास्तविक केन्द्रक नहीं पाये जाते हैं जबकि यूकैरोयोटीक वास्तविक केन्द्रक युक्त कोशिका है।
    3. प्रोकैरोटीक में क्लोरोप्लास्ट, गॉल्जीकाय माइटोकॉण्डिया आंतरप्रद्रव्यजालिका का अभाव रहता है जबकि यूकैरोयोटीक में ये सभी संरचनायें मौजूद रहती है।
    4. प्रोकैरोयोटीक में केवल एक गुणसूत्र रहते हैं तथा DNA मं रहते हैं तथा इसके हिस्टोन प्रोटीन नहीं रहते है जबकि यूकैरोटीक में एक से अधिक क्रोमोजोम (गुणसूत्र ) पायें जाते हैं और इसका DNA हिस्टोन प्रोटीन युक्त होते है।
    5. प्रोकैरोयोटीक में 70S राइबोसोम पाये जाते हैं जबकि यूकैरोयोटीक में 80S राइबोसोम पाये जाते है।
    6. प्रोकैरोयोटीक में केंद्रिका नहीं होते है जबकि यूकैरोयोटीक में यह उपस्थित रहता है।
    7. प्रोकैरोयोटीक में कोशिका भित्ती होती है, परंतु वह सेलुलोज की नहीं बनी होती है जबकि यूकैरोयोटीक की कोशिका भी सेलुलोज की बनी होती है।

Plant और Animal कोशिका

  • पादप तथा जन्तु दोनों की कोशिका यूकैरोयोटीक है और लगभग इन दोनों की कोशिका समान होती है।
  • कुछ कोशिकीय संरचनाओं के दृष्टिकोण से पादप तथा जन्तु कोशिका में अंतर होते है। पादप तथा जन्तु कोशिका में पाये जाने वाले मुख्य अंतर-
    1. पादप कोशिका में कोशिका भित्ती पायी जाती है। इसके काशिका के बाहरी परत कोशिका भित्ती होती है। जन्तु कोशिका में कोशिका भित्ती का अभाव होता है । जन्तु कोशिका के बाहरी परत कोशिका झिल्ली होती है।
    2. पादप कोशिका का आकार जंतु कोशिका के तुलना में थोड़ा बड़ा होता है।
    3. पादप कोशिका में वृद्धि कोशिकाओं के आकार बढ़ने से होता है जबकि जन्तु कोशिका में वृद्धि कोशिका की संख्या बढ़ने से होता है।
    4. कठोर कोशिका भित्ती होने के कारण पादप कोशिका नियमित आकार का होता है जबकि जन्तु कोशिका की आकृत्ति अनियमित रहती हैं।
    5. पादप कोशिका में लवक पाये जाते हैं जबकि जन्तु कोशिका में लवक नहीं पाये जाते है।
    6. पादप कोशिका में सेन्ट्रोसोम का अभाव रहता है जबकि जन्तु कोशिका में सेन्ट्रोसोम पाया जाता है।
    7. पादप कोशिका की रसधानी काफी बड़ी होती हैं जबकि जन्तु कोशिका की रसधानी काफी छोटी होती है।
    8. पादप कोशिका में ऊर्जा (भोजन) का संग्रह स्टार्च के रूप में होता है जबकि जन्तु कोशिका में ऊर्जा का संग्रह ग्लाइकोजेन के रूप में होता है।
    9. पादप काशिका में सीलिया जैसे प्रचलन अंगक का निर्माण नहीं होता है। सीलिया केवल जंतु कोशिका में ही पाया जाता है।

विसरण (Diffusion ) और परासरण (Osmosis)

  • पोषक पदार्थों का सजीवों के प्रत्येक कोशिका में पहुँचाना तथा कोशिका में अनुपयोगी या हानिकारक पदार्थ का बाहर निकलना अत्यंत आवश्यक है। इस कार्य हेतु सजीवों में परिवहन तंत्र (Transporting sytem) बने होते हैं।
  • पदार्थों के परिवहन में विसरण तथा परासरण की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। विसरण तथा परासरण के द्वारा बिना ऊर्जा खर्च किये परिवहन का कार्य सम्पन्न होती है। 
  • विसरण (Diffusion)
    • द्रव, गैस तथा विलेय के अणुओं का उनके अधिक सांद्रता वाले क्षेत्र से कम सांद्रता वाले क्षेत्र की ओर गति विसरण कहलाता है। विसरण की यह क्रिया तब तक होती रहती है जब तक पदार्थ के अणु प्राप्त स्थान में समान रूप से नहीं फैल जाए।
    • विसरण करने वाले प्रत्येक अणु उन सभी दिशाओं में अनियमित रूप से फैलते रहते है जहाँ उस अणु की सांद्रता कम होती है।
    • प्रत्येक पदार्थ का विसरण, उसी तंत्र (System) में होने वाले अन्य पदार्थों के विसरण पर निर्भर नहीं करता है अर्थात् एक पदार्थ का विसरण दूसरे पदार्थ से स्वतंत्र होता है।
    • विसरण के उदाहरण-
      1. विसरण द्वारा गैसों (O2 तथा CO2) का आदान-प्रदान कोशिका तथा बाहरी वातावरण बीच होता है।
      2. पौधों में वाष्पोत्सर्जन में विसरण द्वारा जलवाष्प बाहर निकलते है। 
      3. विभिन्न पोषक पदार्थों को बाहरी वातावरण से कोशिका विसरण द्वारा ही ग्रहण करता है । 
      4. इत्र की शीशी कमरे में खोलने पर उसकी सुगंध विसरण द्वारा ही पूरे कमरे में फैलती है। 
      5. स्वच्छ जल से भरे बर्तन में इंक डालने पर इंक जल के संपूर्ण भागों में समान रूप से फैल जाता है। यह विसरण द्वारा ही होता है।
  • विसरण की क्रिया धीमी गति से होती है तथा इसके लिए कोशिका का जीवित होना जरूरी है। विसरण द्वारा स्थानांतरण एक कोशिका से दूसरी कोशिका में या कम दूरी तक ही होता है।
  • विसरण की दर पदार्थों के आकार पर निर्भर करता है। छोटे आकार के पदार्थ का विसरण तेज गति से होता है और बड़े आकार का धीमी गति है।
  • परासरण (Osmosis)
    • परासरण की प्रक्रिया में जल (विलायक ) के अणु अर्द्धपारगम्य झिल्ली के द्वारा जल के अधिक सांद्रता वाले क्षेत्र से जल के कम सांद्रता वाले क्षेत्र की और गमण करता है।
    • परासरण की प्रक्रिया बिना अर्द्धपारगम्य झिल्ली के संभव नहीं है।
    • परासरण द्वारा जल अर्द्धपारगम्य झिल्ली से होकर तब तक गमण करते रहते हैं जब तक अर्द्धपारगम्य झिल्ली के दोनों तरफ जल की मात्रा संतुलित न हो जाए।
    • परासरण दाब (Osmotic Pressue )- परासरणी दाब विलयन उत्पन्न वह दाब है जो अर्द्धपारगम्य झिल्ली से होने वाले जल या विलायक के गमण को रोक देता है। परासरण दाब विलयन में उपस्थित विलेय (Solute) के अणुओं का सीधा समानुपाती होता है ।
  • परासरण के उदाहरण-
    1. परासरण द्वारा पौधे अपने मूल रोम से भूमि से जल अवशोषित करते है।
    2. पौधे के कोशिका में जल का संचलन परासरण द्वारा ही होता है।
    3. परासरण द्वारा पौधे के विभिन्न अंग स्फीत (Turgid) रहते हैं, जिससे वह अंग अपना कार्य अच्छी तरह से कर सकते हैं।
    4. पौधे के पत्तियों से पौधे के विभिन्न भागों में खाद्य-पदार्थों का वितरण परासरण के द्वारा ही होता है।
    5. पत्तियों में पाये जाने वाले रंध्र के खुलने तथा बंद होने में परासरण की मुख्य भूमिका होती है।

परासरण का कोशिका के साथ संबंध

  • प्रत्येक कोशिका में कोशिकाद्रव्य होता है जिसकी अपनी एक निश्चित परासरणी दात्र होता है। कोशिका में पाये जाने वाले विलयन (कोशिकाद्रव्य) की तुलना तीन प्रकार के विलयनों से करने पर जो परिणाम निकल कर सामने आते हैं, वह इस प्रकार है-
    1. समपरासरी विलयन (Isotonic Solution) - ऐसे विलयन जिसकी सांद्रता तथा परासरण दाब कोशिका रस की सांद्रता और दाब के समान होती है, उसे समपरासरी विलयन कहा जाता है।
      • समपरासरी विलयन में कोशिका को रखने पर जल का कोई आदान-प्रदान नहीं होता है। फलस्वरूप कोशिका के आकार तथा वजन में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
    2. अल्पपरासरी विलयन (Hypotonic Solution)— ऐसा विलयन जिसकी सांद्रता तथा परासरण दाब कोशिका रस से कम होती है उसे अल्पपरासरी विलयन कहते है।
      • अल्पपरासरी विलयन में कोशिका को रखने पर जल बाहरी विलयन से कोशिका में प्रवेश करने लगता है। जिसके कारण कोशिका का आकार और वजन बढ़ जाता है।
      • अल्पपरासरी विलयन से जल का कोशिका में प्रवेश करना अंत: परासरण (Endoosmosis) कहलाता है।
    3. अविकासरी विलय (Hpertonic Solution)— ऐसा विलास जिसकी सांद्रता एवं पामरण दाब कोशिका से अधिक होता है उसे अतिपरासरी विलयन कहते हैं।
      • अतिपरासरी विलयन में कोशिका को रखने पर कोशिका के अंदर का जल निकलकर बाहर आ जाते हैं जिसके कारण कोशिका का आकार और वजन घट जाता है।
      • अतिपरासरी विलयन में कोशिका को रखने से कोशिका का जल बाहर निकलना बाह्य परासरण (Exousmosis)  कहलाता है।
      • बाह्य परासरण के कारण कोशिका का जीवद्रव्य सिकुड़ने लगता है और कुछ समय बाद जीवद्रव्य संकुचित होकर कोशिका के एक कोने में कोशिका झिल्ली द्वारा घिरी हुई नजर आती है। इस प्रक्रिया को जीवद्रव्यकुंचन (Plasmolysis) कहते है।
  • कुछ अन्य महत्वपूर्ण पद-
    1. अंतः शोषण (Imbibition )- अंत: शोषण एक विशेष प्रकार का विसरण है जिसमें गोंद, स्टार्च, जिलेटीन, लकड़ी, सूखे बीज जल अधिशोषित कर फूल जाते है।
    2. सक्रिय परिवहन (Active Transport)-- जब पदार्थों के स्थानांतरण में ऊर्जा खर्च होता है तो इस परिवहन को सक्रिय परिवहन कहते है।
    3. निष्क्रिय परिवहन (Passive Transport )- जब पदार्थों का परिवहन बिना ऊर्जा खर्च किये होता है तो इसे निष्क्रिय परिवहन कहते है।
    4. एंडोसाइटोसिस (Endocytosis)- एक कोशिकीय जीव (अमीबा ) की कोशिका झिल्ली का लचीलापन कोशिका को इस योग्य बना देता है कि वह बाहरी वतावरण से भोजन को ग्रहण कर सके। कोशिका झिल्ली द्वारा सम्पन्न इसी कार्य को एंडोसाइटोसिस कहते है।
    5. जीवद्रव्यविकुंचन (Deplasmolysis)- जीवद्रव्यकुंचित कोशिका को अगर अल्पपरासरी विलयन में रख दें तो अत: परासरण के कारण जीवद्रव्य पुनः अपने पहले वाले स्थिति को प्राप्त कर लेता है। इसी प्रक्रिया को जीवद्रव्य त्रिकुंचन कहते हैं।

कोशिका विभाजन (Cell Division)

  • सर्वप्रथम कोशिका सिद्धान्त से यह स्पष्ट हुआ था कि नये कोशिका का निर्माण पहले से मौजूद कोशिकाओं के द्वारा होता है और इसमें केन्द्रक की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है।
  • पुराने अथवा पैतृक कोशिका (Parent cell) से नये अथवा संतति कोशिका (Daughter cell) का निर्माण होना ही कोशिका विभाजन कहलाता है।
  • जीवन की निरंतरता कोशिका विभाजन पर ही निर्भर करता है क्योंकि कोशिका विभाजन के द्वारा ही नये कोशिका बनता है पुन: कोशिका का समूह बनता है अंततः जीव का निर्माण होता है।
  • कोशिका विभाजन तीन प्रकार से होता है- (Amitosis), समसूत्री (Mitosis) तथा अर्धसूत्री (Meiosis)
  • असूत्री विभाजन (Amitosis cell Division)
    • इस विभाजन में सबसे पहले केन्द्रक (Nucleus) लंबा होता और फिर बीच से टूटकर दो भागों में बँट जाता है। इस तरह एक केन्द्रक से दो केन्द्रक बन जाते है।
    • इसके बाद कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) का दो भागों में विभाजन होता है और प्रत्येक भाग एक-एक केन्द्रक को घेरकर दो कोशिकाएँ बना लेती है।
    • असूत्री कोशिका विभाजन में क्रोमोजोम का निर्माण नहीं होता है और न ही केन्द्रक झिल्ली (Cell membrane) का लोप होता है।
    • जीवाणु तथा रोगग्रस्त कोशिका में असूत्री विभाजन होता है।
  • समसूत्री विभाजन (Mitosis cell Division)
    • इस कोशिका विभाजन की खोज वाल्टर फ्लेमिंग ने किया था। यह कोशिका विभाजन जन्तु तथा पौधे के कायिक कोशिका (Somatic cell) में होता है।
    • समसूत्री कोशिका विभाजन के दो अवस्था हैं-
      1. कैरियोकिनेसिस (Karyokinesis) इस अवस्था में कोशिका के केन्द्रक का विभाजन होता है। कैरियोकिनेसिस अवस्था चार अवस्थाओं (Stag) से गुजरकर समाप्त है। यह चार अवस्था क्रमिक रूप इस प्रकार है- प्रोफेज → मेटाफेज → ऐनाफेज → टेलोफेज
      2.  साइटोकिनेसिस - इस अवस्था में कोशिकाद्रव्य का विभाजन होता है। यह अवस्था कैरियोकिनेसिस के समाप्त होने के बाद शुरू होता है। यह अवस्था पौधों तथा जन्तु में एक समान रूप से नहीं होती है।
    • जंतु कोशिका में टेलीफेज अवस्था के बाद कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) बोचो - बीज अंदर धँसकर दो भागों में बँट जाता है।
    • पादप के कोशिकाद्रव्य अंदर की ओर धँसकर विभाजित नहीं होती है। पादप के कोशिकाद्रव्य के मध्य एक कोशिका पट्टी (cell plate) का निर्माण होता है। इसके बाद cell plate के दोनों ओर सेल्युलोज की दीवार बन जाती है और अंततः कोशिकाद्रव्य दो हिस्सों में विभाजित हो जाती है।
    • इस तरह कैरियोकिनेसिस तथा साइटोकिनेसिस अवस्था के बाद एक कोशिका से दो कोशिका बनते हैं और प्रत्येक में क्रोमोजोम की संख्या बराबर होती है। नये बने कोशिका में क्रोमोजोम की संख्या उतनी ही होती है जितनी जनक कोशिका (Parentcell) में होती है।
    • जीवों में पुनरूदभवन (Regeneration) तथा घावों का भराव इसी कोशिका का विभाजन के फलस्वरूप होता है।
  • अर्द्धसूत्री विभाजन (Meisosi cell Division)
    • यह विभाजन जनन कोशिका के परिपक्व हो जाने पर होता है। यह विभाजन जनन कोशिका में होता है जिसके फलस्वरूप अगुणित युग्मक (Haploid Gamit) जैसे- शुक्राणु कोशिका (Sperm cell) अंडाणु कोशिका (Ova cell) बनते हैं जो जनन की प्रक्रिया में होनेवाले निषेचन में भाग लेते है।
    • अर्द्धसूत्री विभाजन दो चरण में सम्पन्न होता है। पहला चरण को Reduction Division या Meiosis-I कहा जाता है। दूसरा चरण को Homotypic Division या Meiosis-II कहा जाता है।
    • अर्द्धसूत्री विभाजन का Reduction Division या प्रथम विभाजन निम्न अवस्थाओं से गुजरकर पूर्ण होती है- Prophase-I → Metaphase-I → Anaphase-I → Telophage-I
  • अर्द्धसूत्री विभाजन के Reduction Division ( प्रथम चरण) के Prophase-I अवस्था निम्नलिखित चरणों में पूर्ण होती है- Leptotene → Zygotene → Pachytene → Piplotene → Diakinesis
  • Reduction Division समाप्त होने पर कोशिकाद्रव्य विभाजित होकर दो अनुजात कोशिका बनाता है। दो कोशिका में गुणसूत्र की संख्या समान होती है परंतु अगुणित (Hyploid) होती है।
  • Meiosis-II अवस्था Mitosis Division के तरह ही सम्पन्न होती है। इस द्वितीय चरण में निम्नलिखित अवस्थाएँ होती है- Prophase-II → Metaphase-II  → Anaphase-II → Telophase-II
  • Meiosis- II सम्पन्न होने पर श्री श्री नव कोशिका बनाती है जिनमें गुणसूत्रों की की संख्या समान परंतु अगुणित होती है।
  • Meiosis Division के दोनों चरण समाप्त होने पर एक कोशिका से चार कोशिकाओं का निर्माण होता है।
  • Meiosis Division से बने अगुणित कोशिका (Haploid cell) निषेचन के दौरान आपस में मिलकर Zygote (युग्मनज) या द्विगुणीत कोशिका (Deloid cell) में बदल जाता है। इस तरह गुणसूत्रों का आपस में मिलने से उसमें नवीनता आती है जो सजीवों में विभिन्नताएँ (Variation) उत्पन्न करते है। यही विभिन्नताएँ पृथ्वी पर विकासवाद (Evolution) का कच्चा पदार्थ है।

अभ्यास प्रश्न

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. कोशिका सजीवो की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है।
2. कोशिका के अभाव में सजीव के शरीर का निर्माण संभव नहीं है। 
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2
2. कोशिका के किस भाग को सम्मलित रूप से साइटोसोम कहा जाता है ?
(a) कोशिका झिल्ली
(b) कोशिका द्रव्य
(c) कोशिका द्रव्य स्थित कोशिकांग
(d) इनमें से सभी
3. साइटोसोम के अंतर्गत निम्नलिखित में कौन एक शामिल नही है ?
(a) केंद्रक
(b) कोशिका झिल्ली
(c) कोशिका द्रव्य स्थित कोशिकांग
(d) कोशिका द्रव्य स्थित कोशिकांग
4. कोशिका द्रव्य में स्थित जीवित रचनाएँ, जिनमें बढ़ने तथा विभाजन की क्षमता होती है, उसे क्या कहते है ?
(a) ऑर्गेन्वॉइड्स
(b) मेटाप्लास्ट्स
(c) एरगैस्टोप्लाज्म
(d) जीवद्रव्यतंतु
5. निम्नलिखित में कौन सी कोशिकीय रचना ऑर्गेन्वॉइड्स नही है ?
(a) सेन्ट्रोसोम
(b) राइबोसोम
(c) माइक्रोट्यूव्यूल्स
(d) रसधानियाँ
6. निम्नलिखित में कौन सा एक सही नही है ?
(a) कोशिका का आकार एवं आकृति उसके कार्यों के अनुरूप होती है।
(b) कोशिकाओं की संख्या जीव के शरीर के आकार पर निर्भर करता है।
(c) अलग-अलग रचना और अलग-अलग कार्य करने वाले कोशिकाओं का समूह को उत्तक कहा जाता है।
(d) कोशिकाएँ अलग-अलग आकार की होती है।
7. तरल मोजाएक मॉडल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. यह मॉडल कोशिका झिल्ली के संरचना को बताता है।
2. यह मॉडल 1972 में सिंगर और निकॉलसन ने प्रस्तुत किया था।
3. इस मॉडल के अनुसार कोशिका झिल्ली के संरचना में दो फॉस्फोलिपिड अणुओ के परतो के बीच-बीच में गोलाकार प्रोटीन रहता है।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
8. कोशिका का कौन सा भाग माइक्रोविलाई, सीलिया तथा फ्लैजिला जैसी संरचना का निर्माण करती है ?
(a) कोशिका झिल्ली
(b) कोशिका भित्ती
(c) अंतरद्रव्यजालिका
(d) राइबोसोम
9. परासरण की क्रिया किसके द्वारा सम्पन्न होता है ?
(a) कोशिका झिल्ली
(b) कोशिका भित्ती
(c) केंद्रक
(d) A तथा B दोनों
10. कोशिका अंगक 'राइबोसोम' के संबंध में कौन सा एक सही नही है ?
(a) राइबोसोम दो प्रकार के होते है, 70s तथा 80s
(b) 70s राइबोसोम प्राकैरोयोटीक में होते है तथा इसके दो सबयूनिट है - 30s तथा 50s
(c) 80s राबोसोम यूकैरोयोटीक होते है तथा इसके भी दो सबयूनिट है 40s तथा 60s
(d) राइबोसोम प्रोटीन तथा लिपीड के बने होते है।
11. प्रोकैरोयोटीक कोशिका में माइटोकॉण्ड्रिया के सदृश्य कौन सी रचना पायी जाती है जो श्वसन तथा कोशिका विभाजन का कार्य करती है ?
(a) मीसोसोम
(b) स्फीरोसोम
(c) ग्लाइऑक्सीसोम
(d) परॉक्सीसोम
12. कोशिका के अंदर ग्लाइकोलिपिड व ग्लाइकोप्रोटीन निर्माण का सक्रिय स्थल कौन है ?
(a) अंतरद्रव्य जालिका 
(b) राइबोसोम
(c) गॉल्जीकाय
(d) लवक
13. निम्नलिखित में कौन सी कोशिकीय संरचना कोशिकीय परिवहन तंत्र का निर्माण करती है तथा केंद्रक से कोशिका द्रव्य में अनुवंशिक पदार्थों को ले जाने का पथ बनाती है ?
(a) राइबोसोम
(b) गॉल्जीकाय
(c) केंद्रक
(d) अंतरद्रव्यबालिका
14. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. चिकनी अंतरद्रव्यजालिका (SER) प्रोटीन के संश्लेषण तथा स्त्रवण में भाग लेती है।
2. खुरदुरी अंतरद्रव्यजालिका (RER) लिपिड तथा स्टीरॉइड के संश्लेषण में सहायक होती हैं।
उपर्युक्त में कौन-सा/से सही है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2
15. कोशिका का अचल संपत्ति किसे कहा जाता है ?
(a) लिपिड
(b) सेलुलोज
(c) न्यूक्लिक अम्ल
(d) प्रोटीन 
16. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. माइटोकॉण्ड्रिया कोशिका में पाये जाने वाले बड़े अंगक होते है।
2. हरित लवक को कोशिका का रसोई घर कहा जाता है।
3. गॉल्जीकाय को कोशिका के अणुओ का ट्रैफिक कंट्रोलर कहा जाता है।
उपर्युक्त में सही कथन है-
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
17. निम्नलिखित कथनो पर विचार कीजिए-
1. DNA को अनुवंशिक पदार्थ कहा जाता है।
2. जीन को अनुवंशिक इकाई कहा जाता है।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?
(a) केवल | 
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो । न ही 2
18. कोशिका के अंदर निम्नलिखित में कौन सा कार्य गॉल्जीकाय द्वारा नहीं किया जाता है ?
(a) संवेष्टन (Packaging)
(b) संग्रहण ( storage)
(c) स्त्रवण ( Secretion)
(d) अंत: कोशिकीय पाचन
19. निम्नलिखित में कौन सा विकल्प सही सुमेलित नही हैं-
(a) कोशिका का पावर हॉउस - माइटोकॉण्ड्रिया
(b) सबसे बड़ा अंगक - लवक
(c) आत्महत्या की थैली - लाइसोसोम
(d) पैलेड कण - स्फीरोसोम
20. निम्नलिखित में कौन सा अर्द्धस्वयात् कोशिकांग है ?
(a) हरित लवक
(b) माइटोकॉण्ड्रिया
(c) A तथा B दोनों 
(d) कोई नहीं
21. प्रोकैरियोटीक कोशिका में किस कोशिका अंगक का अभाव रहता है ?   
1. गॉल्जीकाय
2. माइटोकॉण्ड्रिया
3. अंतरद्रव्यजालिका
4. हरित लवक
5. DNA
कूट:
(a) 1, 2 और 3
(b) 1, 2, 3 और 4
(c) 1, 2, 3 और 5
(d) उपर्युक्त सभी
22. निम्नलिखित में कौन सी रचनाएँ पादप कोशिका में पाये जाते है, परन्तु जन्तु कोशिका में नही-
(a) लवक
(b) कोशिकाभित्ती
(c) बड़ी रिक्तिका
(d) इनमें से सभी
23. निम्नलिखित में कौन सी रचना जन्तु कोशिका में पाये जाते है परन्तु पौधे की कोशिका में नहीं-
(a) माइटोकॉण्ड्रिया 
(b) लाइसोसोम
(c) सेन्ट्रोसोम
(d) कोशिका झिल्ली 
24. काशिका सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया था-
(a) श्लाइडेन तथा श्वान
(b) रॉबर्ट हुक तथा रॉबर्ट ब्राउन
(c) जेड जैनसन तथा एच जैनसन
(d) वाल्डेयर तथा विल्सन
25. कोशिका सिद्धान्त के अनुसार कोशिका विभाजन में मुख्य सृष्टिकर्त्ता (Creator) की भूमिका कौन निभाता है ?
(a) सेन्ट्रोसोम 
(b) केंद्रक
(c) राइबोसोम
(d) गॉल्जीकाय
26. निम्नलिखित में से किस कोशिका अंगक से लाइसोसोम बनता है ?
(a) गॉल्जीकाय
(b) राइबोसोम
(c) माइटोकॉण्ड्रिया
(d) अंतरद्रव्यजालिका
27. निम्नलिखित में से कौन सा कोशिका अंगक अपने DNA में उपस्थित जीन को सम्मिलित करते हुए इसके स्वंग के प्रोटीनो का संश्लेषण करता है ?
(a) माइटोकॉण्ड्रिया
(b) लवक
(c) A तथा B दोनों
(d) अंतरद्रव्यजालिका
28. निम्नलिखित में कौन सा कोशिका अंगक अपने आकृति को तुरंत परिस्थितियों के अनुसार बदल सकता है ?
(a) राइबोसोम
(b) लाइसोसोम
(c) माइटोकॉण्ड्रिया
(d) सेन्ट्रोसोम
29. मनुष्य के शरीर में तंत्रिका कोशिका है-
(a) सबसे छोटी कोशिका
(b) अनियमित कोशिका
(c) सबसे बड़ी कोशिका
(d) एक गोल कोशिका
30. एक प्रारूपिक कोशिक के अंतर्गत है- 
(a) केवल साइटोसोम
(b) कोशिकाद्रव्य एवं केन्द्रक
(c) कोशिका झिल्ली एवं केन्द्रक
(d) साइटोसोम एवं केन्द्रक
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