झारखण्ड में इसाईयों का प्रवेश

झारखण्ड में इसाईयों का प्रवेश

झारखण्ड में इसाईयों का प्रवेश
> गॉस्सनर मिशन
> झारखण्ड में सर्वप्रथम जर्मनी के फादर रेवरेंड जे. एस. गॉस्सनर द्वारा 2 नवंबर, 1845 को इसाई धर्म के प्रचार हेतु चार इसाई प्रचारकों के दल को राँची भेजा गया।
> इस दल में 4 निम्न लोग शामिल थे –
» एमिलो स्कॉच – धर्मशास्त्री
» थियोडोर जैक - अर्थशास्त्री
» फ्रेडरिक वाच – शिक्षक 
» कैल्सर अगस्ट ब्रांट - शिक्षक
> झारखण्ड का प्रथम इसाई मिशन गॉस्सनर मिशन था। इसकी स्थापना जर्मनी के इसाई दल द्वारा छोटानागपुर के कमिश्नर कर्नल आउस्ले तथा डिप्टी कमिश्नर हेन्निंगटन के सहयोग से की गई । 
> गॉस्सनर मिशन के वास्तविक संस्थापक डॉ० हेकरलिन थे।
> छोटानागपुर के तत्कालीन उपायुक्त कैप्टन जॉन कोलफील्ड के प्रयास से मिशन को छोटानागपुर के राजा ने भूमि प्रदान की।
> राजा से मिली उसी भूमि पर गॉस्सनर मिशन ने अनाथों, विधवाओं एवं निर्धनों के लिए 1 दिसंबर, 1845 को 'बेथे सदा' (दया / पवित्रता का घर) की स्थापना की।
> इस मिशन द्वारा 9 जून, 1845 ई. को राँची के चार कबीरपंथी आदिवासियों केशव, नवीन, घुरन तथा बंधु का धर्मान्तरण कराकर उन्हें इसाई बनाया गया।
> 1855 ई. में गोस्सनर मिशन का राँची में पहला चर्च बना।
> 1869 ई. में गॉस्सनर मिशन का विभाजन हो गया। विभाजन के पश्चात् मूल मिशन का नामकरण एस. पी.जी. मिशन के रूप में किया गया जिसके प्रमुख रे. जे. सी. ह्विटली बनाये गये। 
> 1890 ई. में एस. पी. जी. मिशन को बिशपी का दर्जा दिया गया था तथा इसके प्रथम बिशप रे. जे. सी. ह्विटली को बनाया गया।
> जुलाई, 1919 ई. में गॉस्सनर मिशन ( एस. पी. जी. मिशन) चर्च में परिवर्तित हो गया। 
> चाईबासा मिशन
> 1851 ई. में चाईबासा मिशन की स्थापना की गयी थी।
> जी. ई. एल. चर्च, राँची
> यह झारखण्ड का सबसे पुराना चर्च है जिसका शिलान्यास 18 नवंबर, 1851 ई. को किया गया था तथा इसका निर्माण 1855 ई. में पूरा हुआ।
> इस चर्च का निर्माण जर्मन पादरियों ने करवाया था।
> इस चर्च का निर्माण गोथिक शैली में किया गया है।
> 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस चर्च पर तोप के चार गोले दागे गये थे।
> ऐंग्लिकन मिशन
> अप्रैल, 1869 ई. में ऐंग्लिकन मिशन (चर्च ऑफ इंग्लैण्ड मिशन) का झारखण्ड में प्रवेश हुआ।
> संत कैथेडरल चर्च, राँची
> यह चर्च राँची में बहु बाजार के पास स्थित है।
> इस चर्च का निर्माण 1870-73 ई. के बीच यहाँ के न्यायिक आयुक्त जेनरल रौलेट की देखरेख में किया गया था।
> इस चर्च का निर्माण गोथिक शैली में किया गया है।
> द यूनाइटेड फ्री चर्च ऑफ स्कॉटलैण्ड मिशन
> 1871 ई. में कुछ डॉक्टरों ने मिलकर पचंबा (गिरिडीह) में द यूनाइटेड फ्री चर्च ऑफ स्कॉटलैण्ड नामक मिशन की शुरूआत की।
> इसे स्टीवेंशन मेमोरियल चर्च भी कहा जाता है।
> 1929 ई. में द यूनाइटेड फ्री चर्च ऑफ स्कॉटलैण्ड का नाम परिवर्तित कर संथाल मिशन ऑफ द चर्च ऑफ स्कॉटलैण्ड कर दिया गया।
> संत मेरी चर्च, राँची
> यह चर्च राँची में डॉ. कामिल बुल्के पथ पर स्थित है।
> इस चर्च का उद्घाटन 3 अक्टूबर, 1909 ई. को ढाका के बिशप हार्ट द्वारा किया गया था।
> इसे महा गिरिजाघर भी कहा जाता है।
> अन्य प्रमुख तथ्य
> झारखण्ड में 1850 ई. में गोविंदपुर, 1851 ई. में चाईबासा, 1854 ई. में हजारीबाग तथा 1855 ई. में पिठोरिया में मिशन की स्थापना की गयी थी।
> संथालों के बीच उत्कृष्ट कार्य करने हेतु डॉ० एण्डू कैम्पबेल को कैसर-ए-हिन्द की उपाधि से नवाजा गया है ।
 > डॉ० एण्डू कैम्पबेल को 'संथालों का देवदूत' कहा जाता है।
> झारखण्ड में रोमन कैथोलिक मिशन का प्रारंभ 1869 ई. में हुआ। 'इनसाइक्लोपेडिया मुण्डारिका' के लेखक फादर हॉफमैन का संबंध इसी मिशन से है।
> 1899 ई. में डबलिन यूनिवर्सिटी मिशन द्वारा झारखण्ड के हजारीबाग में संत कोलम्बा महाविद्यालय की स्थापना की गई। आर. जे. एच. मर्रे इसके पहले प्राचार्य थे। यह झारखण्ड का प्रथम महाविद्यालय है। 
> गणपत नामक व्यक्ति ने डबलिन यूनिवर्सिटी मिशन के प्रयास से सबसे पहले इसाई धर्म को अपनाया था।
> राँची में कैथोलिक गिरिजाघर (Mother of God Counsel) की स्थापना 1909 ई. * में की गई। 1927 में इसका पुनर्निर्माण किया गया। 
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