संविधान का भाग है किंतु कोई विधिक प्रभाव नहीं रखती
संविधान का भाग नहीं है और कोई विधिक प्रभाव भी नहीं रखती
संविधान का भाग है और वैसा ही विधिक प्रभाव रखती है जैसा के उसका कोई अन्य भाग
संविधान का भाग है किन्तु उसके अन्य भागों से स्वतंत्र होकर उसका कोई विधिक प्रभाव नहीं है ।
यह लागू किया जा सकता है
यह लागू नहीं किया जा सकता है
विशेष परिस्थितियों में लागू किया जा सकता है
उपरोक्त में से कोई नहीं
3, 5, 2, 1
1,3,5,2
2,5,3,1
5,2,1,3
विचार की स्वतंत्रता
विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता
विश्वास की स्वतंत्रता
आर्थिक स्वतंत्रता
मूल अधिकारों के अध्याय में
राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के अध्याय में
मूल अधिकारों, राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों एवं मौलिक कर्त्तव्यों के अध्याय में
संविधान के पाठ में कहीं नहीं
लोकतंत्रात्मक गणतंत्र
संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य
संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य
संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य
मौलिक अधिकार
संविधान की प्रस्तावना
राज्य के नीति-निदेशक तत्त्व
संसद
प्रजातांत्रिक भारत शब्दों से
जनता के जनतंत्र शब्दों से
जनता के लोकतंत्र शब्दों से
हम भारत के लोग शब्दों से
भारत तथा इंडिया
केवल भारत
हिन्दुस्तान तथा इंडिया
भारत, हिंदुस्तान तथा इंडिया
बेरुबारी विवाद
ए. के. गोपालन विवाद
प्रिवी पर्स विवाद
केशवानंद भारती विवाद
धर्मविरोधी नागरिकों का समर्थन करता है
बहुसंख्यक समुदाय के धर्म का समर्थन करता है
अल्पसंख्यक समुदाय का धर्म का समर्थन करता है
किसी निश्चित धर्म का समर्थन नहीं करता है
सार्वभौमिकता
समष्टिवाद
समाजवाद
अन्तः क्रियावाद
बी. आर. अम्बेडकर
महात्मा गांधी
दीनदयाल उपाध्याय
मोहम्मद अली जिन्ना
एक सार्वभौम, प्रजातांत्रिक, गणतंत्र
एक समाजवादी, प्रजातांत्रिक, गणतंत्र
एक सार्वभौम, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, प्रजातांत्रिक गणतंत्र
इनमें से कोई नहीं
जवाहरलाल नेहरू
वल्लभभाई पटेल
बी. आर. अंबेडकर
के. एम. मुंशी
42 वें संशोधन द्वारा
44 वें संशोधन द्वारा
52 वें संशोधन द्वारा
उपर्युक्त में से किसी के द्वारा नहीं
उद्देशिका और मूल अधिकार
उद्देशिका और राज्य की नीति के निदेशक तत्व
मूल अधिकार और राज्य की नीति के निदेशक तत्व
उपर्युक्त में से किसी में नहीं
समाजवादी
पंथनिरपेक्ष
प्रभुतासंपन्न
लोक कल्याण
दो
तीन
एक
चार
भारत में अनेक धर्म हैं।
भारतीयों को धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है ।
धर्मानुपालन व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर है ।
भारत में राज्य का कोई धर्म नहीं है।
सत्रहवें संशोधन द्वारा
चौबीसवें संशोधन द्वारा
बयालीसवें संशोधन द्वारा
चौवालीसवें संशोधन द्वारा
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