जनन
नियंत्रण
उत्सर्जन
श्वसन
दहन
ऑक्सीकरण
समन्वय
परिवर्तन
माइटोकॉण्ड्रिया
हरितलवक
DNA
ATP
CO2 और O2
O2, H2O एवं उर्जा
CO2, H2O एवं उर्जा
O2 एवं H2O
तीन
छह
पाँच
चार
अवायवीय श्वसन
वायवीय श्वसन्
किण्वन
संगलन
विखंडन
दहन
संश्लेषण
किण्वन
पेशी कोशिकाओं में
यीस्ट में
माइटोकॉण्ड्रिया में
सभी जीवों में
इथेनॉल के संचयन से
CO2, के संचयन से
ऊर्जा की कमी से
अधिक मात्रा में लैक्टिक अम्ल के संचयन से
कोशिकाद्रव्य में
पेशी कोशिकाओं में
माइटोकॉण्ड्रिया में
यीस्ट में
रंध्रों द्वारा
वातरंध्रों द्वारा
अंतरकोशिकीय स्थानों द्वारा
इनमें सभी के द्वारा
जड़ में
तना में
पत्तियों में
प्रत्येक भाग में
धीमी
तीव्र
कभी धीमा कभी तीव्र
इनमें कोई नहीं
ट्रैकिया द्वारा
गिल्स द्वारा
फेफड़े द्वारा
कोशिकाझिल्ली द्वारा
अमीबा
पैरामीशियम
मछली
इनमें सभी
झींगा में
सीप में
कछुआ में
इनमें कोई नहीं
घ्राण क्षेत्र
प्रघ्राण या प्रकोष्ठ
श्वसन क्षेत्र
नासा- पट्टिका
श्वास नली
श्वसनी श्वसनिका
श्वसनिका
वायुकोष्ठिका वाहिनियाँ
डायाफ्राम
पसलियाँ
प्लूरल मेम्ब्रेन
पैराइटल मेम्ब्रेन
वक्षगुहा संकुचित हो जाता है
वक्षगुहा फैल जाता है
फेफड़े से हवा बाहर निकल जाती है
इनमें कुछ नहीं होता
बहुत कम होती है
बहुत ज्यादा होती है
समान होती है
इनमें कोई नहीं
कोशिकाझिल्ली से विसरण द्वारा
रक्त के माध्यम से
गिल पटलिकाओं द्वारा
फफड़ द्वारा फेफड़े
यह रक्त से भरी होती है.
शाखित तथा वायु से भरी होती है
शखित तथा रक्त से भरी होती
इनमें कोई नहीं है
नासिका छिद्र
श्वास नली
गिल्स
रक्त
नासिका वेश्मों में
प्रघ्राण या प्रकोष्ठ में
ग्रसनी में
स्वरयंत्र या लैरिंक्स में
नासिका वेश्म की दीवार टेढ़ी-मेढ़ी, घुमावदार प्लेट की तरह होती है।
दोनों नासिका वेश्म नासा पट्टिका के द्वारा एक-दूसरे से पृथक होते हैं।
घ्राण क्षेत्र अत्यधिक बड़ा होता है।
घ्राण क्षेत्र अत्यंत छोटा होता है।
प्रघ्राण
काँची
नासा -पट्टिका
श्वास नली
11 सेंटीमीटर
18 सेंटीमीटर
25 सेंटीमीटर
35 सेंटीमीटर
What's Your Reaction?







-
Prince dubeyVery nice ????????
-
Pradeep kumarNothing