जनजातियों के वस्त्र – आभूषण और खान – पान

जनजातियों के वस्त्र – आभूषण और खान – पान

जनजातियों के वस्त्र – आभूषण और खान – पान
> जनजाति
> संथाल
> वस्त्र
> कांचा, कुपनी, पड़हान, पाटका, दहड़ी, लुंगी
> खान - पान
> दिन में सामान्यतः तीन बार खाते हैं – बासक्याक (जलपान), माजवान (दोपहर के समय), कदोक (रात का भोजन )
> मुख्य भोजन – दाका - उरू (दाल-भात) एवं सब्जी, मडुए की दलिया, महुआ, कुर्थी दाल 
> आर्थिक रूप से कमजोर संथाल जोण्डरा-दाका ( मकई की दलिया) खाते हैं। 
> इनमें हड़िया का प्रचलन है, जिसे चावल, मडुआ या कोदो से बनाया जाता है।
> जनजाति
> उराँव
> वस्त्र
> पुरूषों के वस्त्र – तोलोङ, दुपट्टा (शरीर के ऊपरी भाग पर), केरया (त्योहार के अवसर पर पहने जाने वाला विशेष वस्त्र) 
> महिलाओं के वस्त्र – परेया (त्योहार के अवसर पर पहना जाने वाला विशेष वस्त्र)
> खान-पान
> इनका मुख्य भोजन दाल-भात है। इसके अलावा ये कन्द-मूल, मांस-मछली आदि का भी प्रयोग करते हैं।
> उराँव जनजाति के लोग हड़िया तथा तम्बाकू का भी सेवन करते हैं।
> जनजाति 
> मुण्डा
> वस्त्र
> पुरूषों के वस्त्र बटोई (शरीर के निचले भाग में), कमरधनी (युवकों द्वारा कमर में लपेटा जाता है), भगवा (वृद्धों द्वारा प्रयुक्त) बरखी, पिछाड़ी, कमरा ( ठंड में शीत से बचने हेतु प्रयुक्त कंबल), पगड़ी, खरपा (चमड़े से निर्मित पैरों में पहनने हेतु प्रयुक्त)
> महिलाओं के वस्त्र – परिया (साड़ी की तरह), लहंगा, खड़िया (किशोरियों द्वारा प्रयोग) 
> खान - पान
> मुण्डा जनजाति का प्रमुख भोजन दाल-भात है।
> आर्थिक रूप से कमजोर मुण्डाओं द्वारा गोंदली, मडुआ और मकई का प्रयोग खाद्य पदार्थ के रूप में किया जाता है।
> ये लोग मांस, हड़िया व रानू का भी सेवन करते हैं ।
> जनजाति
> खरवार
> वस्त्र
> पुरूष धोती, बंडी एवं सिर पर पगड़ी पहनते हैं तथा महिलाएँ साड़ी पहनती हैं।
> खान-पान
> इस जनजाति में ( बिरजिया में भी) सुबह के खाना को 'लुकमा', दोपहर के भोजन को 'कलेबा ' तथा रात के खाने को 'बियारी' कहा जाता है।
> जनजाति
> चेरो
> वस्त्र
> पुरूषों के वस्त्र - शरीर के ऊपरी भाग में गंजी व कमीज तथा निचले भाग में धोती 
> महिलाओं के वस्त्र - झूला ( शरीर के ऊपरी भाग में), साड़ी 
> बच्चे भगई तथा कमीज - फ्रॉक पहनते हैं । 
> खान-पान
> इनका प्रमुख भोजन दाल-भात, सब्जी आदि है।
> चेरो जनजाति के लोग मडुआ, जिनोरा, सावां, कोदो आदि से निर्मित खाद्य पदार्थ का भी सेवन करते हैं।
> जनजाति
> असुर
> खान-पान
> असुर जनजाति के लोग दिन में सामान्यतः दो बार भोजन करते हैं - लोलोघेटू जोमेंक ( दिन का भोजन) तथा छोटू जोमेंकू (रात का भोजन ) 
> इनके भोजन में कंद-मूल, फल-फूल, पीठा, खिचड़ी, महुआ का लाटा, मक्के का घाटा आदि प्रमुख रूप से शामिल है।
> इस जनजाति के लोग मुर्गा, भेड़, सुअर, हिरण आदि का मांस भी खाते हैं।
> आर्थिक रूप से कमजोर असुर महुआ, सखुआ के फूल व पत्तों का सेवन करते हैं। 
> पेय पदार्थ के रूप में हड़िया व ताड़ी अत्यंत लोकप्रिय है। साथ ही खैनी, हुक्का तथा सखुआ के पत्ते से निर्मित तम्बाकू (पिक्का) का भी प्रयोग असुरों में किया जाता है। 
> हड़िया के दो प्रकार पाये जाते हैं – बिरो हड़िया ( दवा के रूप में प्रयोग ) तथा भरूनी हड़िया । हड़िया को बोथा या झुरनई भी कहा जाता है। 
> जनजाति
> बेदिया
> वस्त्र
> पुरूषों का परंपरागत वस्त्र केरया, काच्छा - भगवा है, जबकि महिलाओं का परंपरागत वस्त्र ठेठी और पाचन है। 
> जनजाति
> बिरहोर
> खान-पान
>>उलूथ बिरहोर (घूमन्तु बिरहोर) का प्रमुख खान-पान कंद-मूल, फल, मांस आदि है जबकि जांघी बिरहोर (स्थायी बिरहोर) सामान्य खाद्य पदार्थों जैसे- चावल, दाल, सब्जी आदि का सेवन करते हैं।
अंग
आभूषण
बाल
खोगसो, सुर्रा-खोंगसो, उंडू, झीका, चिरो, चिलपों, खोखरी, बेरा (पुरूष)
सिर
कलगा, मोरपंख, टीका, जीनतो (सिलपट), बंडोपगड़ी (पुरूष)
ललाट
पटवारी
कान
तरकी, कर्णफूल, लवंगफूल, पानरा, तरकुला, बिडियो, ठिप्पी, पिपरपत्ता, तरपत, कुंडल (पुरूष)
नाक
नथ, नथुनी, छुछी, मकड़ी
गला
हंसुली, बेरनी, चन्दवा, हिसिर, सकड़ी, ठोसा, खंभिया, पुन, भुंडिया, सिकड़ी, ताबीज (पुरुष)
बांह
खागा, तार-साकोम
हाथ
सांखा, झुटिया, घुंघुर, सीली, बाईकल, राली, लहठी, साकोम, झुटिया, बटरिया, टीडोर (पुरूष)
कमर
कमरधनी
पैर 
बटरिया, बांक-बंकी
अन्य सांगा (गोदना)

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