केंद्रक
केंद्रिका
न्यूक्लीक अम्ल
केंद्रकाभ
अंतर्द्रव्यी जालिका
राइबोसोम
लवक
गॉल्जी उपकरण
संग्रहण
कोशिका को स्फीति एवं दृढ़ता प्रदान करना
अपशिष्ट उत्सर्जन
गमन
बहि: कोशिकता
अंत: कोशिकता
प्रद्रव्यलयन
बहि: कोशिकता एवं अंतः कोशिकता दोनों
जीवाणु
हाइड्रिला
आमवृक्ष
कैक्टस
अंतर्द्रव्यी जालिका
गॉल्जी उपकरण
केंद्रक
माइटोकॉन्ड्रिया
अंतर्द्रव्यी जालिका
गॉल्जी उपकरण
माइटोकॉन्ड्रिया
लाइसोसोम
माइटोकॉन्ड्रिया
अंतर्द्रव्यी जालिका
हरितलवक
गॉल्जी उपकरण
चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका
रूक्ष अंतर्द्रव्यी जालिका
गॉल्जी उपकरण
लवक
हेकेल
विर्चों
हुक
श्लाइडेन
श्लाइडेन एवं श्वान्न
विर्चों
हुक
हेकेल
माइटोकॉन्ड्रिया
राइबोसोम
लवक
लाइसोसोम
राइबोसोम
गॉल्जी उपकरण
हरितलवक (क्लोरोप्लास्ट)
केंद्रक
ताम्रपाषाण काल में कपास की खेती की जाती थी।
इस काल के लोग काले व लाल मृद्भांड का प्रयोग नहीं करते थे।
इस काल के लोग पक्की ईंटों से परिचित नहीं थे।
महाराष्ट्र में सेमल की रूई के धागे प्राप्त हुए हैं।
गाय
सुअर
घोड़ा
ऊँट
वे मातृ देवी की पूजा करते थे।
यहाँ से कच्ची मिट्टी की नग्न मूर्तियों की पूजा के प्रमाण मिलते हैं।
शेर धार्मिक पंथ का प्रतीक था।
मालवा में वृषभ मूर्तिकाएँ प्राप्त हुई हैं।
ताम्रपाषाण अवस्था में अनाज भवन, मृद्भांड में क्षेत्रीय समानता थी।
पूर्वी भारत चावल उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था।
नवदाटोली में सबसे अधिक अनाज के भंडार पाए गए हैं।
उपर्युक्त में से कोई नहीं
अलवर
मेहरगढ़
गणेश्वर
नवदाटोली
यह लगभग 2000-1800 ई. पू. तक विकसित रही ।
यह हड़प्पा संस्कृति की कनिष्ठ समकालीन है।
इसके मृद्धांडों में प्राक्-हड़प्पाई लक्षण नहीं दिखते हैं ।
इस पर हड़प्पाई प्रभाव दिखाई देते हैं।
ताम्रपाषाण स्थलों से न हल और न फावड़ा पाया गया है
इस काल के लोग झूम खेती करते थे।
ताम्रपाषाण के लोग लोहे के प्रयोग से व्यापक खेती करते थे
उपर्युक्त में से कोई नहीं
महायान
भक्ति
वैष्णववाद
थेरवाद
कनिष्क
हुविष्क
शशांक
अश्वघोष
समुद्री मार्ग जो उन देशों को जोड़ते थे जहाँ रेशमी वस्त्रों के व्यापारी अपने उत्पाद बेचते थे।
उन सभी देशों को जोड़ने वाली सड़कें जहाँ शहतूत के पौधों की खेती की जाती थी।
सड़क, समुद्र और वायु मार्ग जहाँ रेशमी उत्पादों का व्यापार होता था।
चीन से अन्य देशों में रेशमी वस्त्र ले जाने वाले व्यापारियों का यात्रा मार्ग।
कालिदास
तुलसीदास
कबीरदास
कौटिल्य
वाणभट्ट
हरिषेण
कालिदास
आर्यभट्ट
वाणभट्ट
चाणक्य
हरिषेण
इनमें से कोई नहीं
चंद्रगुप्त
चंद्रगुप्त द्वितीय
समुद्र गुप्त
हरिषेण
कालिदास
हरिषेण
वाणभट्ट
इलांगो आडिगल
वेदिका
प्रदक्षिणा
रेलिंग
गर्भ - गृह
आगरा
कुरुक्षेत्र
दिल्ली
वाराणसी
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