उत्तर प्रदेश और बिहार में व्यापक पैमाने पर लोहे का उपयोग ।
जनजातीय समाज में अधिक व्यवस्थित जीवन का मार्ग प्रशस्त किया ।
व्यापार एवं वाणिज्य का उल्लेखनीय विकास ।
इनमें से कोई नहीं ।
अजातशत्रु
चन्द्रगुप्त मौर्य
कालाशोक
उदयिन
दीघ निकाय
त्रिपिटक
दीपवंश
अंगुत्तर निकाय
मौर्य
शुंग
गुप्त
कुषाण
गांधार
कंबोज
काशी
मगध
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में
राजस्थान में
बुंदेलखंड में
रूहेलखंड में
पार्श्वनाथ - जनत्रिका
बिन्दुसार- शाक्य
स्कन्दगुप्त - मौर्य
चेतक-लिच्छवी
मगध
वज्जि
कोशल
अंग
तांबे के थे
सोने के थे
रांगा के थे
चांदी के थे
तक्षशीला
इंद्रप्रस्थ
अवंतिका
इनमे से कोई नहीं
गंगा
यमुना
नर्मदा
कृष्णा
शिशुनाग
नंदिवर्धन
कालाशोक
इनमे से कोई नहीं
उदयिन
अशोक
बिंबिसार
महापद्मनंद
अंग में
बंग में
कलिंग में
मगध में
वैशाली
एथेन्स
स्पार्टा
पाटलिपुत्र
बिंबिसार
अजातशत्रु
उदयिन
नागदशक
पांचाल की
कुरु की
चेदि की
अवंति की
मौर्य
नंद
गुप्त
लिच्छवि
बिम्बिसार
अजातशत्रु
उदयिन
शिशुनाग
बिंबिसार
चंड प्रद्योत
प्रसेनजित
उदयन
चौथी सदी ई. पू.
छठी सदी ई. पू.
दूसरी सदी ई. पू.
पहली सदी ई. पू.
बिंबिसार के
अजातशत्रु के
उदयभद्र के
शिशुनाग के
प्रतिष्ठान
वैशाली
गिरिव्रज (राजगृह)
चम्पा
गुरु वंश का मृदभांड (OCP)
चित्रित धूसर मृदभाण्ड (PGW)
उत्तरी काले पालिशकृत बर्तन (NBPW)
काले और लाल बर्तन ( BRW)
चंद्रगुप्त मौर्य
अशोक महान
चंद्रगुप्त विक्रमादित्य
कनिष्क
पाटलिपुत्र
वैशाली
राजगृह (गिरिव्रज)
चम्पा
नन्द
मौर्य
शुंग
कण्व
मौर्य
हर्यक
नंद
गुप्त
वज्जी
वत्स
काशी
सुरसेन
अवंति
वत्स
अस्सक
कम्बोज
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