1917
1918
1920
1928
महात्मा गांधी ने
मदन मोहन मालवीय ने
तेज बहादुर सप्रू ने
चितरंजन दास ने
काकोरी कांड
चौरा-चौरा कांड
जलियांवाला बाग कांड
मुजफ्फरपुर कांड
हरदयाल और लाजपत राय जैसे नेताओं का बढ़ता हुआ प्रभाव
गांधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन का स्थगन
विदेशी घटनाओं का प्रभाव
भारतीयों की मांगों को अंग्रेजों द्वारा अस्वीकार किया जाना
बाल गंगाधर तिलक
लाला लाजपत राय
मोतीलाल नेहरू
चितरंजन दास
असहयोग आंदोलन
नमक आंदोलन
भारत छोड़ो आंदोलन
नील आंदोलन
दिल्ली में
कलकत्ता में
चौरी-चौरा में
बारदोली में
छपरा में
दिल्ली में
लखनऊ में
पटना में
सी.आर. दास ने
एनी बेसेंट ने
बी. सी. पाल ने
मदन मोहन मालवीय ने
मदन मोहन मालवीय
रवींद्रनाथ टैगोर
शौकत अली
मोतीलाल नेहरू
1920
1921
1922
1924
फरवरी 5, 1922
फरवरी 4, 1922
फरवरी 2, 1922
फरवरी 6, 1922
दांडी मार्च के समय
असहयोग आंदोलन के समय
सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय
गोलमेज सम्मेलन के समय
के. टी. शाह
बिपिन चंद्र पाल
सुभाष चंद्र बोस
डॉ. मुंजे
इस आंदोलन की अवधि 1920 से 1922 तक थी ।
एक वर्ष के भीतर स्वराज की प्राप्ति इसका लक्ष्य था ।
इसमें बहिष्कार की योजना थी।
एम. ए. जिन्ना ने इस आंदोलन का समर्थन किया था ।
देवरिया
गोरखपुर
कुशीनगर
महाराजगंज
हिंदू-मुस्लिम एकता
सूबों को अधिक शक्तियां
केंद्रीय विधायिका सदन में चुने हुए सदस्यों की संख्या में वृद्धि
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विभाजन
हिंद केसरी
कैसर-ए-हिंद
रायबहादुर
राइटच ऑनरबल
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