General Competition | Indian Polity | संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

1757 ई0 में हुए पलासी युद्ध के फलस्वरूप ब्रिटिश कंपनी ने भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की सत्ता स्थापना की । यह युद्ध बंगाल के नवाब सिराजुदौला और रॉबर्ट क्लाइव के बीच हुआ। इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई ।

General Competition | Indian Polity | संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

General Competition | Indian Polity | संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • 1600 ई0 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई। इस समय ब्रिटेन की महारानी (चार्टर) एलिजा बेथ प्रथम थी, जिन्होनें कंपनी को भारत तथा पूर्वी एशियाई देशों के व्यापार करने का अधिकार दिया। जिस समय भारत में ब्रिटिश कंपनी की स्थापना हुई उस समय भारत में मुग़ल सम्राज्य का शासन था और शासक अकबर थें। अंग्रेज जहाँगीर के शासनकाल से व्यापार करना प्रारंभ किया। अंग्रेज तथा मुग़लों के बीच संघर्ष (लड़ाई) औरंगजेब के शासनकाल से प्रारंभ हुआ । औरंगजेब का निधन 1707 ई0 में हो गया तथा उसके बाद कोई भी योग्य मुग़ल बादशाह नहीं हुआ ।
    1757 ई0 में हुए पलासी युद्ध के फलस्वरूप ब्रिटिश कंपनी ने भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की सत्ता स्थापना की । यह युद्ध बंगाल के नवाब सिराजुदौला और रॉबर्ट क्लाइव के बीच हुआ। इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई ।
    1764 ई0 में बक्सर का युद्ध हुआ । इस युद्ध में एक तरफ भारत की संयुक्त की सेना अवध के नवाब सुजाउदौला, मुग़ल बादशाह शाह आलम द्वितीय तथा बंगाल के अपदस्त नवाब मीरकासीम थें तथा यहीं दुसरी ओर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी शामिल था। कंपनी के तरफ से नेतृत्व हेक्टर मुनरों कर रहा था। इस युद्ध में ब्रिटिश कंपनी की जीत हुई। इस युद्ध की समाप्ति 1765 के इलाहाबाद के संधि के तहत् हुआ । इस संधि के तहत् कंपनी को बिहार, बंगाल तथा उड़ीसा के क्षेत्र में कर वसूलने का अधिकार अर्थात कंपनी को दिवानी अधिकार प्राप्त हुआ । 1771. जाते-जाते कंपनी बंगाल की सत्ता पूर्णतः अपने नियंत्रण में कर लिया, जिस कारण ब्रिटिश संसद ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को अपने नियंत्रण . में लाने हेतू सन् 1773 में प्रथम अधिनियम 1773 का रेगूलेटिंग एक्ट पारित किया । 
  • 1173 का रेगूलेटिंग एक्ट:-
    इस एक्ट के पारित होने के समय ब्रिटेन का प्रधानमंत्री लार्ड नॉर्थ था। इस एक्ट की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं-
    (क) इस अधिनियम द्वारा बंगाल के गर्वनर का पदनाम बदलकर बंगाल का गर्वनर 1. जनरल किया गया ।
    (ख) इस अधिनियम के तहत् मद्रास एवं मुम्बई के गर्वनर बंगाल के गर्वनर जनरल के अधिन हो गये, जबकि पहले सभी प्रेसीडेंसियों के गर्वनर एक-दूसरे से अलग थें ।
    (ग) इस अधिनियम के अंतर्गत कलकत्ता में 1774 में उच्चतम न्यायलय की स्थापना की गई। जिसमें एक मुख्य न्यायधिश तथा तीन अन्य न्यायधिश थें ।
             मुख्य न्यायधिश- सर एलिजा इम्पे
             तीन अन्य न्यायधिश - हाइड लिमेस्टर चैम्बर्स
    (घ) इसके तहत् कंपनी के कर्मचारियों को निजी व्यापार करने तथा भारतीय लोगों से रिश्वत तथा उपहार लेने पर प्रतिबंध लगा दिया ।
  • 1781 का संसोधन अधिनियम (Amending Act of 1781):-
    रेगूलेटिंग एक्ट 1773 के कमियों को दूर करने के लिए ब्रिटिश संसद ने अमेडिंग एक्ट ऑफ 1781 पारित किया जिसे बंदोबस्त कानून (Act of settlement) के नाम से जाना जाता है ।
    (क) इस एक्ट के तहत् बंगाल के गर्वनर जनरल तथा कलकत्ता के उच्चतम न्यायलय का कार्य निर्धारण किया गया।
  • 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट:-
    यह एक्ट 1784 ई0 में इंगलैंड के प्रधानमंत्री बिलियम पिट के द्वारा पारित किया गया जिस कारण इस अधिनियम को पिट्स इंडिया एक्ट कहा जाता है। इस एक्ट की प्रमुख विशेषताएँ निम्न है-
    (क) इस एक्ट तहत् के ब्रिटिश संसद ने ब्रिटिश कंपनी पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित किया। पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने के पश्चात लंदन में दो संस्था Board of Director तथा Board of Controller की स्थापना की गई। B.O.D नामक संस्था कंपनी के व्यापारिक मामला को देखता था, जबकि B.O.C नामक संस्था कंपनी के राजनीतिक मामला को देखता था ।
    (ख) इस एक्ट के तहत् कंपनी द्वारा भारत में जीती गई क्षेत्र को ब्रिटिश - अधिपत्य का क्षेत्र कहा गया।
    (ग) पीट्स इंडिया एक्ट में संशोधन करने के लिए 1786 में एक एक्ट पारित किया गया जिसे 1786 का एमेंडमेंट एक्ट कहा जाता है।
    (घ) 1786 के एमेडमेंट एक्ट के तहत् ब्रिटिश गर्वनर जनरलों को वीटो (विशेषाधिकार) - का अधिकार प्राप्त हुआ ।
    (ङ) 1784 के पीट्स इंडिया एक्ट के लागू होने के कारण ही बंगाल के गर्वनर जनरल लॉर्ड वारेन हेस्टिग्स ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और वापस लंदन चले गयें!
    • वीटो लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ रोकना होता है ।
  • 1793 का चार्टर एक्ट:-
    इस एक्ट के तहत् पहली बार भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार पर नियंत्रण करने का प्रयास किया गया, क्योंकि इस एक्ट में यह कहा गया कि अगले बीस वर्षो तक कंपनी को भारत में व्यापार करने का एकाधिकार रहेगा ।
  • 1813 का चार्टर एक्ट:-
    इस एक्ट की निम्नलिखित विशेषताएँ है-
    (क) इस एक्ट के तहत् कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार को आंशिक रूप से समाप्त किया गया ।
    (ख) इस एक्ट के पारित होने के बाद भी कंपनी को भारत में चाय के व्यापार करने का एकाधिकार प्राप्त था तथा एशियाई देश चीन के याथ पूर्णतः एकाधिकार व्यापार करने का अधिकार प्राप्त था ।
    (ग) इस एक्ट के तहत् भारत का दरवाजा व्यापार करने के लिए पूर्णतः खोल दिया गया।
    (घ) इस एक्ट में यह प्रावधान किया गया कि भारतीय लोगों के लिए प्रतिवर्ष शिक्षा पर 1 लाख रुपया खर्च किया जायेगा ।
    (ङ) इस एक्ट में इसाई मिशनरियों को भारत में इसाई धर्म का प्रचार-प्रसार करने का खुली छूट मिली।
  • नोट:- भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को व्यापार करने का एकाधिकार 1600 ई में दिया गया लेकिन इससे पूर्व 1593 ई. में ब्रिटिश कंपनी लिवेंट को स्थल मार्ग से व्यापार करने का एकाधिकार प्राप्त था ।
1833 का चार्टर एक्ट:-
इस एक्ट के मुख्य विशेषताएँ निम्नांकित है-
(क) इस एक्ट के तहत् कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार को पूर्ण रूप से समाप्त किया ।
(ख) इसके तहत् कंपनी को भारत में पूर्णतः प्रशासनिक कंपनी बना दिया गया ।
(ग) इस कानून के तहत् कंपनी में होने वाले नियुक्ति पर हो रहें भेदभाव पर प्रतिबंध लगा दिया गया। नियुक्ति तथा नियोजन में भेदभाव रंग, धर्म, तथा जाति के आधार पर होता था ।
(घ) इस अधिनियम ने कंपनी का भारतीय लोगों को नियुक्त होने का अवसर प्रदान किया ।
(ङ) इस एक्ट के तहत् बंगाल के गर्वनर जनरल का पदनाम बदलकर भारत का गर्वनर जनरल किया गया। भारत का प्रथम गर्वनर जनरल लॉर्ड बिलियम बैटिंक थें ।
1853 का चार्टर एक्ट:-
इस एक्ट की प्रमुख विशेषताएँ निम्न है—
(क) सिविल सेवकों की नियुक्ति हेतू प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन किया गया।
(ख) विधान परिषद की स्थापना या गठन की चर्चा की गई ।
1858 का भारत परिषद अधिनियम:-
इस अधिनियम को भारत के शासन को बेहतर बनाने का अधिनियम कहा जाता है। इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ निम्न है-
(क) भारत के शासन को ब्रिटिश कंपनी के हाथों से लेकर ब्रिटिश क्राउन या सांसद को सौंप दिया गया ।
(ख) भारत के गर्वनर जेनरल का पदनाम बदलकर भारत का वायसराय किया गया। प्रथम वायसराय लॉर्ड कैनिंग बनें ।
(ग) इस अधिनियम के तहत् मुग़ल सत्ता या मुग़ल बादशाह के पद को समाप्त कर दिया गया। मुग़ल सत्ता की स्थापना पानीपत के प्रथम युद्ध 1526 ई. से हुआ है।
(घ) इस अधिनियम के तहत Board of Director तथा Board of Controller का पद समाप्त कर दिया गया। इसके स्थान पर भारत सचिव का पद लाया गया ।
(ङ) इस अधिनियम के तहत ही भारत में शासन-प्रशासन चलाने के उदेश्य से 15 सदस्यीय भारत परिषद नामक संगठन की स्थापना की गई।
  • नोट:- 1858 ई. में भारत का प्रथम भारत सचिव लॉर्ड स्टेनली बने तथा आजादी के समय भारत सचिव के पद पर लॉर्ड लिस्टोवेल थें ।
1873 का अधिनियम:-
इस अधिनियम में कहा गया कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को कभी भी भंग किया जा सकता है। इस अधिनियम के प्रावधान के तहत ही ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को 1 जनवरी 1884 ई. को भंग कर दिया गया ।
1861 का भारत परिषद अधिनियम:-
इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ निम्न है-
(क) वायसराय को अध्यादेश जारी करने का अधिकार दिया गया।
(ख) इस अधिनियम के तहत सर दिनकर रॉ, बनारस के राजा तथा पटियाला के महाराज को विधान परिषद में मनोनित किया गया । .
(ग) इस अधिनियम के तहत भारत में मंत्रीमंडल व्यवस्था या पोर्ट फोलियों प्रणाली या संविभागीय प्रणाली की व्यवस्था की शुरूआत हुई ।
(घ) इस अधिनियम के तहत बंगाल में 1862, उत्तरी-पश्चिमी प्रांत में 1866 तथा पंजाब में 1897 ई. में विधान परिषद का गठन किया गया ।
1892 का भारत परिषद अधिनियम:-
1885 ई. में कांग्रेस नामक संस्था की स्थापना हुई । कांग्रेस के दवाब में आकर ही अंग्रेजों ने 1892 का भारत परिषद अधिनियम पारित किया । इस अधिनियम की प्रमुख विशेषता निम्न है -
(क) अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली की शुरूआत हुई ।
(ख) विधानपरिषद के सदस्यों को प्रश्न पुछने का अधिकार दिया गया।
(ग) विधानपरिषद के सदस्यों को बोलने का अधिकार दिया गया लेकिन मतदान करने का अधिकार नहीं दिया गया ।
  • नोटः- भारत में पहली बार बजट 1860 ई में जेम्स विलसन के द्वारा प्रस्तुत किया गया ।
इस अधिनियम को मार्ले-मिन्टो का अधिनियम कहा जाता है। क्योंकि इस अधिनियम को पारित करवाने में भारत का सचिव लॉर्ड मार्ले तथा भारतीय वायसराय लॉर्ड मिन्टो द्वितीय का योगदान था। इस अधिनियम के पारित होने के समय ब्रिटेन का प्रधानमंत्री एच. एच. एक्विथ थें । इस अधिनियम की प्रमुख विशेषता निम्न है-
(क) मुसलमानों को पृथक (अलग) निर्वाचन करने का अधिकार दिया गया ।
(ख) वायसराय के कार्यकारिणी परिषद एक भारतीय सदस्य को शामिल किया गया। कार्यकारिणी परिषद में शामिल होने वाला प्रथम भारतीय सर सत्येन्द्र प्रसाद सिन्हा हुए ।
(ग) इस अधिनियम के तहत विधानपरिषद के सदस्य को पूरक ( पूरा) प्रश्न पुछने का अधिकार दिया गया।
(घ) इस अधिनियम के तहत विधानपरिषद के सदस्यों को बजट पर मतदान करने का अधिकार दिया गया।
1919 का भारत शासन अधिनियम:-
इस अधिनियम को भारत सचिव लॉर्ड मांटेग्यू तथा भारतीय वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने मिलकर बनाया जिस कारण इस अधिनियम को मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार कहते है । यह एक प्रकार का सैंवैधानिक सुधार था । इस अधिनियम के पारित होने के समय ब्रिटेन का प्रधानमंत्री लॉयर्ड जार्ज था। इस अधिनियम की प्रमुख विशेषता निम्न है-
(क) सिख, इसाई और आंग्ल भारतीय समुदाय के लोगों को पृथक निर्वाचन का अधिकार दिया ।
(ख) महिलाओं को मतदान करने का अधिकार दिया गया ।
(ग) द्विसदनीय विधायी का गठन किया गया जिसमें एक सदन राज्य परिषद तथा दुसरा केंद्रीय विधान सभा हुआ ।
(घ) केंद्रीय बजट को राज्य के बजट से अलग कर दिया ।
(ङ) यह प्रावधान किया गया कि सिविल सेवकों की नियुक्ति हेतू प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन लंदन के साथ-साथ भारत में भी होगा ।
(च) प्रांतों में द्वैध शासन लागू किया गया।
  • नोट:-
    1. प्रांतों में द्वैध शासन के जनक लियोनस कर्टियस को माना जाता है।
    2. बंगाल में द्वैध शासन 1765 ई में रॉबर्ट क्लाइव ने लागू किया था। वहीं द्वैध शासन को समाप्त वारेन हेस्टिंग्स ने 1772 ई में किया ।
    3. 1919 का भारत शासन अधिनियम 1921 ई लागू हुआ था ।
    4. 1919 के जाँच हेतू 1927 ई में साइमन कमीशन आयोग का गठन किया गया था।
    5. 1919 के अधिनियम के तहत ही लोक लेखा समिति का गठन किया गया।
    6. इस अधिनियम के तहत ही लोक सेवा आयोग का गठन 1926 ई में हुआ था ।
1935 का भारत शासन अधिनियमः-
साइमन कमीशन के रिपोर्ट (1930) के आधार पर भारत शासन अधिनियम 1935 बनकर तैयार हुआ । ब्रिटिश सरकार द्वारा पारित यह सबसे बड़ा अधिनियम था। इस अधिनियम में प्रस्तावना का अभाव था। यह अधिनियम सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण था क्योंकि भारतीय संविधान का अधिकतर प्रावधान इसी एक्ट से लिये गए है, भारत के संविधान को 1935 के अधिनियम का कार्बन कॉपी भी कहते हैं। इस अधिनियम के पारित होने के समय भारतीय वायसराय लॉर्ड वेलिंग्टन थें तो ब्रिटेन का प्रधानमंत्री स्टेनले ब्लाडबिन थें। इस अधिनियम की आलोचना करते हुए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने गुलामी या दास्ता का अधिकार पत्र कहा । इस की निम्नलिखित विशेषता है -
(क) ब्रिटिश प्रांत तथा देशी रियासत को मिलाकर अखिल भारतीय संघ का निर्माण किया जायेगा. 1-
(ख) प्रांतों में विधानसभा चुनाव करवाएँ जायेगें । इसी एक्ट के तहत भारत में पहली - बार प्रांतीय विधानसभा का चुनाव 1937 ई. में हुआ ।
(ग) इस अधिनियम के तहतं दलित, महिला, मजदूर, इत्यादि को पृथक निर्वाचन का अधिकार दिया गया।
(घ) इस एक्ट के तहत भारत को वर्मा से अलग किया गया। वर्मा 1936 ई. में भारत से अलग हुआ ।
(ङ) इस अधिनियम के तहत प्रांतो में द्वैध शासन को समाप्त कर दिया गया ।
(च) इस अधिनियम के तहत केंद्र में द्वैध शासन लागू किया गया।
(छ) इस अधिनियम की प्रमुख विशेषता प्रांतीय स्वायत्ता है।
  • नोटः- कांग्रेस ने 1936 के लखनऊ अधिवेशन (अध्यक्ष- जवाहर लाल नेहरू) में 1935 के भारत सरकार अधिनियम को अस्वीकार कर दिया ।
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