पंचायत ( अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम,
Panchayats (Extension to Scheduled Area) Act, 1996
> राज्य विधान मण्डल द्वारा पंचायतों पर बनाये कानून पारंपरिक एवं रूढ़िवादी मान्यताओं, सामाजिक व सांस्कृतिक पद्धतियों और सामुदायिक संसाधनों की परंपरागत प्रबंधन प्रणाली के समरूप होगा।
> प्रत्येक ग्राम में एक ग्राम सभा होगी, जो ग्राम स्तर पर पंचायत के निर्वाचक नियमावली में नामांकित व्यक्तियों से मिलकर बनेगी।
> ग्राम सभा नागरिकों, परंपराओं और मान्यताओं उनकी सांस्कृतिक पहचान, सामुदायिक संसाधनों के संरक्षण और विवादों के पारंपरिक निपटारे में सक्षम होगी।
> प्रत्येक ग्राम सभा अपने क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए योजनाओं, कार्यक्रमों और परियोजनाओं के अनुमोदन के बाद ही पंचायत द्वारा गांव के विकास कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करेगी।
> प्रत्येक ग्राम सभा अपने क्षेत्र में क्रियान्वित गरीबी उन्मूलन एवं अन्य लोकहित कार्यक्रमों के लिए लाभार्थियों की पहचान और चयन के लिए उत्तरदायी होगी।
> प्रत्येक ग्राम सभा अपने क्षेत्र में क्रियान्वित विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के उपरांत संबंधित ग्राम से उपयोगिता प्रमाण-पत्र प्राप्त करेगी।
> प्रत्येक पंचायत पर अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानों का आरक्षण, संबंधित पंचायत में उन समुदायों की जनसंख्या के अनुपात में होगी, जिस समुदाय के लिए आरक्षण अपेक्षित है, परन्तु अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण, स्थानों के कुल संख्या के आधे से कम नहीं होगी और अध्यक्ष के सभी स्थान, सभी स्तरों पर अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित होगी।
> राज्य सरकार ऐसी अनुसूचित जनजाति जिनका प्रतिनिधित्व मध्यवर्ती स्तर या जिला स्तर के पंचायत में नहीं है, के व्यक्ति को सदस्य मनोनीत कर सकती है, लेकिन मनोनीत व्यक्तियों की संख्या एक दहाई से अधिक नहीं होनी चाहिए।
> ग्राम सभा या समुचित स्तर पर पंचायतों से विकास योजनाओं के लिए अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि अर्जन करने से पूर्व और अनुसूचित क्षेत्रों, ऐसी परियोजनाओं द्वारा प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास से पूर्व परामर्श किया जाएगा। अनुसूचित क्षेत्रों, परियोजनाओं का वास्तविक नियोजन और क्रियान्वयन राज्य स्तर पर समन्वित किया जाएगा।
> पंचायत के समुचित स्तर को लघु जल निकायों का नियोजन एवं प्रबंधन कार्य सौंपा जाएगा।
> अनुसूचित क्षेत्रों में लघु खनिज के उत्खनन के लिए लाइसेंस देने का, लघु खनिज वाले क्षेत्र को लीज पर देने से पूर्व ग्राम सभा या पंचायत के समुचित स्तर से पूर्वानुमति आवश्यक है।
> लघु खनिज के उपयोग में किसी भी प्रकार के रियायत देने के लिए ग्राम सभा या पंचायत के उचित स्तर से पूर्वानुमति आवश्यक है।
> ग्राम सभा को अपने सीमा क्षेत्र में किसी भी प्रकार के मादक पदार्थों के विक्रय और सेवन के विनियमन, नियंत्रण करने का अधिकार होगा।
> ग्राम सभा का लघु वनोत्पाद में स्वामित्व होगा।
> ग्राम सभा को अनुसूचित क्षेत्र में भूमि हस्तान्तरण में नियंत्रण और अनुसूचित जनजातियों के अवैधानिक रूप से हस्तान्तरित भूमि की पुनर्वापसी के लिए आवश्यक कदम उठाने का अधिकार होगा। > ग्राम सभा को ग्राम स्तरीय हाटों / बाजारों के प्रबंधन का अधिकार होगा।
> ग्राम सभा को अनुसूचित जनजातियों को ऋण देने पर नियंत्रण का अधिकार होगा।
> ग्राम सभा को सामाजिक संस्थाओं और कार्यकर्त्ताओं के कार्यकलापों पर नियंत्रण का अधिकार होगा।
> ग्राम सभा को स्थानीय स्वयोजनाओं (जनजातीय उप योजना सहित ) और उनके स्रोतों पर नियंत्रण का अधिकार होगा।
पेसा के बारे में
> पंचायती राज मंत्रालय का अधिदेश
> पंचायती राज मंत्रालय का अधिदेश संविधान के नौवें भाग, भाग IXक के अनुच्छेद 243 यघ के अनुसार जिला योजना समिति के संबंध में प्रावधान और पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में पंचायत के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा) के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए है। देश में पंचायती राज व्यवस्था के संबंध में संवैधानिक प्रावधान
> 24 अप्रैल, 1993 से प्रभावी, संविधान ( तिहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, 1992, जो भारत के संविधान के नौंवें भाग में सन्निविष्ट किया गया है, पंचायतों को ग्रामीण भारत के लिए स्थानीय स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में एक संवैधानिक दर्जा देता है।
> संविधान का अनुच्छेद 243ड (1), अनुच्छेद 244 के खंड (1) और (2) में निर्दिष्ट अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों में संविधान के नौंवे भाग के प्रावधानों को लागू करने से छूट देता है। हालांकि, अनुच्छेद 243ड (4)(ख) संसद को कानून बनाने और नौवें भाग के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों में विस्तारित करने की शक्ति प्रदान करता है, बशर्ते कि ऐसे अपवादों और संशोधनों को ऐसे कानूनों में निर्दिष्ट किया गया हो और इस तरह का कोई भी कानून अनुच्छेद 368 के प्रयोजन के लिए संविधान संशोधन नहीं माना जाएगा।
> पांचवी अनुसूची का क्षेत्र
> संविधान पांचवीं अनुसूची किसी भी राज्य - असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के अलावा अन्य राज्य में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के रूप में भी प्रशासन और अनुसूचित क्षेत्रों के नियंत्रण के साथ संबंधित है।
‘‘पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996" (पेसा), कुछ संशोधनों और अपवादों को छोड़कर संविधान के नौवें भाग को, संविधान के अनुच्छेद 244(1) के अंतर्गत अधिसूचित पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों के लिए विस्तारित करता है। वर्तमान में, 10 राज्यों अर्थात् आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, ओडिसा, राजस्थान और तेलंगाना में पांचवी अनुसूची क्षेत्र मौजूद हैं।
> गांव और ग्राम सभा की परिभाषा
> पेसा अधिनियम के अंतर्गत, अनुच्छेद 4(ख), आमतौर पर एक बस्ती या बस्तियों के समूह या एक पुरवा या पुरवों के समूह को मिलाकर एक गांव का गठन होता है, जिसमें एक समुदाय के लोग रहते हैं और अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार अपने मामलों का प्रबंधन करते हैं।
> पेसा अधिनियम, अनुच्छेद 4 (ग) के अंतर्गत उन सभी व्यक्तियों को लेकर हर गांव में एक ग्राम सभा होगी, जिनके नाम ग्राम स्तर पर पंचायत के लिए मतदाता सूची में शामिल कर लिए गए हैं। पेसा ग्राम सभा को निम्न के लिए विशेष रूप से शक्ति प्रदान करती है :
(क) लोगों की परंपराओं और रिवाजों और उनकी सांस्कृतिक पहचान बनाए रखना
(ख) समुदाय के संसाधन और विवाद समाधान के परंपरागत तरीके की रक्षा और संरक्षा
(ग) निम्न कार्यकारी कार्यों को पूरा करना: –
1. सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए योजनाओं, कार्यक्रमों और परियोजनाओं को मंजूरी देना।
2. गरीबी उन्मूलन और अन्य कार्यक्रमों के अंतर्गत लाभार्थियों के रूप में व्यक्तियों की पहचान करना।
3. पंचायत द्वारा योजनाओं, कार्यक्रमों और परियोजनाओं के लिए धन के उपयोग का एक प्रमाण पत्र जारी करना ।
> पेसा उपयुक्त स्तर पर ग्राम सभा/पंचायतों को निम्नलिखित की शक्तियाँ प्रदान करती है -
(i) भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और विस्थापित व्यक्तियों के पुनर्वास में अनिवार्य परामर्श का अधिकार
(ii) एक उचित स्तर पर पंचायत को लघु जल निकायों की योजना और प्रबंधन का कार्य सौंपा गया है
(iii) एक उचित स्तर की ग्राम सभा या पंचायत द्वारा खान और खनिजों के लिए संभावित लाइसेंस पट्टा, रियायतें देने के लिए अनिवार्य सिफारिश करने का अधिकार
(iv) मादक द्रव्यों की बिक्री/खपत को विनियमित करना
(v) लघु वनोपजों का स्वामित्व
(vi) भूमि हस्तान्तरण को रोकना और हस्तान्तरित भूमि की बहाली
(vii) गांव बाजारों का प्रबंधन
(viii) अनुसूचित जनजाति को दिए जाने वाले ऋण पर नियंत्रण
(ix) सामाजिक क्षेत्र में कार्यकर्ताओं और संस्थानों, जनजातीय उप योजना और संसाधनों सहित स्थानीय योजनाओं पर नियंत्रण
> पेसा का महत्व
> पेसा का प्रभावी क्रियान्वयन न केवल विकास को प्रोत्साहित करेगा बल्कि इससे पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में लोकतंत्र भी और गहरा होगा। पेसा के कई फायदे हैं। इससे निर्णय लेने में लोगों की भागीदारी में वृद्धि होगी। पेसा आदिवासी क्षेत्रों में अलगाव की भावना को कम करेगा और सार्वजनिक संसाधनों के उपयोग पर बेहतर नियंत्रण होगा। पेसा से जनजातीय आबादी में गरीबी और बाहर पलायन कम हो जाएगा क्योंकि प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण और प्रबंधन से उनकी आजीविका और आय में सुधार होगा। पेसा जनजातीय आबादी के शोषण को कम करेगा, क्योंकि वे ऋण देने, शराब की बिक्री खपत एवं गांव बाजारों का प्रबंधन करने में सक्षम होंगे। पेसा के प्रभावी कार्यान्वयन से भूमि के अवैध हस्तान्तरण पर रोक लगेगी और आदिवासियों की अवैध रूप से हस्तान्तरित जमीन को बहाल किया जा सकेगा और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि पेसा परंपराओं, रीति-रिवाजों और जनजातीय आबादी की सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देगा।
> पंचायती राज मंत्रालय की पहल
> पेसा के महत्व को स्वीकार करते हुए भारत सरकार राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में पेसा का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है। कार्रवाई में शामिल कुछ बिंदु हैं:
(i) 21.5.2010 को पांचवी अनुसूची के क्षेत्रों वाले सभी राज्यों को पेसा के कार्यान्वयन पर समेकित दिशा निर्देश जारी किए गए थे।
(ii) राज्यों के दौरे, पत्राचार और बैठकों/कार्यशालाओं के माध्यम से अनुसूचित क्षेत्रों वाले राज्यों में पेसा अधिनियम के कार्यान्वयन की लगातार समीक्षा
करना ।
(iii) राज्यों में पेसा के कार्यान्वयन की प्रगति और ऐसा करने में सामने आने वाले मुद्दों और चुनौतियों की समीक्षा करने और आगे का मार्ग तय करने के लिए 4-5 फरवरी, 2016 को नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई थी।
(iv) आरजीपीएसए के अंतर्गत, पांचवी अनुसूची क्षेत्रों वाले राज्यों को ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम सभा संघटक और राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर पेसा समन्वयक तैनात करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है।
(v) पांचवी अनुसूची के क्षेत्रों में “सामुदायिक लामबंदी " पर एक पुस्तिका का प्रकाश
(vi) पेसा से संबंधित विषयों पर विभिन्न शोध अध्ययन और कार्रवाई अनुसंधान प्रायोजित करना
(vii) राज्यों को पेसा के प्रावधानों के कार्यान्वयन के लिए नियम बनाने और राज्य पंचायती राज अधिनियम और कानूनों में संशोधन कर उन्हें पेसा के अनुकूल बनाने के लिए सहमत करना।
(viii) केन्द्र सरकार के मंत्रालयों / विभागों से केन्द्रीय कानूनों में पेसा के प्रावधानों के अनुरूप संशोधन के लिए अनुरोध ।
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