> हो जनजाति की पारंपरिक शासन व्यवस्था को मुण्डा-मानकी शासन व्यवस्था के नाम से जाना जाता है।
> इस शासन व्यवस्था को भारत की प्रथम गणतांत्रिक शासन व्यवस्था के रूप में देखा जाता है।
> इस शासन व्यवस्था को एक अंग्रेज अधिकारी थॉमस विल्किंसन द्वारा मंजूरी प्रदान की गयी थी।
> हो जनजाति मुण्डा समाज की ही एक उपशाखा है। मुण्डा जनजाति के अंतर्गत ग्राम पंचायत के प्रमुख को
जिसका मुण्डा कहा जाता था। ऐसे कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर एक पट्टी निर्मित की जाती थी, प्रमुख मानकी होता था। इसी शासन व्यवस्था को मुण्डा मानकी शासन व्यवस्था के नाम से जाना जाता है।
> मुण्डा मानकी शासन व्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण पदों, संगठनों एवं संबंधित तथ्यों का विवरण निम्नवत् है:|
> महत्वपूर्ण पद /
> शब्द संबंधित तथ्य
> मुण्डा
- > इस शासन व्यवस्था में किसी गाँव के को मुण्डा कहा जाता है।
- > यह प्रशासनिक, न्यायिक तथा लगान एकत्रित करने का कार्य करता है।
> डाकुआ
- > यह मुण्डा का सहयोगी होता है तथा मुण्डा के निर्णयों एवं आदेशों को गाँव के लोगों तक पहुंचाता है।
> मानकी
- > 7 - 12 गांवों को मिलाकर एक पड़हा का निर्माण होता है, जिसका प्रमुख मानकी कहलाता है।
- > मानकी द्वारा आयोजित सभा में सभी मुण्डा तथा डाकुआ की उपस्थिति होते हैं जिसमें सर्वसम्मति से किसी मामले का निपटारा किया जाता है।
> पीरपंच
- > पड़हा का न्यायिक प्रधान पीरपंच कहलाता है।
> तहसीलदार
- > यह गाँव का राजस्व अधिकारी होता है जो मुख्यतः लगान वसूली का कार्य करता है।
> दिउरी
- > यह गाँव का धार्मिक प्रधान है तथा पूजा-पाठ, पर्व-त्योहारों, शादि विवाह आदि में धार्मिक अनुष्ठान संपन्न करता है ।
- > यह धार्मिक विवादों के मामलों को सुलझाने का भी कार्य करता है।
> यात्रा दिउरी
- > यह दिउरी का सहयोगी होता है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..