प्रत्यार्पण एवं पुनर्वास नीति

प्रत्यार्पण एवं पुनर्वास नीति

प्रत्यार्पण एवं पुनर्वास नीति
प्रत्यार्पण एवं पुनर्वास नीति, 2009 
(Surrender Policy, 2009)
> इस नीति की घोषणा 2009 में की गयी थी।
> विधि व्यवस्था के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती वामपंथी उग्रवाद की समस्या है। उग्रवाद की समस्या विधि व्यवस्था के क्षेत्र में इस राज्य की सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। झारखण्ड राज्य के राँची, गुमला, खूँटी, सिमडेगा, लोहरदगा, पलामू, लातेहार, गढ़वा, चतरा, हजारीबाग, गिरिडीह, कोडरमा, बोकारो, धनबाद, रामगढ़, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावाँ आदि जिले इस समस्या से गंभीर रूप से आक्रांत हैं। शेष जिलों में भी वामपंथी उग्रवादी अपनी जड़ जम रहा है तथा वहाँ भी उग्रवादी घटनाएँ, यदा-कदा होती रहती हैं।
> झारखण्ड राज्य के गठन के पश्चात् इस समस्या को चुनौती के रूप में लिया गया, जिसमें विशेष सफलताएँ मिलीं। जिससे उग्रवादियों का मनोबल गिरा है। विभिन्न माध्यमों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि बहुत से लोग बहकावे में आकर अथवा गलत धारणाओं के अंतर्गत वामपंथी उग्रवादियों के साथ मिल गए हैं, जिन्हें अब अपनी गलती का अहसास हो रहा है। वे समाज की मुख्य धारा में लौटने को आतुर हैं। 
> ऐसे तत्त्वों को एवं उनके परिवार को मुख्य धारा में वापस लाने के उद्देश्य से एक प्रत्यार्पण नीति का निर्धारण सन् 2001 में किया गया था, परन्तु उक्त प्रत्यार्पण नीति का प्रतिफल उत्साहवर्द्धक नहीं पाया गया। 
> इस पृष्ठभूमि में इस योजना को उत्साहवर्द्धक एवं आकर्षक बनाए जाने के लिए सम्यक् विचारोपरांत राज्य सरकार पूर्व की नीति के स्थान पर नई प्रत्यार्पण एवं पुनर्वास नीति का निरूपण निम्नवत करती है। 
उद्देश्य
> इस नीति का उद्देश्य वामपंथी उग्रवादियों के प्रत्यापर्ण को प्रोत्साहित करना तथा प्रत्यापर्ण कर चुके उग्रवादियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ते हुए उनके लिए वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था एवं आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना है।
परिभाषा
> वामपंथी उग्रवाद का तात्पर्य ऐसे संगठनों के सदस्यों से है, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा भारतीय अपराध (संशोधन) अधिनियम, 1908 की धारा 16 के तहत अवैधानिक घोषित किया गया है।
योग्यता
> यह योजना केवल उन्हीं उग्रवादियों पर लागू होगी, जिन्हें उग्रवादी संगठन के दस्ते के सदस्य या उसके ऊपर के पदधारक के रूप में विशेष शाखा द्वारा पहचान की गई हो।
> प्रत्यार्पण करने वाले उग्रवादियों द्वारा संगठन के संबंध में सभी जानकारियों का खुलासा करने संबंधित आपराधिक मामलों के संबंध में सभी तथ्य उपलब्ध कराने की स्थिति में ही उन्हें विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा। प्रोत्साहन की राशि सरकार द्वारा अनुमोदित पैकेज के अधीन होगी।
> प्रत्यार्पण पूर्ण रूपेण स्वैच्छिक तथा बिना किसी दबाव / उग्रवादी संगठन की प्रेरणा से होना आवश्यक है। 
> साधारणत: विशेष शाखा का प्रत्यार्पण संबंधित सभी पहलुओं का सत्यापन ही एकमात्र मानक होगा, किंतु विशेष परिस्थितियों में किसी भी प्रस्ताव के तथ्यों का सत्यापन सरकार अन्य स्रोतों से भी करा सकती है।
> उग्रवादियों द्वारा प्रत्यार्पण मंत्री /सांसद / विधायक / प्रमण्डलीय आयुक्त/प्रक्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक / पुलिस उप-महानिरीक्षक / जिला दंडाधिकारी / पुलिस अधीक्षक अथवा राज्य सरकार द्वारा मनोनीत पदाधिकारियों के समक्ष किया जा सकता है। ये पदाधिकारी समर्पणकर्ता उग्रवादियों को आवश्यक कानूनी कार्रवाई हेतु निकटवर्ती पुलिस स्टेशन या पुनर्वास केन्द्र कैंप / केन्द्र को सुपुर्द करेंगे, जहाँ उनके पुनर्वास योजना का सूत्रण / कार्यान्वयन किया जाएगा।
स्क्रीनिंग समिति
> प्रत्येक उग्रवादी के प्रत्यार्पण को स्वीकार करने के संबंध में निर्णय एक स्क्रीनिंग समिति द्वारा लिया जाएगा। इस समिति के अध्यक्ष जिला पुलिस अधीक्षक होंगे एवं अन्य सदस्य के रूप में जिला दण्डाधिकारी तथा पुलिस महानिदेशक, विशेष शाखा द्वारा एक एक पदाधिकारी मनोनीत किए जाएंगे।
पुनर्वास समिति
> प्रत्येक जिला में प्रत्यार्पण करने वाले उग्रवादियों के लिए जिला दण्डाधिकारी की अध्यक्षता में जिला पुनर्वास समिति गठित होगी, जिसके सदस्य सचिव, जिला पुलिस अधीक्षक होंगे तथा उप विकास आयुक्त, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केन्द्र जिला के अग्रणी बैंक पदाधिकारी एवं समादेष्टा गृह रक्षावाहिनी के सदस्य होंगे। जिला पुनर्वास समिति द्वारा प्रत्येक प्रत्यार्पण कर चुके उग्रवादी के संबंध में निम्नांकित तथ्यों को ध्यान में रखकर पुनर्वास पैकेज तैयार किया जाएगा"
(क) उग्रवादी की सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि।
(ख) उम्र ।
(ग) उनके सामान्य शैक्षणिक एवं तकनीकी योग्यता ।
(घ) पुनर्वासन हेतु उपलब्ध विकल्पों के संबंध में उसकी प्राथमिकता ।
(ड.) प्रस्तावित पुनर्वास पैकेज की संभाव्यता |
> पुनर्वास पैकेज के सूत्रण के संबंध में पुनर्वास समिति द्वारा पेशेवर सहायता एन.जी.ओ./ परामर्शी से प्राप्त की जा सकती है।
> जिला पुनर्वास समिति द्वारा सूत्रण किए गए प्रत्यार्पित उग्रवादी निर्दिष्ट, पुनर्वास पैकेज को पुलिस महानिदेशक के माध्यम से राज्य सरकार के पास अनुशंसा के साथ भेजा जाएगा।
पुनर्वास पैकेज
> पुनर्वास पैकेज के अवयव के रूप में नीचे अंकित सुविधाओं को अंकित किया जाएगा» पुनर्वास अनुदान 2,50,000/- रूपये (दो लाख पचास हजार रूपये) होगा, जिसमें से 50,000/- रूपये (पचास हजार) का भुगतान तत्काल प्रत्यार्पण के उपरांत किया जाएगा तथा शेष 2,00,000/- रूपये (दो लाख) का भुगतान दो बराबर किस्तों में होगा, जिसकी पहली किस्त एक वर्ष बाद तथा दूसरी किस्त दो वर्ष बाद प्रत्यार्पित उग्रवादी की गतिविधियों की छानबीन विशेष शाखा द्वारा किए जाने के पश्चात् देय होगी।
> पुनर्वास समिति द्वारा 3000/- रूपये प्रतिमाह की वृत्ति पर एक वर्ष तक के व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। विशेष परिस्थिति में व्यावसायिक प्रशिक्षण की अवधि एक अतिरिक्त वर्ष तक के लिए विस्तारित की जा सकेगी।
> अधिकतम 4 डिसमील जमीन गृह निर्माण हेतु आवंटित की जाएगी।
> प्रत्यार्पण करने वाले उग्रवादी को एक आवास निर्माण हेतु अधिकतम 50,000/- ( पचास हजार ) रूपये की राशि दी जाएगी।
> राज्यांतर्गत सरकारी चिकित्सा संस्थानों में उग्रवादी एवं उसके परिवार को निःशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था की जाएगी। 
> सरकारी विद्यालयों में उग्रवादी स्वयं एवं उसके पुत्र तथा पुत्रियों को मैट्रिक तक की शिक्षा निःशुल्क प्रदान की जाएगी। 
> मुख्यमंत्री कन्यादान योजनांतर्गत महिला उग्रवादी एवं उग्रवादियों की पुत्रियों के वैवाहिक कार्यक्रम हेतु अनुदान राशि दी जाएगी।
> यदि प्रत्यार्पण करने वाले उग्रवादी से सिर पर उसके मारे जाने या गिरफ्तार होने पर कोई सरकारी इनाम घोषित हो, तो समर्पण के उपरांत घोषित इनाम राशि उन्हें ही प्रदान कर दी जाएगी। संगठन के विभिन्न पदाधिकारीयों के समर्पण करने पर घोषित इनाम की राशि परिशिष्ट- क के अनुरूप भुगतान की जाएगी। 
> समर्पण के उपरांत यदि समर्पणकर्ता को उग्रवादियों द्वारा मारा जाता है, तो उसके परिवार को सरकारी संकल्प सं.-423 दिनांक 16.02.2006 तथा 369 दिनांक 24.01.2008 के आलोक में लाभों का भुगतान किया जाएगा, यथा- 1,00,000/- (एक लाख) रूपये का अनुदान एवं उसके एक सुयोग्य आश्रित को सरकारी नौकरी दी जाएगी, भले ही मृतक का प्रत्यार्पण के पूर्व आपराधिक इतिहास रहा हो।
> राष्ट्रीय/सहकारी बैंक से स्वनियोजन हेतु 2,00,000/- (दो लाख) रूपये तक के लिए ऋण प्राप्ति में सहायता देगी। ऋण से प्राप्त राशि पर देय ब्याज के विरूद्ध सरकार 50 प्रतिशत की सीमा तक अधिकतम 50,000/- (पचास हजार ) रूपये की राशि की प्रतिपूर्ति करेगी।
> अथवा
> शारीरिक मापदण्डों को पूरा करने वाले प्रत्यार्पित उग्रवादियों को पुलिस / गृह रक्षक / विशेष पुलिस अधिकारी के रूप में नियुक्ति पर विचार किया जा सकता है। महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक को विशेष परिस्थितियों में निर्धारित शारीरिक मापदण्ड को शिथिल करने की शक्ति होगी।
> राज्य सरकार द्वारा प्रत्यार्पित उग्रवादी को 5,00,000/- ( पांच लाख ) रूपये की जीवन बीमा कराई जाएगी एवं इसके लिए आवश्यक प्रीमियम का भुगतान किया जाएगा।
> प्रत्यार्पित उग्रवादी के आश्रितों के लिए ( परिवार के अ तर सदस्यों लिए) 1,00,000/- (एक लाख) रूपये का समूह जीवन बीमा भी कराया जाएगा।
> प्रत्यार्पित उग्रवादी की संपत्ति को उग्रवादियों द्वारा क्षतिग्रस्त किए जाने की स्थिति में क्षति का आकलन पुनर्वास समिति द्वारा कर क्षतिपूर्ति की जाएगी।
> पुनर्वास पैकेज को अंतिम रूप से गृह विभाग, झारखण्ड द्वारा अनुमोदित किया जाएगा।
> यदि प्रत्यार्पणकर्ता कालांतर में पुन: उग्रवादी गतिविधि में संलिप्त हो जाता है, तो पुनर्वास पैकेज के अंतर्गत भुगतेय सभी लाभ राज्य सरकार या बैंक (यदि ऋण का भुगतान नहीं किया गया हो) द्वारा स्वतः जब्त कर लिया जाएगा। परोक्ष रूप से प्रत्यार्पणकर्ता के उग्रवादी गतिविधि में संलिप्त होने या नहीं होने के बिन्दु पर अंतिम निर्णय राज्य सरकार के स्तर से होगा।
न्यायालय संबंधी मामले
> प्रत्यार्पित उग्रवादी के विरूद्ध लंबित जघन्य आपराधिक मामलों को विधि के अनुसार निष्पादित किया जाएगा। अन्य अपराधों के लिए समर्पणकर्ता को प्ली बारगेनिंग (Plea Bargaining) का विकल्प रहेगा। 
> प्रत्यार्पित उग्रवादी को अपना मुकदमा लड़ने के लिए सरकार की ओर से निःशुल्क वकील की व्यवस्था की जाएगी।
> न्यायिक प्रावधान के तहत आवश्यकता शर्त पूरा करने की स्थिति में सरकार द्वारा राजसाक्षी (Approver) बनाने/महिला एवं नाबालिग होने की स्थिति में प्रचलित विधि सम्मत कार्रवाई की जा सकती है। प्रत्यार्पित उग्रवादी के विरूद्ध लंबित मुकदमे के शीघ्रताशीघ्र निष्पादन हेतु विशेष न्यायालय (फास्ट ट्रैक कोर्ट) गठित किया जाएगा।
> प्रत्यार्पित उग्रवादी द्वारा उग्रवादी गतिविधि में सम्मिलित होने के पीछे लंबित भू-विवाद का कारण होने की स्थिति में संबंधित भूमि विवाद के मामलों का निपटारा प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध न्यायालयों से कराया जाएगा।
> समर्पण किए गए सक्रिय हथियारों, गोला-बारूद, विस्फोटक सामग्री आदि एवं संबंधित उग्रवादी के सिर पर घोषित सरकारी इनामों को छोड़कर समर्पणकर्ता यदि पति एवं पत्नी दोनों हों, तो पुनर्वास पैकेज के अंतर्गत उन्हें एक यूनिट ही माना जाएगा।
> राज्य सरकार प्रत्येक वर्ष इस योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा करेगी तथा आवश्यकतानुसार संशोधन करेगी। 
> राज्य सरकार में आवश्कतानुसार विशेष परिस्थितियों में उपर्युक्त प्रावधानों में संशोधन की शक्ति निहित होगी।
नक्सलियों के प्रत्यार्पण एवं पुनर्वास हेतु नई नीति 2015 (New Surrender and Rehabilitation Policy for Naxals - 2015) 
> राज्य सरकार द्वारा वामपंथी उग्रवादियों के प्रत्यार्पण एवं पुनर्वास नीति को अधिक आकर्षक बनाने के उद्देश्य से 2009 की प्रत्यार्पण एवं पनुर्वास नीति में 2015 में संशोधन किया गया है, जो इस प्रकार हैं
1. नक्सलियों का श्रेणी- 'ए' एवं श्रेणी 'बी' में वर्गीकरण किया जाएगा। जोनल कमांडर एवं उससे ऊपर के स्तर के नक्सलियों को श्रेणी- 'ए' में रखा जाएगा तथा इन्हें पुनर्वास अनुदान के रूप में कुल ₹5,00,000 रूपये का भुगतान किया जाएगा। इसमें से ₹1,00,000 की राशि का भुगतान तत्काल प्रत्यार्पण के उपरांत किया जाएगा तथा शेष ₹4,00,000 की राशि का भुगतान दो बराबर किस्तों में होगा, जिसकी पहली किस्त 1 वर्ष के बाद तथा दूसरी किस्त 2 वर्ष के बाद विशेष शाखा द्वारा प्रत्यार्पित उग्रवादी की गतिविधियों की छानबीन के बाद की जाएगी।
इसी प्रकार श्रेणी - 'बी' में जोनल कमांडर से नीचे के स्तर के नक्सलियों को रखा जाएगा तथा इन्हीं पुनर्वास अनुदान के रूप में कुल ₹2,50,000 रूपये का भुगतान किया जाएगा। इसमें से ₹50,000 की राशि का भुगतान तत्काल प्रत्यार्पण के उपरांत किया जाएगा तथा शेष ₹2,00,000 की राशि का भुगतान दो बराबर किस्तों में होगा, जिसकी पहली किस्त 1 वर्ष के बाद तथा दूसरी किस्त 2 वर्ष के बाद विशेष शाखा द्वारा प्रत्यार्पित उग्रवादी की गतिविधियों की छानबीन के बाद की जाएगी।
2. नक्सलियों को पुनर्वास परिषद् द्वारा प्रतिमाह ₹5,000 की वृत्ति पर एक वर्ष हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा जिसकी अवधि को विशेष परिस्थिति में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकेगा। 
3. प्रत्यार्पित नक्सलियों अथवा उनके बच्चों को स्नातक स्तर की शिक्षा ग्रहण करने हेतु अधिकतम ₹25,000 का वार्षिक भुगतान किया जाएगा। यह भुगतान प्रत्येक तिमाही में संबंधित शिक्षण संस्थानों को अग्रिम के रूप में किया जाएगा।
4. प्रत्यार्पित नक्सलियों के अच्छे आचरण के आधार पर उनके ऊपर चल रहे मुकदमें की पैरवी हेतु वकीलों पर उनके द्वारा किए जानेवाले व्यय की प्रतिपूर्ति/व्यय हेतु राशि के भुगतान हेतु पुलिस मुख्यालय, राँची द्व रा प्रस्ताव राज्य सरकार के गृह विभाग को उपलब्ध कराया जाएगा।
नक्सली हिंसा में मृत नागरिकों के आश्रितों हेतु अनुग्रह राशि से संबंधित संकल्प
> वर्ष 2006 में राज्य सरकार द्वारा उग्रवादी व आतंकवादी हिंसा में मारे जाने वाले सामान्य नागरिकों के आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से अनुग्रह राशि प्रदान करने के संबंध में निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं
1. इस प्रकार की हिंसा में मारे जाने वाले सामान्य नागरिकों के आश्रितों को अनुग्रह राशि के तौर पर ₹1,00,000 रूपये प्रदान किया जाएगा।
2. इस प्रकार की हिंसा में स्थायी रूप से अपंग हुए व्यक्ति को ₹50,000 रूपये की अनुग्रह राशि प्रदान की जाएगी।
3. इस प्रकार की हिंसा में गंभीर रूप से घायल हुए व्यक्ति को अनुदान तथा सरकारी एवं सरकार द्वारा संचालित अनुसूचित अस्पतालों में नि:शुल्क चिकित्सा प्रदान की जाएगी।
कर्तव्य निर्वाह के दौरान उग्रवादी गतिविधियों में मारे गए पुलिसकर्मियों व सरकारी सेवकों हेतु अनुग्रह अनुदान
> कर्तव्य निर्वाह के दौरान उग्रवादी गतिविधियों में मारे गए पुलिसकर्मियों व सरकारी सेवकों के आश्रितों को सरकार द्वारा ₹10,00,000 रूपये की अनुग्रह राशि प्रदान की जाती है। 
> उग्रवादी गतिविधियों के दौरान मारे जाने वाले केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बल के कर्मी के आश्रितों को केन्द्र सरकार द्वारा ₹7,50,000 की अनुग्रह राशि प्रदान की जाती है। राज्य में प्रतिनियुक्त ऐसे कर्मियों को झारखण्ड सरकार द्वारा ₹2,50,000 रूपये की अनुग्रह राशि प्रदान की जाती है ताकि उग्रवादी गतिविधियों में मारे जाने वाले राज्यकर्मियों की भांति ही इन्हें एकसमान अनुग्रह राशि के रूप में ₹10,00,000 लाख प्राप्त हो सके।
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