माँझी परगना शासन व्यवस्था

माँझी परगना शासन व्यवस्था

माँझी परगना शासन व्यवस्था
> संथाल जनजाति की शासन व्यवस्था को माँझी परगना शासन व्यवस्था के नाम से जाना जाता है। 
> अन्य सामाजिक व्यवस्था की ही भांति इस व्यवस्था में भी शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने हेतु सामूहिक एवं पारिवारिक जीवन में बचपन से ही नियमों एवं उपनियमों की सीख प्रदान की जाती है। इसकी अवहेलना करने पर पंचायतों द्वारा विभिन्न प्रकार के दण्ड प्रदान किये जाते हैं। इसमें शारीरिक तथा आर्थिक दोनों प्रकार के दण्ड सम्मिलित हैं। 
> संथालों ने इस शासन व्यवस्था को सौरिया पहाड़िया जनजाति से ग्रहण किया है, जिसकी राजनीतिक शासन व्यवस्था अत्यंत लोकतांत्रिक थी।
> माँझी परगना शासन व्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण पदों, संगठनों एवं संबंधित तथ्यों का विवरण निम्नवत् है:
> महत्वपूर्ण पद / शब्द 
> संबंधित तथ्य
माँझी
  • > इस शासन व्यवस्था में प्रत्येक गाँव की एक पंचायत होती है जिसका प्रधान माँझी कहलाता है। 
  • > यह गाँव की शासन व्यवस्था के संचालन हेतु प्रमुख रूप से उत्तरदायी होता है। माँझी को सफलतापूर्वक शासन संचालित करने हेतु विभिन्न प्रशासनिक एवं न्यायिक अधिकार प्राप्त होते हैं।
  • > यह ग्राम पंचायत के माध्यम से जमीन-जायदाद, तलाक, आपसी झगड़े आदि समस्याओं का समाधान करता है। माँझी हत्या जैसे गंभीर अपराध को छोड़कर गाँव के लगभग सभी मामलों का निपटारा करता है। हत्या के मामले में सरकारी हस्तक्षेप अनिवार्य होता है।
  • > माँझी को लगान वसूलने से लेकर विवाह संबंध स्थापित कराने तक का अधिकार प्राप्त होता है।
> प्रमाणिक/प्रानीक
  • > माँझी की अनुपस्थिति में उसके कार्यों का संचालन प्रमाणिक द्वारा किया जाता है। इसे उप-माँझी भी कहा जाता है। 
> गुड़ैत /गोड़ाइत
  • > यह माँझी के सचिव के रूप में कार्य करता है।
  • > ग्रामीणों को किसी उत्सव या कार्यक्रम की जानकारी पहुँचाने का कार्य गुड़ैत द्वारा ही किया जाता है। यह लोगों को विभिन्न अवसरों पर एक स्थान पर एकत्रित करता है।
  • > यह गाँव के परिवारों से संबंधित सूचनाएँ भी एकत्रित करता है।
> जोगमाँझी
  • > शासन संबंधी कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए माँझी की सहायता करने हेतु एक सहायक होता है, जिसे जोगमाँझी कहा जाता है।
  • > यह जन्म तथा विवाह संबंधी मामलों पर महत्वपूर्ण सलाह देने का कार्य करता है। साथ ही यह विवाह संबंधी मामलों को सुलझाता है।
> जोग प्रानीक 
  • > यह जोगमाँझी की अनुपस्थिति में उसके दायित्वों का संचालन करता है।
> परगनैत
  • > इस व्यवस्था में 15-20 गाँवों को आपस में मिलाकर परगना निर्मित होता है। जिसका प्रधान परगनैत कहलाता है।
  • > विभिन्न गाँवों के बीच के विवादों का निपटारा परगना में किया जाता है।
> देशमाँझी/मोड़े माँझी
  • > यह परगनैत का सहायक होता है, जो 5-8 गाँवों का प्रधान होता है। इस प्रकार एक परगनैत के एक से अधिक सहायक होते हैं।
  • > जो मामला माँझी द्वारा नहीं सुलझ पाता है उसे देशमाँझी को भेज दिया जाता है। तथा देशमाँझी की पंचायत में अनसुलझे मामलों को परगनैत को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
  • > इस प्रकार यह व्यवस्था लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रणाली के समरूप प्रतीत होती है। 
> दिशुम परगना
  • > यह परगनैत से उच्च स्तर पर अवस्थित होता है। जिन मामलों का निवारण परगनैत की सभा में नहीं होती है उसे दिशुम परगना को हस्तांतरित कर दिया जाता है। 
  • > यह सभी क्षेत्रों में नहीं पाया जाता है।
> भग्दो प्रजा
  • > झगड़ो के निपटारे में गाँव के कुछ वरिष्ठ लोगों से विचार-विमर्श किया जाता है, जिन्हें भग्दो प्रजा कहा जाता है।
> लासेर टंगाय
  • > यह गाँव के प्रहरी की भांति कार्य करता है जो बाहरी आक्रमण से गाँव की सुरक्षा करता है।
> चौकीदार
  • > यह पुलिस की भांति कार्य करता है। यह माँझी के आदेशानुसार किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करता है।
> नायके
  • > गाँव का धार्मिक प्रधान नायके कहलाता है। धार्मिक अपराधों पर फैसला नायके द्वारा ही दिया जाता है।
> कुडाम नायके
  • > यह उप नायके की भांति कार्य करता है। यह गाँव से बाहर देवी-देवताओं की पूजा-पाठ संपन्न कराता है।
> करेला दण्ड
  • > यह सबसे हल्का दण्ड है जिसके तहत अपराधी पर ₹5 से ₹150 का दण्ड लगाया जाता है।
> बिटलाहा
  • > बिटलाहा इस शासन व्यवस्था की सबसे कठोर सजा है, जो यौन अपराधों के दोषी को दिया जाता है।
  • > बिटलाहा के तहत यौन अपराधी का पूर्ण बहिष्कार करते हुये उसे गाँव से निकाल दिया जाता है।
  • > दोषी द्वारा क्षमा याचना करते हुए पूरे गाँव को जाति भोज देने पर बिटलाहा की सजा को समाप्त करने का भी प्रावधान है।
> लोबीर सेंदरा
  • > यह इस शासन व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायिक संस्था होती है।
> सेंदरा बैंसी 
  • > यह इस शासन व्यवस्था में शिकार परिषद् होता है।
> अन्य तथ्य
> भग्दो प्रजा को छोड़कर शेष सभी पदधारियों को इस शासन व्यवस्था में भूमि प्रदान की जाती है।
> इस शासन व्यवस्था में माग सिम के अवसर पर अधिकारियों का चुनाव किया जाता है।
> यूल रूल्स (1856) के नियम के आधार पर माँझी परगना शासन व्यवस्था को कानूनी मान्यता प्रदान की गयी है।
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