बौद्ध मठ
देवदूतों की भूमि
आर्य प्रदेश
हरियाली का प्रदेश
त्रिभुजाकार पिरामिड
अष्टफलकीय
समतलीय
चतुष्फलकीय
13
31
33
12
सोडियम क्लोराइड
लेड क्लोराइड
कार्बन टेट्राक्लोराइड
पोटैशियम क्लोराइड
मन्थन
जुबैदा
अंकुर
मंडी
4
6
8
16
15
16
17
18
माता
बुआ
बहिन
फुफेरी बहिन
26
25
27
24
आज
आने वाला कल
आने वाले कल के बाद अगले दिन
आने वाले कल में दो दिन बाद
25
30
22
इनमें से कोई नहीं
30%
25%
20%
इनमें से कोई नहीं
30 रुपए
40 रुपए
25 रुपए
इनमें से कोई नहीं
15 वर्ष
15.7 वर्ष
16.1 वर्ष
14.8 वर्ष
10%
20%
30%
इनमें से कोई नहीं
महिलाओं के प्रति आदर एवं जिम्मेदारी का दृष्टिकोण विकसित करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाए
नैतिक शिक्षा को पढ़ाया जाए
शान्ति शिक्षा को एक अलग विषय के रूप में पढ़ाया जाए
शान्ति शिक्षा को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाए
ज्ञान स्थायी है व दिया जाता है से ज्ञान का विकास होता हो और इसकी संरचना की जाती है
शैक्षिक केन्द्र से विषय केन्द्र होने पर
विद्यार्थी केन्द्रित (Learner Contric) से अध्यापक केन्द्रित की ओर
इनमें से कोई नहीं
नवीन ज्ञान की खोज
शैक्षिक परिस्थितियों में व्यवहार विज्ञान (Science of Behaviour) का विकास
विद्यालय तथा कक्षा की शैक्षिक कार्य प्रणाली में सुधार लाना
इनमें से सभी
खुली पुस्तक परीक्षा
सतत्/निरन्तर एवं व्यापक मूल्यांकन
सामूहिक कार्य मूल्यांकन
इनमें से सभी
क्षेत्र-भ्रमण और सर्वेक्षण
कक्षीय चर्चाएँ
परियोजना पद्धति
व्याख्यान पद्धति
वाद-विवाद और चर्चाओं में विद्यार्थियों को शामिल करना
विद्यार्थियों को पाठ्य-पुस्तक में से पढ़ने के लिए कहना और कठिन शब्दों के अर्थ की व्याख्या करना
नोट्स तैयार करना और इच्छा व्याख्यान देना
विद्यार्थियों को 'हैंड-आउट्स' देना और व्याख्या करना
व्याख्यान पद्धति
परियोजना-उन्मुखी
चर्चा-उन्मुखी
मुक्त-अंत
व्याख्यान और स्पष्टीकरण
वृत्त-चित्र (डॉक्यूमेंट्रीज) दिखाना
श्रुतलेखन एवं अभ्यास
लगातार जाँच
सुनने
पढ़ने
बोलने
बोलने व सुनने
कक्षा को समरूपी योग्यता - समूहों में विभाजित करना चाहिए
प्रत्येक विद्यार्थी को व्यक्तिगत दत्त-कार्य देना चाहिए
सामूहिक परियोजना-कार्य देने चाहिए
वाद-विवाद और चर्चाओं में विद्यार्थियों को शामिल करना चाहिए
मानक हिन्दी लिखने में निपुणता प्राप्त करना
हिन्दी और अपनी मातृभाषा के अन्तर को कंठस्थ करना
हिन्दी के व्याकरण पर अधिकार प्राप्त करना
दैनिक जीवन में हिन्दी में समझने तथा बोलने की क्षमता का विकास करना
सही रूप में समझना
व्याकरण के नियमों को रटना
निजी अनुभवों के आधार पर भाषा का सृजनशील प्रयोग
दूसरों के अनुभवों से जुड़ जाना और संदर्भों में चीजों को समझना
विभिन्न परिस्थितियों में संवाद-अदायगी करना
शब्दों को जोर-जोर से बोलना
कहानी को बोल-बोलकर पढ़ना
समाचार-पत्र का वाचन करना
बच्चों हेतु भाषा - प्रयोग के अवसर जुटाना
बच्चों को अगली कक्षा में प्रोन्नत करना
बच्चों को विभिन्न श्रेणियों में नियुक्त करना
बच्चों की भाषा - प्रयोग सम्बन्धी कठिनाइयों के सम्भावित कारणों की पहचान करना
शिक्षक की आवश्यक उपस्थिति की माँग करता है
भाषा की कक्षा में ही सम्भव है
सहज, स्वाभाविक होता है
प्रयासपूर्ण होता है
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