झारखण्ड के प्रमुख किले/राजप्रासाद

झारखण्ड के प्रमुख किले/राजप्रासाद
> किला / राजप्रासाद
> पलामू किला
> अवस्थिति
> विशेषता
> लातेहार
> यह किला लातेहार जिले में बेतला राष्ट्रीय उद्यान से लगभग 5 किमी. दूर औरंगा नदी के तट पर स्थित है।
> इसका निर्माण चेरोवंशी शासकों द्वारा कराया गया था। (1619 ई. में निर्माण प्रारंभ) 
> यहाँ दो किले अवस्थित हैं, जिसमें पुराने किले का निर्माण चेरोवंशी शासक प्रताप राय ने करवाया था, जो शाहजहाँ का समकालीन था तथा नये किले का निर्माण चेरो राजा मेदिनी राय * ने करवाया था, जो औरंगजेब का समकालीन था।
> नये किले में 40 फीट ऊँचा व 15 फीट चौड़ा एक आकर्षक दरवाजा है, जिसे नागपुरी दरवाजा कहा जाता है।
> इस किले में एक तीन गुंबदों वाला मस्जिद स्थित है, जिसका निर्माण सन् 1661 ई. में दाउद खाँ ने करवाया था।
> यह औरंगा नदी के तट पर स्थित है।
> इस किले का नागपुरी दरवाजा अत्यंत आकर्षक है। इसकी ऊँचाई 40 फीट तथा चौड़ाई 15 फीट है। 
> किला / राजप्रासाद
> विश्रामपुर का किला
> अवस्थिति 
> पलामू
> विशेषता
> इसका निर्माण चेरोवंशी शासक राजा तड़वन द्वारा कराया गया था। 
> इस किले के निर्माण में लगभग 9 वर्ष का समय लगा था। 
> इस किले के पास एक मंदिर भी निर्मित है।
> किला / राजप्रासाद
> रोहिल्लों का किला
> अवस्थिति
> अलीनगर, जपला (पलामू)
> विशेषता
> इसका निर्माण रोहिल्ला सरदार मुजफ्फर खाँ ने कराया था।
> इस किले की आकृति त्रिभुजाकार है।
> किला/राजप्रासाद
> चैनपुर का किला
> मेदिनीनगर (पलामू)
> अवस्थिति
> विशेषता
> इसका निर्माण पूरनमल के वंशधरों ने कराया था।
> यह कोयल नदी के तट पर अवस्थित है।
> इस किले में चैनपुर बंगला नामक एक नये स्मारक का निर्माण कराया गया है।
> किला / राजप्रासाद 
> शाहपुर का किला 
> अवस्थिति 
> विशेषता 
> पलामू यह मुगलकालीन स्थापत्य का उदाहरण है। 
> इसका निर्माण गोपाल राय द्वारा 1772 ई. में कराया गया था।
> किला / राजप्रासाद 
 > नारायणपुर किला
> अवस्थिति 
> नारायणपुर किला
> विशेषता 
> इसका निर्माण चेरोवंशी शासक भागवत राय के लेखपाल जाज दास द्वारा कराया गया था। 
> किला / राजप्रासाद 
> पद्मा का किला 
> अवस्थिति 
> पद्मा (हजारीबाग)
> विशेषता 
> यह किला राष्ट्रीय राजमार्ग-33 के किनारे अवस्थित है। 
> इसे राज्य सरकार द्वारा पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र बना दिया गया है। 
> किला / राजप्रासाद 
> बादम का किला
> अवस्थिति 
> हजारीबाग
> विशेषता 
> इसका निर्माण रामगढ़ के राजा हेमन्त सिंह द्वारा किया गया था। 
> 1642 ई. में राजा हेमन्त सिंह ने यहाँ एक शिव मंदिर का निर्माण कराया था, जिसके अवशेष आज भी विद्यमान हैं। 
> किला / राजप्रासाद 
> रामगढ़ का किला
> अवस्थिति 
> रामगढ़
> विशेषता 
> इस किले का निर्माण 1670 ई. में रामगढ़ राजवंश के राजा हेमंत सिंह ने अपनी राजधानी को बादम से रामगढ़ स्थानांतरित करते समय कराया था। 
> यह किला 1805 ई. में राजाराम मोहन राय की रामगढ़ यात्रा का गवाह भी बना। 
> किला / राजप्रासाद 
> कुंडा का किला
> अवस्थिति 
> कुंडा (चतरा)
> रामगढ़
> विशेषता 
> इसका निर्माण 14वीं शताब्दी में चेरोवंशी राजा द्वारा कराया गया था। 
> किला / राजप्रासाद 
> कतरासगढ़ का किला
> अवस्थिति 
> धनबाद
> विशेषता 
> इस किले का निर्माण 18वीं शताब्दी में कतरास के शासकों द्वारा कराया गया था। 
> यह किला धनबाद जिले के बाघमारा प्रखण्ड में कटनी नदी के तट पर स्थित है। 
> किला/राजप्रासाद
> पंचकोट का किला
> अवस्थिति
> पंचेत पहाड़, धनबाद
> विशेषता
> यह किला धनबाद जिले में पंचेत पहाड़ पर स्थित है।
> इसका निर्माण गोवंशी शासक गोमुखी ने कराया था।
> इस किले की पट्टिकाओं पर इसका निर्माण तिथि 1600 ई. उत्कीर्ण है।
> यह किला पाँच दीवारों (कोटों) से घिरा हुआ है, जिसके कारण इसका नाम पंचकोट का किला पड़ा है।
> किला/राजप्रासाद
> झरियागढ़ महल
> अवस्थिति
> धनबाद
> विशेषता
> झरिया के राजाओं की प्रारंभिक राजधानी यहीं थी जिसे बाद में कतरासगढ़ स्थानांतरित कर दिया गया था।
> किला/राजप्रासाद
> रातू का किला
> अवस्थिति
> रातू (राँची)
> विशेषता
> रातू के वर्तमान किले का निर्माण 1870 ई. में नागवंशी राजा उदयनाथ शाहदेव ने कराया था।
> इस किले का निर्माण एक अंग्रेज कंपनी के ठेकेदार द्वारा किया गया था जिसके कारण इस पर अंग्रेजी स्थापत्य कला का प्रभाव देखने को मिलता है।
> किला/राजप्रासाद
> तिलमी का किला
> अवस्थिति
> कर्रा (खूँटी)
> विशेषता
> इसका निर्माण 1737 ई. में अकबर नामक एक नागवंशी ठाकुर ने मोक्ष प्राप्ति के उद्देश्य से करवाया था।
> किला/राजप्रासाद
> नवरतनगढ़ महल / दोयसा का किला 
> अवस्थिति
> गुमला
> विशेषता
> इसका निर्माण 1585 ई. में नागवंशी राजा दुर्जनशाल ने करवाया था।
> यह एक पंचमंजिला भवन है, जो कंगूरा शैली में दांतेदार परकोटों (दीवारों) से घिरा है तथा इस महल के प्रत्येक मंजिल पर नौ-नौ कमरे थे।
> वर्तमान समय में इस महल में तीन मंजिल शेष हैं।
> इस किले का निर्माण चूना-सुर्खी एवं लाहौरी ईंटों से किया गया था।
> इस किले के अंदर शिव मंदिर व कपिलनाथ मंदिर जैसे मंदिरों का निर्माण भी कराया गया था।
> इसे 'झारखण्ड का हम्पी' भी कहा जाता है।
> इस किले को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है।
> किला / राजप्रासाद 
> पालकोट का राजमहल
> अवस्थिति 
> गुमला
> विशेषता 
> पालकोट नागवंशी शासक यदुनाथ शाह की राजधानी थी तथा यहीं पर इन्होनें इस महल का निर्माण कराया था।
> यह राजमहल राष्ट्रीय राजमार्ग-23 पर गुमला - सिमडेगा मार्ग पर स्थित है। 
> किला / राजप्रासाद 
> नागफेनी का राजमहल 
> अवस्थिति 
> सिसई ( गुमला)
> विशेषता 
> पुरातात्विक दृष्टि से इसके निर्माण का समय 1704 ई. अनुमानित है।
> इसके अवशिष्ट दीवारों पर एक आलेख है, जिसमें पत्थर पर एक राजा और उसकी सात रानियों तथा एक कुत्ते का चित्र अंकित है। 
> किला / राजप्रासाद 
> जैतगढ़ का किला
> अवस्थिति 
> पश्चिमी सिंहभूम
> विशेषता 
> यह बैतरणी नदी के किनारे अवस्थित है।
> इसका निर्माण पोरहाट नरेश काला अर्जुन सिंह ने कराया था। 
> किला / राजप्रासाद 
> जगन्नाथ का किला / पोराहाट का किला
> अवस्थिति 
> पश्चिमी सिंहभूम
> विशेषता 
> इस किले का निर्माण पोराहाट वंश के राजा जगन्नाथ सिंह ने करवाया था। 
> किला / राजप्रासाद 
> चक्रधरपुर की राजवाड़ी
> अवस्थिति 
> चक्रधरपुर (पश्चिमी सिंहभूम
> विशेषता 
> इसका निर्माण राजा अर्जुन सिंह के पुत्र नरपति सिंह द्वारा 1910-20 ई. के बीच करवाया गया था। 
> इसका निर्माण राजमहल की ईंटों से कराया गया था। 
> राजा की पुत्री शशांक मंजरी द्वारा इस किले का विक्रय कर दिया गया था।
> किला/राजप्रासाद
> केसानगढ़ का किला
> अवस्थिति
> केसानगढ़ (पश्चिमी सिंहभूम)
> विशेषता
> यह चाईबासा के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित है।
> यहाँ इस किले का अवशेष एक टिले के रूप में मिला है।
> किला/राजप्रासाद
> तेलियागढ़ किला
> अवस्थिति
> राजमहल पहाड़ी, साहेबगंज
> विशेषता
> इसे बंगाल का प्रवेश द्वार ( गेटवे ऑफ बंगाल ) भी कहा जाता है।
> इस किले का निर्माण मुगल काल में एक तेली राजा ने कराया था, जिसने शाहजहाँ, के समय में इस्लाम धर्म अपना लिया था।
> इस किले का उल्लेख चीनी यात्री ह्वेनसांग, ईरानी यात्री अब्दुल लतीफ एवं फ्रांसिस बुकानन व कनिंघम ने भी अपने यात्रा वृत्तांतों में किया है। इसके साथ ही ‘आइन - ए - अकबरी' तथा 'जहाँगीरनामा' में भी इस किले का उल्लेख मिलता है।
> मेगस्थनींज ने अपनी पुस्तक 'इंडिका' में गंगा नदी से सटे पहाड़ी पर काले पत थरों से निर्मित बड़े बौद्ध विहार का उल्लेख किया है, जिसका संबंध तेलियागढ़ी क्षेत्र से ही है।
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