झारखण्ड की राजव्यवस्था का परिचय

झारखण्ड की राजव्यवस्था का परिचय
> भारतीय संविधान के उपबंधो के अनुसार झारखण्ड भारत संघ का एक राज्य है जिसकी शासन प्रणाली अन्य राज्यों के समान है।
> झारखण्ड राज्य का शासन केन्द्र की भांति संसदीय शासन प्रणाली के अंतर्गत संचालित होता है। 
> झारखण्ड राज्य का गठन 15 नबंबर, 2000 को बिहार से पृथक एक अलग राज्य के रूप में किया गया है। 
> झारखण्ड राज्य के गठन हेतु भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत 2 अगस्त, 2000 को लोकसभा में बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक पारित किया गया।
> राज्य में एकसदनीय विधानमंडल की व्यवस्था है।
> राज्य विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या 82 है जिसमें 81 सदस्यों का प्रत्यक्ष निर्वाचन होता है तथा 01 एंग्लो इण्डियन सदस्य की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
> झारखण्ड विधान सभा की कुल सीटों में से 09 सीटें अनुसूचित जातियों के लिए तथा 28 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं।
> झारखण्ड राज्य में राज्य सभा के लिए 06 तथा लोकसभा के लिए 14 सीटें ( कुल - 20 ) * निर्धारित हैं। 
> लोकसभा के लिए निर्धारित 14 सीटों में से 01 अनुसूचित जातियों के लिए तथा 05 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।
> राज्य का सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र पश्चिमी सिंहभूम तथा सबसे छोटा संसदीय क्षेत्र चतरा है। 
> राज्य में गुमला तथा लोहरदगा दो ऐसे जिले हैं जिनके सभी विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति हेतु आरक्षित हैं। 91वें संविधान संशोधन, 2003 के अनुसार झारखण्ड राज्य के मंत्रिपरिषद् में कुल सदस्यों की संख्या मुख्यमंत्री ` सहित 12 ( कुल सदस्यों का अधिकतम 15% ) से अधिक नहीं हो सकती है।
> झारखण्ड में अर्जुन मुण्डा तथा शिबू सोरेन सर्वाधिक तीन-तीन बार मुख्यमंत्री का पद धारण कर चुके हैं। 
> इंदर सिंह नामधारी सर्वाधिक तीन बार झारखण्ड विधानसभा के अध्यक्ष पद पर आसीन रह चुके हैं। 
> राज्य सरकार के तीन प्रमुख अंग - कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका |
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