वचन

जिससे किसी पदार्थ की संख्या का बोध हो, उसे वचन कहते हैं। संस्कृत में तीन वचन होते हैं— एकवचन, द्विवचन और बहुवचन प्रथमादि प्रत्येक विभक्ति में तीन-तीन वचन होते हैं।

वचन

वचन

जिससे किसी पदार्थ की संख्या का बोध हो, उसे वचन कहते हैं। संस्कृत में तीन वचन होते हैं— एकवचन, द्विवचन और बहुवचन प्रथमादि प्रत्येक विभक्ति में तीन-तीन वचन होते हैं।

एकवचन

जिससे एक का बोध हो, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे— 
अश्वः -  एक घोड़ा (पुंल्लिंग) 
बालिका - एक लड़की (स्त्रीलिंग) 
फलम् - एक फल (नपुंसकलिंग)
'एक' शब्द एकवचनान्त होता है। इसलिए 'एक घोड़ा दौड़ता है', इसका अनुवाद ‘एकः अश्वः धावति' ऐसा होगा, किन्तु यदि इस वाक्य में 'एकः' शब्द नहीं भी दिया जाए, तब भी ‘अश्वः धावति' का अर्थ— 'एक घोड़ा दौड़ता है' होगा, क्योंकि 'अश्वः’ कर्ताकारक एकवचन है। इसी तरह 'बालिका पठति' – एक लड़की पढ़ती है; ‘फलं पतति’—एक फल गिरता है — इन वाक्यों में 'बालिका' और 'फलं’ एकवचनान्त हैं। 
द्वय, युग, युग्म, युगल आदि द्विवचनबोधक तथा त्रय, त्रितय, चतुष्टय, वर्ग, समूह, गण, कुल आदि बहुत्वबोधक होने पर भी एकवचनान्त होते हैं। जैसे— छात्र-द्वयं पठति — दो छात्र पढ़ते हैं | बाल-समूहः गृहं गच्छति – बच्चों का दल घर जाता है।

द्विवचन

जिससे दो का बोध हो, उसे द्विवचन कहते हैं। जैसे-
अश्वौ: – दो घोड़े (पुंल्लिंग) 
बालिके— दो लड़कियाँ (स्त्रीलिंग) 
फले – दो फल (नपुंसकलिंग) 
ऊपर ‘अश्वौः’, ‘बालिके' तथा 'फले' शब्द कर्ताकारक, द्विवचन के रूप में दिखाए गए हैं। हिन्दी में द्विवचन नहीं होता, इसलिए हिन्दी में द्विवचन का बोध कराने के लिए हिन्दी वाक्य में स्पष्ट रूप से 'दो' शब्द का प्रयोग किया जाता है; जैसे - ऊपर 'दो घोड़े', 'दो लड़कियाँ' जैसे शब्द प्रयुक्त हुए हैं। केवल 'घोड़े' या 'लड़कियाँ' कहने से द्विवचन का बोध नहीं होकर बहुवचन का बोध होगा। किन्तु, संस्कृत में अलग से 'दो' शब्द नहीं लगाना पड़ता है।

बहुवचन

जिससे दो से अधिक का बोध हो, उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे - 
अश्वाः - कई घोड़े (पुँल्लिंग) 
बालिकाः - कई लड़कियाँ (स्त्रीलिंग) 
फलानि - कई फलं (नपुंसकलिंग) 
ऊपर ‘अश्वाः’, ‘बालिकाः' तथा 'फलानि' शब्द कर्ताकारक, बहुवचन के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। वर्षा, प्राण, सिकता (बालू), असु (प्राण), दार, कति आदि शब्द बहुवचनान्त हैं। जैसे— वर्षाः भवन्ति — वर्षा होती है। प्राणाः निर्गच्छन्ति- - प्राण निकलते हैं। कति छात्राः पठन्ति- -कितने छात्र पढ़ते हैं? उत्तम पुरुष में तथा किसी का सम्मान प्रकट करने के अर्थ में एकवचन के स्थान में भी बहुवचन का प्रयोग होता है। जैसे—‘अहं पठामि (मैं पढ़ता हूँ)' के स्थान में ‘वयं पठामः' का प्रयोग हो सकता है। इसी तरह आदर करने के लिए 'गुरुवराः आगच्छन्ति' (गुरुवर आते हैं) – ऐसा प्रयोग किया जाता है।
टिप्पणी - संख्यावाची 'एक' शब्द एकवचन में एकः, एका, एकम्; द्वि शब्द सदा द्विवचन में द्वौ, द्वे और त्रि से अष्टादशन् तक बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं। ऊनविंशति से ऊपर संख्या शब्द सदा एकवचन में प्रयुक्त होते हैं।
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