General Competition | Indian Polity | संघ और राज्य क्षेत्र

संघ और राज्य क्षेत्र के विषय में जानकारी में भारतीय संविधान का भाग-1 तथा अनुच्छेद 1-4 तक प्रदान करता है।

General Competition | Indian Polity | संघ और राज्य क्षेत्र

General Competition | Indian Polity | संघ और राज्य क्षेत्र

संघ और राज्य क्षेत्र के विषय में जानकारी में भारतीय संविधान का भाग-1 तथा अनुच्छेद 1-4 तक प्रदान करता है।
अनुच्छेद-1
इस अनुच्छेद से हमें यह पता चलता है कि इंडिया अर्थात भारत राज्यों का संघ है । यह अनुच्छेद दो बात स्पष्ट करता है । (1) भारत का संवैधानिक नाम (2) भारत राज्यों का संघ
नोट- भारत का दो संवैधानिक नाम है।
 (क) इंडिया (ख) भारत 
राज्य निर्माण की प्रक्रिया:-
किसी राज्य का विभाजन कर नये राज्य का निर्माण हेतू विधेयक गृह मंत्रालय के द्वारा तैयार किया जाता है। विधेयक सर्वप्रथम राष्ट्रपति के पास रखा जाता है, राष्ट्रपति इस विधेयक को बिना अनुमति के संबंधित राज्य के विधानमंडल को भेजता है । विधानमंडल को इस विधेयक पर विचार करने हेतू 30 दिनों का समय दिया जाता है, अगर विधानमंडल 30 दिनों में विधेयक को स्वीकार कर लेता है तो ठीक है और अगर विधेयक को विधानमंडल अस्वीकार भी करता है तो भी इससे विधेयक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अर्थात, राज्य निर्माण प्रक्रिया में राज्य के विधानमंडल को नगन्य अधिकार प्राप्त होता है। राज्य विधानमंडल से लौटने के बाद पुनः ये विधेयक राष्ट्रपति के पास जाता हैं तत्पश्चात् इस विधेयक पर राष्ट्रपति अपनी अनुमति देता है। राष्ट्रपति के अनुमति देने के बाद ये विधेयक संसद के किसी भी सदन में रखा जा सकता है। जिस सदन में विधेयक रखा जाता है सर्वप्रथम वह सदन विधेयक को पारित करता है उसके बाद विधेयक को दूसरें सदन में रखा जाता है । दूसरा सदन भी इसे साधारण बहुमत से पारित करता है। जब दोनों सदन इस विधेयक को पारित कर देता है तब यह विधेयक पूनः राष्ट्रपति के पास जाता है । राष्ट्रपति जैसे ही विधेयक पर अनुमति देता है वैसे ही नए राज्य का निर्माण हो जाता है।
नोट- राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका संसद के द्वारा निभाया जाता है।
अनुच्छेद-2
इस अनुच्छेद के तहत् भारत की संसद किसी नए राज्य को भारत में मिला सकती है।
अनुच्छेद-3
इस अनुच्छेद के तहत् भारत की संसद किसी राज्य का विभाजन कर नए राज्य का निर्माण कर सकती है तथा किसी राज्य के क्षेत्र, सीमा तथा नाम में परिवर्तन कर सकती है। ये सभी कार्य साधारण बहुमत से भारत की संसद करती है।
जैसे- अनुच्छेद-3 के तहत् ही बिहार का विभाजन कर झारखंड का गठन हुआ, मैसूर का नाम बदलकर कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर तथा लद्याख का निर्माण किया जाना, दादर नगर हवेली तथा दमन और दीव को आपस में मिलाकर एक केंद्रशासित प्रदेश बना दिया जाना ।
देशी रियासतों का एकीकरणः-
आजादी के समय भारत में 542 देशी रियासत थें। जिसमें सबसे बड़ा देशी रियासत हैदराबाद तथा सबसे छोटा देशी रियासत बिलवारी था । देशी रियासत को भारत में मिलाने के उदेश्य से सरदार पटेल के नेतृत्व में देशी रियासत मंत्रालय का गठन किया गया। सरदार पटेल 542 देशी रियासत में से 539 देशी रियासत को भारतीय संघ राज्य में मिला लिया। सरदार पटेल को इस काम में सहयोग बी. पी. मेनन और लॉर्ड माउंट बेटन ने किया ।
भारत को राजनैतिक तथा भौगोलिक तौर पर एक सूत्र में बाँधने का श्रेय सरदार पटेल को जाता है। जिस कारण सरदार पटेल को भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है। साथ ही साथ सरदार पटेल का जन्म दिवस 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
जर्मनी का एकीकरण 1871 ई. में बिस्मार्क ने किया ।
(1) जम्मू-कश्मीर:-
आजादी के समय जम्मू-कश्मीर में डोगरा वंश का शासन था और शासक हरिसिंह थें। इन्होने ये निर्णय किया लम ना तो भारत में जायेगें और नाहीं पाकिस्तान में । लेकिन 20 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी सैनिक घुसपैठियों . के रूप में जब जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण किया, तब राजा हरिसिंह भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई। भारत सरकार ने राजा हरिसिंह के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि अगर आप जम्मू-कश्मीर को भारत में मिला ले तो भारत सरकार हर संभव मदद करेगा। राजा हरिसिंह के पास विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने के सिवाय और दूसरा कोई चारा नहीं था, जिस कारण हरिसिंह ना चाहते हुए भी 26 अक्टूबर 1947 को जम्मू-कश्मीर को भारत में मिलाने के उदेश्य से विलय पत्र पर हस्ताक्षर किया ।
(2) जूनागढ़ :-
यह देशी रियासत वर्तमान समय में गुजरात में स्थित है। इसे जनमत संग्रह के द्वारा फरवरी 1948 ई में मिलाया गया । यह एक ऐसा देशी रियासत था जिसके शासक ने जूनागढ़ को पाकिस्तान में मिलाने की घोषणा कर दिया, लेकिन इसके बावजूद भी इसे भारत में शामिल किया गया ।
(3) हैदराबाद:-
आजादी के समय सबसे बड़ा देशी रियासत हैदराबाद था । इस देशी रियासत ने एक वर्ष तक यथा स्थिति बनायें रखने के संधि पर भारत सरकार के साथ समझौता किया । इस देशी रियासत को सरदार पटेल के दिशा निर्देशानुसार सैनिक या पुलिस कार्यवाही के तहत् ऑपरेशन पोलो के तहत् सितम्बर 1948 में भारत में मिला लिया ।
राज्यों का पुर्नगठनः
(1) धर आयोग:-
संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने इलाहाबाद उच्च न्यायलय के अवकाश प्राप्त न्यायधिश एस. के. धर की अध्यक्षता में जून 1948 ई. में एक 4 सदस्यीय आयोग गठित किया, जिसका काम राज्यों के पुर्नगठन हेतू सिफारिस करना था कि राज्यों का गठन भाषायी आधार पर हो या प्रशासनिक आधार पर । धर आयोग ने अपनी रिपोर्ट दिसम्बर 1948 ई. में प्रस्तुत किया और कहा कि राज्यों का पुर्नगठन प्रशासनिक आधार पर होनी चाहिए।
(2) J.V.P. आयोगः-
ज्वाहर लाल नेहरू, बल्लभ भाई पटेल और पट्टाभी सीतारमैया के नेतृत्व में राज्यों के पुर्नगठन हेतू दिसम्बर 1948 ई. में कमिटि गठित किया, जिसे J. V. P. कमिटि कहा जाता है । इस कमिटि ने अपनी रिपोर्ट अप्रैल 1949 में प्रस्तुत किया और कहा कि भारत में राज्यों का पुर्नगठन प्रशासनिक आधार पर ही होनी चाहिए ।
♦ पंजाब का विभाजन शाह आयोग के सिफारिश पर 1966 ई में हुआ ।
मूल संविधान में भारतीय राज्यः-
मूल संविधान में भारतीय राज्यों को चार वर्गो में बाँटा गया था-
भाग-क
इसके अंतर्गत ब्रिटिश प्रांत आते थें ।
जैसे- बिहार, बंगाल, उड़ीसा, मद्रास, मध्य प्रांत, संयुक्त प्रांत, इत्यादि.......
भाग - ख
इसके अंतर्गत बड़े देशी रियासत आते थें ।
जैसे- हैदराबाद, जम्मू - कश्मीर, मैसूर, इत्यादि.......
भाग-ग
इसके अंतर्गत छोटे देशी रियासत आते थें ।
जैसे- भोपाल, अजमेर, बिलवारी, इत्यादि..........
भाग-घ
इसके अंतर्गत जीते हुए क्षेत्र आते थें ।
जैसे- अंडमान-निकोबार द्वीप समूह
नोट- भाषायी आधार पर गठित प्रथम राज्य आंध्रप्रदेश है। जिसका गठन 1953 में हुआ है ।
फज़ल अली आयोग:-
डॉ. फज़ल अली की अध्यक्षता में राज्यों के पुर्नगठन हेतू 1953 ई. में आयोग गठित हुआ । इस आयोग के दो अन्य सदस्य के. एम. पन्नीकर और हृदयनाथ कुंजरू थें। इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट 1955 में प्रस्तुत किया जिसमें यह सिफारिश किया कि भारत राज्यों का पुर्नगठन भाषा के आधार पर होगा। इस आयोग के सिफारिश पर ही भारत में राज्यों का पुर्नगठन 7वाँ संविधान संसोधन 1956 के तहत् भाषायी आधार पर किया गया ।
फजल अली आयोग के सिफारिश के तहत् भाषायी आधार पर गठित 14 राज्य निम्न हैं-
1. जम्मू-कश्मीर 
2. पंजाब
3. राजस्थान
4. मुंबई
5. कर्नाटक
6. केरल
7. मद्रास
 8. आंध्रप्रदेश
9. उड़िसा
10. बिहार
11. संयुक्त प्रांत 
12. मध्य प्रांत
13. बंगाल
14. असम
⇒ भारत का 15वाँ राज्य 1960 को गुजरात तथा महाराष्ट्र बना । 
⇒ भारत का 16वाँ राज्य 1963 को नागालैंड बना ।
⇒ भारत का 17वाँ राज्य 1966 को हरियाणा बना ।
⇒ भारत का 18वाँ राज्य 1971 को हिमाचल प्रदेश बना ।
नोट- पंजाब का विभाजन कर के ही हरियाणा और हिमाचल प्रदेश का गठन हुआ
⇒ 1972 में मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा का गठन हुआ, तत्पश्चात राज्यों की संख्या बढ़कर 21 हो गई ।
⇒ भारत का 22वाँ राज्य 36वाँ संविधान संसोधन 1973 के तहत् सिक्किम बना ।
⇒ 1987 ई. में अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम और गोवा का गठन हुआ जिससे राज्यों की संख्या बढ़कर 25 हो गई ।
⇒ 1 नवम्बर 2000 ई. को मध्यप्रदेश का विभाजन कर छतीसगढ़ बनाया गया। यह भारत का 26वाँ राज्य बना ।
⇒ 9 नवंबर 2000 ई. को उत्तरप्रदेश का विभाजन कर उत्तराखंण्ड बनाया गया जिससे राज्यों की संख्या 27 हो गई।
⇒ 15 नवंबर 2000 ई. को बिहार का विभाजन कर झारखंड का गठन किया गया। अतः अब राज्यों की संख्या 28 हो गई ।
⇒ 2 जून 2014 को आंध्रप्रदेश का विभाजन कर तेलंगना का गठन किया गया। यह भारत का 29वाँ राज्य था ।
  • अगस्त 2019 में जम्मू–कश्मीर को पुर्नगठित करने हेतू विधेयक लाया गया जिसके तहत् जम्मू-कश्मीर राज्य से राज्य का दर्जा छीन कर उसे दो केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्याख में बाँट दिया गया । अतः राज्य की संख्या 29 से घटकर 28 हो गई।
♦ वर्तमान में भारत देश के अंदर 28 राज्य और 8 केंद्रशासित प्रदेश हैं ।
नोट - नये राज्यों के निर्माण होने पर दो अनुसूची में परिवर्तन होता है। पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची ।
  • 100वाँ संविधान संसोधन 2015 के तहत् भारत और बंगलादेश के बीच भूमि समझौता हुआ जिसके तहत् भारत के कुछ क्षेत्र बंगलादेश को सौपें गए तथा बंगलादेश का कुछ क्षेत्र भारत को सौपा गया ।
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