एडोल्फ हिटलर जीवन परिचय | Adolf Hitler Biography In Hindi
हिटलर एक प्रसिद्ध जर्मन राजनेता और एक तानाशाह थे। वे ‘राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी’ के नेता भी थे इस पार्टी को प्राय नाज़ी पार्टी के नाम से भी जाना जाता था। 1933 से1945 तक वे जर्मनी के शासक रहे ।

एडोल्फ हिटलर जीवन परिचय ( Adolf Hitler Biography)
एडोल्फ हिटलर के जीवन परिचय के बारे में निम्न सूची के आधार पर दर्शाया गया है-
क्र.म. | जीवन परिचय बिंदु | जीवन परिचय |
1. | पूरा नाम | एडोल्फ हिटलर |
2. | जन्म | 20 अप्रैल सन 1889 |
3. | जन्म स्थान | ब्रौनौ ऍम इन्, ऑस्ट्रिया – हंगरी |
4. | राष्ट्रीयता | जर्मनी |
5. | प्रसिद्ध | नाज़ी अध्यक्ष, जर्मन तानाशाह और जर्मनी के चांसलर |
6. | राजनीतिक विचारधारा | नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी (1921 – 1945) |
7. | पिता | एलोईस हिटलर |
8. | माता | क्लारा हिटलर |
9. | भाई – बहन | गस्तव, इदा |
10. | पत्नी | ईवा ब्राउन |
आरंभिक जीवन:
हिटलर का जन्म 20 अप्रैल 1889 को ऑस्ट्रिया के हंगरी नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम एलोईस हिटलर और माता का नाम क्लारा हिटलर था। इनका पूरा नाम एडोल्फ हिटलर था. एडोल्फ़ अपने माता पिता की चौथी संतान थी। हिटलर के माता-पिता के 6 बच्चे हुए थे जिनमें से इनके तीन भाई-बहनों-गस्ताव, ईदा और ऑटो की बचपन में ही मृत्यु हो गई थी। एडोल्फ जब केवल 3 साल के थे तब उनका परिवार ऑस्ट्रेलिया से जर्मनी में जाकर रहने लगा।
एडोल्फ हिटलर बहुत ही होशियार थे और वे अपने स्कूल में बहुत ही प्रसिद्ध थे। एडोल्फ हिटलर की रुचि फाइन कला में थी लेकिन उनके पिता को यह पसंद नहीं था वे चाहते थे कि एडोल्फ टेक्निकल स्कूल में प्रवेश करें। एडोल्फ के पिता ने उन्हें सितंबर 1900 में लिंज में रेअल्स्चुयल में भेज दिया।
जिसके कारण उन्हें अपनी फाइन कला रुचि को खत्म कर अपने पिता के साथ झगड़ा करना पड़ा। एडोल्फ हिटलर अपने पिता के प्रभाव के साथ एक बैरागी, असंतुष्ट और एक क्रोधित बच्चे बन गए।
1903 में उनके पिता की अचानक मृत्यु हो गई। हिटलर की माता कैंसर से पीड़ित थे और वह अपने माता के बहुत ज्यादा करीब थे। हिटलर की उस स्कूल में रुचि ना होने के कारण उनका स्कूल में प्रदर्शन खराब रहा, जिसके कारण उनकी माता ने उन्हें वह स्कूल छोड़ने के लिए अनुमति दे दी।
सितंबर 1904 में हिटलर ने रेअल्स्चुयल में प्रवेश किया और उनकी प्रगति होती चली गई उस समय वह केवल 16 वर्ष के थे। इसके बाद एडोल्फ हिटलर ने 4 साल में बिताए और फिर 1905 में उन्होंने अपना स्कूल पूरा किया और अपने पेंटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए लिंज से विएना चले आए. यहां पर उन्हों ने फाइन कला की विनर्स अकैडमी में प्रवेश करने की कोशिश की और दो बार मना कर दिया गया। कला विश्वविद्यालय में प्रवेश ना हो पाने के कारण व पोस्ट कार्डों पर चित्र बनाकर अपना जीवन यापन करने लगे.
एडोल्फ हिटलर का व्यक्तिगत जीवन
एडोल्फ हिटलर को बचपन से ही पढ़ने से ज्यादा पेंटिंग का बहुत शौक था. वे फ़ाईन कला में माहिर थे. वे बहुत सी बीमारियों से ग्रस्त रहते थे. सन 1929 में उनकी मुलाकात ईवा ब्राउन से हुई, और धीरे – धीरे उनके बीच नजदीकियां बढ़ने लगी और 29 अप्रैल सन 1945 को उन्होंने शादी कर ली. सन 1937 में हिटलर ने नशा करना शुरू किया और सन 1942 तक इसकी उन्हें बहुत बुरी लत लग चुकी थी कि वे रोजाना नशा करने लगे थे. जब हिटलर की युद्ध में हार होने लगी तब उन्हें अपनी मौत का डर था. रूसी सेना लगभग उनके करीब पहुँचने लगी थी तब उन्होंने अपनी मौत के कुछ घंटों पहले ईवा ब्राउन से शादी की और अपनी पत्नी ईवा ब्राउन के साथ जहर खा कर आत्महत्या कर ली. उनकी इच्छा थी की मरने के बाद उनका शव जला दिया जाए. इसलिए उनकी मृत्यु के बाद उनका शव बगीचे में ले जा कर जला दिया गया, और इस तरह वे इस दुनिया से चले गए.
एडोल्फ हिटलर की राजनीतिक शुरुआत (Hitler political career) –
युद्ध समाप्त होने के बाद सन 1919 की गर्मियों में हिटलर को एक साहसिक सैनिक जिनका नाम ‘एर्न्स्ट रोएह्म’ था और वे वहाँ फ़ौजी थे, की मदद से म्युनिक में सेना में एक राजनीतिक अधिकारी के रूप में रोजगार मिला, और यहीं से इनके राजनीतिक कैरियर की शुरुआत हुई. सितम्बर सन 1919 में हिटलर ने तथाकथित जर्मन वर्कर्स पार्टी, राष्ट्रवादी, विरोधी सेमेटिक और समाजवादी समूह की बैठक में भाग लिया. उन्होंने जल्द ही इस पार्टी के सबसे लोकप्रिय, प्रभावशाली वक्ता और प्रचारक के रूप में खुद को प्रतिष्ठित किया, और सन 1921 से कुछ 6 हजार नाटकीय रूप से अपनी सदस्यता बढ़ाने में लग गए. उसी साल अप्रैल में वे राष्ट्रीय सामाजिक जर्मन वर्कर्स पार्टी के नेता बन गए, इस पार्टी का ओफिसिअली नाम नाज़ी पार्टी था.
हिटलर ने बाद के वर्षों में खराब आर्थिक स्तिथि को हटाकर पार्टी में तेजी से विकास के लिए योगदान दिया. सन 1923 के अंत में हिटलर बवेरियन और जर्मन राजनीती में एक मजबूत ताकत के रूप में कुछ 56 हजार सदस्यों, कई और समर्थकों के साथ सामने आये. हिटलर ने बर्लिन सरकार की खुद की पराजय के लिए और संकट की स्थिति का उपयोग करने के लिए आशा व्यक्त की. इस उद्देश्य के लिए उन्होंने नवंबर 8-9 सन 1923 के नाज़ी बीयर हॉल क्रांति का मंचन किया, जिसके द्वारा उन्होंने रूढ़िवादी – राष्ट्रवादी बवेरियन सरकार को “बर्लिन पर मार्च” में उनका सहयोग करने के लिए मजबूर किया. हालांकि यह कोशिश नाकामियाब रहीं.
हिटलर ने देशद्रोह करने की भी कोशिश की, और इसके लिए उन्हें लैंडस्बर्ग के पुराने किले में एक साल के कारावास की बजाय हल्की सजा दी गई. कुछ समय पश्चात उन्हें रिहा कर दिया गया. अपनी रिहाई के बाद हिटलर ने ईमानदार फ़ॉल्लोवर के एक समूह के आसपास ही पार्टी का पुनर्गठन किया जोकि नाजी आन्दोलन और राज्य का केंद्र बने रहने के लिए था. उन्होंने कई सारे राज्यों को अपनी तरफ कर लिया, इस तरह उनकी ताकत बढ़ती चली गई और उनका राजनीतिक कैरियर चलता रहा.
एडोल्फ हिटलर प्रारंभिक एंटी – सेमिटिक विचार
दिसंबर सन 1907 में इनकी माता क्लारा हिटलर का निधन हो गया और एडोल्फ हिटलर के परिवार को बहुत बड़ा झटका लगा, और उन्हें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा. वे कुछ सालों के लिए अपने घर से दूर चले गए और हॉस्टल में रहने लगे. उन्होंने पैसे कमाने के लिए अपनी कलाकृतियों को बेच कर अपनी जीविका का छोटा सा साधन बना लिया. कहा जाता है कि उस समय विएना में प्रचलित नस्लीय (Racial) और धार्मिक पूर्वाग्रह (Prejudice) से हिटलर में सेमेटिक विरोधी के बीज बोये गए. यह भी माना जाता है कि युवा हिटलर ने ऑस्ट्रिया – हंगरी के अधिकार की निंदा करते हुए जर्मन राष्ट्रवाद में एक प्रारंभिक रुचि दिखाई, यह राष्ट्रवाद बाद में हिटलर की संरचनाओं की नीति में प्रमुख भूमिका अदा कर सकता था. वे विएना में अपने इन सालों के दौरान ‘अनंत यहूदी’ प्रतीक पर विचार करने के लिए भी सक्षम थे. उन्होंने इस पर विश्वास करना भी शुरू कर दिया कि यहूदी, सभी अराजकता (Chaos), भ्रष्टाचार एवं नैतिकता में विस्मृति (Obliteration), राजनीती और अर्थव्यवस्था के मूल कारण थे.
प्रथम विश्व युद्ध
हिटलर साम्यवादीयों और यहूदियों से घृणा करने लगे। जब प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हुआ तो वह सेना में भर्ती हो गए और फ्रांस में कई लड़ाई हो में उन्होंने भाग लिया। युद्ध में घायल होने के कारण 1918 में वे कई दिनों तक अस्पताल में रहे। जर्मनी की पराजय को उनको बहुत गहरा दुख हुआ।
1918 में एडोल्फ हिटलर ने नाजी दल की स्थापना की। इसका उद्देश्य सामने साम्यवादियों और यहूदियों से सब अधिकार छीनना था। इस दल के सदस्यों में देशप्रेम की भावना को कूट-कूट कर भरा था। नाजी दल के लोगों ने विरोधियों को प्रथम विश्व युद्ध की हार के लिए दोषी ठहराया। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण जब नाजी दल के नेता हिटलर ने अपने ओजस्वी भाषणों में उसे ठीक करने का आश्वासन दिया तो अनेक जर्मनी लोग इस दल के सदस्य बन गए।
हिटलर ने भूमि सुधार करने बर्साई संधि को समाप्त करने और एक विशाल जर्मन साम्राज्य की स्थापना करने का लक्ष्य जनता के सामने रखा जिसके कारण जर्मन लोग सुख से रह सके। 1922 में हिटलर एक प्रभावशाली व्यक्ति बन गए। उन्हें स्वस्तिक को अपने दल का चिन्ह बनाया जो कि हिंदुओं का शुभ चिन्ह माना जाता है।
1923 में हिटलर ने जर्मन सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयत्न किया लेकिन वे इसमें असफल रहे और उन्हें जेल में रहना पड़ा। जेल में एडोल्फ हिटलर ने मीन कैम्फ (” मेरा संघर्ष”) नामक अपनी आत्मकथा लिखी। इसमें उन्होंने नाजी दल के सिद्धांतों का विवेचन की,और उन्होंने लिखा ‘कि आर्य जाति सभी जातियों से श्रेष्ठ है जो जर्मन आर्य है उन्हें विश्व का नेतृत्व करना चाहिए यहूदी सदा से संस्कृति में रोड़ा अटकाते आए हैं’ जर्मन लोगों को सम्राज्य विस्तार का पूर्ण अधिकार है और रूस से लड़ कर उन्हें जीवित रहने के लिए भूमि प्राप्त करनी चाहिए।
- 1930-32 में जर्मनी में बेरोजगारी बहुत ज्यादा बढ़ गई। संसद में नाजी दल के सदस्यों की संख्या 230 हो गई।
- 1932 के चुनाव में हिटलर को राष्ट्रपति के चुनाव में असफलता मिली। जर्मनी की आर्थिक दशा और भी ज्यादा बिगड़ती गई और विदेशों में उससे सैनिक शक्ति बढ़ाने की अनुमति दी ।
- 1933 में चांसलर बनते हिटलर ने जर्मन संसद को भंग कर दिया और साम्राज्यवादी दल को गैरकानूनी घोषित कर दिया। राष्ट्र को स्वावलंबी बनने के लिए ललकारा।
- हिटलर ने डॉक्टर जोजेफ गोएबल्स को अपना प्रचार मंत्री नियुक्त किया। नाजी दल के विरोधी व्यक्तियों को जेल खाने में डाला और कार्यकारिणी और कानून बनाने वाली सारी शक्तियां हिटलर ने अपने हाथों में ले ली।
- 1920 में हेलो हिटलर ने अपने आप को सर्वोच्च न्यायाधीश घोषित कर दिया। उसी वर्ष हिडनबर्ग की मृत्यु के पश्चात में राष्ट्रपति भी बन गए। इसके बाद नाजी दल का आंतक जन जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में छा गया।
- 1933 से 1938 तक लाखों यहूदियों की हत्या कर दी गई। नौजवानों में राष्ट्रपति के आदेशों को पूर्ण रूप से मानने की भावना भर दी गई और जर्मन जाति का भाग्य सुधारने के लिए हिटलर ने सारी शक्ति अपने हाथ में ले ली।
- एडोल्फ हिटलर ने 1933 में राष्ट्र संघ को छोड़ दिया और भाभी युद्ध को ध्यान में रखते हुए जर्मनी की सैन्य शक्ति को बढ़ाना शुरू कर दिया। उसी वर्ष ऑस्ट्रिया के नाजी दल ने वहां के चांसलर डॉलफस को मार दिया।
एडोल्फ हिटलर का द्वितीय विश्व युद्ध और युद्ध अपराध
1 सितम्बर सन 1939 में यूरोप को नियंत्रित करने के लिए हिटलर ने द्वितीय विश्व युद्ध की शुरूआत की. वे पुरे ब्रिटेन में अपना अधिकार जमाना चाहते थे इसके लिए कई राज्यों से उन्होंने संधि की और कई राज्यों को अपने वश में कर लिया. युद्ध से पहले उन्होंने सन 1937 में इटली से संधि की और उसके बाद ऑस्ट्रेलिया पर अपना अधिकार जमा लिया. फिर हिटलर ने रूस से संधि कर ली और पौलेंड के पूर्वी भाग को रूस के नाम कर दिया और धीरे – धीरे पश्चिमी भाग पर भी अपना अधिकार कर लिया. इस तरह उन्होंने एक के बाद एक कई राज्यों में अपना अधिपत्य जमा लिया और युद्ध की शुरूआत हो गई. इसके बाद फ्रांस की हार के बाद मुसोलिनी से संधि कर रूस पर भी अपना अधिकार जमाने का विचार किया और उस पर आक्रमण कर दिया.
इस विश्व युद्ध में हिटलर का सबसे बड़ा अपराध यह था कि वे अपना अधिपत्य पुरे विश्व में जमाना चाहते थे. उन्हें इस विश्व युद्ध के छिड़ने का सबसे बड़ा कारण माना जा सकता है, क्यूकि इस युद्ध में कई सारे लोग मारे गए और कईयों के घर बर्बाद हो गए. हिटलर बहुत ही क्रूर व्यक्ति था उसे किसी का भय नहीं था. हिटलर की युद्ध में सबसे बड़ी हार तब हुई जब कुछ समय बाद अमेरिका इस युद्ध में शामिल हो गया. इससे हिटलर की नीति डामा डोल होने लगी, क्यूकि उनके खिलाफ षड्यंत्र रचे जाने लगे, और उनकी इस युद्ध में हार हो गई.
एडोल्फ हिटलर के राज्यों का पतन
जैसे – जैसे युद्ध आगे बढ़ता रहा, हिटलर के युद्ध के दौरान आतंक कम होने लगा और उनकी जीत हार में परिवर्तित होने लगी. उनके युद्ध के प्रयास विफल होते चले गए, उन्होंने अपने सैन्य सलाहकारों से सलाह को सुनना इंकार कर दिया. कुछ समय बाद उन्हें पूरी तरह से युद्ध में असफलता मिलने लगी. उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने से उनकी ताकत कम होने लगी. उन्होंने जिन – जिन राज्यों में अपना अधिपत्य जमाया था वे उनके हाथ से निकलते चले गए. इस तरह उनकी हार के साथ – साथ जर्मनी की भी हार होती चली गई. उनको यह सब सहन ना हुआ और वे हताश होते हुए बर्लिन में अपनी हार के अंतिम चरण में प्रवेश किये. जब रूस ने बर्लिन पर आक्रमण किया, तब उनकी पूरी तरह से हार हो गई. उन्होंने 30 अप्रैल सन 1945 की देर रात को आत्महत्या कर ली और वे इस दुनिया से विदा ले गए.
रोचक तथ्य :
• आस्ट्रिया में 20 अप्रैल, 1889 में जन्मे जर्मन तानाशाह हिटलर कभी अच्छी पढ़ाई नहीं कर पाया। वह कभी कॉलेज नहीं गये।
• बचपन में अडोल्फ हिटलर पादरी बनने का सपना देखा करता थे। सिर्फ चार साल की उम्र में एक पादरी ने ही हिटलर को डूबने से बचाया था।
• “माँ, तुम मुझे छोडकर क्यों चली गईं माँ…तुम्हें पता है मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ….अब मैं तुम्हारे बिना कैसे जिऊंगा माँ…. तूने बहुत दुख झेले हैं माँ…. मैं भी तुझे कोई सुख नहीं दे पाया… अब तू चैन से सो जा माँ…. सुनसान कब्रिस्तान में एक ताज़ी कब्र के पास बैठकर फूट-फूटकर रोता हुआ यह 18 साल का लड़का हिटलर था.
• 1936 में जब Germany में Olympic हुए थे तब भारत का मुकाबला जर्मनी से हुआ जिसमें हॉकी के जादुगर Major Dhyanchand की वजह से भारत ने जर्मनी को 8-1 से पटखनी दी थी. इस मैच को हिटलर भी देख रहा था और उसने मेजर ध्यानचंद के खेल से प्रभावित होकर उन्हें अपनी सेना में उच्च पद देने ओर जर्मनी की तरफ से खेलने की पेशकश दी. मगर देशभक्त मेजर ध्यानचंद ने यह पेशकश मुस्कुराते हुए ठुकरा दी.
• आधुनिक इतिहास में हिटलर वह पहला इंसान था जिसने धूम्रपान विरोधी अभियान का आगाज किया।
• इतना कत्लेआम मचाने के बाद भी हिटलर शुद्ध रूप से शाकाहारी था। इतना ही नहीं, उसने पशु क्रूरता के खिलाफ एक कानून भी बना दिया।
• हिटलर की जाती नीति के कारण लगभग 1करोड़ 10 लाख लोगो की मौत हुई थी. दुसरे विश्व युद्ध के कारण लगभग 6 करोड़ लोगो ने अपनी जान गवाई थी.
• हिटलर, ‘Charlie Chaplin’ का बहुत बड़ा प्रशंसक था. चार्ली चैपलिन की मूंछे उसे भा गईं और इस लिए हिटलर भी उन्ही की तरह मूंछे रखने लगा. हिटलर की मूंछो को ‘टुथब्रश मुछें’ कहा जाता है.
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