झारखण्ड में वन्य प्राणी संरक्षण

झारखण्ड में वन्य प्राणी संरक्षण
> वन्य प्राणियों को संरक्षण प्रदान करने तथा उनका विकास करने हेतु झारखण्ड में विभिन्न वन्य प्राणी क्षेत्रों की स्थापना की गई है।
> झारखण्ड में 1 राष्ट्रीय उद्यान, 11 वन्य जीव अभ्यारण्य तथा कई जैविक उद्यान अवस्थित हैं। इनका विस्तार राज्य के 2.63% भू-भाग पर है जो राज्य के 9% संरक्षित वन क्षेत्र के दायरे में विस्तृत है। 
> 2001 ई. में केन्द्र सरकार द्वारा पूर्वी सिंहभूम जिला में देश का प्रथम गज आरक्ष्य (Elephant Reserve) स्थापित किया गया है।
> साहेबगंज जिला में राजमहल पहाड़ियों के आस-पास नेचर क्लब द्वारा राजमहल जीवाश्म उद्यान (Rajmahal Fossils Park) विकसित किया गया है।
> झारखण्ड सरकार द्वारा राज्य के वन्यजीव अभ्यारण्यों में 10 वर्ष की अवधि के लिए वन्यजीव प्रबंधन योजना की शुरूआत की गयी है।
1. राष्ट्रीय उद्यान (National Park)
> बेतला राष्ट्रीय उद्यान झारखण्ड का एक मात्र राष्ट्रीय उद्यान है जिसकी स्थापना 1986 ई. में की गई थी। 
> लातेहार जिला में स्थित यह उद्यान 226.33 वर्ग किमी. क्षेत्र में विस्तृत है। (Source - Jharkhand Economic Survey 2020-21)
> यहाँ 1932 ई. में विश्व की पहली बाघ गणना की गई थी।
> 1973-74 ई. से यहाँ भारत सरकार द्वारा बाघों के स्व-स्थाने संरक्षण (in-situ) हेतु बाघ परियोजना (Project Tiger) की शुरूआत की गई है।
> बाघों के संरक्षण हेतु यहाँ 'पलामू बाघ आरक्ष्य' की स्थापना की गयी है जो, झारखण्ड का एकमात्र टाईगर रिजर्व (बाघ आरक्ष्य) है। 
> यहाँ मुख्य रूप से बाघ, शेर, तेंदुआ, जंगली सूअर, चीतल, सांभर, गौर, चिंकारा, नीलगाय, भालू, बंदर, मोर, घनेश, वनमुर्गी आदि वन्य प्राणी पाये जाते हैं।
> बेतला का पूरा नाम है - बायसन, एलीफैंट, टाइगर, लियोपार्ड, एक्सिस - एक्सिस (BETLA - Bison, Elephant, Tiger, Leopard, Axis-Axis)
> पलामू बाघ आरक्ष्य
> इसका विस्तार 1,026 वर्ग किमी क्षेत्र में है। 
> इस आरक्ष्य में 47 स्तनपायी की प्रजातियाँ, 174 पक्षियों की प्रजातियाँ, 970 वनस्पतियों की प्रजातियाँ, 25 लताओं की प्रजातियाँ, 46 झाड़ीदार वनों की प्रजातियाँ, 17 प्रकार के घास तथा 139 औषधीय पौधों की प्रजातियाँ पायी जाती हैं। 
> इसके अतिरिक्त यहाँ बाघ एवं हाथी के अतिरिक्त वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में शामिल 16 अन्य महत्वपूर्ण प्रजातियाँ भी पायी जाती हैं।
2. वन्य जीव अभ्यारण्य (Wild Life Sanctury )
> झारखण्ड में एकमात्र पलामू वन्यजीव अभ्यारण्य राष्ट्रीय स्तर का है तथा शेष सभी अभ्यारण्य राज्यस्तरीय हैं। यह राज्य का सबसे पुराना वन्यजीव अभ्यारण्य है।
> पलामू अभ्यारण्य राज्य का सबसे बड़ा अभ्यारण्य  है जिसका विस्तार 794 वर्ग किमी. क्षेत्र में है। इसके बाद क्रमशः लावालौंग अभ्यारण्य (207 वर्ग किमी.) तथा हजारीबाग अभ्यारण्य (186 वर्ग किमी.) का स्थान है। 
> दालमा वन्यजीव अभ्यारण्य (पूर्वी सिंहभूम) में 1992 ई. में एशियाई हाथियों के स्व-स्थाने सरंक्षण (in-situ) हेतु हाथी परियोजना (Project Elephant) प्रारंभ की गई है।
> 26 सितंबर, 2001 को सिंहभूम क्षेत्र में देश के प्रथम गज आरक्ष्य (एलीफैंट रिजर्व) की स्थापना की गयी थी। 
> इसका विस्तार 13,440 वर्ग किमी. क्षेत्र में पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम तथा सरायकेला-खरसावां जिले में है। 
> उधवा झील पक्षी विहार ( साहेबगंज) प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ साइबेरिया सहित विश्व के विभिन्न पक्षी आते हैं।
> राज्य के लातेहार जिले में अवस्थित महुआडांड़ अभ्यारण्य विलुप्तप्राय भेड़िया प्रजाति के संरक्षण हेतु प्रसिद्ध है। 
> धनबाद के तोपचांची अभ्यारण्य के बीच में 'हरी पहाड़ी' नामक झील स्थित है।
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