> झारखण्ड में खनिज आधारित उद्योग
1. लौह एवं इस्पात उद्योग (Iron and Steel Industry)
(a) टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी (टिस्को) (Tata Iron & Steel Company - TISCO)
> इसकी स्थापना 1907 ई. * में दोराबजी टाटा द्वारा साकची (जमशेदपुर) में की गई थी तथा 1911 ई. में इस संयंत्र से लोहे का तथा 1914 ई. में इस्पात का उत्पादन प्रारंभ हुआ। टाटा स्टील की स्थापना का प्रारंभिक विचार जमशेदजी नौशेरवानजी टाटा का था, जिनकी मृत्यु 1904 ई० में हो गयी। परन्तु इन्हें टाटा स्टील का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
> यह भारत का पहला तथा सबसे बड़ा लौह एवं इस्पात संयंत्र है।
> यह पूर्वी सिंहभूम जिले में स्वर्णरेखा एवं खरकई नदी के संगम पर स्थित है।
> टिस्को को विभिन्न खनिजों की प्राप्ति निम्न प्रकार होती है :
> कोकिंग कोयला – रानीगंज तथा झरिया से
> मैंगनीज एवं क्रोमाइट – चाईबासा खान से
> चूना पत्थर एवं डोलोमाइट – सुन्दरनगर (उड़ीसा) से
> कच्चा लोहा – मयूरभंज तथा नोआमुण्डी (सिंहभूम) से
> सन् 1948 में टाटा समूह ने अपने उद्योगों का विस्तार करते हुए जमशेदपुर में 'टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव' की स्थापना की थी।
> वर्ष 2005 में टिस्को का नाम बदल कर टाटा स्टील (Tata Steel) कर दिया गया है।
(b) बोकारो स्टील प्लांट ( Bokaro steel plant )
> 1964 ई. (29 जनवरी) में स्थापित यह झारखण्ड का दूसरा लौह-इस्पात उद्योग है।
> 1972 ई. (2 अक्टूबर) में इस संयंत्र में आग की प्रथम भट्टी स्थापित की गयी थी। 1974 ई. से इस संयंत्र से उत्पादन प्रारंभ हुआ तथा 26 फरवरी, 1978 को यहाँ से 1.7 मीट्रिक टन इगनट स्टील (Ignot Steel) का उत्पादन पूर्ण हुआ।
> यह भारत का पहला स्वदेशी स्टील संयंत्र है।
> यह बोकारो के माराफारी नामक स्थान पर स्थित
> इसकी स्थापना रूस (सोवियत यूनियन ) की सहायता से की गई है।
> यह भारत का चौथा बड़ा लौह - इस्पात संयंत्र है।
> यह संयंत्र दामोदर नदी घाटी के तेनुघाट और गरगा डैम के समीप अवस्थित है।
> यह सेल (Steel Authority of India Limited- SAIL) के अंतर्गत कार्यरत है।
> इस संयंत्र को विभिन्न खनिजों की प्राप्ति निम्न प्रकार होती है :
> कोकिंग कोयला – झरिया से
> लौह-अयस्क – क्योंझोर की खान से
> चूना पत्थर – मध्य प्रदेश से
2. तांबा उद्योग (Copper Industry)
> झारखण्ड के घाटशिला ( सिंहभूम जिला ) में भारत का प्रथम तांबा उद्योग 1924 ई. में स्थापित किया गया था।
> इन खानों से तांबा के अयस्क को रज्जूमार्ग द्वारा मउभण्डरा भेजा जाता है जहाँ इनसे शुद्ध तांबा निकाला जाता है।
> इंडियन कॉपर कॉरपोरेशन ( Indian Copper Corporation) ने 1930 ई. में घाटशिला के पास तांबा शोधन केन्द्र स्थापित किया है।
> झारखण्ड में तांबा उद्योग के अन्य महत्वपूर्ण केन्द्रः
> हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड –जादूगोड़ा
> इंडियन केबल कंपनी लिमिटेड – जमशेदपुर
3. एलुमिनियम उद्योग (Aluminium Industry)
> भारत में एलुमिनियम अयस्क (एलुमिना ) का 16% भाग झारखण्ड से प्राप्त होता है।
> झारखण्ड के मुरी (राँची) में इंडियन एलुमिनियम कंपनी लिमिटेड द्वारा 1938 ई. में एलुमिनियम उद्योग की स्थापना की गई है।
> यह भारत का दूसरा सबसे पुराना एवं दूसरा सबसे बड़ा संयंत्र है।
> इस संयंत्र को लोहरदगा से बॉक्साइट के रूप में कच्चे माल की प्राप्ति होती है।
> बॉक्साइट से एलुमिना बनाकर इसे अलमपुरम एवं अलवाय (केरल), बेलूर (कोलकाता) और लेई (मुंबई) के कारखानों में भेज दिया जाता है।
> एलुमिनियम का उपयोग बर्तन, बिजली के तार, मोटर, रेल एवं वायुयान बनाने में किया जाता है।
4. सीमेंट उद्योग (Cement Industry)
> झारखण्ड में चुना पत्थर के प्रचुर भंडार उपलब्ध होने के कारण यहाँ सीमेंट उद्योग का पर्याप्त विकास संभव हुआ है।
> झारखण्ड के जपला (पलामू), झींकपानी (पश्चिमी सिंहभूम), खलारी (राँची), सिंदरी (धनबाद), जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम), डोमोटांड (हजारीबाग) आदि क्षेत्रों में सीमेंट उद्योग स्थापित किए गए हैं।
> सिंदरी, बोकारो, झींकपानी एवं जमशेदपुर के कारखानों में स्लैग (Slag ) एवं स्लज (Sludge) का उपयोग सीमेंट निर्माण हेतु किया जाता है। स्लेग तथा स्लज सीमेंट कारखानों के उपउत्पाद हैं।
> झारखण्ड में झींकपानी एवं जमशेदपुर का लाफार्ज सीमेंट कारखाना लौह-इस्पात उद्योग के अवशिष्ट पर आधारित सीमेंट संयंत्र हैं।
> झारखण्ड में प्रथम सीमेंट उद्योग की स्थापना 1921 ई. में जपला (पलामू) में की गयी थी ।
5. इंजीनियरिंग उद्योग (Engineering Industry )
(a) हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (Heavy Engineering Corporation - HEC)
> इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा रूस एवं चेकोस्लोवाकिया के सहयोग से 1958 ई. ( 31 दिसंबर ) में राँची के हटिया नामक स्थान पर की गई है।
> इसकी स्थापना कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत की गयी थी।
> देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपने राँची यात्रा के दौरान 15 नवंबर, 1963 को इस संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित किया था । ( Source- hecltd.com/archive.php)
> इस संयंत्र में 1964 ई. में उत्पादन प्रारंभ हुआ। (Source- hecltd.com/rti.php)
> इस संयंत्र में कल-कारखानों के लिए मशीनों, कल-पुर्जे आदि इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्माण किया जाता है:–
> एच०ई०सी० के द्वारा तीन संयंत्रों की स्थापना की गई है :
> हैवी मशीन बिल्डिंग प्लांट (HMBP)
>> रूस की सहायता से स्थापित यह संयंत्र किसी भी उद्योग की संरचना डिजाइन करने की क्षमता रखता है।
> हैवी मशीन टूल्स प्लांट (HMTP )
>> चेकोस्लोवाकिया की सहायता से स्थापित इस संयंत्र में भारी मशीनों के औजारों का निर्माण किया जाता है।
> फांउड़ी फोर्ज प्लांट (FFP)
>> चोकोस्लोवाकिया की सहायता से स्थापित यह एक ढलाई भट्टी (Foundry Forge) है।
>> इसमें भारी मशीन या औजार के निर्माण के लिए लोहा को गलाने एवं विशेष आकृतियों में ढालने का काम किया जाता है।
6. कोयला धोवन उद्योग (Coal Washeries Industry)
> कोयला धोवन गृहों के द्वारा कोयले से शेल, फायरक्ले आदि अशुद्धियों को दूर किया जाता है।
> झारखण्ड में जामादोबा, बोकारो, लोदला, करगाली, दुगदा, पाथरडीह, कर्णपुरा आदि प्रमुख कोयला धोवन केन्द्र हैं।
> करगाली कोल वाशरी (बोकारो) एशिया की सबसे बड़ी कोल वाशरी है।
7. उर्वरक उद्योग (Fertilizer Industry)
> भारत का प्रथम उर्वरक कारखाना 1951 ई. में सिंदरी (धनबाद) में फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इण्डिया द्वारा स्थापित किया गया था।
> 15 जून, 2016 को इसका नामकरण हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (HUCL) कर दिया गया है तथा इसे एक संयुक्त उपक्रम कंपनी बना दिया गया है जिसमें निम्न की हिस्सेदारी है –
> कोल इण्डिया लिमिटेड, एनटीपीसी, आईओसीएल – 89%
> फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड, हिन्दुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड 11%
> यह पूर्वी भारत का सबसे बड़ा उर्वरक कारखाना है।
> यहाँ से अमोनियम सल्फेट, नाइट्रेट एवं यूरिया का उत्पादन किया जाता है।
7. काँच उद्योग (Lead Industry)
> जापान के सहयोग से भुरकुण्डा (रामगढ़) में अत्याधुनिक काँच कारखाना स्थापित किया गया है।
> इसे इण्डो-आशाई ग्लास फैक्ट्री (Indo-Ashai Glass Factory) के नाम से जाना जाता है।
> झारखण्ड में काँच उत्पादन के अन्य प्रमुख क्षेत्र कतरासगढ़ व अम्बोना (धनबाद) और कान्द्रा (सिंहभूम) हैं।
> इसे कच्चे माल की प्राप्ति राजमहल पहाड़ी क्षेत्र, मंगल घाट एवं पत्थर घाट से होती है।
8. रिफैक्ट्री उद्योग (Refractory Industry)
> इस उद्योग के अंतर्गत उच्च ताप सहन करने वाली धमन भट्टियों का निर्माण किया जाता है जिसका प्रयोग लौह-इस्पात उद्योग सहित विभिन्न उद्योगों में किया जाता है।
> झारखण्ड में चिरकुण्डा, कुमारधुबी, धनबाद, राँची रोड, मुग्मा आदि में इस प्रकार के उद्योगों का विकास हुआ है।
> दामोदर घाटी क्षेत्र में पायी जाने वाली मिट्टी इस उद्योग की स्थापना हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण है।
> झारखण्ड में वन आधारित उद्योग
1. लाह उद्योग (Lac Industry)
> भारत में कुल लाह का 60% उत्पादन झारखण्ड राज्य से होता है। लाह उत्पादन की दृष्टि से भारत में झारखण्ड का स्थान प्रथम है।
> कुसुम, पलाश, बेर आदि के पौधों पर लाह के कीड़ों का पालन किया जाता है।
> पलामू प्रमण्डल लाह उत्पादन की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है। इसके बाद क्रमशः राँची व पश्चिमी जिले का स्थान है।
> टोरी ( लातेहार ) का लाह निर्यात की दृष्टि से विश्व में प्रथम स्थान है।
> झारखण्ड में कुल लाह उत्पादन का 90% निर्यात कर दिया जाता है।
> लाह उत्पादन की दृष्टि से राज्य में खूँटी का स्थान प्रथम है।
> 1925 ई. में नामकुम ( राँची ) में भारतीय लाह अनुसंधान संस्थान की स्थापना की गई थी।
2. रेशम उद्योग (Silk Industry)
>>झारखण्ड में देश का 76.4% तसर रेशम उत्पादित किया जाता है। (Source - Jharkhand Economic Survey 2020-21)
> रेशम उत्पादन की दृष्टि से प्रमुख क्षेत्र सिंहभूम ( 40% ) संथाल परगना ( 26% ) तथा हजारीबाग (13%) हैं।
> राज्य में तसर रेशम का उत्पादन मुख्यत: चाईबासा, खरसावां, जमशेदपुर, मेदिनीनगर, हजारीबाग, लोहरदगा, दुमका आदि स्थानों पर किया जाता है।
> राज्य की राजधानी राँची में नगड़ी नामक स्थान पर 'तसर अनुसंधान केंद्र' अवस्थित है।
3. तंबाकू उद्योग (Tobacco Industry)
> झारखण्ड में मुख्यतः बीड़ी उद्योग के रूप में तंबाकू उद्योग विकसित हुआ है।
> बीड़ी का निर्माण केन्दु पत्ता एवं तंबाकू से किया जाता है
> झारखण्ड में बीड़ी उद्योग का विकास मुख्यतः सरायकेला, जमशेदपुर, चक्रधरपुर एवं संथाल परगना में हुआ है।
> झारखण्ड में हस्तशिल्प
> झारखण्ड राज्य के विभिन्न भागों में 40 से अधिक हस्तशिल्पों का निर्माण होता है। इनमें टेराकोटा, तसर प्रिंट, ढोकरा, अगरबत्ती, बांस के उत्पाद, चर्मशिल्प, चित्रकला, जनजातीय आभूषण, पिपली आदि प्रमुख हैं।
> राज्य के हजारीबाग, पलामू, धनबाद, राँची, दुमका तथा देवघर जिले में हस्तशिल्प संसाधन सह विकास केन्द्रों द्वारा हस्तशिल्प हेतु प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी है ।
> राज्य में मिट्टी की शिल्पकारी को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 2017 में 'माटीकला बोर्ड' का गठन किया गया है।
> राज्य के बुनकरों एवं शिल्पकारों को समुचित प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय डिजाइन इंस्टीच्यूट, अहमदाबाद के सहयोग से राँची में ‘क्रॉफ्ट एण्ड डिजाइन इंस्टीच्यूट' स्थापित किया जा रहा है। इस संस्थान के द्वारा क्रॉफ्ट एवं डिजाइन से संबंधित डिप्लोमा व डिग्री कोर्स का संचालन किया जाएगा।
> सी-डैक (C-DAC) की सहायता से राज्य के राँची, हजारीबाग, देवघर, सरायकेला-खरसावां व लातेहार में डिजाइन के क्षेत्र में कम्प्यूटर आधारित प्रशिक्षण की सुविधा प्रारंभ किये जाने का प्रस्ताव है।
> महत्वपूर्ण तथ्य
> झारखण्ड आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार 2005-06 से 2017-18 के बीच राज्य में कारखानों की संख्या में 5% की दर से वृद्धि हुयी है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह वृद्धि दर 4.5% रही है। »
> झारखण्ड आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार औद्योगिक विकास की दृष्टि से राज्य के विभिन्न श्रेणियों में देश में स्थान इस प्रकार है
> कारखानों की संख्या के आधार पर –20वाँ स्थान
> स्थायी पूंजी के आधार पर –13वाँ स्थान
> कार्यरत श्रमिकों की संख्या के आधार पर –17वाँ स्थान
> उत्पादन के आधार पर – 16वाँ स्थान
> विश्व बैंक द्वारा 'व्यापार सुगमता सूचकांक 2018' मे भारत के राज्यों में झारखण्ड का स्थान चौथा ( 2017 में सातवाँ) है। प्रथम स्थान पर आंध्र प्रदेश, दूसरे स्थान पर तेलंगाना तथा तीसरे स्थान पर हरियाणा राज्य अवस्थित हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस सूचकांक में 190 देशों की सूची में भारत का स्थान 100वाँ (2017 में 130वाँ) है।
> झारखण्ड देश में एकल हस्ताक्षर तकनीक लागू करने वाला पहला राज्य है।
> झारखण्ड देश का पहला तथा एकमात्र राज्य है जहाँ मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 'कॉर्पोरेट सोशल रेस्पॉसिबिलिटी परिषद्' का गठन किया गया है।
> गार्डेन रीच सीप बिल्डर्स एंड इंजीनियर लिमिटेड भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत एक सार्वजनिक उपक्रम है। इसके द्वारा राँची के अरगोड़ा में 06.10.1969 को 'मेरीन डीजल इंजन प्रोजेक्ट' के नाम से उद्योग की स्थापना की गयी थी। 1988 में इसका नाम परिवर्तित करके 'मेरीन डीजल इंजन प्लांट' कर दिया गया।
> टाटा- रोबिन्स फ्रेजर (टीआरएफ) लिमिटेड की स्थापना 20 नवंबर, 1962 को की गयी थी । इसके वित्तीय प्रमोटर्स टाटा स्टील व एसोसिएट सिमेंट कंपनी (एसीसी) थे जबकि हेवीट- रोबिन्स (अमेरिका) व जनरल इलेक्ट्रिक (यूके) के द्वारा इसे तकनीकी सहायता प्रदान की गयी थी । यह कंपनी बिजली, खनन, उर्वरक, सिमेंट, पत्तन आदि के क्षेत्र में कार्य करती है ।
> हस्तशिल्प एवं रेशम आधारित स्वरोजगार को बढ़ावा देने हेतु राँची में राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, अहमदाबाद के सहयोग से 'क्रॉफ्ट एंड डिजाइन संस्थान' की स्थापना की जा रही है।
> राष्ट्रीय स्तर पर विकसित किए जा रहे 'इस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कोरिडोर' तथा 'अमृतसर- दिल्ली इंडस्ट्रियल कोरिडोर' का 196 किलोमीटर मार्ग झारखण्ड राज्य से होकर गुजरता है।
> हजारीबाग के बरही को 'इंडस्ट्रियल मैनुफैक्चरिंग क्लस्टर' के ग्रोथ सेंटर के रूप में चिन्हित किया गया है।
> राँची में 'सेंट्रल इंस्टीच्यूट ऑफ प्लास्टि इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी' की स्थापना की गयी है।
> राज्य सरकार ने देवघर को 'प्लास्टिक हब' के रूप में विकसित करने की योजना तैयार की है। इसके लिए राज्य के देवघर जिले में 150 एकड़ भूमि पर 120 करोड़ रूपये की लागत से 'प्लास्टिक पार्क' की स्थापना प्रस्तावित है। इसके साथ-साथ यहाँ भी 'सेंट्रल इंस्टीच्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी' (CIPET) की स्थापना की जानी है।
> भारत सरकार के इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आदित्यपुर ( जमशेदपुर ) में एक विश्वस्तरीय इलेक्ट्रानिक विनिर्माण कलस्टर की स्थापना हेतु स्वीकृति प्रदान की गयी है।
> वर्ष 1945 में धनबाद में केन्द्रीय ईंधन एवं शोध संस्थान की स्थापना की गयी थी ।
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