झारखण्ड बजट (2020-21)

झारखण्ड बजट (2020-21)
> झारखण्ड बजट 2021-22 मुख्य विशेषताएँ
> वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए झारखण्ड राज्य का बजट राज्य के वित्त मंत्री श्री रामेश्वर उराँव द्वारा 03 मार्च, 2021 को झारखण्ड विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
> राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उराँव ने वित्त मंत्री के रूप में अपना पहला बजट प्रस्तुत किया है।
> आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए ₹91, 277 करोड़ रूपये का वार्षिक बजट का आकलन है, जिसमें राजस्व व्यय ₹75,755.01 करोड़ रूपये तथा पूंजीगत व्यय ₹15,521.99 करोड़ रूपये का है।
> वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में प्रावधानित सकल राशि में से सामान्य प्रक्षेत्र के लिए 26,734.05 करोड़ रूपये, सामाजिक प्रक्षेत्र के लिए 33625.72 करोड़ रूपये तथा आर्थिक प्रक्षेत्र के लिए 30,917.23 करोड़ रूपये का उपबंध किया गया है।
> बजट में प्रावधानित राशि में से राज्य को अपने कर राजस्व से लगभग 23,265.42 करोड़ रूपये तथा गैर-कर राजस्व से 13,500 करोड़ रूपये, केन्द्रीय सहायता से 17,891.48 करोड़ रूपये, केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी के रूप में 22050.10 करोड़ रूपये, लोक ऋण से करीब 14,500 करोड़ रूपये तथा उधार व अग्रिम की वसूली से करीब 70.00 करोड़ रूपये प्राप्त होंगे।
> वित्तीय वर्ष 2019-20 में झारखण्ड राज्य की विकास दर 6.7 प्रतिशत थी। कोरोना महामारी के कारण देश के साथ-साथ राज्य के विकास दर में भी गिरावट दर्ज की गयी है।
> वित्तीय वर्ष 2020-21 में देश के सकल घरेलू उत्पाद में 7.5 प्रतिशत की गिरावट की तुलना में झारखण्ड में 6.9 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है। सरकार की दूरदर्शी नीतिगत सुधारों के फलस्वरूप आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में विकास दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यद्यपि प्रचलित मूल्य पर यह विकास दर 13.6 प्रतिशत अनुमानित है।
> आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा 10,210.87 करोड़ रूपये रहने का अनुमान है, जो आगामी वित्तीय वर्ष के अनुमानित GSDP का 2.83 प्रतिशत है।
> मनरेगा मजदूरों को अब 194 रूपये के बदले 225 रूपये मजदूरी प्रदान की जाएगी।
> इस वर्ष मनरेगा के अंतर्गत बिरसा हरित ग्राम योजना, नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना, वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना तथा दीदी-बाड़ी योजना को प्रारंभ किया गया है।
> ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए इस बजट में ग्रामीण विकास विभाग, जल संसाधन विभाग, कृषि, पशुपालन एवं सहकारित भाग हेतु समेि रूप से 18,653 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। यह राशि वित्तीय वर्ष 2020-21 की तुलना में लगभग 11 प्रतिशत अधिक है।
> वित्तीय वर्ष 2020-21 में भविष्य में आने वाले ऋण- भारों के मोचन हेतु निक्षेप निधि (Consolidated Sinking Fund) में पहली बार 303.87 करोड़ रूपये का निवेश किया गया है। आगामी वित्तीय वर्ष में इस कोष में 472 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, जो ब्याज भुगतान की सतत्ता एवं बेहतर वित्तीय प्रबंधन में एक कड़ी है।
> राज्य के समक्ष उपलब्ध चुनौतियों के बावजूद ब्याज- राजस्व प्राप्ति अनुपात 8.06 प्रतिशत रहा है।
> 2021-22 में पहली बार 11 विभागों के 21 माँगों के लिए परिणाम बजट (Outcome Budget) प्रस्तुत किया गया है। आगामी वित्तीय वर्षों में अन्य विभागों का भी परिणाम बजट प्रस्तुत किया जायेगा। परिणाम बजट एक ऐसे व्यय के पूर्व का अनुमान है, जिससे व्यय के पश्चात् लक्षित परिणाम को लोकदृष्टि में लाया जायेगा एवं वित्तीय संव्यवहारों (Financial Transactions) में पारदर्शिता एवं जवाबदेही तय होगी।
> इस बजट में समाज के अंतिम व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप बजटीय प्रावधान किए गये हैं।
> झारखण्ड बजट 2021-22 : क्षेत्रवार विशेषताएँ
> कृषि प्रक्षेत्र
> राज्य की 75% आबादी कृषि एवं संबंधित प्रक्षेत्र पर निर्भर हैं।
> राज्य सरकार द्वारा राज्य के कृषकों हेतु झारखण्ड कृषि ऋण माफी योजना की शुरूआत की गयी है। इस योजना का शुभारंभ 1 फरवरी, 2021 को जामताड़ा से किया गया है। इस योजना के अंतर्गत आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1200 करोड़ रूपये का बजटीय प्रावधान किया गया है।
> समेकित बिरसा ग्राम विकास योजना - इस योजना के तहत राज्य के प्रत्येक जिले से गाँव का चयन करते हुए बिरसा ग्राम के रूप में नामित किया जायेगा। इस योजना के अंतर्गत किसान सर्विस सेंटर की स्थापना करके किसान समूहों को प्रशिक्षित किया जाएगा तथा उन्हें कृषि के विभिन्न आयामों से जोड़ते हुए बाजार उपलब्ध कराया जायेगा। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। इस योजना हेतु आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में 61 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है।
> किसान समृद्धि योजना –इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक जिले के विभिन्न प्रखण्डों में सोलर आधारित डीप बोरिंग के द्वारा सामूहिक रूप से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। इसके लिए बजट में आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 हेतु 45.83 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है। 
> शहरी क्षेत्रों में बागानी फसलों की खेती – इस योजना का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में घरों के आस-पास खाली पड़ी भूमि में गृह वाटिका का विकास करते हुए शहर के निवासियों को अत्यंत कम लागत पर ताजी व स्वास्थ्यवर्धक सब्जियाँ उपलब्ध कराना है। इसके तहत वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य में 2 करोड़ की लागत से 5,000 पौष्टिक गृह वाटिका का विकास किया जाएगा। इस योजना के कार्यान्यवन के द्वारा शहरी परिवारों के भोजन में पौष्टिकता वृद्धि के साथ-साथ प्रदूषण मुक्त व स्वच्छ वातावरण का विकास होगा।
> झारखण्ड राज्य उद्यान प्रोत्साहन सोसाइटी – इस सोसाइटी के गठन का उद्देश्य एक ऐसी संस्थागत व्यवस्था का विकास करना है, जो क्षेत्र स्तर पर उद्यान निदेशालय एवं राज्य बागवानी मिशन के द्वारा संचालित योजनाओं का बेहतर अनुश्रवण एवं मूल्यांकन कर सके। इस सोसाइटी के गठन के फलस्वरूप पर्याप्त संख्या में तकनीकी रूप से सक्षम मानव बल की सेवा प्राप्त की जा सकेगी एवं योजनाओं के बेहतर अनुश्रवण के फलस्वरूप बजटीय आवंटन का समुचित उपयोग हो सकेगा एवं योजनाएँ ससमय पूर्ण हो सकेंगी। इस सोसाइटी के गठन के पश्चात् कृषकों, कृषि उद्यमियों एवं व्यापारियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित हो सकेगा। इस हेतु आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में 10 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है।
> चैंबर ऑफ फार्मस - इसके गठन का उद्देश्य कृषकों एवं व्यापारियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना एवं मार्केट लिंकेज की संभावना को बढ़ाना है। चैंबर ऑफ फामर्स के गठन के परिणामस्वरूप कृषक समूहों का निर्माण होगा एवं राज्य में लघु कृषि उद्योग के विकास की संभावनाएँ प्रबल होंगी। इसके परिणामस्वरूप किसान अपने उपज का उचित मू-य प्राप्त कर सकेगा। साथ ही कई छोटी खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना होगी। इस हेतु आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में 7 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है।
> पोस्ट हार्वेस्ट एवं प्रिजर्वेशन आधारभूत संरचना का विकास - इस योजना का उद्देश्य बागानी फसलों की कटाई के पश्चात् होने वाले नुकसान की रोकथाम करना एवं फलों व सब्जियों की सेल्फलाईफ को बढ़ाकर इसे अधिक समय तक संरक्षित रखना है। इसके तहत राज्य में 31 करोड़ रूपये की लागत से 24 शीतगृह / लघु शीतगृह की स्थापना की जाएगी। इसके परिणामस्वरूप बागानी फसलों का संरक्षण, आधारभूत संरचना (शीतगृह, पैक हाउस आदि) का विकास होगा तथा किसानों को विपणन में सहायता मिलेगी व उनकी आय में वृद्धि होगी।
> झारखण्ड राज्य फसल राहत योजना – इस योजना का संचालन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के असंतोषजनक प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए वित्तीय वर्ष 2020-21 से किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत प्रतिकूल मौसम के कारण फसलों के उत्पादन में ह्रास होने की स्थित में फसलों की क्षति का आकलन करके किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना हेतु वित्तीय वर्ष 2021-22 में 50 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है। 
> पशुपालन
> बकरा विकास हेतु Goat Estate – चतरा जिला में वृहत भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र के अधीन बकरा विकास हेतु Goat Estate के विकास की योजना का संचालन किया जाना है। इसका प्रमुख उद्देश्य दुग्ध व मांस उत्पादन को बढ़ाकर राजस्व प्राप्त करना है।
> चूजा प्रजनन केन्द्र – राज्य में पूर्व से संचालित गौरियाकरमा एवं खूँटी में चूजा प्रजनन केन्द्र स्थापित किया जाना है। इससे मुर्गीपालकों को कम दर पर स्थानीय स्तर पर चूजा उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही स्थानीय नस्ल की मुर्गी का उत्पादन बढ़ेगा जिससे राजस्व की प्राप्ति होगी।
> गो-मुक्ति धाम – राज्य के प्रत्येक प्रमण्डल में एक-एक गो-मुक्ति धाम की स्थापना की जाएगी, ताकि मृत्यु प्राप्त गाय के शरीर का पवित्र तरीके से निष्पादन किया जा सके।
> जोड़ा बैल वितरण योजना – इसके अंतर्गत राज्य के प्रक्षेत्रों एवं अन्य गोपालकों द्वारा प्राप्त नर बाछाओं को बैल के रूप में तैयार किया जाएगा। इन बैलों को राज्य के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में कार्यरत किसानों को वितरित किया जाएगा, ताकि किसानों को कम लागत में खेती कार्य में सहयोग मिल सके व अधिक मुनाफा प्राप्त हो सके।
> गव्य विकास
> दुग्ध उत्पादन – वित्तीय वर्ष 2019-20 में अनुमानित दूध उत्पादन 68 लाख लीटर प्रतिदिन है, जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 73.50 लाख लीटर प्रतिदिन दूध उत्पादन का अनुमान है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रतिदिन लगभग 80 लाख लीटर दूध उत्पादन का लक्ष्य है। झारखण्ड मिल्क फेडरेशन द्वारा राज्य के 16 जिलों में अब तक 669 मिल्क पूलिंग प्वाईंट्स से संबद्ध कुल 2,372 गाँवों के 19630 दूध उत्पादकों को जोड़कर औसतन 1 लाख 02 हजार लीटर दूध प्रतिदिन संग्रहित किया गया है जिसके परिणामस्वरूप दुग्ध उत्पादकों के निजी बैंक खातों में 10 करोड़ की राशि का भुगतान किया जा रहा है। -
> मवेशी पालकों को KCC राज्य के दुधारू मवेशी पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से आच्छादित करने की योजना के तहत 30 हजार डेयरी कृषकों को लाभान्वित करने की कार्रवाई की जा रही है। राज्य में अबतक कुल 4,749 डेयरी कृषकों को 22.94 करोड़ रूपये की साख अधिसीमा की स्वीकृति विभिन्न बैंकों द्वारा प्रदान की गयी है।
> ग्रामीण दुग्ध उत्पादकों / प्रगतिशील डेयरी कृषकों के लिए अतिरिक्त आमदनी के सृजन व स्वरोजगार के उद्देश्य से अनुदानित दर पर 2 दुधारू गाय वितरण, कामधेनु डेयरी फार्मिंग, प्रगतिशील डेयरी कृषकों को सहायता, हस्त व विद्युत चालित चैफ कटर का वितरण तथा तकनीकी इनपुट सामग्रियों के वितरण की योजना प्रस्तावित है।
> झारखण्ड मिल्क फेडरेशन के माध्यम से दुग्ध उत्पादन, संग्रहण विधायन एवं विपणन हेतु आधारभूत संरचनाओं के सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार हेतु जमशेदपुर तथा गिरिडीह में नए डेयरी प्लांट एवं राँची में मिल्क प्रोडक्ट प्लांट एवं मिल्क पाउडर प्लांट की स्थापना प्रस्तावित है।
> संस्थागत दुग्ध संग्रहण के संवर्द्धन व विस्तार हेतु ग्रामीण दूध उत्पादकों के द्वारा झारखण्ड मिल्क फेडरेशन को आपूर्ति किए गए दूध के लिए एक रूपया प्रति लीटर की दर से प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है।
> मत्स्य
> मछली उत्पादन – राज्य के युवाओं को स्वरोजगार एवं जनता को मछली के रूप में सुपाच्य एवं उत्तम प्रोटीन की उपलब्धता सुनिश्चित कराना एवं मत्स्य उत्पादन को लगातार बढ़ाना सरकार का सर्वोपरि लक्ष्य है। चालू वित्तीय वर्ष (2020-21 ) में सभी स्रोतों से मछली उत्पादन के कुल 2,40,000 मीट्रिक टन के लक्ष्य के विरूद्ध जनवरी, 2021 तक 1,90,425 मेट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ है। आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2,65,000 मेट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
> मछली बीज उत्पादन – स्थानीय स्तर पर मत्स्य बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु 7,390 स्थानीय मत्स्य बीज उत्पादकों को अनुदान पर मत्स्य स्पॉन, स्पॉन-आहार तथा फ्राई कैचिंग नेट उलपब्ध कराया गया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 7,500 स्थानीय मत्स्य बीज उत्पादकों के माध्यम से 1,100 करोड़ मछली बीज के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। -
> सामाजिक मात्स्यिकी - आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में जलाशयों में मछली मारने वाले स्थानीय विस्थापित मछुआरों के लिए सामाजिक मात्स्यिकी के तहत मत्स्य अंगुलिकाओं का संचयन करने तथा अनुदान पर नाव देने का प्रस्ताव है। मत्स्य उत्पादन में लगातार अभिवृद्धि हेतु फीड बेस्ट फिशरीज एवं इम्प्रूड वेराईटी की मछलियों का पालन किया जायेगा।
> प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना – आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत केन्द्रांश तथा राज्यांश के सहयोग से राज्य के मछुआरों / प्रगतिशील मत्स्य कृषकों / मत्स्य विक्रेताओं / रंगीन मछली पालकों तथा लघु उद्यमियों को अनुदान / आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जायेगी, ताकि ये स्वनियोजित / आत्मनिर्भर हो सकें। 
> केज कल्चर विस्तार एवं सुदृढीकरण योजना – इसके अंतर्गत जलाशयों में नये केजों का अधिष्ठान कर मछली पालन तथा पुराने केजों का रिमॉडलिंग कराते हुए मछली पालन कराया जायेगा। जलाशयों के विस्थापित अथवा मत्स्यजीवी सहयोग समितियों के सदस्य इसके लाभुक होंगे।
> समेकित मत्स्य पालन योजना – यह योजना प्रायोगिक तौर पर मछली-सह- बत्तख एवं मछली-सह- सूकर पालन हेतु आरंभ की जायेगी। इससे लाभार्थी को कम लागत में अधिक आय प्राप्त होगी।
> सहकारिता
> सहकारिता के क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2021-22 में लैम्पस / पैक्स / व्यापार मंडल / विशेष प्रकार की सहकारी समितियों को कार्यशील पूँजी, आधारभूत संरचना के विकास के लिए 10 करोड़ का प्रावधान बजट में किया गया है।
> कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से 11 लाख से अधिक नागरिक आच्छादित होंगे।
> लैम्पस / पैक्स – किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने हेतु लैम्पस / पैक्स का गठन राज्य में किया गया था। जिला एवं राज्य स्तर पर इनके संघ एवं महासंघ की संरचना के अभाव में ये प्राथमिक समितियाँ अपना काम सही ढंग से नहीं कर पा रही हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 में कृषि एवं लघु वनोपज के संग्रहण, व्यापार व प्रसंस्करण सुनिश्चित करने हेतु राज्यस्तरीय महासंघ गठित करने का प्रस्ताव है। 
> सिंचाई
> मसालिया मेगालिफ्ट सिंचाई योजना – कृषि में सिंचाई की आवश्यकता एवं महत्व तथा झारखण्ड के सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य के संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासी बाहुल्य दुमका जिले के अंतर्गत भूमिगत पाईपलाईन के माध्यम से मसालिया मेगालिफ्ट सिंचाई योजना का कार्यान्वयन वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रारंभ किया जाएगा। इससे जिले के बहुत बड़े भू-भाग को सुनिश्चित सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी जिससे कृपकों केझारखण्ड सार संग्रह आर्थिक एवं सामाजिक विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
> वर्षों पूर्व निर्माण जीर्ण- शीर्ण योजनाओं के विकास पुनरुद्धार व आधुनिकीकरण के कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए 12 पुरानी सिंचाई योजनाओं के नहरों के लाईनिंग का कार्य आगामी वर्ष में कराये जाने का प्रस्ताव है।
> राज्य के पठारी भौगोलिक स्थलाकृति के कारण लघु सिंचाई योजनाओं की सार्थकता एवं उपादेयता बनाये रखने के लिए 213 आहर / तालाब / मध्यम सिंचाई योजना एवं 100 जमींदारी बांधों के जीर्णोद्धार का कार्य आगामी वर्ष में कराये जाने का कार्यक्रम निर्धारित है।
> ग्रामीण विकास
> सखी मण्डलों को निधि - ग्रामीण क्षेत्रों में निधि की त्वरित एवं सुलभ उपलब्धता हेतु राज्य के सखी मण्डलों को इस वर्ष करीब 4449 करोड़ रूपये चक्रीय निधि, सामुदायिक निवेश निधि तथा 546 करोड़ रूपये क्रेडिट लिंकेज के रूप में उपलब्ध कराया गया है। आगामी वित्तीय वर्ष में 50,000 सखी मण्डलों को चक्रीय निधि एवं 20,000 सखी मण्डलों को सामुदायिक निधि उपलब्ध कराने की योजना है।
> आजीविका संवर्द्धन हुनर अभियान (ASHA) – इस अभियान के जरिये राज्य के 20.8 लाख परिवारों को आजीविका के सशक्त माध्यमों से जोड़ा गया है। अगले वित्तीय वर्ष में 26 लाख अतिरिक्त परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य है। 
> पलाश ब्रांड – अनुदान तथा प्रशिक्षण के साथ सखी मण्डलों द्वारा निर्मित उत्पादों को 'पलाश ब्रांड' के द्वारा एक नई पहचान देकर करीब 2 लाख ग्रामीण महिलाओं की आमदनी में बढ़ोत्तरी का प्रयास किया जा रहा है। अब तक लगभग 1 करोड़ का कारोबार इस ब्रांड के द्वारा किया गया है तथा आगामी वित्तीय वर्ष में इस योजना का विस्तार तेजी से किया जायेगा।
> जोहार परियोजना – इस परियोजना के अंतर्गत तब तक कुल 3,921 उत्पादक समूहों का निर्माण किया जा चुका है तथा इसके माध्यम से 2 लाख 13 हजार परिवारों को विभिन्न उत्पादनों के लिए जोड़ा गया है। आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 4,000 उत्पादक समूहों का निर्माण किया जाना है, जिसके माध्यम से 1 लाख 10 हजार परिवारों को विभिन्न उत्पादनों से जोड़ा जाएगा।
> फुलो-झानो आर्शीवाद अभियान – इस अभियान के तहत करीब 15,063 महिलाओं को विगत 4 माह में हड़िया - दारू निर्माण एवं बिक्री के कार्य से मुक्त कराकर आजीविका के विभिन्न साधनों से जोड़ा गया है। इस वित्तीय वर्ष में हड़िया - दारू बेचने के कार्य में मजबूरीवश लगी शेष महिलाओं को भी आजीविका के विभिन्न साधनों से इस योजना के तहत जोड़ा जायेगा।
> मानव दिवस सृजन का पुनरीक्षण – मनरेगा योजना प्रारंभ होने के पश्चात् पहली बार राज्य हेतु निर्धारित मानव दिवस सृजन के लक्ष्य का तीन बार पुनरीक्षण किया गया है। इस Rural Distress के समय ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु वर्तमान में 1,150 लाख मानव दिवस सृजन किया गया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 4,17,875 योजनाओं को पूरा किया गया। कुल 8,84,270 योजनाओं पर कार्य जारी है।
> 2021-22 में मानव दिवस सृजन – वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए राज्य द्वारा मनरेगा योजना के अंतर्गत 1,100 लाख मानव दिवस का सृजन किया जायेगा, जिसके अनुसार प्रस्तावित बजट की राशि 3,770.07 करोड़ रूपये होगी।
> Land and Water Treatment – राज्य में गरीब ग्रामीणों तथा आदिवासियों के जीवन स्तर को बेहतर करने के उद्देश्य से BRLF (Bharat Rural Livelihoods Foundation ) द्वारा ग्रामीण विकास विभाग के सहयोग से राज्य के छ: जिलों (गुमला, खूँटी, पश्चिमी सिंहभूम, पाकुड़, साहेबगंज तथा गोड्डा) में कुल 24 Non CFT प्रखण्डों में MoU कर कार्य आरंभ किया जा रहा है। इस साझीदारी में मनरेगा कार्यक्रम की निधि का बेहतर उपयोग करते हुए Integrated Natural Rosources Management (INRM) के सिद्धांत के आधार पर Watershed Approach को अपनाते हुए Land and Water Treatment का कार्य किया जायेगा।
> बिरसा हरित ग्राम योजना इस योजना के अंतर्गत 20,000 एकड़ लक्ष्य के विरूद्ध 26,000 एकड़ में आम एवं मिश्रित बागवानी का कार्य किया गया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 25,000 एकड़ भूमि पर इस कार्य को करने का लक्ष्य रखा गया है।
> नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना - इस योजना के अंतर्गत 1 लाख हेक्टेयर लक्ष्य के विरूद्ध 1,12,094 हेक्टेयर भूमि का उपचार किया जा चुका है। लगभग 98,065 हेक्टेयर भूमि का उपचार प्रगति पर है। वर्ष 2021-22 में 1 लाख हेक्टेयर भूमि के उपचार का लक्ष्य रखा गया है।
> बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर आवास योजना – इस योजना के अंतर्गत 32 हजार 244 आवास स्वीकृत करते हुए 23 हजार 331 आवास पूर्ण किया गया है। आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में 3,000 नये आवास बनाने का लक्ष्य निर्धारित है।
> पक्का आवास – पक्का आवास की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु वित्तीय वर्ष 2020-21 के भौतिक लक्ष्य 4,22,125 आवासों के विरुद्ध अब तक 335,307 आवास स्वीकृत एवं 37,981 आवास पूर्ण किये जा चुके हैं। आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2 लाख 45 हजार नये आवास बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
> ग्रामीण पथ – ग्रामीण क्षेत्रों में पथों के घनत्व को बढ़ाने तथा आवागमन हेतु प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में पूर्व की योजनाओं को मिलकार कुल 962 योजनायें 2,410 किमी. क्रियाशील है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2,000 किमी. पथ निर्माण एवं 250 पुल पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में Road Connectivity Plan in LWE affected areas (RCPLWE) अंतर्गत 600 किमी. पथ निर्माण एवं 10 पुल निर्माण कार्य कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस वित्तीय वर्ष में PMGSY Phase-III से 4,125 किमी. स्वीकृत कराने का लक्ष्य है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में पूर्व से स्वीकृत लगभग 2,000 किमी. ग्रामीण सड़कों का सुदृढ़ीकरण तथा 75 ग्रामीण पुलों का निर्माण कार्य पूर्ण कराने का लक्ष्य रखा गया है। -
> 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा - 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में सामान्य आधारभूत अनुदान त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को उपलब्ध कराने हेतु ग्राम पंचायतों के लिए 1,618.65 करोड़ रूपये, पंचायत समितियों के लिए 304.03 करोड़ रूपये तथा जिला परिषदों के लिए 202.68 करोड़ रूपये का बजटीय उपबंध प्रस्तावित है।
> राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान किए जायेंगे - इस योजना के उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु राज्य में निम्न कार्यक्रम संचालित
> क्षमता वर्द्धन एवं सृजन – इसके अंतर्गत ग्राम पंचायत विकास योजना से संबंधित प्रशिक्षण, hand holding support तथा अन्य प्रशिक्षण एवं अन्य गतिविधियाँ यथा - प्रशिक्षण यात्रा, प्रचार-प्रसार, सूचना, मुद्रण इत्यादि कार्य कराये जायेंगे।
> संस्थागत संरचना – संस्थागत संरचना के विकास हेतु जिला पंचायत संसाधन केन्द्र, राज्य पंचायत संसाधन केन्द्र का रख-रखाव, अनुरक्षण, संवर्द्धन, मानव संसाधन उपलब्ध कराये जायेंगे। पंचायत भवनों का निर्माण, मरम्मत, प्रज्ञा केन्द्र को पंचायत भवन में स्थापित कराने जैसे कार्य कराये जायेंगे।
>  ई - सक्षमता – ई - सक्षमता के माध्यम से पंचायतों को कम्प्यूटर एवं उपस्कर, तकनीकी सहयोग (मानव संसाधन सहित) उपलब्ध कराये जायेंगे।
> स्वास्थ्य
> कोविड टीकाकरण – कोविड- 19 से बचाव एवं नियंत्रण हेतु राज्य भर के जिला अस्पताल एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कोविड टीकाकरण कक्ष की स्थापना की गयी है। 16 जनवरी, 2021 से कोविड टीकाकरण का शुभारंभ राज्य के 129 केन्द्रों पर किया जा रहा है। 
> कोविड वैक्सीन हेतु टास्क फोर्स - कोविड-19 वैक्सीन नागरिकों को उपलब्ध कराने हेतु राज्य स्तर, जिला स्तर तथा प्रखण्ड स्तर पर टास्क फोर्स का गठन किया गया है। प्रथम चरण में सभी स्वास्थ्यकर्मियों तथा फ्रंटलाइनर वर्कर्स को वैक्सीन उपलब्ध कराया गया है।
> कोविड रिकवरी दर – देश में कोविड-19 के अंतर्गत रिकवरी दर 97.10 प्रतिशत तथा मृत्यु दर 1.40 प्रतिशत है, जबकि झारखण्ड में रिकवरी दर 98.71 प्रतिशत तथा मृत्यु दर 0.90 प्रतिशत है।
> कोविड अवसंरचना – राज्य में कोविड-19 से निपटने हेतु पर्याप्त संख्या में आवश्यक आधारभूत संरचना यथा 19,358 आसोलेशन बेड, 2021 ऑक्सीजन बेड, 577 आईसीयू बेड तथा 642 वेंटिलेटर युक्त बेड उपलब्ध है। 
> 108 एम्बुलेंस सेवा - ‘108' आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा (सभी आवश्यक उपकरणों, दवा एवं पारामेडिक्स सहित) का विस्तार करने हेतु पूर्व से संचालित 337 एम्बुलेंस के अतिरिक्त वित्तीय वर्ष 2021-22 में 117 नये एम्बुलेंस का संचालन आरंभ किया जायेगा। 
> आयुष्मान भारत- प्रधामन्त्री जन आरोग्य योजना – इस योजना के तहत राज्य में 489 निजी अस्पतालों एवं 220 सरकारी अस्पतालों को मिलाकर अब तक कुल 709 अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अबतक 88,76,567 गोल्डन कार्ड बनाया जा चुका है। कुल 7,34,021 लाभुकों को इस योजना का लाभ प्राप्त हो चुका है। राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के सार्वभौमिकीकरण के उद्देश्य की पूर्ति के साथ-साथ झारखण्ड की जन आकांक्षा एवं हितों के अनुरूप आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को आयुष्मान भारत - मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के रूप में संचालित करने का निर्णय लिया गया है। 
> राँची सदर अस्पताल – राँची जिलान्तर्गत निर्माणाधीन 500 शय्या वाले सदर अस्पताल को मार्च, 2021 के पूर्व पूर्ण कराकर संचालित कर दिया जायेगा।
> शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज अस्पताल धनबाद, एम. जी. एम. मेडिकल कॉलेज अस्पताल जमशेदपुर तथा राज्य के प्रमण्डलीय मुख्यालय में अवस्थित जिला अस्पतालों के साथ-साथ साहेबगंज जिला अस्पताल को विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवा उपलब्ध कराते हुए अत्याधुनिक मशीन - उपकरण, साज-सामानों से युक्त कर संचालित किये जाने की योजना है, ताकि वहाँ ईलाज कराने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया करायी जा सके।
> ट्रामा सेन्टर - राज्य के दुर्घटना संभावित राष्ट्रीय राजमार्गों पर निर्मित एवं निर्माणाधीन कुल 10 ट्रॉमा सेन्टर को आवश्यक मानव संसाधन एवं मशीन उपकरणों से सुसज्जित करते हुए संचालित किये जाने की योजना है। इसके अतिरिक्त अन्य 48 दुर्घटना संभावित स्थानों को चिन्हित किया गया है, जिसके नजदीकी सरकारी अस्पतालों / स्वास्थ्य केन्द्रों में ट्रॉमा सेन्टर की स्थापना किये जाने की योजना है। 
> जन औषधि केन्द्र – झारखण्ड सरकार तथा Beureau of Pharma PSUs of India (BPPI) के बीच राज्य में कुल 250 जन औषधि केन्द्र खोलने हेतु MoU किया गया है। वर्तमान में राज्य में 64 जन औषधि केन्द्रों को औषधि अनुज्ञप्ति प्राप्त है। वर्ष 2021-22 में राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों, सदर अस्पतालों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में जन औषधि केन्द्र खोले जाने की योजना है। 
> खाद्य आपूर्ति
> गुरूजी किचन योजना – वर्ष 2021-22 में इस योजना को शुरू किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत वर्तमान में चलाये जा रहे दाल-भात केन्द्रों के अतिरिक्त भोजन में विविधता, गुणवत्ता एवं स्वच्छता को बेहतर करने के उद्देश्य से नये भोजन केन्द्रों की स्थापना की जायेगी।
> राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम – इसके अंतर्गत जनवितरण प्रणाली, दुकानदारों में आर्थिक समानता लाने के उद्देश्य से दुकानवार राशनकार्ड की संख्या को Rationalize करने का प्रस्ताव है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में इस कार्य को पूर्ण कर लिया जायेगा। 
> धोती, साड़ी एवं लुंगी का वितरण - राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम से आच्छादित लाभुकों की सम्मानजनक स्थिति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अनुदानित दर पर धोती, साड़ी एवं लुंगी का वितरण किया जायेगा।
> झारखण्ड राज्य खाद्य सुरक्षा योजना – इस योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम से अनाच्छादित 15 लाख लाभुकों को 5 किलोग्राम चावल 1 रूपये प्रति किलोग्राम की अनुदानित दर पर उपलब्ध करायी जायेगी। 
> धान अधिप्राप्ति योजना किया जायेगा। - आगामी खरीफ विपणन मौसम में धान अधिप्राप्ति योजना के लक्ष्य में बढ़ोत्तरी
> पेयजल एवं स्वच्छता
> सभी में नल के माध्यम से स्वच्छ जल – इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु राज्य योजना, जल जीवन मिशन आदि योजनाओं के तहत राज्य के सभी ग्रामीण घरों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य प्रगति पर है। 
> Functional House Tap Connection – राज्य में वर्ष 2024 तक कुल 58,95,843 परिवारों को Functional House Tap Connection के माध्यम से सभी ग्रामीण घरों को जलापूर्ति से आच्छादित किये जाने का लक्ष्य है। अबतक 11.05 प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति कर ली गयी है। वर्ष 2021-22 में इसे बढ़ाकर 30 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य तय किया गया है। 
> वृहत् ग्रामीण जलापूर्ति योजना – विभिन्न योजनाओं के तहत 495 वृहत् ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं का निर्माण किया जा चुका है एवं 176 अदद् ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं का निर्माण कार्य प्रगति पर है। वर्ष 2021-22 में इस जल जीवन मिशन के तहत 51 अदद् नये वृहत् ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं का निर्माण कार्य प्रारंभ करने की योजना है।
> सोलर आधारित लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजना –राज्य के ऐसे ग्रामीण क्षेत्र जहाँ वृहत् जलापूर्ति योजनाओं के निर्माण हेतु सही स्त्रोत उपलब्ध नहीं है, वैसे क्षेत्रों को सोलर आधारित लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं से आच्छादित किया जा रहा है।
> एकल ग्रामीण जलापूर्ति योजना – जल जीवन मिशन के तहत 15,000 एकल ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं का निर्माण किया जा रहा है।
> नलकूप निर्माण – राज्य के ऐसे सुदूर क्षेत्र जो जलापूर्ति से आच्छादित नहीं हो पाये हैं या आंशिक रूप से आच्छादित हैं, उन टोलों में जल उपलब्ध कराये जाने हेतु राज्य के सभी 4,374 पंचायतों में 5-5 अदद् प्रति पंचायत की दर से कुल 21,870 अदद् नलकूप का निर्माण कराये जाने की योजना है। वर्ष 2021-22 में अप्रैल माह के अंत तक इन योजनाओं को पूर्ण कर लिया जायेगा।
> EDF के माध्यम से जलापूर्ति – जल जीवन मिशन के तहत आर्सेनिक एवं फ्लोराईड प्रभावित चिन्द्रित 483 अदद् टोलों में Electrolytic Defluoridation (EDF) के माध्यम से शुद्ध पेयजलापूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। 1
> शहरी विकास
> शहरी जलापूर्ति योजना – शहरी जलापूर्ति योजना के माध्यम से सभी शहरी क्षेत्रों में आवासित परिवारों को नल द्वारा शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने हेतु सरकार दृढ़संकल्पित है। 
> ठोस अपशिष्ट प्रबंधन – नगरीय क्षेत्रों में बढ़ती आबादी को स्वच्छ वातावरण उपलब्धता के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित 24 नगर निकायों में Concessionaire की नियुक्ति कर दी गयी है। शेष नगर निकायों में वित्तीय वर्ष 2021-22 में Concessionaire की नियुक्ति कर दी जायेगी ।
> ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्लांट – गिरिडीह में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्लांट चालू कर दिया गया है तथा देवघर, गोड्डा एवं चाकुलिया में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्लांट परीक्षण के स्तर पर है। 
> अमृत योजना – इस योजना के अधीन 05 मिशन शहरों में से 01 मिशन शहर आदित्यपुर में सिवरेज एवं 04 मिशन शहरों (चास, हजारीबाग, देवघर व गिरिडीह) में सेप्टज परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है। इस योजना के तहत 07 चयनित शहरों में 33 पार्कों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है तथा 2021-22 में दो पार्क का निर्माण कार्य पूर्ण किया जायेगा।
> नमामि गंगे योजना – इस योजना के अधीन फुसरो के लिए 2021-22 में Interception and Diversion तकनीक पर आधारित 15 Mega Litre Per Day Sewage Treatment Plant (MLD STP) योजना का कार्यान्वयन कराया जायेगा।
> प्रधानमंत्री आवास योजना – इस योजना के तहत सभी सुयोग्य लाभुकों को 2022 तक पक्का घर उपलब्ध कराया जाना है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 67,938 आवासों को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
> स्मार्ट सिटी योजना - इसके तहत राँची के HEC क्षेत्र में Green Field Project के अधीन सड़क, नाली, पैदल पथ, जलापूर्ति आदि आधुनिक सुविधाओं व आधारभूत संरचनाओं के निर्माण द्वारा एक विश्वस्तरीय शहर की स्थापना का लक्ष्य है।
> बाह्य संपोषित योजना – इसके अंतर्गत विश्व बैंक तथा एशियाई विकास बैंक के वित्तीय सहयोग से 16 निकायों में जलापूर्ति योजनाओं, धनबाद में 20 किमी. सड़क निर्माण आदि का कार्य किया जा रहा है।
> राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन – इस मिशन के तहत 3 लाख शहरी महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जोड़ने, 3000 शहरी गरीबों से सूक्ष्म उद्यम स्थापित करने में बैंक सहायता उपलब्ध कराने, 129 आश्रयगृह निर्माण करने आदि का लक्ष्य है।
> कल्याण
> मरङ गोमके जयपाल सिंह मुण्डा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना - इस योजना के अंतर्गत राज्य के अनुसूचति जनजाति के अधिकतम 10 युवाओं को देश से बाहर यूनाईटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एवं नॉर्दन आयरलैंड के चयनित विश्वविद्यालयों / संस्थानों यथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय आदि के चयनित उच्च स्तरीय कोर्स (Masters / M.Phil Full Degree Program) हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करने का लक्ष्य है। 
> आवासीय विद्यालय – वर्तमान में विभाग द्वारा कुल 143 आवासीय विद्यालय का संचालन किया जा रहा है, जिनमें से 7 एकलव्य एवं 11 आश्रम विद्यालय हैं। भारत सरकार द्वारा राज्य के 69 प्रखण्डों हेतु स्वीकृत कुल 69 एकलव्य विद्यालयों की स्थापना की जानी है।
> प्रमण्डलीय स्तर पर आवासीय विद्यालय – राज्य के अनुसूचित जनजाति / जाति एवं पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए बेहतर शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से आवश्यकतानुसार प्रमण्डलीय स्तर पर एक-एक आवासीय विद्यालय की स्थापना की जायेगी।
> साईकिल योजना - निर्बाध शिक्षा को प्रोत्साहन देने तथा ड्रॉप-आउट रेट को कम करने की दिशा में सरकार द्वारा साईकिल योजना का संचालन किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत योग्य छात्र-छात्राओं को साईकिल क्रय हेतु राशि दी जाती है। सभी को साईकिल निश्चित रूप से उपलब्ध हो सके, इसके लिए वर्ष 2021-22 से राज्य सरकार पूर्व की भांति साईकिल का क्रय कर छात्र-छात्राओं को उपलब्ध करायेगी।
> शहीद ग्राम विकास योजना – इस योजना का मुख्य उद्देश्य जनजातीय शहीद, जिन्होनें अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी, उनके जन्मस्थली को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करना है। इस योजना के अंतर्गत बिरसा मुण्डा, गया मुण्डा, जतरा टाना भगत, वीर बुधु भगत, सिद्धो-कान्हू, नीलाम्बर-पीताम्बर, दिवा एवं किशुन तथा तेलंगा खड़िया, पोटो हो तथा भगीरथ मांझी के ग्रामों को चयनित करते हुए आवास, पेयजल आपूर्ति, सोलर विद्युतीकरण, सोलर स्ट्रीट लाईट, स्मारकों का जीर्णोद्धार, शहीदों की मूर्तियों का अधिष्ठापन आदि कार्य किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में इस योजना के क्रियान्वयन हेतु 5 करोड़ रूपये की राशि का प्रावधान किया गया है।
> मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना - इस योजना के अंतर्गत झारखण्ड राज्य आदिवासी सहकारी विकास निगम / झारखण्ड राज्य अनुसूचित जाति सहकारी विकास निगम / झारखण्ड राज्य अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम / झारखण्ड राज्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम द्वारा अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग तथा दिव्यांगजन के युवाओं को स्वयं का व्यवसाय शुरू करने हेतु सुगम एवं सस्ते दर पर ऋण-सह-अनुदान देने हेतु मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना क्रियान्वित की जा रही है। पूर्व वर्ष में इस योजना के अंतर्गत अनुदान 25 प्रतिशत था तथा अधिकतम अनुदान राशि 2.50 लाख थी, इसे बढ़ाकर वित्तीय वर्ष 2021-22 में ऋण की राशि का 40 प्रतिशत अथवा अधिकतम 5 लाख रूपये करने का प्रावधान किया गया है। पूर्व में इस ऋण की प्राप्ति के लिए दो सरकारी नौकरी प्राप्त गारंटर की आवश्यकता थी, जिसे अब एक कर दिया गया है। इस योजना हेतु 12 करोड़ रूपये का प्रावधान बजट में किया गया है।
> Targeting the Hardcore Poor (THP) Project – इस परियोजना के अंतर्गत संथाल परगना के साहेबगंज, गोड्डा, दुमका एवं पाकुड़ जिलों के 5,000 अति कमजोर जनजातीय समूह को आच्छादित किया जा रहा है । परियोजना का उद्देश्य 24 माह की परियोजना अवधि में लाभुकों को गरीबी की जटलिता को निकालना है। वर्ष 2021-22 में इस योजना को सघनता से लागू किया जायेगा।
> झारखण्ड आदिवासी सशक्तिकरण एवं आजीविका परियोजना – इस परियोजना का वित्त पोषण IFAD (International Fund for Agricultural Development) द्वारा किया जा रहा है। इस परियोजना का क्रियान्वयन झारखण्ड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा राज्य के 14 अनुसूचित जिलों के 32 प्रखण्डों के 169 पंचायतों के 1,779 गाँवों में किया जा रहा है। इस परियोजना के अंतर्गत कुल 2.11 लाख जनजातीय परिवार आच्छादित किये जा रहे हैं। इस परियोजना के Localised Weather Based Planning की वृहद् प्रशंसा की गयी है । 
> कौशल विकास - कौशल विकास हेतु SPV (Special Purpose Vehicle) के रूप में गठित प्रेझा फाउंडेशन द्व रा राज्य में 21 कल्याण गुरूकुल, 06 नर्सिंग कौशल कॉलेज तथा 01 आईटीआई कौशल कॉलेज का संचालन किया जा रहा है। राज्य के लातेहार एवं जामताड़ा जिले में शीघ्र ही नर्सिंग कॉलेज शुरू करने की योजना है। । राज्य नर्सिंग काउंसिल द्वारा आयोजित परीक्षा में चान्हो नर्सिंग कॉलेज की सभी छात्राएँ Distinction के साथ उर्तीर्ण हुयी हैं। वर्ष 2020-21 में चान्हो नर्सिंग कौशल कॉलेज की सभी 92 छात्राओं को अपोलो एवं क्लाउड-9 जैसे प्रतिष्ठित अस्पतालों में अच्छे वेतन पर नियोजित किया गया है।
> अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं के लिए
कोचिंग एण्ड एलायड योजना – अल्पसंख्यक समुदाय   के छात्र छात्राओं हेतु इस योजना का संचालन किया जाना है। पिछले वर्ष तक इस योजना से मात्र अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राएँ ही आच्छादित हुए हैं।
> समाज कल्याण
> मशीनी परिष्कृत पूरक पोषाहार - आगामी वित्तीय वर्ष से 06-36 माह के बच्चों, 06-72 माह के कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं को मशीनी परिष्कृत पूरक पोषाहार Micronutrient fortified and/or Energy Dense Food (MFEDF) उपलब्ध कराने की सरकार की योजना है। इससे कुल 24.14 लाख लाभुकों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है जिस पर 500 करोड़ रूपये का व्यय आने की संभावना है। 03-06 वर्ष के बच्चों को दोपहर के भोजन में प्रत्येक सप्ताह के तीन दिन एक अण्डा प्रतिदिन उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है।
> बच्चों को स्कूली शिक्षा हेतु सक्षम बनाने के लिए सरकार द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से Early Childhood Care and Education के तहत Curriculum तैयार कराया गया है, जिसे सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में संचालित किया जायेगा। बच्चों को मनोरंजन पूर्वक ज्ञानवर्द्धक शिक्षा प्रदान कर उनके बौद्धिक विकास में सहयोग करना योजना का लक्ष्य है। इस योजना हेतु 3.80 करोड़ रूपये का बजटीय उपबंध किया गया है।
> समर अभियान – इस अभियान का उद्देश्य राज्य के बच्चों एवं महिलाओं में व्याप्त कुपोषण व अनीमिया को समाप्त करना है। इसके तहत विभिन्न संबंधित विभागों के समन्वित प्रयास से 1,000 दिनों की अवधि में राज्यव्यापी समर (SAAMAR Strategic Action for Alleviation of Malnutrition and Anaemia Reduction) अभियान का संचालन किये जाने का प्रस्ताव है। 
> DIVINE योजना – वित्तीय वर्ष 2021-22 में DIVINE (Dignity to Vulnerable Individuals for Nurturing with Empathy) योजना का संचालन किया जायेगा जिसका प्रमुख उद्देश्य कठिनतम परिस्थिति में जीवन यापन करने वाले विभिन्न वर्गों (बच्चे, महिलाएँ, परित्यक्ता, विधवा, वृद्ध, ट्रांसजेन्डर आदि) को चिह्नित कर महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के योजनाओं व कार्यक्रमों से जोड़ना है। इस योजना का कार्यान्वयन डिजिटल प्लेटफार्म व सिविल सोसाइटी संगठनों के माध्यम से किया जाएगा। 
> Dietary Allowance तथा साझा पोषण कार्यक्रम – इसका उद्देश्य किशोरियों व युवतियों की भागीदारी से राज्य में Intergenerational कुपोषण चक्र को तोड़ना है। इस कार्यक्रम के तहत किशोरियों एवं युवतियों के समूहों को Dietary Allowance उपलब्ध कराया जायेगा तथा साझा रूप से पोषक भोजन व अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु ‘साझा पोषण कार्यक्रम' का संचालन वित्तीय वर्ष 2021-22 से किया जायेगा। 
> सार्वभौमिक पेंशन योजना - इस योजना के तहत राज्य के सभी जरूरतमंद वृद्ध, विधवा, दिव्यांग व अनाथ आच्छादित होंगे। अब तक इस योजना के अंतर्गत सीमित लक्ष्य तय होने के कारण कई जरूरतमंदों को लाभ नहीं मिल पा रहा था।
> Addiction Treatment Facility Centre – राज्य के 12 जिलों में सरकारी चिकित्सालयों में नशापान से मुक्ति की आवश्यकता वाले लोगों को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु Addiction Treatment Facility Centre खोले जाने का प्रस्ताव है। 
> Place for Safety भवन - वित्तीय वर्ष 2021-22 में जघन्य अपराध आरोपी बच्चों को सामान्य अपराध के आरोपी बच्चों से अलग रखने के उद्देश्य से राज्य में Place for Safety भवनों का निर्माण कराया जायेगा।
> Half Way Home – राज्य के अंतर्गत स्वस्थ हो चुके मानसिक रोगियों के पुनर्वास हेतु वित्तीय वर्ष 2021-22 में राँची, पूर्वी सिंहभूम तथा धनबाद जिलों में 30-30 व्यक्तियों की क्षमता वाले कुल तीन Half Way Home संचालित करने की योजना है। 
> स्कूली शिक्षा
> प्रारंभिक शिक्षा के सार्वव्यापीकरण एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को विद्यालयों में सुनिश्चित करने हेतु राज्य के अंतर्गत कई नूतन प्रयास ज्ञानोदय, ज्ञानसेतु कार्यक्रम, विद्यालय प्रमाणीकरण, ई - विद्यावाहिनी के रूप में किये गए प्रयासों के परिणामस्वरूप राज्य ने कई महत्वपूर्ण सूचकांको (Groos Intake Rate-GIR, Net Intake Rate-NIR) में प्रगति करते हुए राष्ट्रीय औसत से अधिक उपलब्धि हासिल की है।
> राज्य के प्रत्येक पंचायत को जीरो ड्रॉपआउट पंचायत के रूप में घोषित करने का लक्ष्य रखा गया है। विद्यालयों में छीजन दर को कम करने हेतु कई नवाचार किये जा रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप राज्य के 1,828 पंचायत जीरो ड्रॉपआउट घोषित हो चुके हैं तथा आगामी वर्ष में 1,000 और पंचायतों को जीरो ड्रॉपआउट घोषित करने का लक्ष्य रखा गया है।
> वैश्विक महामारी के दौरान झारखण्ड वापस आने वाले प्रवासी मजदूरों के 5,099 बच्चों को विद्यालय में नामांकन कराते हुए डिजिटल शिक्षा के माध्यम से जोड़ने का काम भी किया गया है।
> सभी प्रारंभिक विद्यालयों के अध्ययनरत बच्चों को वैश्विक महामारी के दौरान मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत सूखा राशन एवं नगद राशि विद्यार्थियों को शिक्षकों के माध्यम से घर-घर उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया, ताकि आपदा की इस घड़ी में राज्य के 32 लाख विद्यार्थियों के पोषण के स्तर में कोई कमी नहीं आए।
> आदर्श विद्यालय योजना – इस योजना का शुभारंभ वित्तीय वर्ष 2020-21 में किया गया तथा 2024-25 तक राज्य सरकार द्वारा 18.86 करोड़ की लागत से राज्य के 4,496 विद्यालयों को आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया। इसमें 80 जिला स्तरीय विद्यालयों को उत्कृष्ट विद्यालय ( School of Excellence), 325 प्रखण्ड स्तरीय आदर्श विद्यालय सहित कुल 4,091 पंचायत स्तरीय विद्यालयों को आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित किया जायेगा। प्रथम चरण में 80 विद्यालयों को उत्कृष्ट गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केन्द्र में विकसित करने हेतु इस वर्ष 450 करोड़ की राशि उत्कृष्ट आधारभूत संरचना, विषय आधारित शिक्षक की व्यवस्था, डिजिटल शिक्षा, विज्ञान प्रयोगशाला, कम्प्यूटर लैब, व्यवसायिक शिक्षा, STEM लैब आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु स्वीकृत करते हुए केन्द्रीय विद्यालयों के तर्ज पर CBSE से संबद्धता प्राप्त करते हुए अंग्रेजी माध्यम से शिक्षण भी इन विद्यालयों में उपलब्ध करायी जायेगी। 
> डिजिटल शिक्षा एवं स्मार्ट क्लास - एशियाई विकास बैंक के वित्त पोषण योजना से वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक राज्य के विद्यालयों को उत्कृष्ट बनाने हेतु एक नई योजना प्रारंभ करने का प्रस्ताव है। इस योजना के तहत प्राप्त निधि का आदर्श विद्यालय योजना के साथ Convergence करते हुए लगभग 4,639 विद्यालयों में डिजिटल शिक्षा एवं स्मार्ट क्लास की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी।
> SAMADHAN कार्यक्रम – इस कार्यक्रम के तहत राज्य के सरकारी विद्यालयों में दक्ष शिक्षकों की विषयवार व्यवस्था हेतु कार्यक्रम संचालित किये जाएंगे। इस हेतु आवश्यकतानुसार विषयवार योग्य शिक्षकों की व्यवस्था आदर्श लय योजना के तहत घंटी आधारित, अनुबंध एवं शिक्षकों के युक्तिकरण के माध्यम से की जायेगी। योग्य शिक्षकों के चयन हेतु 'समाधान ऐप' भी शीघ्र लागू किया जायेगा। 
> Exemplar School – राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों को Exemplar School (प्रेरक गुणवत्ता शिक्षा के केन्द्र) के रूप में वित्तीय वर्ष 2021-22 में विकसित करने की योजना है।
> आकांक्षा कार्यक्रम इस कार्यक्रम के तहत राज्य के सरकारी विद्यालयों में शिक्षारत मेधावी छात्रों को निःशुल्क मेडिकल एवं इंजीनियरिंग की कोचिंग की व्यवस्था प्रदान की जाती है। सरकार के द्वारा ऐसे छात्रों को लैपटॉप प्रदान कर प्रोत्साहित किया गया है।
> मुख्यमंत्री स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार - इसके अंतर्गत राज्य के 928 विद्यालयों ने 5 स्टार तथा 5,688 विद्यालयों - ने 4 स्टार प्राप्त कर स्वच्छता एवं गुणवत्ता के पैमाने पर महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
> DAHAR App – विद्यालय से बाहर रह गए बच्चों को विद्यालय से जोड़ने हेतु राज्यव्यापी सर्वेक्षण का व्यापक अभियान चलाकर बच्चों को चिन्हित किया जा रहा है तथा DAHAR App के माध्यम से इन बच्चों का डेटाबेस तैयार करते हुए इनके शिक्षण एवं मुख्यधारा के विद्यालयों में ठहराव हेतु आवश्यक रणनीति का निर्माण किया गया है।
> पढ़ना - लिखना अभियान – राज्य सरकार द्वारा शीघ्र ही शत-प्रतिशत साक्षरता के दर को हासिल करने हेतु एक नूतन योजना 'पढ़ना-लिखना अभियान' का शुभारंभ किया जायेगा।
> मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि योजना – इस योजना के तहत राज्य के अधिविद्य परिषद्, सीबीएसई तथा आईसीएसई बोर्ड में राज्य स्तर पर वर्ष 2020 की मैट्रिक एवं इन्टर की परीक्षाओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय आने वाले विद्यार्थियों को क्रमशः 3,00,000 रूपये, 2,00,000 रूपये एवं 1,00,000 रूपये तक की प्रोत्साहन राशि दी गयी । 
> ज्ञानसेतु एवं ज्ञानोदय कार्यक्रम – गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सुनिश्चित करने हेतु ज्ञानसेतु एवं ज्ञानोदय कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है तथा आगे भी इसे जारी रखने की योजना है। SATHe (Sustainable Action for Transforming Human Capital) के तहत इसे और सशक्त बनाने का कार्य किया जा रहा है। 
> मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत रसोईया-सह-सहायिका के मानदेय में 500 रूपये मासिक वृद्धि की जायेगी। 
> मुख्यमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना – इस योजना का शुभारंभ 10 करोड़ रूपये के बजटीय उपबंध से किया जा रहा है। 
> राष्ट्रीय शिक्षा नीति - राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को वित्तीय वर्ष 2021-22 से लागू करने हेतु 10 करोड़ रूपये की राशि का प्रावधान किया गया है ।
> शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद - इस हेतु राज्य सरकार द्वारा विस्तृत हस्त-पुस्तिका तैयार की गयी है तथा उच्च माध्यमिक कक्षाओं में शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद को विषय के रूप में भी शामिल करने की योजना है।
> "आओ पढ़ें : खूब पढ़ें", पठन अभियान - इस अभियान को राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों में बच्चों के पठन क्षमता को विकसित करने हेतु व्यापक रूप से आगामी वित्तीय वर्ष में संचालित किया जायेगा।
> उच्चतर एवं तकनीकी शिक्षा
> झारखण्ड जनजातीय विश्वविद्यालय एवं झारखण्ड खुला विश्वविद्यालय – वर्ष 2021-22 में इन दोनों विश्वविद्यालय की स्थापना की जानी है ताकि राज्य के सुदूर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में उच्चतर शिक्षा की पहुँच संभव हो सके।
> महिला महाविद्यालयों में आवश्यकता आधारित 300 शैय्या छात्रावास का निर्माण कराया जायेगा। 
> केन्द्रीय Placement Cell – अधिक से अधिक छात्रों को रोजगार एवं प्रशिक्षण का अवसर उपलब्ध कराने हेतु इस Cell के गठन का प्रस्ताव है।
> श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास
> झारखण्ड असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा योजना - इस योजना के तहत असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम की धारा-3 की उपधारा-4 में निहित प्रावधानों के अनुसार असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए 5 योजनाएँ संचालित की जा रही हैं
1. असंगठित कर्मकार मृत्यु / दुर्घटना सहायता योजना
2. अंत्येष्टि सहायता योजना
3. असंगठित कर्मकारों के बच्चों के लिए मुख्यमंत्री छात्रवृत्ति योजना
4. कौशल उन्नयन योजना
5. चिकित्सा सहायता योजना
वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1.50 लाख श्रमिकों का निबंधन करते हुए उनके हितार्थ संचालित योजना से लाभान्वित करने का लक्ष्य तय किया गया है।
> बंधुआ मजदूरों का पुनर्वास – इसके लिए प्रत्येक जिला में 10 लाख के कोर्पस फंड का गठन किया गया है। इस कोष से विमुक्त कराये गये बंधुआ श्रमिकों को अविलंब सहायता राशि उपलब्ध कराने की योजना है। मुख्यमंत्री झारखण्ड अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी श्रमिक अनुदान योजना इस योजना के अंतर्गत विदेश प्रवास पर गये श्रमिकों की असामयिक मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को एकमुश्त 5 लाख रूपये का भुगतान संबंधित उपायुक्त के द्वारा किया जाना है।
> 'कार्यरत सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का मॉडल ITI के रूप में उन्नयन" योजना के अंतर्गत औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (सामान्य) राँची, बोकारो तथा देवघर को मॉडल ITI के रूप में उन्नयन करने का प्रस्ताव है। 
> SANKALP कौशल विकास कार्यक्रम के संचालन की प्रक्रिया को सहज एवं सर्वसुलभ करने तथा संच. सलन व्यवस्था का विकेन्द्रीकरण करने के उद्देश्य से राज्य में SANKALP (Skills Acquisition and Knowledge Awareness for Livelihood Promotion) के तहत राज्य के सभी 24 जिलों में स्थानीय आवश्यकता एवं मांग के अनुरूप जिला कौशल विकास योजना तैयार करते हुए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 
> उद्योग
> PMEGP – वित्तीय वर्ष 2021-22 में 5,000 युवक-युवतियों को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) योजना के तहत स्वरोजगार हेतु लाभान्वित करने का लक्ष्य है। 
> कलस्टर विकास योजना - इसके तहत आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में समेकित इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग कलस्टर की स्थापना 185 करोड़ रूपये की लागत से की जा रही है।
> झारखण्ड औद्योगिक आधारभूत संरचना विकास निगम को केन्द्र एवं राज्य सरकार के सहयोग से कार्यान्वित की जा रही कई महत्वपूर्ण परियोजना यथा- प्लास्टिक पार्क, फार्मा पार्क एवं सर्ल्ड ट्रेड सेंटर, राँची आदि का कार्यान्वयन एजेंसी बनाया गया है।
> मेगा हैण्डलूम कलस्टर – गोड्डा में भारत सरकार के सहयोग से मेगा हैण्डलूम कलस्टर का कार्य प्रारंभ किया गया है जिससे संथाल परगना के सभी छः जिलों के बुनकरों को लाभ होगा।
> तसर रेशम – वित्तीय वर्ष 2021-22 में 3,000 मेट्रिक टन तसर रेशम के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
> स्वरोजगार एवं खादी के विकास हेतु राज्य के परंपरागत 1,600 शिल्पियों को स्वरोजगार निमित्त प्रशिक्षण एवं 75 प्रतिशत अनुदान पर औजार एवं उपस्कर का वितरण किया जायेगा।
> स्फूर्ति योजना – इस योजना (Scheme of Fund for Regeneration of Traditional Industries-SFURTI) के अंतर्गत स्वीकृत 7 कलस्टर का कार्यान्वयन 2021-22 में किया जायेगा। इसमें लगभग 2,500 उद्यमियों को लाभान्वित किये जाने का लक्ष्य है। बोर्ड द्वारा शिल्पियों / उद्यमियों का आर्टिजन कार्ड बनवाकर राज्य एवं केन्द्र की अन्य योजनाओं के तहत 30,000 शिल्पियों / उद्यमियों को लाभान्वित किये जाने का भी प्रस्ताव है। /
> पथ निर्माण
> सड़क घनत्व – राज्य में सड़कों के घनत्व को बढ़ाने हेतु बजट में 3,480 करोड़ रूपये की राशि का उपबंध
किया गया है।
> प्रस्तावित कार्य – आगामी वित्तीय वर्ष में पथ निर्माण विभाग में निम्न कार्य प्रस्तावित हैं
1. माईनिंग कॉरिडोर का निर्माण ।
2. गिरिडीह, धनबाद, देवघर में रिंग रोड का निर्माण।
3. गोविन्दपुर- साहेबगंज सड़क का फोर लेनिंग कार्य।
4. राज्य के महत्वपूर्ण सड़कों को जोड़ने वाली सड़कों को फोर लेन करने का प्रस्ताव।
5. राज्य के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों को अच्छी सड़कों से जोड़ने का कार्य ।
> रेलवे एवं वायु मार्ग
> Institute of Driving Training and Research – इसकी स्थापना टाटा मोटर्स लिमिटेड के साथ मिलकर जमशेदपुर में की जायेगी जिसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा अनुदानित 17 करोड़ की राशि की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।
> Multi Modal Terminal – राज्य के साहेबगंज जिला में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 के अंतर्गत गंगा नदी पर जलमार्ग विकास परियोजना के तहत इस टर्मिनल का निर्माण विश्व बैंक के सहयोग से भारतीय अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा किया जा रहा है।
> ट्रैफिक पार्क की स्थापना – राज्य में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होन वाली मृत्यु को रोकने हेतु दक्षिणी राज्यों की तर्ज पर झारखण्ड में ट्रैफिक पार्क की स्थापना का प्रस्ताव है। इसके माध्यम से जन-साधारण को ट्रैफिक नियमों का अनुपालन किये जाने हेतु अद्यतन ग्राफिक्स तथा तकनीकी उपकरणों से अवगत कराया जायेगा। इस योजना हेतु वित्तीय वर्ष 2021-22 में 10 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है।
> Electric Vehicle Policy – राज्य में जीवाश्म ईंधनों से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को न्यूनतम किये जाने के उद्देश्य से राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने हेतु 2021-22 में Electric Vehicle Policy गठित करने का प्रस्ताव है। इसके लिए 2021-22 में 5 करोड़ की राशि का उपबंध बजट में किया गया है।
> झारखण्ड की औद्योगिक राजधानी जमशेदपुर को हवाई यातायात से जोड़ने के उद्देश्य से धालभूमगढ़ स्थित पुरानी हवाई पट्टी की 245 एकड़ भूमि को एक घरेलू हवाई अड्डे के रूप में विकसित करने की परियोजना पर कार्य किया जायेगा।
> UDAN Scheme – Regional Connectivity Scheme UDAN (उड़े देश का आम नागरिक) के तहत बोकारो तथा दुमका हवाई अड्डा के उन्नयन का कार्य प्रगति पर है । आगामी वित्तीय वर्ष में इन दोनों हवाई अड्डों से नियमित उड़ान सेवा प्रारंभ करने की दिशा में प्रयास किया जायेगा।
> देवघर में घरेलू हवाई अड्डा से आगामी वित्तीय वर्ष की प्रथम तिमाही में नियमित उड़ानों का परिचालन शुरू करने की दिशा में प्रयास किया जायेगा।
> राँची तथा अन्य हवाई अड्डों की हवाई पट्टियों पर एयर एंबुलेंस की स्थायी सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास किया जायेगा।
> राज्य की हवाई पट्टियों पर उपलब्ध खाली पड़े अनुपयोगी भूमि पर Solar Photo Voltaic Panels के माध्यम से निर्बाध विद्युत आपूर्ति का प्रयास किया जायेगा।
> ऊर्जा
> राज्य में निर्बाध बिजली आपूर्ति हेतु केन्द्र संपोषित स्कीम, राज्य स्कीम एवं विश्व बैंक संपोषित स्कीम क्रियान्वित है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु राज्य में संचालित प्रमुख योजनाएँ –
1. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना
2. Restructured Accelerated Power Development Reforms Programme (RAPDRP)
3. झारखण्ड संपूर्ण बिजली आच्छादन योजना
4. Jharkhand Power System Improvement Project (JPSIP) - विश्व बैंक द्वारा संपोषित
> मीटरिंग एवं एनर्जी एकाउंटिंग योजना - इस योजना का मुख्य उद्देश्य बिलिंग एवं संग्रहण दक्षता को बढ़ाना है तथा इसके लिए स्मार्ट मीटरिंग का कार्य किया जायेगा। वित्तीय वर्ष 2021-22 में इस योजना के लिए 150 करोड़ का प्रस्ताव किया गया है। इस योजना की कुल लागत 450 करोड़ रूपये है। यह योजना 2021-22 से 2022-23 तक क्रियान्वित होगी तथा इस योजना के लिए विश्व बैंक व वार्षिक विकास योजना से भी राशि का व्यय किया जायेगा।
> जलाशयों पर फ्लोटिंग सोलर संयंत्र – इस योजना के तहत प्रथम चरण में गेतलसूद जलाशय, राँची में 100 मेगावाट क्षमता का फ्लोटिंग सोलर संयंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव है। 
> सोलर सिटी – राज्य के गिरिडीह शहर को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने की योजना है।
> वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन
> वन क्षेत्र - वन संवर्द्धन एवं संरक्षण के सतत् प्रयासों के कारण राज्य का वनावरण एवं वृक्षारोपण बढ़कर राज्य कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 33.81 प्रतिशत हो गया है, जो राष्ट्रीय वन नीति, 198 के अनुरूप राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। ISFR, 2019 के अनुसार 2017 से 2019 के बीच राज्य में विभिन्न प्रकार के वन क्षेत्रों में 58 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।
> वृक्षारोपण कार्यक्रम – राज्य के सभी 24 जिलों में अब तक 703 किमी. नदी तट पर वृक्षारोपण कार्य संपन्न कराया गया है। इस योजना को और आगे बढ़ाते हुए वित्तीय वर्ष 2021-22 में शेष नदियों पर वृक्षारोपण कार्यक्रम कराया जायेगा। इसके अलावे नदी के उद्गम स्थलों पर भी वृक्षारोपण / वन संवर्द्धन का कार्य कराया जायेगा।
> मुख्यमंत्री जन-वन योजना – इस योजना में नीतिगत परिवर्तन करते हुए किसानों की जमीन पर लगाये जाने वाले वृक्षों के लिए अनुदान की राशि को बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है। इस वित्तीय वर्ष में इस योजना के तहत कृषकों के द्वारा उनके निजी भूमि पर विभाग के सहयोग से लगभग 5 लाख फलदार एवं काष्ठ प्रजाति के पौधों से वृक्षारोपण का कार्य संपन्न किया गया है। वर्ष 2021-22 में इस योजना के अंतर्गत 3,000 एकड़ भूमि पर वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा गया है।
> शहरी वानिकी योजना – शहरी क्षेत्र को हरा-भरा करने के उद्देश्य से वित्तीय वर्ष 2021-22 में 'शहरी वानिकी योजना' शुरू करने का प्रस्ताव है। इस योजना के तहत संपूर्ण राज्य के शहरी क्षेत्र में उपलब्ध भूमि एवं सड़क के किनारे वृक्षारोपण का कार्य किया जायेगा तथा शहरी क्षेत्र में निर्मित पार्कों के विकास एवं रख-रखाव का कार्य भी किया जायेगा, ताकि आम जनों को प्राकृतिक वातावरण के साथ-साथ मनोरंजन के साधन उपलब्ध हो सकें।
> झारखण्ड CAMPA – झारखण्ड CAMPA (Jharkhand Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority) के तहत प्राप्त निधि से अवकृष्ट भूमि पर क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण एवं अन्य वानिकी संबंधी आवश्यक कार्य कराये जा रहे हैं। साथ ही, ग्रामों के सर्वांगीण विकास हेतु विभिन्न वन प्रमण्डलों द्व ारा ग्राम वन प्रबंधन / इको समिति के सदस्यों को माईक्रो प्लान के निर्माण से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कुल 2,800 माईक्रो प्लान का निर्माण उनके माध्यम से किया जा रहा है। वनों के भीतर वन्य प्राणियों को जल उपलब्ध कराने हेतु वन भूमि पर आवश्यकतानुसार चेकडैम बनाये जा रहे हैं। वन्य प्राणियों के पर्यावास में सुधार के तहत वनों का संघनीकरण कार्य भी किया जा रहा है। 1
> विधि व्यवस्था एवं संवेदनशील प्रशासन
> गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अंतर्गत गृह एवं कारा प्रभाग के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 में 476. 80 करोड़ रूपये की राशि का उपबंध करने का प्रस्ताव है। इसमें से केन्द्रीय सेक्टर स्कीम के लिए 237.65 करोड़ रूपये, केन्द्र प्रायोजित योजना के लिए 11.65 करोड़ रूपये तथा राज्य योजना के लिए 227.50 करोड़ रूपये की राशि के उपबंध का प्रस्ताव है।
> विधि-व्यवस्था संधारण हेतु Frontline force के प्रशिक्षण हेतु निर्माणाधीन Constable Traning School, Musabani को वित्तीय वर्ष 2021-22 में पूर्ण किया जायेगा।
> Emergency Response Support System (ERSS) परियोजना के अंतर्गत पूर्व से क्रियान्वित आपातकालीन सेवा Dial-100 (पुलिस), Dial-101 (अग्निशमन एवं बचाव ), Dial 108 ( एम्बुलेंस) तथा Dial-181 (महिला एवं बाल सुरक्षा) को एकीकृत कर Dial-112 स्थापित करने की कार्रवाई की जा रही है।
> वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) को क्रियाशील करने का लक्ष्य है।
> राज्य में वज्रपात से आमजनों को बचाने हेतु झारखण्ड अंतरिक्ष अनुप्रयोग केन्द्र द्वारा Geographical Information System (GIS) Portal / Moblie App विकसित किया गया है, जिसके द्वारा वज्रपात होने की पूर्व सूचना Location Based SMS के माध्यम से आमजनों को दी जा रही है।
> सूचना प्रौद्योगिकी एवं ई-गवर्नेस
> भारतनेट फेज-1 के तहत 2,787 ग्राम पंचायतों / प्रखण्ड मुख्यालयों तथा फेज-2 में 993 ग्राम पंचायतों / प्रखण्ड मुख्यालयों तक Optical Fiber Cable (OFC) बिछा दिया गया है। शेष ग्राम पंचायतों / प्रखण्ड मुख्यालयों में OFC बिछाने का कार्य 2021-22 में पूर्ण किया जाना है।
> National e-Vidhan Application – देश के सभी राज्य के विधानसभाओं एवं संसद में वर्तमान मैनुअल कार्यप्रणाली को ऑनलाईन करने हेतु National e - Vidhan Application को झारखण्ड विधानसभा में भी लागू किये जाने का कार्य प्रक्रियाधीन है।
> पर्यटन
> नई पर्यटन नीति राज्य में नई पर्यटन नीति लागू किये जाने का प्रस्ताव है। इस नई पर्यटन नीति के तहत पर्यटन क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन एवं सब्सिडी का प्रावधान रखा जायेगा।
> फूड क्राफ्ट संस्थान - देवघर में फूड क्राफ्ट संस्थान का निर्माण कराया जा रहा है। इस संस्थान में होटल प्रबंधन के क्षेत्र में डिप्लोमा कोर्स तथा अल्पावधि प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा। इसे वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रारंभ किया जायेगा।
> प्रसाद योजना - इस योजना के अंतर्गत देवघर के विकास हेतु 39 करोड़ रूपये की योजना स्वीकृत की गई है। इस योजना के अंतर्गत काँवरिया पथ में Spiritual Congregation Hall निर्माण, शिवगंगा के पास Control & Command Centre निर्माण तथा देवघर आने वाले मार्गों पर भव्य स्वागत द्वार निर्माण कराया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में इस योजना को पूर्ण करने का लक्ष्य है।
> लुगुबुरू एवं रजरप्पा के महत्व को देखते हुए इन्हें वृहद् पर्यटन गंतव्य के रूप में विकसित करने की योजना है। 
> राज्य के प्रमुख जलाशयों में जलक्रीड़ा तथा पर्यटन आकर्षण क्षेत्रों में साहसिक क्रीड़ा को संवर्धित किया जायेगा। 
> राज्य के ग्रामीण विरासतों ( सांस्कृतिक / धार्मिक/ऐतिहासिक/पुरातात्विक आदि) का संवर्धन तथा पर्यटक आवासन की समस्या को दूर करने हेतु होम स्टे को बढ़ावा दिया जायेगा।
> रोप-वे निर्माण – राज्य के दुर्गम पर्यटन क्षेत्रों में पर्यटकों की सुगम पहुँच तथा अधिकाधिक पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु रोप-वे निर्माण प्रस्तावित है।
> खेल-कूद
> सिद्धो-कान्हो खेल क्लब – राज्य के सभी गाँवों में एक-एक सिद्धो-कान्हो खेल क्लब की स्थापना की जायेगी, जिन्हें युवा एवं खेल गतिविधियों से संबंधित कार्यक्रम हेतु प्रोत्साहन राशि प्रदान की जायेगी।
> खेल विश्वविद्यालय - खेल क्षेत्र में शोध एवं अध्ययन हेतु राज्य में खेल विश्वविद्यालय की स्थापना को मूर्त रूप देने का प्रस्ताव है।
> टैलेंट हंट कार्यक्रम – राज्य के विभिन्न प्रशिक्षण केन्द्रों में बच्चों को प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु वृहद् रूप से टैलेंट हंट कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा, ताकि प्रतिभावान खिलाड़ियों को उचित प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर मिल सके।
> आवासी एवं दिवा- प्रशिक्षण केन्द्र – राज्य में सीमान्त स्तर पर ल-कूद के प्रशिक्षण हेतु 36 आवासीय एवं दिवा–प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित है, जिसमें 3,000 खिलाड़ी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 में इन प्रशिक्षण केन्द्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जायेगी ।
> एथलेटिक ट्रैक एवं एस्ट्रोटर्फ – राज्य प्रशिक्षण केन्द्रों एवं जिला स्तर के बड़े स्टेडियम में एथलेटिक ट्रैक एवं एस्ट्रोटर्फ अधिष्ठापन का कार्य कराया जायेगा, ताकि खिलाड़ी अत्याधुनिक खेल संरचना में प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें।
> कला एवं संस्कृति
> क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा केन्द्र – राज्य के 9 क्षेत्रीय व जनजातीय भाषाओं ( नागपुरी, कुरमाली, खोरठा, हो, संथाली, कुडुख, मुण्डारी, खड़िया एवं पंचपरगनिया ) हेतु एक - एक भाषा केन्द्र स्थापित किया जायेगा।
वर्ष 2018-19 के बजट पर की गयी कार्रवाई का प्रतिवेदन - मुख्य बातें
> वित्तीय वर्ष 2018-19 को 'न्यू इण्डिया, न्यू झारखण्ड' के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। 
> वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट में कुल 403 घोषणाएँ की गयी थीं।
> राँची, देवघर, सिमडेगा तथा निकटवर्ती जिलों में उद्यान विकास योजना के तहत फूलों की खेती प्रारंभ की गयी।
> राँची में 1 लाख लीटर की क्षमता के डेयरी प्लांट को शुरू किया गया।
> देवघर, पलामू, साहेबगंज तथा गिरिडीह में 50 हजार लीटर क्षमता के डेयरी प्लांट का निर्माण प्रारंभ किया गया। 
> गोड्डा में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् से अनुमोदन प्राप्त हुआ। 
> साहेबगंज में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परषिद् से अनुमोदन प्राप्त किया जाना है।
> दीनदयाल उपाध्याय योजना के तहत किसानों के लिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था हेतु 300 कृषि फीडर का निर्माण प्रारंभ किया गया।
> केन्द्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से दुमका में रेशम प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की गयी है।
> राँची में पीपीपी मोड पर सिल्क पार्क की स्थापना की गयी तथा खरसावाँ में सिल्क पार्क का निर्माण शुरू किया गया। जा रही है ।
> राज्य के 9 जिलों में खाद्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना हेतु भूमि का आवंटन किया गया। 
> लुगुबुरू महोत्सव एवं सरायकेला के छऊ महोत्सव को राजकीय महोत्सव घोषित किया गया।
> प्रसाद योजना के तहत देवघर के विकास हेतु 45 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान की गयी।
> स्वदेश दर्शन योजना के तहत जमशेदपुर, राँची, नेतरहाट एवं बेतला में इको टूरिज्म सर्किट का विकास किया जा रहा है।
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