> महत्वपूर्ण नोट
> 2014-15 से 2018-19 के बीच संवृद्धि दर में कमी का मुख्य कारण 2015-16 में संवृद्धि दर का ऋणात्मक (-6.2% ) होना है।
> वित्तीय वर्ष 2020-21 के प्रथम दो तिमाही में भारत एवं राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद में तेजी से कमी दर्ज की गयी है। यद्यपि अक्टूबर, 2020 से इसमें सुधार दर्ज किया गया है तथा आगामी तिमाहियों में इसमें v आकार में सुधार का अनुमान है।
> झारखण्ड राज्य का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का मात्र 1.6 प्रतिशत है।
> 2018-19 के आँकड़ों के अनुसार प्रति व्यक्ति आय की दृष्टि से झारखण्ड राज्य का देश के 29 राज्यों ( जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन के पूर्व) में 26वाँ स्थान है।
> झारखण्ड राज्य से कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्य केवल मणिपुर (27वाँ स्थान), उत्तर प्रदेश (28वाँ स्थान) तथा बिहार (29वाँ स्थान) हैं।
> विभिन्न क्षेत्रों की वृद्धि दर, GSDP वृद्धि दर में योगदान एवं GSVA में हिस्सेदारी
> महत्वपूर्ण तथ्य
> सर्वाधिक वृद्धि दर वाला क्षेत्र/ उपक्षेत्र वायु परिवहन सेवा (31.7%) तथा व्यापार एवं मरम्मत सेवा (12.1%) क्रमशः रहा है।
> भण्डारण (-1.9%) क्षेत्र में ऋणात्मक वृद्धि दर्ज की गयी है।
> कोविड- 19 महामारी के दौरान वित्तीय वर्ष 2020-21 के प्रथम दो तिमाही में भारत के GDP एवं राज्य के GSDP में कमी दर्ज की गयी है। यद्यपि अक्टूबर, 2020 के बाद से इसमें सुधार देखने को मिला है तथा आगामी भविष्य में यह सुधार V आकार में दिखाई पड़ेगा।
> झारखण्ड राज्य का कुल GSDP भारत के कुल GDP का मात्र 1.6% है।
> प्रति व्यक्ति आय की दृष्टि से (2018-19 का आँकड़ा) भारत के 29 राज्यों (जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन से पूर्व) झारखण्ड राज्य का स्थान 26वाँ (₹54,982) है। ज्ञात हो कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में केवल तीन राज्य मणिपुर ( ₹51,180), उत्तर प्रदेश (₹44, 421) तथा बिहार (₹28,668) झारखण्ड से पीछे हैं।
> तृतीयक क्षेत्र के उत्पादन में सर्वाधिक योगदान व्यापार, मरम्मत, होटल एवं रस्टूरेंट उपक्षेत्र का (29.4%) तथा इसके बाद परिवहन, भंडारण, संचार आदि क्षेत्र का ( 16.7% ) है।
> तृतीयक क्षेत्र के अंतर्गत सर्वाधिक तेज वृद्धि दर वायु परिवहन उपक्षेत्र में (31.7% ) की गयी है जबकि भंडारण उपक्षेत्र में नकारात्मक वृद्धि (-1.9%) दर्ज की गयी है।
> झारखण्ड में मुद्रास्फीति
> वित्तीय वर्ष 2016-17 2017-18 तथा 2018-19 में झारखण्ड में मुद्रास्फीति की दर 6% से कम रही है। ज्ञात हो कि इस अवधि में भारत में मुद्रास्फीति की दर भी 6% से कम रही है।
> अक्टूबर, 2019 के बाद झारखण्ड तथा भारत में मुद्रास्फीति दर में वृद्धि दर्ज की गयी तथा यह आरबीआई के उच्चतम सीमा (6%) से अधिक हो गया।
> हाल के महीनों में उच्च मुद्रास्फीति दर का कारण मुख्यतः कोविड-19 के कारण अर्थव्यवस्था में लॉकडाउन की स्थिति एवं आपूर्ति श्रृंखला का बाधित होना है।
> झारखण्ड के शहरी क्षेत्रों में मुद्रास्फीति की दर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक रही है।
> झारखण्ड में निर्धनता
> वैश्विक बहुआयामी निर्धनता सूचकांक - 2019 के अनुसार 2005-06 से 2015-16 के दस वर्षों की अवधि में झाखण्ड में 72 लाख लोग बहुआयामी निर्धनता से बाहर निकल गये हैं।
> 2005-06 से 2015-16 के बीच झारखण्ड राज्य में बहुआयामी निर्धनता का प्रतिशत 74.7% से कम होकर 46.5% हो गया है।
2. राजकोषीय विकास एवं राज्य वित्त
> वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2019-20 के बीच राज्य के बजट के आकार में 12.1% की औसत वार्षिक दर से वृद्धि दर्ज की गयी है तथा 2020-21 में इसके 22% रहने की संभावना है।
> वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल बजटीय व्यय का 53% योजना पर व्यय होने की संभावना है जबकि 2020-21 में इसके 57% रहने की संभावना है।
> पिछले सात वर्षों में राज्य का राजकोषीय घाटा (तीन वर्ष 2015-16 2016-17 एवं 2017-18 को छोड़कर) FRBM की 3% की सीमा के अंदर ही रहा है।
> वित्तीय वर्ष 2015-16 में राजकोषीय घाटा 5.58% के उच्च स्तर पर रहा है, जिसका प्रमुख कारण इस वर्ष 'उदय योजना' के तहत राज्य द्वारा लिया जाने वाला ऋण ( ₹5,553.37) करोड़ है।
> झारखण्ड राज्य में प्रति व्यक्ति ऋण ₹25 हजार (2019-20) है।
> 15वाँ वित्त आयोग एवं झारखण्ड
> 15वें वित्त आयोग की अंतिम रिपोर्ट (2021-26) में राज्यों को केन्द्रीय करों में 41% हिस्सेदारी देने की सिफारिश की गयी है।
> केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी के अलावा 15वें वित्त आयोग ने झारखण्ड राज्य को वित्तीय वर्ष 2020-21 में अनुदान के रूप में निम्न राशि देने की सिफारिश की है
> ₹813 करोड़ – स्थानीय निकायों को
> ₹189 करोड़ – आपदा प्रबंधन हेतु
> ₹312 करोड़ – पोषण हेतु
> केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी के अलावा 15वें वित्त आयोग ने झारखण्ड राज्य को वित्तीय वर्ष 2021 से 2026 के बीच अनुदान के रूप में निम्न राशि देने की सिफारिश की है
> ₹3367 करोड़ – शहरी स्थानीय निकायों को
> ₹6585 करोड़ – ग्रामीण स्थानीय निकायों को
> ₹4182 करोड़ – आपदा प्रबंधन हेतु
> ₹2370 करोड़ – स्वास्थ्य हेतु
> ₹179 करोड़ – उच्च शिक्षा हेतु
> ₹677 करोड़ – कृषि प्रदर्शन हेतु प्रोत्साहन राशि
> ₹966 करोड़ – प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना हेतु
> ₹275 करोड़ – न्यायपालिका हेतु
> ₹48 करोड़ – सांख्यिकी हेतु
> 15वें वित्त आयोग ने राज्य में पर्यटन के विकास, नवीकरणीय ऊर्जा तथा बैद्यनाथ धाम हेतु ₹1300 करोड़ का विशेष अनुदान देने की सिफारिश की है।
3. संस्थागत वित्त
> वित्तीय संस्थाएँ (बैंक)
> झारखण्ड राज्य में बैकों की कुल 3203 शाखाएँ कार्यरत हैं जो देश के कुल बैंक शाखाओं का 2.07% ( सितंबर, 2020 तक) है।
> राज्य में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 9.16 बैंक शाखाएँ उपलब्ध हैं, जो राष्ट्रीय औसत 11.8 से कम है।
> राज्य की कुल बैंक शाखाओं में लगभग 80% शाखाएँ अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों की हैं।
> निजी बैंकों की शाखाओं की हिस्सेदारी लगभग 13% है।
> राज्य की कुल बैंक शाखाओं का लगभग 40% राज्य के चार जिलों ( राँची, बोकारो, धनबाद तथा पूर्वी सिंहभूम) में संकेन्द्रित हैं।
> प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण
> पिछले साढ़े पांच वर्षों में राज्य के कुल साख सृजन (वित्तीय संस्थाओं द्वारा जनता को ऋण) का 50% प्राथमिकता क्षेत्र को दिया गया है।
> गैर निष्पादित परिसंपत्तियाँ
> राज्य में प्राथमिकता क्षेत्र का NPA (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ) गैर-प्राथमिकता क्षेत्र के NPA की तुलना में अधिक है।
> पीएम-किसान
> प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम- किसान) के अंतर्गत 4 नवंबर, 2020 तक राज्य के 31.85 लाख किसान पंजीकृत हुए हैं।
> वित्तीय समावेशन सूचकांक
> वित्तीय समावेश सूचकांक (FII) - 2017 में झारखण्ड के जिलों में राँची, पूर्वी सिंहभूम तथा लोहरदगा का स्थान क्रमश: प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय है। इस सूचकांक में सबसे अंतिम (24वाँ) स्थान पर गढ़वा का है।
> प्रधानमंत्री जन धन योजना
> प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत राज्य की कुल आबादी के 29.9 प्रतिशत लोगों का खाता खोला गया है। झारखण्ड राज्य का इस मामले में देश के राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में चौथा स्थान (1 - चंडीगढ़, 2 - असम, 3-मध्य प्रदेश है। साथ ही झारखण्ड का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत ( 21.7%) से भी बेहतर है।
4. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज
> मनरेगा योजना
> मनरेगा योजना राज्य के सभी 24 जिलों के 263 प्रखण्डों के 4,403 ग्राम पंचायतों में संचालित की जा रही है।
> मनरेगा योजना में संलग्न सक्रिय श्रमिकों में अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति के व्यक्तियों का अनुपात क्रमश: 27.64% तथा 10% है।
> वित्तीय वर्ष 2020-21 में मनरेगा योजना में 961 लाख मानव दिवस कार्य सृजित हुआ जो वित्तीय वर्ष 2019-20 में सृजित 642 लाख की तुलना में 49.73% अधिक है।
> ग्रामीण रोजगार सृजन हेतु 3 नयी योजनाएँ
> राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी आधारित रोजगार सृजन के उद्देश्य से 4 जुलाई, 2020 को मुख्यमंत्री द्वारा राँची से 3 नई योजनाओं का शुभारंभ किया गया है। इन योजनाओं का संचालन मनरेगा योजना के तहत किया जाएगा।
> इन श्रम-गहन योजनाओं के माध्यम से सरकार द्वारा लगभग ₹20,000 करोड़ मजदूरी के रूप में भुगतान किया जायेगा।
> इन योजनाओं के माध्यम से राज्य के उच्च बेरोजगारी दर वाले गाँवों में लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराते हुए बेरोजगारी दर को नियंत्रित करना है।
> राज्य के श्रम, योजना व प्रशिक्षण विभाग के ऑकड़ों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान लगभग 6.61 लाख प्रवासी मजदूर विभन्न स्थानों से राज्य में वापस आये हैं।
> बिरसा हरित ग्राम योजना
> यह एक वृक्षारोपण कार्यक्रम है जिसके तहत राज्य के लगभग 2 लाख एकड़ परती भूमि पर वृक्षारोपण किया जायेगा।
> इस योजना के तहत राज्य के पाँच लाख परिवारों को प्रति परिवार 100 फल देने वाले पौधे उपलब्ध कराये जायेंगे।
> इस योजना के तहत अगले कुछ महीनों में राज्य में 5 करोड़ फल देने वाले पौधे लगाने का लक्ष्य है।
> इस योजना में पौधा लगाने से लेकर उसके फलने-फूलने तक के सभी कार्य मनरेगा योजना के तहत किये जायेंगे।
> इस योजना के माध्यम से सभी परिवारों को पौधारोपण के तीन वर्षों के बाद 50,000 रूपये मासिक आय का अनुमान है।
> इस योजना के तहत अगले पाँच वर्षों में 25 करोड़ मानव दिवस कार्य सृजित किये जाने का अनुमान है।
> नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना
> यह योजना वर्षा जल एवं सतही जल हेतु कृषि-जल भंडारण इकाई के निर्माण पर लक्षित है।
> इस योजना के माध्यम से लगभग 5 लाख एकड़ कृषि योग्य भूमि की सिंचाई की जा सकेगी।
> इस योजना द्वारा सीमांत भूधारक एवं किसान प्रतिवर्ष 5 लाख करोड़ लीटर वर्षा व सतही जल का भंडारण करने में सक्षम होंगे। इस योजना के द्वारा अगले 4-5 वर्षों में 10 करोड़ मानव दिवस कार्य सृजित किये जाने का अनुमान है।
> इस योजना के अंतर्गत मुख्य रूप से पलामू प्रमण्डल के सूखा प्रभावित क्षेत्र पर बल दिया जायेगा।
> वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना
> यह आधारभूत खेल संरचना विकास योजना है जिसका संचालन मनरेगा योजना के अंतर्गत किया जाएगा।
> इस योजना के तहत संपूर्ण राज्य में लगभग 5,000 खेल मैदान का विकास किया जाएगा।
> इस योजना के माध्यम से वर्तमान वित्तीय वर्ष में लगभग 1 करोड़ मानव दिवस कार्य सृजित किये जाने का अनुमान है।
> प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
> प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत ( 3 फरवरी, 2021 तक) राज्य में 25,543 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण पूर्ण हो चुका है, जो देश में निर्मित कुल ग्रामीण सड़कों का 3.96% है।
> वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2020-21 के बीच ग्रामीण सड़कों के विकास के संदर्भ में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले जिले क्रमशः गुमला, पश्चिमी सिंहभूम तथा पूर्वी सिंहभूम हैं जबकि धनबाद (अंतिम) व कोडरमा का प्रदर्शन सबसे निम्नतम रहा है ।
> प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण
> प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत 2022 तक राज्य में 12,72,916 मकानों के निर्माण का लक्ष्य है जिसमें से 7,51,571 मकानों का निर्माण किया जा चुका है।
> झारखण्ड एकीकृत आदर्श ग्राम योजना
> झारखण्ड एकीकृत आदर्श ग्राम योजना (JIGAY) के तहत सांसद आदर्श ग्राम योजना, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, मुख्यमंत्री स्मार्ट ग्राम पंचायत योजना तथा विधायक आदर्श ग्राम योजना को एकीकृत किया गया है।
> झारखण्ड राज्य आजीविका संवर्द्धन सोसाइटी
> ग्रामीण विकास विभाग द्वारा झारखण्ड राज्य आजीविका संवर्द्धन सोसाइटी का गठन किया गया है जिसके माध्यम से राज्य में गरीबी उन्मूलन योजनाओं का कार्यान्वयन किया जायेगा।
> झारखण्ड राज्य आजीविका संवर्द्धन सोसाइटी का प्रमुख उद्देश्य निर्धनता उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण तथा समानता स्थापित करना है।
> झारखण्ड राज्य आजीविका संवर्द्धन सोसाइटी के द्वारा बैंक सखी मॉडल शुरू किया गया है जिसके अंतर्गत बैंक संबंधी क्रियाकलापों में स्वयं सहायता समूहों की मदद ली जा रही है।
> राज्य के राँची, खूँटी, पश्चिमी सिमडेगा, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम तथा लातेहार जिले के 16 प्रखण्डों में वैज्ञानिक तरीके से लाह उत्पादन किया जा रहा है।
> पलाश ब्रांड
> स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादन के प्रचार-प्रसार तथा बिक्री हेतु झारखण्ड सरकार के सहयोग से झारखण्ड राज्य आजीविका संवर्द्धन सोसाइटी द्वारा 'पलाश ब्राण्ड' की स्थापना की गयी है।
> उड़ान (UDAAN)
> यह दीनदयाल अंत्येदय योजना (DAY-NRLM) के अंतर्गत राज्य के 23,779 आदिम भेद्य जनजातीय समूहों (PVTG) का 3 वर्ष के अंदर विकास करना है।
> इस परियोजना के तहत 1,562 PVTG स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है।
> गुटु गलांग कल्याण ट्रस्ट पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखण्ड में PVTG महिलाओं द्वारा एक थैला निर्माण इकाई स्थापित किया गया है जिसमें प्रतिदिन 2500 थैलों का निर्माण किया जाता है। इन थैलों का प्रयोग डाकिया योजना के अंतर्गत वस्तुओं की पैकेजिंग हेतु किया जाता है।
> JHIMDI
> जापान के द्वारा राज्य में JHIMDI (Jharkhand Horticulture Intensification by Micro Drip Irrigation Project) हेतु ऋण उपलब्ध कराया गया है।
> JHIMDI का उद्देश्य राज्य में टपकन-सिंचाई (drip-irrigation) के द्वारा मजबूत व सतत् कृषि आधारित आजी. विका उपलब्ध कराना है। इसके अंतर्गत राज्य के 9 जिले व 30 प्रखण्ड आच्छादित हैं।
> जोहार (JOHAR)
> जोहार (JOHAR - Jharkhand's Opportunities for Harnessing Rural Growth) परियोजना का संचालन विश्व बैंक * के सहयोग से किया जा रहा है।
> इस परियोजना का उद्देश्य चयनित कृषिगत एवं गैर-कृषिगत क्षेत्र में घरेलू आय में वृद्धि करना तथा उसमें विविधता लाना है।
> इस परियोजना के अंतर्गत राज्य के 2,00,000 ग्रामीण परिवारों तथा लगभग 3,500 कृषि उत्पादक समूहों के लाभान्वित होने के अनुमान है, जिनमें महिलाएँ मुख्य रूप से उत्पादन, प्रसंस्करण व विपणन गतिविधियों में संलग्न हों।
> इस परियोजना का संचालन राज्य के 17 जिलों में 68 प्रखण्डों में किया जा रहा है।
> पंचायती राज
> पंचायती राज संस्थाओं के अंतर्गत झारखण्ड राज्य में 24 जिला पंचायतें, 264 उप-जिला पंचायतें, 263 मध्यवर्ती पंचायतें, 4,364 ग्राम पंचायतें, 51 शहरी निकाय तथा 1 छावनी बोर्ड (रामगढ़) हैं।
> झारखण्ड राज्य में पंचायती राज व्यवस्था में कुल निर्वाचित प्रतिनिधियों में 50.6% भागीदारी महिलाओं की है।
> झारखण्ड राज्य में 16 जिलों में कुल 131 प्रखण्ड पेसा क्षेत्र के अंतर्गत अधिसूचित हैं जिसमें से 13 जिले पूर्णत: आच्छादित हैं तथा 3 जिले (पलामू, गढ़वा, गोड्डा) आंशिक रूप से आच्छादित हैं।
> नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार - 2020 यह पुरस्कार गिरिडीह जिला के बिरनी प्रखण्ड के कपिलो ग्राम पंचायत को दिया गया है।
> ग्राम पंचायत विकास योजना अवार्ड - 2020 - यह अवार्ड रामगढ़ जिले के डुलमी प्रखण्ड के होन्हे ग्राम पंचायत को दिया गया है।
> बाल-मित्र ग्राम पंचायत अवार्ड-2020 यह अवार्ड बोकारो जिले के पेटरवार प्रखण्ड के बुण्डु ग्राम पंचायत को दिया गया है। 1
5. शहरी विकास
> पेयजल एवं स्वच्छता
>>झारखण्ड राज्य के मात्र 27.3% ( भारत में 40.9% ) परिवारों को उनके आवासों में पाइपलाईन द्वारा पेयजल उपलब्ध है, जबकि राज्य के शहरी क्षेत्रों में यह आँकड़ा 46.15% है।
> राज्य के मात्र 54.9% परिवारों के पास अपना बाथरूम उपलब्ध है। भारत में यह आँकड़ा 75% है।
> राज्य के 22.4% परिवारों के बाथरूम तक पहुँच ही नहीं है। भारत में यह आँकड़ा 8.8% है।
> एलपीजी
> राज्य के शहरी क्षेत्रों में 67.8% लोगों के पास खाना बनाने हेतु एलपीजी ईंधन की सुविधा उपलब्ध हैस्तर पर यह आँकड़ा 86.6% है।
> सुशीला महिला समिति
> सुशीला महिला समिति राँची निगर निगम क्षेत्र में एक स्वयं सहायता समूह है।
> इस महिला समिति की सफलता की कहानी को डीडी नेशनल चैनल पर दिखाया गया है।
> इस महिला समिति का गठन सितंबर, 2019 में हरमू, राँची में किया गया था।
> इस महिला समिति की शुरूआत 10 महिलाओं द्वारा प्रति सदस्य ₹10 के योगदान से की गयी थी।
> इस महिला समिति की सदस्यों ने एलइडी बल्ल निर्माण का प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
> वर्तमान समय में एलइडी बल्ब बनाकर इस महिला समिति की सभी सदस्य प्रतिमाह 50 से 60 हजार रूपये की आमदनी प्राप्त कर रही हैं।
> मुख्यमंत्री श्रमिक योजना-2020
> मुख्यमंत्री श्रमिक (शहरी रोजगार मंजुरी फॉर कामगार) योजना की शुरूआत शहरी निर्धनों को रोजगार अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।
> इस योजना के तहत उन प्रवासी श्रमिकों को लाभ प्रदान करने का लक्ष्य है जो लॉकडाउन की अवधि में वापस अपने घर आ गये।
> इस योजना का संचालन मनरेगा के तर्ज पर किया जा रहा है, जिसमें काम हेतु आवेदन देने के 15 दिनों के अंदर 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है।
> रोजगार उपलब्ध नहीं कराने की स्थिति में लाभार्थी को बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है।
> झारखण्ड नगरीय विकास परियोजना (JMDP)
> इस परियोजना के संचालन हेतु 24 जून, 2019 को भारत सरकार, झारखण्ड सरकार तथा विश्व बैंक के बीच 147 मिलियन डॉलर हेतु एक समझौता किया गया है।
> इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य झारखण्ड के शहरी क्षेत्र के लोगों को आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराना तथा शहरी स्थानीय निकायों की प्रबंधन क्षमता में सुधार करना है।
> विश्व बैंक से प्राप्त राशि का प्रयोग जलापूर्ति, सिवरेज, जल निकासी, शहरी सड़कों के विकास तथा झारखण्ड शहरी अवसंरचना विकास कंपनी (JUIDCO) की क्षमता को मजबूत करने हेतु किया जायेगा।
> ऋण की यह राशि अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक द्वारा 22.5 वर्षों हेतु (7 वर्ष की रियायत अवधि सहित) दी गयी है।
> राँची स्मार्ट सिटी परियोजना
> राज्य की राजधानी राँची का चयन 25 मई, 2016 को स्मार्ट सिटी हेतु किया गया था।
> इस परियोजना के तहत राँची के एचइसी क्षेत्र में 656.30 एकड़ भूमि पर ग्रीनफील्ड परियोजना प्रस्तावित है।
> अमृत (AMRUT) मिशन
> अमृत मिशन के तहत झारखण्ड के 7 शहरों को शामिल किया गया है जिसमें राँची, धनबाद, चास, देवघर, आदित्यपुर, हजारीबाग तथा गिरिडीह शामिल हैं।
> अमृत मिशन के तहत शामिल शहरों में 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहर राँची ( 10.73 लाख) तथा धनबाद (11.62 लाख) हैं।
> अमृत मिशन के तहत स्वीकृत 46 परियोजनाओं में 34 परियोजनाएँ ( 33 पार्क एवं 01 जलापूर्ति) पूर्ण की जा चुकी हैं।
> नमामि गंगे परियोजना
> नमामि गंगे परियोजना के तहत स्वीकृत 12 योजनाओं में से 7 परियोजनाएँ पूर्ण की जा चुकी हैं।
6. कृषि एवं संबद्ध गतिविधियाँ
> राज्य के कुल सकल मूल्य वृद्धि में कृषि व संबद्ध क्षेत्र का योगदान 13 प्रतिशत है।
> राज्य के कुल कार्यबल का 43 प्रतिशत कृषि एवं संबंद्ध गतिविधियों पर निर्भर है।
> पिछले पाँच वर्षों में इस क्षेत्र में खरीफ एवं रबी दोनों फसलों के उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई है।
> राज्य में बागवानी, सब्जियों, डेयरी व मांस उत्पादन में भी वृद्धि दर्ज की गई है।
> भूमि के उपयोग की प्रवृत्ति
> राज्य के कुल क्षेत्रफल का 17.37% (1,385 हजार हेक्टेयर) शुद्ध बुआई क्षेत्र है।
> राज्य के कुल भूभाग का 17.38% चालू परती भूमि (पिछले एक वर्ष से कृषि कार्य नहीं) तथा 14.08% चालू परती के अलावा (1 से 5 वर्ष तक कृषि कार्य नहीं) है।
> भौगोलिक क्षेत्र के मामले में झारखण्ड से लगभग समानता रखने वाले राज्य छत्तीसगढ़ में शुद्ध बुआई क्षेत्र कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 33.94% है।
> राज्य के सकल फसली क्षेत्र का मात्र 15% ही सकल सिंचित क्षेत्र है।
> झारखण्ड राज्य की शस्य सघनता (Crop Intensity) 126% है।
> फसल
> वर्ष 2017-18 से 2019-20 के बीच राज्य में धान के कुल उत्पादन में 44% तथा प्रति हेक्टेयर उत्पादन में 36% की कमी दर्ज की गयी है।
> वर्ष 2017-18 से 2019-20 के बीच राज्य में मक्का के कुल उत्पादन में 24% तथा प्रति हेक्टेयर उत्पादन में 14% की कमी दर्ज की गयी है।
> सिंचाई
> राज्य के देवघर जिले में पुनासी जलाशय परियोजना लगभग पूर्ण हो चुकी है। पुनासी मुख्य नहर की लंबाई लगभग 72 किलोमीटर है।
> राज्य में कुल 4 वृहद् सिंचाई परियोजनाओं तथा 105 मध्यम सिंचाई परियोजनाओं का संचालन किया जा रहा है।
> कृषि वित्त
> राज्य में 2014-15 से 2019-20 के बीच कृषि क्षेत्र में ऋण के प्रवाह की दर में लगभग 7 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर्ज की गई हैं।
> राज्य में सभी सामान्य कंसीसी खातों को स्मार्ट केसीसी खातों में परिवर्तित किया रहा है ।
> स्मार्ट कंसीसी के तहत खाताधारक को एटीएम कार्ड की सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी ताकि डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा दिया जा सके।
> राज्य के 75.78% केसीसी खाताधारकों को स्मार्ट केसीसी के तहत रूपे कार्ड जारी किया जा चुका है।
> प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
> 2016 में लागू होने के बाद से इस योजना के तहत 2018-19 के रबी मौसम तक राज्य के 2.5 लाख किसानों को लाभ प्रदान किया जा चुका है।
> भंडारण
> मार्च, 2019 को राज्य में भंडारण 5.51 लाख मीट्रिक टन थी।
> मार्च, 2019 को राज्य में शीतगृह (कोल्ड स्टोरेज) क्षमता 2 लाख मीट्रिक टन थी।
> कृषि से संबंधित योजनाएँ
> झारखण्ड राज्य फसल राहत योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के स्थान पर इस योजना की शुरूआत वित्तीय वर्ष 2020-21 में की गयी है। इस योजना के अंतर्गत प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल के नुकसान होने पर आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। योजना के तहत पंजीकृत किसानों को मुआवजे की राशि को बीमा कंपनी के द्वारा की जाएगी। इस योजना की शुरूआत ₹100 करोड़ की राशि से की गयी है।
> झारखण्ड कृषि ऋण माफी योजना - इस योजना की शुरूआत 2020-21 में की गई है। इस योजना की शुरूआत ₹2000 करोड़ की राशि से की गयी है। यह एक ऋण माफी योजना है जिसके तहत मानक फसल ऋण बकाया खातों में ₹50,000 तक के बकाया राशि माफ किये जायेंगे।
7. खाद्य सुरक्षा एवं पोषण सुरक्षा
> राज्य में लगभग 56.85 लाख परिवार अथवा 2.61 व्यक्ति PHH (Primary Household) एवं AAY (Antyoday Anna Yojana) के दायरे में शामिल हैं।
> राज्य में बाल मातृत्व पोषण स्वास्थ्य में सुधार हेतु 2019-20 एवं 2020-21 में पोषण अभियान का संचालन किया गया।
> अनाज भंडार
> राज्य में चावल का सर्वाधिक स्टॉक पूर्वी सिंहभूम, गेहूँ का दुमका, नमक का लातेहार तथा चीनी का धनबाद में है।
> गोदाम निर्माण
> राज्य में अनाजों के भण्डारण हेतु गोदामों के निर्माण के उद्देश्य से 2008 से निजी उद्यमिता गारंटी (PEG) योजना का संचालन किया जा रहा है।
> PEG योजना के तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी के आधार पर भंडारण-गोदामों का निर्माण किया जा रहा है।
> पीडीएस डीलर एवं उचित मूल्य की दुकान
> राज्य में कुल 25,549 पीडीएस डीलर तथा 24,281 उचित मूल्य की दुकानें संचालित हैं।
> पीडीएस डीलर की सर्वाधिक संख्या राँची (2,213), गिरिडीह ( 2,195) तथा धनबाद (1,670) है, जबकि पीडीएस डीलर की न्यूनतम संख्या लोहरदगा (402) है।
> राज्य के कुल उचित मूल्य की दुकानों में से 86.6% का संचालन व्यक्तिगत तौर पर जबकि 11.4% का संचालन स्वयं सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है।
> राशन कार्ड
> राज्य में चार प्रकार के राशन कार्ड ( रंग के आधार पर) लाभार्थियों को उपलब्ध कराया जाता है
1. गुलाबी – PHH हेतु
2. पीला – AAY हेतु
3. हरा – जो PHH एवं AAY में शामिल नहीं हैं
4. सफेद – जिनकी वार्षिक आय ₹1 लाख से अधिक है
> विशेष खाद्य सुरक्षा योजना
> राज्य के ऐसे लोग जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून का लाभ नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं, उनके लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष खाद्य सुरक्षा योजना का संचालन किया जा रहा है।
> इस योजना का लाभ राज्य के 15 लाख लोगों को होगा।
> इस योजना के तहत लाभार्थियों को ₹1 रूपये की दर पर पाँच किग्रा अनाज प्रतिमाह उपलब्ध कराया जायेगा।
> इस योजना के लाभार्थियों को PHH, अंत्योदय एवं PVTG में वर्गीकृत किया गया है।
> इस योजना में वृद्धजनों तथा दिव्यांगों को सर्वाधिक प्राथमिकता दी गयी है।
> अनाजों का वितरण
> झारखण्ड राज्य में पीडीएस के माध्यम से चावल, गेहूँ, नमक, चीनी तथा किरोसिन तेल का वितरण किया जाता है।
> कोविड- 19 लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत दाल व चना का भी वितरण किया गया है।
> कोविड – 19 के दौरान जरूरतमंद लोगों को 100 रूपये मूल्य का विशेष भोजन पैकेट निःशुल्क वितरित किया गया जिसमें 2 किग्रा चुड़ा, 500 ग्राम गुड़ तथा 500 ग्राम चना शामिल था।
> इस विशेष भोजन पैकेट का वितरण राँची जिला में 5000 तथा शेष सभी 23 जिलों में 2000 व्यक्ति प्रति जिला करने का लक्ष्य रखा गया था।
> विशेष प्रकार के दाल-भात केन्द्र
> विशेष दाल-भात केन्द्र – 200 जरूरतमंद लोगों को प्रतिदिन निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस प्रकार के 498 केन्द्रों के संचालन की स्वीकृति दी गयी थी।
> विशिष्ट दाल-भात केन्द्र - कोविड-19 महामारी के दौरान खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उपरोक्त मॉडल पर 361 केन्द्र के संचालन की स्वीकृति दी गयी थी।
> अतिरिक्त दाल-भात केन्द्र - लॉकडाउन के बाद इस प्रकार के 382 केन्द्रों का संचालन थाना (पुलिस स्टेशन) स्तर पर किया गया जिसका उद्देश्य 200 लोगों को प्रतिदिन निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराना था।
> प्रवासी मजदूर दाल-भात केन्द्र - इस प्रकार के 94 केन्द्रों का संचालन राष्ट्रीय राजमार्ग तथा राज्य राजमार्ग के किनारे किया गया जिसका उद्देश्य घर लौट रहे लोगों को एक समय का भोजन निःशुल्क उपलब्ध कराना था।
> मुख्यमंत्री दाल-भात योजना
> इस योजना के तहत निर्धन लोगों को ₹5 की दर पर एक समय का भोजन उपलब्ध कराया जाता है।
> इस योजना के अंतर्गत राज्य में 377 दाल-भात केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। साथ ही 11 रात्रि दाल-भात केन्द्रों का संचालन भी किया जा रहा है।
> इसके अतिरिक्ति राज्य के राँची तथा जमशेदपुर में बढ़ी हुई गुणवत्ता तथा सुविधाओं के साथ पायलट आधार पर मुख्यमंत्री कैंटीन योजना का संचालन किया जा रहा है।
> PVTG डाकिया योजना
> इस योजना का संचालन अप्रैल, 2017 से किया जा रहा है।
> इस योजना के तहत PVTG परिवारों को 35 किग्रा अनाज उनके घर पर निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है।
> वर्तमान समय में राज्य में PVTG परिवारों की संख्या 73,618 है।
> झारखण्ड राज्य आकस्मिक खाद्यान्न कोष
> राज्य में भूख से होने वाले मौत को रोकने हेतु जिला स्तर से लेकर पंचायत स्तर तक वित्तीय वर्ष 2018-19 में इस कोष का निर्माण किया गया था।
> इस कोष में जमा राशि से योग्य लाभार्थियों को निःशुल्क अथवा स्थानीय बाजार समिति द्वारा निर्धारित दर से कम पर 10 किग्रा चावल उपलब्ध कराया जाता है।
> झारखण्ड में मातृत्व मृत्यु दर
> '2016-18 के लिए भारत में मातृत्व मृत्यु पर विशेष बुलेटिन' के अनुसार झारखण्ड में मातृत्व मृत्यु दर 71 दर्ज किया गया है, जो राष्ट्रीय औसत 113 से काफी कम है।
> निम्न मातृत्व मृत्यु के मामले में केरल (43), महाराष्ट्र (46), तमिलनाडु (60) तथा आंध्र प्रदेश (65) के बाद झारखण्ड का चौथा स्थान है।
> ज्ञात हो कि 2004-06 की अवधि में झारखण्ड राज्य में मातृत्व मृत्यु दर 312 थी।
8. उद्योग
> वर्ष 2019-20 में झारखण्ड के सकल राज्य राज्य मूल्य वृद्धि में उद्योग क्षेत्र का योगदान 42% रहा है।
> औद्योगिक क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान वाले क्षेत्र विनिर्माण ( 54% ), खनन व उत्खनन ( 21.3% ) तथा निर्माण (21.1%) प्रमुख हैं।
> 2015-16 से 2017-18 के बीच राज्य में स्थायी पूँजी की वृद्धि दर 41% रही है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आँकड़ा 17% रहा है। स्पष्ट है इस दौरान राज्य में दीर्घावधिक निवेश की दर राष्ट्रीय स्तर से अधिक रहा है।
> इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण कलस्टर
> पूर्वी का भारत का पहला व सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण कलस्टर (Electronic Manufacturing Cluster) जमशेदपुर के आदित्यपुर में शुरू किया जा रहा है।
> इस कलस्टर का विस्तार 82 एकड़ भूभाग पर होगा।
> इस कलस्टर का निर्माण जियाडा (JIADA) द्वारा ₹186 करोड़ की राशि से किया जा रहा है, जिसमें केन्द्र सरकार द्व रा ₹41.48 करोड़ राशि का सहयोग प्रदान किया गया है।
> इस कलस्टर में एलइडी टीवी, एलइडी बल्ब तथा मोबॉइल व ऑटोमोबाइल में प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ-साथ चिप निर्माण हेतु इकाईयों की स्थापना की जाएगी।
> प्लास्टिक पार्क
> केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने राज्य के देवघर जिले में एक प्लास्टिक पार्क की स्थापना हेतु स्वीकृति प्रदान की है।
> यह परियोजना जीडको (JIIDCO Jharkhand Industrial Infrastructure Development Corporation) के प्राधिकार में कार्यरत होगा।
> इस परियोजना का निर्माण ₹120 करोड़ की राशि से 150 एकड़ क्षेत्र में किया जाएगा।
> इस पार्क में विभिन्न प्रकार के पॉलिमर उत्पादों का निर्माण किया जाएगा जिसमें मॉल्डेड फर्नीचर, पानी की टंकी, मच्छरदानी आदि शामिल हैं।
> इस पार्क की स्थापना के साथ-साथ यहाँ सीपेट (CIPET- Central Institute for Plastic Engineering & Technology) की भी स्थापना की जाएगी।
> खनन
> झारखण्ड राज्य में देश के कुल खनिज भंडार का 40% उपलब्ध है।
> झारखण्ड राज्य देश में कोकिंग कोयला, यूरेनियम एवं पाइराईट का एकमात्र उत्पादक राज्य है।
> कोयला, अभ्रक, केसानाइट तथा तांबा के उत्पादन की दृष्टि से झारखण्ड का देश में पहला स्थान है।
> पिछले वर्षों में उद्योग में खनन योगदान में कमी आयी है। 2015-16 में 30.16% से कम होकर इसका कुछ योगदान 2019-20 में 21.34% हो गया है।
> खनन क्षेत्र रॉयल्टी संग्रहण की दृष्टि से राज्य के जिलों में धनबाद ( 25.66% ) का प्रथम स्थान है। इसके बाद क्रमशः पश्चिमी सिंहभूम व चतरा का स्थान है। रॉयल्टी संग्रहण की दृष्टि से राज्य का गढ़वा जिला अंतिम स्थान पर है।
> सेरीकल्चर, हैंडलूम तथा हस्तशिल्प उद्योग
> झारखण्ड का देश में तसर रेशम उत्पादन की दृष्टि से पहला स्थान है। देश के कुल तसर उत्पादन का 76.4% राज्य में उत्पादित किया जाता है।
> इस उद्योग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य में 2006 में झारक्रॉफ्ट (JHARCRAFT) की स्थापना की गयी है।
> झारखण्ड में विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ)
> राज्य के गोड्डा जिले के मोटिया, माली, गायघाट तथा आसपास के गाँवों में विद्युत उत्पादन हेतु विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की स्थापना हेतु अडानी पावर लिमिटेड को स्वीकृति प्रदान की गयी है।
> इस परियोजना की कुल लागत ₹14,000 करोड़ है।
> यहाँ 2022 तक एक कोयला आधारित ताप विद्युत परियोजना का निर्माण किया जाएगा जिससे 1600 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा।
> इस परियोजना से उत्पादित बिजली में से 1,496 मेगावाट बिजली की आपूर्ति बांग्लादेश बिजली विकास बोर्ड को की जाएगी।
> व्यापार सुगमता
> केन्द्र सरकार द्वारा जारी व्यापार सुगमता रिपोर्ट में झारखण्ड राज्य का रैंक 5वाँ (2019 में ) रहा है।
> इस रिपोर्ट में झारखण्ड को 98.05 अंक प्राप्त हुआ है।
> इस रिपोर्ट में आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना तथा मध्य प्रदेश क्रमश: प्रथम, द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ स्थान पर रहे हैं।
> वर्ष 2017 में 98.05 अंकों के साथ झारखण्ड का स्थान चौथा था।
9. अवसंरचना तथा संचार
> ऊर्जा उत्पादन
> झारखण्ड राज्य में कुल ऊर्जा उत्पादन हेतु कुल स्थापित क्षमता में कोयला का योगदान 91% है।
> राज्य में कोयला आधारित तापीय संयंत्र से 2,276.46 मेगावाट विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है।
> राज्य के कुल ऊर्जा उत्पादन में जल आधारित विद्युत का योगदान 8% तथा नवीरकणीय ऊर्जा का योगदान 1% है।
> 2009-10 से 2019-20 के बीच राज्य में विद्युत उपलब्धता, विद्युत आवश्यकता से लगातार कम रहा है (2015-16 तथा 2018-19 को छोड़कर ) ।
> ऊर्जा उपभोग
> झारखण्ड राज्य में ऊर्जा का सर्वाधिक उपभोग घरेलू क्षेत्र द्वारा ( 68.48% ) किया जाता है । इसके बाद क्रमशः उद्योग (26.11%), वाणिज्यिक क्षेत्र ( 9.37% ) तथा रेलवे ( 2.07% ) का स्थान है। कृषि क्षेत्र द्वारा ऊर्जा उपभोग का प्रतिशत मात्र 1.47% है।
> झारखण्ड बिजली वितरण निगम लिमिटेड की पहल
> सरल - समीक्षा (SARAL-SAMIKSHA) यह एक ऑनलाइन प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग टूल है जिसके माध्यम से कार्यरत परियोजनाओं, ट्रांस्फर्मर रिपेयरिंग आदि की रियल-टाइम मॉनिटरिंग की जा सकती है।
> सुविधा (SUVIDHA) केन्द्र सरकार के सौभाग्य योजना के अंतर्गत, झारखण्ड बिजली वितरण निगम लि. ने राज्य में सभी घरों को 2018 तक विद्युत कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया था। इन्ही लक्ष्यों के आलोक में सुविधा का संचालन किया गया।
> सक्षम (SAKSHAM) इसका उद्देश्य बिजली विभाग में कार्यरत कर्मचारियों की क्षमता में वृद्धि करना तथा उनमें आपसी प्रतिस्पर्द्धा का विकास करना है।
> सशक्त (SASHAKT) - इसका उद्देश्य राज्य में उच्च उपभोक्ता सेवा प्रदान करना तथा उपभोक्ता की शिकायतों का निवारण करना है। इसके माध्यम से उपभोक्ताओं को नई तकनीक आधारित शिकायत करने का प्लेटफार्म प्रदान किया जायेगा।
> सड़क
> राष्ट्रीय राजमार्ग- झारखण्ड राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग की कुल लंबाई 3,367 किमी. (2020 में) है। 2018 में राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग की कुल लंबाई 2,649 किमी. थी। इस प्रकार 2018 से 2020 के बीच राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग में 27% की वृद्धि दर्ज की गयी है।
> राज्य राजमार्ग – झारखण्ड राज्य में राज्य राजमार्ग की कुल लंबाई 1231.9 किमी. है।
> राष्ट्रीय राजमार्ग – झारखण्ड राज्य में सड़क घनत्व 159.78 किमी./1000 वर्ग किमी. है। राष्ट्रीय स्तर पर यह आँकड़ा 226 किमी./प्रति वर्ग है।
> रेलवे
> झारखण्ड राज्य दक्षिण-पूर्वी रेलवे जोन के अंतर्गत आता है।
> राँची रेलवे डिवोजन का निर्माण 2003 में किया गया था। इसका उद्देश्य राज्य में रेल नेटवर्क, रेल अवसंरचना तथा रेलवे सुविधाओं का विकास करना है।
> वायु परिवहन
> देवघर अवाई अड्डा देवघर में हवाई अड्डा के निर्माण हेतु झारखण्ड सरकार, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण तथा डीआरडीओ के बीच एक समझौता ज्ञापन पर मार्च, 2017 में हस्ताक्षर किया गया था।
> देशभर में प्रस्तावित हवाई अड्डे की कुल लागत ₹300 करोड़ है जिसमें से ₹50 करोड़ झारखण्ड सरकार द्वारा. ₹50 करोड भारतीय विमानपत्तन प्राधिकारण द्वारा तथा ₹200 करोड़ डीआरडीओ द्वारा वहनीय होगा।
> धालभूमगढ़ अवाई अड्डा - धालभूमगढ़ हवाई अड्डा (जमशेदपुर) के विकास हेतु झारखण्ड सरकार तथा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के बीच 2019 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है।
> सीपीएल ट्रेनिंग संस्थान राज्य के दुमका में सीपीएल ट्रेनिंग संस्थान की स्थापना हेतु झारखण्ड सरकार ने जायन एविएशन प्राईवेट लि. के साथ समझौता किया है।
> आरसीएस-उड़ान राज्य के दुमका तथा बोकारो में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी स्कीम, उड़े देश का आम नागरिक (RCS-UDAN) योजना के तहत हवाई अड्डा का निर्माण प्रस्तावित है।
दूरसंचार
> दूरसंचार – झारखण्ड राज्य में दूरसंचार घनत्व ( प्रति 100 व्यक्तियों पर टेलिफोन व मोबाइल की दूरसंचार घनत्व संख्या) 2018 के 62.25 से कम होकर 2019 में 58.92 हो गया है।
> निर्भरता अनुपात
> वर्ष 2018-19 में झारखण्ड राज्य में निर्भरता अनुपात 58.3 (भारत-46.6) रहा है।
> झारखण्ड के शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में निर्भरता अनुपात अधिक रहा है।
10. सिक्षा
> झारखण्ड राज्य में 2018-19 में साक्षरता दर में लिंग समानता 0.82 ( भारत 0.83) है। 2001 में यह 0.58 (भारत 0.71) था।
> विद्यालयों का विलय
> राज्य में विभिन्न विद्यालयों के विलय के पश्चात् 2016-17 से 2019-20 के बीच विद्यालयों की संख्या में 11.53 प्रतिशत की कमी आई है।
> छात्र - शिक्षक अनुपात
> राज्य में सभी स्तर के विद्यालयों को मिलाकर छात्र शिक्षक अनुपात 37.8 है।
> प्राथमिक विद्यालयों में छात्र शिक्षक अनुपात 28.6 ( शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 30 होना चाहिए) तथा उच्च-प्राथमिक विद्यालयों में छात्र शिक्षक अनुपात 39.6 (शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 35 होना चाहिए) है।
> शिक्षा में सुधार हेतु सरकारी पहल
> जीरो ड्रॉप-आउट पंच विद्यालयों में ड्रॉप-आउट की दर को कम करने हेतु इस पहल की शुरूआत 2016-17 में की गयी है।
> अभी राज्य के 1,828 पंचायतों को 'जीरो ड्रॉप-आउट पंचायत' घोषित किया जा चुका है।
> राज्य के 16,699 विद्यालयों को 'जीरो-ड्रॉप आउट विद्यालय' घोषित किया जा चुका है।
> मॉडल विद्यालय
> राज्य के 89 प्रखण्ड मुख्यालयों में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों की स्थापना मॉडल विद्यालय के रूप में की गयी है।
> समर्थ आवासीय विद्यालय
> राज्य के विभिन्न जिलों में 20 समर्थ विद्यालयों की स्थापना की गयी है।
> इन 20 में 18 समर्थ विद्यालयों में नक्सल गतिविधियों से प्रभावित बच्चों, अनाथ बच्चों तथा एकल अभिभावक के बच्चों को कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई करायी जाती है।
> शेष 2 समर्थ विद्यालयों की स्थापना राँची तथा पश्चिमी सिंहभूम जिले में आवासीय विद्यालयों के रूप में की गयी है। इन दोनों समर्थ विद्यालयों में मानव तस्करी की शिकार बच्चियों को कक्षा 8 तक की शिक्षा प्रदान की जाती है।
> ई-विद्यावाहिनी
> ज्ञानोदय योजना के अंतर्गत ई-विद्यावाहिनी पहल को शुरू किया गया गया है।
> इसे ₹120 करोड़ के प्रारंभिक बजट के साथ शुरू किया गया है।
> इस योजना का संचालन झारखण्ड एकेडमिक काउंसिल द्वारा जैप-आईटी तथा एनआईसी के सहयोग से की जा रही है।
> साथी - ई (SATHE-E)
> झारखण्ड राज्य को शिक्षा के क्षेत्र में मॉडल राज्य में परिवर्तित करने तथा अकादमिक प्रतिस्पर्द्धा निर्मित करने के उद्देश्य से नीति आयोग द्वारा 'साथी-ई परियोजना के तहत 2017-18 में झारखण्ड राज्य का चयन किया गया है।
> इस परियोजना को राज्य के आकांक्षी जिलों ( वर्तमान में 17 जिले) में लागू किया गया है जिसके लिए नीति आयोग, झारखण्ड सरकार तथा बीसीजी ( बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप) के बीच त्रिपक्षीय समझौता किया गया है।
> ज्ञान सेतु
> राज्य में कक्षा 1 से 9 तक के छात्र-छात्राओं के अकादमिक उपलब्धियों में वृद्धि करने के उद्देश्य से 'ज्ञान सेतु' को सभी जिलों में लागू किया गया है।
> साक्षर भारत कार्यक्रम
> राज्य में 80% की साक्षरता दर के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु इस कार्यक्रम की शुरूआत की गयी है।
> इस कार्यक्रम का दूसरा प्रमुख उद्देश्य साक्षरता में लैंगिक असमानता को 10% तक लाना है।
> बालिकाओं की छात्रवृत्ति
> राज्य में बालिका ड्रॉप-आउट दर को कम करने के उद्देश्य से अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की उन बालिकाओं को जिन्होनें 5वीं कक्षा उतीर्ण कर ली है, उन्हें उच्च कक्षा में नामांकन कराने पर ₹2000 की राशि प्रदान की जाती है।
> क्षेत्रीय भाषाओं में पुस्तकों का प्रकाशन
> जनजातीय तथा क्षेत्रीय भाषाओं के छात्र-छात्राओं को पढ़ाई में सहुलियत प्रदान करने हेतु पाँच जनजातीय भाषाओं (मुण्डारी, हो, संथाली, खड़िया तथा कुडुख ) एवं दो क्षेत्रीय भाषाओं (ओडिसी एवं बंगाली) में पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है।
> स्वच्छ विद्यालय प्रतियोगिता
> स्वच्छ विद्यालय प्रतियोगिता (2017-18) में झारखण्ड के 52 विद्यालयों को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया जा चुका है।
> देश के सभी राज्यों के बीच झारखण्ड राज्य को 'तीसरा' तथा राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के बीच 'चौथा' स्थान प्राप्त हुआ। वहीं पूर्वी व उत्तर-पूर्वी राज्यों में झारखण्ड को 'प्रथम' स्थान प्राप्त हुआ।
> उच्च शिक्षा
> झारखण्ड राज्य में कुल विश्वविद्यालयों की संख्या 32 है, जिसमें 07 विश्वविद्यालयों की स्थापना वर्ष 2019-20 में की गयी है।
> राज्य में विश्वविद्यालय
1. केन्द्रीय विश्वविद्यालय – 01
2. राष्ट्रीय महत्व के संस्थान – 05
3. राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालय – 11
4. राज्य निजी विश्वविद्यालय – 14
5. डीम्ड विश्वविद्यालय – 01
11. स्वास्थ्य एवं पोषण
> वर्ष 2020 में झारखण्ड राज्य की अनुमानित जनसंख्या 3.7 करोड़ है, जिसमें 1.9 करोड़ पुरुष तथा 1.8 करोड़ महिलाएँ शामिल हैं।
> कोरानावायरस - 19
> राज्य में कोरोना वायरस का पहला मामला 31 मार्च, 2020 को राँची में दर्ज किया गया था।
> राज्य के राँची जिले में कोरोना वायरस के सर्वाधिक मामले ( 26% ) दर्ज किये गये । पूर्वी सिंहभूम जिला ( 16% ) दूसरे स्थान पर रहा।
> कोरोना से मौत के मामले में पूर्वी सिंहभूम ( 36% ) पहले स्थान पर रहा, जबकि राँची (21%) दूसरे स्थान पर रहा।
> जननी सुरक्षा योजना
> जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत संस्थागत प्रसव के मामले में गढ़वा ( 90% ) सर्वोच्च स्थान पर रहा है। रामगढ़ तथा पूर्वी सिंहभूम ( दोनों 50% से कम) इस मामले में क्रमशः 24वें व 23वें स्थान पर रहे हैं।
> पोषण अभियान / राज्य पोषण मिशन
> पोषण अभियान केन्द्र प्रायोजित कार्यक्रम है जिसके तहत बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा दुग्धपान कराने वाली माताओं के पोषण स्तर में सुधार का प्रयास किया जाता है।
> झारखण्ड राज्य पोषण मिशन राज्य प्रायोजित कार्यक्रम है जिसे 2017 में शुरू किया गया था।
> राष्ट्रीय गैर-कृमि दिवस के अवसर पर 1 से 19 वर्ष के बच्चों को अल्बेन्डाजोल की गोलियाँ वर्ष में दो बार देने की शुरूआत की गयी ।
> झारखण्ड मातृ शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण माह के तहत 9 माह से 5 वर्ष की उम्र के बच्चों को विटामिन-ए की गोलियाँ वर्ष में दो बार उपलब्ध कराने की शुरूआत की गयी ।
> 'एनेमिया मुक्त भारत' कार्यक्रम के तहत आयरन फोलिक एसिड (IFA) सप्लीमेंट दिया गया, जिसका विवरण इस प्रकार है –
1. IFA सीरप – 6 माह से 5 वर्ष हेतु
2. IFA Pink Tablet - 5 वर्ष से 10 वर्ष हेतु
3. IFA Blue Tablet – 10 वर्ष से 19 वर्ष हेतु
4. IFA Red Tablet - गर्भवती, दुग्धपान कराने वाली तथा प्रजनन करने वाली महिलाओं हेतु
> स्वास्थ्य बीमा
> झारखण्ड राज्य के शहरी क्षेत्र में कुल आबादी के मात्र 2.2% लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा की सुविधा उपलब्ध है।
12. पेयजल एवं स्वच्छता
> राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में मात्र 10.73 परिवारों की (राष्ट्रीय औसत 33.47% ) ही पाइप द्वारा जलापूर्ति तक पहुँच है। अर्थात् राज्य ग्रामीण क्षेत्रों के 89.27 परिवार पेयजल हेतु अन्य जलीय स्रोतों पर निर्भर हैं।
> ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप द्वारा जलापूर्ति के मामले में राँची ( 27.57% परिवारों को उपलब्ध) का पहला, रामगढ़ का दूसरा तथा गिरिडीह का तीसरा स्थान है, जबकि पाकुड़ ( 1.63% ) का अंतिम स्थान है।
> जल जीवन मिशन के तहत 2024 तक ग्रामीण क्षेत्रों में सभी घरों तक FHTC (Functional Household Tap Connection) की सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।
> FHTC की उपलब्धता के मामले में देश के राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में झारखण्ड का 27वाँ स्थान है।
> 2018-19 में झारखण्ड राज्य को 'खुले में शौच से मुक्त' घोषित किया जा चुका है।
> नैना आजीविका विकास समूह
> यह रामगढ़ जिले के दुलमी प्रखण्ड के जमीरा ग्राम पंचायत में जैरो गाँव की एक स्वयं सहायता समूह है।
> इस स्वयं सहायता समूह ने गाँव के 50 से अधिक घरों के शौचालयों पर महत्वपूर्ण संदेश के साथ चित्रकारी की है।
> इस चित्रकारी के माध्यम से लोगों में स्वच्छता को प्रोत्साहन, कोरोना महामारी से बचाव के उपाय आदि के प्रति जागरूकता का प्रयास किया गया है।
> रेडियो फ्रीक्वेंसी आधारित कचरा संग्रहण प्रणाली
> राँची नगर निगम द्वारा रेडियो फ्रीक्वेंसी आधारित कचरा संग्रहण प्रणाली को लागू करने हेतु योजना तैयार की गयी है।
> इसके अंतर्गत दो लाख घरों में कचरे के डिब्बे पर RFID टैग लगाया जाएगा, जिसके माध्यम से नगर निगम के नियंत्रण केन्द्र द्वारा रियल टाइम आधारित कचरा संग्रहण किया जा सकेगा।
13. महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा
> झारखण्ड राज्य में वित्तीय वर्ष 2019-20 से बाल बजट की शुरूआत की गयी है।
> राज्य के 17 चयनित जिलों में तेजस्विनी योजना का संचालन किया जा रहा है जिसका उद्देश्य किशोरियों व युवा महिलाओं का सामाजिक-आर्थिक विकास करना है।
> आंगनबाड़ी-कर्मी
> आंगनबाड़ी कर्मियों को अतिरिक्त पारिश्रमिक दिया जा रहा है। इसके तहत कार्यकर्ताओं को ₹1900, मिनी आंगनबाड़ी कर्मियों को ₹1200 तथा सहायिकाओं को ₹950 अतिरिक्त पारिश्रमिक दिया जा रहा है।
> स्वामी विवेकानंद निःशक्त स्वावलंबन प्रोत्साहन योजना
> इस योजना के तहत 5 वर्ष से अधिक उम्र के सभी व्यक्तियों को प्रति माह पेंशन ₹600 रूपये प्रदान किया जाता था, जिसे वित्तीय वर्ष 2020-21 से बढ़ाकर ₹1,000 कर दिया गया है।
> मुख्यमंत्री राज्य वृद्धावस्था पेंशन योजना
> इस योजना के तहत विधवा, दिव्यांग, छुड़ाए गये बंधुआ श्रमिक (18 वर्ष से अधिक उम्र के) तथा 60 वर्ष से अधिक उम्र के असहाय व्यक्तियों को, जिनकी वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्रों में ₹10500 से कम तथा शहरी क्षेत्रों में ₹12,500 से कम हो, को 1,000 प्रति माह पेंशन उपलब्ध कराया जाता है।
> पेंशन की इस राशि को राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
> आदिम जनजाति समूहों हेतु मुख्यमंत्री राज्य पेंशन योजना
> इस योजना के तहत राज्य के 8 आदिम जनजाति समूह परिवार के एक व्यक्ति को ₹1,000 रूपये प्रति माह पेंशन की राशि उपलब्ध करायी जाती है।
> मुख्यमंत्री राज्य विधवा सम्मान पेंशन योजना
> इस योजना के तहत 18 वर्ष से अधिक उम्र की विधवा महिलाओं को ₹1,000 रूपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता पेंशन के रूप में उपलब्ध करायी जाती है।
> HIV/AIDS पीड़ित व्यक्ति हेतु मुख्यमंत्री राज्य पेंशन योजना
> इस योजना के तहत HIV/AIDS से प्रभावित व्यक्तियों को ₹1,000 रूपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता पेंशन उपलब्ध करायी जाती है। Tag
14. जनजातीय कल्याण व वंचितों हेतु हस्तक्षेप
> झारखण्ड के जनजातियों में साक्षरता दर 57.1% है तथा इनमें सर्वाधिक साक्षरता दर उराँव जनजाति (67%) में है।
> राज्य में जनजातीय पुरूषों की साक्षरता दर 68.2% तथा जनजातीय महिलाओं की साक्षरता दर मात्र 58.1% है।
> झारखण्ड के जनजातियों में लिंगानुपात 1003 है जब सर्वाधिक लिंगानुपात वाली जनजाति हो ( 1021 ) है।
> झारखण्ड के जनजातियों में बाल लिंगानुपात 976 है जबकि सर्वाधिक बाल लिंगानुपात वाली जनजाति बैगा (1104) है।
> राज्य में उच्च अनुसूचित जनजाति की आबादी वाले जिलों में अनुसूचित जाति की आबादी का संकेन्द्रण कम है।
> बिहार की सीमा से संलग्न जिलों में अनुसूचित जाति की आबादी का संकेन्द्रण अधिक है।
> राज्य के 22 अनुसूचित जाति में सर्वाधिक आबादी वाली अनुसूचित जाति चमार (26% ) है।
> राज्य में अनुसूचित जनजाति का सर्वाधिक प्रतिशत वाला जिला खूँटी ( 73.26% ) तथा न्यूनतम प्रतिशत वाला जिला कोडरमा (0.9 है।
> राज्य में अनुसूचित जाति का सर्वाधिक प्रतिशत वाला जिला पलामू ( 27.65% ) तथा न्यूनतम प्रतिशत वाला जिला पाकुड़ (3.16%) है।
> आदिम जनजाति समूह
> राज्य की कुल जनजातीय आबादी में आदिम जनजाति की भागीदारी 3.4% है।
> राज्य की आदिम जनजातियों का जनसंख्या के आधार पर क्रम इस प्रकार है - माल सौरिया
पहाड़िया (46%), पहाड़िया (16%), कोरवा (12%), परहिया (9%), असुर (8%), बिरहोर ( 4% ), सवर (3%) तथा बिरजिया (2%)।
> कोरवा जनजाति की 88% तथा परहिया जनजाति की 93% आबादी गढ़वा, पलामू तथा लातेहार जिले में निवास करती है।
> सौरिया पहाड़िया जनजाति की 98% तथा माल पहाड़िया जनजाति की 56% आबादी पाकुड़, साहेबगंज तथा गोड्डा जिले में निवास करती है।
> सवर जनजाति का संकेन्द्रण मुख्यतः पूर्वी सिंहभूम में है।
> असुर जनजाति का संकेन्द्रण मुख्यतः गुमला, हजारीबाग, लोहरदगा, रामगढ़ तथा लातेहार जिले में है।
> बिरजिया जनजाति का संकेन्द्रण मुख्यतः गुमला तथा लातेहार जिले में है।
> झारखण्ड राज्य में शहरी निर्धनता की तुलना में ग्रामीण निर्धनता का प्रतिशत अधिक है।
> झारखण्ड राज्य में निर्धनता का प्रतिशत ( 39.1% ) राष्ट्रीय औसत ( 29.8% ) की तुलना में अधिक है।
> साइकल वितरण योजना
> इस योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के छात्र-छात्राओं को विद्यालय जाने हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से साइकल का क्रय करने हेतु 3,000 की राशि दी जाती थी, जिसे वित्तीय वर्ष 2018-19 बढ़ाकर 3,500 रूपये कर दिया गया है ।
> स्वास्थ्य सुविधाएँ
> चिकित्सा सहायता राज्य के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़े वर्ग के समुदायों को चिकित्सीय सहायता के रूप में ₹10,000 की राशि प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत योग्य लाभार्थी को ₹3,000 तक की स्वीकृति जिला कल्याण पदाधिकारी द्वारा तथा अत्यंत विकट मामलों में ₹10,000 तक की स्वीकृति उपायुक्त द्वारा दी जाती है।
> पहाड़िया स्वास्थ्य योजना- पहाड़िया जनजाति को स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य में 18 पहाड़िया स्वास्थ्य उपकेन्द्रों का संचालन संथाल परगना के चार जिलों (पाकुड़, साहेबगंज, दुमका, गोड्डा ) में किया जा रहा है।
> कल्याण अस्पताल - वंचित वर्गों (विशेषत: अनुसूचित जनजाति) को निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य में 14 कल्याण अस्पताल ( पूर्व में ग्रामीण अस्पताल या मेसो अस्पताल) का संचालन किया जा रहा है। इन अस्पतालों में 50 बेड की सुविधा होती है।
> बिरसा आवास योजना
> बिरसा आवास योजना का संचालन राज्य गठन के बाद से कल्याण विभाग द्वारा किया जा रहा है।
> इस योजना के तहत आदिम जनजाति के परिवारों को आवासीय सुविधा हेतु 100% अनुदान दिया जाता है।
> इस योजना के तहत लाभार्थी परिवार को आवास निर्माण हेतु ₹1,31,500 की राशि प्रदान की जाती है।
> शहीद ग्राम विकास योजना
> इस योजना की शुरूआत 2017-18 में की गयी है।
> इस योजना का प्रमुख उद्देश्य स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले राज्य के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके गाँवों का मॉडल गाँव के रूप में विकास करना है।
> इसके अंतर्गत शहीदों के गाँव में आवास, जलापूर्ति, सौर ऊर्जा व अन्य मूलभूत सुविधाओं का विकास किया जायेगा।
> आजीविका सुरक्षा
> कौशल विकास प्रेझा फाउंडेशन द्वारा राज्य में 22 कल्याण गुरुकुल का संचालन किया जा रहा है, प्रमुख उद्देश्य अनुसूचित जाति/जनजाति व अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं तथा युवाओं का कुशलता विकास करके उनकी आय को बढ़ाना है।
> कौशल कॉलेज – राज्य में अल्पसंख्यक व जनजातीय समुदाय की बालिकाओं को कुशलता प्रदान करने हेतु राज्य के 8 जिलों में 9 कौशल कॉलेज का संचालन किया जा रहा है।
> झारखण्ड जनजाति सशक्तिकरण एवं आजीविका परियोजना (JTELP) – इस परियोजना के तहत चयनित पंचायतों में 10,000 आदिम जनजातीय परिवारों, महिला प्रधान परिवारों, ग्रामीण युवाओं तथा निर्धनता रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले परिवारों को आच्छादित किया गया है।
> निर्धनता उन्मूलन
> राज्य के जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक व पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा 2017-18 से हार्डकोर पूअर प्रोजेक्ट (THP) का संचालन किया जा रहा है।
> THP परियोजना का संचालन बंधन - कोन्नागार तथा अब्दुल लतीफ पॉवर्टी एक्शन लैब (J-PAL) के सहयोग से किया जा रहा है।
> THP परियोजना का संचालन राज्य के दुमका (दुमका सदर एवं मसलिया प्रखण्ड) तथा पश्चिमी सिंहभूम (टोंटो एवं झींकपानी प्रखण्ड) में किया जा रहा है ।
> THP परियोजना के तहत अत्यंत निर्धन 2000 एकल महिला प्रधान जनजातीय परिवारों को निर्धनता रेखा से बाहर निकालने का लक्ष्य रखा गया है।
15. प्राकृतिक संसाधन वन, एवं खनिज संपदा
> वन संसाधन
> भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2019 के अनुसार झारखण्ड राज्य में रिकार्डेड वन क्षेत्र 23,605 वर्ग किमी है, जिसमें 4,387 वर्ग किमी आरक्षित वन (Reserved Forest) 19, 185 वर्ग किमी. संरक्षित वन (Protected Forest ) तथा 33 वर्ग किमी अवर्गीकृत वन (Unclassed Forest) है।
> राज्य में 1 राष्ट्रीय उद्यान तथा 11 वन्यजीव अभ्यारण्य हैं, जो राज्य के कुल क्षेत्रफल का 2.74% क्षेत्र पर विस्तारित है।
> राज्य के 23,611.41 वर्ग किमी. क्षेत्र पर वनावरण है जो राज्य के कुल क्षेत्रफल का 29.62% है।
> राज्य के 2,603.20 वर्ग किमी. क्षेत्र पर अत्यंत सघन वन, 9,687.36 वर्ग किमी. क्षेत्र पर मध्यम सघन वन तथा 11,320.85 वर्ग किमी. क्षेत्र पर खुले वन का विस्तार है।
> वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2019 में राज्य में 58 वर्ग किमी. ( 0.25%) वनक्षेत्र की वृद्धि दर्ज की गयी है।
> वर्ष 2017 से 2019 के बीच वनक्षेत्र में वृद्धि का प्रमुख कारण राज्य में वृक्षारोपण एवं संरक्षण गतिविधियों का संचालन है।
> 2017 से 2019 के बीच राज्य में 77 वर्ग किमी. गैर-वन भूमि का परिवर्तन वन-भूमि के रूप में हुआ है। झारखण्ड राज्य के 17 जिले आदिवासी जिलों के रूप में (राष्ट्रीय स्तर पर 2018 जिले) चिन्हित किए गये हैं। मध्य प्रदेश (24) तथा असम (19) के बाद झारखण्ड इस मामले में तीसरे स्थान पर है।
> वर्ष 2017 से 2019 के बीच समग्र भारत के जनजातीय जिलों में इनसाइड रिकार्डेड फारेस्ट एरिया में 741 वर्ग किमी. की कमी दर्ज की गयी है, जबकि झारखण्ड में 15 वर्ग किमी. की वृद्धि दर्ज की गयी है ।
> मुख्यमंत्री जन वन योजना इस योजना का प्रमुख लक्ष्य निजी भूमि पर वनावरण को बढ़ावा देना तथा किसानों की आय को बढ़ाना है। इस योजना के तहत 2019-20 एवं 2020-21 में 8.82 लाख से अधिक पौधों का पौधारोपण किया गया जिसमें से सर्वाधिक पौधारोपण जामताड़ा जिला (3,31,520) में किया गया।
> CAMPA इसके तहत संचालित गतिविधियों को गूगल से जोड़ा गया है तथा झारखण्ड के 1,605 वृक्षारोपण कार्यों को इस पर देखा जा सकता है।
> नदी महोत्सव एवं वृहत् वृक्षारोपण अभियान इस कार्यक्रम के तहत वर्ष 2019 में 15.67 लाख पौधों का पौधारोपण किया गया था जबकि 2020 में 2.04 करोड़ पौधों का पौधारोपण किया गया। वर्ष 2020 में पौधारोपण के मामले में मेदिनीनगर वन प्रमण्डल (8%) का प्रथम स्थान रहा है, जबकि गोड्डा (7%) द्वितीय एवं बोकारो (6%) तृतीय स्थान पर रहा।
> जैव विविधता एवं वन्यजीव
> वर्तमान समय में झारखण्ड राज्य में 1 राष्ट्रीय उद्यान तथा 11 वन्यजीव अभ्यारण्य हैं, जिनका विस्तार राज्य के कुल 2,182.11 वर्ग किमी. क्षेत्र पर है।
> खनिज संसाधन
> झारखण्ड राज्य का कोयला भंडार की दृष्टि से देश में प्रथम स्थान, लौह अयस्क भंडार की दृष्टि से दूसरा स्थान, तांबा अयस्क भंडार की दृष्टि से तीसरा स्थान तथा बॉक्साइट भंडार की दृष्टि से सातवां स्थान है।
> झारखण्ड प्राइम कोकिंग कोल का देश में एकमात्र उत्पादक राज्य है।
> झारखण्ड राज्य में कुल 11,104 खनन क्षेत्र हैं जिनमे से 168 वृहद खान ( major mines) तथा 936 लघु खान (minor mines) हैं।
> वृहद् खानों की सर्वाधिक संख्या धनबाद ( 64 ) में तथा इसके बाद क्रमश: चाईबासा (19) एवं रामगढ़ (16) में है।
> लघु खानों की दृष्टि से राज्य के तीन बड़े जिले क्रमशः साहेबगंज (103), पाकुड़ (100) तथा पलामू (87) हैं।
> 2015-16 से 2017-18 के बीच झारखण्ड राज्य में 36 किलोग्राम सोना का उत्पादन किया गया है।
> जल संसाधन
> झारखण्ड राज्य में 6.21 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) वार्षिक रिप्लेनिशेबल (पुनर्भरनीय) सतही जल संसाधन तथा 5.69 बिलियन क्यूबिक मीटर निवल सतही जल उपलब्ध है।
> सतही जल की दृष्टि से राज्य के 3 प्रखण्डों में अति दोहन हो चुका है तथा 12 प्रखण्ड संकटग्रस्त / अर्द्ध-संकटग्रस्त स्थिति में हैं।
> केन्द्रीय जल आयोग देश के 125 वृहद जलाशयों का पर्यवेक्षण करता है जिसमें से 6 ( तेनुघाट, मैथन, पंचेत, कोनार, तिलैया, गेतलसूद) झारखण्ड राज्य में हैं।
> कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स (CWMI) - 2019 में उत्तर प्रदेश, ओडिसा, बिहार, नागालैंड व मेघालय के साथ झारखण्ड भी निम्न प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल है।
> कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स (CWMI) - 2019 में देश के 17 गैर-हिमालयी राज्यों में झारखण्ड का स्थान अंतिम (17वाँ) है।,
> ऊर्जा संसाधन
> ऊर्जा सांख्यिकी, 2019 रिपोर्ट के अनुसार झारखण्ड राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा की अनुमानित क्षमता 18,489 मेगावाट है, जो देश की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का 1.69% है।
16. प्राकृतिक संसाधन वन, जल एवं खनिज संपदा
> पर्यटन
> झारखण्ड राज्य में आने वाले देशी पर्यटकों की संख्या 2013 में 32.5 लाख थी जो 2019 में बढ़कर 35.6 लाख हो गयी।
> झारखण्ड राज्य में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या 2013 में 1.3 लाख थी जो 2019 में बढ़कर 1.8 लाख हो गयी।
> 2013 से 2019 के बीच राज्य में आने वाले देशी पर्यटकों की संख्या में 1.53% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गयी है जबकि इसी अवधि के दौरान विदेशी पर्यटकों की संख्या में 4.7% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गयी है।
> झारखण्ड राज्य में सर्वाधिक पर्यटक जुलाई-अगस्त माह में आते हैं। इसका मुख्य कारण श्रावण माह में देवघर में भगवान शिव पर जल अर्पण किया जाना है।
> प्रमुख पहल
> झारखण्ड राज्य के सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केन्द्र एवं सिल्ली स्थित राजकीय मानभूम छऊ नृत्य कला केन्द्र में छऊ नृत्य का प्रशिक्षण दिया जाता है, जबकि राँची स्थित झारखण्ड कला मंदिर में स्थानीय नृत्य का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
> भाषा
> झारखण्ड में मात्र 4% लोग ही अपने घरों में बातचीत हेतु हिन्दी भाषा का प्रयोग करते है, जबकि 96% लोग बातचीत हेतु घरों में स्थानीय भाषा का प्रयोग करते हैं।
> घरों में बोलचाल हेतु स्थानीय भाषा का प्रयोग करने वाले लोगों में से 33% लोग संथाली, 17.5 प्रतिशत लोग खड़िया, 9.5 प्रतिशत लोग कुडुख, 7.6% लोग मुण्डारी तथा 5.7% लोग हो भाषा का प्रयोग करते हैं।
> अन्य
> रायपुर (छत्तीसगढ़) में आयोजित राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव में झारखण्ड के तथा तीसरा स्थान हासिल किया था।
> ईटखोरी में पुरातात्विक विशेषताओं पर एक दस्तावेज का प्रकाशन किया गया है ।
> मलुटी के 20 मंदिरों को अभी तक संरक्षित किया जा चुका है।
> महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती पर गाँधी पैनोरमा कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
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