जनजातीय विद्रोह से संबंधित व्यक्तित्व
1. बिरसा मुण्डा
> बिरसा मुण्डा का जन्म 15 नवंबर, 1875 ई. को उलिहातू गाँव (खूँटी) में मुण्डा परिवार में हुआ था। (नोट : बिरसा मुण्डा के जन्मदिवस को केन्द्र सरकार ने वर्ष 2021 से आदिवासी जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है।)
इ> नका जन्म सोमवार को हुआ था परंतु परिवार द्वारा बृहस्पतिवार के आधार पर इनका नाम बिरसा रखा गया। बिरसा मुण्डा के बचपन का नाम दाउद मुण्डा था।
> बिरसा मुण्डा के पिता का नाम सुगना मुण्डा था, जो उलिहातू गाँव के बंटाईदार थे।
> बिरसा मुण्डा की माता का नाम कदमी मुण्डा था।
> बिरसा मुण्डा के बड़े भाई का नाम कोन्ता मुण्डा था।
> बिरसा मुण्डा के प्रारंभिक शिक्षक का नाम जयपाल नाग था।
> बिरसा मुण्डा के धार्मिक गुरू का नाम आनंद पाण्डे था। ये वैष्णव धर्मावलंबी थे।
> बिरसा मुण्डा ने जर्मन एवेंजेलिकल चर्च द्वारा संचालित विद्यालय में अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की।
> छात्र जीवन में चाईबासा के भूमि आंदोलन से जुड़ने के बाद बिरसा मात्र 18 वर्ष की आयु में चक्रधरपुर के जंगल आंदोलन से जुड़ गये।
> इन्होनें वन और भूमि पर आदिवासियों के प्राकृतिक अधिकार के लिए व्यापक लड़ाई लड़ी।
> बिरसा मुण्डा ने जमींदारों और साहूकारों द्वारा मूलवासियों के खिलाफ निर्णायक बगावत का नेतृत्व भी किया।
> 1895 ई. में बिरसा मुण्डा ने स्वयं को सिंगबोंगा का दूत घोषित कर दिया।
> बिरसा मुण्डा ने एक नये पंथ की शुरूआत की जिसका नाम 'बिरसाइत पंथ' है। इसमें अनेक देवी-देवताओं के स्थान पर केवल सिंगबोंगा की अराधना (एकेश्वरवाद) पर बल दिया गया।
> बिरसाइत पंथ में उपासना हेतु सबसे उपयुक्त स्थान के रूप में गाँव के सरना (उपासना) स्थल को मान्यता दी गयी ।
> बिरसा मुण्डा ने अहिंसा का समर्थन करते हुए पशु बलि का विरोध किया तथा हड़िया सहित सभी प्रकार के मद्यपान के त्याग का उपदेश दिया। अपने उपदेशों में बिरसा ने जनेऊ (यज्ञोपवीत) धारण करने पर बल दिया।
> बिरसा मुण्डा झारखण्ड के प्रमुख आदिवासी नेता थे। इन्होने 1895-1900 ई. के उलगुलान विद्रोह को नेतृत्व प्रदान किया।
> डोम्बारी बुरू पहाड़ बिरसा आंदोलन का प्रमुख केन्द्र बिन्दु था।
> 1895 ई. में बिरसा को अंग्रेज सरकार द्वारा षड़यंत्र रचने के आरोप में 2 वर्ष की जेल तथा 50 रूपये जुर्माने की सजा मिली थी। बिरसा मुण्डा को जी. आर. के. मेयर्स (डिप्टी सुपरिटेन्डेंट) द्वारा गिरफ्तार किया गया था। जुर्माना न चुकाने के कारण सजा की अवधि को 6 माह के लिए विस्तारित कर दिया गया था।
> 1900 ई. में उन्हें पुन: गिरफ्तार किया गया तथा 9 जून, 1900 ई. को राँची जेल में हैजा नामक बिमारी से बिरसा की मृत्यु हो गयी।
( नोट : 15 नवंबर, 2021 को इस राँची जेल परिसर में 'भगवान बिरसा मुण्डा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय' का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया। )
> बिरसा मुण्डा को गिरफ्तार करवाने हेतु अंग्रेजों ने 500 रूपये का ईनाम रखा था। यह ईनाम बिरसा मुण्डा की गिरफ्तारी में सहयोग करने हेतु जगमोहन सिंह के आदमी वीर सिंह महली आदि को दिया गया था।
> बिरसा मुण्डा के जन्म दिवस पर ही 15 नवंबर, 2000 को झारखण्ड राज्य का निर्माण किया गया।
> बिरसा मुण्डा झारखण्ड के एकमात्र आदिवासी नेता हैं जिनका चित्र संसद के केन्द्रीय कक्ष में लगाया गया है।
> प्रसिद्ध उपन्यासकार महाश्वेता देवी ने बिरसा मुण्डा के जीवन को आधार बनाकर 1975 ई. में 'अरण्येर अधिकार' (जंगल का अधिकार) नामक उपन्यास की रचना की है।
2. सिद्धू- कान्हु
> अंग्रेज शासकों, जमींदारों तथा साहूकारों के विरूद्ध 1855-56 में प्रारंभ संथाल विद्रोह का नेतृत्व चार मूर्मू नेताओं सिद्धू, कान्हु, चाँद तथा भैरव ने किया।
> सिद्धू का जन्म 1815 ई., कान्हु का जन्म 1820 ई., चाँद का जन्म 1825 ई. तथा भैरव का जन्म 1835 ई. में हुआ था।
> 1855 ई. में मूर्मू बंधुओं ने भोगनाडीह (मूर्मू बंधुओं का गाँव) में विद्रोह (हूल) का निर्णय लिया तथा सिद्धू द्वारा यहाँ 'करो या मरो, अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो' का नारा दिया गया।
> अंग्रेजों द्वारा संथाल विद्रोह के विरूद्ध कार्रवाई में चाँद तथा भैरव की गोली लगने से मौत हुई और सिद्धू तथा कान्हु को गिरफ्तार कर फाँसी दी गई ।
> मूर्मू बंधुओं के पिता चुन्नी माँझी थे तथा सिद्धू की पत्नी का नाम सुमी था।
3. तिलका माँझी
> तिलका माँझी का दूसरा नाम जाबरा पहाड़िया था।
> तिलका माँझी का जन्म तिलकपुर नामक गाँव (सुल्तानगंज, भागलपुर) में 11 फरवरी, 1750 को संथाल परिवार में हुआ था।
> तिलका माँझी संथाल (मुर्मू) जनजाति के थे।
> इनके पिता का नाम सुंदरा मूर्मू था।
> तिलका माँझी अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह करने वाले प्रथम आदिवासी थे। अतः उन्हें 'आदि विद्रोही' भी कहा जाता है।
> तिलका माँझी ने वनचरीजोर (भागलपुर) से अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह प्रारंभ किया। साल पत्ता इस विद्रोह का प्रतीक चिह्न था जिसके द्वारा घर-घर संदेश भेजकर संथालों को संगठित किया गया।
> तिलका माँझी ने भागलपुर पर अपने आक्रमण के क्रम में क्लिवलैंड को तीर से मार गिराया था।
> 1785 ई. में तिलका माँझी को भागलपुर में बरगद के पेड़ पर फाँसी दे दी गई।
> झारखण्ड के स्वतंत्रता सेनानियों में सर्वप्रथम शहीद होने वाले स्वतंत्रता सेनानी तिलका माँझी हैं।
> तिलका माँझी के नाम पर ही 1991 में भागलपुर विश्वविद्यालय का पुनः नामकरण तिलका माँझी भागलपुर विश्वविद्यालय के रूप में किया गया।
4. भागीरथ माँझी
> भागीरथ माँझी का जन्म तलडीहा (गोड्डा) में खरवार जनजाति में हुआ था।
> भागीरथ माँझी को बाबाजी के नाम से भी जाना जाता है।
> भागीरथ माँझी ने 1874 ई. में खरवार आंदोलन का प्रारंभ किया। प्रारंभ में यह आंदोलन एकेश्वरवाद तथा सामाजिक सुधार की शिक्षा के प्रसार पर केंद्रित था, परन्तु बाद में यह आंदोलन राजस्व बन्दोबस्ती के विरूद्ध एक जन आंदोलन में परिणत हो गया।
> भागीरथ माँझी ने स्वयं को राजा घोषित कर जमींदारों को कर न देने की अपील की । इसके परिणामस्वरूप उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
> 1877 ई. में भागीरथ माँझी रिहा किए गये तथा 1879 ई. में उनकी मृत्यु हो गयी।
5. बुद्ध भगत
> बुद्ध भगत का जन्म 18 फरवरी, 1792 ई. को सिल्ली गाँव (राँची) में एक उराँव परिवार में हुआ था।
> बुद्धु भगत ने 1828-32 तक हुए लरका महाविद्रोह को नेतृत्व प्रदान किया।
> बुद्धु भगत 1831-32 के कोल विद्रोह के प्रमुख नेता थे।
> बुद्धु भगत छोटानागपुर के प्रथम क्रांतिकारी थे जिन्हें पकड़ने के लिए अंग्रेज सरकार ने 1,000 रूपये ईनाम की घोषणा की थी।
> बुद्ध भगत की मृत्यु 14 फरवरी, 1832 ई. को कैप्टेन इम्पे के नेतृत्व में सैनिक कार्रवाई में हुयी जिसमें उनके साथ भाई, बेटे व भतीजे सहित लगभग 150 लोगों की मृत्यु हो गयी।
6. जतरा भगत
> जतरा भगत का जन्म 2 अक्टूबर, 1888 को चिंगरी नावाटोली गाँव (विशुनपुर, गुमला) में एक उराँव परिवार के घर में हुआ।
> जतरा भगत के पिता का नाम कोहरा भगत तथा माता का नाम लिबरी भगत था। उनकी पत्नी का नाम बुधनी भगत था।
> 1914 ई. में उन्हें हेसराग गाँव के तुरिया भगत से मति का प्रशिक्षण प्राप्त करते समय आत्मबोध की प्राप्ति हुई तथा इसके बाद उन्होनें ताना भगत आंदोलन प्रारंभ किया।
> ताना भगत आंदोलन एक संस्कृतिकरण आंदोलन है जो गाँधीजी के आंदोलन से प्रभावित था।
> जतरा भगत की मृत्यु 1916 ई. में हुई।
> देश की आजादी के बाद सन् 1948 में भारत सरकार द्वारा ताना भगत रैयत कृषि भूमि पुनर्वापसी अधिनियम पारित किया गया था।
7. रघुनाथ महतो
> रघुनाथ महतो का जन्म घुटियाडीह गाँव ( सरायकेला-खरसावां ) में हुआ था।
> रघुनाथ महतो ने चुआर विद्रोह के प्रथम चरण को नेतृत्व प्रदान किया था।
> 1769 ई. में उन्होनें ‘अपना गाँव अपना राज, दूर भगाओ विदेशी राज' का नारा दिया।
> रघुनाथ महतो ने अंग्रेजों के विरूद्ध व्यापक विद्रोह किया जिसमें छापामार पद्धति का अधिकाधिक प्रयोग किया गया।
> 1778 ई. में लोटागाँव के समीप एक सभा के दौरान अंग्रेज सैनिकों द्वारा रघुनाथ महतो को गोली मार दी गयी जिसमें उनकी मृत्यु हो गयी।
8. गंगा नारायण सिंह
> गंगा नारायण सिंह का जन्म बाड़भूम (वीरभूम) राज परिवार में हुआ था।
> इन्होनें 1832-33 ई. में मानभूम के भूमिज विद्रोह का नेतृत्व किया था। इस विद्रोह को अंग्रेजों ने 'गंगा नारायण का हंगामा' कहा।
> 7 फरवरी, 1833 को खरसावां के ठाकुर चेतन सिंह के सैनिकों के द्वारा गंगा नारायण सिंह की हत्या कर दी गई।
9. तेलंगा खड़िया
> तेलंगा खड़िया का जन्म 9 सितम्बर, 1806 ई. को मुर्ग गाँव (गुमला) में खड़िया जाति के कृषक परिवार में हुआ था।
> उनके पिता का नाम ढुइया खड़िया तथा माता का नाम पेतो खड़िया था।
> तेलंगा खड़िया ने 1849-50 ई. में अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह का नेतृत्व किया।
> 22 अप्रैल, 1880 को बोधन सिंह नामक व्यक्ति ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
> गुमला में उनके शव को दफनाये गये स्थान को 'तेलंगा तोपा टांड' कहा जाता है।
> 10. रानी सर्वेश्वरी
> रानी सर्वेश्वरी संथाल परगना के सुल्तानाबाद की रानी थी ।
> रानी सर्वेश्वरी ने 1781-82 में पहाड़िया सरदारों के सहयोग से संथाल परगना क्षेत्र में विद्रोह किया था।
> 6 मई, 1807 को भागलपुर जेल में रानी सर्वेश्वरी की मृत्यु हो गयी ।
11. पोटो सरदार
> पोटो सरदार झारखण्ड के प्रमुख आदिवासी आंदोलनकारी थे। इन्होनें अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोहों में प्रमुखता से भाग लिया था।
> इन्होनें सिंहभूम में लोगों को एकजुट कर कई अंग्रेज सैनिकों की हत्या की थी।
> ब्रिटिश सरकार द्वारा 1 तथा 2 जनवरी, 1838 को पोटो सरदार सहित 7 हो (मुंडा) आदिवासियों को सिंहभूम में ब्रिटिश सैनिकों की हत्या के आरोप में फाँसी की सजा सुनाई गयी ।
> पोटो सरदार का संबंध मुंडा जनजाति से था।
> 1857 के विद्रोह से संबंधित व्यक्तित्व
1. जमादार माधव सिंह, सूबेदार नादिर अली खाँ तथा सूबेदार जयमंगल पाण्डेय
> 1857 के विद्रोह में अंग्रेजी सेना में शामिल जमादार माधव सिंह, सूबेदार नादिर अली खाँ तथा सूबेदार जयमंगल पाण्डेय ने लेफ्टिनेंट ग्राहम के नेतृत्व में हजारीबाग जाने के क्रम में रामगढ़ में विद्रोह कर दिया।
> 3 अक्टूबर को नादिर अली खाँ तथा जयमंगल पाण्डेय को अंग्रेजी सेना द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया तथा 4 अक्टूबर को दोनों को फाँसी दे दी गई, जबकि माधव सिंह अंग्रेजी सेना से बचकर भाग निकला।
2. पाण्डेय गणपत राय
> 1857 के विद्रोह में हजारीबाग के विद्रोहियों ने पाण्डेय गणपत राय की सहायता से नागवंशी ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव से संपर्क स्थापित किया था।
> 21 अप्रैल, 1858 को पाण्डेय गणपत राय को राँची में कमिश्नर कंपाउंड (वर्तमान जिला स्कूल) में एक पेड़ पर फाँसी दे दी गई।
3. ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव
> 1857 के विद्रोह में ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने हजारीबाग के विद्रोहियों का नेतृत्व किया था ।
> विश्वनाथ दुबे तथा महेश नारायण शाही के विश्वासघात के कारण अंग्रेजों ने ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को गिरफ्तार कर लिया।
> 16 अप्रैल, 1858 को राँची के कमिश्नर कंपाउंड ( वर्तमान जिला स्कूल) में एक पेड़ पर ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को अंग्रेज सरकार द्वारा फाँसी दे दी गई ।
4. टिकैत उमराव सिंह
> टिकैत उमराव सिंह ओरमाँझी के 12 गाँवों के जमींदार थे।
> अंग्रेजों द्वारा विद्रोहियों में भय उत्पन्न करने हेतु कैप्टेन मैक्डोनाल्ड की मद्रासी सेना की सहायता से टिकैत उमराव सिंह को उनके दीवान शेख भिखारी एवं भाई घासी सिंह के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।
> 8 जनवरी, 1858 को राँची के टैगोर हिल के पास उन्हें फाँसी दे दी गई ।
5. राजा नीलमणि सिंह
> राजा नीलमणि सिंह 1857 के विद्रोह के समय पंचेत के राजा थे तथा इन्होनें संथालों को अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह करने के लिए उकसाया।
> कैप्टेन माउण्ट गोमरी ने नबंबर, 1857 में इन्हें गिरफ्तार कर कोलकाता के अलीपुर जेल भेज दिया।
6. राजा अर्जुन सिंह
> राजा अर्जुन सिंह 1857 के विद्रोह के समय पोरहाट के राजा थे तथा इन्होनें चाईबासा के विद्रोही सैनिकों को शरण प्रदान की थी।
> 1857 की क्रांति में राजा अर्जुन सिंह संपूर्ण सिंहभूम क्षेत्र में क्रांतिकारियों के प्रमुख नेता थे।
> राजा अर्जुन सिंह की मृत्यु वाराणसी में हुयी ।
7. नीलांबर-पीतांबर
> 1857 के विद्रोह को पलामू क्षेत्र में नीलांबर-पीतांबर ने नेतृत्व प्रदान किया।
> अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ एक गुप्त स्थान पर जाने के क्रम में जासूसों द्वारा खबर दिये जाने पर नीलांबर पीतांबर को गिरफ्तार कर लिया गया तथा अप्रैल, 1859 में लेस्लीगंज (पलामू) में फाँसी दे दी गई।
8. शेख भिखारी
> शेख भिखारी का जन्म 1831 ई. में राँची के ओरमाँझी (होक्टे गांव ) में हुआ था।
> ये ठाकुर विश्वनाथ राय के दीवान थे।
> 1857 के विद्रोह में इन्होनें बड़कागांव की फौज में राँची एवं चाईबासा से नवयुवकों को भर्ती करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
> 8 जनवरी, 1858 को चूट्टूपाल घाटी की पहाड़ी पर इन्हें अंग्रेजों द्वारा फाँसी दी गयी।
> राष्ट्रीय आंदोलन से संबंधित व्यक्तित्व
1. जमशेदजी नौशेरवानजी टाटा
> जमशेदजी नौशेरवानजी टाटा का जन्म 3 मार्च, 1839 को नौसारी (गुजरात) में हुआ था।
> इनके पिता का नाम नौशेरवानजी तथा माता का नाम जीवनबाई था।
> इन्होनें 1887 ई. में नागपुर में कपड़ा बुनाई मिल के रूप में 'इम्प्रेस कॉटन मिल' तथा सूत कताई मिल के रूप में 'टाटा स्वदेशी मिल' की स्थापना की।
> टाटा स्टील (टिस्को) की स्थापना का प्रारंभिक विचार इन्होनें ही दिया। यही कारण है कि इन्हें टाटा कंपनी का संस्थापक माना जाता है।
> इन्होनें बेंगलुरू में भारतीय विज्ञान संस्थान ( Indian Institute of Science) तथा मुंबई में होटल ताज की स्थापना की।
> 19 मई, 1904 को जर्मनी में जे. एन. टाटा की मृत्यु हो गयी।
( नोट टाटा स्टील (टिस्को) की स्थापना सन् 1907 ई० में दोराबजी टाटा द्वारा की गयी थी। इन्हें टाटा स्टील का वास्तविक संस्थापक माना जा सकता है। )
2. सखाराम गणेश देउस्कर
> सखाराम गणेश देउस्कर का जन्म मराठा परिवार में देवघर में हुआ था।
> देउस्कर ने बांग्ला भाषा में कई पुस्तकों की रचना की है जिनमें तिलकेर मुकदमा, देशोर कथा (1904) आदि प्रमुख हैं। देशोर कथा में इन्होनें भारत पर अंग्रेजी राज्य के प्रतिकूल आर्थिक परिणामों का विवेचन किया है। इस पुस्तक को अंग्रेज सरकार द्वारा 1910 ई. में प्रतिबंधित कर दिया गया।
> देउस्कर बांग्ला दैनिक 'हितवादी' के उपसंपादक भी थे।
3. नागरमल मोदी
> नागरमल मोदी स्वदेशी आंदोलन की शुरूआत करने वाले महत्वपूर्ण लोगों में शामिल थे।
> इन्होनें 1935 ई. में विधवा तथा निराश्रित महिलाओं के लिए अबला आश्रम की स्थापना की।
4. राम नारायण सिंह
> राम नारायण सिंह का जन्म तेतरिया (चतरा) में हुआ था तथा वे पेशे से वकील थे।
> महात्मा गाँधी के आह्वान पर वे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गये।
> 1940 ई. में कांग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन में महात्मा गाँधी ने उन्हें छोटानागपुर केसरी की उपाधि दी।
> 'स्वराज लुट गया' राम नारायण सिंह की प्रसिद्ध रचना है।
5. जहाँगीरजी रतनजी दादाभाई ( जे.आर.डी.) टाटा
> जे. आर. डी. टाटा का जन्म 29 जुलाई, 1904 को पेरिस (फ्रांस) में हुआ था।
> इनके पिता का नाम जे. एन. टाटा तथा माता का नाम सूनी था। इनकी माँ फ्रांसीसी थीं।
> 1929 ई. में विमान उड्डयन का लाइसेंस पाने वाले वे भारत के प्रथम व्यक्ति थे।
> जे. आर. डी. टाटा ने सन् 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की। इन्हें भारत में 'नागरिक उड्ययन का जन्मदाता' कहा जाता है।
> टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर बाद में एयर इण्डिया कर दिया गया तथा 1953 ई. में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।
> 1944-45 में भारत में आर्थिक विकास से संबंधित बॉम्बे प्लान को प्रस्तुत करने वाले दल में जे. आर. डी. टाटा भी शामिल थे।
> जे. आर. डी. टाटा ने 1945 ई. में मुंबई में टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ फण्डामेंटल रिसर्च (TIFR) की स्थापना की।
> जे. आर. डी. टाटा भारत रत्न (1992) प्राप्त करने वाले प्रथम उद्योगपति हैं।
> वे टाटा समूह के चौथे अध्यक्ष थे। इन्होनें सन् 1938 से 1991 तक टाटा समूह के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया।
> झारखण्ड आंदोलन से संबंधित व्यक्तित्व
1. जयपाल सिंह
> जयपाल सिंह का जन्म 3 जनवरी, 1903 ई. को टकरा गाँव (खूँटी) में एक मुण्डा परिवार में हुआ था।
> जयपाल सिंह का मूल नाम वेनन्ह पाह था । इसाई धर्म अपनाने पर इनका नाम ईश्वर दास हुआ तथा खूँटी के पुरोहित द्वारा इनका नामकरण जयपाल सिंह किया गया।
> जयपाल सिंह की पत्नी का नाम तारा मजुमदार था, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष व्योमेश चंद्र बनर्जी की पुत्री थी ।
> जयपाल सिंह का दूसरा विवाह जहाँआरा से हुआ जो ब्रिटिश फौज के कर्नल रोनाल्ड कार्टिश की पत्नी थी।
> जयपाल सिंह की कुशाग्र बुद्धि से प्रभावित होकर सेंट पाल हाई स्कूल के हेडमास्टर केनन कोसग्रेव ने उन्हें उच्च शिक्षा ग्रहण करने हेतु इंग्लैंड भेज दिया।
> 1928 ई. के एम्सटर्डम (नीदरलैंड) में आयोजित ओलंपिक में जयपाल सिंह ने भारतीय हॉकी टीम का नेतृत्व किया। इस ओलंपिक में भारत ने अपना पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक पुरूष हॉकी में प्राप्त किया।
> जयपाल सिंह ने 1939 में आदिवासी महासभा के गठन में महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया।
> सन् 1950 में जयपाल सिंह ने पृथक झारखण्ड की मांग को लेकर झारखण्ड पार्टी का गठन किया। पृथक झारखण्ड की मांग करने वाले वे पहले नेता थे।
> वर्ष 1952 तथा 1957 के आम चुनावों में झारखण्ड क्षेत्र में झारखण्ड पार्टी को भारी सफलता प्राप्त हुई तथा यह पार्टी बिहार विधान सभा में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी।
> 20 मार्च, 1970 को मस्तिष्क रक्तस्राव (Brain Haemorrhage) से जयपाल सिंह की नई दिल्ली में मृत्यु हो गयी।
> जयपाल सिंह को मुण्डा राजा तथा मरंङ गोमके * की संज्ञा भी दी जाती है।
2. जुएल लकड़ा
> जुएल लकड़ा का जन्म मुरगू गाँव (राँची) में एक उराँव परिवार में हुआ था।
> जुएल लकड़ा ने 1915 ई. में छोटानागपुर उन्नति समाज की स्थापना की थी।
> इन्होनें यंग छोटानागपुर टीम के नाम से हॉकी तथा फुटबाल टीम का भी गठन किया था।
> जुएल लकड़ा झारखण्ड राज्य से पद्मश्री पुरस्कार (अक्टूबर, 1947 ) पाने वाले प्रथम आदिवासी हैं।
> 13 सितम्बर, 1994 ई. को जुएल लकड़ा की मृत्यु हो गयी।
3. विनोद बिहारी महतो
> विनोद बिहारी महतो को आदिवासियों के झारखण्ड आंदोलन को झारखण्डियों के आंदोलन में परिणत करने हेतु जाना जाता है।
> इन्होनें सन् 1969 में कुर्मी समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों को दूर करने हेतु शिवाजी समाज की स्थापना की।
> 1973 में गठित झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्यों में विनोद बिहारी महतो भी शामिल रहे हैं। वे झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के प्रथम अध्यक्ष बने।
> विनोद बिहारी महतो को लोग प्यार से बाबू के नाम से पुकारते थे।
4. शिबू सोरेन
> शिबू सोरेन का जन्म 1942 ई. में नेमरा (रामगढ़) नामक स्थान पर हुआ था ।
> शिबू सोरेन का मूल नाम शिवचरण लाल महतो है।
> इनके पिता का नाम सोबरन माँझी तथा माता का नाम सोनामनी है।
> इन्होनें जयपाल सिंह के निधन के बाद पृथक झारखण्ड राज्य आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया।
> शिबू सोरेन ने 1970 ई. में सोनोत (शुद्ध) संथाल समाज का गठन किया।
> 1973 ई. में गठित झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्यों में शिबू सोरेन भी शामिल रहे हैं। वे झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के प्रथम महासचिव बने ।
> 1978 ई. में शिबू सोरेन के नेतृत्व में जंगल काटो अभियान चलाया गया जिसमें केन्द्र सरकार द्वारा हस्तक्षेप किया गया।
> 1986 ई. में निर्मल महतो के साथ मिलकर शिबू सोरेन ने ऑल झारखण्ड स्टूडेन्ट्स यूनियन (आजसू) का गठन किया।
> शिबू सोरेन द्वारा संचालित आंदोलन के दबाव में केन्द्र सरकार द्वारा 1989 में 'झारखण्ड विषयक समिति' का गठन किया गया तथा 1995 में बिहार सरकार द्वारा 'झारखण्ड एरिया ऑटोनोमस काउंसिल' का गठन किया गया।
> शिबू सोरेन तीन बार झारखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
> शिबू सोरेन को दिशोम गुरू तथा गुरूजी के नाम से भी जाना जाता है।
> झारखण्ड के अन्य प्रमुख व्यक्तित्व के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्य
> ठेबले उराँव ने 1930 ई. में 'किसान सभा' की स्थापना की। इसके सचिव पाल दयाल थे। ये 'सनातन आदिवासी महासभा' से भी जुड़े थे।
> बोनिफेस लकड़ा ने 1933 ई. में ‘छोटानागपुर कैथोलिक सभा' की स्थापना की। इस सभा के प्रथम महासचिव इग्नेस बेक थे।
> सुशील कुमार बागे ने मुण्डारी पत्रिका 'जगर सड़ा' का संपादन किया।
> बागुन सुम्ब्रई ने 1967 ई. में 'ऑल इण्डिया झारखण्ड पार्टी' का गठन किया।
> कार्तिक उराँव ने 1968 ई. में 'अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद्' की स्थापना की। इन्होनें ईसाई मिशनरियों द्वारा झारखण्ड के आदिवासियों को ईसाई धर्म में परिवर्तन का घोर विरोध किया था।
> अजीत कुमार राय ( ए. के. राय) ने धनबाद कोयला खदानों के मजदूरों को संगठित कर मजदूर आंदोलन चलाया। इन्होनें 1971 ई. में 'मार्क्सवादी समन्वय समिति' का गठन किया। अलग झारखण्ड राज्य की मांग को लेकर इन्होनें 'लालखंड' का नारा दिया था।
> के. सी. हेम्ब्रम स्वायत्त कोलाहिस्तान की मांग करने वाले प्रथम नेता हैं। इन्हें बिहार सरकार द्वारा देशद्रोही करार दिया जा चुका है।
> भारतीय थल सेना में शामिल झारखण्ड के अल्बर्ट एक्का ने भारत-पाक युद्ध, 1971 में वीरता से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की। भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र पाने वाले वे झारखण्ड के प्रथम एवं एकमात्र सैनिक हैं।
> ललित मोहन राय अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध चित्रकार हैं जिन्हें 1989 ई. में कलाश्री सम्मान प्रदान किया जा चुका है। इनके चित्रों में मुख्यतः आदिवासी जनजीवन को प्रदर्शित किया जाता है।
> पद्मभूषण सम्मान प्राप्त फादर कामिल बुल्के का जन्म बेल्जियम में हुआ था तथा वे बाद में झारखण्ड के निवासी बन गये। इन्होनें भारत में हिन्दी विषय में पहली बार हिन्दी माध्यम में शोध किया। इनके शोध का विषय 'रामकथा : उत्पत्ति एवं विकास * था। इन्होनें कई हिन्दी रचनाओं के अतिरिक्त हिन्दी-अंग्रेजी शब्दकोष की भी रचना की।
> डॉ० गाब्रियल हेम्ब्रम झारखण्ड में जड़ी-बुटी के प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं। गुमला जिले के निवासी श्री हेम्ब्रम अपनी दवाओं से कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी का भी इलाज करते हैं ।
> कड़िया मुण्डा झारखण्ड से भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सांसद तथा लोकसभा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। वर्ष 2019 में समाज सेवा के क्षेत्र में योगदान हेतु इन्हें पद्मभूषण सम्मान प्रदान किया गया है।
> बाबूलाल मरांडी झारखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री हैं। अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में बाबूलाल मरांडी केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री के पद पर आसीन रह चुके हैं। इन्होनें 'झारखण्ड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) ' नामक राजनीतिक पार्टी की स्थापना की। 26 अक्टूबर, 2007 को गिरिडीह-जमुई की सीमा पर स्थित चिलखारी नामक स्थान पर एक नक्सली वारदात में इनके पुत्र अनुप मरांडी सहित 20 व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी थी।
> यशवंत सिन्हा झारखण्ड के प्रमुख राजनीतिज्ञ हैं। श्री सिन्हा भारत के वित्त मंत्री भी रह चुके हैं। श्री सिन्हा द्व रा वर्ष 2001 से प्रातः 11 बजे लोकसभा में बजट प्रस्तुत करने की परंपरा प्रारंभ की गयी। इससे पूर्व बजट का प्रस्तुतीकरण सांय 5 बजे किया जाता था।
> पलामू में जन्मे भीष्म नारायण सिंह केन्द्रीय मंत्री के अतिरिक्त असम तथा तमिलनाडु के राज्यपाल रह चुके हैं।
> सीमोन उराँव ने निरक्षरता के बावजूद अपनी लगन तथा कुशाग्र बुद्धि से ग्रामीण खुशहाली हेतु कई प्रयत्न किए। इन्होनें सामुदायिक स्तर पर जल संरक्षण एवं उसके समुचित उपयोग का सफल क्रियान्वयन किया। इनके कार्यों से प्रभावित होकर कैंब्रिज विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने "How to practically converse the forest in Jharkhand" विषय पर शोध कर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है।
> डॉ० रामदयाल मुण्डा झारखण्ड से राज्यसभा के लिए मनोनीत होने वाले प्रथम व्यक्ति हैं। श्री मुण्डा को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2007 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार तथा वर्ष 2010 में सांस्कृतिक योगदान हेतु पद्मश्री सम्मान प्रदान किया जा चुका है। 30 सितम्बर, 2011 को राँची में श्री मुण्डा का निधन हो गया।
> पंडित रघुनाथ मुर्मू ने संथाली लिपि 'ओलचिकी' का आविष्कार किया।
> मुकुंद नायक नागपुरी लोकसंगीत तथा नृत्य के प्रसिद्ध कलाकार हैं तथा राँची में इन्होनें अपनी लोककला के विकास हेतु ‘कुंजवन' की स्थापना की है।
> सचिन दा संयुक्त शांति पदक से सम्मानित होने वाले प्रथम भारतीय छायाकार हैं।
> हरेन ठाकुर प्रसिद्ध चित्रकार हैं तथा इन्होनें 'बिजुका' को केंद्रबिन्दु मानकर एक श्रृंखला में अपनी पेंटिंग प्रस्तुत की है।
> बुलू इमाम ने जनजातीय लोककला 'सोहराय' तथा 'कोहबर' को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलायी है। वर्ष 2019 में इन्हें पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है।
> जमुना टुडू को 'लेडी टार्जन' के नाम से जाना जाता है। पर्यावरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु इन्हें 2019 में पद्मश्री सम्मान दिया जा चुका है।
> दिगंबर हांसदा को शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु 2018 में पद्मश्री सम्मान मिल चुका है।
> सिमोन उराँव प्रख्यात पर्यावरणविद् हैं। इन्होनें लकड़ी की तस्करी को रोकने हेतु 'जंगल सुरक्षा समिति' का गठन किया है। इन्हें ‘पानी बाबा' के नाम से भी जाना जाता है । 2016 में इन्हें पद्मश्री पुरस्कार दिया जा चुका है।
> राजकुमार सुधेन्द्र नारायण सिंह देव सरायकेला शैली के छऊ नृत्य के अंतर्राष्ट्रीय नर्तक एवं नृत्य निर्देशक नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
> पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त केदारनाथ साहू छऊ नृत्य के विश्वविख्यात कलाकार हैं।
> श्रीप्रकाश झारखण्ड के संजीदा विषयों पर डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण हेतु प्रख्यात हैं। यूरेनियम खान के दुष्प्रभाव का प्रदर्शन करने वाली इनकी फिल्म 'बुद्धा विप्स इन जादूगोड़ा' को अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।
> चामी मुर्मू को भारत सरकार द्वारा 'इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र' सम्मान से नवाजा जा चुका है।
> दयामनी बरला को ग्रामीण पत्रकारिता हेतु 'काउंटर मीडिया अवार्ड' से सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें ‘आयरन लेडी ऑफ झारखण्ड' कहा जाता है।
> आर. के. आनन्द झारखण्ड ओलंपिक संघ के अध्यक्ष हैं।
> अमिताभ चौधरी झारखण्ड राज्य क्रिकेट एसोशिएशन के अध्यक्ष हैं।
> शेखर बोस प्रसिद्ध बॉलीबॉल प्रशिक्षक हैं।
> सावित्री पुर्त्ती झारखण्ड राज्य की प्रथम आदिवासी अंतर्राष्ट्रीय महिला हॉकी खिलाड़ी हैं।
> राजीव गाँधी खेल रत्न, पद्मश्री तथा पद्मभूषण सम्मान प्राप्त महेन्द्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान हैं। धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम 2011 का विश्व क्रिकेट कप जीतने में सफल रही है।
> जमशेदपुर के सौरभ तिवारी भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य हैं।
> जमशेदपुर के वरूण एरोन भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज हैं।
> झारखण्ड की दीपिका कुमारी विश्व स्तर पर प्रसिद्ध तीरंदाज हैं। इन्होनें टाटा धनुर्विद्या अकादमी, जमशेदपुर से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इन्हें 2016 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
> झानो हांसदा ने तीरंदाजी के क्षेत्र में एशियन चैंपियन में स्वर्ण, विश्व कप आर्चरी में स्वर्ण तथा अन्य कई प्रतियोगिताओं में विभिन्न खिताब हासिल किया है।
> सुबोध कुमार सैफ फुटबाल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रह चुके हैं।
> सुमेराय टेटे अंतर्राष्ट्रीय स्तर की हॉकी खिलाड़ी हैं। इन्होनें भारतीय महिला हॉकी टीम का नेतृत्व किया है।
> अंसुता लकड़ा भारतीय महिला हॉकी टीम की सदस्य हैं।
> विमल लकड़ा भारतीय हॉकी टीम के प्रमुख सदस्य रह चुके हैं।
> राहुल बनर्जी टाटा आर्चरी एकेडमी से जुड़े हैं। इन्होनें राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है।
> अरूणा मिश्रा ने 2004 तथा 2005 के एशियन गेम्स में मुक्केबाजी का स्वर्ण पदक प्राप्त किया है।
> जमशेदपुर के इम्तियाज अली बॉलीवुड के प्रख्यात निर्देशक हैं।
> राँची की अलीशा जीटीवी के कार्यक्रम 'डांस इण्डिया डांस' की उपविजेता बनी थीं।
> दीपक तिर्की महुआ चैनल पर प्रसारित कार्यक्रम 'चक दे बच्चे' के विजेता रह चुके हैं।
> धनबाद के म्यांग चांग बॉलीवुड के उभरते सितारे हैं।
> 2004 की फेमिना मिस इण्डिया तनुश्री दत्ता बॉलीवुड की प्रख्यात अभिनेत्री हैं।
> जमशेदपुर के माधवन भारतीय सिनेमा के जाने-माने कलाकार हैं।
> ज्योति रोज यूनिसेफ द्वारा वर्ष 2007 में 'गर्ल स्टार' के रूप में सम्मानित की जा चुकी हैं। इन्होनें विपरीत परिस्थितियों में रहकर शिक्षा प्राप्त की तथा झारखण्ड के लोकगीत तथा शास्त्रीय संगीत में महारत हासिल की है। वर्तमान में ज्योति रोज ऑल इण्डिया रेडियो में कार्यरत हैं।
> स्टार चैनल पर प्रसारित कार्यक्रम 'अमूल छोटे उस्ताद' की विजेता झारखण्ड की आकांक्षा हैं। इन्होनें पाकिस्तान के रेहान के साथ मिलकर यह खिताब जीता है।
> झारखण्ड के लोक गायक मधु मंसूरी हंसमुख तथा छऊ नृत्य कलाकार शशधार आचार्य को वर्ष 2020 के लिए तथा समाज सेवी छुटनी देवी को वर्ष 2021 के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है।
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