General Competition | History | (मध्यकालीन भारत का इतिहास) | दिल्ली सल्तनत (1206 - 1526)

गुलाम वंश को दास वंश / इल्बरी तुर्क वंश / ममलूक वंश के नाम से भी जाना जाता है ।

General Competition | History | (मध्यकालीन भारत का इतिहास) | दिल्ली सल्तनत (1206 - 1526)

General Competition | History | (मध्यकालीन भारत का इतिहास) | दिल्ली सल्तनत (1206 - 1526)

भूमिका:-
तुर्की आक्रमण के पश्चात् भारत में दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई, जिसके अंतर्गत कुल 5 राजवंश क्रमशः गुलाम वंश (1206–1290 ), खिलजी वंश (1290 - 1320), तुगलक वंश (1320 - 1414), सैय्यद (1414-1451), लोदी वंश (1451-1526 ) शासन किया जिसमें सर्वाधिक वर्षो तक तुगलक वंश ने शासन किया जबकि सबसे कम वर्षो तक शासन खिलजी शासकों ने किया ।

गुलाम वंश (1206-1290)

  • गुलाम वंश को दास वंश / इल्बरी तुर्क वंश / ममलूक वंश के नाम से भी जाना जाता है ।
  • इस राजवंश का सर्वाधिक उपर्युक्त नाम हबीबुल्लाह द्वार प्रस्तावित ममलूक वंश ही मान्य है ।

कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-1210)

  • ऐबक मुहममद गौरी के तीन प्रमुख गुलाम याल्दोज, कुबाजा के साथ शामिल था ।
  • मुहम्मद गौरी के निधन के पश्चात् ऐबक ने पूरे उत्तर भारतीय क्षेत्र में ममलूक वंश की स्थापना किया ।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने उत्तराधिकारी युद्ध की चुनौती का सामना अपनी कुशल वैवाहिक नीति से किया ।
  • ऐबक ने याल्दोज की पुत्री से विवाह किया।
  • ऐबक ने अपनी पुत्री का विवाह तुर्की दास इल्तुतमिश से किया ।
  • ऐबक ने अपनी बहन का विवाह कुबाचा से किया ।
  • ऐबक गौरी के निधन के पश्चात् शासन अपने हाथ में ले लिया, लेकिन उसने न तो अपने नाम के सिक्के चलवाए और न ही खुत्बा पढ़वाया ।
  • ऐबक ने “मलिक" और "सिपहसालार " की उपाधियों से ही शासन किया। उन्होनें सुल्तान की उपाधि धारण नहीं किया ।
  • कुतुबुद्दीन लाहौर को अपनी राजधानी बनाकर शासन किया ।
  • 1210 ई. में लाहौर में चौगान (पोलो) खेलते समय घोड़ा से अचानक गिर जाने के वजह से उसकी मृत्यु हो गई ।
  • ऐबक कुरान का अच्छा जानकार था एवं कुरान के अनुसार ही अपना आचरण करता था, इसलिए ऐबक को " कुरान खाँ" कहा जाता था ।
  • ऐबक को "लाखबख्श " भी कहा जाता था ।
  • मिन्हाज -उस- सिराज ने ऐबक को हातिम द्वितीय की उपाधि दिया।
  • ऐबक को भारत में इस्लामी स्थापत्य कला का जनक माना जाता है ।
  • ऐबक ने 1194 ई. में दिल्ली में जैन मंदिर के स्थान पर कुव्वत - उल - इस्लाम मस्जिद (प्रथम मस्जिद) तथा 1196 में अजमेर में संस्कृत कॉलेज के स्थान पर अढ़ाई दिन का झोपड़ा का निर्माण करवाया (हरिकेलि नाटक का अंश उद्धत है- विग्रहराज चर्तुथ )
  • ऐबक ने दिल्ली में 1206 में कुतुबमीनार का निर्माण कार्य आरंभ किया । ( 4 मंजिल) परंतु इसे पूरा इल्तुतमिश ने करवाया ।

आरामशाह (1210)

  • कुतुबुद्दीन ऐबक के उत्तराधिकारी के रूप में आरामशाह का विवरण मिलता है जो अयोग्य था जिस कारण दिल्ली की जनता ने उसे शासक मानने से इंकार कर दिया ।
  • उस समय के बदाँयू के प्रातांध्यक्ष इल्तुतमिश ने दिल्ली के निकट जड नामक स्थान पर "आरामशाह" को परास्त कर दिल्ली की सत्ता पर अधिकार कर लिया।

इल्तुतमिश (1211-1236)

  • इल्तुतमिश इल्बरी तुर्क था। कुतुबुद्दीन ऐबक के मृत्यु के समय वह बदाँयू का गर्वनर था ।
  • इल्तुतमिश को "गुलामों का गुलाम" कहा जाता है।
  • इल्तुतमिश को दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक माना जाता है । ऐसा इसलिए क्योंकि ऐबक और आरामशाह ने लाहौर से ही शासन किया जबकि इल्तुतमिश ने लाहौर की बजाय दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया। साथ ही पहली बार 1229 ई. में इलतुतमिश को ही बगदाद के खलीफा मुस्तान सिर बिल्हाह ने सुल्तान पद का प्रमाण पत्र दिया, जो कि दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक हुआ ।

कार्य

(1) इल्तुतमिश ने ही सर्वप्रथम दिल्ली के अमीरों का दमन किया।
(2) इल्तुतमिश ने चालीस तुर्क अमीर तथा गुलामों के दल को संगठित किया जिसे तुर्कान - ए - चहलगामी या "चालीसा दल" कहा जाता था ।
(3) इल्तुतमिश ने याल्दोज को 1215 ई. में तराईन के मैदान में परास्त कर बंदी बना लिया और उसकी हत्या कर दिया जिसे तराईन का तृतीय युद्ध माना जाता है।
(4) बंगाल का ग्यासुद्दीन आजम खिलजी इल्तुतमिश की अधीनता मानने से इन्कार कर दिया तत्पश्चात् इल्तुतमिश ने 1225 ई. में बंगाल पर आक्रमण कर अधीनता मनवाया।
(5) मंगोल संकटः-
भंगोलिया का शासक चंगेज खाँ था । इसका मूल नाम तेमूचीनी था। इसके पिता येसूगाई बहादुर था। चंगेज खाँ खुद को "ईश्वर का अभिशाप" कहा करता था। मंगोल आक्रमण से बचने के लिए ख्वारिज्म के शासक मंगवरनी को इल्तुतमिश ने भारत में आश्रय नहीं दिया जिससे खुश होकर चंगेज खाँ भारत पर आक्रमण किया, परंतु सिंधु नदी तट से ही लौट गया ।
  • इल्तुतमिश पहला तुर्क सुल्तान था, जिसने शुद्ध अरबी सिक्के जारी किये। इन्होनें चाँदी का टंका और ताँबे का जीतल चलवाया ।
  • कुतुबमीनार का निर्माण पूर्ण करने का श्रेय इल्तुतमिश को ही जाता है ।
  • इल्तुतमिश के दरबार में प्रसिद्ध इतिहाकार मिन्हाज -उस- सिराज रहता था जिन्होनें तबकात - ए - नासिरी की रचना किया था ।
  • इल्तुतमिश अपने बड़े पुत्र महमूद के निधन हो जाने के कारण उनके याद में दिल्ली में सुल्तानगदी का मकबारा बनवाया ।
  • इल्तुतमिश का निधन 1236 ई. में हो गया । इन्होनें अपना उत्तराधिकारी अपनी योग्य पुत्री रजिया सुल्तान को नियुक्त किया, परंतु उसकी मृत्यु के अगले दिन ही अमीरों ने उसके अयोग्य पुत्र रूकनुद्दीन फिरोजशाह को सुल्तान बना दिया। उसके शासनकाल में उसकी माँ शाह तुर्कान छायी रहीं ।

रजिया सुल्तान (1236-1240)

  • रजिया जनता की हस्तक्षेप से शासिका बनीं।
  • रजिया सुल्तान पहली मुस्लिम महिला थी जिसने शासन की बागडोर संभाली।
  • रजिया ने पर्दा त्याग कर पुरूषों की भाँति कुबा (कोट) व कुलाहा (टोपी) पहनकर जनता के समक्ष आने लगी ।
  • रजिया ने अबीसिनिया निवासी एक गुलाम मलिक जलालुद्दीन याकूत को अमीर-ए-आखुर" अर्थात अश्वशाला प्रधान के पद पर नियुक्त किया ।
  • इन नियुक्तियाँ से खफा उसके एक अमीर अल्तुनिया, जिसे रजिया ने तबरहिन्द ( भटिंडा ) का इक्तादार नियुक्त किया था, ने विद्रोह कर दिया जिसमें अमीर वर्ग ने उसका साथ दिया। हलाँकि बाद में रजिया ने अल्तुनिया को अपने साथ मिलाने के लिए उससे शादी कर ली ।
  • रजिया जब अमीरों का दमन करने राजधानी से बाहर निकली तभी जलालुद्दीन याकूत को तुर्क अमीरों ने मारकर राजधानी में मुईजुद्दीन बहरामशाह को बैठा दिया ।
  • ऐसा माना जाता है कि जब रजिया, अल्तुनिया के साथ राजधानी वापस लौट रही थी, तभी रास्ते में षड्यंत्रकारी डाकूओं ने कैथल के पास 13 अक्टूबर 1240 को हत्या कर दिया।
♦ एलफिंस्टन के अनुसार, "यदि रजिया स्त्री ना होती तो उसका नाम भारत के महान शासकों में लिया जाता ।”
♦ मिन्हाज लिखता है - "भाग्य ने उसे पुरूष नहीं बनाया, वरना उसके समस्त गुण उसके लिए लाभप्रद हो सकते थें रजिया में वे सभी प्रशंसनीय गुण थें जो एक सुल्तान में होने चाहिए ।"

रजिया के बाद शासक

  • 1240 में रजिया के मृत्यु के बाद बहरामशाह शासक बना।
  • बहरामशाह अपने शासनकाल में एक नए पद "नायब" अथवा नायब-ए-मुमलिकात का सृजन किया, जो संपुर्ण अधिकारों का स्वामी होता था ।
  • 1242 में इसकी हत्या कर दी गई।
  • 1242 में बहराम शाह की हत्या के बाद अमीरों ने अलाउद्दीन मसूद शाह को सुल्तान बनाया ।
  • बलवन ने 1246 में मसूदशाह को बंदी बनाकर इल्तुतमिश के पौत्र नासिरूद्दीन महमूद को सुल्तान बनाया ।
  • नसिरूद्दीन महमूद धर्मपारायण और सच्चरित्र था, परंतु वह नाममात्र का सुल्तान था।
  • नसिरूद्दीन ने शासन का कार्य नायब - ए - मुमलिकात बलवन को सौंप दिया जिससे बलवन का कद काफी बढ़ गया।
  • बलवन ने अपनी पुत्री का विवाह नासिरूद्दीन महमूद से किया ।
  • नासिरूद्दीन महमूद ने बलवन को "उलूग खाँ" की उपाधि दिया।
  • नासिरूद्दीन महमूद ऐसा सुल्तान था जो अपना जीवन निर्वाह टोपी सिलकर करता था ।
  • 1265 में नासिरूद्दीन महमूद की मृत्यु के बाद बलवन दिल्ली का सुल्तान बना ।

बलवन (1266-1286)

  • बलवन इल्बरी तुर्क का था । बचपन में मंगोलों ने पकड़कर उसे दास के रूप में ख्वाजा जलालुद्दीन के हाथ बेच दिया । ख्वाजा उसे शिक्षा देकर 1223 में दिल्ली लाया
  • बलवन अपनी योग्यता और दूरदर्शिता के कारण उन्नति करता गया और कलांतर में इल्तुतमिश के चालीसा दल का सदस्य बना।
  • इसका वास्तविक नाम बहाउद्दीन था और वह गियासुद्दीन बलवन के नाम से गद्दी पर बैठा ।
  • बलवन स्वयं को ईरान के अफरसियाब वंश का बताता था ।
  • बलवन का प्रसिद्ध कथन था - जब भी मैं किसी निम्न कुल के व्यक्ति को देखता हूँ तो अत्यधिक क्रुद्ध होकर मेरा हाथ स्वयं तलवार पर चला जाता है ।
  • बलवन ने अपने विरोधियों की समाप्ति के लिए लौह व रक्त की नीति अपनाया ।
  • चालीसा दल को समाप्त कर दिया |
  • बलवन ने राज्य में दैवीय राजत्व का सिद्धांत प्रतिपादित किया । इसके अनुसार बलवन ने स्वयं नियाबत - ए - खुदाई ( ईश्वर का प्रतिनिधि) तथा जिल्ल-ए-इलाही ( ईश्वर की छाया) बताया था।
  • “राजत्व” से तात्पर्य उन सिद्धांतों, नीतियों तथा कार्यों से है, जिन्हें सुल्तान अपनी प्रभुसत्ता, अधिकार एवं शक्ति को स्पष्ट करने के लिए अपनाता था ।
  • के. ए. निजामी के अनुसार "बलवन दिल्ली सल्तनत का एक मात्र ऐसा सुल्तान है, जिसने राजत्व के विषय में विचार स्पष्ट रूप से रखें ।"
  • बलवन ने सिजदा (दंडवत् ) एवं पाबोस (पैर चूमना ) प्रथा की शुरूआत किया ।
  • बलवन ने ईरानी त्योहार "नवरोज' को मनाना प्रारंभ किया ।
  • बलवन ने दीवान - ए - अर्ज ( सैन्य विभाग) की स्थापना किया ।
  • गुप्तचर अधिकारी को बरीद कहा जाता था ।
  • बलवन के दरबार में फारसी के प्रसिद्ध कवि अमीर खुसरों व अमीर हसन रहता था।
  • बलवन का निधन 1286 में हो गया ।

बलवन के उत्तराधिकारी

  • बलवन की इच्छा अपने ज्येष्ठ पुत्र मुहम्मद को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने की थी, परंतु बलवन के जीवनकाल में ही वह मंगोलो से संघर्ष करता हुआ मारा गया इसलिए बलवन ने अपना उत्तराधिकारी मुहम्मद के पुत्र कैखुसरों को घोषित किया ।
  • बलवन की मृत्यु के बाद उसके विश्वस्तों ने ही उसके आदेश की अवहेलना करते हुए बुगरा खाँ के अल्पवयस्क विलासी पुत्र कैकुबाद को सुल्तान बनाया (बुगरा खाँ - बलवन का पुत्र) और कैखुसरों की हत्या करवा दिया।
  • कैकुबाद को फिरोज खिलजी ने मारकर यमुना में फेकवा दिया और तीन महीने तक उसके पुत्र शमसुद्दीन क्यूमर्स के संरक्षण में रहा और जून 1290 में उसकी हत्या कर फिरोज खिलजी दिल्ली का अगला सुल्तान बना।
  • इस सत्ता परिवर्तन के साथ ही ममलूक वंश का अंत हो गया और खिलजी वंश के शासन की स्थापना हुआ।

खिलजी वंश (1290-1320)

  • खिलजी वंश की स्थापना जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने 1290 ई. में किया। इस वंश के अंतर्गत 5 शासको यथा- जलालुद्दीन फिरोज खिलजी, अलाउद्दीन खिलजी, शिहाबुद्दीन उमर, कुतुबुद्दीन मुबारक शाह व नासिरूद्दीन खुसरोशाह ने 30 वर्षो तक शासन किया।
  • इस काल की मुख्य विशेषताएँ यह रही कि इस दौरान तत्कालीन भारतीय सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक संरचना में मूलभूत परिवर्तन हुए । यही कारण है कि खिलजी वंश को एक क्रांति के रूप में देखा जाता है।
  • खिलजी क्रांति का सामान्य अर्थ है- जाति व नस्ल आधारित शासन व्यवस्था की समाप्ति, क्योंकि अब उच्च समझे जाने वाले इल्बरी तुर्कों के स्थान पर निम्न तुर्क खिलजियों ने सत्ता संभाल ली।
  • मुहम्मद हबीब ने तुर्कों के आगमन को नगरीय क्रांति से जोड़ा था तो अलाउद्दीन खिलजी के कार्यों से वह "ग्रामीण क्रांति" की बात करते हैं ।

जलालुद्दीन फिरोज खिलजी (1290-1296)

  • ये बलवन के कार्यकाल में सैनिक सेवा में शामिल हुआ और इन्होनें कई अवसरों पर मंगोल आक्रमण का मुकाबला कर सफलता प्राप्त की ।
  • जलालुद्दीन का राजनीतिक उत्कर्ष कैकुबाद के समय में प्रारंभ हुआ। कैकुबाद के समय वह सर-ए-जहाँदार (शाही अंगरक्षक) के पद पर था । कैकूबाद उसको शाइस्ता खाँ की उपाधि दी ।
  • 1290 में कैकूबाद द्वारा निर्मित किलोखरी (उत्तरप्रदेश) के महल में जलालुद्दीन न अपना राज्याभिषेक कराया और दिल्ली का सुल्तान बना। इन्होनें किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया । राज्याभिषेक के समय उनकी आयु 70 वर्ष थी ।
  • जलालुद्दीन ने "अहस्तक्षेप की नीति" अपनाया ।
  • जलालुद्दीन के समय 1292 ई. में अब्दुल्ला के नेतृत्व में मंगोलों ने आक्रमण किया।
  • जलालुद्दीन खिलजी के शासनकाल में मंगोल नेता चंगेज खाँ का नाती उलूग खाँ अपने हजारों समर्थकों के साथ भारत पहुँचा एवं उन्होनें इस्लाम धर्म को अपना लिया जो "नवीन मुसलमान" के नाम से जाना गया ।
  • दक्षिण भारत पर प्रथम मुस्लिम आक्रमण देवगिरी (महाराष्ट्र) के यादव शासक रामचंद्र पर जलालुद्दीन खिलजी के शासनकाल में अलाउद्दीन खिलजी के नेतृत्व में हुआ था ।
  • जुलाई 1296 में अलाउद्दीन खिलजी ने सुल्तान जलालुद्दीन को कड़ा मानिकपुर बुलाकर गले मिलते समय धोखे से चाकू मारकर हत्या कर दी और सत्ता पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया ।

अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316)

  • अलाउद्दीन खिलजी का मूल नाम अली गुरशास्प था यह जलालुद्दीन खिलजी का भतीजा एवं दमाद था । इन्होनें अपने चाचा एवं ससुर की हत्या कर गद्दी प्राप्त किया । (जन्म - 1266-67, पिता- शिहाबुद्दीन खिलजी)
  • सुल्तान बनने के पूर्व अलाउद्दीन खिलजी कड़ा मानिकपुर (इलाहाबाद) का सूबेदार था ।
  • अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली में प्रवेश कर बलवन के लाल महल में विधिवत रूप से अपना राज्याभिषेक करवाया ।
  • अलाउद्दीन खिलजी शुरू में एक नया धर्म चलाना चाहता था तथा पूरे विश्व को जीतना चाहता था, परंतु दिल्ली के कोतवाल अलाउलमुल्क के कहने पर इन दोनों इच्छा को त्याग दिया ।
  • अलाउद्दीन खिलजी ने "सिकंदर-ए-सानी" की उपाधि धारण किया। इसे द्वितीय सिकंदर भी कहा जाता है ।
  • अलाउद्दीन खिलजी चार अध्यादेश जारी किए। (गद्दी पर बैठते समय )

उत्तर भारत अभियान

गुजरात अभियान (1298-99 ई):-
अलाउद्दीन खिलजी उलूग खाँ और नूसरत खाँ के नेतृत्व में गुजरात पर आक्रमण किया। इस समय वहाँ के शासक रायकर्ण थें, जो आक्रमण का सामना नहीं कर सका और वह दक्षिण की ओर भाग गया। रायकर्ण ने देवगिरी के शासन रामचंद्र देव के यहाँ शरण ली।
  • सुल्तान की सेना ने गुजरात विजय के बाद सूरत सहित कई नगरों व सोमनाथ मंदिर को लूटा, इसी अभियान के समय खम्भात बंदरगाह पर आक्रमण के समय नूसरत खाँ ने एक हिन्दु हिजड़ा मलिक काफूर को 1 हजार दिनार में खरीदा जिस कारण इसे 1000 दिनारी भी कहा जाता है। कालांतर में इसी के नेतृत्व में अलाउद्दीन खिलजी ने, दक्षिण भारत को जीता ।

रणथंभौर अभियान (1301 ई.)

  • अलाउद्दीन खिलजी ने उलूग खाँ एवं नूसरत खाँ के नेतृत्व में राजपुताना राज रणथंभौर पर आक्रमण किया इस समय यहाँ के शासक हम्मीरदेव था। माना जाता है कि यहाँ लगभग 1 साल तक सुल्तान की सेना को कोई सफलता नहीं मिली। अंत में 1301 ई. में हम्मीर देव का प्रधानमंत्री रणमल सुल्तान से जा मिला तत्पश्चात हम्मीर देव युद्ध में मारा गया जिसके बाद उसकी पत्नी रंगदेवी अनेक राजपूत महिलाओं के साथ जौहर ( आग में कूदकर आत्मदाह कर ली ।
  • इसी अभियान के समय नुसरत खाँ मारा गया ।

चित्तौड़ अभियान (1303 ई.)

  • अलाउद्दीन खिलजी 1303 ई. में चित्तौड़ पर आक्रमण किया ऐसा माना जाता है कि चित्तौड़ की रानी पद्मिनी की सुन्दरता से प्रभावित होकर अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ अभियान किया ।
  • मलिक मोहम्मद जयसी ने अपनी रचना "पद्मावत" में इसका उल्लेख किया है ।
  • इस अभियान में अमीर खुसरों अलाउद्दीन खिलजी के साथ था ।
  • इस समय चित्तौड़ का शासक राणा रतन सिंह थें ।
  • इसी अभियान के दौरान मंगौल तारगी बेग ने दिल्ली में सुल्तान की अनुपस्थिति की लाभ उठाकर चढ़ाई कर दी, परंतु अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ की घेराबंदी नहीं तोड़ा ।
  • चित्तौड़ के राणा रतन सिंह ने घेरेबंदी के सात माह बाद आत्मसर्मपण कर दिया। अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ विजय के बाद यहाँ का शासक अपने बेटे खिज्र खाँ को नियुक्त किया और चित्तौर का नाम बदलकर खिज्राबाद कर दिया ।

मालवा अभियान (1305 ई.)

  • अलाउद्दीन खिलजी 1305 ई. में मुल्तान के सुबेदार आइन-उल-मुल्क के नेतृत्व में मालवा पर आक्रमण कर उसे जीतकर अपने साम्राज्य में मिलाया ।
  • 1308 ई. में सुल्तान ने कमालुद्दीन गुर्ग के नेतृत्व में मारवार (शासक शीतल देव ) को जीतकर अपने साम्राज्य में मिलाया ।
  • अलाउद्दीन खिलजी 1311 ई में जालौर का विजय किया इस समय यहाँ के शासक कान्हण देव था।

दक्षिण भारत अभियान

  • अलाउद्दीन खिलजी मध्य युग का पहला शासक था जिन्होनें विंध्य पार किया इनके दक्षिण अभियान के विषय में जानकारी हमें बरनीकृत "तारीख-ए-फिरोजशाही तथा अमीर खुसरों" की रचना 'खजायन - उल - फुतहू' एवं इसामी की रचना 'फुतहू -उस-सलातीन' से मिलती है |
  • अलाउद्दीन खिलजी मलिक काफूर के नेतृत्व में दक्षिण भारत का अभियान किया ।
देवगिरी अभियान ( 1307-08 ई):-
अलाउद्दीन खिलजी (1307-08 ई.) में मलिक काफूर के नेतृत्व में देवगिरी पर आक्रमण किया। मलिक काफूर ने यहाँ के शासक रामचंद्र देव को पराजित कर दिल्ली भेज दिया ।
  • ऐसा माना जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी ने राजा के साथ अच्छा व्यवहार किया और उसे "राय रायन" की उपाधि दी, साथ ही उसका राज्य वापस कर दिया। इस व्यवहार से रामचंद्र इतना प्रभावित हुआ कि उसने फिर कभी भी सुल्तान के विरूद्ध विद्रोह नहीं किया ।
तेलंगाना (वारंगल ) अभियान:-
लाउद्दीन खिलजी 1309 ई. में मलिक काफूर के नेतृत्व में वारंगल पर आक्रमण किया इस समय यहाँ के शासक प्रताप रूद्र देव था। दोनों के बीच संघर्ष हुआ जिसमें जल्द ही प्रतापरूद्रदेव सर्मपण कर दिया और सुल्तान की अधीनता स्वीकार किया। इसी अवसर पर प्रतापरूद्रदेव ने मल्लिक काफूर को प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा सौंपा।
पांड्य अभियान (1311):-
अपांड्य राज भारत के अंतिम दक्षिण छोड़ पर पर था । वहाँ सुंदर पांड्य और वीर पांड्य दोनों भाई के बीच सिंहासन को लेकर गृह युद्ध चल रहा था ।
  • सुन्दर पांड्य ने अपने भाईयों के विरूद्ध सुल्तान अलाउद्दीन खिजली से सहायता माँगी। सुल्तान ने अवसर का लाभ उठाकर 1311 ई. में मलिक काफूर को आक्रमण के लिए खलजी
  • काफूर ने जल्द ही पांड्य राज्य की राजधानी मदुरै पर अधिकार कर लिया, वीर पांड्य वहाँ से भाग खड़ा हुआ । मलिक काफूर ने नगर में लूटपाट की अनेक मंदिर नष्ट किये। अपने साथ वह लूटपाट की अपार धन संपत्ति लाया, जो इसके पूर्व कभी नहीं लाया था ।
देवगिरी पर पुनः आक्रमणः-
राजा रामचंद्र देव की मृत्यु के बाद उसका पुत्र शंकर देव या सिंहन देव गद्दी पर बैठा । उसने अपने को दिल्ली शासन से स्वतंत्र कर लिया और कर देना बंद कर दिया।
  • प्रतिक्रिया स्वरूप 1313 ई. में सुल्तान ने मलिक काफूर को पुनः देवगिरी पर आक्रमण के लिए भेजा, इस युद्ध में शंकर देव मारा गया। यहाँ भी काफूर ने विभिन्न नगरों को लूटा | 

अलाउद्दीन खिलजी के अनुसार

  • अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली का ऐसा पहला सुल्तान था जिसने उलेमा वर्ग की उपेक्षा करते हुए धर्म पर राज्य नियंत्रण स्थापित किया, अर्थात उलेमा वर्ग का विरोध किया ।
सैन्य सुधारः -
अलाउद्दीन खिलजी पहला ऐसा सुल्तान था जिसने स्थायी सेना की व्यवस्था किया। अलाउद्दीन खिलजी ने सैनिकों को नगद वेतन देना शुरू किया। इससे पूर्व सैनिकों को जागीर देने की प्रथा प्रचलित थी । ऐसा माना जाता है कि एक सैनिक का वेतन 234 टंका प्रतिवर्ष था ।
  • अलाउद्दीन खिलजी सैनिकों का हुलिया लिखने की प्रथा तथा घोड़ों को दागने की प्रथा का शुरूआत किया ।
  • अलाउद्दीन खिलजी एक अस्पा दो अस्पा का प्रचलन किया |
आर्थिक सुधारः-
अलाउद्दीन खिलजी ने पहले से प्रचलित जागीरदारी प्रथा को समाप्त कर दिया ।
  • अलाउद्दीन खिलजी ने दान दी गयी अधिकांश भूमि को छीनकर खालसा भूमि में परिवर्तित कर दिया ।
  • पूर्णतः केंद्र के नियंत्रण में रहने वाली भूमि पर अलाउद्दीन खिलजी ने कर की दर को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया ।
  • इन्होनें सल्तनत में गैर मुसलमानों पर चार प्रकार के कर लगा रखें थें जिनमें जजिया कर, खराज या भुमी कर, गृह कर और चारागाह कर आदि थें ।
  • अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण प्रणाली को दृढ़ता से लागू किया । इन्होनें जीवन निर्वाह की आवश्यक वस्तुओं के मूल्य को स्थायी कर दिया । 
  • बाजार का सबसे बड़ा अधिकारी सदर-ए-रियासत' कहलाता था, जिसकी नियुक्ति सुल्तान करता था ।
  • सदर-ए-रियासत के अधीन तीन अधिकारी (1) शहना ( निरीक्षक), (2) बरीद ( गुप्तकर अधिकारी) और (3) मुन्हीयाँ (गुप्तचर) नियुक्त किये जाते थें 
  • अलाउद्दीन खिलजी को "सार्वजनिक वितरण प्रणाली का जनक कहा जाता है ।
  • सराय अदल सरकारी सहायता प्राप्त बाजार था । जहाँ वस्त्र एवं अन्य वस्तुओं का व्यापार होता था ।
  • सहना - ए - मंडी बाजार का दरोगा होता था ।

खिलजी वंश का पतन

  • अलाउद्दीन खिलजी के मृत्यु (1316 ई.) के बाद क्रमशः शिहाबुद्दीन उमर, कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी तथा नासिरूद्दीन खुसरोशाह जैसे अयोग्य शासक सत्ता पर बैठें।
  • कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी (1316 - 1320 ई.) पहला सुल्तान शासक था जिसने अपने आप को खलीफा घोषित किया। 1317 ई. में देवगिरी की पुर्नविजय उसकी एक बड़ी उपलब्धि थी !
  • बाद के दिनों में वह विलासी प्रवृत्ति का हो गया और दरबार में भी स्त्रियों की पौशाके धारण करने लगा।
  • मुबारक शाह खिलजी की हत्या कर खुसरों शाह शासक बना। वह अपने आप को पैगंबर का सेनापति कहता था !
  • ग्यासुद्दीन तुगलक ने खिलजी वंश के अंतिम सुल्तान खुसरों शाह की हत्या कर स्वयं को सुल्तान घोषित किया और तुगलक वंश की नीव डाली।

तुगलक वंश (1320-1414)

  • 1320 ई. में गयासुद्दीन तुगलक ने खिलजी वंश के अंतिम शासक खुसरों शाह की हत्या कर दिल्ली सल्तनत में एक नए वंश तुगलक वंश की स्थापना की ।

प्रमुख शासक

गयासुद्दीन तुगलक शाह (1320-1325 ) :-
गयासुद्दीन तुगलक या गाजी मलिक तुगलक वंश का संस्थापक था । यह वंश "कराना तुर्क" के वंश के नाम से भी प्रसिद्ध था, क्योंकि गयासुद्दीन तुगलक का पिता कराना तुर्क था।
  • गाजी मलिक का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उसकी माँ पंजाब की एक जाट महिला थी और पिता बलबन का तुर्की दास था ।
  • गाजी मलिक अपनी योग्यता व कठिन परिश्रम के कारण अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में दीपालपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया ।
  • मंगोलों को पराजित करने के कारण गयासुद्दीन तुगलक "मलिक-उल-गाजी" के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
  • दिल्ली का पहला सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक था जिसने 'गाजी' (काफिरों का घातक) की उपाधि धारण किया।
  • गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के समीप स्थित पहाड़ियाँ पर रोमन शैली में तुगलकाबाद नामक नगर स्थापित किया ।
  • गयासुद्दीन तुगलक ने अलाउद्दीन के समय में लिये गये अमीरों की भूमि को पुनः लौटा दिया।
  • 1324 ई. में गयासुद्दीन तुगलक ने बंगाल को जीतकर दिल्ली सल्तनत में मिला लिया।
  • बंगाल विजय से लौटते वक्त उसने उत्तरी बिहार के क्षेत्र मिथिला के हरिसिंह देव को पराजित किया एवं तिरहुत के क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित कर लिया ।
  • गयासुद्दीन तुगलक ने सिंचाई के लिए कुएँ एवं नहरों का निर्माण करवाया। संभवतः नहरों का निर्माण करने वाला गयासुद्दीन तुगलक पहला शासक था। 
  • 1325 ई. में बंगाल अभियान से वापस लौटते समय गयासुद्दीन तुगलक की आगवानी के लिए दिल्ली के समीप अफगानपुर में उसके पुत्र जौना खाँ द्वारा स्वागत के लिए लकड़ी का भवन निर्मित किया गया था । जब मंडप के नीचे सुल्तान के स्वागत का जश्न मनाया जा रहा था तभी अचानक हाथियों के आ जाने से वह मंडप गिर गया और मलबे के नीचे गयासुद्दीन तुगलक दबकर मर गयें।
  • गयासुद्दीन तुगलक को सुफी संत निजामुद्दीन औलिया ने कहा था- हुनूज दिल्ली दूरस्थ |
मुहम्मद बिन तुगलक (1325-1351 ई):-
गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जौना खाँ, मुहम्मद बिन तुगलक की उपाधि धारण कर सुल्तान बना ।
  • मध्यकालान सभी सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक सर्वाधिक शिक्षित, विद्वान एवं योग्य व्यक्ति था ।
  • मुहम्मद बिन तुगलक को उनकी सनक भरी योजना के कारण विरोधी तत्वों का मिश्रण, स्वप्नशील, पागल, रक्तपिपासु कहा गया ।

योजनाएँ

(1) राजधानी परिवर्तनः-
मुहम्मद बिन तुगलक ने अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरी स्थानांतरित किया और इसका नाम दौलताबाद रखा।
  • इसका सबसे पहला कारण देवगिरी का साम्राज्य के केंद्र में स्थित होना था । सुल्तान ऐसे स्थान को राजधानी बनाना चाहता था। जो सामरिक महत्व का होने के साथ-साथ राज्य के केंद्र में स्थित है ।
  • दौलताबाद से दिल्ली पर मंगोलों या अन्य विदेशी आक्रमणों को रोकना संभव नहीं था। इसलिए उसने अपनी भूल स्वीकार कर ली और 1335 ई. में राजधानी पुनः दिल्ली स्थानांतरित कर ली ।
(2) दोआब क्षेत्र में कर वृद्धिः-
मुहम्मद बिन तुगलक ने 1325 ई. में दोआब क्षेत्र में कर की दर बढ़ा दिया। लेकिन उसी समय अकाल पड़ने के कारण जनता कर अदा करने में सक्षम नहीं था। इसके वावजूद उसके अधिकारियों ने बलपूर्वक कर की वसूली किया, जिस कारण मुहम्मद बिन तुगलक जानता के बीच अलोकप्रिय हो गया।
(3) सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन :-
मुहम्मद बिन तुगलक चाँदी की कमी को दूर करने के उदेश्य से ताँबा और काँसा का सिक्का जारी किया जिसका मूल्य सोना और चाँदी के मुद्रा के समान था। 
  • मुहम्मद बिन तुगलक चीन और ईरान से प्रभावित होकर सांकेतिक मुद्रा चलाया ।
  • मुहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में अफ्रीका के मोरक्को यात्री इब्नबतूता ( 1333 ) भारत आया, उसे सुल्तान ने दिल्ली का काजी नियुक्त किया ।
  • 1342 ई. में मुहम्मद बिन तुगलक ने इब्नबतूता को अपना राजदूत बनाकर चीन भेजा।
  • इब्नतूता ने रिहला (अरबी भाषा) नामक ग्रंथ की रचना किया।
  • मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में 1336 ई. में हरिहर एवं बुक्का ने विजयनगर साम्राज्य तथा 1347 ई. में अलाउद्दीन बहमनशाह ने बहमनी साम्राज्य की स्थापना किया।
  • मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में जैन विद्वान जिन प्रभासुरी तथा राजशेखर रहता था।
  • दिल्ली सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक पहला सुल्तान था जो हिन्दु के त्योहार मुख्यतः होली में भाग लेता था।
  • दिल्ली सल्तनत में मुहम्मद बिन तुगलक के समय सर्वाधिक विद्रोह हुआ ।
  • 1351 ई. में विद्रोह को दबाने हेतु थट्टा (सिंध) जाते समय सुल्तान रास्ते में बीमार पर गया । अंततः मार्च 1351 ई. में सुल्तान की मृत्यु हो गई ।
  • मुहम्मद बिन तुगलक के मृत्यु पर टिप्पणी करते हुए बदायूँनी ने लिखा है कि "सुल्तान को उसकी प्रजा से और प्रजा को सुल्तान से मुक्ति मिल गई ।"
  • एडवर्स टॉमस ने मुहम्मद बिन तुगलक को धनवानों का राजकुमार कहा ।
फिरोजशाह तुगलक ( 1351 से 1388 ) :-
मोहम्मद बिन तुगलक के निधन के पश्चात् 1351 ई. में उसका चचेरा भाई फिरोजशाह तुगलक शासक बना, इनकी माता राजपुत सरदार की पुत्री थी ।
  • फिरोजशाह तुगलक का राज्याभिषेक दो बार हुआ। पहले 22 मार्च 1351 को थट्टा (सिंध) में उसके बाद अगस्त 1351 में दिल्ली में हुआ ।
कर व्यवस्था:-
फिरोजशाह तुगलक 24 प्रकार के अतिरिक्त करों "अबवाब" को समाप्त कर दिया किन्तु चार महत्वपूर्ण कर जारी रखें। (1) खराज ( 2 ) जजिया (3) जकात (4) खूम्सा। इसके अतिरिक्त "हक ए शर्ब" नामक सिंचाई कर भी लगाया जिसकी दर 1 / 10 थी । 
  • फिरोजशाह तुगलक ब्राह्मणों पर जजिया कर लगाने वाला पहला मुसलमान शासक था।

सैन्य अभियान

  • फिरोजशाह तुगलक के समय बंगाल दिल्ली सल्तनत के नियंत्रण से बाहर हो गया । 1360 में फिरोजशाह तुगलक ने उड़ीसा पर आक्रमण कर जगन्नाथ मंदिर को नष्ट कर दिया और काफी धन लूटा |
  • 1365 ई. में फिरोजशाह तुगलक ने हिमाचल प्रदेश के ज्वालामुखी मंदिर को नष्ट कर वहाँ के पुस्तकालय से लूटे गये तेरह सौ ग्रंथों में से कुछ को फारसी में विद्वान अपाउद्दीन द्वारा ढलायते - फिरोजशाही नाम से अनुवाद कराया। 

अन्य कार्य 

  • फिरोजशाह तुगलक अपनी आत्मकथा फुतुहात - ए - फिरोजशाही लिखी ।
  • इन्होनें बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए दफ्तर - ए - रोजगार नामक नये विभाग का निर्माण करवाया ।
  • F.S.T ने लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने हेतु राजकीय अस्पताल का निर्माण करवाया जिसे दार-उल- सफा कहा गया ।
  • फिरोजशाह तुगलक के दरबार में सबसे अधिक दास (1 लाख 80 हजार) रहता था।
  • फिरोजशाह तुगलक ने फतेहाबाद, हिसार, फिरोजपुर, जौनपुर और फिरोजाबाद नामक नगर का निर्माण करवाया।
  • फिरोजशाह तुगलक ने कुतुबमिनार का मरम्मत करवाई ।
  • फिरोजशाह तुगलक द्वारा अशोक के स्तंभों को मेरठ एवं टोपरा से दिल्ली लाया गया ।
  • इसने सैन्य पदों को वंशानुगत बना दिया ।
  • इसने जियाउद्दीन बरनी एवं शम्स - ए - शिराज अफीफ को अपना संरक्षण प्रदान किया ।
  • फिरोजशाह तुगलक ने चाँदी एवं ताँबे के मिश्रण से सिक्के जारी किए जिसे "अद्धा" एवं "विख" कहा जाता है ।
  • फिरोजशाह तुगलक ने दिल्ली में "फिरोजाबाद कोटला दुर्ग" का निर्माण करवाया ।
  • फिरोजशाह तुगलक का निधन 1388 में हो गया ।
  • फिरोजशाह तुगलक के दरबार में बरनी नामक विद्वान रहता था जिन्होनें तारीख-ए-फिरोजशाही तथा फतबा-ए-जहाँदारी नामक ग्रंथ की रचना किया।

फिरोजशाह तुगलक के उत्तराधिकारी (1388-1414)

  • 1388 में फिरोजशाह तुगलक के पश्चात् उसका उत्तराधिकारी तुगलकशाह बना । इन्होनें अपना नाम गयासुद्दीन तुगलक द्वितीय रखा । ( 1388-89 )
  • शीघ्र ही इसके स्थान पर अबुबर्क ( 1389-90 ) शासक बना परंतु अबुबर्क को हटाकर मुहम्मदशाह शासक बना। इसके स्थान पर हुमायूँ खाँ शासक बना जिन्होनें अपना नाम अलाउद्दीन सिकंदर शाह रखा।
  • तुगलक वंश के अंतिम शासक के रूप में नासिरूद्दीन महमूद शाह (1394 - 1412 ) का विवरण मिलता है। इनके समय में दिल्ली से पालम तक शासन रह गया था जबकि फिरोजाबाद में  नुसरतशाह का शासन था अर्थात एक साथ एक ही वंश के अंतर्गत दो शासक समानांतर रूप से शासन किया। 
  • नासिरूद्दीन महमूद शाह के शासन काल में 1398 ई. में तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया।
  • जब तैमूर दिल्ली पर आक्रमण किया तब नासिरूद्दीन महमूद शाह भागकर गुजरात चला गया। तैमूर के भारत से वापस लौटने के बाद पुनः नासिरूद्दीन महमूद शाह अपने वजीर मल्लू इकबाल की सहायता से दिल्ली लौटा ।
  • कुछ ही दिनों बाद मल्लू इकबाल मुल्तान के सूबेदार तथा तैमूर के प्रतिनिधि खिज्र खाँ से संघर्ष करते हुए मारा गया। फलतः महमूद शाह ने दौलत खाँ लोदी को अपना वजीर नियुक्त किया ।
  • 1412 में नासिरूद्दीन महमूद शाह का निधन हो गया । फलतः दौलत खाँ लोदी अपने को शासक घोषित कर दिया परंतु 1414 ई. में खिज्र खाँ ने दौलत खाँ लोदी को अपदस्थ कर अपने को शासक घोषित कर दिया। इसी के साथ दिल्ली में तुगलक वंश के स्थान पर सैय्यद वंश के शासन की स्थापना हुई ।

सैय्यद वंश (1414-1451)

  • सैय्यद वंश का संस्थापक खिज्र खाँ था । (37 वर्ष) यह सैय्यद वंश का काफी प्रतापी शासक भी था ।
  • सैय्यद वंश स्वयं को इस्लाम धर्म के संस्थापक पैगम्बर मुहम्मद का वंशज मानते थें ।
  • सल्तनत काल में शासन करने वाला यह एकमात्र शिया वंश था ।
  • 1398 ई. में तैमुर के भारत आक्रमण के समय खिज्र खाँ ने उसकी सहायता की परिणामतः तैमुर ने भारत वापसी पर उसे मुलतान, लाहौर एवं दिपालपुर का सुबेदार नियुक्त किया। तत्पश्चात् 1414 ई. में वह दिल्ली की राजगद्दी पर बैठा ।
  • शासक बनने के बाद खिज्र खाँ ने सुलतान की उपाधि धारण नहीं किया बल्कि खुद को "रैय्यत–ए–आला” कहा अर्थात तैमूर का “मातहत”।
  • खिज्र खाँ ने सिक्कों पर तुगलक सुलतान का नाम रहने दिया, नये सिक्कों पर उसने तैमुर तथा उसके पुत्र शाहरूख मिर्जा का नाम अंकित करवाया ।
  • खिज्र खाँ अपने शासनकाल में तैमुर के पुत्र एवं उत्तराधिकारी शाहरूख के प्रतिनिधि के रूप में शासन करने का दिखावा करता था। 20 मई 1421 ई. को खिज्र खाँ की मृत्यु हो गई ।

मुबारकशाह (1421-1434)

  • खिज्र खाँ के पश्चात् उसका पुत्र मुबारकशाह 'सुलतान' की उपाधि धारण कर शासक बना।
  • मुबारकशाह ने 'खुत्वा' पढ़वाया और अपने नाम के सिक्के चलवाए साथ ही खुत्बे से तैमुर वंशजों व सिक्कों से तुगलक वंश के शासकों का नाम हटवा दिया। उसने सिक्कों पर अपना नाम 'मुईज-उद्-दीन मुबारक' खुदवाया।
  • मुबारकशाह ने 1433 ई. में यमुना नदी के किनारे "मुबारकाबाद" नामक नगर की स्थापना किया ।
  • “याहिया–बिन अहमद सरहिंदी' मुबारकशाह के दरबार में रहता था जिन्होनें “तारीख-ए-मुबारकशाही" नामक ग्रंथ की रचना किया ।
  • 19 फरवरी 1434 ई. सिद्धपाल नामक व्यक्ति ने मुबारकशाह की हत्या कर दिया ।

मुहम्मदशाह (1434-1443)

  • मुबारकशाह का अपना कोई पुत्र नहीं था । जिस कारण सरवर - उल - मुल्क ने उसके भाई फरीद खाँ के पुत्र मुहम्मद शाह को शासक बनाया जो एक अयोग्य शासक था ।
  • मुहम्मद शाह ने अपना वजीर सरवर -उल-मुल्क को बनाया । इसके काल में वास्तविक शक्ति सरवर -उल-मुल्क पास ही थी ।
  • इनके शासनकाल में दिल्ली सल्तनत पर मालवा के शासक महमुद खिलजी ने आक्रमण किया, किन्तु सही समय पर सरहिन्द के (पंजाब) अफगान राज्यपाल बहलोल लोदी की सैन्य सहायता के कारण दिल्ली सल्तनत महमूद खिलजी के आक्रमण से बच गई।
  • सुल्तान मुहम्मद शाह ने बहलोल लोदी का सम्मान किया और उसे अपना "पुत्र" कहकर पुकारा। साथ ही “खान–ए–खाना” की उपाधि से विभुषित किया ।
  • 1443 ई. में मुहम्मद शाह की मृत्यु हो गई ।

अलाउद्दीन— आलमशाह (1443-1451)

  • मुहम्मद शाह के निधन के पश्चात् उसका पुत्र अलाउद्दीन "आलमशाह" की उपाधि धारण कर गद्दी पर बैठा जो कि इस वंश का अंतिम शासक था ।
  • 1447 ई. में आलमशाह बदायूँ चला गया। उसे यह नगर अच्छा लगा और वह दिल्ली के बजाय वही स्थायी रूप से बस गया। इन्हीं के शासनकाल में अप्रैल 1451 में बहलोल लोदी का राज्याभिषेक हुआ जिन्होनें दिल्ली सल्तनत में प्रथम अफगान वंश की नीव डाली ।
  • आलमशाह 1476 ई. में अपनी मृत्यु के समय तक बदायूँ में रहा ।

लोदी वंश (1451-1526ई.)

  • सल्तनत युग में दिल्ली के सिंहासन पर राज्य करने वाले राजवंशों में लोदी वंश अंतिम था ।
  • बहलोल लोदी द्वारा दिल्ली सल्तनत में प्रथम अफगान वंश (लोदी वंश) की नींव रखी गई। लोदी वंश के कुल तीन शासक हुए।
    • बहलोल लोदी (1451-1489 ई.)
    • सिंकदर लोदी (1489–1517 ई.)
    • इब्राहिम लोदी (1517-1526 ई.)

बहलोल लोदी (1451-1489 ई)

  • बहलोल लादी सुल्तान बनने से पूर्व सरहिंद का सूबेदार था ।
  • बहलोल लोदी लोदियों की एक महत्वपूर्ण जनजाति 'शाहूखेल' से संबंधित था तथा उसने तुर्की की जगह कवीलाई अफगानी शासन को बढ़ावा दिया।
  • बहलोल लोदी जौनपुर के शर्की शासक हुसैनशाह को पराजित कर जौनपुर राज्य को अपने साम्राज्य में मिला लिया जो कि उराकी सबसे बड़ी सफलता थी और वहाँ के शासक के रूप में अपने पुत्र बारबक लोदी को नियुक्त किया ।
  • बहलोल लोदी ने बहलोल नामक चाँदी का सिक्का चलाया जो अकबर के पहले तक उत्तरी भाग में विनिमय का मुख्य साधन बन गया ।
  • तारीख-ए-दाउदी के लेखक अब्दुल्लाह के अनुसार - "सामाजिक सम्मेलनों के अवसर पर वह कभी सिंहासन पर नहीं बैठा और न ही उसने सरदारों को खड़ा रहने दिया" । आम दरबार तक में वह सिंहासन पर न बैठकर एक गलीचे में बैठता था ।
  • बहलोल लोदी अपने सरदारों को "मकसद -ए-अली" कहकर पुकारता था ।
  • 1486-87 ई. में बहलोल लोदी ने ग्वालियर के शासक रायकर्ण को पराजित किया जो कि उसका अंतिम अभियान था।
  • ग्वालियर से वापस दिल्ली लौटते समय "लु” लगने से बीमार पड़ गया और जुलाई 1489 में मिलावली (उत्तरप्रदेश) में बहलोल लोदी की मृत्यु हो गई ।

सिकंदर लोदी (1489-1517ई.)

  • 1489 ई. में बहलोल लोदी के मृत्यु के बाद उसका तीसरा पुत्र निजाम खाँ "सिंकंदर लोदी" के नाम से गद्दी पर बैठा। (9 पुत्र)
  • सिंकंदर लोदी की माता एक हिंदू थी ।
  • सिंकंदर लोदी वंश का व दिल्ली सल्तनत का अंतिम महान शासक माना जाता था ।
  • उसने 1504 ई. में आगरा शहर की स्थापना की और 1506 ई. में इसे अपना राजधानी बनाया।
  • उसने कुतुबमीनार की मरम्मत करायी ।
  • सिकंदर ने मुसलमानों में प्रचलित अनेक कुप्रथाओं को बंद कराया । जैसे- उसने मुहर्रम में ताजिया निकालना बंद करवा दिया तथा साथ ही महिलाओं को पीरों की मजारों पर जाने या उनकी याद में जुलूश निकालने की मनाही की। उसने यमुना में हिन्दुओं के स्नान पर रोक लगाया। उन्हें वहाँ बाल मुड़वाने से रोका।
  • वह फारसी भाषा का जानकार था तथा फारसी में "गुलरूखी" उपनाम से कविताएँ लिखता था ।
  • उसके शासन काल में कई संस्कृत ग्रंथों का अनुवाद हुआ। आयुर्वेद पर औषधि की अनुवादित पुस्तक को "फरहंग-ए-सिकंदरी" नाम से जाना गया ।
  • इन्होनें नगरकोट (HP) के ज्वालामुखी मंदिर की मूर्ति को तोड़कर उसके टुकड़े को कसाइयों को दे दिया ।
  • सिंकंदर लोदी का बजीर मियाँ भुआँ प्रतिष्ठित विद्वान था जिसने "तिब्ब-ए-सिकंदरी" नामक ग्रंथ की रचना की ।
  • सिंकंदर लोदी की मृत्यु 1517 ई. में गले की बीमारी से हुई ।
  • सिंकंदर लोदी ने भूमि मापन के लिए गजे सिकंदरी का प्रचलन किया ।
नोट- गज की वास्तविक लंबाई के बारें में विद्वानों में मतभेद है फिर भी आमतौर पर यह 30 से 33 इंच रहा होगा।
  • सिंकंदर लोदी का कथन था "यदि मैं अपने गुलाम को भी पालकी पर बैठा दूँ तो मेरे एक आदेश पर ये सरदार उसे कंधों पर उठा लेगें ।"

इब्राहिम लोदी (1517 - 1526 ई.)

  • सिकंदर लोदी के मृत्यु के बाद उसका बड़ा पुत्र इब्राहिम लोदी 1517 ई. में गद्दी पर बैठा ।
  • इब्राहिम लोदी 1518 ई. में ग्वालियर को जीतकर अपने साम्राज्य में मिलाया ।
  • 1518 ई. में खतोली के युद्ध में मेवाड़ के शासक राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को पराजित किया ।
  • इब्राहिम लोदी ने दरवार के शक्तिशाली सरदारों का दमन किया जिस कारण वह अलोकप्रिय हो गया। ऐसा माना जाता है कि इब्राहिम लोदी के इसी उदंड व्यवहार के कारण भारत पर बाबर के आक्रमण के समय सरदारों ने इब्राहिम लोदी का साथ छोड़ दिया, जिस कारण इब्राहिम लोदी की पराजय हुई |

पानीपत का प्रथम युद्ध (21 अप्रैल 1526) (हरियाणा

  • लाहौर के राज्यपाल दौलत खाँ और इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खाँ लोदी ने इब्राहिम लोदी से असंतुष्ट होकर काबूल के शासक बाबर को दिल्ली पर आक्रमण के लिए आमंत्रित किया ।
  • अप्रैल 1526 में बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ जिसमें इब्राहिम लोदी की सेना पराजित हुई और युद्ध में वह मारा गया।
  • इब्राहिम लोदी मध्यकालीन भारत का एकमात्र सुल्तान था जो युद्ध भूमि में मारा गया।
  • इब्राहिम लोदी दिल्ली सल्तनत का अंतिम शासक था। इनके निधन के साथ ही दिल्ली सल्तनत का अंत हो गया और दिल्ली पर एक नए राजवंश मुगल वंश की स्थापना हुई ।

इक्ता व्यवस्था

  • इक्ता एक अरबी भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ हस्तांतरणीय लगान अधिन्यास है ।
  • इक्ता एक ऐसा भू–क्षेत्र होता था जो मुख्यतः सैनिकों को उस क्षेत्र के प्रशासनिक संचालन के लिए दिया जाता था ।
  • इक्ता की सर्वप्रथम परिभाषा - निजामुल - मुल्क - तुसी द्वारा रचित सियासतनामा में दी गई ।
  • बड़े इक्तेदारों को मुक्ता, वलि या मालिक भी कहा जाता था ।
  • भारत में सर्वप्रथम मुहम्मद गौरी ने कुतुबुद्दीन ऐबक को "हाँसी" (हरियाणा) का इक्तेदार बनाया। किन्तु इक्ता को सुव्यवस्थित रूप देने का श्रेय इलतुतमिश को दिया जाता है।
  • दिल्ली सल्तनत में सर्वप्रथम इक्ता प्रथा इल्तुतमिश प्रारंभ किया ।
  • बलबन ने ख्वाजा नामक अधिकारी की नियुक्ति किया जो इक्ता से होने वाले आय को ज्ञात करता था ।
  • अलाउद्दीन खिलजी ने इक्ता प्रथा को समाप्त किया था ।
  • इक्ता प्रथा की दोबारा शुरूआत फिरोजशाह तुगलक ने किया।
  • इक्ता के पर्याय के रूप में "विलायत" शब्द का भी प्रयोग हुआ है ।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उत्तर

1. गुलाम वंश का सर्वाधिक मान्य नाम हबीबुल्लाह द्वारा क्या प्रस्तावित किया गया ?
(a) दास वंश
(b) गुलाम वंश
(c) इल्बरी तुर्क वंश
(d) ममलूक वंश
2. ममलूम वंश के संस्थापक है ?
(a) मो. गौरी
(b) महमूद गजनवी   
(c) कुतुबुद्दीन ऐबक
(d) याल्दोज 
3. कुतुबुद्दीन ऐबक ने कौन-सी उपाधि धारण नहीं की ?
(a) सुल्तान 
(b) मलिक
(c) सिपहसलार
(d) लाखबख्श
4. कुतुबुद्दीन ऐबक की राजधानी कहाँ थी ? 
(a) दिल्ली
(b) लाहौर
(c) कन्नौज
(d) लखनौती
5. कुतुबुद्दीन ऐबक ने किसकी स्मृति में दिल्ली में कुतुबमीनार की नींव रखी ?
(a) मो. गौरी 
(b) बख्तियार खिलजी
(c) बख्तियार काकी
(d) मोइनुद्दीन चिश्ती
6. कुतुबुद्दीन ऐबक का उत्तराधिकारी बना है ?
(a) इल्तुतमिश
(b) बहराम शाह 
(c) अरामशाह
(d) मोहम्मद शाह
7. गुलामों का गुलाब किसे कहा जाता है ?
(a) कुतुबुद्दीन ऐबक 
(b) इल्तुतमिश
(c) अरामशाह 
(d) बलवन 
8. दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक माना जाता हैं ?
(a) इल्तुतमिश 
(b) कुतुबुद्दीन ऐबक
(c) बलवन
(d) मो. गौरी
9. दिल्ली सल्तनत की राजधानी लाहौर के स्थान पर दिल्ली को सर्वप्रथम बनाने का श्रेय दिया जाता है ?
(a) बलवन 
(b) कुतुबुद्दीन ऐबक
(c) मो. गौरी
(d) इल्तुतमिश
10. किस विद्वान का मानना है कि भारत में मुस्लिम संप्रभुता का वास्तविक श्री गणेश इल्तुतमिश से ही प्रारंभ होता है?
(a) के. एम. निजामी
(b) आर. पी. त्रिपाठी 
(c) मिन्हाज - उस - सिराज
(d) लेनपुल
11. तराइन का तृतीय युद्ध किसके बीच हुआ है ?
(a) बाल्दोज और इल्तुतमिश
(b) याल्दांज और कुतुबुद्दीन ऐबक
(c) याल्दोज और कुवाचा
(d) कुवाचा और ऐवक
12. कौन ऐसा सुल्तान था जिन्होंने सर्वप्रथम दिल्ली के अमीरों का दमन किया, चालीसा दल का गठन किया - और खलीफा का प्रमाण-पत्र प्राप्त किया ?
(a) कुतुबुद्दीन ऐबक 
(b) इल्तुतमिश
(c) बलवन
(d) रजिया सुल्तान
13. इल्तुतमिश ने अपना उत्तराधिकारी किसे घोषित किया ?
(a) शाहतुर्कान 
(b) रूकनुद्दीन फिरोजशाह
(c) रजिया सुल्तान
(d) बहराम शाह
14. कुतुबुद्दीन ऐबक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -
1. यह एक तुर्क गुलाम था ।
2. उसने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया।
3. उसने तराइन युद्ध के बाद भारत में सल्तनत का विस्तार किया।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा / से सही नहीं है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
15. कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु किस कारण हुई ?
(a) उसके एक विश्वासपात्र कुलीन ने छुरा मारकर हत्या कर दी।
(b) पंजाब पर अधिकार करने हेतु उसने गजनी के शासक याल्दांज से युद्ध किया, जिसमें उसकी मृत्यु हो गई ।
(c) कालिंजर के किले में घेरा डालते समय लगी चोटों से उसकी मृत्यु हो गयी।
(d) चोगान (पोलो) खेलते समय घोड़े से गिर जाने के कारण मृत्यु हो गई।
16. इल्तुतमिश के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. उसने तुर्कों की भारत विजय को स्थायित्व प्रदान किया।
2. ख्वारिज्म शाह के खतरे को टालने हेतु उसने लाहौर के लिए कूच किया।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा / से सही नहीं है/हैं
(a) केवल 1 
(b) केवल 12
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
17. ख्वारिज्म साम्राज्य के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. ख्वारिज्म साम्राज्य मध्य एशिया का सबसे शक्तिशाली राज्य था।
2. 1218 ई. में मंगोलों ने इसे नष्ट कर दिया।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा से सही नहीं है / हैं ?
(a) केवल 1 
(b) केवल 12 
(c) 1 और 2 दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं 
18. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. रजिया को उत्तराधिकारी नियुक्त करने में अमीरों और उलेमाओं ने इल्तुतमिश को रजामंद कर लिया।
2. रजिया के शासनकाल में राजतंत्र और तुर्क सरदारों के बीच संघर्ष कभी नहीं हुआ।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा / से सही नहीं है/हैं ?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
19. चहलगामी ( चालीसा ) कौन थे ?
(a) उलेमा
(b) अफगान सैनिक
(c) तुर्क सरदार
(d) रजिया के वफदार
20. रजिया का विश्वासपात्र अमीर याकूत खाँ कहाँ का निवासी था ?
(a) ईरान
(b) मिश्र
(c) अबीसिनिया 
(d) मंगोल
21. दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान को 'उलुग से जाना जाता था ? 
(a) ऐबक के नाम
(b) मोहम्मद तुगलक
(c) बलवन
(d) इल्तुतमिश
22. बलवन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. यह अपने आपको ईरानी अफरासियाब का वंशज मानता था।
2. इसने सत्ता को शक्तिशाली बनाकर सारी शक्ति अपने हाथो में केंद्रित की।
3. बलवन ने एक सैन्य विभाग दीवान-ए-अर्ज का पुनर्गठन किया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?
(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 1. 2 और 3
23. बलवन ने अपनी पुत्री का विवाह किसके साथ करवाया ?
(a) कैकुवाद 
(b) जलाउद्दीन खिलजी
(c) नसीरूद्दीन महमूद
(d) निजाम-उल-मुल्क - जुनैदी
24. सजदा और पैबोस की रस्म दिल्ली सल्तनत के किस शासक ने आरंभ की ?
(a) अलाउद्दीन खिलजी 
(b) बलवन
(c) इल्तुतमिश
(d) सिकंदर लोदी
25. निम्न में कौन मंगोल योद्धा युवराज जलालुद्दीन का पीछा करते हुए सिंधु नदी के तट तक जा पहुँचा था ।
(a) चंगेज खाँ 
(b) बातू खाँ
(c) तैर बहादुर
(d) इनमें से कोई नहीं
26. दिल्ली सल्तनत के किस शासक ने 'खून और फौलाद' की नीति अपनाई ?
(a) अलाउद्दीन खिलजी
(b) बलवन
(c) मोहम्मद तुगलक
(d) सिकंदर लोदी
27. दिल्ली सल्तनत के प्रशासन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. अर्ज-ए-मामलिक सैन्य विभाग का प्रमुख था
2. अर्ज-ए-मामलिक सेना का प्रमुख भी होता था ।
उपर्युक्त कथनो में कौन-सा/से सही है/ है ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
28. 'कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद' के सदंर्भ में निम्नलिखित कथनो में से कौन-सा/से सही है/हैं ?
1. मीनार के उत्तर- पूर्व में स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण इल्तुतमिश द्वारा करवाया गया था।
2. इसके आयताकार प्रांगण में 27 हिंदू और जैन मंदीरो ( जिन्हे ध्वस्त कर दिया गया था) के स्तंभ एवं वास्तुशिल्प के टुकड़े शामिल है।
3. यह दिल्ली के सुल्तानो द्वारा निर्मित प्रथम शहर जिसे दिल्ली - ए - कुहना (पुराना शहर ) कहा जाता था, की सामूहिक मस्जिद थी।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3 
(d) 1, 2 और 3
29. बलवन के सदंर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. उसने नसीरूद्दीन महमूद के समय नायब का पद धारण किया।
2. उसने मदिरा का सेवन त्याग दिया और राजदरबार में ह्रास-परिहास व हँसने पर प्रतिबंध लगाया।
उपर्युक्त कथनो में से कौन-सा/से सही है/हैं ?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
30. निम्नलिखित में से कौन कुतुबमीनार के निर्माण से संबंधित है ?
1. इल्तुतमिश
2. अलाउद्दीन खिलजी
3. फिरोजशाह तुगलक
4. इब्राहिम लोदी
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 1, 2 और 4   
(d) 1, 2, 3 और 4
31. "यदि रजिया स्त्री न होती तो उसका नाम भारत के महान शासको में लिया जाता" यह कथन किस विद्वान का है ।
(a) के. एम. निजामी 
(b) मिन्हाज
(c) बरूनी
(d) एलफिंस्टन
32. नायब के पद का सृजन किसने किया है ?
(a) बहराम शाह
(b) अलाउद्दीन मसूद शाह
(c) नसिरूद्दीन महमूद
(d) बलवन
33. कौन ऐसा सुल्तान था जो अपना जीवन निर्वाह टोपी सी कर करता था ?
(a) बहराम शाह
(b) नासिरूद्दीन महमूद
(c) अलाउद्दीन मसूद शाह
(d) बलवन
34. बलवन स्वयं को किस वंश का बताता था ?
(a) संशबन 
(b) यामनी
(c) अफरसियाब
(d) इल्बरी तुर्क
35. के. एम. निजामी के अनुसार दिल्ली सल्तनत का एक मात्र सुल्तान जिसने राजत्व के विषय विचार स्पष्ट रूप से रखे।
(a) बलवन
(b) इल्तुतमिश
(c) रजिया सुल्तान
(d) कुतुबुद्दीन ऐबक 
36. फारसी के प्रसिद्ध विद्वान अमीर खुसरो और अमीर हसन ममलूक वंश के किस शासक के दरबार में रहता था ।
(a) अलाउद्दीन खिलजी
(b) मो. - वि. तुगलक
(c) बलवन
(d) इल्तुतमिश
37. बलवन का निधन कब हुआ है ?
(a) 1285 ई.
(b) 1286 ई.
(c) 1287 ई.
(d) 1288 ई.
38. बलवन का उत्तराधिकारी कौन बना है ?
(a) कैकुबाद 
(b) के. खुसरो
(c) बुगरा खाँ
(d) शमसूदीन क्यूस
39. निम्नलिखित में से कौन सी एक विशिष्टा 'इक्ता व्यवस्था' की नही है ?
(a) इक्ता एक राजस्व एकत्रित करने की व्यवस्था थी
(b) सियासतनामा इक्ता व्यवस्था की जानकारी की स्त्रोत था
(c) इक्ता से एकत्रित राजस्व सीधा सुल्तान के खाते में जाती थी
(d) मुक्ती को इक्ता से एकत्रित राजस्व से सैनिक रखने पड़ते थे।
40. रजिया के पतन का सबसे मुख्य कारण 'एलफिंस्टन' ने माना है ?
(a) उसका स्त्री होना
(b) याकूत से प्रेम करना
(c) पर्दा-प्रथा त्यागना 
(d) तुर्की अमीरो का विरोध 
41. राजस्व का सिद्धांत' किसने स्थापित किया ?
(a) कुतुबुद्दीन ऐबक
(b) इल्तुतमिश
(C) बलवन
(d) रजिया बेगम
42. निम्नलिखित में से कौन-सा शासक इल्बरी तुर्क नही था?
(a) इल्तुतमिश
(b) कुतुबुद्दीन ऐबक
(c) बलवन
(d) रूक्नुद्दीन फिरोजशाह
43. अरबी परंपरा के आधार पर भारत में नई मुद्रा व्यवस्था लागू करने का श्रेय निम्नलिखित में से किसको है ?
(a) इल्तुतमिश
(b) कुतुबुद्दीन ऐबक
(c) बलवन
(d) अलाउद्दीन मसूदशाह
44. 'ढ़ाई दिन का झोपड़ा' क्या है ?
(a) मस्जिद
(b) मंदिर
(c) संत की झोपड़ी 
(d) मीनार
45. निम्नलिखित में से कौन मध्यकालीन भारत की प्रथम महिला शासिका थी ?
(a) रजिया सुल्तान
(b) चांदबीबी
(c) दुर्गावती
(d) नूरजहाँ
46. मंगोल आक्रमणकारी चंगेज खाँ भारत की उत्तर-पश्चिम सीमा पर निम्न में से किसके काल में आया था ?
(a) अलाउद्दीन खिलजी 
(b) इल्तुतमिश
(c) बलवन
(d) एंबक
47. दिल्ली का कौन सुल्तान मंगोल नेता चंगेज खाँ का समकालीन था ?
(a) इल्तुतमिश
(b) रजिया
(c) बलवन
(d) बलाउद्दीन खिलजी
48. चंगेज खाँ का मूल नाम था-
(a) खासुल खान 
(b) एशूगई
(c) तेमुचिन
(d) ओगदी
49. अपनी शक्ति को समेकित करने के बाद बलवन ने भव्य उपाधि धारण की-
(a) तूतिए - हिंद
(b) जिल्ले-इलाही
(c) कैसरे-हिन्द
(d) दीने-इलाही
50. निम्नलिखित में से कौन सा कथन बलवन के संबंध में सत्य नही है ?
(a) उसने इक्तादारी व्यवस्था का प्रारंभ किया
(b) उसने नियामत-ए-खुदाई के सिद्धांत का प्रतिपादन किया
(c) उसने तुर्कान - ए - चहलगानी का प्रभाव समाप्त किया।
(d) उसने बंगाल कं विद्रोह का दमन किया।
51. खिलजी वंश के संस्थापक थे ?
(a) अलाउद्दीन खिलजी 
(b) जलालुद्दीन खिलजी
(c) मुबारक शाह
(d) खुसरो शाह
52. जलालुद्दीन फिरोज खिलजी को 'शाइस्ता खाँ' की उपाधि किसने प्रदान की ?
(a) कैकुबाद
(b) बलवन
(c) अलाउद्दीन खिलजी
(d) के खुसरो
53. जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने अपना राज्याभिषेक करवाया?
(a) लाल महल 
(b) दिल्ली
(c) किलोखरी
(d) मुबारकबाद
54. नवीन मुसलमान किसे कहा गया ?
(a) चांगेज खाँ के साथ आये मुसलमानों को
(b) अरबी मुसलमानो को
(c) तुर्क मुसलमानो को
(d) उल्गू खाँ के साथ आये उनके समर्थको को
55. जलालुद्दीन खिलजी की हत्या कब हुई ?
(a) 1294 ई. 
(b) 1295 ई.
(c) 1296 ई.
(d) 1297 ई.
56. कौन ऐसा सुल्तान था जिन्होने अपने चाचा और ससुर को हत्या कर गद्दी प्राप्त की थी ?
(a) अलाउद्दीन खिलजी 
(b) मुबाकरशाह
(c) बलवन
(d) इल्तुतमिश
57. अलाउद्दीन खिलजी ने विधिवत रूप से अपना राज्याभिषेक करवाया ?
(a) किलोखरी
(b) लालमहल
(c) कड़ा माणिकपु
(d) दिल्ली
58. सिकन्दर-ए-सानी की उपाधि किसने धारण की है ?
(a) बलवन 
(b) जलालुद्दीन खिलजी
(c) अलाउद्दीन खिलजी
(d) मुबाकर शाह
59. गद्दी पर बैठते समय किस शासक ने चार अध्यादेश जारी किया ?
(a) बलवन
(b) अलाउद्दीन खिलजी
(c) मुबाकरशाह
(d) जलालुद्दीन फिरोज खिलजी
60. किस अभियान के दौरान एक हजार दीनार में मलिक काफूर को खरीदा गया ?
(a) चित्तौड़
(b) रणथम्बोर
(c) मालवा
(d) गुजरात
61. अलाउद्दीन खिलजी ने दक्षिण भारत का अभियान किसके नेतृत्व में किया ? 
(a) नूसरत खाँ
(b) उलूग खाँ
(c) मलिक काफूर
(d) अलाउमुल्क
62. दिल्ली का पहला सुल्तान जिसने 'उलेमा वर्ग' की उपेक्षा करते हुए धर्म पर राज्य का नियंत्रण स्थापित किया ? 
(a) अलाउद्दीन खिलजी
(b) इल्तुतमिश 
(c) बलवन
(d) मो.-बिन-तुगलक
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