झारखण्ड के मेले

झारखण्ड के मेले
> मेला का नाम 
> नवमी डोला मेला
> आयोजन स्थल 
> टाटीसिल्वे (राँची) 
> आयोजन तिथि 
> चैत महीने के कृष्ण पक्ष की नवमी को
> विशेषता 
> यहाँ राधा-कृष्ण की मूर्तियों को एक डोली मे रखकर झुलाया जाता है तथा उनका पूजन किया जाता है। 
> यह मेला होली के ठीक 9 दिनों के बाद प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता है। 
> इस मेले में आदिवासियों की प्राचीन संस्कृति एवं परंपराओं का प्रदर्शन किया जाता है। 
> मेला का नाम 
> रथयात्रा मेला
> आयोजन स्थल  
> जगन्नाथपुर (राँची)
> आयोजन तिथि 
> आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को रथयात्रा तथा एकादशी को घुरती रथयात्रा का आयोजन किया जाता है।
> विशेषता
> जगन्नाथपुर में भगवान जगन्नाथ का ऐतिहासिक मंदिर है, जो उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर का अनुकरण करते हुए निर्मित किया गया है।
> रथयात्रा के उद्देश्य से यहाँ जगन्नाथ मंदिर से कुछ दूरी पर मौसी बाड़ी निर्मित की गयी है।
> भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ (कृष्ण), उनके भाई बलराम तथा बहन सुभद्रा की प्रतिमाओं को विशाल रथ से जुलूस यात्रा द्वारा मौसी बाड़ी तक ले जाया जाता है, जहाँ उन्हें 9 दिनों तक रखा जाता है। इसे ही रथयात्रा कहा जाता है।
> 9 दिनों के बाद एकादशी को इस रथ की वापस यात्रा होती है, जिसे 'घुरती रथयात्रा' कहा जाता है।
> इसी रथ यात्रा के अवसर पर रथयात्रा मेला का आयोजन किया जाता है।
> मेला का नाम
> मुड़मा जतरा मेला
> आयोजन स्थल
> मुड़मा (राँची से 28 किलोमीटर दूर) 
> आयोजन तिथि
> दशहरा के दस दिन बाद
> विशेषता
> आदिवासियों द्वारा इसे जतरा मेला कहा जाता है।
> इस मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
> इस दौरान जतरा खूँटा की पूजा की जाती है तथा मुर्गे की बलि दी जाती है।
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