झारखण्ड का धरातलीय स्वरूप

झारखण्ड का धरातलीय स्वरूप
> झारखण्ड के धरातलीय स्वरूप के निर्माण में छोटानागपुर पठारी क्षेत्र का सर्वप्रमुख योगदान है। यह पठार भारत के प्रायद्वीपीय पठार का उत्तर पूर्वी भाग है। इसका विस्तार उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बिहार तथा छत्तीसगढ़ राज्य की सीमाओं तक है।
> छोटानागपुर पठार का निर्माण मुख्यतः लावा के जमाव से हुआ है।
> झारखण्ड में आर्कियनकालीन चट्टानों की अधिकता, मृदा की छिद्रता में कमी तथा पठारी ढाल के कारण जल के अंत: स्पंदन की दर कम होती है। परिणामतः यहां भूमिगत जल की मात्रा अत्यंत कम पायी जाती है। 
> छोटानागपुर पठार की औसत ऊँचाई 760 मी० है तथा इसकी सबसे ऊँची चोटी सम्मेद शिखर ( पारसनाथ पहाड़ी) है जिसकी ऊँचाई 1,365 मी० ( 4478 फीट ) है। यह झारखण्ड की भी सबसे ऊँची चोटी है।
> झारखण्ड के धरातलीय स्वरूप का विभाजन
1. पाट क्षेत्र ( पश्चिमी पठार)
> पाट का अर्थ समतल जमीन होता है। पारसनाथ के अतिरिक्त यह झारखण्ड का सबसे ऊँचा भाग है। 
> इसका विस्तार राँची के उत्तर पश्चिमी हिस्से से लेकर पलामू जिले के दक्षिणी हिस्से तक है। 
> पाट क्षेत्र की आकृति त्रिभुजाकार है। इसका शीर्ष दक्षिण में तथा आधार उत्तर में है। 
> इस क्षेत्र का ऊपरी भाग टांड़ तथा निचला भाग दोन कहलाता है।
> पाट क्षेत्र की समुद्रतल से औसत ऊँचाई 900 मीटर (लगभग 3000 फीट) है।
> झारखण्ड के तीन सबसे ऊँचे पाट नेतरहाट पाट (1,180 मी. / 3,871 फीट), गणेशपुर पाट (1,171 मी) तथा जनीरा पाट (1,142 मी.) हैं।
> पाट क्षेत्र की प्रमुख पहाड़ियाँ सानु एव सारऊ पहाड़ी हैं।
> पाट क्षेत्र उत्तरी कोयल, शंख आदि नदियों का उद्गम स्थल भी है।
> तश्तरीनुमा बारवे का मैदान झारखण्ड के पाट क्षेत्र का हिस्सा है।
2. राँची का पठार
> राँची का पठार झारखण्ड का सबसे बड़ा पठारी भाग है।
> यह समुद्रतल से औसतन 600 मीटर (लगभग 1970 फीट) की ऊँचाई वाला क्षेत्र है।
> राँची पठार की आकृति चौकोर है।
> इस पठारी क्षेत्र से निकलने वाली नदियाँ पठार के किनारों पर ढाल के कारण जलप्रपातों का निर्माण करती हैं। इनमें प्रमुख जलप्रपात बूढ़ाघाघ / लोधाघाघ, हुंडरू, दशम, जोन्हा / गौतमधारा आदि प्रमुख हैं। 
3. हजारीबाग का पठार
(a) ऊपरी हजारीबाग का पठार
> इसका विस्तार राँची पठार के समानान्तर हजारीबाग जिले में है।
> भूतकाल में यह राँची पठार के साथ जुड़ा हुआ था, लेकिन दामोदर नटी के कटाव के कारण यह राँची पठार से पृथक हो गया।
> इस पठार की समुद्रतल से औसत ऊँचाई 600 (लगभग 1970 फीट) मीटर है।
(b) निचला हजारीबाग का पठार
> यह हजारीबाग जिले के उत्तरी भाग में विस्तृत झारखण्ड का निम्नतम ऊँचाई वाला पठारी क्षेत्र है।
> छोटानागपुर के बाहरी हिस्से में अवस्थित होने के कारण इसे बाह्य पठार भी कहा जाता है। 
> यह क्षेत्र समुद्रतल से 450 मी० ( लगभग 1476 फीट) ऊँचा है। यह झारखण्ड में सबसे कम ऊँचाई वाला पठारी क्षेत्र है।
> इस क्षेत्र में गिरिडीह के पठार पर बराकर नदी की घाटी के निकट पारसनाथ की पहाड़ी स्थित है जिसकी ऊँचाई 1,365 मीटर (4478 फीट) है।
> यह अत्यंत कठोर पाइरोक्सी ग्रेनाइट से निर्मित है।
(4) राजमहल की पहाड़ियाँ एवं मैदानी क्षेत्र
> यह असमान नदी घाटियों एवं मैदानी क्षेत्रों से मिलकर निर्मित हुआ है।
> यह पठारी क्षेत्र समुद्रतल से औसतन 150-300 मीटर ऊँचा है।
> इस क्षेत्र में स्थित राजमहल की पहाड़ी बिहार के दक्षिण-पूर्वी भाग तक विस्तृत है।
> राजमहल पहाड़ी का विस्तार दुमका, देवघर, गोड्डा, पाकुड़ एवं साहेबगंज जिले तक है।
> राजमहल पहाड़ी क्षेत्र 2,000 वर्ग किमी. क्षेत्र तक विस्तृत है।
> इस क्षेत्र में नुकीली पहाड़ियों का स्थानीय नाम टोंगरी तथा गुम्बदनुमा पहाड़ियों का डोंगरी है। 
> चाईबासा का मैदान इस क्षेत्र का सर्वप्रमुख मैदानी क्षेत्र है जो पश्चिमी सिंहभूम के पूर्वी मध्यवर्ती भाग में स्थित है।
> चाईबासा का मैदान उत्तर में दालमा की श्रेणी, पूर्व में ढालभूम की श्रेणी, दक्षिण में कोल्हान पहाड़ी, पश्चिम में सारंडा वन तथा पश्चिमोत्तर में पोरहाट की पहाड़ी से घिरा है। 
> इसके दक्षिण में अजय नदी घाटी मौजूद है।
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