गठबंधन सरकार

'Coalition' शब्द लैटिन शब्द 'Coalition' से लिया गया है, जिसका अर्थ है-साथ चलना अथवा साथ बढ़ना, विकसित होना। इस प्रकार तकनीकी अर्थों में Coalition जिसका हिन्दी अर्थ गठबंधन है, का अर्थ होता है-विभिन्न भागों को एक काया में संयुक्त करना ।

गठबंधन सरकार

गठबंधन सरकार

गठबंधन सरकार का अर्थ

'Coalition' शब्द लैटिन शब्द 'Coalition' से लिया गया है, जिसका अर्थ है-साथ चलना अथवा साथ बढ़ना, विकसित होना। इस प्रकार तकनीकी अर्थों में Coalition जिसका हिन्दी अर्थ गठबंधन है, का अर्थ होता है-विभिन्न भागों को एक काया में संयुक्त करना । राजनीतिक अर्थों में गठबंधन का अर्थ होता है दूरस्थ राजनीतिक दलों का आपस में एक जुट होकर एक गठबंधन बनाना।
गठबंधन की राजनीति अथवा गठबंधन सरकार को निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया गया है:
"जब कुछ राजनीतिक दल सरकार बनाने के लिए हाथ मिलाते हैं और एक साझा, सहमति आधारित कार्यक्रम / ऐजेंडा के आधार पर राजनीतिक शक्ति का उपयोग करते हैं, तब इस व्यवस्था को हम गठबंधन राजनीति अथवा गठबंधन सरकार के रूप में वर्णित कर सकते हैं।"
गठबंधन की स्थिति आधुनिक संसदों एवं विधायिकाओं में तब बनती है जब एक दल सदन में बहुमत प्राप्त नहीं कर पाता तब दो या अधिक दल तब आपस में मिलकर बहुमत बनाते हैं और एक साझा कार्यक्रम तय करके सरकार बनाने की पहल करते हैं। ये दल अपनी-अपनी नीतियों में बड़े फेरबदल या उनसे समझौता किए बिना ऐसे मुद्दों पर एकजुट होते हैं जिन पर साथ मिलकर काम किया जा सकता है। 
गठबंधन एक सहकारी व्यवस्था की ओर इंगित करता है जिसके अंतर्गत अलग-अलग राजनीतिक दल सरकार या मंत्रिपरिषद का गठन करते हैं।
गठबंधन लोकतांत्रिक व्यवस्था में बहुदलीय सरकार की एक ऐसी परिघटना है जिसमें अनेक अल्पमत वाले दल सरकार चलाने के उद्देश्य से आपस में हाथ मिलाते हैं। गठबंधन तब अस्तित्व में आता है जब सदन में अनेक अलग-थलग पड़े समूह अपने मतभेदों को भुलाकर एक साझा कार्यक्रम के आधार पर आपस में मिलकर बहुमत का निर्माण करते हैं।

गठबंधन सरकार की विशेषताएं

गठबंधन राजनीति की विशेषताओं अथवा प्रभावों को जे. सी. जौहरी ने सारगर्भित ढंग से निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत किया है - 
  1. गठबंधन कुछ प्राप्तियों, वस्तुओं अथवा मानस के आधार पर बनाए जाते हैं।
  2. गठबंधन का आशय ही है कि कम-से-कम दो सहयोगी हैं।
  3. गठबंधन प्रणाली का आधारभूत सिद्धांत है- विशिष्ट हितों का अस्थायी सम्मिलन।
  4. गठबंधन राजनीति स्थिर नहीं बल्कि गतिशील मामला है क्योंकि गठबंधन में शामिल दल और समूह विघटित होते रहते हैं, नये समूह बनाने के लिए।
  5. गठबंधन राजनीति का आधार ही समझौता है, और अपरिवर्तनीय राजनीतिक आग्रहों का इसमें कोई स्थान नहीं।
  6. एक गठबंधन सरकार न्यूनतम कार्यक्रमों के आधार पर कार्य करती है, जो कि आवश्यक नहीं कि प्रत्येक सहभागी दल के लिए आदर्श हो ।
  7. व्यावहारिक न कि विचारधारा गठबंधन राजनीति की चालक शक्ति है। राजनीतिक समायोजनों के लिए सिद्धांतों को ताक पर रखा जा सकता है।
  8. गठबंधन समायोजन का लक्ष्य सत्ता प्राप्ति है।
अपने देश में हम चुनाव पूर्व या चुनाव के पश्चात् गठबंधनों को बनता देखते हैं। चुनाव पूर्व गठबंधन अधिक लाभकारी रहता है क्योंकि यह सहभागी दलों को साझा मंच प्रदान करता है और वे संयुक्त घोषणा पत्र के आधार पर मतदाता को लुभाने की स्थिति में होते हैं। चुनाव- पश्चात् गठबंधन सहभागियों को राजनीतिक सत्ता में भागीदार बनाकर सरकार चलाने को अधिकृत करता है। 

गठबंधन सरकारों का गठन

पहले चार लोकसभा चुनावों (1952, 1967 1962 तथा 1967) में कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत मिलता रहा था । यहां तक कि 1969 में कांग्रेस में टूट के बाद भी इंदिरा गांधी की अल्पमत सरकार ने सीपीआई, डीएमके तथा कुछ अन्य दलों के बाहरी समर्थन से सरकार चलाते रहने में सफल रही थी। 1971 के चुनावों में पुनः कांग्रेस पार्टी विजयी हुई और एक दल की बहुमत वाली सरकार बनी ।
हालांकि 1979 में कांग्रेस की बुरी तरह पराजय हुई। उसके बाद से ही केन्द्र में अनेक गठबंधन सरकारें रही हैं। विवरण सारणी 75.1 में देखा जा सकता है।

गठबंधन सरकार के गुण

गठबंधन सरकार के विभिन्न लाभों एवं सामर्थ्यशीलता को निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है:
  1. सरकार के संचालन में विपरीत हितों के बीच सामंजस्य बैठाना पड़ता है। सरकार विभिन्न समूहों की अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए एक माध्यम का कार्य करती है, साथ ही शिकायतों का निवारण भी करती है।
  2. भारत भारी विविधताओं से भरा देश है। भिन्न संस्कृतियां, भाषाएं, जातियां, धर्म और नृसमूह यहां उपस्थित है और इन सबका प्रतिनिधित्व गठबंधन सरकार में होता है। इसका तात्पर्य यह कि अपनी प्रकृति में गठबंधन सरकार अधिक प्रातिनिधिक होती है और इसमें लोकप्रिय जनमत बेहतर ढंग से परिलक्षित होता है। दूसरे शब्दों में गठबंधन सरकार एकल दल सरकार के मुकाबले जनमत के कहीं व्यापकतर वर्णक्रम का प्रतिनिधित्व करती है।
  3. गठबंधन सरकार में अलग-अलग विचारधाराओं और ऐजेंडा वाले दल शामिल रहते हैं। लेकिन सरकारी नीतियों में गठबंधन सहयोगियों की आपसी सहमति आवश्यक है। यही कारण है कि गठबंधन सरकार में सर्वसहमति आधारित राजनीति को प्रश्रय मिलता है। अर्थात्, गठबंधन सरकार में नीतिगत निर्णय सर्वसहमति से ही होते हैं
  4. गठबंधन की राजनीति भारतीय राजनीतिक प्रणाली के संघीय ताने-बाने को मजबूत बनाती है। ऐसा इसलिए कि गठबंधन सरकार एकल दल सरकार के मुकाबले क्षेत्रीय आकांक्षाओं और जरूरतों के प्रति अधिक संवेदनशील होती है।
  5. गठबंधन सरकार और राजनीति सरकार की मनमानी पर लगाम लगाती है, अर्थात् निरंकुश शासन की संभावना को कम करती है। ऐसा सरकार में एक दल के प्रभुत्व अथवा दबदबे में कमी के कारण संभव हो पाता है। गठबंधन के सभी सदस्य निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी करते हैं। निर्णय अधिक संतुलित होते हैं।

गठबंधन सरकार के अवगुण

गठबंधन सरकार की कमियां और कमजोरियां निम्नलिखित हैं:
  1. ऐसी सरकार अस्थिर होती है और प्रायः अल्पजीवी होती है। गठबंधन सहयोगियों के बीच नीतिगत मतभेद के चलते इनका पतन हो जाता है।
  2. संसदीय लोकतंत्र में प्रधानमंत्री का नेतृत्व मूलभूत कारक होता है। गठबंधन सरकार में प्रधानमंत्री की प्रमुखता कमजोर पड़ती है क्योंकि किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने के पूर्व उसे गठबंधन सहयोगियों से सलाह लेनी पड़ती है। इसलिए गठबंधन सहयोगियों को प्राय: 'सुपर प्राइम मिनिस्टर' कहकर व्यंग्योक्ति की जाती है।
  3. संचालन समिति अथवा समन्वय समिति ही गठबंधन सरकार में 'सुपर कैबिनेट' के रूप में काम करती है। इस प्रकार सरकारी मशीनरी के संचालन में मंत्रिमंडल की भूमिका और हैसियत में कमी आती है।
  4. गठबंधन सरकार का कोई छोटा घटक भी किंग मेकर की भूमिका में आ जाता है और ज्यादा शक्ति के लिए सौदेबाजी करने लगता है।
  5. क्षेत्रीय दलों के नेता राष्ट्रीय नीतिगत मामलों में क्षेत्रीय कारकों को ले आते हैं, उन्हें प्रभावित करते हैं। वे केंद्रीय कार्यपालिका पर अपनी धारा के अनुसार चलने को बाध्य करते हैं।
  6. गठबंधन सरकार में मंत्रिमंडल का आकार बहुत बड़ा होता है। ऐसा इसलिए कि मंत्रिपरिषद् में प्रत्येक गठबंधन सहयोगी को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलना जरूरी माना जाता है। उदाहरण के लिए 1999 की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्रिपरिषद् की सदस्य संख्या 99 थी और इसे 'जम्बो मिनिस्ट्री' कहा जाता था। ऐसे में विभागों के बंटवारे तथा सदस्यों के बीच समन्वय में समस्या होती है।
  7. गठबंधन सरकार के सदस्य प्रशासनिक विफलताओं या कमियों की जिम्मेदारी नहीं लेते। वे एक-दूसरे पर दोषारोपण करते रहते हैं और अपने सामूहिक उत्तरदायित्व तथा व्यक्तिगत उत्तरदायित्व से मुंह चुराते हैं।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here