NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | ऐतिहासिक स्रोत

ऐतिहासिक स्रोत

NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | ऐतिहासिक स्रोत

NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | ऐतिहासिक स्रोत

पुरातात्विक स्रोत

1. प्राचीनकालीन स्थलों के उत्खनन के संबंध में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा असत्य है?
(a) पश्चिमोत्तर भारत में नगरों की स्थापना 2500 ई. पू. में हुई थी।
(b) केवल उत्तर भारत में शव के साथ औजार भी मिले हैं।
(c) उत्खनन से किसी संस्कृति की भौतिक अवस्था उद्घाटित होती है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- प्राचीनकालीन स्थलों के उत्खनन के संबंध में कथन (b) असत्य है, क्योंकि न केवल उत्तर भारत में बल्कि दक्षिण भारत में शवों के साथ औजार, हथियार, मिट्टी के बर्तन आदि को दफनाने का प्रचलन था। इन कब्रों के ऊपर एक घेरे में बड़े-बड़े पत्थर खड़े कर दिए जाते थे, जिसे महापाषाण कहा जाता था।
पश्चिमोत्तर भारत में रोपड़ (पंजाब), माँडा (जम्मू कश्मीर) आदि स्थलों के उत्खननों से ऐसे नगरों की जानकारी मिलती है, जिनकी स्थापना 2500 ई. पू. में हुई थी। उत्खनन से प्राचीन काल के लोगों के भौतिक जीवन के संबंध में जानकारी मिलती है, जिसे पुरातत्व (आर्कियोलॉजी) विज्ञान के अंतर्गत शामिल किया जाता है।
2. प्राचीन सिक्कों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. आरंभिक सिक्कों पर प्रतीक चिह्न मिलते हैं।
2. बाद के सिक्कों पर राजाओं और देवताओं के नाम मिलते हैं।
3. सिक्कों के आधार पर राजवंशों के इतिहास का पुनर्निर्माण किया जाता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- प्राचीन सिक्कों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। प्राचीन सिक्कों के अध्ययन को मुद्राशास्त्र (न्यूमिस्मेटिक्स) कहा जाता है। प्राचीन काल में धातु मुद्रा या सिक्का ही प्रचलन में था, जिसे आहत मुद्रा कहते थे। इन मुद्राओं पर वृक्ष, देवी-देवताओं और जंगली जानवरों आदि के प्रतीक चिह्न और संकेतकों के भी चिह्न मिले हैं।
प्राचीन काल में कुछ सिक्के ऐसे भी मिले हैं, जिन पर राजाओं और देवताओं के नाम तथा तिथियाँ उल्लिखित हैं।
ऐसे सिक्कों में गुप्त शासक समुद्रगुप्त के अश्वमेध तथा वीणावादन प्रकार के सिक्के एवं कनिष्क के सिक्कों पर शिव की आकृति आदि मिली है। इन सिक्कों की सहायता से राजवंशों के इतिहास का पुनर्निर्माण, मुद्राशास्त्रियों द्वारा किया जाता है।
3. अभिलेखों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अभिलेखों के अध्ययन को एपिग्राफी कहा जाता है।
2. कार्पस इन्सक्रिप्शनम इण्डिकेरम् में केवल मौर्यकाल के अभिलेखों को प्रकाशित किया गया है।
3. अशोक के अभिलेख ब्राह्मी, खरोष्ठी एवं अरमाइक लिपि में मिलते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (a)
व्याख्या - अभिलेखों के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं। पुरातात्विक साक्ष्यों में सिक्कों की अपेक्षा अभिलेखों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसके अध्ययन को पुरालेखशास्त्र या एपिग्राफी कहा जाता है। अभिलेख मुख्यत: मुहरों, स्तूपों, प्रस्तरस्तंभों, चट्टानों, ताम्रपत्रों, मंदिर की दीवारों तथा ईंटों या मूर्तियों पर पाए जाते हैं।
अशोक के अधिकांश अभिलेख ब्राह्मी लिपि में मिले हैं, जो बाएँ से दाएँ लिखी जाती थी। उनमें से कुछ खरोष्ठी लिपि के अभिलेख भी हैं, जो दाएँ से बाएँ लिखी जाती थी। इसके अतिरिक्त पाकिस्तान और अफगानिस्तान से मिले अशोक के अभिलेखों में यूनानी और अरमाइक लिपियों का भी प्रयोग हुआ है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि कार्पस इन्सक्रिप्शनम इण्डिकेरम् नामक ग्रंथमाला में केवल मौर्यों के ही नहीं, बल्कि मौर्योत्तर तथा गुप्तकाल के अधिकांश अभिलेखों को भी संकलित कर प्रकाशित किया गया है।
4. सम्राट अशोक के राज्यादेशों का सबसे पहले विकूटन (डिसाइफर) किसने किया था ?
(a) जॉर्ज व्यूलर
(b) जेम्स प्रिंसेप
(c) मैक्स मूलर
(d) विलियम जोन्स
उत्तर - (6)
व्याख्या-  सम्राट अशोक के राज्यादेशों का सबसे पहले विकूटन (डिसाइफर) 1837 ई. में जेम्स प्रिंसेप ने किया। अशोक के शिलालेख तीसरी शताब्दी ई.पू. के हैं। जेम्स प्रिंसेप बंगाल में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेवा में उच्च पद आसीन एक ब्रिटिश अधिकारी था। अशोक के अभिलेख ब्राह्मी, ग्रीक, अरमाइक तथा खरोष्ठी लिपि में उत्कीर्ण थे, जिनकी भाषा सामान्यतया प्राकृत थी।
5. अपने शिलालेखों में अशोक सामान्यतः किस नाम से जाने जाते हैं?
(a) चक्रवर्ती 
(b) प्रियदर्शी
(c) धर्मदेव
(d) धर्मकीर्ति
उत्तर - (b)
व्याख्या- अपने शिलालेखों में अशोक को सामान्यतः प्रियदर्शी ( पियदस्सी) नाम से उल्लेखित किया गया है। प्रियदर्शी का अर्थ है- 'मनोहर मुखाकृति वाला' । मास्की तथा गुजर्रा शिलालेखों में राजा का नाम 'असोक' (अशोक) लिखा है। अशोक के शिलालेख भारत की प्रत्येक दिशा में बड़ी संख्या में उत्कीर्ण कराए गए थे।

साहित्यिक स्रोत

1. प्राचीन काल में साहित्यिक स्रोत के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) भारत में पांडुलिपियाँ भोजपत्रों और तामपत्रों पर लिखी मिलती हैं।
(b) मध्य एशिया में पांडुलिपियाँ मेषचर्म तथा काष्ठफलकों पर लिखी मिलती हैं।
(c) भारत में अधिकतर पांडुलिपियाँ उत्तर प्रदेश से प्राप्त हुई हैं।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- प्राचीन काल के साहित्यिक स्रोत के संबंध में कथन (c) असत्य है, क्योंकि में अधिकतर पांडुलिपियाँ उत्तर प्रदेश से नहीं, बल्कि दक्षिण भारत, कश्मीर और नेपाल से प्राप्त हुई हैं। 
भारत में पांडुलिपियाँ, भोजपत्रों और तामपत्रों पर लिखी मिलती हैं, परंतु मध्य एशिया में, जहाँ भारत से प्राकृत भाषा का प्रसार हुआ था, वहाँ ये पांडुलिपियाँ मेषचर्म तथा काष्ठफलकों पर भी लिखी गई हैं। वर्तमान में अधिकांश अभिलेख संग्रहालयों में और पांडुलिपियाँ पुस्तककालयों में संचित तथा सुरक्षित हैं।
2. साहित्यिक स्रोत के रूप में वेदों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. सभी वैदिक ग्रंथों में बाद में जोड़े गए तथ्य मिलते हैं।
2. ऋग्वेद में मुख्यत: देवताओं की स्तुतियाँ हैं।
3. वैदिक साहित्यों में कर्मकांड और पौराणिक आख्यान का वर्णन नहीं है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- साहित्यिक स्रोत के रूप में वेदों के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य है। साहित्यिक स्रोतों के रूप में वेदों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह भारत की साहित्यिक और सांस्कृतिक स्थितियों के बारे में वर्णन करता है। ऋग्वेद सबसे प्राचीन है, जिसका कालखंड 1500-1000 ई. पू. के लगभग का है तथा अन्य वेदों का कालखंड 1000-500 ई. पू. के लगभग का है। प्रायः सभी वैदिक ग्रंथों में क्षेपक (बाद में जोड़े गए तथ्य) मिलते हैं, जो प्रारंभ अथवा अंत में होते हैं। ऋग्वेद में मुख्यतः देवताओं की स्तुतियाँ वर्णित है, जबकि उपनिषदों में हमें दार्शनिक चिंतन का उल्लेख मिलता है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि ऋग्वेद के अतिरिक्त सभी वैदिक साहित्यों स्तुतियों के साथ-साथ कर्मकांड, जादू-टोना और आख्यानों का विवरण मिलता है।
3. निम्नलिखित में किसको पुराणों के चार युग में शामिल किया जाता है ? 
1. निरुक्त
2. कृत
3. त्रेता
4. द्वापर
5. कलि
कूट 
(a) 1, 2, 3 और 4 
(b) 2, 3, 4 और 5
(c) 1, 3, 4 और 5   
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- पुराणों में शामिल युग हैं कृत त्रेता → द्वापर →  कलि। पुराणों में दिए गए चार युगों में निरुक्त को शामिल नहीं किया जाता है, क्योंकि यह एक वेदांग है।
पुराणों के अनुसार, प्रत्येक युग अपने पिछले युग की अपेक्षा बेहतर नहीं रहा और कहा गया है कि एक युग के बाद जब दूसरा युग आरंभ होता है, तब नैतिक मूल्यों और सामाजिक मानदंडों का अध:पतन होता है।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. हरिषेण समुद्रगुप्त के दरबार का प्रसिद्ध कवि था।
2. उसने 'देवी चंद्रगुप्तम्' काव्य की रचना की।
3. यह प्रयाग प्रशस्ति का भी रचयिता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1 और 3 
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए कथन में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। हरिषेण, गुप्तवंशीय शासक समुद्रगुप्त के दरबार में रहने वाला राजकवि था, जो संस्कृत में रचनाएँ करता था। वह प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में स्थित 'प्रयाग प्रशस्ति' का रचनाकार था। इसने काव्यात्मक विशिष्टता के साथ इसकी रचना की थी, जिसमें समुद्रगुप्त के व्यक्तित्व तथा विजयों का विवरण था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि 'देवी चंद्रगुप्तम्' विशाख दत्त की प्रसिद्ध रचना है।
5. कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी निम्नलिखित में से किससे संबंधित है?
(a) चंद्रगुप्त के शासन से
(b) गीतों के संकलन से
(c) कश्मीर के इतिहास से
(d) कृष्णदेव राय के शासन से
उत्तर - (c)
व्याख्या- कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी, कश्मीर के इतिहास से संबंधित है। 'राजतरंगिणी' जिसका अर्थ 'राजाओं की धारा' है। कल्हण ने राजतरंगिणी की रचना 12वीं शताब्दी में की। यह संस्कृत भाषा की रचना है।
इसमें कश्मीर के शासकों के चरित्रों का संग्रह है। यह ऐतिहासिक लेखन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। यह पहली कृति है, जिसमें आधुनिक काल के इतिहास लेखन के लक्षण मौजूद हैं।
6. सूत्र लेखन का सबसे विख्यात उदाहरण निम्नलिखित में से कौन-सी पुस्तक में दिया गया है ? 
(a) योगशास्त्र 
(b) अष्टाध्यायी
(c) महाभारत
(d) राजतरंगिणी
उत्तर - (b)
व्याख्या- पाणिनि द्वारा रचित सूत्र लेखन का सबसे विख्यात उदाहरण अष्टाध्यायी में दिया गया। इसकी रचना चौथी शताब्दी ई. पू. में की गई थी जो मूलत: एक व्याकरण ग्रंथ है। व्याकरण के नियमों का उदाहरण देने हेतु पाणिनि ने तत्कालीन समाज, अर्थव्यवस्था और संस्कृति के व्यापक पक्षों को उजागर किया है।
7. महाभारत के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह दसवीं सदी ई. पू. से चौथी सदी ई. पू. तक की स्थिति का आभास देता है।
2. पहले इसमें 1000 श्लोक थे, इसे जय कहा जाता था।
3. बाद में 24000 श्लोक हो जाने से 'भारत' कहा गया।
4. एक लाख श्लोक होने पर इसका नाम महाभारत पड़ा।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 4 
(b) 1, 2 और 3
(c) 1, 3 और 4
(d) 3 और 4
उत्तर - (c)
व्याख्या- महाभारत के संबंध में कथन (1), (3) और (4) सत्य हैं। महाभारत धार्मिक साहित्य का एक प्रमुख स्रोत है, जिसे वेदव्यास द्वारा लिखा गया था। इस महाकाव्य में दसवीं सदी ई. पू. से चौथी शताब्दी ई. पू. तक की स्थिति का वर्णन मिलता है।
इस महाकाव्य में श्लोकों की संख्या 24,000 हो जाने की स्थिति में इसे 'भारत' नाम दिया गया, क्योंकि इसमें प्राचीनतम वैदिक जन भरत के वंशजों की कथा है। इस महाकाव्य में अंततः श्लोकों की संख्या एक लाख होने के पश्चात् इसे मूल रूप से महाभारत या शतसहस्री संहिता के नाम से जाना जाने लगा।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि महाभारत में पहले केवल 8800 श्लोक थे और इसे 'जय' कहा जाता था, जिसका शाब्दिक अर्थ था- विजय संबंधी संग्रह ग्रंथ ।
8. बौद्ध ग्रंथों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए )
1. प्राचीनतम बौद्ध ग्रंथ पालि भाषा में लिखे गए थे।
2. पालि भाषा कन्नौज या उत्तरी बिहार में बोली जाती थी।
3. महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथाएँ जातक कहलाती हैं ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- बौद्ध ग्रंथों के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। प्राचीनतम बौद्ध ग्रंथों को ईसा-पूर्व दूसरी सदी में अंतिम रूप से श्रीलंका में संकलित किया गया था। बौद्ध ग्रंथों के धार्मिक शिक्षा से संबंधित अंश बुद्ध समय की स्थिति का बोध कराते हैं। ये बौद्ध ग्रंथ पालि भाषा में लिखे गए। थे।
बौद्धों के धार्मिक साहित्य में सबसे महत्त्वपूर्ण और रोचक तथ्य महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथाएँ हैं। ये कथाएँ जातक कहलाती हैं।
ये जातक कथाएँ एक प्रकार की लोक कथाएँ हैं, जो ईसा पूर्व पाँचवीं सदी से दूसरी सदी ईस्वी सन् तक की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर प्रकाश डालती हैं।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि पालि भाषा कन्नौज या उत्तरी बिहार में नहीं, बल्कि मगध अर्थात दक्षिणी बिहार में बोली जाती थी।
9. जैन साहित्यिक स्रोतों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. जैन ग्रंथों की रचना प्राकृत भाषा में हुई थी।
2. ईसा की आठवीं सदी में वल्लभी में उन्हें संकलित किया गया।
3. जैन ग्रंथों में व्यापार और व्यापारियों के उल्लेख बार-बार मिलते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- जैन साहित्यिक स्रोतों के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। बौद्ध ग्रंथ के साथ-साथ जैन ग्रंथ भी एक महत्त्वपूर्ण साहित्यिक स्रोत रहे हैं, जिनकी रचना प्राकृत भाषा में की गई है।
जैन ग्रंथों के अनेक ऐसे अंश हैं, जिनके आधार पर हमें महावीर कालीन बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के राजनीतिक, इतिहास के पुनर्निर्माण में सहायता प्राप्त होती है। इस ग्रंथ में व्यापार और व्यापारियों से संबंधित उल्लेख बार - बार मिलते हैं।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि ईसा की आठवीं सदी में नहीं, बल्कि छठी सदी में गुजरात के वल्लभी नगर में जैन ग्रंथों को अंतिम रूप से संकलित किया गया।
10. कौटिल्य के अर्थशास्त्र के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) यह एक विधि ग्रंथ है।
(b) यह पंद्रह अधिकरणों में विभक्त है।
(c) इसमें पहला और सातवाँ अधिकरण प्राचीन हैं।
(d) इसमें प्राचीन भारतीय राजतंत्र तथा अर्थव्यवस्था के अध्ययन की सामग्री मिलती है।
उत्तर - (c)
व्याख्या- कौटिल्य के अर्थशास्त्र के संबंध में कथन (c) असत्य है, क्योंकि यह एक विधि ग्रंथ है, जो पंद्रह अधिकरणों या खंडों में विभक्त है, जिसका दूसरा और तीसरा खंड प्राचीन है न कि पहला व सातवाँ अधिकरण । इसके प्राचीनतम अंश मौर्यकालीन समाज और आर्थिक व्यवस्था की जानकारी देते हैं। इस ग्रंथ के द्वारा प्राचीन भारतीय राजतंत्र तथा अर्थव्यवस्था के अध्ययन में सहयोग मिलता है।
11. संगम साहित्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. ये प्राचीनतम तमिल ग्रंथ हैं।
2. इनका संकलन ईसा की आरंभिक चार सदियों में हुआ।
3. संगम साहित्य के पद्य 30,000 पंक्तियों में मिलते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- संगम साहित्य के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। प्राचीनतम तमिल ग्रंथों को संगम साहित्य के नाम से जाना जाता है।
इन साहित्यों का सृजन तत्कालीन राजाओं द्वारा संरक्षित विद्या केंद्रों में एकत्र कवियों या भाटों ( राजाओं का यशगान करने वाली एक जाति) द्वारा ईसा की आरंभिक चार सदियों में किया गया था, जबकि इसका अंतिम संकलन संभवत: छठी सदी में हुआ मालूम पड़ता है।
संगम साहित्य के पद्य 30,000 पंक्तियों में लिखे गए हैं, जो आठ एट्टत्तोकै (संकलनों) में विभक्त हैं। ये पद्य सौ-सौ के समूहों में संगृहीत हैं।
12. यूनानी लेखक जस्टिन द्वारा किसे 'सैण्ड्रोकोट्स' कहा गया था?
(a) चंद्रगुप्त मौर्य
(b) चंद्रगुप्त प्रथम
(c) चंद्रगुप्त द्वितीय
(d) समुद्रगुप्त
उत्तर - (a)
व्याख्या- यूनानी लेखक जस्टिन ने सिकंदर के समकालीन 'सैण्ड्रोकोट्स' नाम की चर्चा की है। जस्टिन के विवरण से यह पता चलता है कि 326 ई. पू. सिकंदर के आक्रमण के समय, 322 ई. पू. में चंद्रगुप्त मौर्य का राज्य हुआ था। अतः यूनानी विवरण में सैण्ड्रोकोट्स नामक वह व्यक्ति चंद्रगुप्त मौर्य ही है।
13. हाथीगुम्फा अभिलेख किस शासक के विषय में जानकारी का स्रोत है? 
(a) खारवेल 
(b) अशोक
(c) हर्षवर्द्धन
(d) कनिष्क
उत्तर - (a)
व्याख्या- हाथीगुम्फा अभिलेख से खारवेल के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। ईसा की पहली सदी में कलिंग के खारवेल ने इस अभिलेख में अपने जीवन की बहुत सी घटनाओं का वर्णन वर्षवार किया है।
खारवेल ने नंद वंश के संस्थापक महापद्मनंद तथा अशोक के कलिंग पर आक्रमण की चर्चा हाथीगुम्फा अभिलेख में की है। हाथीगुम्फा अभिलेख ओडिशा की उदयगिरि पहाड़ियों में स्थित है।

इतिहास लेखन

1.. आधुनिक इतिहास लेखन के अंतर्गत मनुस्मृति का अंग्रेजी अनुवाद किस नाम से किया गया था?
(a) ए कोड ऑफ जेंटू लॉज 
(b) द कोड टू लॉज
(c) ए कोड ऑफ जेन्टल कॉमन
(d) कोड ऑफ कॉन्डक्ट
उत्तर - (a)
व्याख्या- आधुनिक इतिहास लेखन के अंतर्गत 'मनुस्मृति' का अंग्रेजी अनुवाद 1776 ई. में 'ए कोड ऑफ जेंटू लॉज' के नाम से कराया गया। यह सबसे अधिक प्रामाणिक मानी जाने वाली स्मृतियों में शामिल है। मनुस्मृति का अंग्रेजी अनुवाद प्राचीन भारतीय कानूनों और रीति-रिवाजों समझने के लिए करवाया गया था।
2. 1789 ई. में 'अभिज्ञानशाकुंतलम्' नाटक का अंग्रेजी अनुवाद किसने किया था?
(a) जेम्स प्रिंसेप
(b) विलियम जोंस
(c) हेनरी विलियम डेरिजीयो  
(d) मैक्स मूलर
उत्तर - (b)
व्याख्या- ईस्ट इंडिया कंपनी के सिविल सेवक सर विलियम जोंस ने 1789 ई. में कालिदास द्वारा रचित 'अभिज्ञानशाकुंतलम' नामक नाटक का अंग्रेजी में अनुवाद किया। ब्रिटिशों द्वारा प्राचीन कानूनों और रीति-रिवाजों को समझने के प्रयास की दिशा में व्यापक कार्य आरंभ हुए, जो लगातार अठारहवीं सदी तक चलते रहे। इसी कड़ी में 1784 ई. में कलकत्ता में एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल नामक शोध संस्था की स्थापना की गई।
3.. भारतीय इतिहास के अंग्रेजी लेखकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सर विलियम जोंस ने भगवद्गीता का अंग्रेजी अनुवाद किया था।
2. विल्किन्स ने कलकत्ता में एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल की स्थापना की थी।
3. भारत का पहला सुव्यवस्थित इतिहास विसेंट ऑर्थर स्मिथ ने तैयार किया था।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारतीय इतिहास के अंग्रेजी लेखकों के संदर्भ में कथन (3) सत्य है। विसेंट ऑर्थर स्मिथ भारत में व्याप्त सभी कुरीतियों तथा अन्य सामाजिक बुराइयों के गहन अध्ययन को अपनी पुस्तक 'अर्ली हिस्ट्री ऑफ इंडिया' में प्रकाशित किया है। इसी आधार पर उन्होंने 1904 ई. में प्राचीन भारत का पहला सुव्यवस्थित इतिहास भी तैयार किया। इस पुस्तक में उन्होंने राजनीतिक इतिहास को प्रधानता दी है।
कथन (1) और (2) असत्य हैं, क्योंकि सर विलियम जोंस ने अभिज्ञानशाकुंतलम का अंग्रेजी में अनुवाद किया तथा विल्किन्स ने 1785 ई. में भगवद्गीता का अंग्रेजी में अनुवाद किया था और 'एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल' की स्थापना की थी।
4. अराजनैतिक इतिहास लेखन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. ए. एल. बॉशम ने 'वंडर दैट वाज इंडिया' नामक पुस्तक लिखी।
2. बॉशम के अनुसार अतीत का अध्ययन जिज्ञासा और आनंद के लिए होना चाहिए।
3. यह पुस्तक वर्ष 1941 में प्रकाशित हुई थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और
(c) 1, 2 और 3
(d) 2 और
उत्तर - (a)
व्याख्या- अराजनैतिक इतिहास लेखन के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं । ब्रिटिश इतिहासकार संस्कृतविद् ए. एल. बॉशम ने अपनी पुस्तक 'वंडर वाज इंडिया' में प्राचीन भारतीय संस्कृति और सभ्यता के विभिन्न पक्षों को सुव्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत किया है और उन दोषों को नहीं दोहराया है, जिससे से पूर्व लेखक वी. ए. स्मिथ ग्रसित थे।
ए. एल. बॉशम के कुछ लेखों से यह पता चलता है कि वह नास्तिक संप्रदायों के भौतिकवादी दर्शन में रुचि रखते थे। हालाँकि उन्होंने अपने बाद के लेखों कुछ के माध्यम से यह विचार रखा कि अतीत का अध्ययन जिज्ञासा और आनंद के लिए होना चाहिए।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि ए. एल. बॉशम की पुस्तक 'वंडर दैट वाज इंडिया' वर्ष 1951 में प्रकाशित हुई थी न कि वर्ष 1941 में।
5.. निम्नलिखित में से किस इतिहासकार ने महाभारत काल से लेकर गुप्त साम्राज्य के अंत तक भारतीय इतिहास का पुनर्निर्माण किया था?
(a) राम कृष्ण गोपाल भंडारकर
(b) हेमचंद्र राय चौधरी 
(c) वी. ए. स्मिथ
(d) डी. डी. कौशांबी
उत्तर - (b)
व्याख्या- हेमचंद्र राय चौधरी ने महाभारत काल से लेकर गुप्त साम्राज्य के अंत तक के भारतीय इतिहास का पुनर्निर्माण किया था। वह एक यूरोपीय इतिहास के अध्यापक थे, इसलिए उनकी पुस्तक 'प्राचीन भारत के राजनैतिक इतिहास' में नए तरीकों तथा तुलनात्मक दृष्टिकोण का समावेश मिलता है।
6. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. पश्चिमी इतिहासकारों ने धार्मिक कर्मकांड, जाति, बंधुत्व और रूढ़ि को भारतीय इतिहास की मूल शक्तियाँ माना।
2. पश्चिमी इतिहासकारों का मानना है कि भारतीय समाज न बदला है और न बदला जा सकता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। पश्चिमी लेखकों ने भारत के संबंध में सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रक्रिया के स्थान पर राजनीतिक गतिविधियों को व्यापक महत्त्व देना प्रारंभ किया है। उन्होंने इस बात पर बल दिया है कि सभी महत्त्वपूर्ण वस्तुएँ भारत में आयातित नहीं हैं। कालांतर में उन्होंने धार्मिक धारणाएँ, कर्मकांड, जाति (वर्ण), बंधुत्व और रूढ़ि को ही भारतीय इतिहास के मुख्य तत्त्वों में शामिल किया है।
पश्चिमी इतिहासकार भारत के पिछड़ेपन का कारण बदलाव के प्रति उनकी नकारात्मक चेतना को उद्धृत करते हैं।

विविध

1. प्राचीन भारतीय इतिहास के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) प्राक् आर्य, हिंद आर्य, यूनानी ने भारत को अपना घर बनाया।
(b) आर्य सांस्कृतिक उपादान हड़प्पा सभ्यता के अंग हैं।
(c) प्राक आर्य जातीय उपादान दक्षिण की द्रविड़ संस्कृति से आए हैं।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- प्राचीन भारतीय इतिहास के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि प्राचीन भारतीय इतिहास के संबंध में आर्य सांस्कृतिक उपादान हड़प्पा संस्कृति का अंग नहीं है। यह उत्तर के वैदिक और संस्कृतमूलक संस्कृति के अंग हैं। प्राचीन भारतीय संस्कृति की विलक्षणता यह रही है कि इसमें उत्तर और दक्षिण के तथा पूर्व और पश्चिम के सांस्कृतिक उपादान समेकित हो गए हैं।
2. भरतों का देश अर्थात् भारतवर्ष में निवास करने वालों को क्या कह कर संबोधित किया गया?
(a) भरत वंशी
(b) भरत संतति
(c) भारतवासी 
(d) सिंधुवासी
उत्तर - (b)
व्याख्या- संपूर्ण देश भरत नामक एक प्राचीन वंश के अंतर्गत शामिल था, जिसके नाम पर इसे भारतवर्ष अर्थात भरतों का देश कहा गया और यहाँ के निवासियों के लिए 'भरत संतति' शब्द का प्रयोग किया गया। प्राचीन भारत के लोगों की यह विशेषता थी कि वे एक के लिए लगातार प्रयत्नशील रहे, उन्होंने देश की अखंडता को बनाए रखा।
3. निम्नलिखित में से कौन-सी प्राचीन भारतीय इतिहास की विशेषता थी? 
(a) वर्ण व्यवस्था
(b) जाति व्यवस्था
(c) भाषात्मक और सांस्कृतिक एकता 
(d) ये सभी 
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्राचीन भारतीय इतिहास की विशेषताओं में वर्ण-व्यवस्था, जाति-व्यवस्था तथा भाषात्मक और सांस्कृतिक एकता शामिल थी। जहाँ एक ओर उत्तर भारत में वर्ण-व्यवस्था या जाति व्यवस्था का जन्म हुआ तो वहीं दूसरी ओर देश में भाषात्मक और सांस्कृतिक एकता स्थापित करने के प्रयास भी निरंतर चलते रहे। ईसा-पूर्व तीसरी सदी में प्राकृत भाषा संपर्क-भाषा (लिंगुआ फ्रैका) के रूप में प्रचलित था
4. भारतीय उपमहाद्वीप के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. भारतीय उपमहाद्वीप उतना बड़ा है जितना रूस को छोड़कर पूरा यूरोप है।
2. भारतीय उपमहाद्वीप के अंतर्गत भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और पाकिस्तान शामिल हैं।
3. भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग शीत कटिबंध में स्थित हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3 
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारतीय उपमहाद्वीप के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। भारत के इतिहास को उसके भौगोलिक अध्ययन के बिना नहीं समझा जा सकता। भारतीय उपमहाद्वीप का कुल क्षेत्रफल 4,202,500 वर्ग किमी है, जो संपूर्ण यूरोपीय महादेश के बराबर है (रूस को छोड़कर ) ।
भारतीय उपमहाद्वीप में भारत सहित बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और पाकिस्तान शामिल हैं।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि भारतीय उपमहाद्वीप का अधिकांश भाग उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है न कि शीत कटिबंधीय क्षेत्र में।
5. प्राचीन भारत में पश्चिमोत्तर सीमा के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) सुलेमान पर्वत हिमालय के पश्चिम में स्थित है।
(b) सुलेमान पर्वत शृंखला बलूचिस्तान में किरथार से जुड़ी है।
(c) बोलन दर्रे से प्रागैतिहासिक काल से ही आवागमन होता था।
(d) ईरानी आक्रमण बोलन दर्रे से हुआ था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्राचीन भारत में पश्चिमोत्तर सीमा के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित सुलेमान पर्वत शृंखला हिमालय के दक्षिण में स्थित है न कि पश्चिम में।
6. प्राचीन भारतीय इतिहास में मध्य एशिया के लिए बौद्ध धर्म के प्रचार का केंद्र स्थल कौन-सा था ? 
(a) कश्मीर
(b) नेपाल की घाटी
(c) गंगा के मैदानी क्षेत्र
(d) हिंदूकुश पर्वत
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्राचीन भारतीय इतिहास में मध्य एशिया के लिए बौद्ध धर्म प्रचार का केंद्र स्थल कश्मीर था। कश्मीर घाटी चारों ओर से पर्वतीय क्षेत्रों से घिरी होने के कारण एक अलग जीवन पद्धति के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा पाई। यहाँ पर लोगों के द्वारा सर्दियों और गर्मियों में मैदानी और पहाड़ी भागों में निरंतर आवागमन के पश्चात् एक नए तरह के आर्थिक और सांस्कृतिक वातावरण का विकास हुआ।
7. प्राचीन भारत में निम्नलिखित में से कौन-सा बंदरगाह कोरोमंडल तट पर अवस्थित था?
(b) मुजरिस 
(a) अरिकमेडू
(c) सोपारा
(d) ताम्रलिप्ति
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्राचीन भारत में अरिकमेडू, कोरोमंडल तट पर अवस्थित बंदरगाह में था। कोरोमंडल तट एक चौड़ा तटीय मैदान है, जो पूर्वी तमिलनाडु में स्थित है। अरिकमेडू के अतिरिक्त कोरोमंडल तट पर महाबलिपुरम तथा कावेरीपट्टनम् बंदरगाह भी अवस्थित थे। ये मुख्यतः व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित थे, क्योंकि इन बंदरगाहों के द्वारा अन्य राज्यों से आवागमन आसान था।
8. प्राचीन भारत में धातुओं की प्राप्ति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर  विचार कीजिए 
1. सोने का सबसे पुराना अवशेष 1800 ई. पू. में कर्नाटक से प्राप्त हुआ।
2. प्राचीन काल में आंध्र प्रदेश सीसे के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था।
3. मेसोपोटामिया से टिन का आयात होता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 2 और 3 
(c) 1 और 2
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- प्राचीन भारत में धातुओं की प्राप्ति के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। प्राचीन भारत में सोना कोलार (कर्नाटक) की खानों से प्राप्त किया जाता था। सोने का सबसे प्राचीन अवशेष 1800 ई. के आस-पास कर्नाटक पू. में एक नवपाषाण युगीन स्थल से मिला है। सोने का नियमित प्रचलन ईसा की पाँचवीं सदी में हुआ था। कोलार कर्नाटक के गंगवंशियों की प्राचीनतम राजधानी थी ।
प्राचीन काल में आंध्र प्रदेश सीसा के उत्पादन हेतु प्रसिद्ध था, इसी कारण आंध्र प्रदेश पर शासन करने वाले सातवाहन वंश के राजाओं ने बड़ी संख्या में सीसे के सिक्के जारी किए थे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि टिन का आयात मेसोपोटामिया से नहीं, बल्कि अफगानिस्तान से किया जाता था।
9. वैदिकोत्तर संस्कृति, जो मुख्यतः लोहे के प्रयोग पर आश्रित थी, का विकास मुख्यतः किस क्षेत्र में हुआ ? 
(a) गंगा-यमुना दोआब में
(b) नेपाल घाटी में 
(c) मध्य गंगा घाटी में 
(d) पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत में
उत्तर - (c)
व्याख्या- वैदिकोत्तर संस्कृति, जो मुख्यतः लोहे के प्रयोग पर आश्रित थी, का विकास मुख् मध्य गंगा की घाटी में हुआ था। वैदिक संस्कृति का उद्भव पश्चिमोत्तर प्रदेश और पंजाब में हुआ। मगध राजवंश के उदय का प्रमुख कारण लोहे का नियमित प्रयोग था। बड़े पैमाने पर अवंति (उज्जैन की राजधानी) राज्य ने लोहे का प्रयोग कर स्वयं को स्थापित किया।
10. आरंभिक मध्य युग के प्रमाण निम्नलिखित में से किन क्षेत्रों में मिलते हैं? 
(a) असम 
(b) ब्रह्मपुत्र घाटी
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) बोलन घाटी
उत्तर - (c)
व्याख्या- आरंभिक मध्य युग के प्रमाण असम और ब्रह्मपुत्र नदी घाटी के क्षेत्रों में से मिलते हैं। वैदिकोत्तर संस्कृति के बाद लोहे के प्रयोग ने विभिन्न नदी घाटी में राजवंशों और राज्यों के उद्भव को बढ़ावा दिया, इसी क्रम में अंतिम चरण का महत्त्व ब्रह्मपुत्र घाटी को प्राप्त हुआ। प्रमुख शक्तियाँ इन नदी घाटियों में प्रभुत्व हेतु निरंतर संघर्षरत रहीं।
11. प्राचीन कालीन कलिंग देश के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यह वर्तमान के ओडिशा का समुद्रवर्ती प्रदेश था
(b) उसकी उत्तरी सीमा महानदी थी।
(c) उसकी दक्षिणी सीमा नर्मदा नदी थी
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- प्राचीन कालीन कलिंग देश के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि प्राचीन कालीन कलिंग देश की दक्षिणी सीमा गोदावरी नदी तक थी न कि नर्मदा नदी तक। भारतीय प्रायद्वीपीय क्षेत्र के पूर्वी भाग में आधुनिक ओडिशा का समुद्र तटवर्ती क्षेत्र कलिंग देश कहलाता था, जिसकी उत्तरी सीमा महानदी तक थी।
12. ऐतिहासिक स्रोत के रूप में उपलब्ध विश्व प्रसिद्ध कंधार के अभिलेख की लिपि क्या है? 
(a) अरमाइक और ब्राह्मी
(b) यूनानी और ब्राह्मी 
(c) देवनागरी और तमिल
(d) यूनानी और अरमाइक 
उत्तर - (d)
व्याख्या- ऐतिहासिक स्रोतों के रूप में उपलब्ध विश्व प्रसिद्ध कंधार के अभिलेख की लिपि यूनानी और अरमाइक हैं। लगभग 2250 वर्ष पुराना ह स्रोत (अभिलेख) वर्तमान अफगानिस्तान से प्राप्त हुआ है। यह अभिलेख मौर्य शासक अशोक के आदेश पर उत्कीर्ण करवाया गया था।
13. प्राचीन पांडुलिपियों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है? 
(a) प्राचीनकाल में पांडुलिपियों के लिए भूर्ज की छाल का प्रयोग होता था।
(b) ताड़ के पत्तों को काटकर लेखन कार्य किया जाता था।
(c) हाथ से लिखी गई पुस्तकें पांडुलिपि की श्रेणी में आती थीं।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्राचीन पांडुलिपियों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। प्राचीन पांडुलिपि के अध्ययन को निम्न प्रकार द्वारा समझा जा सकता है।
जिन पुस्तकों को हाथ से लिखा गया है, वो पांडुलिपि कही जाती हैं। पांडुलिपि के लिए अंग्रेजी में प्रयुक्त होने वाला शब्द 'मैन्यूस्क्रिप्ट' है। यह लैटिन शब्द 'मेनू' जिसका अर्थ 'हाथ' होता है, से निकला है।
पांडुलिपियाँ प्राय: ताड़पत्रों अथवा हिमालय क्षेत्र में उगने वाले भूर्ज नामक पेड़ की छाल से विशेष प्रकार से तैयार भोजपत्र पर लिखी जाती थीं। प्राय: ये पांडुलिपियाँ मंदिरों और विहारों में प्राप्त होती हैं।
इन पांडुलिपियों में आर्थिक मान्यताओं व व्यवहारों, राजाओं के जीवन, औषधियों तथा विज्ञान आदि सभी प्रकार के विषयों की चर्चा मिलती हैं।
14. प्राचीन कालीन भाषा के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उत्तर भारत की अधिकांश भाषाएँ द्रविड़ भाषा से निकली हैं।
2. द्रविड़ भाषा बोलने वाले लोग विंध्य के दक्षिण में रहते थे।
3. भारतीय आर्य भाषा बोलने वाले लोग विंध्य के उत्तर में रहते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- प्राचीन कालीन भाषा के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं । विंध्य पर्वत शृंखला भारत के पूर्व और पश्चिम को मध्य भाग से विभक्त करती है और इस प्रकार यह उत्तर भारत और दक्षिण भारत की विभाजक रेखा कहलाती है। द्रविड़ भाषा बोलने वाले लोग विंध्य पर्वत के दक्षिणी भाग में रहते हैं। विंध्य के उत्तरी भाग में निवास करने वाले लोग भारतीय आर्य भाषा का प्रयोग करते हैं।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि उत्तरी और पश्चिमी भारत की अधिकांश भाषाएँ एक ही मूल भाषा हिंद आर्य से निकली हैं न कि द्रविड़ भाषा से ।
15. प्राचीन काल में मिले किस पात्र में शराब या तेल जैसे तरल पदार्थ को रखा जाता था? 
(a) एंफोरा 
(b) एरेटाइन
(c) पोडुका
(d) बेरिगाजा
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्राचीन काल में एंफोरा नामक पात्र में शराब या तेल जैसे तरल पदार्थ को रखा जाता था। एंफोरा एक कंटेनर था, जिसकी तुलना प्राचीन यूनान में भंडारण के लिए प्रयुक्त बर्तन से की जाती है।
इसकी आकृति में मुख्यत: एक संकीर्ण गर्दन वाली आकार और दोनों ओर पकड़ने हेतु हैंडल लगा होता था।
16. राजस्थान के खेत्री नामक क्षेत्र से ताँबे के बहुत से सेल्ट (1000 ई. पू. से पहले के) पाए गए हैं। इनकी पहचान किससे की जाती है?
(a) आदिम कुल्हाडी 
(b) आदिम बाण 
(c) आदिम गंडासा
(d) आदिम हल
उत्तर - (a)
व्याख्या- राजस्थान के खेत्री (खेतड़ी) क्षेत्रों से ताँबे के बहुत से सेल्ट, जिन्हें आदिम कुल्हाड़ी कहा जाता है, 1000 ई. पू. की अवधि से पहले पाए गए हैं। ये ताँबे के औजार राजस्थान के अतिरिक्त दक्षिणी बिहार और मध्य प्रदेश से भी पाए गए थे। चूँकि ताँबा उपयोग में लाई गई पहली धातु थी, इसलिए हिंदू इस धातु को पवित्र मानने लगे और ताम्र- पात्रों का धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग होने लगा।
17. प्राचीन कालीन धातुओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार
1. बर्मा तथा मलय प्रायद्वीपों के साथ भारत टिन का व्यापार करता था।
2. बिहार में मिली पाल-कालीन कांस्य प्रतिमाओं के लिए टिन जमशेदपुर तथा धनबाद से प्राप्त होता था।
3. हजारीबाग में टिन के अयस्क को गलाने का कार्य होता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- प्राचीन कालीन धातुओं के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। ईसवी सन् की आरंभिक सदी से ही भारत का बर्मा और मलय प्रायद्वीपों के साथ व्यापक संपर्क स्थापित होने लगा था और ये दोनों क्षेत्र टिन धातु के भंडार में अग्रणी थे। जिसके फलस्वरूप बड़े पैमाने पर दक्षिण भारत में बनने वाली देव प्रतिमाओं में काँसे का प्रयोग होने लगा। हजारीबाग प्राचीन काल में टिन के अयस्क को गलाने हेतु प्रसिद्ध केंद्र था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि बिहार में मिली पाल-कालीन कांस्य प्रतिमाओं के लिए टिन संभवत: जमशेदपुर और धनबाद से नहीं, बल्कि हजारीबाग और राँची से प्राप्त होता था।
18. प्राचीन काल में कौन-सा प्रदेश बड़े पैमाने पर लोहे का उपयोग करके ई. पू. छठी-पाँचवीं सदियों में महत्त्वपूर्ण राज्य बन गया था?
(a) अवंति
(b) कन्नौज 
(c) गांधार
(d) बडिज 
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्राचीन काल में अवंति प्रदेश बड़े पैमाने पर लोहे का उपयोग करके ई. पू. छठी-पाँचवीं सदियों में महत्त्वपूर्ण राज्य बन गया था। लोहे के प्रयोग ने साम्राज्य स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कालांतर में यह महाजनपद में परिवर्तित हो गया। इसकी दो राजधानियाँ थीं। उत्तरी अवंति की राजधानी उज्जयिनी तथा दक्षिणी अवंति की राजधानी महिष्मती थी।
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