NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | प्रागैतिहासिक संस्कृतियाँ

प्रागैतिहासिक संस्कृतियाँ

NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | प्रागैतिहासिक संस्कृतियाँ

NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | प्रागैतिहासिक संस्कृतियाँ

पाषाणकालीन संस्कृतियाँ

1. आदि मानव के द्वारा प्रयोग किए जाने वाले पशुओं की हड्डियों से बने औजारों का प्रमाण कहाँ से मिलता है ? 
(a) कश्मीर घाटी
(b) बोलन घाटी
(c) नेपाल की तराई
(d) ऊपरी गंगा के मैदान
उत्तर - (a)
व्याख्या- कश्मीर की घाटी में जानवरों (पशुओं) की हड्डियों से बने औजार और हथियार के प्रमाण मिले हैं। इस काल में आदिमानव ज्यादातर चकमक पत्थरों से बने औजारों का प्रयोग बहुतायत मात्रा में करते थे। पत्थर के बड़े टुकड़ों से हथौड़े, कुल्हाड़ियाँ और बसूले बनाए जाते थे। इन औजारों का प्रयोग आदिमानव पेड़ों की टहनियाँ काटने, जानवरों को मारने, जमीन खोदने आदि में करता था। चकमक पत्थर के आविष्कार ने आग उत्पन्न करने के अतिरिक्त अन्य कार्यों में आदि मानव को सुविधाएँ दीं।
2. आरंभिक पुरापाषाण काल के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इस काल में मानव खाद्य संग्राहक बना रहा
(b) इस काल में विदारणी एक प्रमुख औजार था
(c) इस युग के निवास स्थल सोहन घाटी से मिले हैं
(d) इस युग में खंडक का प्रयोग शिकार के लिए किया जाता था
उत्तर - (a)
व्याख्या- आरंभिक पुरापाषाण काल के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि आरंभिक पुरापाषाण काल के मानव खाद्य संग्राहक नहीं थे, इस युग का मानवअपना खाद्य कठिनाई से प्राप्त करता था और अधिकांशतः शिकार पर ही निर्भर था।
कुल्हाड़ी या हस्त-कुठार (हैंड- एक्स), विदारणी (क्लीवर) तथा खंडक (चॉपर) आदि हथियारों तथा औजारों का उपयोग होता था। इस युग के निवास स्थल सोहन घाटी से मिले हैं, जो वर्तमान में पाकिस्तान प्रांत में स्थित हैं, लेकिन अनेक स्थल कश्मीर और थार मरुस्थलीय क्षेत्रों में भी मिले हैं।
3. भारतीय पुरापाषाण युग को तीन अवस्थाओं में बाँटा जाता है। निम्नलिखित में से कौन उनमें शामिल नहीं है?
(a) निम्न पुरापाषाण युग
(b) महापाषाण युग
(c) मध्य-पुरापाषाण युग
(d) उत्तर- पुरापाषाण युग
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारतीय पुरापाषाण युग की तीन अवस्थाओं में महापाषाण युग शामिल नहीं है। भारतीय पुरापाषाण युग को मानव द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले पत्थर के औजारों और जलवायु परिवर्तन के आधार पर तीन अवस्थाओं में बाँटा जाता है- आरंभिक या निम्न पुरापाषाण युग, मध्य- पुरापाषाण युग, उत्तर पुरापाषाण युग।
4. पुरापाषाण युग के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) अधिकांश आरंभिक पुरापाषाण युग हिम युग से गुजरा है।
(b) आरंभिक पुरापाषाण के स्थल पाकिस्तान में पाए जाते हैं।
(c) आरंभिक पुरापाषाण के औजार बिहार के चिरांद में पाए गए हैं।
(d) हस्तकुठार द्वितीय हिमालयीय अंतर्हिमावर्तन के समय के जमाव में मिले हैं।
उत्तर - (c)
व्याख्या- पुरापाषाण युग के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि आरंभिक पुरापाषाण युग के औजार चिरांद से नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की बेलन घाटी (मिर्जापुर) से प्राप्त हुए हैं। चिरांद (बिहार) से नवपाषाण काल के पत्थर के औजार प्राप्त हुए हैं।
5. मध्य-पुरापाषाण युग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इस युग में उद्योग मुख्यत: पत्थर की पपड़ी से बनी वस्तुओं का था।
2. फलक, बेधनी, छेदनी तथा खुरचनी पपड़ी से बने औजार हैं।
3. इस युग में सूक्ष्म पाषाण (माइक्रोलिथ्स) औजारों का प्रयोग होता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- मध्य- पुरापाषाण युग के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं । मध्य पुरापाषाण युग में उद्योग मुख्यतः पत्थर की पपड़ी से बनी वस्तुओं का था। ये पपड़ियाँ संपूर्ण भारत में पाई गई हैं और इनमें क्षेत्रीय अंतर भी पाया गया है। इस युग के औजारों में पपड़ियों से बने विविध प्रकार के फलक, बेधनी, मुख्य छेदनी और खुरचनी आदि शामिल हैं। 
कथन (3) असत्य है, क्योंकि माइक्रोलिथ्स औजार मध्य पाषाण युग से संबंधित है न कि मध्य पुरापाषाण युग से।
6. मध्य पुरापाषाण काल में उस उद्योग को क्या कहते थे, जिसमें पत्थर के गोलों से वस्तुओं का निर्माण किया जाता था?
(a) मिसोलिथिक उद्योग
(b) बटिकाश्म उद्योग
(c) शैलाश्रय उद्योग
(d) मेगालिथ उद्योग
उत्तर - (b)
व्याख्या- मध्य-पुरापाषाण काल में पत्थर के गोलों से वस्तुओं के निर्माण की कला विकसित थी, जिसे सरल बटिकाश्म उद्योग के रूप में जाना जाता है। इस काल के स्थल उसी स्थान पर मिले हैं, जहाँ आरंभिक पुरापाषाण स्थल पाए गए हैं। इस युग की शिल्प सामग्री नर्मदा नदी के किनारे स्थित कई स्थानों पर तथा तुंगभद्रा नदी के दक्षिणावर्ती अनेक स्थानों पर पाई गई है।
7. आधुनिक प्रारूप में मानव (होमोसेपिएंस) का प्रादुर्भाव किस युग में हुआ था?
(a) उत्तर पुरापाषाणीय काल
(b) मध्य-पुरापाषाणीय काल 
(c) मध्य-पाषाण काल
(d) नव-पाषाण काल
उत्तर - (a)
व्याख्या- आधुनिक प्रारूप में मानव का प्रादुर्भाव उत्तर पुरापाषाणीय काल में हुआ। आधुनिक मानव को होमोसेपिएंस के नाम से जाना जाता है। इस युग में मानव के उपयोग हेतु गुफाओं का साक्ष्य भीमबेटका से मिला है। इस युग में फलक और तक्षणियों (ब्लेड्स और ब्यूरिन्स) के उपयोग के साक्ष्य आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश आदि क्षेत्रों से मिले हैं।
8. मध्य-पाषाण युग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह पुरापाषाण और नव-पाषाण के बीच का संक्रमण काल है।
2. इस युग में लोग शिकार करके, मछली पकड़कर और खाद्य वस्तुएँ एकत्रित कर पेट भरते थे।
3. इस युग में लोग पशुपालक बन गए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1, 2 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर -  (a)
व्याख्या- मध्य-पाषाण युग के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। प्रस्तर युगीन संस्कृति में 9000 ई. पू. में एक मध्यवर्ती अवस्था का प्रादुर्भाव हुआ, जो में मध्यपाषाण युग के रूप में जाना जाता है। यह पुरापाषाण युग और नवपाषाण युग के बीच का संक्रमण काल था। इस युग के लोग शिकार करके, मछली पकड़कर और खाद्य वस्तुओं को संग्रह कर अपना भोजन तैयार करते थे। कथन (3) असत्य है, क्योंकि मध्य पाषाण युग के लोग पशुपालक नहीं थे। पशुपालन नवपाषाण युग से प्रारंभ हुआ।
9. मनुष्य द्वारा खोजी गई प्रथम धातु ताँबा थी । इसमें किसके मिश्रण से कांस्य का निर्माण होता था ?
(a) टिन
(b) लोहा
(c) लाजवर्थ मणि
(d) सीसा
उत्तर - (a)
व्याख्या- मनुष्य द्वारा खोजी गई प्रथम धातु ताँबा थी। ताँबा और टिन के मिश्रण से काँसा का निर्माण होता है, क्योंकि यह एक मिश्रधातु है। ताँबा भारत में राजस्थान के खेतड़ी से प्राप्त किया जाता था और टिन का आयात बर्मा और मलय प्रायद्वीपों से किया जाता था। दक्षिण भारत में देवी प्रतिमाओं के निर्माण में कांसा का प्रयोग किया जाता था।
10. पुरापाषाण और मध्यपाषाण की कलाकृतियों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इस काल में पर्चिंग पक्षी आरंभिक चित्रों में नहीं पाए जाते थे।
(b) पर्चिंग अनाज पर जीने वाला प्रमुख पक्षी था।
(c) भीमबेटका चित्रकला की आदिम प्रस्तुति को उद्घाटित करता है।
(d) भीमबेटका वर्तमान में उत्तर प्रदेश में स्थित है।
उत्तर - (d)
व्याख्या- पुरापाषाण और मध्यपाषाण की कलाकृतियों के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि पुरापाषाण और मध्यपाषाण की कलाकृतियाँ भीमबेटका के शैलाश्रय से प्राप्त हुई हैं। यह स्थल वर्तमान उत्तर प्रदेश में नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश में स्थित है। यह स्थल विंध्य पर्वत के दक्षिण में स्थित है। यहाँ पर 500 से भी अधिक चित्रित गुफाएँ पाई गई हैं। इन गुफाओं के चित्र पुरापाषाण काल से लेकर मध्यपाषाण काल तक के हैं जिनमें बहुत सारे पशु, पक्षी और चित्र भी हैं। अनाज पर आश्रित रहने वाली पर्चिंग पक्षी के चित्र इन गुफाओं में नहीं मिले हैं। मानव
11. मध्य पाषाणिक प्रसंग में पशुपालन के प्रमाण जहाँ मिले हैं, यह स्थान है
(a) लंघनाज
(b) बीरभानपुर
(c) आदमगढ़ 
(d) चोपनी मांडो
उत्तर - (c)
व्याख्या- मध्य पाषाणिक प्रसंग में पशुपालन का सबसे प्राचीन प्रमाण आदमगढ़ से प्राप्त हुआ है। मध्य प्रदेश में आदमगढ़ तथा राजस्थान के बागोर जिले में पशुपालन की उन्नत अवस्था मौजूद थी। यह अवस्था 9000 ई.पू. से 4000 ई.पू. के मध्य मौजूद थी। आदमगढ़ में यहाँ के निवासियों की जीविका का आधार पशुपालन प्रतीत होता है। पशुपालकों के निवास स्थल के साक्ष्य भी यहाँ प्राप्त हुए हैं।
12. नवपाषाण काल के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इस युग के लोग पॉलिशदार पत्थर का प्रयोग करते थे ।
(b) लोग काँस्य की कुल्हाड़ी का प्रयोग करते थे।
(c) इस काल में सर्वप्रथम कृषि उत्पादन शुरू हुआ।
(d) इस काल में ही मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए चाक का उपयोग शुरू हुआ।
उत्तर - (b)
व्याख्या- नवपाषाण काल के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि नवपाषाण काल में काँसे की कुल्हाड़ी का प्रयोग नहीं किया जाता था, बल्कि पॉलिशदार पत्थर के औजारों और हथियारों का प्रयोग होता था। नवपाषाण काल कई महत्त्वपूर्ण कारणों से केंद्र में रहा, जिसमें कृषि उत्पादन, मिट्टी के बर्तन बनाने हेतु चाक का उपयोग, पशुपालन का प्रारंभ तथा आग का प्रारंभ आदि प्रमुख थे।
13. नवपाषाण काल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. गुफकराल से कृषि के साक्ष्य मिले हैं।
2. गुफकराल का अर्थ 'शिकारी की गुहा' होता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं? 
(a) केवल 1 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- नवपाषाण काल के संबंध में कथन (1) सत्य है। कश्मीर घाटी में नवपाषाणकालीन स्थान गुफकराल है, जहाँ के लोग कृषि और पशुपालन दोनों से परिचित थे। अत: यहाँ से कृषि के साक्ष्य मिले हैं।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि गुफकराल का अर्थ 'कुम्हार की गुफा' होता है न कि शिकारी की गुहा |
14. बिहार स्थित किस नवपाषाणिक स्थल से हड्डी के हथियार बड़ी संख्या में प्राप्त हुए हैं? 
(a) वज्जि 
(b) कुंडग्राम
(c) चिरांद
(d) चंपा
उत्तर - (c)
व्याख्या- बिहार के सारण जिले में अवस्थित चिरांद नामक नवपाषाण कालीन स्थल से हड्डी के हथियार बड़ी संख्या में प्राप्त हुए हैं। यहाँ से प्राप्त हड्डियों के औजारों की तिथि 2000 . पू. के आस-पास की थी। संभवतः यहाँ से मिले औजार को पहले नवपाषाण काल की श्रेणी में रखा गया है।
15. निम्नलिखित में से किस स्थान पर मानव के साथ कुत्ते को दफनाने का साक्ष्य मिला है ?
(a) बुर्जहोम
(b) कोलडिहवा 
(c) चोपानी मांडो
(d) मांडो 
उत्तर - (a)
व्याख्या- बुर्जहोम की कब्रों में मालिकों के साथ पालतू कुत्ते को दफनाने का साक्ष्य मिला है। उत्तर पश्चिम में कश्मीर घाटी में नवपाषाण संस्कृति का महत्त्वपूर्ण स्थल 'बुर्जहोम' है, जिसका अर्थ है- 'भुर्ज वृक्षों का स्थान' ।
पालतू कुत्तों को उनके मालिकों के साथ दफनाने की प्रथा भारत के अन्य किसी भाग में नवपाषाण युगीन लोगों में शायद नहीं थी।
16. यह बोलन दर्रे के पास एक हरा भरा समतल स्थान है, यहाँ के स्त्री-पुरुषों ने इस क्षेत्र में सबसे पहले जौ, गेहूँ उगाना तथा भेड़-बकरी पालना सीखा। कब्रों में मनुष्य के साथ बकरी को दफनाने से उनकी इस आस्था को बल मिलता है कि मृत्यु के बाद भी जीवन होता है? यह विवरण इस नवपाषाणिक स्थल का सटीक विवरण है 
(a) मेहरगढ़
(b) बुर्जहोम 
(c) गुफकराल
(d) कोटदीजी 
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्रश्न में वर्णित विवरण का संबंध मेहरगढ़ से है। मेहरगढ़ पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ईरान की सीमा के पास बोलन दर्रे के निकट है, यह एक समतल मैदानी क्षेत्र है। नवपाषाण काल में कृषि एवं पशुपालन का पहला साक्ष्य इस स्थान से प्राप्त हुआ है। यहाँ मृतकों के साथ कब्र में बकरी को दफनाने का भी साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
17. दाओजली हेडिंग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. यह ब्रह्मपुत्र की घाटी में स्थित था।
2. यहाँ से 'काष्ठाश्म' के औजार और बर्तन मिले हैं।
3. यहाँ से मूसल और खरल जैसे उपकरण प्राप्त हुए हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल
उत्तर - (c)
व्याख्या- दाओजली हेडिंग के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। दाओजली हेडिंग असम के कछार पर्वत के ऊपरी भाग में ब्रह्मपुत्र नदी घाटी में स्थित एक नवप्रस्तरकालीन स्थल है।
नवप्रस्तरकालीन मानव ने यहाँ उपलब्ध बलुआ पत्थर व शैल का उपयोग उपकरणों को बनाने में किया था। यहाँ से प्राप्त उपकरण अधिकांशतः इन्हीं दोनों पत्थरों से बनाए गए।
इस स्थल से प्राप्त मुख्य अवशेष पाषाण उपकरण हैं, जो क्वार्जाइट, बलुआ पत्थर, शैल व प्रस्तरीकृत लकड़ी पर निर्मित हैं। इनमें मूसल और खरल तथा काष्ठाश्म के औजार व बर्तन शामिल हैं।
18. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. नवपाषाण काल में कुत्ते को सबसे पहले पालतू बनाया गया था।
2. महागढ़ा और पैच्चमपल्ली से कृषि कार्य के साक्ष्य मिले हैं।
3. नवपाषाण काल के लोग कपड़े बुनने लगे थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। पाषाणकालीन लोगों ने संभवतः अपने घरों के आस-पास चारा रखकर जंतुओं को पालतू बनाया। सबसे पहले इनके द्वारा कुत्ते को पालतू बनाने के बारे में साक्ष्य प्राप्त होते हैं। तत्पश्चात् भेड़ और बकरी को पालतू बनाए जाने की चर्चा सामने आती है। नवपाषाणकालीन स्थल से कृषक और पशुपालकों के बारे में भी जानकारी प्राप्त होती है।
भारत के पश्चिमोत्तर क्षेत्र, आधुनिक कश्मीर, पूर्वी तथा दक्षिण भारत ऐसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र हैं जहाँ से कृषकों और पशुपालकों के साक्ष्य मिले हैं। महागढ़ा (उत्तर-प्रदेश) और पैच्चमपल्ली (तमिलनाडु) ऐसे नवपाषाणकालीन स्थल थे, जहाँ से कृषकों के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
नवपाषाण काल में कपास उगाए जाने के संबंध में पता चला है, जिससे यह प्रतीत होता है कि लोग कपड़ा बुनने का कार्य भी करते थे।
19. नवपाषाणिक मिश्रित कृषि के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. खेती वाले मनुष्य अनिवार्य रूप से पशुपालन करते थे।
2. कृषि के साथ पशुपालन को मिश्रित कृषि की संज्ञा दी गई ।
3. फसल काटने के पश्चात् तुरंत सारा अनाज खत्म कर दिया जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3 
(c) 1, 2 और 3 
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- नवपाषाणिक मिश्रित कृषि के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। नवपाषाण काल में पशुपालन और कृषि दोनों साथ की जाने लगी थी, तत्पश्चात् मिश्रित की शुरुआत हुई। संभवतः इस काल में पानी की निकटता वाले क्षेत्रों का पशु बाहुल्य के कारण मनुष्य ने उनका अध्ययन किया और कृषि कार्य के पश्चात् फसलों की भूसी को उनके आहार के रूप में उपयोग करने लगे, जिससे दोनों कार्य साथ-साथ किए जाने लगे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि नवपाषाण काल में फसल काटने के तुरंत बाद सारा अनाज समाप्त नहीं किया जाता था, बल्कि उसे अगली उपज तक चलाया जाता था और उसमें से कुछ बोने के लिए बीज के रूप में भी आवश्यकतानुसार अनाज को बचाकर रखा जाता था।
20. नवपाषाणकालीन लोगों के धार्मिक विश्वास के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मृत व्यक्तियों को हथियार, बर्तन तथा खाने-पीने की चीजों के साथ दफनाया जाता था।
2. मृत पूर्वजों के शव जमीन में दफना देने से उनकी आत्माएँ फसलों के बढ़ने में मदद देती हैं।
3. नवपाषाण काल के लोगों का कुल-चिह्नों में विश्वास था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- नवपाषाणकालीन लोगों के धार्मिक विश्वास के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। मृत व्यक्तियों को दफनाने के तरीकों से नवपाषाणकालीन लोगों के धार्मिक विश्वासों के विषय में जानकारी मिलती है। मृत व्यक्तियों को हथियार, मिट्टी के बर्तन तथा खाने-पीने की वस्तुओं के साथ कब्रों में दफनाया जाता था। ऐसा विश्वास था कि मरने के बाद भी व्यक्तियों को इन वस्तुओं की जरूरत पड़ेगी।
नवपाषाण काल में कब्रों का महत्त्व पहले की अपेक्षा अधिक हो गया था, क्योंकि इस समय कृषि का प्रचलन शुरू हो गया था और लोग आखेटक से खाद्य संग्राहक की ओर प्रेरित होने लगे। संभवतः इन्हीं कारणों से उस काल के लोगों की यह धारणा बन गई थी कि जिन मृत पूर्वजों के शव जमीन के नीचे गढ़े . हुए हैं, उनकी आत्माएँ फसलों के बढ़ने में सहायता देती हैं।
नवपाषाण काल में इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि इन लोगों का कुल चिह्नों में विश्वास था । यदि कोई जाति या साथ-साथ रहने वाले परिवारों का कोई समूह किसी पशु या पौधे की आकृति को अपनी जाति या समूह का चिह्न मान लेता था, तो उसे जाति या समूह का कुल चिह्न कहा जाता था।
21. निम्नलिखित में से कौन-सी घटना नवपाषाण काल से संबंधित है?
(a) आंवा में मिट्टी के बर्तन बनाना
(b) चिकने पत्थर के औजार बनाना
(c) पहिए का आविष्कार
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- नवपाषाण काल को कृषि का आरंभ, मिश्रित कृषि का विकास, बस्तियों का विकास, चिकने पत्थर के औजार बनाना, आंवा में मिट्टी के बर्तन बनाना, पहिए का आविष्कार तथा कातने और बुनने की कला का प्रारंभ आदि प्रक्रियाओं के प्रारंभ हेतु जाना जाता है।
विश्वस्तरीय संदर्भ में नवपाषाण युग 9000 ई.पू. में आरंभ होता है, वहीं भारतीय उपमहाद्वीप में इसकी शुरुआत 7000 ई.पू. से मानी जाती है।

ताम्रपाषाण कृषक संस्कृतियाँ

1. ताम्रपाषाण युग के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इसे चाल्कोलिथिक कहा जाता है।
(b) यह पत्थर और ताँबे के उपयोग की अवस्था है।
(c) तकनीकी दृष्टि से ताम्रपाषाण अवस्था हड़प्पा की कांस्ययुगीन संस्कृति के बाद की है।
(d) यहाँ के लोग ग्रामीण समुदाय बना कर रहते थे।
उत्तर - (c)
व्याख्या- ताम्रपाषाण युग के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि तकनीकी दृष्टि से ताम्रपाषाण अवस्था हड़प्पा की कांस्ययुगीन संस्कृति से पहले की है न कि बाद की। नवपाषाण युग के अंत होने के साथ ही धातुओं का प्रयोग प्रारंभ हो गया। धातुओं में सबसे पहले ताँबा का प्रयोग प्रारंभ हुआ।
कई संस्कृतियों का जन्म पत्थर और ताँबे के उपकरणों का साथ-साथ प्रयोग करने के कारण हुआ। इन संस्कृतियों को ताम्रपाषाणिक (चाल्कोलिथिक) कहते हैं, जिसका अर्थ है- पत्थर और ताँबे के उपयोग की अवस्था । वे लोग मुख्यत: ग्रामीण समुदाय बनाकर रहते थे और देश के ऐसे विशाल भागों में फैले थे, जहाँ पहाड़ी और नदियाँ विद्यमान थीं।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अहार और गिलुंद ताम्रपाषाणिक स्थल हैं।
2. मालवा मृद्भांड ताम्रपाषाणिक मृद्भांडों में उत्कृष्टतम माना जाता है। 
3. पश्चिमी महाराष्ट्र में इनामगाँव एक वृहत्तर ताम्रपाषाणिक स्थल है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। अहार और गिलुंद से ताँबे की वस्तुएँ बहुतायत में मिली हैं, यह राजस्थान में स्थित है। अहार का प्राचीन नाम तांबवती अर्थात् तांबावाली जगह है। अहार संस्कृति का काल संभवतः 2100 और 1500 ई. पू. के बीच का है और गिलुंद इसी संस्कृति का स्थानीय केंद्र था, गिलुंद से ताँबे के टुकड़े प्राप्त हुए हैं।
पश्चिमी मध्य प्रदेश में स्थित मालवा मृद्भांड ताम्रपाषाणिक मृद्भांडों में उत्कृष्टतम माना जाता है, जो उसकी विलक्षणता को दर्शाता है। इनामगाँव पश्चिमी महाराष्ट्र में आरंभिक ताम्रपाषाणिक स्थल है, यह ताम्रपाषाण युग की सबसे बड़ी बस्ती है ।
3. भारत में ताम्रपाषाण अवस्था की बस्तियाँ निम्नलिखित में से कहाँ नहीं मिलतीं?
(a) दक्षिण-पूर्वी राजस्थान
(b) मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग
(c) पश्चिमी महाराष्ट्र
(d) ऊपरी गंगा यमुना दोआब
उत्तर - (d)
व्याख्या- भारत में ताम्रपाषाण अवस्था की बस्तियाँ ऊपरी गंगा यमुना दोआब क्षेत्र में नहीं मिलती हैं, बल्कि इस अवस्था की बस्तियाँ दक्षिण-पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग तथा दक्षिण-पूर्वी भारत और पश्चिमी महाराष्ट्र में पाई गई हैं। अहार, गिलुंद, मालवा, कायथा, एरण आदि इस प्रकार के उदाहरण हैं।
4. जोरवे संस्कृति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. जोरवे एक नगरीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है ।
2. यह कोंकण के तट प्रदेश में फैली थी।
3. इनामगाँव में नगरीकरण के प्रमाण मिलते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- जोरवे संस्कृति के संबंध में कथन (3) सत्य है । जोरवे संस्कृति की कई बस्तियों में से प्रमुख दैमाबाद और इनामगाँव नगरीकरण के स्तर तक पहुँच चुकी थी, जिसके प्रमाण इन ताम्रपाषाण कालीन स्थलों से प्राप्त होते हैं।
कथन (1) और (2) असत्य हैं, क्योंकि जोरवे संस्कृति मुख्यतः एक ग्रामीण संस्कृति थी, जिसका प्रादुर्भाव 1400-700 ई. पू. के आस-पास विदर्भ के कुछ भाग तथा कोंकण तट प्रदेशों के समूचे महाराष्ट्र में हुआ था।
5. निम्नलिखित में से किस स्थल को तांबवती (तांबावाली ) कहा जाता है ? 
(a) अहार
(b) ताराडोर
(c) महिषादल
(d) खैराडीह
उत्तर - (a)
व्याख्या- अहार को तांबवती ( तांबावाली) के नाम से जाना जाता है, यह अहार का प्राचीन नाम था। अहार राजस्थान की बनास घाटी के शुष्क क्षेत्र में स्थित एक ताम्रपाषाणिक स्थल है, जहाँ से ताम्रपाषाणिक बस्तियों के प्रमाण भी मिले हैं।
6. ताम्रपाषाण युग की जीवन शैली के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. ताम्रपाषाण युग में लोग आभूषण और सजावट के शौकीन थे।
2. स्त्रियाँ सीपियों तथा हड्डियों के आभूषण पहनती थीं।
3. स्त्रियाँ बालों में सुंदर कंघियाँ लगाए रखती थीं ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- ताम्रपाषाण युग की जीवन शैली के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। ताम्रपाषाण युग के लोगों को जंगली जंतुओं और कष्टदायक मौसम से आजादी मिली, जिसके कारण उनके पास पर्याप्त समय था दूसरे कार्यों के लिए और इन कार्यों में उन लोगों ने आभूषण बनाने की कला पर ध्यान दिया और इसी कारण वे लोग आभूषण और सजावट के शौकीन होते गए। स्त्रियाँ सीपियों तथा हड्डियों के आभूषण पहनने लगीं और बालों में सुंदर कंघियाँ लगाने लगीं।
7. ताम्रपाषाण संस्कृति के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) ताम्रपाषाण काल में कपास की खेती की जाती थी।
(b) इस काल के लोग काले व लाल मृद्भांड का प्रयोग नहीं करते थे।
(c) इस काल के लोग पक्की ईंटों से परिचित नहीं थे।
(d) महाराष्ट्र में सेमल की रूई के धागे प्राप्त हुए हैं।
उत्तर - (b)
व्याख्या- ताम्रपाषाण संस्कृति के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि ताम्रपाषाण कालीन संस्कृति के लोग काले-व-लाल मृद्भांड का प्रयोग करते थे। इनका प्रयोग दूसरी शताब्दी ई.पू. में बड़े पैमाने पर होता था। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई स्थलों से चित्रित मृद्धांडों के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
8. ताम्रपाषाणिक संस्कृति में निम्नलिखित में से किस पशु का साक्ष्य प्राप्त नहीं होता?
(a) गाय
(b) सुअर
(c) घोड़ा
(d) ऊँट
उत्तर - (c)
व्याख्या- ताम्रपाषाण संस्कृति घोड़े का साक्ष्य प्राप्त नहीं होता है। संभवतः इस संस्कृति के लोग घोड़े से परिचित नहीं थे। दक्षिण-पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, पश्चिमी महाराष्ट्र तथा अन्यत्र कई ताम्रपाषाणिक स्थलों से पशुपालन और खेती करने का साक्ष्य प्राप्त हुआ है। इस युग के लोग गाय, भेड़, बकरी, सूअर और भैंस से परिचित थे। वे हिरण का शिकार करते थे। कई स्थलों से ऊँट के भी अवशेष प्राप्त हुए हैं।
9. ताम्र पाषाण युग की कब्रों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. महाराष्ट्र के लोग मृतक को कलश में रखकर कब्रिस्तान में दफनाते थे।
2. मृतकों के साथ ताँबे की वस्तुओं को भी दफनाया जाता था।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- ताम्र पाषाण युग की कब्रों के संबंध में कथन (2) सत्य है। ताम्रपाषाण संस्कृति की कई बस्तियों से शव-संस्कारों तथा पूजा पद्धति के संबंध में जानकारी प्राप्त होती है। इस काल में हड़प्पा संस्कृति की तरह अलग-अलग कब्रिस्तान नहीं होते थे। महाराष्ट्र के लोग कब्र में मिट्टी की हड्डियों के साथ-साथ ताँबे की कुछ वस्तुओं को रखते थे, जिसका प्रचलन इस काल में देखा जाता है।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि महाराष्ट्र के लोग मृतक को कलश में रखकर कब्रिस्तान में नहीं, बल्कि अपने घर के फर्श के अंदर उत्तर-दक्षिण दिशा में दफनाते थे।
10. ताम्रपाषाण कालीन धार्मिक जीवन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) वे मातृ देवी की पूजा करते थे।
(b) यहाँ से कच्ची मिट्टी की नग्न मूर्तियों की पूजा के प्रमाण मिलते हैं।
(c) शेर धार्मिक पंथ का प्रतीक था।
(d) मालवा में वृषभ मूर्तिकाएँ प्राप्त हुई हैं।
उत्तर - (c)
व्याख्या- ताम्रपाषाण कालीन धार्मिक जीवन के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि ताम्रपाषाण कालीन संस्कृति की मालवा और राजस्थान में मिली रूढ़ शैली में बनी मिट्टी की वृषभ- मूर्तिकाएँ यह संकेत करती हैं कि वृषभ (साँड) धार्मिक पंथ का प्रतीक था, न कि शेर ।
11. ताम्रपाषाण काल के संबंध में निम्नलिखित कथनों में कौन सत्य नहीं है? 
(a) ताम्रपाषाण अवस्था में अनाज भवन, मृद्भांड में क्षेत्रीय समानता थी।
(b) पूर्वी भारत चावल उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था।
(c) नवदाटोली में सबसे अधिक अनाज के भंडार पाए गए हैं।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- ताम्रपाषाण काल के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि ताम्रपाषाण अवस्था में अनाज, न, मृद्भांड आदि में क्षेत्रीय समानता के स्थान पर क्षेत्रीय अंतर प्रतीत होता है। एक ओर जहाँ पूर्वी भारत में चावल की खेती बहुतायत में की जाती थी, तो वहीं दूसरी ओर पश्चिमी भारत में जौ और गेहूँ बहुतायत में उगाए जाते थे।
गेहूँ, चावल, बाजरा, उड़द, मसूर, मूँग और मटर आदि अनाज महाराष्ट्र में नर्मदा नदी पर स्थित नवदाटोली स्थल से प्राप्त हुए हैं अर्थात् यहाँ से सबसे अधिक अनाज के भंडार पाए गए हैं।
12. किस ताम्रपाषाणिक स्थल से एक ऐसी पिंडिका मिली है, जो सिंधु-टाइप से मिलती-जुलती है ? 
(a) अलवर
(b) मेहरगढ़ 
(c) गणेश्वर
(d) नवदाटोली 
उत्तर - (c)
व्याख्या- राजस्थान में स्थित गणेश्वर ताम्रपाषाण कालीन स्थल से ऐसी पिंडिका मिली है, जो सिंधु टाइप से मिलती-जुलती है।
अनेक प्रकार की प्राक् हड़प्पीय ताम्रपाषाण संस्कृतियाँ सिंध, बलूचिस्तान, राजस्थान आदि प्रदेशों में कृषक समुदायों के प्रसार में प्रेरणा स्रोत बनी और उनसे हड़प्पा की नगर सभ्यता के उदय हेतु अनुकूल अवसर बना। इसी दृष्टि से राजस्थान का कालीबंगा और गणेश्वर स्थल प्रमुख रूप से सिंधु टाइप दिखाई पड़ते हैं।
13. कायथा संस्कृति के संबंध में निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यह लगभग 2000-1800 ई. पू. तक विकसित रही ।
(b) यह हड़प्पा संस्कृति की कनिष्ठ समकालीन है।
(c) इसके मृद्धांडों में प्राक्-हड़प्पाई लक्षण नहीं दिखते हैं ।
(d) इस पर हड़प्पाई प्रभाव दिखाई देते हैं।
उत्तर - (c)
व्याख्या- कायथा संस्कृति के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है। यह संस्कृति, प्राक्-हड़प्पाई और हड़प्पोत्तर ताम्रपाषाण संस्कृति तथा हड़प्पा संस्कृति की समकालीन ताम्रपाषाण संस्कृति है, जो उत्तरी, पश्चिमी और मध्य भारत में पाई जाती है। इस संस्कृति के मृद्भांडों में कुछ प्राक्-हड़प्पाई लक्षण दिखाई देते हैं। साथ ही इस पर हड़प्पाई प्रभाव दिखाई पड़ता है। यह संस्कृति लगभग 2000-1800 ई. पू. में विकसित हुई थी।
14. निम्नलिखित में से कौन-सी संस्कृति हड़प्पा संस्कृति से पृथक् मानी जाती है? 
(a) मालवा संस्कृति
(b) जोरवे संस्कृति 
(c) गैरिक मृद्भांड संस्कृति
(d) ताम्रपाषाणिक संस्कृति 
उत्तर - (c) (a)
व्याख्या- मालवा संस्कृति हड़प्पा संस्कृति से पृथक् मानी जाती है, यह एक ताम्रपाषणिक बस्ती है। यहाँ से उत्कृष्ट ताम्र पाषाण के मृद्भांड मिलते हैं। मालवा संस्कृति का काल 1700-1200 ई.पू. माना जाता है, यह पश्चिमी मध्य प्रदेश में स्थित है।
15. ताम्रपाषाण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. जलोढ़ मिट्टी वाले मैदानों में ताम्रपाषाणिक अवशेष मिले हैं।
2. ताम्रपाषाणिक लोगों ने अधिकतर नदी-तटों पर पहाड़ियों से कम दूरी पर गाँव बसाए ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो
उत्तर - (b)
व्याख्या- ताम्रपाषाण के संबंध में कथन (2) सत्य है। सामान्यत: ताम्रपाषाणिक लोगों ने अधिकतर नदी-तटों पर पहाड़ियों से कम दूरी वाले स्थानों में गाँव बसाए थे। ये लोग सूक्ष्म पाषाणों और पत्थर के औजारों का प्रयोग करते थे। इनमें से अधिकतर लोग ताँबे को पिघलाने की कला से परिचित थे।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि जलोढ़ मिट्टी वाले मैदानों और घने जंगल वाले क्षेत्रों को छोड़ कर प्राय: समूचे देश में ताम्रपाषाण संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। हालाँकि जलोढ़ मिट्टी वाले मैदानों में भी जलाशय के किनारे कई ताम्रपाषाणिक बस्तियाँ मिली हैं।
16. ताम्रपाषाण काल के संबंध में निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) ताम्रपाषाण स्थलों से न हल और न फावड़ा पाया गया है
(b) इस काल के लोग झूम खेती करते थे।
(c) ताम्रपाषाण के लोग लोहे के प्रयोग से व्यापक खेती करते थे
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- ताम्रपाषाण काल के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि खेती के लिए लौह के उपकरणों का प्रयोग आवश्यक होता है, लेकिन ताम्रपाषाण संस्कृति में लोहे का अस्तित्व नहीं था। ताम्रपाषाण के जो लोग पश्चिमी और मध्य भारत के काली कपास मिट्टी वाले क्षेत्रों में रहते थे, गहन या विस्तृत पैमाने पर कृषि कार्य नहीं कर सके।
ताम्रपाषाण स्थल से हल और फावड़ा का न पाया जाना इस बात को स्पष्ट स्वरूप प्रदान करता है कि ये लोग जमीन खोदने वाले डंडे (डीगिंग स्टिक) में पत्थर का छिद्रित चक्का दबाव के लिए लटका कर एक वैकल्पिक रूप में झूम कृषि कर पाते थे।
17. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. पश्चिमी महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में बच्चों के शवाधानों से ताम्रपाषाण संस्कृति की आम दुर्बलता प्रकट होती है।
2. खाद्य उत्पादक अर्थव्यवस्था के होते हुए भी बच्चों के मरने की दर बहुत ऊँची थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य है। पश्चिमी महाराष्ट्र में पोषाहार में कमी, चिकित्सा के ज्ञान का अभाव या महामारी के प्रकोप को बड़ी संख्या में बच्चों के शवाधानों का जिम्मेदार माना जा सकता है।
खाद्य उत्पादक अर्थव्यवस्था के बावजूद पश्चिमी महाराष्ट्र में बच्चों की मौतों की उच्च दर ने ताम्रपाषाणिक संस्कृति के आर्थिक और सामाजिक ढाँचे को आयुवर्धक नहीं बताया है।
18. ताम्रपाषाणकालीन संस्कृतियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. चालीस से अधिक ताम्र निधियाँ भारत के विभिन्न हिस्सों से प्राप्त हुई हैं।
2. ताम्र निधियों में से अधिकांश गंगा-यमुना दोआब में केंद्रित हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- ताम्रपाषाणकालीन संस्कृतियों के संदर्भ में दिए गए दोनों कथनों में से कोई भी कथन सत्य नहीं है ।
भारत के विभिन्न हिस्सों में चालीस से अधिक ताम्र निधियाँ (ताम्र उपकरणों के जखीरें) प्राप्त हुई हैं। ये पूर्व में बंगाल से गुजरात तथा हरियाणा तक फैली हैं। दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश में ताम्र निधियाँ प्राप्त होती हैं। भारत के उत्तरी मैदान विशेषकर गंगा-यमुना दोआब में आधी ताम्र निधियाँ स्थित हैं।
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