NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | भारत का स्वाधीनता संग्राम : द्वितीय चरण (वर्ष 1915-1935)
गाँधीवादी आंदोलन एवं अन्य घटनाएँ
1. गाँधीजी के भारत आगमन के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उन्होंने दो वर्षों तक भारत भ्रमण किया।
(b) उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु माना।
(c) उन्होंने ब्रिटेन से कानून की शिक्षा प्राप्त की थी।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- गाँधीजी के भारत आगमन के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि गांधीजी ने दो वर्ष नहीं, बल्कि एक वर्ष तक भारत का भ्रमण किया। महात्मा गाँधी 46 वर्ष की अवस्था में वर्ष 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। उन्होंने वर्ष 1916 में अहमदाबाद के पास साबरमती आश्रम की स्थापना की, जहाँ उनके मित्रों और अनुयायियों ने वहाँ रहकर सत्य, अहिंसा में निहित मूल अर्थों को समझा।
महात्मा गाँधी गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा भारत में प्राप्त की तथा कानून की शिक्षा प्राप्त करने के लिए ब्रिटेन गए और वहाँ से उन्होंने वकालत के लिए दक्षिण अफ्रीका को चुना।
2. निम्न में से कौन होमरूल आंदोलन से जुड़ा हुआ था?
(a) बाल गंगाधर तिलक
(b) ऐनी बेसेंट
(c) सुब्रह्मण्यम अय्यर
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- होमरूल आंदोलन से बाल गंगाधर तिलक, ऐनी बेसेंट और सुब्रह्मण्यम अय्यर जुड़े हुए थे। होमरूल आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहते हुए संवैधानिक तरीके से स्वशासन को प्राप्त करना था। 'स्वराज्य' की प्राप्ति हेतु बाल गंगाधर तिलक ने 28 अप्रैल, 1916 को बेलगाँव में 'होमरूल लीग' की स्थापना की थी।
3. होमरूल लीग आंदोलन के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. वर्ष 1915-16 में दो होमरूल लीग की स्थापना की गई ।
2. दोनों होमरूल लीग ने इस माँग को उठाया कि प्रथम विश्वयुद्ध के बाद भारत को होमरूल या स्वशासन प्रदान किया जाए।
3. इसी आंदोलन के दौरान तिलक ने अपना प्रसिद्ध नारा दिया था कि ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा' ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- होमरूल लीग आंदोलन के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं । वर्ष 1915-16 में दो होमरूल लीगों की स्थापना हुई थी, जिनमें से एक के नेता लोकमान्य तिलक थे, तो दूसरी लीग का नेतृत्व ऐनी बेसेंट और सुब्रह्मण्यम अय्यर कर रहे थे।
इन दोनों लोगों का एकमात्र उद्देश्य ब्रिटिश शासन से स्वराज या होमरूल को शीघ्रता से प्राप्त करना था। इसके अतिरिक्त दोनों होमरूल लीग ने यह माँग उठाई कि प्रथम विश्वयुद्ध • बाद भारत को स्वशासन प्रदान किया जाए। होमरूल लीग आंदोलन के दौरान ही तिलक ने संगठन को सफल बनाने और जनसमर्थन हेतु यह नारा दिया था कि “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा।”
4. कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन कब आयोजित किया गया था?
(a) वर्ष 1914
(b) वर्ष 1915
(c) वर्ष 1916
(d) वर्ष 1917
उत्तर - (c)
व्याख्या- कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन वर्ष 1916 में आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता अंबिकाचरण मजूमदार ने की थी। इस अधिवेशन में कांग्रेस के दोनों दल अर्थात् नरमदल और गरमदल का एकीकरण हो गया और कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग ने अपने पुराने मतभेदों को भुलाकर ब्रिटिश सरकार के समक्ष सभी राजनीतिक माँगें रखीं।
5. अगस्त, 1918 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बंबई में एक विशेष सत्र बुलाया था। इस सत्र की अध्यक्षता किसने की थी ?
(a) हसरत मोहानी
(b) हसन इमाम
(c) सुरेंद्रनाथ बनर्जी
(d) मोती लाल घोष
उत्तर - (b)
व्याख्या- अगस्त, 1918 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा बंबई में एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया। यह सत्र मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार के प्रस्तावों पर विचार करने के उद्देश्य से बुलाया गया था। इस विशेष अधिवेशन की अध्यक्षता हसन इमाम ने की थी। इस विशेष अधिवेशन में मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधारों के प्रस्तावों को 'निराशाजनक और असंतोषजनक' बताकर उसके स्थान पर स्वशासन की माँग पर बल दिया गया।
6. रॉलेट एक्ट के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. मार्च, 1919 में सरकार ने केंद्रीय विधानपरिषद् में भारतीय सदस्यों द्वारा विरोध के बावजूद रॉलेट कानून बनाया।
2. इस कानून में सरकार को यह अधिकार प्राप्त था कि वह किसी भी भारतीय पर अदालत में मुकदमा चला सकती है और उसे दंड दिए बिना जेल में बंद कर सकती है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 'न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- रॉलेट एक्ट के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। रॉलेट एक्ट कानून को 8 मार्च, 1919 को ब्रिटिश सरकार द्वारा केंद्रीय विधानपरिषद् में भारतीय सदस्यों के विरोध के बावजूद लागू किया गया था। भारत में क्रांतिकारियों के प्रभाव को समाप्त करने तथा राष्ट्रीय भावना को कुचलने के उद्देश्य से ब्रिटिश सरकार द्वारा सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट वर्ष 1918 में प्रस्तुत की। इसे 'काला कानून' भी कहा जाता है।
इस कानून के अनुसार किसी भी संदेहास्पद व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए गिरफ्तार किया जा सकता था, परंतु उसके विरुद्ध 'न कोई अपील, न कोई दलील और न कोई वकील' किया जा सकता था।
7. भारत में गाँधीजी द्वारा सत्याग्रह का पहला बड़ा प्रयोग किस स्थान पर किया गया था?
(a) अहमदाबाद
(b) बारदोली
(c) चंपारण
(d) व्यक्तिगत आंदोलन
उत्तर - (c)
व्याख्या- गाँधीजी द्वारा सत्याग्रह का पहला बड़ा प्रयोग बिहार के चंपारण में किया गया था। तत्कालीन समय में चंपारण में नील की खेती करने वाले किसान और यूरोपीय निलहा साहब के बीच गतिरोध की स्थिति एक व्यापक स्तर पर पहुँच गई थी। अतएव राजकुमार शुक्ल के निमंत्रण पर वर्ष 1917 में गाँधीजी एवं उनके साथी राजेंद्र प्रसाद, मजहरूल हक, जे. बी. कृपलानी, नरहरि पारिख और महादेव देसाई आदि परिस्थितियों की जाँच-पड़ताल के लिए चंपारण गए। जिले के अधिकारियों द्वारा गाँधीजी को उस स्थान को छोड़ने को कहा गया, परंतु उन्होंने आदेश का उल्लंघन किया और मजबूर होकर ब्रिटिश सरकार ने एक जाँच समिति गठित की, जिसके सदस्य स्वयं गाँधीजी थे। फलस्वरूप किसानों की स्थिति में सुधार हुआ और इस प्रकार यह गाँधीजी का प्रथम सत्याग्रह था, जिसमें वह विजयी हुए।
8. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. वर्ष 1918 में गाँधीजी ने अहमदाबाद के मजदूरों और मिल मालिकों के बीच के विवाद में हस्तक्षेप किया।
2. उन्होंने मजदूरों की मजदूरी में 25% वृद्धि की माँग की।
3. उन्होंने मजदूरों को अपनी माँगों के लिए हड़ताल पर जाने को कहा।
4. उन्होंने इस आंदोलन के दौरान स्वयं आमरण अनशन किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1, 3 और 4
(d) 3 और 4
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1), (3) और (4) सत्य हैं। महात्मा गाँधी द्वारा चंपारण सत्याग्रह की सफलता के पश्चात् वर्ष 1918 में अहमदाबाद में मिल मजदूरों और मिल मालिकों के विवाद में हस्तक्षेप किया गया। उन्होंने मिल मजदूरों को हड़ताल पर जाने की राय दी और साथ ही मजदूरों को मालिकों के विरुद्ध हिंसा का प्रयोग न करने की हिदायतें भी दीं।
मजदूरों की हड़ताल को जारी रखने के संकल्प को बल प्रदान करने की दिशा में महात्मा गाँधी ने आमरण अनशन भी किया था। इस अनशन को देखते हुए मिल मालिकों ने मजदूरों की मजदूरी को बढ़ाने पर अपनी सहमति प्रदान कर दी थी। कथन (2) असत्य है, क्योंकि महात्मा गाँधी ने मजदूरों की मजदूरी में 25% नहीं, बल्कि 35% वृद्धि करने की माँग की थी।
9. खेड़ा आंदोलन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) यह आंदोलन वर्ष 1918 में हुआ था, जिसमें फसल खराब हो जाने के बावजूद भी सरकार लगान माफ नहीं कर रही थी
(b) इस आंदोलन में गाँधीजी ने किसानों से लगान न देने को कहा था
(c) खेड़ा आंदोलन के दौरान ही सरदार पटेल, गाँधीजी
(d) उपर्युक्त सभी अनुयायी बने थे
उत्तर - (d)
व्याख्या- खेड़ा आंदोलन के संबंध में सभी कथन सत्य हैं ।
गाँधीजी ने गुजरात के खेड़ा में वर्ष 1918 में 'कर नहीं आंदोलन' चलाया था, यह आंदोलन खेड़ा जिले में किसानों से जबरदस्ती लगान वसूल किए जाने के विरोध में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध चलाया गया था। इस आंदोलन में गाँधीजी ने किसानों को समर्थन देते हुए लगान न देने की वकालत की थी।
तत्पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने स्थिति पर नियंत्रण करते हुए केवल उन्हीं किसानों से लगान वसूलने के आदेश दिए, जो लगान देने में सक्षम हों। इस आदेश के पश्चात् यह संघर्ष वापस लिया गया। इसी आंदोलन के दौरान सरदार वल्लभभाई पटेल, गाँधीजी के अनुयायी बने थे।
10. गाँधीजी ने किस कानून को 'शैतान की करतूत' एवं निरंकुशवादी बताया था ?
(a) मार्ले मिंटो सुधार
(b) रॉलेट एक्ट
(c) भारत शासन अधिनियम, 1919
(d) भारत शासन अधिनियम, 1935
उत्तर - (b)
व्याख्या- महात्मा गाँधी, मोहम्मद अली जिन्ना और अन्य शीर्ष नेताओं ने रॉलेट एक्ट को 'शैतान की करतूत' और निरंकुशवादी कहा था। इन नेताओं का यह मानना था कि यह कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मूलभूत अधिकारों पर अंकुश लगाने और पुलिस को और अधिक अधिकार देने के लिए लागू किया गया था। अत: इन नेताओं ने इस कानून को सरकार द्वारा लागू की गई लोगों की बुनियादी स्वतंत्रताओं पर अंकुश लगाने का साधन माना।
11. निम्न में से कौन खिलाफत कमेटी के गठन से संबंधित नहीं था?
1. मुहम्मद अली जिन्ना
2. हकीम अजमल
3. हसरत मोहानी
4. बदरुद्दीन तैयब जी
कूट
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 3 और 4
(d) 1 और 4
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुहम्मद अली जिन्ना एवं बदरुद्दीन तैयब खिलाफत कमेटी के गठन से संबंधित नहीं थे। सितंबर, 1919 में खिलाफत समिति का गठन हुआ, जिसमें शौकत अली और मोहम्मद अली (अलीबंधु), हसरत मोहानी और हकीम अजमल खाँ ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 25 नवंबर, 1919 को दिल्ली में संपन्न हुए 'अखिल भारतीय खिलाफत समिति के सम्मेलन की अध्यक्षता महात्मा गाँधी ने की थी।
12. खिलाफत आंदोलन के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के पश्चात् तुर्की के साथ हुए व्यवहार के विरोध में अली बंधुओं (मुहम्मद अली और शौकत अली) और अन्य दूसरे लोगों ने खिलाफत आंदोलन को आरंभ किया।
2. आगे चलकर यह आंदोलन राष्ट्रवादी आंदोलन का एक अंग बन गया।
3. इस आंदोलन को कांग्रेसी नेताओं का समर्थन नहीं मिला।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) ये सभी
उत्तर - (a)
व्याख्या- खिलाफत आंदोलन के संदर्भ में कथन (1) और (2) सत्य हैं।
भारत के मुसलमान तुर्की के सुल्तान को इस्लाम का प्रतीक मानते थे, लेकिन प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के पश्चात् तुर्की साम्राज्य का विघटन कर दिया गया। इससे क्षुब्ध होकर अली बंधुओं (मोहम्मद अली और शौकत अली) तथा हकीम अजमल खाँ और हसरत मोहानी आदि नेताओं ने खिलाफत आंदोलन प्रारंभ कर दिया था। धीरे-धीरे यह आंदोलन व्यापक होता गया और राष्ट्रवादी नेताओं के समर्थन के पश्चात् यह असहयोग और स्वराज प्राप्ति के रूप में परिणत हो गया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि खिलाफत आंदोलन को कांग्रेसी नेताओं का समर्थन प्राप्त था, जिसमें महात्मा गाँधी, मौलाना अबुल कलाम आजाद सहित अन्य नेता भी शामिल थे।
13. असहयोग आंदोलन के संबंध में कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) इस आंदोलन की शुरुआत अगस्त, 1920 में हुई थी ।
(b) इस आंदोलन के आरंभ से तुरंत पहले प्रमुख राष्ट्रवादी नेता बाल गंगाधर तिलक का निधन हो गया।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) कांग्रेस ने गाँधीजी के असहयोग आंदोलन को समर्थन प्रदान नहीं किया।
उत्तर - (c)
व्याख्या- असहयोग आंदोलन के संबंध में कथन (a) और (b) सत्य हैं। ब्रिटिश सरकार द्वारा रॉलेट कानून को रद्द करने, पंजाब के अत्याचारों की भरपाई करने तथा राष्ट्रवादियों की स्वशासन की आकांक्षा को मानने से मना करने के परिणामस्वरूप वर्ष 1920 में इलाहाबाद में एक सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें स्कूलों, कॉलेजों और अदालतों के बहिष्कार की रूपरेखा तैयार की गई। 31 अगस्त, 1920 को असहयोग आंदोलन प्रारंभ कर दिया गया तथा खिलाफत आंदोलन इसमें समाहित हो गया।
असहयोग आंदोलन के प्रारंभ होने से कुछ ही दिन पूर्व 1 अगस्त, 1920 को 64 वर्ष की अवस्था में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का निधन हो गया था। तिलक के निधन के पश्चात् ही कांग्रेस ने गाँधीजी के असहयोग आंदोलन को पूर्ण समर्थन दिया था, जिसमें कांग्रेसी नेता मोतीलाल नेहरू और चितरंजन दास ने प्रमुख भूमिका निभाई थी।
14. सितंबर, 1920 में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन कहाँ पर आयोजित किया गया था ?
(a) अमृतसर
(b) मद्रास
(c) कलकत्ता
(d) बंबई
उत्तर - (c)
व्याख्या- सितंबर, 1920 में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में कलकत्ता में आयोजित किया गया था। इस अधिवेशन में असहयोग के प्रस्ताव को स्वीकार किया गया था। इस प्रस्ताव को कांग्रेस द्वारा स्वीकार किए जाने के पक्ष में दो कारण बताए गए थे- खिलाफत मुद्दे के प्रति ब्रिटिश सरकार का दृष्टिकोण एवं पंजाब में हुए अत्याचार तथा अपराधियों को दंडित न किया जाना।
15. असहयोग आंदोलन के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए तथा कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए
1. असहयोग आंदोलन के दौर में ही अलीगढ़ के जामिया मिलिया इस्लामिया कॉलेज (राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय), बिहार विद्यापीठ, काशी विद्यापीठ और गुजरात विद्यापीठ का जन्म हुआ।
2. असहयोग आंदोलन चलाने के लिए तिलक स्वराज कोष स्थापित किया गया।
3. इस आंदोलन में महिलाओं की भूमिका नगण्य थी।
4. इसमें विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार एक जन आंदोलन बन गया।
5. इस आंदोलन के दौरान 'रोटी' तथा 'कमल का फूल' स्वतंत्रता के प्रतीक बन गए।
कूट
(a) 1, 2 और 3
(b) 2, 3 और 4
(c) 3, 4 और 5
(d) 1, 2 और 4
उत्तर - (d)
व्याख्या- असहयोग आंदोलन के संबंध में कथन (1), (2) और (4) सत्य हैं । असहयोग आंदोलन की शुरुआत वर्ष 1920 में अंग्रेजी हुकुमत का विरोध करने के उद्देश्य से की गई थी।
- इस असहयोग आंदोलन के दौरान सरकारी विद्यालयों को छोड़ने वाले विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय विद्यालयों की स्थापना की गई। इसी क्रम में जामिया मिलिया इस्लामिया कॉलेज, अलीगढ़ (बाद में इसका स्थानांतरण दिल्ली कर दिया गया), बिहार विद्यापीठ, काशी विद्यापीठ, नेशनल कॉलेज लाहौर इत्यादि की स्थापना की गई।
- देश में स्वतंत्रता संघर्ष को सक्रियता प्रदान करने के लिए असहयोग आंदोलन के दौरान 'तिलक स्वराज फंड' का गठन किया गया। यह फंड बाल गंगाधर तिलक की स्मृति में आरंभ किया गया।
- इस असहयोग आंदोलन में विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार कर स्वदेशी वस्त्र अपनाने पर बल दिया गया। साथ ही खादी को प्रोत्साहित करने हेतु 20 लाख चरखों को वितरित किया गया।
- आंदोलन से संबंधित विवादों के निपटारे के लिए पंच फैसला पीठें स्थापित की गईं ।
कथन (3) और (5) असत्य हैं, क्योंकि असहयोग आंदोलन के दौरान स्त्रियों ने भी हिस्सा लिया और अपने आभूषणों को दान स्वरूप देकर अपनी भूमिका को दर्शाया तथा इस आंदोलन के दौरान 'खादी' स्वतंत्रता का प्रतीक बन गई थी न कि 'रोटी' तथा 'कमल का फूल' ।
16. फरवरी, 1922 में 'कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक कहाँ पर हुई थी ?
(a) अमृतसर
(b) अहमदाबाद
(c) बारदोली
(d) गोरखपुर
उत्तर - (c)
व्याख्या- 12 फरवरी, 1922 को 'कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक गुजरात के बारदोली नामक स्थान पर हुई थी। इस बैठक में एक प्रस्ताव द्वारा उन सभी हिंसक गतिविधियों पर रोक लगा दी गई, जिनसे कानून का उल्लंघन हो सकता था। साथ ही कांग्रेस के लोगों से यह आग्रह किया गया कि वे अपना समय चरखे को लोकप्रिय बनाने में, राष्ट्रीय विश्वविद्यालय चलाने में, छुआछूत मिटाने में तथा हिंदू-मुस्लिम एकता को प्रोत्साहित करने जैसे रचनात्मक कार्यों में लगाएँ।
17. स्वराजवादियों के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. नवंबर, 1923 में केंद्रीय धारा सभा के चुनाव से भरी जाने वाली 105 सीटों में से 48 सीटें स्वराजवादियों को मिलीं।
2. मार्च, 1925 में स्वराजवादियों ने एक प्रमुख राष्ट्रवादी नेता विट्ठलभाई पटेल को केंद्रीय धारा सभा का अध्यक्ष (स्पीकर) बनवाने में सफलता प्राप्त की।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- स्वराजवादियों के संबंध में कथन (1) असत्य है, क्योंकि वर्ष 1923 में संपन्न केंद्रीय धारा सभा (Central Legislative Assembly) के चुनाव में स्वराज पार्टी ने 105 सीटों में से 38 सीटों पर जीत दर्ज की थी। केंद्रीय धारा सभा की कुल 145 सीटों में से 105 सीटों पर चुनाव हुए थे, जबकि 40 सीटों पर प्रतिनिधियों का मनोनयन किया गया था।
स्वराजवादियों की सबसे बड़ी सफलता विट्ठलभाई पटेल को केंद्रीय धारा सभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया जाना था। विट्ठलभाई पटेल प्रसिद्ध गाँधीवादी तथा देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के बड़े भाई थे।
18. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. वर्ष 1927 में राष्ट्रीय आंदोलन में समाजवाद की नई प्रवृत्ति का उदय हुआ।
2. राजनीतिक दृष्टि से इस शक्ति की अभिव्यक्ति कांग्रेस के अंदर एक वामपंथ के उदय के रूप में हुई।
3. समाजवाद की नई प्रवृत्ति के नेता जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचंद्र बोस थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
वर्ष 1927 राष्ट्रीय आंदोलन ने पुनः अपनी सशक्त भूमिका को प्रदर्शित किया और समाजवाद की नई प्रवृत्ति का उदय हुआ। इस काल में समाजवाद और मार्क्सवादी विचार बहुत तीव्र गति से फैलने लगे थे।
इस युग में प्रवृत्त इन नई शक्तियों की अभिव्यक्ति कांग्रेस के भीतर एक वामपंथ के उदय के रूप में हुई। इस वामपंथ ने अपना ध्यान साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष के अतिरिक्त पूँजीपतियों और जमींदारों के आंतरिक वर्गीय शोषण पर भी केंद्रित किया। इस नई प्रवृत्ति अर्थात् समाजवाद के नेता और समर्थक जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचंद्र बोस थे।
19. कम्युनिस्ट इंटरनेशनल के लिए चुने जाने वाले प्रथम भारतीय कौन थे ?
(a) मानवेंद्रनाथ रॉय
(b) चंद्रशेखर आजाद
(c) जवाहरलाल नेहरू
(d) भगत सिंह
उत्तर - (a)
व्याख्या- कम्युनिस्ट इंटरनेशनल के लिए चुने जाने वाले प्रथम भारतीय मानवेंद्रनाथ रॉय थे, जिन्हें वर्ष 1920 में मॉस्को में आयोजित 'कम्युनिस्ट इंटरनेशनल' के दूसरे विश्व कांग्रेस में प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया था। उन्होंने अक्टूबर, 1920 में रूसी साम्यवादियों की सहायता से 'ताशकंद' में सैन्य तथा राजनीतिक प्रशिक्षण के लिए विद्यालयों की स्थापना की। इन संस्थानों का उद्देश्य भारत तथा दक्षिण पूर्व एशिया में 'साम्यवादी क्रांति' का प्रसार करना था।
20. कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना कब हुई थी ?
(a) वर्ष 1920
(b) वर्ष 1925
(c) वर्ष 1927
(d) वर्ष 1929
उत्तर - (b)
व्याख्या- कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना 26 दिसंबर, 1925 को मानवेंद्रनाथ रॉय के नेतृत्व में कानपुर में की गई थी। इसी दौरान ब्रिटिश सरकार द्वारा वर्ष 1924 में मुजफ्फर अहमद और श्रीपाद अमृत डांगे को कम्युनिस्ट विचारों के प्रचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उन पर तथा उन जैसे कुछ अन्य सदस्यों पर कानपुर षड्यंत्र का मुकदमा भी चलाया गया था। वर्ष 1928 में कम्युनिस्ट इंटरनेशनल ने ही इस पार्टी की कार्यप्रणाली सुनिश्चित की थी।
21. साइमन कमीशन के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. नवंबर, 1927 में ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1919 के भारत सरकार अधिनियम पर विचार करने तथा आवश्यक परिवर्तनों के सुझाव देने के लिए साइमन कमीशन का गठन किया था।
2. इस कमीशन में 3 भारतीय सदस्य भी शामिल थे
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- साइमन कमीशन के संबंध में कथन (1) सत्य है। वर्ष 1919 के भारत शासन अधिनियम के 10 वर्ष पश्चात् इस अधिनियम की समीक्षा हेतु एक आयोग के गठन का प्रावधान किया गया था, परंतु आयोग की नियुक्ति दो वर्ष पूर्व 1927 में ही कर दी गई थी, यह आयोग 'साइमन कमीशन' के रूप में जाना जाता है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य शामिल नहीं था, बल्कि साइमन कमीशन के सहयोग हेतु लॉर्ड इरविन द्वारा गठित एक अखिल भारतीय समिति के सदस्यों में अध्यक्ष सहित कुल 8 सदस्य शामिल थे।
22. साइमन कमीशन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) इस कमीशन को 'इंडियन स्टेट्यूटरी कमीशन' के नाम से जाना जाता है।
(b) इसका उद्देश्य संवैधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था।
(c) इस कमीशन में कुल 12 सदस्य थे।
(d) 'a' और 'b' दोनों
उत्तर - (d)
व्याख्या- साइमन कमीशन के संबंध में कथन (a) और (b) सत्य हैं। साइमन कमीशन का गठन वर्ष 1927 में ब्रिटिश सरकार द्वारा 'इंडियन स्टेट्यूटरी कमीशन' के रूप में किया गया था। इस समिति में कुल सात सदस्य थे और सर जॉन साइमन इसके अध्यक्ष थे। इसका उद्देश्य भारत के संबंध में उत्तरवर्ती संवैधानिक सुधारों की दिशा में कार्य करना था।
23. साइमन कमीशन के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) कांग्रेस ने साइमन कमीशन का बहिष्कार किया था।
(b) हिंदू महासभा तथा मुस्लिम लीग ने भी कमीशन का विरोध किया था।
(c) इस कमीशन ने सभी वर्गों एवं दलों में फूट डाल दी थी ।
(d) अनेक भारतीय राष्ट्रवादियों द्वारा संवैधानिक सुधार की एक वैकल्पिक योजना बनाकर साइमन कमीशन की चुनौती का जवाब देने का प्रयास किया गया।
उत्तर - (c)
व्याख्या- साइमन कमीशन के संबंध में कथन (c) असत्य है। साइमन कमीशन के आगमन ने तत्कालीन राजनीति और परिदृश्य पर गहरा प्रभाव डाला, जिसके परिणामस्वरूप भारत में विद्यमान सभी वर्ग एवं दल आपस में एकजुट हो गए न कि उनमें फूट पड़ गई, क्योंकि इस समिति में सभी सदस्य अंग्रेज थे और सभी वर्गों ने इसका विरोध किया। वर्ष 1927 के मद्रास अधिवेशन में इस कमीशन के बहिष्कार का निर्णय लिया गया और मुस्लिम लीग तथा हिंदू महासभा ने कांग्रेस के इस निर्णय का समर्थन किया।
इसके विरोधस्वरूप इन सभी नेताओं ने एकजुट होकर भारत के पक्ष में संवैधानिक सुधार की एक वैकल्पिक योजना बनाकर इस समिति को चुनौती देने का भी प्रयास किया।
24. नेहरू रिपोर्ट (1928) के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. इस रिपोर्ट के प्रमुख निर्माता जवाहरलाल नेहरू थे ।
2. इस रिपोर्ट को अगस्त, 1928 में अंतिम रूप दिया गया।
3. इस रिपोर्ट का मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा तथा सिख संगठनों ने समर्थन किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- नेहरू रिपोर्ट (1928) के संदर्भ में कथन (2) सत्य है। 28 अगस्त, 1928 को नेहरू रिपोर्ट को अंतिम रूप प्रदान किया गया और इसे लखनऊ में आयोजित सर्वदलीय सम्मेलन द्वारा स्वीकार कर लिया गया। इस रिपोर्ट में राष्ट्रीय आंदोलन में परिवर्तन लाने तथा पूर्ण स्वराज को तात्कालिक लक्ष्य के रूप में रखने तथा विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के समर्थन को प्राप्त करने से संबंधित प्रमुख बातों को ध्यान में रखा गया था।
कथन (1) और (3) असत्य है, क्योंकि नेहरू रिपोर्ट के प्रमुख निर्माता मोतीलाल नेहरू थे न कि जवाहरलाल नेहरू तथा मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा तथा सिख संगठनों के सांप्रदायिक प्रवृत्ति वाले नेताओं ने इसे अपना समर्थन नहीं दिया था।
25. वर्ष 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन के संबंध में कौन-सा / से कथन सत्य है/हैं?
(a) इस अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी
(b) इस अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज को अपना लक्ष्य घोषित किया
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) इस अधिवेशन में 31 जनवरी, 1930 को पहला स्वाधीनता दिवस घोषित किया गया
उत्तर - (c)
व्याख्या- वर्ष 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन के संबंध में कथन (a) और (b) सत्य हैं। वर्ष 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इसी अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज का लक्ष्य घोषित किया था। हालाँकि पूर्ण स्वराज को लक्ष्य के रूप में वर्ष 1928 में मोतीलाल नेहरू ने अपनी नेहरू रिपोर्ट में शामिल किया था।
कथन (d) असत्य है, क्योंकि इस अधिवेशन में 31 दिसंबर, 1929 को स्वाधीनता के स्वीकृत नए तिरंगे को फहराया गया तथा 26 जनवरी, 1930 को पहला स्वाधीनता दिवस घोषित किया गया था।
26. सविनय अवज्ञा आंदोलन के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. यह आंदोलन 6 अप्रैल, 1930 को प्रारंभ हुआ था।
2. इस आंदोलन की शुरुआत दांडी मार्च के साथ साबरमती आश्रम से हुई थी।
3. इस आंदोलन के दौरान गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ा था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- सविनय अवज्ञा आंदोलन के संबंध में कथन (1) असत्य है, क्योंकि सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत 6 अप्रैल को नहीं, बल्कि 12 मार्च, 1930 को हुई थी।
कथन (2) और (3) सत्य हैं, क्योंकि गाँधीजी ने 12 मार्च को साबरमती आश्रम से अपने 78 समर्थकों के साथ दांडी के लिए पैदल यात्रा प्रारंभ की थी। 24 दिनों की यात्रा के पश्चात् वह 5 अप्रैल को दांडी पहुँचे और 6 अप्रैल को उन्होंने नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा था।
27. सविनय अवज्ञा आंदोलन के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य भारत में जंगल कानून तोड़े गए।
2. पूर्वी भारत में ग्रामीण जनता ने चौकीदारी कर को अदा करने से इंकार कर दिया।
3. इस आंदोलन में स्त्रियों की भूमिका नगण्य थी।
4. नागालैंड की रानी गैडिन्ल्यू ने इस आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 1, 2 और 4
(d) 2, 3 और 4
उत्तर - (c)
व्याख्या- सविनय अवज्ञा आंदोलन के संदर्भ में कथन (1), (2) और (4) सत्य हैं। दांडी नमक सत्याग्रह के पश्चात् देश के कई भागों में सविनय अवज्ञा का दौर चला। इसी कड़ी में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान नमक कानून के अतिरिक्त महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य भारत में जंगल कानून तोड़े गए और पूर्वी भारत में ग्रामीण जनता ने चौकीदारी कर को अदा करने से इंकार कर दिया।
इस आंदोलन की एक प्रमुख विशेषता यह थी कि इसे देश के प्रत्येक प्रांत व प्रत्येक भाग से समर्थन मिला। उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में खान अब्दुल गफ्फार खान ने इस आंदोलन को बढ़ाया तो वहीं पूर्वोत्तर भारत में मणिपुर तथा नागालैंड की रानी गैडिन्ल्यू ने आंदोलन को एक नई दिशा प्रदान की।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि सविनय अवज्ञा आंदोलन में स्त्रियों ने अपनी भूमिका को सुनिश्चित किया था और वह घरों से निकलकर सत्याग्रह में भाग लेने लगी थीं।
28. प्रथम गोलमेज सम्मेलन, जोकि लंदन में आयोजित किया गया था, का उद्देश्य था
(a) नेहरू रिपोर्ट पर विचार करना
(b) जिला फॉर्मूले पर विचार करना
(c) साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार करना
(d) कांग्रेस और ब्रिटिश के मध्य समझौता करना
उत्तर - (c)
व्याख्या- साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार करने के उद्देश्य से नवंबर, 1930 में प्रथम गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
यह सम्मेलन 12 नवंबर, 1930 से 19 जनवरी, 1931 तक चला था। लंदन के सेंट जेम्स पैलेस में आयोजित इस सम्मेलन की अध्यक्षता तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड ने की थी तथा इसका उद्घाटन ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम ने किया था।
29. गाँधी-इरविन समझौते के संदर्भ में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) सरकार हिंसक तथा अहिंसक सभी प्रकार के राजनीतिक बंदियों को रिहा करने पर सहमत हो गई थी।
(b) इस समझौते में नमक बनाने का अधिकार तथा विदेशी वस्त्रों तथा शराब की दुकान पर धरना देने के अधिकारों को समाप्त कर दिया गया।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) समझौते के अनुसार कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन रोक दिया तथा दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए तैयार हो गई।
उत्तर - (c)
व्याख्या- गाँधी-इरविन समझौते के संदर्भ में कथन (a) और (b) असत्य हैं। गाँधी-इरविन समझौते के मुख्य बिंदु निम्न हैं
- हिंसात्मक गतिविधियों में लिप्त लोगों को छोड़कर सभी राजनीतिक बंदियों (अहिंसक गतिविधियों में शामिल) को रिहा करने पर सहमति बनी।
- विदेशी स्त्रों के बहिष्कार, शराब की दुकानों पर धरना तथा शांतिपूर्ण विरोध को स्वीकृति दी गई।
- कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित कर द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने पर अपनी सहमति प्रदान की।
30. वर्ष 1931 में कांग्रेस के कराची अधिवेशन के संबंध में विचार कीजिए
1. इस अधिवेशन में गाँधी-इरविन समझौते को मान्यता दी गई ।
2. इसमें मौलिक अधिकार तथा आर्थिक नीति संबंधी प्रस्तावों को पेश किया गया।
3. इसमें स्वतंत्रता के बाद भारतीय समाज के पुनर्निर्माण की एक योजना की रूपरेखा प्रस्तुत की गई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- वर्ष 1931 में कांग्रेस के कराची अधिवेशन के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। गाँधी-इरविन समझौते को स्वीकृति प्रदान करने हेतु 29 मार्च, 1931 को कराची में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। इसकी अध्यक्षता सरदार वल्लभभाई पटेल ने की थी।
इस अधिवेशन में मौलिक अधिकार (निःशुल्क एवं प्राथमिक शिक्षा, अभिव्यक्ति, प्रेस संगठन आदि की स्वतंत्रता से संबंधित) तथा आर्थिक कार्यक्रम ( प्रमुख उद्योगों, परिवहन आदि को सरकारी नियंत्रण में रखना तथा लगान, मजदूरी, किसानों को कर्ज से राहत आदि) से संबंधित प्रस्तावों को पेश किया गया। मौलिक अधिकारों का प्रस्ताव जवाहरलाल नेहरू ने तैयार किया था।
इस अधिवेशन में स्वतंत्रता के बाद के भारत के निर्माण की योजना की रूपरेखा तैयार की गई थी।
31. द्वितीय गोलमेज सम्मेलन के संदर्भ में विचार कीजिए
1. यह सम्मेलन सितंबर, 1931 में लंदन में आयोजित हुआ था।
2. इस सम्मेलन में गाँधीजी ने कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया था।
3. भारतीय दृष्टिकोण से यह सम्मेलन सफल रहा था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- द्वितीय गोलमेज सम्मेलन के संदर्भ में कथन (3) असत्य है, क्योंकि द्वितीय गोलमेज सम्मेलन भारतीय दृष्टिकोण से सफल नहीं रहा था। गोलमेज सम्मेलन के सफल होने के लिए यह आवश्यक था कि अल्पसंख्यकों की समस्या का समाधान पहले ही निकाला जाए। इस संबंध में गाँधीजी का मुस्लिम नेताओं से संपर्क का कोई परिणाम नहीं निकला।
कथन (1) और (2) सत्य हैं, द्वितीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन 7 सितंबर, 1931 से 1 दिसंबर, 1931 तक लंदन के सेंट पैलेस में किया गया था। इस सम्मेलन में गाँधीजी ने कांग्रेस की ओर से एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में हिस्सा लिया था।
क्रांतिकारी आंदोलन द्वितीय चरण
1. गदर पार्टी के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) इसकी स्थापना वर्ष 1915 में की गई थी।
(b) लाला हरदयाल, भगवान सिंह, रामचंद्र और सोहन सिंह भाखना आदि गदर पार्टी के प्रमुख नेता थे।
(c) इस पार्टी के द्वारा 'गदर' नामक साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन किया जाता था।
(d) इस पार्टी की विचारधारा धार्मिकता से प्रभावित नहीं थी ।
उत्तर - (a)
व्याख्या- गदर पार्टी के संबंध में कथन (a) असत्य है, क्योंकि अमेरिका और कनाडा में बसे भारतीयों ने वर्ष 1913 में 'गदर पार्टी' की स्थापना की थी। इस पार्टी के प्रमुख नेताओं में लाला हरदयाल, मुहम्मद बरकतुल्लाह, भगवान सिंह, रामचंद्र और सोहन सिंह भाखना आदि प्रमुख थे। इस पार्टी के अधिकांश सदस्य पंजाब के सिख किसान और भूतपूर्व सैनिक थे । इस पार्टी का आधार साप्ताहिक पत्र 'गदर' था, जिसके शीर्ष पर 'अंग्रेजी राज का दुश्मन' लिखा होता था। इस पार्टी की विचारधारा धर्मनिरपेक्ष थी।
2. हिंदुस्तानी प्रजातंत्र संघ (HRA) की स्थापना कब हुई थी?
(a) वर्ष 1924
(b) वर्ष 1925
(c) वर्ष 1927
(d) वर्ष 1928
उत्तर - (a)
व्याख्या- हिंदुस्तानी प्रजातंत्र संघ (Hindustan Republic Association, HRA) की स्थापना वर्ष 1924 में की गई थी। स्वराज के लिए संघर्ष के दौरान एक अखिल भारतीय सम्मेलन के पश्चात् सशस्त्र क्रांति के लिए एक संगठन के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गई थी। यह संघ समाजवाद से प्रेरित था।
3. काकोरी ट्रेन डकैती कांड में किन क्रांतिकारियों को फाँसी की सजा दी गई थी?
(a) रामप्रसाद विस्मिल और अशफाक उल्ला खाँ
(b) वीर सावरकर और वासुदेव चापेकर
(c) प्रफुल्लचंद्र चाकी और खुदीराम बोस
(d) सूर्य सेन एवं उधम सिंह
उत्तर - (a)
व्याख्या- काकोरी ट्रेन डकैती कांड में रामप्रसाद विस्मिल और अशफाक उल्ला खाँ को फाँसी दी गई थी। क्रांतिकारियों द्वारा धन एकत्रित करने के उद्देश्य से लखनऊ सहारनपुर संभाग के काकोरी नामक स्थान पर 9 अगस्त, 1925 को डकैती डालकर सरकारी खजाने को लूट लिया गया। इसके पश्चात् 29 लोगों पर मुकदमा चलाया गया। चार क्रांतिकारियों को फाँसी की सजा दे दी गई, जिनमें रामप्रसाद विस्मिल (गोरखपुर), अशफाक उल्ला खाँ (फैजाबाद), रोशनलाल (नैनी, इलाहाबाद) तथा राजेंद्र लाहिड़ी (गोंडा) शामिल थे।
4. हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) की स्थापना कब हुई थी?
(a) वर्ष 1919
(b) वर्ष 1927
(c) वर्ष 1916
(d) वर्ष 1928
उत्तर - (d)
व्याख्या- हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) की स्थापना 9-10 सितंबर, 1928 को फिरोजशाह कोटला मैदान में की गई थी। इस संगठन को पूर्व में हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन के नाम से जाना जाता था। इस संगठन की स्थापना का नेतृत्व चंद्रशेखर आजाद ने किया था तथा इनके अन्य सहयोगियों में विजय कुमार सिन्हा, शिव वर्मा, जयदेव कपूर, भगत सिंह, भगवतीचरण वोहरा तथा सुखदेव आदि शामिल थे।
5. निम्नलिखित में से किसने बहरी ब्रिटिश सरकार को सुनाने हेतु केंद्रीय विधानसभा में 8 अप्रैल, 1929 को बम फेंका था?
1. भगत सिंह
2. सुखदेव
3. राजगुरु
4. बटुकेश्वर दत्त
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1 और 4
उत्तर - (d)
व्याख्या- हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के नेताओं (भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त) ने 8 अप्रैल, 1929 को केंद्रीय धारा सभा में बम फेंका था। इसका उद्देश्य किसी की हत्या करना नहीं था, बल्कि अंग्रेजों को अपनी बातें सुनाना था, यह कार्य राजनीतिक उद्देश्यों तथा जनक्रांति की आवश्यकता के संबंध में जनता को बताने के उद्देश्य से किया गया था।
6. चटगाँव शस्त्रागार लूट के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह लूट वर्ष 1930 में योजनाबद्ध तरीके से की गई थी।
2. इसका नेतृत्व मास्टर सूर्यसेन ने किया था।
3. इस दौरान लोकप्रिय सरकारी अधिकारियों पर हमले किए गए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/है?
(a) केवल 3
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- चटगाँव शस्त्रागार लूट के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य है। बंगाल में राष्ट्रवादी क्रांतिकारियों की गतिविधियाँ पुनः अप्रैल, 1930 में उभरकर सामने आईं, जब चटगाँव के सरकारी शस्त्रागार पर योजनाबद्ध तरीके से क्रांतिकारियों ने हमला किया था।
इस क्रांतिकारी समूह का नेतृत्व मास्टर सूर्यसेन ने किया था। बंगाल में क्रांतिकारी आंदोलन की एक प्रमुख विशेषता यह थी कि उसमें स्त्रियों की महत्त्वपूर्ण भागीदारी थी।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि बंगाल में क्रांतिकारियों द्वारा अलोकप्रिय सरकारी अधिकारियों पर हमले किए गए थे न कि लोकप्रिय अधिकारियों पर।
7. कारागार में 63 दिनों तक ऐतिहासिक भूख हड़ताल के पश्चात् किस क्रांतिकारी की मृत्यु हो गई थी?
(a) बटुकेश्वर दत्त
(b) यतींद्र शर्मा
(c) जतिनदास
(d) अशफाक उल्ला खाँ
उत्तर - (c)
व्याख्या- कारागार में 63 दिनों के ऐतिहासिक भूख हड़ताल आंदोलन के पश्चात् क्रांतिकारी युवक जतिनदास की मृत्यु हो गई थी। क्रांतिकारी आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार पर तीव्र प्रहार किया, जिसके परिणामस्वरूप अनेक क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। कुछ पर मुकदमें चले तो कुछ को जेलों में बंद कर लिया गया।
8. मेरठ षड्यंत्र केस के संदर्भ में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) इस षड्यंत्र के अंतर्गत मार्च, 1929 में 31 मजदूर नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
(b) इनमें पाँच अंग्रेज भी शामिल थे।
(c) यह मुकदमा चार वर्षों तक चला था।
(d) इस केस में कुछ अभियुक्त रिहा हो गए, किंतु कुछ को सजा मिली।
उत्तर - (b)
व्याख्या- मेरठ षड्यंत्र केस के संदर्भ में कथन (b) असत्य है, क्योंकि मेरठ षड्यंत्र केस में तीन ब्रिटिश साम्यवादी शामिल थे न कि पाँच। फिलिप स्प्रेड, ब्रैन ब्रेडले तथा लेचर हचिसन को भारत से निष्कासित करने का विधेयक तैयार किया गया था और इन पर यह आरोप लगाया गया था कि ये सम्राट को भारत की प्रभुसत्ता से वंचित करने का प्रयास कर रहे थे।
यह षड्यंत्र मार्च, 1929 में प्रारंभ हुआ था और इसके अंतर्गत भारतीय रेलवे में हड़ताल की गई और ब्रिटिश सरकार द्वारा 31 श्रमिक नेताओं को बंदी बनाकर मेरठ लाया गया तथा उन पर मुकदमा चलाया गया।
यह मुकदमा कुल चार वर्ष तक अर्थात् वर्ष 1929 से 1933 तक चला। इनमें से 27 को कड़ी सजा दी गई तथा शेष को रिहा कर दिया गया।
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