NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | मुगल साम्राज्य का पतन

मुगल साम्राज्य का पतन

NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | मुगल साम्राज्य का पतन

NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | मुगल साम्राज्य का पतन

मुगल साम्राज्य का पतन

1. मुगल साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया निम्नलिखित में से किस कारण से प्रारंभ हुई ?
(a) औरंगजेब की नीति 
(b) मराठा साम्राज्य का विस्तार
(c) कमजोर शासक वर्ग
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया में औरंगजेब की नीतियों, मराठा साम्राज्य के विस्तार, कमजोर शासक वर्ग की उपस्थिति इत्यादि कारण प्रमुख थे। औरंगजेब के 50 वर्षीय शासन के उपरांत इन समस्याओं के कारण मुगल साम्राज्य के पतन का मार्ग प्रशस्त हुआ।
2. मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मुगल दरबार सरदारों के बीच गुटबाजी और झगड़ों का केंद्र बन गया |
2. सूबेदार स्वतंत्र आचरण करने लगे।
3. मराठों के आक्रमण पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत तक होने लगे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। औरंगजेब की मृत्यु (1707 ई.) के पश्चात् मुगल दरबार सरदारों की आपसी गुटबाजी और आंतरिक झगड़ों का केंद्र बन गया और सभी स्वायत्त सत्ता की लालसा रखने लगे। मुगलकालीन महत्त्वाकांक्षी सूबेदार भी औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर सत्ता की बागडोर स्वयं संभालने का प्रयास करने लगे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि मराठों के आक्रमण दक्कन से लेकर गंगा घाटी के मैदानों तक होने लगे थे, जहाँ तक मुगल शासन का क्षेत्र था, न कि पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत तक।
3. निम्नलिखित में से किन आक्रमणकारियों ने दिल्ली पर आक्रमण से मुगल साम्राज्य के पतन को अवश्यंभावी बना दिया?
(a) अहमदशाह अब्दाली
(b) मीर जादा कालीम
(c) नादिरशाह
(d) अब्दुल्ला खाँ
उत्तर - (c)
व्याख्या- 1739 ई. में ईरानी आक्रमणकारी नादिरशाह द्वारा दिल्ली पर किए गए आक्रमण ने मुगल साम्राज्य के पतन को अवश्यंभावी बना दिया। नादिरशाह भारत की अपार धन संपदा के कारण ही इस ओर आकर्षित हुआ था। मुगल सेना और नादिरशाह के बीच हुए युद्ध को 'करनाल के युद्ध' के रूप में जाना जाता है।
4. मुगल साम्राज्य के पतन में निम्नलिखित में से किसने महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया?
(a) कुल कृषि भूमि क्षेत्र का विस्तार
(b) जब्ती क्षेत्र का विस्तार
(c) कपास तथा नील के उत्पादन में वृद्धि
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्रश्न में दिए गए तथ्य मुगलकालीन अर्थव्यवस्था के विकास को दर्शाते हैं, न कि मुगल साम्राज्य के पतन को। मुगल साम्राज्य के पतन का कारण आर्थिक व्यवस्था से अधिक राजनीतिक अदूरदर्शिता से संबंधित था।
5. मुगल साम्राज्य के पतन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मनसबदारों की संख्या किस शासक के काल में सर्वाधिक थी? 
(a) जहाँगीर 
(b) शाहजहाँ
(c) औरंगजेब
(d) मुहम्मद शाह रंगीला
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन में मनसबदारों की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी और इनकी संख्या औरंगजेब के काल में सर्वाधिक थी। मनसबदारी व्यवस्था का आरंभ अकबर के काल में हुआ, परंतु इनकी संख्या में निरंतर वृद्धि अकबर के पश्चात् के शासकों के काल में होती गई।
जहाँगीर के काल में (1605 ई.) में मनसबदारों की संख्या 2069 थी। शाहजहाँ के काल में (1637 ई.) में मनसबदारों की संख्या 8000 हो गई और यह संख्या औरंगजेब के काल में 11450 तक पहुँच गई । इस प्रकार औरंगजेब के काल में अपने पूर्ववर्ती शासकों के काल की अपेक्षा मनसबदारों की संख्या में पाँच गुनी वृद्धि हुई।
6. मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान जमींदारों की स्थिति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. जमींदारों के प्रति मुगलों की नीति अंतर्विरोधपूर्ण थी।
2. उन्हें साम्राज्य की आंतरिक स्थिरता के लिए खतरा माना जा रहा था।
3. उन्हें स्थानीय प्रशासन के कार्य से जोड़ने की कोशिश की जा रही थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान जमींदारों की स्थिति के संबंध में सभी कथन सत्य हैं।
जमींदारों के प्रति मुगलों की नीति अंतर्विरोधपूर्ण थी । जहाँ एक ओर वे मुगल साम्राज्य के लिए असुरक्षा की भावना के द्योतक थे, तो दूसरी ओर उन्हें मुगलों द्वारा स्थानीय प्रशासन के कार्य में जोड़ने की कोशिश भी की गई थी।
उनमें से बहुत से मराठों, राजपूतों व अन्य को मनसब तथा राजनीतिक पद प्रदान कर साम्राज्य को सुदृढ़ता प्रदान करने का प्रयत्न किया गया था।
7. प्रशासनिक स्तर पर सरदारों की गुटबाजी से हुए मुगल साम्राज्य के पतन को इतिहासकारों ने कौन-सा संकट कहा है?
((a) जागीरदारी व्यवस्था का संकट
(b) रैयतवाड़ी व्यवस्था का संकट
(c) मनसबदारी व्यवस्था का संकट
(d) महालवाड़ी व्यवस्था का संकट
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य में प्रशासनिक स्तर पर सरदारों के बीच असंतोष और गुटबाजी से उत्पन्न हुई स्थिति को इतिहासकारों ने 'जागीरदारी व्यवस्था के संकट' की संज्ञा दी है।
मुगलकाल में जागीरों से अधिक-से-अधिक धन प्राप्त करने की आकांक्षा के फलस्वरूप ग्रामीण समाज सहित किसानों व जमींदारों का अंतर्विरोध प्रत्यक्ष रूप से दृष्टिगोचर होने लगा और स्थानीय स्तर पर स्वतंत्र राज्य स्थापित करने के प्रयत्नों ने इस संकटपूर्ण व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
8. मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में औरंगजेब की नीतियों पर विचार कीजिए 
1. उसने बीजापुर और गोलकुंडा को खालिसा के रूप में सुरक्षित रखा।
2. वह खालिसा से युद्ध का खर्च निकालना चाहता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या - मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं।
मुगलकालीन शासन व्यवस्था में खालिसा भूमि वह होती थी, जिसकी आय बादशाह के लिए सुरक्षित रखी जाती थी। यह भूमि बादशाह के प्रत्यक्ष नियंत्रण में रहती थी। औरंगजेब ने अपने शासनकाल के दौरान इसी पद्धति के द्वारा गोलकुंडा व बीजापुर को खालिसा के रूप में सुरक्षित रखा था, क्योंकि वे सबसे अच्छी जागीरें थीं।
औरंगजेब द्वारा सबसे अच्छी जागीरों के रूप में गोलकुंडा और बीजापुर को सुरक्षित रखने का उद्देश्य उन क्षेत्रों से प्राप्त आय से युद्ध में होने वाले खर्चों का वहन करना था।
9. निम्नलिखित में से किस इतिहासकार ने मुगल साम्राज्य में हुई जागीरों की कमी को मुगल साम्राज्य के पतन के लिए जिम्मेदार माना है? 
(a) भीमसेन
(b) खाफी खाँ 
(c) सतीश चंद्रा
(d) अब्बास खाँ सरवानी
उत्तर - (b)
व्याख्या- इतिहासकार खाफी खाँ ने मुगल साम्राज्य में हुई जागीरों की कमी को मुगल साम्राज्य के पतन के लिए जिम्मेदार माना है। इस स्थिति को खाफी खाँ द्वारा एक उक्ति के रूप में व्यक्त किया गया है, 'एक अनार सौ बीमार' ।
10. मुगल साम्राज्य के पतन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली 'जागीर ' के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. औरंगजेब के काल में 'जागीर की कमी की समस्या विकराल हो गई।
2. औरंगजेब की दक्कन विजय ने जागीर की समस्या को समाप्त कर दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से त्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली 'जागीर ' के संबंध में कथन (1) सत्य है । औरंगजेब द्वारा राजनीतिक प्रयोजनों व युद्धों के भार वहन व अन्य कार्यों हेतु जागीरों से प्राप्त आमदनी (आय) व जागीरों के माध्यम से परिस्थिति को स्वयं के अनुरूप बनाने की प्रक्रिया ने तत्कालीन सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था में असंतोषजनक स्थिति को प्रारंभ किया, जिसके फलस्वरूप 'जागीरों की कमी' की समस्या उभरकर सामने आने लगी, क्योंकि सरदारों द्वारा जागीरों से अत्यधिक धन प्राप्त करने की लालसा ने एक विरोधपूर्ण वातावरण तैयार किया।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि औरंगजेब की दक्कन विजय के पश्चात् जागीरों की समस्या का समाधान नहीं निकला था।
11. निम्नलिखित में से कौन-सा संगठन मुगलों के अधीन विकसित सबसे महत्त्वपूर्ण संस्थाओं में से एक था?
(a) उमरा संगठन
(b) मुकद्दम संगठन
(c) खालिसा संगठन
(d) मीर- बक्शी संगठन
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल उमरा संगठन या सरदार तंत्र, मुगलों के अधीन विकसित सबसे महत्त्वपूर्ण संस्थाओं में से एक था। मुगलों ने उमरा संगठन या सरदार तंत्र धर्म या नस्ल आधारित भेदभाव किए बना विकसित किया था। इस तंत्र में मराठा, राजपूत, हिंदुस्तानी, अफगानी आदि समुदाय के सभी व्यक्तियों को मनसब का अधिकार प्रदान किया गया था। इन समुदायों ने अपने दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया था और साम्राज्य में शांति व्यवस्था स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
12. मुगल साम्राज्य के पतन में 'सरदार संगठन की भूमिका के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) सरदार संगठन ने राष्ट्र विरोधी कार्य किया।
(b) सरदार संगठन विभिन्न नस्लीय पहचान का था।
(c) सरदार संगठन का राष्ट्रीय चरित्र उभरकर सामने आ गया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन में 'सरदार संगठन' की भूमिका के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है। मुगल साम्राज्य के पतन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सरदार संगठन में अलग-अलग समुदायों, नस्लों और प्रजातियों के लोगों के शामिल होने के कारण उनका कोई भी राष्ट्रीय चरित्र उभरकर सामने नहीं आया। मुगल काल में राष्ट्रीयता की भावना आधुनिक समय से बिल्कुल भिन्न थी। अतएव उन मानकों के आधार पर मुगल सरदारों ने राष्ट्रविरोधी किए थे।
13. मुगल साम्राज्य के पतन में प्रशासन की भूमिका के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. मुगल शासन प्रणाली अत्यधिक केंद्रीकृत थी।
2. सुयोग्य शासकों के अभाव में केंद्रीकृत प्रशासन में बिखराव आया।
3. वजीरों ने केंद्रीकृत सत्ता को संभाल लिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन में प्रशासन की भूमिका के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं।
मुगलों ने अपनी शासन प्रणाली में विभिन्न स्तरों पर अंकुश और प्रतिसंतुलन की युक्ति लागू की थी। उन्होंने विभिन्न नस्लों और धार्मिक समूहों को ऐसा संतुलित रूप देने का प्रयास किया, जिससे अमीरों या उनके समूहों की महत्त्वाकांक्षाओं पर नियंत्रण रखा जा सके। अतएव मुगल शासन प्रणाली अत्यधिक केंद्रीकृत थी।
औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् अयोग्य व निर्बल उत्तराधिकारियों ने जागीरदारी व्यवस्था पर आए संकट को संभालने में समुचित रूप से सफलता प्राप्त नहीं की और परिणामस्वरूप प्रशासन तंत्र का ह्रास हुआ।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि मुगल साम्राज्य की बिखरती हुई केंद्रीकृत व्यवस्था को वजीरों ने संभालने की कोशिश तो की, परंतु वे उसमें सफल नहीं हुए।
14. औरंगजेब के समय निम्नलिखित में किस क्षेत्रीय शक्ति ने मुगलों के पतन को अवश्यंभावी बना दिया ?
(a) बीजापुर 
(b) बहमनी
(c) मराठा
(d) अफगान
उत्तर - (c)
व्याख्या- औरंगजेब के समय मराठा शक्ति ने मुगलों के पतन को अवश्यंभावी बना दिया था। औरंगजेब द्वारा मराठा आंदोलन के वास्तविक स्वरूप को समझने में की गई भूल, शंभाजी को मृत्यु दंड देना तथा शाहू व अन्य मराठों पर विश्वास न करना, इन सभी परिस्थितियों ने मराठों और मुगल बादशाह के बीच एक वैचारिक मतभेद को जन्म दिया, जिसके परिणामस्वरूप मराठा शक्ति ने मुगल साम्राज्य के पतन के मार्ग को प्रशस्त करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।
15. मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. औरंगजेब मराठा समस्या को हल करने में विफल रहा।
2. उसने कई मराठा सरदारों को मनसब दिए।
3. मराठों के विरुद्ध दक्कनी राज्यों के साथ गठबंधन सफल रहा।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। मुगल साम्राज्य के पतन हेतु जिम्मेदार, मराठा समस्या को हल करने में औरंगजेब की विफलता एक उत्तरदायी कारण रही। हालाँकि उसने कई मराठों को मनसब अवश्य प्रदान किए, लेकिन ऊँचे पदों पर सदैव राजपूतों का वर्चस्व रहा, जिसका प्रमुख कारण यह था कि कभी भी मराठा औरंगजेब के विश्वासपात्र नहीं रहे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि मराठों के विरुद्ध दक्कनी राज्यों के साथ गठबंधन करने में विफल रहा। इस विफलता की इतिहासकारों द्वारा आलोचना की गई है।
16. औरंगजेब के किस पुत्र ने यह परामर्श दिया था कि उसे बीजापुर और गोलकुंडा के साथ समझौता कर लेना चाहिए?
(a) शाहआलम
(b) आलमगीर
(c) आजमशाह
(d) मुअज्जम 
उत्तर - (a)
व्याख्या- औरंगजेब के ज्येष्ठ पुत्र शाहआलम ने यह परामर्श दिया था कि उसे बीजापुर और गोलकुंडा के साथ समझौता कर लेना चाहिए और उसके कुछ प्रदेशों को मुगल साम्राज्य में शामिल कर शेष प्रदेशों को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर रखना चाहिए ।
इन क्षेत्रों की व्यवस्था के साथ-साथ वह कर्नाटक, जोकि सुदूर दक्षिण में स्थित है, पर भी शासन करना चाहता था, लेकिन औरंगजेब ने शाहआलम के इस परामर्श को नहीं माना। फलस्वरूप मुगल प्रशासन को विस्तार देने के क्रम की स्थितियाँ बिगड़ने लगी और मुगल सरदारों के साथ राजस्व वसूली की समस्या भी उत्पन्न हो गई।
17. मुगल साम्राज्य के पतन में राजपूत शासकों की भूमिका के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) मारवाड़ के साथ मुगलों की अनबन हो गई थी ।
(b) औरंगजेब ने मेवाड़ को नष्ट कर दिया था।
(c) दक्कन युद्ध में राठौर राजपूतों ने औरंगजेब का साथ दिया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन में राजपूत शासकों की भूमिका के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि दक्कन युद्ध में राठौर राजपूतों ने औरंगजेब का साथ नहीं दिया।
1681 ई. से 1707 ई. के बीच दक्कन में राठौर राजपूतों की बड़ी संख्या में मौजूदगी न होने के कारण मराठों के विरुद्ध मुगलों के संघर्ष की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, क्योंकि उनकी माँग यह थी कि उन्हें ऊँचे मनसब प्रदान किए जाएँ और साथ ही उनका राज्य उन्हें वापस कर दिया जाए । औरंगजेब की मृत्यु के पाँच-छह वर्षों के उपरांत राजपूत शासकों के प्रति नीतियों में बड़ा बदलाव आया। इससे पूर्व औरंगजेब के मारवाड़ और मेवाड़ के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध नहीं रहे थे। अतएव इन परिस्थितियों के परिणामस्वरूप मुगल साम्राज्य के पतन की दिशा निर्धारित हुई।
18. औरंगजेब के द्वारा उठाए गए निम्नलिखित में से किन कदमों ने मुगल साम्राज्य के पतन में भूमिका निभाई?
(a) मंदिरों के प्रति कड़ी नीति
(b) जजिया कर को लागू करना
(c) इस्लामी कानून को वरीयता
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- औरंगजेब की धार्मिक नीति में शामिल मंदिरों के प्रति कड़ी नीति, जजिया कर को पुनः लागू किया जाना तथा इस्लामी कानून को वरीयता प्रदान किया जाना आदि ऐसे कदम थे, जिन्होंने मुगल साम्राज्य के प्रति लोगों में असंतोषजनक भावनाओं का प्रसार किया और एक बड़ा वर्ग (हिंदू समुदाय) उसके इन फैसलों से विमुख हो गया। हालाँकि इस्लामी कानून को वरीयता देने के बावजूद भी मुस्लिम समुदाय एकजुट नहीं हुआ और कई राज्यों में निष्ठा का भाव अपूर्ण बना रहा।
19. मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान किस अफगान शासक ने उत्तरी भारत में पाँच बार आक्रमण किया था ? 
(a) अहमदशाह अब्दाली 
(b) जलालुद्दीन मांगबरनी
(c) आदम खाँ
(d) नादिरशाह
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान नादिरशाह के आक्रमण के पश्चात् अफगान शासक अहमदशाह अब्दाली ने अपार लूटपाट के उद्देश्य से 1748 ई. से 1761 ई. के बीच पाँच बार निरंतर उत्तरी भारत पर आक्रमण किया था। पानीपत का तृतीय युद्ध 1761 ई. में मराठों और अफगानों के बीच हुआ था, जिसमें अफगानों का नेतृत्व अहमदशाह अब्दाली ने किया था।
20. मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान अवध, बंगाल एवं हैदराबाद में कौन-सी भू-व्यवस्था लागू थी ? 
(a) जमींदारी
(b) स्थायी बंदोबस्त
(c) इजारेदारी व्यवस्था
(d) महालवाड़ी व्यवस्था
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान अवध, बंगाल और हैदराबाद में इजारेदारी व्यवस्था लागू थी। वे जागीरदारी व्यवस्था को संदेहास्पद मानते थे और उन्होंने इसके स्थान पर कर संग्रह की व्यवस्था इजारेदारी को अपनाया। इसके साथ ही अठारहवीं शताब्दी में यह व्यवस्था समस्त भारत में फैल गई। हालाँकि पूर्व में यह व्यवस्था मुगलों द्वारा नहीं अपनाई गई थी।
21. मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. औरंगजेब के उत्तराधिकारियों ने पतन को रोकने का प्रयास नहीं किया।
2. सरदार राज्य की आमदनी का एक बहुत बड़ा भाग स्वयं ले लेते थे।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं । औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् उत्तराधिकारियों के बीच परस्पर उत्तराधिकार के युद्ध निरंतर होने लगे और इस प्रकार उन शासकों की कमजोरियाँ परिलक्षित होने लगीं, जिसने मुगल साम्राज्य के पतन के मार्ग को प्रशस्त किया।
मुगल साम्राज्य के पतन का एक अन्य कारण आर्थिक कठिनाइयाँ भी थीं। इस समय तक न तो पर्याप्त धन बचा था और न ही जागीरें, जो विभिन्न अधिकारियों को दी जा सकती थीं। जमींदार असंतुष्ट थे, क्योंकि उन पर शासन का कठोर नियंत्रण था और सरदार उनसे आमदनी का बहुत बड़ा भाग वसूल करते थे। अतः उनका सरदारों के साथ संघर्ष आरंभ हो गया।
22. अठारहवीं सदी में मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान मुगल अधिकारियों ने स्थानीय शासकों के रूप में स्वयं को क्यों ढाल लिया? 
(a) प्राय: उनका स्थानांतरण नहीं होता था।
(b) प्राय: उनका संबंध उच्च नस्ल से होता था।
(c) वे राजपरिवार के प्रिय होते थे।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- मनसबदारी प्रथा में बदलती हुई परिस्थितियों ने अधिकारियों मुगल को स्थानीय शासकों जैसा व्यवहार करने हेतु प्रेरित किया, क्योंकि अठारहवीं शताब्दी में अधिकारियों का स्थानांतरण नहीं किया जाता था, जैसा कि पूर्व में अकबर के काल में होता था। अकबर ने अधिकारियों को एक प्रांत से दूसरे प्रांत में स्थानांतरित करते रहने पर बल दिया था, जिससे कि वे किसी विशेष क्षेत्र में शक्तिशाली न हो पाएँ।
23. मुगलों के पतन के संबंध में सैनिक प्रशासन की भूमिका पर विचार कीजिए
1. मुगल तोपखाना तकनीक में पिछड़ गया।
2. बंदूकों और तोपों के नवीनतम नमूनों में मुगलों ने रुचि दिखाई।
3. वे तोप चलाने के लिए भारतीय सैनिकों को प्रशिक्षित नहीं करते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगलों के पतन के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं ।
मुगलों का सैन्य प्रशासन अठारहवीं शताब्दी के दौरान अपने पूर्व के शासकों के शासनकाल की भाँति सुदृढ़ नहीं रह गया था। इस काल तक मुगल तोपखाना तकनीकी का ह्रास होने लगा था और वह अत्यंत दयनीय अवस्था में पहुँच गया था।
अपनी अंतिम अवस्था में मुगल भारतीय सैनिकों को प्रशिक्षित करने के स्थान पर विदेशियों को तोप चलाने हेतु नियुक्त करने लगे थे।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि मुगलों ने अठारहवीं शताब्दी के दौरान बंदूकों और तोपों के नवीनतम नमूनों में किसी प्रकार की कोई रुचि नहीं दिखाई थी, जिसका प्रयोग विश्व के अन्य देशों में किया जा रहा था।
24. मुगल साम्राज्य के पतन में आवश्यक कारकों के रहते हुए 'उत्तराधिकार का युद्ध' कब प्रारंभ हुआ था? 
(a) 1701 ई.
(b) 1707 ई. 
(c) 1739 ई. 
(d) 1703 ई.
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन हेतु महत्त्वपूर्ण 'उत्तराधिकार का युद्ध' औरंगजेब की मृत्यु के साथ ही 1707 ई. में आरंभ हुआ था। औरंगजेब के तीन जीवित पुत्रों के बीच सत्ता का संघर्ष आरंभ हुआ।
औरंगजेब पश्चात् सत्ता पर काबिज मुगल शासक अत्यंत अयोग्य और कमजोर थे, जिसके परिणामस्वरूप मुगल साम्राज्य पतन की ओर उन्मुख हुआ।
25. मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान निम्नलिखित में किस स्थान पर बसे हुए अफगानियों ने मुगल शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया?
(a) रुहेलखंड
(b) बनारस 
(c) हैदराबाद
(d) अवध
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान रुहेलखंड में बसे हुए अफगानियों ने मुगल शासन के विरुद्ध विद्रोह किया था।
मुगलों और रूहेलखंड के अफगानियों (बुंदेला) के बीच पहली बार संघर्ष मुधकरशाह के समय में शुरू हुआ। यह संघर्ष मुख्यतः उत्तराधिकार की समस्या को लेकर हुआ था।
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