NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | भक्ति और सूफी आंदोलन

भक्ति और सूफी आंदोलन

NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | भक्ति और सूफी आंदोलन

NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | भक्ति और सूफी आंदोलन

भक्ति आंदोलन

1. भक्ति आंदोलन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) शिव, विष्णु तथा दुर्गा को परम देवी-देवताओं के रूप में मान्यता मिली।
(b) स्थानीय मिथक तथा किस्से पौराणिक कथाओं के अंग बन गए।
(c) बौद्ध और जैनों ने भी भक्ति की अवधारणा को अपनाया।
(d) भक्ति आंदोलन पर इस्लाम का गहरा प्रभाव था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- भक्ति आंदोलन के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि भक्ति आंदोलन पर इस्लाम का प्रभाव नहीं था। इसके आरंभ होने के बाद पश्चिमोत्तर में इस्लाम का आगमन हुआ था। भारत में 8वीं सदी में भक्ति आंदोलन प्रारंभ हुआ, जिसके प्रभाव स्वरूप शिव, विष्णु तथा दुर्गा को परम देवी-देवताओं के रूप में मान्यता मिली। ऐसी विचारधारा का प्रसार हुआ कि परमेश्वर मनुष्य को सभी बंधनों से मुक्त कर सकता है।
लोगों ने भजन, कीर्तन, नृत्य-संगीत जैसे कृत्यों के द्वारा ईश्वर के प्रति अपनी भावना प्रकट की। इतना ही नहीं भक्ति आंदोलन के इस माध्यम को बौद्ध तथा जैन मतावलंबियों ने भी अपनाया। भक्ति आंदोलन के दौरान देवी-देवताओं से संबंधित अनेक स्थानीय कथाएँ व कहानियाँ बन गईं ।
2. भक्ति आंदोलन के उद्भव के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. भक्ति आंदोलन का उद्भव दक्षिण भारत में हुआ।
2. शैव परंपरा को अपनाने वाले नयनार कहलाए।
3. वैष्णव परंपरा को मानने वाले अलवार कहे गए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- भक्ति आंदोलन के उद्भव के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं ।
भक्ति आंदोलन का विकास सगुण ईश्वर की भक्ति के लिए दक्षिण भारत में 7वीं से 12वीं सदी के मध्य हुआ। दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन का विकास व प्रसार अलवार और नयनार संतों के द्वारा किया गया। नयनार संत शिव के उपासक थे, उन्होंने शैव परंपरा को अपनाया, जबकि अलवार संत भगवान विष्णु के उपासक थे, उन्होंने वैष्णव परंपरा को अपनाया। दोनों ने ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत भक्ति और मोक्ष के मार्ग का उपदेश दिया।
3. भक्ति आंदोलन के विकास के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है ?
(a) दक्षिण भारत में भक्ति का प्रसार स्थानीय भाषा में प्रचलित हुआ।
(b) उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन का प्रसार स्थानीय भाषा में हुआ।
(c) दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन ने जाति व्यवस्था को अस्वीकार कर दिया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- भक्ति आंदोलन के विकास के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है । उत्तर भारत में स्थानीय भाषाओं में भक्ति आंदोलन का व्यापक प्रसार नहीं हुआ, क्योंकि इन क्षेत्रों में संस्कृत भाषा की प्रधानता थी। दक्षिणी भारत के क्षेत्रों में अलवार और नयनार संतों ने भक्ति आंदोलन के संदेश के प्रसार में स्थानीय भाषाओं; जैसे- तेलुगू तमिल कन्नड़ आदि का प्रयोग किया, जो अत्यधिक सहायक बनीं।
4. महाराष्ट्र में हुए भक्ति आंदोलन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) यह विट्ठल स्वामी के गुणगान पर आधारित था।
(b) विट्ठल शिव के रूप माने जाते हैं।
(c) यहाँ सभी प्रकार के कर्मकांडों का विरोध किया गया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- महाराष्ट्र में हुए भक्ति आंदोलन के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है। महाराष्ट्र के भक्ति संत भगवान विट्ठल के उपासक थे। भगवान विट्ठल, भगवान विष्णु का एक रूप माने जाते हैं। भगवान विट्ठल के अराधको ने वारकरी संप्रदाय को जन्म दिया। ज्ञानेश्वर, तुकाराम, नामदेव, एकनाथ आदि महाराष्ट्र के महान भक्ति संत हुए। इन सभी संतों ने विद्यमान सभी प्रकार के कर्मकांडों, सामाजिक भेदभाव, ऊँच-नीच का विरोध किया।
5. सखुबाई नामक स्त्री संत का संबंध निम्नलिखित में से किस क्षेत्र से था?
(a) कर्नाटक
(b) आंध्र प्रदेश
(c) महाराष्ट्र
(d) राजस्थान
उत्तर - (c)
व्याख्या- सखुबाई महाराष्ट्र की एक महान स्त्री संत थीं। इनका संबंध वारकरी संप्रदाय से था । वारकरी संप्रदाय भगवान विट्ठल को अपना आराध्य मानते थे। सखुबाई जैसी स्त्री संत की उपस्थिति भारत में भक्ति आंदोलन में महिलाओं की सक्रिय व महत्त्वपूर्ण भूमिका को इंगित करती है।
6. महाराष्ट्र के भक्ति आंदोलन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इन्होंने पवित्रता के आडंबरों का विरोध किया।
2. इन्होंने जन्म आधारित सामाजिक अंतर का समर्थन किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- महाराष्ट्र के भक्ति आंदोलन के संबंध में कथन (a) सत्य है । महाराष्ट्र के भक्ति आंदोलन के संतों ने सभी प्रकार के कर्मकांडों, पवित्रता के आडंबरों और जन्म पर आधारित सामाजिक अंतरों का विरोध किया। इन संतों ने अपने अनुयायियों को सामान्य व्यक्तियों की भाँति रोजी-रोटी कमाते हुए परिवार के साथ रहने और विनम्रतापूर्वक जरूरतमंद व्यक्तियों की सेवा करने की शिक्षा दी। इन्होंने इस बात पर अत्यधिक बल दिया कि असली भक्ति दूसरों के दुःखों को बाँटने में है।

प्रमुख संत

1. नामदेव के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन का श्रेय नामदेव को दिया जाता है।
2. उनका जीवन काल चौदहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- नामदेव के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। संत नामदेव महाराष्ट्र के एक प्रमुख भक्ति संत थे, उन्होंने ही उत्तर भारत सहित महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन की शुरुआत की और इसके लिए उन्होंने वारकरी संप्रदाय का आरंभ किया, जिस कारण संत नामदेव को महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन का श्रेय दिया।
संत नामदेव ने भगवान विट्ठल से संबंधित अनेक भक्ति गीतों (अभंग) की रचना मराठी भाषा में की। नामदेव पेशे से दर्जी थे, वे संत बनने से पहले लुटेरे का जीवन व्यतीत कर रहे थे। संत नामदेव का जीवनकाल 14वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में था।
2. रामानंद के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इनका जीवनकाल चौदहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में था।
(b) इनका जन्म बनारस में हुआ था।
(c) ये रामानुज के अनुगामी थे। 
(d) इन्होंने विष्णु के स्थान पर राम की उपासना की।
उत्तर - (b)
व्याख्या- संत रामानंद के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है। संत रामानंद उत्तर भारत के एक महान भक्ति संत थे। इनका जन्म प्रयाग हुआ था। इन्हें भक्ति आंदोलन के विचारों को दक्षिण भारत से उत्तर भारत में लाने का श्रेय दिया जाता है।
3. निम्नलिखित में से कौन-सा एक रामानंद का शिष्य नहीं था ?
(a) रविदास 
(b) मीराबाई
(c) कबीर
(d) सेना
उत्तर - (b)
व्याख्या- मीराबाई रामानंद की शिष्य नहीं थी, क्योंकि मीराबाई के गुरु रविदास थे । उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन के प्रवर्तक संत रामानंद ने समाज के सभी वर्गों के लोगों को अपना भक्ति संदेश व उपदेश दिया। उन्होंने समाज के सभी वर्गों, जिनमें निम्न जाति के लोग भी सम्मिलित थे, उन्हें अपना शिष्य बनाया। उनके शिष्यों में कबीर - जुलाहा जाति से, रविदास - चमार जाति से व सेना- एक नाई जाति से थे।
4. निम्नलिखित में से कौन-सी नाथपंथ आंदोलन की विशेषता नहीं थी? 
(a) जाति प्रथा का विरोध 
(b) ब्राह्मण श्रेष्ठता को चुनौती
(c) वर्णव्यवस्था का समर्थन
(d) समानता का भाव
उत्तर - (c)
व्याख्या- नाथपंथी आंदोलन उत्तर भारत की नीची कही जाने वाली जातियों में बहुत लोकप्रिय था। इसने सामाजिक वर्ण व्यवस्था की तीव्र आलोचना का विरोध किया। इन्होंने निराकार परम सत्य का चिंतन-मनन एवं उनके साथ एकाकार हो जाने की अनुभूति को मोक्ष का मार्ग बताया।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. 'बीजक' संत दादू के उपदेशों का संकलन है।
2. पुष्टिमार्ग के दर्शन को मध्वाचार्य ने प्रतिपादित किया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य नहीं हैं। 'बीजक' संत कबीर की रचना है, जिसमें उनकी साखियों का संग्रह मिलता है। पुष्टिमार्ग, भक्ति की एक धारा है जिसका प्रवर्तन वल्लभाचार्य ने किया है।
6. संत कबीर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इन्होंने ईश्वर के एकत्व पर बल दिया।
2. इन्होंने तीर्थ, व्रत, गंगा स्नान, अजान आदि का विरोध किया।
3. ये संत जीवन जीने के लिए गृहस्थ जीवन के त्याग को आवश्यक मानते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- संत कबीर के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। संत कबीर एक महान भक्ति संत थे। इन्होंने अपने संदेशों के माध्यम से सभी धर्मों के ईश्वर के संबंध में ईश्वर के एकत्व पर बल दिया। इन्होंने ईश्वर को अनेक नामों जैसे- राम, हरि, गोविंद, अल्ला, साईं, साहिब आदि नामों से संबोधित किया। कबीर ने जाति प्रथा, अस्पृश्यता, मूर्ति पूजा, तीर्थ यात्रा, गंगा स्नान का विरोध किया। इन्होंने मनुष्य की मूलभूत एकता तथा सभी धर्मों में प्रेम की शिक्षा पर बल दिया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि कबीर संत जीवन जीने के लिए गृहस्थ जीवन के त्याग को आवश्यक नहीं मानते थे।
7. सिख धर्म की शिक्षाओं के स्रोत गुरु नानक का जन्म 1489 ई. में कहाँ हुआ था ?
(a) अमृतसर
(b) ननकाना 
(c) नाभा 
(d) नांदेड
उत्तर - (b) 
व्याख्या- सिख धर्म की शिक्षाओं के स्रोत गुरु नानक का जन्म 1489 ई. में रावी नदी के तट पर स्थित तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। अब यह स्थान ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है, जोकि पाकिस्तान में स्थित है और सिखों के लिए एक पवित्र स्थान है।
8. गुरु नानक के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उन्होंने फारसी में शिक्षा प्राप्त की थी।
(b) बचपन में वे बढ़ई के कार्य से जुड़े हुए थे |
(c) उनका जन्म खत्री परिवार में हुआ था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- गुरु नानक के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है। गुरु नानक के पिता लेखा कार्य से जुड़े हुए थे, जिसके कारण गुरु नानक भी बचपन में इन कार्यों में जुड़ गए, परंतु नानक की प्रवृत्ति अध्यात्म की ओर थी और उन्हें साधु संतों की संगति अधिक अच्छी लगती थी। कुछ समय पश्चात् जब उन्हें आध्यात्मिक अनुभूति की प्राप्ति हुई, तो उन्होंने संसार का त्याग कर दिया
9. सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक द्वारा स्थापित 'धर्मसाल' क्या था? 
(a) यात्रियों के लिए आराम गृह 
(b) धार्मिक भोजनालय
(c) पशु एवं पक्षियों के लिए पानी पीने का स्थान
(d) उपासना एवं धार्मिक कार्यों का स्थान
उत्तर - (d)
व्याख्या- गुरु नानक द्वारा उपासना और धार्मिक कार्यों के लिए जो स्थान नियुक्त किया गया, उसे 'धर्मसाल' कहा गया। आज इसी धर्मसाल को गुरुद्वारा कहा जाता है। सिख धर्म का केंद्रीय गुरुद्वारा हरमिंदर साहब है, जिसे स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, जो अमृतसर में है।
10. सिख धर्म से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. गुरु नानक के उत्तराधिकारी गुरु अंगद थे।
2. गुरु ग्रंथ साहिब की रचना गुरुमुखी लिपि में हुई है।
3. खालसा पंथ की पना गुरु गोविंद सिंह ने थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- सिख धर्म के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। गुरु नानक सिख धर्म के संस्थापक थे। उन्होंने अपने विचारों को प्रसारित करने व लोगों के मार्गदर्शन के लिए गुरु की आवश्यकता पर बल दिया और उन्होंने गुरु परंपरा की की। शुरुआत गुरुनानक ने अपनी मृत्यु से पूर्व अपने एक अनुयायी लहणा (गुरु अंगद) को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
गुरु अंगद ने गुरु नानक की रचनाओं का संग्रह गुरु ग्रंथ साहिब में किया, इस हेतु उन्होंने गुरुमुखी नामक एक नई लिपि का विकास किया।
मुगलों के शासनकाल में सिख अनुयायियों के प्रति काफी अत्याचार किया गया, जिस कारण सिखों की रक्षार्थ हेतु सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह ने 1699 ई. में खालसा पंथ की स्थापना की।
11. निम्नलिखित में से वे तीन शब्द कौन-से हैं, जिनका उपयोग गुरु नानक ने अपने उपदेशों के सार को व्यक्त करने के लिए किया था?
(a) नाम, दान, ध्यान
(b) नाम, दान, काम 
(c) नाम, दान, स्नान
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुरु नानक ने अपने उपदेशों का सार व्यक्त करने के लिए तीन शब्दों का प्रयोग किया, जो हैं नाम, दान और स्नान । नाम से उनका तात्पर्य, सही उपासना से था। दान का तात्पर्य दूसरों का हित करना और स्नान से तात्पर्य आचार-विचार की पवित्रता से था।
12. नानक तथा कबीर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. मुगल सम्राट जहाँगीर ने इन दोनों संतों की शिक्षाओं को आत्मसात किया।
2. कबीर के अनुयायी कबीरपंथी कहलाए तथा नानक के अनुयायी सिख ।
3. इनके विरोध में रूढ़िवादी तत्त्व पुराने धर्मों की रक्षा के लिए एकजुट हो गए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 2
(d) केवल 1
उत्तर - (b)
व्याख्या- नानक तथा कबीर के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं।
कबीर ने निर्गुण भक्ति का प्रसार किया और ईश्वर के एकत्व पर बल दिया। उनके अनुयायी कबीरपंथी कहलाए। कबीर की वाणी को बीजक नामक ग्रंथ में संकलित किया गया है। गुरुनानक ने सिख धर्म की स्थापना की और अपने विचारों के प्रसार के लिए गुरु परंपरा की शुरुआत की।
कबीर तथा नानक के द्वारा जब विभिन्न धर्मों में विद्यमान अनावश्यक कर्मकांडों, मूर्तिपूजा, तीर्थयात्रा का विरोध किया गया और उन्हें त्यागने का आग्रह लोगों से किया तो रूढ़िवादी तत्त्व पुराने धर्मों की रक्षा हेतु एकजुट हो गए।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि मुगल शासक जहाँगीर ने नानक और कबीर की शिक्षाओं को नहीं अपनाया, बल्कि सम्राट जहाँगीर ने सिख समुदाय को अपने लिए एक संभावित खतरा माना और उसने 1606 ई. में गुरु अर्जुन सिंह को मृत्युदंड दे दिया।
13. कबीर और नानक के नेतृत्व में चलने वाले असंप्रदायिक आंदोलन के अतिरिक्त उत्तर भारत में कौन-सा आंदोलन प्रारंभ हुआ?
(a) शिव चर्चा 
(b) वैष्णव आंदोलन
(c) निरंकारी आंदोलन
(d) वारकरी आंदोलन
उत्तर - (b)
व्याख्या- कबीर और नानक के नेतृत्व में चलने वाले असंप्रदायिक आंदोलन के अतिरिक्त उत्तर भारत में वैष्णव आंदोलन प्रारंभ हुआ।
उत्तर भारत में वैष्णव आंदोलन के अंतर्गत भगवान विष्णु के दो रूप-राम और कृष्ण की उपासना प्रारंभ हुई। विशेषतौर पर कृष्ण की बाल लीला, राधा के साथ प्रेमलीला आदि को केंद्रीय विषय बनाकर 15वीं - 16वीं शताब्दी में कवियों ने कई उत्कृष्ट काव्यों की रचना की। प्रेम, भक्ति, नृत्य, संगीत, संकीर्तन को उपासना का माध्यम बनाया गया। वैष्णव आंदोलन के प्रमुख संतों में चैतन्य, सूरदास, मीरा एवं नरसी मेहता महत्त्वपूर्ण थे।
14. महाप्रभु चैतन्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. आरंभिक सूफियों की भाँति चैतन्य ने संगीत गोष्ठी को लोकप्रिय बनाया।
2. चैतन्य के अनुसार उपासना, प्रेम और भक्ति एवं नृत्य और संगीत में निहित थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- चैतन्य महाप्रभु के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। चैतन्य महाप्रभु का जन्म 1486 ई. में बंगाल के नदिया जिले में हुआ था। वे वैष्णव आंदोलन के एक महान संत थे। उन्होंने कृष्ण भक्ति पर बल दिया, उन्होंने कृष्ण भक्ति के माध्यम के रूप में ईश्वर के नाम का कीर्तन या संगीत गोष्ठी को लोकप्रिय बनाया। उन्होंने गोसाई संघ की स्थापना की। चैतन्य ने ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति एवं नृत्य और संगीत में ईश्वर की उपासना को निहित माना है। चैतन्य के अनुसार प्रेम और भक्ति के भाव में डूबा संगीत और नृत्य ईश्वर की उपस्थिति की अनुभूति कराता है।
15. संत कवियों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) वे हिंदू धर्म के वृहतर ढाँचे के अंदर रहे।
(b) उनका दार्शनिक विश्वास वेदांती ऐक्यवाद का रूप था।
(c) उन्होंने ईश्वर और उसकी दृष्टि की मूलभूत एकता पर बल दिया।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर - (d)
व्याख्या- संत कवियों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
भक्ति आंदोलन के संतों ने ईश्वर की उपासना की शिक्षा दी है, उन्होंने ईश्वर भक्ति को परमानंद व मोक्ष का मार्ग बताया है, जोकि हिंदू धर्म के सिद्धांतों को रेखांकित करते हैं। इन भक्ति संतों ने वेदों की महानता को स्वीकार किया है। उन्होंने वेदों की सर्वश्रेष्ठता को सर्वमान्य माना है, जो उनके वेदांती ऐक्यवाद का परिचायक है। भक्ति संतों ने ईश्वर की एकता पर बल दिया है। संत कबीर और गुरुनानक ऐक्यवाद तथा ईश्वरीय एकता के प्रखर समर्थक रहे हैं।
16. वीर शैव आंदोलन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह आंदोलन तमिल भक्ति आंदोलन और मंदिर पूजा की प्रतिक्रिया में प्रारंभ हुआ।
2. इस आंदोलन के माध्यम से सभी प्रकार के कर्मकांडों का विरोध किया गया।
3. यह आंदोलन सभी व्यक्तियों की समानता के प्रश्न में ब्राह्मणवादी विचारधारा के विरुद्ध था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3 
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- वीर शैव आंदोलन के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
वीर शैव आंदोलन बासवन्ना, अल्लामाप्रभु और अक्कमहादेवी के द्वारा दक्षिण भारत के क्षेत्रों में प्रारंभ किया गया। यह आंदोलन तमिल भक्ति आंदोलन और निम्न जातियों के मंदिरों में प्रवेश पर रोक की प्रतिक्रिया स्वरूप प्रारंभ हुआ। इसने सभी प्रकार के कर्मकांडों तथा मूर्तिपूजा का विरोध किया। इन्होंने समाज में जाति तथा लिंगात्मक समानता की वकालत की।
यह आंदोलन मुख्यतः कर्नाटक के क्षेत्रों में 12वीं शताब्दी में प्रारंभ हुआ। यह आंदोलन ब्राह्मणवादी विचारधारा का प्रबल विरोधी था।
17. भक्ति आंदोलन में संत कवियों द्वारा स्थापित 'जीवमात्र की एकता' का सिद्धांत अरबी में क्या कहलाया ? 
(a) तौहीद-ए-इलाही
(b) तौहीद-ए-वजूदी
(c) तौहीद - ए - नूरी
(d) नियाबत - ए - खुदाई
उत्तर - (b)
व्याख्या- भक्ति आंदोलन में संत कवियों द्वारा स्थापित 'जीवमात्र की एकता' का सिद्धांत अरबी में तौहीद-ए-वजूदी के नाम से विख्यात है। इस सिद्धांत के अनुसार सभी जीव तत्त्वतः एक हैं और सब कुछ एक ही परमतत्त्व की अभिव्यक्ति है। भक्ति संतों का यह सिद्धांत, मुस्लिम सूफी संतों के चिंतन का मुख्य आधार बना।
18. अब्दुल वहीद बेलग्रामी की किस पुस्तक में कृष्ण, मुरली, गोपी, राधा, यमुना आदि शब्दों के अर्थ मिलते हैं?
(a) पद्मावत वसी 
(b) तुफैल - ए - हिंदी
(c) हिंदवी - तौहीद
(d) हिकैक - ए - हिंदी
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्रसिद्ध सूफी विचारक अब्दुल वहीद बेलग्रामी ने हिंदी में हिकैक-ए-हिंदी नामक पुस्तक लिखी, जिसमें उन्होंने सूफी रहस्यवादी संदर्भ में कृष्ण, मुरली, गोपी, राधा, यमुना आदि शब्दों के अर्थ स्पष्ट करने की कोशिश की।
19. भक्ति आंदोलन से संबंधित साहित्य के विषय में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. महान शंकर के बाद रामानुज, मध्वाचार्य, वल्लभ ने अद्वैत दर्शन पर अपनी रचनाएँ संस्कृत में लिखीं।
2. कागज के चलन का लाभ उठाकर पुराने पाठों की नकलें तैयार की गईं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 1
(c) केवल
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- भक्ति आंदोलन से संबंधित साहित्य के विषय में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। भक्ति आंदोलन का प्रारंभ आठवीं सदी में माना जाता है, हालाँकि भक्ति संतों ने अपने संदेशों व उपदेशों के प्रसार के लिए स्थानीय भाषाओं का प्रयोग किया, परंतु अभी भी साहित्य लेखन की भाषा संस्कृत ही थी। अनेक भक्ति संतों व विचारकों; जैसे- शंकर, रामानुज, मध्वाचार्य, वल्लभ आदि ने अद्वैत दर्शन पर अपनी रचनाएँ संस्कृत में लिखीं।
इस समय कागज का अत्यधिक चलन था, जिसका लाभ उठाकर प्रसिद्ध भक्ति ग्रंथों; जैसे- रामायण, महाभारत आदि के पाठों की नकलें तैयार की गईं और इसके माध्यम से भी भक्ति संतों ने भक्ति आंदोलन की विचारधाराओं को प्रसारित किया।
20. भक्ति आंदोलन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस आंदोलन के समर्थक अधिकांश संत महात्मा, ब्राह्मण थे। 
2. इसके अनुसार और ईश्वर का संबंध प्रेमभाव पर आधारित है।
3. धार्मिक कर्मकांडों के करने की अपेक्षा भक्तिभाव से ईश्वर की उपासना करना अधिक श्रेष्ठ है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- भक्ति आंदोलन के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं।
भारत में भक्ति आंदोलन की शुरुआत दक्षिण भारत के क्षेत्रों में अलवार और नयनार संतों द्वारा की गई। इन संतों ने भजनों, गीतों के द्वारा भक्ति भावना का प्रसार किया। इन संतों ने यह बताया कि मनुष्य और ईश्वर का संबंध प्रेमभाव पर आधारित है। मनुष्य ईश्वर के प्रति प्रेममयी भाव से भक्ति कर ईश्वर की अनुभूति व परमानंद को प्राप्त कर सकता है। इन संतों ने सभी प्रकार के धार्मिक कर्मकांडों का विरोध किया, इन्होंने धार्मिक कर्मकांड की अपेक्षा भक्तिभाव को ईश्वर की उपासना के लिए श्रेष्ठ बताया।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि भक्ति आंदोलन नगरों में व्यापारियों, शिल्पकारों तथा गाँवों में किसानों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय था। इस आंदोलन के अधिकांश संत महात्मा अब्राह्मण थे।
21. निम्नलिखित में से किस संत ने गीता को मराठी भाषा में लिखा, जिससे जो लोग संस्कृत के विद्वान नहीं थे वे भी उसे समझ सके?
(a) तुकाराम
(b) एकनाथ 
(c) ज्ञानेश्वर
(d) नरसी मेहता 
उत्तर - (c)
व्याख्या- ज्ञानेश्वर ने मराठी भाषा में गीता पर टीकाएँ लिखीं, जिसे भावार्थ-दीपिका के नाम से जाना जाता है, यह पुस्तक उन लोगों के लिए थी, जो संस्कृत के विद्वान नहीं थे अर्थात् स्थानीय भाषी लोगों के मध्य भक्ति के विचारों को प्रसारित करने के लिए इसकी रचना की गई। ज्ञानेश्वर महाराष्ट्र के एक महान भक्ति संत थे। उन्हें महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन का अग्रदूत माना जाता है।
22. भक्ति आंदोलन में 'पंचककार' या पाँच कक्के का संबंध किस संप्रदाय से था ? 
(a) गोरखनाथ
(b) नाथपंथी
(c) सिख संप्रदाय
(d) कबीर पंथी
उत्तर - (c)
व्याख्या- भक्ति आंदोलन के 'पंचककार' का संबंध सिख संप्रदाय से है। सिख धर्म के लोग स्वयं को अन्य लोगों से अलग दिखाने के लिए पाँच विशेषताओं को धारण करते हैं, जिसे पंचककार या पाँच कक्के कहा जाता है। इनमें केश, कंघा, कड़ा, कृपाण और कच्छा शामिल हैं।
23. भक्ति परंपरा के वर्गों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. सगुण भक्ति में शिव, विष्णु तथा उनके अवतारों की आराधना की जाती थी।
2. निर्गुण भक्ति परंपरा में अमूर्त, निराकार ईश्वर की उपासना की जाती थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- भक्ति परंपरा के वर्गों के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं । इतिहासकारों ने भक्ति परंपरा को दो वर्गों में विभाजित किया है। एक, सगुण भक्ति और दूसरी, निर्गुण भक्ति | सगुण भक्ति के अंतर्गत ईश्वर के मूर्त रूप की आराधना की जाती है। इसके अंतर्गत शिव, विष्णु तथा उनके अवतारों की आराधना की जाती है। इसके प्रमुख भक्ति संतों में अलवार संत, नयनार संत, चैतन्य, मीरा आदि सम्मिलित हैं।
निर्गुण भक्ति के अंतर्गत भगवान के अमूर्त या निराकार रूप की आराधना की जाती है, इसके प्रमुख संतों में कबीर, नानक आदि सम्मिलित हैं।
24. 'नलयिरादिव्यप्रबंधम्' नामक तमिल वेद का संबंध निम्नलिखित में से किन संतों से है? 
(a) अलवार संत 
(b) नयनार संत
(c) वारकरी संत
(d) आदि संत
उत्तर - (a)
व्याख्या- तमिल वेद 'नलयिरादिव्यप्रबंधम्' का संबंध अलवार संतों से है। दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन की शुरुआत का श्रेय अलवार (विष्णु भक्त) और नयनार (शिव भक्त) संतों को जाता है। अलवार और नयनार संतों की रचना को वेद जितना महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाता है, इसलिए अलवार संतों के एक प्रमुख काव्य संकलन नलयिरादिव्यप्रबंधम् को तमिल वेद का दर्जा प्राप्त है।
25. बासवन्ना ( 1106-68 ई.) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने महाराष्ट्र में वीर शैव परंपरा की शुरुआत की।
2. उसने पारंपरिक अनुष्ठानों की आलोचना प्रस्तुत की।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- बासवन्ना के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (2) सत्य है । बारहवीं शताब्दी में बासवन्ना ( 1106-68 ई.) ने कर्नाटक प्रांत में वीर शैव आंदोलन की शुरुआत की। बासवन्ना, कलचुरि के राजा का मंत्री और एक ब्राह्मण था। उसने ब्राह्मणवादी श्रेष्ठता तथा जातिप्रथा का विरोध करने के लिए इसकी शुरुआत की। इस आंदोलन के अंतर्गत उन्होंने कई सामाजिक उत्थान के कार्य; जैसे- बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह को प्रोत्साहित किया एवं धार्मिक कर्मकांडों का बहिष्कार किया।
26. लिंगायत समुदाय के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) ये शिव की आराधना लिंग के रूप में करते हैं।
(b) इस समुदाय के पुरुष स्कंध पर सोने के एक पिटारे में एक लघु लिंग को धारण करते हैं।
(c) जंगम अर्थात् यायावर भिक्षु लिंगायत से संबंधित थे।
(d) पुनर्जन्म के सिद्धांत पर उन्होंने प्रश्नवाचक चिह्न लगाया।
उत्तर - (b)
व्याख्या- लिंगायत संप्रदाय के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है।
बासवन्ना के द्वारा प्रारंभ किए गए वीर शैव आंदोलन का मुख्य उद्देश्य समाज में विद्यमान ब्राह्मणवादी श्रेष्ठता तथा जातिप्रथा का विरोध करना था, जिससे समाज के वे वर्ग, जिन्हें ब्राह्मणीय सामाजिक व्यवस्था में निम्न स्थान प्राप्त था, वे उसके अनुयायी बन गए। इनके अनुयायी को वीर शैव अर्थात् शिव के वीर कहा जाता था। ये लिंगायत अर्थात् इस समुदाय के पुरुष वाम स्कंध पर चाँदी के पिटारे में एक लघु लिंग धारण करते थे।
27. भक्तिमय राजकुमारी मीराबाई के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उनका विवाह सिसोदिया कुल में हुआ था। 
2. उन्होंने कृष्ण को अपना एकमात्र आराध्य स्वीकार किया।
3. उन्होंने सूरदास को अपना गुरु माना था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- भक्ति संत मीराबाई के संबंध में कथन (1) और ( 2 ) सत्य हैं। मीराबाई भक्ति परंपरा की एक प्रसिद्ध कवयित्री थीं। वह मारवाड़ की एक राजपूत राजकुमारी थीं, इनका विवाह इनकी इच्छा के विरुद्ध सिसोदिया कुल के राजकुमार से कर दिया गया।
इन्होंने विष्णु के अवतार कृष्ण को अपना आराध्य स्वीकार किया। कृष्ण के प्रेम में यह राजभवन से निकल कर एक परिब्राजिका संत बन गईं। कृष्ण के प्रति प्रेम भावना व्यक्त करने के लिए इन्होंने अनेक गीतों की रचना की।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि इनके गुरु सूरदास नहीं बल्कि संत रविदास थे।
28. पंद्रहवीं शताब्दी में भक्ति आंदोलन से जुड़ी हुई रचना 'कीर्तनघोष' के रचयिता कौन हैं? 
(a) राहुल देव
(b) शंकर देव
(c) विष्णु देव
(d) रैदास
उत्तर - (b)
व्याख्या- 'कीर्तनघोष' काव्य के रचयिता शंकर देव हैं। शंकरदेव असम के एक प्रसिद्ध वैष्णव संत थे। इनका जीवनकाल 15वीं शताब्दी का उत्तरार्द्ध माना जाता है। इनके उपदेशों को 'भगवती धर्म' कहा जाता है, क्योंकि यह भगवद्गीता पर आधारित हैं। इन्होंने अपने उपदेशों के प्रसार के लिए मठ या सत्र जैसे प्रार्थनागृह की स्थापना की और सत्रिया नामक नृत्य, जो एक शास्त्रीय नृत्य है, विकसित किया।
29. नयनार एवं अलवार संतों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) वे कुछ समृद्ध एवं शिक्षित जाति से संबंधित थे।
(b) इन संतों ने संगम साहित्य का अनुसरण किया।
(c) तेवरम् अलवार संतों से संबंधित नहीं है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- अलवार और नयनार संतों के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि समृद्ध एवं शिक्षित जाति से संबंधित नहीं है। आठवीं शताब्दी के दक्षिण भारत में अलवार और नयनार संतों द्वारा भक्ति आंदोलन की शुरुआत की गई। अलवार विष्णु के उपासक, तथा नयनार शिव के उपासक थे। अलवार संतों की संख्या 12 और नयनार संतों की संख्या 63 थी। ये संत सभी जातियों से थे, जिनमें पुलैया और पनार जैसी अस्पृश्य समझी जाने वाली जातियों के लोग भी शामिल थे।
30. निम्नलिखित दार्शनिक विचारधाराओं के संबंध में दिए गए कथनों पर विचार कीजिए 
1. शंकराचार्य ने द्वैतवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
2. रामानुजाचार्य ने अद्वैतवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- दार्शनिक विचारधाराओं के संबंध में दिए गए दोनों कथनों में से कोई भी कथन सत्य नहीं हैं।
शंकराचार्य ने अद्वैतवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया था, जिसके अनुसार जीवात्मा तथा परमात्मा, दोनों एक ही हैं। उन्होंने यह शिक्षा दी कि ब्रह्म ही एकमात्र सत्य है, जो निर्गुण तथा निराकार है।
रामानुजाचार्य ने विशिष्टाद्वैत वाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जिसके अनुसार आत्मा, परमात्मा से जुड़ने के बाद भी अपनी अलग सत्ता बनाए रखती है। इन्होंने मोक्ष प्राप्ति का उपाय विष्णु के प्रति अनन्य भक्ति को बताया।
31. गाँधी जी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तेने कहिए पीर पराई जाने रे' की रचना निम्नलिखित में से किसने की?
(a) नामदेव
(b) नरसी मेहता
(c) सखुबाई
(d) दिगंबर मेहता
उत्तर - (b)
व्याख्या- गाँधीजी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तेने कहिए' नामक प्रसिद्ध भजन की रचना नरसी मेहता ने की थी। नरसी मेहता गुजरात के एक महान वैष्णव संत थे। इन्होंने भगवान विष्णु की आराधना व उनकी भक्ति के उपदेशों को प्रसारित किया।

सूफी आंदोलन

1. 10वीं सदी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इस सदी में सूफीवाद का उदय हुआ।
2. इस सदी में अब्बासी खिलाफत के अवशेषों पर अरबों का उदय हुआ।
3. इस सदी में मुताजिल दर्शन का बोलबाला समाप्त हो गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- 10वीं सदी के घटनाक्रमों के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। 10वीं सदी में इस्लाम धर्म में सूफी आंदोलन या सूफीवाद का उदय हुआ। यह एक मुस्लिम रहस्यवादी आंदोलन था। इस आंदोलन ने ईश्वर तथा जीवात्मा को जोड़ने वाले तत्त्व के रूप में प्रेम पर बहुत अधिक बल दिया।
इसी सदी में मुताजिला या बुद्धिवादी दर्शन का बोलबाला समाप्त हो गया और कुरान तथा हदीस पर आधारित रूढ़िवादी विचारधाराओं का उदय हुआ। कथन (2) असत्य है, क्योंकि 10वीं सदी में अब्बासी खिलाफत के विघटन के उपरांत तुर्कों का उदय हुआ।
2. निम्नलिखित में से कौन महिला रहस्यवादिनी का प्रतिनिधित्व 8वीं सदी में करती है? 
(a) मंसूर - बिन - हल्लाज
(b) राबिया
(c) दुर्रानी
(d) अल-गज्जाली
उत्तर - (b)
व्याख्या- 8वीं सदी में मुस्लिम महिला रहस्यवादिनी का प्रतिनिधित्व राबिया ने किया। इसने मनुष्य तथा ईश्वर के मध्य संबंध स्थापित करने का एक मार्ग प्रेम को बताया। राबिया को अपने सर्वेश्वरवादी दृष्टिकोण के लिए रूढ़िवादियों के विरोध का भी सामना करना पड़ा।
3. " धर्म और अधर्म, दोनों उसी (ईश्वर) की ओर भागे जा रहे हैं, और ( एक साथ ) घोषणा कर रहे हैं, वह (ईश्वर) एक है और उसके राज्य में कोई हिस्सेदार नहीं है।" यह कथन किस कवि का है?
(a) फारसी कवि सनाई
(b) फारसी कवि हज्जाल
(c) तुर्की कवि तुर्मान
(d) उर्दू कवि राबिया
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्रसिद्ध फारसी कवि सनाई ने सूफी मत की मानवीय भावना को अभिव्यक्त करते हुए कहा था कि “धर्म और अधर्म दोनों उसी ईश्वर की ओर भागे जा रहे हैं और एक साथ यह घोषणा कर रहे हैं कि ईश्वर एक है और उसके राज्य में कोई हिस्सेदार नहीं है।"
4. सूफी सिलसिलों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) जो इस्लामी कानून का पालन करते थे, बा-शरा कहलाए ।
(b) जो शरा से बँधे हुए नहीं थे, वे बे-शरा कहलाए।
(c) बे-शरा सिलसिलों का अनुशासन घुमक्कड़ संत करते थे।
(d) बा-शरा भारत में प्रचलित नहीं था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- सूफी सिलसिलों के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि बा-शरा भारत में प्रचलित था। सूफी सिलसिलों में कुल 12 सिलसिले / पंथ प्रचलित थे। प्रत्येक सिलसिले का नेतृत्व एक प्रसिद्ध पीर के द्वारा किया जाता था। ये सिलसिले मुख्यतः दो प्रकार के बा-शरा (शरिया कानून को पूरी तरह मानने वाला) और बे-शरा ( शरिया कानून के मार्ग पर नहीं चलने वाला) थे। भारत में बा-शरा और बे-शरा दोनों ने ही अपना प्रभाव डाला। बा - शरा सिलसिले में चिश्ती, सुहरावर्दी, फिरदौसी आदि महत्त्वपूर्ण थे ।
5. सूफीवाद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सूफीवाद उन्नीसवीं शताब्दी में मुद्रित एक अंग्रेजी शब्द है।
2. सूफीवाद के लिए इस्लामी ग्रंथों में तसव्वुफ शब्द का प्रयोग किया गया है।
3. 'सूफ' शब्द का अर्थ होता है - सूती वस्त्र ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- सूफीवाद के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
सूफीवाद को अंग्रेजी में सूफीइज्म कहा जाता है, जो अंग्रेजी शब्द है। इस्लामी ग्रंथों में इसके लिए तसव्वुफ शब्द जिसका मततल है इस्लाम का रहस्यवादी पंप प्रयोग हुआ है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि कुछ विद्वानों के अनुसार सूफीवाद सूफ निकलता है, जिसका अर्थ ऊन है। यह उस खुरदूरे ऊनी कपड़े की ओर संकेत करता है, जिसे सूफी पहनते हैं ।
6. 'सिलसिला' के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इसका शाब्दिक अर्थ 'जंजीर' होता है।
(b) मध्यकाल में कुल बारह सिलसिले प्रचलित थे।
(c) सभी सिलसिलों का नाम उनके संस्थापकों के नाम पर रखा गया था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं 
उत्तर - (c)
व्याख्या- सिलसिला के संबंध में कथन (c) सत्य है। बे-शरा सूफीवाद के उदय के बाद सूफी संतों ने अपने विचारों, अनुयायियों आदि को एक संगठित स्वरूप प्रदान करने के लिए अलग-अलग सिलसिलों का गठन किया। इन सिलसिलों के नामकरण का आधार सिर्फ इनके संस्थापक का नाम नहीं था। हालाँकि कुछ सिलसिलों का नामकरण उनके संस्थापकों के नामों पर भी हुआ, जैसे- कादिरी सिलसिला। इसका नामकरण इसके संस्थापक शेख अब्दुल कादिर जिलानी के नाम पर हुआ। कुछ सिलसिलों का नामकरण संस्थापक के जन्म स्थान के नाम पर रखा गया, जैसे चिश्ती सिलसिला। इसका नामकरण इनके संस्थापक के जन्मस्थान अफगानिस्तान के चिश्ती शहर के नाम पर किया गया।
7. निजामुद्दीन औलिया तथा नासिरुद्दीन चिराग-ए-देहली का संबंध किस सूफी सिलसिले से था? 
(a) चिश्ती सिलसिला 
(b) सुहरावर्दी सिलसिला
(c) नक्शबंदी सिलसिला
(d) फिरदौसी सिलसिला
उत्तर - (a)
व्याख्या- निजामुद्दीन औलिया तथा नासिरुद्दीन चिराग ए-देहली दोनों चिश्ती सिलसिले के सूफी संत थे । निजामुद्दीन औलिया सबसे प्रसिद्ध सूफी संत थे, वे सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत करते थे तथा सभी लोगों विशेषकर निम्न वर्गीय लोगों से निस्संकोच मिलते थे, ये योग में पारंगत थे, इनकी दरगाह दिल्ली में है। नासिरुद्दीन चिराग-ए-देहली 14वीं शताब्दी के चिश्ती सिलसिले के प्रमुख सूफी संत थे, ये सूफी संत निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। इनकी मृत्यु के पश्चात् 1358 ई. में इनका मकबरा दिल्ली के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक द्वारा बनवाया गया था।
8. निजामुद्दीन औलिया के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. वे उर्दू में बात करते थे।
2. उन्होंने 'समा' के जरिए लोकप्रियता अर्जित की।
3. योगी लोग इन्हें सिद्ध पुरुष कहा करते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- निजामुद्दीन औलिया के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं । निजामुद्दीन औलिया एक प्रसिद्ध चिश्ती सूफी संत थे। इनका सांस्कृतिक केंद्र दिल्ली में था। ये बाबा फरीद के शिष्य थे। इन्होंने अपने सूफी मत के प्रसार के लिए गायन का सहारा लिया, जिसे 'समा' कहा जाता है, जो हिंदी में होता था, जिससे अधिक से अधिक लोग आकर्षित होते थे। साथ ही औलिया योग-प्राणायाम में पारंगत थे, इसलिए इन्हें सिद्ध पुरुष भी कहा जाता था। कथन (1) असत्य है, क्योंकि औलिया लोगों से उन्हीं की भाषा हिंदी में बात करते थे।
9. निम्नलिखित में से चिश्ती संत को 'चिराग-ए-दिल्ली' कहा जाता है ? 
(a) मुईनुद्दीन
(b) फरीदुद्दीन
(c) निजामुद्दीन औलिया
(d) नासिरुद्दीन
उत्तर - (d)
व्याख्या- शेख नासिरुद्दीन 'चिराग-ए- देहली' के नाम से प्रसिद्ध हैं। इनका जीवनकाल 14वीं सदी था। ये दिल्ली के एक प्रसिद्ध चिश्ती सूफी संत थे। ये लोग विशेषकर निम्नवर्गीय लोगों से उन्हीं की बोली में बाते करते थे। लोगों से बेहतर ढंग से जुड़ने के लिए हिंदी बोली के गायन (समा) का सहारा लेते थे।
10. निम्नलिखित में से किस लेखक का संबंध चिश्ती खानकाह से नहीं था ?
(a) अमीर हसन सिज्जी
(b) अमीर खुसरो
(c) इब्नबतूता
(d) जियाउद्दीन बरनी
उत्तर - (c)
व्याख्या- इब्नबतूता लेखक का संबंध चिश्ती खानकाह से नहीं था। निजामुद्दीन औलिया से मिलने आने वाले कवि तथा इतिहासकारों में अमीर हसन सिज्जी, अमीर खुसरो और जियाउद्दीन बरनी शामिल थे, जबकि इब्नबतूता अफ्रीकी यात्री था। यह उत्तरी अफ्रीका देश मोरक्को का निवासी था। इसने 14वीं शताब्दी में मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में दिल्ली सल्तनत की यात्रा की थी। इसने अपनी पुस्तक रेहला या रिहला में दिल्ली सल्तनत की विस्तृत जानकारी दी है।
11. निम्नलिखित में किस शब्द का प्रयोग ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के लिए किया जाता है? 
(a) बंदा - नवाज 
(b) गरीब नवाज
(c) चिराग-ए-मुफलिस
(d) गरीब - पालक
उत्तर - (b)
व्याख्या- चिश्ती सिलसिले के संस्थापक ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती को 'गरीब नवाज' के नाम से भी जाना जाता है। इनकी दरगाह सबसे अधिक पूजनीय है, जो अजमेर में स्थित है। यह दरगाह शेख की सदाचारिता, धर्मनिष्ठता और विभिन्न शासकों द्वारा किए गए प्रश्रय के कारण लोकप्रिय थी।
12. शेख निजामुद्दीन औलिया के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उन्हें 'सुल्तान-उल-मशेख' कहा जाता था ।
2. अमीर खुसरो उनका प्रमुख अनुयायी था।
3. उनकी दरगाह पर गाने वाले कव्वाल अपने गायन की शुरुआत 'समा ' से करते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- शेख निजामुद्दीन औलिया के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
निजामुद्दीन औलिया, चिश्ती सिलसिले के एक प्रसिद्ध सूफी संत थे, उनके अनुयायी उन्हें 'सुल्तान-उल-मशेख' कह कर संबोधित करते थे अर्थात् शेखों में सुल्तान। चिश्ती संत का शासकों के मध्य अत्यधिक सम्मान था, वे उन्हें झुक कर प्रणाम, कदम चूमना, विभिन्न पदवी प्रदान करते थे।
अमीर खुसरो निजामुद्दीन औलिया के अनुयायी थे, जो एक महान कवि तथा संगीतज्ञ थे। इनका जीवनकाल 1253-1325 ई. तक था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि शेख निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर गाने वाले करवाल अपने गायन की शुरुआत कौल (कहावत) से करते थे। कौल का प्रचलन अमीर खुसरो के द्वारा किया गया।
13. शेख मुईनुद्दीन चिश्ती की जीवनी 'मुनिस-अल-अखाह' किस मुगल शहजादी ने लिखी थी ?
(a) आलमआरा 
(c) गुलबदन बेगम
(b) जहाँआरा
(d) अस्मत बेगम 
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुगलशासक शाहजहाँ की पुत्री शहजादी जहाँआरा ने चिश्ती संत शेख मुईनुद्दीन चिश्ती की जीवनी की रचना मुनिस अल-अखाह (अर्थात् आत्मा का विश्वास) नाम से की। इसमें जहाँआरा की शेख चिश्ती के प्रति भक्ति को दर्शाया गया है।
14. शेख सलीम चिश्ती की दरगाह निम्नलिखित में से किस स्थान पर अवस्थित है?
(a) लाहौर, पाकिस्तान
(b) फतेहपुर सीकरी, आगरा
(c) निजामुद्दीन, दिल्ली
(d) जौनपुर, उत्तर प्रदेश
उत्तर - (b)
व्याख्या- शेख सलीम चिश्ती की दरगाह फतेहपुर सीकरी में स्थित है। यह दरगाह अपनी इंडो इस्लामिक वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इस दरगाह का निर्माण अकबर के द्वारा अपनी राजधानी फतेहपुर सीकरी में किया गया। यह दरगाह चिश्तियों और मुगल राज्य के घनिष्ठ संबंधों का प्रतीक है। शेख सलीम चिश्ती, चिश्ती सिलसिले के प्रसिद्ध संत थे।
15. सुहरावर्दी सिलसिले के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इनकी गतिविधियों का मुख्य केंद्र पंजाब और मुल्तान था ।
2. वे गरीबी का जीवन बिताने में विश्वास करते थे।
3. उन्होंने राज्य की सेवा स्वीकार की थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- सुहरावर्दी सिलसिले के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य है। चिश्ती सिलसिले के अतिरिक्त भारत में प्रवेश करने वाला एक अन्य बा- शरा सिलसिला सुहरावर्दी सिलसिला था। हालाँकि यह चिश्ती की भाँति भारत के विस्तृत भागों में नहीं फैल सका, इसका प्रमुख केंद्र पंजाब और मुल्तान था। साथ ही चिश्ती सिलसिले के विपरीत सुहारावर्दी सिलसिले के सूफी संतों ने राज्य की राजनीति से स्वयं को जोड़ा और राज्य की सेवाएँ तथा विभिन्न विभागों के उच्च पदों को स्वीकार किया, जबकि चिश्ती ने स्वयं को राज्य की राजनीति से अलग रखा और अध्यात्म पर अपना पूरा जीवन व्यतीत किया। कथन 2 असत्य है, क्योंकि सुहरावर्दी सिलसिले के संत गरीबी का जीवन व्यतीत करने में विश्वास नहीं करते थे।
16. निम्नलिखित में किसका संबंध सुहरावर्दी सिलसिले से नहीं था?
(a) शिहाबुद्दीन सुहरावर्दी
(b) हमीदुद्दीन नागौरी
(c) बहाउद्दीन जकारिया
(d) सैय्यद मोहम्मद गेसूदराज
उत्तर - (d)
व्याख्या- सैय्यद मोहम्मद गेसूदराज का संबंध सुहरावर्दी सिलसिले से न होकर चिश्ती सिलसिले से था। मोहम्मद गेसूदराज चिश्ती सिलसिले के प्रसिद्ध सूफी संत थे। इनका धार्मिक केंद्र गुलबर्ग था। इन्हें बंदा नवाज के नाम से भी जाना जाता है।
17. शेख बहाउद्दीन किस सूफी सिलसिले से जुड़े थे?
(a) सुहरावर्दी संप्रदाय
(b) ऋषि संप्रदाय
(c) चिश्ती संप्रदाय
(d) फिरदौसी संप्रदाय
उत्तर - (a)
व्याख्या- शेख बहाउद्दीन जकारिया का संबंध सुहरावर्दी संप्रदाय से है। वह सुहरावर्दी संप्रदाय के संस्थापक थे। भारत में सुहरावर्दी संप्रदाय को पंजाब तथा मुल्तान से बाहर प्रसारित करने का श्रेय शेख शिहाबुद्दीन सुहरावर्दी तथा हमीदुदीन नागौरी को जाता है।
सुहरावर्दी संतों ने राजकीय सेवा स्वीकार की तथा कई संत मजहबी (धार्मिक कार्य) विभाग के उच्च पदों तक पहुँचे।
18. सूफी आंदोलनों के दौरान रचे गए साहित्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मुसलमानों द्वारा लिखा गया सबसे अधिक साहित्य अरबी में था।
2. अरबी को रसूल की भाषा माना गया।
3. अरबी का प्रयोग स्पेन से लेकर बगदाद तक लिखे जाने वाले साहित्य की भाषा के रूप किया गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- सूफी आंदोलन के दौरान रचे गए साहित्य के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। सूफी आंदोलन के दौरान भारत में साहित्य की रचना मुख्यतः दो भाषाओं-अरबी तथा फारसी में हुई। हालाँकि सर्वाधिक साहित्य की रचना अरबी भाषा में की गई। भारत में अरबी भाषा का उपयोग मुख्य रूप से इस्लाम के सैद्धांतिक तथा दार्शनिक पक्षों पर लिखने वाले विद्वानों तक सीमित रहा । विज्ञान तथा खगोल शास्त्र की कुछ रचनाओं का अरबी में अनुवाद किया गया।
अरबी भाषा को मुसलमानों में रसूल अर्थात् पैगंबर की भाषा माना जाता था, जिस कारण इसका प्रयोग अधिकांश मुस्लिम साहित्य लेखन में हुआ, जबकि फारसी कवियों में फिरदौसी, अमीर खुसरो, जियाउद्दीन बरनी आदि महत्त्वपूर्ण थे।
अरबी भाषा का साहित्यिक रूप में प्रयोग स्पेन से लेकर बगदाद तक पूरे अरब में किया जाता है।
19. सूफी संतों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएं
1. मध्य एशिया के महान सूफी संतों में गज्जाली, रूमी और सादी के नाम उल्लेखनीय हैं।
2. नाथ पंथियों, सिद्धों और योगियों की तरह सूफी भी यही मानते थे कि दुनिया के प्रति अलग नजरिया अपनाने के लिए दिल को सिखाया जा सकता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- सूफी संतों के संबंध में दिए गए दोनों कथन सत्य हैं ।
सूफी आंदोलन के महान प्रारंभिक संतों में गज्जाली, रूमी और सादी के नाम उल्लेखनीय हैं, ये मुख्यतः मध्य एशिया के थे।
नाथ पंथियों, सिद्धों एवं योगियों की भाँति सूफियों ने यह माना कि दुनिया के प्रति अलग नजरिया अपनाने के लिए दिल को सिखाया-पढ़ाया जा सकता है।
20. कश्मीर में 15वीं एवं 16वीं सदियों में सूफीवाद के ऋषि पंथ काउदय हुआ। इसकी स्थापना किसने की थी ?
(a) शेख नूरुद्दीन वली
(b) बाबा फरीद
(c) शाह आलम बुखारी
(d) सैय्यद मोहम्मद गेसूदराज
उत्तर - (a)
व्याख्या- कश्मीर में 15वीं एवं 16वीं शताब्दी में सूफीवाद के ऋषि पंथ का उदय हुआ। इस पंथ की स्थापना शेख नूरुद्दीन वली द्वारा की गई। इन्हें नंद ऋषि के नाम से भी जाना जाता है। इस वंश ने कश्मीर के लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला।
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