NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | गुप्तोत्तर काल

गुप्तोत्तर काल

NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | गुप्तोत्तर काल

NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | गुप्तोत्तर काल

गुप्तोत्तर कालीन राजवंश

1. गुप्तवंश के पतन से लेकर आरंभिक सातवीं शताब्दी में हर्ष के उत्थान तक उत्तर भारत में निम्नलिखित में से किन राज्यों का शासन था ?
1. मगध के गुप्त
2. मालवा के परमार
3. थानेश्वर के पुष्यभूति
4. कन्नौज के मौखरि
5. देवगिरि के यादव
6. वल्लभी के मैत्रक
कूट
(a) 1, 2 और 5
(b) 1, 3, 4 और 6
(c) 2, 3 और 4 
(d) 5 और 6
उत्तर - (b)
व्याख्या- गुप्तवंश के पतन के पश्चात् आरंभिक सातवीं शताब्दी में हर्षवर्द्धन के उत्थान तक उत्तर भारत में विभिन्न राजवंशों का उदय हुआ। मगध के गुप्त तथा थानेश्वर के पुष्यभूति शासकों ने अपनी शक्ति का विस्तार किया।
कन्नौज के मौखरि तथा वल्लभी के मैत्रक इस दौरान स्थानीय स्तर पर शासन करते थे। हर्षवर्द्धन ने थानेश्वर के पुष्यभूति तथा कन्नौज के मौखरि वंश के शासन का विलय कर सशक्त शासन की स्थापना की।
2. हर्षवर्द्धन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. हर्षवर्द्धन का शासनकाल 606 ई. से 647 ई. तक था।
2. हर्षवर्द्धन के शासन का आरंभिक जीवन इतिहास ह्वेनसांग के विवरण से मिलता है।
3. हर्षवर्द्धन को भारत का अंतिम हिंदू सम्राट कहा गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं ।
हर्षवर्द्धन का शासनकाल 606 ई. से 647 ई. तक रहा।
हर्षवर्द्धन को भारत का अंतिम हिंदू सम्राट कहा जाता है, लेकिन वह न तो कट्टर हिंदू था और न ही संपूर्ण भारत का शासक
कथन (2) असत्य है, क्योंकि हर्षवर्द्धन के शासन का आरंभिक जीवन इतिहास ह्वेनसांग के विवरण से नहीं मिलता। यह जानकारी हमें हर्षवर्द्धन द्वारा आश्रय प्राप्त कवि बाणभट्ट की रचना 'हर्षचरित' से मिलती है।
3. हर्षवर्द्धन का साम्राज्य पूरे उत्तर भारत में फैला हुआ था ।
निम्नलिखित में से कौन-सा अपवाद स्वरूप हर्षवर्द्धन के साम्राज्य का हिस्सा नहीं था?
(a) राजस्थान
(b) पंजाब
(c) उत्तर प्रदेश
(d) कश्मीर
उत्तर - (d)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन का साम्राज्य कश्मीर को छोड़कर संपूर्ण उत्तर भारत में फैला था। राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार प्रत्यक्ष रूप से हर्ष के नियंत्रण में थे, इसके अतिरिक्त असम का क्षेत्र भी उसके नियंत्रण में था। पूर्वी भारत में गौड़ के शैव राजा शशांक ने हर्षवर्द्धन की अधीनता को स्वीकार नहीं किया था।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. हर्षवर्द्धन के पूर्व शासकों की राजधानी थानेसर थी।
2. हर्षवर्द्धन ने असम को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया।
3. उसने दक्कन के सभी राज्यों को जीत लिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (d).
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। पुष्यभूति वंश जिसे वर्द्धन राजवंश के रूप में भी जाना जाता है, की प्रारंभिक राजधानी थानेश्वर (थानेसर) थी । हर्षवर्द्धन ने शासक बनने के पश्चात् कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया। हर्षवर्द्धन का साम्राज्य उत्तर-पश्चिम क्षेत्र के अतिरिक्त पूर्व में कामरूप (असम) तक फैला था ।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि हर्षवर्द्धन का दक्कन अभियान सफल नहीं रहा था।
5. हर्षवर्द्धन तथा पुलकेशिन द्वितीय के बीच हुए संघर्ष का क्या परिणाम रहा था?
(a) पुलकेशिन द्वितीय विजयी रहा
(b) हर्षवर्द्धन की जीत हुई
(c) दोनों शासकों के बीच समझौता हुआ
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं 
उत्तर - (a)
व्याख्या- पुलकेशिन द्वितीय ने ही हर्षवर्द्धन को दक्षिण में साम्राज्य विस्तार से रोका था और दोनों के मध्य युद्ध हुआ, जिसमें पुलकेशिन द्वितीय की विजय हुई। अपने संपूर्ण जीवनकाल में हर्षवर्द्धन को सबसे कड़े विरोध का सामना पुलकेशिन द्वितीय के विरुद्ध करना पड़ा था।
6. हर्षवर्द्धन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसको बौद्ध धर्म से लगाव था, उसने जीवन के अंतिम वर्षों में बौद्ध धर्म अपना लिया था।
2. उसने दूसरे धर्मों को हतोत्साहित करने का प्रयास किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन के संबंध में कथन (1) सत्य है। हर्षवर्द्धन को बौद्ध धर्म से लगाव था और शायद जीवन के अंतिम वर्षों में वह बौद्ध भी बन गया था। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने हर्ष के संबंध में भी लिखा है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि हर्षवर्द्धन बौद्ध धर्म से जरूर जुड़ा था, लेकिन दूसरे धर्मों को भी निरंतर उसका आश्रय मिलता रहा।
7. हर्षवर्द्धन के शासनकाल में कौन-सा तीर्थयात्री मध्य एशिया को पार करते हुए भारत पहुँचा था ?
(a) बौद्ध यात्री फाह्यान 
(b) बौद्ध यात्री ह्वेनसांग
(c) अरब यात्री अलमसूदी
(d) बौद्ध यात्री इत्सिंग
उत्तर - (b)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन के शासनकाल में बौद्ध यात्री ह्वेनसांग (युवान- च्वांग ) मध्य एशिया को पार करते हुए भारत पहुँचा था। हर्ष के शासनकाल का महत्त्व चीनी यात्री ह्वेनसांग के भ्रमण को लेकर था। वह लगभग 26 वर्ष की उम्र में चीन से रवाना हुआ और फाह्यान का अनुसरण करते हुए भारत आया था। वह नालंदा महाविहार में अध्ययन हेतु रुका और 645 ई. में पुन: चीन लौट गया। वह 15 वर्षों तक भारत में रहा।
8. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. चीनी तीर्थयात्री फाह्यान ने कनिष्क द्वारा आयोजित की गई चतुर्थ बौद्ध परिषद् में हिस्सा लिया।
2. चीनी तीर्थयात्री ह्वेनसांग, हर्ष से मिला और उसे बौद्ध धर्म का प्रतिरोधी पाया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन असत्य हैं। फाह्यान कनिष्क के शासनकाल में नहीं, बल्कि गुप्त शासक चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन में भारत आया था।
चीनी यात्री ह्वेनसांग हर्षवर्द्धन के शासनकाल में भारत आया । ह्वेनसांग ने हर्षवर्द्धन को बौद्ध धर्म का महान समर्थक पाया। इस दौरान बौद्ध धर्म तथा बौद्ध संस्थाओं की विकसित अवस्था की जानकारी ह्वेनसांग ने दी है।
9. हर्षवर्द्धन के समकालीन किस राजा ने बोधगया में बोधिवृक्ष को काट डाला था? 
(a) शशांक
(b) पुलकेशिन 
(c) धर्मपाल
(d) चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य 
उत्तर - (a)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन के समकालीन गौड शासक शशांक ने बोधगया में बोधिवृक्ष को काट डाला था। गौड शासक शशांक शैव मतावलंबी था। हर्षवर्द्धन को अपने साम्राज्य के विस्तार हेतु पूर्वी भारत में शशांक से संघर्ष करना पड़ा था।
10. ह्वेनसांग के यात्रा वृत्तांत के संदर्भ में भारत की सामाजिक स्थिति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. भारत में जाति प्रथा की प्रधानता थी।
2. अछूतों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता था।
3. भारत के लोगों को जल्दी गुस्सा आता था, परंतु वे ईमानदार होते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- ह्वेनसांग के यात्रा वृत्तांत के संदर्भ में दिए गए तीनों कथन सत्य हैं। ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वृत्तांत में भारतीय सामाजिक दशा का वर्णन किया है, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख रूप से शामिल हैं
भारत में जाति प्रथा विद्यमान थी।
नगरों के बाहर रहने वाले अछूतों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता था।
सभी लोग शाकाहारी नहीं थे, हालाँकि इस बात पर बल दिया जाता था कि लोग मांस न खाएँ ।
भारत के लोग गर्म मिजाज के थे, उन्हें जल्दी गुस्सा आता था, परंतु वे ईमानदार होते थे।
आजीवन कारावास ही सबसे कठोर दंड था।
11. हर्षवर्द्धन ने अपने शासनकाल में किसके माध्यम से पदाधिकारियों को जमीन देने की प्रथा चलाई थी ?
(a) शासन पत्र ( सनद)
(b) छत्रदान 
(c) भूमि - अनुदान प्रथा 
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन ने अपने शासनकाल में शासन पत्र ( सनद ) के माध्यम से पदाधिकारियों को जमीन देने की प्रथा चलाई थी। हालाँकि राज्य को समर्पित विशेष सेवाओं के लिए पुरोहितों को भूमि दान देने की परंपरा जारी रही। इन अनुदानों में वही रियासतें शामिल थीं, जोकि पिछले अनुदानों में रहती थीं। 
12. हर्षवर्द्धन के प्रशासन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) हर्षवर्द्धन की सेना में घोड़े, हाथी तथा पैदल सैनिक मौजूद थे।
(b) युद्ध के समय उसे सभी सामंतों का सहयोग प्राप्त था।
(c) प्रत्येक सामंत निर्धारित संख्या में पैदल सैनिक और घोड़े देता था।
(d) उसकी शाही सेना का आकार विशाल नहीं था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन के प्रशासन के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि हर्षवर्द्धन के पास 1,00,000 घोड़े और 60,000 हाथी थे। माना जाता है कि इतनी विशाल सेना मौर्य शासकों के पास भी नहीं थी। युद्धों में हर्षवर्द्धन को सामंतों का साथ मिलता था, इसलिए अनुमान लगाया गया होगा कि उसके पास एक विशाल सेना है।
13. हर्षवर्द्धन के शासनकाल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. हर्ष के साम्राज्य में विधि-व्यवस्था अच्छी नहीं थी।
2. डाकुओं ने ह्वेनसांग का सामान लूट लिया था।
3. देश के कानून में अपराध के लिए कड़ी सजा का विधान नहीं था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन के शासनकाल के संबंध में कथन (1) और ( 2 ) सत्य हैं। हर्षवर्द्धन के शासनकाल में विधि व्यवस्था अच्छी नहीं थी। चीनी यात्री ह्वेनसांग को कई बार लुटेरों का सामना करना पड़ा।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि ह्वेनसांग के अनुसार उस समय कानून में अपराध के लिए कठोर दंड का विधान था। डकैती को दूसरा राजद्रोह माना जाता था और उसके लिए डाकू का दायाँ हाथ काट लिया जाता था, परंतु प्रतीत होता है कि बौद्ध धर्म के प्रभाव में आकर दंड की कठोरता को कम कर दिया गया और अपराधियों को आजीवन कारावास दिया जाने लगा।
14. हर्षकालीन बौद्ध धर्म के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) बौद्ध लोग 18 संप्रदायों में बँटे हुए थे।
(b) बौद्धों का सबसे विख्यात केंद्र नालंदा था।
(c) नालंदा में हीनयान संप्रदाय का दर्शन पढ़ाया जाता था।
(d) नालंदा में 10,000 छात्र पढ़ते थे।
उत्तर - (c)
व्याख्या- हर्षकालीन बौद्ध धर्म के संबंध में दिए गए कथनों में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध भिक्षुओं को शिक्षित किया जाता था, जिनमें उन्हें महायान संप्रदाय का बौद्ध दर्शन पढ़ाया जाता था।
15. सम्राट हर्षवर्द्धन ने बौद्ध धार्मिक सम्मेलनों का आयोजन किस स्थान पर करवाया? 
(a) प्रयाग और वातापी
(b) थानेसर और प्रयाग
(c) कन्नौज और प्रयाग
(d) प्रयाग और वाराणसी
उत्तर - (c)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन ने क्रमश: कन्नौज और प्रयाग में बौद्ध धार्मिक सम्मेलना का आयोजन करवाया था। हर्ष की धार्मिक नीति सहनशीलता की थी। वह आरंभिक जीवन में शैव था, परंतु धीरे-धीरे बौद्ध धर्म का महान संपोषक हो गया।
16. निम्नलिखित में से कौन एक हर्षवर्द्धन की रचना नहीं मानी जाती है? 
(a) नागानंद
(b) प्रियदर्शिका 
(c) रत्नावली
(d) राजतरंगिणी 
उत्तर - (d)
व्याख्या- हर्षवर्द्धन की रचनाओं में राजतरंगिणी शामिल नहीं है। अन्य तीन रचनाएँ प्रियदर्शिका, रत्नावली और नागानंद नाटक के रूप में प्रसिद्ध हैं, जो हर्षवर्द्धन द्वारा लिखी गई हैं। इन रचनाओं के लेखकों को लेकर मतभेद रहा है। कहा जाता है कि धावक नामक कवि ने हर्षवर्द्धन से पुरस्कार लेकर उसके नाम से ये तीनों नाटक लिखे।
मध्यकाल के कई लेखकों ने भी इस बात का खंडन किया कि ये तीनों नाटक हर्षवर्द्धन ने लिखे। राजतरंगिनी की रचना हर्षवर्द्धन ने नहीं, बल्कि कल्हण ने की थी। इसमें कश्मीर के इतिहास की जानकारी मिलती है।
17. कलिंग राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. प्रसिद्ध राजा खारवेल कभी यहाँ का शासक था।
2. कलिंग महानदी के दक्षिण में उड़ीसा के समुद्र तट पर स्थित था।
3. कलिंग का रोम के साथ व्यापारिक संबंध था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- कलिंग राज्य के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। खारवेल कलिंग राज्य का प्रसिद्ध शासक था, जिसने अपने साम्राज्य को मगध की सीमा तक विस्तारित करने का प्रयास किया।
महानदी के दक्षिण में उड़ीसा का समुद्रतटवर्ती प्रदेश जिसे कलिंग के नाम से जाना जाता है, अशोक के काल में अपने उत्कर्ष तक पहुँचा, लेकिन यहाँ एक सुदृढ़ राज्य की स्थापना ईसा पूर्व पहली सदी में हुई।
ईसा की पहली और दूसरी सदी में उड़ीसा के बंदरगाहों पर मोती, हाथी दाँत और मलमल का व्यापार होता था। खारवेल की राजधानी कलिंग नगरी के स्थल पर शिशुपालगढ़ में जो खुदाई हुई है, उसमें रोम की कुछ वस्तुएँ मिली हैं। उ पता चलता है कि कलिंग राज्य का रोम के साथ व्यापारिक संबंध था।
18. चौथी से छठी सदी तक उड़ीसा में स्थापित हुए राज्यों के संबंध में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) माठर सबसे महत्त्वपूर्ण राज्य था।
(b) माठर को मातृसत्तात्मक वंश भी कहा जाता है।
(c) इसका राज्य महानदी और कृष्णा के बीच फैला हुआ था ।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- चौथी से छठी सदी तक उड़ीसा में स्थापित हुए राज्यों के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है। चौथी सदी के मध्य से छठी सदी तक उड़ीसा में अनेक राज्य स्थापित हुए, जिनमें पाँच की पहचान स्पष्ट रूप से की जा सकती है। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण माठर वंश का राज्य था। इसे पितृभक्त वंश भी कहते हैं। जब उनकी सत्ता अपने शिखर पर थी तब महानदी और कृष्णा के बीच उनका राज्य विस्तार था।
19. उड़ीसा में स्थापित महत्त्वपूर्ण राजवंशों में निम्नलिखित में से कौन शामिल नहीं था ? 
(a) वशिष्ठ वंश
(b) नल वंश
(c) मान वंश
(d) पाल वंश
उत्तर - (d)
व्याख्या- उड़ीसा में स्थापित महत्त्वपूर्ण राजवंशों में पाल वंश शामिल नहीं था। पाल वंश की स्थापना बंगाल में एक स्वतंत्र राज्य के रूप में गोपाल द्वारा की गई थी। वशिष्ठ वंश का शासन दक्षिण कलिंग में आंध्र प्रदेश की सीमाओं पर था। नल वंश का राज्य महाकांतार के वन्य प्रदेशों में था और मान वंश का राज्य महानदी के पार उत्तर के समुद्रतटवर्ती क्षेत्र में था।
20. किस स्थान से प्राप्त अभिलेख से ज्ञात होता है कि बंगाल के लोग ईसा पूर्व दूसरी सदी में प्राकृत और ब्राह्मी लिपि जानते थे?
(a) वर्धमान 
(b) नोआखाली
(c) सिलहट
(d) चिटगाँव
उत्तर - (b)
व्याख्या- दक्षिण-पूर्व बंगाल के समुद्रतटवर्ती नोआखाली जिले से प्राप्त एक अभिलेख से प्रकट होता है कि उस क्षेत्र के लोग ईसा पूर्व दूसरी सदी में प्राकृत और ब्राह्मी लिपि जानते थे। इसके अतिरिक्त दक्षिण-पूर्व बंगाल में खरोष्ठी लिपि भी प्रचलित थी। एक अन्य अभिलेख से ज्ञात होता है कि कई बौद्ध भिक्षुओं के भरण-पोषण के लिए अनाज और सिक्कों से भरे भंडार गृह थे।
21. पुंड्रवर्द्धन राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस राज्य की स्वर्ण मुद्राएँ दीनार कहलाती थीं।
2. इसका क्षेत्र उत्तरी बंगाल में पड़ता था।
3. यहाँ धार्मिक प्रयोजनार्थ कर मुक्त भूमि दान में दी गई थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) केवल 1
उत्तर - (b)
व्याख्या- पुंड्रवर्द्धन राज्य के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। 432-33 ई. से लेकर लगभग सौ वर्षों तक पुंड्रवर्द्धन भुक्ति में, जो लगभग संपूर्ण उत्तरी बंगाल में स्थित था और अब जिसमें अधिकतर बांग्लादेश शामिल है, बड़ी संख्या में ताम्रपत्र मिले हैं जिन पर भूमि के विक्रय और अनुदान अभिलिखित हैं। अधिकतर अनुदान पत्रों से ज्ञात होता है, क्योंकि भूमि का मूल्य दीनार नामक स्वर्ण मुद्राओं में चुकाया जाता था, परंतु जब कभी भूमि का अनुदान धार्मिक प्रयोजनों के लिए किया जाता था, तब अनुदान पाने वालों को कर नहीं देना पड़ता था।
22. पाँचवीं सदी में बंगाल में स्थापित राज्य के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) बंगाल का ब्रह्मपुत्र द्वारा गठित त्रिभुजाकार भाग समतट कहलाता था।
(b) इसे चौथी सदी में चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा जीता गया था।
(c) यहाँ पर ब्राह्मण धर्म का प्रभाव नहीं था।
(d) यहाँ से संस्कृत भाषा के प्रयोग का प्रमाण नहीं मिलता।
उत्तर - (b)
व्याख्या- पाँचवीं सदी में बंगाल में स्थापित राज्य के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि बंगाल में ब्रह्मपुत्र द्वारा गठित त्रिभुजाकार भाग समतट कहलाता था। इसे चौथी सदी में चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के द्वारा नहीं, बल्कि समुद्रगुप्त द्वारा जीता गया था।
23. सातवीं सदी के खड्ग वंश के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस वंश का राज्य ढाका क्षेत्र में स्थापित था।
2. राट वंश इसका समकालीन वंश था।
3. लोकनाथ नामक ब्राह्मण सामंत का राज, इसके समकालीन था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- खड्ग वंश के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। सातवीं सदी में बंगाल के अंतर्गत ढाका क्षेत्र में खड्ग वंश का राज्य था। इसके अतिरिक्त अन्य दो राज्य भी स्थापित थे, जो खड्ग वंश के समकालीन थे, जिसमें लोक नामक ब्राह्मण सामंत का राज्य और राट वंश का राज्य।
दोनों राज्य कुमिल्ला क्षेत्र में पड़ते थे। दक्षिण-पूर्व और मध्य बंगाल के इन सभी राजाओं ने छठी और सातवीं सदियों में भूमि के अनुदान पत्र जारी किए थे। इन अनुदान पत्रों से यह ज्ञात होता है कि उन क्षेत्रों में सातवीं सदी के उत्तरार्द्ध में संस्कृत की शिक्षा प्रचलित थी।
24. 'अग्रहारिक' नामक अधिकारी निम्नलिखित में से किसकी देखभाल करता था? 
(a) कर संग्रहण 
(b) धार्मिक न्यास
(c) भांडागारिक 
(d) वन 
उत्तर - (b) 
व्याख्या- 'अग्रहारिक' नामक अधिकारी 'धार्मिक न्यास' की देखभाल करता था । पूर्वी भारत में गुप्तोत्तर काल में ऐसे न्यासों की स्थापना हुई जो 'अग्रहार' कहलाते थे। न्यास में कुछ भूमि होती थी, जिससे आय प्राप्त होती थी। इन अग्रहारों का उद्देश्य पठन-पाठन और धार्मिक अनुष्ठानों लगे ब्राह्मणों का भरण-पोषण करना था। यहाँ कुछ अग्रहारों से कर वसूला जाता था, जबकि देश में अन्यत्र ऐसे अग्रहार कर मुक्त होते थे।
25. असम के कामरूप के राजाओं ने कौन-सी उपाधि धारण की थी ? 
(a) महाराज
(b) अग्रहारी 
(c) वर्मन
(d) महाराजाधिराज
उत्तर - (c)
व्याख्या- कामरूप के राजाओं ने वर्मन उपाधि धारण की थी। यह उपाधि केवल उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत में ही नहीं फैली, अपितु बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में भी पाई जाती है। यह उपाधि, जिसका अर्थ है- कवच या जिरहबख्तर और जो योद्धा होने का प्रतीक है, मनु ने के लिए निर्धारित की है।
26. कामरूप के शासक भास्करवर्मन के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसका नियंत्रण ब्रह्मपुत्र मैदान के आगे तक पहुँच गया था।
2. चीनी यात्री ह्वेनसांग उसके राज्य में घूमने आया था।
3. वहाँ ब्राह्मण धर्म का बोलबाला था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- भास्करवर्मन के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। सातवीं सदी में भास्करवर्मन कामरूप का शासक बना, जिसका नियंत्रण ब्रह्मपुत्र मैदान के बड़े भाग पर और उसके आगे के कुछ क्षेत्रों पर भी था। कामरूप में बौद्ध धर्म सुदृढ़ स्थिति में था और चीनी यात्री ह्वेनसांग अपने भारत भ्रमण के दौरान कामरूप राज्य में भी भ्रमण हेतु आया था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि कामरूप के राजाओं ने ब्राह्मणों को भूमिदान देकर अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया था। अतः कामरूप में ब्राह्मण धर्म का बोलबाला नहीं था।

उत्तर भारत के राजवंश (हर्ष के बाद ) 

1. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) पाल साम्राज्य की स्थापना 750 ई. में गोपाल ने की थी।
(b) गोपाल का चुनाव जनता द्वारा किया गया था।
(c) गोपाल को राष्ट्रकूट राजा ध्रुव ने पराजित किया था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि राष्ट्रकूट राजा ध्रुव ने गोपाल को नहीं, बल्कि धर्मपाल को पराजित किया था। पाल वंश के शासन की स्थापना गोपाल ने 750 ई. में की। माना जाता है कि क्षेत्रीय अराजकता को देखते हुए लोगों ने गोपाल को राजा चुना। पालवंशी शासक गोपाल ने ओदंतपुरी विश्वविद्यालय की स्थापना की।
2. पाल शासक धर्मपाल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. धर्मपाल ने 770 ई. से 810 ई. तक शासन किया।
2. उसने कन्नौज पर अधिकार कर लिया था।
3. राष्ट्रकूट शासक नागभट्ट ने धर्मपाल से कन्नौज छीन लिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- धर्मपाल के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। पाल वंश के संस्थापक गोपाल की मृत्यु के पश्चात् धर्मपाल शासक बना, जोकि उसका पुत्र था। धर्मपाल का शासनकाल 770 ई. से 810 ई. तक था।
राष्ट्रकूट राजा ध्रुव के दक्कन लौटने के पश्चात् अवसर का लाभ उठाकर धर्मपाल ने कन्नौज पर अधिकार कर लिया और वहाँ एक भव्य दरबार का आयोजन किया, जिसमें पंजाब, राजस्थान आदि के अधीन शासकों ने भाग लिया था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि राष्ट्रकूट शासक नागभट्ट द्वितीय ने धर्मपाल से कन्नौज को छीन लिया था।
3. पाल वंश के किस शासक ने प्रागज्य / तिषपुर (असम), उड़ीसा तथा नेपाल के एक हिस्से को जीत लिया था?
(a) धर्मपाल
(b) देवपाल
(c) गोपाल
(d) महीपाल
उत्तर - (b)
व्याख्या- पाल वंश के शासक दे वपाल ने प्रागज्योतिषपुर (असम), उड़ीसा तथा संभवत: नेपाल के एक हिस्से को जीत लिया था। देवपाल, धर्मपाल का पुत्र था, जिसने लगभग 40 वर्षों तक ( 810-850 ई.) शासन किया था।
4. पाल शासकों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) संतरक्षित तथा दीपांकर (अतिश) को तिब्बत भेजा गया था। 
(b) शैलेंद्र शासक ने अपने दूत पाल भेजे थे।
(c) शैलेंद्र ब्राह्मण धर्म के पोषक थे।
(d) शैलेंद्र ने नालंदा में विहार बनाने की अनुमति माँगी थी।
उत्तर - (c)
व्याख्या- पाल शासकों के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि दक्षिण-पूर्व एशियाई देश के शैलेंद्र शासक ब्राह्मण धर्म के नहीं वरन् बौद्ध धर्म के पोषक दक्षिण-पूर्व एशिया में शैलेंद्रों का साम्राज्य मलाया, जावा, सुमात्रा और आस-पास के द्वीपों तक फैला था। पाल शासकों और शैलेंद्र साम्राज्य के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों में काफी घनिष्ठता थी। प्रश्न में दिए गए अन्य कथन इनकी घनिष्ठता के परिचायक हैं।
5. प्रतिहार वंश के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इन्हें गुर्जर प्रतिहार भी कहा जाता है।
(b) उनका उद्भव गुर्जराष्ट्र या राजस्थान में हुआ था।
(c) वे आरंभ में स्थानीय ओहदेदार थे।
(d) उन्होंने आरंभ में ही कन्नौज को जीत लिया था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्रतिहार वंश के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि प्रतिहार वंश के आरंभिक शासकों ने कन्नौज (ऊपरी गंगा घाटी) और मालवा पर अधिकार करने का प्रयत्न किया, लेकिन उनके इन प्रयत्नों को राष्ट्रकूट राजा ध्रुव ने 790 ई. में तथा उसके पश्चात् गोविंद तृतीय 806-07 ई. में नाकाम कर दिया।
6. प्रतिहार राजवंश का वास्तविक संस्थापक किसे माना जाता है?
(a) भोज परमार 
(b) महेंद्रपाल
(c) ध्रुव
(d) मिहिरभोज (भोज)
उत्तर - (d)
व्याख्या- प्रतिहार वंश का वास्तविक संस्थापक इस वंश के महानतम् शासक राजा भोज को माना जाता है, जिसे मिहिरभोज के रूप में भी संबोधित वि जाता है। उसने प्रतिहार साम्राज्य का पुनर्निर्माण करते हुए 836 ई. में कन्नौज पर पुनः अधिकार कर अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया था।

राष्ट्रकूट

1. राष्ट्रकूट वंश के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इसकी स्थापना दंतिदुर्ग ने की थी ।
(b) मान्यखेत राष्ट्रकूट की राजधानी थी ।
(c) मान्यखेत मध्य प्रदेश में अवस्थित था।
(d) राष्ट्रकूट शासकों ने वेंगी के चालुक्यों से युद्ध किया था।
उत्तर - (c)
व्याख्या राष्ट्रकूट वंश के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि राष्ट्रकूट राजाओं की राजधानी मान्यखेत या मालखेड़ मध्य प्रदेश में नहीं वरन् महाराष्ट्र के आधुनिक शोलापुर के निकट स्थित थी। राष्ट्रकूट राजाओं ने मान्यखेत में अपनी राजधानी स्थापित कर उत्तर महाराष्ट्र के संपूर्ण प्रदेश पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था।
2. निम्नलिखित में से कौन-सा एक राष्ट्रकूट वंश का महान शासक नहीं था ? 
(a) अमोघवर्ष 
(b) गोविंद तृतीय
(c) इंद्र तृतीय
(d) महेंद्रपाल प्रथम
उत्तर - (d)
व्याख्या- महेंद्रपाल प्रथम राष्ट्रकूट वंश का शासक नहीं था, बल्कि गुर्जर प्रतिहार वंश का एक प्रमुख शासक था। वह राजा भोज का पुत्र और उसका उत्तराधिकारी था। अन्य सभी शासक राष्ट्रकूट वंश से संबंधित हैं
गोविंद तृतीय का शासनकाल  793-814 ई. तक था।
अमोघवर्ष का शासनकाल 814-878 ई. तक था ।
इंद्र तृतीय का शासनकाल 915-927 ई. तक था।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. गोविंद तृतीय ने केरल, पांड्य और चोल राजाओं को भयभीत किया था।
2. गोविंद तृतीय ने मान्यखेत में विजय स्तंभों की स्थापना की।
3. अमोघवर्ष ने 68 वर्षों तक शासन किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
गोविंद तृतीय राष्ट्रकूट वंश के महान शासकों में से एक था। एक अभिलेख से यह ज्ञात होता है कि गोविंद तृतीय ने अपने दक्षिण अभियान के दौरान केरल, पांड्य और चोल राजाओं को अपनी शक्ति से भयभीत कर दिया था। गोविंद तृतीय ने श्रीलंका विजय के उपरांत मान्यखेत में विजय स्तंभों की स्थापना की।
अमोघवर्ष अपने पूर्व के शासक, गोविंद तृतीय की भाँति महान था। उसने 68 वर्षों तक शासन किया था, लेकिन वह धर्म व साहित्य में अधिक अभिरुचि रखता था। वह स्वयं एक लेखक था और उसने राजनीति के ऊपर कन्नड़ भाषा में एक रचना की थी।
4. राष्ट्रकूट वंश के अंतिम प्रतापी राजा कृष्ण तृतीय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसका कार्यकाल 934 ई. से 996 ई. तक था ।
2. उसने तंजौर के चोल शासक के विरुद्ध सैनिक अभियान किया।
3. उसने रामेश्वरम् में विजय स्तंभ स्थापित किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य हैं ?
(a) 1 और 2 
(b) 1, 2 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- कृष्ण तृतीय के संबंध में सभी कथन सत्य हैं।
कृष्ण तृतीय राष्ट्रकूट वंश का अंतिम प्रतापी शासक था, जिसका शासनकाल 934-96 ई. तक था। कृष्ण तृतीय ने चोल शासक परांतक को परास्त कर चोल साम्राज्य के उत्तरी भाग पर आधिपत्य स्थापित कर लिया था। चोल शासक तंजौर पर शासन करते थे। इससे पूर्व उसने मालवा के परमारों और वेंगी के पूर्वी चालुक्यों से भी युद्ध किया था।
कृष्ण तृतीय ने चोलों को परास्त कर दक्षिण में रामेश्वरम् की ओर अभियान किया और वहाँ तक के प्रदेशों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर अपने स्मृति चिह्न के रूप में एक विजय स्तंभ स्थापित किया और साथ ही एक मंदिर का भी निर्माण कराया।
5. राष्ट्रकूट राजा कृष्ण प्रथम का उत्तराधिकारी अमोघवर्ष कौन-से धर्म का पालन करता था ? 
(a) बौद्ध धर्म
(b) जैन धर्म
(c) सनातन धर्म
(d) इस्लाम धर्म
उत्तर - (b)
व्याख्या- राष्ट्रकूट राजा कृष्ण प्रथम का उत्तराधिकारी अमोघवर्ष जैन धर्म का पालन करता था। राष्ट्रकूट शासक धार्मिक रूप से सहिष्णु और उदार थे। उन्होंने न केवल शैव और वैष्णव धर्म को प्रश्रय दिया, बल्कि जैन धर्म को भी बढ़ावा दिया। राष्ट्रकूट शासकों ने मुसलमान व्यापारियों को भी अपने राज्य में बसने की अनुमति दी और इस्लाम धर्म के प्रचार पर भी कोई पाबंदी नहीं लगाई ।

आर्थिक तथा सामाजिक जीवन, शिक्षा और धार्मिक विश्वास

1. 800 ई.-1200 ई. के बीच निम्नलिखित में गुजरात के किन नगरों का विकास व्यापारिक केंद्र के रूप में हुआ था?
(a) अन्हिलवाड़
(b) चांपानेर
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) जाजनगर
उत्तर - (c)
व्याख्या- 800 ई. - 1200 ई. के बीच गुजरात के अन्हिलवाड़ तथा चांपानेर नगरों का विकास व्यापारिक केंद्र के रूप में हुआ था। यह काल भारत के लिए व्यापार की दृष्टि से अधिक महत्त्वपूर्ण था, क्योंकि इस काल में भारत के दक्षिण-पूर्व एशिया और चीन के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित हुए थे। बंगाल, दक्षिण भारत, मालवा और गुजरात आदि क्षेत्र व्यापारिक संबंधों में अग्रणी थे।
2. पूर्व मध्यकाल ( 800-1200 ई.) के बीच व्यापार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इस काल के चिंतन में भी वाणिज्य - व्यापार के ह्रास की झाँकी मिलती है ।
2. इस काल में भारत के बाहर यात्रा करने पर निषेध लगा दिया गया।
3. खारे जल वाले समुद्र की यात्रा करने से व्यक्ति अशुद्ध हो जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- पूर्व मध्यकाल के बीच व्यापार के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। पूर्व मध्यकाल (800-1200 ई.) के दौरान कृषि का विकास और ब्राह्मणों की स्थिति में सुधार होने लगा। वाणिज्य व्यापार का ह्रास हुआ, जिसे इस काल के प्रमुख चिंतकों ने एक भय की स्थिति के रूप में देखा। इस काल में कई भारतीय व्यापारी, दार्शनिक, चिकित्सक और शिल्पी बगदाद तथा पश्चिमी एशिया के मुस्लिम शहरों में पहुँचे।
लेकिन उपर्युक्त कथनों (कथन 2 और 3) के माध्यम से यह पता चलता है कि यह निषेध केवल ब्राह्मणों पर पाबंदियों की ओर इशारा करता है, क्योंकि धर्मशास्त्रकारों या चिंतकों को यह भय था कि कहीं भारतीयों का मुस्लिम बहुल और बौद्ध बहुल क्षेत्रों में जाने से विचारों में असनातन धार्मिक प्रवृत्तियों का विकास न हो जाए, जो अवांछनीय सिद्ध हो ।
3. विख्यात मणिग्रामन और नानदेशी का संबंध निम्नलिखित में से किससे है ?
(a) वास्तुकला श्रेणी 
(b) व्यापारिक श्रेणी
(c) कर
(d) सैन्य अधिकारी
उत्तर - (b)
व्याख्या- मणिग्रामन और नानदेशी भारतीय व्यापारियों की श्रेणियाँ (गिल्ड) थीं, जो प्रारंभिक काल से ही सक्रिय थीं। समुद्री यात्रा पर लगे निषेध के फलस्वरूप छठी सदी से दक्षिण भारत तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के बीच व्यापार में अभूतपूर्व बढ़ोतरी होने लगी।
इसकी जानकारी हमें उस काल के साहित्य तथा हरिषेण के वृहत्कथा-कोष से मिलती है। इस काल में बहुत से व्यापारी समूह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में ही बस गए। व्यापारियों की भाँति पुरोहितों ने भी दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की ओर रुख किया, जिसके फलस्वरूप हिंदू और बौद्ध धार्मिक विचारों का समावेश संभव हुआ। 
4. पूर्व मध्यकाल में प्रचलित 'कैंटन' शब्द का संबंध निम्नलिखित में से किससे है ?
(a) भारतीय समुद्री बंदरगाह 
(b) चीनी समुद्री बंदरगाह
(c) व्यापारिक समूह
(d) चीन का स्थापत्य
उत्तर - (b)
व्याख्या- पूर्व मध्यकाल में प्रचलित 'कैंटन' शब्द का संबंध चीनी समुद्री बंदरगाह से था। वर्तमान में यह ग्वांग्झो के नाम से प्रचलित चीन का एक शहर है। अरब यात्रियों ने कैंटन के लिए 'कानफू' शब्द का प्रयोग किया है। बौद्ध विद्वान भारत से चीन समुद्री मार्गों से जाते थे और उनका अंतिम स्थल कैंटन ही था। चीन इस काल के दौरान हिंद महासागर के मार्ग द्वारा होने वाले व्यापार का एक प्रमुख आकर्षण स्थल था।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सामंत तथा राणक राउत को राजस्वदायी गाँव दान में दिया जाता था |
2. राजा द्वारा अपने अधिकारियों और समर्थकों को दिए गए राजस्व दान स्थायी थे।
3. राजस्व दान को 'भोग' कहा जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं। पूर्व मध्यकाल सामाजिक परिवर्तनों की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण था। इस काल में सामंत तथा राणक राउत (जिन्हें राजपूत के रूप में जाना जाता है) आदि की शक्तियों में वृद्धि हुई और उन्हें सरकारी कार्यों के बदले नकद न देकर अधिक राजस्व प्राप्ति वाले गाँव दान में दिए जाते थे। राजा द्वारा अपने अधिकारियों और समर्थकों को दिए जाने वाले राजस्व दान को 'भोग' कहा जाता था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि राजा द्वारा अपने अधिकारियों और समर्थकों को दिया जाने वाला राजस्व दान अस्थायी होता था न कि स्थायी, जिसे राजा अपनी इच्छानुसार वापस ले सकता था। लेकिन यह स्थिति तब उत्पन्न होती थी, जब जागीरदार विद्रोह कर दे या राजा के विरुद्ध षड्यंत्र करने लगे।
6. फ्यूडल समाज के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इसने राजा की स्थिति कमजोर कर दी।
2. फ्यूडल सरदारों के प्रभुत्व से ग्रामीण स्वशासन कमजोर पड़ा।
3. फ्यूडल लोगों के पास अपना सैन्य बल नहीं था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य नहीं है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) केवल 2
(d) केवल 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- फ्यूडल समाज के संबंध में कथन (3) सत्य नहीं है, क्योंकि फ्यूडल समाज के सरदारों के पास सेनाएँ होती थीं, जिनका प्रयोग वह असामान्य स्थिति में राजा के विरुद्ध भी कर सकते थे।
कथन (1) और (2) सत्य हैं। फ्यूडल समाज पूर्व मध्यकाल में राजाओं के राजस्व दान ( भोग) की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न एक व्यवस्था थी, जो वंशानुगत व्यवस्था पर आधारित थी । इस व्यवस्था के द्वारा जागीरदार अपने अधीन एक उपजागीरदार नियुक्त कर जमीन पर कोई कार्य किए बिना ही जीविका प्राप्त करता था। भारत में ऐसे समाज के विकास के दूरगामी प्रभाव अधिक हानिप्रद सिद्ध हुए, जिसने राजा की स्थिति को कमजोर कर दिया और राजा फ्यूडल सरदारों पर अधिक आश्रित हो गए।
7. किस साम्राज्य के एक करोड़पति (कोटीश्वर) के बारे में मालूम होता है कि उसके घर पर झंकार करते घुँघरूओं से युक्त बड़े-बड़े ध्वज लहराते थे? 
(a) चालुक्य साम्राज्य
(b) चोल साम्राज्य 
(c) पल्लव साम्राज्य
(d) चेर साम्राज्य
उत्तर - (a)
व्याख्या- चालुक्य साम्राज्य के एक करोड़पति (कोटीश्वर ) बारे में यह मालूम होता है कि उसके घर पर झंकार करते हुए घुँघरूओं से युक्त बड़े-बड़े ध्वज लहराते थे। पूर्व मध्यकाल के दौरान बड़े व्यापारी भी राजा के तौर-तरीकों की नकल करते थे और कभी-कभी उनका रहन-सहन शाही किस्म का होता था। कोटीश्वर के पास बड़ी संख्या में हाथी-घोड़े होते थे, जो उन्हें राजा के समतुल्य दिखाते थे।
उनके घरों में मुख्य इमारत तक जाने के लिए स्फटिक से निर्मित सीढ़ियाँ होती थीं, जहाँ एक मंदिर भी निर्मित होता था। गुजरात में मंत्री के पदों पर नियुक्त वस्तुपाल और तेजपाल तत्कालीन समय के सबसे समृद्ध व्यापारी थे।
8. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अनेक राजपूत कुल अपने मूल को महाभारत में उल्लेखित सूर्यवंशी और चंद्रवंशी क्षत्रियों से जोड़ते हैं।
2. राजपूतों का उद्भव मुनि वशिष्ठ द्वारा माउंटआबू पर प्रज्वलित यज्ञाग्नि से हुआ।
3. राजपूत कुल प्रतिहार, परमार, चौहान और सोलंकी यज्ञाग्नि से पैदा हुए हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
पूर्व मध्यकाल में राजपूत जाति के उद्भव के संबंध में विद्वानों के बीच निम्न विवाद रहे हैं। अनेक राजपूत कुल (कलान) स्वयं को महाभारत में उल्लेखित सूर्यवंशी तथा चंद्रवंशी क्षत्रियों से जोड़ते हैं।
कुछ अन्य कुल का दावा है कि उनकी उत्पत्ति मुनि वशिष्ठ द्वारा माउंटआबू पर्वत पर प्रज्वलित यज्ञानिग्न कुंड से हुई है। प्रतिहार, परमार, चौहान और सोलंकी के बारे में विद्वानों का मत है कि उनकी उत्पत्ति अग्निकुंड से हुई है ।
9. पूर्व मध्यकाल में स्त्रियों की दशा के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. स्त्रियों को मानसिक दृष्टि से हीन माना जाता था।
2. स्त्रियों को वेद पढ़ने की मनाही थी।
3. मत्स्यपुराण पति को गलती करने वाली पत्नी को कोड़े व खपच्ची से पीटने का अधिकार देता है ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3 
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- पूर्व मध्यकाल में स्त्रियों की दशा के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। पूर्व मध्यकाल में स्त्रियों की दशा अपने पूर्व के कालों की भाँति ही दयनीय थी। इस काल में स्त्रियों को मानसिक दृष्टि से कमजोर माना जाता था और पति की सेवा एकमात्र कर्त्तव्य था।
इसके अतिरिक्त उन्हें वेद पढ़ने की मनाही थी और साथ ही विवाह की उम्र भी और कम निर्धारित कर दी गई, जिससे उनका उच्च शिक्षा का अधिकार भी समाप्त हो गया।
मत्स्यपुराण में पति को यह अधिकार प्राप्त था कि गलती करने वाली पत्नी को कोड़े या खपच्ची से पीट सकता है।
10. पूर्व मध्यकाल में धार्मिक आंदोलन और विश्वास के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. चतुर्दान का संबंध बौद्ध सिद्धांत से है।
2. बासव और चन्नबासव का संबंध लिंगायत से है।
3. शंकराचार्य ने मोक्ष का मार्ग ईश्वर की भक्ति बताया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 2 और 3
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- धार्मिक आंदोलन और विश्वास के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं।
बारहवीं सदी में दक्षिण भारत में लिंगायत धार्मिक आंदोलन का जन्म हुआ, जिसके प्रमुख बासव और उसका भतीजा चन्नबासव थे। यह कर्नाटक कल्चूरि राजा के दरबार से संबंधित थे। लिंगायत शिव के उपासक थे और उन्होंने जाति प्रथा का प्रबल विरोध किया।
शंकराचार्य के अनुसार ईश्वर की भक्ति ही, मोक्ष का मार्ग है, जिसका आधार इस ज्ञान पर आधारित है कि ईश्वर और उसकी सृष्टि एक ही है। इस दर्शन को 'वेदांत दर्शन' कहते हैं ।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि चतुर्दान (विद्या, आहार, औषधि और आश्रय के दान) का संबंध बौद्ध सिद्धांत से नहीं, बल्कि जैन सिद्धांत से है, जिसने जैन धर्म को लोकप्रिय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
11. निम्नलिखित मध्यकालीन संतों को कालानुसार व्यवस्थित कीजिए
(a) रामानुज - शकंराचार्य-वल्लभाचार्य-माध्वाचार्य
(b) रामानुज-माध्वाचार्य-शंकराचार्य-वल्लभाचार्य
(c) शंकराचार्य - रामानुज-माध्वाचार्य-वल्लभाचार्
(d) वल्लभाचार्य - माध्वाचार्य- शंकराचार्य-रामानुज
उत्तर - (c)
व्याख्या- प्रश्न में दिए गए मध्यकालीन संतों का सही कालक्रम निम्नानुसार है शंकराचार्य, आठवीं सदी के एक महान दार्शनिक व विचारक थे। इनके दर्शन को अद्वैत कहा जाता है। इनकी भगवद्गीता, उपनिषदों और वेदांत सूत्रों पर लिखी गई टीकाएँ अत्यंत प्रसिद्ध हुईं।
रामानुज, ग्यारहवीं सदी के एक प्रसिद्ध विद्वान हैं, जिन्होंने वेदों के साथ भक्ति परंपरा को सामंजस्य प्रदान करने की कोशिश की।
माध्वाचार्य, तेरहवीं सदी में भारत में भक्ति आंदोलन के महत्त्वपूर्ण दार्शनिकों में से एक थे। वे तत्त्ववाद के प्रवर्तक थे, जिसे द्वैतवाद के नाम से भी जाना जाता है।
वल्लभाचार्य, पंद्रहवीं सदी के भक्तिकालीन सगुण धारा की कृष्णभक्ति शाखा के आधार स्तंभ पुष्टिमार्ग के प्रणेता थे।
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