NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | ब्रिटिश काल की प्रशासनिक एवं आर्थिक नीतियाँ

ब्रिटिश काल की प्रशासनिक एवं आर्थिक नीतियाँ

NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | ब्रिटिश काल की प्रशासनिक एवं आर्थिक नीतियाँ

NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | ब्रिटिश काल की प्रशासनिक एवं आर्थिक नीतियाँ

भारत में अंग्रेजों की आर्थिक नीतियाँ

1. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. युद्धों और उपनिवेशवाद के द्वारा ब्रिटेन ने अनेक विदेशी व्यापारों पर अधिकार कर लिया।
2. निर्यात बाजारों के कारण ब्रिटेन के निर्यातक उद्योगों का उत्पादन तेजी से घट गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) सत्य है। ब्रिटेन में हुई औद्योगिक क्रांति ने उसकी अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव डाला। 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 19वीं सदी के पूर्व के दशकों में ब्रिटेन में कुछ महत्त्वपूर्ण सामाजिक आर्थिक, रूपांतरण हुए, जिसके फलस्वरूप ब्रिटेन ने युद्ध और उपनिवेशवाद के द्वारा विदेशी बाजारों पर एकाधिकार स्थापित कर लिया था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि निर्यात बाजारों में उत्तरोत्तर वृद्धि के कारण ब्रिटेन के निर्यातक उद्योगों का उत्पादन तेजी से बढ़ा न कि घट गया, क्योंकि इसमें उत्पादन तथा संगठन की आधुनिकतम तकनीकों का प्रयोग किया गया था।
2. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. भारत सरकार ने 1813 ई. के बाद मुक्त व्यापार अर्थात् ब्रिटिश माल के अबाध भारत प्रवेश की नीति अपनाई ।
2. भारतीय दस्तकारों को अब ब्रिटेन की मशीनों से बने माल के साथ कष्टदायक और असमान प्रतियोगिता का सामना करना पड़ा।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। 1813 ई. के पश्चात् भारत सरकार द्वारा मुक्त व्यापार की नीति का अनुसरण करने से ब्रिटिश माल का भारत में प्रवेश अबाध गति से होने लगा, जिसके फलस्वरूप भारत में ब्रिटिश माल बिना किसी शुल्क या फिर मामूली आयात शुल्क के साथ आने लगा।
भारतीय दस्तकारों के द्वारा बनाए गए सामान ब्रिटिश मशीनों और आधुनिक तकनीकों का सामना करने में असक्षम दिखे, जिससे भारतीय दस्तकारों की स्थिति दयनीय होती गई।
3. किस संधि के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल की दीवानी प्राप्त हुई थी?
(a) 12 जनवरी 1665 
(b) 12 अगस्त, 1766
(c) 12 नवंबर, 1767
(d) 12 सितंबर, 1764
उत्तर - (b)
व्याख्या- बक्सर के युद्ध (1764 ई.) के पश्चात् 12 अगस्त, 1766 को इलाहाबाद की संधि के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल की दीवानी प्राप्त हुई थी। यह संधि रॉबर्ट क्लाइव तथा मुगल सम्राट शाहआलम द्वितीय के मध्य हुई थी। इस संधि के परिणामस्वरूप बंगाल में प्रशासकीय परिवर्तनों की शुरुआत हुई, जिससे ब्रिटिश प्रशासनिक व्यवस्था की आधारशिला रखी गई ।

यातायात और संचार के साधनों का विकास

1. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. भारत में रेल लाइन बिछाने का पहला सुझाव वर्ष 1834 ई. में कलकत्ता में आया था।
2. भारत में भाप से चलने वाली रेलों का प्रथम प्रस्ताव 1835 ई. में मद्रास में रखा गया था।
3. बंबई और थाणे के मध्य पहली रेल लाइन यातायात के लिए 1853 ई. में खोल दी गई थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) असत्य हैं। भारत में रेल लाइन बिछाने का प्रथम सुझाव 1834 ई. में नहीं, बल्कि 1831 ई. में मद्रास में आया था, लेकिन इस रेल के डिब्बों को घोड़े खींचने वाले थे।
भारत में भाप से चलने वाली रेलों का प्रथम प्रस्ताव 1835 ई. में नहीं, बल्कि 1834 में इंग्लैंड में रखा गया था। इस प्रस्ताव को इंग्लैंड के रेलवे प्रोमोटरों, वित्तपतियों ( उद्योगपतियों) भारत से व्यापार कर रहे व्यापारिक उद्यम समूहों तथा वस्त्र उत्पादकों से अभूतपूर्व राजनीतिक समर्थन मिला।
2. भारत में प्रथम रेल लाइन का निर्माण किस ब्रिटिश गवर्नर जनरल के समय हुआ था ? 
(a) लॉर्ड डलहौजी 
(b) लॉर्ड कर्जन
(c) लॉर्ड वेलेजली
(d) लॉर्ड लिटन
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारत में प्रथम रेललाइन का निर्माण लॉर्ड डलहौजी के समय में हुआ। 1848-1856 ई. के मध्य भारत में प्रथम रेल बंबई से ठाणे (1853) के मध्य चलाई गई थी।
लॉर्ड डलहौजी ने वर्ष 1853 में रेल के विकास से संबंधित एक कार्यक्रम बनाया था, जिसमें चार प्रमुख ट्रंक लाइनों का प्रस्ताव रखा गया, जो देश के अंदरूनी भागों को बड़े बंदरगाहों से तथा देश के विभिन्न भागों को आपस में जोड़ सकें।
3. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. वास्तव में, 1813 ई. में प्रशासन और न्याय व्यवस्था में जितने भी महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए, उनका लक्ष्य मालगुजारी का संग्रह बढ़ाना था।
2. कंपनी के व्यापार और मुनाफों के लिए तथा प्रशासनिक खर्च के लिए धन जुटाने का भार मुख्यतः जमींदारों पर था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं? 
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) असत्य है, क्योंकि कंपनी के व्यापार और मुनाफों के लिए तथा प्रशासनिक खर्च के लिए धन की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी जमींदारों पर नहीं, बल्कि किसानों अर्थात रैयतों पर थी।
कथन (1) सत्य है। 1813 ई. के एक्ट के द्वारा प्रशासन व्यय के संबंध में जितने भी महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए, उनका उद्देश्य मालगुजारी का संग्रह बढ़ाना था।

स्थायी बंदोबस्त

1. स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था कब लागू की गई?
(a) 1787 ई. में
(b) 1789 ई. में 
(c) 1793 ई. में
(d) 1790 ई. में 
उत्तर - (c)
व्याख्या- स्थायी बंदोबस्त (इस्तमरारी बंदोबस्त) व्यवस्था का प्रारंभ 1793 ई. में लॉर्ड कार्नवालिस द्वारा बंगाल और बिहार में किया गया था। इस व्यवस्था के अंतर्गत जमींदारों और मालगुजारों को भूस्वामी बना दिया गया।
दूसरी ओर, काश्तकारों का दर्जा निम्न हो गया और अब वे बँटाईदार बनकर रह गए तथा वे जमीन पर अपने लंबे समय से चले आ रहे पारंपरिक अधिकारों से वंचित कर दिए गए।
2. स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस बंदोबस्त की शर्तों के अनुसार राजाओं और तालुकेदारों को जमींदार के रूप में मान्यता दी गई।
2. जमींदारों को किसानों से लगान वसूलने और कंपनी को राजस्व चुकाने का अधिकार सौंपा गया।
3. किसानों की ओर से चुकाई जाने वाली राशि को प्रतिवर्ष निर्धारित किया जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था के संदर्भ में कथन (1) और (2) सत्य हैं। स्थायी बंदोबस्त की शर्तों के अनुसार राजाओं और तालुकेदारों को जमींदारों के रूप में मान्यता प्रदान की गई और उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई कि वे किसानों से लगान वसूल करें और साथ ही कंपनी को राजस्व भी चुकाएँ ।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि किसानों की ओर से चुकाई जाने वाली राशि को स्थायी रूप से निश्चित कर दिया गया यह प्रत्येक वर्ष नहीं बदलती थी। इस राशि को स्थायी करने का अर्थ यह था कि किसानों से अंग्रेजों को नियमित रूप से राजस्व मिलता रहेगा और जमींदारों को जमीन में सुधार के लिए खर्च करने का प्रोत्साहन मिलेगा।
3. 'स्थायी बंदोबस्त' किसके साथ किया गया?
(a) जमींदारों के साथ
(b) ग्रामीण समुदायों के साथ
(c) मुकदमों के साथ
(d) किसानों के साथ
उत्तर - (a)
व्याख्या- स्थायी बंदोबस्त जमींदारों के साथ किया गया था। भू-राजस्व के संग्रह के लिए यह स्था अंग्रेजों द्वारा प्रारंभ की गई थी। ब्रिटिशकालीन जमींदारों की स्थिति मुगलकालीन जमींदारों से बेहतर थी। बंदोबस्त के अंतर्गत जमींदारों को स्वामित्व प्रदान कर भू-राजस्व की पूरी जिम्मेदारी प्रदान की गई।
4. स्थायी बंदोबस्त के कारण कौन-सी समस्या उत्पन्न हुई?
(a) कंपनी ने जो राजस्व तय किया वह इतना अधिक था कि उसको चुकाने में जमींदारों को बहुत परेशानी हो रही थी।
(b) जो जमींदार राजस्व चुकाने में असमर्थ हो जाता था उसकी जमींदारी छीन ली जाती थी।
(c) इस व्यवस्था से जमींदारों की स्थिति में तो सुधार आया, किंतु कंपनी को कोई लाभ नहीं हुआ।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- स्थायी बंदोबस्त के कारण निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न हुई 
स्थायी बंदोबस्त के राजस्व को स्थायी रूप से तय करने के पश्चात् कंपनी के अफसरों को यह प्रतीत हो रहा था कि जमींदार जमीन में सुधार हेतु खर्च नहीं कर रहे हैं, जिसका मुख्य कारण ब्रिटिशों द्वारा तय की गई राजस्व की उच्च दर थी, जिसे चुकाने में जमींदारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
इस दौरान बहुत सारी जमींदारी को कंपनी ने नीलाम कर दिया था, जिसका कारण जमींदारों का राजस्व चुकाने में विफल होना था। इस विफलता के कारण जमींदारों से उनकी जमींदारी छीन ली जाती थी।
19वीं सदी के पहले दशक में जमींदारों की स्थिति में सुधार हुआ, लेकिन कंपनी को लाभ नहीं हो रहा था, जिसका मुख्य कारण राजस्व की दर को स्थायी रूप से तय करना था, , क्योंकि अब वह शर्त के अनुसार राजस्व में वृद्धि करने में असक्षम थी।
5. स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस व्यवस्था में लगान का 10/11 भाग जमींदार स्वयं अपने पास रख लेते थे तथा 1/11 भाग कंपनी को देते थे।
2. यह व्यवस्था बनारस (उत्तर प्रदेश), उड़ीसा (ओडिशा) तथा उत्तरी कर्नाटक में लागू की गई थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a) 
व्याख्या- स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था के संबंध में कथन (1) असत्य है।
स्थायी बंदोबस्त के अनुसार जमींदारों को किसानों से जो भी लगान मिलता उसका 10/11 भाग उन्हें राज्य को देना पड़ता था और वह स्वयं के पास केवल 1/11 भाग ही रख सकते थे।
कथन (2) सत्य है, क्योंकि स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था बंगाल और बिहार के अतिरिक्त उड़ीसा, बनारस और उत्तरी कर्नाटक में लागू की गई थी।

रैयतवाड़ी व्यवस्था

1. निम्नलिखित में से कौन ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में रैयतवाड़ी बंदोबस्त को प्रारंभ किए जाने से संबद्ध था / थे?
1. लॉर्ड कार्नवालिस
2. अलेक्जेंडर रीड
3. टॉमस मुनरो
कूट
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- रैयतवाड़ी बंदोबस्त को प्रारंभ करने में अलेक्जेंडर रीड तथा टॉमस मुनरो का योगदान रहा है। यह बंदोबस्त 1792 ई. में आरंभ किया गया। यह बंदोबस्त तमिलनाडु के बारामहल क्षेत्र में लागू किया गया। ब्रिटिश भारत के 51% क्षेत्र में यह व्यवस्था लागू की गई ।
2. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. ब्रिटिश नियंत्रण वाले दक्षिण भारतीय क्षेत्रों में स्थायी बंदोबस्त के स्थान पर एक नई व्यवस्था 'रैयतवाड़ी' का जन्म हुआ।
2. इस व्यवस्था में सीधे रैयतों (किसानों) से लगान की वसूली तय की गई ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं? 
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। दक्षिणी भारत में रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की गई। दक्षिण भारत में देश के अन्य क्षेत्रों की भाँति जमींदार नहीं थे। अत: उन्होंने यह तय किया कि उन किसानों (रैयत) से सीधे ही लगान की वसूली करनी चाहिए, जो कई वर्षों से जमीनों पर खेती करते आ रहे हैं।
3. रैयतवाड़ी व्यवस्था कहाँ लागू थी ?
(a) बंगाल प्रेसीडेंसी
(b) मद्रास प्रेसीडेंसी 
(c) बंबई प्रेसीडेंसी में
(d) मद्रास और बंबई प्रेसीडेंसी में
उत्तर - (d)
व्याख्या- 1802 ई. में मद्रास के तत्कालीन गवर्नर टॉमस मुनरो ने रैयतवाड़ी व्यवस्था का आरंभ किया। यह व्यवस्था मद्रास और बंबई के भागों में कुछ लागू की गई थी। इस व्यवस्था में भू-राजस्व का निर्धारण उपज के आधार पर नहीं, बल्कि भूमि के क्षेत्रफल के आधार पर किया गया।
4. रैयतवाड़ी बंदोबस्त के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. किसानों द्वारा लगान सीधे सरकार को दिया जाता था। 
2. सरकार रैयत को पट्टे देती थी।
3. कर लगाने के पूर्व भूमि का सर्वेक्षण और मूल्य निर्धारण किया जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- रैयतवाड़ी बंदोबस्त के संदर्भ में सभी कथन सत्य हैं। रैयतवाड़ी बंदोबस्त के संदर्भ में किसानों द्वारा लगान सीधे सरकार को प्रदान करने की प्रक्रिया को लागू किया गया। सरकार, रैयतों को पट्टे पर भूमि प्रदान करती थी तथा कर लगाने से पहले भूमि का सर्वेक्षण किया जाता था तथा लगान की राशि तय की जाती थी।

महालवाड़ी व्यवस्था

1. महालवाड़ी व्यवस्था के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए।
1. इस व्यवस्था का जन्मदाता हॉल्ट मैकेंजी को माना जाता था।
2. यह व्यवस्था बंगाल प्रेसीडेंसी के उत्तर-पश्चिम प्रांतों के लिए तैयार की गई थी।
3. इस व्यवस्था को 1820 ई. में लागू किया गया था।
4. इस व्यवस्था में राजस्व को स्थायी रूप से तय कर दिया जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 3 और 4
(d) 1 और 4
उत्तर - (c)
व्याख्या- महालवाड़ी व्यवस्था के संदर्भ में कथन (3) और (4) असत्य हैं। महालवाड़ी व्यवस्था को 1820 ई. में नहीं, बल्कि 1822 ई. में मध्य प्रांत, आगरा एवं पंजाब के क्षेत्रों में लागू किया गया था। इस व्यवस्था में राजस्व को स्थायी रूप से तय नहीं किया गया, बल्कि उसमें समय-समय पर संशोधनों की व्यवस्था रखी गई। इस व्यवस्था में राजस्व संग्रह और उसे कंपनी को अदा करने की जिम्मेदारी गाँव के प्रधानों के माध्यम से की जाने लगी।
2. महालवाड़ी व्यवस्था में राजस्व एकत्रित करने की जिम्मेदारी होती थी 
(a) जमींदार 
(b) किसान
(c) गाँव का मुखिया
(d) कंपनी
उत्तर - (c)
व्याख्या- महालवाड़ी बंदोबस्त में राजस्व एकत्रित करने की जिम्मेदारी महाल या गाँव के प्रधानों (मुखिया) की थी। इनके माध्यम से राजस्व एकत्रित कर उसे कंपनी को अदा किया जाने लगा। इस व्यवस्था के अंतर्गत गाँव के प्रमुख किसानों को भूमि से निष्कासित करने का अधिकार था। इस व्यवस्था के अंतर्गत लगान का निर्धारण महाल या संपूर्ण गाँव की उपज के आधार पर किया जाता था।
3. ब्रिटिश राजस्व दस्तावेजों में महाल क्या था?
(a) गाँव या गाँवों का समूह 
(b) ऐतिहासिक इमारत
(c) एक कर
(d) एक सैन्य सोपान
उत्तर - (a)
व्याख्या- ब्रिटिश राजस्व दस्तावेजों में 'महाल' से तात्पर्य गाँव या गाँवों के समूह से था। हॉल्ट मैकेंजी के महालवाड़ी बंदोबस्त का मुख्य आकर्षण 'महाल' से वसूल होने वाला राजस्व था। इस व्यवस्था को महालों में लागू करने से पूर्व मैकेंजी ने सभी गाँवों का दौरा कलेक्टरों के माध्यम से कराया और जमीनों की जाँच की तथा खेतों को मापा गया।

कृषि, व्यापार एवं वाणिज्य

1. निम्न में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) अठारहवीं सदी के आखिरी दशक से ही बंगाल में नील की खेती बंद होने लगी थी
(b) नील की खेती की मुख्य दो विधियाँ थी निज और रैयती
(c) रैयती व्यवस्था के अंतर्गत बागान मालिक रैयतों के साथ एक अनुबंध (पट्टा) करते थे
(d) बागान मालिकों से अनुबंध करने वाले रैयतों को अपनी जमीन के कम-से-कम 25% भाग पर नील की खेती करनी होती थी
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (a) असत्य है, क्योंकि अठारहवीं सदी के आखिरी दशक से ही बंगाल में नील की खेती बंद होने के स्थान पर तेजी से फैलने लगी थी, क्योंकि यह दशक ब्रिटेन में तीव्र औद्योगीकरण का था और इस दौरान बंगाल का नील विश्व बाजारों में अपनी गहरी छाप छोड़ चुका था। वर्ष 1810 में ब्रिटेन द्वारा आयात किए गए भारतीय नील में उसका हिस्सा 95% था ।
2. निम्न कथनों पर विचार कीजिए 
1. ब्रिटिश काल में वाराणसी, लखनऊ, आगरा आदि सूती वस्त्र उत्पादन के महत्त्वपूर्ण केंद्र थे।
2. 17वीं 18वीं शताब्दी में गोवा, सूरत तथा मछलीपट्टनम आदि जहाज निर्माण के मुख्य केंद्र थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a ) 1 और 2
(b) केवल 1
(c) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। ब्रिटिश काल के दौरान शहरों में बसे शिल्पकार उपयोगी वस्तुओं के अतिरिक्त विलास हेतु वस्तुओं का भी निर्माण करते थे। ये वस्तुएँ देशी और विदेशी बाजारों में बिकती थीं, इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण सूती वस्त्र थे। उस दौरान सूती वस्त्रों का उत्पादन ढाका, कृष्णानगर, वाराणसी, लखनऊ, आगरा, बुरहानपुर, सूरत, भड़ौच, अहमदाबाद आदि में किया जाता था।
17वीं, 18वीं शताब्दी में जहाज निर्माण के क्षेत्र में भारत अग्रणी देशों में से एक था। भारत में गोवा, सूरत, मछलीपट्टनम, सतगाँव, ढाका और चटगाँव जहाज निर्माण के मुख्य केंद्र थे।
3. निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) 17वीं सदी के अंतिम दशक से ही बंगाल में नील की खेती तेजी से फैलने लगी थी
(b) 1788 ई. में ब्रिटेन द्वारा आयात किए गए नील में भारतीय नील का हिस्सा 50% था
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) 1810 ई. में ब्रिटेन द्वारा आयात किए गए नील में भारतीय नील का हिस्सा 95% हो चुका था
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (a) और (b) सही हैं, क्योंकि नील की खेती सत्रहवीं सदी में नहीं, बल्कि अठारहवीं सदी के आखिरी दशकों से ही बंगाल में तेजी से फैलने लगी थी। 1788 ई. में ब्रिटेन द्वारा आयात किए गए नील में भारतीय नील का हिस्सा 30% था न कि 50% ।
4. नील विद्रोह कहाँ हुआ था ?
(a) पंजाब 
(b) गुजरात 
(c) महाराष्ट्र
(d) बंगाल
उत्तर - (d)
व्याख्या- नील विद्रोह बंगाल के किसानों द्वारा 1859 ई. में किया गया था, जिसे 'नील आंदोलन' के नाम से भी जाना जाता है।
इस आंदोलन का आरंभ बंगाल के नदिया जिले से हुआ था, जहाँ के नील किसानों ने नील की खेती करने से मना कर दिया था। यह आंदोलन संपूर्ण रूप से अहिंसक था और इसमें भारतीय हिंदू व मुसलमानों ने हिस्सा लिया था।
5. ब्रिटिश काल में झूम खेती के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. झूम खेती को घुमंतू खेती कहा जाता है।
2. इस प्रकार की खेती अधिकांशतः जंगली क्षेत्रों में और छोटे भू-भागों पर की जाती थी।
3. इस खेती के अंतर्गत खेतों को जोतने और बीजों को बोने के स्थान पर खेत में बिखेर दिया जाता था।
4. घुमंतू किसान मुख्य रूप से पूर्वोत्तर और मध्य भारत की पर्वतीय व जंगली पट्टियों में रहते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 3 और 4
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- ब्रिटिश काल में झूम खेती के संदर्भ में दिए गए सभी कथन सत्य हैं ।
उन्नीसवीं सदी तक देश के विभिन्न भागों में आदिवासी विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय रहे, उनमें से एक झूम कृषि थी। झूम खेती और घुमंतू खेती एक-दूसरे के समकक्ष थी।
झूम खेती मुख्यतः जंगलों में छोटे-छोटे भूखंडों को साफ करके की जाती इस खेती में जमीन पर उगी घास को जलाकर उससे बनी राख को खेतों में बिखेर दिया जाता था, जिससे जमीन उपजाऊ हो जाती थी, क्योंकि राख में पोटाश पाई जाती थी। घुमंतू किसान मुख्यतः पूर्वोत्तर क्षेत्र और मध्य भारत के पर्वतीय व जंगली क्षेत्रों में निवास करते थे।
6. निम्न में से कौन-सी जनजाति स्वयं को जंगल की संतान मानती थी ? 
(a) खोंड 
(b) बैगा
(c) संथाल 
(d) गोंड
उत्तर - (b)
व्याख्या- बैगा जनजाति स्वयं को 'जंगल की संतान' मानती थी । बैगा लोग दूसरों की मजदूरी नहीं करते थे, वह केवल जंगल की उपज पर ही अपना जीवन निर्वाह करते थे।
मजदूरी करना बैगा जनजाति के लोगों के लिए अपमानजनक बात थी। यह भारत के मध्य क्षेत्रों में निवास करते थे। भारत के आदिवासियों में बैगा जनजाति के लोग सबसे अच्छे शिकारी माने जाते थे।
7. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. 18वीं सदी में भारतीय रेशम की यूरोपीय बाजारों में भारी माँग थी।
2. भारतीय रेशम की गुणवत्ता के कारण निर्यात तेजी से बढ़ रहा था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
18वीं सदी में भारतीय रेशम की यूरोपीय बाजारों में बहुत अधिक माँग थी, क्योंकि भारतीय रेशम की गुणवत्ता अत्यधिक आकर्षण का केंद्र थी और भारत का निर्यात निरंतर बढ़ रहा था।
वर्तमान झारखंड में स्थित हजारीबाग के आस-पास निवास करने वाली संथाल जनजाति रेशम के कीड़े पालती थी और निर्यात की बढ़ोतरी को देखते हुए ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी विदेशों में रेशम की माँग को पूरा करने के लिए रेशम उत्पादन पर अत्यधिक बल देने लगे।
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