NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | धार्मिक आंदोलन
1. जैन धर्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. जैन धर्म के सिद्धांतों का उपदेश देने वाले दिगंबर कहलाते थे।
2. पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- जैन धर्म के संबंध में कथन (1) असत्य है, क्योंकि जैन धर्म के सिद्धांतों का उपदेश देने वाले 'तीर्थंकर' कहलाते थे। कथन (2) सत्य है। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ थे, जो वाराणसी के निवासी थे। महावीर स्वामी अंतिम तीर्थंकर (24वें तीर्थंकर) थे। महावीर स्वामी को जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
2. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) महावीर को 'जिन' तथा उनके अनुयायियों को जैन कहा जाता है ।
(b) महावीर ने जैन व्रतों में ब्रह्मचर्य को जोड़ा था।
(c) जैन धर्म में पूर्व जन्म की अवधारणा नहीं है।
(d) जैन संघों में स्त्री और पुरुष दोनों भाग ले सकते थे।
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि जैन धर्म में पूर्व जन्म की अवधारणा है। जैन धर्म के अनुसार, पूर्व जन्म में अर्जित पुण्य या पाप के अनुसार ही किसी का जन्म उच्च या निम्न कुल में होता है और वे उसके अनुसार कर्मफल भोगते हैं। इसके अतिरिक्त कर्म फल ही जन्म तथा मृत्यु का कारण है।
3. त्रिरत्न सिद्धांत सम्यक ज्ञान, सम्यक ध्यान तथा सम्यक आचरण जिस धर्म की महिमा है, वह है
(a) बौद्ध धर्म
(b) ईसाई धर्म
(c) जैन धर्म
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- सम्यक् ज्ञान, सम्यक् ध्यान तथा सम्यक् आचरण जैन धर्म के त्रिरत्नों में शामिल हैं, जिन्हें तीन जौहर भी कहा जाता है। इन त्रिरत्नों में जैन धर्म ने मुख्यतः सांसारिक बंधनों से छुटकारा पाने के उपाय बताए हैं। ऐसा छुटकारा या मोक्ष पाने के लिए कर्मकाण्डीय अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं, बल्कि यह त्रिरत्न सिद्धांत से प्राप्त किया जा सकता है।
4. जैन धर्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. जैन धर्म के उपदेशों का संकलन पाटलिपुत्र में किया गया था।
2. इसमें उपदेश के लिए प्राकृत भाषा तथा ग्रंथ रचना के लिए अर्द्ध- मागधी भाषा का प्रयोग किया गया।
3. जैन धर्म ने मूर्ति पूजा का विरोध किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- जैन धर्म के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
जैन धर्म के उपदेशों का संकलन पाटलिपुत्र में किया गया था। जैन धर्म के मुख्य उपदेशों को संकलित करने के लिए पाटलिपुत्र में एक परिषद् का भी आयोजन किया गया था, लेकिन दक्षिणी जैनों ने इस परिषद् का बहिष्कार किया और इसके निर्णयों को मानने से इनकार कर दिया था। जैन संप्रदायों में धर्मोपदेश के लिए सामान्य जन की बोलचाल की प्राकृत भाषा को अपनाया गया। जैन धार्मिक ग्रंथों की रचना अर्द्धमागधी भाषा में की गई थी।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि जैन धर्म ने मूर्ति पूजा का विरोध नहीं किया था। जैन धर्म कालांतर में महावीर और तीर्थंकरों की भी पूजा करने लगे, इसके लिए सुंदर और विशाल प्रतिमाएँ विशेषकर कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में निर्मित हुईं।
5. निम्नलिखित में से किस स्थान का संबंध प्रत्यक्ष रूप से महावीर स्वामी से नहीं जुड़ा हुआ है?
(a) वैशाली
(b) लुंबिनी
(c) चंपा
(d) पावापुरी
उत्तर - (b)
व्याख्या- लुंबिनी का संबंध प्रत्यक्ष रूप से महावीर स्वामी से न होकर महात्मा बुद्ध से है जबकि वैशाली, चंपा तथा पावापुरी का संबंध महावीर स्वामी से से है। महावीर स्वामी का जन्म वैशाली में तथा मृत्यु राजगीर के पास पावापुरी में हुई थी। महावीर स्वामी ने अपने जीवन काल में कोसल, मगध, मिथिला, चंपा आदि प्रदेश में भ्रमण करके धर्म का प्रचार किया था।
6. जैन धर्म के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) पाँचवीं सदी में कर्नाटक में स्थापित जैन मठों को 'बसदि' कहा जाता था।
(b) जैन धर्म ने देवताओं के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया।
(c) जैन धर्म में युद्ध और कृषि दोनों वर्जित हैं।
(d) मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त ने कर्नाटक में जैन धर्म का प्रचार-प्रसार किया था।
उत्तर - (b)
व्याख्या- जैन धर्म के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि जैन धर्म ने देवताओं के अस्तित्व को स्वीकार किया, परंतु उनका स्थान जिन से नीचे रखा। बौद्ध धर्म में वर्ण व्यवस्था की जो निंदा है, वह जैन धर्म में नहीं है। महावीर के अनुसार पूर्व जन्म में अर्जित पुण्य या पाप के अनुसार ही किसी का जन्म उच्च या निम्न कुल में होता है।
7. महावीर स्वामी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उनकी माता का नाम त्रिशला था।
2. महावीर के परिवार का संबंध मगध से था।
3. 30 वर्ष की आयु में उन्होंने गृह त्याग दिया था।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 1
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- महावीर स्वामी के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। महावीर स्वामी की माता का नाम त्रिशला था, जो बिबिंसार के ससुर लिच्छवि-नरेश चेतक की बहन थी। इस प्रकार महावीर के परिवार का संबंध मगध के राजपरिवार से था। आरंभ में महावीर गृहस्थ जीवन में थे, किंतु सत्य की खोज में वे 30 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन का परित्याग करके यती (संयासी) हो गए। 42 वर्ष की आयु में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
8. जैन धर्म के सिद्धांतों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अहिंसा का पालन करना चाहिए।
2. सभी को वस्त्रों का त्याग करना चाहिए।
3. सभी को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल
उत्तर - (b)
व्याख्या- जैन धर्म के सिद्धांतों के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। जैन धर्म के सिद्धांतों के अनुसार सभी को अहिंसा के नियमों का कठोरता से पालन करना चाहिए अर्थात् किसी भी जीव को न तो कष्ट देना चाहिए और न ही उसकी हत्या करनी चाहिए।
जैन धर्म के सिद्धांतों में ब्रह्मचर्य के पालन पर भी पूर्ण बल दिया है। इसके अनुसार भिक्षुओं को किसी नारी से वार्तालाप, उसे देखना, उससे संसर्ग का ध्यान करने की भी मनाही है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि जैन सिद्धांतों के अनुसार केवल पुरुषों को ही वस्त्रों सहित सब कुछ त्याग देना पड़ता है।
9. जैन धर्म के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) जैन धर्म का समर्थन मुख्यतः व्यापारियों ने किया था।
(b) किसानों के लिए अहिंसा का पालन करना मुश्किल था।
(c) गुजरात, तमिलनाडु तथा कर्नाटक में जैन धर्म का प्रसार हुआ।
(d) जैन धर्म की शिक्षाएँ कुशीनगर में लिखी गई थीं।
उत्तर - (d)
व्याख्या- जैन धर्म के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि जैन धर्म की शिक्षाएँ लगभग 1500 वर्ष पूर्व गुजरात के वल्लभी नामक स्थान पर लिखी गई थीं । हालाँकि प्रारंभ महावीर तथा उनके अनुयायियों की शिक्षाएँ कई शताब्दियों तक मौखिक रूप में प्रयोग हो रही थीं। जैन धर्म का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ कल्पसूत्र संस्कृत में लिखा गया है। महावीर के दिए गए मौलिक सिद्धांत चौदह प्राचीन ग्रंथों में संकलित हैं। इन ग्रंथों को 'पूर्व' कहते हैं।
1. महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ई. पू. में किस कुल में हुआ था ?
(a) वज्जि
(b) शाक्य
(c) लिच्छवि
(d) संकुशा
उत्तर - (b)
व्याख्या- महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ई. पू. में शाक्य नामक क्षत्रिय कुल में कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी नामक स्थान पर हुआ था। वर्तमान समय में कपिलवस्तु की पहचान बस्ती जिले के पिपरहवा के रूप में की जाती है। गौतम के पिता कपिलवस्तु के निर्वाचित राजा और गणतांत्रिक शाक्य कुल बुद्ध के प्रधान थे तथा उनकी माता कोसल राजवंश की कन्या थीं।
2. महात्मा बुद्ध के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उन्होंने 29 वर्ष की आयु में गृह त्याग दिया था।
(b) ज्ञान प्राप्ति के पश्चात् वे प्रज्ञावान कहलाए।
(c) उन्होंने समतावादी भावना का समर्थन नहीं किया।
(d) उन्हें 35 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त हुआ था।
उत्तर - (c)
व्याख्या- महात्मा बुद्ध के संबंध में विकल्प (c) सत्य नहीं है, क्योंकि गणराज्य में उत्पन्न होने के कारण महात्मा बुद्ध में कुछ समतावादी भावना आई थी। इस कारण बौद्ध धर्म ने वर्ण व्यवस्था एवं जाति प्रथा का विरोध किया तथा बौद्ध संघ का द्वार सभी जातियों के लिए खोल दिया। बौद्ध संघ में स्त्रियों को भी आने की अनुमति प्राप्त थी। बुद्ध ने 29 वर्ष की आयु में गृह त्याग दिया। सात वर्षों तक भटकते रहने के बाद 35 वर्ष की उम्र में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।
3. महात्मा बुद्ध के सिद्धांतों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उन्होंने दुःख की निवृत्ति के लिए अष्टांगिक मार्ग को आवश्यक बताया।
2. उन्होंने ईश्वर की अवधारणा को अस्वीकार कर दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- महात्मा बुद्ध के सिद्धांतों के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं। गौतम बुद्ध ने दुःख की निवृत्ति के लिए अष्टांगिक मार्ग (अष्टविध साधन) बताया। ये आठ साधन हैं – सम्यक् दृष्टि, सम्यक् संकल्प, सम्यक् वाक्, सम्यक् कर्मान्त, सम्यक् आजीव, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति और सम्यक् समाधि।
गौतम बुद्ध ईश्वर की अवधारणा को अस्वीकार करते थे। बुद्ध ने ईश्वर के स्थान पर मानव प्रतिष्ठा पर बल दिया था। इस बात को हम भारत के धर्मों के इतिहास में क्रांति कह सकते हैं।
4. बौद्ध धर्म के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सुत्तनिपात (प्राचीनतम बौद्ध ग्रंथ) में गाय को अन्नदा, वन्नदा और सुखदा कहा गया है।
2. आम लोगों की भाषा प्राकृत में बौद्ध साहित्य की रचना हुई थी।
3. बौद्ध धर्म के कारण 'बुद्धिवाद' का महत्त्व बढ़ गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 2 और 3
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- बौद्ध धर्म के संदर्भ में कथन (1) और (3) सत्य हैं। सुत्तनिपात (प्राचीनतम बौद्ध ग्रंथ) में गाय को अन्नदा, वन्नदा, सुखदा कहा गया है। बौद्ध धर्म ने अहिंसा अर्थात् जीवमात्र के प्रति दया की भावना जगाकर देश में पशुधन की वृद्धि की।
बौद्ध धर्म के कारण 'बुद्धिवाद' का महत्त्व बढ़ गया, क्योंकि बौद्ध धर्म ने बौद्धिक और साहित्यिक जगत चेतना जगाई। इसमें लोगों को यह समझाया गया कि किसी वस्तु को यूँ ही नहीं, बल्कि भली-भाँति गुण-दोष का विवेचन कर उसे आत्मसात करें।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि बौद्ध साहित्य की रचना पालि भाषा में की गई थी। आरंभिक बौद्ध पालि साहित्य को तीन कोटियों में बाँटा जा सकता है। प्रथम कोटि में बुद्ध के वचन और उपदेश हैं, दूसरी में संघ के सदस्यों द्वारा पालनीय नियम आते हैं और तीसरी में धम्म का दार्शनिक विवेचन है।
5. महात्मा बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन किस स्थान पर दिया ?
(a) वैशाली
(b) सारनाथ
(c) कौशाम्बी
(d) पावापुरी
उत्तर - (b)
व्याख्या- ज्ञान-प्राप्ति के उपरांत महात्मा बुद्ध ने अपने ज्ञान का प्रथम प्रवचन वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के निकट सारनाथ में दिया। इस परिघटना को 'धर्मचक्र प्रवर्तन' कहा जाता है।
महात्मा बुद्ध ने 35 वर्ष की आयु में बोधगया में एक पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान-प्राप्त किया। इस ज्ञान प्राप्ति के उपरांत वह 'प्रज्ञावान' अर्थात् बुद्ध कहलाए।
6. निम्नलिखित में से कौन-सा एक बौद्ध मत में निर्वाण की अवधारणा की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या करता है ?
(a) तृष्णा रूपी अग्नि का शमन
(b) स्वयं की पूर्णतः अस्तित्वहीनता
(c) परमानंद एवं विश्राम की स्थिति
(d) धारणातीत मानसिक अवस्था
उत्तर - (a)
व्याख्या- तृष्णा रूपी अग्नि का शमन करने को बौद्ध मत में निर्वाण की प्राप्ति बताया गया है। बौद्ध धर्म में संसार को समस्याओं से घिरा बताया गया है। महात्मा बुद्ध ने कहा था कि संसार दुःखमय है और दुःख का कारण अपनी इच्छाओं, लालसाओं पर नियंत्रण करना है। लालसा पर विजय प्राप्त करने से ही निर्वाण की प्राप्ति होगी, जिसका अर्थ है कि जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाएगी।
7. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म की अवधारणा है।
(b) बौद्ध धर्म में आत्मा की अवधारणा है।
(c) बौद्ध धर्म उदार और जनतांत्रिक है।
(d) बौद्ध धर्म वेद-प्रमाण्य के प्रति अनास्था रखता है।
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि बौद्ध धर्म में आत्मा की अवधारणा नहीं है। बौद्ध धर्म में अनात्मवाद के सिद्धांत के अंतर्गत यह मान्यता है कि व्यक्ति में जो आत्मा है, वह उसके अवसान के साथ समाप्त हो जाती है।
आत्मा शाश्वत या चिरस्थायी वस्तु नहीं है, जो अगले जन्म में विद्यमान रहे। बौद्ध धर्म में ईश्वर की अवधारणा भी नहीं है, क्योंकि बौद्ध धर्म ने ईश्वर के स्थान पर मानव प्रतिष्ठा पर बल दिया है।
8. प्राचीन भारत के किस शासक ने बोधगया में स्थित बोधिवृक्ष को काटकर नष्ट कर दिया था ?
(a) गौड़ शासक शशांक
(b) पुष्यमित्र शुंग
(c) मिहिरकुल
(d) अमोघवर्ष
उत्तर - (a)
व्याख्या- गौड़ देश के शासक शशांक ने बोधगया में उस बोधिवृक्ष को काट कर नष्ट कर दिया, जिसके नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। ब्राह्मण शासक पुष्यमित्र शुंग ने बौद्धों को सताया, जिसके उदाहरण ईसा की छठी-सातवीं सदी में मिलते हैं। शैव संप्रदाय के हूण राजा मिहिरकुल ने भी सैकड़ों बौद्धों की हत्या की थी।
9. निम्नलिखित पर विचार कीजिए
1. बुद्ध में देवत्वारोपण
2. बोधिसत्व के पथ पर चलना
3. मूर्ति उपासना तथा अनुष्ठान
उपर्युक्त में कौन-सी विशेषता/विशेषताएँ महायान बौद्ध मत की है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- उपरोक्त सभी विशेषताएँ महायान बौद्ध मत में समाहित हैं।
ईसा की प्रथम शताब्दी में बौद्ध अवधारणाओं और व्यवहार में परिवर्तन आया। प्रारंभिक बौद्ध मत में जहाँ 'निर्वाण' के लिए व्यक्तिगत प्रयास को महत्त्व दिया जाता था, वहाँ अब बुद्ध को मुक्तिदाता के रूप में मानकर उनमें देवत्वारोपण को महत्त्व दिया गया। साथ-साथ इस समय बोधिसत्व की अवधारणा विकसित हुई। बुद्ध और बोधिसत्व की मूर्तियों की पूजा तथा अनुष्ठान परंपरा का महत्त्वपूर्ण अंग बन गया।
10. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. बोधिसत्व, बौद्धमत के हीनयान संप्रदाय की केंद्रीय संकल्पना है।
2. बोधिसत्व अपने प्रबोध के मार्ग पर बढ़ता हुआ करुणामय है।
3. बोधिसत्व समस्त सचेतन प्राणियों को उनके प्रबोध के मार्ग पर चलने में सहायता करने के लिए स्वयं की निर्वाण प्राप्ति को विलंबित करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में कथन (2) और (3) सत्य हैं। बोधिसत्व की अवधारणा के अनुसार, बोधिसत्वों को परम करुणामय जीव माना है, जो अपने सत्कर्मों से पुण्य कमाते थे, किंतु वह इस पुण्य का प्रयोग दुनिया को दुःखों में छोड़ कर स्वयं की निर्वाण प्राप्ति के लिए नहीं करते, बल्कि वे अपने निर्वाण को विलंबित कर दूसरों के निर्वाण मार्ग में सहायता प्रदान करते हैं।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि बोधिसत्व की अवधारणा का संबंध महायान चिंतन से सृजित है न कि हीनयान चिंतन प्रणाली से ।
11. बुद्धकालीन समाज के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह उत्तरी काले पॉलिशदार मृद्धांड का आरंभ था।
2. यह भारत में द्वितीय नगरीकरण की शुरुआत का काल था।
3. इस काल में चतुर्वर्ण व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- बुद्धकालीन समाज के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। बुद्धकालीन समाज के पुरातत्व के अनुसार, इस काल में उत्तरी काले पॉलिशदार मृद्भांड का विकास आरंभ हुआ। इस मृद्भांड को अंग्रेजी संक्षेपाक्षर एन. बी. पी. डब्ल्यू अर्थात् नार्दर्न ब्लैक पॉलिश्ड वेयर कहते हैं। यह मृद्भांड बहुत ही चिकने और चमकीले होते थे, जो संभवतः धनवान लोगों के द्वारा प्रयोग किए जाते थे।
यह भारत के द्वितीय नगरीकरण की शुरुआत का काल था। ईसा पूर्व लगभग पाँचवीं सदी में मध्य गंगा के मैदान में नगरों के प्रकट होने के साथ ही भारत में द्वितीय नगरीकरण की शुरुआत हुई। पालि तथा संस्कृत ग्रंथों के अनुसार यहाँ अनेक नगरों के साक्ष्य मिले हैं, जैसे- कौशांबी, श्रावस्ती, अयोध्या, कपिलवस्तु, वाराणसी, वैशाली, राजगीर, पाटलिपुत्र और चंपा।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि इस काल में चतुर्वर्ण व्यवस्था ध्वस्त नहीं हो सकी। इसका उदाहरण हमें कबायली समुदाय में देखने को मिलता था, जिनका समाज स्पष्ट चार वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र) में बँटा हुआ था।
12. बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. भारत से बाहर श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड तथा इंडोनेशिया में बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ।
2. इन क्षेत्रों में 'थेरवाद' नामक बौद्ध धर्म का आरंभिक रूप कहीं अधिक प्रचलित था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं। भारत से बाहर बौद्ध धर्म का दक्षिण-पूर्व एशिया की ओर श्रीलंका, म्यांमार, थाइलैंड तथा इंडोनेशिया सहित अन्य भागों में भी प्रसार हुआ । इन क्षेत्रों में 'थेरवाद' नामक बौद्ध धर्म का आरंभिक रूप भी अधिक प्रचलित था। बौद्ध धर्म का भारत के पश्चिमी तथा दक्षिणी भाग में भी प्रसार हुआ, जहाँ बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए पहाड़ों में दर्जनों गुफाएँ खोदी गईं।
13. छठी सदी ईसा पूर्व में प्रचलित 'कुटागारशालाओं' का संबंध निम्नलिखित में से किससे था?
(a) बौद्ध शिक्षा केंद्र
(b) बौद्ध भिक्षुओं का वर्षा ऋतु में ठहरने का स्थान
(c) वाद-विवाद से संबंधित बौद्ध स्थल
(d) अनुयायियों का आश्रय स्थल
उत्तर - (c)
व्याख्या- छठी सदी ईसा पूर्व में प्रचलित कुटागारशालाओं का संबंध वाद-विवाद से संबंधित बौद्ध स्थलों से था। बौद्ध ग्रंथों में हमें 64 संप्रदायों या चिंतन परंपराओं का उल्लेख मिलता है। इससे जीवंत चर्चाओं और विवादों की एक झाँकी मिलती है। शिक्षक एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूम-घूमकर अपने दर्शन या विश्व के विषय में अपनी समझ को लेकर एक-दूसरे से तथा सामान्य लोगों से तर्क-वितर्क करते थे, जो चर्चा कुटागारशालाओं में आयोजित होती थीं।
14. बौद्ध साहित्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. बुद्ध के किसी भी संभाषण को उनके जीवनकाल में नहीं लिखा गया।
2. दीपवंश तथा महावंश की रचना श्रीलंका में हुई।
3. दीघनिकाय एक बौद्ध ग्रंथ है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1, 2 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- बौद्ध साहित्य के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
बुद्ध के किसी भी संभाषण को उनके जीवनकाल में नहीं लिखा गया था। उनकी मृत्यु के पश्चात् उनके शिष्यों ने ज्येष्ठों की एक सभा वैशाली में बुलाई। वहाँ पर शिक्षाओं का संकलन किया गया। इन संग्रहों को त्रिपिटक कहा जाता है।
जब बौद्ध धर्म श्रीलंका जैसे क्षेत्रों में फैला, तो दीपवंश (द्वीप का इतिहास) और महावंश (महान इतिहास) जैसे बौद्ध इतिहास को लिखा गया। इनमें से कई रचनाओं में बुद्ध की जीवनी लिखी गई है।
दीघनिकाय एक बौद्ध ग्रंथ है, जिसकी चर्चा सुत्तपिटक में की गई है। यह गद्य और पद्य दोनों में लिखा गया है।
15. सुत्तपिटक के किस भाग में भिक्षुणियों द्वारा रचित छंदों का संकलन मिलता है ?
(a) जातक
(b) थेरीगाथा
(c) मज्झिमनिकाय
(d) भेरीगाथा
उत्तर - (b)
व्याख्या सुत्तपिटक के थेरीगाथा भाग में भिक्षुओं द्वारा रचित छंदों का संकलन मिलता है। इससे महिलाओं के सामाजिक और आध्यात्मिक अनुभवों के बारे में अंतर्दृष्टि मिलती है। थेरीगाथा खुद्दक निकाय के 15 ग्रंथों में से एक है। इसमें परमपद प्राप्त 73 विद्वान् भिक्षुणियों के उदान अर्थात् उद्गार 522 गाथाओं में संगृहीत हैं।
16. गौतम बुद्ध ने अपने किस शिष्य के कहने पर महिलाओं को संघ में प्रवेश की अनुमति दी थी ?
(a) आनंद
(b) उपारिय
(c) राहुल
(d) संकर्षण
उत्तर - (a)
व्याख्या- गौतम बुद्ध ने अपने शिष्य आनंद के कहने पर महिलाओं को संघ में प्रवेश की अनुमति दी थी। बुद्ध की उपमाता महाप्रजापति गौतमी संघ में आने वाली पहली भिक्षुणी बनीं। कई स्त्रियाँ जो संघ में आईं, वे धम्म की उपदेशिकाएँ बन गईं। आगे चलकर वे महिलाएँ थेरी बनीं, जिसका अर्थ है, ऐसी महिलाएँ जिन्होंने निर्वाण प्राप्त कर लिया हो ।
17. बुद्धकालीन अर्थव्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इस काल में धातु के सिक्कों का प्रचलन बढ़ गया।
2. इस काल में 'श्रेणी' का निर्माण हुआ।
3. इस काल में वाराणसी व्यापार का मुख्य केंद्र था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- बुद्धकालीन अर्थव्यवस्था के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। बुद्धकालीन अर्थव्यवस्था में धातु के सिक्कों का प्रचलन बढ़ गया। ये सिक्के आहत (पंचमार्क) कहलाते थे, क्योंकि ये धातु पर पेड़, मछली, साँड, हाथी, अर्द्धचंद्र आदि किसी वस्तु की आकृति का ठप्पा मारकर बनाए जाते थे। बुद्धकालीन अर्थव्यवस्था के अंतर्गत शिल्पी और वणिक दोनों अपने-अपने प्रमुखों के नेतृत्व में श्रेणियों में संगठित थे। हमें शिल्पियों की 18 श्रेणियों का उल्लेख मिलता है।
बुद्ध काल में वाराणसी व्यापार का मुख्य केंद्र था। इस काल में व्यापार मार्ग श्रावस्ती से पूर्व और दक्षिण की ओर निकलकर और कुशीनगर होते हुए वाराणसी तक गया था।
18. बुद्धकाल के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) उपज का 1/6 कर के रूप में चुकाना पड़ता था।
(b) गाँव के मुखिया को भोजक कहा जाता था।
(c) 'शतमान' इस काल का प्रमुख ग्रंथ था।
(d) महामात्र इस काल का कर संग्रहकर्ता था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- बुद्धकाल के संबंध में कथन (d) असत्य है, क्योंकि बुद्धकाल में उच्चकोटि के अधिकारी महामात्र कहलाते थे। वे अनेक प्रकार के कार्य करते थे, जैसे- मंत्री, सेनानायक, न्यायाधिकारी, महालेखाकार और अंतःपुर प्रधान के कार्य। आयुक्त नाम से विदित अधिकारियों का वर्ग भी कुछ राज्यों में इसी प्रकार का कार्य करता था।
19. बुद्धकालीन विधि व्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. न्याय व्यवस्था की विधिवत् शुरुआत इसी काल में हुई।
2. वर्ण भेद के आधार पर ही व्यवहार विधि और दंड-विधि निर्धारित होती थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- बुद्धकालीन विधि व्यवस्था के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं। बुद्धकाल में ही भारतीय विधि और न्याय व्यवस्था का उद्भव हुआ था। इससे पहले कबायली कानून चलते थे, जिसमें वर्गभेद का कोई स्थान नहीं था। बुद्धकाल में वर्ण भेद के आधार पर ही व्यवहार - विधि और दंड-विधि निर्धारित होती थी, जो वर्ण जितना ऊँचा होता था, वह उतना ही पवित्र माना गया और व्यवहार एवं दंड - विधि में उससे उतनी ही उच्चकोटि के नैतिक आचरण की अपेक्षा की जाती थी।
20. बुद्धकालीन गणतंत्रीय एवं राजतंत्रीय प्रणाली के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. गणतंत्र में राजस्व का अधिकार गण को तथा राजतंत्र में राजा को प्राप्त था।
2. धर्मशास्त्रों में गणराज्यों को मान्यता प्रदान नहीं की गई।
3. गणतंत्रों के विपरीत राजतंत्रों का संचालन अल्पतांत्रिक सभाएँ करती थीं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- बुद्धकालीन गणतंत्रीय एवं राजतंत्रीय प्रणाली के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं।
बुद्धकालीन गणतंत्र में राजस्व का अधिकार गण या गाँव में प्रत्येक प्रधान को होता था, जबकि राजतंत्र में प्रजा से राजस्व पाने का अधिकार एकमात्र राजा का होता था। धर्मशास्त्रों में गणराज्यों को मान्यता प्रदान नहीं की गई थी, क्योंकि धर्मशास्त्रों पर ब्राह्मणों का प्रभुत्व था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि गणतंत्र का संचालन अल्पतांत्रिक सभाएँ करती थीं न कि कोई एक व्यक्ति, लेकिन राजतंत्र में यह कार्य एक व्यक्ति करता था।
21. बौद्ध धर्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. भारत में पूजित प्रथम मानव मूर्ति महात्मा बुद्ध की है।
2. महात्मा बुद्ध की प्रतिमाओं का निर्माण 'गंधार शैली' में किया गया है।
3. बराबर की पहाड़ियों ( गया, बिहार) को तराशकर बौद्ध स्तूपों का निर्माण किया गया है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 2 और 3
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- बौद्ध धर्म के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। भारत में पूजित प्रथम मानव मूर्ति महात्मा बुद्ध की है। श्रद्धालु उपासकों ने बुद्ध के जीवन की अनेक घटनाओं को पत्थरों में उकेरा है। वर्तमान बिहार के गया में और मध्य प्रदेश के साँची और भरहुत में जो चित्र मिले हैं, वे बौद्ध कला के कृष्ट नमूने हैं।
महात्मा बुद्ध की प्रतिमाओं का निर्माण गंधार शैली में किया गया था। गंधार शैली को पश्चिमोत्तर सीमांत में यूनान और भारत के मूर्तिकारों ने विकसित किया था। कथन (3) असत्य है, क्योंकि बराबर की पहाड़ियों तथा नासिक के आस-पास की पहाड़ियों को तराशकर गुहा वास्तुशिल्प का निर्माण किया गया, जिसे 'विहार' कहा जाता था। यहाँ बौद्ध भिक्षु वर्षाकाल में ठहरते थे।
1. जैन तथा बौद्ध धर्म के उदय के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इनका उदय वैदिक कर्मकांडों की प्रतिक्रिया में हुआ
(b) वर्ण व्यवस्था में लचीलापन आना
(c) नई कृषि मूलक अर्थव्यवस्था का विस्तार होना
(d) लौह उपकरणों का बड़े पैमाने पर प्रयोग होना
उत्तर - (b)
व्याख्या- जैन तथा बौद्ध धर्म का उदय वर्ण व्यवस्था में कठोरता के आने से हुआ था, अतः कथन (b) असत्य है। वैदिकोत्तर काल में समाज स्पष्टत: चार वर्णों में विभाजित था - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र । प्रत्येक वर्ण के कर्त्तव्य अलग-अलग निर्धारित थे और इस पर बल दिया जाता था कि वर्ण जन्ममूलक है।
2. विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के उदय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. पशुओं की बलि की आलोचना जैन तथा बौद्ध धर्म ने की।
2. वैश्यों ने नवीन धर्मो का स्वागत किया।
3. वणिकों ने प्रचुर मात्रा में नए धर्मों को दान दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के उदय के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। पशुओं की बलि की आलोचना जैन तथा बौद्ध धर्म दोनों में की गई, क्योंकि नई कृषि मूलक अर्थव्यवस्था में पशुओं की अत्यधिक आवश्यकता थी।
वैश्यों ने भी इन धर्मों का स्वागत किया, क्योंकि इन नवीन धर्मों ने ऋण तथा सूदखोरी की क्रियाओं को वैधता प्रदान की, जो वैदिक सभ्यता में प्रतिबंधित थी।
वणिकों ने प्रचुर मात्रा में नए धर्मों को दान दिया, क्योंकि नए धर्मों ने वाणिज्य तथा व्यापार को सभी धर्मों के लिए खोल दिया।
3. जैन तथा बौद्ध धर्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. दोनों धर्म अष्टांगिक मार्ग का समर्थन करते थे।
2. दोनों धर्मों में मध्यम प्रतिपदा को समान माना गया है।
3. दोनों धर्मों के प्रवर्तक क्षत्रिय कुल के थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 1
उत्तर - (a)
व्याख्या- जैन तथा बौद्ध धर्म के संबंध में कथन (1) (2) असत्य हैं। ‘अष्टांगिक मार्ग' तथा 'मध्यम प्रतिपदा' का सिद्धांत केवल बौद्ध धर्म से संबंधित है।
गौतम बुद्ध ने दुःख की निवृत्ति के लिए अष्टांगिक मार्ग का साधन बताया था। गौतम बुद्ध मध्यम प्रतिपदा अर्थात मध्यम मार्ग के समर्थक थे। उनके अनुसार न अत्यधिक विलास करना चाहिए और न अत्यधिक संयम करना चाहिए। कथन (3) सत्य है, क्योंकि जैन तथा बौद्ध धर्म के प्रवर्तक क्षत्रिय कुल से संबद्ध थे।
4. जैन तथा बौद्ध धर्म ने निम्नलिखित में से किसको मान्यता प्रदान की ?
(a) पशुबलि
(b) वैदिक कर्मकांड
(c) ब्याज पर धन लगाना
(d) वैदिक साहित्य
उत्तर - (c)
व्याख्या- जैन तथा बौद्ध धर्म ने ब्याज पर धन लगाने को मान्यता प्रदान की थी। इससे पहले ब्राह्मणों की कानून संबंधी पुस्तकों में जो 'धर्मसूत्र' कहलाती थी, सूद पर धन लगाने के कारोबार को निंदनीय समझा जाता था और सूद पर जीने वाले को 'अधम' कहा जाता था।
इससे प्रभावित होकर वाणिज्यिक गतिविधियों में संलग्न समुदायों ने इन धर्मों को अंगीकृत किया तथा इसके अनुयायी बने।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. बुद्ध काल में सर्वप्रथम स्तूप बनाने की शुरुआत हुई।
2. स्तूप में हर्मिका से निकले मस्तूल को यष्टि कहते थे।
3. स्तूप बुद्ध के प्रतीक अवशेषों पर बनाए जाते थे।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 2 और 3
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (2) और (3) सत्य हैं ।
स्तूप की अंडाकार संरचना के ऊपर एक हर्मिका होती थी। हर्मिका में एक जिसे यष्टि कहते थे। जिस पर अकसर एक छत्री लगी मस्तूल निकलता था, होती थी। टीले के चारों ओर एक वेदिका होती थी, जो पवित्र स्थल को सामान्य दुनिया से अलग करती थी।
स्तूप, बुद्ध के प्रतीक अवशेषों पर बनाए जाते थे, जिसमें बुद्ध की अस्थियाँ तथा उनके द्वारा प्रयुक्त सामान होता था।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि स्तूप बनाने की परंपरा बुद्ध से पहले भी रही, परंतु वह बौद्ध धर्म से जुड़ गई, चूँकि उनमें ऐसे अवशेष रहते थे, जिन्हें पवित्र समझा जाता था।
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