NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | दिल्ली सल्तनत

दिल्ली सल्तनत

NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | दिल्ली सल्तनत

NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | दिल्ली सल्तनत

गुलाम वंश

1. गुलाम वंश के संस्थापक तथा भारत में मुहम्मद गौरी के उत्तराधिकारी के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है ?
(a) उसे गुलामों का गुलाम कहा जाता है ।
(b) उसका संबंध मामलूक वंश से था।
(c) यलदूज उसका मुख्य प्रतिद्वंद्वी था।
(d) उसने तराइन के युद्ध में भाग लिया था। 
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक तथा भारत के मुहम्मद गौरी के उत्तराधिकारी के संबंध में कथन (c) सत्य है ।
मुहम्मद गौरी के तुर्क गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने भारत में गौरी के युद्ध कार्यों में भाग लिया तथा भारत में गौरी की साम्राज्यवादी नीति के अंतर्गत अनेक क्षेत्रों को जोड़कर गौरी साम्राज्य में मिलाया।
कुतुबुद्दीन ने दिल्ली सिंहासन के पूर्व गौरी के भतीजे व उत्तराधिकारी सुल्तान गयासुद्दीन मुहम्मद से दास मुक्ति पत्र प्राप्त कर लिया, परंतु भारत में दिल्ली के सिंहासन पर मुहम्मद गौरी के दूसरे गुलाम यलदूज की भी नजर थी, परंतु यलदूज को गौरी की मृत्यु के बाद गजनी का उत्तराधिकार प्राप्त हुआ, जिसके कारण कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत में गुलाम वंश की स्थापना की।
2. कुतुबुद्दीन ऐबक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसके नेतृत्व में इल्बारी वंश का उत्थान हुआ।
2. उसने लाहौर को राजधानी बनाया था।
3. उसने अजमेर में अढ़ाई दिन का झोंपड़ा बनवाया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या कुतुबुद्दीन ऐबक के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। 1206 ई. में मुहम्मद गौरी की मृत्यु के बाद उसके विश्वसनीय दास कुतुबुद्दीन में ऐबक ने भारत में गुलाम या दास वंश की स्थापना की थी। उसने इल्बारी वंश का उत्थान किया तथा दिल्ली सल्तनत के विस्तार की प्रक्रिया आरंभ की। इसने अपनी राजधानी लाहौर को बनाया।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने अजमेर में 'अढाई दिन का झोंपड़ा' नामक मस्जिद का निर्माण करवाया।
3. सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु कैसे हुई?
(a) उसके एक महत्त्वाकांक्षी कुलीन व्यक्ति ने कपट से छुरा मारकर हत्या कर दी।
(b) पंजाब पर अधिकार के किए यलदूज के साथ युद्ध में उसकी मृत्यु हुई।
(c) बुंदेलखंड के किले कालिंजर की घेराबंदी करते समय चोट के कारण उसकी मृत्यु हुईं ।
(d) चौगान की क्रीड़ा के दौरान घोड़े से गिरने के पश्चात् उसकी मृत्यु हुई।
उत्तर - (d)
व्याख्या- वर्ष 1210 में चौगान खेलते समय घोड़े से गिर जाने के कारण कुतुबुद्दीन ऐबक को गहरी चोटें लगीं और उससे उसकी मृत्यु हो गई। कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु 'लाहौर' में हुई और उसे वहीं दफना दिया गया। कुतुबुद्दीन की मृत्यु के उपरांत इल्तुतमिश ने दिल्ली सल्तनत पर अपना नियंत्रण स्थापित किया।
4. इल्तुतमिश के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने कुतुबुद्दीन के दामाद आरामशाह को युद्ध में पराजित किया था।
2. भारत में तुर्की शासन का वास्तविक संस्थापक इल्तुतमिश ही था।
3. इल्तुतमिश के समय अली मर्दान खाँ ने स्वयं को बिहार तथा बंगाल का गवर्नर घोषित कर दिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 2 और 3 
(b) 1 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- इल्तुतमिश के संबंध में कथन ( 2 ) और (3) सत्य हैं।
कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद उसका पुत्र आरामशाह दिल्ली सल्तनत की गद्दी पर बैठा, परंतु बदायूँ के इक्तादार एवं कुतुबुद्दीन ऐबक के दामाद इल्तुतमिश ने आरामशाह को युद्ध में हराकर स्वयं को सुल्तान घोषित किया। इल्तुतमिश दिल्ली सल्तनत तथा भारत में तुर्की शासन का वास्तविक संस्थापक था। उसने अली मर्दान खाँ को बिहार तथा बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया था।
5. इल्तुतमिश ने अपने शासनकाल ( 1210-1238 ई.) में निम्नलिखित में से कौन-सा कार्य नहीं किया था ? 
(a) ग्वालियर और बयाना पर अधिकार
(b) अजमेर और नागोर पर सत्ता स्थापना
(c) रणथंभौर और जालोर पर आक्रमण
(d) मारवाड़ की राजधानी नागदा पर आक्रमण
उत्तर - (d)
व्याख्या- इल्तुतमिश ने अपने शासनकाल में मारवाड़ की राजधानी नागदा पर आक्रमण नहीं किया था। इल्तुतमिश ने अपने विरोधियों यलदूज एवं कुबाचा को पराजित किया तथा मंगोल शासक चंगेज के आक्रमण को अपनी सूझ-बूझ से स्थगित कर दिया।
इल्तुतमिश ने बंगाल में हिसामुद्दीन खिलजी के विद्रोह का दमन करने के साथ-साथ राजपूतों का भी दमन करके साम्राज्य को सशक्त बनाया। इसने ग्वालियर, पूर्वी राजस्थान क्षेत्र (अजमेर एवं बयाना) तथा रणथंभौर एवं जालोर जैसे राजपूत साम्राज्य को अपने अधीन किया।
6. भारत पर मंगोल आक्रमण का खतरा 1221 ई. में तब उत्पन्न हो गया था, जब चंगेज खाँ सिंधु नदी तक आ गया था। वह किसका पीछा करता हुआ आया था? 
(a) जलालुद्दीन मंगबरनी
(b) अलाउद्दीन आलम शाह
(c) जमालुद्दीन ख्वाजा
(d) नासिरुद्दीन कुबाचा
उत्तर - (a)
व्याख्या- इल्तुतमिश के समय ही दिल्ली सल्तनत पर मंगोल आक्रमण का खतरा भी मंडराने लगा। 1221 ई. में मुस्लिमों के प्रतिष्ठित राज्य ख्वारिज्म को मंगोलों ने जीत लिया। उसके बाद ख्वारिज्म का राजकुमार जलालुद्दीन मंगबरनी भारत की ओर भागा।
चंगेज खाँ उसका पीछा करते हुए सिंधु नदी तक आ गया। मंगबरनी ने इल्तुतमिश से शरण माँगी, परंतु इल्तुतमिश ने शरण देने से मना कर दिया। अंत में चंगेज खाँ सिंधु नदी से आगे नहीं बढ़ा। इस प्रकार मंगोल आक्रमण का खतरा टल गया।
7. रजिया सुल्तान के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. रजिया ने अपने अभिलेखों और सिक्कों पर अंकित करवाया कि वह सुल्तान इल्तुतमिश की पुत्री है।
2. मिनहास - ए - सिराज ने रजिया को उसके भाइयों में सबसे अधिक योग्य और सक्षम बताया है।
3. होयसल वंश की रानी रुद्रम्मा देवी के व्यवहार से रजिया का व्यवहार समानता रखता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 1
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- रजिया सुल्तान के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं।
रजिया सुल्तान ने अपने अभिलेखों एवं सिक्कों पर सुल्तान इल्तुतमिश की बेटी अंकित करवाया। रजिया ने पर्दा-प्रथा को त्याग दिया और यह पुरुषों के समान कुबा (कोट) और कुलाह (टोपी) पहनकर दरबार में बैठती थी। रजिया पहली मुस्लिम शासिका थी।
मिनहास-ए-सिराज ने रजिया को उसके भाइयों में सबसे अधिक योग्य और सक्षम बताया है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि आधुनिक आंध्र प्रदेश के वारंगल क्षेत्र में किसी समय काकतीय वंश का राज था, उस वंश की रानी रुद्रम्मा देवी के व्यवहार से रजिया सुल्तान के व्यवहार में कोई समानता नहीं थी।
8. निम्नलिखित में किसने किस शासक के बारे में लिखा है कि "उस दिन से बारान, अमरोहा, संभल और कटेहर ( आधुनिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश) के इक्ता सुरक्षित हो गए और उन्हें उपद्रवों से हमेशा के लिए मुक्ति मिल गई ।  "
(a) बरनी ने बलबन के बारे में
(b) मिनहास-ए-सिराज ने तुगरिल खाँ के बारे में
(c) बरनी ने बुगरा खाँ के बारे में
(d) इब्नबतूता ने मुहम्मद बिन तुगलक के बारे में
उत्तर - (a)
व्याख्या- उक्त कथन बलबन के संबंध में इतिहासकार बरनी ने कहा है । जियाउद्दीन बरनी भारत का इतिहास लिखने वाला पहला इतिहासकार है। बरनी ने बलबन की मेवातियों से निपटने की नीति 'खून और फौलाद' (रक्त और लौह की नीति) की व्याख्या करते हुए कहा है कि “उस दिन बारान, अमरोहा, संभल एवं कटेहर के इक्ता सुरक्षित हो गए एवं उन्हें उपद्रवों से हमेशा के लिए मुक्ति मिल गई । ”
9. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन बलबन के संबंध में सत्य नहीं है?
(a) उसने 'नियामत-ए- खुदाई' के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
(b) उसने इक्तादारी व्यवस्था प्रारंभ की।
(c) उसने तुर्कान - ए - चहलगानी का प्रभाव समाप्त किया।
(d) उसने बंगाल के विद्रोह का दमन किया।
उत्तर - (b)
व्याख्या- बलबन के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि इक्ता प्रणाली की व्यवस्था बलबन ने नहीं, बल्कि इल्तुतमिश ने आरंभ की थी। बलबन 1265 ई. में दिल्ली सल्तनत की गद्दी पर बैठा तथा उसने नियामत - ए - खुदाई के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। तुर्कान ए-चहलगानी अमीरों के दल का हिस्सा था, जिसका बलबन ने दमन कर दिया था। बलबन ने बंगाल के विद्रोह को दबाने के लिए अभियान भी किया।
10. गयासुद्दीन बलबन के सुल्तान बनने के पश्चात् हुई विभिन्न घटनाओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. बलबन ने दरबार में 'खून और फौलाद' की नीति का पालन करवाया।
2. मंगोल आक्रमणकारी अब्दुल्ला (हलाकू का पौत्र) ने बलबन के काल में दिल्ली पर आक्रमण किया था।
3. बलबन ने बंगाल अभियान के पश्चात् बुगरा खाँ को बंगाल का सूबेदार बनाया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 2
(b) 1 और 3 
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- गयासुद्दीन बलबन के सुल्तान बनने के पश्चात् हुई घटनाओं के संबंध में कथन (2) असत्य हैं।
बलबन ने अपनी कूटनीति एवं शक्ति की मिली-जुली नीति (खून और फौलाद) अपनाई। इसने अपनी कूटनीति के अंतर्गत ईरान के मंगोल शासक इल-खान हलाकू के पास अपना दूत राजनीतिक संबंध स्थापित करने के लिए भेजा। हलाकू ने भी अपने दूत भेजकर राजनीतिक संबंध स्थापित किए, परंतु बलबन की मृत्यु के बाद 1292 ई. में हलाकू का एक पौत्र अब्दुल्ला 1,50,000 घुड़सवारों के साथ दिल्ली की ओर बढ़ चला, , लेकिन जलालुद्दीन खिलजी ने बलबन द्वारा स्थापित भटिंडा, सुनाम आदि में स्थापित सीमा सुरक्षा के निकट उसे पराजित कर दिया।
11. बलबन के शासनकाल में बंगाल के लखनौती में किस शासक ने विद्रोह किया था, जिसको दबाने के लिए बलबन स्वयं बंगाल अभियान पर गया था? 
(a) तुगरिल खान ने
(b) इबान खान ने
(c) बुगरा खाँ ने
(d) बख्तियार खिलजी ने
उत्तर - (a)
व्याख्या- बलबन ने दिल्ली सल्तनत को सशक्त बनाने के लिए पूर्वी भारत पर नियंत्रण की प्रक्रिया आरंभ की। बंगाल में तुगरिल खान ने पहले तो बलबन की अधीनता स्वीकार कर ली थी, परंतु बाद में उसने भी अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की, तब बलबन ने स्वयं सेना लेकर लखनौती (1280 ई.) पर चढ़ाई की और तुगरिल खान को समाप्त कर दिया तथा उसके परिजनों को भी अमानवीय दंड दिए। यह सैनिक अभियान तीन वर्ष तक चला था, जिसका नेतृत्व बलबन ने दिल्ली से दूर जाकर किया था।
12. बलबन के समय में हुए मंगोल आक्रमणों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. 1245 ई. में बलबन ने मंगोल सेनापति तैर बहादुर को पराजित किया।
2. बलबन ने मंगोलों से मुल्तान को पुनः छीन लिया तथा दिल्ली सल्तनत मिला लिया।
3. बलबन ने मंगोलों से लड़ने के लिए तबरहिंद, सुनाम और समाना के किलों की मरम्मत करवाई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- बलबन के समय में हुए मंगोल आक्रमणों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं ।
लाहौर विजित करने के बाद मंगोल सेना ने सेनापति तैर बहादुर के नेतृत्व में 1245 ई. में मुल्तान पर चढ़ाई की। बलबन ने एक विशाल सेना लेकर मुल्तान की रक्षा की तथा मंगोल सेनापति तैर बहादुर को परास्त किया और मुल्तान को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया।
बलबन ने मंगोलों को व्यास नदी पार करने से रोकने के लिए तबरहिंद, सुनाम एवं समाना के किलों की मरम्मत करवाई।

खिलजी वंश

1. खिलजी वंश के किस सुल्तान ने 'शासितों के स्वैच्छिक स आधारित राज्य' के सिद्धांत का पालन किया?
(a) जलालुद्दीन खिलजी
(b) अलाउद्दीन खिलजी
(c) मुबारक खिलजी
(d) नासिरुद्दीन खिलजी
उत्तर - (a)
व्याख्या- जलालुद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का वह पहला शासक था, जिसने स्पष्ट शब्दों में यह विचार रखा कि राज्य को 'शासितों के स्वैच्छिक समर्थन पर आधारित ' होना चाहिए, क्योंकि भारत में हिंदुओं की संख्या अधिक है, इसलिए यह देश सही अर्थों में इस्लामी राष्ट्र नहीं हो सकता।
जलालुद्दीन खिलजी ने सहिष्णुता का व्यवहार करने एवं राजाओं का सहारा न लेने की नीति अपनाकर अमीरों की सद्भावना भी प्राप्त करने की कोशिश की।
2. खिलजी वंश के संस्थापक जलालुद्दीन खिलजी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. खिलजी अमीरों ने 1290 ई. में जलालुद्दीन खिलजी को दिल्ली की गद्दी पर बैठाया।
2. जलालुद्दीन खिलजी के सुल्तान बनने से कुछ पदों पर तुर्कों का एकाधिकार समाप्त हो गया।
3. सुल्तान बनने से पूर्व वह उत्तर पश्चिम सीमा का प्रधान रक्षक था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- खिलजी वंश के संस्थापक जलालुद्दीन खिलजी के संबंध में सभी कथन सत्य हैं ।
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने गुलाम वंश के अंतिम शासक कैकुबाद की हत्या कर 1290 ई. में खिलजी वंश की स्थापना की। खिलजी वंश दिल्ली सल्तनत के अंतर्गत शासन करने वाला दूसरा वंश था, जो मध्य एशिया से आया था। शासक बनने के बाद भी जलालुद्दीन खिलजी ने सिंहासनारोहण से मना कर दिया तथा दिल्ली में किलोखरी महल को अपनी राजधानी बनाया।
जलालुद्दीन खिलजी, जो मिश्रित रक्त था, ने तुर्कों को ऊँचे पदों से वंचित नहीं किया था, लेकिन उसके उदय के साथ ही उच्च पदों पर तुर्कों का एकाधिकार समाप्त हो गया था।
सुल्तान बनने से पूर्व जलालुद्दीन खिलजी उत्तर-पश्चिम सीमा का प्रधान रक्षक था और उसने अनेक लड़ाइयों में मंगोलों के विरुद्ध अपना जौहर दिखाया था।
3. अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316 ई.) के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) अलाउद्दीन ने अपने पिता जलालुद्दीन खिलजी को धोखे से मारकर गद्दी प्राप्त की।
(b) वह सुल्तान बनने से पूर्व अवध का सूबेदार था।
(c) अलाउद्दीन के सेनापति मलिक काफूर ने देवगिरि पर आक्रमण किया था।
(d) अलाउद्दीन ने सरदारों को अपना स्वामीभक्त बनाया।
उत्तर - (a)
व्याख्या- अलाउद्दीन खिलजी के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है। जलालुद्दीन खिलजी का भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन खिलजी ने अपने ससुर जलालुद्दीन की धोखे से हत्या कर सत्ता प्राप्त की। यह बलबन के लालमहल में अलाउद्दीन नियाबुद्दीन मोहम्मद गुरशास्प के नाम की उपाधि के साथ सिंहासनारूढ़ (1296 ई.) हुआ।
अलाउद्दीन ने परोपकारिता एवं मानवतावाद पर आधारित शासन के सिद्धांत को अस्वीकार कर कठोरता एवं आतंक को अपने शासन का आधार बनाया ।
4. अलाउद्दीन खिलजी के समय हुए मंगोल आक्रमणों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सबसे ज्यादा मंगोल आक्रमण अलाउद्दीन खिलजी के काल में हुए थे ।
2. मंगोल आक्रमण का सामना करने के लिए उसने एक विशाल अस्थायी सेना का गठन किया था।
3. उसने अपने सैनिकों के लिए 'सीरी' नामक एक नया गैरिसन शहर नहीं बसाया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य नहीं है / हैं ?
(a) 1 और 3
(b) केवल 2 
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 1
उत्तर - (b)
व्याख्या- अलाउद्दीन खिलजी के समय हुए मंगोल आक्रमणों के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य नहीं हैं, क्योंकि मंगोल आक्रमण का सामना करने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने एक स्थायी सेना को गठित किया, न कि अस्थायी सेना को अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में 1290-1300 ई. तथा 1302-1303 ई. के मध्य मंगोल आक्रमण हुए थे।
अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सैनिकों के लिए मंगोल आक्रमण से सुरक्षा हेतु सीरी नामक एक गैरीसन शहर का निर्माण किया था।
5. अलाउद्दीन खिलजी के गुलाम तथा सेनापति मलिक काफूर के दक्षिण अभियान के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने मदुरै नगर पर आक्रमण कर उसे लूटा था।
2. उसने द्वारसमुद्र के होयसलों पर आक्रमण किया था।
3. उसने देवगिरि के शासक राय रामचंद्र को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- अलाउद्दीन खिलजी के गुलाम तथा सेनापति मलिक काफूर के दक्षिण अभियान के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
दिल्ली सल्तनत के शासक अलाउद्दीन खिलजी के दास गुलाम एवं विश्वासपात्र मलिक काफूर ने देवगिरि, वारंगल, द्वार समुद्र के होयसल, मुदैर तथा माबर जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों पर आक्रमण कर तथा उन क्षेत्रों को लूटा एवं विजित कर अपने मालिक अलाउद्दीन खिलजी के साम्राज्य में मिला दिया था। इसने इन अभियानों के दौरान दिल्ली सल्तनत के लिए बड़ी संख्या में खजाना, हाथी एवं घोड़े प्राप्त किए थे।
अलाउद्दीन की दक्कन विजय को मलिक काफूर ने संभव बनाया था और उसने इसी दौरान देवगिरि के शासक राय रामचंद्र को आत्मसमर्पण के लिए भी मजबूर किया और परिणामस्वरूप राय रामचंद्र 1315 ई. तक दिल्ली सल्तनत का वफादार बना रहा।
6. सैनिकों को वेतन देने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने कौन-सा तरीका अपनाया था ? 
(a) उसने सैनिकों को इक्ता के स्थान पर नकद वेतन दिया।
(b) उसने सैनिकों को नकद वेतन की जगह इक्ता दिया।
(c) उसने सैनिकों को दैनिक मजदूरी पर नियुक्त किया।
(d) उसने सैनिकों को सेवा के उपरांत वेतन देना तय किया।
उत्तर - (a)
व्याख्या- अलाउद्दीन खिलजी ने सैनिकों को इक्ता (भूमि) प्रदान करने के बदले नकद वेतन देने की प्रथा प्रारंभ की। अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में महत्त्वपूर्ण सैनिक सुधार संभवतः चित्तौड़ एवं रणथंभौर विजय के पश्चात् लागू किए गए थे।
खिलजी के शासनकाल में सेनानायकों को विभिन्न क्षेत्रों के सूबेदार के रूप में नियुक्त किया गया तथा इन क्षेत्रों को इक्ता कहा जाता था और उन्हें संभालने वाले अधिकारी इक्तादार या मुक्ती कहे जाते थे। ये इक्तादार सैनिक सेवाओं के बदले अपने क्षेत्रों में राजस्व वसूलते थे तथा इस राजस्व के रूप में मिली रकम से ही सैनिकों को वेतन दिया जाता था।
7. गुजरात विजय के पश्चात् अलाउद्दीन ने रणथंभौर ( राजस्थान ) पर आक्रमण किया। पृथ्वीराज चौहान का कौन-सा उत्तराधिकारी वहाँ शासन कर रहा था ? 
(a) राजा रतन सिंह 
(b) राजा रामरायन
(c) राजा हम्मीर देव
(d) विक्रम सिंह चौहान
उत्तर - (c)
व्याख्या- पृथ्वीराज चौहान का उत्तराधिकारी राजा हम्मीर देव रणथंभौर का शासक था। रणथंभौर अभियान की पूर्वपीठिका गुजरात अभियान में ही तैयार हो गई थी। वस्तुत: गुजरात अभियान के पश्चात् वापस लौटती हुई सेना में युद्ध की लूट के बँटवारे को लेकर संघर्ष छिड़ गया। कुछ सैनिकों ने सरकारी कोष से धन लेकर रणथंभौर में शरण ली, जिसके बाद अलाउद्दीन ने रणथंभौर के शासक हम्मीर देव से उन सैनिकों को वापस करने का प्रस्ताव भेजा, परंतु हम्मीर देव ने इनकार कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप अलाउद्दीन ने नुसरत खाँ के नेतृत्व में एक सेना भेजी, परंतु नुसरत खाँ मारा गया। अंतत: अलाउद्दीन स्वयं रणथंभौर अभियान का नेतृत्व किया, जिसमें हम्मीर देव अपने सैनिकों के साथ लड़ते हुए मारा गया।
8. अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ आक्रमण के संबंध में किसने कहा है कि 'रानी पद्मिनी सिंहलद्वीप की रानी थी'?
(a) अमीर खुसरो 
(b) हसन निजामी
(c) मलिक मुहम्मद जायसी
(d) खिज्र खाँ
उत्तर - (c)
व्याख्या- अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ आक्रमण के संबंध में मलिक मुहम्मद जायसी ने कहा है कि 'रानी पद्मिनी सिंहलद्वीप की रानी थी।' अलाउद्दीन खिलजी का चित्तौड़ अभियान राजा रतन सिंह के विरुद्ध था। इस अभियान के दो मुख्य कारण थे- पहला राजा रतन सिंह का वृहद् साम्राज्य क्षेत्र तथा दूसरा राजा रतन सिंह की पत्नी रानी पद्मावती को प्राप्त करना, लेकिन बहुत से आधुनिक इतिहासकार इस दूसरे कारण को सत्य नहीं मानते, क्योंकि इसका प्रथम उल्लेख अलाउद्दीन की चित्तौड़ विजय के सौ वर्षों बाद हुआ। इसकी सर्वप्रथम रचना कवि मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा की गई। इस कथा में रानी पद्मिनी या पद्मावती को सिंघलद्वीप की रानी बताया गया है तथा रतन सिंह अनेक अविश्वसनीय साहसिक कार्य एवं पराक्रम करते हुए सात समुद्र करके रानी को चित्तौड़ लाता है।
9. अलाउद्दीन खिलजी के दरबारी कवि अमीर खुसरो के संबंध में निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) चित्तौड़ अभियान में वह अलाउद्दीन के साथ था।
(b) उसने रणथंभौर के किले का सजीव वर्णन किया था।
(c) अमीर खुसरो ने दक्षिण अभियान पर पुस्तक की रचना की थी।
(d) अमीर खुसरो ने अलाउद्दीन खिलजी के अतिरिक्त अन्य सुल्तानों का शासन भी देखा था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- अलाउद्दीन खिलजी के दरबारी कवि अमीर खुसरो के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि अलाउद्दीन खिलजी का दरबारी कवि अमीर खुसरो, इसके चित्तौड़ अभियान में शामिल नहीं था, बल्कि अमीर खुसरो अलाउद्दीन के रणथंभौर अभियान में शामिल था।
अमीर खुसरो दिल्ली सल्तनत के प्रमुख कवि, शायर, गायक, इतिहासकार एवं संगीतकार थे। इनका परिवार कई पीढ़ियों से राजदरबार से संबंधित था, स्वयं अमीर खुसरो ने 8 सुल्तानों का शासन देखा था। अमीर खुसरो प्रथम मुस्लिम कवि थे, जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया था।
10. दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने भूमि में फसल की माप का आधा राजस्व के रूप में लेने का दावा प्रस्तुत किया?
(a) इल्तुतमिश 
(b) बलबन
(c) अलाउद्दीन खिलजी
(d) मुहम्मद बिन तुगलक
उत्तर - (c)
व्याख्या- अलाउद्दीन खिलजी ने भू-राजस्व प्रणाली में सुधार किया। उसने भूमि में फसल की माप का आधा हिस्सा राजस्व के रूप में लेने का दावा प्रस्तुत किया। अलाउद्दीन खिलजी ने खूत (भू-राजस्व) और मुकद्दम (मुखिया) जैसे जमींदारों की शक्ति को क्षीण करते हुए सीधे राजस्व भुगतान की प्रक्रिया आरंभ की। इस प्रकार गाँव के शक्तिशाली और धनाढ्य लोगों के भू-राजस्व अधिकारों को समाप्त कर सल्तनत को अधिक लाभ दिया गया।

तुगलक वंश

1. गयासुद्दीन तुगलक से संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसने 1420 ई. में तुगलक वंश की स्थापना की थी।
2. गयासुद्दीन के पुत्र फिरोजशाह तुगलक का विस्तार अलाउद्दीन खिलजी के साम्राज्य के बराबर था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- गयासुद्दीन तुगलक के संबंध में दिए गए कथनों में से कोई भी कथन सत्य नहीं है।
गयासुद्दीन/ ग्यासुद्दीन ने 1320 ई. में तुगलक वंश की स्थापना की थी। गयासुद्दीन का मूल नाम 'गाजी तुगलक' अथवा 'गाजी बेग तुगलक' था । वह एक महत्त्वाकांक्षी शासक था, जिसने सुदूर दक्षिण तक सल्तनत पर प्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित किया गयासुद्दीन तुगलक के पुत्र जौना खाँ ने दक्षिणी अभियानों का नेतृत्व किया था और राजमुंदरी अभिलेख में उसे दुनिया का खान कहा गया।
फिरोजशाह तुगलक का साम्राज्य अलाउद्दीन खिलजी की अपेक्षा छोटा था। उसका नियंत्रण दक्षिण तथा पूर्वी भारत पर कमजोर हुआ था। वस्तुतः उसकी मृत्यु के पश्चात् तुगलक वंश का विघटन हो गया और उत्तर भारत अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बँट गया।
2. मुहम्मद बिन तुगलक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसने नया गैरिसन शहर बनाने के स्थान पर दिल्ली के 'देहली - ए - कुहना' को सैनिक छावनी में तब्दील कर दिया।
2. उसने पुराने शहर के निवासियों को दक्षिण में बनी नई राजधानी दौलताबाद भेज दिया।
3. उसके शासनकाल में ईरानी यात्री इब्नबतूता भारत आया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 3
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 4
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुहम्मद बिन तुगलक के संबंध में कथन (3) असत्य है, क्योंकि मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में ईरानी यात्री नहीं, बल्कि मोरक्को यात्री इब्नबतूता 1333 ई. में भारत आया था। सुल्तान ने इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया था।
दिल्ली सल्तनत के इतिहास में मोहम्मद बिन तुगलक सर्वाधिक विलक्षण व्यक्तित्व का स्वामी था। यह दिल्ली सल्तनत का सबसे योग्य एवं शिक्षित शासक था। यह फारसी एवं अरबी का विद्वान् था।
3. मुहम्मद बिन तुगलक के द्वारा लिए गए विभिन्न निर्णयों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. वह अपने सैनिकों को नकद वेतन देता था।
2. उसने आज की कागजी मुद्रा की तरह 'टोकन' मुद्रा चलाई थी ।
3. यह 'टोकन' मुद्रा सोने और चाँदी के समान महँगी थी।
4. चौदहवीं सदी के लोगों ने टोकन मुद्रा पर भरोसा व्यक्त किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुहम्मद बिन तुगलक के द्वारा लिए गए विभिन्न निर्णयों के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
मुहम्मद बिन तुगलक अपने सैनिकों को नकद वेतन देता था तथा उसने एक बड़ी सेना स्थापित की थी। चाँदी की कमी के कारण मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में सांकेतिक या टोकन मुद्रा का प्रचलन किया गया, इस सांकेतिक मुद्रा के अंतर्गत पीतल/काँसे की मुद्रा प्रयोग में लाई गई।
पीतल की मुद्रा/सिक्के चलाने वाला प्रथम सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक ही था। कांस्य / पीतल की मुद्रा का मूल्य चाँदी की मुद्रा के बराबर रखा गया। सिक्कों पर फारसी तथा अरबी भाषा में लेख लिखे गए थे।
लोगों ने सरलता से अपने घरों में सिक्के बनाने शुरू कर दिए, जो राजकीय सिक्कों जैसे ही थे। राजकोष को भारी नुकसान हुआ, जिसके परिणामस्वरूप इसे सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन बंद करना पड़ा।
4. मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा किए गए प्रयोगों को क्रम के अनुसार व्यवस्थित करें
(a) राजधानी परिवर्तन कर वृद्धि - सांकेतिक मुद्रा खुरासान अभियान
(b) सांकेतिक मुद्रा- खुरासान अभियान - कर वृद्धि - राजधानी परिवर्तन
(c) कर वृद्धि - राजधानी परिवर्तन - सांकेतिक मुद्रा खुरासान अभियान
(d) सांकेतिक मुद्रा-राजधानी परिवर्तन कर वृद्धि - खुरासान अभियान
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा प्रयोगों का सही क्रम इस प्रकार से है - कर वृद्धि - राजधानी परिवर्तन- सांकेतिक मुद्राखुरासान अभियान ।
मुहम्मद बिन तुगलक ने 1325-27 ई. के मध्य इस क्षेत्र में कर वृद्धि 50% तक कर दी थी। जिस समय दोआब में कर वृद्धि की गई, उस समय दोआब में अकाल एवं सूखा पड़ रहा था।
मुहम्मद तुगलक ने 1326-27 ई. में दिल्ली के स्थान पर देवगिरि को राजधानी बनाया तथा इसका नाम दौलताबाद रखा।
मुहम्मद बिन तुगलक ने 1329-30 ई. में सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन किया, जो असफल रहा।
1333 ई. में तुगलक ने मंगोलों के विरुद्ध खुरासान अभियान किया था।
5. मुहम्मद बिन तुगलक के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इसके काल में तमीशिरिन के नेतृत्व में मंगोलों ने सिंध पर आक्रमण किया था।
2. उसने सिंध विजय प्राप्त की और कलानौर, पेशावर तक अधिकार कायम किया।
3. उसे 'अभागा आदर्शवादी' की संज्ञा दी गई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुहम्मद -बिन-तुगलक के संदर्भ में सभी कथन सत्य हैं। 1327 ई. में मंगोल आक्रमणकारी तर्माशिरिन ने भारत के सिंध क्षेत्र पर आक्रमण किया था तथा इन आक्रमणकारियों ने लाहौर एवं मुल्तान को रौंद डाला, साथ ही मेरठ व बदायूँ तक लूटपाट की। मुहम्मद तुगलक की सेना ने उसे पराजित किया, परंतु इतिहासकार फरिश्ता कहता है कि 'तुगलक ने मंगोलों को रिश्वत देकर वापस भेज दिया।
मुहम्मद बिन तुगलक ने सिंध को जीतकर कलानौर तथा पेशावर तक अधिकार कर लिया । मुहम्मद बिन तुगलक को अभागा आदर्शवादी भी कहा गया।
6. मुहम्मद बिन तुगलक के काल से संबंधित कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) अली गुरशास्प का विद्रोह इसी के काल में हुआ था।
(b) उसने देवगिरि का नाम बदलकर दौलताबाद कर दिया था।
(c) तुर्क आक्रमण से बचने के लिए उसने राजधानी परिवर्तन किया था।
(d) मुहम्मद बिन तुगलक ने सूफियों को दौलताबाद जाने का आदेश दिया था।
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुहम्मद बिन तुगलक के काल से संबंधित कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि मुहम्मद- - बिन तुगलक ने तुर्क आक्रमण से बचने के लिए राजधानी परिवर्तित नहीं की थी। राजधानी परिवर्तन मुहम्मद बिन तुगलक की योजनाओं में सर्वाधिक प्रतिक्रियावादी कार्य माना जाता है। कुतुबुद्दीन ऐबक एवं मुबारक खिलजी ने देवगिरि का नाम कुतुबाबाद रखा था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने इसे राजधानी बनाया एवं देवगिरि का नाम दौलताबाद रखा। दिल्ली के स्थान पर देवगिरि राजधानी बनाने के संबंध में अनेक मत दिए जाते हैं। इब्नबतूता के अनुसार, सुल्तान को दिल्ली के नागरिकों ने असम्मानपूर्ण पत्र लिखे थे, अतएव उन्हें दंडित करने के लिए देवगिरि को राजधानी बनाने का निर्णय लिया गया।
7. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. देवगिरि दक्षिण भारत में तुर्क शासन के विस्तार का आधार था।
2. मुहम्मद-बिन-तुगलक ने शहजादे के तौर पर देवगिरि में कई वर्ष बिताए थे।
3. मुहम्मद बिन तुगलक ने इब्नबतूता को सद्र नियुक्त किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। मुहम्मद बिन तुगलक ने राजसत्ता प्राप्त करने के बाद सबसे विवादास्पद कदम राजधानी स्थानांतरण करके उठाया था। इसने दिल्ली के स्थान पर देवगिरि को राजधानी (1326-27 ई.) बनाया तथा इसका नाम दौलताबाद रख दिया, परंतु जनता के विद्रोहों के कारण मुहम्मद तुगलक ने 1335 ई. में दिल्ली को पुनः राजधानी बनाया तथा लोगों को लौटने का आदेश दिया।
मोरक्को का यात्री इब्नबतूता मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में भारत आया था। इब्नबतूता को दिल्ली का सद्र नियुक्त किया गया था।
8. फिरोजशाह तुगलक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. यह मुहम्मद तुगलक का पुत्र था।
2. इसका शासनकाल 1351 ई. से 1388 ई. तक था।
3. फिरोज ने अमीरों को लगान का अनुदान दिया था।
4. वह सरदारों के साथ व्यवहार करने में उदार था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3 
(b) 2, 3 और 4
(c) 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर - (b)
व्याख्या- फिरोजशाह तुगलक के संबंध में कथन (2), (3) और (4) सत्य हैं। मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के बाद इसका चचेरा भाई फिरोजशाह दिल्ली सल्तनत का सुल्तान बना।
यह गयासुद्दीन तुगलक के भाई मलिक रज्जब का पुत्र था, इसकी माता मैला नाइला अबोहर के भट्टी राजपूत राय रनमल की पुत्री थी। उसने 1351 ई. से 1388 ई. तक शासन किया।
फिरोज अमीर तथा सरदारों के प्रति उदार था, उसने अमीरों को लगान का अनुदान दिया।
9. निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) फिरोज ने बंगाल पर दो बार आक्रमण किया और सफल रहा।
(b) फिरोज ने जाजनगर के शासक पर चढ़ाई की।
(c) फिरोज ने पंजाब की पहाड़ियों में कांगड़ा पर हमला किया।
(d) फिरोज ने गुजरात और थट्टा के विद्रोहों को दबा दिया।
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (a) सत्य नहीं है कि फिरोजशाह ने बंगाल पर दो बार आक्रमण किया तथा सफल रहा। बंगाल मुहम्मद बिन तुगलक के समय स्वतंत्र हो गया था तथा हाजी इलियास शम्सुद्दीन इलियास शाह नाम से बंगाल का स्वतंत्र शासक बन गया। फिरोजशाह तुगलक ने शम्सुद्दीन से संधि कर उसे बंगाल का शासक स्वीकार कर लिया। फिरोजशाह का प्रथम बंगाल अभियान असफल रहा। इसके बाद पुन: 1359 ई. में बंगाल का अभियान हुआ, फिरोजशाह का यह अभियान असफल रहा।
10. फिरोज तुगलक की धार्मिक नीति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने मुसलमान स्त्रियों के इबादत करने और मन्नतें माँगने के लिए पीरों की मजारों पर जाने के रिवाज पर रोक लगा दी।
2. फिरोज ने जजिया को एक अलग कर बना दिया।
3. उसने ब्राह्मणों को जजिया कर से मुक्त कर दिया।
4. उसने स्त्रियों, बच्चों, अंधों- अपंगों को जजिया से मुक्त कर दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1, 2 और 4
(b) 2, 3 और 4
(c) 3 और 4
(d) 1, 3 और 4
उत्तर - (a)
व्याख्या- फिरोजशाह तुगलक की धार्मिक नीति के संबंध में कथन (1), (2) और (4) सत्य हैं ।
उसने स्त्रियों, बच्चों तथा अपंगों को जजिया से मुक्त किया। फिरोज के समय पहली बार जजिया अलग कर बना। फिरोजशाह तुगलक ने पीरों की मजारों पर महिलाओं के जाने पर रोक लगा दी, जो शरियत के तहत प्रतिबंधित था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि फिरोजशाह तुगलक पहला शासक था, जिसने ब्राह्मणों पर जजिया कर लगाया था।
11. फिरोज द्वारा बनवाई गई सबसे बड़ी नहर 200 किमी लंबी थी। यह कहाँ से कहाँ तक जाती थी?
(a) सतलुज से निकलकर हाँसी तक
(b) यमुना से निकलकर इटावा तक
(c) गंगा से निकलकर हिसार- फिरोजा तक
(d) ब्रह्मपुत्र से निकलकर बंगाल तक
उत्तर - (a)
व्याख्या- फिरोजशाह तुगलक ने 200 किमी लंबी सबसे बड़ी नहर बनवाई थी। यह सबसे बड़ी नहर सतलुज से निकलकर हाँसी तक जाती थी। फिरोजशाह तुगलक ने कई नहरों की मरम्मत करवाई तथा कई नई नहरें • खुदवाईं, इसने कुल पाँच नहरों का निर्माण करवाया था।
12. फिरोज ने आदेश दिया था कि किसी स्थान पर हमले के दौरान सुंदर और कुलीन परिवारों से उत्पन्न लड़कों को चुनकर गुलाम के रूप में भेजा जाए। इस प्रकार फिरोज के पास गुलामों की संख्या कितनी हो गई थी ? 
(a) लगभग 160000 गुलाम
(b) लगभग 180000 गुलाम
(c) लगभग 200000 गुलाम
(d) लगभग 250000 गुलाम
उत्तर - (b)
व्याख्या- फिरोजशाह तुगलक ने आर्थिक स्थिति के महत्त्व के साथ-साथ राजनीतिक स्थिति को भी महत्त्व दिया था। इसने अपने अधिकारियों को आदेश दिया था कि जब किसी स्थान पर आक्रमण हो, तो सुंदर एवं कुलीन परिवारों से उत्पन्न लड़कों को चुनकर सुल्तान के पास गुलामों के रूप में भेज दें, इस प्रकार धीरे-धीरे 180000 गुलाम एकत्रित कर लिए गए। इनमें से कुछ को फिरोजशाह ने विभिन्न दस्तकारियों का प्रशिक्षण दिलवाकर साम्राज्य के शाही कारखानों में नियुक्त कर दिया।
13. नासिरुद्दीन महमूद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. वह फिरोजशाह तुगलक का पुत्र था।
2. वह सुल्तान महमूद का पुत्र था।
3. उसका शासन 13941412 ई. तक था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- नासिरुद्दीन महमूद के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं।
फिरोजशाह की मृत्यु के बाद उसका पौत्र गयासुद्दीन तुगलक 1388 ई. में सिंहासन पर बैठा। इसके पश्चात् अबुबक्र, अलाउद्दीन सिकंदर शाह शासक बना। अलाउद्दीन सिकंदर शाह की मृत्यु के पश्चात् नासिरुद्दीन महमूद (1394-1412 ई.) दिल्ली सल्तनत का शासक बना। यह तुगलक वंश का अंतिम एवं अयोग्य शासक था। इसके शासनकाल में तैमूर लंग का आक्रमण हुआ, जिसमें महमूद पराजित होकर गुजरात भाग गया।
14. किस वंश के अंतिम शासकों के लिए एक वाक्पटु व्यक्ति ने कहा "शाहे- जहाँ ( दुनिया के बादशाह) की हुकूमत दिल्ली से लेकर पालम तक चलती है। " 
(a) लोदी वंश के शासकों के लिए
(b) तुगलक वंश के शासकों के लिए
(c) खिलजी वंश के शासकों के लिए
(d) सैयद वंश के शासकों के लिए
उत्तर - (b)
व्याख्या- उपर्युक्त वाक्य तुगलक के शासकों के लिए कहा गया है। फिरोजशाह तुगलक के सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत अमीर लोग बहुत ही शक्तिशाली हो गए थे तथा कमजोर सेना के प्रांतों के सूबेदार आजाद हो गए तथा दिल्ली के सुल्तान की सत्ता वस्तुतः दिल्ली के आस-पास के कुछ क्षेत्रों तक सिमट कर रह गई जैसा कि एक वाक्पटु व्यक्ति ने कहा “शाहे जहाँ ( दुनिया के बादशाह) की हुकूमत दिल्ली से लेकर पालम तक चलती है।”
15. तैमूर लंग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. वह एक अरबी आक्रमणकारी था।
2. उसने नासिरुद्दीन महमूद के काल में आक्रमण किया था।
3. वह चंगेज खाँ से खून के रिश्ते का दावा करता था।
4. उसने अपनी विजय का दौर 1360 ई. में आरंभ किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) 2, 3 और 4
(c) 3 और 4
(d) 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- तैमूर लंग के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं।
तुर्की आक्रमणकारी तैमूर लंग ने 1398 ई. में तुगलक शासक नासिरुद्दीन महमूद (1399-1412 ई.) के समय में आक्रमण किया। तैमूर लंग ने चंगेज खाँ के साथ खून के रिश्ते का दावा किया और इसने अपनी विजय का दौर 1370 ई. में प्रारंभ किया तथा इसने सीरिया से लेकर सिंधु नदी के प्रदेशों पर अपनी सत्ता स्थापित कर ली थी।

सैयद और लोदी वंश

1. 1414 ई. में एक स्थानीय शासक ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया। उसने स्वयं को सुल्तान घोषित कर दिया। उसने किस वंश की स्थापना की थी ? 
(a) सैयद वंश 
(b) खिज्र वंश
(c) अफगानी वंश
(d) लोदी वंश
उत्तर - (a)
व्याख्या- 1413 ई. में तुगलक वंश का पतन हो गया तथा दिल्ली क्षेत्र पर एक स्थानीय शासक ने अधिकार कर लिया और स्वयं को दिल्ली क्षेत्र का सुल्तान घोषित कर सैयद वंश की स्थापना की।
2. सैयद वंश के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें
1. सैयद वंश की स्थापना खिज्र खान ने की थी।
2. सैयद वंश का कुल शासन छः वर्षों का रहा।
3. सैयद वंश की समाप्ति 1451 ई. में हो गई थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- सैयद वंश के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं।
तैमूर लंग ने भारत से जाते समय खिज्र खान की सेवाओं से प्रसन्न होकर मुल्तान एवं दीपालपुर की सूबेदारी उसे सौंप दी, इससे खिज्र खान प्रभावशाली हो गया। कालांतर में उसने दिल्ली पर आक्रमण कर सर्वसम्मति से चुने गए दौलत खाँ को हरा दिया तथा 1414 ई. में स्वयं सुल्तान बन बैठा तथा सैयद वंश की स्थापना की।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि इस वंश के कुल चार शासकों ने 1414 ई. से 1451 ई. तक कुल 37 वर्षों तक शासन किया।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. लोदी वंश के शासक अफगानी थे।
2. लोदी वंश के शासकों ने सल्तनत को संगठित किया।
3. लोदियों का जौनपुर के साथ संघर्ष चलता रहा।
4. लोदी शासकों ने कश्मीर को अपने साम्राज्य में मिला लिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) 2, 3 और 4
(c) 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में कथन (1), (2) और (3) सत्य हैं। लोदी वंश के शासक अफगान मूल के थे। लोदी वंश के शासकों ने जौनपुर से लेकर पूर्व में पश्चिम बंगाल की गंगा घाटी तक के क्षेत्रों को दिल्ली सल्तनत के साम्राज्य में मिलाया। लोदी शासकों ने दिल्ली सल्तनत को संगठित करने का भी प्रयास किया, जिसमें कुछ सीमा तक सफल भी हुए।
कथन (4) असत्य है, क्योंकि लोदी शासकों ने कश्मीर को अपने साम्राज्य में शामिल करने में सफलता प्राप्त नहीं की थी।
4. लोदी वंश के महान शासक सिकंदर लोदी (1489-1517 ई.) ने दिल्ली सल्तनत का विस्तार अपने शासनकाल में कहाँ तक किया था?
(a) उत्तर-पश्चिम सिंध प्रांत तक 
(b) पश्चिमी बंगाल की गंगा घाटी तक
(c) कृष्णा नदी के मुहाने तक
(d) पूर्वोत्तर में खासी पहाड़ियों तक
उत्तर - (b)
व्याख्या- सिकंदर लोदी ने जौनपुर के शासक को हराकर, जौनपुर साम्राज्य को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया तथा इसने पश्चिम बंगाल की गंगा घाटी तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया। बहलोल लोदी ने अपनी मृत्यु से पूर्व अपने तीसरे पुत्र सिकंदर लोदी, जिसका मूल नाम निजाम खाँ था, को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
सल्तनत की गद्दी पर आसीन होते हुए, निजाम खाँ को सिकंदर लोदी के नाम से जाना गया। सिकंदर 1494-95 ई. में बंगाल की गंगा घाटी क्षेत्र दक्षिण बिहार पर विजय प्राप्त की तथा बंगाल शासक अलाउद्दीन हुसैन शाह से मैत्री संबंध स्थापित किए।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. लोदी शासक अफगान सरदारों की राजभक्ति पर अधिक निर्भर थे।
2. प्रमुख अफगान सरदारों ने अंतिम लोदी सुल्तान इब्राहिम लोदी का समर्थन किया।
3. 1526 ई. में इब्राहिम लोदी काबुल के शासक बाबर से पराजित हो गया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) केवल 3 
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं।
लोदी शासक अफगान सरदारों को राजभक्ति पर आधारित था। सिकंदर लोदी का ज्येष्ठ पुत्र तथा लोदी वंश का अंतिम शासक इब्राहिम लोदी दिल्ली सल्तनत की राजगद्दी पर 1517 ई. में आसीन हुआ।
1526 ई. में पानीपत का प्रथम युद्ध मुगल शासक बाबर तथा इब्राहिम लोदी के बीच हुआ, जिसमें इब्राहिम मारा गया तथा बाबर विजयी हुआ और भारत में मुगल वंश की स्थापना हुई।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि प्रमुख अफगान सरदारों ने अंतिम लोदी सुल्तान इब्राहिम लोदी को समर्थन नहीं दिया था।

दिल्ली सल्तनत की प्रशासनिक व्यवस्था

1. दिल्ली सल्तनत के राजत्व के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) तुर्क सुल्तानों ने स्वयं को बगदाद के अब्बासी खलीफा का प्रतिनिधि घोषित किया।
(b) खलीफा भारत का कानूनी शासक बन गया।
(c) सुल्तान ने स्वयं को इस्लामी दुनिया का अंग बताया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिल्ली सल्तनत के राजत्व के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है कि खलीफा भारत का कानूनी शासक बन गया। सल्तनत काल में सुल्तान तथा खलीफा का संबंध वैधानिक रूप से परिवर्तित होता रहा। यद्यपि सैद्धांतिक रूप से खलीफा राज्य का प्रधान रहा, परंतु व्यावहारिक रूप से सुल्तान की राय प्रधान थी। अनेक सुल्तानों ने खलीफा अनुमति पत्र प्राप्त कर अपने शासन को वैध बनाया, परंतु शासन पर सुल्तान की शक्ति हमेशा विद्यमान रही।
2. सल्तनतकालीन प्रशासन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. मुसलमान शासकों में उत्तराधिकार का कोई स्पष्ट नियम विकसित नहीं था।
2. गद्दी पर शासक के सभी पुत्रों को बराबरी का दावेदार माना जाता था।
3. गद्दी हासिल करने में लोकमत की उपेक्षा की जाती थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- सल्तनतकालीन प्रशासन के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। सल्तनतकालीन मुसलमान शासक मुख्यतः वैध उत्तराधिकार को स्वीकार करते थे, परंतु ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी, जिससे किसी सफल एवं शक्तिशाली सैनिक नेता को गद्दी पर जबरन अधिकार करने से रोका जा सके। सल्तनतकाल में ऐसे कई अवसर आए जब राजगद्दी के लिए अपने शासक की हत्या कर दी गई या सैनिक शक्ति के बल पर गद्दी हड़प ली गई हो।
3. किस प्रशासनिक अधिकारी के अंतर्गत महालेखा परीक्षक व्यय की जाँच-पड़ताल का कार्य करता था और महालेखाकार आय की निगरानी करता था? 
(a) वजीर
(b) दीवान-ए- आरिज
(c) सुल्तान
(d) दीवान-ए-रिसाल
उत्तर - (a)
व्याख्या- वजीर के अंतर्गत मुस्तरिफ-ए-मुमालिक (महालेखाकार) एवं मुस्तौफी-ए-मुमालिक (महालेखा परीक्षक) होता था, जो क्रमशः आय एवं व्यय की देखभाल करता था।
सल्तनतकाल में वजीर ऐसा प्रमुख अधिकारी होता था, जो इस साम्राज्य की पूरी वित्तीय व्यवस्था की देखभाल करता था। वजीर सल्तनतकाल के दीवान - ए - विजारत विभाग का प्रमुख होता था। वह सुल्तान का प्रधान सलाहकार माना जाता था एवं विशेष रूप से वित्त प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालता था। वजीर की शक्तियाँ एवं महत्त्व विभिन्न शासकों के दौरान परिवर्तित भी होती रहीं। तुगलक काल में वजीर शक्ति चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई थी।
4. दिल्ली सल्तनत की प्रचलित प्रशासनिक इकाइयों का सही क्रम निम्नलिखित में से कौन-सा है ?
(a) सूबा - शिक-परगना-गाँव
(b) परगना - गाँव- सूबा - शिक
(c) शिक-गाँव-सूबा-परगना
(d) परगना-सूबा-गाँव - शिक
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिल्ली सल्तनत की प्रचलित प्रशासनिक इकाइयों का सही क्रम सूबा - शिक-परगना-गाँव है। इनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है
सल्तनतकाल की मुख्य विशेषता इक्ता व्यवस्था थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में प्रचलित सामंती प्रथा को नष्ट करना एवं साम्राज्य के दूरस्थ प्रदेश को केंद्र से जोड़ना था। इक्ता के प्रधान को मुक्ति या वली कहते थे। बाद में इक्ता ही प्रांत या सूबा बन गए।
स्थानीय प्रशासन की सबसे बड़ी इकाई के रूप में आधुनिक जिले के समान शिक का गठन किया गया तथा इसके प्रधान को शिकदार कहा गया। शिक, सूबा के अंतर्गत आते थे, जो जिले के रूप में होते थे।
स्थानीय प्रशासन को सरल बनाने हेतु शिक का विभाजन परगना में किया जाता था, जो कई गाँवों का समूह होता था।
स्थानीय प्रशासन की सबसे छोटी इकाई के रूप में गाँव/ ग्राम का गठन किया जो एक स्वायत्त शासन का रूप था। गया,
5. सल्तनतकालीन न्याय व्यवस्था के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) काजी दीवानी का फैसला शरीयत के अनुसार करता था।
(b) हिंदुओं पर उनके अपने वैयक्तिक कानून लागू होते थे।
(c) शहरों में जातियों के मुखिया न्याय करते थे।
(d) फौजदारी कानून गाँव की पंचायतें तय करती थीं।
उत्तर - (d)
व्याख्या- सल्तनतकालीन न्याय व्यवस्था के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है कि 'फौजदारी कानून गाँव की पंचायतें तय करती थीं।' सल्तनतकाल में फौजदारी कानून शासकों द्वारा समय-समय पर बनाए गए नियमों पर आधारित होते थे। फौजदारी कानून हिंदुओं एवं मुसलमानों पर समान रूप से लागू होते थे। सुल्तान न्याय का सर्वोच्च अधिकारी था। इसके अतिरिक्त बड़ी मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में काजी एवं मुफ्ती होते थे, जो मुसलमानों के फौजदारी तथा दीवानी न्याय एवं हिंदुओं का फौजदारी न्याय करते थे।
6. सल्तनतकालीन प्रशासन में दरबार में शिष्टाचार का निर्वाह किस अधिकारी का दायित्व माना जाता था?
(a) अमीर-ए-बहर
(b) वकील - ए - दर -ए- समां
(c) बरीद
(d) अमीर
उत्तर - (b)
व्याख्या- वकील-ए-दर दरबार में मुख्य रूप से शिष्टाचार का निर्वाह करता था, यह सल्तनतकाल में एक जिम्मेदार एवं महत्त्वपूर्ण अधिकारी होता था। यह सल्तनतकाल की सभी गतिविधियों की देखरेख करता था। सल्तनतकाल में वकील-ए-दर ही निर्धारित करता था कि कौन अमीर किस स्थान पर बैठेगा।
7. इक्ता के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह स्थानीय प्रशासन से जुड़ा हुआ था। 
2. जिन अमीरों को इक्ता दिया जाता था, उन्हें वली कहा जाता था।
3. वली अपने कर्त्तव्यों में लगभग स्वतंत्र हुआ करते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 2
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- इक्ता के संबंध में दिए गए कथन सभी कथन सत्य हैं। मुहम्मद गौरी की विजय के बाद से ही भारत में इक्ता व्यवस्था के प्रमाण मिलते हैं। सल्तनतकाल में इक्ता क्षेत्र आधुनिक समय के प्रांत / सूबा से संबंधित है। इक्ता के प्रशासक मुक्ति या वली कहलाते थे। यह संबंधित क्षेत्र में भू राजस्व का संग्रह करते थे तथा उस क्षेत्र का प्रशासन देखते थे। वली संगृहीत राशि में से प्रशासनिक खर्च एवं वेतन को पूरा करने के पश्चात् जो फवाजिल (शेष रकम) बचती थी, उसे वे केंद्रीय खजाने में भेज देते थे।
8. ग्राम प्रशासन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) चौरासी गाँवों की इकाई एक पारंपरिक व्यवस्था थी।
(b) भू-स्वामी को चौधरी कहा जाता था।
(c) मुखिया को मुकद्दम कहा जाता था।
(d) पटवारी ग्राम प्रशासन का अधिकारी था।
उत्तर - (b)
व्याख्या- ग्राम प्रशासन के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि भू-स्वामी को चौधरी नहीं कहा जाता था।
सल्तनतकालीन प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत स्थानीय प्रशासन की सबसे छोटी इकाई के रूप में गाँव/ग्राम का गठन किया गया, जो एक स्वायत्त शासन का रूप होती थी। यह गाँव चौरासी (84) गाँवों की एक इकाई की पारंपरिक व्यवस्था में संगठित होते थे। इन गाँवों के प्रधान को मुखिया (मुकद्दम) कहा जाता था तथा गाँव के महत्त्वपूर्ण लोगों में खूत (भू-स्वामी) होते थे। मुखिया तथा पटवारी इसके प्रमुख अधिकारी होते थे। सामान्यतः न्याय प्रशासन का कार्य मुख्य रूप से ग्राम पंचायत करती थी।

सल्तनतकालीन आर्थिक स्थिति

1. किस विदेशी यात्री ने यह विवरण प्रस्तुत किया है कि 'भारत की मिट्टी इतनी उपजाऊ है कि साल में दो-दो फसलें उगाई जाती हैं और चावल की तो तीन-तीन फसलें उत्पन्न की जाती हैं ?
(a) मोरक्को के यात्री इब्नबतूता 
(b) अरब यात्री सुलेमान
(c) तुर्की यात्री बरनी
(d) ब्रिटिश यात्री बर्नियर
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिया गया विवरण मोरक्को के यात्री इब्नबतूता ने प्रस्तुत किया है। अफ्रीकी देश मोरक्को निवासी इब्नबतूता ने 14वीं शताब्दी में भारत की यात्रा की ने थी। यह मुहम्मद-बिन-तुगलक के राज दरबार में 8 वर्षों तक रहा। इसने पूरे देश की यात्रा की तथा भारतीय उपजों के बारे में महत्त्वपूर्ण विवरण दिया है। इसने भारत में अच्छी कृषि व्यवस्था तथा फल-फूल, जड़ी बूटियों की जानकारी दी है । इब्नबतूता ने भारत की मिट्टी को उपजाऊ बताया है तथा यहाँ के प्रमुख अनाजों की महत्ता को स्पष्ट किया।
2. सल्तनतकालीन आर्थिक स्थिति के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) मुद्रा प्रणाली टंके और दिरहम पर आधारित थी।
(b) दिरहम सोने का सिक्का था।
(c) दिल्ली इस्लामी दुनिया के पूर्वी हिस्से का सबसे बड़ा नगर था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- सल्तनतकालीन आर्थिक स्थिति के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है ।
व्यापार एवं वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिए सल्तनतकाल में चाँदी के टंके एवं ताँबे के दिरहम पर आधारित एक ठोस मुद्रा प्रणाली स्थापित की गई। सल्तनतकाल में सर्वप्रथम इल्तुतमिश द्वारा पहली बार मानक सिक्के जारी किए गए थे, जिनका नाम टंका एवं जीतल थे, बाद में ताँबे के दिरहम नामक सिक्के भी जारी किए गए थे।
3. सल्तनतकालीन व्यापार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. हिंद महासागर के व्यापारिक मार्ग पर अरबों का एकाधिकार था।
2. मुसलमानों का बोहरा समुदाय व्यापार से जुड़ा हुआ था।
3. मुल्तानी व्यापारियों में ज्यादातर मुसलमान शामिल थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- सल्तनतकालीन व्यापार के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। सल्तनतकाल में भारत का व्यापार चीन, अरब, मध्य एशिया, यूरोप एवं अफ्रीका तक था। यद्यपि हिंद महासागर के मार्ग से होने वाले व्यापार में अरब व्यापारियों का एकाधिकार था। इस मार्ग से होने वाले व्यापार में मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग शामिल था, जिसे बोहरा समुदाय के रूप में जाना जाता था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि मुल्तानी व्यापारियों में ज्यादातर हिंदू व्यापारी शामिल थे।
4. सल्तनतकालीन आर्थिक प्रशासन से जुड़ा 'हरकारा' नामक अधिकारी का कार्य क्या था? 
(a) व्यापारिक मार्गों का निरीक्षक
(b) डाक व्यवस्था का अधिकारी
(c) घोड़ों के अस्तबल का निरीक्षक
(d) व्यापारिक समूहों का अधिकारी
उत्तर - (b)
व्याख्या- सल्तनतकालीन आर्थिक प्रशासन से जुड़ा 'हरकारा' नामक अधिकारी भारत में देश के एक भाग से दूसरे भाग तक तेजी से डाक पहुँचाने की व्यवस्था का कार्य करता था। हरकारे लोग कुछ किलोमीटर की दूरी पर डाक व्यवस्था के लिए विशेष तौर से बनाए गए मचानों पर बैठे रहते थे तथा पिछले पड़ाव से कोई हरकारा इन तक पहुँचकर उन्हें किसी स्थान पर जाने के लिए डाक देते थे। हरकारा दौड़ते समय हमेशा एक घंटी बजाते रहते थे, जिससे अगली मंजिल पर बैठा अन्य हरकारा सतर्क हो जाए और तुरंत डाक लेकर आगे बढ़ सके।
5. सल्तनतकाल में 'रहट' का प्रयोग किस कार्य हेतु किया जाता था?
(a) कवच बनाने में 
(b) सिंचाई कार्य में
(c) चुंगी अदायगी में
(d) शीशा बनाने में
उत्तर - (b)
व्याख्या- सल्तनतकाल में 'रहट' का प्रयोग सिचाई व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए किया जाता था। इस विधि द्वारा ज्यादा गहराई से पानी निकालने की व्यवस्था की गई। यह एक प्रकार से कुआँ होता था। रहट सिंचाई में एक धुरी से दो बैलों को इस प्रकार बाँधा जाता था कि ये गोल चक्कर काटते रहें।
दूसरी ओर किसी पारंपरिक कुएँ के ऊपर सिस्टम लगाकर उस पर चेन या रस्सी के माध्यम से बाल्टियाँ बाँधी जाती थीं। इन बाल्टियों की चेन या रस्सी को बैलों की धुरी से इस प्रकार जोड़ा जाता था कि जब बैल गोल घूमे तो धुरी के माध्यम से उत्पन्न यांत्रिक ऊर्जा से बाल्टियों में लगे चेन घूमने लगें तथा कुएँ से पानी खेतों की ओर गिरने लगे।

सल्तनतकालीन सामाजिक व्यवस्था

1. सल्तनतकालीन सामाजिक जीवन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. मुहम्मद तुगलक अपने अमीरों को प्रत्येक साल दो नई पोशाकें देता था।
2. वह प्रत्येक साल 2,00,000 आयातित पोशाकों का वितरण करता था।
3. ये पोशाकें मखमल, दमस्क या ऊन की बनी होती थीं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- सल्तनतकालीन सामाजिक जीवन के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
तुर्कों के आगमन से भारतीय समाज का स्वरूप परिवर्तित हुआ, क्योंकि उसमें नए लोग जुड़े, जो अपने साथ नया धर्म, नई संस्कृति एवं नई परंपराएँ लेकर आए थे। सल्तनतकाल में महत्त्वपूर्ण एवं प्रभावपूर्ण लोगों को अमीर कहा गया। इन अमीरों को मुहम्मद तुगलक साल में दो बार नई पोशाकें देता था।
ये पोशाकें साल में गर्मी एवं जाड़े के महीनों में अमीर वर्गों को दी जाती थीं। मुहम्मद बिन तुगलक एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक वर्ष 2,00,000 पोशाकों का वितरण करता था।
ये पोशाकें मुख्यतः आयात किए गए मखमल, दमस्क या ऊन की बनी होती थीं, जिसमें जरी की कीमती कढ़ाई होती थी।
2. सल्तनतकाल में हिंदू समाज के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस काल में हिंदू समाज की संरचना में व्यापक परिवर्तन हुआ।
2. ब्राह्मणों को खेती-बाड़ी करने की अनुमति थी।
3. शूद्रों को मांस और मदिरा के अतिरिक्त अन्य सभी धंधे करने की छूट दी गई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- सल्तनतकाल में हिंदू समाज के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं। सल्तनतकाल में हिंदू समाज की संरचना में कोई परिवर्तन नहीं हुआ था। इस काल में भी पहले से चली आ रही परंपराओं के आधार पर ब्राह्मणों को ऊँचा स्थान दिया, परंतु अयोग्य ब्राह्मणों की निंदा भी की गई।
ब्राह्मणों को खेती तथा शूद्रों को मांस-मंदिरा के साथ अन्य व्यवसायों की पूरी छूट थी।
3. दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने कहा था कि “हिंदू लोग मूर्तियों का यमुना में विसर्जन करने के लिए नाचते-गाते, ढोल बजाते हुए, जुलूसों में शाही महल की दीवारों के पास से गुजरते हैं और मैं चुपचाप देखता रह जाता हूँ?"
(a) जलालुद्दीन खिलजी 
(b) अलाउद्दीन खिलजी
(c) मोहम्मद बिन तुगलक
(d) फिरोजशाह तुगलक
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथन को दिल्ली सल्तनत के सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी ने कहा था। जलालुद्दीन खिलजी ने बलबन को अपदस्थ कर सत्ता पर अधिकार किया तथा खिलजी वंश की स्थापना की। इसने किलोखरी के महल में अपना राज्याभिषेक कराया था।
इसने हिंदुओं को अपने धर्म एवं रीति-रिवाजों के पालन की पूर्ण स्वतंत्रता दी तथा अपने विरोधियों के प्रति भी उदारता दिखाई थी ।

सल्तनकालीन कला एवं संस्कृति

1. कुतुबमीनार के निकट स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद पूर्व में कौन-सा मंदिर था?
(a) विष्णु मंदिर 
(b) शिव मंदिर
(c) राम मंदिर
(d) ब्रह्मा मंदिर
उत्तर - (a)
व्याख्या- सल्तनतकाल में कई हिंदू मंदिरों को मस्जिदों में बदल दिया गया, जिसमें मुख्य रूप से कुतुबमीनार के निकट कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद है, जो पहले विष्णु मंदिर था। इसे मस्जिद का रूप देने के लिए गर्भगृह में स्थित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को नष्ट कर उसके सामने मेहराबों पर कुरान की आयतें उत्कीर्ण कर दी गई। सल्तनतकाल के आरंभिक दौर में कई नगरों को नष्ट कर दिया गया था। मंदिर आक्रमणकारियों के मुख्य निशाने पर होते थे ताकि मुस्लिम शासक अपने आप को सर्वश्रेष्ठ दिखा सकें तथा अपने धर्म को सर्वोच्च बता सकें तथा मंदिरों की वृहद् संपत्ति पर अधिकार किया जा सके।
2. दिल्ली के सुल्तानों ने गैरिसनों के निवास के लिए किलों का निर्माण करवाया था। गैरिसन क्या था ? 
(a) मेहराब के निर्माता
(b) रक्षक सैनिकों की टुकड़ियाँ
(c) वास्तुकारों का निवास
(d) विदेशी यात्रियों का ठहराव स्थल
उत्तर - (b)
व्याख्या- सल्तनतकाल की रक्षक सैनिकों की टुकड़ियाँ, जिसे गैरिसन कहा जाता था, के निवास के लिए तेरहवीं सदी के आरंभिक वर्षों में सुल्तानों ने मजबूत किलेबंद के रूप में शहरों का निर्माण कराया। यह अन्य शहरों से संबंधित थे, जो दिल्ली क्षेत्र के आस-पास में अधिक स्थापित किए गए।
3. कुतुबमीनार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह देहली - ए- कुहना में स्थित है ।
2. यह कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश तथा मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा निर्मित है।
3. यह कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की याद में निर्मित है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- कुतुबमीनार के संबंध में दिए गए कथन (1) और (3) सत्य हैं। कुतुबमीनार 'देहली-ए-कुहना' में स्थित है, 'देहली-ए-कुहना' का अर्थ 'पुरानी दिल्ली' है। यह दिल्ली शहर में स्थित ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊँची मीनार है। इसका निर्माण 1192 ई. में गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक ने प्रसिद्ध सूफी संत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की याद में कराया।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि इस मीनार का ऐबक ने केवल आधार ही बनवाया था, जिसके बाद इसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसमें तीन मंजिलों का निर्माण कराया तथा पाँचवीं एवं अंतिम मंजिल का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने
4. 'मस्जिद' के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यह फारसी का शब्द है।
(b) यहाँ मुसलमान अल्लाह की आराधना करते हैं।
(c) मस्जिद में मक्का की ओर मुँह करके खड़े होते हैं।
(d) जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है।
उत्तर - (a)
व्याख्या- 'मस्जिद' के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि 'मस्जिद' फारसी भाषा का शब्द नहीं है, बल्कि मस्जिद एक अरबी शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- ऐसा स्थल जहाँ प्रणाम करने की जगह हो अर्थात् प्रार्थना करने का स्थल हो। यह मुसलमानों की इबादतगाह होती है, जहाँ वे अपने ईश्वर/अल्लाह को याद करते हैं। इस्लामिक वास्तुकला के दौरान पूरी दुनिया में मस्जिदों का विकास हुआ।
5. सल्तनतकालीन वास्तुकला के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इंडो-इस्लामिक वास्तुकला में मेहराब और गुंबद का प्रयोग होता था।
2. मेहराब के निर्माण में धरन का प्रयोग होता था।
3. भारतीय शिल्पकार नुकीले मेहराबों को बनाना जानते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 2 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- सल्तनतकालीन वास्तुकला के संबंध में कथन (2) असत्य है, क्योंकि सल्तनतकाल की प्रमुख विशेषता चूना गारा का सीमेंट के रूप में प्रयोग तथा मेहराबों, गुंबदों, ऊँची मीनारों एवं डाटदार छतों का व्यापक प्रयोग थी। इस समय तुर्कों से पूर्व प्रचलित शैलियों-स्तंभ और धरनी एवं कदलिकाकृति का स्थान वैज्ञानिक तरीकों से बनी मेहराबी छतों एवं शिखरों का स्थान गुंबदों ने ले लिया।
6. सल्तनतकालीन मकबरे के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. फिरोजशाह तुगलक का मकबरा दिल्ली के हौजखास में स्थित है।
2. सिकंदर लोदी का मकबरा दिल्ली में स्थित है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- सल्तनतकालीन मकबरे के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं। फिरोजशाह तुगलक का मकबरा दिल्ली के हौजखास क्षेत्र में स्थित है। यह मकबरा तुगलक वंश के अंतिम व तृतीय शासक फिरोजशाह तुगलक का है। सिकंदर लोदी का मकबरा लोदी गार्डन नई दिल्ली में स्थित है। यह मकबरा एक अष्टकोणीय बनावट है, जो इंडो इस्लामिक स्थापत्य कला शैली पर आधारित है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here