NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | प्रमुख विद्रोह ( आदिवासी एवं किसान आंदोलन)

प्रमुख विद्रोह ( आदिवासी एवं किसान आंदोलन)

NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | प्रमुख विद्रोह ( आदिवासी एवं किसान आंदोलन)

NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | प्रमुख विद्रोह ( आदिवासी एवं किसान आंदोलन)

जनजातीय आंदोलन

1. खासी जनजाति के लोगों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह किया। इस विद्रोह का नेता कौन था ?
(a) सीताराम राजू
(b) सिद्ध और कान्हू 
(c) रानी गैडिन्ल्यू
(d) यू तीरथ सिंह 
उत्तर - (d)
व्याख्या- खासी जनजाति द्वारा ब्रिटिश शासन के विरुद्ध किए गए विद्रोह का नेतृत्व यू तीरथ सिंह (तीरत सिंह) ने किया था। यह विद्रोह उत्तर-पूर्वी भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध आदिवासियों द्वारा किए गए विद्रोहों में से एक मेघालय की खासी जनजाति द्वारा किया गया विद्रोह था।
2. अंग्रेजों ने किस प्रकार आदिवासी जीवन में हस्तक्षेप किया, जिसके कारण उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया?
(a) वन कानून द्वारा झूम खेती को हतोत्साहित करना ।
(b) स्थायी बंदोबस्त की शुरुआत और उच्च राजस्व की माँग ।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) न तो 'a' और न ही 'b'
उत्तर - (c)
व्याख्या- अंग्रेजों ने वन कानून द्वारा झूम खेती को हतोत्साहित करके स्थायी बंदोबस्त और उच्च राजस्व की माँग द्वारा आदिवासी जीवन में हस्तक्षेप किया। अंग्रेजों के वन कानून के द्वारा आदिवासी समूहों के जीवन निर्वाह और आजीविका पर व्यापक प्रभाव पड़ा। साथ ही अंग्रेजों के द्वारा आदिवासियों को एक स्थान पर बसाकर उन पर अपनी राजस्व की माँगों को थोपा गया। आदिवासी झूम कृषि करते थे और वनों पर आश्रित रहते थे, लेकिन अंग्रेजों द्वारा दोनों चीजों में हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप आदिवासियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया।
3. जनजातीय आंदोलन के संदर्भ में 'दिकु' शब्द का अर्थ है
(a) आदिवासियों का एक धार्मिक प्रधान
(b) आदिवासी क्षेत्र में बाहरी व्यक्ति
(c) आदिवासी आंदोलन का नेता
(d) गुरिल्ला युद्ध का प्रकार
उत्तर - (b)
व्याख्या- जनजातीय आंदोलन के संदर्भ में 'दिकु' शब्द आदिवासी क्षेत्र में बाहरी व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता था। तत्कालीन समय के जमींदार और अन्य लोग (यूरोपीय) आदिवासी क्षेत्रों ( आदिवासियों का निवास स्थान ) में राजस्व की प्राप्ति हेतु, उनकी जीविका के मुख्य आधार को समाप्त कर उन्हें अपने अधीन कार्य करने को मजबूर करते थे। इसी के परिणामस्वरूप मुंडा जैसी जनजातियों ने दिकुओं के विरुद्ध विद्रोह किया था।
4. भील आदिवासी आंदोलन के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
1. यह भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में हुआ।
2. यह 1820 ई. में शुरू हुआ और 1831 ई. तक जारी रहा।
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- भील आदिवासी आंदोलन के संबंध में दोनों कथन असत्य हैं । भील जाति के लोग पश्चिमी तट पर स्थित खानदेश में निवास करते थे। खानदेश महाराष्ट्र में स्थित क्षेत्र है। यह विद्रोह उत्तरी-पश्चिमी भाग में हुआ था। यह विद्रोह सर्वप्रथम 1812 ई. में अंग्रेजों के विरुद्ध प्रारंभ हुआ। भीलों का यह विद्रोह 1831-46 ई. के मध्य अधिक सक्रिय था। अतः वास्तव में, यह विद्रोह 1812 ई. से 1846 ई. के मध्य तक चला।
5. रंपा विद्रोह के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है ?
(a) यह विद्रोह 1886 ई. में हुआ था।
(b) यह एक लोकप्रिय किसान विद्रोह था।
(c) यह वर्तमान महाराष्ट्र में हुआ था।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (a)
व्याख्या- रंपा विद्रोह के संबंध में कथन (a) सत्य है। रंपा विद्रोह 1886 ई. में आंध्र प्रदेश में हुआ था। यह विद्रोह न केवल ब्रिटिश शासन के विरुद्ध, बल्कि जमींदारों तथा महाजनों के शोषण के विरुद्ध किया गया था। यह विद्रोह आंध्र प्रदेश में अल्लूरी सीताराम राजू के नेतृत्व में किया गया था। इस विद्रोह का प्रमुख कारण मनसबदारों की मनमानी, उनका भ्रष्टाचार और समाज में जंगल कानून का व्याप्त होना था।
6. मुंडा आंदोलन के संदर्भ में कौन-सा कथन सत्य है ?
1. 1895 ई. में बिरसा मुंडा ने अपने अनुयायियों से अपने गौरवशाली अतीत को पुनः प्राप्त करने का आग्रह किया।
2. मुंडा आंदोलन मिशनरियों, साहूकारों तथा हिंदू जमींदारों को बाहर करना चाहता था।
3. वर्ष 1900 में उसकी मृत्यु के बाद यह आंदोलन कमजोर पड़ गया।
कूट
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुंडा आंदोलन के संदर्भ में सभी कथन सत्य हैं। बिरसा मुंडा को मुंडा आंदोलन का प्रणेता माना जाता है। इन्होंने 'दिकुओं' (बाहरी लोग) के विरुद्ध विद्रोह को एक निरंतर गति प्रदान की। 1895 ई. में बिरसा मुंडा ने अपने अनुयायियों से आग्रह किया कि अपने गौरवपूर्ण अतीत, जिसमें वे लोग शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करते थे और अपनी आजीविका चलाते थे, को पुनर्जीवित करने हेतु संकल्पित हों।
बिरसा मुंडा द्वारा प्रारंभ किया गया आंदोलन मिशनरियों, महाजनों, हिंदू भू-स्वामियों और सरकार अर्थात् दिकुओं के विरुद्ध था। इस आंदोलन के राजनीतिक उद्देश्यों से ब्रिटिशों को अत्यंत परेशानी थी।
वर्ष 1900 में बिरसा मुंडा की मृत्यु हैजा के कारण हुई । वास्तव में, एक कुशल नेतृत्व के अभाव में मुंडा आंदोलन कमजोर पड़ गया।
7. वर्ष 1906 में सोंग्राम संगमा द्वारा किस स्थान पर विद्रोह किया गया था?
(a) असम
(b) गुजरात 
(c) उड़ीसा
(d) तमिलनाडु
उत्तर - (a)
व्याख्या- 'सोंग्राम संगमा' नामक आदिवासी विद्रोह वर्ष 1906 में असम में हुआ था। यह विद्रोह औपनिवेशिक वन कानूनों के विरुद्ध किया गया था, जिसके कारण आदिवासी लोगों की जीवन निर्वाह पद्धति अबाध रूप से बाधित हुई और उन्होंने ब्रिटिशों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
8. 1930 के दशक में मध्य प्रांत में हुए वन सत्याग्रह का मुख्य कारण क्या था? 
(a) मानव - पशु विवाद
(b) ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए
(c) औपनिवेशिक वन कानून
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (c)
व्याख्या- 1930 के दशक में मध्य प्रांत में हुए वन सत्याग्रह का मुख्य कारण ‘औपनिवेशिक वन कानून' का लाया जाना था। यह वन कानून अंग्रेजों द्वारा वनों पर अपने नियंत्रण को स्थापित करने हेतु लाया गया था। इसके कारण कई आदिवासी जनजातियाँ अपने मूल स्थान से विस्थापित होने को मजबूर हुईं। इस कानून के अंतर्गत झूम कृषकों को केवल इस शर्त पर वन में रहने दिया गया कि वे वन विभाग को श्रम प्रदान करेंगे।
9. भारत में 19वीं शताब्दी के जनजातीय विद्रोह के लिए निम्नलिखित में से कौन-से तत्व ने साझा कारण मुहैया किया?
(a) भू-राजस्व की नई प्रणाली का लागू होना और जनजातीय उत्पादों पर कर का लगाया जाना
(b) जनजातीय क्षेत्रों में विदेशी धर्म प्रचारकों का प्रभाव
(c) जनजातीय क्षेत्रों में बिचौलियों के रूप में बड़ी संख्या में महाजनों, व्यापारियों और लगान के ठेकेदारों का बढ़ना
(d) जनजातीय समुदायों की प्राचीन भूमि संबंधी व्यवस्था का संपूर्ण विचलन
उत्तर - (d)
व्याख्या- भारत में 19वीं शताब्दी के दौरान देश के विभिन्न भागों में जनजातीय आंदोलन के प्रारंभ होने का मुख्य कारण ब्रिटिशों द्वारा बदलते वन कानून तथा अपने व्यवहार पर लगी पाबंदियाँ थीं। इस व्यवस्था ने जनजातीय समुदायों की प्राचीन भूमि संबंधी व्यवस्था को बदल दिया, जिसकी प्रतिक्रिया जनजातीय विद्रोहों के माध्यम से सामने आई। इस व्यवस्था से उपजी समस्याओं के कारण विशेषत: नए करों और व्यापारियों व महाजनों द्वारा जनजातियों का अत्यधिक शोषण किया गया।

किसान आंदोलन

1. नील की खेती के संदर्भ में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. अंग्रेजों ने गाँव के मुखिया पर रैयतों की ओर से एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने हेतु दबाव डाला।
2. रैयतों को नील की बहुत कम कीमत मिलती थी।
कूट
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- नील की खेती के संदर्भ में दोनों कथन सत्य हैं। अंग्रेजों द्वारा गाँव के मुखिया पर रैयती व्यवस्था के अंतर्गत एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डाला जाता था और जो इस अनुबंध पर हस्ताक्षर कर देते थे, उन्हें नील उगाने के लिए कम ब्याज दर पर बागान मालिकों से नकद कर्ज मिल जाता था, लेकिन कर्ज लेने वाले रैयत (किसान) को अपनी जमीन के कम-से-कम 25% भाग पर नील की खेती करनी पड़ती थी।
रैयतों द्वारा नील की खेती पूर्ण हो जाने पर कटाई के पश्चात् उन्हें बागान मालिकों से पुन: कर्ज मिल जाता था और नील की उपज के बदले कम कीमत मिलती थी।
2. नील विद्रोह के संबंध में कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) यह गुजरात में हुआ था।
(b) गाँव के मुखिया और जमींदारों ने विद्रोह का समर्थन किया।
(c) विद्रोह के परिणामस्वरूप नील आयोग नियुक्त किया गया।
(d) आयोग ने बागान मालिकों को दोषी ठहराया।
उत्तर - (a)
व्याख्या- नील विद्रोह के संबंध में कथन (a) असत्य है, क्योंकि नील विद्रोह 1859 ई. में गुजरात में नहीं, बल्कि बंगाल के नदिया जिले से प्रारंभ हुआ था, जब बंगाल के बहुत सारे रैयतों ने नील की खेती करने से इंकार कर दिया था।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. बारदोली सत्याग्रह वर्ष 1928 में हुआ था।
2. इसकी अध्यक्षता सरदार वल्लभभाई पटेल ने की थी।
3. उन्होंने किसानों द्वारा 'कर नहीं देने' का आंदोलन चलाया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
बारदोली सत्याग्रह भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान जून, 1928 में गुजरात में हुआ एक प्रमुख किसान आंदोलन था, जिसका नेतृत्व सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया था।
तत्कालीन प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में 30% तक वृद्धि कर दी थी। वल्लभभाई पटेल ने लगान वृद्धि का विरोध किया था और किसानों से कर नहीं देने की अपील की थी।
4. किस वर्ष स्वामी सहजानंद सरस्वती द्वारा अखिल भारतीय किसान सभा का गठन किया गया था ? 
(a) वर्ष 1932
(b) वर्ष 1936
(c) वर्ष 1934
(d) वर्ष 1940
उत्तर - (b)
व्याख्या- वर्ष 1936 में लखनऊ में स्वामी सहजानंद सरस्वती की अध्यक्षता में पहला अखिल भारतीय किसान संगठन, अखिल भारतीय किसान सभा के नाम से जाना जाने लगा। नागरिक अवज्ञा आंदोलन और वामपंथी पार्टियों के विभिन्न गुटों ने राजनीतिक कार्यकर्ताओं की एक ऐसी नई पीढ़ी को उत्पन्न किया, जो किसानों और मजदूरों के संगठन हेतु समर्पित थी। परिणामस्वरूप किसान संगठन और ट्रेड यूनियन की स्थापना विभिन्न शहरों मे की जाने लगी थी।

नागरिक विद्रोह / अपदस्थ शासक / जमींदार

1. निम्न में से कौन-सा 1857 ई. से पूर्व हुए नागरिक विद्रोहों का प्राथमिक कारण था ? 
(a) अंग्रेजों एवं साहूकारों द्वारा गाँव के कारीगरों और किसानों का शोषण।
(b) अंग्रेजों द्वारा अर्थव्यवस्था, प्रशासन और भू-राजस्व व्यवस्था में तीव्र गति से किया गया परिवर्तन।
(c) भू-राजस्व की माँगों को तेज करने और यथासंभव बड़ी राशि निकालने की औपनिवेशिक नीति
(d) बढ़े राजस्व का एक हिस्सा भी कृषि के विकास या किसानों के कल्याण पर खर्च नहीं करना ।
उत्तर - (b)
व्याख्या- अंग्रेजों द्वारा अर्थव्यवस्था, प्रशासन और भू-राजस्व व्यवस्था में तीव्र गति से किया गया परिवर्तन 1857 ई. से पूर्व हुए नागरिक विद्रोहों का प्राथमिक कारण था। इन परिस्थितियों ने भारतीय समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को जिसमें किसान, श्रमिक, आदिवासी जनजाति आदि सम्मिलित थे, अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह और नागरिक प्रदर्शन हेतु अग्रसर किया।
2. निम्नलिखित विद्रोहों में से किसको बंकिमचंद्र चटर्जी ने अपने उपन्यास 'आनंदमठ' में उल्लेख कर प्रसिद्ध किया? 
(a) भील विद्रोह 
(b) रंगपुर तथा दीनापुर
(c) संन्यासी विद्रोह
(d) विष्णुपुर तथा वीरभूमि विद्रोह
उत्तर - (c)
व्याख्या- संन्यासी विद्रोह को बंकिमचंद्र चटर्जी ने अपने उपन्यास 'आनंदमठ' में उल्लेख कर प्रसिद्ध किया। अठारहवीं सदी के अंतिम वर्षों में (1763-1800 ई.) अर्थात् बंगाल की विजय के पश्चात् अंग्रेजों के विरुद्ध होने वाला प्रथम विद्रोह संन्यासी विद्रोह था। यह संन्यासियों और फकीरों के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ। यह पूर्वी भारत के अनेक क्षेत्रों में फैला । केना सरकार और द्विजनारायण ने इस विद्रोह को नेतृत्व प्रदान किया था, जिसका प्रमुख क्षेत्र बंगाल और बिहार प्रांत था। इस विद्रोह में अधिकांश विद्रोही किसान थे। इस विद्रोह का दमन करने में अंग्रेजों को लगभग 30 वर्षों का समय लग गया था।
3. निम्न में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1795 ई. से 1805 ई. तक दक्षिण भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध भयंकर विद्रोह हुआ।
(b) इस विद्रोह का नेतृत्व जमींदारों द्वारा किया गया, जिन्हें पोलिगार कहते हैं ।
(c) पोलिगारों ने जनता की सहायता से अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
दक्षिण भारत में 1795 ई. से 1805 ई. के बीच अंग्रेजों को भीषण विद्रोह का सामना करना पड़ा। यह विद्रोह पोलिगारों द्वारा किया गया था, जो जमींदार थे। पोलिगारों को सत्ता विजयनगर साम्राज्य के दौरान विरासत में मिली थी, इसलिए पोलिगारों को विद्रोह के समय तत्कालीन दक्षिण भारतीय क्षेत्र मद्रास, उत्तरी अर्काट का तिरुनेल्वेली जिला और आंध्र प्रदेश के अभ्यर्पति जिलों के स्थानीय किसानों का भी समर्थन प्राप्त था।
4. उस व्यक्ति का नाम बताइए, जिसने मणिपुर में ब्रिटिश विरोधी विद्रोह का नेतृत्व किया, किंतु विद्रोह को दबा दिया गया और उसकी हत्या कर दी गई। 
(a) वासुदेव बलवंत
(b) हीरा सिंह 
(c) टिकेंद्रजीत
(d) तीरथ सिंह 
उत्तर - (c)
व्याख्या- मणिपुर में ब्रिटिश विरोधी विद्रोह का नेतृत्व टिकेंद्रजीत ने किया था। वे महान देशभक्त और ब्रिटिश साम्राज्यवादी योजना के घोर विरोधी थे। उन्होंने ब्रिटिशों की विस्तारवादी नीतियों से लोगों को अवगत कराया था, जिसके परिणामस्वरूप 1891 ई. में आंग्ल-मणिपुर युद्ध प्रारंभ हुआ, हालाँकि इस युद्ध में अंग्रेज विजयी हुए और टिकेंद्रजीत सिंह को फाँसी दे दी गई।
5. रामोशी विद्रोह सही रूप में किस भौगोलिक क्षेत्र में हुआ था? 
(a) पश्चिमी भारत
(b) पूर्वी भारत 
(c) पूर्वी घाट
(d) पश्चिमी घाट 
उत्तर - (d)
व्याख्या- रामोशी विद्रोह (1877-78 ई.) पश्चिमी घाट के क्षेत्र में भौगेलिक हुआ। रामोशी जनजाति को प्रशिक्षित करते हुए वासुदेव बलवंत फड़के ने 'रामोशी कृषक जत्था' संगठित किया था। बलवंत फड़के को गिरफ्तार कर काला पानी की सजा दी गई, जहाँ 1883 ई. में इनका निधन हो गया।
6. फड़के सशस्त्र विद्रोह के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं? 
(a) यह विद्रोह 1879 ई. में हुआ था।
(b) इसका नेतृत्व वासुदेव बलवंत फड़के ने किया था।
(c) यह विद्रोह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध शुरू हुआ था।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- फड़के सशस्त्र विद्रोह के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। फड़के सशस्त्र विद्रोह 1879 ई. में महाराष्ट्र में वासुदेव बलवंत फड़के के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ था। ब्रिटिश काल में किसानों की दयनीय स्थिति को देखते हुए फड़के ने कोली, भील तथा धांगड़ जातियों को एकत्र कर 'रामोशी' नामक एक क्रांतिकारी संगठन का निर्माण किया।
अपने इस मुक्ति संग्राम के लिए इन्होंने महाजनों और धनी अंग्रेज साहूकारों को लूटकर धन एकत्र किया, परंतु यह विद्रोह अधिक समय तक जारी न रह सका तथा फड़के को पकड़ लिया गया और आजीवन कारावास की सजा दी गई।
7. कूका आंदोलन के संदर्भ में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. कूका आंदोलन का नेतृत्व गुरु रामसिंह ने किया था।
2. उन्होंने अंग्रेजों द्वारा समर्पित भ्रष्ट महंतों के विरुद्ध विद्रोह किया।
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- कूका आंदोलन के संदर्भ में कथन (1) सत्य है। कूका विद्रोह या आंदोलन 1871-72 ई. में पंजाब के कूका लोगों द्वारा किया गया एक सशस्त्र विद्रोह था, जिसका नेतृत्व बालक सिंह तथा उनके अनुयायी गुरु रामसिंह ने किया था। प्रारंभ में कूका आंदोलन सिक्ख पंथ में व्याप्त अंधविश्वास और बुराइयों को दूर करने के लिए किया गया, लेकिन बाद में यह आंदोलन एक राजनीतिक आंदोलन में परिवर्तित हो गया।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि कूका विद्रोह अंग्रेजों द्वारा गायों की हत्या को बढ़ावा देने के विरोध में किया गया था न कि यह भ्रष्ट महंतों के विरुद्ध किया गया था।

विविध

1. वहाबियों के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं? 
1. सैयद अहमद बरेलवी इसके मुख्य प्रवर्तक थे।
2. बंगाल और बिहार इस संप्रदाय के प्रमुख आधार थे।
3. उन्होंने लोगों से ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के लिए इस पवित्र युद्ध में शामिल होने का आग्रह किया।
कूट
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- वहाबियों के संदर्भ में सभी कथन सत्य हैं। वहाबी संप्रदाय इस्लाम की एक शाखा थी, जो अत्यंत कट्टर मानी जाती थी। वहाबी आंदोलन शाह वली उल्लाह ने प्रारंभ किया था। तत्पश्चात् सैयद अहमद बरेलवी ने इस आंदोलन को आगे बढ़ाया था। इनके अनुयायियों को वहाबी कहा जाता था। यह एक पुनर्जागरण आंदोलन था, जो 1828 ई. से 1888 ई. तक चलता रहा। इसका प्रमुख केंद्र पटना था। बिहार और बंगाल के किसान वर्ग, कारीगर और दुकानदारों ने वहाबी आंदोलन को समर्थन दिया था।
वहाबी आंदोलन के समर्थकों ने लोगों से ब्रिटिश शासन को जड़ से समाप्त करने हेतु इस पवित्र युद्ध में शामिल होने का आग्रह किया था।
2. निम्न में से किस स्थान पर 1857 ई. के विद्रोह से पहले लोकप्रिय सिपाहियों के विद्रोह हुए थे? 
1. वेल्लूर कूट
2. लखनऊ
3. बैरकपुर
4. बॉम्बे 
कूट
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 3 और 4
उत्तर - (b)
व्याख्या- वेल्लूर और बैरकपुर नामक स्थान पर 1857 ई. के विद्रोह से पूर्व लोकप्रिय सिपाहियों का विद्रोह हुआ था। अपने प्रारंभ के विद्रोह को देखते हुए कंपनी की फौज में शामिल सिपाहियों ने भी 1806 ई. में वेल्लूर विद्रोह और 1824 ई. में बैरकपुर विद्रोह किया था। वेल्लूर में टीपू सुल्तान के बेटों को अंग्रेजों ने बसाया था और कहीं-न-कहीं उनकी मौजूदगी कंपनी में कार्यरत् सिपाहियों के लिए प्रेरणा स्रोत थी ।
3. भारत में 1857 के विद्रोह से पूर्व हुए सिपाही विद्रोह के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है? 
(a) वेल्लूर विद्रोह 1806 ई. में हुआ था।
(b) बैरकपुर में विद्रोह का नेतृत्व 47वीं नेटिव इंफैन्ट्री ने किया था।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए कथनों में कोई भी कथन असत्य नहीं है। वेल्लूर विद्रोह (1806) और बैरकपुर विद्रोह (1824) दोनों 1857 की क्रांति के पूर्व घटित हुए थे। बैरकपुर में 47वीं नेटिव इंफैंट्री के सिपाहियों ने विद्रोह किया था, जिसे देखक ब्रिटिश भी आश्चर्यचकित थे। यह विद्रोह मुख्य रू से चर्बी लगे कारतूसों के प्रयोग करने को लेकर था।
4. अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस का गठन किस वर्ष किया गया था?
(a) वर्ष 1918
(b) वर्ष 1920 
(c) वर्ष 1924
(d) वर्ष 1930
उत्तर - (b)
व्याख्या- अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस का गठन या स्थापना वर्ष 1920 में एन. एम. जोशी द्वारा की गई थी । यह भारत में भारतीय राष्ट्रीय मजदूर संघ कांग्रेस के पश्चात् दूसरा सबसे बड़ा मजदूर संघ है, जो श्रमिकों के हितों से संबंधित मूलभूत विचारों को लेकर गठित हुआ था।
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