General Competition | History | (आधुनिक भारत का इतिहास) | आधुनिक भारत में शिक्षा एवं प्रेस का विकास
भारतीय परम्परा में पौराणिक शिक्षा व्यवस्था आज तक विद्यमान है। यह भारतीय सांस्कृतिक विरासत की धरोहर भी है।

General Competition | History | (आधुनिक भारत का इतिहास) | आधुनिक भारत में शिक्षा एवं प्रेस का विकास
अंग्रेजी शासन में शिक्षा का विकास
- भारत में आधुनिक शिक्षा का विकास का प्रारंभ वारेन हेस्टिंग्स को कहा जाता है। इनके द्वारा 1781 में कलकत्ता म एक मदरसा स्थापित किया गया तथा उसमें फारसी तथा अरबी पढ़ाया जाता था।
- इसी क्रम में 1784 में अंग्रेज विद्वान विलियम जोंस ने कलकत्ता में एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की स्थापना किया था।
- इसी सोसायटी में विलकिंस द्वारा 1784 में भगवतगीता तथा इसके पश्चात् 1787 में हितोपदेश का अंग्रेजी में अनुवाद कराया।
- इसी क्रम में विलियम जोंस ने 1789 में अभिज्ञान शांकुतलम् (कालिदास की पुस्तक) को अंग्रेजी में अनुवाद किया था।
- विलियम जोंस के अनुवादक
- इसी क्रम में 1791 में बनारस के एक विद्वान जोनाथन डंकन ने बनारस में एक संस्कृत कॉलेज की स्थापना किया था।
- 1800 में लॉर्ड वेलेजली ने कंपनी के असैनिक अधिकारियों (ICS) की शिक्षा के लिए कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना किया था।
- इसी क्रम में 1802 में फोर्ट विलियम कॉलेज का बंद कर दिया था। 1806 में इंग्लैंड के हेलवेरी में प्रशिक्षण प्रारंभ किया।
- सर्वप्रथम 1813 के चार्टर में 1 लाख रुपया भारत में विद्या के प्रचार-प्रसार पर खर्च किया गया।
- ईसाई मिशनरियों ने भी भारत में अंग्रेजी शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया था। अंग्रेजों ने ही सर्वप्रथम भारत में अंग्रेजी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया था।
- अंग्रेजों ने शिक्षा के प्रचार-प्रसार में सर्वप्रथम बंगाल फिर मद्रास को केन्द्र के रूप में विकसित किया।
- 1818 ई. में प्रथम विशप ( पादरी) रेवरेंड मिडिलटन ने कलकत्ता में एक मिशनरी कॉलेज खोला, इसी कॉलेज को विशप कॉलेज के नाम से भी जाना जाता है।
- भारतीय नवजागरण के अग्रदूत राजामोहन राय ने भी अंग्रेजी शिक्षा का पक्ष लिया और कलकत्ता के सूरीपाड़ा में एक स्कूल की स्थापना किया था।
- वर्ष 1822 में कलकत्ता में कार्नवालिस स्क्वायर के समीक्षा 'एंग्लो हिंदू कॉलेज' की स्थापना किया गया था जिसको कालांतर में इंडियन एकेडमी के नाम से जाना गया था।
- इसी क्रम में 1817 में डेविड हेयर की सहायता से 'हिन्दू कॉलेज' की स्थापना किया था। 1854 में उस विद्यालय को महाविद्यालय में परिवर्तित कर दिया था।
- डेविड हेयर ने इस महाविद्यालय में संस्कृत तथा फारसी के पढ़ाई के स्थान पर अंग्रेजी माध्यम को अधिक बल दिया था ।
आंग्ल-प्राच्य विवाद
- ईस्ट इंडिया कंपनी के वर्ष 1813 के चार्टर के एक्ट में भारत में शिक्षा के विषय एवं उसके प्रचार-प्रसार माध्यम के साथ 1 लाख रुपये वार्षिक बजट की घोषणा किया था।
- इसी क्रम में एक विचार था कि उच्च सुविधा संपन्न वर्ग को शिक्षित कर दिया जाए। और उनके माध्यम से शिक्षा को सामान्य जन तक पहुँचाई जाए।
- अधोमती निस्यंदन का सिद्धांत ( Infiltration theory) दी गई थी। इस सिद्धांत का प्रतिपादन लॉर्ड मैकाले ने किया था तथा इसकी घोषणा लॉर्ड ऑकलैंड किया था।
- वारेन हेस्टिंग्स तथा लॉर्ड मिंटों के द्वारा प्राच्य विद्या का ही समर्थन किया था।
- ज्ञातव्य है कि 7 मार्च, 1835 को अंग्रेजी भाषा को भारत में शिक्षा का माध्यम बना दिया गया था।
भारत में आधुनिक शिक्षा का विकास
- 1823 में गठित लोक लेखा समिति 1835 तक 20 विद्यालयों का संचालन कर रही थी ।
- 1847 लॉर्ड हार्डिंग के द्वारा विद्यालयों में अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए नॉर्मल स्कूल की स्थापना किया था।
- 1840 में बंबई में भारतीय शिक्षा समिति के स्थान पर शिक्षा बोर्ड की की स्थापना किया था।
- 1851 में पुना संस्कृत कॉलेज और पूना अंग्रेजी को समाहित कर पुना कॉलेज की संज्ञा प्रदान किया गया।
- 1844 में लॉर्ड ने 33 प्राथमिक विद्यालय खोले थे। इसी वर्ष हिंदू कॉलेज में इंजीनियरिंग की शिक्षा दिया जाने लगा।
- 1847 में थॉमसन ने रूड़की (वर्तमान उत्तराखण्ड) में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना किया गया था।
- 1835 ई. में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज की नींव रखी गई थी।
- 1852 में आगरा में सेंट जॉन्स कॉलेज की स्थापना की गई थी।
भारत में शिक्षा सुधार का विकास-क्रमं
- 19 जुलाई, 1854 को लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल में शिक्षा के विकास का दूसरा चरण प्रारंभ हुआ था।
- इसी क्रम में बोर्ड ऑफ कंट्रोल के प्रधान चार्ल्स वुड की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी।
- इस समिति का उद्देश्य शिक्षा के नियामक पद्धति के गठन हेतु सुझाव प्रस्तुत करना था।
- इस समिति के अध्यक्ष चार्ल्स वुड के नाम पर इस समिति को वुड का डिस्पैच की संज्ञा दिया गया था।
- वुड की डिस्पैच समिति के द्वारा भारतीय शिक्षा से संबंधित वृहद स्तर की घोषणाएँ की गई थी। इसमें कुल 100 अनुच्छेद वर्णित थे। इसी कारण इसको भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा भी कहा गया था।
- इसमें कुल 100 अनुच्छेद थे।
- वर्ष 1855 में 'वुड के डिस्पैच' की सभी सफारिशें लागू कर दी गई। तथा तीनों प्रेसीडेंसियों लोक शिक्षा विभाग स्थापित कर दिया गया।
- 1857 ई. में ही कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में विश्वविद्यालय खोले गए थे।
- वर्ष 1840 से 1858 के बीच महिला शिक्षा को प्रोत्साहित किया गया। तथा इसी क्रम में जब जे. ई. डी. बेंथुन ने कलकत्ता बेथुन फीमेल स्कूल क्ज्ञ स्थापना किया था।
- बेथुन शिक्षा परिषद (Council of education) के अध्यक्ष थे। इसका सर्वाधिक योगदान महिला पाठशालाओं
- इसी कालखण्ड में पूसा (बिहार) में कृषि संस्थान तथा रुड़की में अभियांत्रिकी संस्थान (Engineering institute) की स्थापना किया था ।
- पहला (i) चार्ल्सवुड जो अर्ल ऑफ एबरडीन (1852-55) की मिली-जुली सरकार में बोर्ड ऑफ कंट्रोल के अध्यक्ष थे। 1854 में भारत की भावी शिक्षा के लिए एक विस्तृत योजना बनायी ।
- चार्ल्स वुड के शिक्षा क्षेत्र के प्रगति की समीक्षा के लिए लार्ड की रिपन के कार्यालय में विलियम विल्सन हण्टर की अध्यक्षता में 1882 में हंटर आयोग की स्थापना किया गया था।
- इस आयोग में कुल 20 सदस्य थे इसमें 8 सदस्य भारतीय थे। ज्ञातव्य है इस कालखण्ड में इंग्लैंड में (1880) उदारवादी दल का शासन था जिसके नेतृत्वकर्ता ग्लैडस्टोन थे।
- हंटर आयोग का प्राथमिक उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा के विकास की समीक्षा करना तथा सुझाव देना था।
- हंटर आयोग ने अपने सुझाव में साहित्यिक शिक्षा को बढ़ावा देने का कार्य किया। इसमें विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा शामिल थी। तथा दूसरी व्यावसायिक या व्यापारिक शिक्षा देना था।
- इसमें प्रेसीडेंसी नगरों के अलावा अन्य सभी नगरों में भी महिला शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कही गई थी।
- इसी क्रम में 1882 में पंजाब में तथा 1887 में इलाहाबाद में विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी।
- 1902 ई. में सर टॉमस रैले की अध्यक्षता में एक विश्वविद्यालय आयोग गठित किया गया था।
- इस आयोग में दो भारतीय सदस्य भी शामिल थे। सैयद हुसैन बिलग्रामी तथा जस्टिस गुरदास बनर्जी ।
- इस आयोग का प्राथमिक उद्देश्य विश्वविद्यालयों की स्थिति की समीक्षा करना था । तथा उनके कार्यक्षमता के विषय में सुझाव भी देना था।
- इस आयोग को प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा को इस आयोग से दूर रखा गया था।
- इसी क्रम में वर्ष 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया गया था ।
- इस आयोग के सुझात्र :
- उच्च शिक्षा में शोध को बढ़ावा देना एवं योग्यतम शिक्षकों एवं वैश्विक स्तर के पर्यावरण का निर्माण ।
- विश्वविद्यालयों में सीनेट के सदस्यों की संख्या न्यूनतम 50 कर दिया गया तथा अधिकतम 100 रखी गई। इसका कार्यकाल 6 वर्ष निर्धारित कर दिया गया।
- विश्वविद्यालय में सरकारी नियंत्रण को बढ़ा दिया गया।
- इस कानून के द्वारा सरकार ने विश्वविद्यालयों को पूर्णतः अधीन कर लिया।
- इस आयोग के द्वारा कर्जन ने उच्च शिक्षा को सरकारी नियंत्रण में लाने का प्रयास किया था।
- इसी क्रम में वर्ष 1902 में 5 वर्ष हेतु 5 लाख रुपये वार्षिक शिक्षा सुधार के निर्मित निर्धारित किया गया था।
- ज्ञातव्य है कि शिक्षा महानिदेशक की नियुक्ति लॉर्ड कर्जन के समय में हुई थी । एवं एच. डब्ल्यू. यू. आरेन्ज को प्रथम महानिदेशक नियुक्त किया गया था।
- सर्वप्रथम बड़ौदा रियासत द्वारा 1906 में अनिवार्य निःशुल्क शिक्षा प्रारंभ किया गया था।
- इसी क्रम में गोपालकृष्ण गोखले के माँग पर ब्रिटिश सरकार ने 12 फरवरी, 1913 को निरक्षरता समाप्त करने की नीति स्वीकृत किया।
- इसी क्रम में प्रांतीय सरकारों को समाज के निर्धन एवं अति पिछड़े वर्ग हेतु निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा देने का निर्देश दिया। तथा प्रत्येक प्रांत में एक विश्वविद्यालय स्थापित करने का सुझाव भी दिया गया।
- भारत सरकार ने विश्वविद्यालयी शिक्षा में सुधार हेतु 1917 में सर माइकेल सैडलर के अध्यक्षता में कलकत्ता विश्वविद्यालय आयोग की नियुक्ति की थी।
- सर माइकेल सैडलर लीड्स विश्वविद्यालय के उपकुलपति थे। इनके आयोग में भारतीय सदस्य थे।
डॉ. आशुतोष मुखर्जीडॉ. जियाउद्दीन अहमद
- इस आयोग ने 1904 के विश्वविद्यालय अधिनियम की आलोचना किया था। तथा इसी क्रम में कहा था कि शिक्षा में सुधार हेतु माध्यमिक स्तर के शिक्षा में सुधार अनिवार्य है।
- माध्यमिक शिक्षा 12 वर्ष का होना चाहिए। इसके लिए Intermediate college की स्थापना तथा उसके प्रशासन पर नियंत्रण हेतु माध्यमिक तथा उत्तर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की स्थापना का सुझाव दिया।
- स्नातक की उपाधि 3 वर्ष की होनी चाहिए। इसके अलावा प्रावीण्य (Honours ) और स्नातक की उपाधि (Bachelor degree) का पाठ्यक्रम अलग होना चाहिए।
- प्राचीन संबद्ध विश्वविद्यालयों के स्थान पर पूर्ण स्वायत आवासीय एवं एकात्मक स्वरूप के विश्वविद्यालय की स्थापना का सुझाव दिया था।
- कलकत्ता विश्वविद्यालयों में महिलाओं की शिक्षा के लिए महिला शिक्षा बोर्ड के गठन का सुझाव दिया था।
- व्यावसायिक विद्यालयों की स्थापना का सुझाव ।
- इस आयोग के सुझावों को ध्यानगत वर्ष 1916 से 1921 के बीच सात विश्वविद्यालयों की स्थापना किया गया था।
1916 - मैसूर विश्वविद्यालय एवं बनारस विश्वविद्यालय1917 - पटना विश्वविद्यालय1918 - उस्मानिया विश्वविद्यालय1920 - अलीगढ़ विश्वविद्यालय1921 में लखनऊ तथा ढाका विश्वविद्यालय
- इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में बोर्ड ऑफ सेकेण्ड्री एजुकेशन की भी स्थापना किया गया था।
- 1929 में भारतीय परिनियत आयोग (Indian Statutory Commission) ने सर फिलिप हार्टोग की अध्यक्षता में एक सहायक समिति (Auxiliary Committee) की नियुक्ति की थी।
- इस समिति ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिया-
- प्राथमिक शिक्षा पर प्रमुखता से बल दिया जाए।
- ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को मिडिल स्कूल तक ही शिक्षा दिया जाए। तत्पश्चात् औद्योगिक तथा व्यावसायिक शिक्षा दिया जाए।
- विश्वविद्यालयों की वर्तमान स्थित में बार हेतु । उच्च शिक्षा प्राप्त करने योग्य विद्यार्थियों के मानसिक विकास हेतु प्रयास किया गया।
- 1935 में इसी आयोग के सुझाव पर केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड का गठन किया गया था।
- 1935 में भारत सरकार अधिनियम के अन्तर्गत प्रांतों को प्रांतीय स्वायता प्राप्त हुई थी।
- अक्टूबर, 1937 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा महाराष्ट्र के वर्धा में शिक्षा पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था।
- इसी क्रम में गाँधीजी के द्वारा अपने समाचार पत्र हरिजन (Harijan) में लेखों की एक श्रृंखला प्रकाशित किया गया। इन लेखों में मूलत: एक शिक्षा योजना प्रस्तुत किया गया था।
- इसी क्रम में डॉ. जाकिर हुसैन (हुसैन समिति के अध्यक्ष ) गाँधीजी के परामर्स पर वर्धा शिक्षा योजना को आधार बनाकर उस शिक्षा योजना को अंतिम रूप प्रदान किया था।
- इस योजना का प्रमुख उद्देश्य हस्त उत्पादन कार्य (Manual productive work) था साथ ही शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को व्यावसायिक एवं हस्तकला का ज्ञान दिया जाता था ।
- इस शिक्षा योजना में विद्यार्थियों को 7 वर्ष तक मातृभाषा में अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती थी।
- 1944 में केन्द्रीय शिक्षण मंत्रणा मंडल के तत्कालीन शिक्षा सलाहकार जॉन सार्जेण्ट के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय शिक्षा योजना तैयार किया गया था।
- प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर के विद्यालयों में सुधार पर बल I
- कनिष्ठ एवं उच्च आधार विद्यालय स्थापित करने का सुझाव ।
- 6-11 वर्ष के बालक-बालिका को निःशुल्क शिक्षा जिसमें संस्कारी और व्यावसायिक दोनों शिक्षा शामिल हो।
- प्रशासनिक सेवाओं में विश्वविद्यालय की स्नातक उपाधि की अनिवार्यता ।
- शिक्षा का समवर्ती सूची में रखा गया।
- नवम्बर 1948 को भारत सरकार ने डॉ. राधाकृष्णनन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था।
- अगस्त 1949 में इसने अपने सुझाव पेश किए।
- शिक्षा को समवर्ती सूची में रखा जाए।
- विश्वविद्यालय प्रशिक्षण हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का गठन किया जाए।
- 1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का गठन किया गया स्वायत रूप से।
- विश्वविद्यालय शिक्षा के पर्यवेक्षण हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना किया जाए।
- राधाकृष्णन आयोग की सिफारिश पर भारत सरकार ने 1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना किया था।
- 1956 में संसद द्वारा पारित कानून के माध्यम से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को स्वतंत्र निकाय का दर्जा प्रदान कर दिया गया।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) शिक्षा, शोध, सुविधा और शिक्षा से संबद्ध अन्य विकास योजनाओं का पर्यवेक्षण एवं संपादन करता है।
- ज्ञातव्य है कि 1947 में देश में 19 विश्वविद्यालय थे। वर्ष 2019 तक कुल है।
भारत में समाचार-पत्रों का इतिहास (The History of Indian Press)
- भारत में सर्वप्रथम पुर्तगाली मिशनरियों के द्वारा 16वीं शताब्दी 1550 में सर्वप्रथम प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना किया गया था।
- इसी क्रम में वर्ष 1557 में गोवा के पादरियों ने भारत में पहली पुस्तक की छपायी की थी।
- 1684 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंबई में पहला प्रिंटिंग प्रेस लगाया था । यद्यपि अगले 100 वर्षों तक इस प्रेस में छपाई बंद रही थी।
- इसी क्रम में कंपनी के असंतुष्ट कार्यकर्त्ता सर विलियम बोल्ट्स ने कंपनी से त्याग-पत्र देकर एक समाचार-पत्र प्रकाशित करने का प्रयास किया था।
- वर्ष 1780 में जेम्स आगस्ट हिक्की ने सर्वप्रथम 'द ' बंगाल गजट' (The Bengal Gazette) अथवा कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर (The Calcutta General Advertiser) नामक पहला समाचार-पत्र प्रकाशित किया था।
- 23 मार्च, 1782 को इस पत्र को वारेन हेस्टिंग्स ने बंद करवा दिया था ।
- इसी क्रम में 1780 में प्रकाशित इंडिया गजट दूसरा भारतीय पत्र था।
1784 - कलकत्ता गजट1785 - बंगाल जनरल1786-कलकत्ता क्रॉनिकल1785 - मद्रास कूरियर
- 1818 में गंगाधन भट्टाचार्य के द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी में साप्ताहिक 'बंगला गजट' प्रथम भारतीय द्वारा प्रकाशित अखबार था ।
- भारतीय भाषा में समाचार-पत्र निकालने की शुरूआत मार्शमैन ने किया था। प्रथम बंगाली मासिक पत्रिका दिग्दर्शन थी जो 1818 में प्रकाशित हुई थी।
- 1818 में ही दूसरी साप्ताहिक पत्र 'समाचार दर्पण' का भी प्रकाशन किया था।
- ब्रिटिश व्यापारी जेम्स सिल्क बकिंघम ने पत्रकारिता को एक नई पहचान प्रदान किया था।
- इसी क्रम में राजा राम मोहन राव ने प्रगतिशील राष्ट्रीय प्रवृत्ति के समाचार पत्रों का प्रकाशन प्रारंभ किया था।
- 1822 को मिरातुल अखबार का फारसी भाषा में अंग्रेजी भाषा में ब्रह्मलिन का प्रकाशन किया गया था।
- 1822 में भवानीचरण बंदोपाध्याय ने कलकत्ता में समाचार चंद्रिका का प्रकाशन किया था।
- राजा राममोहन राय को राष्ट्रीय प्रेस की स्थापना का श्रेय दिया जाता है। ये भारतीय समाचार-पत्रों के स्वतंत्रता का प्रथम योद्धा कहा जाता है।
- गवर्नर जनरल एडम्स ने अनुज्ञप्ति नियम (Licensing regulation, 1823) लाकर प्रेस पर प्रतिबंध लगाया था।
- राजा राममोहन राय ने ‘तुहफतुल मुवाहिदीन' नामक फारसी पुस्तक का प्रकाशन किया था।
- 1829 में राजाराम मोहन राय, द्वारकानाथ टैगोर तथा प्रसन्न कुमार टैगोर के संयुक्त प्रयास ने 'बंगदूत' का बंगाली में प्रकाशन किया गया था।
- 1851 में दादाभाई नौरोजी ने 'रस्तगोफ्तार तथा अखबारे सौदागर' का प्रकाशन गुजराती भाषा में किया गया था।
- 1853 में हरिश्चन्द्र मुखर्जी ने 'हिन्दू पैट्रियाट' का प्रकाशन कलकत्ता से किया था।
एंग्लो-इंडियन समाचार-पत्र
- पायनियर का प्रकाशन 1865 इलाहाबाद में हुआ था। यह सरकार का समर्थक तथा भारतीय क्रांतिकारियों एवं जनता का आलोचक था।
- पायनियर ने सिविल सर्विस का समर्थन किया था।
- इंग्लिशमैन सर्वाधिक रूढ़िवादी और प्रतिक्रियावादी पत्र था। जबकि स्टेटसमैन संपादक राबर्ट नाइट थे यह अपने उदारवादी विचारों के लिए जाना जाता था।
- इसी क्रम में मद्रास से प्रकाशित होने वाला अखबार 'मद्रास मेल' यूरोपीय वाणिज्यवादी भूस्वामियों तथा जमींदारों का प्रतिनिधित्व करता था।
- इसी क्रम में 'सिविल एण्ड मिलिट्री गजट' ब्रिटिश सरकार का समर्थक था।
- राजा राम मोहन राय के बाद बंगाल के प्रसिद्ध समाज सुधारक ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने 1859 में सोम प्रकाश का बंगाली साप्ताहिक के रूप में प्रकाशन किया था।
- नील किसानों का समर्थन सोमप्रकाश पत्रिका ने खुलकर किया था। इसी पत्र के विरोध में 1878 में लिंटन ने वर्नाकुलर प्रेस एक्ट लगाया था।
- इसी क्रम में क्रिस्टोफर पाल दास को भारतीय पत्रकारिता का राजकुमार भी कहा जाता है ।
- वर्ष 1861 में देवेन्द्र नाथ टैगोर तथा मनमोहन घोष ने दैनिक पत्र इंडियन मिरर की स्थापना की थी । केशवचंद्र सेन तथा नरेन्द्र नाथ सेन भी इंडियन मिरर के संपादन से जुड़े थे।
- केशवचन्द्र सेन ने बंगाली भाषा में सुलभ समाचार पत्र का भी प्रकाशन किया था।
- 1866 में शिशिर कुमार घोष एवं मोतीलाल घोष ने अमृत बाजार पत्रिका का बंगाली साप्ताहिक के रूप स्थापना किया था।
- इसी क्रम में 1873 के वर्नाकुलर प्रेस एक्ट के बचाव के लिए अमृत बाजार पत्रिका ने रातों-रात अंग्रेजी साप्ताहिक के रूप में परिवर्तित हो गई।
- वीर राघवाचारी ने 1878 में हिन्दू को अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किया था। 1889 में इस पत्र को दैनिक पत्र में परिवर्तित कर दिया गया था।
- 1867 में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र कवि वचन सुधा का तथा 1872 में हरिश्चन्द्र मैग्नीज नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया था।
- इसी क्रम में 1877 में मासिक पत्रिका हिन्दी प्रदीप का प्रकाशन बालकृष्ण भट्ट ने किया था।
- बनारस से 1884 में 'भारत जीवन' का प्रकाशन रामकृष्ण वर्मा ने किया था।
महत्वपूर्ण तथ्य
- अंग्रेजों ने भारत में 1781 ई. में वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल में कलकत्ता में स्थापित हुआ था।
- 1784 ई. में विलियम जोन्स के द्वारा कलकत्ता में एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल की स्थापना किया गया था।
- चार्ल्स विल्किंसन के द्वारा 'अभिज्ञान शाकुंतलम्' का अंग्रेजी में अनुवाद 1789 में किया गया था।
- पेरिस की रॉयल एशियाटिक सोसायटी की सदस्य माइकल मधुसूदन थे।
- 1778 में हालवेल के द्वारा संस्कृत व्याकरण का प्रकाशन किया गया था।
- विलियम जोंस के द्वारा ही गीत गोविंद की अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था।
- 'ए कोड ऑफ हिंदू लॉ' का 1794 में संस्कृत ग्रंथ का सर्वप्रथम अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था।
- बनारस में जोनाथन डंकन ने प्रथम संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना किया था ।
- फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना में सन् 1800 में लॉर्ड वेलेजली के द्वारा किया गया था।
- विशप कॉलेज की स्थापना 1818 में डॉ. मिडिलटन ने कलकत्ता में किया था।
- ' मालिक जोस' तथा फादर ऑफ इण्डोलॉजी की संज्ञा विलियम जोंस को प्रदान की गई थी। ·
- शिक्षा का अधोमुखी निस्यंदन' सिद्धांत के प्रतिपादक एवं प्रवर्तक लॉर्ड मैकाले तथा आकलैंड को माना जाता है।
- अंग्रेजी शिक्षा के विस्तार के लिए अंग्रेजी शिक्षा विस्तार योजना चार्ल्स ग्रांट की दिमाग की उपज थी।
- ज्ञातव्य है कि भारत में आधुनिक शिक्षा का जनक चार्ल्स ग्रांट को कहा जाता है।
- वर्ष 1792 में 'ब्रिटिश एशियाई प्रजा की सामाजिक स्थिति' नामक पुस्तक की रचना चार्ल्स ग्रांट ने किया था।
- वुड का डिस्पैच मुख्यतः विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा व्यवस्था का आधार था। इसी के तत्वावधान में 1857 में कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास में विश्वविद्यालयों की स्थापना किया गया।
- भारत में सर्वप्रथम 1853 में लोक शिक्षा विभाग की स्थापना किया गया था।
- हंटर कमीशन में प्राथमिक शिक्षा के लिए मातृभाषा में शिक्षा देने का प्रावधान किया गया था।
- हंटर कमीशन के पश्चात भारत में पंजाब (1885) तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय (1887) की स्थापना किया गया था।
- डॉ. एस. के. सैडलर लीड्स विश्वविद्यालय के कुलपति थे ।
- रैले कमीशन (1902) में सैयद हुसैन विलग्रामी, जस्टिस गुरुदास बनर्जी दोनों भारतीय सदस्य थे।
- वर्ष 1817 में राजा राम मोहन राय डेविड हेयर तथा एलेक्जेंडर डफ ने हिंदू कॉलेज की स्थापना किया था ।
- शिक्षा में धर्मनिरपेक्षता को डेविड हेयर ने महत्व दिया था।
- वर्ष 1813 के चार्टर में 1 लाख रुपये शिक्षा पर खर्च करने का प्रावधान बनाया गया था।
- 1835 के मैकाले स्मरण पत्र को भारत की आधुनिक शिक्षा प्रणाली का नींव कहा जाता है।
- आंग्ल शिक्षा का समर्थन मुनरो तथा एल्फिंसटन ने किया था।
- 'ग्राम शिक्षा योजना' जेम्स थामसन ने तैयार किया था ।
- 1835 में लार्ड विलियम बैंटिक के समय भारत में अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली प्रारंभ हुई थी।
- भारत में रूड़की में जेम्स थामसन के द्वारा 1847 में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की गई थी।
- वर्ष 1854 में बंबई में ग्रांट मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गई थी।
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here