NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | भारत पर अरब एवं तुर्क आक्रमण

भारत पर अरब एवं तुर्क आक्रमण

NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | भारत पर अरब एवं तुर्क आक्रमण

NCERT MCQs | मध्यकालीन इतिहास | भारत पर अरब एवं तुर्क आक्रमण

भारत पर अरब एवं तुर्क आक्रमण

1. भारत पर अरब आक्रमण के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) अरबों ने सर्वप्रथम सिंध पर आक्रमण किया।
(b) सिंध भारत का पश्चिमोत्तर प्रांत था।
(c) भारत पर पहला अरब आक्रमण 712 ई. में हुआ था।
(d) अरब सिंध जीतने में सफल नहीं हुए।
उत्तर - (d)
व्याख्या- भारत पर अरब आक्रमण के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि मुहम्मद-बिन-कासिम के नेतृत्व में 712 ई. में अरब सिंध को जीतने में सफल हुए थे।
कासिम ने भारत पश्चिमोत्तर प्रांत सिंध के शासक दाहिर एवं उसके पुत्र जयसिंह को हराकर सिंध के क्षेत्र मुल्तान पर अधिकार कर उस क्षेत्र का नाम स्वर्ण नगर रख दिया था।
2. अरब आक्रमण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. राजस्थान के स्थानीय शासकों ने अरबों को आगे बढ़ने से रोक दिया था।
2. अरब के लोग केवल विजेता बनकर ही भारत में आए थे।
3. अरबों ने पश्चिम भारत में बस्तियाँ स्थापित कीं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 3
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- अरब आक्रमण के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। राजस्थान के राजपूत शासकों ने अपने क्षेत्रों में अरबों के आक्रमणों का सामना किया तथा अरबों को आगे बढ़ने से रोका, जिसके कारण अरब निवासी पश्चिम भारत में ही रहने लगे।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि अरब के लोग केवल विजेता बनकर ही भारत नहीं आए थे, बल्कि भारत के पश्चिमी तट पर अरब व्यापारियों ने अनेक वस्तियाँ भी स्थापित कीं। अरबवासी सिंध क्षेत्र के स्थानीय लोगों के साथ मिल-जुलकर रहते थे, उन्हीं से शादी करते एवं एशिया के अन्य प्रदेशों के साथ होने वाले भारतीय व्यापार में हिस्सा लेते थे।
3. नौवीं सदी के अंतिम दौर में ट्रांस-ऑक्सियाना, खुरासान और ईरान में किसका शासन था ?
(a) सासानियों का
(b) अब्बासी खलीफाओं का
(c) तुर्की सरदारों का
(d) खुरासानी साम्राज्य का
उत्तर - (a)
व्याख्या- नौवीं सदी के अंतिम दौर में ट्रांस-ऑक्सियाना, खुरासान एवं ईरान के कुछ हिस्सों पर सासानियों का शासन था, जो मूल रूप से ईरानी थे। इन सासानियों को गाजी सैनिकों से संघर्ष करना पड़ा, जिसके कारण इनकी शक्ति क्षीण होती गई तथा गाजियों का वर्चस्व बढ़ता गया।
4. तुर्क सैनिकों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) तुर्क लोगों में से अधिकांश प्राकृतिक शक्तियों की पूजा करते थे।
(b) मुसलमानों की दृष्टि में तुर्क विधर्मी थे।
(c) तुर्क कभी इस्लामीकृत नहीं हो पाए।
(d) लूट-खसोट में उनका लगाव बना रहा।
उत्तर - (c)
व्याख्या- तुर्क सैनिकों के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि तुर्क सैनिकों ने इस्लाम के अनुरूप अपनी कार्य प्रणालियों को गति दी।
कालांतर में बहुत से तुर्क मुसलमान बन गए, लेकिन गैर-मुस्लिम तुर्क जनजातियों के हमलों के विरुद्ध संघर्ष चलता रहा, इस्लामीकृत तुर्क बाद में इस्लाम के सबसे बड़े रक्षकों एवं जेहादियों के रूप में उभरने लगे, परंतु इस्लाम की रक्षा एवं लूट-पाट की धारणा बनी रही।
5. निम्नलिखित में से किस तुर्क सरदार ने गजनी को अपनी राजधानी बनाकर स्वतंत्र राज्य की स्थापना की थी?
(a) अलप्तगीन
(b) महमूद 
(c) सुबुक्तगीन
(d) इस्माइल
उत्तर - (a)
व्याख्या- तुर्क सरदार अलप्तगीन ने 10वीं शताब्दी में गजनी पर अधिकार करके गजनवी वंश को चलाया तथा गजनी को अपनी राजधानी बनाकर स्वतंत्र राज्य की स्थापना की। सासानी राज्य के शासन की समाप्ति के बाद गजनवियों की शक्ति में वृद्धि हुई।
6. कथन (A) भारत पर तुर्की आक्रमण सफल हुए।
कारण (R) उत्तर भारत में राजनीतिक एकता नहीं थी ।
(a) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है
(b) A और R दोनों सही हैं, परंतु R, A की सही व्याख्या नहीं है
(c) A सही है, किंतु R गलत है
(d) A गलत है, किंतु R सही है 
उत्तर - (a)
व्याख्या- (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है। भारत पर सर्वाधिक तुर्की आक्रमण उत्तर-पश्चिम तथा राजपूताना पर हुआ। भारत में तुर्की आक्रमण की सफलता का प्रमुख कारण शासक वर्ग की आपसी राजनीतिक एकता का अभाव था। क्षेत्रों में छोटे-छोटे राज्य स्थापित थे तथा किसी केंद्रीकृत सत्ता का अभाव था। तुर्की आक्रमण के समय भी देशी शासकों ने एकताबद्ध न होकर अपनी शक्ति को कमजोर किया।
7. तुर्की के सामने राजपूत राज्यों के संघर्ष के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. राजपूतों ने तुर्कों और अरबों के आक्रमण का मुकाबला किया पर कामयाब नहीं हो पाए।
2. राजपूतों ने भारत के सीमांत क्षेत्रों विशेषकर अफगानिस्तान और पंजाब को शत्रु के हाथों में रहने दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- तुर्कों के सामने राजपूत राज्यों के संघर्ष के संबंध में दिए गए कथनों में से दोनों कथन सत्य हैं। राजपूत अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध थे, फिर भी उनको तुर्की मुसलमानों के साथ युद्ध में हार झेलनी पड़ी। देश में राजनीतिक एकता का अभाव, राजपूतों का दोषपूर्ण सैनिक संचालन इत्यादि राजपूतों के असफल होने के प्रमुख कारण थे।
राजपूतों ने अपने भारतीय सीमा क्षेत्रों को छोड़कर अन्य भारतीय सीमा क्षेत्रों पर तुर्कियों के रहने का विरोध नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप तुर्की भारत के सीमांत क्षेत्रों अफगानिस्तान एवं पंजाब में अपनी मजबूती बनाकर भारत के उत्तरी मैदान तथा गंगा-यमुना के दोआब क्षेत्रों में भी अपनी स्थिति सुदृढ़ करने लगे।

महमूद गनजवी

1. महमूद गजनवी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसका शासनकाल 998 ई. से 1030 ई. तक था।
2. इसको मध्यकालीन मुसलमान इतिहासकार इस्लाम का नायक मानते थे।
3. उसने मध्य एशियाई तुर्क जनजातियों से अपने राज्य और धर्म की रक्षा की थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य हैं ?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- महमूद गजनवी के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। अलप्तगीन का गुलाम एवं दामाद सुबुक्तगीन का पुत्र महमूद गजनवी सुल्तान की उपाधि लेकर 998 ई. में गजनी साम्राज्य की गद्दी पर बैठा। इसका शासन काल 1030 ई. तक था।
सुल्तान की उपाधि लेने वाला वह प्रथम मुस्लिम शासक था। इसे कुछ इतिहासकार इस्लाम का नेतृत्वकर्ता या नायक भी कहते हैं । इतिहासकारों का मत है कि इसने मध्य एशियाई तुर्क जनजातियों से गजनी साम्राज्य की रक्षा की, जिस कारण इसे इस्लाम का नायक भी कहा गया।
2. महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उसने भारत पर सत्रह आक्रमण किए थे।
(b) भारत में उसे लुटेरे के रूप में जाना गया।
(c) उसने सबसे पहले राजस्थान के हिंदूशाही शासकों पर आक्रमण किया।
(d) वह मुल्तान मुसलमान राजाओं के विरुद्ध भी था।
उत्तर - (c)
व्याख्या- महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के संबंध में दिए गए कथनों में से कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि महमूद गजनवी के भारत पर शुरुआती आक्रमणों / हमलों का लक्ष्य पेशावर एवं पंजाब पर राज करने वाले हिंदूशाही शासक थे। भारत की धन संपत्ति को अर्जित करने के उद्देश्य से गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया था।
महमूद गजनवी के आक्रमण के समय दक्षिण में चोल, चालुक्य, काबुल एवं पंजाब में हिंदूशाही, मुल्तान में करमाथी, सिंध में अरब, कश्मीर में लोहार वंश, कन्नौज में प्रतिहार, बंगाल में पाल, दिल्ली में तोमर, मालवा में परमार इत्यादि वंशों का शासन था।
3. निम्नलिखित में से किस हिंदूशाही शासक ने सामानियों के साथ मिलकर गजनी पर आक्रमण किया था?
(a) राजा जयदेव
(b) राजा जयपाल 
(c) राजा महेन्द्रपाल
(d) राजा विक्रमादित्य
उत्तर - (b)
व्याख्या- हिंदूशाही शासक जयपाल ने सामानियों के साथ मिलकर गजनी पर आक्रमण किया, परंतु राजा जयपाल के नेतृत्व में लड़ी गई सेना को पराजय का सामना करना पड़ा था। हिंदूशाही शासक महमूद गजनवी के पिता के समय से ही गजनवियों से संघर्ष कर रहे थे।
इस समय पंजाब से लेकर अफगानिस्तान तक के प्रदेश हिंदूशाही शासकों के अधीन थे, हिंदूशाही शासकों को यह अहसास हो गया कि गजनी में स्वतंत्र राज्य की स्थापना इनके क्षेत्रों के लिए खतरा है।
4. ‘वैहिंद के युद्ध’ के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यह निर्णायक युद्ध 1008-09 ई. में हुआ था।
(b) यह युद्ध महमूद गजनवी और आनंदपाल के बीच हुआ था।
(c) आनंदपाल ने खोखरों की सहायता से विजय प्राप्त की।
(d) मुल्तान पर गजनवियों का अधिकार हो गया।
उत्तर - (c)
व्याख्या- वैहिंद के के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है। आनंदपाल ने युद्ध खोखरों की सहायता से विजय प्राप्त की।
1001 ई. में महमूद गजनवी ने हिंदूशाही शासक जयपाल को निर्णायक युद्ध में परास्त कर बंदी बना लिया, परंतु कुछ दिनों के बाद छोड़ दिया, इस अपमान को राजा जयपाल सहन न कर सका तथा जलती चिता में अपने प्राण न्यौछावर करने का निर्णय कर लिया।
इसके पश्चात् इसका पुत्र आनंदपाल राजा बना तथा इसकी राजधानी वैहिंद (पेशावर के निकट) थी। यहाँ पर 1008 ई. में महमूद गजनी एवं आनंदपाल का युद्ध हुआ, इस युद्ध में भी महमूद गजनी की विजय हुई। इस युद्ध में राजा आनंदपाल का साथ मुल्तान के मुसलमान शासक तथा पंजाब की युद्ध प्रिय जनजाति खोखर के सैनिकों ने भी दिया, परंतु इस युद्ध में आनंदपाल की हार हुई
5. महमूद गजनवी के साथ भारत आने वाला प्रसिद्ध इतिहासकार कौन था ? 
(a) फरिश्ता
(b) अलबरूनी 
(c) अफीफ
(d) इब्नबतूता 
उत्तर - (b)
व्याख्या- महमूद गजनवी के साथ भारत आने वाला प्रसिद्ध इतिहासकार अलबरूनी था । यह कुछ समय तक भारत में रहा। यह एक महान गणितज्ञ, दार्शनिक, ज्योतिषी एवं संस्कृत विद्वान् था। यह अनेक भाषाओं का ज्ञाता था, जिनमें फारसी, हिब्रू, सीरियाई तथा संस्कृत शामिल थीं। इसने अपनी किताब में भारत की राजनैतिक एवं सामाजिक दशा का विस्तृत वर्णन किया है।
6. अस्सी अध्यायों में विभाजित अरबी में लिखित अलबरूनी की पुस्तक का नाम क्या था?
(a) हिंदवी
(b) मात-उल-किताब 
(c) किताब - उल - हिंद
(d) चचनामा 
उत्तर - (c)
व्याख्या- अस्सी अध्यायों में विभाजित अरबी में लिखित अलबरूनी की पुस्तक का नाम किताब अल-हिंद है। भारत के विषय में इसने अपनी रचना किताब-उल-हिंद ( तहकीक-ए-हिंद) में विस्तृत वर्णन किया। यह ग्रंथ एक विस्तृत ग्रंथ है, जो धर्म, दर्शन, त्यौहार, खगोल विज्ञान, रीति-रिवाज एवं प्रथाओं, सामाजिक जीवन, भार-तौल तथा मापन विधियों, मूर्तिकला, कानून, मापतंत्र विज्ञान इत्यादि अध्यायों में विभक्त है। इस ग्रंथ के अनेक अध्यायों को प्रश्न के साथ आरंभ किया गया है, जिसका उत्तर सांस्कृतिक परंपराओं के आधार पर दिया गया है।
7. अलबरूनी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. अलबरूनी का गणित की ओर झुकाव था।
2. उसका यात्रा वृत्तांत पश्चिम में सहारा रेगिस्तान से लेकर उत्तर में वोल्गा नदी तक फैला हुआ था।
3. भारतीय ग्रंथों के प्रति उसकी दृष्टि आलोचनात्मक थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- अलबरूनी के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
अलबरूनी ने महमूद गजनी के साथ भारत आकर यहाँ के प्रमुख क्षेत्रों की यात्रा की तथा अरबी भाषा में अपने ग्रंथ किताब - उल - हिंद की रचना की। उसका गणित के प्रति विशेष लगाव था। उसकी यात्रा में वोल्गा से सहारा तक की भौगेलिक परिस्थितियों का विवरण मिलता है ।
इसने अपनी भारत यात्रा के दौरान भारतीय ग्रंथों व विद्वानों की आलोचना की, इसने कहा कि भारतीय विद्वानों का विदेशों से संपर्क नहीं है, वे केवल अपने क्षेत्र अपने धर्म तथा अपनी संस्कृति को श्रेष्ठ बताते हैं।
8. अलबरूनी द्वारा अनुवादित पुस्तकों के विषय में कौन शामिल था?
(a) दंत कथाएँ 
(b) खगोल विज्ञान
(c) चिकित्सा
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- अलबरूनी द्वारा अनुवादित पुस्तकों के विषय में दंत कथाएँ, खगोल विज्ञान एवं चिकित्सा संबंधी कृतियों का समावेश किया था। अलबरूनी ने अपने लेखन में अधिकतर अरबी भाषा का प्रयोग किया था, उसने अपनी कृतियों को संभवत: भारतीय उपमहाद्वीप के सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए लिखा। अलबरूनी संस्कृत, पालि एवं प्राकृत ग्रंथों के अरबी भाषा में अनुवादों एवं रूपांतरणों से परिचित था।

मुहम्मद गौरी

1. गौरी साम्राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह उत्तर पश्चिम अफगानिस्तान में स्थित था।
2. गौरियों ने अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ अब्बासी खलीफाओं के मातहत शासकों के रूप में किया था।
3. सुल्तान अलाउद्दीन के अधीन गौरियों की शक्ति में वृद्धि हुई। उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- गौरी साम्राज्य के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। उत्तर-पश्चिम अफगानिस्तान में गौर नामक प्रदेश का उदय हुआ, जिसे गौरी साम्राज्य कहा जाने लगा। सुल्तान अलाउद्दीन के अधीन गौरियों की शक्ति में वृद्धि हुई।
कथन (2) असत्य है, गौरियों ने अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ गजनी के मातहत शासकों के रूप में किया था, परंतु शीघ्र ही वे गजनवियों से पूरी तरह स्वतंत्र हो गए थे।
2. शहाबुद्दीन मुहम्मद के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) वह 1173 ई. में शासक बना।
(b) वह खुरासान का शासक था।
(c) उसे मुइज्जुद्दीन मुहम्मद बिन साम भी कहा जाता है।
(d) यह इतिहास में मुहम्मद गौरी के नाम से जाना जाता है।
उत्तर - (b)
व्याख्या- शहाबुद्दीन मुहम्मद के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है।
1173 ई. में शहाबुद्दीन मुहम्मद मुइज्जुद्दीन मुहम्मद बिन साम के नाम से गजनी के सिंहासन पर बैठा, जिसे इतिहास में मुहम्मद गौरी के नाम से जाना गया। 1163 ई. में गयासुद्दीन मोहम्मद ने गौर की राजगद्दी संभाली तदोपरांत इसने अपने छोटे भाई मुइज्जुद्दीन मुहम्मद बिन साम (मुहम्मद गौरी) को 1173 ई. में गजनी की गद्दी सौंप दी। मुहम्मद गौरी शंसबनी वंश का शासक था और इसका प्रथम आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान पर हुआ।
3. मुहम्मद गौरी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने गोमल दर्रे से भारत पर आक्रमण किया था।
2. 1178 ई. में राजपूताना रेगिस्तान से होकर वह गुजरात में प्रवेश करने में सफल रहा।
3. उसने पंजाब के गजनवी प्रदेशों को जीतने की मुहिम शुरू की।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुहम्मद गौरी के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं।
1178 ई. में मुहम्मद गौरी ने राजपूताना रेगिस्तान क्षेत्र से होते हुए गुजरात प्रवेश किया तथा गुजरात के नेहरवाला पर आक्रमण किया, तो चालुक्य वंशीय शासक मूलराज के भाई भीम द्वितीय ने मुहम्मद गौरी को माउंटआबू पर्वत के पास पराजित कर दिया था।
इस पराजय के बाद उसने पंजाब में गजनवी प्रदेशों को जीतने की मुहिम आरंभ की तथा 1190 ई. तक पंजाब के बड़े हिस्से का स्वामी बन गया।
4. मुहम्मद गौरी के समकालीन पृथ्वीराज चौहान के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) वह 14 वर्ष की आयु में शासक बना।
(b) उसका राज्याभिषेक दिल्ली में हुआ।
(c) उसने चंदेल शासकों को परास्त किया।
(d) उसने 16 वर्ष की आयु में विजय अभियान शुरू कर दिया था।
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुहम्मद गौरी के समकालीन पृथ्वीराज चौहान के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है। चौहान वंश के सबसे प्रतापी शासक पृथ्वीराज तृतीय या पृथ्वीराज चौहान मात्र 14 वर्ष की अवस्था में अजमेर की राजगद्दी पर बैठे तथा इनका राज्याभिषेक अजमेर में हुआ। इन्होंने 16 वर्ष की अवस्था में अपना विजय अभियान शुरू कर दिया। पृथ्वीराज ने कई पड़ोसी हिंदू राज्यों के विरुद्ध सैन्य सफलता प्राप्त की, जिसमें विशेष रूप से वह चंदेल राजा परमर्दिदेव के विरुद्ध थे।
5. निम्नलिखित में किस युद्ध में आल्हा और ऊदल नामक भाई वीरगति को प्राप्त हुए थे? 
(a) बिठोवा की लड़ाई 
(b) महोबा की लड़ाई
(c) कन्नौज की लड़ाई
(d) सोमनाथ की लड़ाई
उत्तर - (b)
व्याख्या- महोबा के युद्ध में आल्हा और ऊदल दोनों भाई वीरगति को प्राप्त हुए थे। पृथ्वीराज चौहान ने चंदेल शासकों के क्षेत्र बुंदेलखंड में आक्रमण करके महोबा की लड़ाई में चंदेल शासक परमर्दिदेव को परास्त किया। पृथ्वीराज ने बुंदेलखंड को जीतने के बाद भी उसे अपने साम्राज्य में नहीं मिलाया।
6. तराइन की प्रथम लड़ाई के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. यह लड़ाई 1191 ई. में हुई थी।
2. इस लड़ाई में गौरी की सेना बुरी तरह पराजित हुई थी।
3. इस युद्ध के बाद पृथ्वीराज ने सरहिंद पर अधिकार कर लिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- तराइन की प्रथम लड़ाई के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। थानेसर से लगभग 20 किमी की दूरी पर तराइन रण क्षेत्र में 1191 ई. में मुहम्मद गौरी तथा पृथ्वीराज चौहान के बीच युद्ध हुआ।
इस युद्ध में मोहम्मद गौरी को हार का सामना करना पड़ा। गौरी ने पृथ्वीराज के भाई पर आक्रमण किया, जिसके पश्चात् गोविंद राव ने गौरी की भुजा पर हमला कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप गौरी को पीछे हटना पड़ा तथा एक खिलजी सैनिक द्वारा गौरी की रणक्षेत्र से बाहर ले जाकर जान बचाई गई। मुहम्मद गौरी गजनी लौट गया, जिसके उपरांत राजपूतों ने सरहिंद पर घेरा डाला, किंतु वे सुगमता से सरहिंद विजय पर पाने में सफल नहीं हो सके।
7. तराइन की द्वितीय लड़ाई के संबंध में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? 
(a) यह लड़ाई 1192 ई. में हुई थी।
(b) इस युद्ध में जयचंद ने गौरी का साथ दिया।
(c) इस युद्ध में पृथ्वीराज सिरसा में बंदी बना लिया गया।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- तराइन की द्वितीय लड़ाई के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है ।
1192 ई. के तराइन के द्वितीय युद्ध को भारतीय इतिहास में एक नया मोड़ माना गया, इस युद्ध में मुहम्मद गौरी ने अपनी पूरी तैयारी के साथ पृथ्वीराज पर आक्रमण किया, इस युद्ध में गौरी ने 12000 सैनिकों के साथ युद्ध किया। इस युद्ध में पृथ्वीराज ने उत्तर भारत के सभी राजाओं से सहायता माँगी, जिसके परिणामस्वरूप राजाओं ने अपनी-अपनी सैन्य टुकड़ियाँ भी भेजीं, परंतु कन्नौज का शासक जयचंद इस युद्ध से अलग रहा।
8. जयचंद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. वह गहड़वाल राज्य का शासक था।
2. यह राज्य कन्नौज में स्थित था।
3. वह बंगाल के सेन राजा को पराजित कर चुका था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3 
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- जयचंद के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
जयचंद गहड़वाल (राठौर) राज्य के शासक थे, जो कन्नौज राज्य में स्थित था। राजा जयचंद ने वीरता, साहस, कुशल नेतृत्व एवं दूरदर्शिता जैसे गुणों के चलते कन्नौज राज्य का अधिक विस्तार किया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि बंगाल के सेन शासक लक्ष्मण सेन से जयचंद पराजित हुआ था। इसके अतिरिक्त दिल्ली पर अधिकार करने को लेकर हुए युद्ध में चौहान वंश के शासकों द्वारा जयचंद की भी हार हुई ।
9. मुहम्मद गौरी ने किस युद्ध में जयचंद को पराजित किया?
(a) तराइन का युद्ध (1191)
(b) तराइन का युद्ध (1192)
(c) चंदावर का युद्ध (1194 )
(d) कन्नौज का युद्ध (1194 )
उत्तर - (c)
व्याख्या- मुहम्मद गौरी ने चंदावर के युद्ध में जयचंद को पराजित किया। तराइन का युद्ध जीतने के बाद मुहम्मद गौरी गजनी से 1194 ई. में भारत लौटा तथा 50,000 घुड़सवारों के साथ यमुना पार करके कन्नौज पर चढ़ाई कर दी। इस समय कन्नौज के शासक राजा जयचंद तथा मुहम्मद गौरी के मध्य कन्नौज के निकट चंदावर नामक स्थान पर भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में जयचंद की जीत लगभग निश्चित हो चुकी थी, परंतु युद्ध में जयचंद की आँख में तीर लगा और हाथी से गिरकर उसकी मृत्यु हो गई तथा मुहम्मद गौरी ने कन्नौज पर अधिकार कर लिया।
10. मुहम्मद गौरी ने किस सेनापति को बनारस से पूर्व की ओर के कुछ क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी थी? 
(a) कुतुबुद्दीन ऐबक 
(b) बख्तियार खिलजी
(c) यल्दोज
(d) कुवाचा
उत्तर - (b)
व्याख्या- मुहम्मद गौरी ने बख्तियार खिलजी को (जिसके चाचा ने तराइन का युद्ध लड़ा था) बनारस से पूर्व की ओर कुछ क्षेत्रों को संभालने की जिम्मेदारी दे दी। इस स्थिति का लाभ उठाकर बख्तियार खिलजी ने बिहार पर कई हमले किए थे, इन हमलों के दौरान बख्तियार खिलजी ने बिहार के कुछ प्रसिद्ध बौद्ध बिहारों जैसे नालंदा एवं विक्रमशिला को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया।
11. बख्तियार खिलजी के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उसने नालंदा और विक्रमशिला को नष्ट कर दिया।
(b) उसने बंगाल पहुँचने का रास्ता खोजा।
(c) उसने बंगाल के सेन राजा लक्ष्मण सेन पर हमला किया था।
(d) उसने लखनौती पर हमला किया पर सफल नहीं हो पाया।
उत्तर - (d)
व्याख्या- बख्तियार खिलजी के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि 1204 ई. में बख्तियार सेन शासकों की राजधानी लखनौती की ओर बढ़ा एवं बिना किसी विरोध के उस पर अधिकार कर लिया, क्योंकि सेन शासक उस समय दक्षिण बंगाल में सोनार गाँव गया हुआ था। बंगाल में अपनी स्थिति मजबूत करने के बाद बख्तियार खिलजी को मुहम्मद गौरी ने बंगाल का सूबेदार नियुक्त कर दिया।
12. बख्तियार खिलजी के पूर्वोत्तर अभियान के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. वह बंगाल का सूबेदार बन गया।
2. उसने असम को जीत लिया।
3. उसने तिब्बत पर आक्रमण करने की योजना बनाई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3 
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- बख्तियार खिलजी के पूर्वोत्तर अभियान के संबंध में कथन ( 1 ) और (3) सत्य हैं।
बख्तियार खिलजी बंगाल का सूबेदार नियुक्त हुआ। बख्तियार खिलजी ने ब्रह्मपुत्र घाटी की तरफ चढ़ाई की, जो उसका मूर्खतापूर्ण निर्णय था। खिलजी असम क्षेत्र में चढ़ाई करता गया और असम की माघ सेना पीछे हटती गई तथा तुर्क सेना आगे बढ़ती गई अतः थकी-हारी तुर्क सेना का एक ऐसे स्थान पर युद्ध हुआ, जहाँ एक चौड़ी नदी थी, इस युद्ध में खिलजी की बुरी तरह हार हुई तथा वह कुछ कबीलों की सहायता से अपनी जान बचाकर भागा।
कुछ इतिहासकार मानते हैं कि बख्तियार खिलजी ने तिब्बत पर अधिकार करने का भी मन बना लिया था, किंतु असम की हार ने उसे इस ओर ध्यान देने नहीं दिया।
13. मुहम्मद गौरी की मृत्यु का निम्नलिखित पर क्या प्रभाव पड़ा?
(a) गौरियों ने मध्य एशियाई महत्त्वाकांक्षाओं की तिलांजलि दे दी।
(b) पश्चिम पंजाब की खोखर जाति ने विद्रोह कर दिया।
(c) भारत में तुर्क शासन की स्थापना मार्ग प्रशस्त हुआ।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- मुहम्मद गौरी की मृत्यु के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। 1203 ई. में खारिज्मी शासक से हार के बाद गौरियों ने अपनी मध्य एशियाई महत्त्वाकांक्षाओं को छोड़कर अपना पूरा ध्यान भारत की ओर लगाया।
मुहम्मद गौरी ने वर्ष 1206 में अंतिम बार भारत पर आक्रमण किया। 15 मार्च, 1206 को गजनी लौट रहा था तो मार्ग में कुछ शिया विद्रोहियों एवं हिंदू खोखरों ने उसकी हत्या कर दी। इसके शव को गजनी में दफनाया गया था।
मुहम्मद गौरी ने भारत में नए राज्यों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया, इसके शासनकाल में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं धार्मिक प्रभाव व्यापक रूप से सामने आए। भारत में इंडो-इस्लामिक कला तथा संस्कृति का विकास होने लगा।
14. महमूद गजनी तथा गौरी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. एक योद्धा के रूप में महमूद गजनी, गौरी से अधिक सफल था।
2. दोनों में से किसी को भी इस्लाम की चिंता नहीं थी।
3. दोनों ने हिंदू अफसरों और सिपाहियों का उपयोग किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (d) (b)
व्याख्या- महमूद गजनी एवं मुहम्मद गौरी के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
मुहम्मद गौरी के आक्रमण को मुहम्मद बिन कासिम एवं महमूद गजनी के उद्देश्यों से जोड़कर देखा जा सकता है, जिसमें मुहम्मद गौरी के आक्रमण का प्रभाव अधिक स्थायी सिद्ध हुआ, परंतु एक योद्धा के रूप में महमूद गजनवी, मुहम्मद गौरी से अधिक सफल था, क्योंकि गजनी को भारत या मध्य एशिया में बड़ी पराजय का दंश नहीं झेलना पड़ा।
गजनी व गौरी ने भारत में तो सफलतापूर्वक आक्रमण किए, यहाँ के स्थानीय शासकों, सामंतों, सिपाहियों के सहयोग से किए, परंतु इन्होंने इस्लाम का उपयोग नहीं किया था, क्योंकि इन्हें इस्लाम की समझ नहीं थी।
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